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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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जहां तक मेरा ख्याल है , औरत अपने सौतेले संतान को सहर्ष स्वीकार कर लेती है लेकिन मर्द को अपनी पत्नि से उत्पन्न सौतेले पुत्र को स्वीकार करने मे छक्के छुट जाते है।

बहुत साल पहले एक उपन्यास पढ़ा था। एक विधुर की शादी एक विधवा से होती है। दोनो को ही अपने अपने पुर्व हसबैंड / वाइफ से एक एक संतान था। विधुर एक लड़की का पिता था और विधवा एक लड़के का।
पति पत्नि मे प्रेम बहुत अधिक था लेकिन प्रॉब्लम यह था कि औरत अपने हसबैंड के लड़की को तो स्वीकार कर ली और उसे मां की ममता प्रेम सबकुछ तहेदिल से दी पर मर्द अपनी पत्नि के पुत्र को दिल से स्वीकार न कर पाया।
छोटी छोटी बात पर लड़के को फटकार देता। जलील कर देता और उसकी पत्नि सबकुछ देखकर भी कुछ न कर पाती। क्योकि हमारे धर्म मे पति का स्थान पुत्र से कहीं बहुत ऊपर है। पति परमेश्वर होता है , भले ही वो लाख गलत हो।
कहानी के अंत मे लड़के की मौत हो जाती है और तब मर्द को एहसास होता है कि उसने क्या कर दिया !
बहुत ही दर्दनाक और इमोशनल कहानी थी।
( इस विषय पर एक कहानी लिखने का विचार आया था मुझे लेकिन चूंकि कहानी मे छोटे लड़के का रोल अधिक था और फोरम पर यह मान्य नही है इसलिए कैंसल कर दिया)

लेकिन यह सब एक कहानी था। रियलिटी नही। लेकिन इस बात से हम इंकार नही कर सकते कि औरत का दिल मर्द के तुलना मे ज्यादा संवेदनशील होता है। और यह भी कि मर्द को अपना संतान सबसे अधिक प्यारा होता है।

यह सब इसलिए कहा कि अमर और रचना को भी अपने अपने पुर्व हसबैंड/ वाइफ से एक एक संतान है।

रचना की भाव भंगिमा और बात व्यवहार से लगता नही कि वो अमर के लिए किसी भी एंगल से खराब पत्नि साबित होगी।
उसकी उम्र भी कोई अधिक नही है। सिर्फ सुमन , काजल और रचना ही नही , रियल लाइफ मे कई महिलाए मिल जायेंगी जिन्हने उम्र के तीसरे या चौथे पड़ाव मे भी शादी के बंधन मे बंधी है।
फिलहाल सिर्फ एक एग्जाम्पल दे रहा हूं , प्रीति सप्रू का। बालीवुड और पंजाबी फिल्म की प्रख्यात अभिनेत्री। ये तेज सप्रू की बहन है जो बालीवुड एवं टेलीविजन मे विलेन के किरदार मे नजर आते है। इन्होने 46 साल की उम्र मे शादी की थी और इनका वैवाहिक जीवन काफी खुशहाल भी है।

खुबसूरत और बेहतरीन अपडेट अमर भाई।
और जगमग जगमग भी।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
Prime
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जहां तक मेरा ख्याल है , औरत अपने सौतेले संतान को सहर्ष स्वीकार कर लेती है लेकिन मर्द को अपनी पत्नि से उत्पन्न सौतेले पुत्र को स्वीकार करने मे छक्के छुट जाते है।

बहुत साल पहले एक उपन्यास पढ़ा था। एक विधुर की शादी एक विधवा से होती है। दोनो को ही अपने अपने पुर्व हसबैंड / वाइफ से एक एक संतान था। विधुर एक लड़की का पिता था और विधवा एक लड़के का।
पति पत्नि मे प्रेम बहुत अधिक था लेकिन प्रॉब्लम यह था कि औरत अपने हसबैंड के लड़की को तो स्वीकार कर ली और उसे मां की ममता प्रेम सबकुछ तहेदिल से दी पर मर्द अपनी पत्नि के पुत्र को दिल से स्वीकार न कर पाया।
छोटी छोटी बात पर लड़के को फटकार देता। जलील कर देता और उसकी पत्नि सबकुछ देखकर भी कुछ न कर पाती। क्योकि हमारे धर्म मे पति का स्थान पुत्र से कहीं बहुत ऊपर है। पति परमेश्वर होता है , भले ही वो लाख गलत हो।
कहानी के अंत मे लड़के की मौत हो जाती है और तब मर्द को एहसास होता है कि उसने क्या कर दिया !
बहुत ही दर्दनाक और इमोशनल कहानी थी।
( इस विषय पर एक कहानी लिखने का विचार आया था मुझे लेकिन चूंकि कहानी मे छोटे लड़के का रोल अधिक था और फोरम पर यह मान्य नही है इसलिए कैंसल कर दिया)

लेकिन यह सब एक कहानी था। रियलिटी नही। लेकिन इस बात से हम इंकार नही कर सकते कि औरत का दिल मर्द के तुलना मे ज्यादा संवेदनशील होता है। और यह भी कि मर्द को अपना संतान सबसे अधिक प्यारा होता है।

यह सब इसलिए कहा कि अमर और रचना को भी अपने अपने पुर्व हसबैंड/ वाइफ से एक एक संतान है।

रचना की भाव भंगिमा और बात व्यवहार से लगता नही कि वो अमर के लिए किसी भी एंगल से खराब पत्नि साबित होगी।
उसकी उम्र भी कोई अधिक नही है। सिर्फ सुमन , काजल और रचना ही नही , रियल लाइफ मे कई महिलाए मिल जायेंगी जिन्हने उम्र के तीसरे या चौथे पड़ाव मे भी शादी के बंधन मे बंधी है।
फिलहाल सिर्फ एक एग्जाम्पल दे रहा हूं , प्रीति सप्रू का। बालीवुड और पंजाबी फिल्म की प्रख्यात अभिनेत्री। ये तेज सप्रू की बहन है जो बालीवुड एवं टेलीविजन मे विलेन के किरदार मे नजर आते है। इन्होने 46 साल की उम्र मे शादी की थी और इनका वैवाहिक जीवन काफी खुशहाल भी है।

खुबसूरत और बेहतरीन अपडेट अमर भाई।
और जगमग जगमग भी।
मन्नू भंडारी की कहानी की बात तो नही कर रहे आप?

अभी पढ़ना शुरू करने वाला हूं उसे
 
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मन्नू भंडारी की कहानी की बात तो नही कर रहे आप?

अभी पढ़ना शुरू करने वाला हूं उसे
नही। ये उपन्यास तीस पैंतीस साल पहले पढ़ा था। मनोज पाकेट बुक्स मे पब्लिश हुआ था और शायद राइटर इसके मनोज थे।
 

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जहां तक मेरा ख्याल है , औरत अपने सौतेले संतान को सहर्ष स्वीकार कर लेती है लेकिन मर्द को अपनी पत्नि से उत्पन्न सौतेले पुत्र को स्वीकार करने मे छक्के छुट जाते है।

बहुत साल पहले एक उपन्यास पढ़ा था। एक विधुर की शादी एक विधवा से होती है। दोनो को ही अपने अपने पुर्व हसबैंड / वाइफ से एक एक संतान था। विधुर एक लड़की का पिता था और विधवा एक लड़के का।
पति पत्नि मे प्रेम बहुत अधिक था लेकिन प्रॉब्लम यह था कि औरत अपने हसबैंड के लड़की को तो स्वीकार कर ली और उसे मां की ममता प्रेम सबकुछ तहेदिल से दी पर मर्द अपनी पत्नि के पुत्र को दिल से स्वीकार न कर पाया।
छोटी छोटी बात पर लड़के को फटकार देता। जलील कर देता और उसकी पत्नि सबकुछ देखकर भी कुछ न कर पाती। क्योकि हमारे धर्म मे पति का स्थान पुत्र से कहीं बहुत ऊपर है। पति परमेश्वर होता है , भले ही वो लाख गलत हो।
कहानी के अंत मे लड़के की मौत हो जाती है और तब मर्द को एहसास होता है कि उसने क्या कर दिया !
बहुत ही दर्दनाक और इमोशनल कहानी थी।
( इस विषय पर एक कहानी लिखने का विचार आया था मुझे लेकिन चूंकि कहानी मे छोटे लड़के का रोल अधिक था और फोरम पर यह मान्य नही है इसलिए कैंसल कर दिया)

लेकिन यह सब एक कहानी था। रियलिटी नही। लेकिन इस बात से हम इंकार नही कर सकते कि औरत का दिल मर्द के तुलना मे ज्यादा संवेदनशील होता है। और यह भी कि मर्द को अपना संतान सबसे अधिक प्यारा होता है।

यह सब इसलिए कहा कि अमर और रचना को भी अपने अपने पुर्व हसबैंड/ वाइफ से एक एक संतान है।

रचना की भाव भंगिमा और बात व्यवहार से लगता नही कि वो अमर के लिए किसी भी एंगल से खराब पत्नि साबित होगी।
उसकी उम्र भी कोई अधिक नही है। सिर्फ सुमन , काजल और रचना ही नही , रियल लाइफ मे कई महिलाए मिल जायेंगी जिन्हने उम्र के तीसरे या चौथे पड़ाव मे भी शादी के बंधन मे बंधी है।
फिलहाल सिर्फ एक एग्जाम्पल दे रहा हूं , प्रीति सप्रू का। बालीवुड और पंजाबी फिल्म की प्रख्यात अभिनेत्री। ये तेज सप्रू की बहन है जो बालीवुड एवं टेलीविजन मे विलेन के किरदार मे नजर आते है। इन्होने 46 साल की उम्र मे शादी की थी और इनका वैवाहिक जीवन काफी खुशहाल भी है।

खुबसूरत और बेहतरीन अपडेट अमर भाई।
और जगमग जगमग भी।

संजू भाई - आपके मत पढ़ कर बड़ा अच्छा लगता है। इसलिए लिखते अवश्य रहा करिए!

मुझे सौतेले पुत्रों और पुत्रियों को ले कर होने वाले व्यवहारों के बारे में थोड़ा कम ही पता है, लेकिन जो भी मैंने अभी तक देखा है (कोई पाँच परिवार ही हैं जानकारी में), उससे आपकी बात का समर्थन कर पाना थोड़ा मुश्किल लगता है। मेरे ख़याल से स्त्रियों में ‘अपने’ और ‘पराये’ का भेद पुरुषों के अपेक्षा अधिक होता है। अपनी संतान की सलामती को ले कर स्त्री बहुत उग्र होती है। उसके सामने वो किसी से भी झगड़ा मोल ले सकती है। ये बहुत कुछ उसके परिदृश्य पर भी निर्भर करता है - अगर वो संपन्न परिवार से आई होती है, तो उसको अपने सौतेले बच्चों से कोई दुराग्रह नहीं होता, या कम होता है। लेकिन अगर वो अभाव से आई है, तब वो अपने सौतेले बच्चों के प्रति बेहद क्रूर हो सकती है। और यही शिक्षा वो अपने बच्चों को भी देती है।

मेरे एक अनन्य मित्र हैं, उन्होंने अपने सौतेले पुत्र को अपने पुत्र के जैसे ही पाला है। और वो भी पूरे गर्व से उन्ही को अपना पिता कहता है, जबकि उस बच्चे ने कोई दस वर्ष की आयु में अपने पिता को खोया था! ऐसे ही, एक अंकल जी हैं, जब उन्होंने दूसरी शादी करी, तब अपनी दूसरी पत्नी के दोनों बच्चों (लड़का और लड़की) को अपने ही बच्चों जैसे ट्रीट किया। इतना कि उनकी बड़ी लड़की (जो कि सौतेली है) उनको ही अपना पिता कहती है (जबकि उसने करीब सोलह या सत्रह साल में अपने पिता को खोया)!

इसके विपरीत एक मित्र की दूसरी पत्नी ने उनके बच्चों की ज़िन्दगी खराब कर के रखी हुई है और वो दोनों अब तलाक की अर्ज़ी लगा चुके हैं। एक और अंकल हैं, उनकी दूसरी पत्नी ने उनकी पहली बेटी को अपनी बेटी जैसा मान दिया है - शायद इसलिए क्योंकि उनकी खुद की कोई संतान न हो सकी। लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, मेरा सैंपल साइज बहुत छोटा है। संसार में अद्भुत उदाहरण मौजूद हैं, और जो हम सोच नहीं सकते, वो सब हो चुका है और हो रहा है!

जहाँ तक कहानी की बात है - मैं सहमत हूँ! रचना एक अच्छी लड़की है। सुन्दर है, और गुणी है (वो शीघ्र ही मालूम पड़ेंगे)। जानी पहचानी है, और अमर को पत्नी के सभी सुख दे सकती है और देने के लिए तत्पर भी है। पति पत्नी का सम्बन्ध अक्सर इस बात से खराब नहीं होता कि दोनों में से किसी में कोई बुराई है - अक्सर इसलिए खराब होता है कि दोनों एक साथ कम्पैटिबल हैं या नहीं। बेहद छोटी छोटी बातें शादी को बना भी सकती हैं, और बिगाड़ भी सकती हैं। कभी फॅमिली कोर्ट में जा कर देखें, तो तलाक़ के अनेकों कारणों को सुन कर हँसी छूट जाए कि स्साला इस बात पर तलाक़ हो गया!

प्रीती सप्रू जी के बारे में पढ़ा - अच्छा लगा कि उनको न केवल विवाहित होने का, बल्कि मातृत्व का भी सुख मिला। मेरी कहानी पढ़ने वालों को थोड़ा अतरंगी लगता होगा, लेकिन है नहीं। पैंतालीस से अधिक उम्र की महिलाओं को भी बच्चे होते हैं यदि उनका और उनके पति का स्वास्थ्य अच्छा हो तो! कई सारे अविश्वसनीय दृश्य हैं, लेकिन असंभव नहीं!

साथ में बने रहें! रचना और अमर का एपिसोड तेजी से आगे बढ़ेगा। एक और अपडेट लिख लिया है, लेकिन सोच रहा हूँ कि दो अपटेड लिख कर फिर पोस्ट करूँ। मिलते हैं शीघ्र ही!
 

KinkyGeneral

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संजू भाई - आपके मत पढ़ कर बड़ा अच्छा लगता है। इसलिए लिखते अवश्य रहा करिए!

मुझे सौतेले पुत्रों और पुत्रियों को ले कर होने वाले व्यवहारों के बारे में थोड़ा कम ही पता है, लेकिन जो भी मैंने अभी तक देखा है (कोई पाँच परिवार ही हैं जानकारी में), उससे आपकी बात का समर्थन कर पाना थोड़ा मुश्किल लगता है। मेरे ख़याल से स्त्रियों में ‘अपने’ और ‘पराये’ का भेद पुरुषों के अपेक्षा अधिक होता है। अपनी संतान की सलामती को ले कर स्त्री बहुत उग्र होती है। उसके सामने वो किसी से भी झगड़ा मोल ले सकती है। ये बहुत कुछ उसके परिदृश्य पर भी निर्भर करता है - अगर वो संपन्न परिवार से आई होती है, तो उसको अपने सौतेले बच्चों से कोई दुराग्रह नहीं होता, या कम होता है। लेकिन अगर वो अभाव से आई है, तब वो अपने सौतेले बच्चों के प्रति बेहद क्रूर हो सकती है। और यही शिक्षा वो अपने बच्चों को भी देती है।

मेरे एक अनन्य मित्र हैं, उन्होंने अपने सौतेले पुत्र को अपने पुत्र के जैसे ही पाला है। और वो भी पूरे गर्व से उन्ही को अपना पिता कहता है, जबकि उस बच्चे ने कोई दस वर्ष की आयु में अपने पिता को खोया था! ऐसे ही, एक अंकल जी हैं, जब उन्होंने दूसरी शादी करी, तब अपनी दूसरी पत्नी के दोनों बच्चों (लड़का और लड़की) को अपने ही बच्चों जैसे ट्रीट किया। इतना कि उनकी बड़ी लड़की (जो कि सौतेली है) उनको ही अपना पिता कहती है (जबकि उसने करीब सोलह या सत्रह साल में अपने पिता को खोया)!

इसके विपरीत एक मित्र की दूसरी पत्नी ने उनके बच्चों की ज़िन्दगी खराब कर के रखी हुई है और वो दोनों अब तलाक की अर्ज़ी लगा चुके हैं। एक और अंकल हैं, उनकी दूसरी पत्नी ने उनकी पहली बेटी को अपनी बेटी जैसा मान दिया है - शायद इसलिए क्योंकि उनकी खुद की कोई संतान न हो सकी। लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, मेरा सैंपल साइज बहुत छोटा है। संसार में अद्भुत उदाहरण मौजूद हैं, और जो हम सोच नहीं सकते, वो सब हो चुका है और हो रहा है!

जहाँ तक कहानी की बात है - मैं सहमत हूँ! रचना एक अच्छी लड़की है। सुन्दर है, और गुणी है (वो शीघ्र ही मालूम पड़ेंगे)। जानी पहचानी है, और अमर को पत्नी के सभी सुख दे सकती है और देने के लिए तत्पर भी है। पति पत्नी का सम्बन्ध अक्सर इस बात से खराब नहीं होता कि दोनों में से किसी में कोई बुराई है - अक्सर इसलिए खराब होता है कि दोनों एक साथ कम्पैटिबल हैं या नहीं। बेहद छोटी छोटी बातें शादी को बना भी सकती हैं, और बिगाड़ भी सकती हैं। कभी फॅमिली कोर्ट में जा कर देखें, तो तलाक़ के अनेकों कारणों को सुन कर हँसी छूट जाए कि स्साला इस बात पर तलाक़ हो गया!

प्रीती सप्रू जी के बारे में पढ़ा - अच्छा लगा कि उनको न केवल विवाहित होने का, बल्कि मातृत्व का भी सुख मिला। मेरी कहानी पढ़ने वालों को थोड़ा अतरंगी लगता होगा, लेकिन है नहीं। पैंतालीस से अधिक उम्र की महिलाओं को भी बच्चे होते हैं यदि उनका और उनके पति का स्वास्थ्य अच्छा हो तो! कई सारे अविश्वसनीय दृश्य हैं, लेकिन असंभव नहीं!

साथ में बने रहें! रचना और अमर का एपिसोड तेजी से आगे बढ़ेगा। एक और अपडेट लिख लिया है, लेकिन सोच रहा हूँ कि दो अपटेड लिख कर फिर पोस्ट करूँ। मिलते हैं शीघ्र ही!
इस विषय पर मेरा भी यही मत है।
 

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संजू भाई - आपके मत पढ़ कर बड़ा अच्छा लगता है। इसलिए लिखते अवश्य रहा करिए!

मुझे सौतेले पुत्रों और पुत्रियों को ले कर होने वाले व्यवहारों के बारे में थोड़ा कम ही पता है, लेकिन जो भी मैंने अभी तक देखा है (कोई पाँच परिवार ही हैं जानकारी में), उससे आपकी बात का समर्थन कर पाना थोड़ा मुश्किल लगता है। मेरे ख़याल से स्त्रियों में ‘अपने’ और ‘पराये’ का भेद पुरुषों के अपेक्षा अधिक होता है। अपनी संतान की सलामती को ले कर स्त्री बहुत उग्र होती है। उसके सामने वो किसी से भी झगड़ा मोल ले सकती है। ये बहुत कुछ उसके परिदृश्य पर भी निर्भर करता है - अगर वो संपन्न परिवार से आई होती है, तो उसको अपने सौतेले बच्चों से कोई दुराग्रह नहीं होता, या कम होता है। लेकिन अगर वो अभाव से आई है, तब वो अपने सौतेले बच्चों के प्रति बेहद क्रूर हो सकती है। और यही शिक्षा वो अपने बच्चों को भी देती है।

मेरे एक अनन्य मित्र हैं, उन्होंने अपने सौतेले पुत्र को अपने पुत्र के जैसे ही पाला है। और वो भी पूरे गर्व से उन्ही को अपना पिता कहता है, जबकि उस बच्चे ने कोई दस वर्ष की आयु में अपने पिता को खोया था! ऐसे ही, एक अंकल जी हैं, जब उन्होंने दूसरी शादी करी, तब अपनी दूसरी पत्नी के दोनों बच्चों (लड़का और लड़की) को अपने ही बच्चों जैसे ट्रीट किया। इतना कि उनकी बड़ी लड़की (जो कि सौतेली है) उनको ही अपना पिता कहती है (जबकि उसने करीब सोलह या सत्रह साल में अपने पिता को खोया)!

इसके विपरीत एक मित्र की दूसरी पत्नी ने उनके बच्चों की ज़िन्दगी खराब कर के रखी हुई है और वो दोनों अब तलाक की अर्ज़ी लगा चुके हैं। एक और अंकल हैं, उनकी दूसरी पत्नी ने उनकी पहली बेटी को अपनी बेटी जैसा मान दिया है - शायद इसलिए क्योंकि उनकी खुद की कोई संतान न हो सकी। लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, मेरा सैंपल साइज बहुत छोटा है। संसार में अद्भुत उदाहरण मौजूद हैं, और जो हम सोच नहीं सकते, वो सब हो चुका है और हो रहा है!

जहाँ तक कहानी की बात है - मैं सहमत हूँ! रचना एक अच्छी लड़की है। सुन्दर है, और गुणी है (वो शीघ्र ही मालूम पड़ेंगे)। जानी पहचानी है, और अमर को पत्नी के सभी सुख दे सकती है और देने के लिए तत्पर भी है। पति पत्नी का सम्बन्ध अक्सर इस बात से खराब नहीं होता कि दोनों में से किसी में कोई बुराई है - अक्सर इसलिए खराब होता है कि दोनों एक साथ कम्पैटिबल हैं या नहीं। बेहद छोटी छोटी बातें शादी को बना भी सकती हैं, और बिगाड़ भी सकती हैं। कभी फॅमिली कोर्ट में जा कर देखें, तो तलाक़ के अनेकों कारणों को सुन कर हँसी छूट जाए कि स्साला इस बात पर तलाक़ हो गया!

प्रीती सप्रू जी के बारे में पढ़ा - अच्छा लगा कि उनको न केवल विवाहित होने का, बल्कि मातृत्व का भी सुख मिला। मेरी कहानी पढ़ने वालों को थोड़ा अतरंगी लगता होगा, लेकिन है नहीं। पैंतालीस से अधिक उम्र की महिलाओं को भी बच्चे होते हैं यदि उनका और उनके पति का स्वास्थ्य अच्छा हो तो! कई सारे अविश्वसनीय दृश्य हैं, लेकिन असंभव नहीं!

साथ में बने रहें! रचना और अमर का एपिसोड तेजी से आगे बढ़ेगा। एक और अपडेट लिख लिया है, लेकिन सोच रहा हूँ कि दो अपटेड लिख कर फिर पोस्ट करूँ। मिलते हैं शीघ्र ही!
मानव मन को स्त्री पुरुष में नही बाटा जा सकता है। कई बार पुरुष स्त्रीयोचित व्यवहार करते हैं और कई बार कुछ ऐसा जिसे आप जानवरों जैसा भी कह सकते हैं।

So all we can say, there is no set pattern on this issue
 

avsji

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मानव मन को स्त्री पुरुष में नही बाटा जा सकता है। कई बार पुरुष स्त्रीयोचित व्यवहार करते हैं और कई बार कुछ ऐसा जिसे आप जानवरों जैसा भी कह सकते हैं।

So all we can say, there is no set pattern on this issue

यह बात भी सही है।
लेकिन मेरा मत मेरे खुद के ऑब्जरवेशन पर आधारित है - generalized नहीं है।
मैंने अपने कमेंट में लिखा है कि, "संसार में अद्भुत उदाहरण मौजूद हैं, और जो हम सोच नहीं सकते, वो सब हो चुका है और हो रहा है!"
बस, इसी अवधारणा पर ही मैं अपनी कहानियाँ लिखता हूँ।
 

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यह बात भी सही है।
लेकिन मेरा मत मेरे खुद के ऑब्जरवेशन पर आधारित है - generalized नहीं है।
मैंने अपने कमेंट में लिखा है कि, "संसार में अद्भुत उदाहरण मौजूद हैं, और जो हम सोच नहीं सकते, वो सब हो चुका है और हो रहा है!"
बस, इसी अवधारणा पर ही मैं अपनी कहानियाँ लिखता हूँ।
वैसे के बात जो प्रमाण के साथ कही जा सकती है कि स्त्री एक साथ प्रेममई और निर्दई दोनो ही सकती है, जबकि पुरुष इस भाव को नही अपना सकता।
 

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अंतराल - समृद्धि - Update #13


रचना जब कमरे में आई तो उसके चेहरे पर एक चौड़ी सी मुस्कान थी।

मिशन अककॉम्पलिश्ड!” उसने अंदर आते ही कहा, “यू नो व्हाट, आई शुड नॉट हैव स्टोप्पड फीडिंग नीलू!”

मैं उसकी बात पर हँसने लगा।

“मिस्टर सिंह, जल्दी से मुझे प्रेग्नेंट कर दीजिए!” बिस्तर में अपने चारों पायों पर, किसी बिल्ली के जैसी चलती हुई वो आई और बोली, “हमारा एक भी बच्चा भूखा नहीं रहेगा!”

‘ओह गॉड! रचना क्या बला की औरत है,’ मैंने सोचा।

“क्या सच?” उसकी बात से मेरा लिंग लरज़ गया।

“और नहीं तो क्या!” उसने बड़े ही सेक्सीपन से मुझे देखा, “आज ही नीलू को अपना दूध पिलाना शुरू करती हूँ!”

“ये तो बहुत अच्छी बात है मेरी जान! उसको बहुत अच्छा लगेगा! और देखना... तुम दोनों की दोस्ती और भी स्ट्रांग हो जाएगी!”

“आई नो! बट अभी मेरा बदोबस्त कीजिए ठाकुर साहब...”

हाँ, मैं उससे फिर से सेक्स करना चाहता था। तभी से जब उसने बच्चों को स्तनपान कराने की मेरी बात मान ली, और वो भी बिना किसी बहस के! मैं भी उसके ऊपर, उसी की नक़ल करते हुए झपटा। इस अचानक हुए हमले से वो बिस्तर पर चित्त हो कर गिर गई और उसको दबोच कर मैं उसको लगभग वहशीपन से चूमने लगा। ऐसा नहीं है कि रचना को इस खेल में आनंद नहीं आ रहा था - उसके चूचक और उसकी योनि से रिसता हुआ चिकनापन इस बात की गवाही दे रहा था कि वो भी इस समय मत्त है!

चुम्बन के दौरान हमारी ज़बानें एक दूसरे के साथ सालसा नृत्य कर रही थीं, और हम एक दूसरे के मुँह का स्वाद ले रहे थे। मैंने उसके स्तनों को जोर से निचोड़ा। अब वो मेरी स्त्री थी, तो मैं उसके शरीर पर संभोग के कई सारे निशान छोड़ देना चाहता था, ताकि जब वो अपने घर वापस जाए, तो उसे हमारे सहवास की यादें न भूलें!

उसका हाथ रेंग कर मेरे सख्त लिंग पर आ गया।

“ऊउहह, किन्ना बड़ा सा लण्ड है, मेरे अमर का!” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

वो इतनी स्वादिष्ट लग रही थी कि मैं क्या बताऊँ! मैंने मारे उत्तेजना के उसके होंठ चाट लिए, उसे फिर से चूमा, और साथ ही साथ उसके स्तनों को बेदर्दी से भींचा।

“... और तुम्हारे दुद्धू... वो कितने सॉफ्ट सॉफ्ट हैं!”

जब कोई वस्तु मुलायम लगती है, तो उसको और भी दबाने का मन होने लगता है।

“आह्ह...” वो पीड़ा से कराही, “बहुत बड़े बड़े भी...”

“इनको दबा दबा कर छोटा कर देता हूँ?”

मैंने और ज़ोर से दबाया।

“आह... आपको बड़े पसंद नहीं हैं?” रचना ने मीठी पीड़ा से कराहते हुए पूछा।

“खूब पसंद हैं मेरी जान! दूधिया दुद्धू... आई लव देम... और जब इनमें दूध बनने लगेगा, तब मैं इन्हे और अधिक पसंद करूँगा।”

“... तो फिर... तो फिर दूध... आह... का... इंतजाम... आह... आऊ...”

“करता हूँ... करता हूँ...”

मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर के पीछे ला कर उसको अपने से भींच लिया। उसके स्तन मेरे सीने पर जैसे कुचल गए... मेरे चौड़े, मजबूत सीने पर उसके नरम नरम और बड़े स्तनों के कुचलने का अहसास बड़ा अद्भुत था! मैं रचना की ठोड़ी को चूमते हुए उसकी गर्दन और फिर उसके चूचकों को चूमता रहा।

जब अनवरत चुम्बनों से मेरा मुँह थक गया, तब मैंने उससे कहा कि वो उठ कर मेरी गोद में बैठ जाए। उसने जैसा मैंने कहा, वैसा ही किया। वो मेरी गोद में ऐसे बैठ गई कि उसके दोनों पैर, मेरी कमर के दोनों ओर से होते हुए मेरे पीछे लिपट गए, और उसके नितम्ब मेरे पाँवों पर आराम करने लगे, और उसकी योनि मेरे लिंग का चुम्बन लेने लगी। अब हम अंतिम युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार थे। मैंने अपना लिंग उसके प्रतीक्षारत रसीले योनि होठों के अंदर सरका दिया, और साथ ही उसके मुँह को चूम लिया। जैसे ही मैंने सम्भोग करना शुरू किया, वो इधर उधर कुछ इस तरह एडजस्ट हो गई, कि सम्भोग का आनंद हम दोनों के लिए और भी बढ़ जाए। नतीजतन, मैं उसके और भी गहरे तक पहुंचने लगा... ऐसा महसूस हुआ कि मेरा लिंग उसके अंदर किसी अंग को छू रहा है! हर बार जब भी मेरा लिंग उस स्थान पर छूता, तो वो उत्तेजना से हांफने लगती। बीच बीच में वो अपनी नशीली आँखें खोलती, मेरे गालों को सहलाती और मुझे चूमती! यह अद्भुत था... हमारे सम्भोग करने का तरीका बड़ा बेशर्म था। हमारे बीच कोई झिझक नहीं थी। शायद हम दोनों के बीच की पुरानी जान पहचान और अनुभव ने, हमारे लिए सम्भोग को बहुत आसान बना दिया हो!

मैंने झुक कर उसके स्तनों को पकड़ लिया, मैं बहुत अधिक उत्साह के साथ उन्हें चूसना, चाटना और काटना शुरू कर दिया। भूखे और चंचल बच्चे की तरह! रचना मेरी गोदी में बैठ कर सम्भोग की पीड़ा और आनंद से कराह रही थी, और अब उस कराह में उसकी खिलखिलाहट भरी हँसी भी सम्मिलित हो गई।

“आह... जानू... ऊह... इतनी... आह... जोर से नहीं...आह।”

“तो फिर कितनी ज़ोर से?”

“कितनी… आह… भी… ज़ोर... से… आह… नहीं... आह...” उसने अपने विलाप के बीच में जैसे तैसे अनुरोध किया।

मैंने कुछ क्षणों के लिए उसके स्तनों को छेड़ना बंद कर दिया, लेकिन उसको भोगना जारी रखा! फिलहाल मैं केवल उसके चूचकों को अपनी जीभ से छेड़ रहा था।

“आह्ह्ह... जानू... हाँ... हाय... हाँ ऐसे... ही... प्यार से...!”

‘जानू?’ मैंने सोचा, ‘चलो... मान गई लड़की!’

मैंने उसे और अधिक आनंद देने के लिए एक अभिनव तरीका सोचा! मैंने उसके दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में इस तरह से इकट्ठा किया कि उसके दोनों चूचक एक साथ हो गए, और फिर मैंने एक ही समय में दोनों चूचकों को चूसना, चाटना और चूमना शुरू कर दिया। उम्मीद के अनुरूप ही रचना के आनंद का पारा तुरंत ही सातवें आसमान पर पहुंच गया! उसके शरीर की प्रतिक्रिया ऐसी थी कि जैसे उसके शरीर में बिजली दौड़ गई हो! उसने कामुक रूप से हांफते हुए अपने नितम्बों को मेरे लिंग पर और जोर से दबा दिया। मुझे नहीं लगता कि इससे अधिक मैं उसके और भीतर जा सकता था!

हम दोनों कुछ और मिनटों तक सम्भोग करते रहे।

“ओह जानू! कितना मज़ा आ रहा है मैंने कैसे बताऊं! कितना बड़ा और मजबूत लण्ड है! इसकी फ़ीलिंग बहुत सेक्सी है! ... मेरी चूत के सारे कस-बल निकला दिए तुमने!”

एक बात तो समझ में आई - गैबी, डेवी, काजल, और मैरी के विपरीत, रचना को अपना ओर्गास्म प्राप्त करने में अधिक समय लगता है, लेकिन एक बार जब वो ओर्गास्म की स्थिति में आती है, तो वो बहुत लम्बे समय तक उसमें रहती है। रचना बस अभी अभी उसी अवस्था में पहुंची ही थी, और उसका पूरा आनंद ले रही थी। मैंने कुछ देर और धक्के लगाना जारी रखा।

“रचना... मैं... मेरा... होने वाला है! अंदर करूँ... या...”

मेरा प्रश्न पूरा होता कि उसके पहले ही रचना बोल पड़ी, “बाहर निकाल के इसको वेस्ट मत करना... समझे!”

‘जी मालकिन,’ मैंने मन ही मन सोचा, और पहले से भी तेजी से धक्के लगाने लगा।

“मम्म...”

मेरा स्खलन बड़े ही बलपूर्वक हुआ। मेरा वीर्य उसके गर्भाशय की नलिका में बहुत गहराई तक रोपित हो गया। उसकी योनि की सुरंग ने मेरे लिंग को ऐसे निचोड़ा कि मेरे अंदर का सारा वीर्य उसने चूस लिया! हाँलाकि, आमतौर पर स्खलन के बाद मेरा लिंग अपनी कठोरता खो देता है, लेकिन न जाने कैसे आज उसकी गर्म, गीली म्यान के अंदर अभी भी ऊर्जावान बना हुआ था। शायद इसलिए कि उसकी योनि की नलिका मेरे लिंग की लम्बाई को निचोड़ना जारी रखे हुए थी। यह बहुत शानदार था! आनंद आ गया! उसको सम्भोग के गुर अच्छे से आते थे... यह बात तो पक्की है!

मैंने झुक कर उसके मुँह को चूमा, “रचना, तुम कमाल की हो! सच में! यू आर अ वंडरफुल फ़क! एंड दिस इस अ कॉम्पलिमेंट!”

उसने मुझे वापस चूमा, “आई ऍम हैप्पी कि तुमको मज़ा आया... अमर... मैं तुमको बहुत मज़ा दूँगी! आई प्रॉमिस!”

मैंने सोचा कि इस समय मैं उससे बात कर ही लूँ।

“रचना… मैं एक बात कहूँ?”

“बोलो न?” वो मुस्कुराई, “तुमको हेसिटेट करने की ज़रुरत नहीं!”

“ओके! तो सुनो। तुम्हें पसंद करता हूँ। इसमें तो कोई संदेह ही नहीं है... आज से नहीं, बल्कि हमेशा से ही तुम मुझे पसंद रही हो... लेकिन हम दोनों... हम दोनों वो टीनएजर्स नहीं रह गए जैसे हम कई साल पहले थे...”

रचना बड़े ध्यान से मेरी बात सुन रही थी, “... तुम मुझे बहुत पसंद हो! और अभी जो सब तुमने किया, उससे मुझे लगता है कि हम दोनों साथ में खुश रह सकते हैं। ... लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि हम दोनों बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं! शायद... शायद तुमको लग रहा है कि हम दोनों पहले से ही एक कपल हैं!”

“फिर हम सेक्स क्यों कर रहे हैं... अगर हम दोनों कपल नहीं हैं?” रचना गुस्से में नहीं थी। अच्छी बात थी।

“रचना मेरा वैसा मतलब नहीं है। तुम मुझे पसंद हो, तुम्हारा साथ मुझे पसंद है... शायद बच्चों को भी तुम बहुत पसंद हो! लेकिन... हमको एक दूसरे के बारे में क्या मालूम है?”

“तुम्हारे सामने नंगी लेटी हूँ... तुम मेरे अंदर हो... और क्या मालूम करना है?”

एंड बिलीव मी, दिस इस द बेस्ट फीलिंग! लेकिन हमारी शादी केवल हमारी नहीं है... हमारे बच्चे भी तो हैं! अच्छे खासे बड़े हो गए हैं। तो... उनकी पसंद भी तो देखनी होगी!”

“आई नो! वैसे मुझे आभा पसंद है… लतिका भी बहुत पसंद है! और मैंने अभी-अभी दोनों को ब्रेस्टफीड किया है। ”

एंड आई ऍम एवर सो ग्रेटफुल टू यू!”

“तो फिर आप मुझसे और क्या करवाना चाहते हैं?”

“बस इतना ही कि हम दोनों थोड़ा और समय लेते हैं। एक दूसरे के बारे में अच्छे से जान समझ लें… मैं सचमुच तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ! लेकिन तुमको प्यार करने के लिए मुझे थोड़ा समय दे दो?”

रचना मुस्कुराई, “अरे अमर! तुम बहुत क्यूट हो! इतनी सुन्दर बात कहते हुए क्यों झिझक रहे हो? मुझे पता है कि तुम क्या कह रहे हो। तुमको लग रहा होगा कि कहीं मैं गलत न समझ जाऊँ! … लेकिन तुम सही हो!”

उसने मुझे चूमा, “जानते हो? डैडी ने मुझसे बोला कि तुम मुझसे शादी करने के लिए मुझसे मिलना चाहते हो। … इसलिए, मैंने सोच लिया कि तुम मुझे पसंद करते हो, और अब भी पहले की ही तरह प्यार करते हो! लेकिन मैं समझ रही हूँ! और जो तुमने कहा वो सही है! व्ही कैन टेक आवर टाइम!”

“थैंक यू!” मैंने उसके मुँह को चूमा और फिर उसके स्तनों को।

“तो इसका मतलब यह है कि हम अभी भी एक दूसरे से मिल सकते हैं?”

“अरे… अगर मिलेंगे नहीं, तो हम एक दूसरे के बारे में और कैसे जानेंगे? बेशक, मैं तुमसे बार-बार मिलना चाहता हूँ…” मैं रुका, कुछ देर सोचा, और फिर जोड़ा, “अगर तुमको ठीक लगे, तो तुम और नीलू दोनों ही यहाँ रह सकते हो!”

“लिव इन?”

“नहीं… लिव इन नहीं, बल्कि एक परिवार की तरह।”

“हा हा! मिस्टर सिंह, अगर मैं यहाँ रहूँगी, तो आप मुझे ऐसे ही हर रात रैवेज करते रहेंगे।”

“किसने कहा कि मैं केवल रात में ही आपको रैवेज करूँगा?”

“बाप रे!” फिर कुछ सोच कर, “अच्छा एक बात बताओ! अभी तुम बच्चों के सामने भी न्यूड चले गए थे!”

“हाँ… बच्चे भी न्यूड रहते हैं अक्सर!”

“काजल दी ने भी…”

“अरे वो माँ जैसी हैं मेरी!” मैंने बड़ी ईमानदारी से कहा, “माँ कह लो या बड़ी बहन!”

वो मुस्कुराई, “इंटरेस्टिंग फैमली है तुम्हारी! आई वुड लव टू बी इट्स पार्ट!”

“मी टू!”

“माँ से बात करने का मन है!”

“हाँ न! मेरा भी मन था। कल बात करवा दूँ?”

“हाँ! प्लीज!”

“पक्का फिर! कल माँ से बात करवा दूँगा तुम्हारी! वो बहुत खुश होंगी!”

“बहुत अच्छी बात है...” वो खुश होते हुए बोली, फिर अचानक ही, “अमर… यार लेकिन मैं… आई मीन… आई कैन गेट प्रेग्नेंट! मैंने कोई प्रिकॉशन नहीं लिया! सोच रही थी कि जब मिसेज़ सिंह बनना है, तो फिर क्यों प्रिकॉशन लेना?”

“रचना, जैसा कि मैंने कहा, मैं तुम्हें पसंद करता हूँ। मोस्ट लाइकली यू विल बी माय वाइफ… और मैं तुमको अपनी पत्नी के रूप में पा कर बहुत खुश होऊँगा! बस, हम जान लें एक दूसरे को!”

रचना ने मुस्कुराते हुए कहा, “यू हैव बिकम सो मच्योर! आई लाइक यू!”

“काश बच्चा ही रहता...” मैंने उदास स्वर में कहा, “मेरी दोनों बीवियाँ मुझे छोड़ कर चली गईं... दो बच्चियाँ हैं! बिना मच्योर हुए कैसे सम्हालूँ उनको और अपने काम को?”

“अमर… मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगी! आई विल सपोर्ट यू! तुम एक भले इंसान हो। और क्या चाहिए किसी औरत को? तुम हैंडसम हो, हेल्दी हो, सक्सेसफुल हो, एक अच्छे इंसान हो… सेक्स भी बढ़िया तरीके से करते हो… [मैंने इस बात पर उसके स्तन को काट लिया] आऊ… आई नो नीलू भी तुमको बहुत पसंद करेगी!”

मैं मुस्कराया।

मैंने उसकी योनि में अपनी मध्यमा उंगली डाली।

“तुम मुझे प्यार भी करोगे! आई ऍम श्योर! एक औरत को क्या चाहिए और? और मैं तुमको सब तरह की ख़ुशियाँ दूँगी! आई कैन सी दैट यू लव सेक्स! तुमको जितनी बार मन करे, मैं उतनी बार तुमको ये खुशी दूँगी! यू डिज़र्व इट!”

उसने प्रतीक्षा की और फिर कहा, “आई विल लव टू गिव यू मैनी किड्स!”

मैं मुस्कुराया।

फिर उसने फुसफुसाते हुए कहा, “… मैं तुम्हें अपना दूध पिलाऊँगी।”

मैं मुस्कराया। रचना जानती थी कि यह मेरी सबसे पसंदीदा इच्छा थी।

“आभा, नीलू और लतिका को भी?”

“हमारे हर बच्चे को! नहीं तो इतने बड़े बड़े दुद्धूओं का क्या फायदा?”

मैं हँसा। रचना के साथ जो कम्फर्ट लेवल था, वो देवयानी और गैबी के साथ मिलने में थोड़ा समय लग गया था। इसलिए मुझे रचना के साथ बड़ा अच्छा लगने लगा।

रचना ने अंगड़ाई ली, “मैं पानी पीने जा रही हूँ।”

“ऐसे? नंगी?” मैंने शरारत से पूछा।

“नंगी!” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

समझ आ गया कि रचना सेक्स गॉडेस थी! उससे पहले मेरे जीवन में जो भी स्त्रियाँ आईं, वो सभी एक दो सेक्स सेशन में ढेर हो जाती थीं। लेकिन रचना के अंदर स्फूर्ति बनी हुई थी।

‘शादी के बाद तो गज़ब हो जाएगा,’ मैंने सोचा!

“ओह गॉड… अमर... तुम बहुत शैतान हो!”

“क्या! अब मैंने क्या किया?”

“क्या किया? मेरे साथ इतनी सारी बदमाशियाँ कर डालीं और सोने भी नहीं दिया! अभी सवा चार बजने वाले हैं!”

“तो क्या हुआ? आज संडे ही तो है! रह जाओ यहीं!”

“हाँ जी! न कोई कपड़े हैं न लत्ते! और घर में मम्मी और डैडी न जाने क्या सोचेंगे!”

“ये भी घर ही है!”

वो मुस्कुराई, “हाँ… है…”

“तो फिर?”

“कुछ नहीं! क्या करेंगे, अगर मैं यहीं रह जाऊँ आज?”

“जम के चुदाई करेंगे आपकी!”

“भक्क!” वो अपने स्तनों को सहलाती हुई बोली - शायद जैसे जैसे उत्तेजना का उन्माद घट रहा था, मेरे मर्दन की पीड़ा उभर रही थी, “इतनी सॉफ्ट सॉफ्ट हूँ मैं, और मुझको इतनी बेरहमी से छूते हो!”

ओह आई ऍम सॉरी रचना! रियली!”

“तुम बन्दर हो पूरे! मैंने कब कहा कि मुझे बुरा लगा?”

“सच में?”

“और नहीं तो क्या?”

“हा हा! आह! नाईस... फिर तो मैं तुम्हें खूब चोदूँगा!”

“आई नो!” कुछ सोच कर, “आप इसे बहुत पसंद करेंगे, है न?”

“ओह बहुत! सोचो न रचना! हमारे बच्चे! ओह, आई विल लव इट सो मच... और मुझे लगता है कि तुम मेरी आभा के लिए एक अद्भुत माँ बनोगी। और मैं नीलू के लिए एक अच्छा सा पापा बनने की कोशिश करूंगा।”

“मिस्टर सिंह… यू नो व्हाट! आई विल गिव यू मैनी ब्यूटीफुल चिल्ड्रन...” वो अदा से मुस्कुराई।

आई विल मेक श्योर!”

साउंड्स गुड, मिस्टर सिंह! साउंड्स गुड!” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

“सो जाओगी?”

“अभी? आई कैन… बट ओह, आई डोंट वांट टू... बच्चे कब उठते हैं? काजल दी कब उठती हैं?”

“ओह! बच्चे तो अब जागने वाले होंगे!”

“क्या? सच में?”

“हाँ! दोनों साढ़े चार बजे उठ जाते हैं! फिर दोनों साथ में योगा करते हैं।”

“वाओ! कैसे कमाल के बच्चे हैं! कहाँ करते हैं योगा?”

“छत पर… क्यों? उन्हें देखना चाहती हो?”

“हाँ। मैं खुद भी योगा करती हूँ! … और घर जाने से पहले सोच रही हूँ कि उनसे एक बार मिल लूँ!”

“ओह ग्रेट!”

“और काजल दी?”

“उनका तो अभी क्या कहें? छोटा सा बच्चा है, सोने नहीं देता ठीक से!”

“ओह... आई नो!” फिर थोड़ा ठहर के, “क्या वो सच में दोनों को अपना दूध पिलाती हैं? मेरी फ़िरकी तो नहीं ले रहे हो?”

“अरे! इसमें क्या झूठ कहना? मैंने तुमको कहा न, इस घर में बच्चों का अपनी माँ का दूध पीना न कभी रुका है, और न ही कभी रुक सकता है!”

“क्या बात है! फिर तो वायदा है, कि मैं अपने बच्चों को भी दुद्धू पिलाऊँगी!”

“सच में?”

“ओह बेशक! मैं जल्दी ही उनकी माँ बनने वाली हूँ! है कि नहीं?” उसने कहा, और मुझे एक बड़ी मुस्कान दी, “छत का कौन सा रास्ता?”

“अरे, लेकिन पहले पानी तो पी लो?”

उसने सर हिलाया, बिस्तर से उठी और बाथरूम में चली गई। जब वो बाहर निकली, तो मैंने देखा कि उसने अपने आप को साफ कर लिया था : उसकी योनि से अब हमारे काम-रसों का रिसाव नहीं हो रहा था। लेकिन उसके पूरे शरीर पर हमारे प्रेम करने के निशान साफ नजर आ रहे थे। उसके गालों, गर्दन, स्तनों, नितंबों, जाँघों, पेट और तो और हाथों पर लव बाइट्स के लाल निशान थे, जो गहरे पड़ रहे थे।

मैंने उसे छत का रास्ता बताया।

उसने मुझे यहीं रह कर सोने को कहा, और कमरे से बाहर निकल गई।

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avsji

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Supreme
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अंतराल - समृद्धि - Update #14

कमरे से रचना निकली तो बड़ी हिम्मत कर के, लेकिन काजल के कमरे का दरवाज़ा खुला देख कर उसकी हिम्मत जवाब दे गई। बच्चों के सामने नग्न होना एक बात है, लेकिन घर की मुखिया के सामने नग्न होना बिलकुल अलग बात है। बहुत हिम्मत चाहिए उस काम के लिए! काजल के कमरे के सामने से वो दबे पाँव दो कदम ही चली होगी कि कमरे के अंदर से उसको काजल के उठने की आवाज़ आई। हिम्मत का आख़िरी क़तरा टूट गया। रचना लपक कर तेजी से भागते हुए सीढ़ियों से नीचे उतर आई कि काजल उसको उस हालत में देख न ले। वो कुछ देर के लिए ‘सुरक्षित’ अवश्य हो गई, लेकिन इस हरकत से एक गड़बड़ हो गई - अगर वो वापस मेरे कमरे में भाग आती, तो बेहतर रहता। उसके सारे कपड़े वहीं थे, और कुछ नहीं तो कम से कम मेरे कमरे में कोई बिना खटखटाए आता नहीं था।

पानी पीने को मिल जाता नीचे रसोई में, लेकिन वापस मेरे कमरे में आने के लिए या फिर छत पर जाने के लिए उसको सीढ़ियाँ लेनी ही पड़तीं। रसोई में जा कर उसको अपनी ‘गलती’ समझ आ गई। लेकिन अब क्या कर सकते हैं? दोबारा हिम्मत तो करनी ही पड़ेगी। लेकिन कुछ भी कर के उसकी हिम्मत नहीं आ रही थी। ये तो वैसा हो गया कि आसमान से गिरे, और खजूर पे अटके! वो सोच ही रही थी कि क्या करे कि इतने में उसको काजल सीढ़ियों से उतरती हुई दिखी। उसने इधर उधर देखा - कहीं छुपने की समुचित जगह नहीं थी।

रचना की चोरी पकड़ी जाने ही वाली थी... और अब कुछ हो नहीं सकता था। वो एक हाथ से अपने स्तनों और दूसरे से अपनी योनि को छुपाने की असफल कोशिश करते हुए काजल के आने का इंतज़ार करने लगी।

“अरे रचना?” उसको देख कर काजल बोली, “क्या हो गया बेटा? भूख लगी है?”

“न... नहीं दीदी... पानी पीने आई थी!”

“ओह!” काजल ऐसे व्यवहार कर रही थी कि जैसे रचना का नग्न होना उसके लिए कोई आश्चर्य करने वाली बात न हो, जो कि सच भी था - लेकिन रचना को नहीं मालूम होगा अभी, “रात भर सोए नहीं तुम दोनों...”

काजल की अर्थपूर्ण बात सुन कर रचना के गोरे गोरे गए सेब जैसे लाल हो गए, “सॉरी दीदी...”

“अरे! सॉरी किस बात का?”

“आपकी नींद डिस्टर्ब हुई हमारे कारण...”

“पागल है तू! मेरे बच्चों के खेलने से मेरी नींद में क्यों खलल पड़ने लगा?”

रचना ने चुप रहना ही ठीक समझा।

काजल मुस्कुराई, “ठीक लग रहा है बेटू? दर्द तो नहीं है? थोड़ा आराम कर लो!”

रचना शर्म से दोहरी हुई जा रही थी, “जी दीदी! ठीक लग रहा है!”

“अरे तुम इतना फॉर्मल क्यों हो मुझसे?”

“जी... जी वो मैं...”

“रचना, इट इस ओके! इतना शर्माओ मत, और न ही झिझको!... तुम इतनी सुन्दर हो कि तुमको शर्माने की कोई ज़रुरत नहीं!”

“जी...”

एक तो रचना काजल के सामने नग्न खड़ी थी, और उसका शरीर पूरी तरह से प्रदर्शित था, और ऊपर से काजल को अच्छी तरह मालूम था कि रात को उसके और मेरे बीच में क्या खेल खेला गया था। ऊपर से झेंप इस बात की कि इस समय रचना अपने एक हाथ से अपने स्तनों और दूसरे से अपनी योनि को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी।

उसको यूँ हरकतें करते देख कर काजल मुस्कुराई और बोली, “भूख लगी होगी तुमको... आओ, यहाँ बैठो! कुछ खिलाती हूँ!”

“दीदी... रहने दीजिए न!”

“अरे ऐसे कैसे?” काजल मुस्कुराई, “तुम्हारे बहाने मुझको भी मिल जाएगा खाने को!”

काजल ने इतने मित्रवत और मीठे तरीके से रचना से यह कहा, कि रचना शर्म से गड़ गई। जो स्वयं इस घर की मालकिन है, उसको किसी बात की क्या कमी? शायद रचना को लगा हो कि काजल को उसके कारण तकलीफ हो रही हो।

“दीदी... आप... आप रहने दीजिए! मैं बना दूँगी...”

“अरे बेटा, तुम ऐसे मत सोचो! तुम अपनी हो। अपनों के लिए खाना बनाने में मुझे कोई तकलीफ़ नहीं!”

“सच में दीदी? आप ऐसा सोचती हैं?” रचना की आँखें अचानक ही भर आईं, “आपने ये बहुत बड़ी बात कह दी! यह कह कर बहुत बड़ा मान दिया है मुझको!”

“ओह्हो! तुम बहुत स्वीट हो! देखो,” काजल ने उसको समझाते हुए कहा, “मेरे बच्चे मुझे बहुत प्यारे हैं! इस लिहाज से वो जिसको पसंद करते हैं, वो बच्चे भी मुझे बहुत प्यारे हैं! तो, उन बच्चों का भी घर हुआ न ये! जैसे मेरे बच्चे, वैसे ही वो बच्चे भी! तो तुम कैसे अलग हो गई? तुम भी तो हमारी हुई न... और मान तो तुमने हमको दिया, है कि इतने हक़ से इस घर में रह रही हो! हमको अपना मान कर ही तो ऐसे रह रही हो न? है कि नहीं?”

रचना कुछ न बोली, लेकिन खुद का इतना स्वागत होते हुए देख कर उसको आनंद आ गया।

काजल ने मुस्कुराते हुए रचना के शरीर पर ऊपर से नीचे नज़र फिराई, “बैठो न!”

“ओह... दीदी... आई ऍम सॉरी!” रचना बैठी नहीं।

“अरे, किस बात के लिए?”

“वो... वो मैं... यूँ... ऐसे घूम रही हूँ घर में... इसलिए!”

“अरे तो क्या हो गया? तुम्हारा घर नहीं है ये? अभी अभी तो समझाया तुमको!”

रचना मुस्कुराई, लेकिन उसकी झिझक कम नहीं हुई।

“क्या हुआ?” काजल ने पूछा।

“जी... कुछ नहीं!”

“तो ऐसे क्यों खड़ी हो? यहाँ आओ, पास मेरे!”

रचना दो कदम चल कर काजल के सामने आ गई। समझ नहीं रही थी कि वो कैसी प्रतिक्रिया दे।

“पता है? मेरी बड़ी बहू भी मेरे सामने नंगू नंगू होने से नहीं झिझकती... और वो तो तुमसे बड़ी है उम्र में!” काजल ने लगभग हँसते हुए कहा, और अर्थपूर्वक मुस्कुराई!

“क्या दीदी!” रचना को विश्वास नहीं हुआ, “सच में?”

“अरे, मैं क्यों झूठ बोलूँगी?” काजल ने रसोई से कुछ सामान निकालते हुए कहा।

“बाप रे!”

“मैंने तो उसको शादी से पहले ही समझा दिया था कि तू मेरी बहू है, तो मेरी बच्ची है! मेरी बच्ची जैसी ही रह! मेरी बहू और बेटी में कोई अंतर नहीं है! और तब से आज तक न मैंने कोई अंतर माना, और न ही कोई अंतर किया!”

“तो... क्या...? तो क्या...”

“और नहीं तो क्या! मेरी दोनों बहुएँ अपने तरीके से अपना बचपन जीती हैं मेरे साथ!”

“वाओ! दो बहुएँ हैं आपकी?” रचना अचरज में पड़ गई, “सही में दीदी?”

“हाँ न! देखो - मेरी पहली शादी से मुझको एक लड़का है, और एक लड़की, लतिका, जिससे तुम मिल चुकी हो। मेरे बड़े बेटे की बीवी मेरी बड़ी बहू है! उन दोनों के दो बच्चे हैं।” काजल ने अपने परिवार के बारे में रचना को बताते हुए कहा, “मेरी दूसरी शादी से मेरा एक बेटा है - मेरा छोटा बेटा, जो मुझे शादी से मिला है - उसकी भी शादी हो चुकी है, और उसके भी दो बच्चे हैं! और मेरी दूसरी शादी से ये नन्ही परी मिली है मुझको, जो हाल ही में हुई है!”

“वाओ! भरा पूरा परिवार है आपका तो!”

“हा हा हा! हाँ न! दादी माँ अम्मा हूँ मैं! दादी माँ अम्मा...”

“लेकिन... लेकिन दीदी, आपने कहा... कि... आप... आपकी बड़ी बहू,” रचना ने हिचकते हुए पूछा, “... आपकी बड़ी बहू मुझसे भी बड़ी है! ... मैं पैंतीस की हूँ दीदी! ... आपका बेटा तो मुझसे बहुत छोटा होगा न? फिर... वो... आई मीन, आपकी बहू मुझसे बड़ी... कैसे हो सकती है?”

“हा हा... हाँ, मेरा बेटा तुमसे बहुत नहीं, बस थोड़ा ही छोटा है, और मेरी बहू तुमसे बहुत नहीं, थोड़ी बड़ी है!” काजल काम भी कर रही थी, और रचना से बातें भी; वो मुस्कुराई, “दोनों की लव मैरिज है न! छुटपन से ही चाहता था वो उसको। बहू इतनी प्यारी है कि मैं उन दोनों की शादी के लिए मना न कर सकी! मैंने उसको बोला था कि अगर वो बहू को मना लेगा, तो मैं उसको पूरे प्यार से स्वीकार करूंगी! किसी और लड़की को लाता, तो शायद मना कर देती!”

रचना भी काजल को अपनी बहू के लिए इतना स्नेह दिखाने पर ख़ुशी से मुस्कुरा दी, “वाओ दीदी! आपका परिवार बहुत सुन्दर है! आप बहुत प्यार करती हैं न अपनी बहू को?”

“बहुत! और केवल उसको ही नहीं, बल्कि अपने सभी बच्चों को! लेकिन हाँ - उससे मेरा ख़ास लगाव है!”

“वो क्यों दीदी?”

“बहुत लम्बी कहानी है बेटे! किसी दिन बड़ी फुर्सत से सुनाऊँगी! लेकिन हाँ, एक बात तो ज़रूर कहूँगी, मेरी बड़ी बहू व्यवहार में बिलकुल बच्ची जैसी है! देखो न... दो बच्चों की माँ बन गई है, और तीसरा पेट में है, फिर भी उसका बचपना नहीं गया। जब भी मिलती है, मेरा दूध पिए बिना नहीं रहती।”

“ओह हा हा... क्या सच में दीदी?”

काजल भी हँसते हुए बोली, “हाँ न! और मैं चाहती भी नहीं कि उसका बचपना जाए! बहू भी तो बेटी होती है न? वो खुशहाल है, तो समझो मैं खुशहाल हूँ! और छोटी बहू... वो पहले पहले मुझसे थोड़ा संकोच करती थी! मैं भी तो नई नई आई थी न उसके घर! लेकिन अब तो वो भी बड़ी बहू के जैसी ही हो गई है। वैसे भी, बच्ची ही है पूरी वो अभी! लतिका छः सात साल ही तो बड़ी है! दोनों
बहुएँ साथ हो जाती हैं जब भी, तो सारे बच्चे पीछे छूट जाते हैं।”

“हा हा हा हा हा!”

“हाँ! मेरा दूध पूरा पी जाती हैं दोनों! और सच सच कहूँ? मुझे भी अच्छा लगता है उन दोनों की माँ बनना! बड़ा सुख मिलता है! वो दोनों ऐसा मान, ऐसा प्यार, ऐसा आदर देती हैं मुझे, कि क्या कहूँ? बस, दिल गार्डन गार्डन हो जाता है! ... इसलिए तुम भी संकोच न किया करो!”

“जी दीदी!” रचना समझते हुए बोली, “आप जैसी प्यार करने वाली माँ हो, तो कोई भी बहू सुखी ही रहेगी!”

“हा हा हा... हाँ हाँ... मस्का मत लगाओ बहुत! चलो, अपना हाथ हटाओ, और अपनी सुंदरता देखने दो मुझे!”

रचना दो पल को झिझकी, फिर उसने हाथ हटा लिया। काजल ने रचना का जैसे मुआयना किया हो - चेहरा, स्तन, पेट, योनि, जाँघें, और पैर, फिर,

“मुड़ो तो ज़रा?” उसने कहा।

रचना को लगा कि जैसे जब लोग लड़की देखने जाते हैं, वैसा ही उसके साथ हो रहा है। उसको भी देखा जा रहा था! वो मुड़ गई!

बोरारोहा... खूब शुंदोर! हृष्ट पुष्ट! दूधोजुक्तो श्तोन!” काजल बांग्ला में रचना के सौंदर्य की बढ़ाई करने लगी, “तुम खूब सुन्दर हो रचना! खूब सुन्दर! रम्भा... उर्वशी जैसी अप्सरा! मेरे अमर की किस्मत अच्छी है, कि तुम मिलीं उसको!”

रचना झिझकते हुए शर्माई।

“अरे शर्माती क्यों है? माँ हूँ मैं तेरी! आनंद से रहो... ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है!”

रचना से रहा नहीं गया - कुछ तो शर्म, तो कुछ झिझक, तो कुछ भावातिरेक से आह्लादित हो कर वो काजल के गले से जा लगी। काजल ने भी उसको बड़े प्रेम से अपने आलिंगन में बांधे रखा और उसके माथे को चूमते हुए कई सारे आशीर्वाद दिए, जो अक्सर सौभाग्यवती स्त्रियों को दिए जाते हैं।

आधे घंटे तक दोनों आपस में बातें करती रहीं, और उस बीच काजल ने रचना को चाय और अजवाइन का एक (रचना की ज़िद पर - नहीं तो काजल उसको कई सारे देने वाली थी) पराठा खिलाया।

“दीदी? बच्चे उठ गए होंगे?”

“हाँ! दोनों सवेरे साढ़े चार पाँच तक उठ जाते हैं। आज संडे है न, तो शायद थोड़ा देर से उठे होंगे।” फिर घड़ी की तरफ़ देख कर, “हाँ - उठ गए होंगे! क्यों? क्या हुआ?”

“कुछ नहीं! सोचा कि उनके साथ ही थोड़ा योगा कर लूंगी!”

“ओह! बढ़िया है! ठीक है, दोनों ऊपर, स्टूडियो में होंगे। थोड़ा सिखा दो उनको!”

“अरे दीदी! दोनों इतने संस्कारी बच्चे हैं! उनको क्या सिखाना?” रचना ने चहकते हुए कहा, “उनको तो बस प्यार देना है... खूब!”

“वाह! सुखी रहो बेटा, खूब सुखी रहो!” काजल रचना की बात पर अत्यंत प्रभावित हुए बिना न रह सकी।


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हमारे बंगले की छत पर एक स्टूडियो था, जो दरअसल जालियों से बना हुआ था, और उन जालियों पर बाँस की चिक से आँड़ किया जाता था। सर्दी, गर्मी, या बारिश में अगर चिक गिरा दी जाए, तो एक तो अच्छा एकांत मिलता है, और आराम से बैठ कर वहाँ चाय या कॉफ़ी का आनंद लिया जा सकता है। एक झूले का भी इंतजाम किया गया था, जो जब मन करे लगाया और उतारा जा सकता था। कभी अपने एकांत के लिए मैंने वो जगह इस्तेमाल करने की सोची थी, लेकिन धीरे धीरे बच्चे ही उसका उपयोग करते थे। मैं या घर का कोई अन्य बड़ा यदा-कदा ही वहाँ जाता था। लतिका ने कुछ समय पहले योगा क्लासेज करीं थीं; उससे उसको खेलकूद में बड़ी मदद हुई - चोट कम लगती थी, क्योंकि शरीर में लचीलापन आ गया था, और चोट लगने पर रिकवरी तेज़ी से होती थी। इसलिए उसने योगाभ्यास करना जारी रखा। उसकी ही देखा देखी आभा भी योगाभ्यास करती।

लतिका और आभा वहाँ रचना को आता हुआ देखकर हैरान रह गईं। ऐसा नहीं है कि उन्होंने उसको पहले नग्न नहीं देखा था, लेकिन सुबह सुबह, ऐसे खुलेआम उसको इस अवस्था में देख कर उनको अचरज तो हुआ! लेकिन एक तरह से आनंद भी आया कि रचना कितनी ‘कूल’ है, और यह कि उसके साथ मज़ा आएगा! आभा को पिछली रात के बारे में ज्यादा कुछ याद नहीं था क्योंकि वो अधिकतर समय नींद में ही थी। लेकिन अगर उसके मन में कल रात को ले कर कोई शंका थी, तो वो अब शांत हो सकती थीं। दूसरी ओर लतिका को थोड़ी शर्म सी महसूस हुई। वो अब बच्ची नहीं रह गई थी, इसलिए कल उसके और रचना के बीच जो हुआ, वो थोड़ा जोखिम भरा अवश्य था। लेकिन आभा को रचना का स्तनपान करता देख उसका मन नहीं माना, अच्छी बात यह थी कि रचना ने भी उसकी इच्छा पूरी की। लेकिन इस समय उसको रचना से शर्म आ रही थी, तीनों में रचना ही नग्न थी।

दोनों लड़कियाँ सूर्य नमस्कार से अपने योगाभ्यास की शुरुवात करती थीं, तो रचना भी उनके साथ हो ली। सबसे पहली बात - मुझे लगता था कि रचना आराम-तलब स्त्री थी, लेकिन ये बात पूरी तरह से गलत थी। दरअसल रचना एक योगिनी थी! उसका शरीर लचीला था। हाँ, शरीर पर चर्बी की एक अनावश्यक परत थी, लेकिन वो स्वस्थ थी। मोटापा नहीं था! शायद वो अच्छा खाना खाने से खुद को रोक नहीं पाती थी! इस बात में कोई बुराई नहीं थी। ऐसी ‘हैप्पी’ स्त्रियाँ ही बढ़िया होती हैं!

रचना ने दोनों लड़कियों को वो बारह योगासन लगा कर दिखाए जो सूर्य नमस्कार को पूरा करने के लिए आवश्यक हैं। दोनों लड़कियों ने पूरे उत्साह से रचना का अनुपालन किया। फिर वो उन्हें नौकासन का सबसे सिद्ध रूप सिखाने लगी। लतिका वो योगासन नहीं लगाती थी। लिहाज़ा, रचना ने लतिका को समझाया कि नौकासन लगाने से शरीर का कोर दृढ़ होता है, और स्टेबिलिटी आती है। इससे बेहतर एथलेटिक प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी। कहने की आवश्यकता नहीं, कि रचना के योग-ज्ञान से दोनों लड़कियाँ प्रभावित हो चली थीं।

“रचना...” लतिका ने थोड़ा झिझकते हुए पूछा, “क्या... क्या आप हमें कुछ नया सिखा देंगीं?”

“हाँ, क्यों नहीं! क्या सीखना चाहती हो?”

“कुछ भी सिखा दीजिए... आपसे सीखना तो बहुत अच्छा होगा!”

यह कहना कि लतिका, रचना पर फिदा हो गई थी, न्यूनोक्ति ही होगी! अचानक से ही रचना उसके जीवन में आई, और जिस तरह से उसने लतिका के साथ मित्रवत व्यवहार किया, उससे वो प्रभावित हुए बिना न सकी। जैसे वो आभा के लिए एक प्रेरणास्त्रोत थी, वैसे ही रचना भी लग रही थी। ऐसा नहीं है कि लतिका के पास प्रेरणा की कोई कमी थी - माँ हमेशा से ही उसकी पहली पसंद रही थीं, और काजल भी! लेकिन रचना एक तरह से ‘सहेली’ थी। वो बहुत खूबसूरत भी थी, और उसका शरीर भी खजुराहो की प्रतिमाओं के समान था। वो बहुत स्नेहमई भी थी : पिछली रात दोनों को स्तनपान कराना इस बात का पर्याप्त प्रमाण था! और तो और, वो एक योगिनी भी थी, जिसका मतलब यह है कि रचना उसको शारीरिक फिटनेस से जुड़ी कई चीजें सिखा सकती थी। कुल मिलाकर, रचना एक ‘अल्ट्रा कूल’ महिला थी... कैसे प्रभावित न हो लतिका!

‘कितना अच्छा होगा अगर रचना हमारे साथ रहे!’ लतिका ने मन ही मन प्रार्थना करी।

उधर, रचना ने एक पल के लिए सोचा, और फिर बोली, “अच्छा… अमर ने मुझे बताया था कि तुम्हें स्प्रिंट करना पसंद है… तो मैं तुमको चक्रासन करने का तरीका बताती हूँ! चक्रासन से तुम्हारी थाइस, ग्लूट्स, कोर, और इवन शोल्डर्स सब एक ही बार में स्ट्रेच हो जाएँगे! आई थिंक, एक स्प्रिंटर का पूरा शरीर मज़बूत और फ्लेक्सिबल होना चाहिए। तो इसको करने से तुम्हारे हाथ भी स्ट्रांग बनेंगे!”

“जी… ठीक है!” लतिका ने पूरी शिष्टता से अपना आभार जताया।

फिर रचना ने चक्रासन करने के दो तरीके समझाए और दिखाए। करने में चक्रासन एक कठिन आसन है, लेकिन रचना की मदद से दोनों की लड़कियाँ कुछ प्रयासों में ही इसे कर सकीं। हल्का और लचीला शरीर हमेशा ही मददगार होता है। लड़कियों को यह नया योगासन लगा कर मजा भी आया। जब कुछ कोशिशों के बाद दोनों को अकेले करने में कॉन्फिडेंस आ गया, तो तीनों ने मिल कर वो आसन लगाया। नया नया सीखा होने के कारण लतिका और आभा दोनों ने लगभग दस सेकंड के बाद ही अपनी मुद्रा तोड़ दी, लेकिन रचना ने इसे लगभग दो मिनट तक लगाए रखा।

अगर आप चक्रासन के बारे में देखेंगे, तो पाएँगे कि इस आसन में शरीर धनुष का आकार धारण कर लेता है। इस आसन में कोई व्यक्ति अपनी पीठ को पीछे की तरफ़ इस प्रकार झुकाता है, कि पूरा शरीर केवल हाथों और पैरों पर ही ज़मीन पर टिका रहता है। उस पोज़ में रचना के स्तन उसकी गले की ओर ढलक गए। वो देख कर लतिका शरारत से मुस्कुराई, और उसने रचना का एक चूचक अपने मुँह में ले लिया। रचना को उसकी यह हरकत बड़ी क्यूट सी लगी : उसका हँसने का मन होने लगा, लेकिन उसने कुछ देर तक अपनी मुद्रा बनाए रखी कि लतिका वो कर सके, जो वो करना चाहती थी।

दूसरी ओर आभा को, अपने होश सम्हालने के बाद, शायद पहली बार एक परिपक्व योनि को देखने को मिली थी। इसलिए उसको बड़ी उत्सुकता हो रही थी। रचना की बनावट उसकी खुद की बनावट के समान होते हुए भी अत्यंत भिन्न थी। अपने चुलबुले स्वभाव के कारण वो चुप न रह सकी, और बोली,

आंटी, योर शेम शेम लुक्स लाइक ऑरेंज कार्पेल्स (संतरे की फाँकें)!”

उसकी बात सुन कर रचना हँसते हँसते पीठ के बल ज़मीन पर गिर गई!

“इधर आ आंटी की बच्ची,” कह कर रचना ने आभा को उसके हाथ से पकड़ा और अपने सीने में भींचते हुए उसको दनादन कई सारे चुम्बन दे डाले।

आभा भी अपने लिए इतना प्यार पा कर खुश हो गई, और खिलखिला कर हँसने लगी।

“सबसे पहले, ट्राई टू कॉल मी मम्मा! आंटी साउंड्स लाइक समवन एल्स!”

“आप मेरी मम्मा बनेंगी?” आभा ने उत्सुकता से पूछा।

वुड यू लाइक मी टू बिकम योर मम्मा?”

यू आर ऑलराइट!” उसने अपने बाल-सुलभ चंचलता से कहा।

उधर लतिका इस संवाद को सुन कर खूब खुश हुई - मतलब रचना और अमर ‘अंकल’ की शादी हो जाएगी, और रचना यहीं, साथ में रहेंगी। गुड!

“आआ... सो नाइस ऑफ़ यू टू से दिस!” रचना ने बड़े लाड़ से कहा, “एंड हनी, देयर इस नथिंग टू बी अशेम्ड ऑफ़ योर ‘गर्ल थिंग’! इसको शेम शेम नहीं कहते हैं... इसे कहते हैं ‘वल्वा’! ओके? ये मेरे पास है, तुम्हारे पास है, लतिका दीदी के पास है... हर लड़की के पास है! अंडरस्टुड?”

“ओह?”

“यस! दैट इस व्हाय, व्ही आर वीमेन! बॉयज एंड मेन हैव पीनसेस, एंड गर्ल्स एंड वीमेन हैव वल्वा! ये हमारे बीच का मेन डिफरेंस है।”

बट व्हाई?” आभा को यह अंतर बड़ा अनुचित लगा।

बिकॉज़, दे आर नेचर्स गिफ्ट्स टू अस, हनी! और नेचर ने हम लड़कियों को तो और भी पावर्स दी हैं! सुपर पावर्स!”

“सुपर पावर्स?”

“हाँ! देखो न - ओनली वीमेन कैन गिव बर्थ! व्हेन अ पीनस गोज़ इनसाइड इट, व्ही बिकम प्रेग्नेंट! एंड आफ्टर नाइन मंथ्स, व्ही गिव बर्थ टू स्वीट किड्स लाइक यू!”

“ओह?”

“हाँ!” रचना मुस्कुराते हुए बोली, “दैट्स व्हाई यू मस्ट थिंक वैरी केयरफुली अबाउट हूस पीनस यू वांट इनसाइड यू! यू डोंट वांट टू हैव किड्स ऑफ़ समवन हू डस नॉट लव यू, ऑर हू इस नॉट वर्दी ऑफ़ योर लव...”

आभा ने एक पल के लिए सोचा और कहा, “सो... दैट मीन्स आई वोन्ट हैव दीपक्स पीनस?”

आभा ने जब ये कहा तो लतिका ने आँखें तरेर कर उसको चुप रहने को कहा।

अब्सोल्युटली नॉट!” दीपक कौन था, ये रचना को कैसे पता हो सकता है?

लेकिन आपने बच्चों का विश्वास जीत लिया है, यह इसी बात से मालूम पड़ता है जब वो आपको अपने ‘राज़’ बताने लगें।

बट कैन आई हैव समीरर्स पीनस?”

डू यू लव हिम, एंड डस ही लव यू?”

आभा शर्म से लाल हो गई, “आई डिड नॉट से दिस!”

“ओके! आई से दैट यू मस्ट थिंक मोर... बट नॉट नाउ! यू हैव अ लॉट ऑफ़ टाइम! अभी तो तुम बहुत छोटू सी हो!” रचना ने प्यार से आभा की छोटी सी नाक के सिरे को हल्के से पकड़ कर हिलाया, “गुड़िया हो अभी! प्ले अ लॉट... हैव अ लॉट ऑफ़ फन! लर्न...! एंड आफ्टर सम इयर्स, व्हेन यू आर अ वेल राउंडेड, ब्यूटीफुल लेडी, देन यू कैन हैव योर पिक ऑफ़ मेन!”

आभा समझते हुए मुस्कुराई। उसे भी रचना पसंद आ गई!

“समझी मेरी गुड़िया?”

“आंटी, आई लाइक यू... नो, आई लव यू!” आभा ने कहा।

“आंटी?”

“मम्मा...” ऐसे मीठेपन से कहते हुए आभा रचना के सीने में घुस गई।

आई लव यू टू, माय हनी!” रचना बोली, और आभा को चूम ली।

“तुम भी इधर आओ लतिका! यू आर अ लेडी, बट स्टिल माय बेबी!” कह कर रचना ने लतिका को अपनी तरफ़ बुलाया, और बारी बारी से आभा और लतिका दोनों के गालों को चूम लिया।

“हनी,” अंततः उसने उन दोनों से कहा, “अब मुझे घर जाना चाहिए... और तुम्हें भी तैयार होना होगा? हम फिर मिलेंगे! ओके?”

रचना ने दोनों बच्चों पर मोहिनी डाल दी थी। कुछ ही क्षणों में रचना एक अजनबी से उनकी सहेली बन गई थी!

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