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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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avsji

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लाजबाव कहानी भाई जी
धन्यवाद बहन जी 😊
साथ बने रहिये - बहुत लम्बी कहानी है ये
 

avsji

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पहला प्यार - Update #7


उसके बाद हमने कुछ देर बातें की, और फिर मेरी माँ ने बम गिराया,

“अच्छा सुनो - अमर और गैबी, तुम दोनों आज रात एक बिस्तर में सो जाओगे न?”

“क्क्क ... क्या! माँ! अरे? रुको ... हम ... नहीं …” मैं हकलाने लगा।

“तुम ... नहीं ... क्या?” और फिर कुछ सोचते हुए माँ ने कहा, “अब ये मत बोलना कि तुमने अभी तक इस प्यारी लड़की के साथ प्यार नहीं किया है!”

“माँ! क्या यार! आपको ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए!” मैंने शर्मिंदा होते हुए कहा।

“हा हा हा हा!” माँ मेरी शर्मिंदगी पर दिल खोल कर हँसीं, “तुम सच में उल्लूराम हो! ठीक है, इसके साथ प्यार नहीं किया है, तो न सही। मैं और तुम्हारे डैड, आज रात तुम्हारा कमरा ले रहे हैं, इसलिए, अब तुम खुद देख लो कि तुमको कहाँ सोना है!”

यह कहकर माँ, डैड के साथ मेरे कमरे के अंदर चली गईं, और अपने पीछे कमरे का दरवाजा बंद कर लिया।

“हनी, क्या हम आज रात एक साथ सो रहे हैं?” गैबी ने मज़ाक करते हुए मुझसे पूछा।

“मैं बाहर लेट सकता हूँ!”

“बाहर क्यों? मेरे साथ सो जाओ।” गैबी ने आपत्ति दिखाई।

“तुमको बुरा तो नहीं लगेगा न, हनी? बात दरअसल यह है कि माँ और डैड हर दिवाली की रात को प्यार करते हैं। यह एक तरीके का रिचुअल है उनका!”

“व्हाट! हा हा! नाइस! वाह! हा हा! दे आर सो क्यूट! मैं तो अब उन्हें और भी अधिक प्यार करने लगी हूँ! दे आर अ ब्यूटीफुल कपल! कम्पलीट! इतना प्यार है उन दोनों में!” गैबी चहकते हुए बोलती चली गई, फिर थोड़ा सा रुक कर बोली, “हनी, क्या तुमको लगता है, कि जब हम भी बूढ़े हो जाएंगे, तो माँ और डैड के जैसे रहेंगे?”

“आई होप सो!”

सच में! हाँ, मेरे माँ और डैड एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने साथ में बहुत सारी कठिनाइयाँ देखीं थीं, और उन सभी को पार करके मुझे अच्छे से पाला पोसा था, और मुझको एक अच्छी शिक्षा और अंततः एक अच्छा जीवन प्रदान किया था। मैं वास्तव में उनका बहुत सम्मान करता था और उनसे बहुत प्यार करता था। उन्होंने मुझे मेरा जीवन अपने तरीके से जीने दिया। उन्होंने मुझे अपनी पसंद के अनुसार कुछ भी करने की पूरी आजादी दी, और साथ ही साथ मुझे अपने अनुभवी समर्थन भी दिए। बिलकुल, मेरी तो यही इच्छा है कि गैबी और मैं एक साथ बड़ा लम्बा जीवन बिताएँ, जैसे माँ और डैड कर रहे हैं!

तो हम दूसरे [गैबी के] कमरे में गए। मैंने यह सोच कर कि गैबी को बुरा न लगे, इसलिए कमरे का दरवाज़ा बंद नहीं किया। उतनी देर में हमें बगल वाले कमरे से माँ के कराहने की आवाज़ सुनाई देने लगी।

“ओह गॉड हनी, दे आर रियली डूइंग इट!” गैबी ने मुस्कुराते हुए मुझको देखा।

बाहर से पटाखों की इतनी तेज आवाज आने के बावजूद, गैबी को माँ के आनंद भरी किलकारी सुनाई दे रही थी। ।

“हाँ! सम वन इस गेटिंग लकी!”

मैंने कहा और हम दोनों ही इस बात पर हंस पड़े, लेकिन यह सच था। बगल वाले कमरे से माँ और डैड के सेक्स करने की आवाज़, यद्यपि वो दबी हुई ही आ रही थी, आप स्पष्ट रूप से सुन सकते थे। बस, थोड़ा कल्पना के घोड़े पर बैठ कर यह सोचना था कि वहां अंदर क्या चल रहा था! मैं कभी नहीं सोचता कि वो दोनों क्या कर रहे थे। उनका अपना निजी मामला था वो! फिर गैबी अपने कपड़े उतारने लगी। और मैं उसको खड़े खड़े ही अपलक निहारता रहा। साड़ी उतारने में उसको कोई दिक्कत नहीं हुई। लेकिन ब्लाउज बहुत ही अतरंगी डिज़ाइन की थी। उसने बड़ी अदा से अपनी साड़ी का पल्लू गिराया, और सेफ्टी-पिन को खोल कर उसकी प्लीट्स [साड़ी के फेंटे] को पेटीकोट से बाहर निकाला। ऐसा करते ही साड़ी नीचे गिर गई। अब ब्लाउज की बारी थी, और गैबी मुझे उसको उतारने का सौभाग्य देना चाहती थी।

“हनी, इस ब्लाउज को उतारने में मेरी हेल्प कर दो!”

यह एक बैकलेस ब्लाउज था, जिसमें पाँच डोरियाँ थीं, और पीठ के पीछे गाँठ लगा कर बंधी हुई थीं। हैरान करने वाला डिज़ाइन। आज कल यह देखने में काफ़ी मिलता है, लेकिन तब ऐसी डिज़ाइन मैंने कहीं नहीं देखी थी। ज़रूर ही माँ ने उस ब्लाउज़ का डिज़ाइन किसी ट्रेंडी मैगज़ीन से चुना होगा, और दर्जी से बिलकुल वैसे ही सिलने के लिए कहा होगा।

‘माँ, यू आर ग्रेट!’ मैंने सोचा, लेकिन प्रत्यक्ष में कहा, “बाप रे! इसको पहना कैसे?”

“माँ ने मेरी हेल्प की।”

गैबी के मुँह से मेरी माँ के लिए ‘माँ’ शब्द सुनना बहुत सुखद था।

“एक बात बताऊँ?” उसने दबी आवाज़ में, जैसे बड़ी राज़ की बात कहने वाली हो, कहना जारी रखा, “माँ ने मुझे नंगा देखा …”

गैबी मुस्करा रही थी। शर्म से उसके गोरे गोरे गाल थोड़े ग़ुलाबी से हो गए। ज़रूर माँ ने उसको नंगा देखा होगा। चूंकि ब्लाउज के पीछे डोरियाँ थीं, इसलिए गैबी उसके नीचे ब्रा नहीं पहन सकती थी। कितनी बुरी बात है कि मैंने उसे नग्न नहीं देखा!

अब तक!

मैं उसके पीछे हो गया और उस ब्लाउज की पहेली को सुलझाने लगा! सारी डोरियों खोलने में कुछ समय लगा, क्योंकि कुछ तो आपस में उलझ गईं थीं। जब उसकी ब्लाउज पूरी तरह से खुल गई तो मैं गैबी के सामने आ गया, और उसकी तरफ आशा भरी नज़रों से देखा - आशा तो थी, लेकिन मुझे खुद ही नहीं मालूम था कि किस चीज़ की आशा करूँ! माँ और डैड को यकीन था कि गैबी और मैं पहले से ही शादीशुदा जोड़े की तरह रह रहे होंगे, हालाँकि, सच तो यह था कि अब तक हमारे बीच में सेक्स नहीं हुआ था। मैं अब वाकई गैबी से सेक्स करना चाहता था। इस बात की इच्छा इतनी प्रबल थी कि यदि स्वयं पर नियंत्रण न रखता तो मैं उसको वहीं पर लूट लेता। लेकिन यह हमारा प्यार ही था, जिसने हमें यह सब करने से रोका... जब उसने और मैंने कुछ देर तक कुछ भी नहीं कहा या किया, तो मैंने पूछा,

“वेल?”

“वेल ... क्या तुम यह नहीं देखना चाहते कि इस सुंदर सी ब्लाउज के नीचे क्या है?” गैबी ने मुस्कराते हुए मुझे छेड़ा।

उसकी बात पर पिछले साल एक गाना याद आ गया, जो बहुत चला था, ‘चोली के पीछे क्या है, चोली के पीछे!’ मालूम तो सभी को है कि चोली के पीछे क्या होता है। लेकिन उसको जानने, और देखने की इच्छा तब और बलवती हो जाती है, जब उसकी स्वामिनी आपकी प्रेमिका भी हो। न जाने कब से मैं मरा जा रहा था कि गैबी को बिना कपड़ों के देख सकूं!

“मेरा विश्वास करो गैबी, मुझसे ज्यादा शायद ही कोई और हो जो देखना चाहता हो कि इस सुंदर सी ब्लाउज के नीचे क्या है!” मैंने हँसते हुए कहा।

“तो फिर तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो, हनी?” गैबी ने बड़ी कोमलता से कहा।

“क्क्क... क्या? क्या सच में?”

गैबी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“माँ ने मुझे ‘वैसे’ देखा है ... तुमको तो देखना ही चाहिए। तुम्हारा तो मुझ पर पहला अधिकार है।”

यह सुनकर मेरे अंदर खुशी और अधीरता की लहर दौड़ गई। जैसे एड्रेनैलिन की मात्रा बढ़ने पर शरीर काँपने लगता है, वैसे ही मेरा हाल था। केवल एक क्षण के भीतर! मुझे और अधिक प्रोत्साहन की आवश्यकता नहीं थी। मैंने एक फिल्म देखी थी, जिसमें महिला किरदार कहती है कि एक पुरुष जब किसी महिला से प्यार करता है, तब वो उसको एक ख़ास तरीके से देखता है.... ठीक वैसे ही जब किसी लड़के को अपने जन्मदिन पर उपहार का डब्बा मिलता है, और वो उस डब्बे का कवरिंग हटाता है, उसको खोलता है। ठीक वैसा ही व्यवहार प्रेम में डूबा हुआ प्रेमी, अपनी प्रेमिका के साथ करता है। वह अपनी प्रेमिका के साथ ऐसा व्यवहार करता है कि मानो वह कोई उपहार हो। वह उसे इस तरह देखता है कि जैसे उसने अपने उपहार को देखने के लिए इतना लंबा इंतजार किया है, और अब वह और अधिक इंतजार नहीं कर सकता!

मैं भी ठीक वैसे ही व्यवहार कर रहा था! मेरी प्यारी गैबी, उस आड़ू-गुलाबी रंग की डिजाइनर साड़ी और ब्लाउज में लिपटा हुआ उपहार थी, और मैं उसके ख़ज़ाने को देखने के लिए बेहद उत्सुक था! मैंने उसकी ब्लाउज के दोनों किनारों को पकड़ लिया और धीरे से अपनी तरफ़ खींच लिया। गैबी ने अपने सामने की तरफ अपना हाथ बढ़ाया, और ब्लाउज उतारने में मेरी मदद की।

अंततः!

मेरी प्यारी सी, सुन्दर सी गैबी! उसके स्तनों का बखान करने के लिए बस एक शब्द पर्याप्त है - परफेक्ट! उसकी त्वचा बिलकुल साफ़ और निर्दोष थी। इतने महीनों तक मैंने इस नज़ारे की कल्पना करने की कोशिश की थी, जो अब मूर्तरूप में मेरे सामने था। उसके स्तनों का रंग वैसा था जैसे आड़ू के रंग में मलाई भी मिला दी गई हो! उसके स्तन उभरे हुए [बिल्कुल भी ढीले नहीं], गोल और दृढ़ थे। उसके चूचक छोटे थे, लेकिन स्पष्ट थे, और समान रंग वाले छोटे-छोटे एरोला से घिरे हुए थे। जैसा कि उसने मुझे बताया था, उसके चूचक और एरोला सामन रंग के तो नहीं थे, बल्कि वे गुलाबी नारंगी रंग के थे। उसके चूचक तनाव में खड़े हुए थे और एरोला के ठीक केंद्र में थे। मुझे मालूम था कि वे दोनों क्यों खड़े थे। मुझे पता था कि अपने प्रेमी को अपने सामने देख कर गैबी के चूचक स्तंभित और सख्त हो गए थे। एक और बात - गैबी को किसी ब्रा की कोई आवश्यकता नहीं थी! कमाल है!

अब मैं खुद पर और नियंत्रण नहीं कर सकता था। मैंने हाथ बढ़ा कर उसके स्तनों को थाम लिया। मेरे छूते ही गैबी पीछे की तरफ़ थोड़ा कमानी हो कर झुक गई, मानों वो चाहती हो कि ज्यादा से ज्यादा स्तन मेरे हाथों में समां सके। उसके स्तन कोमल तो थे, लेकिन ठोस भी थे, और उनको पकड़ कर मेरे हाथों में एक अद्भुत एहसास हो रहा था। गैबी के स्तन हालाँकि, काजल की तुलना में छोटे, लेकिन मेरे लिए वे बिलकुल ख़ास थे! क्यों? क्योंकि गैबी मेरी थी, और इसलिए, अब ये स्तन मेरे अकेले के लिए थे! यह एक शानदार एहसास होता है, है ना? माना कि गैबी सेक्स के मामले में अच्छी तरह से अनुभवी थी, लेकिन उसको उन पुरुषों के साथ कोई लगाव नहीं था। वो केवल उसके लिए सेक्स के साधन मात्र थे। मेरे साथ वो परिवार बसाना चाहती थी - मेरे बीज को अपने अंदर ले कर उसका फल देना चाहती थी। मैं उसकी आत्मा को जानता था... और यह एक रोमांचक एहसास था। मैंने अपनी उँगलियों को उसके स्तनों की गोलाइयों पर चलाया - छूने मात्र से गैबी का शरीर काँपने लगा। जो होने वाला था, उसके पूर्वानुमान से ही गैबी रोमांचित हो चली थी। अंततः मैं आगे झुक गया और उसके एक चूचक को अपने मुँह में ले लिया। पूरे मुँह में एक अनूठा सा स्वाद आ गया। गैबी ने एक संतोषजनक साँस छोड़ी - जिसमे कांपने का भी एहसास था। मैंने उसके चूचक को अपने होंठों में भर कर चूसा और अपनी जीभ से छेड़ा। आखिरकार आज मेरा मौका आ ही गया था, तो मैं उसके स्तनों का भरपूर आनंद लेना चाहता था। मैंने उसके दोनों स्तनों के बीच बारी-बारी से बहुत देर तक चूसा, चूमा और दुलराया।

गैबी का पूरा शरीर उत्तेजना से काँप रहा था और वह धीरे धीरे कराह रही थी। मैंने उसके स्तनों को पीना अचानक ही रोक दिया और उसके चेहरे को थाम कर अपने होंठ उसके होंठों से सटा कर उसका चुम्बन लेने लगा। शुरू में उसका मुंह खुला नहीं था, लेकिन उसका मुँह कसकर बंद भी नहीं था। जैसे जैसे हमारे चुम्बनों की तीव्रता बढ़ी, वैसे वैसे उसका मुँह खुलता चला गया, और थोड़ी ही देर में हमारी जीभें एक दूसरे के मुँह का स्वाद लेने लगीं। मैंने शुरू में गैबी को उसकी पीठ से आलिंगनबद्ध कर रखा था, लेकिन अब मैं धीरे-धीरे उसके चिकने नितम्बों को सहलाने लगा। उसकी बाँहें मेरी गर्दन में माला बनी हुई थीं, और वो अपने शरीर को मेरे शरीर पर चिपका रही थी। उसका जघनक्षेत्र मेरे स्तंभित होते लिंग पर रगड़ खाने लगा। गैबी अब मेरी चुंबन का उत्साहपूर्ण उत्तर दे रही थी, और उसकी जीभ मेरे मुँह में मानों नृत्य कर रही थी। हमारा चुम्बन केवल मुख तक ही सीमित नहीं लग रहा था, बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों के शरीर ही एक दूसरे को चूम रहे हों!
 

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पहला प्यार - Update #8


गैबी नग्न तो हुई थी, लेकिन उतनी नहीं। पेटीकोट अभी भी उसके शरीर पर था। उसका पेटीकोट एक मखमली से कपड़े का बना हुआ था, जो शरीर के आकार को और सेक्सी तरीके से उभार रहा था। वो केवल पेटीकोट में इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा मन नहीं हो रहा था कि उसको उसके शरीर से हटाऊँ भी। लेकिन बिना उसको हटाए, गैबी का दिव्य दर्शन भला कैसे होता? तो मैंने उसको चूमते हुए ही पेटीकोट का नाड़ा ढीला किया, और वो सरकता हुआ ज़मीन पर गिर गया - ठीक उसकी साड़ी के समान! अब गैबी मेरे सामने सिर्फ अपनी पैंटी खड़ी थी। अपने कपड़े उतरने के दौरान, उसने एक शब्द भी नहीं कहा। बस एक आख़िरी बाधा सामने थी - बिना कोई समय बर्बाद किए, मैंने उसकी पैंटी नीचे खिसका दी। जैसे ही गैबी आज पहली बार मेरे सामने पूरी तरह नग्न हुई, मैंने उसको तसल्ली से देखा; जी भर कर; यूँ कि जैसे उसके हुस्न को आँखों से जी भर कर पिया। गैबी की सुंदर सी योनि! जब मैंने इसे पहली बार देखा था, तो वो बाल रहित था, लेकिन आज इस पर कोमल कोमल बाल उगे हुए थे। सर के बालों के जैसे यहाँ पर भी थोड़े लाल रंग के बाल थे। बाकी सब वैसा ही था जैसा मैंने उस दिन देखा था। खड़े होने पर उसकी योनि और भी छोटी लग रही थी। लेकिन उसका चीरा वैसा ही लंबा लग रहा था; उसकी योनि के दोनों होंठ एक साथ कसकर बंद थे, और इसके कारण बस होंठ दिख रहे थे, योनि-पुष्प नहीं। उसका पेट सपाट था; संयमित भोजन और दैनिक दौड़ के कारण उसका शरीर छरहरा, लचीला और गठा हुआ था। उसके सपाट, चिकने पेट पर एक गहरी नाभि सुशोभित हो रही थी।

‘आह! कैसा मादक सौंदर्य!’

अब रहा नहीं जाएगा - मेरा खज़ाना मेरे सामने था, और मैं उसका जायज़ा लेने को तत्पर था। मैंने अपना हाथ गैबी के योनि-मुख पर पहुँचाया और उसके पशम [योनि के बाल] में अपनी उंगलियों को हल्के से घुमाया। वो मुलायम तो थे, लेकिन उसके सर के बालों जैसे मुलायम नहीं। मैंने जब उसके योनि के चीरे पर अपनी उंगली फिराई, तो पता चला कि वो गीली हो रखी थी... बहुत गीली! मैंने उसकी योनि के बाहरी होंठों को थोड़ा छेड़ा, और उंगली को ऊपर-नीचे चलाते हुए सहलाया - उसके कसे हुए होंठों के बीच में मेरी उंगली हर बार थोड़ी सी घुस जाती। और गैबी की सिसकी निकल जाती। वो अभी भी जैसे तैसे खड़ी हुई थी, लेकिन उसका पूरा शरीर कांप रहा था। कांप नहीं, थरथरा रहा था। फिर भी, वो चाहती थी कि जब तक मेरा निर्देश न मिले, वो अपने संतुलन पर नियंत्रण रखे। अपनी योनि में मेरी रूचि देख कर उसने अपनी टांगें अलग कर लीं, जिससे मेरी उंगली अब उसके योनि-मुख के अंदर जाने लगी। मैंने धीरे से उसके भगशेफ [भगांकुर / क्लाइटोरिस] को रगड़ा, और फिर उंगली को थोड़ा हुक के आकार का बनाते हुए अंदर की तरफ दबाव बनाया। मैंने महसूस किया कि उसकी योनि, मेरी उंगली को अंदर जाने देने के लिए फैल रही है! गैबी की योनि वास्तव में बहुत तंग थी। मैं गैबी की सुगंध लेने के लिए उसके सामने बैठ कर उसकी योनि को सूंघने के लिए आगे झुका - एक मीठी सी गंध का झोंका आया! मैंने अपनी उंगली चाटी - तो उस पर भी मीठा सा स्वाद महसूस हुआ! मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक महिला की योनि से इस तरह की गंध और मीठा स्वाद आ सकते हैं!

[मीठा का मतलब यह नहीं कि वहाँ चीनी घुली है - जैसे ‘मीठा पानी’ ‘मीठा’ नहीं होता, बल्कि पीने योग्य होता है, वैसी ही उपमा यहाँ दी गई है। मीठा से तात्पर्य है कि महक और स्वाद कड़वी या तीक्ष्ण नहीं है।]

मैं उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराया और कहा, “गैबी, मैं तुम्हें पूरे दिल से प्यार करता हूँ! तुम मेरे लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हो! तुम मोहक हो! बेहद शानदार हो! बेहद सुन्दर हो! मेरी जान हो!”

मैं उसकी नाभि को चूमा, और जल्दी से अपने खुद के कपड़े उतारने लगा। और कुछ ही क्षणों में मैं गैबी से रति-संयोग करने के लिए तैयार था। मैंने गैबी को अपने दोनों हाथों में उठाया, और उसको बिस्तर पर लिटा दिया। सम्भोग के लिए तत्पर स्त्री! ओह, उसका रूप देखते ही बनता था। साक्षात् रति का रूप! कितनी सुन्दर, कितनी कामुक! मैंने उसकी टाँगे खोलीं, और अपने लिंग को गैबी के योनि-मुख पर टिकाया। उसके शिश्नग्रच्छद को पीछे खिसका कर, लिंग का सिरा मैंने कई बार उसके भगशेफ पर फिराया! जितनी बार लिंगमुण्ड भगशेफ़ को छूता, गैबी का शरीर झटके खा जाता - जैसे उस रास्ते से उसके शरीर में करंट दौड़ रहा हो। साथ ही साथ उसके गले से चिहुँकने की आवाज़ भी निकल जाती। कामोन्माद से गैबी की पलकें अब भारी हो चलीं थीं, और वो अब सम्भोग के लिए पूरी तरह से तैयार थी। मैं इस बात को जानता था, और वो भी इस बात को जानती थी। बस किस क्षण हमारा मिलन हो जाए, यह हम दोनों को ही नहीं मालूम था। मैंने दूसरे हाथ की मदद से, उसके योनि के होंठों को अलग किया और अपना लिंग उसके प्रवेश द्वार पर रख दिया। जैसे ही मैंने धीरे-धीरे कर के उसकी योनि में प्रवेश करना शुरू किया, गैबी ने एक गहरी सांस ली, धीरे से मुस्कुराई और संकोच करते हुए बोली,

“ह... हनी, अअ आई लव यू! ... एंड, आई ऍम रेडी फॉर योर लव! लेकिन…”

‘लेकिन! यार, ये सही डायरेक्शन में नहीं जा रहा है!’ मैंने सोचा और गैबी पर प्रश्नवाचक दृष्टि डालते हुए रुक गया। मैंने उसके आगे बोलने इंतजार किया। मेरा लिंगमुण्ड उसकी योनि के अंदर था और उसकी योनि के होंठ पूरी तरह से खिंचे हुए थे। गैबी के चेहरे पर वेदना वाले भाव साफ़ दिखाई दे रहे थे।

“हनी, आई कांट स्टॉप यू। मैं चाहूँ भी, तो भी नहीं। अब मेरा मुझ पर कोई कण्ट्रोल नहीं है ...! मैंने इतने लंबे समय से तुम्हारे प्यार का इंतजार किया है ... मुझसे ज्यादा भगवान को मालूम है कि मुझे तुम्हें अपने अंदर लेने के लिए कितनी शिद्दत से चाहत है... लेकिन, हनी, अगर तुम आज रुक जाओ, और हम तब तक इंतजार कर लें, जब तक हमारी शादी न हो जाए?”

गैबी ने बड़े संताप से अपनी बात मेरे सामने रख दी।

और मैं उलझन में पड़ गया। ऐसी यह खूबसूरत लड़की मेरे सामने लेटी हुई थी! पूरी नंगी! सम्भोग के लिए तैयार ... और फिर भी, फिर भी वो उम्मीद कर रही थी कि शायद मैं उसके साथ फिलहाल सम्भोग न करूँ, और उसको बख्श दूँ!

“ले ... लेकिन गैबी, मैं एकदम रेडी हूँ!”

मेरी बात सुन कर वो धीरे से मुस्कुराई, और फिर उसकी आँखों से आँसू छलकने लगे।

उसने सुबकते हुए, धीरे से कहा, “आई नो माय लव.... आई नो! मुझे पता है कि जो मैं कह रही हूँ, वो गलत है। तुम्हारे साथ नाइंसाफ़ी है। मुझे पता है कि तुम तैयार हो, और मैं भी तैयार हूँ। मैं तुम्हें इस हद तक ले आई हूँ ... और अब ये कह रही हूँ! सब मेरी गलती है। अमर, मेरी जान! माय हनी, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। और मेरा मन था कि मैं तुम्हें अपना सब कुछ हमारी शादी के दिन दूँ!”

मैंने धैर्यपूर्वक उसकी बात सुनी। अब इसे ही KLPD [यौन कुंठा की एक अभिव्यक्ति] कहा जाता है! लानत है!!

“... मुझे पता है कि मैं ही तुमको इस मुकाम तक ले आई हूँ, और मेरा बिहैवियर गलत है। और जैसा कि मैंने कहा है, मैं तुमको कुछ भी करने से नहीं सकती। आई कैन फ़ील यू इनसाइड में! ओह! आई जस्ट वांट यू टू गिव वन पुश एंड गो डीप इनसाइड मी... गॉड नोस हाउ बैडली आई वांट यू इनसाइड मी! स्टिल आई ऍम आस्किंग यू दिस…”

मैं उसकी बात समझ गया। बड़ी मुश्किल थी - मंज़िल सामने थी, और एक धक्के में सब कुछ हो जाना था। लेकिन फिर भी मंज़िल कितनी दूर थी। मैंने बड़ी अनिच्छा से खुद को गैबी के अंदर से निकाल लिया और पीछे हट गया। मैंने किसी तरह अपनी सांस और दिल की धड़कन को नियंत्रित किया। मैं बिस्तर पर बैठ गया; थोड़ा ठगा हुआ सा और पराजित सा महसूस कर रहा था।

‘खुद तो न जाने ऐसे कैसे चूतियों से सेक्स कर ली, और मेरी बारी आने पर नखरा कर रही है!’ मैंने गुस्से कुंठा में सोचा।

और यह विचार आते ही मुझे गैबी की पहले कही हुई बात याद आ गई -

‘.... लेकिन इससे पहले कि हम सेक्स करें, मेरी इच्छा है कि तुम मुझसे भी प्यार करो - केवल मेरे शरीर से नहीं - मन ही मन मैं अपना शरीर तुमको पहले से ही तुमको सौंप चुकी हूँ और अब से बस यह तुम्हारा है। लेकिन मैं चाहती हूँ कि हमारा प्यार केवल शरीर तक ही सीमित न रहे। हम एक दूसरे को पूरी तरह से प्यार करें! जब ऐसा होगा, तब हम सेक्स करेंगे....’

‘क्या मैं अभी भी गैबी के शरीर से ही प्यार करता हूँ?’

‘नहीं! ऐसा तो नहीं है! मैं उसको बहुत चाहता हूँ!’

मैं इसी उधेड़बुन में पड़ा हुआ था कि तभी गैबी आगे झुकी, और उसने अपनी जीभ से मेरे लिंग के सिरे को चाटा।

उसने कहा, “मैं अपने राजा को इस तरह सूखा सूखा तो नहीं जाने दूँगी! है न?”

कह कर उसने मेरे लिंग को दबाया - उसके सिरे पर प्री-कम की एक बूंद बन जाती है। गैबी ने एक बार फिर से चाटा।

“क्या तुमको अपना स्वाद मालूम है?”

मैं मुस्कराया। तो, हमारा खेल अभी भी जारी था। गैबी ने कहना जारी रखा,

“बहुत ज्यादा स्वाद तो नहीं है... थोड़ा नमकीन सा है, लेकिन मुझे तुम्हारा स्वाद बहुत पसंद है!”

फिर वो अपनी जीभ बाहर निकाल कर, धीरे-धीरे मेरे लिंग के सिर के हर तरफ से चाटने लगी, और प्री-कम की निकलती हुई बूंदों को वहां से साफ़ करने लगी। मेरी लिंग को बीच में पकड़कर, उसने धीरे-धीरे, मुझको सताते हुए अपना मुंह खोला, और मेरे लिंगमुण्ड को अपने मुँह में ले लिया - मुझे अपने लिंग पर उसकी सांस की गर्मी अचानक से महसूस हुई! वो दृश्य, वो अनुभव इतना कामोत्तेजक था, कि मुझे लगा कि उसके मुँह बंद करने से पहले ही मेरा वीर्य निकल जाएगा! उसने अपने होठों को लिंगमुण्ड पर रखा और उसको अपने मुंह में डाल लिया! मुझे लगा कि जैसे ही उसके होंठ मेरे लिंगमुण्ड पर सरक रहे हैं और रुक रहे हैं। यह बड़ी अनोखी काम क्रिया थी - बहुत अनोखा मुख मैथुन! गैबी ने लिंग को मुँह में लिए लिए ही चूसा, तो उसका पूरे का पूरा गर्म मुँह, मेरे पूरे लिंग पर चिपटता हुआ सा महसूस हुआ! मैं स्तब्ध रह गया! गैबी काम-क्रीड़ा में वाकई सिद्धहस्त थी!

‘जब ये मेरी बीवी बनेगी, तो जन्नत की सैर करवा देगी!’

वह मेरे लिंग को इतने निहित हो कर चूम, चाट, और चूस रही थी, जैसे छोटे बच्चे लॉलीपॉप के साथ करते हैं। लेकिन यहाँ आनंद मुझको आ रहा था। मेरा लिंग उसके छोटे से मुँह के किनारों को खींच रहा था - और जाहिर सी बात है कि गैबी को तकलीफ भी बहुत हो रही होगी, लेकिन फिर भी वह मुझे मौखिक आनंद देने के लिए उत्साहित और तत्पर थी। उसने अनुमान लगाया होगा कि वह अपने छोटे से मुंह में कितना लिंग फिट कर सकती है, क्योंकि उसने अपने हाथ से मेरा लिंग ऐसे पकड़ा हुआ था कि केवल लगभग तीन इंच ही अंदर था। वह धीरे-धीरे अपनी जीभ को लिंग के चारों ओर घुमाने लगी और वापस बाहर करने लगी। मैंने देखा कि जब गैबी चूषण करती, तो उसके गाल अंदर की तरफ पिचक जाते। उस अवस्था में भी वो कितनी सुन्दर लग रही थी!

अब मुझे भी काफी आनंद आने लग गया था। मैंने धीरे से कहा, ‘थोड़ा तेज’, तो उसने थोड़ी गति पकड़ ली। मुझे लगने लगा कि मेरे अंडकोष कसने लगे हैं, और मैं उसे चेतावनी देने जा रहा था कि मैं बस स्खलित होने वाला था, कि वो अचानक रुक गई और अपने मुँह से मेरा लिंग बाहर निकालते हुए पूछने लगी,

“हनी! क्या हुआ?”

“आई ऍम अबाउट टू कम!”

“गुड! मैं भी यही चाहती हूँ!” कहते हुए कि गैबी फिर से मेरे लिंग को पकड़ कर चूसने लगी। इस बार उसने साथ ही साथ मेरे अंडकोषों को पकड़ कर धीरे से सहलाना और दबाना भी शुरू कर दिया। मैं स्खलित होने के बहुत करीब था। मुझे लगा कि मेरे अंडकोष में सिहरन हो रही है, और साथ ही साथ मेरे पैर कांपने लगे हैं।

मैंने कहा, “गैबी, आई ऍम कमिंग…!”

गैबी मेरे लिंग को अपने मुँह में लिए लिए ही कुछ गुनगुनाई, और उसकी आवाज़ के कंपन के साथ ही मैंने वीर्य का पहला गोला उसके गले में दाग दिया। मेरे गले से जोर की कराह, और आँखों में एक चमकदार, सफेद रोशनी कौंध गई। मुझे नहीं मालूम था कि मैं इतनी प्रबलता से स्खलित हो सकता हूँ - चूँकि वीर्य उसके गले के किसी कोमल स्थान पर गिरा, उसको थोड़ी सी उबकाई सी आ गई। पहले गोले को निगलने से पहले ही, मैंने दूसरा गोला और फिर तीसरा गोला एक के बाद एक उसके गले में दाग दिया। तब तक वो सम्हल गई थी, और तीन या चार बार में मेरे वीर्य को पूरा निगल गई। हर निगलन में मैंने उसके मुँह को अपने लिंग पर कसता हुआ सा महसूस किया। फिर थोड़ी देर और चूसा, और जब मैं पूरी तरह से स्खलित हो गया, तब उसने सब कुछ निगल लिया और अंत में, उसने मेरे लिंग को बाहर जाने दिया।

जब सम्भोग का ज्वार थमा, तब गैबी ने कहा,

“हनी, थैंक यू सो मच! तुम्हें पता है, तुमने कम से कम आधा कप वीर्य मेरे अंदर डाला होगा! हा हा हा! क्या तुम्हें यह पसंद आया? मज़ा आया? क्या मैंने अपने राजा को खुश किया?”

मैं अभी भी अपने चरम सुख के सागर में तैर रहा था, और अभी भी बेसुध था। मैंने कहा,

“ओह गैबी, मैं तो स्वर्ग में था! तुमने मुझे स्वर्ग की सैर करा दी! थैंक यू सो मच!”

कुछ मिनटों के आराम के बाद, मुझे एहसास हुआ कि मुझे भी गैबी को काम-सुख देना चाहिए। मुझे भी कम से कम उसको मौखिक सुख देना चाहिए। लेकिन जैसे ही मैंने उसकी योनि पर मुँह रखा, गैबी ने मुझे रोक दिया।

“हनी! प्लीज। लेकिन नहीं। ऐसा मत करो। सबसे पहली बात कि मैं इसके लायक नहीं हूँ, और दूसरी बात, मैं चाहती हूँ कि जब हमारा मिलन हो, तुम्हारे लिंग से हो! मैं चाहती हूँ कि तुम अपने लिंग से मेरी अच्छी तरह से कुटाई करो! मैं उस दिन का इंतज़ार करूँगी। यह इंतजार ही मेरी सजा है, और मेरा इनाम भी! मुझे अपनी सज़ा और अपना इनाम दोनों मंज़ूर है!”

उसने मेरी तरफ थकी हुई मुस्कान डाली, और फिर मुझे चूम कर बड़े प्यार से बोली, “हनी, आई लव यू... और काश कि हम दोनों हमेशा साथ रहें।”

मैंने कहा, “आई रियली विश एंड होप सो, माय लव!”


***
 

avsji

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पहला प्यार - Update #9



एक दूसरे के आलिंगन में बंधे, हम पता नहीं कब गहरी नींद में सो गए। मैं तब उठा जब मुझे लगा कि कोई मेरे बालों को सहला रहा है। आँखें बंद किए हुए मुझे ऐसा लगा कि यह गैबी है। मैंने मुस्कुरा कर अपनी आँखें खोलीं, और देखा कि ये तो मेरी माँ हैं! हमारा कमरा, रात के बल्ब की मंद, लाल रोशनी में जगमगा रहा था!

‘माँ यहाँ क्या कर रही हैं!’

“माँ! आप यहाँ क्या कर रही हो?” मैंने अपनी उनींदी, कर्कश वाली आवाज में कहा।

“बस तुम दोनों को देखने आ गई! दरवाजा खुला हुआ था - तुम्हें पता है न?” माँ ने बड़ी सरलता से कहा, “अच्छा ये बताओ, क्या आज रात तुमने और गैबी ने 'बढ़िया वाला' एक्सपीरियंस लिया?”माँ फुसफुसाते हुए बोलीं।

अचानक से ही सोने से पहले की सारी बातें मुझे याद आ गईं।

‘अरे यार! हम सोने से पहले दरवाजा बंद करना भूल गए थे, और हम दोनों के ही शरीर पर कपड़े का एक टुकड़ा भी नहीं था। और तो और, अब तो माँ भी हमारे साथ कमरे में थीं। यह और कितना लज्जाजनक हो सकता है?’

मैंने विरोध किया, “माँ! हम दोनों पूरी तरह से नंगे हैं!”

“हाँ, वो तो मैं देख ही रही हूँ!”

“फिर आप क्यों आईं?”

माँ मुस्कुराई, “अपने बेटे को कोई पहली बार तो नंगा नहीं देख रही हूँ। हाँ, बहू को ज़रूर ऐसे पहली बार देखा है ... मैंने दरवाजा खुला हुआ देखा, तो अपने बच्चों को देखने की इच्छा को रोक नहीं सकी!”

तब मुझे यह एहसास भी हुआ कि सोते सोते मेरा लिंग फिर से स्तंभित हो गया था। माँ ने भी मेरे लिंग की ओर देखा, मुस्कुराई और बोली, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम्हारी छुन्नू इतना बड़ा हो जाएगा! बहुत सुन्दर, बहुत मज़बूत अंग है! मुझे तुम पर गर्व है।”

मैं मुस्कराया। माँ मेरे चेहरे पर कभी भी मुस्कान ला सकती हैं। वे हमेशा से ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त रही हैं।

“तो क्या तुम दोनों ने...?”

“नहीं माँ... हमने शादी होने तक इंतजार करने का फैसला किया है!”

“क्या सच में! कैसी दिलचस्प सी बात है! बहुत बढ़िया! मुझे आश्चर्य है कि तुम दोनों खुद पर कैसे कण्ट्रोल कर पाते हो! बहू कितनी सुन्दर सी है। तुम कितने सुंदर से हो! सच में - तुम दोनों को और तुम्हारे कमिटमेंट को सलाम है!”

“मैं नहीं जानता माँ कि हमने यह सब कैसे किया। हम दोनों सेक्स करने के बहुत करीब आ गए थे, लेकिन जैसे तैसे, किसी तरह से हमने कण्ट्रोल किया।”

“हम्म ... तो क्या ... तो क्या उसने ... अपने हाथ से ....?”

“नहीं माँ, मुँह से।”

“ओह? मुँह से? इंटरेस्टिंग!”

“क्यों, माँ?”

“और फिर जब .... तुम .... यू नो.... जब तुम .... तब उसने क्या किया?” माँ ने उत्सुकतावश मुझसे पूछा।

“गैबी ने सब पी लिया।”

“सच में? वाह! अमेजिंग! यह लड़की सच में तुमसे बहुत प्यार करती है।” माँ ने कहा।

“थैंक यू माँ। लेकिन आप ऐसा क्यों कह रही हैं?”

“बेटा, मैं भी तुम्हारे डैड का पीनस अपने मुँह में लेती हूँ... लेकिन उन्होंने कभी मेरे मुँह में नहीं किया... मैंने उन्हें कभी भी ऐसा करने भी नहीं दिया। और तुमको मालूम ही है कि मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं उनके साथ और भी बहुत कुछ कर सकती हूँ। इसलिए यह नई बात मुझे बताने के लिए थैंक यू!”

“आई लव हिम, माँ।” गैबी बोली; वो कुछ पलों से हमारी बातें सुन रही थी, लेकिन अभी भी अर्द्ध-निद्रा वाली अवस्था में थी।

“मुझे पता है, बेटे, मुझे पता है।” माँ ने मुस्कुराते हुए, प्यार से गैबी के पैर को सहलाया, “एंड आई थैंक यू फॉर दैट!”

फिर एक गहरी सी साँस ले कर, माँ बिस्तर से उठीं और कमरे से बाहर निकलने लगीं। माँ को जाते देख कर, उस समय तक गैबी का हाथ मेरे मेरे कठोर होते हुए लिंग पर आ चुका था, और वो उसको मुट्ठी में ले कर ऊपर नीचे करने लग गई थी।

लेकिन हमको नहीं मालूम था कि दरवाजे से बाहर निकल कर, माँ कुछ पलों के लिए रुकीं, और फिर वापस हमारे कमरे की तरफ़ मुड़ीं। अंदर आते ही माँ ने मेरे लिंग को गैबी के हाथ में देखा और मुस्कुरा दीं।

“मैं कुछ देर और तुम दोनों के साथ बैठ जाऊं?” उन्होंने कहा।

माँ को कमरे में आते, और हमसे बात करते देख करते देख कर, गैबी ने मेरा लिंग छोड़ दिया।

“हाँ माँ, आइए न!” गैबी ने कहा।

"गैबी बेटा, इसे पकड़े रहो .... मत छोड़ो। यह तुम्हारा है, और इस पर तुम्हारा अधिकार है। जब मैं या डैड तुम्हारे आस-पास भी हों, तब भी तुम इसको पकड़ सकती हो। शरमाने की ज़रुरत नहीं। तुम दोनों को एक-दूसरे से प्यार करना बंद नहीं करना है! समझ गए?”

गैबी हिचकिचाई, तो माँ ने फिर से उसे प्रोत्साहित किया, “चलो। इसे फिर से पकड़ो।”

इस बार गैबी मुस्कुराई और मेरे लिंग को अपनी चपेट में ले लिया।

“गुड!”

“गैबी बेटा, क्या तुमको मालूम है कि मैंने अमर को पंद्रह या सोलह साल की उम्र तक स्तनपान कराया है?”

“हाँ माँ... मुझे मालूम है। और मुझे लगता है कि यही कारण है कि अमर का पाउ [पुर्तगाली में, लिंग] इतना मजबूत है ... इसलिए थैंक यू, माँ।”

“हनी,” माँ थोड़ा हिचकिचा रही थीं।

“क्या बात है, माँ?” मैंने पूछ लिया, “आपके मन में क्या है?”

“बेटे, आज रात दीवाली है... और तुम दोनों बच्चों को इस तरह देखकर मेरी ममता की ललक जग गई है…”

माँ को इस तरह व्यवहार करते देख कर मेरे दिमाग में यह विचार कौंधा, कि ‘माँ हमें स्तनपान कराना चाहती है! वाह वाह!’

मेरे चेहरे पर एक क्षीण सी मुस्कान आ गई, जिसे उस मद्धिम रोशनी में न तो गैबी देख सकती थी और न ही माँ।

“क्या बात है, माँ? आप हमें बताइये न!” गैबी ने पूछा।

“बेटा, मैं तुम दोनों को... यहाँ से [माँ ने अपने स्तनों की तरफ इशारा किया] दूध पिलाना चाहती हूँ…” माँ ने सकुचाते हुए अपनी इच्छा जाहिर करी।

“माँ! क्या सच में?” गैबी ने बड़े उत्साह से कहा! अब तक उसकी नींद जा चुकी थी, और इस नए प्रस्ताव से वो उत्साहित थी! माँ ने उससे इस तरह की सकारात्मक प्रतिक्रिया उम्मीद नहीं की थी, इसलिए वो भी हैरान रह गईं। गैबी लगभग भाग कर, माँ के गले से लिपट गई। एक छोटे बच्चे की ही तरह उत्साह में आ कर गैबी ने कई बार माँ को चूम लिया, और बाल-हठ में उसके हाथ मेरी माँ के स्तनों पर चूमने लगे। प्रतिक्रिया में माँ के चूचक खड़े हो गए। इस समय गैबी बिलकुल छोटे बच्चों जैसा व्यवहार कर रही थी - उसको इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि हम दोनों ही मेरी माँ के सामने नंगे बैठे हैं!

उसने माँ के स्तनों को, उनके चूचकों के निकट दबाते हुए, जैसे कि इस उम्मीद में कि उनमे से दूध निकल आएगा, माँ से चहकते हुए पूछा, “माँ, क्या आपके स्तनों में दूध है?”

“नहीं बेटा, मुझे अब और दूध नहीं आता... कुछ साल हो गए हैं जब से इनमे दूध आना बंद हो गया है।”

“कोई बात नहीं, माँ!”

कह कर गैबी माँ का ब्लाउज खोलने लगी। वो ऐसे व्यवहार कर रही थी जैसे उसके पास माँ के स्तनों को छूने का लाइसेंस हो। गैबी के बच्चों जैसे व्यवहार पर माँ खुद को हंसने से नहीं रोक पाईं। उनको गैबी और उसकी माँ के बीच के प्रेम-विहीन संबंधों के बारे में पता था। मुझे अब भी संदेह होता है कि, शायद हमारे परिवार में गैबी का स्वागत करने और उसे स्वीकार किए जाने का एहसास कराने का, यह माँ का अपने ही तरह का तरीका था।

मुझे नहीं पता कि गैबी ने कपड़े बदलते समय, माँ को नग्न देखा था या नहीं, लेकिन वो फिलहाल माँ को उनके इस अद्भुत प्रस्ताव से पीछे हटने का कोई मौका नहीं देना चाहती थी। जल्द ही, माँ की ब्लाउज के बटन खुल गए, और उनका ब्लाउज उतर भी गया। माँ ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी... शायद डैड ने उतार दी होगी।

“माँ, आप हमारे बीच में जाइए - अमर आपके दाहिने ब्रेस्ट को पी सकता है, और मैं आपने बाएँ ब्रेस्ट को!” गैबी ने सुझाया।

मेरे सामने ही, मेरी ही माँ के प्रेम का बँटवारा हो गया!

मेरी माँ हमेशा से बहुत खूबसूरत रही हैं। उस समय उनकी उम्र केवल पैंतीस या छत्तीस साल की रही होगी! वह अभी भी बहुत जवान थीं, और उसके शरीर पर यह दिखता भी था। देखने में वो गैबी जैसी लगती थीं - अपनी उम्र से कम से कम दस साल छोटी - और, मेरी माँ जैसी कम! पिछली बार मैंने माँ के स्तन तब देखे थे, जब मैं अपनी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा लिख रहा था - कोई पाँच साल पहले। तब से अब तक, उनके स्तनों में कम से कम मुझे तो कोई बदलाव दिखाई नहीं दे रहा था। माँ तब भी देवी थीं, और आज भी देवी ही हैं। हम तीनों बिस्तर पर लेट गए। गैबी ने लेटते ही माँ से स्तनपान करना शुरू कर दिया। माँ ने गैबी के माथे पर एक छोटा सा, स्नेह भरा चुंबन दे दिया, और फिर मेरी तरफ उम्मीद में देखा। मैं उनकी तरफ देख रहा था... माँ के स्तनों की तरफ। माँ ने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे मुझसे जानना चाहती हों, कि कुछ गड़बड़ है क्या?

मैंने ‘न’ में सर हिलाया और भावुक होते हुए, बहुत धीरे से कहा, “माँ, आप मेरे लिए माँ अन्नपूर्णा हैं! आप मेरी जीवन शक्ति हैं!”

मैं माँ का चूचक अपने मुँह में लेकर थोड़ा भावुक हो गया... भावुक इसलिए क्योंकि मुझे अपनी माँ का अपने लिए सबसे शुद्ध रूप में प्यार मिले हुए लगभग पाँच साल हो गए थे। यह आश्चर्यजनक सी बात है कि एक ही क्रिया के लिए मेरी दो अलग-अलग और विपरीत प्रतिक्रियाएँ कैसे हुईं : जब मैंने गैबी के स्तनों, या काजल के स्तनों को चूसा, तो मुझे एक खम्भे जैसा कठोर स्तम्भन मिला, लेकिन अब जब मैं माँ के स्तन को चूस रहा था, तो स्तम्भन नदारद था…! माँ का प्रेम उनके स्तनों से सीधे मेरे शरीर में बह रहा था। मन में एक तीव्र इच्छा हुई कि काश, माँ का दूध, एक बार फिर से पीने को मिल जाता!

लेकिन दूध को तो नहीं आना था, इसलिए दूध नहीं आया। लेकिन मैं और गैबी महसूस कर सकते थे कि मेरी माँ के दिल से निकला प्यार, उनके स्तनों के माध्यम से हम में बह रहा है। गैबी और मैं भाग्यशाली थे कि हमको माँ का आशीर्वाद और स्नेह उसके शुद्धतम रूप में मिला। मैं कोमलता से चूस रहा था, लेकिन गैबी पूरे उत्साह से! वह कभी माँ के चूचक को चूसती, तो कभी चूमती, तो कभी मुँह में ही रखे रखे खींच लेती, तो कभी कभी काट भी लेती! लेकिन माँ ने उसकी किसी भी हरकत पर आपत्ति नहीं दिखाई, गैबी जो कुछ भी चाहती थी, उन्होंने उसको करने दिया। साथ ही साथ वो उसकी पीठ और सर को स्नेह से सहला भी रही थीं, और बीच बीच में उसके सर और माथे पर प्रेम और आश्वासन भरा चुंबन भी दे रही थीं। लगभग पाँच मिनट के बाद माँ ने कहा,

“बच्चों, मन भर गया? हम्म? अब मैं तुम दोनों को सोने के लिए छोड़ दूँ? जयपुर जाने के लिए हमें सवेरे जल्दी ही निकलना पड़ेगा!”

गैबी ने जैसे उनकी बात सुनी ही न हो - वो दूध पीना छोड़ कर झटके से उठी,

“माँ, आप मेरे लिए साक्षात् अन्नपूर्णा माता हैं! आपकी दया और आशीर्वाद के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद…”

माँ मुस्कुराई और बिस्तर से उठने लगी। गैबी ने कहा,

“माँ, मुझे नहीं पता कि आप मेरे बारे में क्या सोचेंगी... लेकिन मुझे यह करना ही है…”

“क्या करना है, बेटा?”

गैबी ने माँ के पेटीकोट की डोरी को पकड़ा, [जब माँ हमारे कमरे में आईं थीं, तो उन्होंने केवल पेटीकोट और ब्लाउज पहना हुआ था] और उसे खोल दिया।

“क्या तुम मुझे नंगा देखना चाहती हो, बेटा?”

गैबी ने ‘न’ में सर हिलाया, “नहीं माँ, मैं आपकी पूजा करना चाहती हूँ।”

माँ बहुत ही कोमल स्वाभाव की हैं। मुझे तो लगता है कि उनको लगता है कि हर कोई उनके जितना ही शुद्ध और कोमल स्वभाव है। जल्द ही माँ भी हमारी ही तरह पूरी तरह से नग्न हो गई। मैं इस अविश्वसनीय घटना का दर्शक था, जो मेरे सामने घट रही थी। मा पालथी मार कर बैठी थीं, और गैबी उसके सामने अपने घुटनों के बल बैठी थी, हाथ जोड़कर! माँ ने बड़े प्यार से गैबी के हाथों को अपने हाथों में ले कर चूमा। फिर उन्होंने उसके चेहरे को अपने हाथों से पकड़ा, और प्रेम से उसको अपने सीने में भींच लिया। माँ भी गैबी के इस तरह के प्रेम प्रदर्शन से भावुक हो गईं थीं। प्यार से अभिभूत हो कर माँ गैबी को छोटे बच्चों समान हर जगह चूमने लगीं। किसी और घर में देवी आई हों न नहीं, आज मेरे घर में तो देवी का वास था!

माँ ने जब गैबी को छोड़ा, तो वो फिर से माँ के सामने बैठ कर उनकी पूजा करने लगी। अपनी आँखें बंद कर और हाथ जोड़कर वो माँ के सामने झुक गई, कुछ इस तरह कि गैबी का सर माँ के पैरों पर नत था। उसने ऐसा तीन बार किया! चौथी बार गैबी थोड़ा आगे की तरफ झुक कर माँ के योनि को चूम ली।

“माँ, मेरी कैसी किस्मत होती, अगर मैंने यहीं से जन्म लिया होता!” उसने कहा।

मैं हैरान था। रचना ने भी कुछ साल पहले यही कहा था! आज गैबी जो कह रही थी, यह लगभग उसी बात की प्रतिध्वनि थी! माँ का खुद का भावनात्मक बांध टूट गया, और अब उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे।

“ओह बेटा! ओह बेटा! लेकिन मैं तुम्हारी माँ हूँ। मैं हूँ तुम्हारी माँ!”

माँ ने यह बार-बार दोहराया, और गैबी को अपने मातृत्व भरे आलिंगन में वापस भींच लिया। चंद मिनटों के इस भावनात्मक ज्वार के बाद, आखिरकार हम सभी शांत हो गए। मुझे माँ के साथ इस तरह फिर से जुड़ना बहुत अच्छा लगा, और हमें उम्मीद थी कि हम जल्द ही एक परिवार बन जाएंगे। खुद को शांत करते हुए माँ ने कहा,

“ठीक है बच्चों! अब मैं जा रही हूँ। तुम दोनों आराम करो... लेकिन सवेरे जल्दी उठ जाना। चलो, अब सो जाओ।” माँ ने कहा, फिर उन्होंने मेरा और गैबी का माथा चूमा, और कमरे से निकलते हुए, अपने पीछे कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।


***


हमारी परिवार की छुट्टी [वेकेशन] काफी समय से लंबित थी। या तो मेरे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के कारण हम कहीं घूमने नहीं जा पाए, या फिर घर के निर्माण और / या जीर्णोद्धार के कारण। आज इतने लम्बे अर्से के बाद मौका मिला था कहीं घूमने जाने का! इसलिए यह बहुत अच्छा था कि इस बार गैबी भी हम तीनों के साथ थी। इस बार हमा एक सप्ताह लम्बी सड़क यात्रा के लिए राजस्थान जा रहे थे। राजस्थान भारत देश के सबसे रंगीन और रोमांचक स्थानों में से एक है। अभी तक हमारे घर में गाड़ी नहीं आ पाई थी, लेकिन मैंने नौकरी मिलते ही सबसे पहले एक कार खरीदी - तो इस बार की यात्रा हम मेरी कार में करने वाले थे। कार में मेरे बगल या तो डैड बैठते, या गैबी। माँ पूरा समय पीछे ही बैठीं। उनको न जाने क्यों सामने बैठने डर लगता है। सबसे पहले हम घर से सीधा जयपुर गए, और वहाँ कुछ खरीदारी की, वहाँ से हम रणथंभौर नेशनल पार्क गए, और दो सफारी ली। यह पहली बार था जब गैबी ने - और हमने भी - बाघों और तेंदुओं को जंगल में देखा था! हम सभी इस अनोखे अनुभव से बहुत खुश थे! जंगल में बाघों को देखना बहुत रोमांचकारी अनुभव होता है। उसके बाद, हम दिवाली के बाद का मेला मनाने के लिए पुष्कर गए, और अंत में जोधपुर गए, और वहाँ भी जमकर खरीदारी हुई। और अंत में, हम वापस लौट आए। परिवार के साथ रहना और साथ में इतना क्वालिटी टाइम बिताना बहुत मजेदार था।

जैसा कि अपेक्षित था, हमारी यात्रा के दौरान, हमारी चर्चा का मुख्य विषय गैबी और मेरी शादी का था। होने वाले विवाह के उत्साह में, माँ और डैड ने गैबी के लिए राजस्थान से दुल्हन वाले कपड़े खरीद लिए। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि गैबी और मेरे माता-पिता इतने कम समय में इतने करीब आ गए थे। एक पल के लिए भी नहीं लगा कि वह किसी विदेशी देश की रहने वाली है, या वो उनसे केवल दो बार मिली है। वो हम सबके ही बहुत करीब आ गई थी। ख़ैर, जब हम इस लंबी यात्रा लौटे तो हम बेहद थके हुए थे। अगले दिन हमारी छुट्टी का अंत था - मुझे अपने ऑफिस को वापस ज्वाइन करना था, गैबी को उसका विश्वविद्यालय, और माँ और डैड को अपने घर!

गैबी और मैं, हम दोनों ही माँ और डैड को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन गए। माँ और डैड दोनों ने गैबी को बड़े प्यार से चूमा, और जल्दी ही मिलने का वायदा लिया। उनके लिए गैबी अब से हमारे परिवार की सदस्य थी, और वो भी माँ और डैड द्वारा परिवार में स्वीकार किए जाने पर बेहद खुश थी। इस तरह से स्वीकार किया जाना, और वह भी बिना किसी ढोंग या दिखावे के, गैबी को बहुत अच्छा लगा। इतने दिनों के बाद उसको वो पारिवारिक आत्मीयता मिली थी, जिसकी वो वर्षों से खोज कर रही थी। अब तो हम ही उसका परिवार थे, और वो यह बात जानती भी थी, और मानती भी थी।

जब हम माँ और डैड को छोड़ कर घर लौटे तो देखा कि काजल दरवाज़े पर हमारा इंतजार कर रही थी। उसने माँ और डैड से मिलने का मौका गंवाने का अफसोस किया [काजल भी दिवाली के लिए छुट्टी पर गई हुई थी]। मैंने उसको माँ द्वारा उसके लिए लाया गया उपहार थमाया - काजल के लिए एक बनारसी रेशम की साड़ी, और सुनील और लतिका के लिए नए कपड़े और खिलौने! उसने थोड़ा दिखावा किया कि इन सब चीज़ों की क्या ज़रुरत थी; लेकिन अपने और अपने परिवार लिए वो तमाम उपहार देख कर वो भी खुश दिख रही थी। वैसे भी, माँ और डैड ने उसके लिए वो सब त्यौहार के आशीर्वाद के रूप में लाया था। ख़ैर, उसने अपना काम करना शुरू कर दिया… और हम भी अपने अपने काम में व्यस्त हो गए। कुछ ही दिनों में हम सभी अपने पुराने ढर्रे पर लौट आए - और अपने अपने काम में व्यस्त हो गए। लेकिन गैबी से शादी करने की सारी बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं। मुझे विश्वास है, कि गैबी भी इन सब से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी।


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इतने लम्बे लम्बे अपडेट लिखने में समय क्यों खपाना, जब किसी से एक लाइन कमेंट नहीं लिखे जा सकते।
कहानी बंद अब। 😡
 
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Mink

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Bahut hi khubsurat update tha bro ❤️👍 diwali ki raat bahut hi happening rahi aur amar aur gaaby ke liye apne pyar aur samrpan dikhane ki raat rahi fir gaaby ki amar ki maa ko puja karna bahut hi accha drishya tha....
 
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The_Punisher

Death is wisest of all in labyrinth of darkness
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