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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #7


डेवी की सात दिनों की छुट्टियाँ कल ख़तम होने वाली थीं। कल - मतलब, रविवार! परसों से वो और मैं फिर से ऑफ़िस ज्वाइन करने वाले थे। क्रिसमस के दिन से आज तक ग्यारह दिन हो गए थे, और इस बीच मैं और डेवी एक दूसरे से बहुत करीब आ गए थे। अब हमारे बीच एक अलग ही तरह का कम्फर्ट था - जैसा कि पति पत्नी के बीच होता है। हमारे आगे आने वाले जीवन की परिकल्पना और सपने हमने इतने दिनों में साथ साथ बनाए और देखे! मैंने डेवी से कहा कि मेरे माँ बाप उससे मिलना चाहते हैं - यह बात सुन कर वो खुश भी बहुत हुई और घबरा भी बहुत गई। मेरी बात पर उसने भी मुझसे कहा, कि एक दिन मुझे भी उसके डैडी और दीदी से मिलने आना होगा - उसका हाथ माँगने को। बात तो सही थी - मेरे माँ बाप उससे मिलें, उसके पहले मुझे डेवी के परिवार वालों से मिलना होगा, और डेवी का हाथ माँगना होगा। वो एक गंभीर बात थी, और उसके लिए कुछ तैयारी की आवश्यकता थी। खैर, वो दिन जब आएगा तब आएगा! आज रविवार था तो मैं घर पर ही था। देर से सो कर उठना, और फिर बाकी की दिनचर्या - यही काम था!

बेशक इसी कारण से आज मैंने पहले नाश्ता किया, और फिर बड़े आराम से, थोड़ा देर से नहाने गया। अपना स्नान समाप्त करने के बाद, मैं अपने शरीर को पोंछ ही रहा था कि मुझे लगा कि मैंने ड्राइंग रूम में कुछ आहट सुनी। यह आहट किसी व्यक्ति की थी। मैंने आहट सुनी, और मुझे तुरंत समझ में आ गया कि मैं घर में अकेला नहीं था, और शायद घर में कोई चोर घुस आया था! उस समय घरों में चोरियाँ बहुत होती थीं। मैंने खुद को चोर से मुठभेड़ के लिए मानसिक रूप से तैयार किया और दबे पाँव बाथरूम से बाहर निकला। और कोई हथियार उपलब्ध नहीं था, इसलिए मैंने बाथरूम के दरवाज़े से सटे वाइपर को उठा लिया। किसी चोर बदमाश टाइप के व्यक्ति से निपटने के लिए खाली हाथ रहने के मुकाबले हाथ में कोई हथियार होना हमेशा ही बेहतर होता है। मुझे आहट ड्राइंग रूम से आई थी; लिहाज़ा, मैं दबे पाँव ड्राइंग रूम तक पहुँचा और सावधानी से अंदर झाँका।

देखा कि डेवी आराम से सोफ़े पर बैठी कोई मैगज़ीन पढ़ रही थी - उसको देख कर मुझे हैरानी भी हुई, और राहत भी! फिर याद आया कि डेवी के पास घर की चाबियाँ हैं; इसलिए उसका यहाँ यूँ घर चले आना, और वहाँ आराम से बैठना ऐसी कोई अनहोनी नहीं है।

“डेवी!” उसको देख कर मैं लगभग चिल्लाया, “व्हाट अ प्लीजेंट सरप्राइस!” चौंक तो मैं भी गया था - लेकिन चोर की जगह डेवी को देख कर चैन की साँस आई, “बहुत देर से बैठी हो क्या?”

डेवी ने एक ग्रे रंग की कॉरडरॉय स्कर्ट और एक सफेद शर्ट जैसा टॉप पहना हुआ था (शर्ट में बटन और पूरी आस्तीन थी)!

“हेल्लो!” डेवी ने कहा - शायद वो भी मेरी ऊँची आवाज़ से चौंक गई थी। उसने जो मैगज़ीन वो पढ़ रही थी, उसको अलग रखा और मेरी तरफ़ देखा। उसने आगे और कुछ नहीं कहा।

यह अनोखी बात थी - अक्सर डेवी ही देर तक मुझसे बातें करती; लेकिन इस समय वो पूरी तरह चुप बैठी थी। संभव है कि जिस तरह से मैं ड्राइंग रूम में आया था, और ऊँची आवाज़ में उसका नाम लिया था, उससे वो चौंक गई थी। लेकिन शायद एक और भी कारण था! जैसा कि मैंने आपको बहुत पहले से बता रखा है, जब बात शारीरिक फिटनेस की हो, तो मैं एक लम्बे अर्से से उस दिशा में बहुत सीरियस रहा हूँ। नियमित व्यायाम और नियंत्रित आहार के कारण मेरा शरीर मज़बूत, तराशा हुआ, और माँसल (muscular) हो गया था, और अब और भी बढ़िया और फिट दिखता था। इस समय मैंने केवल अपनी कमर पर तौलिया बाँधा हुआ था, इसलिए मेरा शरीर पूर्णरूपेण प्रदर्शित हो रहा था। और अब डेवी बस मुझे ही देख रही थी। जो तौलिया मैंने बाँधा हुआ था, वो आकार में बहुत छोटा था - कमर के गिर्द उसका केवल एक ही घेरा बन सका, और उसकी लंबाई घुटने से काफी ऊपर ही समाप्त हो गई थी! देखने में ये लड़कियों की मिनी रैप (wrap) स्कर्ट के जैसे दिख रहा था। हाँलाकि मेरा लिंग उस समय तक स्तंभित नहीं हुआ था, लेकिन उसमें इतना रक्त संचार अवश्य हो रहा था कि वो तौलिए के कपड़े को सामने की तरफ़ और उभार दे।

डेवी को मालूम था कि मेरा शरीर गठा हुआ और मजबूत है, लेकिन मुझे इस तरह से नग्न वो आज पहली बार देख रही थी! और मुझे इस तरह देख कर वो थोड़ा उद्विग्न और घबराई हुई दिख रही थी। मैंने देखा कि वो क्या देख रही थी, तो मैंने उसको थोड़ा चिढ़ाने का फैसला किया,

डू यू लाइक व्हाट यू सी?” मैंने पूछ लिया।

“हम्म मम्म…” डेवी के कहने का अंदाज़ ऐसा था कि जैसे उस पर कोई मोहिनी डाल दी गई हो, फिर वो अचानक ही अपनी तन्द्रा से निकली और घबराई हुई हँसी, “... आई ऍम सॉरी, अमर! मुझे आने से पहले फोन कर लेना चाहिए था!”

“व्हाट नॉनसेंस! ये तुम्हारा घर है, हनी! अपने घर कोई फ़ोन कर के आता है क्या? और सबसे ज़रूरी बात - तुमको किसी भी चीज़ के लिए, किसी भी बात के लिए कभी सॉरी नहीं बोलना है।”

मैंने कुछ इस तरह से अपनी बात कही, कि डेवी कुछ समय के लिए उस विचार में डूब गई।

“कम, नाउ लेट मी किस यू...” मैंने कहा, और डेवी के सामने झुक कर, उसके होठों पर एक छोटा सा चुम्बन दिया।

“... उम्म्म्म... यार ऐसे मज़ा नहीं आता! आओ, इस वाले सोफ़े पर बैठें।”

यह कहकर मैंने डेवी का हाथ पकड़ लिया, और उसे बड़े वाले सोफे पर बैठाने के लिए लगभग खींच लिया। अचानक से ही मेरे दिल में मुझे लगने लगा कि आज मैं डेवी के साथ संसर्ग करूँगा, और उसके साथ देर तक, भावनात्मक और आवेशपूर्ण सम्भोग करूँगा। यह ख़याल आते ही मेरा लिंग सख्त होने लगा। लेकिन फिलहाल डेवी को उस बारे में कुछ पता नहीं था। मैं उसके बगल ही बैठ गया और उसकी कमर को थाम कर मुस्कुराने लगा। डेवी कोई मूर्ख लड़की नहीं थी - उसको भी समझ में आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है! उस विचार के आते ही उसकी साँसें तेज हो गईं। मैंने डेवी के होंठों को चूमा - पहले तो धीरे से, कोमलता से, लेकिन फिर बड़ी चुम्बनों की गहराई बढ़ने लगी, और उनका जोश, और उनकी आक्रामकता भी! और ऐसा नहीं था कि यह कोई एकतरफ़ा चुम्बन था। डेवी भी मेरे ही जैसे, ताल में ताल मिलाते हुए मेरे चुम्बनों का उत्तर दे रही थी। एक समय तो उसने मेरे होंठों को इस तरह चूसा कि मुझे डर लग गया कि कहीं होंठों से खून न निकल जाए! अचानक ही कमरे में एक कामुक माहौल बन गया। हमने किसी तरह अपना चुम्बन तोड़ा और खुद को थोड़ा संयत करने के लिए गहरी साँसें लीं। फिर मैंने कहा,

हनी, हाउ आर माय टू फेवरेट टीटीस इन द व्होल वाइड वर्ल्ड (प्रिय, पूरी दुनिया में मेरे सबसे पसंदीदा दोनों स्तन कैसे हैं)?”

“आप खुद ही क्यों नहीं देख लेते?” डेवी ने मुस्कुराते हुए कहा! लेकिन उसकी आवाज़ में कामुक कर्कशता साफ़ सुनाई दे रही थी।

कहने की क्या ज़रुरत थी - डेवी के स्तनों को प्यार करना मेरा पिछले कुछ दिनों में सबसे पसंदीदा काम हो गया था। मैंने उसकी शर्ट / ब्लाउज के बटनों को खोलना शुरू कर दिया, और उसको उसके शरीर से अलग कर दिया। किसी लड़की के कपड़े उतारने में जितना समय लगता है, उससे भी अधिक ‘मानसिक’ समय लगता है - अगर प्रेम से उतारा जाए तो! आज डेवी ने एक कैमिसोल (शमीज़) भी पहनी हुई थी - उसके दो कारण थे, एक तो यह कि ठण्डक थी, और दूसरा यह कि उसकी ब्लाउज थोड़ी पारदर्शी थी। उसने आते समय शायद जैकेट भी पहनी हुई थी, जो इस समय दिख नहीं रही थी। संभव है कि उसने उसको कोट हेंगर में डाल दिया था। कैमिसोल देख कर एक ही ख़याल आया,

‘अरे यार, एक और कपड़ा उतारना पड़ेगा!’

मैंने उसे चूमा - बस इतना ही जैसे मेरे होंठ उसके होठों पर कोमलता से स्पर्श करने लगें। मुझे अपने चेहरे पर डेवी उसकी साँस महसूस हो रही थी। मैंने जैसे ही उसकी कैमिसोल के अंदर हाथ डाल कर उसकी चिकनी, गर्म त्वचा पर, ऊपर की ओर अपना हाथ बढ़ाया, डेवी ने एक तेज़, गहरी साँस भरी - अवश्य ही मेरा हाथ उसको ठंडा लगा होगा। खैर, जब मेरा हाथ उसके ब्रा से ढँके स्तनों पर पहुँचा तो उसकी साँस भी निकल गई। मैंने उसके स्तन को अपनी हथेली में भर कर हल्का सा दबाया।

शायद डेवी भी इस परिचित हो चली क्रिया में अपना सहयोग देना चाहती थी, इसलिए उसने भी अपने हाथ ऊपर की तरफ़ सीधे उठा कर, और शरीर को हिला डुला कर अपनी शमीज़ उतरवाने में मेरी मदद करी। दरअसल, एक तरीके से अपनी शमीज़ उसी ने उतारी। अब उसके ब्रा से ढँके स्तन मेरे सामने उजागर थे। उसकी ब्रा भी बड़ी बढ़िया थी - लैवेंडर रंग की, लेस वाली ब्रा! लेस वाली तो थी, लेकिन पारदर्शी नहीं - लेस से केवल पैटर्न बने हुए थे। उसमें सामने की तरफ़ क्लास्प (हुक) लगे हुए थे। जब क्लास्प को खोलने के लिए उसने अपना हाथ अपने स्तनों के बीच लाया तो मैंने उसे रोक दिया।

“वस्त्र-हरण मुझे करने दो, जानेमन!” मैंने शरारत से कहा!

वो मुस्कुराई। मैंने काफ़ी झुकते हुए उसकी नाभि, और उसके पेट को चूमना शुरू कर दिया... डेवी की त्वचा मेरे होठों के स्पर्श पर रेशम जैसी महसूस हो रही थी! वैसे ही चूमते हुए मैंने उसकी ब्रा की तरफ़ हाथ बढ़ाया और उसका क्लास्प पकड़ा। यह एक महत्वपूर्ण समय था - मैं डेवी के स्तनों से खूब खेला था, लेकिन अभी तक उसको देखा नहीं था। एक दो बार कोशिश ज़रूर की - लेकिन डेवी की आँखों में वो कातर अनुरोध देख कर मैंने खुद को रोक लिया। लेकिन आज माहौल अलग था। वो अनकहा पर्दा जो हमारे बीच में था, अब हटने वाला था। मेरी धड़कनें तेज हो गईं... बस... मैं डेवी को देखने वाला था... पहली बार! मैं रुका, और डेवी की आँखों को देखते हुए मुस्कुराया, और उसके होठों को अपने होंठों से सहलाया। डेवी भी शरमा कर मुस्कुरा दी! ओह, मैं कैसे बताऊँ कि उसका इस तरह से मुस्कुराना कितना क्यूट था!

ब्रा का क्लास्प खुल गया और एक छोटी सी हरकत से डेवी की ब्रा उसके शरीर से अलग हो गई। मेहनत का फल देखने का समय आ गया था - मैंने नीचे की तरफ़ देखा।

‘आह भगवान्!’

अपने गौरवशाली यौवन की महिमा में शोभायमान दो उन्नत टीलों जैसे उसके स्तन! जैसी मैंने परिकल्पना की थी, ये उससे अलग, उससे कहीं अधिक सुन्दर थे। डेवी के स्तन दृढ़ और मुलायम - दोनों एक साथ थे; साथ ही साथ वे चुस्त और गोल भी थे। स्तन तो स्तन, डेवी का शरीर भी जितना मैंने सोचा था उससे कहीं अधिक सुन्दर और तराशा हुआ था। लेकिन फिलहाल मैं उसके स्तनों का महिमामंडन तो कर लूँ - ऐसा लग रहा था कि डेवी के स्तन, मैंने अपने जीवन में जितने देखे थे, उनमें से सबसे अधिक अद्भुत और सुंदर स्तन थे! उसके स्तन - अगर किसी फल से उनकी तुलना करें, तो ग्रेपफ्रूट जैसा आकार सटीक बैठेगा! उनकी त्वचा, डेवी के शरीर की बाकी त्वचा के ही सामान दोषरहित थी। नीली नसों का एक जाल सा बमुश्किल दिखाई दे रहा था! और प्रत्येक गोलार्द्ध के ऊपर स्वादिष्ट से दिखने वाले जंगली स्ट्रॉबेरी रंग के चूचक सुशोभित थे, जो कि उसी से मिलते जुलते, लेकिन थोड़े हलके रंग के कोई डेढ़ इंच के एरोला से घिरे हुए थे। सच कहूँ - एक स्वस्थ, युवा, और सुंदर भारतीय महिला के स्तन सबसे आश्चर्यजनक अंग होते हैं - कम से कम मेरे लिए तो हैं! भारतीय लड़कियों की सुंदरता का कोई सानी नहीं है! डेवी के स्तन देखने से ही बड़े कोमल, नाज़ुक और कीमती से लग रहे थे! बस, ‘हैंडल विद केयर’ वाला लेबल चस्पा करना बाकी रह गया था!

मेरा अनुमान है कि सभी पुरुषों (कम से कम इतरलिंगी) में महिलाओं के स्तनों के प्रति एक सहज आकर्षण होता है - जब भी हम उन्हें देखते हैं, तो हम तुरंत ही उन्हें अपने मुँह में लेना चाहते हैं। जैसे कि वो हमारे मुंह में ही सुरक्षित होंगे! शायद यह वृत्ति आई है हमारे मनाव शरीर से हमारी प्रथम पहचान से - कोई बच्चा सबसे पहले अपनी माँ के स्तनों से ही परिचय करता है; माँ का चेहरा बाद में समझता है, लेकिन माँ के स्तन पहले समझता है! उस समय तक मेरे जिस्म में इतना जोश चढ़ चुका था कि जैसे ही मैंने डेवी के एक चूचक को चूमा तो मैं ही काँप उठा!

“खूबसूरत! बहुत बहुत खूबसूरत!” मैं दूसरे चूचक को चूमने से पहले बुदबुदाया, “परफेक्ट!”

मैं डेवी के स्तनों की सुंदरता में इतना डूबा हुआ था कि मुझे मालूम नहीं कि डेवी ने मेरी बात पर कैसी प्रतिक्रिया दी! मुझे मालूम था कि मेरा लिंग इतना उत्तेजित हो गया था कि अब बिना स्खलन के शांत नहीं होने वाला था!

अंततः, मैंने उसके एक शानदार स्तन को पकड़ा!

‘ओह! मुलायम, लेकिन दृढ़! और अविश्वसनीय रूप से सेक्सी!’

जहाँ मैं पकड़ता, वहाँ उसका स्तन दब जाता। सभी का होता है, लेकिन डेवी के स्तन में कोई तो ख़ास बात थी! जैसा हसीन लचीलापन था, उसको शब्दों में कह पाना कठिन है! मेरी छेड़खानी से दोनों स्तनों के चूचक खड़े हो गए थे, और मेरी हथेलियों में चुभ रहे थे। डेवी कराह उठी - कामुक कराह! उसके हाथ ने मेरे हाथ को ढँक दिया - कुछ ऐसे कि मेरी हथेली का दबाव उसके स्तन पर और बढ़ गया। एक स्तन पर तो मेरा हाथ व्यस्त था, लिहाज़ा दूसरे स्तन को मेरे मुँह के अंदर पनाह मिल गई। मैंने उसके दूसरे स्तन के चूचक को एरोला समेत अपने मुँह में भर लिया और उसके चूचक को अपनी जीभ से छेड़ा। डेवी की सिसकी मुझे साफ़ सुनाई दी। डेवी ने अपने दूसरे हाथ ने मेरे सर के पिछले हिस्से को अपने स्तन की तरफ़ दबाया और एक आरामदायक कराह छोड़ी। उसकी यह हरकत कितनी उत्तेजित करने वाली थी! स्पष्ट था कि डेवी खुद भी कामुक ढलान की दहलीज़ पर खड़ी हुई थी। एक हल्का सा धक्का, और हमारा परम आनंद के समुद्र में डूबना तय था! मेरा दिल भी लरज रहा था - यह वही परिचित भावना थी, जो मैं सम्भोग से पूर्व महसूस करता था।

एक तो डेवी के चूचक स्वयं जंगली स्ट्राबेरी वाले रंग के थे, और ऊपर से उसने फलों की महक वाली वाली बॉडी-मिस्ट लगा रखी थी, जिसकी महक से मेरी खुद की मादकता बढ़ती जा रही थी। डेवी इस समय स्वयं रति का अवतार बन गई थी। मैंने उसके चूचक को अपनी जीभ से छेड़ा, और फिर चूसा! धीरे धीरे चूसने की तीव्रता बढ़ने लगी - मैं रह रह कर उसके चूचक को अपने दाँतों से हलके हलके कुतर भी देता! सच में, अद्भुत और सुखद अनुभव! देवयानी का खुशी में किलकारी ले कर कराहना और मुझको अधिक से अधिक अपनी बाहों में समेट लेना स्पष्ट संकेत था कि मैं जो कुछ भी कर रहा था, उससे डेवी को बहुत खुशी मिल रही थी। इधर, मेरा खुद का शरीर कामोत्तेजना के मारे काँप रहा था - मेरी माँस-पेशियाँ तनी हुई थीं और मेरा स्तंभित लिंग दिल की हर धड़कन के साथ झटके ले रहा था। डेवी के लिए मेरी पाशविक इच्छा मेरे मष्तिष्क पर अब हावी हो चुकी थी। जब मैंने स्तन को पीना छोड़ कर डेवी को देखा, तो पाया कि डेवी भी मेरी आँखों में देखती हुई मुस्करा रही थी!
 

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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #8


मैं भी उसे देखकर मुस्कुराया।

“मेरी जान! ये इतने सुंदर हैं! तुम्हे कोई आईडिया भी है?” मैंने उससे कहा; साथ ही मैं उनको सहला भी रहा था।

समय आ गया था कि अब डेवी के पूरे शरीर की वैसी ही पूजा की जाए जिसकी वो हक़दार थी!

मेरे प्रश्न के उत्तर में उसने ‘न’ में सर हिलाया, मुस्कुराई और मुझे चूमने के लिए थोड़ा झुकी!

‘ओह! कैसी अदा!’

हमारे होंठ फिर से चुम्बन के बंधन में बंध गए - कोमल से, प्यार भरे, हलके हलके, मीठे मीठे चुम्बनों में! कुछ अनोखी बात तो थी! हम दोनों के ही होंठ लरज़ रहे थे, लेकिन प्रेम की इच्छा ऐसी बलवती थी कि चुम्बन लिए बिना रहा भी नहीं जा रहा था। डेवी बड़े प्यार से अपना हाथ मेरे सर के पीछे सहलाते हुए पकड़े थी। प्रेम, कामुकता, और ममता का कैसा मिला-जुला अनुभव! मैं उसके शरीर में कम्पन महसूस कर सकता था, और मुझे पता था कि वो भी मेरे शरीर के कम्पन को महसूस कर पा रही थी। हम कुछ देर तक यूँ ही प्रेम में मगन हो कर चुपचाप चुम्बन करते रहे! ऐसा मीठा चुम्बन था जिसे पूरे दिन भर किया जा सकता था। उधर डेवी के दोनों चूचक अब पूरी तरह से खड़े हो गए थे। चुम्बनों के आदान प्रदान में हम दोनों उस सोफ़े पर अधलेटी अवस्था में हो गए थे। डेवी नीचे और मैं पूरी तरह से ऊपर तो नहीं, लेकिन थोड़ा अधिक उपयोगी पोजीशन में! मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी कमर पर उसकी स्कर्ट के बंधन को टटोला। समझ में आया कि उसकी स्कर्ट बटन वाली है - लिहाज़ा मैंने उसके बटन को उसके काज से निकाल दिया। अब ये कमर पर मुक्त हो गई थी। उसके नीचे कोई छः इंच की ज़िपर थी, जिसको मैंने नीचे की तरफ़ सरका दिया। कमरे में बहुत सन्नाटा था - इसलिए ज़िपर खुलने की आवाज़ साफ़ सुनाई दी!

आज से पहले डेवी ने मुझे कभी भी अपने स्तनों को रौशनी में देखने नहीं दिया। लेकिन अब मैं उसकी स्कर्ट उतारने वाला था। शायद उसके स्तनों का नग्न प्रदर्शन हमारी अंतरंगता का आखिरी व्यवधान था। एक बार वो हो गया, तो अब सब कुछ संभव था। हाँलाकि मैं अपनी उत्तेजना के शिखर पर था, लेकिन मुझे नहीं मालूम कि डेवी को मेरी उत्तेजना महसूस हो रही थी कि नहीं! मेरा शरीर स्पष्ट रूप से उत्तेजना के लक्षण दिखा रहा था। जो तौलिया मैंने अपनी कमर पर बाँधा हुआ था, उसका बंधन मैं काफी देर से महसूस नहीं कर रहा था। मतलब वो कब का खुल चुका था। फिलहाल मुझे अपने लिंग पर कमरे की ठण्डक का एहसास हो रहा था। जाहिर सी बात है, डेवी ने मेरे उत्तेजित लिंग को देखा तो होगा ही! वैसे ये कोई पहली बार नहीं था। उसने आज से पहले भी मेरे लिंग को कई बार देखा था। लेकिन आज का अंदाज़ अलग था!

मैंने उसकी स्कर्ट नीचे खींचनी शुरू की। मैं उसे चूम रहा था, लेकिन वो अच्छी तरह समझ रही थी कि मैं क्या चाहता हूँ! जब स्कर्ट उतर रहा हो, तब शंका के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता। डेवी ने अपने कूल्हों को ऊपर उठाया और मुझे उसकी स्कर्ट उतारने में मदद करी। जब स्कर्ट काफी नीचे उतर गई, तो डेवी ने अपने पैरों झकझोर कर उसको हवा में उछाल दिया। वो थोड़ा दूर जा कर फर्श पर गिर गई। हमारा चुम्बन तेज और आवेश युक्त हो गया - मैंने डेवी को इस तरह से नग्न पहले कभी नहीं देखा था। मेरा हाथ उसके शरीर पर फिसलते हुए उसकी पैंटी पर आ गया, और उसकी योनि के पहले, उसके मॉन्स के स्वस्थ और सपाट आकार पर आ कर जम गया! पैंटी के ऊपर से मैं डेवी के पशम को महसूस कर सकता था। मैंने हाथ थोड़ा सा और आगे बढ़ाया। डेवी के योनि के होंठ उसकी पैंटी से उभर गए थे और मैं अंदाज़ा लगा सकता था कि उसके पैरों के बीच एक परिपक्व योनि है! मैं उसकी योनि के होंठों को सहलाते सहलाते उसके भगशेफ की कली को महसूस कर रहा था! अब मन में यह कल्पना चल रही थी कि डेवी की योनि कैसी होगी! बस कुछ ही क्षणों में मुझे मालूम होने वाला था, लेकिन भी! इस कामुक विचार से मेरे शरीर में उत्तेजना की एक और लहर दौड़ गई।

अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता था। जब हमने अपना चुम्बन तोड़ा तो मैंने देखा कि डेवी का निचला होंठ थोड़ा सूज गया था। मैं यह देख कर मुस्कुराया। आज तो डेवी के घर में हमारी करतूत मालूम पड़ जाएगी! डेवी भी मुझ पर मुस्कुराई; उसकी मुस्कान अभी भी शर्मीली थी। अवश्य ही डेवी बत्तीस साल की हो गई थी, लेकिन उसके शरीर की कसावट उसकी उम्र से कहीं कम उम्र की लड़कियों जैसी थी। सच में - उसका युवा शरीर बेहद प्रशंसनीय था! अब कहीं जा कर मैंने उसकी पैंटी देखी - लैवेंडर रंग की, लेस वाली, लो-राइज पैंटी थी! उसकी ब्रा से मिलता जुलता सेट! छूने पर उसकी पैंटी बड़ी कोमल और रेशमी सी महसूस हुई। लगता है कि पहनने वाली को भी ये अधोवस्त्र पहन कर सेक्सी महसूस होता! पैंटी के अंदर से उसकी योनि का उत्तेजित उभार मुझे दिखाई दे रहा था - सामान्यतः ऐसा न दिखता, लेकिन डेवी के मॉन्स इस समय आकर्षक रूप से सूज गए थे। मन तो बहुत हो रहा था कि डेवी को पूरी तरह से नग्न कर दूँ, लेकिन मैंने उस इच्छा पर लगाम कसी, और पैंटी के अंदर ही, बढ़ते उत्साह के साथ अपनी उँगलियाँ सरका दीं। उँगलियों का आज पहली बार डेवी के योनि-मुख से परिचय हुआ। मैंने उसके मॉन्स को टटोला, फिर उसके पशम की रेशमी कोमलता को महसूस किया। कुछ महिलाओं में पशम घने, और कड़े हो सकते हैं। लेकिन डेवी के पशम विरल, कोमल और नरम महसूस हुए! स्वयं पर और नियंत्रण कर पाना अब और मुश्किल होता जा रहा था। मैंने पैंटी के अंदर ही अपना हाथ ऊपर उठाया - पैंटी के कमर की इलास्टिक ऊपर की तरफ खिंच गई। मैंने उस झरोखे के अंदर झाँका।

‘ओह प्रभु! कैसा दिव्य दृश्य था! लेकिन फिर भी अधूरा!’

डेवी की योनि के उस क्षणिक दर्शन से मेरा दिल और तेजी से धड़कने लगा। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं, और स्वयं को आश्चर्यचकित करते हुए, अपना गाल उसकी छाती से सटा कर मैं डेवी के ऊपर ही लेट गया। कान में डेवी के दिल की बढ़ी हुई धड़कनों का नाद किसी संगीत से कम नहीं था! डेवी का हाथ मेरे बालों में प्रेम से समां गया। मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी से निकाल लिया और उसके नितम्ब को सहलाया। मेरे लिंग का उत्तेजन किंचित मात्र भी कम नहीं हुआ था, और वो पहले की ही भाँति कठोर था। मुझे स्वयं पर नियन्त्रण रखने की आवश्यकता थी - यह सब बहुत अधिक कामुक प्रोत्साहन था; बहुत अधिक उत्तेजना थी! मुझे जल्दबाज़ी नहीं करनी थी, अन्यथा यह अद्भुत अनुभव बर्बाद हो जाता!

डेवी के सीने पर कान और गाल लगाए हुए मैं महसूस कर सकता था कि उसके सीने के अंदर एक आह थी, जो बाहर नहीं आ पा रही थी। डेवी शायद अभी भी हैरान थी, कि उसके साथ यह क्या हो रहा था। हालाँकि उसने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया था कि हमारा समागम तय है, लेकिन फिर भी उसके दिल में एक डर सा बैठा हुआ था... लेकिन, उसके बावज़ूद, वो हमारे समागम को रोकने के लिए बहुत शक्तिहीन थी। यह होने वाला था - यह बात वो लंबे समय से जानती थी। कब और कैसे होने वाला था, यह और बात है! लेकिन आज, जब यह सब हो रहा था, वो वो अपने मन में भावनात्मक उथल पुथल महसूस कर रही थी! वो अनिश्चित सी थी - उसे क्या करना चाहिए; कैसा महसूस करना चाहिए! कुछ देर के बाद वो मेरी होने वाली थी! पूरी तरह से! इस तथ्य को आत्मसात करना बहुत मुश्किल था। मुझसे पहले उसने केवल एक और बार सेक्स किया था - वो अनुभव इतना दर्दनाक और गन्दा था, कि अब वो फिर से उस अनुभव को दोहराना नहीं चाहती थी। लेकिन अभी तक मैंने जो कुछ भी किया था, वो उस अनुभव से इतना भिन्न था, कि उसको यकीन नहीं हो रहा था कि उसका शरीर इस तरह का संगीत महसूस कर सकता है।

मैंने फिर से उसकी योनि को हल्के से छुआ - डेवी उत्तेजना से कराह उठी! अगर डेवी अभी तक तैयार नहीं हुई थी, तो उसको तैयार करना मेरी ज़िम्मेदारी थी। मैंने फिर से उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया - उसके चूचक पहले से ही सख्त हो रखे थे, लेकिन मेरे मुँह के अंदर आ कर वो और भी सख्त हो गए।

हर स्त्री अलग अलग तरीके से अपनी उत्तेजना के शिखर तक पहुँचती है, और उसको अनुभव करने का अंदाज़ भी हर स्त्री का अलग अलग ही होता है। मुझे मालूम नहीं था कि कोई स्त्री बिना किसी संकेत के भी रति निष्पत्ति प्राप्त कर सकती है। डेवी कुछ देर पहले ही आज का पहला ओर्गास्म प्राप्त कर चुकी थी! शायद उसको भी इस बात से आश्चर्य हुआ हो! यह अच्छी बात थी।

हमारे पहले सम्भोग के अनुभव के बारे में अपने विचार डेवी ने बाद में मुझे बताए - उसने एक शब्द का इस्तेमाल किया था, और वो था, ‘परफेक्शन’! मुझे भी अपने प्रयासों में इसी लक्ष्य को पाना था।

ओर्गास्म के बाद भी डेवी उत्तेजित थी। उसको भी मेरे साथ योनि भेदन वाले सम्भोग के आनंद की इच्छा थी। मैंने जब उसकी योनि पर फिर से अपनी उंगली फिराई, वो उंगली पर मैं उसकी योनि के होंठों की जकड़न महसूस कर सकता था। डेवी तैयार थी। वो सेक्स चाहती थी। मैं तैयार था। मैं भी सेक्स चाहता था। मैं डेवी को चाहता था। मैंने उसकी पैंटी को थोड़ा नीचे सरकाया। न जाने क्यों उसने सोचा कि उसे मुझसे कुछ कहना चाहिए।

उसने कहा, “आप मेरे कपड़े क्यों उतारते हो यार?”

‘आप!’ मैंने सोचा, ‘दूसरी बार!’

वाह! डेवी मेरे लिए उस सम्मानजनक शब्द का उपयोग कर रही थी...

‘ऐसा क्या बदल गया हमारे बीच?’

“क्योंकि मैं तुम्हें अपनी बीवी मानता हूँ, मेरी जान! और मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ! अब तुम ही बताओ, मियाँ बीवी के बीच कपड़ों की क्या ज़रुरत? अगर मैं आज तुम्हारे कपड़े नहीं उतारता, तो मुझे कैसा मलूम होता कि तुम्हारे ब्रेस्ट्स इतने सुंदर हैं?”

मैंने कहना जारी रखा, “तुम्हारे कपड़ों के बिना, मैं तुमको इंटीमेटली देख सकता हूँ... कुछ इस तरह जैसा कोई और नहीं देख सकता... कोई भी नहीं... और यह इससे मुझे अपने बारे में और स्पेशल महसूस होता है। अभी समझी?”

“जी... मेरे ठाकुर जी, समझी। यह भी समझ गई कि आज मैं बच नहीं सकती!”

“हाँ, ये तो तुमने बिलकुल ठीक समझा।”

“हाय भगवान्!” डेवी ने हथियार डाल दिए।

मैंने उसकी पैंटी के अंदर ही उसके शरीर पर अपना हाथ फिराया - उसकी त्वचा ठंडी थी, बावजूद इसके कि हम दोनों ही काम की आग में जल रहे थे। लेकिन यह भी एक अलग ही एक तरह का सेक्सी अनुभव था! मैंने उसके सेक्सी और सुडौल नितम्बों को बारी बारी से और बहुत ही कामुकता से सहलाया। अब समय आ गया था - मैंने बड़ी कोमलता से उसकी पैंटी को नीचे सरकाना शुरू किया। डेवी ने भी अपने नितम्ब उठा कर उसको उतरवाने में मेरी मदद करी। अब कहीं जा कर मेरी सुन्दर सी, सेक्सी सी डेवी का पूर्ण नग्न शरीर मेरे सामने उजागर था। शानदार, सुंदर, मुलायम, दृढ़, और चिकनी जाँघें; उनके बीच में उत्तेजना से सूजे हुए उसकी योनि के होंठ; और उन होंठों के बीच में गर्म और आतुर योनि-मुख! उसकी योनि का आकार समझिए ट्यूलिप की कली के समान था। ऐसी कली, जो सुबह की राह देख रही हो, खिलने के लिए! मुझे उसका आकार और प्रकार दोनों ही बहुत पसंद आया। जैसा उसके अपनी स्कर्ट के साथ किया था, ठीक वैसे ही डेवी ने अपने पाँव झटक कर अपनी पैंटी भी कहीं दूर उछाल दी।

मैंने देखा कि देवयानी के पशम वायरल, कोमल, और मुलायम थे, ठीक वैसे ही, जैसे वो छूने पर महसूस हो रहे थे। नग्न अवस्था में डेवी और भी छरहरी दिख रही थी। लेकिन वो थोड़ी असंयत भी लग रही थी। बाद में डेवी ने मुझे बताया कि वो हमेशा से ही अपनी योनि के स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान देती रही है। हमेशा उसको साफ़ रखना, साफ़ कपड़े पहनना, इत्यादि! उस पर प्रकृति की दया भी थी, क्योंकि उसके पशम मुलायम और पतले थे, और केवल कभी-कभार ही आकार देने की ज़रुरत पड़ती थी। उसके सर पर घने बाल थे, लेकिन पूरे शरीर में वो लगभग बाल रहित थी। मतलब वैक्सिंग इत्यादि का भी झंझट नहीं था।

माहौल बहुत ही कामुक था। लेकिन अचानक ही मुझे लगा कि वो चाहती है कि मैं उसे अपने आलिंगन में ले कर चूम लूँ। तो मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और अपने जितना करीब संभव था, खींच लिया। जैसे ही मैंने उसे अपने आलिंगन में लिया, उसने अपने होंठ मेरे होंठों से सटा दिए! हमारा यह चुम्बन लंबा और बड़ा ही भावुक था। उसने कुछ नहीं कहा, और बस हमारे चुम्बन को जारी रखा। चुम्बन लेते लेते, उसने मेरा एक हाथ अपने हाथ में लिया और उसे अपने कोमल स्तन पर रख दिया। मैंने उसके स्तनों को बारी बारी से सहलाया, जबकि वो उन्हें मेरे हाथ से दबाती रही। कुछ ही देर में होंठों का चुम्बन कब चूचकों का चुम्बन बन गया मुझे मालूम नहीं! डेवी पूरी तरह से उत्तेजित थी और, इस अनुभव का आनंद लेते हुए कराह रही थी! उसकी यह प्रतिक्रिया उस समय से बहुत अलग थी, जब मैंने पहली बार फिल्म थिएटर में उसके चूचक चूसे थे।
 

avsji

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Supreme
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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #9


“देवयानी,” मैंने उससे कहा, “तुम्हें ब्रा पहनने की ज़रूरत कोई नहीं है। अब से इन्हे मत पहना करो!”

वो खिलखिला कर हँसी और बोली, “ठीक है पतिदेव, अगली बार जब मैं आप से मिलूँगी, तो नहीं पहनूँगी। लेकिन हर कोई इनको इस तरह नहीं देख सकता!”

मतलब आगे भी हमको इस तरह के अनुभव होते रहेंगे! बढ़िया! खुला निमंत्रण! अब मैं उसके साथ यौन संबंध बनाने से बस कुछ ही क्षण दूर था! यह मेरा प्राथमिक उद्देश्य नहीं था... लेकिन अब उसके साथ संभोग करने की संभावना मुझे पागल कर रही थी। मेरे जुनून के सामने डेवी ने आत्मसमर्पण कर दिया था, तो मैं भी उसको भोगने के लिए मानसिक रूप से पूरी तरह से तैयार था! वैसे भी अब मैं सीधा सीधा नहीं सोच रहा था। मेरे दिमाग में उठता प्रत्येक विचार बस इसी प्रत्याशा से भरा हुआ था कि मेरे लिंग का उसकी योनि में फिसलना कैसा महसूस होगा?

मैंने उसके शरीर के हर अंग को बार बार चूमा, और ख़ास तौर पर उसके चूचकों को - जिनको मैंने कई बार चूसा। डेवी का निचला होंठ अब तक काफी सूज गया था। हो ही नहीं सकता कि उसको यह बात न मालूम पड़ी हो। डेवी की भावभंगिमा अब नटखट सी, सुंदर सी और क्यूट हो गई थी। उसकी योनि में से काम-रस भारी मात्रा में निकलने लगा। सोफे पर उसके गीलेपन के चिन्ह साफ़ दिखाई दे रहे थे। मेरा मुँह अभी भी उसके एक चूचक से लगा हुआ था, इसलिए, मैं एक हाथ बढ़ा कर उसकी योनि और भगशेफ के साथ खेलने लगा। डेवी को भी खेलने के लिए कुछ चाहिए था, इसलिए मैंने उसका हाथ अपने स्तंभित लिंग पर रख दिया। मेरे लिंग पर हाथ लगाते ही उसकी सिसकी निकल गई और वो हाथ हटा कर उसको देखने लगी। लिंग की हालत देख कर डेवी की सेक्स करने का जो भी साहस था, वो जाता रहा। फिर भी, डेवी ने उसको सहलाया अवश्य - यह न हो कि मैं बुरा मान जाऊं! सच में, बाकी दिनों के मुकाबले आज मेरा लिंग आकार में थोड़ा और बढ़ गया था। और इस कारण से वो डेवी को अजनबी सा लग रहा था।

डेवी के एक परिपक्व नितम्ब को पकड़कर मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा - मेरा उग्र स्तम्भन अब पहली बार उसके शरीर से छुआ! हमने फिर से चुम्बन किया - खुले मुँह वाला, और कामुक चुम्बन! समय आ गया था - डेवी भी इसको रोकने में असमर्थ थी! उसने अपना पाँव उठा कर मेरे पैरों के पीछे रख दिया। उधर मेरा हाथ उसकी योनि पर चला गया - जब मेरी उँगलियों ने उसकी नम योनि मुख को छुआ, तो वो मेरे मुँह में उस छुअन से कराह उठी। मैंने अपनी दो उँगलियों को उसके रेशमी भगोष्ठ के बीच सरकाते हुए, अपने लिंग को उसके पेट पर फिराया। डेवी की योनि गर्म और पूरी तरह से नम थी; उसकी योनि मेरे लिंग का स्वागत करने को तैयार थी। मैंने उसके भगशेफ को सहलाया और योनिमार्ग में अपनी उंगली सरकाई। इस भेदन से उसका पैर एकाएक सख्त हो गया। कामुकता से उसने अपनी योनि को मेरे शरीर पर दबा दिया।

“मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ, डेवी!” मैं फुुसफुसाया।

डेवी की आह निकल गई। उसने मुझे मुँह पर फिर से चूमा - जैसे वो कोई आश्वासन चाहती हो। मुझे चूमते समय उसका शरीर कांप रहा था, और उसकी बाहें मेरे चारों ओर लिपटी हुई थीं। चाहे कैसी भी घबराहट रही हो, लेकिन डेवी इस समय खुद को रोकने में असमर्थ थी। उसने फिर से अपनी योनि को मेरे लिंग पर रगड़ा - मुझे उसकी योनि से बहती फिसलन भरी नमी अपने लिंग पर महसूस हुई।

“बहुत दुखेगा न?”

डेवी को मेरे लिंग के आकार से शंका हो रही थी - वो समझ नहीं पा रही थी कि यह उसके अंदर ठीक से फिट भी होगा या नहीं! और अगर अंदर घुस भी गया, तो उसकी क्या हालत होगी!

“इसके साथ कुछ समय खेलोगी, तो ये डरावना नहीं लगेगा!” मैंने सुझाव दिया।

“कैसे?” उसने पूछा।

“जैसे तुम्हारा मन करे... मुँह में लो?” मैंने फिर से सुझाव दिया।

अनिश्चितता के साथ वो उठी और फिर उसने धीरे से मेरे अण्डकोषों को पकड़ लिया।

“मुँह...” मैंने अपनी बात दोहराई।

इस बार उसने मेरी बात मान ली, और उसने मेरे लिंग को पकड़ कर उस पर अपनी जीभ फिराई। उसके मुँह की गर्म अनुभूति ने मुझे बहुत सुख दिया। मैंने थोड़े प्रयास से शिश्नाग्रच्छद को पीछे सरकाया, जिससे मेरा शिश्नाग्र खुल जाए।

हालाँकि वो जानती थी कि मेरा लिंग साफ है, लेकिन फिर भी वो इसे मुँह में लेने का मन नहीं बना पा रही थी। झिझकते हुए उसने मेरे शिश्नाग्र को चाटा। अनायास ही उसने मेरे लिंग को थोड़ा दबाया, जिससे उसके सिरे पर प्री-कम की बूँद निकल आई। उसने कुछ सोचा, और फिर प्री-कम को चाट लिया। अब तक उसकी झिझक थोड़ी कम हो गई थी - उसने अपने होठों को मेरे शिश्न के चारों ओर लपेटा और फिर लिंग को चाटा और चूसा! एक दो बार उसने उसको हलके से काट भी लिया। शिश्नाग्र पर काटा जाना कोई बहुत सुखद अनुभूति नहीं होती - तो मेरी हलकी से आह निकल गई। इस पर डेवी मुस्कुरा दी। शायद मैंने जो उसको इतनी देर सताया था, ये उसका दण्ड था! बहुत क्यूट दण्ड! डेवी को मुख-मैथुन के बारे में अवश्य ही मालूम था - उसने अपना ध्यान मेरे लिंग को धीरे धीरे, और देर तक चूसने पर केंद्रित किया, और कोशिश करी कि जितना हो सके, वो मेरे लिंग की लम्बाई अपने मुँह में फिट कर सके! कुछ प्रयास लगे, लेकिन वह कुछ ही मिनटों में वो मेरे लिंग की दो तिहाई लंबाई को निगलने में सक्षम हो गई। साथ में वो अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करके मेरे अण्डकोषों के साथ खेलने लगी। एक बार जब उसे लय मिल गया, तो उसने मुझे जन्नत की सैर करा दी! मेरा लिंग अब तक और भी सख्त और मोटा हो गया था। इस मुख मैथुन से डेवी ने अपने लिए ही मुसीबत खड़ी कर ली थी। खैर, अंत में, थक कर उसने मुझे छोड़ दिया।

“दुखेगा तो नहीं, ना?” उसने पूछा।

यह एक सवाल नहीं - बल्कि उसका खुद के लिए आश्वासन था।

वह जानती थी कि ये उसके अंदर फिट ही नहीं हो पायेगा! न जाने कैसा लिंग उसने लिया था! खैर, मैंने अपने लिंग को पकड़ा और शिश्न के सिरे को उसकी योनि के अंदर धक्का दिया। उसकी योनि में ऐसी अद्भुत चिकनाई थी कि मेरा लिंग उसकी योनि में फिसल कर अंदर घुस गया। अद्भुत एहसास! कितना लम्बा अर्सा हो गया था!

मैंने हाँफते हुए कहा, “ओह हनी!”

जोर से धक्का लगाने का मन हो रहा था - लेकिन डेवी को चोट न लग जाए, उसका भी डर था। अभी भी लिंग पूरी तरह से अंदर नहीं गया था, बस समझिये कि शिश्नमुण्ड का उसके भगोष्ठ से चुम्बन ही हुआ था। इसके पहले डेवी अपना मन बदल ले, उसको सोचने का मौका ही नहीं देना है! मैं उठा खड़ा हुआ, और उसके पैरों को ठीक से फैला कर एक पल उसकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार किया। जब डेवी बिलकुल भी नहीं हिली, तो मुझे समझ आ गया कि अब समय आ गया है! मैंने थोड़ा दबाव बनाया तो डेवी भी अपने कूल्हों को ऊपर उठा कर मेरी मदद करने लगी - जैसे यह कोई प्राकृतिक प्रतिक्रिया हो! दबाव बनाते हुए मैंने एक हल्का सा धक्का लगाया। डेवी जैसे सम्मोहित हो कर देखती रही, क्योंकि मेरा लिंग मेरी इस हरकत से उसकी योनि में प्रविष्ट हो गया! उसकी योनि जिस तरह से खिंच कर मेरे लिंग को प्रवेश होने दे रही थी, वो उसके लिए अविश्वसनीय था।

“उम उम… आह आह आआआह्ह्ह!!” डेवी की चीख निकल गई।

यह होना अटल था, क्योंकि मेरे लिंग ने वाकई उसकी योनि को बुरी तरह से फैला दिया था, और उस पहले ही धक्के में मेरा लिंग लगभग पूरा ही उसके अंदर चला गया था। डेवी की योनि अच्छी तरह से चिकनी हो गई थी इसलिए काम आसान हो गया था। लेकिन मेरे न चाहते हुए भी, निश्चित रूप से, डेवी को चोट लगी होगी! उसकी आँखों में आँसू भर आए! मैं उसे अपने आलिंगन में भर लिया - उसका शरीर काँप रहा था।

मैं धीरे से बड़बड़ाया, “माफ़ कर दो हनी! मैंने तुम्हें चोट पहुँचाई है? है ना? तुम ठीक हो?”

अपने दर्द के बीच, देवयानी मुस्कुराई और फुसफुसाई, “मेरी जान, माफ़ी मत माँगो! चोट तो लगी है, लेकिन कोई बात नहीं! मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, और मैं चाहती थी कि हम सेक्स करें!”

फिर वो एक आह भरते हुए बोली, “अंदर पूरी तरह से भरा हुआ महसूस हो रहा है! चलो, अब मुझसे जी भर के प्यार करो।”

मैंने लिंग को थोड़ा सा बाहर निकाला, और वापस धक्का लगाया। डेवी की फिर से आह निकल गई। योनि की दीवारों ने मेरे समूचे लिंग को कस के पकड़ रखा था। उनमे स्वतः ही संकुचन हो रहा था। अत्यधिक चिकनाई के बावजूद, उसकी योनि की माँस-पेशियाँ मेरे लिंग पर जकड़ गईं, जिससे धक्के लगाना मुश्किल हो रहा था!

“यू आर वैरी टाइट, हनी!” मैं सीधा हो कर डेवी को धीरे-धीरे भोगने लगा।

उधर डेवी के दिमाग में तरह-तरह के विचार आ जा रहे थे : मैं उसके साथ सेक्स कर रहा था... तो इसका मतलब था कि हम दोनों के बीच में हमेशा के लिए सब कुछ बदल गया है! अगर वह प्रेग्नेंट हो गई, तो? बाप रे! लेकिन ये सारे विचार उसको मिलने वाले कामुक आनंद के कारण जाते रहे। अचानक ही वो वर्तमान के रोमांच का आनंद उठाने लगी।

“हनी, कैसा लग रहा है?” मैंने उसके कान में पूछा।

“ओह अमर! बता नहीं सकती! आप... आपका बहुत बड़ा है!” वो हाँफते हुए बोली।

“बड़ा हो सकता है, लेकिन तुम भी तो टाइट हो! ओह गॉड! बहुत अच्छा लग रहा है,” मैंने जवाब दिया, “क्या अब भी दर्द हो रहा है?”

“नहीं, उतना नहीं।”

“अच्छा,” मैंने फुसफुसाया, “अच्छी बात है! क्योंकि अब तो मैं हमेशा तुम्हारे ही अंदर रहूँगा मेरी जान!”

अपने दर्द में भी देवयानी हँस पड़ी। उसकी योनि हर खिलखिलाहट के साथ और कस जाती, और मेरे लिंग को अद्भुत ढंग से निचोड़ देती! मैं बहुत तेजी से अपने चरमोत्कर्ष की तरफ चल दिया था, इसलिए मैंने धक्के लगाना रोक दिया। मैं नहीं चाहता था कि हमारा खेल इतनी जल्दी खत्म हो जाए! लेकिन बिना धक्के लगाए मन भी नहीं मान रहा था। यह कितनी अद्भुत सी बात थी न - मैं आखिरकार देवयानी से प्यार कर रहा था! मैं इस अद्भुत महिला से प्यार कर रहा था! मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। उन पहले कुछ धक्कों से उसकी योनि गीली हो गई, और शीघ्र ही यह घर्षण डेवी को बुरी तरह उत्तेजित करने लगा। उसने गहरी साँस ली और मेरे नितम्बों को उत्साह से अपनी ओर खींच लिया! इतने निकट होने पर, मेरा लिंग उसकी योनि में कम फिसल रहा था, और वो अधिक भरा हुआ महसूस कर रही थी। शीघ्र ही, हर धक्के के साथ, हम दोनों के जघन क्षेत्र आपस में पूरी तरह से मिलने लगे। और डेवी सम्भोग के दौरान अपने पहले चरमोत्कर्ष को बनते हुए महसूस करने लगी।

“ओह गॉड! यस अमर! फ़क मी माय लव!”

डेवी शायद ही जानती थी कि ये शब्द कहाँ से आए! क्योंकि ये शब्द उसकी सामान्य शब्दावली का हिस्सा नहीं थे!

डेवी गीली से और गीली होती जा रही थी, और इस कारण मेरा लिंग उसकी योनि में और अधिक स्वतंत्र रूप से फिसल रहा था। मैंने तेजी से कई धक्के लगाता, फिर रुक जाता, और फिर से तेजी से कई धक्के लगाता। डेवी की हालत खराब हो चली थी। लेकिन मेरा स्खलन अभी भी दूर ही था। मेरी साँसे बहुत तेज़ हो गईं थीं, और शरीर पसीने से लथपथ हो गया था। जनवरी का महीना था - इसका कोई मतलब ही नहीं रह गया था! देवयानी ने अचानक ही अपनी योनि में वो मीठी, कामुक लहर बनती हुई महसूस करी, जो सम्भोग के चरम पर पहुँच कर कोई स्त्री महसूस करती है। उसके गले से कामुक और मीठी किलकारी निकल गई, और वो पीछे की तरफ़ किसी कमानी की तरह झुक गई। उसका शरीर एक पल को सख्त हो गया, और फिर शांत हो कर शिथिल पड़ गया। उसका शरीर उस पहले चरमोत्कर्ष के आनंद से भरा हुआ लग रहा था, जो मैंने उसे अभी अभी दिया था!

मैंने दो पल के लिए धक्के लगाना बंद कर दिया, और अपने नीचे लेती उस खूबसूरत, रति की प्रतिमूर्ति लड़की को प्यार से निहारने लगा - उसका मुँह खुला हुआ था और आँखें बंद थीं। उसकी योनि कामुक आनंद की लहार के साथ मेरे लिंग पर रह रह कर दबाव बना रही थी। उसके चूचक कामोत्तेजना में खड़े हुए थे, और उसके दिल की धड़कनें तेजी से चल रही थीं। उसके गले की नसों से बहता हुआ रक्त उत्तेजना को साफ़ साफ़ दर्शा रहा था। अपनी होने वाली सहचरी को इस तरह का सुख देना, बहुत संतोष देने वाला अनुभव था! यह दृश्य मेरे लिए बहुत ही कामुक था। मेरा खुद का दबाव बन रहा था, और मैं शीघ्र ही स्खलित होने वाला था! इस बार मैंने खुद को नहीं रोका और जल्दी जल्दी धक्के लगा कर वीर्य की ढेर सारी मात्रा डेवी की इच्छुक कोख में खाली कर दी।

जैसे-जैसे हमारे कामुक उन्माद में कमी आई, हम सोफे पर स्पून पोजीशन में लेट गए! मैं उसके कंधे को चूम रहा था और उसके शरीर को सहला रहा था। हम दोनों स्पष्ट रूप से थक गए थे - अपने पहले संभोग की भावनात्मक और शारीरिक तीव्रता के कारण!

“इट वास् अनबिलिवेबल!” मैंने धीरे से कहा!

देवयानी ने मेरे गालों को इतने प्यार से सहलाया कि मैं और भी पिघल गया!

“हाउ वास् आई हनी? क्या मैंने आपको मज़ा दिया?” डेवी ने पूछा।

उसके सवाल ने मुझे चौंका दिया। क्या वो मेरी खुशी के बारे में अनिश्चित थी? मेरे चेहरे पर छाया हुआ संतोष उसको नहीं दिख रहा था? मैंने उसको अपनी बाहों में भरते हुए कहा,

“हनी, यह सबसे बेस्ट एक्सपीरियंस था मेरे लिए! और मेरी जान, जैसा कि मैंने कहा, हम इसे खूब करेंगे - रोज़ करेंगे! पूछना तो मुझे चाहिए - क्या तुमको मज़ा आया?”

उसने संतोष के साथ कहा, “ओह हनी! मुझे बहुत मज़ा आया।”

मैंने इंतजार किया... ऐसा लगा कि वो आगे कुछ और बोलेगी! उसने थोड़ा सोच कर आगे कहा, “आई मेड लव, माय हनी! व्ही मेड लव!” डेवी मुस्कुराई और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

“तुमको दर्द है अभी भी?”

“नहीं! हाँ... थोड़ा सा! शायद! लेकिन एक अलग तरह का दर्द। मीठा मीठा!”

“एनी रिग्रेट्स?” मैंने पूछ लिया।

“नोओओओओ! क्यों कोई पछतावा होगा मेरी जान? मैं पूरी तरह सैटिस्फाइड हूँ! और ये सुख आपने मुझे दिया है!”

इस बात पर मैंने उसे उसके मुँह पर चूमा! हम चूमते चूमते ही मुस्कुराने लगे। ऐसी ही मीठी बातें करते करते हम एक साथ ही एक गहरी नींद की आगोश में चले गए। जब मैं उठा तो मैंने देखा कि हम लगभग एक घण्टा सो चुके थे। क्या बात है! डेवी ने मुझे थका दिया था - जो मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ। यह एक बढ़िया संकेत था हमारी सेक्स लाइफ के लिए! ऐसे नंगे नंगे, एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए, हम आश्चर्यजनक रूप से सहज लग रहे थे। लेकिन जैसे ही मैं उठा, देवयानी भी उठ गई। उसके चेहरे पर एक प्यारी सी, संतुष्टि वाली लालिमा थी।

उसने कहा, “हनी, मुझे जाना है,” और वो सोफे से उठने लगी।

“क्यों?” मैंने पूछा! मुझे लगा कि शायद वो अपने घर जाना चाहती है।

इसलिए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

“बिकॉज़!” वो ठुनकते हुए बोली, “प्लीज हनी! मुझे जाने दो!” उसने अपनी बाँह छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा।

“क्यों?”

उसके गालों की लालिमा शर्म से और भी लाल हो गई। उस समय डेवी के गाल सेब जैसे लग रहे थे। उसने मेरी तरफ देखा। ओह, वो बहुत प्यारी लग रही थी।

“क्योंकि मैं लीक कर रही हूँ, यू डफ़र!”

“ओह! तो चलो एक साथ नहा लेते हैं?” मैंने मुस्कुराते हुए सुझाया।

“तुम बहुत खराब हो!” डेवी फिर से ठुनकी, उसकी मुस्कान लौट आई, “... हनी, मुझे सूसू करनी है!”

“साथ में कर लेते हैं...!”

तब तक उसने बाँह छुड़ा ली, और ड्राइंग रूम के निकट वाले बाथरूम में चली गई। जब वो जा रही थी तो मैं उसके शानदार नितंबों की मन ही मन प्रशंसा कर रहा था। भगवान् की इस खूबसूरत सी रचना के साथ मैंने कुछ देर पहले ही सम्भोग किया था! मैंने! बहुत खूब! कुछ देर में वो बाथरूम से निकली, तो मैं बाहर ही उसका इंतज़ार कर रहा था। उसके बाहर आते ही, मैंने उसका हाथ पकड़ कर बाथरूम के अंदर घसीट लिया। मैंने शॉवर पहले ही ऑन कर दिया था, और उसमे से गरम पानी आने लगा था।

“आओ मेरी जान! साथ में नहाते हैं?”

उसने मुझे जिस अदा से देखा, तो मैं उसकी नग्न सुंदरता की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सका! डेवी बहुत, बहुत सेक्सी थी!

उसने अपना सर झुका लिया और अपने बालों के पोनीटेल को खोल दिया। उसने अपना सिर हिलाया, और अपने घने बालों को आज़ादी से अपने कंधों पर गिर जाने दिया। उसने एक हाथ से पानी के तापमान का परीक्षण किया। संतुष्ट होकर, उसने मुझे शॉवर में उसको ज्वाइन करने के लिए इशारा किया।

मैं आश्चर्यचकित था कि डेवी के साथ रहना मुझे बहुत स्वाभाविक लग रहा था!

“हनी,” मैंने कहा, “मैं एक काम करना चाहता हूँ, अगर तुम गुस्साओ नहीं, तो!”

“आपको लगता है कि हमने अभी अभी जो किया है, उसके बाद मैं आप से किसी भी बात पर गुस्सा हो सकती हूँ?” डेवी हँस पड़ी।

“हो सकता है... अगर तुम पहले से जानती हो, तो!”

“अच्छा तो सरकार, आप वो काम करना ही क्यों चाहते हैं जिस पर मैं गुस्सा होऊँ?” डेवी को भी इस बातचीत में आनंद आ रहा था।

“क्या बताऊँ! फंतासी है एक!”

“फंतासी है? हम्म... अच्छा? तो वो क्या काम है?”

“मैं नहीं बताऊंगा।”

“अच्छा जी! आप मेरे साथ कुछ कुछ करना तो चाहते हैं, लेकिन मुझे बताना नहीं चाहते?”

“ठीक समझी!”

डेवी ने एक पल सोचा, और बोली, “ठीक है! कर लीजिए! बीवी हूँ, इतना तो एकोमोडेट करना पड़ेगा!”

मैंने डेवी को आश्चर्य से देखा। वो मुझ पर इतना भरोसा करती है! क्या बात है! लेकिन जो इच्छा मेरे मन में इतने दिनों से बन रही थी, उसको मैं पूरा करना चाहता था। मैंने अपने लिंग को हाथ में पकड़ लिया और डेवी की तरफ़ उसका रुख कर दिया। उसने देखा कि मैं क्या कर रहा था, और इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने गर्म पेशाब की धार उस पर छोड़ दी!

“आऊ... व्हाट द... अमर... बहुत गर्म है... आह!”

डेवी ने यह सब कहा तो, लेकिन उसने अपने ऊपर मेरे पेशाब करने पर कोई आपत्ति नहीं की! मेरी आदत है - खूब पानी पीने की - फिर वो चाहे गर्मी का मौसम हो चाहे सर्दी का! रात में सोने से पहले एक लीटर पानी पीता हूँ, और सवेरे उठते ही एक लीटर। दिन में न जाने कितने ही गिलास पानी! लिहाज़ा, बहुत देर से प्रेशर बना हुआ था! कम से कम एक मिनट की सप्लाई थी, और वो भी पूरे फ़ोर्स के साथ! तो मैंने डेवी के पूरे शरीर को गर्म मूत्र से नहलाया - सर से ले कर पाँव तक! बेचारी मेरी इस हरकत को जैसे भी हो, बर्दाश्त करती गई। जब वो पूरी तरह से नहा चुकी, और मेरा ब्लैडर खाली हो गया तब वो हँसते हुए बोली,

“हो गई आपकी मनमर्ज़ी?”

“डेवी, आई ऍम सॉरी! न जाने क्या सोच कर मैंने ये सब कर दिया!”

“ओये! सॉरी वोरी हमारे बीच में नहीं चलेगी - आपने ही कहा था न?”

मैं चुप ही रहा।

“जानू, आपको जो कुछ करना है, वो सब कुछ करिए! नहीं तो मेरे बीवी होने का क्या फायदा है?”

“तुमको बुरा नहीं लगा?”

“ओले मेला बच्चा!” डेवी ने मुझे पुचकारते हुए कहा, “मुझे क्यों बुरा लगेगा? मेरी जान, आप मुझसे छोटे भी तो हैं! आपने मुझ पर सूसू कर दिया तो इसका मैं बुरा मानूँगी?” उसने मज़ाक करते हुए, लेकिन दुलार से कहा।

“हा हा हा!”

“और कोई इच्छा है मेरे ठाकुर जी की?”

“डेवी?”

“हाँ जी?”

“तुमको जब दूध बने, तो मुझे भी पिलाना?”

“मेले बच्चू को मेला दूधू पीना है?”

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“अपनी गोदी में लिटा कर अपना दूधू पिलाऊँगी आपको!” वो मुस्कुराई, “और कुछ?”

“और इच्छाएँ बाद में बताऊँ?”

“हाँ, लेकिन बताइएगा ज़रूर!”

वो अदा से मुस्कुराई, और मुझे चूम कर मेरे साथ शॉवर के नीचे खड़ी हो गई। हम देर तक साथ में शॉवर का लुत्फ उठाते रहे!

**
 

avsji

..........
Supreme
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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #10


दोपहर बाद, डेवी के घर पर :

हाथों में चाय का प्याला थामे, और कुर्सी पर सामने की ओर झुकते हुए जयंती ने पूछा, “तो पिंकी, कहाँ तक पहुँची तुम दोनों की प्रेम की नैया?”

जयंती को डेवी के हाथ की बनाई मसाला चाय बहुत पसंद थी! वो जब भी अपने मायके आती, तो डेवी से मसाला चाय की आशा ज़रूर रखती थी। लेकिन इस समय जयंती अपनी चाय को पूरी तरह से नज़रअंदाज कर के बैठी हुई थी, और उसकी आँखें अपनी छोटी बहन के प्यार को ले कर बहुत उत्साहित और उत्सुक थीं। जयंती, देवयानी की बड़ी बहन थी, और उससे चार साल बड़ी थी। हमारी डिनर डेट के बाद डेवी ने जयंती को मेरे बारे में बताया था, और कहा था कि मेरे साथ सम्बन्ध सीरियस होता जा रहा है। दोनों बहनों के बीच में कुछ भी नहीं छुपा था। डेवी के बचपन में ही उसकी माँ की मृत्यु हो गई थी - हाँलाकि उसके डैडी ने अपने दोनों बच्चों के लालन पालन में कोई कमी नहीं रख छोड़ी थी, लेकिन डेवी के जीवन में उसकी माँ की कमी जयंती ने ही पूरी करी थी। जयंती करियर वुमन थी, और चाहती थी कि उसकी छोटी बहन भी अपने पाँवों पर खड़ी हो सके। इसलिए जयंती ने डेवी को आगे पढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया और उसी के चलते डेवी ने अपनी मास्टर्स तक की शिक्षा पूरी करी थी। तब से ले कर अब तक डेवी ने जो कुछ भी हासिल किया, उसमें जयंती का प्रोत्साहन और सहयोग दोनों निहित था। किसी भी स्नेही बड़ी बहन के समान ही जयंती भी चाहती थी कि देवयानी का घर बस जाए और उसको जीवन का वो सुख भी मिल सके, जिससे वो अभी तक वंचित थी। जब से उसको मेरे बारे में पता चला, तब से वो मेरे बारे में जानने को और इच्छुक, और जिज्ञासु होती जा रही थी। डेवी भी हमारी डिनर डेट से लेकर अब तक की सभी घटनाओं से जयंती को अवगत कराती रही थी।

देवयानी ने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया। हाँलाकि डेवी ने जयंती ने हमारे बारे में सब कुछ शेयर किया था, लेकिन न जाने क्यों, वो हमारे अंतरंग सम्बन्ध का ब्यौरा उससे शेयर नहीं कर पा रही थी - उसको यह सही नहीं लग रहा था। हमारे बीच की बातें, हमारी निजी बातें थीं। बहुत ही व्यक्तिगत अंतरंग यादें थीं।

चाय की चुस्की लेते हुए उसने कहा, “कुछ नहीं दीदी! बस किसेस एंड थिंग्स लाइक दैट! और क्या!”

डेवी अपनी बात को सामान्य रखना चाहती थी, लेकिन कुछ ही घण्टों पहले हुए सेक्स के अनुभव के कारण उसके चेहरे पर शरम की लालिमा आ गई थी। ऊपर से उसका निचला होंठ अभी भी थोड़ा सूजन लिए हुए था, जो सामान्य नहीं था।

जयंती ने डेवी के चेहरे को जैसे पढ़ते हुए कहा, “ओह कम ऑन! अब मुझसे छुपाएगी तू? तुम दोनों किसेस करते हो, वो मैं जानती हूँ! लेकिन उसके घर जा कर, इतनी देर रह कर केवल किस कर रहे हो, ये नहीं मानती मैं! तुम दोनों का रोमांस बढ़िया चल रहा है - इसमें केवल किस करने से काम नहीं चलता। अच्छा, ये बता, अमर ने तुझे स्मूच किया...?”

डेवी ने शर्माते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“हाँ?” जयंती ने उत्साहित होते हुए कहा, “और क्या क्या किया उसने?”

“कुछ नहीं दीदी!”

“अच्छा,” जयंती ने थोड़ा कुरेदा, “इतना तो बता दे, उसने तेरे मम्मे दबाए या नहीं?”

देवयानी ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया, “हा हा! हाँ दीदी... शर्ट के ऊपर से।”

“हाँ हाँ! शर्ट के ऊपर से मेरा सर...!”

“सच में दीदी!”

“ठीक है - मत बताओ। लेकिन इतना दो बता दे - जब उसने तेरे मम्मे दबाए, तो तुझे अच्छा तो लगा?”

“हा हा हा! दीदी - तुम भी न!” डेवी ने खिलखिला कर हँसते हुए कहा, “हाँ! बहुत अच्छा लगा! बहुत सेक्सी!”

“हम्म्म! गुड! अच्छा, क्या तुमने... उम्, अमर का... वो छुआ?” जयंती ने फुसफुसाते हुए पूछा।

जब देवयानी ने कुछ देर कोई जवाब नहीं दिया तो जयंती ने ही कहा,

“ओह गॉड! तूने छुआ? सही! बता, कैसा है उसका? कितना बड़ा है?”

“दीदी!” डेवी ने झेंपते हुए कहा।

“अबे क्या दीदी! बता न!”

देवयानी ने सोचा और निश्चित किया कि अपनी दीदी को हमारी अंतरंगता के बारे कितनी जानकारी देना ठीक रहेगा!

“जब हम किस कर रहे थे, तो मेरा हाथ उसके ‘उस’ पर बस छू गया था!” डेवी ने स्वीकार किया।

“कैसा था वो? बड़ा था?” जयंती अब मज़े लेने लगी थी।

“दीदी!” डेवी फिर से झेंप गई।

“अरे! मालूम होना चाहिए! तेरे जीजू का ठीक है, लेकिन बड़ा नहीं है! अक्सर मन में आता है कि थोड़ा सा और बड़ा होता तो मज़ा आता! अब अपने हस्बैंड को चेंज तो नहीं कर सकती न! लेकिन तू ठीक से देख कर ही हस्बैंड सेलेक्ट करना! थोड़ा बड़ा सा रहता है, तो मज़ा आता है! इसलिए तो मैं पूछ रही हूँ। चल, बता!”

“बड़ा था दीदी!” डेवी ने शर्माते हुए कहा।

"कितना बड़ा?”

“उम्.. करीब करीब इतना?” डेवी ने अपने अंगूठे और मध्यमा से लगभग पाँच इंच की लम्बाई दिखाई। वो सही आकार दिखा कर जयंती को डाह नहीं देना चाहती थी।

“हा हा! साली! झूठी! केवल हाथ छूने से लम्बाई का पता चलता है क्या?” जयंती ने ठठाकर हँसते हुए कहा, “गलती से छू रही थी, कि प्यार से सहला रही थी थी उसके ‘उसको’?”

जयंती की बात पर डेवी के गालों की रंगत लाल हो गई। कुछ देर पहले के दृश्य उसके मानस पटल पर नाचने लगे। उधर जयंती ने कुरेदना जारी रखा,

“लेकिन मैं उसकी लम्बाई नहीं, मोटाई के बारे में पूछ रही थी। जितना तुम दिखा रही हो, उससे तो अमर की लंबाई अच्छी लगती है... कम नहीं है! तेरे जीजू की ही तरह है... लेकिन काम की बात तो मोटाई है! वो कैसा है?”

“दीदी! मैंने कहा न! मेरा हाथ केवल उसको... छुआ था!”

"हम्म... मुझे तेरी बात पर विश्वास नहीं है, लेकिन जाने देती हूँ फिलहाल! तू खुद ही बताएगी कभी! लेकिन मैं तुझे अपने एक्सपीरियंस से बताए देती हूँ कि सेक्स में लंबाई का उतना मतलब नहीं है। अगर पीनस बहुत लंबा होता है न, तो सर्विक्स को चोट मारता रहेगा हर धक्के में! वो मज़ा नहीं देगा! पीनस में केवल दो बातें मायने रखती हैं - एक तो यह कि वो एनफ मोटा है या नहीं - भरा भरा महसूस होता है, तो मज़ा आता है; और दूसरा यह कि वो देर तक कड़ा रह पाता है या नहीं - आदमी के साथ साथ लड़की को भी तो ओर्गास्म आना चाहिए न! इसलिए!”

देवयानी का मन हुआ कि वो अपनी दीदी को सब कुछ बता दे, लेकिन किसी तरह से उसने अपनी इस इच्छा को नियंत्रित किया। वो कैसे बता देती कि उसको सम्भोग के कितना आनंद महसूस हुआ था! ये सब बातें ऐसे थोड़े ही बताई जाती हैं! जयंती ने डेवी को सोचते हुए देखा, तो उसको थोड़ा और कुरेदने का सोचा,

“अच्छा, छूने पर क्या वो मज़बूत लग रहा था?” जयंती उसको इतनी आसानी से जाने नहीं देने वाली थी।

देवयानी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया - उसकी आँखों में उत्साह स्पष्ट दिखाई दे रहा था। हमारे पहले सम्भोग के कामुक दृश्य उसके मानस पटल पर फिर से कौंध गए।

जयंती अब कहीं जा कर अपनी कुर्सी पर पीछे की ओर आराम से टेक लगा कर बैठ गई; उसने मुस्कुराते हुए अपनी छोटी बहन पर एक गहरी नज़र डाली, और बोली, “तुम लकी हो, लड़की! खुश रहो हमेशा!”

उधर, देवयानी समझ रही थी कि जयंती को उस पर शक है - शक क्या, यकीन है कि उसका और मेरा सम्भोग हो चुका है! जयंती दीदी की शादी को पिछले छः साल बीत चुके थे और उनके दो बच्चे थे - छोटा वाला केवल छः महीने का था। जाहिर सी बात है, जयंती को मालूम था कि एक शक्तिशाली और आनंददायक सेक्स का प्रभाव किसी लड़की पर कैसा होता है! लेकिन जयंती ने भी शालीनता और सम्मान बरकरार रखते हुए डेवी से और कुछ नहीं कहा।

कुछ देर ऐसे ही चाय की चुस्कियाँ लेते हुए जयंती ने पूछा, “तुझे अमर के साथ अच्छा तो लगता है न?”

इस प्रश्न पर डेवी खिल गई, और अगले एक घंटे तक दोनों बहनें बातें करती रहीं और खिलखिलाती रहीं।

बात ख़तम करने से पहले जयंती ने डेवी को सुझाव दिया कि डैडी से मिलवाने से पहले, अमर और उनको मिल लेना चाहिए। डैडी और जयंती में जयंती अधिक फ्रेंडली है! इसलिए! किसी भी बहाने मिलवा दे! सप्ताहांत ठीक रहेगा। वैसे कोई भी दिन ठीक रहेगा! अब शादी की दिशा में प्रयास करना चाहिए और परिवारों को आपस में मिलना चाहिए! इत्यादि।

जब दोनों यह सारी योजनाएँ बना रही थीं, तब डेवी का पेजर गूँजा। उसने चुपके से, बाहर जा कर एकांत में मेरा मैसेज पढ़ा और मुस्कुरा दी।

“Miss u already.”

मुस्कुराते हुए डेवी ने जवाब लिखा, “Me 2. Luv ya loads.”

हम दोनों ने ही अभी हाल ही में अपने लिए पेजर लिए थे - फ़ोन पर हमेशा बात करना संभव नहीं था। घर में कोई भी उसको उठा सकता था। पेजर बहुत ही पर्सनल था। भारतीय बाजार में हाल ही में आया था, और महँगा होने के कारण एक तरह का स्टेटस सिम्बल भी था। लेकिन डेवी और मेरे लिए स्टेटस नहीं, बल्कि कनवीनियंस की आवश्यकता थी। मोबाइल फ़ोन बाद में आए।


**


डेवी के जाने के बाद घर खाली खाली सा लग रहा था! ऐसा लग रहा था कि जैसे डेवी को यहीं रहना चाहिए - यही उसका घर है! मेरे साथ, मेरे पास! घर भर में उसकी ही महक फैली हुई थी। घर भर में फैली हुई थी या मेरे दिलोदिमाग में! प्रेमियों से इस तरह के प्रश्न नहीं पूछने चाहिए! डेवी की महक! ओह, कितनी मादक महक! उस महक मात्र से मुझको आंशिक रूप से उत्तेजना होने लगी थी! इतना शक्तिशाली सम्भोग था हमारा, कि मैं थक गया था! लेकिन फिर भी आँखों से नींद कोसों दूर थी!

कोई और समय होता तो डेवी को रोक लेता अपने ही पास! लेकिन उसने कहा कि जयंती दीदी घर आने वाली हैं। वो हर महीने दो तीन दिन के लिए घर आती थीं। रहती यहीं दिल्ली में ही थीं, लेकिन उनका अब अपना संसार था। ऐसे में अपने डैडी और छोटी बहन को देखने के लिए समय निकालना पड़ता था।

एक दो घंटा तो जैसे तैसे निकल गया, लेकिन फिर डेवी की याद बहुत अधिक सताने लगी।

मैंने अपना पेजर निकाला, और एक मैसेज टाइप किया, “Miss u already.”

डेवी के बिना घर का सूनापन बेचैन कर देने वाला था। डेवी ही मेरी ख़ुशी थी अब। उसकी मौजूदगी का मतलब था कि मेरे जीवन में रौनक है! हमारा सम्भोग बेहद मज़ेदार और आनंददायक था - लेकिन उसकी याद मुझे नहीं सता रही थी। याद सता रही थी मुझे देवयानी की - मेरी प्यारी सी, सुंदर सी, मुझसे आलिंगनबद्ध देवयानी की! जो मुझे अपने प्रेम में मीठे से आवरण में लपेटे हुए थी! वो छवि कितनी खूबसूरत और सेक्सी थी!

थोड़ी ही देर में मेरा पेजर गूंज उठा।

देवयानी का जवाब आया था, “Me 2. Luv ya loads.”

मैं मुस्कुराया और पेजर को बेडसाइड टेबल पर रख दिया।

कुछ बहुत ही ख़ास बात तो थी देवयानी में! उसकी सुंदरता, उसकी कशिश, उसका भोलापन, उसका सयानापन, उसका मातृत्व, उसकी चंचलता! सब कुछ बहुत ही प्यारा था! हमारे पहले सम्भोग के दौरान और उसके बाद अपने घर वापस जाने तक, डेवी ने एक भी कपड़ा नहीं पहना था - उसको गर्म रखने के लिए कमरे में हीटर जलाना पड़ा! और जब वो अपने घर के लिए निकली, तो वो अपनी लैवेंडर रंग वाली पैंटी यहीं छोड़ गई - मेरे लिए! कैसा नटखटपन! मैं सच में उससे पूरी तरह से मंत्रमुग्ध सा हो गया था। गैबी के साथ अलग ही तरह का प्यार था। उसके साथ एक अलग ही तरह का एहसास था। शायद यह पहेली विविधता और अनूठेपन के प्रतिच्छेदन को समझने से ही सुलझे! मुझे यह पहेली सुलझानी भी नहीं थी। गैबी का मेरे दिल में एक अलग ही स्थान था और डेवी का एक अलग ही! किस्मत से मुझे दो बेहद अभूतपूर्व लड़कियों का प्रेम मिला था! और मैं अब इसको जाने नहीं देने वाला था।

मैं सोच विचार में डूब गया - हमारा भविष्य क्या होगा? हमारा रिश्ता कैसे हो सकता है? ऐसा न हो कि हममें से किसी एक को शादी के बाद अपनी नौकरी बदलनी पड़े - कई ऑफिसों में ऐसा होता है! क्या उसका परिवार हमारे रिश्ते, हमारे मिलन को अपनी मंज़ूरी देगा? मैं डेवी के लिए अपनी इस तीव्र इच्छा, इस शक्तिशाली आकर्षण को कैसे संभालूं? मेरे सोच विचार में बस डेवी ही डेवी छाई हुई थी! उसका सुंदर चेहरा, उसकी सेक्सी आँखें, वह अद्भुत सी मुस्कान, और उसका सेक्सी यौवन!

सोने से पहले मैंने पेजर पर एक और मैसेज किया, “See u again? Morning? Breakfast?”

करीब एक घंटे बाद उसका जवाब आया। तब तक मैं गहरी नींद में था। जब पेजर गूँजा तो अवचेतना ने मुझे बताया कि कोई मैसेज आया है। मैं पूरी तरह तो नहीं, लेकिन लगभग 20 प्रतिशत जाग गया था, और उसी आधी नींद वाली अवस्था में मैंने डेवी के संदेशों की एक श्रृंखला पढ़ी -

“OK. I will come.”

“U wont get my other panties. 2 bad u asked me nt 2 wear them.”

“This time stay inside me some more.”

आखिरी वाला मैसेज पढ़ते ही मेरा लिंग जैसे जीवित हो उठा और तमतमाते हुए स्तंभित हो गया! सोचिए - सेक्स करने को तैयार और वो भी नींद में।

‘ओह गॉड! कैसी सेक्सी लड़की है ये!’


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Lib am

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दोपहर बाद, डेवी के घर पर :

हाथों में चाय का प्याला थामे, और कुर्सी पर सामने की ओर झुकते हुए जयंती ने पूछा, “तो पिंकी, कहाँ तक पहुँची तुम दोनों की प्रेम की नैया?”

जयंती को डेवी के हाथ की बनाई मसाला चाय बहुत पसंद थी! वो जब भी अपने मायके आती, तो डेवी से मसाला चाय की आशा ज़रूर रखती थी। लेकिन इस समय जयंती अपनी चाय को पूरी तरह से नज़रअंदाज कर के बैठी हुई थी, और उसकी आँखें अपनी छोटी बहन के प्यार को ले कर बहुत उत्साहित और उत्सुक थीं। जयंती, देवयानी की बड़ी बहन थी, और उससे चार साल बड़ी थी। हमारी डिनर डेट के बाद डेवी ने जयंती को मेरे बारे में बताया था, और कहा था कि मेरे साथ सम्बन्ध सीरियस होता जा रहा है। दोनों बहनों के बीच में कुछ भी नहीं छुपा था। डेवी के बचपन में ही उसकी माँ की मृत्यु हो गई थी - हाँलाकि उसके डैडी ने अपने दोनों बच्चों के लालन पालन में कोई कमी नहीं रख छोड़ी थी, लेकिन डेवी के जीवन में उसकी माँ की कमी जयंती ने ही पूरी करी थी। जयंती करियर वुमन थी, और चाहती थी कि उसकी छोटी बहन भी अपने पाँवों पर खड़ी हो सके। इसलिए जयंती ने डेवी को आगे पढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया और उसी के चलते डेवी ने अपनी मास्टर्स तक की शिक्षा पूरी करी थी। तब से ले कर अब तक डेवी ने जो कुछ भी हासिल किया, उसमें जयंती का प्रोत्साहन और सहयोग दोनों निहित था। किसी भी स्नेही बड़ी बहन के समान ही जयंती भी चाहती थी कि देवयानी का घर बस जाए और उसको जीवन का वो सुख भी मिल सके, जिससे वो अभी तक वंचित थी। जब से उसको मेरे बारे में पता चला, तब से वो मेरे बारे में जानने को और इच्छुक, और जिज्ञासु होती जा रही थी। डेवी भी हमारी डिनर डेट से लेकर अब तक की सभी घटनाओं से जयंती को अवगत कराती रही थी।

देवयानी ने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया। हाँलाकि डेवी ने जयंती ने हमारे बारे में सब कुछ शेयर किया था, लेकिन न जाने क्यों, वो हमारे अंतरंग सम्बन्ध का ब्यौरा उससे शेयर नहीं कर पा रही थी - उसको यह सही नहीं लग रहा था। हमारे बीच की बातें, हमारी निजी बातें थीं। बहुत ही व्यक्तिगत अंतरंग यादें थीं।

चाय की चुस्की लेते हुए उसने कहा, “कुछ नहीं दीदी! बस किसेस एंड थिंग्स लाइक दैट! और क्या!”

डेवी अपनी बात को सामान्य रखना चाहती थी, लेकिन कुछ ही घण्टों पहले हुए सेक्स के अनुभव के कारण उसके चेहरे पर शरम की लालिमा आ गई थी। ऊपर से उसका निचला होंठ अभी भी थोड़ा सूजन लिए हुए था, जो सामान्य नहीं था।

जयंती ने डेवी के चेहरे को जैसे पढ़ते हुए कहा, “ओह कम ऑन! अब मुझसे छुपाएगी तू? तुम दोनों किसेस करते हो, वो मैं जानती हूँ! लेकिन उसके घर जा कर, इतनी देर रह कर केवल किस कर रहे हो, ये नहीं मानती मैं! तुम दोनों का रोमांस बढ़िया चल रहा है - इसमें केवल किस करने से काम नहीं चलता। अच्छा, ये बता, अमर ने तुझे स्मूच किया...?”

डेवी ने शर्माते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“हाँ?” जयंती ने उत्साहित होते हुए कहा, “और क्या क्या किया उसने?”

“कुछ नहीं दीदी!”

“अच्छा,” जयंती ने थोड़ा कुरेदा, “इतना तो बता दे, उसने तेरे मम्मे दबाए या नहीं?”

देवयानी ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया, “हा हा! हाँ दीदी... शर्ट के ऊपर से।”

“हाँ हाँ! शर्ट के ऊपर से मेरा सर...!”

“सच में दीदी!”

“ठीक है - मत बताओ। लेकिन इतना दो बता दे - जब उसने तेरे मम्मे दबाए, तो तुझे अच्छा तो लगा?”

“हा हा हा! दीदी - तुम भी न!” डेवी ने खिलखिला कर हँसते हुए कहा, “हाँ! बहुत अच्छा लगा! बहुत सेक्सी!”

“हम्म्म! गुड! अच्छा, क्या तुमने... उम्, अमर का... वो छुआ?” जयंती ने फुसफुसाते हुए पूछा।

जब देवयानी ने कुछ देर कोई जवाब नहीं दिया तो जयंती ने ही कहा,

“ओह गॉड! तूने छुआ? सही! बता, कैसा है उसका? कितना बड़ा है?”

“दीदी!” डेवी ने झेंपते हुए कहा।

“अबे क्या दीदी! बता न!”

देवयानी ने सोचा और निश्चित किया कि अपनी दीदी को हमारी अंतरंगता के बारे कितनी जानकारी देना ठीक रहेगा!

“जब हम किस कर रहे थे, तो मेरा हाथ उसके ‘उस’ पर बस छू गया था!” डेवी ने स्वीकार किया।

“कैसा था वो? बड़ा था?” जयंती अब मज़े लेने लगी थी।

“दीदी!” डेवी फिर से झेंप गई।

“अरे! मालूम होना चाहिए! तेरे जीजू का ठीक है, लेकिन बड़ा नहीं है! अक्सर मन में आता है कि थोड़ा सा और बड़ा होता तो मज़ा आता! अब अपने हस्बैंड को चेंज तो नहीं कर सकती न! लेकिन तू ठीक से देख कर ही हस्बैंड सेलेक्ट करना! थोड़ा बड़ा सा रहता है, तो मज़ा आता है! इसलिए तो मैं पूछ रही हूँ। चल, बता!”

“बड़ा था दीदी!” डेवी ने शर्माते हुए कहा।

"कितना बड़ा?”

“उम्.. करीब करीब इतना?” डेवी ने अपने अंगूठे और मध्यमा से लगभग पाँच इंच की लम्बाई दिखाई। वो सही आकार दिखा कर जयंती को डाह नहीं देना चाहती थी।

“हा हा! साली! झूठी! केवल हाथ छूने से लम्बाई का पता चलता है क्या?” जयंती ने ठठाकर हँसते हुए कहा, “गलती से छू रही थी, कि प्यार से सहला रही थी थी उसके ‘उसको’?”

जयंती की बात पर डेवी के गालों की रंगत लाल हो गई। कुछ देर पहले के दृश्य उसके मानस पटल पर नाचने लगे। उधर जयंती ने कुरेदना जारी रखा,

“लेकिन मैं उसकी लम्बाई नहीं, मोटाई के बारे में पूछ रही थी। जितना तुम दिखा रही हो, उससे तो अमर की लंबाई अच्छी लगती है... कम नहीं है! तेरे जीजू की ही तरह है... लेकिन काम की बात तो मोटाई है! वो कैसा है?”

“दीदी! मैंने कहा न! मेरा हाथ केवल उसको... छुआ था!”

"हम्म... मुझे तेरी बात पर विश्वास नहीं है, लेकिन जाने देती हूँ फिलहाल! तू खुद ही बताएगी कभी! लेकिन मैं तुझे अपने एक्सपीरियंस से बताए देती हूँ कि सेक्स में लंबाई का उतना मतलब नहीं है। अगर पीनस बहुत लंबा होता है न, तो सर्विक्स को चोट मारता रहेगा हर धक्के में! वो मज़ा नहीं देगा! पीनस में केवल दो बातें मायने रखती हैं - एक तो यह कि वो एनफ मोटा है या नहीं - भरा भरा महसूस होता है, तो मज़ा आता है; और दूसरा यह कि वो देर तक कड़ा रह पाता है या नहीं - आदमी के साथ साथ लड़की को भी तो ओर्गास्म आना चाहिए न! इसलिए!”

देवयानी का मन हुआ कि वो अपनी दीदी को सब कुछ बता दे, लेकिन किसी तरह से उसने अपनी इस इच्छा को नियंत्रित किया। वो कैसे बता देती कि उसको सम्भोग के कितना आनंद महसूस हुआ था! ये सब बातें ऐसे थोड़े ही बताई जाती हैं! जयंती ने डेवी को सोचते हुए देखा, तो उसको थोड़ा और कुरेदने का सोचा,

“अच्छा, छूने पर क्या वो मज़बूत लग रहा था?” जयंती उसको इतनी आसानी से जाने नहीं देने वाली थी।

देवयानी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया - उसकी आँखों में उत्साह स्पष्ट दिखाई दे रहा था। हमारे पहले सम्भोग के कामुक दृश्य उसके मानस पटल पर फिर से कौंध गए।

जयंती अब कहीं जा कर अपनी कुर्सी पर पीछे की ओर आराम से टेक लगा कर बैठ गई; उसने मुस्कुराते हुए अपनी छोटी बहन पर एक गहरी नज़र डाली, और बोली, “तुम लकी हो, लड़की! खुश रहो हमेशा!”

उधर, देवयानी समझ रही थी कि जयंती को उस पर शक है - शक क्या, यकीन है कि उसका और मेरा सम्भोग हो चुका है! जयंती दीदी की शादी को पिछले छः साल बीत चुके थे और उनके दो बच्चे थे - छोटा वाला केवल छः महीने का था। जाहिर सी बात है, जयंती को मालूम था कि एक शक्तिशाली और आनंददायक सेक्स का प्रभाव किसी लड़की पर कैसा होता है! लेकिन जयंती ने भी शालीनता और सम्मान बरकरार रखते हुए डेवी से और कुछ नहीं कहा।

कुछ देर ऐसे ही चाय की चुस्कियाँ लेते हुए जयंती ने पूछा, “तुझे अमर के साथ अच्छा तो लगता है न?”

इस प्रश्न पर डेवी खिल गई, और अगले एक घंटे तक दोनों बहनें बातें करती रहीं और खिलखिलाती रहीं।

बात ख़तम करने से पहले जयंती ने डेवी को सुझाव दिया कि डैडी से मिलवाने से पहले, अमर और उनको मिल लेना चाहिए। डैडी और जयंती में जयंती अधिक फ्रेंडली है! इसलिए! किसी भी बहाने मिलवा दे! सप्ताहांत ठीक रहेगा। वैसे कोई भी दिन ठीक रहेगा! अब शादी की दिशा में प्रयास करना चाहिए और परिवारों को आपस में मिलना चाहिए! इत्यादि।

जब दोनों यह सारी योजनाएँ बना रही थीं, तब डेवी का पेजर गूँजा। उसने चुपके से, बाहर जा कर एकांत में मेरा मैसेज पढ़ा और मुस्कुरा दी।

“Miss u already.”

मुस्कुराते हुए डेवी ने जवाब लिखा, “Me 2. Luv ya loads.”

हम दोनों ने ही अभी हाल ही में अपने लिए पेजर लिए थे - फ़ोन पर हमेशा बात करना संभव नहीं था। घर में कोई भी उसको उठा सकता था। पेजर बहुत ही पर्सनल था। भारतीय बाजार में हाल ही में आया था, और महँगा होने के कारण एक तरह का स्टेटस सिम्बल भी था। लेकिन डेवी और मेरे लिए स्टेटस नहीं, बल्कि कनवीनियंस की आवश्यकता थी। मोबाइल फ़ोन बाद में आए।


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डेवी के जाने के बाद घर खाली खाली सा लग रहा था! ऐसा लग रहा था कि जैसे डेवी को यहीं रहना चाहिए - यही उसका घर है! मेरे साथ, मेरे पास! घर भर में उसकी ही महक फैली हुई थी। घर भर में फैली हुई थी या मेरे दिलोदिमाग में! प्रेमियों से इस तरह के प्रश्न नहीं पूछने चाहिए! डेवी की महक! ओह, कितनी मादक महक! उस महक मात्र से मुझको आंशिक रूप से उत्तेजना होने लगी थी! इतना शक्तिशाली सम्भोग था हमारा, कि मैं थक गया था! लेकिन फिर भी आँखों से नींद कोसों दूर थी!

कोई और समय होता तो डेवी को रोक लेता अपने ही पास! लेकिन उसने कहा कि जयंती दीदी घर आने वाली हैं। वो हर महीने दो तीन दिन के लिए घर आती थीं। रहती यहीं दिल्ली में ही थीं, लेकिन उनका अब अपना संसार था। ऐसे में अपने डैडी और छोटी बहन को देखने के लिए समय निकालना पड़ता था।

एक दो घंटा तो जैसे तैसे निकल गया, लेकिन फिर डेवी की याद बहुत अधिक सताने लगी।

मैंने अपना पेजर निकाला, और एक मैसेज टाइप किया, “Miss u already.”

डेवी के बिना घर का सूनापन बेचैन कर देने वाला था। डेवी ही मेरी ख़ुशी थी अब। उसकी मौजूदगी का मतलब था कि मेरे जीवन में रौनक है! हमारा सम्भोग बेहद मज़ेदार और आनंददायक था - लेकिन उसकी याद मुझे नहीं सता रही थी। याद सता रही थी मुझे देवयानी की - मेरी प्यारी सी, सुंदर सी, मुझसे आलिंगनबद्ध देवयानी की! जो मुझे अपने प्रेम में मीठे से आवरण में लपेटे हुए थी! वो छवि कितनी खूबसूरत और सेक्सी थी!

थोड़ी ही देर में मेरा पेजर गूंज उठा।

देवयानी का जवाब आया था, “Me 2. Luv ya loads.”

मैं मुस्कुराया और पेजर को बेडसाइड टेबल पर रख दिया।

कुछ बहुत ही ख़ास बात तो थी देवयानी में! उसकी सुंदरता, उसकी कशिश, उसका भोलापन, उसका सयानापन, उसका मातृत्व, उसकी चंचलता! सब कुछ बहुत ही प्यारा था! हमारे पहले सम्भोग के दौरान और उसके बाद अपने घर वापस जाने तक, डेवी ने एक भी कपड़ा नहीं पहना था - उसको गर्म रखने के लिए कमरे में हीटर जलाना पड़ा! और जब वो अपने घर के लिए निकली, तो वो अपनी लैवेंडर रंग वाली पैंटी यहीं छोड़ गई - मेरे लिए! कैसा नटखटपन! मैं सच में उससे पूरी तरह से मंत्रमुग्ध सा हो गया था। गैबी के साथ अलग ही तरह का प्यार था। उसके साथ एक अलग ही तरह का एहसास था। शायद यह पहेली विविधता और अनूठेपन के प्रतिच्छेदन को समझने से ही सुलझे! मुझे यह पहेली सुलझानी भी नहीं थी। गैबी का मेरे दिल में एक अलग ही स्थान था और डेवी का एक अलग ही! किस्मत से मुझे दो बेहद अभूतपूर्व लड़कियों का प्रेम मिला था! और मैं अब इसको जाने नहीं देने वाला था।

मैं सोच विचार में डूब गया - हमारा भविष्य क्या होगा? हमारा रिश्ता कैसे हो सकता है? ऐसा न हो कि हममें से किसी एक को शादी के बाद अपनी नौकरी बदलनी पड़े - कई ऑफिसों में ऐसा होता है! क्या उसका परिवार हमारे रिश्ते, हमारे मिलन को अपनी मंज़ूरी देगा? मैं डेवी के लिए अपनी इस तीव्र इच्छा, इस शक्तिशाली आकर्षण को कैसे संभालूं? मेरे सोच विचार में बस डेवी ही डेवी छाई हुई थी! उसका सुंदर चेहरा, उसकी सेक्सी आँखें, वह अद्भुत सी मुस्कान, और उसका सेक्सी यौवन!

सोने से पहले मैंने पेजर पर एक और मैसेज किया, “See u again? Morning? Breakfast?”

करीब एक घंटे बाद उसका जवाब आया। तब तक मैं गहरी नींद में था। जब पेजर गूँजा तो अवचेतना ने मुझे बताया कि कोई मैसेज आया है। मैं पूरी तरह तो नहीं, लेकिन लगभग 20 प्रतिशत जाग गया था, और उसी आधी नींद वाली अवस्था में मैंने डेवी के संदेशों की एक श्रृंखला पढ़ी -

“OK. I will come.”

“U wont get my other panties. 2 bad u asked me nt 2 wear them.”

“This time stay inside me some more.”

आखिरी वाला मैसेज पढ़ते ही मेरा लिंग जैसे जीवित हो उठा और तमतमाते हुए स्तंभित हो गया! सोचिए - सेक्स करने को तैयार और वो भी नींद में।

‘ओह गॉड! कैसी सेक्सी लड़की है ये!’


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बहुत ही खूबसूरत लेखन। डेबी और अमर का प्यार अब काफी आगे आ चुका तो अब उसको मंजिल तक ले जाना लाजिमी है। देखते है अमर डेबी के परिवार से कैसे मिलता है और क्या होता है।
 
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avsji

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बहुत ही खूबसूरत लेखन। डेबी और अमर का प्यार अब काफी आगे आ चुका तो अब उसको मंजिल तक ले जाना लाजिमी है। देखते है अमर डेबी के परिवार से कैसे मिलता है और क्या होता है।
धन्यवाद मित्रवर! देवयानी पसंद आने लगी या नहीं? 😊
 
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Bks@0909

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अगर या स्टोरी अभी तक 25 परसेंट ही पूरी हुई है तो लगता है कि कहानी में और भी नई हीरोइन आने वाली हैं
 
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