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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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avsji

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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #11


आज रविवार था। मतलब आज भी चैन से नींद!

मुझे थोड़ी ग्लानि भी हो रही थी - कुछ दिनों से खाना पीना बढ़ गया था, और व्यायाम करना थोड़ा घट गया था। लेकिन, ठंडक में थोड़ी परेशानियाँ तो हो ही जाती हैं (सभी को मालूम है कि यह सब बहाने बनाने वाली बातें हैं)। सर्दियों में उत्तर भारत में तो कहते भी हैं न कि ये सेहत बनाने का टाइम है! मतलब खा पी कर थोड़े मोटे हो जाओ। अच्छी बात यह थी कि खाना पीना बढ़ा था, लेकिन उसकी गुणवत्ता नहीं कम हुई थी। इसलिए शरीर पर जो भी कुछ चढ़ रहा था, वो नुकसानदायक नहीं था।

रात में अद्भुत नींद आई - सपने में देवयानी भी थी, गैबी भी थी, और काजल भी! इससे हसीन सपना और क्या हो सकता है? मेरे जीवन में सभी सबसे अज़ीज़ और अंतरंग स्त्रियाँ (माँ को छोड़ कर), मेरे साथ थीं। ऐसा नहीं था कि हम सम्भोग कर रहे थे, लेकिन हम चारों मिल कर आनंददायक और अंतरंग समय व्यतीत कर रहे थे! पूरे विवरण तो याद नहीं, लेकिन मुझे यह तो याद है कि मुझे उन तीनों के सान्निध्य में सुख बहुत मिला था!

ऐसे ही एक के बाद एक हसीन सपने देखते हुए अचानक ही मुझे अपने घर के दरवाज़े की घंटी ही आवाज़ सुनाई दी। किसी ने दरवाज़े पर दस्तख़त दी थी। मेरी नींद उस घंटी की आवाज़ सुन कर ही खुली। घड़ी पर नज़र डाली तो देखा आठ बजे थे!

‘आठ बज गए! अरे प्रभु!’

आज तो बहुत देर हो गई थी - मतलब आज भी सुबह का व्यायाम गया काम से! दोपहर या शाम में कोशिश करनी होगी! मैं अभी भी लगभग पूरी तरह नींद में ही था।

दोबारा घंटी बजी।

‘डेवी होगी! वो सवेरे सवेरे ही तो आने वाली थी आज!’ नींद से थोड़ा बाहर आते ही मेरे दिमाग में आया पहला विचार था।

मैं जैसे तैसे बिस्तर से उठा - मेरी आँखें अभी भी लगभग बंद थीं। मैं उनींदा था। नींद के कारण मेरे पैर अस्थिरता से चल रहे थे। और, मैं पूरी तरह से नंगा था! जैसा कि पाठकों को मालूम होगा - मैं नग्न ही सोता हूँ। खिड़की से आती रौशनी से लग रहा था कि साढ़े छः ही बजे होंगे - जाहिर सी बात है, आज कोहरा बढ़ गया था।

मुझे तो यही ज्ञात था कि आने वाली डेवी ही होगी! अगर मुझे थोड़ी भी भनक होती, तो मैं नीचे कुछ पहन लेता - लेकिन अगर केवल डेवी है, तो कुछ भी पहनने की क्या ज़रुरत? मैंने दरवाजे की सिटकनी हटाई और दरवाज़ा खोल दिया।

“हाइईईई... वूप्स... हा हा हा!”

मैं अभी भी उनींदा था - एक अपरिचित महिला की आवाज! पहले उसकी आवाज़ कभी नहीं सुनी!

“ओह हनी! हा हा हा!” थोड़ी और ठठाकर कर हँसने की आवाज़, “अमर, जाओ और कुछ पहन लो पहले... हा हा हा!! पिंकी... यार, अमर तो बहुत हैंडसम है, और प्यारा भी!! हा हा हा!”

शुरुआती दो तीन सेकंड तो मैं समझ ही नहीं पाया कि हो क्या रहा है! फिर मुझे चमका कि यह तो डेवी की आवाज ही नहीं थी। तब जा कर मैंने अपनी आँखें खोलीं, और डेवी के बगल एक पूरी तरह से अजनबी महिला को खड़ी हुई देखा!

दिल गले तक आ गया।

‘हाय भगवान्! ये कौन है?’

अचानक ही एक झटके से मैं नींद से बाहर आ गया। ‘कोई और’ - यह ख़याल दिमाग में आते ही मुझे याद आया कि मैं तो पूरी तरह से नंगा था! और हद तो यह थी कि सुबह सुबह होने के कारण मेरा ‘मॉर्निंग वुडी’ (सुबह सुबह का स्तम्भन) बना हुआ था। कल मेरे लिंग के आकार प्रकार को ले कर जयंती दीदी की जैसी भी जिज्ञासा थी, इस दृश्य से शांत हो जानी चाहिए थी।

“हनी, चलो! अंदर चलते हैं!” यह डेवी ने कहा। वो भी मुस्कुरा रही थी।

मैं अभी भी दरवाजे को पकड़े हुए था। जैसे ही मुझे अपनी स्थिति का भान हुआ, मैंने एक हाथ से अपने उग्र लिंग को छिपाने की कोशिश की! लेकिन जाहिर सी बात है, मेरा लिंग केवल हाथ से ही छुपने वाला नहीं था, लिहाज़ा, ये बेकार का प्रयास था। दोनों लड़कियों को तब तक मेरे नग्न शरीर का तसल्लीबख़्श प्रदर्शन मिल गया था।

“कम अमर, प्लीज! एंड प्लीज डोंट बी इम्बैरस्ड बिकॉज़ ऑफ़ अस!”

‘फिर वही औरत! आखिर ये है कौन?’

न जाने क्यों वो जानी-पहचानी लग रही थी।

“आप... कौन?” मैंने अपनी उनींदी आवाज़ में पूछा!

उसने धीरे से मुझे हॉल के अंदर धकेला, और मेरे गाल को चूम लिया।

आई होप दैट यू वोन्ट फील बैड, पिंकी!” उसने डेवी से मुस्कुराते हुए कहा, तब तक हम सभी हॉल में आ गए थे, “अमर तो मुझसे बहुत छोटा भी है, और बहुत प्यारा भी है!”

अब तक मैं पूरी तरह से जाग गया था।

‘ओह, अब समझ आ रहा था! शकल डेवी से मिलती जुलती थी इनकी! ओह, मतलब, ये डेवी की बड़ी बहन थी! हाय भगवान्!’

अब मुझे अपनी हालत पर शर्म आने लगी। जयंती दीदी ऊँचाई में डेवी से थोड़ी थीं; शकल बहुत हद तक डेवी से ही मिलती थी। उनके लंबे, घने और काले बाल पोनीटेल में बंधे हुए थे। वो थोड़ी सी मोटी भी थीं [आखिर वो दो बच्चों की माँ थीं - उनका छोटा बच्चा अभी केवल छः महीने का ही हुआ था]। वैसे जयंती दी भी डेवी की तरह ही आकर्षक महिला थीं। माँ बनने के पहले वो कोई मॉडल टाइप लड़की रही होंगी!

सुबह सवेरे मेरा उल्लू बन गया था - लेकिन फिर भी जयंती दीदी, और डेवी - दोनों ही बड़े स्नेह से मुस्कुरा रही थीं। उम्र में छोटा होने का लाभ तो होता है - स्त्रियों में आपके लिए बड़ा मातृत्व भाव उत्पन्न हो जाता है! मैंने डेवी को देखा - इतनी सुबह-सुबह भी वो कैसी शानदार लग रही थी… लगभग दीप्तिमान! डेवी की खूबसूरती देख कर उस गाने की लाइनें याद आ गईं,

अब क्या मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की,

इनसान बन गई है किरण माहताब की
…’

हाँ - माहताब होता तो चाँद है, लेकिन यहाँ शब्द नहीं, भावनाओं को समझने की ज़रुरत है!

डेवी के चेहरे पर जो आभा थी, जो दीप्ति थी, क्या वो कल के हमारे मिलन के कारण थी, या कुछ और? मैं ठीक ठीक कुछ कह नहीं सका। शायद उसने भी बहुत देर से खुद को ज़ब्त किया हुआ था, लिहाज़ा, उस बड़ी तेजी से मेरी तरफ आई और अपनी बाहों को मेरी कमर के चारों ओर लपेटकर मुझे कसकर अपने गले से लगा लिया।

ओह हनी, आई मिस्ड यू!” उसने कहा!

“मिस्ड यू टू,” मैंने भी जवाब में, डेवी को अपने में समेटते हुए कहा।

मेरे आलिंगन में उसके बालों और शरीर की महक मेरे मन में समाने लगी! हमने एक संछिप्त सा चुम्बन लिया-दिया। जब हमारा आलिंगन छूटा, तो मुझे शिष्टाचार याद आया। मैंने जयंती दीदी की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया,

“नमस्ते, दीदी!”

“हा हा! नमस्ते अमर!” वो मुस्कुराईं, “आई ऍम सो हैप्पी टू फाइनली मीट यू!” और उन्होंने मेरा हाथ मिलाया, “कितना कुछ सुन लिया है तुम्हारे बारे में, इतने ही दिनों में।”

जयंती दीदी की बड़ी बड़ी, काली काली आँखें मुझसे मिलने की ख़ुशी से लगभग चमक उठीं। उनकी चौड़ी मुस्कान बड़ी सुन्दर थी - होंठों से उनके चमकीले सफेद दांत दिखाई दे रहे थे। बहुत ही सुन्दर व्यक्तित्व!

डेवी ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा, “अमर, मीट माय दीदी, जयंती! एंड दीदी, मीट अमर, माय फ्यूचर हस्बैंड! अमर, मेरी दीदी मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं!” उसने चहकते हुए कहा, फिर थोड़ा रुकी, और फिर मेरी बाँह खींचते हुए बोली, “चलो, पहले आप कुछ पहन तो लो!”

“हा हा हा हा!” जयंती दीदी खिलखिला कर हँसते हुए बोली, “अरे अगर न भी पहनना हो, तो भी ठीक है! यहाँ तो सबसे बूढ़ी मैं ही हूँ!”

“ओह दीदी, ऐसे मत बोलो! अमर विल बी इम्बैरेस्ड!”

“इम्बैरेस्ड होने की कोई जरूरत नहीं है, अमर। यू आर वैरी हैंडसम एंड क्यूट!”

“दीदी…” डेवी ने दिखावटी आपत्ति दर्ज़ करी।

“अरे, मैंने क्या कहा?” जयंती दीदी ने कहा।

तब तक मैं कमरे में चला गया कपड़े पहनने।

“पिंकी, यू आर सो लकी यार!” मेरे जाने के बाद जयंती दी ने फुसफुसाते हुए डेवी के कान में कहा।

“क्यों? क्या हुआ दीदी?”

“क्या हुआ? अरे, कितना तो हैंडसम है अमर! और उसका पीनस... यार वह तो बहुत बढ़िया और मज़बूत है!”

“दीदी!”

“क्या दीदी!? अरे मैं सच में कह रही हूँ! अमर पूरे का पूरा बहुत खूबसूरत नौजवान है। और झूठी कहीं की - मुझे कितना छोटा सा दिखा रही थी। इसका तो कितना बड़ा है, और मोटा भी! और मजबूत। गुड जॉब!”

“गन्दी दीदी!” डेवी ने हँसते हुए कहा।

“अबे! तू गन्दी! रोज़ रोज़ तू अपनी इसी मोटे से पीनस से कुटाई करवाएगी, और गन्दी मैं हो गई? वाह रे वाह!”

दोनों लड़कियाँ इसी तरह से एक दूसरे से छेड़-खानी करती रहीं, और मैं अपने कपड़े पहनने लगा। जब मैं शॉर्ट्स और स्वेटर पहन कर वापस कमरे में आया तो जयंती दीदी ने कहा,

“अमर, देवयानी मुझे तुम्हारे बारे में सब बताती है। कितने ही दिनों से मेरा मन था तुमसे मिलने का... इसलिए आज जब मौका मिला, तो मैं तुमसे मिलने का लालच रोक नहीं पाई। ये मैडम तो अकेले ही आने वाली थीं, लेकिन मैंने आज ठान लिया था कि मैं आज मैं तुम्हारे क़बाब में हड्डी ज़रूर बनूँगी!”

जयंती दी के बात करने का बिंदास अंदाज़, और उनका खुशमिज़ाज़ व्यवहार देख कर मैं हँसे बिना नहीं रह सका। दोनों लड़कियाँ कितनी एक जैसी और कितनी अलग हो सकती थीं! कमाल वाली बात है!

खैर, मैं और जयंती दीदी (दी) ड्राइंग रूम में बैठ कर बातें करने लगे, जबकि देवयानी किचन में जा कर हम तीनों के लिए नाश्ता बनाने लगी। मैं मदद करने के लिए जाने वाला था लेकिन दीदी ने ही मना कर दिया। उनका कहना था कि ये मेरे लिए मौका है देखने का कि डेवी को कुछ पकाना आता भी है या नहीं! तीनों ने ही कुछ नहीं खाया था, इसलिए साथ में बैठ कर ब्रेकफास्ट करना एक अच्छा विचार था। देवयानी को मालूम था कि मैं बेहद बेसिक सा नाश्ता / खाना खाता हूँ (कोई भी मोटा अनाज - जैसे नाश्ते में दलिया, ओट्स, और साथ में फल), इसलिए वो घर आते समय, नाश्ता बनाने के लिए अपने साथ कुछ सामान भी लेती आई थी, जो तीनों की पसंद का हो। मतलब दोनों का इरादा घर आ कर नाश्ता पकाने का था।

मुझे जयंती दी से बात कर के बहुत अच्छा लगा। वो बहुत ही मिलनसार, बहुत ही जीवंत, बहुत ही ऊर्जावान, और मजाकिया लगीं। डेवी भी बीच बीच में रसोई से बाहर आ कर हमारी बात चीत में शामिल हो जाती। बीच बीच में वो दोनों कोई न कोई शिगूफ़ा छोड़ देतीं, और फिर खूब हंसतीं - भले ही कितनी भी बेतुकी बात क्यों न हो! मुझे इस तरह से वजह-बेवजह हँसने वाले लोग बहुत पसंद आते हैं। लेकिन उससे भी बढ़िया बात जो मैंने देखी वो यह कि दोनों में बहुत ही अधिक प्यार था। कई सारी सगी बहनों में भी मैंने इस तरह का प्यार, इस तरह की प्रगाढ़ता और इस तरह की उन्मुक्तता मैंने नहीं देखी। उन्होंने अपने बचपन, डेवी के बड़े होने की, और इसी प्रकार की अन्य बातें बताईं। उनसे बात कर के एक विचार मन में आया कि मेरा सम्बन्ध एक अच्छे, प्रेम-भरे परिवार में हो रहा है! सोच कर बहुत अच्छा लगा।

कोई एक घंटे बाद नाश्ता तैयार था, जिसको बहुत ही स्वादिष्ट मसाला चाय के साथ डेवी ने नाश्ते को खाने की टेबल पर सजा दिया। तब तक कोहरा छंट गया था, और सूरज खिल कर दिखाई देने लगा था। मैंने खिड़कियों के शीशे सब बंद कर दिए थे, इसलिए घर के अंदर तेजी से गर्मी होने लगी। इतनी कि जब तक हमने नाश्ता ख़तम किया, तब तक हमको पसीने भी आने लगे। तब याद आया कि सभी ने स्वेटर पहना हुआ था, जबकी उसकी कोई ज़रुरत ही नहीं थी। जब मैंने यह कहा, तो सभी ने अपने स्वेटर उतार दिए - तब जा कर कुछ आराम सा मिला।

लेकिन फिर भी बात चीत में हम सभी बड़े मगन थे। जयंती दीदी मुझसे मेरे घर के बारे में कई सारे प्रश्न पूछ रही थीं, और अपने घर के बारे में बता भी रही थीं। वैसे हम तीनों बात तो कर रहे थे, लेकिन साथ ही साथ डेवी के लिए मेरी इच्छा बलवती हो रही थी। घर की सभी खिड़कियाँ बंद थीं, और उनसे छन छन कर सूर्य की गर्मी घर को भर रही थी! और उसके साथ ही साथ मेरी और डेवी की कामुक इच्छाओं की गर्मी भी घर को भर रही थी! और जयंती दी को हमारी इच्छाएँ साफ़ दिखाई दे रही थीं!

सवेरे जब डेवी यहाँ आने को तैयार हो रही थी, तब जयंती दी ने देखा था कि उसने अंदर कुछ भी नहीं पहना था। बहुत स्पष्ट सी बात थी कि क्यों! उनको पूरा संदेह था कि हम दोनों अपने सम्बन्ध में बहुत आगे निकल चुके हैं। अब जब यह बात उनके सामने थी, तो उनको किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं थी। जयंती दीदी ने हमको एक दूसरे से हंसी मज़ाक करते हुए, और एक दूसरे को चिढ़ाते हुए देखा। उन्होंने हमें कुछ पलों के लिए देखा और मुस्कुराईं। उनको हम दोनों साथ में बहुत बढ़िया लगे! एक अच्छी दिखने वाली जोड़ी!

“बच्चों, तुम दोनों अंदर चले जाओ! अपने कमरे में!” जयंती दीदी ने कहा।

“हम्म? क्या दीदी?” डेवी अपनी बहन की ओर मुड़ी। हमने वाकई नहीं सुना जो उन्होंने कहा।

“मैंने कहा कि तुम दोनों अपने कमरे में चले जाओ!” जयंती दी ने अपनी बात दोहराई।

“ले.. लेकिन.. क्यों?” देवयानी ठिठक गई।

“ओह पिंकी! बस कर ये नाटक!” जयंती दी ने डेवी को एक प्यार भरी झिड़की दी, और मेरी ओर मुखातिब होते हुए बोलीं, “अमर, इसको अपने कमरे में ले जाओ और अच्छे से प्यार करो इसके साथ!” जयंती दीदी ने बेहद दो टूक तरीके से अपनी बात कह दी!

मैं कुछ कहता कि उन्होंने अपना हाथ उठा कर मुझे शांत रहने को कहा और बोलती रहीं, “नहीं रुको - मुझे बोल लेने दो! मुझे पता है कि तुम दोनों सेक्स करना चाहते हो... वेट! डोंट इंटरप्ट मी! तुम दोनों अंदर जाओ! आराम से सेक्स कर लो! जब तुम दोनों अच्छी तरह से संतुष्ट हो जाओ, तो हम फिर से बात करेंगे। ओके?”

“लेकिन दीदी!” मैं अभी भी यकीन नहीं कर पा रहा था कि वो ऐसा कुछ कह भी सकतीं है।

“अरे यार! अमर, अब तुम भी न शुरू हो जाना!” दीदी अब हँसने लगीं, “कल मैं अपनी पिंकी के चेहरे पर चमक और उसकी चाल में बदलाव को देख कर ही समझ गई थी कि उसको सेक्स का मज़ा मिल गया है। और सवेरे भी तुम उसी की आस में उठे थे! हा हा! चलो, अभी शरमाओ मत, आराम से कर लो, और जब फ्री हो जाना, तब बात करते हैं!”
 

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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #12


इतना कह कर जयंती दी उठीं, और दूसरे कमरे में जाने लगीं। मैंने उनको उठते हुए देखा। मैं आश्चर्यचकित था कि जयंती दी हमको सेक्स करने के लिए कह रही थीं। यह एक अभूतपूर्व सी बात थी! वो कैसे हम दोनों के मन की बात यूँ समझ गईं! समझ गईं तो समझ गईं, लेकिन वो हमको हमारी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही थीं! इसके पहले केवल माँ ही मुझको ऐसे करने के लिए कहती थीं। जयंती दी की इस बात ने मेरे शरीर में उत्तेजना की एक अबूझ सी झुनझुनी फैला दी! मेरा लिंग तेजी से खड़ा होने लगा। तब तक जयंती दी दूसरे वाले कमरे में चली गई थीं। देवयानी उनकी बात पर बेहद शर्मिंदा हो गई थी - यह कोई कहने वाली बात नहीं है।

“अरे दीदी, रुको तो!” देवयानी ने उनसे कहा।

“पिंकी, शरमाओ मत! ... तुम कर लो! मैं यहीं बगल वाले कमरे में हूँ!” जयंती दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा, “आई नो कि तुम्हारा मन है! इसलिए शरमाओ मत!”

इतना कह कर जयंती दीदी कमरे से बाहर चली गईं। दीदी के जाते ही मैंने उनकी अनुमति पर क्रियान्वयन करना शुरू कर दिया।

“जानेमन...” मैंने हाथ बढ़ा कर डेवी का एक स्तन छुआ।

“धत्त! बदमाश!” डेवी ने हँसते हुए मेरे हाथ पर एक चपत लगाई!

“अरे, धत्त काहे को? अब तो दीदी ने भी हमको ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफ़िकेट’ दे दिया है! आओ, करें।” मैं फुसफुसाया; साथ ही साथ उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके स्तन को थोड़ा दबाया।

“क्या करना चाहते हैं, सिंह साहब?” डेवी ने हँसते हुए मुझे छेड़ा।

“तुम्हारे साथ एक हॉट सेक्स!” मैंने भी बेशर्मी से कहा।

“धत्त! पागल हो गए हो क्या? दीदी बगल में ही हैं। उनके रहते हुए मैं ऐसा कुछ नहीं कर सकती!” डेवी ने मुस्कुराते, शरमाते हुए कहा; लेकिन वो शरारत से मुस्कुराते हुए मेरे पीछे देख रही थी कि जयंती दी वाकई दूसरे कमरे में चली गई कि नहीं!

“अरे यार! ऐसे मत करो! चलो न! बहुत मन हो रहा है!”

“कहाँ चलना है?”

“कहीं नहीं! बस यहीं बैडरूम में! वहीं कर लेंगे! बहुत मन हो रहा है!”

“कर लेंगे? क्या कर लेंगे? किस बात का मन हो रहा है?” डेवी ने मुझे छेड़ते हुए कहा।

“तुम्हारा बाजा बजाने का मेरी जान!” मैंने भी डेवी को छेड़ा।

“हट्ट! बद्तमीज़!”

“अरे कर लो! नहीं तो ये सूज जाएगी और दर्द करेगी!”

“सूज जाएगी नहीं, सूज गई है!” डेवी ने शर्माते हुए कहा।

“इसीलिए तो! एक बार और कर दूँगा तो दर्द कम हो जायेगा, और तुमको अच्छा लगेगा। थोड़ी राहत भी मिलेगी!” मैं हँसा।

“हा हा हा!” डेवी भी जानती थी कि यह केवल एक बहाना था, “तुम्हारा तो बस एक ही, युनी-डायरेक्शनल चलता रहता है!”

“तुम कहो तो बाई-डायरेक्शनल चला दूँ?” डेवी का मंतव्य कुछ और था, लेकिन मैंने उसकी ही बात को द्विअर्थी बना दिया। उसको समझ नहीं आया, लेकिन बात आई गई हो गई।

उसने नीचे देखा और पाया कि मेरा लिंग मेरे शॉर्ट्स के सामने वाले हिस्से पर ज़ोर से दबाव डाल रहा है।

“वाह, सिंह साहब तो पूरी तरह तैयार हैं!” उसने मेरे लिंग पर गुदगुदी गुदगुदी करते हुए, एक दबी हुई हँसी निकाली।

मैं कराह उठा, “हाँ! और नहीं तो क्या!”

“अले मेले बच्चे को मेले शाथ शेक्श कलना है!”

वो मुझको छेड़ने की गरज से तुतला कर बोली। लेकिन मैंने उसको अनसुना कर दिया।

डेवी को अपनी बाँहों में खींचकर, मैंने उसे चूमा और अपने नितंबों को उसकी श्रोणि पर रगड़ा, जिससे वो मेरे लिंग के स्तम्भन को अपनी योनि पर महसूस कर सके। हम दोनों बहुत देर कर चूमते रहे; हमारी जीभें एक-दूसरे के मुँह को किसी पुरातत्ववेत्ता के समान खोजती रहीं - कोमलता से, लेकिन पूरे ढंग से! कुछ देर के बाद हम दोनों को ही साँस लेने में दिक्कत होने लगी, लिहाज़ा हमने चुम्बन तोड़ा।

“आह!” डेवी को अपने चूचक कठोर होते हुए महसूस होने लगे; उसने हाँफते हुए कहा, “एक तो आप खुद बदमाश हैं, और अब मुझे भी अपनी बदमाशियाँ सिखाते रहते हैं!”

“मेरी जान, बदमाशी करने में ही तो मज़ा है!” मैंने डेवी को छेड़ते हुए कहा, “चलिए जल्दी से बैडरूम में! थोड़ी और बदमाशियाँ करते हैं।”

मैंने डेवी का हाथ थाम लिया और उसे ‘हमारे’ शयनकक्ष में ले जाने लगा।

हमने अपने पीछे कमरे का दरवाजा बंद नहीं किया, और जल्दी जल्दी एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। जब मैंने अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा, तो मेरे लिंग को देख कर डेवी बोली,

“हाय भगवान्!!” डेवी शरमा गई, और मेरे स्तम्भन को अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए बोली, “तुम वाकई बहुत शरारती हो गए हो!”

“सब तुम्हारी गलती है।” मैं मुस्कुराया, उसके पास बैठ गया।

“हम्म.... सब अच्छी चीजें मेरी ही गलती हैं!” डेवी ने मुस्कुराते हुए कहा।

वो इस बात पर अचंभित थी कि मेरे लिंग की मोटाई पर उसकी मुट्ठी बंद होने के बाद भी, कम से कम एक उंगली की जगह छूट गई थी। जाहिर ही बात है, मेरा लिंग मोटा तो था! अंततः, अनायास ही सही, डेवी मेरे लिंग की नाप-तौल कर रही थी!

“ओह गॉड! ये तो मेरी कलाई से भी मोटा है।” उसने अंत में बोल ही दिया।

“अरे! अभी क्यों शर्मा रही हो? कल तो इसको पूरे का पूरा निगल लिया था तुमने! भूल गई?”

मैंने चुटकी ली, और उसकी चड्ढी को नीचे सरकाने लगा।

डेवी शर्म से लाल हो गई, और चंचलता से उसने मेरे गाल पर एक चपत लगाई, “मैंने इसे निगला नहीं था। तुमने ही इसको जबरदस्ती मेरे अंदर ठेल दिया था।”

डेवी शिकायत तो कर रही थी, लेकिन साथ ही साथ वो मुझे अपनी ब्लाउज उतरवाने में मदद भी कर रही थी।

“जबरदस्ती?”

“और नहीं तो क्या! अपनी बातों में बहका कर, अपनी मन मर्ज़ी कर ली मेरे साथ!”

“तुम्हारे मन का नहीं हुआ क्या?”

डेवी ने मुस्कुराते हुए ‘न’ में सर हिलाया!

“कोई बात नहीं,” मैं भी कहाँ मैदान छोड़ने वाला था, “आज करते हैं सब कुछ तुम्हारी मन मर्ज़ी का!”

डेवी की मुस्कान अब और चौड़ी हो गई थी - उसके सुन्दर से दाँत चमकने लगे।

“क्या तुम नहीं चाहती हो कि मैं फिर से वही सब कुछ करूँ, जो कल किया था?” मैंने पूछा - नहीं, पूछा नहीं, केवल कहा!

अब तक डेवी पूरी तरह से नग्न हो कर मेरे सामने बैठी हुई थी। सच में, उसका सुस्वादु नग्न शरीर, खुद ही एक स्वादिष्ट और शानदार व्यंजन जैसा लग रहा था, जिसको बस तुरंत ही खा लेने की इच्छा हो रही थी।

मैंने डेवी को अपनी ओर खींचा और उसके स्तनों के बीच उसकी छाती पर चूम लिया!

“नोओओओ...” डेवी बड़ी अदा से इठलाई।

“मेरी जान, मैं तो कल से ही तुमको फिर से चोदने का इंतज़ार कर रहा हूँ।” मैंने आहें भरते हुए उसे बिस्तर पर नीचे धकेल दिया।

“गंदे कहीं के!”

“अरे, गन्दा क्यों?” मैंने डेवी की जाँघें खोलते हुए कहा।

“कैसा कैसा बोलते हो?”

“देसी आदमी हूँ, इसलिए चोदूँगा... विदेशी होता, तो फ़क करता!” मैंने हँसते हुए कहा।

मैंने उसकी योनि की ओर देखा - उसके भगोष्ठ कल के सम्भोग की रगड़ के कारण, आज सूजे हुए लग रहे थे। मेरा संदेह सही था। लेकिन क्या करें, मज़ा करना है तो इतना कुछ तो बर्दाश्त करना ही पड़ेगा उसको, और मुझको भी! डेवी का दर्द, मेरा भी तो दर था! डेवी ने मुझे उसको बड़ी दिलचस्पी से देखते हुए देखा, और अपनी जाँघों को फैलाना जारी रखा। उसका योनि-मुख कामुक गीलेपन से चमक रहा था। जाँघें फैलाते समय, प्रारंभ में, डेवी के माँसल भगोष्ठ आपस में चिपके हुए थे, लेकिन जैसे-जैसे वो अपनी जाँघें और फैलाती गई, उसके होंठ एक दूसरे से अलग हो गए और उसकी मुझको ग्रहण करने को तैयार, फिसलन से भरी, सँकरी प्रेम-सुरँग दिखाई देने लगी।

योर पुसी इस सो ब्यूटीफुल!” मैंने उसकी सुंदरता की प्रशंसा करी!

डेवी अपनी प्रशंसा पर मुस्कुराई।

“कल मेरे ब्रेस्ट्स सुन्दर थे, और आज मेरी पुसी?” उसने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “क्या चक्कर है ठाकुर साहब? आप अपने मतलब के हिसाब से मेरी बढ़ाई करते हैं?”

“मतलब तो मुझे तुमसे पूरे से ही है! और तुम पूरी कमाल की हो! आई ऍम सो लकी!”

उसने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा, “आई ऍम आल्सो लकी! कुछ दिनों पहले तक तो मैं सोचती भी नहीं थी की इस लाइफ में मुझे किसी से मोहब्बत भी होगी! लेकिन तुम... तुम आए और सब कुछ बदल गया!”

मैंने इस बात पर डेवी को चूम लिया - मैं भी तो यही सब सोचता था! प्यार तो एक बार ही होता है न? लेकिन शायद मैं ग़लत था - कुछ लोग ख़ुशक़िस्मत होते हैं! मैं भी उनमे से एक था।

“सच में,” डेवी अपनी सोच में डूबते हुए बोली, “जो भी कुछ मेरे साथ हुआ, वो मैं कुछ भी सोच ही नहीं सकती थी!”

फिर जैसे वो अपनी सोच से बाहर निकलती हुई और मुस्कुराती हुई बोली, “पहले तो अपने छोटे भाई जैसे लड़के से प्यार हो गया,”

मैंने उसकी इस बात पर चौंकने का अभिनय करते हुए उसके एक चूचक पर हलके से चिकोटी काट ली! डेवी मेरी इस हरकत पर हँसते हुए आगे बोली, “और अब अपनी बड़ी बहन के सामने ही सेक्स कर रही हूँ!”

“अभी कहाँ? कुछ ही देर में!” मैंने शरारत से कहा।

डेवी ने फिर मेरे लिंग की ओर देखा - अब तक ये वापस अपने पूरे आकार में आ गया था। मेरे शरीर की हरकतों पर वो किसी मत्त हाथी के समान झूल रहा था!

“मैं सोच भी नहीं सकती थी, कि ये मेरे अंदर फिट भी हो पाएगा,” डेवी फुसफुसाते और सकुचाते हुए बोली, “लेकिन हो गया! ... न जाने कैसे!”

रिमार्केबल! है ना?” मैंने डेवी की ही तर्ज़ पर कहा, “कि तुम्हारी इस नन्ही सी चूत ने इसको पूरे का पूरा निगल लिया!”

मेरे मज़ाक पर डेवी ने मेरे लिंग पर एक चिकोटी काट ली।

“आऊ!”

मैंने अपने लिंग को अपने हाथ में पकड़ लिया, और धीरे धीरे से उसके पूरी तरह से गीले हो चले चीरे पर फिराया। एक बार लिंग का सिरा गीला हो गया, तो मैंने अपने उसको डेवी की योनि के नरम, गीले होंठों के बीच में नीचे रखा और धीरे-धीरे धड़कते हुए अंग को नीचे की ओर धकेलने लगा।

“ओह गॉड,” डेवी ने हांफते हुए महसूस किया कि मेरा लिंग उसके अंदर फिसलते हुए प्रवेश कर रहा है, “तुम सच में बहुत बड़े हो।”

“ओह!” मैं उसकी गर्म और मखमली कोमलता में अपनी लंबाई को प्रविष्ट करने के लिए सावधानी से जोर देकर कराह उठा, “बहुत अच्छा लगता है तुम्हारे अंदर मेरी जान!!”

“गॉड! हाँ! मुझे भी ये मेरे अंदर अच्छा लगता है!” डेवी ने हांफते हुए कहा - जब उसने मेरी पूरी लंबाई अपने अंदर महसूस की।

जब हम दोनों की श्रोणियाँ आपस में चुम्बन लेने लगीं, तब हम दोनों ही कामुकता से हांफने लगे!

ओहहहह, आई लव द वे यू लव मी!”

जैसे ही मैं उसकी योनि से अंदर और बाहर खिसकने लगा, डेवी सहम गई। कल से ही हम दोनों ही काम की अगन में जल रहे थे। हमारे प्रथम सम्भोग की संतुष्टि इतनी अधिक थी कि उसने हमारी सम्भोग की भूख बढ़ा दी। अब हम जानते थे कि जब भी हम मिलेंगे, तो बिना सम्भोग किये हमारा कुछ होने वाला नहीं था। डेवी को यह समझ थी - इस कारण से वो हमारी सम्भोग की क्षुदा की तीव्रता से सहम गई।

इस बीच, दूसरे कमरे में जयंती दी बेचैन और जिज्ञासु थी। वो हमें बात करते हुए सुन सकती थी। वो जानना चाहती थी कि हम क्या कर रहे हैं। जयंती दी हमेशा से ही जिज्ञासु थी... हमेशा से ही शरारती। और उनको डेवी से बहुत प्यार भी था। दीदी ने कुछ देर तक इंतजार किया, और फिर धीरे से, दबे पाँव हमारे बेडरूम की ओर बढ़ी। कमरे के दरवाज़े पर पहुँचते ही उसने हमारी आवाज़ें सुनी और उत्सुकता से उसने अंदर की तरफ झाँका। सेक्स को स्वयं करना एक अलग बात है, और किसी अन्य को यह सब अपने सामने करते हुए देखना एक अलग बात है! खासकर तब, जब सेक्स करने वालों में से एक आपकी अपनी, छोटी बहन हो! जयंती दीदी ने जैसे ही अपने सामने का नज़ारा देखा, वो कल्पनातीत रूप से चौंक गई! उनको लगा कि जैसे एक पल के लिए उनके दिल ने धड़कना ही बंद कर दिया।

उनके सामने मैं उनकी प्यारी छोटी बहन की सवारी कर रहा था, और उसकी योनि के अंदर बाहर धक्के लगा रहा था। मेरे हर धक्के पर जिस तरह से मेरे और देवयानी के शरीरों की मांस-पेशियाँ तरंगित हो रही थीं, उसको देख कर जयंती दीदी के दिल की धड़कनें बढ़ गईं। और वो लज्जा और उत्तेजना से हाँफने लगीं! हमारा सम्भोग पूरी तरह से निर्लज्ज था - बिना किसी की परवाह किए हम दोनों ही एक दूसरे में मस्त थे - लगभग पाशविक उत्तेजना! हम दोनों के शरीर जहाँ जुड़े हुए थे, जयंती दी वहाँ से अपनी आँखें ही नहीं हटा पा रही थी! मेरा लिंग, उनकी छोटी बहन की अनुमति और सहर्ष इच्छा से उसकी योनि के अंदर - बाहर शक्तिशाली रूप से फिसल रहा था! प्रत्येक धक्के के साथ, मेरे अंडकोष देवयानी के नितंबों पर थपकी मार रहे थे। जयंती दीदी मेरे लिंग के आकार पर भी चकित थी। उनके पति का लिंग मेरे लिंग के माप से छोटा था। यह सब देख कर उनको देवयानी की किस्मत से ईर्ष्या भी हुई, और ख़ुशी भी! सबसे आश्चर्य वाली बात यह थी कि हमको यौनाचार करते देख कर वो भी उत्तेजित हो गई थी। लेकिन फिर उनको इस बात पर शर्मिंदगी महसूस हुई कि वो हमें ऐसी अंतरंग अवस्था में देख रही हैं, और प्रतिक्रिया में उत्तेजित भी हो रही हैं। फिर अचानक ही - लेकिन मन मार कर - उन्होंने हमें देखना बंद कर दिया, और बड़ी अनिच्छा से वो दूसरे कमरे में चली गईं।

दूसरी ओर, मैं अपने हर धक्के के साथ, खुद को डेवी के अंदर जितना संभव हो सके, उतना अंदर ले जाने का प्रयास कर रहा था। यह एक तरीके का शैतानी भरा खेल था - जिसको देवयानी भी समझ रही थी। कामोत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच कर भी वो इस बात को जानने के बाद अपना मुस्कुराना नहीं रोक सकी। उधर मैं हर धक्के पर हल्की सी गुर्राहट और कराह निकाल रहा था - कोई कुछ भी कहे - एक जोश भरे सम्भोग में ताक़त बहुत जाया होती है! देवयानी के अधिक से अधिक मज़ा दिलाने के लिए मैं अपने लिंग को उसके अंदर जितना हो सकता था, उतना गहरा घुसा रहा था। अंततः उसने अपने चरम पर पहुँच कर अपने पैरों को मेरी कमर के चारों ओर लपेट लिया, और मुझे अपनी योनि में और भी गहराई तक खींच लिया। आठ दस धक्कों के बाद मैंने भी अपना चरम प्राप्त कर लिया, लेकिन अभी भी धक्के लगाना बंद नहीं किया। उसकी वजह से मेरे लिंग की लम्बाई के इर्द गिर्द से मेरा वीर्य बाहर निकलने लगा। अब हर धक्के से मेरा वीर्य, और देवयानी के प्रेम-रस का मिश्रण बाहर आ रहा था। लेकिन फिर भी जब तक स्तम्भन में कठोरता थी, तब तक मैं धक्के लगाता रहा और अपना बीज उसके अंदर भरता - निकालता रहा; और फिर अंत में, उसके ऊपर ही गिर पड़ा।

इतने श्रमसाध्य सम्भोग के बाद मुझे थकावट सी महसूस होने लगी, और हम दोनों ही आलिंगनबद्ध हो कर बहुत देर तक आराम करने लगे! बिना कुछ बोले! सच में - सम्भोग के बाद अगर केवल उस अद्भुत अनुभूति का आनंद उठाया जाए, तो उसका आनंद और बढ़ जाता है! हाँलाकि मेरे लिंग का स्तम्भन कम हो गया था, लेकिन अभी भी मैं और डेवी अपने जननांगों से जुड़े हुए थे। एक हलकी सी भी हरकत से मैं उससे बाहर निकल सकता था। तो अंततः मेरा लिंग उसकी योनि से बाहर निकल ही गया। अब जब हमारा बंधन टूट गया, तो मैं बिस्तर से उठा और बाथरूम में जाकर खुद को साफ करने लगा। साफ़ सफाई के बाद, देवयानी को साफ करने के लिए मग में थोड़ा पानी और एक छोटा सा तौलिया लेकर वापस लौटा।

इजैकुलेशन के बाद तुम्हारा छुन्नू कितना प्यारा सा लगता है, जानू!” उसने कहा और धीरे से हँसी, “उसके पहले ऐसा लगता है कि इसमें कितना गुस्सा भरा हुआ है... किसी गुण्डे जैसा! लेकिन उसके बाद! उसके बाद ये एक बहुत खुश, उछलता और कूदता हुआ बच्चे जैसा दिखता है। क्यूट!”

“तुमको कौन सा रूप पसंद है - गुण्डे वाला या बच्चे वाला?”

“दोनों!” वो प्यार से मुस्कुराई, “मुझे आप पसंद हैं, मेरी जान!”

मैं केवल मुस्कुराया। क्या कहूँ? मैंने देवयानी की योनि की साफ़ सफ़ाई करनी शुरू कर दी।

“मुझे नहीं लगता कि आपने पहले इस तरह का काम किया है?”

‘क्या कह रही थी?’ मुझे डेवी की बात समझ में नहीं आई।

“क्या मतलब है? मैं समझा नहीं!”

“मेरा मतलब है, सेक्स!” उसने शरमाते हुए कहा।

मैं हँसा - कैसी बुद्धू लड़की है - “मैं पहले एक शादीशुदा आदमी रह चुका हूँ, डेवी! याद है? आपको क्या लगता है कि एक शादीशुदा आदमी सेक्स नहीं करेगा, हम्म?”

“नहीं। मेरा मतलब... मेरा मतलब गैबी से नहीं था। मेरा मतलब है, दूसरी औरतों से था।”

“दूसरी औरतें? हा हा! किसी आदमी से उसके सेक्सुअल पास्ट के बारे में कभी मत पूछना,” मैं हँसा, “लेकिन मैं इस समय तुमको एक बात का आश्वासन ज़रूर दे सकता हूँ - मैं जब तक तुम्हारे साथ हूँ, तब तक केवल तुम्हारे साथ हूँ!”

दिस इस क्रिप्टिक!” देवयानी ने मीठी शिकातय करी।

किसी भी सम्बन्ध में पूरी ईमानदारी आवश्यक है - मुझे यह बात समझ में पहले भी आती थी और अभी भी।

“डेवी, क्या तुमको कोई परेशानी होगी, या कोई ऑब्जेक्शन होगा, अगर मेरी गैबी के अलावा कोई और सेक्सुअल पार्टनर रही हो?”

आई डोंट नो!” डेवी ने असमंजस से कहा, “हो सकता है! नहीं?”

“लेकिन आपने भी तो मेरे अलावा किसी और के साथ सेक्स किया है!”

“आई नो! आई थिंक... मुझे शिकायत नहीं होगी - बस एक जेलेसी (ईर्ष्या) वाली फीलिंग होगी कि मुझसे पहले, और गैबी के अलावा, किसी और ने भी आपके साथ इस अद्भुत अनुभव का मज़ा लिया है।”

“हा हा! अरे, यह बात तो मैं भी कह सकता हूँ, न।” मैं मुस्कराया।

“क्या आपको लगता है कि मेरे साथ सेक्स करना एक अद्भुत फीलिंग होती है?”

“बिल्कुल, डेवी! तुम्हारे साथ मुझे सेक्स करने में बहुत मज़ा आता है!” मैंने सहमति व्यक्त की, “और अब हम जल्दी ही एक साथ हो जाएँगे - मैं तो यही सोच सोच कर खुश होता रहता हूँ,” मैं रुका, और फिर आगे जोड़ा, “लेकिन ओनेस्टली, मुझे लगता है कि किसी वर्जिन लड़की को डिफ्लावर करने का अनुभव दिलचस्प होगा!”

मेरी बात पर डेवी ने मेरे कंधे पर चपत लगाई, “डिफ्लॉवरिंग? बद्तमीज़! क्या तुम आदमी लोग ऐसे ही बात करते हो? कितनी ओछी बात!” उसने फिर से चपत लगाने के लिए हाथ उठाया।

“अरे यार! अगर मैं अपनी बीवी से खुल कर बातें नहीं कर सकता, तो और किससे कर सकता हूँ?” मैंने डेवी के उठे हुए हाथ को चूमते है कहा, “और बाई दी वे मैडम, मैं अपनी सेक्स लाइफ के दूसरे आदमियों से बात नहीं करता।”

मेरी बात पर डेवी संतुष्ट हुए, “हम्म... डिफ्लॉवर! यह एक इंटरेस्टिंग वर्ड है। लेकिन यह वर्ड है क्यों?”

उत्तर देने से पहले मैंने देवयानी की जाँघें खोलीं, और उसकी ताज़ी ताज़ी भोगी गई योनि को अपनी उँगलियों से सहलाते हुए कहा, “देखो इसको? देखने पर यह किसी फूल की तरह लगती है! है ना? ट्यूलिप की कली जैसी? लेकिन जब इसमें पीनस घुसता है तो ऐसा लगता है न कि इस कली को जबरन खोल दिया गया हो! है न?” मैंने देवयानी के योनि-पुष्प की पंखुड़ियों को खोलते हुए आगे कहा, “जैसे ये - जैसे तुम्हारी कली की पंखुड़ियाँ खिल गई हैं!”

मेरी बात पर देवयानी शरमा गई, “ठीक है बाबा, समझ गई कि यह एक मेटाफर (रूपक) है। लेकिन... मैं... मुझे कोई जबरदस्ती जैसा नहीं लग रहा है!”

“बिलकूल भी नही! मैंने तुमसे जबरदस्ती नहीं, तुमसे प्यार किया है। और तुमने भी!” मैंने कहा; देवयानी की प्रतिक्रिया का इंतजार किया और उसके कुछ न कहने पर आगे जोड़ा, “हम तो मज़े करते हैं न!”

“क्या गैबी कुंवारी थी?” डेवी ने मासूमियत से पूछा।

मैंने पहले से ही सोच रखा था कि मैं डेवी को अपने रिश्तों के बारे में पूरी ईमानदारी से बता दूँगा। वैसे भी यह कोई छुपाने वाली बात नहीं थी।

“नहीं।”

डिड दैट बॉदर यू?”

“नहीं यार। कैसी बात करती हो? हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे। हम एक दूसरे के लिए बने थे। हाऊ कुड दैट बॉदर मी? वैसे भी, उसने मुझसे मिलने से पहले जो कुछ किया, वो मेरे लिए कोई ख़ास मायने नहीं रखता था।”

पुरानी बातें याद आने लगीं - मुझे लग रहा था कुछ देर गैबी के बारे में बातें कीं तो मेरे आँसू निकलने लगेंगे!

“अमर,” देवयानी ने कोमलता से कहना शुरू किया, “मैं भी वर्जिन नहीं हूँ! विल दैट बॉदर यू?”

इट विल बॉदर मी, इफ यू कीप टॉकिंग अबाउट विर्जिनिटी !”

लेकिन अभी भी डेवी को मेरी बात समझ नहीं आई, “हम्म्म तो,” उसने घबराते हुए कहना शुरू किया, “क्या तुम्हारी कोई और भी... यू नो, कोई और सहेली थी? गैबी के अलावा?”

“हाँ,”

“कौन?” उसकी आवाज डूब गई।
 

avsji

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Supreme
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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #13


“काजल!” मैंने बड़ी सरलता से कहा, “लेकिन वो सब पुरानी बातें हैं! अब वो काजल मेरी गार्जियन की तरह है। जैसे मेरी बड़ी बहन हो! वो और उसके बच्चे अब मेरे माँ और डैड के साथ रहते हैं!”

“सच में?”

“हाँ! माँ और डैड को मेरे बारे में सब मालूम है!” मैं कहा, “इन फैक्ट, इफ यू वांट, शी कैन आल्सो कम टू मीट यू!”

“हा हा! तुमको अजीब नहीं लगेगा?”

“नहीं! क्यों? जैसा कि मैंने तुमको कहा ही है, शी इस मोर लाइक माय गार्जियन नाउ!”

“हम्म! उससे कैसे मिले?”

शी वास माय मेड!”

डेवी कुछ देर चुप रही। मेरे पास यह जानने का कोई तरीका नहीं था कि वो क्या सोच रही थी। मुझे अभी भी लग रहा था कि देवयानी को शायद मेरा काजल के साथ होना अच्छा नहीं लगा, और शायद वो इस बात पर कुछ उद्विग्न थी। इसलिए, मैंने उसको शांत करने की गरज से अपना टाइम टेस्टेड फार्मूला लगाया - मैंने अपनी उँगलियों को उसके दोनों स्तनों के एरोला की परिधि पर कोमलता से चलाया। उसके दोनों चूचक लगभग तुरंत ही खड़े हो गए, साथ ही साथ देवयानी अपनी सोच से बाहर निकल आई।

“मिलवाना,” उसने अचानक ही कहा, “इंटरेस्टिंग लगती है! तुमको पसंद आई है तो कोई मामूली औरत तो नहीं होगी!”

मैं मुस्कुराया।

“क्या ऐज है उसकी?”

“यही कोई पैंतीस छत्तीस साल!”

“हा हा!” डेवी खुल कर हँसते हुए बोली, “क्या मिस्टर सिंह, डू यू हैव अ थिंग फ़ॉर वीमेन ओल्डर दैन यू?”

“क्या पता? गैबी मुझसे ढाई साल बड़ी थी; काजल बारह; और तुम,”

“नौ साल बड़ी!” मेरी बात डेवी ने ही पूरी कर दी!

वो अभी भी हँस रही थी!

“शिट!” मैं भी हँसने लगा, “मेरी सभी लवर्स मेरी माँ जैसी हैं!”

“माँ जैसी?”

“हाँ!” मैं अभी भी हंस रहा था, “माँ वास नॉट इवन फ़िफ़्टीन व्हेन शी हैड मी!”

“व्हाट! व्हाट!!” अब डेवी भी आश्चर्यजनक रूप से चौंक गई, “माँ इस जस्ट फाइव इयर्स ओल्डर दैन मी? आई विल नॉट एड्रेस हर अस माँ वा! आई टेल यू बिफोरहैंड !”

“वो तुम देख लो!”

“हाँ नहीं तो!” वो किलकारी मार कर हँसने लगी, “दीदी जैसी सास! हा हा हा!”

डेवी की हँसी बेहद संक्रामक होती है - मैं खुद भी हँसने लगा! उसकी बात सही थी, लेकिन जिस तरह से उसने अपनी बात कही, उस पर हँसी आ ही गई।

“और डैड की ऐज क्या है?”

फोर्टी सिक्स!”

“चलो नॉट बैड!” वो अभी भी हँस रही थी, “मेरे फ़ादर तो रिटायर हो गए कब के!”

“तो क्या? समधी ही तो बनना है उनको!”

“हाँ जी, समधी तो बनना ही है!” वो मुस्कुराई, “ऐ जानू?”

डेवी ने इतनी मिठास से कहा कि मेरा दिल पिघल गया।

“हम्म?” मैं मुस्कुराया।

“मुझे सोच कर बहुत अच्छा लगता है कि मैं तुम्हारी बीवी बनूँगी!”

सच में, बहुत अच्छा ख़याल है। मैंने उसके दोनों स्तनों के बीच उसकी छाती को चूम लिया। डेवी बहुत खुश और संतुष्ट थी।

“और मुझे यह सोच कर भी बहुत अच्छा लगता है कि मैं तुम्हारे बच्चों की माँ बनूँगी!” डेवी ने कहा तो उसको अपनी ही बात पर शर्म आ गई।

“मुझे भी मेरी जान!” मैंने उसके स्तनों को बारी बारी चूमा, “हम दोनों खूब बच्चे पैदा करेंगे!”

“हा हा! खूब?”

“हाँ, तीन चार!”

“वो क्यूँ जानू?” उसने मासूमियत से पूछा!

“डेवी, माय लव, मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं! और मेरे माँ और डैड को भी!” मैंने थोड़ा संजीदा होते हुए कहा, “वो दोनों मेरे बाद एक दो और बच्चे करना चाहते थे, लेकिन हमारी फाइनेंसियल कंडीशन उतनी अच्छी नहीं थी। इसलिए उन्होंने केवल मुझे एक अच्छी परवरिश देने के लिए अपनी इच्छा दबा दी!” मैंने कहा और थोड़ा रोक गया।

जब डेवी ने कुछ नहीं कहा तो मैं आगे बोला, “तो अगर हम उनको एक बड़ा परिवार दे सकते हैं, तो हम करेंगे न हनी?”

डेवी मुस्कुराई, “बिलकुल करेंगे जानू, बिलकुल करेंगे!” और मुझे अपने सीने में भींचते हुए चूमने लगी।

“लेकिन, चार बच्चे शायद न हो पाएँ?” उसने अचानक ही अपना सुर बदल दिया - उसकी आवाज़ में थोड़ी शरारत भर गई।

“हैं! वो क्यों?”

“देखो, एक बच्चा होने में से, वन ईयर, और दो बच्चों के बीच तीन-चार साल का गैप! तो इस हिसाब से तीन बच्चे इन नाइन इयर्स!”

“हाँ ठीक है! तो?”

“अरे यार, आई विल बी फोर्टी टू देन! तीसरा भी होगा या नहीं, नहीं मालूम!”

“अरे तो क्या हुआ? दो भी बहुत हैं!” मैंने भी शरारत से कहा, “अगर तीसरे का मन हुआ, और हमको न हुआ, तो उस बच्चे को गोद ले लेंगे।”

“हाँ, ये ठीक रहेगा!”

“हाँ! लेकिन प्रॉमिस करो, हमारे हर बच्चे को, तुम अपना दूध पिलाओगी!”

“और किसका पिलाऊँगी?”

“गाय भैंस का नहीं,” मैं कहा, “और एक बात! उनको पिलाते रहना, जब तक दूध बने!”

“हा हा हा! बेशर्म!”

“अरे, इसमें बेशर्मी वाली क्या बात है?” मैंने कहा, “अपना दूध पिलाओगी तो बच्चे हेल्दी रहेंगे! और...” मैंने उसका हाथ अपने लिंग पर रखते हुए कहा, “अगर लड़का हुआ, तो उसका ये भी बड़ा और मज़बूत होगा!”

“हा हा हा!”

देवयानी खूब ज़ोर से हँसी - मुझे यकीन है कि जयंती दी ने हमारी सब बातें ज़रूर सुनी होंगी! उसने विषय बदलने की कोशिश करते हुए पूछा, “जानू, आप अपने छुन्नू को क्या कह कर बुलाते हैं?”

“मैं इसे कुछ कह कर नहीं बुलाता!” मैंने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “एक्चुअली, मैं इसको बुलाता ही नहीं!”

“अरे बुद्धू, मैं पूछ रही हूँ, कि पेनिस के और क्या क्या नाम होते हैं?”

“सबसे पहली बात यह कि पेनिस नहीं, इसको ‘पी’ ‘नस’ कहते हैं! इसके और नाम हैं डिक, कॉक, फैलस, प्रिक...”

“प्रिक? वो क्यों?” उसने पूछा।

“किसी ने सोचा होगा कि शायद ये लड़की की चूत में चुभता है। इसलिए!”

डेवी ने प्यार से मेरा कान उमेठते हुए कहा, “उसको आप चुभोना कहते हैं? मुझे तो ऐसा लगा जैसे मुझे मुक्के लग रहे हों! और वो भी कई बार!”

“हम्म! फिर से मुक्के मारूँ?”

“नहीं!” वह हंसी।

“ठीक है! हम इंतज़ार कर लेंगे।”

“वाह वाह! कितने दिलदार हैं! ठाकुर साहब, आपको मुक्के मारने के लिए मेरी अगली विजिट तक इंतजार करना होगा! दीदी और मैं जल्दी ही निकल जाएँगे!”

“हाँ, तो वेट कर लेंगे न अगली विजिट का! कब आओगी? शाम को? या कल?”

“हा हा हा हा! इतनी जल्दी?” देवयानी ने बनावटी आश्चर्य में कहा - हाँलाकि उसको यह जानकर बहुत खुशी हुई कि मैं इतनी जल्दी से पुनः सम्भोग के लिए तैयार हो सकता हूँ!

“अरे, हस्बैंड वाइफ तो हर दिन और रात सेक्स करते हैं।”

“सच में?” उसने यकीन न करते हुए पूछा!

“और क्या!” मैं हँसा, “जब हमारी शादी हो जाएगी, तब तुम देखना!”

“तुम जानवर हो पूरे के पूरे!”

“बेग़म, यही जानवर तुमको जन्नत की सैर करवाएगा!”

“हा हा हा! करवाएगा नहीं, करवा रहा है!”

“और करनी है?”

“क्या?” डेवी को भली भाँति मालूम था कि मैं क्या करने की बात कह रहा था।

“चुदाई मेरी जान!” मैंने भी पूरी निर्लज्जता से अपनी बात उसको बता दी।

“न बाबा! मैं तो थक गई!” देवयानी ने घबराते हुए कहा, “तुम न जाने क्या क्या करते हो, और मैं वहाँ कभी अपनी उँगली तक नहीं डालती!”

“हम्म्म वो तो समझ आ रहा है!”

“समझ आ रहा है, लेकिन फिर भी अपने गुण्डे से मेरी छोटी बहन की पिटाई करवा रहे थे!”

“गुण्डा? ओह, समझा! लेकिन, मैंने तुम्हारी बहन को छुआ तक नहीं!!”

“मेरी बड़ी बहन नहीं... मेरा मतलब इससे है, यू डफ़र!!” देवयानी ने अपनी योनि की ओर इशारा किया, “इतना मोटा सा है...” वो कहते कहते चुप हो गई।

“हा हा! तुम कहती हो कि ये बड़ा है, मोटा है, लेकिन ये तुम्हारी प्यारी सी, छोटी बहन ही इतनी कसी हुई है कि वो उँगली तक तो कस कर पकड़ लेती है!”

“मिस्टर, अब तो जो आपको मिला है, वो ही है! चाहे खुश रहो, चाहे दुखी!”

“हा हा! तुम बहुत भोली हो डेवी! लेकिन हाँ, आज थोड़ा अधिक आसान था। जबकि इसमें सूजन भी थी, और दर्द भी हो रहा था।” मैंने फिर डेवी को बहकाते हुए कहा, “इसलिए ही तो कहता हूँ - जितनी बार हो सके, हमको सेक्स करना चाहिए अब। जब मेरा पीनस तुमको बिना तकलीफ़ पहुँचाए बिना अंदर जाना शुरू कर देगा न, तब तुमको और मज़ा आएगा! और फिर तुम सेक्स को और भी अधिक पसंद करोगी!”

“ओह गुडनेस,” उसने नाटकीय अंदाज़ में मेरी बात पर मुझे चिढ़ाया, “गुडनेस ग्रेसियस मी!” और कुछ देर के लिए रुक गई; उसने कुछ देर सोचा और फिर जोड़ा, “वैसे... जानू, जब तुम इजैकुलेट कर रहे थे न, मतलब कल भी, और आज भी, तब मुझे दो तीन बार बेहद अनोखा, बेहद अद्भुत सा एहसास हुआ था... यू नो... कैसे बताऊँ?”

“हनी, उसको ओर्गास्म कहा जाता है! यह सेक्स के दौरान मिलने वाला सबसे बढ़िया आनंद, सबसे बेस्ट सुख होता है। परम आनंद।” मैंने उसे बड़ी समझदारी से बताया, “दुनिया की बहुत सी औरतों को सेक्स के दौरान यह मज़ा नहीं मिल पाता!”

उसने अपनी उँगलियों से मेरे लिंग को धीरे से सहलाया, “लेकिन मुझे मिल पाया! और उसका कारण है, ये!”

“वेल, औरतों को ओर्गास्म पीनस के कारण नहीं - मतलब केवल पीनस के ही कारण नहीं मिलता - बल्कि उसको प्यार करने वाले की टेक्नीक के कारण मिलता है! हर आदमी वैसा सेक्स नहीं कर सकता, जैसा कि मैं कर सकता हूँ!”

“ओह? डू सम मेन हैव लार्जर एंड बिगर पीनस दैन योर्स?”

“ऑफ़कोर्स! मुझे यकीन है कि करोड़ों आदमियों के पीनस का साइज़ मेरे से बड़ा होगा!”

“हम्म्म, लेकिन मुझे लगता है कि आपका उतना ही बड़ा है जितना कोई औरत बिना मरे बर्दाश्त कर सकती है!” डेवी ने खिलखिलाते हुए कहा।

“हम्म, दैट इस अन इंटरेस्टिंग कॉम्पलिमेंट!”

ओह, बट द वे इट स्ट्रेच्ड माय वैजिनल ओपनिंग, आई फ़ेल्ट दैट आई ऑलमोस्ट डाइड!”

“आई ऍम सॉरी हनी!”

नो! डोंट से दैट! आई हैड अन अमेज़िंग ओर्गास्म! नॉट वन, बट मैनी! एक्सप्लेन व्हाई एंड हाऊ दैट हैपेंड?”

“मुझे लगता है कि दो कारण हो सकते हैं - पहला यह कि महिला को सेक्स के लिए अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए - उसके लवर को चाहिए कि उसके शरीर के सभी सेंसिटिव हिस्सों को मुँह और उंगलियों से कोमलता से सहलाए और चूमे!”

“वो तो आपने बहुत अच्छी तरह किया।” उसने कहा।

“थैंक यू! और दूसरा यह कि लवर अपनी ब्राइड को कुचले नहीं। आराम से करे! और आखिरी बात…”

“आपने तो कहा था कि दो कारण हैं…” देवयानी ने टोंका।

लेकिन मैंने अनसुना करते हुए कहा, “... और तीसरा कारण यह है कि औरत के लवर के पास इतना स्टैमिना होना चाहिए कि वो दस से पंद्रह मिनट तक, या उससे भी अधिक समय तक उसकी योनि में गहरे तक धक्के लगा सके, जिससे औरत को अपना ओर्गास्म बिल्ड अप करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके, और फिर परम आनंद मिल सके।”

“हम्म... अब समझ आया! मेरे ठाकुर जी, आपने तो ये तीनों काम बखूबी किए मेरे साथ! लेकिन क्या आपको लगता है कि दूसरे आदमी ऐसा नहीं करते हैं?”

“देखो - मुझे लगता है कि सभी पुरुष अपनी अपनी पत्नियों की नज़र में सुपरहीरो बनना चाहते हैं, और उनको खुश और संतुष्ट रखना चाहते हैं। लेकिन, यह भी सच है कि ज्यादातर पुरुष दिन भर का काम करने के बाद थके हारे हुए घर आते हैं। ज्यादातर लोग एक्सरसाइज नहीं करते हैं, और न ही अच्छा और स्वस्थ खाना खाते हैं। लिहाज़ा, उनके पेट निकल आते हैं, और स्टैमिना न के बराबर रहता है। बहुत से आदमी स्मोकिंग भी करते हैं, और दारू भी पीते हैं।”

“हाँ! फिर तो हो भया सेक्स!”

“और क्या! ज्यादातर लोग तो बस अपनी पत्नियों पर चढ़ते हैं, न तो उनको गरम ही करते हैं, न कुछ, बस अपना लंड डाल कर कुछ धक्के लगाते हैं, और माल छोड़ कर सो जाते हैं! बीवी न तो मज़ा ले पाती है, और न ही कुछ आराम ही कर पाती है। और तो और, बीवियाँ उनके खर्राटों से रात भर सो ही नहीं पातीं!”

“हा हा हा हा! बड़ी रिसर्च करी हुई है जनाब ने!”

“लेकिन मैं ऐसा नहीं करता! मैं एक्सरसाइज करता हूँ... बहुत। मैं स्मोकिंग नहीं करता। केवल कभी-कभार ही पीता हूं, और वो भी बस दो पेग से अधिक नहीं! इसलिए मेरा स्टैमिना बहुत दुरुस्त है, और मसल्स मज़बूत!”

“तुमने कहा ‘कुछ धक्के’! कितने धक्के?”

“अब यार ये मैंने गिना तो नहीं! लेकिन औसतन तीन से चार दर्जन धक्के!”

“तीन से चार दर्जन? तुमने कितने धक्के लगाए होंगे?” उसने उत्सुकता से पूछा।

“ओह! यार मैंने ये काउंट तो नहीं किया अभी तक! लेकिन उससे कहीं ज्यादा होगा। चलो, एक कैलकुलेशन करते हैं। मैंने लगभग पंद्रह मिनट तक सेक्स किया होगा?”

डेवी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“तो पंद्रह मिनट के लिए - एक सेकंड में एक बार... मतलब, नौ सौ बार धक्के लगाए?”

“नहीं! यह तो बहुत ज्यादा है। एक सेकंड में एक बार नहीं, हर दो सेकंड में एक बार होगा! देखो - पहले धक्का लगाया, फिर पीछे भी निकाला न? और फिर आप बीच में कई बार रुके भी... जब आप मुझे चूम रहे थे, या मेरे निप्पल्स चूस रहे थे, या बस थोड़ा आराम कर रहे थे...?” देवयानी ने सोच-समझकर जोड़ा।

“ठीक है! तो, फिर लगभग चार सौ बार?”

“हे भगवान! ये तो बहुत बार है!!” उसने चिल्लाते हुए कहा, और मेरे लिंग को सहलाया, “ठाकुर साहब, आपका पीनस तो फिर से तैयार हो गया है!”

सच में, यह सब बातें करते हुए मेरा स्तम्भन पूर्ण हो चुका था।

“मेरी जान, आप इसे छू रही हैं न! इस कारण से यह फिर से तैयार हो गया है।”

“क्या कोई विशेष तरीका है इसको छूने का, जिससे ये और तेजी से बड़ा हो सके?” उसने पूछा।

“हम्म, हाँ। है न! चलो मैं तुम्हें बताता हूँ।”

मैंने देवयानी को मेरे लिंग को सहलाने का तरीका समझाया। कुछ ही पलों में लिंग इतना कड़ा हो गया कि बिना स्खलन के मुलायम न हो।

सी, दिस टाइम, आई विल काउंट! एंड सी हाऊ मैनी स्ट्रोक्स यू प्ले बिफोर यू एंड आई रीच आवर ओर्गास्म!” उसने चमकते हुए कहा।

कह कर देवयानी ने बगल राखी घड़ी का टाइम सेट किया और फिर हमने फिर से सम्भोग करना चालू किया। गिनते गिनते देवयानी अपनी गिनती कई बार भूल गई, लेकिन जब मैंने उससे उसके चरमोत्कर्ष का आनंद लेने के बाद पूछा, तो उसने बताया कि उसको चार सौ बासठ धक्के तो याद हैं! मतलब उससे अधिक ही लगे होंगे, कम नहीं! मैं मन ही मन बहुत गौरव महसूस कर रहा था, लेकिन थोड़ा सा अजीब भी लग रहा था। यार, ऐसी गणनाएँ भी कोई करता है क्या?

“मैं अपने लिए यह सब कैलकुलेट करने वाली ब्राइड की कल्पना भी नहीं कर सकता था!” मैंने शिकायती लहज़े में कहा।

“ओह लव! देखो न! मैं बस क्यूरियस थी! और कुछ नहीं!” वो मुस्कराई।

“लेकिन क्या तुमको मज़ा आया?” मैंने पूछा।

“बहुत! इट वास लाइक हेवेन!” उसने कहा।

वो रुकी और फिर कुछ सोच कर बोली, “हनी, क्या आपको लगता है कि आई कैन गेट प्रेग्नेंट?”

“सेक्स करने से ही तो बच्चे होते हैं! ऑब्वियस्ली, यू कैन गेट प्रेग्नेंट!”

“लेकिन... तुम्हारे ओर्गास्म से पहले मेरा हुआ था! फिर भी?”

“हनी! ओर्गास्म का प्रेग्नेंसी से कोई लेना देना नहीं है! मेरा सीमेन तो बाहर नहीं निकला न? मेरा सीमेन तुम्हारे अंदर अच्छी तरह से जमा है! यू कैन गेट प्रेग्नेंट!” मैं मुस्कराया।

“बाप रे बाप!” यह सुन कर देवयानी घबरा गई।

“क्यों? क्या हुआ? हनी, थोड़ा सोचो! जब तुम प्रेग्नेंट होगी तो तुम्हारे ब्रेस्ट्स मीठे मीठे दूध से भरे होंगे... और हमारे बच्चे से तुम्हारा पेट फूला हुआ कितना सुन्दर लगेगा!”

उस दृश्य की कल्पना कर के देवयानी पिघल गई।

“जानू, मैं तुमको तब भी पसंद रहूंगी?”

“बिल्कुल! तब तो और भी अधिक!”

“पक्का?”

विदाऊट एनी डाउट!” मैंने कहा।

“अगर तुम पिंकी के पेट में अपना बच्चा डालना चाहते हो, तो क्यों नहीं आते हमारे घर उसका हाथ माँगने?

यह जयंती दीदी थीं - वो दरवाज़े पर अपने सीने पर हाथ बाँधे खड़ी थीं, और मुस्कुराते हुए मुझे प्रसन्नतापूर्वक डांट रही थीं।


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मेरी सभी महिला पाठिकाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ!

हमारे जीवन में उपस्थित सभी नारियों का सबल, सक्षम, और सशक्त होना अब अपरिहार्य है। मेरे सभी पुरुष पाठकों से निवेदन है कि वे अपने संपर्क में आने वाली समस्त नारियों का यथोचित सम्मान करें, उनसे प्रेम करें, और उनको सबल, सक्षम, और सशक्त बनाने में अपना यथासंभव योगदान दें!

इस दिशा में एक बेहद छोटी सी शुरुआत Pics सेक्शन में महिलाओं को 'रंडी', 'bitch', 'कुतिया', इत्यादि अपशब्दों का प्रयोग करना बंद कर के की जा सकती है। नग्न नारी रंडी या कुतिया नहीं होती - कृपया इस बात को समझें! बहुत बहुत धन्यवाद!



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Choduraghu

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इस दिशा में एक बेहद छोटी सी शुरुआत Pics सेक्शन में महिलाओं को 'रंडी', 'bitch', 'कुतिया', इत्यादि अपशब्दों का प्रयोग करना बंद कर के की जा सकती है। नग्न नारी रंडी या कुतिया नहीं होती - कृपया इस बात को समझें! बहुत बहुत धन्यवाद!
Yah apne ek bahut hi achi bat ki pahal ki sir.
 
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Yah apne ek bahut hi achi bat ki pahal ki sir.

मित्र, यह बात मैं कई बार लिख चुका हूँ वहाँ!
पता नहीं, कोई असर होता भी है या नहीं। आदमी में सुधार हो सकता है, लेकिन कुत्तों की दुम तो टेढ़ी ही रहनी है!
वैसे, बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
 
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Choduraghu

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मित्र, यह बात मैं कई बार लिख चुका हूँ वहाँ!
पता नहीं, कोई असर होता भी है या नहीं। आदमी में सुधार हो सकता है, लेकिन कुत्तों की दुम तो टेढ़ी ही रेहनी है!
वैसे, बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
आपकी बात सही है।
 
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