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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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juhi gupta

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बहुत ही सुन्दर लिखा आपने काजल और अमर के पहले सहवास के बारे में। मुझे यकीन नहीं होता कभी कभी की कोई इतने विस्तार और बारीकी के साथ कैसे लिख सकता हे ,पर निःसंदेह आप में ऐसा लिखने की महारत हासिल हे .
में आपकी कहानी के और आप के उत्तर के कई कोट को चिन्हित कर अपनी बात कहना चाह रही थी लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रही हु वजह ये हे की इसके बाद मेसेज की बाढ़ आ जाती हे जिसमे से अधिकतर सीधे सीधे ऑफर की बरसात कर देते हे।
कोशिश करुँगी की आप को अलग से मेसेज करू।
वैसे हमेशा की तरह आपका ये सफर मुझे बहुत रोमांटिक बना देता हे
 

avsji

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बहुत ही सुन्दर लिखा आपने काजल और अमर के पहले सहवास के बारे में। मुझे यकीन नहीं होता कभी कभी की कोई इतने विस्तार और बारीकी के साथ कैसे लिख सकता हे ,पर निःसंदेह आप में ऐसा लिखने की महारत हासिल हे .
में आपकी कहानी के और आप के उत्तर के कई कोट को चिन्हित कर अपनी बात कहना चाह रही थी लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रही हु वजह ये हे की इसके बाद मेसेज की बाढ़ आ जाती हे जिसमे से अधिकतर सीधे सीधे ऑफर की बरसात कर देते हे।
कोशिश करुँगी की आप को अलग से मेसेज करू।
वैसे हमेशा की तरह आपका ये सफर मुझे बहुत रोमांटिक बना देता हे
जूही, सबसे पहले बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
आप जैसे पाठकों पाठिकाओं के कारण ही लिखते रहने का मन करता है। नहीं तो यहाँ क्या मिलता है?
और आप निःसंदेह मैसेज कर के अपनी बात कहें। सभी बातें अच्छी कहानी लिखने के लिए मददगार होती हैं। 😊
 
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पहला प्यार - विवाह प्रस्ताव – Update #7


काजल के सान्निध्य में एक बहुत ही सुकून देने वाला सुख था! मुझे हमेशा ही ऐसा लगता रहा था कि काजल के साथ मैं सब कुछ शेयर कर सकता हूँ - और आज वो सम्भावना मूर्त हो गई। आज बैठ कर मैं जब भी काजल के साथ पहली मुलाकात के बारे में मैं सोचता हूँ, तो सच में यकीन ही नहीं आता कि हम दोनों एक दूसरे के लिए कितने अभिन्न हैं; कितने आवश्यक हैं! वो सब जानने समझने के लिए कहानी का पूरा होना आवश्यक है। इसलिए अब कहानी पर लौट आता हूँ।

मैंने काजल को बड़े प्रेम से और बड़े आभार से चूमा। आभार से इसलिए क्योंकि काजल के कारण ही मेरा जीवन पटरी पर आया था। मेरे लिए तो वो गैबी जितनी ही आवश्यक थी! जैसे गैबी मेरा परिवार थी, ठीक वैसे ही काजल भी! कुछ देर काजल को देखने के बाद जब मेरी नज़र दरवाज़े की ओर गई, तो मैंने देखा कि वहाँ पर गैबी खड़ी हुई थी! वो केवल अपनी टी-शर्ट और पैंटी पहने हुई थी! जब उसने मुझे अपनी तरफ़ देखते देखा, तो वो कमरे के अंदर आ गई।

“तुम दोनों ने खूब मज़ा किया?” उसने मुस्कुराते हुए कहा, और इससे पहले कि मैं या काजल कुछ कहते, गैबी ही बोली, “ओह, डोंट से एनीथिंग! हा हा हा! मैंने सब कुछ सुना है। हा हा हा! कितना शोर मचाया तुम दोनों ने! सुनील भी उसके कारण जागने लगा। उस नालायक को शांत रखने के लिए मुझे अपना दूध देना पड़ा! हा हा हा!”

मैं कुछ कहना चाहता था, लेकिन गैबी ने उसके पहले ही कहना शुरू कर दिया, “... मैं बहुत खुश हूँ, हनी! तुम दोनों ने एक दूसरे से खूब प्यार किया, और एक दूसरे को वो सुख दिया जिसकी तुम दोनों को ही बहुत ज़रुरत थी। और मैं इस बात पर बहुत खुश हूँ कि मैंने इस काम को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब... बच्चों के उठने से पहले तुम दोनों तैयार हो जाओ!”

“दीदी?” काजल ने गैबी को पुकारा।

“हाँ, दीदी?”

“यहाँ आओ!”

गैबी मुस्कुराते हुए जल्दी से काजल के पास पहुंची, तो काजल ने उसको अपने गले से लगा लिया, और भाव-विह्वल हो कर उसको चूमने लगी।

“थैंक यू... थैंक यू दीदी! थैंक यू!” काजल की आँखों में आँसू आ गए थे।

“अरे, क्यों?” गैबी ने काजल को अपने आलिंगन में और अधिक दबोचते हुए कहा, “ऐसे क्यों बोलती हो?”

“अपने हस्बैंड को मेरे साथ शेयर करने के लिए बहुत बड़ा दिल चाहिए, दीदी!”

“तुम तो अपनी हो, दीदी! हमेशा से अपनी हो।” गैबी ने काजल को चूमा, “तुमसे कभी कुछ छुपा है हमारे यहाँ? इसलिए ऐसे मत सोचो। आई लव यू। अमर भी तुमको खूब प्यार करता है। तुम हमेशा हमारी अपनी रहोगी! हमेशा! कभी भी खुद को हमसे अलग मत समझना!”

काजल एक भावनात्मक आनंद के बोझ से आह्लादित हो कर काँपने लगी।

“ओह दीदी... दीदी...!”

जब स्तनपान कराने वाली माताओं में ममता और स्नेह का अतिरेक हो जाता है, तो अक्सर उनके स्तनों में स्वयं ही दूध उतर आता है। काजल के साथ भी ऐसा ही हुआ - बिना किसी उद्दीपन के, उसके स्तनों से बूँद बूँद कर के दूध गिरने लगा। उसने बिना कुछ कहे, काजल को अपने स्तनों से लगा लिया और उसको अपना दूध पीने को दिया। गैबी भी ख़ुशी ख़ुशी स्तनपान का आनंद उठाने लगी।


**


थोड़ा उजाला होते होते हम सभी संयत हो गए।

काजल बहुत खुश लग रही थी। तृप्ति देने वाले सम्भोग के आनंद से महिलाओं को संतोष और संतुष्टि का एहसास होना सर्वविदित है ही। उसके साथ साथ गैबी और मैं, दोनों भी प्रसन्न थे। मेरे मन में एक शरारती विचार आया - मैं काजल को सुनील के सामने नग्न रखना चाहता था, और उसके सामने ही काजल के स्तनों को पीना चाहता था। मेरी बात सुन कर पहले तो काजल बोली कि मैं क्यों उसके बेटे को इस तरह से छेड़ना चाहता था। उसको डर था कि वो न जाने क्या सोचे! और काजल की आशंका बेबुनियाद नहीं थी। पहली बात तो यह थी कि सुनील किशोरवय था, और हो सकता है कि वो अपनी माँ को इस तरह से देख कर भ्रमित हो जाए या डर जाए! और दूसरी बात यह कि कहीं उसको नग्न स्त्रियों को देख कर ऐसे वैसे विचार न आने लगें। यह आशंका वाज़िब थी, लेकिन मैंने फिर भी जिद पकड़ ली - बिल्कुल एक बच्चे की तरह। मैं पिछली घटनाओं से बहुत खुश था, और सोच रहा था कि मेरी सभी ये दोनों इच्छाएं पूरी कर देंगीं। गैबी को किसी बात पर आपत्ति नहीं थी - उसका कारण यह था कि सुनील ने हम तीनों को ही नग्न देखा था, इसलिए यह कोई अनोखी बात नहीं थी। मेरा दिल इसी बात से बल्लियों उछल रहा था कि दो बेहद खूबसूरत और सेक्सी महिलाएं आज नग्न रहेंगीं! जैसा कि अपेक्षित था, पर्याप्त अनुरोध के बाद काजल भी, अनिश्चय से ही सही, लेकिन आज नग्न रहने की बात पर राज़ी हो गईं। हे भगवान! क्या औरतें आदमियों की मूर्खतापूर्ण और नाजायज़ मांगों को कभी नकारना शुरू करेंगीं?

तय यह हुआ कि मैं सुनील के सामने काजल और गैबी दोनों के ही स्तन पियूँगा और अगर वो भी चाहे, तो उसको भी करने दूंगा। यह बिल्कुल बच्चों के खेल जैसा था। इसलिए हम सब फ्रेश हुए, कपड़े पहने और फिर काजल और गैबी ने नाश्ता बनाना शुरू किया। जल्दी ही, सुनील भी जाग गया, और हम सबने मिलकर नाश्ता किया। लतिका तो छोटी थी, इसलिए खूब देर तक सोती थी, और अभी उठने का समय नहीं हुआ था। नाश्ता करते हुए, मैंने गैबी को उस दिन के बारे में बताया, जब काजल ने सुनील और मुझे एक साथ नहलाया था। गैबी यह कहानी सुनकर बहुत खुश हुई और उसने काजल को फिर से ऐसा करने के लिए कहा। यह सुनकर सुनील खुश हो गया कि भैया फिर से नोग्नो देखने का मौका मिलेगा। इस बात पर काजल ने एक बेहद दिलचस्प प्रस्ताव रखा। उसने कहा कि चूंकि उसने हम तीनों (सुनील, मुझे और गैबी) को ही स्तनपान कराया था, इसलिए हम तीनो ही उसके बच्चों की तरह थे (दिलचस्प तर्क, है ना?)! अब चूँकि वो हम तीनों की ही माँ है, इसलिए, वो हम तीनों को एक साथ नहलाएगी! मतलब, गैबी को भी! इस बात पर गैबी अवाक रह गई, लेकिन वो इसका केवल हल्का विरोध ही कर सकी।

तो, नाश्ता ख़तम कर के हम फिर से बाथरूम में थे, इस बार गैबी के साथ। चार लोगों के लिए यह बाथरूम थोड़ा छोटा पड़ता है - लेकिन यदि सभी खड़े रहें, तो चार क्या, छः लोग भी उसमे फ़िट हो सकते थे। वैसे भी, मनोरंजन के सामने असुविधा का क्या काम? मेरे सामने तो ठीक था, लेकिन गैबी के सामने सुनील फिर से शरमाने लगा, और अपनी माँ को अपने कपड़े उतारने नहीं दे रहा था। तो, इस बार काजल ने मुझसे ही शुरुआत की। जल्द ही, मैं पूरा नंगा हो गया। एक आश्चर्यचकित करने वाली बात, जो मुझे भी अभी ही मालूम पड़ी, वो यह कि कई स्खलनों के बावजूद भी मेरा लिंग कुछ ही समय में फिर से सख्त हो गया था! अब या तो यह युवा होने का वरदान था, या फिर मेरे शरीर में स्तम्भन बनाने और ठहराने की क्षमता कुछ ज्यादा ही थी। सुनील को तो ऐसा होने की उम्मीद थी ही; लेकिन काजल और गैबी को काफी आश्चर्य हुआ, क्योंकि दोनों को मालूम था इस तरह से स्खलन होने के इतने कम समय में पुनः स्तम्भन होना आश्चर्यजनक घटना तो थी।

“दीदी?”

“हाँ काजल दीदी?”

“तुम थोड़ा मलहम वलहम रखे रहना साथ में!”

“क्यों दीदी?”

“क्योंकि तुम्हारे होने वाले पतिदेव बड़े रंगदार हैं! हा हा हा हा!”

यह एक परोक्ष टिप्पणी थी कि मैं काफ़ी शक्तिशाली हूँ और गैबी की सेक्स लाइफ बहुत मसालेदार होने वाली है। इससे पहले कि वो काफी ग्राफिक विवरणों में जा सके, मैंने काजल को चुप करा दिया। गैबी को रंगदार शब्द का मतलब नहीं समझ आया। मैंने उसको बाद में समझाया कि इसका अर्थ सेक्स की शक्ति से सम्बन्धित है।

सुनील ने फिर से वही जानी पहचानी टिप्पणी करी कि ‘भैया का नुनु उसकी अम्मा की कलाई से मोटा है’, और यह बात सच है। वास्तव में, एक छोटे से अंग के लिए, भैया का अंग उसके, उसकी अम्मा के, और दीदी (गैबी) के मुख्य अंगों से भी मोटा था! ऐसा क्यों था? उसने पूछा।

मैंने सुनील से कहा कि एक दिन हम उसे इस बात का राज़ बता देंगे, लेकिन अभी नहीं। क्योंकि वो अभी सब कुछ समझने के लिए बहुत छोटा है। यह भी हो सकता है कि वो अपने प्रश्नों के सभी उत्तर खुद ही जान ले। मैंने उससे यह भी वायदा किया कि उसका नुनु भी एक दिन मेरे जितना, या मुझसे बड़ा हो जाएगा! मेरे इस कथन ने सुनील को काफी आश्वस्त किया और वो बहुत खुश भी हुआ।

उसके बाद, सुनील के कपड़े उतरना आसान सा काम था। अब गैबी की बारी थी। किसी कारण से, गैबी बहुत शर्मा रही थी - मेरे सामने नग्न होना एक बात थी, लेकिन काजल और सुनील के सामने! और मज़े की बात यह थी कि सुनील को उसने अभी-अभी अपना स्तनपान कराया था - भले ही अँधेरे में ही सही। लेकिन उसको झिझक हो रही थी। लेकिन काजल, एक सिद्धहस्त माँ के समान, अपने पल्लू को अपनी कमर में खोंस कर गैबी को नंगा करने बढ़ी। गैबी अपनी टी-शर्ट पहने न नुकुर करती रही, तो काजल ने उसकी चड्ढी नीचे सरका दी। गैबी ने शर्मा कर अपनी योनि को अपने हाथों में छुपा लिया। तो मौका लगते ही काजल ने उसकी टी-शर्ट भी उतार फेंकी। जब शरीर पर वस्त्र न बचें, तो झिझक करने से भी क्या लाभ? तो शुरुआती झिझक के बाद, गैबी ने भी अपनी अस्थाई ‘माँ’ द्वारा स्नान करवाए जाने का आनंद लेने का फैसला किया।

सुनील ने कभी भी किसी लड़की को इस तरह से पूरा नग्न नहीं देखा था। मतलब, उसने अवश्य ही लतिका को नग्न देखा होगा। लेकिन यहाँ एक परिपक्व लड़की की बात हो रही है। सुनील स्तनों के बारे में तो जानता था, लेकिन किसी स्त्री के जघन क्षेत्र के बारे में नहीं जानता था। वो यह देखकर भौंचक्क रह गया कि दीदी के ‘वहाँ’ कुछ भी नहीं था! कुछ भी नहीं! इसका ज़िक्र उसने अपनी अम्मा से किया।
 

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पहला प्यार - विवाह प्रस्ताव – Update #8


“ऐसा इसलिए है, क्योंकि,” काजल उसको समझाते हुए बोली, “दीदी एक लड़की हैं, और लड़कियों में नुनु नहीं होता है। पुचुकी (लतिका) को तो देखा ही है न - उसके पास भी तुम्हारे या भैया जैसा शिश्नो नहीं है न! ... वो इसलिए क्योंकि पुचुकी एक लड़की है।”

मुझे पता था कि बात निकली है तो बहुत दूर तक जाएगी, और जल्दी ही काजल को और कठिन और असहज करने वाले सवालों के जवाब देने होंगे। सुनील और काजल बांग्ला में बात कर रहे थे, लेकिन फिर भी गैबी को कुछ कुछ समझ में आ रहा था, और वो शर्म से लाल हुई जा रही थी।

“ओह,” सुनील ने समझते हुए कहा, “तो इसका मतलब अम्मा आपके पास भी नुनु नहीं है?”

“नहीं है, नहीं है!” मैंने इस तथ्य की पुष्टि करी। काजल मेरी बात पर शर्माते हुए नाराज़गी से मुस्कुराई।

“आपको कैसे पता भैया?”

“मैंने तुम्हारी अम्मा को नंगा देखा है न, इसलिए।”

“ओह!” सुनील ने ऐसा कहा जैसे कि उसकी अम्मा को नग्न देखना मेरे लिए कोई स्वाभाविक सी बात हो।

सुनील के लिए यह एक बहुत ही ज्ञानवर्धक सत्र था। उसे उन चीजों के बारे में पता चल रहा था, जो उसके अभी तक नहीं मालूम था। तो वो इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाना चाहता था। जिज्ञासावश उसने गैबी की योनि-मुख को छुआ। उसके स्पर्श पर गैबी काँप उठी। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके अंदर इस छोकरे को रोकने के लिए ताकत ही नहीं थी - उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी। बेचारी इतनी समय तक सेक्स से इतनी वंचित रही थी, कि अब एक मासूम के स्पर्श का भी विरोध नहीं कर पा रही थी! बेशक, हम सभी ने गैबी के खूबसूरत शरीर और उसकी खूबसूरत योनि का एक-एक इंच अपनी आँखों से पिया! उसकी श्रोणि पर कोमल बालों का एक विरल पैबंद था। बाकी सब वैसा ही था जैसा मुझे याद था। उसका सपाट, चिकना पेट; उसमें गहरी सी नाभि! बहुत ही सुन्दर! बहुत ही कामुक! अद्वितीय सौंदर्य।

“दीदी, तुम बहुत सुन्दर हो!” काजल ने गैबी के सौंदर्य की प्रशंसा करी।

गैबी का सौंदर्य प्रशंसा-योग्य था भी! उधर सुनील इन सब बातों से बेखबर, अलग ही दुनिया में था।

“दीदी, क्या मैं इसे देख सकता हूँ?”

‘किसे?’ जब तक हम तीनों में से कोई भी यह सोच भी पाता, सुनील चंचलता से गैबी की योनि-मुख का चीरा खोलने की कोशिश करने लगा। गैबी की योनि इतनी देर में गीली हो चुकी थी! दर्शकों के सामने उसके निर्वस्त्रीकरण ने उसका कामरस निकाल दिया था, और उस बात पर उसका कोई नियंत्रण भी नहीं था। नतीजा यह था कि भले ही हमने अभी तक नहाना शुरू नहीं किया था, लेकिन गैबी का रस टपकने लगा था। सुनील ने, जैसा कि मैंने एक बार किया था, उसकी योनि के बाहरी होंठों को थोड़ा फ़ैलाया : अंदर एक सुंदर, गुलाबी-आड़ू रंग की बेहद संकरी गली का खुलासा हुआ। गैबी ने घबराहट में, स्वप्रेरणा से अपनी योनि के मुखाने को सिकोड़ लिया। लेकिन सुनील उसको देखने के लिए प्रतिबद्ध था। अपनी उंगली और अंगूठे का उपयोग करते हुए, उसने उसे खुला रखा, और खुली हुई दरार पर अपनी उंगली चलाई।

इतने में ही गैबी कांपने लगी - उसकी आँखें बंद हो गईं। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि वो अभी भी कैसे खड़ी हो पा रही थी। सुनील के हाथों के निर्देश के तहत काम करते हुए, गैबी ने आखिरकार ज़िद छोड़ दी, और अपने पैरों को अलग कर दिया! अब वो जो करना चाहता था, उसे करने के लिए और अधिक स्थान मिल गया था। गैबी के संकरे छेद को ढूंढते हुए, उसने धीरे से अपनी तर्जनी अंदर सरका दी। गैबी ने अपनी तंग सुरंग में अंदर स्थान देने के लिए अपना पैर थोड़ा चौड़ा किया। ऊँगली के थोड़ा सा अंदर जाते ही गैबी ने एक गहरी आह भरी।

“स्स्स्स...स्टॉप...प्प्प” गैबी हाँफती हकलाती रही।

“सुनील, दीदी को मत छेड़ो।” उसकी अम्मा ने उसे चेतावनी दी। लेकिन वो खुद गैबी को ऐसी अवस्था में देख कर दंग थी।

“सॉरी अम्मा!” सुनील शरारत से मुस्कुराया, “इसने मेरी ऊँगली जकड़ ली, अम्मा! बहुत जोर से! ये बहुत संकरी है!” सुनील ने कहा; और उसको यह मालूम भी नहीं था कि ‘ये’ आखिर है क्या!

सुनील की बेशर्म घोषणा और हरकतों से गैबी शर्म से लगभग पानी पानी हो गई थी; उसने सुनील की ओर देखा,

“अब तुमको कुछ नहीं मिलेगा, बच्चू! ये भी नहीं…” उसने कमजोर स्वर में, अपने स्तनों को इंगित करते हुए, चिढ़ाते हुए सुनील को धमकाया।

“सॉरी दीदी। मैं ऐसा दोबारा नहीं करूंगा!” सुनील ने उम्मीद भरे स्वर में माफी मांगी।

“हाँ - कभी सोचना भी मत! यह सब तुम्हारे करने के लिए नहीं है…”

गैबी ने जो कहा वह बेहद संकेतात्मक और विचारोत्तेजक वाक्य था। इस बात पर काजल मुस्कुरा दी। सुनील फिर से हमेशा की तरह भ्रमित हो गया - कि यह सब क्या बातें हो रही हैं। दूसरी ओर मैं सोच रहा था कि अगर गैबी की योनि इतनी तंग थी, तो वास्तव में गैबी को चोट लग जाएगी जब हम पहली बार सेक्स करेंगे! क्या हो रहा था? शायद यही बात काजल के भी मन में थी।

“तुम दीदी के साथ ज़रा सम्हाल कर करना अमर…” काजल ने मुझे सावधान किया।

काजल ने पूरी बात नहीं बोली। लेकिन गैबी और मैं दोनों समझ गए कि वह क्या कहना चाहती है।

इसके बाद हमारा स्नान शुरू हुआ। शुरुवात सुनील से ही हुई - काजल ने उसको साबुन से रगड़ रगड़ कर अच्छे से नहलाया; उसके बाद मेरी बारी थी। मुझे पूरी तरह से नहलाने के बाद, काजल ने सुनील के जैसे ही मेरे शिश्नग्रच्छद को पीछे करने की कोशिश की, लेकिन समस्या यह थी कि जब मेरा लिंग स्तंभित होता है, तब शिश्नग्रच्छद को पीछे खिसकाना आसान नहीं है। इसलिए, काजल ने अपने हाथ पर थोड़ा साबुन लगा कर उसे कोमलता से पकड़ कर, उस पर अपना हाथ तब तक आगे पीछे चलाया जब तक कि मैं फिर से स्खलित हो कर नरम नहीं हो गया! सुनील ने दिलचस्पी से देखा कि कैसे मेरा कठोर, स्तंभित लिंग धीरे-धीरे नरम होता गया और लगभग अपने आकार में छोटा हो गया। उसको स्खलन के बारे में कुछ ख़ास समझ में नहीं आया होगा, क्योंकि एक तो मेरे स्खलित वीर्य की मात्रा कम थी, और ऊपर से शावर का पानी भी गिर रहा था। उसमे भी सब कुछ लगभग तुरंत ही धुल गया होगा।

ठीक है कि सुनील को मेरे स्खलन न नहीं समझ में आया, लेकिन लिंग के आकार में इस प्रकार से परिवर्तन होते देख कर वो जिज्ञासु अवश्य हुआ। वो आश्चर्यचकित भी था कि कैसे कोई इतना कठोर अंग कुछ ही समय में इतना नरम हो सकता है! वह यह देखकर भी चकित था कि कैसे इतना भयावह अंग, इतनी जल्दी ही उसके खुद के लिंग के आकार से बस थोड़ा ही बड़ा रह गया! मुझे यकीन है कि उस दिन उसने मानव शरीर की रचना, और स्त्री और पुरुष के शरीर की भिन्नताओं के बारे में बहुत कुछ सीखा होगा। काजल, गैबी और मैं - हम तीनों ही अत्यधिक यौन तनाव महसूस कर रहे थे। हमने नहाते समय ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन काजल ने खुशी-खुशी हम दोनों के ही शरीर के शरीर की अच्छी तरह से टोह ली। काजल ने मुझे नहलाना जल्दी से समाप्त किया, और फिर गैबी को नहलाने लगी। बीच बीच में काजल गैबी को ‘दीदी’ कह कर पुकार रही थी, इस पर सुनील ने उससे पूछा कि वह गैबी को ‘दीदी’ क्यों कह कर बुला रही है, क्योंकि गैबी वो उसकी दीदी थी!

“ठीक है बाबा! ये तुम्हारी ही दीदी है और ये तुम्हारे भैया हैं। ठीक है? तुम तीनों - नहीं, तुम चारों मेरे बच्चे हो... ठीक है? बहुत अच्छी बात है। मैं तुम सबकी अम्मा हूँ, तो मेरे बच्चे मेरी बात मानेंगे... सुनील बेटा, जो तुम अभी थोड़ी देर पहले दीदी के साथ कर रहे थे, वो नहीं करना चाहिए। कोई भी भाई अपनी दीदी के साथ वो सब नहीं करता है... ठीक है?”

“जी, अम्मा!” सुनील ने कहा, और गैबी से बोला, “सॉरी दीदी!”

“कोई बात नहीं सुनील!” गैबी ने मुस्कुराते हुए कहा।

“चलो, अब मैं तुमको नहला दूँ, गैबी!” काजल ने कहा।

इसके बाद काजल गैबी को नहलाने लगी। काजल के कपड़े भी अब तक पूरी तरह से भीग गए थे, और चू रहा था। इसलिए, जब वो गैबी को नहला रही थी, तब मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैंने देखा कि नहलाते हुए, काजल गैबी के स्तनों पर थोड़ा अधिक ही समय बिता रही थी। बीच बीच में वो बड़बड़ा भी रही थी कि वो कितनी गोरी है, कितनी सुन्दर है, आदि! उसने बहुत आराम से ऐसा किया। गैबी ने फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं। उसकी अपनी यौन क्षुधा स्पष्ट दिख रही थी। मुझे उस पर बहुत दया आ रही थी। मुझसे मिलने से पहले गैबी को खूब सेक्स मिल रहा था, और मुझसे मिलने के बाद, कुछ भी नहीं!

खैर, हमारे मिलन के दिन बहुत दूर नहीं थे। जल्दी ही शादी की तारीख़ निकलवा कर, हम दोनों हमेशा के लिए एक हो जाने वाले थे।

जैसे ही काजल ने गैबी के निचले हिस्से पर साबुन लगाया, गैबी कांपने लगी और उत्तेजना में आ कर कमानी की तरह पीछे की तरफ़ झुक गई! अपने चरमसुख को प्राप्त कर, गैबी धीरे धीरे विलाप करने लगी, जिसे सुन कर सुनील ने कहा कि शायद उसकी अम्मा उसकी दीदी को चोट पहुँचा रही है! उस पर काजल ने कहा कि दीदी ऐसा इसलिए कर रही थी क्योंकि उसको अपना नहलाया जाना अच्छा लग रहा था। काजल को समझ में आ गया था कि गैबी कैसा महसूस कर रही थी, इसलिए वो गैबी के भगशेफ को धीरे धीरे तब तक सहलाती रही जब तक कि गैबी को एक अद्भुत और संतोषजनक चरमसुख प्राप्त नहीं हो गया। अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर गैबी के घुटने डगमगा गए और वह अपने घुटनों के बाथरूम के फ़र्श पर गिर गई। मैं उसके पास ही खड़ा होकर यह सब बड़ी दिलचस्पी से देख रहा था। मुझे नहीं पता कि मुझे किस बात ने प्रेरित किया, लेकिन मुझे पता चल गया कि वो गिरने वाली है, और जैसे ही गैबी ने गिरना शुरू हुआ, मैंने उसको पकड़ लिया। उसने ध्यान नहीं दिया कि वो गिर रही थी - और अभी भी अपने चरमोत्कर्ष की मधुर, मादक अनुभूति का आनंद ले रही थी। इसलिए, मैंने उसे फर्श पर ही बैठे रहने दिया।
 

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पहला प्यार - विवाह प्रस्ताव – Update #9


अंत में काजल की बारी आई। यह शर्म की बात थी कि हम सब उसे अभी तक नग्न नहीं देख पाए थे। इसलिए, मैंने निर्वत्र होने में उसकी मदद की। वह सुनील के सामने नग्न होने में शर्मा रही थी! इसलिए वो अभी भी अपने सारे कपड़े पहने हुए थी, जबकि बाकी के हम तीनों नग्न अवस्था में थे। तो शीघ्र ही काजल भी हम तीनों की तरह नंगी हो गई। सुनील दोनों महिलाओं की तुलना करने से खुद को रोक नहीं पाया। उसकी अम्मा की शारीरिक रचना बिलकुल उसकी दीदी की तरह ही थी! लेकिन फिर भी उन दोनों के शरीर में काफ़ी अंतर थे - दीदी की तुलना में उसकी अम्मा के स्तन बड़े थे, उसकी योनि (हाँलाकि सुनील को अभी यह शब्द नहीं मालूम था) भी बड़ी थी, और नितम्ब चौड़े थे। साथ ही साथ काजल की योनि के होंठ मोटे थे, जबकि गैबी के होंठ पतले थे। गैबी की योनि के विपरीत, काजल की योनि के योनि-पुष्प की पंखुड़ियाँ बाहर दिखाई दे रही थीं! फिर भी, एक ऐसी महिला, जिसके दो बच्चे थे, उसके लिए काजल अभी भी अत्यंत सुगठित और सुन्दर दिखती थी!

मैंने ठिठोली करते हुए सुनील से पूछा कि वह किसका दूध पीना पसंद करेगा, तो उसने उत्तर में कहा कि वो अपनी अम्मा का दूध पीना पसंद करेगा। ठीक भी है - यह बिल्कुल भी बुरा विकल्प नहीं है! वो ही क्या, हम सभी काजल का ही दूध पीना पसंद करते। गैबी के स्तनों में अभी भी और विकास होने की पर्याप्त गुंजाइश थी! ख़ैर, नहाने के बाद हम सब नंगे नंगे और भीगे हुए बाथरूम से बाहर आ गए। काजल स्पष्ट रूप से अपने इस माँ वाले रोल का भरपूर आनंद उठा रही थी! मुझे तो लग रहा था कि वो इस समय यह भी भूल गई थी कि उसका अपना एक अलग घर है। उसने जल्दी से सुनील को पोंछ कर सुखाया, और फिर मुझे भी पोंछने लगी। गैबी ने खुद को पोंछ कर सुखाया - बाथरूम में खड़े खड़े काफी समय हो गया था, इसलिए ठंडक लगने का डर भी था। जब सुनील का शरीर सूख गया, तो वो पूरे घर में उछल-उछल कर भागने लगा, बिना इस बात की परवाह किए कि वो अभी भी नग्न था! उधर उसकी अम्मा मुझे पोंछ रही थी। सबसे अंत में काजल ने खुद को पोंछ कर सुखाया। यह सब दस मिनट से कम समय में हो गया। अब कपड़े पहनने का उपक्रम! मैं कुछ भी पहनने के मूड में नहीं था, इसलिए मैंने बस काजल को अपनी ओर खींच लिया, जो मेरे ही समान नग्न थी, और उसके स्वादिष्ट स्तनों को पीना शुरू कर दिया, और मेरे हाथ की उँगलियाँ उसकी योनि में व्यस्त हो गईं - वो उसकी सिलवटों से खेल रही थीं, उसके भगशेफ को छेड़ रही थीं, और उसकी गहराई का नाप रही थीं।

दूसरी ओर गैबी ने मुझे पहली बार काजल के साथ ऐसा करते हुए देखा, तो जाहिर सी बात है कि वो भी उस दृश्य को अपने सामने घटते देख कर बहुत उत्सुक थी। वो हमको देखने लगी... शायद इस बात का मूल्यांकन करने के लिए कि मैं प्यार कैसे करता हूँ, मेरा स्टाइल क्या है, और वो मुझसे क्या क्या होने की उम्मीद करे। शालीनता के कारण उसने पैंटी पहनी हुई थी। जब मैं काजल के साथ काम में व्यस्त था, तो सुनील हमारे कमरे के अंदर आ गया। जैसे ही उसने मुझे अपनी अम्मा का दूध पीते देखा, उसका उछलना कूदना तुरंत बंद हो गया।

“नहीईईईई.....” वो ठुनठुनाया, “अम्मा को छोड़ दो…” और अपनी अम्मा को पीछे से पकड़कर उसे मुझसे अलग करने की कोशिश करने लगा।

“सुनील, बेटा,” काजल बोली, उसकी आवाज़ बहुत ही अस्थिर थी, “तुमने भी तो दीदी का दूध पिया था न? तो, अगर भैया मेरा दूध पी रहे हैं, तो क्या गलत है…”

यह कैसा तर्क था!

“नहीईईईई.....” वो फिर से ठुनठुनाया, “मैंने दीदी का दूध नहीं पिया!”

“तुमने पिया था, झूठे!” गैबी ने इसको छेड़ा।

“नहीं... मैंने नहीं पिया!”

“नहीं पिया था, तो जाओ और अब पियो!” काजल ने जैसे तैसे कहा।

इस पर गैबी ने कहा, “दीदी! तुम उसको ऐसा करने के लिए कैसे कह सकती हो?”

लेकिन काजल गैबी की बात नहीं सुन रही थी - उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और मेरे चूसने का और और मेरे हाथ का आनंद ले रही थी। गैबी ने हथियार डाल दिए,

“ये वो सब कर रहा है जो केवल मेरे पति को करना चाहिए... समझे मिस्टर?” गैबी ने मुझसे शिकायत करते हुए कहा।

“बिलकुल करूँगा, माय डार्लिंग! बस हमारी शादी वाले दिन का इंतज़ार करो! तुमको हमारा मिलन याद रहेगा। प्रॉमिस!” मैंने कहा, और वापस काजल मे व्यस्त हो गया।

गैबी कर भी क्या सकती थी? यह दण्ड तो उसने खुद को ही दिया हुआ था। उसने अपना सिर हिलाया और सुनील को ऊँगली के इशारे से बुलाया।

“चाहिए?” उसने पूछा।

सुनील ने तुरंत ‘हाँ’ में सर हिलाया और गैबी के एक चूचक पर अपना मुँह रख दिया। मुझे यकीन है कि उसको आनंद तो आया... क्योंकि उसकी तारीफ बेहद सकारात्मक थी,

“उम्म…” स्वाद लेते हुए सुनील बोला, “दीदी, आपकी चूची खूब कोमल है ... और मीठी! किशमिश की तरह! नहीं नहीं... किशमिश नहीं ... कलाकंद की तरह!”

उसकी इस टिप्पणी पर मैंने सुनील की तरफ देखा - कमाल है! उसको यह शब्द मालूम था!

“सुनील,” काजल ने उसको चेताया, “ऐसे शब्द नहीं बोलते!”

मैंने गैबी की ओर देखा; वो मुस्कुरा रही थी और सुनील को प्रोत्साहित कर रही थी। सुनील पीने के बजाय गैबी के चूचक चाट रहा था। गैबी की सांसें अजीब तरह से गहरी और आनंददायक हो गई थीं। मुझे यकीन है कि सुनील को भी समझ में आ गया था कि दीदी को उसके मुंह और जीभ से एक ‘अलग’ तरीके का आनंद मिल रहा है। गैबी ने बाद में सुनील से कहा कि उसके स्तनों को पीना एक बहुत ही व्यक्तिगत और अंतरंग काम था, और उसे इस बारे में कभी भी, किसी को भी नहीं बताना चाहिए। सुनील तुरंत सहमत हो गया। गैबी और काजल दोनों ही हमारे नटखट खेल में उसकी मिलीभगत से बहुत खुश और हैरान थे।

“हम बाद में कभी फिर से करेंगे, ठीक है?” गैबी ने सुनील के गालों को सहलाते हुए कहा, “और, इसका ज़िक्र किसी से भी मत करना! ठीक है? चलो, अब, हम कपड़े पहन लेते हैं।”

मुझे यह देख कर घोर आश्चर्य हुआ कि मैं फिर से स्तंभित हो रहा था। वाकई आश्चर्य वाली बात है! मेरा मतलब - इतने कम समय में इतने सारे इरेक्शन होना - यह अद्भुत था!! मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है, और कैसे हो रहा है। गैबी के साथ मेरी सेक्स लाइफ एकदम मदमस्त होने वाली थी, यह तो पक्की बात थी। अब मैं सच में और इंतजार नहीं कर सकता था कि वो मेरी ब्याहता पत्नी बन जाए! मैं बिस्तर के किनारे पर बैठ गया और काजल को अपनी गोद में बैठने में मदद की, और ऐसा करते हुए मैंने अपने लिंग को अपने हाथ से सहारा दे कर पकड़ लिया, जिससे जब वो मेरे ऊपर बैठे, मेरा लिंग उसके अंदर घुस जाए। दो जोड़ी आँखों ने हमें ऐसा करते देखा। जब आपके पास दर्शक हों, तो एक खूबसूरत महिला से प्यार करना बड़ा ही रोमांचक हो जाता है - शायद यह स्तम्भन भी दर्शको के कारण ही हुआ हो? क्या पता! मैंने काजल को धीमी गति में भोगना शुरू कर दिया। यह मजेदार है कि हमने अपने प्रेम-आलाप को जितना संभव हो उतना विवेकपूर्ण बनाने की कोशिश की, और आवाज़ें बेहद कम निकाल रहे थे।

यह रोमांचक था... एक कुटिल तरीके से।

भले ही सुनील को सेक्स के बारे में न मालूम हो, लेकिन उसको समझ में आ गया था कि उसकी अम्मा और मेरे बीच में जो कुछ भी हो रहा था, वो बहुत ही खास था! उस दिन के उसके अपने खुद के अनुभव जितना खास! वो यह भी समझ गया था कि उसकी अम्मा, जो सुख मेरे साथ अनुभव कर रही थी, वो भी उसके लिए बहुत खास था। काजल बहुत खुश दिखाई दे रही थी, और उसके साथ जो हो रहा था, वो संभव है कि वही उसकी खुशी का स्रोत हो! गैबी ने देखा कि जहां काजल और मैं जुड़े हुए थे, वहाँ, उसकी योनि पूरी तरह से खुल गई थी, और मेरा लिंग धीरे-धीरे से अंदर और बाहर हो रहा था। सुनील ने देखा कि कैसे मैं काजल के स्तनों पर दावत उड़ा रहा था, तो उसने भी ऐसा ही करने का फैसला किया। उस समय तक गैबी ने शर्ट पहन ली थी, और सुनील को भी शर्ट पहना चुकी थी।

उसने गैबी की ओर अपना चेहरा घुमाया, और उसकी शर्ट के बटन खोलने लगा,

“क्या कर रहे हो!” गैबी ने हिसहिसाते हुए कहा।

उसने कुछ कहा नहीं, लेकिन जल्दी ही शर्ट के ऊपर के चार बटन खुल गए, और उसने फिर से गैबी के चूचकों को चूमा,

“ये लो!” गैबी फुसफुसाई, “फिर से....!”

सुनील खुशी से उसके स्तन चूसने लगा। कुछ ही पलों में वो ऊब गया और गैबी के बगल आ कर बैठ गया। गैबी ने प्यार से उसके गालों को चूमा और उसको बाकी के कपड़े पहनाए। इस बीच वो निरंतर हमको देख रहा था - ख़ास तौर पर वहाँ, जहाँ मैं और काजल जुड़े हुए थे। वो समझ गया कि यह बहुत ही अंतरंग है, कुछ ऐसा राज़ जिसे गुप्त रखा जाना चाहिए, और यह कुछ ऐसा है जिसे वो आने वाले लंबे समय तक नहीं भूल पाएगा! मैं पहले से ही उत्तेजना में कांप रहा था। मुझे नहीं लगता कि मैंने काजल के अंदर कुछ भी स्खलन किया - यह सत्र दस मिनट से अधिक भी नहीं चला, लेकिन यह अब तक का सबसे रोमांचक और संतुष्टिदायक सत्र था। मुझे बहुत आनंद आया, काजल को बहुत आनंद आया!

एक बार जब काजल और मैं संतुष्ट हो गए, तो गैबी, सुनील और मैंने बारी बारी से काजल के स्तन पिए। जो थोड़ा बहुत बच गया, वो लतिका के हिस्से आया। यह काजल का स्नेह ही था जिसके कारण वो हम पर अपना मातृत्व बरसा रही थी। मुझे नहीं मालूम कि तब उसे क्या और कैसा लगा होगा। वो बेचारी पिछले दो घंटे से नग्न थी। लेकिन फिर भी हम सभी की मन-मर्ज़ी को सहती रही। फिर अंत में, वो कपड़े पहन सकी। हम सभी बहुत संतुष्ट थे! हम सभी बहुत खुश थे। मैं सभी को एक बढ़िया से रेस्तरां में ले गया, और वहाँ दोपहर का भोजन किया। उसके बाद मैंने काजल और उसके दोनों बच्चों को उनके घर छोड़ दिया, और उसे उस दिन के लिए छुट्टी दे दी! हालाँकि वो शाम को घर आना चाहती थी, लेकिन उसको आराम की आवश्यकता थी।
 
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Chetan11

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Sunil ki to aish ho gayi , Kishmish aur kalakand ek saath 😁. Great update as usual. For the next update, please try and eloborate on the village part like you did for the first village visit. Gaon ki kaki chachi ke jalve kuch aur hain 😬
 
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जबरदस्त अपडेट है । अब मोहब्बत का सफर आगे बढ़ना चाहिए । गैबी को भी उस का हक मिलना चाहिए । शादी से पहले थोड़ी मस्ती दोनो में होनी चाहिए
 
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