आत्मनिर्भर - नए अनुभव - Update 2
ऐसी ही एक सर्दी की सुबह मैंने देखा कि सुन्दर खुशनुमा मौसम है। उस दिन इतवार था, तो मैंने सोचा कि साइकिलिंग और ट्रैकिंग एक साथ करी जाए। इस काम के लिए पूरा दिन पड़ा था, क्योंकि मेरे पास उस दिन करने के लिए और कुछ नहीं था। इसलिए, मैं उस दिन को अन्य लड़कों की तरह सोने में बर्बाद होने के बजाय बस इस खुशनुमा ठंडे मौसम का आनंद लेना चाहता था। मैंने अपना नाश्ता बहुत जल्दी कर लिया; मेस से कुछ फल, सैंडविच, पानी उठाया और अपनी दूरबीन को अपने बैग में पैक कर के बाहर चला गया।
आज एक अच्छी हल्की सर्दी वाला दिन था, और मैंने साइकिल चलाने का भरपूर आनंद लिया। कोई दो घण्टा साइकिल चलाने के बाद मैं पहाड़ियों के एक सुनसान हिस्से पर ट्रैकिंग करते करते ऊपर तक चढ़ गया। वहाँ से मुझे नीचे शहर का शानदार दृश्य दिया। मैंने दृश्य देखने के लिए अपनी दूरबीन निकाली। सूर्य की सुनहरी धूप, हरियाली और धुंध, तीनों मिल कर एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। मैंने देखा कि जिस जगह मैं था, वहाँ पर मेरे अलावा कुछ और भी ट्रेकर्स थे, लेकिन वे किसी और तरफ जा रहे थे। मैं थोड़ा और आगे की तरफ़ चला, तो पंद्रह मिनट में ही एक सूनसान सा क्षेत्र आ गया। वहां मैंने दूरबीन इधर उधर घुमा कर देखा तो एक आश्चर्यजनक दृश्य दिखा। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं ऐसा कुछ देखूंगा!
मैंने अपनी दूरबीन से देखा कि एक घने पेड़ के नीचे, एक युवा माँ थी जो अपने बच्चे को सुखपूर्वक दूध पिला रही थी। जहां मैं खड़ा था, वो वहाँ से बहुत दूर नहीं थी, इसलिए, यहाँ से वो साफ़ साफ़ दिख रही थी। वह एक स्थानीय निवासी थी - मैंने अनुमान लगाया कि शायद वो ‘राजी’ या ऐसी ही किसी जनजाति की थी; वह संभवतः तेईस से पच्चीस साल की होगी। राजी लोगों को वनवासी के रूप में जाना जाता है और इसलिए यह समझना मुश्किल नहीं कि वो वहां क्यों और कैसे थी। लेकिन, ऐसे खुले में स्तनपान कराना एक अलग बात थी। उसने एक कुर्ता-नुमा चोली पहनी हुई थी, जिसके बटन पूरी तरह से खुले हुए थे। इस कारण उसके गोरे/सुनहरे रंग के स्तन पूरी तरह से उजागर हो गए थे। उसके स्तन बेहद खूबसूरत थे! न जाने किस प्रेरणावश मेरा मन हुआ कि उसको पास से देखा जाए। मैंने किसी तरह थोड़ी हिम्मत की और सोचा कि मैं ऐसे एक्टिंग करूंगा कि जैसे मैं पगडंडी पर ट्रैकिंग कर रहा हूँ, और फिर उसके करीब रुक कर उसके खूबसूरत स्तनों को देखने का आनंद उठाऊँगा। अगर वो औरत तब भी अपने बच्चे को स्तनपान कराना जारी रखती है, तो समझो किस्मत अच्छी! लेकिन अगर वो चली जाती है, तो कोई बात नहीं! इसी बहाने थोड़ी और ट्रैकिंग हो गई समझो! कुल मिलाकर मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं था और पाने के लिए सब कुछ था।
मैंने अपनी दूरबीन को वापस अपने बैग में रखा, और तेजी से उसकी ओर बढ़ा, ताकि देर न हो जाए। जैसे जैसे मैं उसके करीब आ रहा था, मैंने यह सुनिश्चित किया कि वो मुझे अपनी तरफ आते हुए सुन ले, ताकि चौंक न जाए। पहाड़ पर तेजी से चलते चलते साँस फूलने लगी। खैर, जब मैं उसके पास आ गया, तो मैंने एक गहरी सांस ली और मुस्कुराते हुए ‘नमस्ते’ कहा। मुझे लगा कि मुझे अपने इतना पास देख कर वो कम से कम अपने स्तन जल्दी से ढँक लेगी, या फिर अगर वो मेरी उपस्थिति से नाराज़ हुई तो दो चार गालियाँ भी दे देगी। लेकिन उसने ये दोनों ही काम नहीं किए और मेरी उम्मीद के विपरीत उसने बड़ी शालीनता से मेरे अभिवादन का उत्तर दिया। मुझे बड़ा ही सुखद आश्चर्य हुआ।
“मैं यहाँ बैठ जाऊँ? आपके साथ?”
“हाँ, बैठो।” उसने कहा।
मैंने साइकिल वहीँ लिटा दी, और अपना बैग उतार दिया, फिर उसके सामने बैठ गया। मैंने खाने के लिए एक सैंडविच निकाल दिया। इस बीच वो औरत न तो घबराई और न ही शरमाई, और उसने अपने खुले हुए स्तनों को ढँकने का भी कोई प्रयास किया। उसने बच्चे को पहले के ही जैसे स्तनपान कराना जारी रखा। जैसे कि मेरे रहने से उसको कोई फ़र्क़ ही न पड़ा हो। हम बीच बीच में बातें भी कर रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान उसके स्तनों की तरफ था। उसके स्तन बहुत गोरे थे : उनमें नीली नीली नसों का जाल साफ़ दिख रहा था। उसके चूचकों का घेरा [अरीओला] उसके स्तनों के आकर के मुकाबले काफी बड़ा था - करीब ढाई इंच व्यास का; उसके बच्चे का मुँह उस घेरे को पूरी तरह से ढक नहीं सकता था। अरीओला का रंग नारंगी भूरे रंग का कोई शेड था। और उसी रंग के उसके चूचक थे। लेकिन पिए जाने के कारण उनका रंग थोड़ा लाल हो गया था। पिए जाने के कारण वो उसके स्तनों से करीब एक इंच बाहर निकले हुए थे। वह अपने बच्चे को ऐसे ही दूध पिलाती रही। तब तक मेरा सैंडविच खाना ख़तम हो गया। जब एक स्तन खाली हो गया, तो उसने बच्चे को दूसरा स्तन पीने के लिए दे दिया। अभी भी उसने अपने स्तनों को नहीं ढँका। इसने मुझे ब्लाउज से बाहर झांकते हुए स्तन बड़े सुन्दर लग रहे थे। उसके स्तन सख्त थे - ढीले ढाले नहीं। मैं जिस तरह से उसके स्तनों को काफी देर से घूर रहा था, उससे उसको समझ आ गया कि मैं उसके स्तनों को देख कर हतप्रभ हो गया था।
“तुम यहाँ अक्सर आते हो क्या?” उसने मुझसे पूछा।
“जी? अक्सर तो नहीं, लेकिन कभी कभी आता हूँ। इस तरफ पहली बार आया हूँ। साइकिल चला कर शहर तक तो आता रहता हूँ, लेकिन पहाड़ की चढ़ाई आज पहली बार की है!”
“हम्म्म! काफी मेहनत हो गई! मुझे यहाँ अच्छा लगता है। कोई शोर नहीं, कोई लोग नहीं। जब घर के काम ख़तम हो जाते हैं, तो मैं इधर आ जाती हूँ।”
“आपका बेटा है या बेटी?”
“बेटा!”
“कितना बड़ा है अभी?”
“एक साल का होने वाला है!”
“बढ़िया! जन्मदिन की बहुत बहुत बधाइयाँ बच्चे को! आप सैंडविच लेंगीं?”
“नहीं?”
“ओह! अच्छा, मेरे पास ये कुछ केले हैं?” मैंने बैग से निकाले।
वो मुस्कुराई और उसने केले स्वीकार कर लिए। मुझे लगता है कि ज़मीन से जुड़े लोग साफ़ सुथरा खाना ही पसंद करते हैं। जंक खाना नहीं। हमने कुछ देर खाया। फिर, अचानक ही उसने मुझसे पूछा,
“तुमको दूध पीते हुए बच्चे देखने पसंद हैं?”
मैं उस सवाल पर चौंक गया, लेकिन चूँकि झूठ बोलने वाली आदत नहीं थी, इसलिए मैंने ईमानदारी से जवाब दिया,
“जी... पसंद तो है। आपको दूर से दूध पिलाते हुए देखा, तो मन किया कि पास से देखूँ। इसलिए चला आया।”
“हा हा हा हा! मुझे लगा तुम इस बात से इंकार कर दोगे।”
“नहीं। मैं झूठ बहुत कम बोलता हूँ। लेकिन सच में आपके स्तन बहुत सुंदर हैं।”
वो सर हिलाते हुए मुस्कुराई, “क्या तुमने कभी माँ का दूध पिया है?”
उसके सवाल पर कई सारी पुरानी यादें दौड़ती हुई वापस आ गईं।
“सारे ही बच्चे माँ का दूध पीते हैं!” मैंने बोला।
“बचपन में नहीं, अभी?”
मैंने ‘न’ में सर हिलाया। मेरी उम्मीद से बेहतर जा रहा था यह तो!
वह मुस्कुराई, और अपने स्तन पर से ब्लाउज के फ्लैप को हटाते हुए बोली, “पियोगे?”
मैं अवाक रह गया। उसने अभी अभी जो कहा, मुझे उस बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था।
“आप सच में मुझे पिलाएँगीं?”
“हाँ! इसीलिए तो पूछा।” उसने सामान्य तरीके से कहा, “मुझे काफ़ी दूध आता है। इसलिए अभी भी बचा हुआ है ... तुम सभ्य लगे, इसलिए वह मुझको तुमसे डर नहीं लग रहा है।”
सच में, मुझे उस दिन लगा कि मैं धरती से सबसे भाग्यशाली लोगों में एक होऊँगा! जैसे-जैसे मैं उसकी तरफ सरक कर जा रहा था, वैसे वैसे मेरा दिल जोर से धड़क रहा था। उस महिला ने मुझे वो स्तन को लेने का इशारा किया, जिसमे अधिक दूध था। इतने सालों के बाद पुनः दूध भरे चूचक को मुँह में लेना एक स्वर्गीय एहसास था। मैंने स्तनपान शुरू किया और लगभग तुरंत ही ताज़ा, गर्म, और लगभग मीठा दूध मेरे पूरे मुँह में भर गया। मुझे दूध पिलाते हुए, उसने मेरे सर को प्यार से पकड़ लिया और धीरे से बोली,
“आराम से पियो! बहुत दूध है!”
दूध पीते हुए मैं एक अलग ही दुनिया में चला गया - माँ का दूध पिए कितने ही साल हो गए थे! जैसे जैसे दूध की धारा खुलकर मेरे मुँह में बहने लगी, वैसे वैसे मैं दीन दुनिया से बेखबर होता चला गया! मैंने करीब पाँच मिनट तक उस स्तन का दूध पिया होगा - लेकिन मुझे लगा जैसे मैंने पंद्रह मिनट तक पिया हो! जब वो स्तन खाली हो गया, तो मैंने उसकी ओर देखा। उसने मुझे दूसरा स्तन पीने को बोला, जो मैंने ख़ुशी ख़ुशी से पी लिया। सच में - स्तनपान करने से मैं कभी अघा नहीं सकता। लेकिन फिर कोई उधर आ न जाए, इस डर से मैंने अंत में उसका दूध पीना बंद कर दिया। वैसे भी उसके दोनों स्तन अब पूरी तरह से खाली हो गए थे। उसने मुझसे पूछा,
“पेट भर गया?”
“न तो पेट भरा, और न ही मन!”
“तो फिर पीते रहो।”
“नहीं नहीं! मैं आपको अधिक देर तक नहीं रोक सकता। लेकिन, सच में - आपको बहुत बहुत धन्यवाद! उम्मीद है, कि आपसे फिर कभी मुलाकात हो!”
वो मुस्कुराई और फिर उसने बड़ी कुशलता से अपनी चोली के बटन लगा दिए। मैंने उससे पूछा कि वह कहाँ रहती है लेकिन उसने मुझे बताने से इनकार कर दिया। उसने बच्चे को गोद में लिया और जंगल में कहाँ चली गई, समझ नहीं आया। मैंने एक बार उसका पीछा करने के बारे में सोचा, लेकिन सोचा कि ऐसा नहीं करना चाहिए।
तो वह था - इंजीनियरिंग कॉलेज से स्नातक होने से पहले मैं लगभग सबसे अच्छा, या कहिये कि एकलौता लगभग ‘यौन’ अनुभव था। लेकिन यह इतना कीमती अनुभव था कि मैं इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करके इसकी सुंदरता, इसकी ममता बर्बाद नहीं करना चाहता था। मैं उसके बाद भी कई बार पहाड़ की तरफ गया, लेकिन वह महिला नहीं मिली। मुझे कभी कभी तो लगता है कि वो कोई वनदेवी रही होगी!