पहला प्यार - विवाह प्रस्ताव – Update #9
अंत में काजल की बारी आई। यह शर्म की बात थी कि हम सब उसे अभी तक नग्न नहीं देख पाए थे। इसलिए, मैंने निर्वत्र होने में उसकी मदद की। वह सुनील के सामने नग्न होने में शर्मा रही थी! इसलिए वो अभी भी अपने सारे कपड़े पहने हुए थी, जबकि बाकी के हम तीनों नग्न अवस्था में थे। तो शीघ्र ही काजल भी हम तीनों की तरह नंगी हो गई। सुनील दोनों महिलाओं की तुलना करने से खुद को रोक नहीं पाया। उसकी अम्मा की शारीरिक रचना बिलकुल उसकी दीदी की तरह ही थी! लेकिन फिर भी उन दोनों के शरीर में काफ़ी अंतर थे - दीदी की तुलना में उसकी अम्मा के स्तन बड़े थे, उसकी योनि (हाँलाकि सुनील को अभी यह शब्द नहीं मालूम था) भी बड़ी थी, और नितम्ब चौड़े थे। साथ ही साथ काजल की योनि के होंठ मोटे थे, जबकि गैबी के होंठ पतले थे। गैबी की योनि के विपरीत, काजल की योनि के योनि-पुष्प की पंखुड़ियाँ बाहर दिखाई दे रही थीं! फिर भी, एक ऐसी महिला, जिसके दो बच्चे थे, उसके लिए काजल अभी भी अत्यंत सुगठित और सुन्दर दिखती थी!
मैंने ठिठोली करते हुए सुनील से पूछा कि वह किसका दूध पीना पसंद करेगा, तो उसने उत्तर में कहा कि वो अपनी अम्मा का दूध पीना पसंद करेगा। ठीक भी है - यह बिल्कुल भी बुरा विकल्प नहीं है! वो ही क्या, हम सभी काजल का ही दूध पीना पसंद करते। गैबी के स्तनों में अभी भी और विकास होने की पर्याप्त गुंजाइश थी! ख़ैर, नहाने के बाद हम सब नंगे नंगे और भीगे हुए बाथरूम से बाहर आ गए। काजल स्पष्ट रूप से अपने इस माँ वाले रोल का भरपूर आनंद उठा रही थी! मुझे तो लग रहा था कि वो इस समय यह भी भूल गई थी कि उसका अपना एक अलग घर है। उसने जल्दी से सुनील को पोंछ कर सुखाया, और फिर मुझे भी पोंछने लगी। गैबी ने खुद को पोंछ कर सुखाया - बाथरूम में खड़े खड़े काफी समय हो गया था, इसलिए ठंडक लगने का डर भी था। जब सुनील का शरीर सूख गया, तो वो पूरे घर में उछल-उछल कर भागने लगा, बिना इस बात की परवाह किए कि वो अभी भी नग्न था! उधर उसकी अम्मा मुझे पोंछ रही थी। सबसे अंत में काजल ने खुद को पोंछ कर सुखाया। यह सब दस मिनट से कम समय में हो गया। अब कपड़े पहनने का उपक्रम! मैं कुछ भी पहनने के मूड में नहीं था, इसलिए मैंने बस काजल को अपनी ओर खींच लिया, जो मेरे ही समान नग्न थी, और उसके स्वादिष्ट स्तनों को पीना शुरू कर दिया, और मेरे हाथ की उँगलियाँ उसकी योनि में व्यस्त हो गईं - वो उसकी सिलवटों से खेल रही थीं, उसके भगशेफ को छेड़ रही थीं, और उसकी गहराई का नाप रही थीं।
दूसरी ओर गैबी ने मुझे पहली बार काजल के साथ ऐसा करते हुए देखा, तो जाहिर सी बात है कि वो भी उस दृश्य को अपने सामने घटते देख कर बहुत उत्सुक थी। वो हमको देखने लगी... शायद इस बात का मूल्यांकन करने के लिए कि मैं प्यार कैसे करता हूँ, मेरा स्टाइल क्या है, और वो मुझसे क्या क्या होने की उम्मीद करे। शालीनता के कारण उसने पैंटी पहनी हुई थी। जब मैं काजल के साथ काम में व्यस्त था, तो सुनील हमारे कमरे के अंदर आ गया। जैसे ही उसने मुझे अपनी अम्मा का दूध पीते देखा, उसका उछलना कूदना तुरंत बंद हो गया।
“नहीईईईई.....” वो ठुनठुनाया, “अम्मा को छोड़ दो…” और अपनी अम्मा को पीछे से पकड़कर उसे मुझसे अलग करने की कोशिश करने लगा।
“सुनील, बेटा,” काजल बोली, उसकी आवाज़ बहुत ही अस्थिर थी, “तुमने भी तो दीदी का दूध पिया था न? तो, अगर भैया मेरा दूध पी रहे हैं, तो क्या गलत है…”
यह कैसा तर्क था!
“नहीईईईई.....” वो फिर से ठुनठुनाया, “मैंने दीदी का दूध नहीं पिया!”
“तुमने पिया था, झूठे!” गैबी ने इसको छेड़ा।
“नहीं... मैंने नहीं पिया!”
“नहीं पिया था, तो जाओ और अब पियो!” काजल ने जैसे तैसे कहा।
इस पर गैबी ने कहा, “दीदी! तुम उसको ऐसा करने के लिए कैसे कह सकती हो?”
लेकिन काजल गैबी की बात नहीं सुन रही थी - उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और मेरे चूसने का और और मेरे हाथ का आनंद ले रही थी। गैबी ने हथियार डाल दिए,
“ये वो सब कर रहा है जो केवल मेरे पति को करना चाहिए... समझे मिस्टर?” गैबी ने मुझसे शिकायत करते हुए कहा।
“बिलकुल करूँगा, माय डार्लिंग! बस हमारी शादी वाले दिन का इंतज़ार करो! तुमको हमारा मिलन याद रहेगा। प्रॉमिस!” मैंने कहा, और वापस काजल मे व्यस्त हो गया।
गैबी कर भी क्या सकती थी? यह दण्ड तो उसने खुद को ही दिया हुआ था। उसने अपना सिर हिलाया और सुनील को ऊँगली के इशारे से बुलाया।
“चाहिए?” उसने पूछा।
सुनील ने तुरंत ‘हाँ’ में सर हिलाया और गैबी के एक चूचक पर अपना मुँह रख दिया। मुझे यकीन है कि उसको आनंद तो आया... क्योंकि उसकी तारीफ बेहद सकारात्मक थी,
“उम्म…” स्वाद लेते हुए सुनील बोला, “दीदी, आपकी चूची खूब कोमल है ... और मीठी! किशमिश की तरह! नहीं नहीं... किशमिश नहीं ... कलाकंद की तरह!”
उसकी इस टिप्पणी पर मैंने सुनील की तरफ देखा - कमाल है! उसको यह शब्द मालूम था!
“सुनील,” काजल ने उसको चेताया, “ऐसे शब्द नहीं बोलते!”
मैंने गैबी की ओर देखा; वो मुस्कुरा रही थी और सुनील को प्रोत्साहित कर रही थी। सुनील पीने के बजाय गैबी के चूचक चाट रहा था। गैबी की सांसें अजीब तरह से गहरी और आनंददायक हो गई थीं। मुझे यकीन है कि सुनील को भी समझ में आ गया था कि दीदी को उसके मुंह और जीभ से एक ‘अलग’ तरीके का आनंद मिल रहा है। गैबी ने बाद में सुनील से कहा कि उसके स्तनों को पीना एक बहुत ही व्यक्तिगत और अंतरंग काम था, और उसे इस बारे में कभी भी, किसी को भी नहीं बताना चाहिए। सुनील तुरंत सहमत हो गया। गैबी और काजल दोनों ही हमारे नटखट खेल में उसकी मिलीभगत से बहुत खुश और हैरान थे।
“हम बाद में कभी फिर से करेंगे, ठीक है?” गैबी ने सुनील के गालों को सहलाते हुए कहा, “और, इसका ज़िक्र किसी से भी मत करना! ठीक है? चलो, अब, हम कपड़े पहन लेते हैं।”
मुझे यह देख कर घोर आश्चर्य हुआ कि मैं फिर से स्तंभित हो रहा था। वाकई आश्चर्य वाली बात है! मेरा मतलब - इतने कम समय में इतने सारे इरेक्शन होना - यह अद्भुत था!! मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है, और कैसे हो रहा है। गैबी के साथ मेरी सेक्स लाइफ एकदम मदमस्त होने वाली थी, यह तो पक्की बात थी। अब मैं सच में और इंतजार नहीं कर सकता था कि वो मेरी ब्याहता पत्नी बन जाए! मैं बिस्तर के किनारे पर बैठ गया और काजल को अपनी गोद में बैठने में मदद की, और ऐसा करते हुए मैंने अपने लिंग को अपने हाथ से सहारा दे कर पकड़ लिया, जिससे जब वो मेरे ऊपर बैठे, मेरा लिंग उसके अंदर घुस जाए। दो जोड़ी आँखों ने हमें ऐसा करते देखा। जब आपके पास दर्शक हों, तो एक खूबसूरत महिला से प्यार करना बड़ा ही रोमांचक हो जाता है - शायद यह स्तम्भन भी दर्शको के कारण ही हुआ हो? क्या पता! मैंने काजल को धीमी गति में भोगना शुरू कर दिया। यह मजेदार है कि हमने अपने प्रेम-आलाप को जितना संभव हो उतना विवेकपूर्ण बनाने की कोशिश की, और आवाज़ें बेहद कम निकाल रहे थे।
यह रोमांचक था... एक कुटिल तरीके से।
भले ही सुनील को सेक्स के बारे में न मालूम हो, लेकिन उसको समझ में आ गया था कि उसकी अम्मा और मेरे बीच में जो कुछ भी हो रहा था, वो बहुत ही खास था! उस दिन के उसके अपने खुद के अनुभव जितना खास! वो यह भी समझ गया था कि उसकी अम्मा, जो सुख मेरे साथ अनुभव कर रही थी, वो भी उसके लिए बहुत खास था। काजल बहुत खुश दिखाई दे रही थी, और उसके साथ जो हो रहा था, वो संभव है कि वही उसकी खुशी का स्रोत हो! गैबी ने देखा कि जहां काजल और मैं जुड़े हुए थे, वहाँ, उसकी योनि पूरी तरह से खुल गई थी, और मेरा लिंग धीरे-धीरे से अंदर और बाहर हो रहा था। सुनील ने देखा कि कैसे मैं काजल के स्तनों पर दावत उड़ा रहा था, तो उसने भी ऐसा ही करने का फैसला किया। उस समय तक गैबी ने शर्ट पहन ली थी, और सुनील को भी शर्ट पहना चुकी थी।
उसने गैबी की ओर अपना चेहरा घुमाया, और उसकी शर्ट के बटन खोलने लगा,
“क्या कर रहे हो!” गैबी ने हिसहिसाते हुए कहा।
उसने कुछ कहा नहीं, लेकिन जल्दी ही शर्ट के ऊपर के चार बटन खुल गए, और उसने फिर से गैबी के चूचकों को चूमा,
“ये लो!” गैबी फुसफुसाई, “फिर से....!”
सुनील खुशी से उसके स्तन चूसने लगा। कुछ ही पलों में वो ऊब गया और गैबी के बगल आ कर बैठ गया। गैबी ने प्यार से उसके गालों को चूमा और उसको बाकी के कपड़े पहनाए। इस बीच वो निरंतर हमको देख रहा था - ख़ास तौर पर वहाँ, जहाँ मैं और काजल जुड़े हुए थे। वो समझ गया कि यह बहुत ही अंतरंग है, कुछ ऐसा राज़ जिसे गुप्त रखा जाना चाहिए, और यह कुछ ऐसा है जिसे वो आने वाले लंबे समय तक नहीं भूल पाएगा! मैं पहले से ही उत्तेजना में कांप रहा था। मुझे नहीं लगता कि मैंने काजल के अंदर कुछ भी स्खलन किया - यह सत्र दस मिनट से अधिक भी नहीं चला, लेकिन यह अब तक का सबसे रोमांचक और संतुष्टिदायक सत्र था। मुझे बहुत आनंद आया, काजल को बहुत आनंद आया!
एक बार जब काजल और मैं संतुष्ट हो गए, तो गैबी, सुनील और मैंने बारी बारी से काजल के स्तन पिए। जो थोड़ा बहुत बच गया, वो लतिका के हिस्से आया। यह काजल का स्नेह ही था जिसके कारण वो हम पर अपना मातृत्व बरसा रही थी। मुझे नहीं मालूम कि तब उसे क्या और कैसा लगा होगा। वो बेचारी पिछले दो घंटे से नग्न थी। लेकिन फिर भी हम सभी की मन-मर्ज़ी को सहती रही। फिर अंत में, वो कपड़े पहन सकी। हम सभी बहुत संतुष्ट थे! हम सभी बहुत खुश थे। मैं सभी को एक बढ़िया से रेस्तरां में ले गया, और वहाँ दोपहर का भोजन किया। उसके बाद मैंने काजल और उसके दोनों बच्चों को उनके घर छोड़ दिया, और उसे उस दिन के लिए छुट्टी दे दी! हालाँकि वो शाम को घर आना चाहती थी, लेकिन उसको आराम की आवश्यकता थी।