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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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avsji

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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #5


पास के एक थिएटर में एक फिल्म लगी थी और उस साल वो बहुत हिट हुई थी। फिल्म थी आमिर खान और करिश्मा कपूर की। नाम तो नहीं बताऊंगा, लेकिन फिल्म बहुत पकाऊ थी! फीडबैक मिल चुके थे, लेकिन डेवी को देखनी ही थी। अब मैं क्या करता? मालकिन का आदेश था, तो मजबूरी में उसके साथ जाना ही पड़ा!

अगले दिन क्रिसमस था, और मैंने उस फिल्म का मैटिनी शो बुक किया हुआ था। डेवी का हमारा साथ में देखे जाने वाला डर कल के रोस्ट से जाता रहा था। पहले वो शायद इसीलिए झिझकती थी, लेकिन आज वो थोड़ा अधिक संयत लग रही थी। कल जब हम एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्ध जोड़े के रूप में अपने समाज में सामने आए तो उस घटना ने अन्य लोगों की नज़र में हमारा सामाजिक कद बढ़ाया! एक गंभीर और प्रतिबद्ध जोड़े के रूप में जाने जाने से इज़्ज़त तो बढ़ती ही है! खैर, क्रिसमस होने के बावजूद इस फिल्म के लिए उतनी भीड़ नहीं जुटी थी, जितनी मुझे उम्मीद थी। डेवी अभी भी थोड़ा सतर्क हो कर बर्ताव कर रही थी। जब मैं सिनेमा के गेट पर पहुँचा, तो मैंने देखा कि वो एक बड़ा सनग्लासेस पहने हुए थी, और अपने दुपट्टे से उसने अपना चेहरा ढँक रखा था। शायद दोपहर की धूप के कारण हो, या फिर इस डर से कि कोई घर वाला उसको न देख ले। और अगर कोई जानने वाला उसे देख भी ले, तो वो उसे पहचान न सके! सच कहूँ, तो मुझे उसका यह बर्ताव थोड़ा परेशान करने लगा था। अगर प्यार कर रही हो, तो ठीक से करो! जैसा मैंने पहले कहा था - संदेह के साथ नहीं, विश्वास के साथ! लेकिन फिर मैं इस बात को बर्दाश्त कर गया कि अगर डेवी यह सब कर के सहज महसूस करती है, तो ठीक है! धीरे धीरे ही सही, लेकिन गंतव्य की ओर चलना आवश्यक है! लेकिन फिर भी मन में हो रहा था कि अब पहल करने का समय आ गया था! ये कछुआ चाल चलते रहेंगे, तो दो तीन साल लग जाएँगे शादी होने में!

खैर, हम थिएटर के अंदर गए और वहाँ अपनी अपनी सीटें ले ली। हमारी सीटें हॉल में सबसे दूर और कोने में थीं। इससे हमको पर्याप्त एकांत मिलने की सम्भावना थी, अगर आगे और पीछे कोई न बैठे! जब फिल्म शुरू हुई तो हॉल की उपस्थिति लगभग 20 प्रतिशत ही थी!

“क्या इरादे हैं सिंह साहब? ये कोने वाली सीटें लेने के पीछे क्या प्लान है?”

“बताता हूँ! ऐसी जल्दी भी क्या है जानेमन?”

मैंने पहली बार डेवी को कुछ ऐसा कह कर पुकारा!

डेवी ने एक गहरा निःश्वास भरा - उसको पूर्वानुमान हो गया था कि मेरे मन में कोई तो शैतानी दौड़ रही है!

हॉल की बत्तियाँ बुझ गईं और फिल्म शुरू हो गई! फिल्म शुरू होने से पहले ही मैंने डेवी का हाथ पकड़ लिया था और जैसे ही हाल की बत्तियाँ बुझाई गईं, मैंने उसका हाथ अपनी तरफ़ खींच कर चूमने लगा। डेवी का हाथ शायद घबराहट और नर्वसनेस के कारण ठंडा हो रहा था, और शिथिल भी! हाँलाकि वो मेरे चुम्बनों का कोई विरोध नहीं कर रही थी। इस बात से मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैं उसकी एक उँगली को अपने मुँह में रख कर चूसने लगा! हाथ का ठण्डापन इससे कुछ कम हुआ - तो मैंने एक-एक करके उसकी सारी उँगलियाँ चूस लीं। अब तक फिल्म केवल पंद्रह ही मिनट चली होगी! हिंदी फिल्में बहुत लंबी होती हैं - ये वाली कोई तीन घण्टा पकाने वाली थी। लेकिन मैं पकने वाला नहीं था। इन तीन घण्टो का सदुपयोग करने वाला था।

मैंने अपने बाएँ हाथ से उसको कंधे से घेर कर समेट लिया, जिससे वो मेरी तरफ झुक जाए। मैंने उसके माथे पर चूमा। डेवी कोई मूर्ख लड़की नहीं थी। उसको समझ आ रहा था कि मैं उससे थोड़ा इंटिमेट होना चाहता था। मन ही मन वो भी चाहती थी कि वो एक प्रेमिका के जैसे मुझे कुछ शारीरिक प्रेम प्रदान कर सके, लेकिन उसकी वर्जनाओं ने उसको रोक रखा था। अच्छी बात यह थी कि वो अभी तक मेरी किसी भी हरकत का विरोध नहीं कर रही थी। अँधेरा होने पर वर्जनाएँ थोड़ी कम हो जाती हैं - इस बात का प्रमाण मुझे इस समय दिख रहा था। मैं कुछ देर तक उसकीं उँगलियों और उसके माथे को चूमता रहा, और फिर उसके बायें गाल पर चुम्बन देने के लिए नीचे झुका।

“आई लव यू!” मैंने उसके कान में बुदबुदाते हुए कहा।

प्यार तो खैर डेवी भी मुझे खूब करती थी! बस, न जाने किस बात से हिचकिचा रही थी! अगर मेरी आज की हरकतों का उस पर कोई सकारात्मक प्रभाव होता है, तो बहुत बढ़िया बात है! नहीं तो देखेंगे!

“मेरे होने वाले दूल्हा,” उसने बड़ी अदा से कहा, “क्या हो गया है तुमको?”

“दूल्हा को बेसब्री होने लगी है!”

यह बात सच तो थी। डेढ़ साल से न तो किसी स्त्री का सान्निध्य मिला था, और न ही कुछ करने का अवसर मिला था। हस्तमैथुन करना न जाने कब से छोड़ रखा था। जाहिर सी बात है, मेरी यौन ऊर्जा अपने शिखर पर थी, और इस समय अपनी प्रेमिका को निकट पा कर वो ऊर्जा किसी न किसी बहाने से बाहर आ रही थी। लेकिन मुझे अभी तक अंदाज़ा नहीं था कि डेवी मेरी ऐसी अंतरग हरकतों से कैसा महसूस करेगी, और कैसी प्रतिक्रिया देगी! मुझे मालूम था कि मुझे इसके बारे में जल्दी ही पता चल जाएगा।

मैंने अपना हाथ थोड़ा नीचे सरकाया, और अपनी हथेली को दाहिने स्तन पर रख दिया।

उसने तुरंत अपना विरोध दिखाया, “नहीं नहीं... रुको! यह नहीं... प्लीज!”

“डेवी, क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो?” मैंने फुसफुसाते हुए उसके कान में कहा, “क्या तुम मुझ पर भरोसा करती हो?”

“मैं तुमसे प्यार भी करती हूँ, और मुझे तुम पर भरोसा भी है... सच में! प्लीज मेरा विश्वास करो... लेकिन ये मत करो!”

“ठीक है... मैं नहीं करूँगा! लेकिन कम से कम मुझे बताओ तो कि क्यों न करूँ?”

“अमर, मुझे यह पसंद नहीं है... और दर्द भी होता है…” उसने कहा।

हम्म - तो ठीक है! सबसे पहली बात जो मालूम हुई वो यह, कि डेवी को अभी तक अंतरंगता का जो अनुभव हुआ था, वो अवश्य ही कष्टप्रद था! जब ऐसे अनुभव कष्टप्रद होते हैं, तो उनका मन पर स्थाई प्रभाव हो सकता है और मन में एक खटास, एक डर बैठ जाता है। शायद डेवी के साथ भी यही हुआ था।

“डेवी, क्या तुम मुझ पर इतना ट्रस्ट कर सकती हो कि मैं तुमको फिजिकली या इमोशनली किसी भी तरह की चोट नहीं पहुँचाऊँगा?”

“हाँ अमर…” यह बोलते हुए डेवी एक पल के लिए भी नहीं झिझकी। और तो और, उसके बोलने का स्वर भी तुरंत बदल गया।

“तो फिर कुछ देर मुझ पर पूरी तरह से ट्रस्ट करो, और मुझे थोड़ी सी छूट दे दो? प्लीज?”

वह कुछ देर चुपचाप बैठी रही।

“डेवी?”

“... आई डोंट नो, अमर!” डेवी थोड़ा झिझकते हुए बोली, “लेकिन अगर हम आज ये सब न करें, तो कोई इशू होगा क्या?”

“बिल्कुल भी नहीं डेवी! तुमको पेन पहुँचा कर मुझे कोई मज़ा नहीं मिलेगा! तो अगर तुम नहीं करना चाहती हो, तो नहीं करूँगा! लेकिन, हमें कभी न कभी ये सब तो करना ही होगा! है ना?”

देवयानी ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया! मैं भी चुप रहा कि वो कुछ कहे! लेकिन जब वो चुप रही, तो मैंने अपनी बात जारी रखी,

“डेवी, क्या तुमको ऐसा लगता है कि मैं केवल सेक्स चाहता हूँ?”

“नहीं अमर!”

“अगर तुमको ऐसा लगता है न डेवी, तो फिर मेरे खोने के लिए सब कुछ है! मैं तुमसे प्यार करता हूँ! बहुत! और मैं तुमको दिखाना चाहता हूँ, कि प्यार की छुवन में एक अलग ही तरह का आनंद होता है!”

डेवी ने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। मेरी हथेली अभी भी उसके स्तन पर थी। वो जो भी कुछ सोच रही हो, लेकिन उसने मेरा हाथ वहाँ से हटाने की कोई कोशिश तक नहीं की। यह कोई बुरा संकेत नहीं था।

“डेवी, फ़ॉर वन्स, प्लीज डोंट थिंक! एंड ओनली ट्रस्ट मी! ओके? क्या तुम यह कर सकती हो?”

उसने मेरी तरफ़ थोड़ी कातर सी नज़र डाली, और घबराहट में अपना सर ‘हाँ’ में हिलाया।

“प्लीज! जस्ट ट्राई टू रिलैक्स! ओके, हनी?”

उसने फिर से हाँ में सर हिलाया।

अब, मेरे लिए सौभाग्य से डेवी ने आज एक आरामदायक टी-शर्ट और स्कर्ट पहन रखी थी।

“ट्रस्ट मी, ओके?”

उसने फिर से हाँ में सर हिलाया, और गहरा निःश्वास भरा।

“गिव मी सम स्पेस टू एक्सेस द हेम ऑफ़ योर टी-शर्ट?”

डेवी ने कुछ पल सोचा। उसके मन में इस समय शक की कोई गुंजाईश नहीं रह गई थी कि मैं उसके कपड़े उतारना चाहता हूँ। वो चुप थी - शायद वो अपने विकल्पों को तौलने की कोशिश कर रही थी! संभवतः सोच रही हो कि मेरी चेष्टाओं से कैसे बचा जाए, या कि मुझे यह काम करने से हतोत्साहित कैसे किया जाए! उन सारे विकल्पों में एक, छोटा सा, कमज़ोर सा विकल्प यह भी था कि वो मुझे यह सब करने की अनुमति दे दे, और यदि संभव हो तो उन हरकतों का आनंद भी उठाए! मुझे इतना तो यकीन था कि अपने दिल में, डेवी जानती थी कि मैं उसे कैसे भी चोट नहीं पहुँचाऊँगा। शायद यह बातें अंततः उसके विचार पर हावी हो गईं और वो सीट पर थोड़ा आगे खिसक गई, जिससे मुझे थोड़ी जगह मिल सके।

मैं मुस्कुराया - एक छोटी सी विजयश्री! मैंने उसकी टी-शर्ट का निचला हिस्सा (हेम) पकड़ लिया और एक तेज गति में, उसे उसके शरीर से अलग खींच लिया।

ऐसे अचानक ही डेवी अब केवल अपनी ब्रा और स्कर्ट पहने सीट पर बैठी हुई थी - फ़िल्म थिएटर में! उसको कभी ऐसा जोखिम भरा, एक्सहिबीशनिस्ट अनुभव पहले कभी हुआ है या नहीं, यह तो मैं नहीं जानता था, लेकिन उम्मीद है कि इस रोमांचक अनुभव से डेवी घबराई न हो! मैं बस इतना चाहता था कि मेरी संगत में डेवी सुरक्षित महसूस करे, और इन सभी अनुभवों का आनंद उठाए! खेल शुरू हो गया था, तो अब उसको अगले लेवल तक तो पहुँचाना ही था। उसके लिए डेवी की ब्रा उतारनी आवश्यक थी। अगर उसमे देरी हो जाए, तो क्या पता वो अपना मन बदल ले? वैसे इस तरह से ‘टॉपलेस’ बैठना बेहद जोखिम भरा काम था। लेकिन बेहद रोमाँचक भी! मैंने डेवी को अपनी बाहों में भरे हुए उसकी पीठ पर लगा ब्रा का हुक खोल दिया, और उसके कोमल और दृढ़ स्तनों को मुक्त कर दिया! उसकी ब्रा उतार कर मैंने उसको तह किया, और उसके हाथों में थमा दी। अब असली काम... मैंने उसके स्तनों को बड़े सहेज कर अपने हाथों में पकड़ कर उनकी त्वचा के प्रत्येक इंच को चूमा।

देवयानी एक परिपक्व पंजाबी लड़की थी, और इस समय अपने यौवन के शिखर पर थी! उसका शरीर भी यौवन की ऊर्जा से पूरी तरह से दमक रहा था! लिहाज़ा, उसके स्तन भी अपने पूरे शबाब पर थे, और उसके शरीर के हिसाब से पूरी तरह से विकसित हो चुके थे। स्तनों के अनेकानेक आकार होते हैं। डेवी के स्तन गोलार्द्धों के जैसे थे - वे ऊपर से भरे हुए, मुलायम और दृढ़ थे! बाद में मालूम हुआ कि उसके स्तनों का साइज़ 34C था! जाहिर सी बात है, उसके स्तन गैबी के स्तनों से कोई पच्चीस प्रतिशत बड़े रहे होंगे! और करीब इतने ही अधिक भारी भी! फिल्म की आवाज बहुत तेज थी, अन्यथा, मुझे यकीन है कि डेवी और मेरे दिलों की बढ़ी हुई धड़कनें वहां पर उपस्थित सभी लोगों को साफ़ सुनाई देतीं! इतने लम्बे अर्से के बाद एक प्रेमिका का सान्निध्य मिला था मुझे! अगर सब कुछ ठीक रहा, तो वो और मैं, जीवन भर की प्रतिबद्धता - अर्थात विवाह के बंधन में बांधने को तैयार थे! इन विचारों का मेरे ऊपर बड़ा ही मादक प्रभाव पड़ रहा था। उम्मीद है कि मेरी हरकतों का डेवी पर भी वैसा ही मादक प्रभाव पड़ रहा हो!

मेरे चुम्बनों का उसके चूचकों ने समुचित उत्तर देना शुरू कर दिया - लगभग तुरंत ही वो पूरी तरह से स्तंभित हो गए, और चूसे जाने को व्याकुल भी! दुःख की बात यह है कि उनका आकार, रंग, उसके एरोला का आकार इत्यादि मैं हॉल के अँधेरे में केवल अंदाजा ही लगा सकता था। लेकिन वो कोई समस्या नहीं थी - आज अगर डेवी को मेरी हरकतों से आनंद आता है और मुझ पर भरोसा होता है, तो देर सबेर, यह सब मुझे मालूम पड़ना स्वाभाविक ही है! कुछ देर तक उसके चूचकों को बारी बारी चूमने के बाद, मैंने एक को अपने मुँह में भर लिया!

‘आह! कैसे कोमल चूचक!’

ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे मुँह की गर्मी पा कर उसके चूचक मेरे मुँह में पिघल गए हों! कैसी कोमलता! और कैसी मोहक महक! मुलायम फलों के जैसे... जैसे स्ट्राबेरी हों! उसके स्तनों की महक, मेरे मुँह में उनकी प्रतिक्रिया, उसके स्तनों की गर्मी - सब कुछ अभी तक की सभी महिलाओं से भिन्न थी! शायद इसी को व्यक्ति का अनूठापन कहा जाता है। कहने सुनने को हर महिला के पास स्तन होते हैं, लेकिन उनका अनुभव सभी का अलग ही होता है! डेवी के पहले तक मैंने माँ के, रचना के, राजी महिला के, पड़ोस की चाची जी के, काजल के, और गैबी के स्तनों को इस तरह से अनुभव किया था - और सच कहूँ - किसी के भी स्तनों का अनुभव एक जैसा नहीं था! डेवी का भी नहीं! जैसे एक ही प्रकार का व्यंजन, अलग अलग शेफ़ ने तैयार किया हो! न तो देखने में एक जैसा लगेगा और न ही उसका आस्वादन करने में ही! यही है अनूठापन! मैंने धीरे-धीरे से, बड़ी फुर्सत से उनको चूसा! ये करना ही था कि मैंने महसूस किया कि उसके चूचक मेरे मुँह में आ कर और भी स्तंभित हो गए हैं। मैंने पहले एक चूचक को चूसा, दाँतों से हलके हलके चबाया, चुभलाया, और जब वो चूचक मेरी मौखिक सेवा से थक कर चूर हो गया, तब मैंने यही सेवा दूसरे चूचक को भी दी! मुझे सच में याद नहीं कि मैंने ये सब कितनी देर किया! मुझे मालूम था कि डेवी के स्तनों का स्वाद मस्त होगा, लेकिन यह नहीं पता था कि उसको इस तरह से प्यार करने में मुझे भी इतना आनंद आएगा!

“अमर...” डेवी हाँफते और फुसफुसाते हुए बोली, “अब बस?” बेचारी लड़की ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी, “बहुत देर हो गई... प्लीज रुक जाओ?” उसने मुझसे याचना की।

हमारे पास बहुत समय था, और अभी डेवी को ऐसे जाने देने का मेरा कोई इरादा नहीं था। प्लान तो ये था कि केवल उसके चूचकों के उत्तेजन से उसको कम से कम एक ओर्गास्म का मज़ा दिला दूँ! उसकी आवाज़ से तो लग रहा था कि वो इस लक्ष्य के निकट है। इसलिए मैंने फिर से पहले वाले चूचक को प्यार से और बड़े मन लगा कर फिर से चूसना, चूमना, और चुभलाना शुरू कर दिया। अगर मैं सब ठीक से कर रहा था, तो डेवी के जल्दी ही ओर्गास्म वाले लक्षण दिखाई देने चाहिए - और हुआ भी वही। मैंने इस वाले चूचक को छोड़ कर दूसरे वाले पर जाने ही वाला था, कि उसके पहले ही डेवी का शरीर थरथराने लगा। दबी, घुटी, और हाँफती हुई साँसें - मैं समझ गया कि ये लड़की तो गई! अच्छी बात है! उम्मीद है कि उसको दर्द न हुआ हो - बस आनंद ही आनंद मिला हो। डेवी की साँसें बड़ी तेज़ चल रही थीं, और वो सीट पर बैठी बुरी तरह कसमसा रही थी। उसका ओर्गास्म तो हो गया था, लेकिन दूसरे वाले चूचक के साथ भी तो न्याय होना चाहिए न? एक चूचक को दो बार, और दूसरे वाले को बस एक बार प्यार करना - ये बड़ी नाइंसाफी है! इसलिए मैंने दूसरे वाले को फिर से प्यार करना शुरू कर दिया।
 

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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #6


जब मैं उसके दूसरे चूचक से खेल रहा था, तो मैंने अपने लिंग को पैंट की ज़िपर से मुक्त कर दिया। मैंने उसका हाथ लिया और उसे अपने पूरी तरह से उत्तेजित लिंग पर रख दिया। कुछ देर तो डेवी समझ ही नहीं पाई कि आखिर माजरा क्या है, और ये गर्म दण्ड क्या बला है! लेकिन जैसे ही उसे समझ आया, उसने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया। मैंने फिर से उसका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया। मेरा लिंग बहुत गर्म हो गया था, और उसकी अपेक्षाकृत ठंडी हथेली उसे आराम और आनंद दे रही थी।

“डेवी, तुम इसके साथ खेलो। इट इस अनफेयर दैट ओनली आई प्ले विद यू, एंड नॉट लेट यू एन्जॉय आल द सेम!”

वो कुछ देर तक लिंग को हाथ में अनिश्चितता से पकड़े रही।

कमान हनी, डू व्हाटएवर यू लाइक!”

मेरे प्रोत्साहन पर डेवी अनिश्चित सी, उसको सहलाने लगी।

“ये कितना कड़ा है!” उसने कहा।

“ये ऐसा इसलिए है क्योंकि ये तुम्हारे अंदर जाना चाहता है।”

“मेरे अंदर?” वो मंत्रमुग्ध सी बोली।

“हाँ!”

“कैसे?”

“यहाँ से…” मेरे अपने दूसरे हाथ से उसकी योनि क्षेत्र को छुआ।

“छीः!” उसने कहा, और लिंग से अपनी पकड़ छोड़ दी।

अब उसको मज़ा नहीं लेना, तो मैं जबरदस्ती नहीं कर सकता न! लेकिन मैंने उसे जाने नहीं दिया। मैं उसके चूचकों को रहा, हल्के हल्के से कुतरता रहा, और उसके स्तनों और नग्न शरीर को चूमता और सहलाता रहा। उसके चूचक इतने सख्त हो गए थे कि लगता कि उनमें थोड़ा सा भी और रक्त प्रवाह हुआ, तो उनमें विस्फ़ोट हो जाएगा! जैसा मैंने कहा, अँधेरे में उनके आकार का अंदाज़ा लगाना मुश्किल था, लेकिन उनका मेरे मुंह में एहसास, उनकी बनावट, और उनका स्वाद और महक बड़ी मोहक और मादक थी!

हॉल में ठंड थी और बहुत देर तक बिना कपड़ों के बैठी रहने के कारण डेवी को ठंड लगने लगी... और थोड़ी ही देर में वो ठंडक से लगी। लेकिन मुझे लगा कि शायद एक और ओर्गास्म हुआ होगा! मेरा शरीर तो इस समय कामाग्नि से दहक रहा था! लेकिन जब वो अगन कम हो जाए तो ठंडक का एहसास तो मुझे भी होता ही। जाहिर सी बात है, डेवी अब तक अपने ओर्गास्म के शिखर से नीचे उतर चुकी थी, इसलिए,

“मुझे ठंड लग रही है...” उसने कहा, “प्लीज, मुझे मेरी टी-शर्ट पहन लेने दो!”

डेवी और मेरे लिए उस समय और आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं था। इसलिए सच में, इस अंतरंग क्रिया को रोकना ही ठीक था। मेरे साथ किसी तरह का संभोग करने के लिए वो न तो मानसिक, और न ही भावनात्मक रूप से तैयार थी। और सच कहूँ, तो मैं भी नहीं था। मैं तो बस हमारे बीच की अंतरंगता, और गर्माहट बढ़ाना चाहता था। जैसी कछुआ-चाल गति से हमारा सम्बन्ध आगे बढ़ रहा था, मैं उसमे नाइट्रो लगाना चाहता था! लेकिन इस समय सम्हल कर चलने की ज़रुरत थी।

“ज़रूर!” मैंने कहा, और उसे उसकी टी-शर्ट वापस दे दी, जो उसने केवल तीन सेकंड में पहन ली।

लेकिन अभी भी, थोड़ी मस्ती तो की ही जा सकती थी!

मैंने अपना बाएँ हाथ से उसको घेरा, और उसके बाएँ स्तन को धीमे धीमे दबाने लगा। देवयानी ने विरोध नहीं किया। टी-शर्ट पहन कर उसमे थोड़ा आत्म-विश्वास आ गया था। लेकिन आगे जो उसने किया, वो मेरे लिए बड़े आश्चर्य की बात थी! उसने अपना हाथ बढ़ाया, और उसने फिर से मेरे लिंग को पकड़ लिया, जो अभी भी पहले जैसा ही सख्त था।

“इसे थोड़ा मज़बूती से पकड़ो, और अपना हाथ इस तरह से हिलाओ।” मैंने डेवी के कान में अपने निर्देश फुसफुसा कर कहे, और उसका हाथ अपने लिंग की लम्बाई पर चला कर दिखाया कि मुझे कैसे हस्तमैथुन करना है।

उसने किया। उसने लगभग पाँच-छः मिनट तक अपना हाथ आगे पीछे सरकाया, और अंततः मुझे ऐसा लगा कि मैं स्खलन होने के कगार पर हूँ।

“डेवी... आई ऍम अबाउट टू कम!” मैंने कहा।

“ओके!” डेवी को समझ नहीं आया कि मैं क्या कह रहा हूँ, “सो... इस इट अ गुड थिंग, ऑर अ बैड थिंग?”

“अरे उल्लू, मेरा सीमन निकलने वाला है!” मैंने झुंझलाते हुए कहा।

“ओह! .... मुझे क्या करना चाहिए?” जब उसको कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करना चाहिए, तो उसने पूछा! शायद उसके लिए किसी पुरुष के स्खलन को अनुभव करने का यह पहला मौका था। डेवी स्पष्ट रूप से घबरा गई!

“रूमाल है?”

“हाँ!” वो अभी भी मेरे लिंग पर अपना हाथ फिरा रही थी।

“जल्दी से मुझे दे दो।”

डेवी ने मेरा लिंग नहीं छोड़ा, और दूसरे हाथ से उसने अपने बैग से रूमाल निकाल कर मुझे थमा दिया। मैंने अपने लिंग के सिरे को रुमाल से लपेटा, और अपने आसन्न स्खलन का इंतज़ार करने लगा। डेवी के हाथ की कोई पाँच सात और फिसलन पाते ही मेरे अण्डकोषों ने एक बड़े विस्फ़ोट के रूप में वीर्य बाहर आ गया! उसके बाद पाँच और निरंतर कम होते तीव्रता के विस्फ़ोटों से मेरा स्खलन संपन्न हो गया! उधर, डेवी को एहसास हो रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है, और उसने मुझे मेरे आनंद प्राप्ति में कोई बाधा नहीं आने दी। कुछ ही समय में, उसका रुमाल मेरे गर्म गर्म, और गीले वीर्य से भर गई।

उसको उस गीली गर्माहट का अनुभव हुआ।

“ईई! अमर! कितना इकी लग रहा है!”

“इकी?” मैं अभी भी अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर स्खलन का आनंद ले रहा था, लेकिन डेवी की बात से मुझको हँसी आने लगी, “हे भगवान! डेवी, जब जब हम प्यार करेंगे, तब तब मैं यही इकी चीज़ तुम्हारे अंदर जमा करूँगा!”

“हाय भगवान!!! तुम कितने बेशर्म हो!” इस बार डेवी भी मुस्कुराने लगी।

“बेशर्म? हाँ... वो तो मैं हूँ! और मैं ऐसा इसलिए हूँ, क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ!!” मैंने कहा, और कहते कहते मेरी आँखों में एक चमक आ गई, “और अपनी होने वाली बीबी से कैसी शर्म?”

“तुमसे तो कोई आर्ग्युमेंट जीतना मुश्किल है!” वो बोली, और फिर अपने रुमाल की हालत देखते हुए बोली, “ये तो बेकार हो गई लगती है... बोलो, क्या करूँ इसके साथ?”

“अरे यार! अब मैं क्या बताऊँ? अच्छा, मुझे दे दो। मैं इसे फेंक दूँगा बाथरूम में... लेकिन अगर तुमको ये रुमाल वापस चाहिए तो बताओ, मैं इसे पानी से धो दूँगा और तुमको बाद में वापस दे दूँगा। बोलो? क्या करूँ?”

उसने कुछ देर सोचा और फिर कहा, “आई विल कीप इट... आज के एक्सपीरियंस का सुवेनिए (निशानी) है ये!”

डेवी की बातें अनोखी थीं! मैं उठ कर बाथरूम में गया, खुद को रिलीव किया, और फिर रूमाल को पानी से साफ किया। जब मैं वापस आ कर डेवी के पास बैठा, तो मैंने देखा कि उसने फिर से अपनी ब्रा पहन ली थी।

‘हिम्मती लड़की।’ मैंने मुस्कुराते हुए सोचा, लेकिन कहा कुछ नहीं।

लेकिन मेरी मुस्कराहट देख कर डेवी भी मुस्कुराने लगी!

“हनी! हाऊ आर यू फीलिंग?” मैंने पूछा!

“अच्छा...” वो बोली, और फिर कुछ रुक कर आगे बोली, “...बेटर!”

उसकी बात पर मैं मुस्कराए बिना नहीं रह सका। मुझे भी बहुत अच्छा लगा, क्योंकि अब हमने हमारे बीच की ‘यौन तनाव’ की दीवार गिरा दी थी।

अब फिल्म देखने का कोई मतलब नहीं रह गया था। फिल्म बेहद पकाऊ थी, और वैसे भी इतने सुखद अनुभव के बाद ऐसी फ़िल्में नहीं देखनी चाहिए।

“बाहर चलें?” मैंने डेवी से कहा।

“कहाँ?”

“कुछ खाने, या कॉफ़ी?”

“फिल्म?”

“अरे छोड़ो यार!” मैंने कहा।

“ओके!” वो मुस्कुराई और उठ गई।

थिएटर के बाहर आकर उसने मुझे इंतज़ार करने को कहा और लेडीज बाथरूम चली गई। जब वो कोई दस मिनट के बाद बाहर आई, तो मुस्कुरा रही थी। ये मुस्कराहट ऐसी लड़की की थी, जिसको थोड़ी ही देर पहले रति निष्पत्ति का सुखद अनुभव हुआ हो! उसके चेहरे पर संतुष्टि वाले भाव थे, और चेहरे पर एक आनंदित चमक थी।

“क्या खाना है?” उसने अपने अंदाज़ में पूछा।

“सामने मोमो बेच रहा है रेहड़ी पर! खाना है?”

“हाँ!” उसने किसी छोटी बच्ची वाले उत्साह से कहा! और मुझे वो सुन कर बहुत अच्छा भी लगा।


क्रिसमस का बाकी दिन बहुत अच्छा बीता। मेरी उम्मीद के विपरीत डेवी और मैंने दिन के लगभग आठ घण्टे साथ बिताए और उसने एक बार भी वापस अपने घर जाने की जल्दी नहीं दिखाई। शाम को जब वो अंततः अपने घर जाने को हुई तो मैंने कहा,

“डेवी! मे आई किस यू?”

उसने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

तो मैंने उसको उसके होंठों पर कुछ देर चुम्बन दिया - कुछ देर मतलब, कोई दस सेकंड! चूँकि ये चुम्बन खुले में हो रहा था, और सबके सामने हो रहा था। लिहाज़ा, बहुत अंतरंग और कामुक चुम्बन नहीं किया जा सकता था। लेकिन फिर भी, दो प्रेमियों के प्रथम चुम्बन से प्रेम की ऊष्णता तो महसूस होनी ही चाहिए! तो हुई! मेरे दिल के सभी तार झंकार करने लगे! डेवी का तरीका, उसका व्यवहार-वैचित्र्य बड़ा अनोखा था। वो मुझे बहुत पसंद थी, इसमें कोई भी - रत्ती भर भी - संदेह नहीं था। प्रेम करो, तो ऐसे ही करो! पूर्ण! और अब, मुझे यकीन हो चला था कि डेवी को भी मुझसे प्रेम है! पूर्ण! प्रेम दर्शाने का उसका अपना तरीका था, लेकिन उसके प्रेम में संदेह नहीं था!

अब हमारे मन में हमारे सम्बन्ध को, और उसकी दिशा को लेकर थोड़ा भी संशय नहीं था। यह अच्छी बात रही। गंभीर रिश्तों - जैसे शादी-ब्याह के मामलों में - निश्चितता एक मूल्यवान वस्तु है। उसने बिना मेरे पूछे ही मुझे बताया कि वो मेरे साथ बहुत अधिक सहज और सुरक्षित महसूस करती है। ऐसा कि जैसे वो वस्तुतः है। मेरे साथ उसको अपना बनावटीपन नहीं दिखाना पड़ता। उसका हमारे बीच कोई स्थान नहीं है! उसने कहा कि पिछले पाँच सालों से उसने अपनी शादी के बारे में सोचना भी बंद कर दिया था, लेकिन मेरे आने के बाद, उसको विवाहित होने का, सुहागिन होने का मन होने लगा है! सतह पर चाहे वो कैसी भी हो, लेकिन अंदर ही अंदर डेवी बेहद सरल लड़की थी। उसकी अपने जीवन को ले कर छोटी छोटी आशाएँ, छोटे छोटे सपने थे। मेरे साथ वो सपने अब संभव हो गए थे, और उन सपनों में इंद्रधनुषी रंग घुल गए थे! मैं खुद भी उसके जैसा ही था। मेरे बदहाल जीवन में डेवी ताज़ी बयार बन कर आई थी। उसके कारण मुझे अपार मानसिक और भावनात्मक सुख मिला था। मुझे यकीन था कि हम दोनों मिल कर एक बहुत ही सुखी जीवन जी सकते हैं; एक बहुत ही सुन्दर संसार बना और बसा सकते हैं!

सब कुछ ठीक था। लेकिन वो हमारी उम्र में बड़े से फासले को लेकर बहुत चिंतित थी। मैंने उससे पूछा कि क्या यह उसके लिए इतना मायने रखता है। तो उसने कहा कि वो इसका उत्तर ठीक ठीक नहीं दे सकती! उम्र मायने रखती है, ख़ास तौर पर लड़की की! बच्चे पैदा करने की शक्ति तो लड़की में ही होती है न! तो इस बात पर मैंने उसको हमारे गाँव के पड़ोस वाली चाची जी के बारे में बताया, जो पैंतालीस में भी जननक्षम थीं! मैंने उससे कहा कि वो ऐसी बातों पर परेशान न हुआ करे। मुझे उससे, और उसको मुझसे प्रेम है - मेरे लिए बस यही बात मायने रखती है। बच्चे होते रहेंगे; और यदि न हों, तो हम बच्चे गोद ले लेंगे। हमारे स्नेह की वर्षा में यदि वो पलेंगे तो हमारे ही बच्चे कहलाएँगे!

मेरी बात पर वो मुस्कुराई! ख़ैर, अंत में, केवल अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए मैंने उससे पूछा कि क्या वो मुझसे प्यार करती है? डेवी ने कहा कि अगर वो मुझसे प्यार नहीं करती, तो वो मुझे वो सब करने की अनुमति नहीं देती, जो सब मैंने फिल्म हॉल में उसके साथ किया था। मुझे मालूम था कि डेवी को मुझसे प्रेम है, लेकिन लड़की के मुँह से यह बात सुनना बहुत सुखद होता है!

मैंने भी डेवी को बताया कि मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ! मैंने उससे यह भी कहा कि मैं उसके साथ अपना सुन्दर सा, सुनहरा सा भविष्य देखता हूँ! ऐसा भविष्य जिसमें वो मेरी पत्नी है, जिसमे वो मेरे बच्चों की माँ है! मेरी बात पर डेवी शरमा तो रही थी, लेकिन बहुत खुश भी लग रही थी। उस दिन हमने सचमुच अपने रिश्ते को एक मजबूत रूप दे दिया था। अब हम वाक़ई प्रेमी और प्रेमिका थे! डेवी, जो उस दिन से पहले हमारे रिश्ते को लेकर अनिश्चित थी, ने अपने डर, संकोच, और वर्जनाओं को छोड़ दिया था। उसने मुझे अब अपने साथी, प्रेमी और पति के रूप में स्वीकार कर लिया था!

इसके बदले में मैंने उसे अपने जीवन में और अधिक पहुंच प्रदान करी। छुट्टियों के दौरान मैंने उसे अपने घर की चाबियाँ दे दीं - हमारी शादी के बाद मेरा घर, तो उसका ही घर होने वाला था न? मैंने उसको चाबियाँ इसलिए दीं जिससे वो जब चाहे, ‘अपने’ घर आ सके! दरअसल, उसका ऑफिस मेरे घर के पास था। मेरा ऑफिस मेरे घर से दूर था। इस स्वतंत्रता को अपनाने में डेवी ने रत्ती भर भी संकोच नहीं दिखाया! जब मैं घर पर नहीं भी होता था, तो भी वो नियमित रूप से ‘हमारे’ घर आती थी - शायद लंच ब्रेक के समय! मैंने उससे कभी नहीं पूछा कि वो घर आई थी या नहीं; और न ही उसने ही कभी मुझको बताया! आख़िरकार ये उसका घर था - उसको जो ठीक लगेगा, वो करेगी! कई बार मैं घर आ कर देखता था कि वो मेरे बिस्तर पर सोई है (कई बार मेरे तकिए और गद्दे पर उसके लंबे बालों की लटें साफ़ दिखाई देती थीं)। और तो और, उसने अपने पसंद के अनुसार हमारे घर को सजाना भी शुरू कर दिया था - नए पर्दे, मेज़पोश, नए बर्तन, सजावट के सामान इत्यादि वो अपने ही मन से ले आती। मैंने उसको कहा कि मुझे वो उन वस्तुओं का दाम बता दे। उत्तर में उसने मेरे कानों को उमेठा। आखिर वो उम्र में मुझसे बड़ी थी, इसलिए उसको इतना हक़ तो था ही!

इतने दिनों में हमने शारीरिक अंतरंगता वाले विभाग में स्वयं को बहुत संयमित रखा। हम प्रतिदिन (जब भी हम मिलते) एक दूसरे के होंठों पर चुम्बन करते... मैं उसके स्तनों से खेलता... और डेवी मेरे लिंग से! लेकिन बस इतना ही। फिलहाल इससे अधिक अंतरंगता नहीं संभव थी, क्योंकि हमको अधिक ज्यादा निजी समय नहीं मिल पाता था। डेवी की छुट्टी थी, मेरी नहीं। ज्यादातर समय जब वो घर आती थी, तो मैं वहाँ नहीं होता था। वो घर आने से पहले कभी फोन नहीं करती थी, इसलिए मुझे मालूम नहीं होता था कि वो कब आएगी, या अगर आएगी तो उसके आने के लिए मैं क्या करूँ! लेकिन जो कुछ भी प्रगति थी, वो बड़ी संतोषजनक थी। जिस निश्चय के साथ मेरा - या हमारा - जीवन आगे बढ़ रहा था, उसे देखकर मुझे बहुत खुशी होती! अपने जीवन में एक सुन्दर, स्वस्थ, और बुद्धिमान प्रेमिका का होना, जो जल्दी ही मेरी पत्नी बनेगी, एक बहुत ही संतोषजनक बात थी!

मुझे डेवी को लेकर बहुत सुकून होता था। इसलिए मैंने डेवी के बारे में माँ और डैड को बताया! जब उन्होंने देवयानी के बारे में सुना तो उन्हें बहुत राहत मिली। काजल तो इतनी खुश हुई, जैसे कि मुझे नहीं, उसको ही गर्लफ्रेंड मिल गई हो! उन सभी ने डेवी से मिलने की इच्छा मेरे सामने जताई। तो मैंने कहा कि उनको जब भी सुविधा हो, दिल्ली आ जाएँ!
 

avsji

..........
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बहुत ही बढ़िया अपडेट है । कहानी सही दिशा में आगे बढ़ रही है । नही तो गैबी की मौत के बाद कहानी में मजा नही आ रहा था परंतु देवयानी की एंट्री से कहानी में सुखद मोड़ आया है

बहुत बहुत धन्यवाद जीतेन्द्र भाई!
अमर 'लकी इन लव' है न! अगर ज़िन्दगी दोबारा जीने का मौका दे दे, तो वो मौका ले लेना चाहिए।
देवयानी बहुत खूबसूरत और आवश्यक पात्र हैं इस कहानी की।
मुझे वो बहुत पसंद हैं :)
साथ में बने रहें और आज के अपडेट पढ़ कर बताएँ कि कैसे लगे?!
 
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Nagaraj

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बहुत ही बेहतरीन अपडेट आपकी लेखनी की प्रशंसा के लिए मेरे पास शब्द नही हैं कृपया ऐसे ही जल्दी अपडेट देते रहें।
 
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Kala Nag

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नया सफ़र - लकी इन लव – Update #3


हमारी नजदीकियां बड़ी तेजी से बढ़ीं। और शायद यही कारण था कि डेवी मुझको ले कर बड़ी दुविधा में थी! मैं उसको पसंद तो बहुत था, लेकिन हमारे बीच उम्र के और प्रोफेशनल फासले के कारण उसके मन में डर सा बना रहता! उसको डर रहता कि यदि हमारी शादी हो गई, तो उसके बाद कहीं हमारे बीच तकरार न होने लगे! कहीं हमारा प्यार न कम होने लगे! अपनी शादी को लेकर डेवी को थोड़ी निराशा थी और मायूसी थी - वो इन कारणों की मजबूरी से मुझसे शादी नहीं करना चाहती थी। वो चाहती थी कि अगर उसकी शादी मुझसे हो, तो सही कारणों से हो। इसलिए हो, कि हम दोनों एक दूसरे के लिए सही हैं! इसलिए हो कि हम दोनों को एक दूसरे से प्रेम है! जब प्यार इतनी जल्दी परवान चढ़ता है, तो उसका खुमार बड़ी जल्दी उतर भी जाता है!

हमारी कॉफी वाली शाम के अगले कदम के रूप में, मैंने उसे रात के खाने (डिनर) पर आमंत्रित किया। घर पर तो कोई ख़ास इंतज़ाम नहीं था। काजल के बाद मैंने कभी किसी और को काम पर नहीं रखा। एक स्त्री आती थी - सप्ताह में एक बार, वो साफ़ सफाई कर के चली जाती थी। मैं ही रात में अक्सर सलाद, स्प्राउट इत्यादि कर के खा लेता था। हेल्थी भी था, और कोई झंझट भी नहीं था। इसलिए डिनर तो बाहर ही होना था। डेवी मेरे निमंत्रण को मान ली, तो हमने एक तारीख और समय तय कर लिया। लेकिन दुर्भाग्य से, वो उस दिन ऑफिस में काफी देर तक काम कर रही थी। इसलिए वो प्रोग्राम कैंसल हो गया। न जाने मन में ऐसा लगा कि डेवी कोई बहाना बना रही है, और वो मुझसे इस तरह से डिनर इत्यादि पर मिलने से बचना चाहती है! मैंने उससे अगले दिन अपने संदेह को दूर करने के लिए यह पूछा, तो उसने मेरे संदेह की पुष्टि की! उसने मुझसे कहा कि यद्यपि उसको मेरे साथ बहुत आनंद आता है, और वो मेरे साथ अपने सबसे स्वाभाविक रूप में होती है, लेकिन कभी कभी जब मैं उसको देखता हूँ, तो मेरी नज़र इतनी जलती हुई होती है कि वो खुद को मेरे सामने नग्न महसूस करती है। नग्न ऐसा कि जैसे उसका कोई राज़ ही न छुप सके! उसने यह भी बताया कि मेरे साथ आगे बढ़ने में उसको झिझक थी - और उसका मुख्य कारण था हमारे बीच उम्र का लम्बा चौड़ा फ़ासला! मुझे डेवी की बात समझ में आ रही थी! मैंने उसे बताया कि वो मुझे पसंद है, और मैंने उसको आश्वासन दिया कि मैं केवल उसे और बेहतर तरीके से जानना चाहता हूँ! यह साथ में खाने पीना सब उसको जानने का एक बहाना है! अगर हमको एक दूसरे की अच्छी समझ होती है, तो मैं उसको उसी नज़र से देखना पसंद करूँगा, जैसे कि दो प्रेमी करते हैं! वैसे भी अगर वो मेरी पत्नी बनती है, तो उसे मेरे सामने नग्न तो होना ही है! जब मैंने उससे यह सब कहा तो डेवी हैरान रह गई; लेकिन मेरी ईमानदारी से प्रभावित हुए बिना न रह सकी! सच में, प्रेम की परिणति विवाह में होती है, और विवाह की परिणति सम्भोग में! जीवन की सृष्टि तो ऐसे ही होती है न! लेकिन किसी लड़की से ये सब कहना और उसके लिए यह सब सुनना, कोई आसान बात नहीं है। डेवी भी यह सुन कर शरमा गई और घबरा भी गई। उसने मुझसे कहा कि इस बारे में फिर से बात करते हैं।

कुछ दिनों के बाद, मैंने उसे फिर से उसको डिनर के लिए आमंत्रित किया। इस बार उसने यह बहाना बनाया कि वो तभी मेरे साथ आएगी जब मैं उसे डिनर का खर्च शेयर करने दूंगा। मैंने कहा कि मुझे इस बात पर कोई आपत्ति नही है! बस मेरे साथ डिनर करने चलो तो सही! मुझे इस बात से कोई परेशानी नहीं अगर मेरी महिला गेस्ट अपना खर्च स्वयं वहन करे! डेवी मुझसे नौ साल बड़ी थी, इसलिए, मुझे यकीन है कि उसकी कमाई भी मुझसे कहीं अधिक थी, और संपत्ति भी! तो हमने फिर से तारीख निर्धारित किया। लेकिन एक बार फिर से वो उसी रोज़ देर तक काम में फंस गई।

क्या डेवी दिखावा कर रही थी? क्या वो फिर से कोई बहाना बना रही थी?

मुझे यह ठीक ठीक मालूम नहीं था, लेकिन मैं ठान लिया कि इस बार लड़की छूटने वाली नहीं! इसलिए मैंने उसके ऑफिस में रिसेप्शन पर उसका इंतजार करने का फैसला किया। आज का डिनर तो तय था! चाहे वो लाख बहाना मार ले! मैंने उस रात ऑफिस में साढ़े आठ बजे तक उसका इंतज़ार किया। जब वो ऑफिस से निकल कर रिसेप्शन तक आई, तो उसने देखा कि मैं वहां पहले से ही मौजूद था! मतलब, आज उसको कोई बचा नहीं पाएगा! डेवी अपने इस बचकाने व्यवहार के लिए मुझसे माफी मांगने लगी।

“आई ऍम सॉरी अमर!” उसने बहुत ही संजीदगी से माफ़ी मांगी, “मुझे नहीं मालूम कि मैंने ऐसा क्यों किया!”

“डेवी! नो नीड टू से सॉरी! आई कैन अंडरस्टैंड, सो प्लीज डोंट वरी! लेट अस ईट सम डिलीशियस फ़ूड!”

मैंने उसे समझाया कि यह केवल एक डिनर था - शादी नहीं! अगर वो मुझे पसंद नहीं करती है, तो बेशक मुझे छोड़ दे! लेकिन दो दोस्त साथ में खाना तो खा ही सकते हैं, न? डेवी ने सुझाव (जिद) दिया कि उसके घर के पास, एक ढाबे में डिनर करते हैं! उसने मुझे यकीन दिलाया कि वहाँ सबसे बढ़िया खाना मिलता है!

थोड़े ज़िद के बाद मैं उसे ढाबे पर खाना खिलने ले जाने के लिए तैयार हो गया; हाँलाकि किसी लड़की को पहली ‘डेट’ पर ले जाने के लिए कोई ढाबा मेरी पसंदीदा जगह नहीं थी! वहाँ पहुँचा तो कोई ख़ास व्यवस्था नहीं थी। कुछ टेबल और कुर्सियाँ थीं, और कुछ चारपाईयाँ! लेकिन मैंने एक बात नोटिस करी - वहाँ का भोजन ताजा था! बैठने की कोई अन्य जगह नहीं थी, इसलिए हम एक चारपाई पर ही बैठ गए - पालथी मार कर! हम दोनों के बीच सामान्य से बड़ी थालियाँ सजाई गईं। यह एक अनौपचारिक सेटअप था! और अब मुझे लग रहा था कि शायद डेवी देखना चाहती थी कि मेरे अंदर इन सब बातों को ले कर कोई दिखावा या ढोंग तो नहीं था! अक्सर छोटी छोटी बातें ही लोगों के असली चरित्र का प्रदर्शन करती हैं! लेकिन सच में, मुझे यह बंदोबस्त बढ़िया लगा! डेवी को भी मुझे आनंदित होते देख कर आनंद आने लगा। हम दोनों ही सरल लोग थे। खाना भी बिलकुल सरल और सादा था - चुपड़ी रोटियां, माँ की दाल, पनीर, आलू, रायता, और सलाद! साथ में लस्सी! और क्या चाहिए? खाना खाते खाते मैं कभी-कभी उसके हाथों और उसके घुटनों को छू लेता! एक बार मैंने उसकी उंगलियों को अपनी उँगलियों में एक मिनट से अधिक समय तक उलझा कर थामे रखा - डेवी ने कोई घबराहट नहीं दिखाई, जो कि एक उपलब्धि की तरह लग रहा था। शुरू-शुरू में वो थोड़ा घबराई हुई सी लग रही थी, लेकिन जैसे-जैसे डिनर संपन्न होता गया, वो काफी रिलैक्स्ड लग रही थी!

जब हमने खाना खा लिया, तो सोचा कि यूँ ही कुछ देर टहल लेते हैं।

न जाने क्यों मन में आ रहा था कि डेवी मेरे लिए सही लड़की है। उसके गुण गैबी से काफी अलग थे, लेकिन कई मामलों में वो उसके जैसी ही थी। मैंने मन में सोचा कि अगर प्यार पाना है, तो जोखिम तो लेना ही पड़ेगा!

“डेवी, क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूँ?” मैंने कहा।

उसने मेरी तरफ देखा - बड़ी उम्मीद से। शायद उसको मालूम था कि मैं क्या कहने वाला हूँ।

“डेवी,” जब उसने कुछ देर तक कुछ नहीं कहा, तो मैंने कहा, “मैं तुम्हें पसंद करता हूं! नहीं केवल पसंद नहीं - मुझे लगता है कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ!”

“क़... क्या?”

“हाँ... और मुझे यकीन है कि हम दोनों की जोड़ी बढ़िया रहेगी!” मैंने कहा, “प्लीज, विल यू बी माय गर्लफ्रेंड ऑर फिऑन्सी! जो भी बनाना हो बना लो! और अगर मैं तुमको पसंद हूँ, तो मुझको अपना हस्बैंड बना लो!”

डेवी मेरी बात पर हँसने लगी।

“क्या हुआ?”

“कुछ नहीं!” उसने कहा फिर कुछ सोच कर बोली, “ओह अमर! तुम बहुत छोटे हो!”

“तो क्या? प्यार करता हूँ तुमको! प्यार से रखूँगा! बहुत खुश रखूँगा! इज़्ज़त से रखूँगा! कभी कोई ग़म तुमको छूने भी नहीं दूँगा!”

“सच में?”

“हाँ! तुम मेरे इरादे पर शक मत करो! तुम मुझे पसंद इसलिए नहीं हो कि तुम बहुत सुन्दर हो! बहुत सुन्दर तो तुम हो ही! लेकिन मैं तुमको इसलिए पसंद करता हूँ, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ अपना भविष्य देख सकता हूँ!”

“लेकिन अमर! अगर कुछ हो गया तो?”

“क्या हो जाएगा?”

“यार - आई ऍम थर्टी टू आलरेडी! कहीं बेबी होने में कोई दिक्कत...?”

“तो क्या हो जाएगा? अडॉप्ट कर लेंगे! तुम्हारे अंदर प्यार का सागर है - तुम किसी को भी अपना प्यार दे सकती हो!”

“पर... आई हैव हैड अनसक्सेसफुल रिलेशनशिप इन द पास्ट!”

“अरे, ताली दोनों हाथों से बजती है न? कोई भी रिलेशनशिप दोनों पार्टनर्स के कारण सक्सेसफुल या अनसक्सेसफुल होती है!”

“सोच लो! बाद में मुझे दोष मत देना!”

“डेवी - मैं एक विश्वास के साथ तुम्हारे संग होना चाहता हूँ! किसी संदेह के साथ नहीं। मेरी बस एक रिक्वेस्ट है - कि तुम भी एक विश्वास के साथ मेरे संग आओ! किसी संदेह के साथ नहीं!” मैंने उसका हाथ थाम कर कहा, “संहेद से तो केवल सम्बन्ध खराब होते हैं! बनते नहीं!”

डेवी मेरी बात पर कुछ देर विचार करती रही और फिर बोली, “तुम बहुत अच्छे हो अमर!”

मैं मुस्कुराया।

“नहीं, सच में! मैंने तुमको डराने की, तुमको खुद से दूर भगाने की कितनी ही कोशिश करी, लेकिन तुम टस से मस नहीं हुए! कोई और होता, तो मुझे धक्का दे कर भगा देता।” उसकी आँखों से आँसू ढलक गए, “आई लव यू!”

“आई लव यू टू!”

मैंने कहा, और उसके दोनों गालों को अपनी हथेलियों में दबा कर उसके होंठों को चूमने को हुआ!

“अभी नहीं!” उसने फुसफुसाते हुए मुझे मना किया, “मैं तुमको सारी खुशियाँ दूँगी, लेकिन मुझे कुछ समय दे दो!”

मैंने ‘हाँ’ में अपना सर हिलाया।

“अमर?”

“हाँ?”

“तुम समझ रहे हो न?”

“हाँ डेवी! तुम ऐसे क्यों पूछ रही हो! मेरी बस इतनी इच्छा है कि मेरे साथ तुम वैसे रहो, जैसे तुम चाहती हो!” मैंने उसका सर चूमा, “इंतज़ार करने के लिए मैं तैयार हूँ!”

“थैंक यू! मुझे बस थोड़ा ही समय चाहिए!” वो अपनी आँसुओं में मुस्कुराई, “तुम मेरे छोटे भाई जैसे हो! तुमको अपना बॉयफ्रेंड और हस्बैंड जैसा सोचने के लिए थोड़ा सा समय दे दो! बस!”

“हा हा हा हा!” मैं बड़े दिनों के बाद इस तरह से दिल खोल कर हँसा!

मुझे यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि वो मेरे साथ एक गंभीर रिश्ते पर विचार कर रही है! यह बड़ा ही सुखद और गर्माहट देने वाला विचार होता है! लकी इन लव - बहुत कम लोगों को एक बार ही सच्ची मोहब्बत का चांस मिलता है! मुझको दुबारा मिल रहा था! आई वास् लकी इन लव!

मुझे मालूम था कि माँ और डैड को हमारे रिश्ते पर कोई आपत्ति नहीं होगी। इतना तो मुझे निश्चिंतता थी! देवयानी और मेरे विवाह पर उनका समर्थन और आशीर्वाद मिलना पूरी तरह से तय था! वे दोनों, और काजल भी, चाहते थे कि मुझे फिर से प्यार मिले। फिर से मेरा संसार बसे! वे सभी गैबी के निधन से बहुत दुःखी थे और चाहते थे, कि मैं जल्द ही अवसाद के गहरे गड्ढे से बाहर आ जाऊँ! इसलिए मेरे घर में तो कोई परेशानी नहीं होने वाली! लेकिन, मुझे यह नहीं पता था कि देवयानी के घर में क्या मामला होगा! जहाँ तक मुझे मालूम था, उसका परिवार बहुत पारंपरिक और रूढ़िवादी था! मुझे उसी ने बताई थीं। इसलिए संभव है कि मेरे और देवयानी के प्रेम को हतोत्साहित किया जा सकता है! ऊपर से मेरी पहले ही एक बार शादी हो चुकी थी और मैं विधुर था! तीसरी बड़ी बात यह थी कि मैं देवयानी से नौ साल छोटा था। यह सभी बातें मेरे खिलाफ लग रही थीं। फिर भी वह सब मुझे बहुत दुष्कर नहीं लग रहा था। प्यार बहुत मज़बूत वस्तु होता है। मुझे मालूम था - या कहिए कि यकीन था, कि अगर डेवी मेरे साथ खड़ी हो, तो ये सब बातें बिलकुल भी मायने नहीं रखतीं।
पंजाबी कुड़ी दी देवयानी नाम भी होंदी है
इ मेनु आज पता चला
👌❤️👌
 
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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #4


उस डिनर डेट के बाद तो जैसे मुझको हमारे रिश्ते को ले कर एक हरी झण्डी मिल गई। जहाँ एक ओर मेरे मन में गैबी की यादें अभी भी ताज़ा थीं, वहीं दूसरी ओर मुझे लग रहा था कि डेवी ने भी मेरे मन में और दिल में अपना एक अलग ही, एक अद्वितीय सा स्थान बना लिया था। उसको अपनी पत्नी के रूप में सोचना अब मुझे अखरता नहीं था। बल्कि मुझे एक तरह की संतुष्टि ही मिलती थी इस विचार से! सच ही है - जीवन बहुत लम्बा है, और मैं इसी दिवाली के आस पास ही तेईस का हुआ था! इतनी जल्दी भाग्य के अत्याचार से हार मान लेना मूर्खता होती! देवयानी और मेरे बीच यदि कुछ बेमेल था, तो बस केवल हमारी अपनी बनाई हुई रीतियों के कारण था। अगर साथी प्रेम करने वाला हो, आकर्षक को, बुद्धिमान हो, तो उससे विवाह क्यों न किया जाए? हमारी बात चीत डिनर डेट के बात बहुत बढ़ गई - लेकिन मिलना नहीं हो पा रहा था। अगले ही हफ़्ते क्रिसमस का त्यौहार था। उसके बाद अक्सर ऑफिस में लोग हफ्ता या दस दिनों की छुट्टियाँ लेते थे। मैं भी छुट्टी लेता, लेकिन देवयानी के कारण रुक गया - अगर वो बहुत व्यस्त नहीं है, तो इस बार घर जाना कैंसिल! लेकिन डेवी थोड़ी व्यस्त अवश्य थी! लोग छुट्टियों पर जाएँ, उसके पहले ऑफिस हमेशा ही एक क्रिसमस पार्टी रखती थी। मतलब, मिलना अब जल्दी ही होना था!

ऑफिस की क्रिसमस पार्टी बड़ी अनोखी होती थी - चूँकि मेरी यह कंपनी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी थी, इसलिए वहाँ का ऑफिस कल्चर भी बाहर का था। बहुत ही अनौपचारिक तरीक़े से लोग पेश आते थे। किसी को सर/मैम नहीं कहा जाता था - सभी नाम से बुलाए जाते थे, चाहे वो किसी भी पद पर क्यों न हो! क्रिसमस पार्टी के दौरान किस्म किस्म के खेल होते - और उसके लिए पहले से कोई प्लानिंग नहीं होती थी। कोई भी, कुछ भी कर सकता था। इसको वहाँ ‘रोस्ट’ बोलते थे। रोस्ट में किसी को भी ‘रोस्ट’ किया जा सकता था - मतलब किसी की भी खिंचाई की जा सकती थी, या किसी के भी नाम पर हँसी मज़ाक किया जा सकता था। और इस सब का एक ही नियम था - कोई बुरा नहीं मानेगा! ऑफिस में इसको ठंडक वाली होली भी कहा जाता था - ‘बुरा न मानो - रोस्ट है’ वाले अंदाज़ में! आज कल यह सब कई स्थानों में होता है, लेकिन मैं कोई पच्चीस साल पहले की बात बता रहा हूँ। यह सब तब देश में नया नया था। खैर! तो चौबीस तारीख़ को रोस्ट का आयोजन हुआ। उस दिन कोई काम नहीं होता था - बस मौज मस्ती होती थी!

तो शुरू हुआ खेल - जॉय मास्टर्स - मतलब दो लोग जो महफ़िल में मज़ा करवाते थे - ने छोटे छोटे खेलों से दोपहर की मस्ती शुरू करी। कोई स्किट खेली गई, जिसमे सीईओ से ले कर चपरासी तक सभी की जम कर छीछालेदर की गई। पूरे हाल में हँसी के ठहाके उड़ रहे थे। फिर जिनकी सगाई या शादी हुई, या जिनके बच्चे हुए, या जिनके यहाँ कोई भी ख़ुशी का समाचार आया, उनकी खबर सबमें बाँटी गई। उसकी ख़ुशी में मिठाईयाँ भी बाँटी गईं। कुछ लोगों ने गाने गा कर अपने अपने गले साफ़ किए। फिर आया एक नया चैप्टर - वोटिंग का! भिन्न भिन्न उपाधियों के लिए लोगों ने वोट डाले थे। सबसे खड़ूस बॉस, सबसे खूबसूरत लड़की, सबसे मर्दाना लड़का, सबसे अमीर एम्प्लॉई, सबसे खर्चीला व्यक्ति, और फिर अंत में आया ‘सबसे बढ़िया जोड़ी’!

मैं बड़े मजे में केक खा रहा था कि जॉय मास्टर ने उद्घोषणा करी - “इस साल हमारे ऑफिस की सबसे बढ़िया और रोमांटिक जोड़ी है, देवयानी और अमर की!”

ये सुनना था कि मेरी टीम के लोग ‘भाई और भाभी की जय हो’, ‘जोड़ी सलामत रहे’, ‘दूधो नहाओ, पूतो फलो’ वाले नारे लगाने लगे! मुझे समझते देर नहीं लगी कि हो न हो, ये पूरी इन्हीं लोगों की शैतानी है! वो तो बाद में मालूम चला कि इसके लिए बाक़ायदा वोटिंग की गई थी, और ऑफिस के कम से कम 80% लोगों ने इसमें हिस्सा लिया था - बस, जो उम्मीदवार लोग थे (मतलब जोड़ियाँ), उनको ही यह नहीं बताया गया। और हमको कम से कम आधे लोगों ने वोट दिया था। मतलब, लगभग पूरे ऑफिस को मालूम था कि देवयानी और मेरे बीच में कुछ तो है! सच में, कुछ भी छुपाया नहीं जा सकता!

मैं अपने माथे और आँखों को मनोज कुमार जी के स्टाइल में छुपाए हुए हँस रहा था, और देवयानी गुस्से से जॉय मास्टर को घूर रही थी। मुझे उम्मीद है, कि उसके घूरने में गुस्सा कम, और शर्म अधिक थी।

कॉन्ग्रैचुलेशन्स डेवी एंड अमर! आई नाउ इनवाइट आवर फेवरेट जोड़ी ऑन स्टेज! लेट अस गिव देम अ बिग हैंड!

“धत्त!” डेवी ने आँखें तरेरते हुए कहा।

“अरे यार! प्यार किया तो डरना कैसा?” जॉय मास्टर ने डेवी को छेड़ा, “डोंट बी अ स्पोइल स्पोर्ट! रिमेम्बर, दिस इस बुरा न मानो - रोस्ट है, इवेंट!

मैं हँसते हुए डेवी के पास गया, और उसका हाथ थाम कर स्टेज पर चला गया। पूरे हाल में तालियाँ और सीटियाँ बज रही थीं, और ‘भाई और भाभी की जय हो’ के नारे लग रहे थे।

दूसरे जॉय मास्टर ने हम दोनों को ‘किसमी’ टॉफी बार गिफ्ट में दी - एक बार - हम दोनों को शेयर करने के लिए!

“ये आप दोनों के शेयर करने के लिए - किसमी टॉफ़ी बार!” उसने माइक पर उद्घोषणा करी।

पीछे से अनगिनत ‘मुआह’ ‘मुआह’ ‘पुच्च’ ‘पुच्च’ की आवाज़ें आने लगीं। देवयानी शर्म से पानी पानी हो गई। अपने प्रमोशन और ग्रोथ को ले कर उसकी जो भी शंकाएँ थीं, वो एक तरफ़ हो गईं और मुझको ले कर उसने जो भी ‘गोपनीयता’ बनाई हुई थी, वो सब बेकार हो गई। मैंने हँसते हुए वो टॉफ़ी डेवी को पकड़ा दी कि तुम्ही खाओ!

लेकिन ऐसे आसानी से कोई कैसे छूट सकता है? जॉय मास्टर ने तुरंत कहा, “वाह! भाई ने तो अपनी कमाई अभी से इनको देनी शुरू कर दी!”

हाल में फिर से ठहाके गूँज उठे।

“इसकी लाइफ बड़ी शांति से गुजरेगी!” डेवी के बॉस ने भी चुटकी ली।

“हाँ,” मेरे बॉस ने उसकी हाँ में हाँ मिलाई, “हिज फ़ण्डामेंटल्स आर राइट!”

मैं स्टेज से उतरने लगा, तो जॉय मास्टर ने कहा, “अरे, आप कहाँ चल दिए? रुकिए तो सही पाँच मिनट! ज़रा हमको भी मालूम चले कि आप दोनों की जोड़ी कितनी पक्की है?”

अब तक मैं भी शर्मिंदा होने लगा था। लेकिन रोस्ट का मतलब ही है कि शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी।

“अब क्या करना है?” मैंने झेंपते हुए कहा।

“अरे अभी तक तो बाकी लोगों ने किया। अब हम दोनों आप दोनों से कुछ क्वेशन्स पूछेंगे, और आप उसके आंसर्स देंगे! हम आपके आंसर्स आपके पार्टनर से वेरीफाई करेंगे! सही सही निकले, तो इसका मतलब आपकी जोड़ी पक्की है!”

“अरे यार! छोड़ दो!”

“ऐसे कैसे?” जॉय मास्टर ने कहा, और बोला, “तो पहला क्वेशन - अमर आप से - डेवी का फेवरेट कलर क्या है?”

मुझे नहीं मालूम था, लेकिन अब खेल में हिस्सा तो लेना ही था, “पिंकिश रेड,” मैंने तपाक से कहा, “इट इस द कलर ऑफ़ जॉय, एंड डेवी इस सो जॉयफुल!”

जॉय मास्टर मुस्कुराई, “डेवी, इस इट करेक्ट?”

“यस!” देवयानी ने मुस्कुराते हुए कहा।

मुझे आश्चर्य हुआ - तुक्का सही लगा!

“क्या बात है अमर!” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “तो नेक्स्ट क्वेशन, डेवी आपके लिए - व्हाट इस अमर्स फेवरेट कलर?”

ही लव्स ऑल द कलर्स!”

मैंने सर हिला कर हामी भरी, ‘क्या बात है! डेवी को तो मालूम है यह बात!’

“अमेजिंग!” जॉय मास्टर बोली, “तो नेक्स्ट क्वेशन, अमर, डेवी का मोस्ट प्रेफर्ड फ़ूड क्या है?”

“छोले भठूरे!”

“और ड्रिंक?”

“कॉफ़ी!”

“डेवी,” उसने पूछा, “इस ही करेक्ट?”

देवयानी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया, मुस्कुराते हुए। शायद अब उसको भी इस खेल में मज़ा आ रहा था।

“वाओ! डेवी, अमर का फेवरेट फ़ूड एंड ड्रिंक क्या है?”

“फ़ूड, दही एंड ड्रिंक, दूध!”

कमाल है! मैंने तो कभी उसको अपनी पसंद ऐसे खुले आम नहीं बताई, फिर भी देवयानी को यह कैसे मालूम है?

“अमर, आपके अंदाज़े से डेवी का क्या वेट है?”

“फिफ्टी टू केजी!”

ये वाला तो बिलकुल सही होगा।

नॉट टू बैड - शी इस फ़िफ्टी वन!”

“एंड, व्हाट डू यू थिंक अबाउट अमर, डेवी?”

“धत्त, ये सब मुझे नहीं मालूम!”

“अरे यार, बस अंदाज़े से बताओ न!”

एट्टी थ्री ऑर एट्टी फोर!” देवयानी ने अनिच्छा से कहा!

“नाइस! स्पॉट ऑन!”

ऐसे ही तीन चार और प्रश्न पूछे गए, जिसके उत्तर मैंने और देवयानी से सही सही दिए!

इसलिए दूसरे जॉय मास्टर ने इस खेल को बीच में ही रोकते हुए कहा, “अमेजिंग! दे डेसर्व टू बी आवर बेस्ट कपल! गाइस, गिव देम अ वैरी बिग हैंड वन्स अगेन!”

मैंने हाथ जोड़ कर सभी का अभिवादन किया, और शर्म से लाल हुए चेहरे के साथ स्टेज से नीचे उतर आया।

हमारे बाद किसी और के रोस्ट होने की बारी थी!

**

“अमर, हाय!” देवयानी की एक सहकर्मी मेरे पास आ कर बोली।

“हाय सीमा!”

यू नो व्हाट? शी रियली लव्स यू!”

“आई नो!”

नो यू डोंट!” सीमा ने कहा, “आई मीन नॉट फुल्ली! यू सी, परहैप्स, एक्सेप्ट फॉर थे आंसर फॉर हर वेट, यू वर रॉंग इन आल आंसर्स!”

“रियली?”

“हाँ! डेवी को ब्लू और ब्लू के शेड्स पसंद आते हैं! उसका फेवरेट फ़ूड है चिकन, और ड्रिंक है मिल्क! शी इस क्रेजी अबाउट उदित नारायण एंड नॉट कुमार सानू! शी डस नॉट लाइक अन्य एक्टर्स फ्रॉम बॉलीवुड, बट शी लाइक्स मिलिंद सोमन!”

“मतलब मेरा हर आंसर रॉंग था?”

“हाँ - लेकिन तुम अभी भी नहीं समझे!”

“मतलब?”

“अरे बुद्धू, शी लव्स यू सो मच दैट शी कैन नॉट लेट अदर्स नो दैट यू डोंट नो अबाउट हर लाइक्स!”

“ओह!”

“हाँ! ओह!” सीमा मुस्कुराई, “लेकिन तुम इसकी चिंता मत करो! लुक्स लाइक यू बोथ आर ऑन द राइट पाथ इन योर रिलेशनशिप! आल द बेस्ट!”

सीमा ने कहा और वहाँ से निकल ली।

उसके जाने के दो ही सेकंड बाद देवयानी मेरे पास आई,

“क्या कह रही थी सीमा?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा।

“कुछ नहीं,” मैंने बात छुपा ली, “मुझको बधाई दे रही थी!”

“किस बात की?”

“दुनिया की सबसे अच्छी लड़की का प्यार पाने की बधाई!” मैंने मुस्कुराते हुए, और बड़े प्यार से देवयानी को देखा!

उसकी मुस्कान और चौड़ी हो गई।

“बहुत परेशान किया इन लोगों ने!”

“हा हा हा! इट वास् अ गुड फन! आई होप तुमको ये बात बाहर निकलने से कोई दिक्कत न हो!”

“अरे नहीं! एवरीवन इस टेकिंग इट पोसिटीवली!”

“सच में?”

“हाँ! इट इस अ बिट अर्ली, बट आई ऍम अ स्ट्रांग कन्टेंडर फॉर द एजीऍम रोल!”

“ओह वाओ डेवी! ये तो बहुत अच्छी खबर है! आई ऍम सो हैप्पी!”

यू मस्ट!” देवयानी ने सच में एक गर्लफ्रेंड वाली अदा से कहा। उसके बोलने में एक अधिकार वाला भाव था। मुझे सुन कर अच्छा लगा।

“चलो,” उसने कहा, “यहाँ से भाग चलते हैं! इसके पहले कोई हमारी और खिंचाई करे, यहाँ से जाना ही ठीक है!”

“ओके! कहाँ चलना है?”

“घर?”

“तुम्हारे?”

“तुम्हारे!”

“ओह!”

“क्यों, कोई प्रॉब्लम है?”

“नहीं! कोई प्रॉब्लम नहीं! बस, ठीक से कोई इंतजाम नहीं है!”

“कॉफ़ी तो पिलाओगे न?” वो मुस्कुराई!

“हा हा! कॉफ़ी ही नहीं, दूध भी पिलाऊँगा!” मैंने संजीदगी से कहा, “कम!”

आज देवयानी अपनी कार नहीं लाई थी, इसलिए मैं उसको अपनी कार में ले कर अपने घर की ओर चल दिया। न जाने क्यों गैबी को हवाई अड्डे से वापस लाते समय के दृश्य मेरे मानस पटल पर कौंध गए! मैंने कार का स्टीरियो सिस्टम चला दिया। एक पुरानी फिल्म की कैसेट से गाना बज रहा था,

साँसों की ज़रूरत है जैसे...
साँसों की ज़रूरत है जैसे ज़िन्दगी के लिए...
बस एक सनम चाहिए...
आशिक़ी के लिए


देवयानी फिर से बड़ी अदा से मुस्कुराई। लेकिन कुछ बोली नहीं।

ऑफिस से घर का रास्ता कार से पंद्रह मिनट का था। लिहाज़ा हम घर शीघ्र ही पहुँच गए।

घर पर आ कर गैबी सोफे पर बैठते हुए बोली,

“अमर एक बात तो बताओ - तुमको कैसी लड़की चाहिए अपने लिए?”

“तुम!”

“अरे यार - सेफ आंसर मत दो! इट इस ओके! आई ऍम अ बिग गर्ल! मुझे मालूम है कि मैं तुम्हारे लिए आइडियल मैच नहीं हूँ! लेकिन कम से कम मालूम तो हो, कि तुमको कैसी लड़की चाहिए?”

“डेवी, ये तुमने क्या कह दिया? प्लीज़ अंडरस्टैंड दिस - तुम मेरे लिए परफेक्ट से भी परफेक्ट हो! आई लव यू! आई रियली डू! तुम्हारे अंदर वो सारी खूबियाँ हैं, वो सारे गुण हैं, जो मुझे मेरी लाइफ पार्टनर में चाहिए - सब खूबियाँ जो मुझे चाहिए, और उसके अलावा और भी बहुत सी खूबियाँ!”

“गैबी कैसी थी?”

“बहुत अच्छी थी! जेंटल! लविंग! सीधी सादी!” मैं जैसे पूर्रणी यादों में एक बार फिर से खो गया, “क्यों पूछा डेवी?”

“गैबी के मुकाबले मैं कैसी हूँ?”

“यार, तुम्हारा और उसका या किसी और लड़की का कोई मुकाबला या बराबरी नहीं है!”

“नहीं, वैसे नहीं पूछा! आई जस्ट वांट टू नो कि जो क़्वालिटीस तुमको अपनी बीवी में चाहिए वो मुझमें हैं क्या?”

“डेवी - मैंने पहले ही कहा है कि तुम परफेक्ट से भी अधिक परफेक्ट हो मेरे लिए! ये क्वेशन तो मुझे पूछना चाहिए! मैं कैसा हूँ तुम्हारे लिए?”

“तुम अच्छे न होते, तो तुम्हारे पास आती?” देवयानी ने दो टूक कहा, “इतनी डेस्पेरेट नहीं हूँ!”

फिर एक गहरी साँस ले कर बोली, “तुम मुझे बहुत पहले से ही पसंद आते थे। थोड़ा अड़ियल लगते थे, लेकिन अच्छे लगते थे! अब तो और भी अच्छे लगते हो!”

मैं मुस्कुराया।

“मुझे गैबी से मिलवाओगे?” डेवी ने अचानक ही बड़ी कोमलता और बड़ी शिष्टता से कहा।

“डेवी तुम खुद को गैबी से कंपेयर मत करो! तुम्हारे गुण, तुम्हारी क्वालिटीस अलग हैं, तुम अलग हो। तुम यूनीक हो। तुमको पसंद करने का, तुमको चाहने का यह सब रीज़न है।”

“नहीं नहीं! मेरा मतलब है कि मैं गैबी को देखना चाहती हूँ। बिना उसको देखे, समझे, शायद मैं तुम्हारे जीवन में जगह न बना पाऊँ!”

“तुम्हारी जगह तो कब की बन चुकी है मेरे जीवन में! तुमको जब से अपनी माना है, तब से! उसके पहले से भी!”

“फिर भी!” देवयानी ने कहा, फिर आगे बोला, “अच्छा, मैं सेक्सी लगती हूँ?”

“बहुत! बहुत ही सेक्सी! यू आर वेरी ब्यूटीफुल! एंड हॉट!”

“ह्म्म्म!” डेवी अपनी बढ़ाई सुन कर प्रसन्न अवश्य हुई, “एंड?”

“यार - प्लीज ऐसे मत सोचो कि मैं ड्राई आदमी हूँ! तुम मुझे बहुत पसंद हो, और तुम बहुत सेक्सी लगती हो! यह बात तुमको मालूम है! मैंने कभी छुपाई ही नहीं!”

“आई नो! लेकिन तुम मुझे गैबी की तस्वीरें क्यों नहीं दिखाते?”

“ओह! वो? देयर आर अ फ्यू प्राइवेट पिक्स अस वेल!”

“ऐसी, जो मुझसे छुपाई जाएँ?”

बात तो सही थी। पत्नी के रूप में देवयानी को मेरे हर पहलू का ज्ञान होना चाहिए। उससे कुछ भी नहीं छुपा सकता! यह बात तो सही थी।

“नहीं! तुमसे मैं कुछ भी नहीं छुपा सकता! प्लीज गिव मी अ मिनट! आई विल शो यू हर एंड आवर पिक्स!”

गैबी और मेरा साथ बस गिन-चुन कर छः महीने का ही था। लेकिन मेरे पास हमारी शादी के पूर्व, शादी की, सुहागरात की, उसके बाद की, और फिर उसकी गर्भावस्था की तस्वीरें थीं। जाहिर सी बात है, गैबी की, और गैबी के साथ मेरी, कम से कम आधी तस्वीरें नग्नावस्था में थीं। करीब छः सौ तस्वीरों वाले पाँच एल्बम, जो आज भी मेरे पास सुरक्षित हैं, मैंने देवयानी को थमा दिए, और किचन में कॉफ़ी बनाने चला गया। मुझे लग रहा था कि डेवी को उन तस्वीरों के साथ अकेला छोड़ देना चाहिए! संभव है कि हमारी अंतरंग तस्वीरों को देख कर वो थोड़ा असहज महसूस करने लगे।

थोड़ा अजीब तो लगता ही है - डेवी और मैंने अभी तक एक दूसरे को चूमा भी नहीं था। लेकिन, वो उन तस्वीरों में मुझको और मेरी पूर्व पत्नी को पूर्ण नग्न देख सकती थी। एक तरह से ठीक भी लग रहा था - डेवी मुझसे उम्र में बड़ी थी। अगर वो मुझे नग्न देख भी लेती है, तो क्या नुकसान हो जाएगा?

अपने हिसाब से मैंने डेवी को पर्याप्त समय दिया था कि वो सारी नहीं, तो कम से कम तीन एल्बम तो देख ही ले। उसके बाद तो अधिकतर गैबी के गर्भावस्था और हमारी साथ में बाहर की तस्वीरें थीं। लेकिन जब मैं वापस कॉफ़ी ले कर डेवी के पास लौटा तो पाया कि वो पहले एल्बम के आखिरी सफ़ों पर थी - जिसमे गैबी की सुहागरात वाली तस्वीरें थीं!

मुझे देखते ही वो बोली, “गैबी बहुत सुन्दर थी... और बहुत सेक्सी भी!”

“हाँ! ये लो, कॉफ़ी!”

“मैं इतनी सेक्सी नहीं हूँ!”

“वो तुम मुझे डिसाइड करने दो!”

“तुम भी कुछ कम नहीं लगते!” वो दबी दबी मुस्कुराहट देती हुई बोली।

“आई नो!” मैं भी मुस्कुराया, “चलो, अभी कॉफ़ी पी लो!”

डेवी ने एल्बम बंद किया और कॉफ़ी पीने लगी।

“मिस्टर सिंह, आप मिस्टर शर्मा से क्या कहेंगे?” उसने अचानक ही पूछ लिया।

“अब ये मिस्टर शर्मा कौन हैं?”

“मेरे डैडी!”

“ओह! हाँ राइट राइट।”

“तो बोलो, उनसे क्या कहोगे?”

“किस मामले में?”

“अरे, जब मेरा हाथ माँगने आओगे, तब!”

“मतलब मेरे लिए होप है?!”

“बिना होप के ही ये सब मेहनत कर रहे हो?” वो हँसने लगी!

“हा हा हा! नहीं नहीं! उम्मीद पर दुनिया क़ायम है।”

“अभी इतना मत उड़ो। तुम अभी भी छोटे भाई और बॉय फ्रेंड के बीच में कहीं हो।”

“यार डेवी, कम से कम भाई से ऊपर तो उठा! लेकिन यार, ये तो बड़ी स्लो प्रोग्रेस है।”

“स्लो कहाँ है? एक ही तो हफ़्ता हुआ है हमारी डिनर डेट से?”

“ह्म्म्म। लगता है एक और डेट करनी होगी!”

“आई एम लिसनिंग!” डेवी मुस्कुराते हुए बोली, “कोई आईडिया है डेट का?”

“फ़िल्म देखोगी मेरे साथ?”

“कौन सी?”

“कोई भी - जो तुमको पसंद हो।”

“ह्म्म्म। ठीक है! कब?”

“मैं तो हुकुम का गुलाम हूँ। जब कहोगी, जहाँ कहोगी, बंदा वहाँ हाज़िर हो जाएगा!”

“हम्म! मैं एक हफ़्ते की छुट्टी ले रही हूँ!”

“कल से?”

“हाँ!”

“मैं क्या करूँ?” मैंने डेवी से अपने लिए सुझाव माँगा।

“तुम भी ले लो!” उसने कहा, “तुम्हारी टीम में भी तीन लोग छुट्टी पर जा रहे हैं!”

“छुट्टी तो मैं तभी लूँगा अगर तुम मेरे साथ टाइम बिताओगी! नहीं तो क्या फायदा?”

आई कैन मीट यू!” वो सोचते हुए बोली, “लेकिन घर पर भी टाइम बिताना है यार! डैडी हमेशा कहते हैं कि मैं एनफ टाइम नहीं बिताती! और दीदी और उनके बच्चे भी आ रहे हैं दो तीन दिनों के लिए!”

“ठीक है! देन आई विल वर्क! लेकिन तुमको जिस दिन मन करे, या जब फ्री हो, मुझे बता देना!”

“ओके सर!”

“अब कल का मूवी का प्लान बना लें?”
तुसी कुड़ी नाल फिल्म ही देखियो
 
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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #4


उस डिनर डेट के बाद तो जैसे मुझको हमारे रिश्ते को ले कर एक हरी झण्डी मिल गई। जहाँ एक ओर मेरे मन में गैबी की यादें अभी भी ताज़ा थीं, वहीं दूसरी ओर मुझे लग रहा था कि डेवी ने भी मेरे मन में और दिल में अपना एक अलग ही, एक अद्वितीय सा स्थान बना लिया था। उसको अपनी पत्नी के रूप में सोचना अब मुझे अखरता नहीं था। बल्कि मुझे एक तरह की संतुष्टि ही मिलती थी इस विचार से! सच ही है - जीवन बहुत लम्बा है, और मैं इसी दिवाली के आस पास ही तेईस का हुआ था! इतनी जल्दी भाग्य के अत्याचार से हार मान लेना मूर्खता होती! देवयानी और मेरे बीच यदि कुछ बेमेल था, तो बस केवल हमारी अपनी बनाई हुई रीतियों के कारण था। अगर साथी प्रेम करने वाला हो, आकर्षक को, बुद्धिमान हो, तो उससे विवाह क्यों न किया जाए? हमारी बात चीत डिनर डेट के बात बहुत बढ़ गई - लेकिन मिलना नहीं हो पा रहा था। अगले ही हफ़्ते क्रिसमस का त्यौहार था। उसके बाद अक्सर ऑफिस में लोग हफ्ता या दस दिनों की छुट्टियाँ लेते थे। मैं भी छुट्टी लेता, लेकिन देवयानी के कारण रुक गया - अगर वो बहुत व्यस्त नहीं है, तो इस बार घर जाना कैंसिल! लेकिन डेवी थोड़ी व्यस्त अवश्य थी! लोग छुट्टियों पर जाएँ, उसके पहले ऑफिस हमेशा ही एक क्रिसमस पार्टी रखती थी। मतलब, मिलना अब जल्दी ही होना था!

ऑफिस की क्रिसमस पार्टी बड़ी अनोखी होती थी - चूँकि मेरी यह कंपनी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी थी, इसलिए वहाँ का ऑफिस कल्चर भी बाहर का था। बहुत ही अनौपचारिक तरीक़े से लोग पेश आते थे। किसी को सर/मैम नहीं कहा जाता था - सभी नाम से बुलाए जाते थे, चाहे वो किसी भी पद पर क्यों न हो! क्रिसमस पार्टी के दौरान किस्म किस्म के खेल होते - और उसके लिए पहले से कोई प्लानिंग नहीं होती थी। कोई भी, कुछ भी कर सकता था। इसको वहाँ ‘रोस्ट’ बोलते थे। रोस्ट में किसी को भी ‘रोस्ट’ किया जा सकता था - मतलब किसी की भी खिंचाई की जा सकती थी, या किसी के भी नाम पर हँसी मज़ाक किया जा सकता था। और इस सब का एक ही नियम था - कोई बुरा नहीं मानेगा! ऑफिस में इसको ठंडक वाली होली भी कहा जाता था - ‘बुरा न मानो - रोस्ट है’ वाले अंदाज़ में! आज कल यह सब कई स्थानों में होता है, लेकिन मैं कोई पच्चीस साल पहले की बात बता रहा हूँ। यह सब तब देश में नया नया था। खैर! तो चौबीस तारीख़ को रोस्ट का आयोजन हुआ। उस दिन कोई काम नहीं होता था - बस मौज मस्ती होती थी!

तो शुरू हुआ खेल - जॉय मास्टर्स - मतलब दो लोग जो महफ़िल में मज़ा करवाते थे - ने छोटे छोटे खेलों से दोपहर की मस्ती शुरू करी। कोई स्किट खेली गई, जिसमे सीईओ से ले कर चपरासी तक सभी की जम कर छीछालेदर की गई। पूरे हाल में हँसी के ठहाके उड़ रहे थे। फिर जिनकी सगाई या शादी हुई, या जिनके बच्चे हुए, या जिनके यहाँ कोई भी ख़ुशी का समाचार आया, उनकी खबर सबमें बाँटी गई। उसकी ख़ुशी में मिठाईयाँ भी बाँटी गईं। कुछ लोगों ने गाने गा कर अपने अपने गले साफ़ किए। फिर आया एक नया चैप्टर - वोटिंग का! भिन्न भिन्न उपाधियों के लिए लोगों ने वोट डाले थे। सबसे खड़ूस बॉस, सबसे खूबसूरत लड़की, सबसे मर्दाना लड़का, सबसे अमीर एम्प्लॉई, सबसे खर्चीला व्यक्ति, और फिर अंत में आया ‘सबसे बढ़िया जोड़ी’!

मैं बड़े मजे में केक खा रहा था कि जॉय मास्टर ने उद्घोषणा करी - “इस साल हमारे ऑफिस की सबसे बढ़िया और रोमांटिक जोड़ी है, देवयानी और अमर की!”

ये सुनना था कि मेरी टीम के लोग ‘भाई और भाभी की जय हो’, ‘जोड़ी सलामत रहे’, ‘दूधो नहाओ, पूतो फलो’ वाले नारे लगाने लगे! मुझे समझते देर नहीं लगी कि हो न हो, ये पूरी इन्हीं लोगों की शैतानी है! वो तो बाद में मालूम चला कि इसके लिए बाक़ायदा वोटिंग की गई थी, और ऑफिस के कम से कम 80% लोगों ने इसमें हिस्सा लिया था - बस, जो उम्मीदवार लोग थे (मतलब जोड़ियाँ), उनको ही यह नहीं बताया गया। और हमको कम से कम आधे लोगों ने वोट दिया था। मतलब, लगभग पूरे ऑफिस को मालूम था कि देवयानी और मेरे बीच में कुछ तो है! सच में, कुछ भी छुपाया नहीं जा सकता!

मैं अपने माथे और आँखों को मनोज कुमार जी के स्टाइल में छुपाए हुए हँस रहा था, और देवयानी गुस्से से जॉय मास्टर को घूर रही थी। मुझे उम्मीद है, कि उसके घूरने में गुस्सा कम, और शर्म अधिक थी।

कॉन्ग्रैचुलेशन्स डेवी एंड अमर! आई नाउ इनवाइट आवर फेवरेट जोड़ी ऑन स्टेज! लेट अस गिव देम अ बिग हैंड!

“धत्त!” डेवी ने आँखें तरेरते हुए कहा।

“अरे यार! प्यार किया तो डरना कैसा?” जॉय मास्टर ने डेवी को छेड़ा, “डोंट बी अ स्पोइल स्पोर्ट! रिमेम्बर, दिस इस बुरा न मानो - रोस्ट है, इवेंट!

मैं हँसते हुए डेवी के पास गया, और उसका हाथ थाम कर स्टेज पर चला गया। पूरे हाल में तालियाँ और सीटियाँ बज रही थीं, और ‘भाई और भाभी की जय हो’ के नारे लग रहे थे।

दूसरे जॉय मास्टर ने हम दोनों को ‘किसमी’ टॉफी बार गिफ्ट में दी - एक बार - हम दोनों को शेयर करने के लिए!

“ये आप दोनों के शेयर करने के लिए - किसमी टॉफ़ी बार!” उसने माइक पर उद्घोषणा करी।

पीछे से अनगिनत ‘मुआह’ ‘मुआह’ ‘पुच्च’ ‘पुच्च’ की आवाज़ें आने लगीं। देवयानी शर्म से पानी पानी हो गई। अपने प्रमोशन और ग्रोथ को ले कर उसकी जो भी शंकाएँ थीं, वो एक तरफ़ हो गईं और मुझको ले कर उसने जो भी ‘गोपनीयता’ बनाई हुई थी, वो सब बेकार हो गई। मैंने हँसते हुए वो टॉफ़ी डेवी को पकड़ा दी कि तुम्ही खाओ!

लेकिन ऐसे आसानी से कोई कैसे छूट सकता है? जॉय मास्टर ने तुरंत कहा, “वाह! भाई ने तो अपनी कमाई अभी से इनको देनी शुरू कर दी!”

हाल में फिर से ठहाके गूँज उठे।

“इसकी लाइफ बड़ी शांति से गुजरेगी!” डेवी के बॉस ने भी चुटकी ली।

“हाँ,” मेरे बॉस ने उसकी हाँ में हाँ मिलाई, “हिज फ़ण्डामेंटल्स आर राइट!”

मैं स्टेज से उतरने लगा, तो जॉय मास्टर ने कहा, “अरे, आप कहाँ चल दिए? रुकिए तो सही पाँच मिनट! ज़रा हमको भी मालूम चले कि आप दोनों की जोड़ी कितनी पक्की है?”

अब तक मैं भी शर्मिंदा होने लगा था। लेकिन रोस्ट का मतलब ही है कि शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी।

“अब क्या करना है?” मैंने झेंपते हुए कहा।

“अरे अभी तक तो बाकी लोगों ने किया। अब हम दोनों आप दोनों से कुछ क्वेशन्स पूछेंगे, और आप उसके आंसर्स देंगे! हम आपके आंसर्स आपके पार्टनर से वेरीफाई करेंगे! सही सही निकले, तो इसका मतलब आपकी जोड़ी पक्की है!”

“अरे यार! छोड़ दो!”

“ऐसे कैसे?” जॉय मास्टर ने कहा, और बोला, “तो पहला क्वेशन - अमर आप से - डेवी का फेवरेट कलर क्या है?”

मुझे नहीं मालूम था, लेकिन अब खेल में हिस्सा तो लेना ही था, “पिंकिश रेड,” मैंने तपाक से कहा, “इट इस द कलर ऑफ़ जॉय, एंड डेवी इस सो जॉयफुल!”

जॉय मास्टर मुस्कुराई, “डेवी, इस इट करेक्ट?”

“यस!” देवयानी ने मुस्कुराते हुए कहा।

मुझे आश्चर्य हुआ - तुक्का सही लगा!

“क्या बात है अमर!” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “तो नेक्स्ट क्वेशन, डेवी आपके लिए - व्हाट इस अमर्स फेवरेट कलर?”

ही लव्स ऑल द कलर्स!”

मैंने सर हिला कर हामी भरी, ‘क्या बात है! डेवी को तो मालूम है यह बात!’

“अमेजिंग!” जॉय मास्टर बोली, “तो नेक्स्ट क्वेशन, अमर, डेवी का मोस्ट प्रेफर्ड फ़ूड क्या है?”

“छोले भठूरे!”

“और ड्रिंक?”

“कॉफ़ी!”

“डेवी,” उसने पूछा, “इस ही करेक्ट?”

देवयानी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया, मुस्कुराते हुए। शायद अब उसको भी इस खेल में मज़ा आ रहा था।

“वाओ! डेवी, अमर का फेवरेट फ़ूड एंड ड्रिंक क्या है?”

“फ़ूड, दही एंड ड्रिंक, दूध!”

कमाल है! मैंने तो कभी उसको अपनी पसंद ऐसे खुले आम नहीं बताई, फिर भी देवयानी को यह कैसे मालूम है?

“अमर, आपके अंदाज़े से डेवी का क्या वेट है?”

“फिफ्टी टू केजी!”

ये वाला तो बिलकुल सही होगा।

नॉट टू बैड - शी इस फ़िफ्टी वन!”

“एंड, व्हाट डू यू थिंक अबाउट अमर, डेवी?”

“धत्त, ये सब मुझे नहीं मालूम!”

“अरे यार, बस अंदाज़े से बताओ न!”

एट्टी थ्री ऑर एट्टी फोर!” देवयानी ने अनिच्छा से कहा!

“नाइस! स्पॉट ऑन!”

ऐसे ही तीन चार और प्रश्न पूछे गए, जिसके उत्तर मैंने और देवयानी से सही सही दिए!

इसलिए दूसरे जॉय मास्टर ने इस खेल को बीच में ही रोकते हुए कहा, “अमेजिंग! दे डेसर्व टू बी आवर बेस्ट कपल! गाइस, गिव देम अ वैरी बिग हैंड वन्स अगेन!”

मैंने हाथ जोड़ कर सभी का अभिवादन किया, और शर्म से लाल हुए चेहरे के साथ स्टेज से नीचे उतर आया।

हमारे बाद किसी और के रोस्ट होने की बारी थी!

**

“अमर, हाय!” देवयानी की एक सहकर्मी मेरे पास आ कर बोली।

“हाय सीमा!”

यू नो व्हाट? शी रियली लव्स यू!”

“आई नो!”

नो यू डोंट!” सीमा ने कहा, “आई मीन नॉट फुल्ली! यू सी, परहैप्स, एक्सेप्ट फॉर थे आंसर फॉर हर वेट, यू वर रॉंग इन आल आंसर्स!”

“रियली?”

“हाँ! डेवी को ब्लू और ब्लू के शेड्स पसंद आते हैं! उसका फेवरेट फ़ूड है चिकन, और ड्रिंक है मिल्क! शी इस क्रेजी अबाउट उदित नारायण एंड नॉट कुमार सानू! शी डस नॉट लाइक अन्य एक्टर्स फ्रॉम बॉलीवुड, बट शी लाइक्स मिलिंद सोमन!”

“मतलब मेरा हर आंसर रॉंग था?”

“हाँ - लेकिन तुम अभी भी नहीं समझे!”

“मतलब?”

“अरे बुद्धू, शी लव्स यू सो मच दैट शी कैन नॉट लेट अदर्स नो दैट यू डोंट नो अबाउट हर लाइक्स!”

“ओह!”

“हाँ! ओह!” सीमा मुस्कुराई, “लेकिन तुम इसकी चिंता मत करो! लुक्स लाइक यू बोथ आर ऑन द राइट पाथ इन योर रिलेशनशिप! आल द बेस्ट!”

सीमा ने कहा और वहाँ से निकल ली।

उसके जाने के दो ही सेकंड बाद देवयानी मेरे पास आई,

“क्या कह रही थी सीमा?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा।

“कुछ नहीं,” मैंने बात छुपा ली, “मुझको बधाई दे रही थी!”

“किस बात की?”

“दुनिया की सबसे अच्छी लड़की का प्यार पाने की बधाई!” मैंने मुस्कुराते हुए, और बड़े प्यार से देवयानी को देखा!

उसकी मुस्कान और चौड़ी हो गई।

“बहुत परेशान किया इन लोगों ने!”

“हा हा हा! इट वास् अ गुड फन! आई होप तुमको ये बात बाहर निकलने से कोई दिक्कत न हो!”

“अरे नहीं! एवरीवन इस टेकिंग इट पोसिटीवली!”

“सच में?”

“हाँ! इट इस अ बिट अर्ली, बट आई ऍम अ स्ट्रांग कन्टेंडर फॉर द एजीऍम रोल!”

“ओह वाओ डेवी! ये तो बहुत अच्छी खबर है! आई ऍम सो हैप्पी!”

यू मस्ट!” देवयानी ने सच में एक गर्लफ्रेंड वाली अदा से कहा। उसके बोलने में एक अधिकार वाला भाव था। मुझे सुन कर अच्छा लगा।

“चलो,” उसने कहा, “यहाँ से भाग चलते हैं! इसके पहले कोई हमारी और खिंचाई करे, यहाँ से जाना ही ठीक है!”

“ओके! कहाँ चलना है?”

“घर?”

“तुम्हारे?”

“तुम्हारे!”

“ओह!”

“क्यों, कोई प्रॉब्लम है?”

“नहीं! कोई प्रॉब्लम नहीं! बस, ठीक से कोई इंतजाम नहीं है!”

“कॉफ़ी तो पिलाओगे न?” वो मुस्कुराई!

“हा हा! कॉफ़ी ही नहीं, दूध भी पिलाऊँगा!” मैंने संजीदगी से कहा, “कम!”

आज देवयानी अपनी कार नहीं लाई थी, इसलिए मैं उसको अपनी कार में ले कर अपने घर की ओर चल दिया। न जाने क्यों गैबी को हवाई अड्डे से वापस लाते समय के दृश्य मेरे मानस पटल पर कौंध गए! मैंने कार का स्टीरियो सिस्टम चला दिया। एक पुरानी फिल्म की कैसेट से गाना बज रहा था,

साँसों की ज़रूरत है जैसे...
साँसों की ज़रूरत है जैसे ज़िन्दगी के लिए...
बस एक सनम चाहिए...
आशिक़ी के लिए


देवयानी फिर से बड़ी अदा से मुस्कुराई। लेकिन कुछ बोली नहीं।

ऑफिस से घर का रास्ता कार से पंद्रह मिनट का था। लिहाज़ा हम घर शीघ्र ही पहुँच गए।

घर पर आ कर गैबी सोफे पर बैठते हुए बोली,

“अमर एक बात तो बताओ - तुमको कैसी लड़की चाहिए अपने लिए?”

“तुम!”

“अरे यार - सेफ आंसर मत दो! इट इस ओके! आई ऍम अ बिग गर्ल! मुझे मालूम है कि मैं तुम्हारे लिए आइडियल मैच नहीं हूँ! लेकिन कम से कम मालूम तो हो, कि तुमको कैसी लड़की चाहिए?”

“डेवी, ये तुमने क्या कह दिया? प्लीज़ अंडरस्टैंड दिस - तुम मेरे लिए परफेक्ट से भी परफेक्ट हो! आई लव यू! आई रियली डू! तुम्हारे अंदर वो सारी खूबियाँ हैं, वो सारे गुण हैं, जो मुझे मेरी लाइफ पार्टनर में चाहिए - सब खूबियाँ जो मुझे चाहिए, और उसके अलावा और भी बहुत सी खूबियाँ!”

“गैबी कैसी थी?”

“बहुत अच्छी थी! जेंटल! लविंग! सीधी सादी!” मैं जैसे पूर्रणी यादों में एक बार फिर से खो गया, “क्यों पूछा डेवी?”

“गैबी के मुकाबले मैं कैसी हूँ?”

“यार, तुम्हारा और उसका या किसी और लड़की का कोई मुकाबला या बराबरी नहीं है!”

“नहीं, वैसे नहीं पूछा! आई जस्ट वांट टू नो कि जो क़्वालिटीस तुमको अपनी बीवी में चाहिए वो मुझमें हैं क्या?”

“डेवी - मैंने पहले ही कहा है कि तुम परफेक्ट से भी अधिक परफेक्ट हो मेरे लिए! ये क्वेशन तो मुझे पूछना चाहिए! मैं कैसा हूँ तुम्हारे लिए?”

“तुम अच्छे न होते, तो तुम्हारे पास आती?” देवयानी ने दो टूक कहा, “इतनी डेस्पेरेट नहीं हूँ!”

फिर एक गहरी साँस ले कर बोली, “तुम मुझे बहुत पहले से ही पसंद आते थे। थोड़ा अड़ियल लगते थे, लेकिन अच्छे लगते थे! अब तो और भी अच्छे लगते हो!”

मैं मुस्कुराया।

“मुझे गैबी से मिलवाओगे?” डेवी ने अचानक ही बड़ी कोमलता और बड़ी शिष्टता से कहा।

“डेवी तुम खुद को गैबी से कंपेयर मत करो! तुम्हारे गुण, तुम्हारी क्वालिटीस अलग हैं, तुम अलग हो। तुम यूनीक हो। तुमको पसंद करने का, तुमको चाहने का यह सब रीज़न है।”

“नहीं नहीं! मेरा मतलब है कि मैं गैबी को देखना चाहती हूँ। बिना उसको देखे, समझे, शायद मैं तुम्हारे जीवन में जगह न बना पाऊँ!”

“तुम्हारी जगह तो कब की बन चुकी है मेरे जीवन में! तुमको जब से अपनी माना है, तब से! उसके पहले से भी!”

“फिर भी!” देवयानी ने कहा, फिर आगे बोला, “अच्छा, मैं सेक्सी लगती हूँ?”

“बहुत! बहुत ही सेक्सी! यू आर वेरी ब्यूटीफुल! एंड हॉट!”

“ह्म्म्म!” डेवी अपनी बढ़ाई सुन कर प्रसन्न अवश्य हुई, “एंड?”

“यार - प्लीज ऐसे मत सोचो कि मैं ड्राई आदमी हूँ! तुम मुझे बहुत पसंद हो, और तुम बहुत सेक्सी लगती हो! यह बात तुमको मालूम है! मैंने कभी छुपाई ही नहीं!”

“आई नो! लेकिन तुम मुझे गैबी की तस्वीरें क्यों नहीं दिखाते?”

“ओह! वो? देयर आर अ फ्यू प्राइवेट पिक्स अस वेल!”

“ऐसी, जो मुझसे छुपाई जाएँ?”

बात तो सही थी। पत्नी के रूप में देवयानी को मेरे हर पहलू का ज्ञान होना चाहिए। उससे कुछ भी नहीं छुपा सकता! यह बात तो सही थी।

“नहीं! तुमसे मैं कुछ भी नहीं छुपा सकता! प्लीज गिव मी अ मिनट! आई विल शो यू हर एंड आवर पिक्स!”

गैबी और मेरा साथ बस गिन-चुन कर छः महीने का ही था। लेकिन मेरे पास हमारी शादी के पूर्व, शादी की, सुहागरात की, उसके बाद की, और फिर उसकी गर्भावस्था की तस्वीरें थीं। जाहिर सी बात है, गैबी की, और गैबी के साथ मेरी, कम से कम आधी तस्वीरें नग्नावस्था में थीं। करीब छः सौ तस्वीरों वाले पाँच एल्बम, जो आज भी मेरे पास सुरक्षित हैं, मैंने देवयानी को थमा दिए, और किचन में कॉफ़ी बनाने चला गया। मुझे लग रहा था कि डेवी को उन तस्वीरों के साथ अकेला छोड़ देना चाहिए! संभव है कि हमारी अंतरंग तस्वीरों को देख कर वो थोड़ा असहज महसूस करने लगे।

थोड़ा अजीब तो लगता ही है - डेवी और मैंने अभी तक एक दूसरे को चूमा भी नहीं था। लेकिन, वो उन तस्वीरों में मुझको और मेरी पूर्व पत्नी को पूर्ण नग्न देख सकती थी। एक तरह से ठीक भी लग रहा था - डेवी मुझसे उम्र में बड़ी थी। अगर वो मुझे नग्न देख भी लेती है, तो क्या नुकसान हो जाएगा?

अपने हिसाब से मैंने डेवी को पर्याप्त समय दिया था कि वो सारी नहीं, तो कम से कम तीन एल्बम तो देख ही ले। उसके बाद तो अधिकतर गैबी के गर्भावस्था और हमारी साथ में बाहर की तस्वीरें थीं। लेकिन जब मैं वापस कॉफ़ी ले कर डेवी के पास लौटा तो पाया कि वो पहले एल्बम के आखिरी सफ़ों पर थी - जिसमे गैबी की सुहागरात वाली तस्वीरें थीं!

मुझे देखते ही वो बोली, “गैबी बहुत सुन्दर थी... और बहुत सेक्सी भी!”

“हाँ! ये लो, कॉफ़ी!”

“मैं इतनी सेक्सी नहीं हूँ!”

“वो तुम मुझे डिसाइड करने दो!”

“तुम भी कुछ कम नहीं लगते!” वो दबी दबी मुस्कुराहट देती हुई बोली।

“आई नो!” मैं भी मुस्कुराया, “चलो, अभी कॉफ़ी पी लो!”

डेवी ने एल्बम बंद किया और कॉफ़ी पीने लगी।

“मिस्टर सिंह, आप मिस्टर शर्मा से क्या कहेंगे?” उसने अचानक ही पूछ लिया।

“अब ये मिस्टर शर्मा कौन हैं?”

“मेरे डैडी!”

“ओह! हाँ राइट राइट।”

“तो बोलो, उनसे क्या कहोगे?”

“किस मामले में?”

“अरे, जब मेरा हाथ माँगने आओगे, तब!”

“मतलब मेरे लिए होप है?!”

“बिना होप के ही ये सब मेहनत कर रहे हो?” वो हँसने लगी!

“हा हा हा! नहीं नहीं! उम्मीद पर दुनिया क़ायम है।”

“अभी इतना मत उड़ो। तुम अभी भी छोटे भाई और बॉय फ्रेंड के बीच में कहीं हो।”

“यार डेवी, कम से कम भाई से ऊपर तो उठा! लेकिन यार, ये तो बड़ी स्लो प्रोग्रेस है।”

“स्लो कहाँ है? एक ही तो हफ़्ता हुआ है हमारी डिनर डेट से?”

“ह्म्म्म। लगता है एक और डेट करनी होगी!”

“आई एम लिसनिंग!” डेवी मुस्कुराते हुए बोली, “कोई आईडिया है डेट का?”

“फ़िल्म देखोगी मेरे साथ?”

“कौन सी?”

“कोई भी - जो तुमको पसंद हो।”

“ह्म्म्म। ठीक है! कब?”

“मैं तो हुकुम का गुलाम हूँ। जब कहोगी, जहाँ कहोगी, बंदा वहाँ हाज़िर हो जाएगा!”

“हम्म! मैं एक हफ़्ते की छुट्टी ले रही हूँ!”

“कल से?”

“हाँ!”

“मैं क्या करूँ?” मैंने डेवी से अपने लिए सुझाव माँगा।

“तुम भी ले लो!” उसने कहा, “तुम्हारी टीम में भी तीन लोग छुट्टी पर जा रहे हैं!”

“छुट्टी तो मैं तभी लूँगा अगर तुम मेरे साथ टाइम बिताओगी! नहीं तो क्या फायदा?”

आई कैन मीट यू!” वो सोचते हुए बोली, “लेकिन घर पर भी टाइम बिताना है यार! डैडी हमेशा कहते हैं कि मैं एनफ टाइम नहीं बिताती! और दीदी और उनके बच्चे भी आ रहे हैं दो तीन दिनों के लिए!”

“ठीक है! देन आई विल वर्क! लेकिन तुमको जिस दिन मन करे, या जब फ्री हो, मुझे बता देना!”

“ओके सर!”

“अब कल का मूवी का प्लान बना लें?”
nice update..!!
amar aur davi aage badh rahe hai achha hai..gaby ke bare me bhi janane ka haq hai usko..!!
 
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मैंने उसको कहा कि मुझे वो उन वस्तुओं का दाम बता दे। उत्तर में उसने मेरे कानों को उमेठा। आखिर वो उम्र में मुझसे बड़ी थी, इसलिए उसको इतना हक़ तो था ही!
Awwwwwww, bohat hi pyara drishya.
 
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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #5


पास के एक थिएटर में एक फिल्म लगी थी और उस साल वो बहुत हिट हुई थी। फिल्म थी आमिर खान और करिश्मा कपूर की। नाम तो नहीं बताऊंगा, लेकिन फिल्म बहुत पकाऊ थी! फीडबैक मिल चुके थे, लेकिन डेवी को देखनी ही थी। अब मैं क्या करता? मालकिन का आदेश था, तो मजबूरी में उसके साथ जाना ही पड़ा!

अगले दिन क्रिसमस था, और मैंने उस फिल्म का मैटिनी शो बुक किया हुआ था। डेवी का हमारा साथ में देखे जाने वाला डर कल के रोस्ट से जाता रहा था। पहले वो शायद इसीलिए झिझकती थी, लेकिन आज वो थोड़ा अधिक संयत लग रही थी। कल जब हम एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्ध जोड़े के रूप में अपने समाज में सामने आए तो उस घटना ने अन्य लोगों की नज़र में हमारा सामाजिक कद बढ़ाया! एक गंभीर और प्रतिबद्ध जोड़े के रूप में जाने जाने से इज़्ज़त तो बढ़ती ही है! खैर, क्रिसमस होने के बावजूद इस फिल्म के लिए उतनी भीड़ नहीं जुटी थी, जितनी मुझे उम्मीद थी। डेवी अभी भी थोड़ा सतर्क हो कर बर्ताव कर रही थी। जब मैं सिनेमा के गेट पर पहुँचा, तो मैंने देखा कि वो एक बड़ा सनग्लासेस पहने हुए थी, और अपने दुपट्टे से उसने अपना चेहरा ढँक रखा था। शायद दोपहर की धूप के कारण हो, या फिर इस डर से कि कोई घर वाला उसको न देख ले। और अगर कोई जानने वाला उसे देख भी ले, तो वो उसे पहचान न सके! सच कहूँ, तो मुझे उसका यह बर्ताव थोड़ा परेशान करने लगा था। अगर प्यार कर रही हो, तो ठीक से करो! जैसा मैंने पहले कहा था - संदेह के साथ नहीं, विश्वास के साथ! लेकिन फिर मैं इस बात को बर्दाश्त कर गया कि अगर डेवी यह सब कर के सहज महसूस करती है, तो ठीक है! धीरे धीरे ही सही, लेकिन गंतव्य की ओर चलना आवश्यक है! लेकिन फिर भी मन में हो रहा था कि अब पहल करने का समय आ गया था! ये कछुआ चाल चलते रहेंगे, तो दो तीन साल लग जाएँगे शादी होने में!

खैर, हम थिएटर के अंदर गए और वहाँ अपनी अपनी सीटें ले ली। हमारी सीटें हॉल में सबसे दूर और कोने में थीं। इससे हमको पर्याप्त एकांत मिलने की सम्भावना थी, अगर आगे और पीछे कोई न बैठे! जब फिल्म शुरू हुई तो हॉल की उपस्थिति लगभग 20 प्रतिशत ही थी!

“क्या इरादे हैं सिंह साहब? ये कोने वाली सीटें लेने के पीछे क्या प्लान है?”

“बताता हूँ! ऐसी जल्दी भी क्या है जानेमन?”

मैंने पहली बार डेवी को कुछ ऐसा कह कर पुकारा!

डेवी ने एक गहरा निःश्वास भरा - उसको पूर्वानुमान हो गया था कि मेरे मन में कोई तो शैतानी दौड़ रही है!

हॉल की बत्तियाँ बुझ गईं और फिल्म शुरू हो गई! फिल्म शुरू होने से पहले ही मैंने डेवी का हाथ पकड़ लिया था और जैसे ही हाल की बत्तियाँ बुझाई गईं, मैंने उसका हाथ अपनी तरफ़ खींच कर चूमने लगा। डेवी का हाथ शायद घबराहट और नर्वसनेस के कारण ठंडा हो रहा था, और शिथिल भी! हाँलाकि वो मेरे चुम्बनों का कोई विरोध नहीं कर रही थी। इस बात से मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैं उसकी एक उँगली को अपने मुँह में रख कर चूसने लगा! हाथ का ठण्डापन इससे कुछ कम हुआ - तो मैंने एक-एक करके उसकी सारी उँगलियाँ चूस लीं। अब तक फिल्म केवल पंद्रह ही मिनट चली होगी! हिंदी फिल्में बहुत लंबी होती हैं - ये वाली कोई तीन घण्टा पकाने वाली थी। लेकिन मैं पकने वाला नहीं था। इन तीन घण्टो का सदुपयोग करने वाला था।

मैंने अपने बाएँ हाथ से उसको कंधे से घेर कर समेट लिया, जिससे वो मेरी तरफ झुक जाए। मैंने उसके माथे पर चूमा। डेवी कोई मूर्ख लड़की नहीं थी। उसको समझ आ रहा था कि मैं उससे थोड़ा इंटिमेट होना चाहता था। मन ही मन वो भी चाहती थी कि वो एक प्रेमिका के जैसे मुझे कुछ शारीरिक प्रेम प्रदान कर सके, लेकिन उसकी वर्जनाओं ने उसको रोक रखा था। अच्छी बात यह थी कि वो अभी तक मेरी किसी भी हरकत का विरोध नहीं कर रही थी। अँधेरा होने पर वर्जनाएँ थोड़ी कम हो जाती हैं - इस बात का प्रमाण मुझे इस समय दिख रहा था। मैं कुछ देर तक उसकीं उँगलियों और उसके माथे को चूमता रहा, और फिर उसके बायें गाल पर चुम्बन देने के लिए नीचे झुका।

“आई लव यू!” मैंने उसके कान में बुदबुदाते हुए कहा।

प्यार तो खैर डेवी भी मुझे खूब करती थी! बस, न जाने किस बात से हिचकिचा रही थी! अगर मेरी आज की हरकतों का उस पर कोई सकारात्मक प्रभाव होता है, तो बहुत बढ़िया बात है! नहीं तो देखेंगे!

“मेरे होने वाले दूल्हा,” उसने बड़ी अदा से कहा, “क्या हो गया है तुमको?”

“दूल्हा को बेसब्री होने लगी है!”

यह बात सच तो थी। डेढ़ साल से न तो किसी स्त्री का सान्निध्य मिला था, और न ही कुछ करने का अवसर मिला था। हस्तमैथुन करना न जाने कब से छोड़ रखा था। जाहिर सी बात है, मेरी यौन ऊर्जा अपने शिखर पर थी, और इस समय अपनी प्रेमिका को निकट पा कर वो ऊर्जा किसी न किसी बहाने से बाहर आ रही थी। लेकिन मुझे अभी तक अंदाज़ा नहीं था कि डेवी मेरी ऐसी अंतरग हरकतों से कैसा महसूस करेगी, और कैसी प्रतिक्रिया देगी! मुझे मालूम था कि मुझे इसके बारे में जल्दी ही पता चल जाएगा।

मैंने अपना हाथ थोड़ा नीचे सरकाया, और अपनी हथेली को दाहिने स्तन पर रख दिया।

उसने तुरंत अपना विरोध दिखाया, “नहीं नहीं... रुको! यह नहीं... प्लीज!”

“डेवी, क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो?” मैंने फुसफुसाते हुए उसके कान में कहा, “क्या तुम मुझ पर भरोसा करती हो?”

“मैं तुमसे प्यार भी करती हूँ, और मुझे तुम पर भरोसा भी है... सच में! प्लीज मेरा विश्वास करो... लेकिन ये मत करो!”

“ठीक है... मैं नहीं करूँगा! लेकिन कम से कम मुझे बताओ तो कि क्यों न करूँ?”

“अमर, मुझे यह पसंद नहीं है... और दर्द भी होता है…” उसने कहा।

हम्म - तो ठीक है! सबसे पहली बात जो मालूम हुई वो यह, कि डेवी को अभी तक अंतरंगता का जो अनुभव हुआ था, वो अवश्य ही कष्टप्रद था! जब ऐसे अनुभव कष्टप्रद होते हैं, तो उनका मन पर स्थाई प्रभाव हो सकता है और मन में एक खटास, एक डर बैठ जाता है। शायद डेवी के साथ भी यही हुआ था।

“डेवी, क्या तुम मुझ पर इतना ट्रस्ट कर सकती हो कि मैं तुमको फिजिकली या इमोशनली किसी भी तरह की चोट नहीं पहुँचाऊँगा?”

“हाँ अमर…” यह बोलते हुए डेवी एक पल के लिए भी नहीं झिझकी। और तो और, उसके बोलने का स्वर भी तुरंत बदल गया।

“तो फिर कुछ देर मुझ पर पूरी तरह से ट्रस्ट करो, और मुझे थोड़ी सी छूट दे दो? प्लीज?”

वह कुछ देर चुपचाप बैठी रही।

“डेवी?”

“... आई डोंट नो, अमर!” डेवी थोड़ा झिझकते हुए बोली, “लेकिन अगर हम आज ये सब न करें, तो कोई इशू होगा क्या?”

“बिल्कुल भी नहीं डेवी! तुमको पेन पहुँचा कर मुझे कोई मज़ा नहीं मिलेगा! तो अगर तुम नहीं करना चाहती हो, तो नहीं करूँगा! लेकिन, हमें कभी न कभी ये सब तो करना ही होगा! है ना?”

देवयानी ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया! मैं भी चुप रहा कि वो कुछ कहे! लेकिन जब वो चुप रही, तो मैंने अपनी बात जारी रखी,

“डेवी, क्या तुमको ऐसा लगता है कि मैं केवल सेक्स चाहता हूँ?”

“नहीं अमर!”

“अगर तुमको ऐसा लगता है न डेवी, तो फिर मेरे खोने के लिए सब कुछ है! मैं तुमसे प्यार करता हूँ! बहुत! और मैं तुमको दिखाना चाहता हूँ, कि प्यार की छुवन में एक अलग ही तरह का आनंद होता है!”

डेवी ने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। मेरी हथेली अभी भी उसके स्तन पर थी। वो जो भी कुछ सोच रही हो, लेकिन उसने मेरा हाथ वहाँ से हटाने की कोई कोशिश तक नहीं की। यह कोई बुरा संकेत नहीं था।

“डेवी, फ़ॉर वन्स, प्लीज डोंट थिंक! एंड ओनली ट्रस्ट मी! ओके? क्या तुम यह कर सकती हो?”

उसने मेरी तरफ़ थोड़ी कातर सी नज़र डाली, और घबराहट में अपना सर ‘हाँ’ में हिलाया।

“प्लीज! जस्ट ट्राई टू रिलैक्स! ओके, हनी?”

उसने फिर से हाँ में सर हिलाया।

अब, मेरे लिए सौभाग्य से डेवी ने आज एक आरामदायक टी-शर्ट और स्कर्ट पहन रखी थी।

“ट्रस्ट मी, ओके?”

उसने फिर से हाँ में सर हिलाया, और गहरा निःश्वास भरा।

“गिव मी सम स्पेस टू एक्सेस द हेम ऑफ़ योर टी-शर्ट?”

डेवी ने कुछ पल सोचा। उसके मन में इस समय शक की कोई गुंजाईश नहीं रह गई थी कि मैं उसके कपड़े उतारना चाहता हूँ। वो चुप थी - शायद वो अपने विकल्पों को तौलने की कोशिश कर रही थी! संभवतः सोच रही हो कि मेरी चेष्टाओं से कैसे बचा जाए, या कि मुझे यह काम करने से हतोत्साहित कैसे किया जाए! उन सारे विकल्पों में एक, छोटा सा, कमज़ोर सा विकल्प यह भी था कि वो मुझे यह सब करने की अनुमति दे दे, और यदि संभव हो तो उन हरकतों का आनंद भी उठाए! मुझे इतना तो यकीन था कि अपने दिल में, डेवी जानती थी कि मैं उसे कैसे भी चोट नहीं पहुँचाऊँगा। शायद यह बातें अंततः उसके विचार पर हावी हो गईं और वो सीट पर थोड़ा आगे खिसक गई, जिससे मुझे थोड़ी जगह मिल सके।

मैं मुस्कुराया - एक छोटी सी विजयश्री! मैंने उसकी टी-शर्ट का निचला हिस्सा (हेम) पकड़ लिया और एक तेज गति में, उसे उसके शरीर से अलग खींच लिया।

ऐसे अचानक ही डेवी अब केवल अपनी ब्रा और स्कर्ट पहने सीट पर बैठी हुई थी - फ़िल्म थिएटर में! उसको कभी ऐसा जोखिम भरा, एक्सहिबीशनिस्ट अनुभव पहले कभी हुआ है या नहीं, यह तो मैं नहीं जानता था, लेकिन उम्मीद है कि इस रोमांचक अनुभव से डेवी घबराई न हो! मैं बस इतना चाहता था कि मेरी संगत में डेवी सुरक्षित महसूस करे, और इन सभी अनुभवों का आनंद उठाए! खेल शुरू हो गया था, तो अब उसको अगले लेवल तक तो पहुँचाना ही था। उसके लिए डेवी की ब्रा उतारनी आवश्यक थी। अगर उसमे देरी हो जाए, तो क्या पता वो अपना मन बदल ले? वैसे इस तरह से ‘टॉपलेस’ बैठना बेहद जोखिम भरा काम था। लेकिन बेहद रोमाँचक भी! मैंने डेवी को अपनी बाहों में भरे हुए उसकी पीठ पर लगा ब्रा का हुक खोल दिया, और उसके कोमल और दृढ़ स्तनों को मुक्त कर दिया! उसकी ब्रा उतार कर मैंने उसको तह किया, और उसके हाथों में थमा दी। अब असली काम... मैंने उसके स्तनों को बड़े सहेज कर अपने हाथों में पकड़ कर उनकी त्वचा के प्रत्येक इंच को चूमा।

देवयानी एक परिपक्व पंजाबी लड़की थी, और इस समय अपने यौवन के शिखर पर थी! उसका शरीर भी यौवन की ऊर्जा से पूरी तरह से दमक रहा था! लिहाज़ा, उसके स्तन भी अपने पूरे शबाब पर थे, और उसके शरीर के हिसाब से पूरी तरह से विकसित हो चुके थे। स्तनों के अनेकानेक आकार होते हैं। डेवी के स्तन गोलार्द्धों के जैसे थे - वे ऊपर से भरे हुए, मुलायम और दृढ़ थे! बाद में मालूम हुआ कि उसके स्तनों का साइज़ 34C था! जाहिर सी बात है, उसके स्तन गैबी के स्तनों से कोई पच्चीस प्रतिशत बड़े रहे होंगे! और करीब इतने ही अधिक भारी भी! फिल्म की आवाज बहुत तेज थी, अन्यथा, मुझे यकीन है कि डेवी और मेरे दिलों की बढ़ी हुई धड़कनें वहां पर उपस्थित सभी लोगों को साफ़ सुनाई देतीं! इतने लम्बे अर्से के बाद एक प्रेमिका का सान्निध्य मिला था मुझे! अगर सब कुछ ठीक रहा, तो वो और मैं, जीवन भर की प्रतिबद्धता - अर्थात विवाह के बंधन में बांधने को तैयार थे! इन विचारों का मेरे ऊपर बड़ा ही मादक प्रभाव पड़ रहा था। उम्मीद है कि मेरी हरकतों का डेवी पर भी वैसा ही मादक प्रभाव पड़ रहा हो!

मेरे चुम्बनों का उसके चूचकों ने समुचित उत्तर देना शुरू कर दिया - लगभग तुरंत ही वो पूरी तरह से स्तंभित हो गए, और चूसे जाने को व्याकुल भी! दुःख की बात यह है कि उनका आकार, रंग, उसके एरोला का आकार इत्यादि मैं हॉल के अँधेरे में केवल अंदाजा ही लगा सकता था। लेकिन वो कोई समस्या नहीं थी - आज अगर डेवी को मेरी हरकतों से आनंद आता है और मुझ पर भरोसा होता है, तो देर सबेर, यह सब मुझे मालूम पड़ना स्वाभाविक ही है! कुछ देर तक उसके चूचकों को बारी बारी चूमने के बाद, मैंने एक को अपने मुँह में भर लिया!

‘आह! कैसे कोमल चूचक!’

ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे मुँह की गर्मी पा कर उसके चूचक मेरे मुँह में पिघल गए हों! कैसी कोमलता! और कैसी मोहक महक! मुलायम फलों के जैसे... जैसे स्ट्राबेरी हों! उसके स्तनों की महक, मेरे मुँह में उनकी प्रतिक्रिया, उसके स्तनों की गर्मी - सब कुछ अभी तक की सभी महिलाओं से भिन्न थी! शायद इसी को व्यक्ति का अनूठापन कहा जाता है। कहने सुनने को हर महिला के पास स्तन होते हैं, लेकिन उनका अनुभव सभी का अलग ही होता है! डेवी के पहले तक मैंने माँ के, रचना के, राजी महिला के, पड़ोस की चाची जी के, काजल के, और गैबी के स्तनों को इस तरह से अनुभव किया था - और सच कहूँ - किसी के भी स्तनों का अनुभव एक जैसा नहीं था! डेवी का भी नहीं! जैसे एक ही प्रकार का व्यंजन, अलग अलग शेफ़ ने तैयार किया हो! न तो देखने में एक जैसा लगेगा और न ही उसका आस्वादन करने में ही! यही है अनूठापन! मैंने धीरे-धीरे से, बड़ी फुर्सत से उनको चूसा! ये करना ही था कि मैंने महसूस किया कि उसके चूचक मेरे मुँह में आ कर और भी स्तंभित हो गए हैं। मैंने पहले एक चूचक को चूसा, दाँतों से हलके हलके चबाया, चुभलाया, और जब वो चूचक मेरी मौखिक सेवा से थक कर चूर हो गया, तब मैंने यही सेवा दूसरे चूचक को भी दी! मुझे सच में याद नहीं कि मैंने ये सब कितनी देर किया! मुझे मालूम था कि डेवी के स्तनों का स्वाद मस्त होगा, लेकिन यह नहीं पता था कि उसको इस तरह से प्यार करने में मुझे भी इतना आनंद आएगा!

“अमर...” डेवी हाँफते और फुसफुसाते हुए बोली, “अब बस?” बेचारी लड़की ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी, “बहुत देर हो गई... प्लीज रुक जाओ?” उसने मुझसे याचना की।

हमारे पास बहुत समय था, और अभी डेवी को ऐसे जाने देने का मेरा कोई इरादा नहीं था। प्लान तो ये था कि केवल उसके चूचकों के उत्तेजन से उसको कम से कम एक ओर्गास्म का मज़ा दिला दूँ! उसकी आवाज़ से तो लग रहा था कि वो इस लक्ष्य के निकट है। इसलिए मैंने फिर से पहले वाले चूचक को प्यार से और बड़े मन लगा कर फिर से चूसना, चूमना, और चुभलाना शुरू कर दिया। अगर मैं सब ठीक से कर रहा था, तो डेवी के जल्दी ही ओर्गास्म वाले लक्षण दिखाई देने चाहिए - और हुआ भी वही। मैंने इस वाले चूचक को छोड़ कर दूसरे वाले पर जाने ही वाला था, कि उसके पहले ही डेवी का शरीर थरथराने लगा। दबी, घुटी, और हाँफती हुई साँसें - मैं समझ गया कि ये लड़की तो गई! अच्छी बात है! उम्मीद है कि उसको दर्द न हुआ हो - बस आनंद ही आनंद मिला हो। डेवी की साँसें बड़ी तेज़ चल रही थीं, और वो सीट पर बैठी बुरी तरह कसमसा रही थी। उसका ओर्गास्म तो हो गया था, लेकिन दूसरे वाले चूचक के साथ भी तो न्याय होना चाहिए न? एक चूचक को दो बार, और दूसरे वाले को बस एक बार प्यार करना - ये बड़ी नाइंसाफी है! इसलिए मैंने दूसरे वाले को फिर से प्यार करना शुरू कर दिया।
nice update..!!
 
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नया सफ़र - लकी इन लव - Update #6


जब मैं उसके दूसरे चूचक से खेल रहा था, तो मैंने अपने लिंग को पैंट की ज़िपर से मुक्त कर दिया। मैंने उसका हाथ लिया और उसे अपने पूरी तरह से उत्तेजित लिंग पर रख दिया। कुछ देर तो डेवी समझ ही नहीं पाई कि आखिर माजरा क्या है, और ये गर्म दण्ड क्या बला है! लेकिन जैसे ही उसे समझ आया, उसने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया। मैंने फिर से उसका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया। मेरा लिंग बहुत गर्म हो गया था, और उसकी अपेक्षाकृत ठंडी हथेली उसे आराम और आनंद दे रही थी।

“डेवी, तुम इसके साथ खेलो। इट इस अनफेयर दैट ओनली आई प्ले विद यू, एंड नॉट लेट यू एन्जॉय आल द सेम!”

वो कुछ देर तक लिंग को हाथ में अनिश्चितता से पकड़े रही।

कमान हनी, डू व्हाटएवर यू लाइक!”

मेरे प्रोत्साहन पर डेवी अनिश्चित सी, उसको सहलाने लगी।

“ये कितना कड़ा है!” उसने कहा।

“ये ऐसा इसलिए है क्योंकि ये तुम्हारे अंदर जाना चाहता है।”

“मेरे अंदर?” वो मंत्रमुग्ध सी बोली।

“हाँ!”

“कैसे?”

“यहाँ से…” मेरे अपने दूसरे हाथ से उसकी योनि क्षेत्र को छुआ।

“छीः!” उसने कहा, और लिंग से अपनी पकड़ छोड़ दी।

अब उसको मज़ा नहीं लेना, तो मैं जबरदस्ती नहीं कर सकता न! लेकिन मैंने उसे जाने नहीं दिया। मैं उसके चूचकों को रहा, हल्के हल्के से कुतरता रहा, और उसके स्तनों और नग्न शरीर को चूमता और सहलाता रहा। उसके चूचक इतने सख्त हो गए थे कि लगता कि उनमें थोड़ा सा भी और रक्त प्रवाह हुआ, तो उनमें विस्फ़ोट हो जाएगा! जैसा मैंने कहा, अँधेरे में उनके आकार का अंदाज़ा लगाना मुश्किल था, लेकिन उनका मेरे मुंह में एहसास, उनकी बनावट, और उनका स्वाद और महक बड़ी मोहक और मादक थी!

हॉल में ठंड थी और बहुत देर तक बिना कपड़ों के बैठी रहने के कारण डेवी को ठंड लगने लगी... और थोड़ी ही देर में वो ठंडक से लगी। लेकिन मुझे लगा कि शायद एक और ओर्गास्म हुआ होगा! मेरा शरीर तो इस समय कामाग्नि से दहक रहा था! लेकिन जब वो अगन कम हो जाए तो ठंडक का एहसास तो मुझे भी होता ही। जाहिर सी बात है, डेवी अब तक अपने ओर्गास्म के शिखर से नीचे उतर चुकी थी, इसलिए,

“मुझे ठंड लग रही है...” उसने कहा, “प्लीज, मुझे मेरी टी-शर्ट पहन लेने दो!”

डेवी और मेरे लिए उस समय और आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं था। इसलिए सच में, इस अंतरंग क्रिया को रोकना ही ठीक था। मेरे साथ किसी तरह का संभोग करने के लिए वो न तो मानसिक, और न ही भावनात्मक रूप से तैयार थी। और सच कहूँ, तो मैं भी नहीं था। मैं तो बस हमारे बीच की अंतरंगता, और गर्माहट बढ़ाना चाहता था। जैसी कछुआ-चाल गति से हमारा सम्बन्ध आगे बढ़ रहा था, मैं उसमे नाइट्रो लगाना चाहता था! लेकिन इस समय सम्हल कर चलने की ज़रुरत थी।

“ज़रूर!” मैंने कहा, और उसे उसकी टी-शर्ट वापस दे दी, जो उसने केवल तीन सेकंड में पहन ली।

लेकिन अभी भी, थोड़ी मस्ती तो की ही जा सकती थी!

मैंने अपना बाएँ हाथ से उसको घेरा, और उसके बाएँ स्तन को धीमे धीमे दबाने लगा। देवयानी ने विरोध नहीं किया। टी-शर्ट पहन कर उसमे थोड़ा आत्म-विश्वास आ गया था। लेकिन आगे जो उसने किया, वो मेरे लिए बड़े आश्चर्य की बात थी! उसने अपना हाथ बढ़ाया, और उसने फिर से मेरे लिंग को पकड़ लिया, जो अभी भी पहले जैसा ही सख्त था।

“इसे थोड़ा मज़बूती से पकड़ो, और अपना हाथ इस तरह से हिलाओ।” मैंने डेवी के कान में अपने निर्देश फुसफुसा कर कहे, और उसका हाथ अपने लिंग की लम्बाई पर चला कर दिखाया कि मुझे कैसे हस्तमैथुन करना है।

उसने किया। उसने लगभग पाँच-छः मिनट तक अपना हाथ आगे पीछे सरकाया, और अंततः मुझे ऐसा लगा कि मैं स्खलन होने के कगार पर हूँ।

“डेवी... आई ऍम अबाउट टू कम!” मैंने कहा।

“ओके!” डेवी को समझ नहीं आया कि मैं क्या कह रहा हूँ, “सो... इस इट अ गुड थिंग, ऑर अ बैड थिंग?”

“अरे उल्लू, मेरा सीमन निकलने वाला है!” मैंने झुंझलाते हुए कहा।

“ओह! .... मुझे क्या करना चाहिए?” जब उसको कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करना चाहिए, तो उसने पूछा! शायद उसके लिए किसी पुरुष के स्खलन को अनुभव करने का यह पहला मौका था। डेवी स्पष्ट रूप से घबरा गई!

“रूमाल है?”

“हाँ!” वो अभी भी मेरे लिंग पर अपना हाथ फिरा रही थी।

“जल्दी से मुझे दे दो।”

डेवी ने मेरा लिंग नहीं छोड़ा, और दूसरे हाथ से उसने अपने बैग से रूमाल निकाल कर मुझे थमा दिया। मैंने अपने लिंग के सिरे को रुमाल से लपेटा, और अपने आसन्न स्खलन का इंतज़ार करने लगा। डेवी के हाथ की कोई पाँच सात और फिसलन पाते ही मेरे अण्डकोषों ने एक बड़े विस्फ़ोट के रूप में वीर्य बाहर आ गया! उसके बाद पाँच और निरंतर कम होते तीव्रता के विस्फ़ोटों से मेरा स्खलन संपन्न हो गया! उधर, डेवी को एहसास हो रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है, और उसने मुझे मेरे आनंद प्राप्ति में कोई बाधा नहीं आने दी। कुछ ही समय में, उसका रुमाल मेरे गर्म गर्म, और गीले वीर्य से भर गई।

उसको उस गीली गर्माहट का अनुभव हुआ।

“ईई! अमर! कितना इकी लग रहा है!”

“इकी?” मैं अभी भी अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर स्खलन का आनंद ले रहा था, लेकिन डेवी की बात से मुझको हँसी आने लगी, “हे भगवान! डेवी, जब जब हम प्यार करेंगे, तब तब मैं यही इकी चीज़ तुम्हारे अंदर जमा करूँगा!”

“हाय भगवान!!! तुम कितने बेशर्म हो!” इस बार डेवी भी मुस्कुराने लगी।

“बेशर्म? हाँ... वो तो मैं हूँ! और मैं ऐसा इसलिए हूँ, क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ!!” मैंने कहा, और कहते कहते मेरी आँखों में एक चमक आ गई, “और अपनी होने वाली बीबी से कैसी शर्म?”

“तुमसे तो कोई आर्ग्युमेंट जीतना मुश्किल है!” वो बोली, और फिर अपने रुमाल की हालत देखते हुए बोली, “ये तो बेकार हो गई लगती है... बोलो, क्या करूँ इसके साथ?”

“अरे यार! अब मैं क्या बताऊँ? अच्छा, मुझे दे दो। मैं इसे फेंक दूँगा बाथरूम में... लेकिन अगर तुमको ये रुमाल वापस चाहिए तो बताओ, मैं इसे पानी से धो दूँगा और तुमको बाद में वापस दे दूँगा। बोलो? क्या करूँ?”

उसने कुछ देर सोचा और फिर कहा, “आई विल कीप इट... आज के एक्सपीरियंस का सुवेनिए (निशानी) है ये!”

डेवी की बातें अनोखी थीं! मैं उठ कर बाथरूम में गया, खुद को रिलीव किया, और फिर रूमाल को पानी से साफ किया। जब मैं वापस आ कर डेवी के पास बैठा, तो मैंने देखा कि उसने फिर से अपनी ब्रा पहन ली थी।

‘हिम्मती लड़की।’ मैंने मुस्कुराते हुए सोचा, लेकिन कहा कुछ नहीं।

लेकिन मेरी मुस्कराहट देख कर डेवी भी मुस्कुराने लगी!

“हनी! हाऊ आर यू फीलिंग?” मैंने पूछा!

“अच्छा...” वो बोली, और फिर कुछ रुक कर आगे बोली, “...बेटर!”

उसकी बात पर मैं मुस्कराए बिना नहीं रह सका। मुझे भी बहुत अच्छा लगा, क्योंकि अब हमने हमारे बीच की ‘यौन तनाव’ की दीवार गिरा दी थी।

अब फिल्म देखने का कोई मतलब नहीं रह गया था। फिल्म बेहद पकाऊ थी, और वैसे भी इतने सुखद अनुभव के बाद ऐसी फ़िल्में नहीं देखनी चाहिए।

“बाहर चलें?” मैंने डेवी से कहा।

“कहाँ?”

“कुछ खाने, या कॉफ़ी?”

“फिल्म?”

“अरे छोड़ो यार!” मैंने कहा।

“ओके!” वो मुस्कुराई और उठ गई।

थिएटर के बाहर आकर उसने मुझे इंतज़ार करने को कहा और लेडीज बाथरूम चली गई। जब वो कोई दस मिनट के बाद बाहर आई, तो मुस्कुरा रही थी। ये मुस्कराहट ऐसी लड़की की थी, जिसको थोड़ी ही देर पहले रति निष्पत्ति का सुखद अनुभव हुआ हो! उसके चेहरे पर संतुष्टि वाले भाव थे, और चेहरे पर एक आनंदित चमक थी।

“क्या खाना है?” उसने अपने अंदाज़ में पूछा।

“सामने मोमो बेच रहा है रेहड़ी पर! खाना है?”

“हाँ!” उसने किसी छोटी बच्ची वाले उत्साह से कहा! और मुझे वो सुन कर बहुत अच्छा भी लगा।


क्रिसमस का बाकी दिन बहुत अच्छा बीता। मेरी उम्मीद के विपरीत डेवी और मैंने दिन के लगभग आठ घण्टे साथ बिताए और उसने एक बार भी वापस अपने घर जाने की जल्दी नहीं दिखाई। शाम को जब वो अंततः अपने घर जाने को हुई तो मैंने कहा,

“डेवी! मे आई किस यू?”

उसने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

तो मैंने उसको उसके होंठों पर कुछ देर चुम्बन दिया - कुछ देर मतलब, कोई दस सेकंड! चूँकि ये चुम्बन खुले में हो रहा था, और सबके सामने हो रहा था। लिहाज़ा, बहुत अंतरंग और कामुक चुम्बन नहीं किया जा सकता था। लेकिन फिर भी, दो प्रेमियों के प्रथम चुम्बन से प्रेम की ऊष्णता तो महसूस होनी ही चाहिए! तो हुई! मेरे दिल के सभी तार झंकार करने लगे! डेवी का तरीका, उसका व्यवहार-वैचित्र्य बड़ा अनोखा था। वो मुझे बहुत पसंद थी, इसमें कोई भी - रत्ती भर भी - संदेह नहीं था। प्रेम करो, तो ऐसे ही करो! पूर्ण! और अब, मुझे यकीन हो चला था कि डेवी को भी मुझसे प्रेम है! पूर्ण! प्रेम दर्शाने का उसका अपना तरीका था, लेकिन उसके प्रेम में संदेह नहीं था!

अब हमारे मन में हमारे सम्बन्ध को, और उसकी दिशा को लेकर थोड़ा भी संशय नहीं था। यह अच्छी बात रही। गंभीर रिश्तों - जैसे शादी-ब्याह के मामलों में - निश्चितता एक मूल्यवान वस्तु है। उसने बिना मेरे पूछे ही मुझे बताया कि वो मेरे साथ बहुत अधिक सहज और सुरक्षित महसूस करती है। ऐसा कि जैसे वो वस्तुतः है। मेरे साथ उसको अपना बनावटीपन नहीं दिखाना पड़ता। उसका हमारे बीच कोई स्थान नहीं है! उसने कहा कि पिछले पाँच सालों से उसने अपनी शादी के बारे में सोचना भी बंद कर दिया था, लेकिन मेरे आने के बाद, उसको विवाहित होने का, सुहागिन होने का मन होने लगा है! सतह पर चाहे वो कैसी भी हो, लेकिन अंदर ही अंदर डेवी बेहद सरल लड़की थी। उसकी अपने जीवन को ले कर छोटी छोटी आशाएँ, छोटे छोटे सपने थे। मेरे साथ वो सपने अब संभव हो गए थे, और उन सपनों में इंद्रधनुषी रंग घुल गए थे! मैं खुद भी उसके जैसा ही था। मेरे बदहाल जीवन में डेवी ताज़ी बयार बन कर आई थी। उसके कारण मुझे अपार मानसिक और भावनात्मक सुख मिला था। मुझे यकीन था कि हम दोनों मिल कर एक बहुत ही सुखी जीवन जी सकते हैं; एक बहुत ही सुन्दर संसार बना और बसा सकते हैं!

सब कुछ ठीक था। लेकिन वो हमारी उम्र में बड़े से फासले को लेकर बहुत चिंतित थी। मैंने उससे पूछा कि क्या यह उसके लिए इतना मायने रखता है। तो उसने कहा कि वो इसका उत्तर ठीक ठीक नहीं दे सकती! उम्र मायने रखती है, ख़ास तौर पर लड़की की! बच्चे पैदा करने की शक्ति तो लड़की में ही होती है न! तो इस बात पर मैंने उसको हमारे गाँव के पड़ोस वाली चाची जी के बारे में बताया, जो पैंतालीस में भी जननक्षम थीं! मैंने उससे कहा कि वो ऐसी बातों पर परेशान न हुआ करे। मुझे उससे, और उसको मुझसे प्रेम है - मेरे लिए बस यही बात मायने रखती है। बच्चे होते रहेंगे; और यदि न हों, तो हम बच्चे गोद ले लेंगे। हमारे स्नेह की वर्षा में यदि वो पलेंगे तो हमारे ही बच्चे कहलाएँगे!

मेरी बात पर वो मुस्कुराई! ख़ैर, अंत में, केवल अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए मैंने उससे पूछा कि क्या वो मुझसे प्यार करती है? डेवी ने कहा कि अगर वो मुझसे प्यार नहीं करती, तो वो मुझे वो सब करने की अनुमति नहीं देती, जो सब मैंने फिल्म हॉल में उसके साथ किया था। मुझे मालूम था कि डेवी को मुझसे प्रेम है, लेकिन लड़की के मुँह से यह बात सुनना बहुत सुखद होता है!

मैंने भी डेवी को बताया कि मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ! मैंने उससे यह भी कहा कि मैं उसके साथ अपना सुन्दर सा, सुनहरा सा भविष्य देखता हूँ! ऐसा भविष्य जिसमें वो मेरी पत्नी है, जिसमे वो मेरे बच्चों की माँ है! मेरी बात पर डेवी शरमा तो रही थी, लेकिन बहुत खुश भी लग रही थी। उस दिन हमने सचमुच अपने रिश्ते को एक मजबूत रूप दे दिया था। अब हम वाक़ई प्रेमी और प्रेमिका थे! डेवी, जो उस दिन से पहले हमारे रिश्ते को लेकर अनिश्चित थी, ने अपने डर, संकोच, और वर्जनाओं को छोड़ दिया था। उसने मुझे अब अपने साथी, प्रेमी और पति के रूप में स्वीकार कर लिया था!

इसके बदले में मैंने उसे अपने जीवन में और अधिक पहुंच प्रदान करी। छुट्टियों के दौरान मैंने उसे अपने घर की चाबियाँ दे दीं - हमारी शादी के बाद मेरा घर, तो उसका ही घर होने वाला था न? मैंने उसको चाबियाँ इसलिए दीं जिससे वो जब चाहे, ‘अपने’ घर आ सके! दरअसल, उसका ऑफिस मेरे घर के पास था। मेरा ऑफिस मेरे घर से दूर था। इस स्वतंत्रता को अपनाने में डेवी ने रत्ती भर भी संकोच नहीं दिखाया! जब मैं घर पर नहीं भी होता था, तो भी वो नियमित रूप से ‘हमारे’ घर आती थी - शायद लंच ब्रेक के समय! मैंने उससे कभी नहीं पूछा कि वो घर आई थी या नहीं; और न ही उसने ही कभी मुझको बताया! आख़िरकार ये उसका घर था - उसको जो ठीक लगेगा, वो करेगी! कई बार मैं घर आ कर देखता था कि वो मेरे बिस्तर पर सोई है (कई बार मेरे तकिए और गद्दे पर उसके लंबे बालों की लटें साफ़ दिखाई देती थीं)। और तो और, उसने अपने पसंद के अनुसार हमारे घर को सजाना भी शुरू कर दिया था - नए पर्दे, मेज़पोश, नए बर्तन, सजावट के सामान इत्यादि वो अपने ही मन से ले आती। मैंने उसको कहा कि मुझे वो उन वस्तुओं का दाम बता दे। उत्तर में उसने मेरे कानों को उमेठा। आखिर वो उम्र में मुझसे बड़ी थी, इसलिए उसको इतना हक़ तो था ही!

इतने दिनों में हमने शारीरिक अंतरंगता वाले विभाग में स्वयं को बहुत संयमित रखा। हम प्रतिदिन (जब भी हम मिलते) एक दूसरे के होंठों पर चुम्बन करते... मैं उसके स्तनों से खेलता... और डेवी मेरे लिंग से! लेकिन बस इतना ही। फिलहाल इससे अधिक अंतरंगता नहीं संभव थी, क्योंकि हमको अधिक ज्यादा निजी समय नहीं मिल पाता था। डेवी की छुट्टी थी, मेरी नहीं। ज्यादातर समय जब वो घर आती थी, तो मैं वहाँ नहीं होता था। वो घर आने से पहले कभी फोन नहीं करती थी, इसलिए मुझे मालूम नहीं होता था कि वो कब आएगी, या अगर आएगी तो उसके आने के लिए मैं क्या करूँ! लेकिन जो कुछ भी प्रगति थी, वो बड़ी संतोषजनक थी। जिस निश्चय के साथ मेरा - या हमारा - जीवन आगे बढ़ रहा था, उसे देखकर मुझे बहुत खुशी होती! अपने जीवन में एक सुन्दर, स्वस्थ, और बुद्धिमान प्रेमिका का होना, जो जल्दी ही मेरी पत्नी बनेगी, एक बहुत ही संतोषजनक बात थी!

मुझे डेवी को लेकर बहुत सुकून होता था। इसलिए मैंने डेवी के बारे में माँ और डैड को बताया! जब उन्होंने देवयानी के बारे में सुना तो उन्हें बहुत राहत मिली। काजल तो इतनी खुश हुई, जैसे कि मुझे नहीं, उसको ही गर्लफ्रेंड मिल गई हो! उन सभी ने डेवी से मिलने की इच्छा मेरे सामने जताई। तो मैंने कहा कि उनको जब भी सुविधा हो, दिल्ली आ जाएँ!
nice update..!!
amar aur davi ki badhti najdikiyon ko bahot achhese likha hai aapne..!!
 
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