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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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KinkyGeneral

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“क्यों रे, गंदे बच्चे!” डेवी ने शैतानी से मुस्कुराते हुए कहा, “मेरे कपड़े उतारेगा गन्दा बच्चा! छुन्नू बहुत फड़क रहा है क्या?”
Dono rolepay karenge kya, bhai behan ya umardaraaz mahila/ jawan launde wala?
 
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“क्यों रे, गंदे बच्चे!” डेवी ने शैतानी से मुस्कुराते हुए कहा, “मेरे कपड़े उतारेगा गन्दा बच्चा! छुन्नू बहुत फड़क रहा है क्या?”
fav dialogue is bhaag se :angel1:
 
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Dono rolepay karenge kya, bhai behan ya umardaraaz mahila/ jawan launde wala?

What is the need of a role-play, when there is plenty of real-play to offer! 🤔
Just wait and watch... much fun is coming your way! And that is why I am taking time to write.
और, देवयानी कोई उम्रदराज़ लड़की नहीं है! उसकी जो उम्र है, उस पर एक पंजाबी कुड़ी की जवानी अपने शबाब पर होती है! :)
 

KinkyGeneral

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What is the need of a role-play, when there is plenty of real-play to offer! 🤔
Just wait and watch... much fun is coming your way! And that is why I am taking time to write.
और, देवयानी कोई उम्रदराज़ लड़की नहीं है! उसकी जो उम्र है, उस पर एक पंजाबी कुड़ी की जवानी अपने शबाब पर होती है! :)
Okay sir :angel4:
 

avsji

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avsji bhai apne pathako ka chhunnu kab phadakwaoge?? Chhunnu phakadwane me itna vilamb accha nahi mitr. Agla adhyay jald post karne ka prayatn kare.
हा हा हा!! भाई पाठकों का क्या करें, यहाँ काम का बोझ इतना है कि मुझे अपना ही छुन्नू पकड़ने की फुर्सत नहीं मिल पा रही है। आप मेरी सिचुएशन में हों, तब समझेंगे। विलम्ब का एक और कारण भी है - एक नई सिचुएशन बना रहा हूँ। अगर वो रोचक रही तो ठीक, नहीं तो जो है, वही लिख दूँगा। वैसे कल शाम तक अपडेट लिखने का प्रयास है 😊
 

snidgha12

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काम का बोझ इतना है कि मुझे अपना ही छुन्नू पकड़ने की फुर्सत नहीं मिल पा रही है। :dscream::dscream::dscream::dscream:
Poor baby
 
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ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
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avsji अपडेट के इंतजार में...
 
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नया सफ़र - विवाह - Update #12


अगले दिन हम साइकिल चलाते हुए पोर्ट ब्लेयर से वंडूर गए - हमारे होटल से कोई बीस किलोमीटर की दूरी थी।

जैसा कि मैंने पहले भी बताया, उस समय अंडमान में ऐसी किच किच नहीं होती थी, जैसी कि आज है, इसलिए साइकिल चलाना आसान था। हाँ, बस समय अधिक लगा। लोगों ने बताया कि वहाँ मरीन पार्क था, और समुद्र में वहाँ तैराकी करी जा सकती थी। मरीन पार्क दरअसल कई छोटे छोटे द्वीपों का समूह था। इस कारण से समुद्री जीव जंतुओं को फलने फूलने में सुरक्षा प्राप्त थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि वहाँ कोरल रीफ़ देखे जा सकते थे। तो हमने अपना तैराकी का सामान उठाया, और साइकिल चलाते वंडूर चले गए। वहाँ एक नाव वाले से बात कर के तीन चार द्वीपों तक जाने और वापस आने का सौदा किया। अभी सारे नाम नहीं याद आते, लेकिन शायद उन द्वीपों के नाम ग्रब, चेस्टर, बेले, और स्नॉब थे। प्रत्येक द्वीप निर्जन, शांत, और स्वच्छ! ग्रब द्वीप पर हमने तैराकी के लिए कपड़े बदले - मैंने तो खैर तैराकी वाला नेकर पहना, और देवयानी ने अपना बिकिनी [जो आज कल मोनोकिनी के नाम से जाना जाता है] पहना। रंगीला फ़िल्म में उर्मिला ने जैसी काली बिकिनी पहनी थी - देवयानी की भी वैसी ही थी। कोई कहने की आवश्यकता नहीं कि वो इस समय बड़ी सेक्सी लग रही थी। मेरे मन में एक ख़याल आया - और सोचा कि उसका क्रियान्वयन अवश्य करूँगा।

खैर, हर जगह मैंने और देवयानी ने तैराकी करी। समुद्री पानी में वैसे तो आँखें खोलना आसान नहीं होता, लेकिन अगर स्विमिंग गॉगल्स लगा लें, तो बड़ी आसानी हो जाती है। ख़ास कर वो बड़े वाइसर वाले! नहीं तो स्नॉर्केलिंग गियर एक बेहतर ऑप्शन होता है। अच्छी बात यह थी कि हमारे नाविक के पास स्नॉर्केलिंग गियर थे। तो हमको पानी के अंदर कोरल, असंख्य और विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी मछलियाँ, क्लैम, समुद्री घास, सॉफ्ट कोरल, अलग प्रकार की स्टार फिश, इत्यादि देखने को मिले। सच में - समुद्र के अंदर का नज़ारा बहुत अलग होता है। विज्ञान के छात्रों को ज्ञात होगा कि ध्वनि की गति जल में वायु की अपेक्षा तीव्र होती है। तो हमको अलग ही तरह की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं पानी के अंदर! एक अलग ही दुनिया का अद्भुत नज़ारा होता है समुद्र के अंदर! और हाँलाकि ऊपर से देखने पर समुद्र तल बहुत पास लगता है, लेकिन होता बहुत गहरा है। मछलियों का आकार भी अपेक्षाकृत बड़ा लगता है क्योंकि स्नॉर्केलिंग गियर इस तरह का भ्रम पैदा कर सकता है। कुछ मछलियाँ बहुत बदमाश थीं - वो हमारे पैरों को दाँत से काट रही थीं। बाद में नाविक ने बताया कि शायद हम उनके घोंसले के काफी करीब होंगे, इसलिए वो ऐसा कर रही थीं।

यही सब करते करते जब हम आखिरी द्वीप पर पहुँचे, तो अपने ख़याल को क्रियान्वित करने की इच्छा जागृत हो गई। दरअसल देवयानी वाकई इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरे मन में उसके साथ सम्भोग करने की तीव्र इच्छा हो रही थी। शरीर में ऐसा जोश भर गया था, कि मेरे लिए रुकना लगभग असंभव हो गया था। ऐसी इच्छा तो पहले कभी नहीं हुई! शायद नाविक को भी मेरी इच्छा समझ में आ रही थी - इतना तो वो समझ ही गया था कि हमारी नई नई शादी हुई थी और हम यहाँ हनीमून के लिए आये हुए थे। लिहाज़ा, खुले में सेक्स करने के लिए यहाँ से बेहतर स्थान और क्या हो सकता था? बढ़िया नरम नरम, और सफ़ेद रेत थी वहाँ, और एक तरफ़ सिर्फ बीच! ऊपर नरम गरम धूप फैली हुई थी। बहुत ही सुखद माहौल! टापू के इस तरफ सब खुला खुला था, और नारियल के पेड़ टापू के दूसरी तरफ़ थे।

उसने कहा, “साहब, ये बढ़िया टापू है! आप लोग थोड़ा आराम कर लें कुछ देर! मैं कहीं से डाब (नारियल) तोड़ कर ले आता हूँ!”

पानी में बहुत देर तक रहने से भूख लगने लगती है। हम अपने साथ कुछ चॉकलेट लाए थे, जिसमे से कुछ हमने नाविक को दिया, और कुछ हमने खुद रख लिए। डाब पीने और खाने से भूख कम तो हो ही जाती।

“ठीक है दादा,” मैंने नाविक से कहा, “तीन चार डाब चाहिए होगा हम दोनों को!”

“आप चिंता न करें साहब,” नाविक ने समझते हुए कहा, “कम से कम आधा दर्ज़न लेता आऊँगा!”

उसने कहा, और हमको वहीं किनारे पर छोड़ कर दूसरी तरफ जाने लगा। जब नाविक जा रहा था, तो मैंने उसको आँख मार कर इशारा किया - बदले में उसने भी मुस्कुरा कर सर हिलाया। प्लान तो वो भी समझ गया था। जब कुछ देर बाद वो आँखों से ओझल हो गया, तो मैंने देवयानी को अपनी बाहों में भर के चूमना शुरू कर दिया।

मेरी इस बेसब्री वाली हरकत से वो हँसने लगी।

‘ये हस्बैंड लोग भी न! कैसे बच्चों जैसे होते हैं!’ देवयानी ने मन ही मन सोचा, ‘अपने ऊपर कोई कण्ट्रोल ही नहीं! न तो इनको टाइम का ख़याल होता है, और न ही प्लेस का! बस जहाँ देखो तहाँ, जब मन खेलने का मन किया, तब अपनी वाइफ को छेड़ने लगते हैं! लाइसेंस टू किल!’

मेरे बारे में देवयानी को अब तक लगभग सब कुछ मालूम चल गया था। मैंने अपने बारे में कोई भी बात उससे राज़ बना कर नहीं रखी कभी भी! तो उसको मेरी पसंद, नापसंद - हर बात मालूम थी। उसके कहने पर मैंने उसको गैबी और मेरे बारे में, और काजल और मेरे बारे में सब कुछ बता दिया। गैबी के नाम के एल्बम उससे छिपे नहीं थे। उधर पिछले कुछ दिनों में माँ और काजल भी उसकी करीबी सहेलियाँ बन गई थीं, और जो बातें मुझसे रह गई हों, वो सब उन दोनों से उसको मालूम पड़ गई थीं। अपनी पत्नी या प्रेमिका के साथ मैं बहुत कामुक हो जाता हूँ - यह बात देवयानी अच्छी तरह से जानती थी। और उसको इस बात से कोई शिकायत भी नहीं थी। अगर हस्बैंड वाइफ ‘हॉट’ सेक्स नहीं करेंगे, तो फिर कौन करेगा?

मेरा लिंग कठोर हो कर उसके पेट पर गड़ा जा रहा था। और उधर, मेरे द्वारा लिया जाने वाला चुम्बन, और साथ में किया जाने वाला उसका स्तन-मर्दन - देवयानी की सिसकियाँ बढ़ रही थीं, और उसको भी अपार आनंद मिल रहा था। लेकिन यह भी कोई जगह थी उसको इस तरह उकसाने की?

“क्या इरादे हैं, ठाकुर साहब?”

“नेक तो बिलकुल भी नहीं है ठकुराईन!” मैंने भी खिलंदड़े अंदाज़ में कहा।

“हा हा! अरे थोड़ा तो सब्र रखिए न! वो आदमी आ जाएगा!”

“नहीं आएगा इतनी जल्दी - अब तो वो आपका ‘केक’ कटने के बाद ही आएगा!”

“केक? हा हा हा! बद्तमीज़!”

“ओह, हाँ - सॉरी! केक नहीं! चूत!”

देवयानी ने मेरी बात पर पहले तो मुझे एक चपत लगाई और फिर मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर झूलती हुई बोली, “बहुत बेशर्म हो गए हैं आप ठाकुर साहब?”

“अब अपनी बीवी से भी शर्म करूँ फिर तो हो गया काम हमारा!”

“हा हा! तो फिर मत करिए शर्म!” डेवी की अदा वाकई निराली थी - उसने अचानक ही सुर बदलते हुए, बड़ी सेक्सी अदा से कहा, “लेकिन आपका ‘केक’ मीठा नहीं रहा, बल्कि नमकीन हो गया है!”

“मेरी जान, हनीमून में तो नमकीन केक ही खाने में मज़ा आता है!”

देवयानी का शरीर, और उसको सेक्सी बातें, हमेशा ही मुझे रोमांचित कर देने के लिए काफी थीं! मैंने उसकी बिकिनी को उसके कन्धों की तरफ से, किसी केले के छिलके की तरह उतारते हुए उसको अर्धनग्न कर दिया, और फिर उसके शरीर के हर अंश को चूमने लगा।

देवयानी सिसकारी भरने लगी, “जानू! अभी नहीं! होटल में करते हैं न? ओह्ह… अगर वो आदमी आ गया तो?”

“तो क्या? तुम भी तो एक और लण्ड सैंपल करना चाहती हो न? उसी को बोल दूँगा!”

मेरी बात से देवयानी चौंक गई - “आह्ह! धत्त! नहींन्न!”

“क्यों? नहीं चाहिए?”

“जानू! वो मेरी फंतासी है! लेकिन वो मैं केवल एक बार करना चाहती हूँ! इसलिए अगर करना है, तो स्पेशल करवाना! नहीं तो आई ऍम मोर दैन फुल्ली सैटिस्फाइड!”

“हम्म! ठीक है मेरी जान! लेकिन वो आदमी इतनी जल्दी वापस नहीं आएगा! कम से कम आधा घंटा लेगा!”

“हा हा! आपका आधे घंटे में होता भी क्या है?”

“क्यों? कल की क्विकी में मज़ा नहीं आया?”

“बहुत मज़ा आया,” उसने कहा, और फिर मेरे स्विम-निक्कर को नीचे सरका कर बोली, “लेकिन पहले आपके नमकीन केले को मीठा बना दूँ?”

उसने कहा, और मेरे सामने रेत पर घुटने के बल बैठ गई, और मेरे उत्तेजित लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी! देवयानी को अभी भी सीखना बाकी था, लेकिन फिर भी, वो जो कर रही थी, उसमे मुझे असीम आनंद मिल रहा था! उसने केवल एक या दो मिनट ही मुख-मैथुन किया होगा, लेकिन मुझे उतने में ही ऐसी कामुक गुदगुदी हुई, कि मैं क्या कहूँ! मैंने उसको जल्दी ही रोक दिया, कि कहीं उसके मुँह में ही स्खलित न हो जाऊँ!

“क्या हुआ?” उसने आश्चर्य से पूछा, “मज़ा नहीं आया क्या बाबू?”

“बहुत मज़ा आया मेरी जान!” मैंने उसके मुख को चूमते हुए कहा, “लेकिन चाकू इस समय तेज़ है! केक काट देता हूँ!”

“हा हा हा हा!” डेवी दिल खोल कर हँसी, “ओह! ये बात है?”

मैंने उसका स्विमसूट जल्दी से उतार दिया और उसको पूर्ण नग्न कर दिया। मारे आवेश में उसकी बिकिनी मैंने थोड़ी दूर फेंक दी।

“हाँ जी! ये तेज़, गरम चाकू, इस केक को अच्छी तरह से काटेगा अब!”

“काट दो मेरे राजा!” देवयानी ने बड़ी कामुक अदा से कहा, “जैसा मन करे, वैसे काटो इस केक को!”

मेरी और देवयानी दोनों की ही हालत बहुत खराब थी - मेरा लिंग तो ऐसा कठोर हो रखा था कि मानों हल्के से दबाव से फट जाए। और उधर देवयानी की योनि भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मुझसे अब और रहा नहीं जा रहा था - मैंने बिना किसी भूमिका के, डेवी के होंठ चूमते हुए अपने, लिंग को उसकी योनि के द्वार पर सटा कर एक ज़ोर का धक्का लगाया… मेरा लिंग वाकई उसकी योनि में ऐसे सरकता चला गया, जैसे किसी केक को चाकू से काट दिया गया हो। डेवी के मुँह से एक कामुक सी आवाज़ निकल गई।

“आह्ह्ह्ह जानू! फ़क मीईईई!” वो कामुकता से कराही, “फ़क मी हार्ड! इम्प्रेग्नेट मी!”

वैसे तो लग रहा था कि लगभग तुरंत ही स्खलित हो जाऊँगा, लेकिन देवयानी के अंदर जा कर लगा कि मोर्चा कुछ देर तक सम्हाला जा सकता है। उसके साथ तेजी से सम्भोग गया, लेकिन फिर भी कोई पाँच मिनट बीत गए। सोचा, कि कुछ मज़ा और बढ़ाते हैं - इसलिए मैंने डेवी को ऊपर उठा लिया, और खुद उसके नीचे आ गया। यह मज़ेदार था - देवयानी िस्तनी मस्त हो चली थी, कि शायद उसको हमारी इस बदली हुई अवस्था का ध्यान भी न रहा हो! वो मेरे लिंग पर अपनी योनि को निर्धारित कर के पहले की ही भांति धक्के लगाने लगी। इस अवस्था में मुझको खुद पर अधिक नियंत्रण महसूस हो रहा था। कोई पाँच मिनट और बीत गए, और इस नए ‘आसन’ में सम्भोग की पूरी क्रिया के दौरान देवयानी का शरीर इस तरह थरथराता रहा कि जैसे वो पूरा समय ओर्गास्म महसूस कर रही हो!

“कैसा लग रहा है मेरी जान?” मैंने पूछा।

ओह गॉड! यू विल किल मी, हनी!”

देवयानी वाकई बहुत ही कामुक थी! उसके साथ सम्भोग कर के मुझे किसी राजा के ही जैसा महसूस होता था। अब हमारा खेल अपने पूरे शबाब पर पहुँच गया था। मैंने देवयानी को नीचे से ही भोगते हुए, उसके नितम्बों को सहलाना आरम्भ कर दिया। मैं जल्दी ही स्खलित होने वाला था; और अधिक देर खलने की हिम्मत अब नहीं थी। समुद्र के पानी ने पहले ही बहुत ताकत निकाल दी थी, और ऊपर से तीव्र सम्भोग!

मैंने अचानक ही एक बलवान झटका मारा, और देवयानी के गर्भ की गहराई में जा कर मेरे लिंग ने अपना ‘पे लोड’ छोड़ना शुरू कर दिया! कुछ ही क्षणों में मेरी बीवी की कोख मेरे वीर्य से भर गई…

“आह मेरी जान… आह! मज़ा आ गया…”

मैं देवयानी के ऊपर ही निढाल हो गया। डेवी भी संयत होकर गहरी साँसे भरती हुई लेट गई! लेकिन वो ऐसे आसानी से छूटने वाली नहीं थी। मैंने उसके होंठों, आँखों, कानों, गले और स्तनों पर अपने गर्म चुंबनो की झड़ी लगा दी। कुछ ही देर बाद मेरा लिंग सिकुड़ कर खुद ही उसकी योनि से बाहर आ गया।

हम दोनों अभी भी एक दूसरे के आलिंगन में बंधे हुए थे।

“अमर?” डेवी ने बड़ी ही कोमलता से मुझे पुकारा।

“हम्म?”

“एक बात कहूँ?”

“बोलो न?” मैंने उसके एक चूचक को चूमते हुए कहा।

“मैं चाहती हूँ कि हमारा बच्चा तुम्हारे जैसा हो!”

“मेरे जैसा? क्यों?”

“तुम बहुत भोले हो! इसलिए!” उसने मुझे प्यार से देखते हुए कहा।

“मैं भोला हूँ?”

देवयानी ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“और जो मैं हमेशा ये तुम्हारा ‘केक’ काटता हूँ, वो?” मैंने देवयानी को छेड़ते हुए कहा।

“प्यार करना भी तो भोलेपन की ही निशानी है!” वो बोली, “मुझे मालूम है कि तुम बहुत ‘हॉट’ हो! लेकिन तुम्हारा सारा प्यार मुझ पर ही निछावर है!”

“और किसको प्यार करूँ?” मैंने भावनात्मक अंदाज़ में कहा, “तुमने मुझे उस समय जीने की आस दिखाई, जब मैं बस एक मशीन बन कर रह गया था! इमोशनलेस! तुमने मुझे दिखाया कि फिर से जिया जा सकता है! तुमको नहीं, तो फिर और किसको प्यार करूँ!”

“इसीलिए तो कह रही हूँ, अमर, कि मैं चाहती हूँ कि हमारा बच्चा तुम पर जाए!” वो प्यार से मुस्कुराई, “तुम्हारी जैसी सच्चाई, तुम्हारे जैसी मोहब्बत, हमारे बच्चे में चाहिए मुझे!”

मैंने उसको प्यार से चूमा, “और मैं चाहता हूँ कि हमारा बच्चा तुम पर जाए! तुम्हारे जैसी खूबसूरती - शरीर की भी, और मन की भी! तुम्हारी बुद्धिमानी! तुम्हारे जैसा प्यार! सब क्वालिटीज़ चाहिए!”

“हा हा हा! मिस्टर सिंह, बच्चों में बुद्धिमानी उनकी माँ से ही आती है!”

“ये तो और अच्छी बात है! मुझसे तो बस ‘भोलापन’ ही मिलेगा!”

“हा हा हा हा हा!” डेवी ज़ोर से हँसी; फिर मेरे सीने पर अपनी उंगली से वृत्त बनाते हुए बोली, “तुमको मालूम है - पहले मैं सोचती थी कि मुझे काजल से जलन होगी, या फिर कम्पटीशन जैसा लगेगा!”

काजल का नाम सुन कर मेरे कान खड़े हो गए - कहीं कोई शिकायत तो नहीं है डेवी को!

“लेकिन,” उसने कहना जारी रखा, “सरप्राइसिंगली मुझे वैसा कुछ भी फील नहीं होता उसके लिए! वो मुझे बहुत प्यार करती है! और... मैं भी!”

“हम्म्म! तो आपको भी काजल अच्छी लगने लगी?”

“हाँ न! आई ऍम सरप्राइज़्ड!”

“हा हा हा! हाँ, वो है ही ऐसी! मेरा खुद का रिलेशनशिप उसके साथ कितना बदल गया है! आई थी वो मेड बन कर! लेकिन अब तो वो मेरी बड़ी बहन - या गार्जियन - जैसी है!”

“हाँ! मुझे भी बड़ी बहन के ही जैसे ट्रीट करती हैं!”

“अरे वो बहुत अच्छे घर से है! बस, अपने घरवालों की बैकवर्ड थिंकिंग, और फिर ग़लत शादी के कारण उसकी ऐसी हालत हो गई! नहीं तो वो बहुत कुछ कर सकती थी अपनी लाइफ में!”

“अच्छा, एक बात पूछूँ? सही सही बताओगे?”

“ज़रूर! तुमसे कभी कुछ नहीं छुपाऊँगा!”

“उम्म्म... काजल या गैबी के साथ सेक्स करने में कैसा लगता था? मतलब, वो क्या अच्छा करती थी? मुझे क्या करना चाहिए?”

“अरे यार! कैसी बात पूछ रही हो मेरी जान? इसका आंसर कैसे दूँ?”

“देखो, तुमने प्रॉमिस किया है!”

“हम्म्म! कैसा लगता था? बहुत अच्छा लगता था - ठीक वैसा ही जैसे तुम्हारे साथ लगता है! सुख! संतुष्टि! पीस! पूरा मन और शरीर शांत हो जाता है! और तुमको कुछ भी अलग करने की ज़रुरत नहीं है! आई ऍम वैरी वैरी वैरी हैप्पी विद यू!”

“ठीक है! मान लेते हैं!” डेवी ने अदा से कहा, “लेकिन मुझको बताना ज़रूर अगर कुछ वेरिएशन चाहिए हो, तो!”

“ठीक है ठकुराईन!”

“हा हा हा! अब जाओ, जल्दी से नाव से मेरे सूखे कपड़े निकाल लाओ! ये बिकिनी तो अब मैं नहीं पहन पाऊँगी!”

जब तक नाविक वापस आया, तब तक हम दोनों अपने अपने सूखे, हलके कपड़े पहन कर तैयार हो गए। नाविक के लाए हुए नारियल का पानी पिया, और उसकी मलाई खाई। कुछ संतुष्टि मिली। मुझे पक्का यकीन था कि हमारे शरीर की रंगत बहुत साँवली हो चली है - ऐसी चटक धूप में और क्या उम्मीद करी जाए? लेकिन उससे क्या फ़र्क़ पड़ता है? शरीर में विटामिन डी भी तो बन रहा था खूब! हमारे लिए वही बहुत है!

***
 

avsji

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नया सफ़र - विवाह - Update #13


अगले दो तीन दिन ऐसे ही बीत गए।

हम खाना खाते, अपनी अपनी साईकिलें उठाईं, और अपने आस पास घूमने चल देते। यही हमारा रूटीन हो गया। खुली, गुनगुनी धूप में और समुद्री महक वाली हवा में साईकिल चलना बहुत अच्छा लगता है। समुद्र का फिरोज़ी नीला जल, उसमें उठती बैठती अनंत लहरें, लहरों का शोर और लहरों की ही शांति! सच में - इससे अधिक सुख संभव नहीं है! बहुत अनूठा अनुभव होता है ये। समुद्र के शोर में भी असीम शांति होती है। मैं और डेवी यही बातें करते कि जैसे यहाँ वर्षों तक रहा जा सकता है। जब मन करता हम समुद्र में तैराकी करते, इधर उधर घूमते, और फिर जहाँ मौका मिलता, वहाँ जम कर गर्मागरम सेक्स करते!

नए नए शादी-शुदा जोड़े, अपने हनीमून में और क्या करें?

हम इस पूरे समय यहीं, पोर्ट ब्लेयर में ही रहे।

एक दिन हम दोनों अपने दैनिक गतिविधियों का आनंद लेने के बाद एक ढाबे में पकौड़े और चाय का आनंद ले रहे थे। एक बात तो है - चाय और पकौड़े बढ़िया मिलते थे उस समय! हम अदरक वाली चाय की चुस्कियाँ ले ही रहे थे कि,

“नमस्ते?” एक बेहद अंग्रेज़ बोली में किसी स्त्री की आवाज़ आई।

“हैलो?” मैंने मुड़ कर कहा, लेकिन फिर सम्हल कर, “नमस्ते!”

पीछे मुड़ा तो देखा कि एक श्वेत मूल की महिला हमारी तरफ़ देख कर मुस्कुरा रही थी। लेकिन वो न तो अमेरिकन थी, और न ही अंग्रेज़। जैसा मैंने कहा - उसकी बोली (एक्सेंट) अलग थी।

आई थिंक यू हैव कम हेयर फॉर योर हनीमून?” महिला ने कहा, “आई हैव सीन अ फ्यू मैरिड वीमेन वेअरिंग हेंना ऑन दीयर हैंड्स इन इंडिया! ऍम आई राइट?”

यस!” डेवी ने चहकते हुए कहा, “वी मैरीड जस्ट फोर डेज बिफोर!”

ओह वाओ! अमेजिंग! कोंग्रेचुलेशन्स टू बोथ ऑफ़ यू!!” उस महिला ने कहा!

थैंक यू सो मच!” मैंने और डेवी दोनों ने साथ में उसका धन्यवाद किया।

आई ऍम मरी, बाई दी वे!” उसने अपना परिचय दिया, “एंड दिस इस माय हस्बैंड, गेल!”

सो नाइस टू मीट यू, मरी एंड गेल!” मैंने उनसे हाथ मिलाते हुए कहा, “आई ऍम अमर, एंड शी इस माय लवली वाइफ, डेवी!”

“अमर, डेवी!” गेल ने हमसे हाथ मिलाते हुए हमारा अभिवादन किया।

व्हाई डोंट यू ज्वाइन अस फॉर टी?” डेवी ने उन दोनों को निमंत्रण दिया।

व्हाई थैंक यू!” मरी ने अपने सीने पर हाथ रखते हुए इस निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया।

जब दोनों हमारे साथ बैठ गए, तो गेल पहली बार पूरे वाक्य में बोला, “डिड यू लाइक योर स्टे इन पोर्ट ब्लेयर सो फार?”

ओह, वी फाउंड इट टू बी अमेजिंग!” देवयानी ने कहा, “वी डिड नॉट सी अ मोर ब्यूटीफुल प्लेस इन इंडिया बिफोर!”

ग्रेट टू नो!” गेल ने कहा, “वी लिव इन फ्राँस... इन अ ब्यूटीफुल सिटी कॉल्ड नीस! एंड आई एग्री विद यू - अंडमान इस वे मोर ब्यूटीफुल! ग्रेट प्लेस फॉर हनीमून!”

सो हाऊ लॉन्ग हैव यू बीन इन हियर?” मैंने पूछा।

डू यू मीन इन अंडमान, ऑर इन इंडिया?”

“ओह! आई मीन बोथ!”

“ओह! वी आल्सो केम हियर फॉर आवर हनीमून - आई मीन, काइंड ऑफ़! वी लैंडेड इन डेल्ही एंड टुक अ फ्लाइट टू पोर्ट ब्लेयर! सो, वी हैव बीन हियर फॉर अबाउट अ वीक नाउ!” मरी बोली, “फ्रॉम हियर, वी आर गोईंग टू हैवलॉक आइलैंड! आई हैव हर्ड दैट हैवलॉक इस इवन मोर ब्यूटीफुल!”

“ओह?”

यस!” मरी ने उत्साह में आते हुए कहा, “वी विल लीव टुमारो... अर्ली मॉर्निंग!”

नाइस!”

हमने उन दोनों के लिए भी चाय और पकौड़े आर्डर किए। खाते पीते उन्होंने बताया कि वो फ़्रांस से हैं, नीस नामक शहर में रहते हैं। गेल की उम्र चौंतीस साल है, और मरी की तैंतीस साल! दोनों इन्वेस्टमेंट बैंकर थे, और बहुत ही व्यस्त रहते थे। एक बेहद लम्बे अर्से के बाद दोनों ने कोई लम्बी छुट्टी ली थी - वो दोनों कोई तीन महीने की छुट्टी पर थे। ठीक भी है - अगर बिना छुट्टी काम करते हुए कोई एक दशक बीत जाय, तो तीन महीने की छुट्टी की क्या बिसात है? उनको लगा कि भारत में उस छुट्टी का आनंद उठाया जाए! बढ़िया बात है - हमारे देश में उस समय पर्यटन सस्ता था, और हम विकास की ओर नए नए अग्रसर हो रहे थे। भारतीय बाज़ार खुले हुए बस पाँच छः साल ही हुए थे। उन्होंने ही बताया कि उनको अंडमान बहुत ही बढ़िया जगह लगी, और उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चूंकि हम दोनों हनीमून पर थे, अंडमान हमारे लिए एक बेहतरीन अनुभव होने वाला था!

फिर बातों ही बातों में बात इस बात पर आ गई कि क्यों न हम भी हैवलॉक चलें? हम हनीमून पर आए हुए थे, और हैवलॉक में बहुत ही अधिक एकांत था। वहाँ कोई अधिक लोग जाते भी नहीं थे, और अभी भी बहुत ही बेसिक सी जगह थी वो! हाँ, खाने पीने को मिल जाता है। हमने जब पूछा कि उनको इतना कैसे मालूम है, तो उन्होंने बताया कि उनके दोस्त यहाँ हाल ही में आए थे।

अच्छी बात थी - हमने उनसे कहा कि हम इस बारे में सोचेंगे, और अगर बात बनती है, तो हम अवश्य ही आएँगे। शाम को हमने अपने अपने घरों में कॉल किया कि हम दोनों बढ़िया से हैं, और अपनी शादी-शुदा ज़िन्दगी का भरपूर आनंद ले रहे हैं। देवयानी के डैडी से बात कर के हमने हैवलॉक जाने का आईडिया डिसकस किया। उन्होंने भी बताया कि उन्होंने भी सुना है वहाँ के बारे में। और हम अवश्य वहां जाएँ! न जाने फिर से वहां जाने ला अवसर कब मिले! एक बार बच्चे हो जाते हैं, फिर घूमने फिरने के मौके तलाशने पड़ते हैं। हमने शाम को ही अपने होटल वाले को बोला कि हम सवेरे हैवलॉक जाएँगे। ऐसे अचानक से होटल छोड़ने से वो दुःखी नहीं हुआ - बल्कि उसने हमारी हैवलॉक यात्रा के लिए जो भी संभव था, वो सब किया।

तो अगली सुबह हैवलॉक द्वीप की ओर चल पड़े!

हैवलॉक द्वीप पोर्ट ब्लेयर से कोई चालीस किलोमीटर दूर होगा, लेकिन पानी में जाने के कारण समय बहुत लग जाता है। आज कल इस द्वीप का नाम स्वराज रख दिया गया है, लेकिन असल में इसका नाम हैवलॉक पड़ा था एक अंग्रेज़ जनरल हेनरी हैवलॉक के कारण! हैवलॉक ने आज़ादी के पहले संग्राम में स्वतंत्रता सेनानियों को हारने, और कानपुर पर फिर से अंग्रेज़ों का कब्ज़ा जमाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उसकी मृत्यु उसी युद्ध के दौरान पेचिश से हुई - सोचिए! खैर, उसके परिवार को अंग्रेज़ी हुकूमत की तरफ़ से एक हज़ार पॉउंड का पेंशन दिया गया - जो आज के कोई सवा सौ हज़ार पॉउंड के बराबर है! मतलब एक बहुत ही बड़ी रकम! अगर आप लखनऊ जाएँ, तो आलमबाग में उसकी कब्र आज भी मौज़ूद है! खैर, ये तो हुआ थोड़ा इतिहास!

हैवलॉक द्वीप कोई 150 वर्ग किलोमीटर के आकार का छोटा सा द्वीप है। वहाँ जाने का एकमात्र साधन एक सरकारी नौका थी। आज कल निजी कम्पनियाँ भी नौकाएँ चलाती हैं, लेकिन तब केवल सरकारी नौका चलती थी। वो नौका ‘भारतीय मानक समय’ मतलब, इंडियन स्टैण्डर्ड टाइम पर चलती थीं - कहने का मतलब ये है कि उनके चलने का एक नियत समय तो था, लेकिन वो अपने नियत समय पर शायद ही कभी चलती थीं! हमेशा लेट! तो अगर किसी को पोर्ट ब्लेयर से हैवलॉक जाने की जल्दी हो, तो वो अपने अनुभव से अवश्य ही निराश हो सकता था! लेकिन, चूँकि हम वहाँ अपने वेकेशन पर गए थे, इसलिए ऐसी देरी से हमको कोई दिक्कत नहीं थी।

सप्ताह के बीच का दिन था, इसलिए अधिक सवारियाँ नहीं चढ़ी थीं। फिर भी नौका बड़ी देर से निकली। चलते समय हमने कुछ पकौड़े पैक करवा लिए थे - और अच्छा किया कि हमने वो काम किया। नहीं तो भूख से बिलबिला जाते हैवलॉक जाते जाते! पोर्ट ब्लेयर से हैवलॉक जाना बड़ा सुखद अनुभव था। धीरे धीरे चलती नौका, गहरा नीला-फ़िरोज़ी समुद्र, हलकी हलकी लहरें, नीला आसमान! क्या आनंद! सबसे अच्छी बात यह कि गेल और मरी, दोनों ही मज़ेदार लोग थे। पूरा समय वो हमको अपने जीवन की कोई न कोई रोचक कहानी सुनाते रहे। एक अलग देश के बारे में जानना वैसे भी मुझे हमेशा से पसंद था। उसी जिज्ञासा के कारण मुझे गैबी मिली थी!

गेल ने बताया कि उनकी शादी को कोई बारह साल हो गए थे। इस दौरान वो दोनों अपने काम और पैसे कमाने के चक्कर में लगे हुए थे। लेकिन अब उनको अपनी एक संतान करने का मन था। पिछले दो साल से वो अपना बच्चा पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन न जाने क्यों वो मुश्किल हो रहा था। बहुत कोशिश के बाद भी मरी गर्भधारण नहीं कर पा रही थी। उनका मानना था कि अगर वो अपने संसार के सारे झंझट और जंजाल एक तरफ़ रख कर, कुछ दिन आराम से, किसी शानदार छुट्टी में बिताएँ, और बढ़िया खाना खाएँ और किसी सुन्दर जगह में रहें, तो संभव है कि मरी प्रेग्नेंट हो जाए। हो भी सकता है - हम जानते हैं कि तनाव भरे जीवन में गर्भ-धारण करना कठिन होता है। यदि स्त्री और पुरुष दोनों प्रसन्न हो, स्वस्थ हो, तो चालीस, पैंतालीस की उम्र में भी प्राकृतिक रूप से गर्भ-धारण करना संभव है। उन्होंने जब हमसे हमारे बच्चों के प्लान के बारे में पूछा, तो देवयानी ने तुरंत कह दिया कि वो तो चाहती है कि वो हनीमून के दौरान ही प्रेग्नेंट हो जाए! मुझे इस बात से कोई परेशानी नहीं थी - मुझको बच्चे पसंद थे और हैं! माँ और डैड भी चाहते थे कि हमारा परिवार आगे बढ़े। इसलिए देवयानी की जल्दबाज़ी हास्यास्पद सही, लेकिन मुझे पूरी तरह स्वीकार्य थी!

पोर्ट ब्लेयर की तुलना में हैवलॉक की जनसंख्या और भी कम थी - मतलब बहुत ही कम! शायद कोई पाँच हज़ार के आस पास! देश में इतनी कम जनसँख्या छोटे गाँवों में ही देखने को मिलती है। स्थानीय लोगों के अतिरिक्त, अधिकांश लोग देशी और विदेशी पर्यटक, बैकपैकर, और हनीमून करने वाले लोग होते थे वहाँ। एक बात बड़ी दिलचस्प थी - देसी लोगों के मुकाबले, विदेशी लोगों को अंडमान के बारे में अधिक पता था, और उन्ही पर्यटकों में वो बहुत प्रसिद्ध भी था। भारतीय पर्यटकों को अपने ही देश के हिस्से के बारे में बहुत कम मालूम था! हम दोनों को भी वही मालूम चल रहा था जो गेल और मरी बता रहे थे।

उन्होंने ही बताया कि उन्होंने एक सुन्दर से झोपड़े में रहने का प्लान किया है। आज कल ये एक तरह का चलन है, लेकिन उस समय हैवलॉक में बहुत ही कम ऑप्शन उपलब्ध थे। उन्होंने ही बताया कि वो बेसिक सा इंतजाम है, लेकिन समुद्र के किनारे है और ऊपर से वहाँ बड़ी शांति है। और सस्ता भी! तो हमने भी वहीं रुकने की सोची! जब हम रास्ते में एक खटारा बस से अपने ‘रिसोर्ट’ के पास उतरे, तो पाया कि एक बहुत ही सुन्दर बीच के बगल, फूस की, विशाल झोपड़ियाँ बनी हुई थीं! हर झोपड़ी बहुत बेसिक सी थी - उनमें एयर कंडीशनिंग नहीं थी - सीलिंग पंखे भी नहीं थे। हाँ, टेबल/पैडस्टल पंखे थे! बल्ब भी थे। लेकिन बिजली का इंतजाम कोई ठीक नहीं था। हवा में समुद्री नमी साफ़ महसूस हो रही थी, और उसके कारण शरीर में पसीना भी बन रहा था। लेकिन क्या सुन्दर और स्वच्छ जगह थी वो! झोपड़ियों के बगल से ही लगभग सफ़ेद रेत और पारदर्शी समुद्री पानी! असंभव दृश्य! इतना पारदर्शी कि आप किनारे पर खड़े होकर पानी में मछलियों को तैरते हुए देख सकते थे।

यह ‘रिसॉर्ट’ एक स्थानीय व्यक्ति का था। वो वहीं पास ही में रहता था। काम करने के लिए उसने कुछ निकोबारी लोगों को नियुक्त किया हुआ था - उनको अपनी भाषा और बंगाली भाषा आती थी। हिंदी और अंग्रेजी में उनका हाथ तंग था, लेकिन काम चल जाता था। हैवलॉक में उन दिनों बिजली का विश्वसनीय इंतजाम नहीं था। कुछ स्थानों पर डीजल जनरेटर लगे हुए थे, लेकिन वो भी उनका बहुत कम ही इस्तेमाल करते थे। तो, हमारी दिन की सारी गतिविधियाँ - सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक - सूर्य की चाल से ही जुड़ी हुई थीं। वहाँ खाना भी मामूली था, लेकिन बहुत स्वादिष्ट था! मछली या समुद्री खाना खाने वालों के लिए तो समझिए स्वर्ग था। लेकिन ऐसा नहीं है कि मेरे खाने के लिए कुछ भी नहीं था। मुझको भी स्वादिष्ट सब्ज़ियाँ, दाल, चावल, दही, पनीर इत्यादि उपलब्ध था!

कुल मिलाकर उस झोपड़ी के रिसॉर्ट में रहने का हमारा अनुभव अनोखा, और शानदार था। रिज़ॉर्ट के आसपास का क्षेत्र एक हरा-भरा जंगल था, और जिसमें आप स्थानीय वन्यजीवन आसानी से देख सकते थे। हर्मिट केकड़े, अंडमान गेक्को, अनेक प्रकार की तितलियाँ, और विभिन्न प्रकार के पक्षी - जिनमें गोल्डन ओरियोल, किंगफिशर, वुडपेकर, अंडमान सरपेंट ईगल शामिल हैं! और तो और, एक हरे रंग का साँप भी देखा हमने। हैवलॉक के समुद्र तट और बीच ज्यादातर खाली ही थे! खुद के लिए एकांत खोजना बहुत ही आसान था। समुद्र तट अनछुए थे, उनकी रेत सफेद और साफ थी, और पानी थोड़ा गर्म और स्वच्छ था। यह हमारी रोमांटिक कल्पनाओं का एक दृश्य था... ये था हमारा स्वर्ग!

पहले ही दिन देवयानी और मैंने निश्चित किया कि हम अपनी बाकी का हनीमून यहीं हैवलॉक द्वीप में ही बिताएंगे!
 
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