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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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आत्मनिर्भर - नए अनुभव - Update 3


स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद, मेरा वयस्क जीवन बहुत अच्छी तरह से शुरू हुआ। इंजीनियरिंग कॉलेज में ऑन-कैंपस प्लेसमेंट की व्यवस्था थी। वहाँ से मुझे एक बहुत बढ़िया नौकरी मिल गई थी। जब मैंने अपनी पहली नौकरी शुरू की, तब मेरा खुद का 2-बेडरूम वाला घर था, जो मेरी कंपनी ने ही मुझे पैकेज में किया था। वो घर था भी शहर के बिलकुल प्राइम लोकेशन में। अब अगर सामाजिक परिभाषाओं के हिसाब से देखा जाए, तो मैं अब विवाह योग्य उम्र का, अच्छी तरह से स्थापित, एक कमाऊ आदमी था। एक तरह से मेरे जीवन की शुरुवात बस अभी अभी ही हुई थी। हालाँकि, तब उस उम्र में बहुत सारे भारतीय युवकों की शादी कर दी जाती थी, लेकिन इसके विपरीत, मेरे माता-पिता मेरे लिए रिश्ता ढूंढने नहीं निकल गए। उनका कहना था कि मेरी सोच, मेरा रहन सहन, मेरा व्यक्तित्व अब उनसे इतना अलग हो गया है, कि अपने जीवन साथी के लिए केवल मुझे ही फैसला लेना चाहिए। मुझे चाहिए कि मैं अपने समय पर, और अपनी पसंद के अनुसार अपने लिए एक उपयुक्त लड़की पसंद कर के उससे शादी कर लूँ। रचना वाला चैप्टर तो बंद हो चुका था। मेरे माता-पिता, एक मामूली और विनम्र पृष्ठभूमि से आने के बावजूद, बहुत उदार प्रवृत्ति वाले थे, और उनका कहना था कि माता-पिता द्वारा विवाह ढूँढना एक पुरानी, औचित्यहीन प्रणाली है, जहां माता-पिता अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए कुछ भी करते हैं, और कैसे भी हथकण्डे अपनाते हैं अपने बच्चों पर अपनी दादागिरी करने के लिए! इस व्यवस्था, इस प्रणाली को समाप्त किया जाना चाहिए। जब बच्चे वयस्क हो जाएँ और उनको इतनी भी समझ न हो कि उनका जीवनसाथी कैसा हो, या कि उनमे अपना जीवनसाथी तलाश करने का कौशल न हो, तो उनका वयस्क होना ही व्यर्थ है।

मुझ पर माँ और डैड के विश्वास, एक आशाजनक कैरियर, और एक बढ़िया परेशेवर शुरुआत होने के मिले जुले कारणों के प्रभाव से मुझे अपना आत्मविश्वास और भी अधिक बढ़ाने में मदद मिली और इसने मेरे जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को बदल दिया। इस तरह से मेरे आने वाले जीवन का मार्ग प्रशस्त हुआ। आप लोग मेरा विश्वास करें, हाँलाकि मैंने अपने जीवन की योजना इस तरह से नहीं बनाई थी, जैसी दिशा उसकी निकली। मेरी सोच बहुत ही साधारण सी थी - काम तो अच्छा मिला ही हुआ था; अब मैं बस यह चाहता था कि मेरी एक अच्छी सी प्रेमिका हो, जो आगे चल कर मेरी पत्नी भी बने।

लेकिन जीवन में इतने मोड़ आते हैं, कि एक आदमी कभी अनुमान नहीं लगा सकता कि उसके जीवन का प्रवाह किस तरफ़ होगा!

चूंकि मैं अभी कुँवारा था, इसलिए मेरे लिए इतने बड़े घर का प्रबंधन अकेले करना और सबसे महत्वपूर्ण बात, खाना बनाना लगभग असंभव था! मुझे खाना पकाने का बहुत ही बुनियादी ज्ञान था - जैसे कि मैं चाय और सैंडविच बना सकता था। बस। लेकिन इतने से ही तो गुजर बसर नहीं हो सकती न! इसलिए, मैंने घर और बर्तन साफ करने, और खाना पकाने के लिए एक काम-वाली को रखा। उसका नाम काजल था। काजल मुझे मिली पूरे संयोग से - मैंने अपनी कॉलोनी के सुरक्षा गार्डों से पूछा कि क्या वे किसी विश्वसनीय काम-वाली को जानते हैं, अगर हाँ, तो मुझसे मिलवा दें, क्योंकि मुझे आवश्यकता थी। उन्होंने काजल से कहा कि मैं एक काम-वाली की तलाश में हूं। वो मुझसे आ कर मिली। बस एक दो ही सवाल हुए - जैसे कि कितना वेतन लेंगी, रोटियाँ पतली होनी चाहिए या मोटी, कम मसाला या अधिक!

काजल बहुत ही कुशल, ईमानदार और व्यवहार-कुशल महिला थी। जब वह मेरे लिए काम करने आई तो वह शादीशुदा थी और दो बच्चों की माँ थी। उस समय उसका बेटा, सुनील, लगभग तेरह साल का था, और उसकी बेटी, लतिका, सिर्फ एक साल की थी! अपने परिवार की सीमित आय, और परिवार में हुए हालिया संतान के लालन पालन के लिए काजल को औरों के घर जा कर काम करने के लिए विवश होना पड़ा। काजल के काम ने उन्हें फिट रखा हुआ था। हाँलाकि, यह भी हो सकता है कि शारीरिक रूप से कठिन कार्य के लिए, उनको आवश्यकता अनुरूप सही भोजन भी मिल रहा था या नहीं। मुझे काजल की उम्र का ठीक ठीक पता नहीं था, लेकिन मैंने अनुमान लगाया कि जब उन्होंने मेरे लिए काम करना शुरू किया तो वो तीस से बत्तीस साल की थीं। काजल का चेहरा सलोना सा और आकर्षक था, रंग सांवला, और उनकी देहयष्टि सुगढ़, अच्छी, और आकर्षक थी। अपनी उम्र की अन्य - दो बच्चों की माँ बन गई - महिलाओं के जैसे वो भारी भरकम नहीं थीं। वो दुबली-पतली लग रही थीं और उनकी ऊँचाई के अनुसार उनके स्तन और उनके कूल्हे सुन्दर अनुपात में थे। कहने की जरूरत नहीं है कि मैं काजल की तरफ आकर्षित होने लगा।

लेकिन ख़राब किस्मत! काजल एक ख़ानदानी और गर्वित महिला थीं - ख़राब किस्मत के मारे वो एक लम्पट से ब्याह दी गई थीं। लेकिन उसमें आत्मसम्मान कूट कूट कर भरा हुआ था। वो समझदार थीं और बहुत ईमानदार थीं। मैं अपने रुपए पैसे बड़ी लापरवाही से रखता था। अक्सर मेरे सौ / पचास के नोट उड़ कर ज़मीन पर गिर जाते थे। लेकिन वो उनको वापस सम्हाल कर उनको टेबल या अलमारी में रख देती थीं। बिलकुल भी लालच नहीं था काजल में! शुरू शुरू में मैंने सोचा था कि किसी दिन मैं उसको सेक्स के लिए पटाने का साहस जुटाऊंगा [कॉलेज में मैंने कई सस्ती अश्लील सामग्री पढ़ी थी, जिसमें अक्सर यह दिखाते हैं कि नौकरानियों को सेक्स के लिए लुभाना बहुत आसान होता है... आश्चर्य नहीं, कि उनसे कुछ प्रेरणा मिली हो] - लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ने लगा, मुझे समझ आ गया कि यह असंभव है! काजल एक मजबूत चरित्र वाली महिला थीं, और इस तरह की महिलाओं में एक सम्मानजनक आभा होती है। वैसे भी मैं समस्त स्त्री जाति का बहुत सम्मान करता हूँ, इसलिए, मैंने कभी भी इस तरह के अश्लील कार्य को करने की ज़ुर्रत नहीं की। एक छोटी सी भी गलती से मेरे लिए उनके अंदर जो भी सम्मान की भावना थी, उसके खोए जाने का खतरा था। तो भाई, जैसा कि एक कहावत है - ‘अपना हाथ, जगन्नाथ’, तो मैं हर रात ख़ुद को की आनंद पहुँचा देता और खुश रहता।

एक दिन जब काजल काम पर आई, तो वह बहुत परेशान और उदास थी। आमतौर पर, मैं हमेशा उनसे एक गरिमापूर्ण दूरी बनाए रखता था, और उनके साथ केवल ‘नाश्ते/डिनर में क्या बनेगा’ जैसी ही साधारण बातें ही करता था। लेकिन उस दिन कुछ अलग सा था। उनकी उदासी मुझसे देखी नहीं गई; मैंने उनसे पूछा कि क्या हुआ? वो क्यों परेशान हैं? काजल ने बताया कि वो सुनील की पढ़ाई को ले कर बहुत परेशान हैं। हर बच्चे के जीवन में हाई-स्कूल एक ज़रूरी पड़ाव होता है। वहां से समझिए जीवन की दिशा निर्धारित हो जाती है। सुनील को किसी भी ढंग के स्कूल में प्रवेश नहीं मिल रहा था। अगर अच्छा स्कूल नहीं मिला, तो अच्छी पढ़ाई नहीं होगी; अच्छी पढ़ाई नहीं होगी, तो भविष्य का सर्वनाश निश्चित है! यही उनकी चिंता का कारण था। उन्होंने बताया कि सुनील को ले कर उन्होंने कई स्कूलों में कोशिश की थी, लेकिन उनकी सामाजिक स्थिति और गरीबी के कारण सारा प्रयास व्यर्थ साबित हो रहा था। कोई भी अच्छा स्कूल ऐसी पृष्ठभूमि वाला बच्चा नहीं चाहता था। यह वो समय था जब आर-टी-आई जैसी सरकारी नीतियाँ लागू नहीं थीं, और व्यवहार में नहीं थीं।

काजल की बात से मैं भी परेशान हो गया। सभ्य समाज में बच्चों के साथ इस तरह का भेदभाव बेहद अशोभनीय है। कोई भी बच्चा बिना अच्छी शिक्षा के नहीं रहना चाहिए। यह तो समझिये उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है! मैंने सुनील को एक दो बार देखा था, और मैं समझ रहा था कि वह एक होनहार बच्चा है। यदि प्रारंभिक वर्षों में उसे अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती, तो उसका आशाजनक भविष्य व्यर्थ हो जाएगा। मैंने काजल को आश्वासन दिया कि मेरे लिए जो भी संभव होगा, मैं सब करूंगा, और उनकी मदद करने की कोशिश करूंगा।
 

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आत्मनिर्भर - नए अनुभव - Update 4


अगले दिन, मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी के लिए आवेदन किया और काजल और सुनील अपनी कॉलोनी को पास के ही एक कॉन्वेंट स्कूल में ले गया। उस स्कूल की प्रिंसिपल के सामने एक भावुक भाषण दिया। प्रिंसिपल एक दयालु महिला थीं और उन्होंने मेरे मामले को बड़े धैर्य के साथ सुना। वो सुनील को ले कर मेरी भावनाओं से बहुत प्रभावित थीं और वह जानना चाहती थीं कि काजल और उसके बेटे के साथ मेरा क्या रिश्ता है। जब उन्होंने सुना कि मैं उनका रिश्तेदार नहीं था, उन्होंने पूछा कि बच्चे के पिता क्यों नहीं आए। मैंने कोई बहाना बना दिया कि काजल के पति अपनी नौकरी के कारण आज नहीं आ सके। लेकिन मैंने उनको विश्वास दिलाया कि मैं एक जिम्मेदार नागरिक हूँ, और स्कूल के बाद सुनील की शैक्षिक आवश्यकताओं को मैं पूरा कर सकता हूँ। मैंने प्रिंसिपल महोदया को अपनी शिक्षा और कार्य के बारे में बताया और उनको आश्वासन दिया कि सुनील जैसे होनहार छात्र के लिए प्रतिदिन एक दो घण्टे का मार्गदर्शन पर्याप्त है। बहुत समझाने के बाद, आखिरकार, प्रिंसिपल महोदया सुनील को अपने स्कूल में प्रवेश देने के लिए तैयार हो गईं, और वो भी निःशुल्क! लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि ट्यूशन के अतिरिक्त अन्य खर्चे माता-पिता द्वारा वहन किए जाने चाहिए। हम इस बात पर खुशी-खुशी राजी हो गए।

इस घटना के बाद काजल बहुत खुश हुई...! उनका मेरे प्रति औपचारिक रवैया पूरी तरह से बदल गया। वो अब मुझसे खुल कर बातें करने लगी; मेरी ज़्यादा देखभाल करने लगीं। और तो और, अब वो मुझे अपने जीवन के बारे में कई सारी बातें बताने लगीं। वो अब मेरे घर का अतिरिक्त ख्याल रखने लगी : मैंने अब उनको अपने घर की चाबियाँ दे दी थीं। भरोसेमंद महिला तो वो हमेशा से ही थीं। अब वो जब इच्छा होती, घर आ सकती थीं। सुनील भी जब मन करे, यहाँ आ कर अपनी पढ़ाई लिखाई कर सकता था। तो, एक तरह से वह उस शहर में मेरी ‘मैट्रन’ और अभिभावक बन गईं। मेरा सप्ताहांत अक्सर फ्री हुआ करता था, इसलिए मैं सप्ताहांत के कुछ घंटे सुनील के साथ उसकी पढ़ाई में लगाता था। जैसा कि मैंने ठीक ही सोचा था - सुनील एक होनहार, मेहनती और मेधावी छात्र था। सबसे बड़ी बात, उसको मालूम था कि उसकी माँ उसकी पढ़ाई को ले कर कैसे कैसे पापड़ बेल रही थीं। वो उन सभी कठिनाइयों से अवगत था जो उसकी माँ उस को सिर्फ एक अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए झेलनी पड़ रही थी। इसलिए, वो पढ़ाई को ले कर बहुत गंभीर था और जल्दी ही पढ़ाई में बढ़िया प्रदर्शन करने लगा।

युवाकाल किसी भी मनुष्य के जीवन में बहुत कीमती समय होता है। अगर आप किसी बूढ़े व्यक्ति को पूछेंगे तो मुझे यकीन है कि वो कहेगा कि 20 की उम्र की जिस्मानी ताक़त और 40 के उम्र का ज्ञान वो हमेशा रखना चाहेगा। अपनी महिला के साथ प्रतिदिन पांच बार सम्भोग करने में सक्षम होना, और मिस्टर वॉरेन बफे के जैसा पैसे बनाने का ज्ञान होना किसी भी आदमी के लिए सर्वश्रेष्ठ कामोन्माद से कम नहीं है! क्षमा करें, मैं यहाँ कहानी के ट्रैक से बाहर चला गया। वापिस आते हैं। ऑफिस में लड़कियाँ कई सारी थीं, और कई मेरी दोस्त भी थीं, लेकिन या तो मैं उनकी तरफ आकर्षित नहीं हुआ, या फिर वो मेरी तरफ आकर्षित नहीं हुईं। सोचा था कि इतनी बढ़िया पढ़ाई करी, इतनी अच्छी नौकरी ली, लेकिन फिर भी सेक्स के मामले में टाँय टाँय फिस्स! इससे अच्छे तो बचपने में ही थे - कम से कम रचना जैसी सुन्दर लड़की का स्नेह तो मिल रहा था। मुझे लगने लगा था कि जब तक मेरी शादी नहीं हो जाती, तब तक इस मामले में मैं भाग्यशाली नहीं रहूँगा। जीवन में कुछ भी नया नहीं हो रहा था - सुबह से शाम रूटीन सेट था - घर से ऑफिस, ऑफिस से घर, घर से जिम, जिम से घर! और उस दिनचर्या में, मुझे कभी कोई ऐसी लड़की नहीं मिली जिसके साथ मैं होना चाहता था। कॉलोनी में भी अगर कोई लड़का अकेला रहता है, तो सभी उसको शक की नज़रों से ही देखते हैं। हद तो इस बात की थी कि इतने दिन बीत जाने पर भी पड़ोसी से जान पहचान भी नहीं हो सकीय। जान पहचान छोड़िए, उनका नाम भी न मालूम हुआ। लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा था, किस्मत कई तरह से अवसर प्रस्तुत करती है, और मेरा अवसर भी जल्दी ही आने वाला था।

काजल तब तक मेरे लिए लगभग तीन महीने काम कर चुकी थीं, और इतने समय में, हमारे बीच एक अच्छा व्यक्तिगत बंधन विकसित हो गया था। वो मेरा घर इस तरह सुचारु रूप से चला रही थीं, लगता था कि जैसे वो घर की मालकिन ही हों! उन्होंने मेरे दैनिक जीवन को इतनी कुशलता से प्रबंधित किया कि मैं अक्सर सोचता था कि उनके बिना मैं कैसे जी पाता! मेरा उनको वेतन देने का तरीका भी बहुत उल्टा पुल्टा था। मैं उनको पंद्रह पंद्रह दिनों पर वेतन देता था - कभी-कभी मैं उनको तय से अधिक वेतन दे देता, तो कभी कम! लेकिन मैं उनको जो भी देता, वो ले लेतीं। एक बार उन्होंने बताया कि मैं उनको अधिक वेतन ही देता हूँ। मैंने उनको कहा कि वो मेरे लिए काम भी तो अधिक करतीं हैं! जब से मैंने उनके बेटे की शिक्षा का ध्यान रखना शुरू किया था, तब से वो भी मेरे लिए जीवन को और आरामदायक बनाने के लिए अपनी तरफ से और कोशिश करने लगीं। वो अब अपनी मर्जी से सब्जियां, दूध और किराने के अन्य सामान खरीद लातीं। हमेशा तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बना कर खिलातीं। मुझे कभी कुछ कहने या पूछने की जरूरत नहीं पड़ती थी। मेरा जीवन अच्छा हो गया था। अब ये और अच्छा होने वाला था।

**

एक शाम, मुझे बहुत तेज बुखार हुआ। मेरे शरीर का तापमान 102 तक पहुँच गया। शरीर में इतना दर्द था कि वो रात नर्क हो गई। बुखार, बेचैनी और शरीर का दर्द - तीनों मिल कर मारे डाल रहे थे। मैं पूरी रात सो नहीं सका, और दर्द से कराहता रहा। लेकिन इतनी तकलीफ में मैं भी थक गया, और सुबह होते होते सो गया। काजल के पास मेरे घर की चाबियाँ थीं, इसलिए जब घंटी बजने पर मैंने अगली सुबह दरवाजा नहीं खोला, तो उन्होंने चाबी से खुद ही दरवाज़ा खोल दिया, और घर के अंदर आ गईं। उनको इस बात का कोई अंदेशा नहीं था कि मैं कमरे के अंदर हो सकता हूँ, क्योंकि आमतौर पर मैं उस समय दौड़ने जाता था। खैर, तो काजल अपने कामों में व्यस्त हो गई। लेकिन जब सफाई करने के लिए उन्होंने मेरे कमरे में प्रवेश किया, तो मुझे बिस्तर पर लेटा हुआ पाया। शायद उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई होगी, लेकिन जब मैंने उत्तर नहीं दिया, तो उन्होंने पाया होगा कि मेरा शरीर बुखार से जल रहा था। हालाँकि, मैं काजल को मुझसे बात करते हुए सुन पा रहा था, लेकिन नींद और थकावट के कारण उनको जवाब नहीं दे पा रहा था। मैं उस समय कुछ भी कहने या किसी भी तरह की बातचीत करने के लिए बहुत कमजोर महसूस कर रहा था। मुझे बाद में पता चला कि काजल मेरे लिए कुछ दवाएँ ले कर आई थी [यह एक कठिन और समय खपाऊ काम रहा होगा, क्योंकि मेरे घर के पास अधिकांश केमिस्ट सुबह नहीं खुलते थे, 24x7 फार्मेसी मेरे घर से बहुत दूर थी]।

काजल दवाई और कुछ हल्का नाश्ता और चाय लेकर वापस आईं - उन्होंने ही सहारा दे कर मुझे हल्का खाना खिलाया, क्योंकि मैं बैठने में भी कमजोरी महसूस कर रहा था। काजल ने खुद ही मुझे नाश्ता खिलाया, और फिर मुझे दवा खिला कर सोने की कोशिश करने के लिए कहा। ये दवाएँ नींद बढ़ाती है, इसलिए मैं जल्द ही सो गया। बीच बीच में मैं महसूस कर रहा था कि काजल का हाथ मेरे माथे को छू रहा है। खैर, दोपहर तक भी मेरा बुखार कम नहीं हुआ। जब मेरी आँख खुली, तो काजल को अब भी वहाँ देखकर मैं हैरान रह गया। शायद उन्होंने मेरी देखभाल करने के लिए मेरे साथ रहने का फैसला किया।

इस बार उनके पास एक थर्मामीटर था, जिससे उन्होंने मेरा तापमान लिया। फिर कोई 10 मिनट बाद वो एक बाल्टी में ठंडा पानी और एक छोटा तौलिया लेकर वापस कमरे में आईं। बहुत देर तक उन्होंने मेरे माथे पर ठन्डे पानी की पट्टियाँ रखीं, लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ, और बुखार ज्यों का त्यों रहा। अंत में थक कर आकजल ने जो किया, मैं दंग रह गया। काजल ने जो चादर मैंने ओढ़ी हुई थी, उसको हटा दिया। लेकिन गड़बड़ यह हो गई कि मैं अपनी कमर के नीचे नंगा था [एक छोटा सा विवरण - मुझे नंगा हो कर सोना पसंद है]। लेकिन जैसे इस बात से काजल को कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ा। इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाता वो मेरी टी-शर्ट उतारने लगी। मैं बहुत हैरान था, और अभी भी कुछ भी कहने के लिए बहुत कमजोर महसूस कर रहा था। एक महिला के सामने नंगा होने, बुखार और शरीर दर्द के संयुक्त प्रभाव से मैंने कोई विरोध नहीं किया। शुक्र है, मेरा लिंग बिलकुल मुरझाया हुआ सा पड़ा था, नहीं तो और शर्मिंदगी झेलनी पड़ जाती [यह भी संभव है कि इस मुरझाए हुए लिंग के कारण और शर्मिंदगी हुई हो]!

लेकिन लग रहा था कि काजल को मेरी नग्नता से कोई सरोकार नहीं था। किसी सिद्धहस्त नर्स की भाँति, उन्होंने मेरे पूरे शरीर को गीले तौलिये पोंछा। मैंने देखा कि उन्होंने मेरे लिंग और वृषण पर आवश्यकता से थोड़ा अधिक ही समय बिताया और उन्हें अपने हाथों में पकड़ कर महसूस भी किया। उन्होंने मेरे शिश्नग्रच्छद को पीछे खिसका कर मेरे शिश्नमुण्ड को भी ठीक से। जब पूरे शरीर को ठण्डक मिली, तो बुखार थोड़ा सा कम हुआ। इस सूखे स्नान के बाद काजल ने मुझे हल्का भोजन, जूस और बुखार कम करने की दवा दी। उन्होंने मुझे पहनने के लिए कोई कपड़े नहीं दिए, और बस मुझे फिर से एक नई चादर से ढक दिया।

शाम तक बुखार कम तो हुआ था, लेकिन बस केवल एक डेढ़ डिग्री! उस शाम काजल मेरे करीब ही रही। अपना काम पूरा करने के बाद वो मेरे पास आई और बैठ गई, फ़िर मेरा सर अपनी गोद में रखकर मेरे चेहरे को प्यार से धीरे धीरे सहलाने लगी। अपनी अधखुली आँखों से मैंने केवल उनके स्तनों को देखा जो उनकी साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे। उस मरी हुई हालत में भी न जाने कैसे मेरी आँखों में कामेच्छा की एक चमक आ गई। काजल मुझे शुरू से ही अच्छी लगती थी, इसलिए मैंने हमारी अंतरंगता की सम्भावना से कभी इंकार नहीं किया था। कहा जाता है कि किसी पुरुष के मष्तिष्क में चौबीसों घण्टे बस सेक्स वाले ही विचार आते हैं। चौबीसों घण्टे तो नहीं, लेकिन जैसे ही मौका मिलता है, हमको सेक्स वाले विचार आने लगते हैं। लेकिन आश्चर्य वाली बात यह है कि दर्द और बुखार की उस भयानक स्थिति में भी मैं सेक्स के बारे में सोच रहा था! मुझे सुन्दर स्तनों को देखे हुए काफी समय हो गया था, और इस समय मैं काजल के स्तनों को देखने के लिए मरा जा रहा था। मैंने जल्दी से एक योजना के बारे में सोचा।
 

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आत्मनिर्भर - नए अनुभव - Update 5


अपनी योजना पर तुरंत अमल करते हुए मैंने बेहोश होने का नाटक शुरू कर दिया, और काजल को ‘माँ’ कहकर पुकारना शुरू कर दिया - ऐसे कि जैसे मुझे लग रहा हो कि मेरी माँ मेरे पास हैं, काजल नहीं; और उनको मुझे अपना दूध पिलाने के लिए आग्रह करना शुरू कर दिया। मुझे यकीन है कि काजल को मेरा अनुरोध बहुत असामान्य लगा होगा - आखिरकार मैं एक वयस्क पुरुष था। माँ का साथ माँगा जा सकता है, लेकिन स्तनपान? थोड़ा अटपटा है, है न? लेकिन मेरी बेहोशी का नाटक काफी जेन्यूइन [स्वाभाविक] लग रहा था। उम्मीद है वो मेरे परोक्ष अभिप्राय को देख या समझ नहीं पा रही थी। आश्चर्य की बात नहीं, कि काजल ने शुरू शुरू में मेरी दलीलों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की। लेकिन मैंने हार नहीं मानी - दर्द भरी कराह से रह रह कर स्तनपान कराने की गुहार ने काजल की ममता को आखिरकार झिंझोड़ ही दिया। एक आध बार तो मैंने उनके स्तनों को छूने के लिए अपना हाथ भी बढ़ाया - ओह! इतने समय बाद एक स्त्री के स्तनों का स्पर्श! उस एक स्पर्श से ही मेरी तबियत ठीक होती सी महसूस होने लगी - क्या पता काम ज्वर रहा हो मुझे! मेरी दयनीय से और दयनीय होती जा रही स्थिति ने काजल की आत्मरक्षा की दीवार को ढहा दिया - ममता और स्नेह, संकोच पर भारी पड़ने लगे। मुझे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कष्ट से निज़ात दिलाने के काजल ने मन ही मन मुझे स्तनपान कराने के लिए निश्चित कर ही लिया। सभी महिलाओं में उपस्थित मातृत्व की भावना को कोटि कोटि धन्यवाद! संभव है कि काजल ने यह भी सोचा हो कि वो अभी मुझे थोड़ी शांति दे देगी, और संभव है कि जब मुझे होश आएगा तो मुझे यह घटना याद भी नहीं रहेगी। कुछ भी कारण रहा हो, लेकिन कोई पांच मिनट तक चली मेरी आग्रहपूर्ण दलीलों पर वो मान गई, और अपने ब्लाउज के बटनों को खोलने लगी। उस समय भी मैंने आग्रह करना छोड़ा नहीं - नाटक में कोई भी ढील देना भारी पड़ सकता था। फिर उन्होंने अपनी ब्रा को भी खोल दिया, और फिर अपने सुंदर सुन्दर, अमृत भरे स्तनों को मुक्त करने के लिए ब्लाउज और ब्रा अपने शरीर से पूरी तरह हटा दिया।

काजल के स्तन प्रकृति का चमत्कार थे! मेरा भाग्य भी इतना अच्छा था - अब तक चार स्तनों से स्तनपान करने का सुखद अनुभव मिला था, और चारों के चारों अभूतपूर्व स्तन मिले! मैं काजल की गोद में लेटा हुआ था और वहाँ से उसके स्तन बहुत प्रभावशाली लग रहे थे - काजल का शरीर साँवले रंग का था, तो उनके स्तन भी वैसे ही थे। उसके चूचक चॉकलेटी भूरे रंग के थे और उसके स्तनों के गोलों के शीर्ष पर तने हुए बैठे थे। मुझे मालूम था कि इनमे दूध भरा हुआ था। उनको देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे वे स्तनपान कराने के लिए ही बने हुए हों। उसके स्तनों में ढीलापन बिलकुल भी नहीं था। जो लोग यह दावा करते हैं कि स्तनपान कराने से स्तनों में ढीलापन आ जाता है, वो पूरे मूर्ख है। ऐसा कुछ भी नहीं होता। स्तनों का ढीलापन खान-पान, रहन-सहन, मोटापा, और अनुवांशिक गुणों के कारण होता है - स्तनपान कराने से नहीं।

“बस बस,” काजल ने मुझे दुलारते हुए कहा, “आ रहा है दुद्धू!” और मुझे दूध पिलाने के लिए मेरे सर को अपने हाथों से सहारा दिया।

“उम्म्म?” मैंने बेहोशी का नाटक अभी भी जारी रखा।

“दुद्धू आ गया! मुँह खोलो?”

मुँह खोलने से पहले मैंने आँखें खोलीं। मैंने उनींदे रहने का नाटक किया और कुछ क्षण उसके स्तनों की सुंदरता को अपनी आँखों से पिया, फिर धीरे से अपना सर उठाया और और उसके एक चूचक को अपने मुंह में ले लिया। जैसे ही मैंने उसके चूचक को मुँह में ले कर चूसा, ऐसा लगा जैसे उसको मेरे ही मुँह में होना चाहिए था। बढ़िया फिटिंग! मैंने उसके निप्पल को थोड़ा और बल-पूर्वक चूसा - मुझे ऐसा लगा कि उसने अपनी बेटी को दूध पिलाना कम कर दिया था। वैसे भी आज कल की नई नई माएँ अपने बच्चों को साल भर से पहले ही अपना दूध छुड़ा देती हैं। न जाने कैसी सोच है! मैंने थोड़ा और जोर से चूसा। आखिरकार उसका दूध निकलना शुरू हो गया। काजल के दूध का स्वाद मीठा था - चीनी जैसा मीठा मीठा नहीं, बल्कि एक मनभावन मिठास लिए हुए। काजल का दूध, पहाड़ी पर मिली ‘राजी’ महिला के दूध की तुलना में अधिक क्रीमयुक्त था - उसका दूध थोड़ा पनीला था। खान पान का असर दूध की गुणवत्ता पर तो पड़ता ही है। बड़े दिनों के बाद मैं स्तनपान कर रहा था, और यह अनुभव काजल के स्तनों को पीने के कारण और भी सुखद बना गया था। मैंने बड़ी फुर्सत से काजल का दूध पिया। दूध पीते पीते मैं उसके स्तनों को उँगलियों से सहला रहा था, और रह रह कर उन्हें दाँतों से हल्का-सा चबा भी ले रहा था, जिससे कारण काजल बीच बीच में चिहुँक जा रही थी। लेकिन फिर भी, उसने एक बार भी मेरे मुंह से अपने स्तन छुड़ाने की कोशिश नहीं की। जब उसका एक स्तन खाली हो गया, तब यही सब कुछ उसके दूसरे स्तन पर दोहराया।

दूसरे स्तन को पीते पीते मैं पूरी तरह से जाग चुका था और ‘बेहोशी’ वाला नाटक करना छोड़ चुका था। काजल ने भी इस बात पर गौर किया, लेकिन उसने कुछ भी ऐसा न किया या कहा जिससे मुझे लगे कि उसको मेरी बदमाशी से बुरा लगा हो। जब दूसरा स्तन भी खाली हो गया, तब उसने धीरे से मेरे सर को तकिये पर रखने में मदद की, और प्यार से मेरे माथे को सहलाकर मुझे वापस सुलाया। इस अवधि के दौरान, उसके स्तन पूरी तरह से अनावृत थे। मैं पूरे समय बड़ी दिलचस्पी से उसके स्तनों को देखता रहा, लेकिन उसने कोई आपत्ति नहीं करी। जब उसको लगा कि आज के लिए बहुत अंग-प्रदर्शन हो गया, तब उसने धीरे से अपने स्तनों को अपनी ब्रा में बंद कर लिया और फिर ब्लाउज पहन लिया।

खाना पकाने के बाद वो कमरे में वापस आई, यह बताने कि वो जा रही थी, और मैं खाना खा लूँ।

“आज रात आप यहीं रुक जाओ न?” मैंने काजल से अनुरोध किया, “बुखार अभी भी है, और कमज़ोरी और दर्द भी।”

यह सत्य बात थी, और मेरा अनुरोध वैध था, क्योंकि बुखार कम नहीं हुआ था, और मुझे अभी भी देखभाल की आवश्यकता थी। काजल तुरंत मान गई। उसने अपने पति को टेलीफोन किया कि और बताया कि वो मेरी देखभाल करने के लिए मेरे घर पर ही रुक जाएगी। फिर उसने मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया। करीब एक घंटे बाद उसका पति घर आया, और दोनों बच्चों को मेरे घर पर छोड़ गया। उसने मेरा हाल चाल भी लिया - उसको देख कर साफ़ लग रहा था कि वो बहुत खुश था। क्या पता, आज रात उसका दारू पीने या वेश्यागमन का प्लान बन गया हो। ख़ैर, काजल के दोनों बच्चे मुझे अच्छे लगते थे। सुनील एक सुशील और खुशनुमा बच्चा था और कोई बदमाशी नहीं करता था। उसकी बेटी लतिका भी इतनी छोटी सी होने के बावजूद बहुत ही खुशमिजाज और चंचल बच्ची थी। वो कोई चीखने चिल्लाने वाली बच्ची नहीं थी। अपने खिलौनों में मस्त रहती थी। मेरे घर पर उसको और अच्छा लगता था क्योंकि यहाँ पर खेलने के लिए उसको बड़ी जगह मिल जाती थी। सुनील मेरी बीमारी के प्रति बहुत संजीदा था। मेरा मन बहलाने के लिए वो मेरे साथ कुछ देर तक लूडो खेला। इस बीच में काजल ने लतिका को खाना खिलाया, फिर सुनील और काजल ने खाना खाया।

जब रसोई के सब काम ख़तम हो गए, तब उसने मुझे सहारा दे कर बिस्तर से उठाया - मैं बड़ा था, तो सुनील भी मेरी मदद के लिए आ गया - और मुझे बाथरूम जाने में मदद करी। वापस आ कर मुझे मेरी दवाएँ दीं गईं। मैंने काजल से अनुरोध किया कि वो आज मेरे ही कमरे में सो जाए; संभव है कि मुझे रात में किसी चीज़ की आवश्यकता हो। काजल को इस बात से कोई विरोध नहीं था। दरअसल वो खुद भी मेरे कमरे में ही सोने का प्लान कर रही थी। अब तक रात के 10 बज रहे थे, इसलिए उसने अपना बिस्तर तैयार करना शुरू कर दिया। उसने फर्श पर ही एक चटाई बिछाई, फिर उस पर एक गद्दा डाला, और उसके ऊपर सूती चादर बिछा कर अपने बच्चों के साथ लेट गई। दवाई के असर से मुझे नींद आ जानी चाहिए थी। लेकिन दिन भर सोने के कारण मेरी नींद अभी दूर थी। और मन का शैतान जाग रहा था। काजल के स्तनों का स्वाद मेरे जेहन में ताजा था।

‘काजल ने मुझे दूध क्यों पिलाया?’

‘क्या यह महज संयोग था या काजल को भी मुझमे दिलचस्पी थी?’
 

avsji

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आत्मनिर्भर - नए अनुभव - Update 6


यह सब सवाल मेरे दिमाग में घूम रहे थे। महिलाओं में कभी-कभी मातृवृत्ति काफ़ी प्रबल हो जाती है, और उसके कारण वो ऐसे काम कर सकतीं हैं, जिनसे वो खुद भी आश्चर्यचकित हो जाएँ! आज शाम की घटना ऐसी ही एक घटना हो सकती थी। लेकिन इसका पक्का पता लगाना चाहिए, मैंने सोचा!

लगभग 15 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद,

“काजल?” मैंने उसको पुकारा; उसने कुछ नहीं कहा, “आप यहाँ बिस्तर पर आ जाओ?”

मुझे मालूम था कि मेरा अनुरोध एक खतरनाक, संभवतः निषिद्ध क्षेत्र में प्रवेश कर रहा था। लेकिन काजल उस अनुरोध के फ़लस्वरूप क्या करती है, वो हमारे सम्बन्ध को स्थायी रूप से बदल देगी। कुछ देर तक काजल ने कोई जवाब नहीं दिया।

“काजल?” मैंने फिर पुकारा।

मैं जानता था कि वो वह जाग रही है और कमरे के अंधेरे में मुझे देख रही है। उसकी आँखों की हल्की हल्की चमक दिख रही थी। न जाने उसने क्या सोचा। उसने अपने बगल लेटे हुए सुनील को, शायद देखने के लिए कि क्या वह पूरी तरह से सो रहा है या नहीं। फिर, वो अपने बिस्तर से उठी। मेरा दिल धमक गया। मतलब काजल के साथ बहुत कुछ हो सकता है! आगे उसने जो किया वह और भी अधिक उत्साहजनक था - उसने बिस्तर पर आने से पहले अपनी साड़ी उतार दी, फिर उसको तह कर के एक तरफ रखा और फिर मेरे बिस्तर में आ गई।

बिस्तर में आते ही उसने सबसे पहले मेरी ओढ़ी हुई चादर हटा दी, जिससे मैं एक बार फिर पूरी तरह से नंगा हो गया। इस बार मेरे लिंग में जीवन के कुछ लक्षण दिख रहे थे। फिर, मेरे बगल बैठ कर उसने अपनी ब्लाउज और ब्रा उतार दी। केवल पेटीकोट पहने वो मेरे बगल आ कर लेट गई। मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हो रहा था!

“अभी ठीक है?” उसने अपनी प्यारी सी मुस्कान के साथ पूछा।

“हाँ!”

मैंने कहा, और उसके दाहिने चूचक को अपने मुँह भर लिया, और साथ ही साथ उसके बाएँ स्तन को अपनी हथेली में ढँक लिया। मेरे इतना ही करने से काजल का शरीर काँपने लगा। इधर मेरा लिंग पूरी तरह से जीवित हो गया था और उत्तेजना के मारे झटके खा रहा था। काजल भी मेरी ही तरह कामोत्तेजित थी उस समय!

मैं काजल का दूध पीने लगा। हाँलाकि उनमे से दूध निकल रहा था , फिर भी उसने चूचक मेरे मुँह में सख्त हो गए थे। उत्तेजना की विवशता में काजल कमानी की तरह पीछे मुड़ गई - इससे उसके स्तनों का और भाग मेरे मुँह में आने लगा। मैंने यह भेंट सहर्ष स्वीकार करी और मजे में चूसना शुरू कर दिया। काजल की आह निकल गई। जल्दी जल्दी पीने से वह स्तन जल्दी खाली हो गया, तो मैंने दूसरा स्तन मुँह में ले लिया। काजल ने मुझे कस कर पकड़ रखा था और उसकी सांसें गहरी होती जा रही थीं। चूचकों से निकल कर एक मीठी झुनझुनी की तरंग उसके पूरे शरीर में तैर रही थी उसे मिल रही थी। उसकी साँसें फूल रही थीं।

तुमी ... तुम बहुत आह्ह ... बहुत ज़ोर से चूसते हो…” काजल की आवाज़ बदल गई थी - जैसे उस पर सम्मोहन हो गया हो,

“... जैसे मानो ... जैसे ... तुम बहुत बुरे हो।” उसने कह दिया। ये शिकायत थी, या बढ़ाई, कहना बहुत मुश्किल था।

मैंने तो इसको बढ़ाई ही माना, और अपने स्वाभाविक तरीके से उसके स्तनों के ज़रिए उसको सुखसुख देता रहा। मुझे उसके दूध का सुख मिल रहा था, सो अलग! काजल के गले से संतुष्टि की गुनगुनाहट निकल रही थी। मुझे अचानक ही उसका हाथ अपने लिंग पर महसूस हुआ। उसने बड़ी देर से अपना हाथ मेरे जघन क्षेत्र पर रखा हुआ था, लेकिन अब वो मेरे लिंग को मज़बूती से पकड़े हुए थी।

“आह्ह्ह्ह्ह्ह!” अचानक ही काजल ने अपनी खुशी का इजहार किया।

लेकिन अभी उसका स्तन खाली नहीं हुआ था, लिहाज़ा, मैंने चूसना जारी रखा। उधर, उसका हाथ धीरे-धीरे मेरे लिंग की पूरी तरह से नाप तौल ले रहा था - अपने स्पर्श से उसने मेरे लिंग की लंबाई, मोटाई, उसके कड़ेपन, उसकी गर्मी और वृषणों का आकार और उनका भार - हर बात की जानकारी ले ली। साथ ही साथ वो मुझे सहलाते हुए स्तनपान भी कराती रही। लेकिन उस रात हम और आगे नहीं बढ़े।

“संतुष्ट हुए?” उसने कहा जब मैंने उसका दूसरा चूचक छोड़ा, “पेट भरा?”

वो इस समय करवट में लेटी हुई थी, और मेरी तरफ़ मुखातिब थी। उसका सर उसके दाहिने हथेली पर टिका हुआ था, और उसका बायाँ हाथ अभी भी मेरे लिंग से खिलवाड़ कर रहा था।

“हाँ!” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, और फिर धीरे धीरे उसके स्तनों को सहलाया।

मैंने कुछ देर तक उसके स्तनों को सहलाया और फिर एक को अपने हाथ में भरकर थोड़ा उठा लिया।

“बहुत बड़े बड़े हैं, न?” उसने शिकायत वाले लहज़े में कहा। उसकी बात में कोई शर्म नहीं थी - हम दोनों पुराने दोस्तों के जैसे बात कर रहे थे। वो मेरे सामने खुद को प्रदर्शित कर रही थी, और हम दोनों ही इस बात को जानते थे।

“नहीं। बिल्कुल भी नहीं! परफेक्ट हैं - जोथाजाथो! खूब भालो!” मैंने अपनी टूटी फूटी बंगाली में कहा।

मेरी बात पर काजल हँसने लगी, “तुम झूठे हो ... और पागल भी,” उसने हंसते हुए कहा, लेकिन फिर भी उसने खुद को ढँकने की कोई कोशिश नहीं करी, “... मुझे अपने नाटक से फँसा लिया …” वो बोल रही थी, और साथ ही साथ मेरे लिंग को दबा और सहला भी रही थी, “मैं भी ऐसी पागल हूँ कि उस नाटक के फेर में पड़ गई …” उसने कहना जारी रखा।

“लाइट जला दूँ?” मैंने पूछा।

“क्यों?”

“तुमको देखना चाहता हूँ!”

“शाम को देखा तो था!” तब तक मुझे समझ आ गया कि काजल को मेरे द्वारा खुद को नंगा देके जाने पर कोई ऐतराज़ नहीं है।

“हाँ, लेकिन अभी ज्यादा दिख रहा है।”

“बदमाश हो तुम!” उसने प्यार से मुझे झिड़का, फिर बोली, “अभी नहीं! बाद में!”

“बाद में कब? बच्चे सो रहे हैं। यह मौका न जाने कब मिले!”

मैं मुस्कुराया। काजल मुस्कुराई। तो मैंने टेबल लैंप जला दिया। उस झीनी सी रौशनी में काजल बहुत सुन्दर सी, सेक्सी सी लग रही थी। मुझे ऐसे देखते देख कर वो शरमा गई।

“फिर से मुझे अपना दूध पिलाओगी, काजल?” मैंने बड़ी उम्मीद से पूछा।

“मैं तुम्हारे नाटक के चक्कर में एक बार पड़ चुकी हूँ न?”

मैंने उसकी इस बात को ‘हाँ’ के रूप में लिया, और इस के उत्साह में मेरा लिंग और भी सख्त हो गया।

“बदमाश नहीं, बहुत बदमाश!” कह कर काजल ने उसको थोड़ा और जोर से दबाया और सहलाया।

“पकड़े हुए हो, तो इसका दूध भी निकाल दो!” मैंने काजल से कहा, और तुरंत ही उसका हाथ मेरे लिंग के ऊपर नीचे फिसलने लगा।

उसने जो काम शुरू किया था उसे पूरा करने में अधिक समय नहीं लगा। मेरे अंदर दबाव पहले से ही बना हुआ था और जल्द ही मेरे लिंग ने मेरे मलाईदार वीर्य को बाहर निकालना शुरू कर दिया। यह कोई आइडियल स्खलन नहीं था। लेकिन चूँकि किसी और का हाथ कर रहा था इसलिए मज़ा अधिक आ रहा था। चरम आनंद पर पहुँच कर मेरा सर तकिए पर धँसा जा रहा था, और मैं अपने लिंग से निकलने वाले वीर्य की हर बूँद को अपने पेट और छाती पर गिरता देख रहा था।

“कुछ नहीं,” काजल जैसे मुझे दिलासा दे रही हो, “कुछ नहीं ... होने दो!”

काजल न तो रुकी और न ही मेरे लिंग को पूरी तरह निचोड़ लेने में कोई हिचक दिखाई। मैं अपने जीवन में इतना उत्साहित कभी नहीं था। हम दो मिनट तक बिस्तर पर ही पड़े रहे - उतने में मैंने अपनी साँस संयत करने की कोशिश की। तब काजल बिस्तर से उठी और एक छोटी तौलिया ले कर वापस बिस्तर पर आ गई। फिर उसने मुझे तसल्ली से पोंछ कर साफ़ किया। जब मैं पूरी तरह साफ़ हो गया तो उसने टेबल लैंप बुझाया, और वापस मेरे बगल आ कर बिस्तर में लेट गई। अब हमारे बीच कोई शर्म नहीं थी - कम से कम अंधेरे और एकांत में।

उसने कहा, “अच्छा है! बुखार वाला बिर्जो (वीर्य) था, निकल गया।” फिर मेरे माथे को छू कर कहा, “अब कैसा लग रहा है?”

शरीर अभी भी गर्म था, लेकिन उतना नहीं जितना पहले था। बुखार थोड़ा कम हो गया था।

“पहले से बेहतर।” मैंने उत्तर दिया।

“हम्म्म! तोमार नुनु खरा होय गेलोओटा भालो! अब जल्दी ही ठीक हो जाओगे। आओ, बुखार वापस आने से पहले, मैं तुम्हें सुला दूँ!”

यह कहकर वह करवट में हो कर मुझे थपकी दे कर सुलाने लगी। यह एक ऐसी मुद्रा थी जिसमें उसके स्तन मेरे मुंह के करीब थे। अब यह स्वाभाविक सी बात थी कि मैं फिर से उसके स्तन को अपने मुँह में ले लूँ। तो मैंने ले लिया और दूसरे स्तन को अपने हाथ में लेकर उसे सहलाने लगा।

ना! थामून!” वह लगभग चिल्लाई और अपना शरीर मुझसे खींच लिया। उसका चूचक मेरे मुँह से निकल गया।

“मुझे यह चाहिए! मुझे तुम्हारा दूध चाहिए।” मैंने छोटे बच्चों के जैसे ज़िद पकड़ ली, और मेरे हाथ में जो स्तन था, उसको सहलाना और दबाना जारी रखा।

“दूध ख़तम हो गया है!” उसने फुसफुसाया।

“आधी कटोरी दूध भी चलेगा!” मैंने बदमाशी से कहा।

“तुम बहुत बुरे हो।”

मैंने कोई जवाब नहीं दिया और फिर उसका स्तन पीने लगा।

“इतना बड़ा हो के कोई दूध पीता है?”

“क्यों? सुनील को नहीं पिलाती?”

उसने ‘न’ में सर हिलाया।

“पिलाया करो! माँ के दूध से नुनु मज़बूत बनता है!”

मेरी बात पर काजल हँसने लगी। मुझे तब तक नहीं पता था कि इतनी देर तक ब्रेस्ट स्टिमुलेशन [स्तनों की छेड़-छाड़ी] करने के कारण काजल अपने सेक्सुअल टिपिंग प्वाइंट पर पहुंच गई थी। इतनी देर तक मैंने उसके स्तनों को पिया था कि अब वो अपने कामोन्माद के चरम पर पहुँचने वाली थी। यह बात शायद उसको भी न पता रही हो - क्योंकि उसने भी कोई भी भाव प्रदर्शित नहीं किया। यह भी संभव है कि मुझे एक महिला की भावनाओं को पढ़ना न आता हो!

थोड़ी देर बाद, उसने धीरे से कहा, “तुमको मेरे स्तन पसंद हैं।” और उसने मुझे अपने गले लगा लिया।

उसकी आवाज अस्थिर थी और उसकी सांसें भारी हो रही थीं। अब मैंने महसूस किया कि काजल बहुत काँप रही है। काँपते काँपते उसका आलिंगन मज़बूत हो गया और उसकी गहरी गहरी आहें निकलने लगीं। उसको संयत होने में दो मिनट लगे। तब तक उसने मुझे अपने स्तनों को चूसने दिया, लेकिन उसने आखिरकार अपने स्तन को मेरे मुंह से अलग कर दिया।

“चलो.... अब बस! आज के लिए बहुत हो गया। अब सो जाओ। मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ। कल फिर से पिला दूँगीं!”

उसने प्यार से कहा और मेरे बिस्तर से उठ गई। वह अपने बेटे के बगल केवल पेटीकोट पहन कर सो गई।
 
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Chetan11

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आत्मनिर्भर - नए अनुभव - Update 5




“बस बस,” काजल ने मुझे दुलारते हुए कहा, “आ रहा है दुद्धू!” और मुझे दूध पिलाने के लिए मेरे सर को अपने हाथों से सहारा दिया।

“उम्म्म?” मैंने बेहोशी का नाटक अभी भी जारी रखा।

“दुद्धू आ गया! मुँह खोलो?”
Anand bhi aa Gaya iss update me. Way to go. Wait begins for next update.
 
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Superb update thaa bro ❤️👍
 
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adhbhut........... bhavvaon ko nirdosh utarne ki kala.... saadhuvaad

बहुत बहुत धन्यवाद!
 

avsji

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Superb update thaa bro ❤️👍
बहुत बहुत धन्यवाद! जल्दी ही अगला अपडेट आएगा।
 
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