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Avsji post padh kar bahut maj aaya, aapne to suhagraat ka sachitra varnan is prakar kiya hai ki esa laga ki hum bhi us kamre me upasthith hai ye sab humari aankhon ke samne ho raha hai , post padh kar apni shadi ki pahli rat yad aa gai.नया सफ़र - विवाह - Update #6
डेवी गुदगुदी से आहत होते हुए चिल्लाई, “अरे, इतनी ज़ोर से नहीं। आह हा हा हा! बस बस! गुदगुदी होती है।”
मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया, और फिर धीरे धीरे से उसके चूचकों को चूसने लगा।
“ओ मेरा बच्चा! पियो! हाँ! ऐसे ही! इनको प्यार से चूसो!” वो बड़बड़ा रही थी।
और मैंने आनंद से उसका स्तनपान कर रहा था। स्तनपान के दौरान मुझे एक आईडिया आया - मैंने उसके दोनों स्तनों को आपस में दबा कर कुछ ऐसा सेट किया कि उसके दोनों चूचक एक साथ हो जाएँ। फिर मैंने उसके दोनों चूचकों को एक साथ चूसा। डेवी फौरन ही पागल जैसी हो गई। उसके कूल्हे, मेरे लिंग पर एक अनियंत्रित पैटर्न में मचलने लगे। यह तो एक अद्भुत रहस्योद्घाटन था!
“क्या तुम्हारे निपल्स का तुम्हारी चूत के साथ कोई सीधा कनेक्शन है?” मैंने उसको छेड़ते हुए कहा।
डेवी शर्म से लाल हो गई और फिर हँस पड़ी, “हा हा! हो सकता है!” उसने कहा, “पर ये भी तो पॉसिबल है ना, कि तुमने इतने दिनों में कोई नया कनेक्शन बना दिया हो? हम्म?”
मुझे उसका ये जवाब पसंद आया! मैंने चूसना जारी रखा।
“तुम इतने प्यार से मेरे निपल्स को चूसते हो... मैं तो दीवानी हो गई हूँ तुम्हारी!”
फिर उसने मेरे लिंग को पकड़ लिया, और उसे ऐसे पकड़ लिया, मानो उसे पकड़ कर ही उसको सारी खुशी मिल रही हो! और इस बात का अनुभव मैं पहले भी कर चुका हूँ - काजल, गैबी, और अब डेवी - तीनों का ही एक ही जैसा रिएक्शन!
“मुझे ये बहुत पसंद है! कितना मोटा और लंबा!” उसने मेरे लिंग की प्रशंसा की और फिर मेरे सामने घुटने टेक दिए, “मैं इसको इतना प्यार करूँगी, कि आपको जन्नत का मजा आ जाएगा।”
उसने मेरे लिंग को नीचे से लेकर ऊपर तक चाटा, फिर शिश्नाग्र पर उसके अपनी जीभ अच्छी तरह फिराई। फिर उसने उसको अपने मुँह में भर लिया! आह - वो गर्म गीला एहसास! उसने मेरे नितम्बों को पकड़ कर मुझे एक तरह से स्थिर कर दिया, और फिर मेरे लिंग की लम्बाई पर अपना मुँह ऊपर-नीचे करने लगी।
“हनी, इसमें से कुछ निकल रहा है!” उसने लिंग से निकलते हुए प्री-कम को चाट कर कहा, और फिर से मेरे लिंग को मुख-मैथुन देने लगी।
मैंने उसके बालों में अपनी उंगलियाँ चलाते हुए पूछा, “तुमको कैसा लग रहा है, डेवी?”
“मेरे हस्बैंड, मैं तो तुम्हारे पीनस की दीवानी हूँ! जब ये मेरे अंदर बाहर स्लाइड करता है न, तो मुझे बहुत सेक्सी लगता है।” वो बोली, और फिर फुसफुसाते हुए आगे बोली, “आई ऍम वैरी हॉर्नी हनी! माय पुसी इस वेट!”
इतना बोल कर वो वापस मेरे लिंग को मुख-मैथुन का आनंद देने लगी। वो मेरे नितम्बों को पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच रही थी, तो मैं भी प्रोत्साहित हो गया। एक बिंदु पर मेरी उत्तेजना मेरे नियंत्रण से बाहर हो गई, और मैंने अपने कूल्हों को उसके मुंह में धकेल दिया - जैसे मैं उसके मुँह से ही सेक्स करने वाला होऊँ! गलती से मेरा लिंग उसके गले की गहराई तक चला गया और डेवी को खाँसी आने लगी। हमारा फोरप्ले कुछ देर के लिए रुक गया।
पानी पी कर जब डेवी कुछ संयत हुई तो बोली, “हनी, मेरी चूत में आग लग गई है। अब अंदर आ जाओ प्लीज!”
बस, इसी बात का तो इंतज़ार था मुझे! मैं उठा, और फिर देवयानी को वापस बिस्तर पर लिटाया! उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा।
“आराम लेट जाओ... अब शुरू करते हैं!” मैंने कहा।
देवयानी की मुस्कान चौड़ी हो गई, “ओह! आई कांट वेट टू बी फक्ड फॉर द फर्स्ट टाइम एस अ मैरीड वुमन!”
उसने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दीं, जिससे मुझे उसके अंदर प्रवेश करने में आसानी रहे। मैं उसके ऊपर कुछ इस तरह आ गया कि मेरे शरीर के ऊपरी हिस्से का भार मेरी बाहों पर रहे, और निचले हिस्से, ख़ास तौर पर नितम्बों का भार डेवी की श्रोणि पर रहे। फिर मैंने अपने घुटनों से उसकी जाँघों को और फैलाया, और उसके अंदर प्रविष्ट हो गया। मेरे लिंग का अगला हिस्सा उसकी योनि की गर्म, गीली सुरंग में सरसराते हुए प्रविष्ट हो गया। दो तीन धक्कों में ही मेरा लिंग पूरी तरह से उसके अंदर सुरक्षित हो गया।
इस अचानक हुई घुसपैठ के कारण डेवी कामुकता से चिहुँक लगी! लेकिन जब मैं पूरी तरह से उसके अंदर आ गया, तो वो आनंद से कराह उठी। उसका भगशेफ मेरी श्रोणि से रगड़ खा गया था। मुझे पता था कि डेवी भी मुझे ग्रहण करने के लिए तत्पर थी, और और वो उसकी चिहुंक दर्द के कारण नहीं, मेरे अकस्मात् प्रवेश के आश्चर्य के कारण निकली थी। आज से पहले मैं धीरे धीरे कर के उसके अंदर जाता था। लेकिन आज तुरंत ही चला गया। मैंने जल्दी ही मैथुन की एक तेज गति स्थापित की और डेवी को भोगने लगा। उधर डेवी ने मुझे अपनी गहराई के अंदर तक जाने देने के लिए, अपने पैर ऊपर कर लिए। यह कोई काव्यात्मक प्रेम-सम्बन्ध नहीं था, बल्कि एक पाशविक मैथुन क्रिया थी! यह एक अद्भुत कामुक जुनून था, जिसे केवल हम दोनों महसूस कर रहे थे और इस समय जी रहे थे।
सम्भोग के दौरान डेवी आनंद से कराहती रही, और लगातार मुझे प्रोत्साहित करती रही। उसने अपने पैरों को लगातार ऊपर कर रखा था दो, जिससे मैं ठीक से, निर्बाध अपनी काम पिपासा पूरी कर सकूँ। मैंने भी बिना रुके हुए तब तक धक्के लगाना जारी रखा, जब तक मेरा खुद का ओर्गास्म बनने लगा। मुझे समझ आ गया कि मैं और अधिक समय तक नहीं टिक पाऊँगा।
“डेवी, आई ऍम कमिंग!” मैंने हाँफते हुए कहा।
वह मुझ पर दिव्य रूप से मुस्कुराई, “यस हनी! यस! कम... एजाकुलेट इनसाइड मी! काम को पूरा करो!”
यह कहते हुए कि उसने मुझे चूमा - बेहद लुभावने अंदाज़ में - उसने मेरी जीभ को अपने होठों से चूस कर मुझमें सांस ली! यह एक बेहद कामुक क्रिया थी! ऐसा लगा कि जैसे उसके इस कामुक चुम्बन ने किसी ट्रिगर का काम किया हो! अगला धक्का मैंने जैसे ही लगाया, मैं पूरी तरह से डेवी की योनि के अंदर तक चला गया, और उसी समय मेरे अंदर जमा वीर्य का गोला, एक विस्फोट से साथ बाहर निकल पड़ा। मेरे उत्सुक शुक्राणु मेरे लिंग की लंबाई से तेजी से निकलते हुए, देवयानी की योनि की गर्म, गुलाबी सुरंग की रेशमी गहराइयों में जा बैठे! ये उनका नया घर था! मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मुझे इच्छा रुपी बिच्छू ने डंक मार दिया हो - मैं अपनी देवयानी को हमेशा चूमना चाहता था, और चाहता था कि हमेशा ही मेरे लिंग से वीर्य निकल निकल कर उसकी योनि में समाहित होता रहे! उधर, जैसे ही डेवी ने मेरे स्खलन को महसूस किया, वो खुद भी इस प्रथम सम्भोग की दूसरी रति-निष्पत्ति को पा बैठी! मैं उसकी गर्म, आरामदायक सुरंग में स्खलित होता रहा, क्योंकि उसकी चरम आनंद प्राप्त करती योनि की दीवारों ने मेरे लिंग को निचोड़ना शुरू कर दिया था। उसकी योनि की गर्माहट के संकुचन ने मुझे सामान्य से बहुत देर तक स्खलन का सुख लेने दिया। लेकिन देर तक ओर्गास्म का आनंद पूरे शरीर को निढाल कर देता है। अब मैं सीधा खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। थक कर मैं उसके धौंकनी की तरह चलते हुए सीने पर गिर पड़ा। इस समय हम दोनों ही पसीने से तर-ब-तर थे, और अपने श्रमसाध्य सम्भोग की तीव्रता के कारण भारी साँसे ले रहे थे।
कुछ देर सुस्ताने के बाद डेवीने कहा कि आज की रात एक बार सेक्स करना काफी नहीं था! वो मुझसे बार-बार सम्भोग करना चाहती थी - आज की रात कई बार! हम कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे, और प्यार और वासना की बातें करते रहे। डेवी की बाहों में होना, उसको अपने आलिंगन में बाँध कर रखना, उसके साथ सम्भोग करना, उसे चूमना और उसकी सेक्सी आवाज़ सुनना - यह सब बहुत दिव्य था!
थोड़ी ही देर में मैं फिर से स्तंभित हो गया, और डेवी के मन की मुराद पूरी करने लगा। उसने अपने पैरों को मेरी कमर के चारों ओर लपेट लिया, और हमने इस बार फिर से, धीमी, और कम तीव्रता से सम्भोग किया। सम्भोग करने का तरीका अलग था, लेकिन पहले वाले के ही जितना आनंद इस बार भी आया - क्योंकि यह दीर्घकालीन सम्भोग था। मेरे स्खलन होने से पहले देवयानी दो और बार स्खलित हुई। जब वो तीस्री बार स्खलित हो रही थी, तब उसकी योनि की दीवारें, मेरे लिंग को बेहद कामुक रूप से मेरे लिंग को निचोड़ने लगीं। जैसे, वो चाहती हों, कि मैं अपनी संपत्ति उसके अंदर जमा कर दूँ! कहने वाली बात नहीं है, कि उस समय मैंने अपनी सुहागरात का दूसरा स्खलन प्राप्त किया।
अपनी नवविवाहित पत्नी से सम्भोग करना एक बेहद आश्चर्यजनक, लगभग दिव्य अनुभव होता है!
हमारे अब तक के सम्बन्ध में ये सबसे गर्म, और सबसे कामुक दो सम्भोग रहे थे। और दोनों ही हमारे विवाहित होने के बाद हुए थे। मतलब विवाहित होने से कामुक अंतरंगता बढ़ जाती है! संभव है! पहले भी हमको आनंद आता था, लेकिन इस समय का मज़ा कई गुणा अधिक था। मुझे लगता है कि हमको ऐसा अनुभव इसलिए हुआ था, क्योंकि नवविवाहित जोड़े, विवाहित जीवन की चिंताओं से ग्रस्त नहीं होते हैं! और शायद इसीलिए वो सेक्स का भरपूर आनंद उठा पाते हैं।
जब हम थोड़ा संयत हुए, तो डेवी ने मुस्कुराते हुए मुझे अपने में भींच लिया और बोली,
“टेल मी मिस्टर सिंह,”
“आस्क अवे, मिसेज़ सिंह?”
“हाऊ मैनी पुस्सीज़ हैव यू फक्ड सो फार?”
‘क्या बात है! डेवी गन्दी गन्दी बातें कर रही थी।’
डेवी बहुत ही साफ़-सुथरी महिला थी - भाषा से भी - मैंने उसको कभी गाली-गलौज करते, या बुरे शब्दों का इस्तेमाल करते नहीं सुना था। तो उसका इस समय का वार्तालाप दिलचस्प था।
“हम्म्म... लेट अस सी...” मैंने गिनने का नाटक किया, “... और... तुम...”
अपना नाम सुन कर वो मुस्कुराई।
“हम्म... ओके! हाँ! चार लड़कियाँ! तुमको मिला कर!” मैं उसकी प्रतिक्रिया देखने के लिए रुक गया, लेकिन उसने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी - वो बस मुस्कुराई!
“और मैं आपको बता दूँ... तुम्हारी पुस्सी सबसे बढ़िया है!”
“हम्म... मक्खन लगा रहे हो?”
“नहीं, मक्खन तो डाल चुका हूँ! तुम्हारे अंदर!”
उसने मुझे कोहनी मारी।
“आऊ!”
“आप बहुत नटखट रहे हैं, मिस्टर सिंह।”
“मैं क्या कह सकता हूँ, मेरी जान?” मैंने विनम्र होने का नाटक करते हुए कहा, “मैं लड़कियों के मामले में बहुत लकी रहा हूँ! एक से बढ़ कर एक शानदार लड़कियाँ मिली हैं मुझे!”
“सबसे पहली वाली के बारे में बताओ?”
मैंने देवयानी को रचना के बारे में बताया! कैसे हमने माँ का स्तनपान एक साथ किया, कैसे माँ उसको अपनी बहू बनाना चाहती थीं, और कैसे हमने अपने पहले सेक्स का अनुभव एक साथ किया।
“अच्छा जी! तो आप उतनी ही उम्र में बदमाश हो गए थे!”
“अरे यार! उतनी उम्र में तो मेरी माँ, मेरी माँ भी तो बन गई थीं!” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “तुमने मुझसे कुछ पूछा, तो मैं बता रहा हूँ!”
डेवी भी मुस्कुराई, “मम्मी इस वैरी स्वीट! आई कांट बिलीव दैट वी हैव बिकम सच गुड फ्रेंड्स इन सच फ्यू डेज!”
“हाँ! वो हैं स्वीट!” फिर मुझे कुछ याद आया, “अच्छा, आज वो ‘यूनिफार्म’ वाला आईडिया किसका था?”
“हा हा हा! यूनिफॉर्म! वो आईडिया था दीदी का! काजल दीदी का!”
डेवी के मुँह से काजल के लिए ‘दीदी’ वाला सम्बोधन सुन कर मुझको बहुत अच्छा लगा।
“उन्होंने जयंती दी से कहा कि क्यों न तीनों ‘बहनें’ एक जैसी साड़ी पहन कर शादी में आएँ!”
“हा हा हा! बहुत अच्छे!” मैंने विनोदपूर्वक कहा, “बढ़िया था!”
“तुमको अच्छा तो लगा न डेवी? ऐसा तो नहीं लगा न कि फ़ीका फ़ीका हो गया सब?” मैंने पूछा।
“अरे नहीं यार! हम दोनों ने ही तो डिसाइड किया था न कि ऐसे करेंगे! और कल रात तो मस्ती होनी है खूब!” उसने उत्साह से कहा।
“हाँ! वो तो है!”
फिर हम दोनों कुछ देर के लिए चुप हो गए।
“हनी?”
“हाँ?”
“मैंने तुमसे अपनी फैंटसी शेयर करी थी न?”
“हम्म!” हाँ, याद था मुझे!
“तो,” उसने प्यार से मेरी छाती को सहलाया, और बड़ी मिठास से बोली, जैसे अक्सर छोटे बच्चे करते हैं, जब वो अपने बड़ों से कुछ चाहते हैं, “विल इट बी टू बैड इफ आई कैन आल्सो हैव सेक्स विद समवन एल्स?”
“किसके साथ?”
हाँ, देवयानी की फंतासी! बड़ी अनोखी फंतासी थी। और मुझे लग रहा था कि वो केवल फंतासी है - वो उसको साकार नहीं करना चाहती होगी। सच कहूँ, तो मुझे अपनी पत्नी को किसी अन्य आदमी के साथ शेयर करने के विचार से ही नफरत थी। मैं बाहर चाहे जितना दम भरूँ, अंदर से तो देसी आदमी ही हूँ! अपनी बीवी किसी और के साथ! न बाबा न! देवयानी ने भी मेरी आवाज में नाराजगी जरूर सुनी होगी, लेकिन वो मुझे बताना चाहती थी कि उसके मन में क्या है। और उसकी सच्चाई की मुझे बेहद क़द्र थी। अगर मेरी बीवी अपने मन की बातें मुझसे नहीं कर सकती, तो फिर किससे कर सकती है?
“आई डोंट नो... ऐसा कोई है नहीं। ... बस कोई ऐसा हो हू कैन कीप मी एंड अस सेफ एंड रेस्पेक्ट अस !”
“हम्म... तो,” मैंने बात की गंभीरता को हल्का करने की कोशिश की, “तुम्हारी ये छोटी सी चूत एक और लण्ड चाहती है?” मैंने उसे छेड़ा, और उसकी योनि में अपनी उँगली डाल दी।
डेवी इस अकस्मात् प्रहार से चिहुँक गई। फिर संयत हो कर बोली,
“हनी, यहाँ ‘चाहने’ जैसा कुछ नहीं है! मैं बस एक ‘और’ बार इसको एक्सपीरियंस करना चाहती हूँ!” उसने सच्चाई से कहा, “बस इतना ही हनी!”
हाँ, सालों पहले देवयानी का किसी से अफेयर तो था - उसको सेक्स का भी अनुभव मिला था।
मैंने तुरंत तो कुछ नहीं कहा, और बस सोचा कि डेवी अनुभव क्या करना चाहती है। कुछ देर सोचने पर मुझे लगा कि यह बहुत बुरी बात नहीं होगी अगर वो किसी और आदमी के साथ सेक्स का अनुभव कर सके! अगर मैं कई लड़कियों के साथ सेक्स कर सकता हूँ, तो वो भी कर सकती है। मुझे यकीन है कि कई महिलाएं ऐसा अनुभव लेना चाहती होंगी। कम से कम मेरी बीवी मुझसे इस बारे में खुले रूप से बातें कर रही थी। मुझसे कुछ छुपा नहीं रही थी। इसलिए इस बात को उसकी बेवफाई नहीं माना जा सकता।
“क्या सोच रहे हो हनी?” उसने डरते हुए पूछा।
“सोच रहा हूँ!”
उसने कुछ देर कुछ नहीं कहा; मैंने भी कुछ देर कुछ नहीं कहा।
“हनी, आई विल ओनली डू इट अगर आप बुरा न मानें! बिना आपकी इज़ाज़त के मैं कुछ नहीं करूँगी! आई लव यू! एंड आई विल नेवर चीट ऑन यू!” उसने जोड़ा।
“तुम समझती हो न डेवी, कि मेरे लिए यह करना बहुत कठिन होगा... मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ! और मेरे लिए तुमको किसी और से शेयर करना बहुत मुश्किल होगा!”
“मैं जानती हूँ। और मैं इसे हमेशा नहीं करना चाहती! बस एक बार... मुझे जो चाहिए, वो आप दे रहे हैं मुझे! मुझे बस एक और बार एक्सपीरियंस करने का मन है... अगर आपको ठीक लगे, तो! अगर आपकी इज़ाज़त हो तो!”
“और अगर मैं परमिशन न दूँ तो?”
“तो मैं इस बारे में सोचूँगी भी नहीं!” उसने संजीदगी से कहा, “मेरा प्रॉमिस है ये!”
मैंने कुछ देर उसकी तरफ देखा, और फिर उसका मुँह चूम लिया।
“सोचते हैं!” मैंने कहा।
हमने कुछ देर और बातें की और फिर अपने सम्भोग की थकावट के कारण हम आखिरकार एक-दूसरे की बाहों में सो गए। वैसे भी काफी रात हो गई थी। कुछ घंटों बाद मेरी नींद टूटी तो मैं बाथरूम जाने के लिए उठा। जब मैं वापस लौटा तो मैंने देखा कि डेवी की चादर आधी उघड़ी हुई है। यह जानते हुए कि वो उसके नीचे पूरी तरह से नग्न है, मैं फिर से उत्तेजित हो गया। मैंने बिस्तर में आराम से लेटा, और फिर उसकी गर्दन से शुरू कर के धीरे-धीरे उसके स्तनों तक चूमना गुदगुदाना शुरू कर दिया। डेवी मुस्कुराते हुए उठी और प्रत्युत्तर में मुझे भी चूमने लगी। अगले डेढ़ घंटे तक हमने दो बार सम्भोग किया, और चूर हो कर फिर से सो गए!
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shandaar update tha avsji. maja aa gaya padh ke... asha karta hu kahani gaaon ki aur rukh legi kuch vakt ke liye
बहुत बहुत धन्यवाद भाई।Avsji post padh kar bahut maj aaya, aapne to suhagraat ka sachitra varnan is prakar kiya hai ki esa laga ki hum bhi us kamre me upasthith hai ye sab humari aankhon ke samne ho raha hai , post padh kar apni shadi ki pahli rat yad aa gai.
Dhanyavaad , nice update bro
maafi prabhu maafiआया आया आया आया...
अब तक कुल जमा 96 उपडेट्स लिखे हैं मैंने - कोई दो लाख, चालीस हज़ार शब्द!
मतलब हर अपडेट औसतन ढाई हज़ार शब्दों का।
इतना कलम घिसने पर तो कमेंट और इंगेजमेंट की बारिश होनी चाहिए इस थ्रेड पर!
लेकिन ये कमीने बेगैरत XF के रीडर्स!
Bahut hi behtareen updates he brother. Waakai me mai har baar aapko yah kahne se khud ko rok nahi pata ki aapki lekhni shandar he. In teno updates me devi se pyar hi show hua but wo bhi hamare liye aapki upastithi k liye bahut tha. Ab dekhte he aage aap is kahani me kya naya dikhate he. Thanks for your hard work. Waiting for next.नया सफ़र - विवाह - Update #9
घर जाने से पहले हमें अंतरंग होने का कोई और अवसर नहीं मिला।
हमने स्नान किया, नाश्ता किया और अपने घर जाने के लिए तैयार हो गए। देवयानी ने एक बहुरंगी लहंगा, उससे मिलती बैकलेस चोली पहनी थी, और चुनरी ओढ़ी थी। मैंने एक कसीदा हुए कुर्ता और चूड़ीदार पायजामा पहना हुआ था। गाड़ी में डेवी का सामान - उसके कपड़े लत्ते - और घर में सभी को देने के लिए उपहार इत्यादि थे। मैं ड्राइवर था - अगर ट्रैफिक आसान रहे, तो उसके घर से मेरे घर तक पहुँचने में आधे घंटे से भी ज्यादा समय नहीं लगता। मेरे एक अनन्य और बुद्धिमान मित्र ने मुझको एक बार सलाह दी थी कि ऐसी लड़की से शादी न करना जो तुम्हारे ही शहर में रहती हो। उनका मानना था कि ऐसा होने से लड़की के परिवार का तुम्हारी लाइफ में दखल होने का बड़ा डर रहता है। बात तो सही है - लेकिन मेरा मानना था कि नए नवेले जोड़े की ज़िन्दगी में न तो लड़की के, और न ही लड़के के परिवार का किसी भी तरह से दखल होना चाहिए। दोनों को अपने जीने का तरीक़ा खुद ही निकालना चाहिए। सफल विवाहित जीवन का कोई एक फार्मूला नहीं हो सकता। उसके लिए प्रेम और पारस्परिक सम्मान आवश्यक है - लेकिन न जाने ही कितनी अन्य बातें भी महत्वपूर्ण होती हैं। खैर!
मेरी माँ सुबह से ही अपनी नई बहू के उसके घर आगमन के स्वागत की तैयारी में लगी हुई थी। यह एक मज़ेदार बात थी - क्योंकि देवयानी कोई पहली बार तो इस घर नहीं आ रही थी। उसने और मैंने साथ मिल कर, अपनी पसंद के हिसाब से हमारा घर पहले से ही सजाया और तैयार कर लिया था। हमारी शादी से पहले ही घर में सभी फर्नीचर और अन्य सुविधाएं व्यवस्थित थीं। तो माँ क्यों इतना व्यस्त थीं, कहना कठिन था। शायद माँ का मन... उनकी ममता और नई बहू के आने का उत्साह हो?
शादी के बाद होने वाली रस्मों में सबसे प्रमुख होती है नई दुल्हन का अपने नए घर में आगमन की रस्म! यह रस्म स्वाभाविक रूप से दूल्हे के घर पर होती है, जहाँ दुल्हन की सास, अपनी बहू का गर्मजोशी से स्वागत करती है। तो, जब हम पहुंचे, तो मेरी माँ, मेरे डैड और कुछ पड़ोसियों के साथ, पूजा की थाल लिए दरवाज़े पर खड़ी थीं। उन्होंने हम दोनों की आरती उतारी, फिर हमारे माथे पर तिलक लगाया। यह सब होने के बाद हमने दोनों का आशीर्वाद लेने के लिए उनके चरण स्पर्श किया। देवयानी ने काजल के भी पैर छुए और मुझे भी वैसा ही करने का इशारा किया। मुझे काजल के पैर छूने में कोई बुराई नहीं लगी - इसलिए मैंने भी उसके पैर छू कर उसका आशीर्वाद लिया। वैसे भी, हमारा सम्बन्ध अब तक बहुत अलग हो चला था।
जब यह सब हो गया, तो काजल ने देवयानी से कहा कि अब वो घर में प्रवेश करे। उसने डेवी से कहा कि वो अपने दाहिने पैर से चावल से भरे कलश को गिरा दे, और फिर महावर के घोल से भरी थाल में पैर रख कर घर के अंदर चलती जाए। बेशक, हम इन अनुष्ठानों के बारे में जानते हैं।
तो देवयानी ने वह सब कुछ किया। उसके हर कदम पर, घर की फ़र्श पर दूर तक डेवी के पैरों के शुभ, लाल-गुलाबी रंग के चिन्ह बनते गए। इन सब रस्मों को आज चाहे कैसा भी माना जाए, लेकिन देख कर अच्छा बहुत लगता है। इन सब रस्मों के सांकेतिक महत्त्व भी बड़े हैं! उधर डेवी घर में चलती जा रही थी, और इधर मैं चुपचाप उसके पीछे-पीछे चल रहा था।
“अमर, बहू अपने आप चल रही है! क्या तुम उसको उठा नहीं सकते?” डैड ने मुझे छेड़ा।
“अरे डैड! डेवी चल सकती है!” मैंने कहा।
“इतनी बॉडीबिल्डिंग करने का क्या फायदा? मुझे देखो - बिना किसी बॉडीबिल्डिंग के मैं अपनी बीवी को अपनी गोदी में उठा सकता हूँ! और तुम! वो भी अपनी नई दुल्हन को!” डैड अभी भी मुझको छेड़ रहे थे।
“वो भारी है, डैड!” मैंने अप्रत्यक्ष रूप से डेवी को छेड़ा।
“अभी कहाँ?” माँ ने छूटते ही कहा, “उसको भारी करने के लिए तुमको काम शुरू करना है... या शायद कर दिया है तुमने? कल रात से ही!”
हे प्रभु! नव-विवाहित जोड़ों से जिसको देखो, वो ही मज़ाक करने लगता है। और ये तो मेरी माँ थीं!
“क्या माँ! आप भी!” मैंने नाखुशी का नाटक किया, लेकिन भीतर से प्रसन्न हुआ और डेवी को उठा कर दालान से होते हुए हमारे शयनकक्ष में ले जाने लगा।
“उहम्म...” जब मैंने अपनी दुल्हन को गोदी में उठाया तो हल्के से कराह उठा।
“अरे अरे! इतने में ही थक गए?” माँ हँसी, “और ये तब जब देवयानी बिल्कुल भी भारी नहीं है... या हो सकता है कि शायद, तुम ही बूढ़े हो रहे हो! डोंट वरी! आज से शिलाजीत का कोर्स शुरू कर देते हैं तुम्हारे लिए!”
“माँ! कम से कम आप तो मेरी टाँग न खींचिए!”
मेरे इस तरह से चिढ़ने पर डेवी भी हँसने लगी - वो बहुत देर से अपना नई बहू वाला, शांत, गंभीर, शर्मीला, संकोची रूप धारण किए हुए थी। लेकिन अब उससे भी रहा नहीं गया। माँ को भी मालूम था कि कब उनको शांत हो जाना है। उन्होंने मेरी खिंचाई करनी छोड़ी और हँसते हुए अपने पति के पास चली गईं।
जब हमने अपने बेडरूम में प्रवेश किया, तो देवयानी फुसफुसाते हुए बोली, “बूढ़े आदमी!”
“अच्छा जी? आप भी?”
“नहीं हनी! आई ऍम सो लुकिंग फॉरवर्ड टू ग्रो ओल्ड विद यू! बस यही!” वो मुस्कुराई, “आई लव यू!”
हाँ! अपने जीवन साथी के साथ उम्र बिताना तो बड़ा सुखद ख़याल होता है। मैंने मुस्कुराते हुए ही उसे बिस्तर पर लिटा दिया, और उसको अपनी बाहों में भर के एक लम्बा और भावुक सा चुंबन दिया। जब हमारा चुम्बन टूटा तो डेवी की साँस थोड़ी उथली सी हो गई।
“हम्म...” वो फिर से फुसफुसाते हुए बोली, “आप इतने बूढ़े भी नहीं हुए हैं मिस्टर सिंह!”
हमने फिर से चूमा।
प्रिय पाठकों! अपनी नवविवाहित दुल्हन से प्यार करना कितना मोहक होता है, इसका आख्यान करना कठिन है! पति पत्नी के सम्बन्ध में एक प्रकार का ठहराव होता है, एक दृढ़ता होती है। उसके कारण एक दूसरे से प्रेम करना और भी आनंददायक होता है। आप बिना किसी रोक टोक के, लम्बे समय तक एक दूसरे से प्रेम कर सकते हैं!
मैंने डेवी की चोली के पीछे की डोरियों को खोल दिया।
डेवी मुस्कुराई, “ओह गॉड! आर यू अगेन रेडी तो रेविश मी आलरेडी?”
“ओह, यू हैव नो आईडिया!” मैं अपना कुर्ता उतारते हुए मुस्कुरा दिया।
न जाने कहाँ से इतनी क्षमता आ गई थी! सच में - ऐसी कामुकता मैंने न तो काजल के साथ, और न ही गैबी के साथ महसूस करी थी। कुछ अनोखी बात तो थी देवयानी में! मैंने डेवी की चुनरी को न छेड़ते हुए, उसकी चोली उतार दी। पारदर्शी चुनरी से ढँकी हुई, अपनी आंशिक नग्नता में डेवी आश्चर्यजनक रूप से प्यारी लग रही थी। मैंने जल्दी से अपने बैग में से जयंती दी का दिया हुआ कैमरा निकाला और जल्दी जल्दी उसकी कुछ तस्वीरें उतार लीं। कुछ भी कहो - मेरे इन बचकाने खेलों का आनंद डेवी भी ले रही थी। जब मैं उसकी तस्वीरें उतार रहा था, तो वो मुस्कुरा रही थी, और हँस रही थी। अंत में, वो बिस्तर से उठी और ड्रेसिंग टेबल के सामने सेट्टी पर बैठकर अपने गहने उतारने लगी। उसने अभी भी अपना लहंगा पहना हुआ था। इस बीच, मैं पूरी तरह से नग्न हो गया, और आगे की कार्रवाई करने के लिए तैयार हो गया।
मुझे एक छोटी सी शरारत सूझी - मैं उसके पीछे आ कर, उसके दाहिनी तरफ़ आ कर खड़ा हो गया। उसको ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर अपने गहने उतारते देखना बड़ा सेक्सी था! डेवी ने दर्पण में मुझे उसको देखते हुए देखा। वो मुस्कुराई। उसने ध्यान दिया कि उसके कंधे के ऊपर मेरा स्तम्भन दिख रहा था, तो शरमाते हुए मुस्कुराई, और अपना सर ‘न’ में इस तरह हिलाया कि लगे कि ‘इस आदमी का भगवान् ही मालिक है’!
दर्पण में हमारा अक्स बहुत मजेदार था… देवयानी कमर के ऊपर नग्न थी, जबकि मैं पूरा ही नग्न खड़ा था। मैंने आगे जो किया, मुझे यकीन है कि उसने अनुमान भी नहीं लगाया होगा! मैंने अपनी कमर को हल्का सा ट्विस्ट करते हुए घुमाया, ताकि मेरा पूरा तना हुआ लिंग उसके गाल पर एक थप्पड़ लगा दे। यह इतना अचानक हुआ कि पहले तो उसे कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जब उसको समझा कि उसके साथ क्या हुआ, तो उसने नकली गुस्से में दर्पण में मेरी तरफ़ देखा। मैंने उसके गुस्से की अनदेखी करते हुए उसको फिर से अपने लिंग से थप्पड़ लगाया। मेरी इस हरकत से उसका गुस्सा, एक फीकी मुस्कान में बदल गया! मैंने फिर से उसको उसी तरह से थप्पड़ लगाया। इस बार वो हंसने लगी! जैसे ही डेवी हँसी, उसके निरंकुश स्तन कामुकता से हिलने लगे!
“खूब शरारती है तू!” उसने कहा।
“क्या करूँ यार! जब भी मैं तुमको देखता हूँ, मेरी शरारत खुद-ब-खुद बाहर निकलने लगती है!”
“हम्म... देन, आई मस्ट डिसिप्लिन डिस नॉटी बॉय!”
उसने कहा, और मुड़कर मेरे लिंग के सिरे को अपनी चुटकी से पकड़ा - जैसे अक्सर लोग छोटे बच्चों की नाक के सिरे को चुटकी में पकड़ते हैं - और थोड़ा सा हिलाया। मेरा लिंग टस से मस नहीं हुआ।
“ओउ... लगता है लिटिल चैंपियन गुस्से में है!” उसने शरारत से कहा।
“गुस्से में नहीं है! मेरा लिटिल चैम्पियन अपनी दोस्त की गोद में बैठना चाहता है।”
“ओह हनी! मुझे वहाँ दर्द हो रहा है! आई ऍम सॉरी! लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं दो दिन पहले ठीक भी हो पाऊँगी!”
मैं निराश हो गया था। हाँ, डेवी की बात सही तो थी ही। इतने कम समय में इतनी बार! और उसे आराम करने का अवसर ही नहीं मिला।
“लेकिन,” उसने मुझे देखते हुए कहा, “मैं तुमको एक अच्छा सा ओरल दे दूँ? तुमको पसंद आएगा!”
कैसी अद्भुत सी बात थी!
मैं इस लड़की से प्यार करता था... और उसको मेरी ज़रूरतों का इतना ख्याल था। लेकिन मैं क्या करता - डेवी पास होती, तो खुद पर नियंत्रण ही नहीं हो पा रहा था। मैंने फिर से डेवी को चूमा, और फिर धीरे से अपना लिंग उसके मीठे से मुँह के अंदर खिसका दिया। वो अगले ही पल मुझे मौखिक सुख का अलौकिक आनंद देने लगी। और... उसी समय माँ ने हमारे कमरे में प्रवेश किया।
जब उन्होंने हमें इतनी अंतरंग अवस्था में देखा तो वो थोड़ी चौंक गई, लेकिन फिर उन्होंने जल्दी ही अपने को सामान्य कर लिया और कहा,
“बेटे, ये बहू को बाद में खिलाना... पहले उसे खाना तो खिला दो!”
और इतना बोल कर वो कमरे से बाहर निकल गईं, अपने पीछे दरवाजा बंद करते हुए!
देवयानी मौखिक सम्भोग देना बंद कर हँसने लगी! यह सब कितना मज़ेदार था! उसने सब कुछ ‘बाद में’ करने का वायदा किया, और फिर हमने दोपहर के भोजन करने के लिए घर के ही कपड़े पहने। इस बीच मैंने डेवी को संक्षेप में बता दिया कि मेरा माँ और डैड के साथ बहुत खुला हुआ सम्बन्ध था। थोड़ा बहुत तो उसको मैंने पहले भी बताया था, लेकिन अब जा कर उसको हमारे रिश्ते के खुलेपन के बारे में पता चला। मैंने उसे बताया कि कैसे मेरी माँ, गैबी और काजल को अपनी बेटी मानती हैं और यह कि देवयानी को भी वैसा ही प्यार उनसे मिलेगा। मैं जो कुछ कह रहा था, उसे देवयानी ने ध्यान से, उत्सुकता से और मनोरंजक ढंग से सुना। फिर उसने मुझसे कहा कि वो भी माँ और डैड के साथ ऐसा ही रिश्ता रखना चाहेगी। मुझे मालूम था कि यह सब सुनने के बाद वो वैसा ही चाहेगी!
खाने की टेबल पर बड़ा खुशनुमा माहौल था। हम सातों लोगों ने देर तक उस स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया। रात में नींद नहीं आई थी, और भोजन भी काफ़ी गरिष्ठ था - इसलिए हमको तुरंत ही नींद आने लगी। इसलिए खाने की टेबल से उठ कर हम सीधा सोने चले गए। रात में वैसे भी हमारी शादी का रिसेप्शन था। हमको कुछ नहीं करना था - कैटरिंग कंपनी ने सारा इंतजाम कर रखा था। वो सब इंतजाम डेवी और मैंने मिल कर पहले ही कर दिया था। कोई चार घंटे बाद जब हम सो कर उठे, तो देखा कि ऑफिस से कई मित्र हमसे मिलने आये हुए थे। उनसे कुछ देर बातें कर के, हम दोनों रिसेप्शन के लिए तैयार होने लगे।
हमारा रिसेप्शन शानदार अच्छा था - डेवी ने पुनः एक लहंगा-चोली पहनी हुई थी, और अपने दुल्हन वाले पूरे साज-श्रृंगार से अलंकृत थी। वो वापस किसी रानी जैसी ही लग रही थी। मैंने एक सूट पहना हुआ था - वैसे तो मैं अच्छा लग रहा था, लेकिन देवयानी के सामने मैं मामूली लग रहा था। खैर, रिसेप्शन में लड़के को कौन देखता है! बड़ा आनंददायक माहौल था। सब कुछ हँसी ख़ुशी हो रहा था। डेवी और मेरे बहुत सारे कॉमन फ्रेंड आए हुए थे! कई सारे थे, जो हमारी कोर्ट और मंदिर वाली शादी में शामिल नहीं हो सके थे। वो सभी रिसेप्शन समारोह का लुत्फ उठाने आ पहुंचे थे। मस्ती भरी रात थी; हमने बॉलीवुड के कई गानों पर डांस किया, मस्ती की, और फिर हमने स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया! सब बड़ा मज़ेदार था।
हमें बहुत सुबह ही हनीमून के लिए निकलना था, इसलिए हमारे दोस्तों ने हमें सोने ही नहीं दिया। हमने हनीमून की यात्रा के लिए अपने बैग पहले ही पैक कर लिए थे। लिहाज़ा, रिसेप्शन का बहुत ही आनंद आया! हनीमून के लिए हम अंडमान जा रहे थे। वहाँ के लिए एक फ्लाइट जाती थी कलकत्ता से सुबह सुबह। तो हमको दिल्ली से कलकत्ता के लिए और भी सवेरे निकलना था - लगभग रात में! तो दोस्तों के साथ हंसी मज़ाक करते हुए कब फ्लाइट का समय हो गया, पता ही नहीं चला। डेवी और मैंने सभी से विदा ली, एयरपोर्ट की ओर चल दिए। हमको छोड़ने के लिए हमारे दोस्त भी साथ ही आए थे। इतना प्यार पा कर हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगा। हमारी शादी-शुदा ज़िन्दगी का आगाज़ बड़ा ही सुखद था - और मैं भगवान् से यही कामना कर रहा था कि उसका अंजाम भी वैसा ही सुखद रहे।
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