पहला प्यार - Update #1
वो पहली लड़की, जिसे मैं अपनी प्रेमिका भी मान सकता था, वो दरअसल एक विदेशी लड़की थी - एक ब्राज़ीलियाई लड़की। और बड़ी दिलचस्प बात यह भी है कि मैं उस लड़की से कभी व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला। उसका नाम गैब्रिएला [गैबी] था। हम उस समय के एक बहुत ही नए चैट रूम [वो चैट रूम यूनिक्स सिस्टम पर आधारित था और उस पर अधिकतर टेक्स्ट पर ही बात हो पाती थी। अटैचमेंट में कभी कभी चित्र भेज सकते थे, लेकिन उनको डाउनलोड होने में बहुत समय लगता था। आज कल तो उस चैट रूम को डायनासौर के युग का माना जायेगा - वैसे आज कल भी चैट रूम्स होते हैं क्या?] में यूँ ही अचानक से मिल गए थे। यह बात तब की है जब मैं इंजीनियरिंग के आख़िरी साल में था। मेरे इंजीनियरिंग कॉलेज में एक सुव्यवस्थित कंप्यूटर सेंटर था, जिसका उपयोग बहुत कम ही लोग करते थे। यहाँ इंटरनेट कनेक्टिविटी अच्छी थी, हालाँकि आपको इसके लिए अग्रिम बुकिंग और नगद भुगतान करने की आवश्यकता होती थी। चूंकि फीस बहुत अधिक नहीं थी, इसलिए मैं यह खर्चा उठा लेता था। ज्यादातर छात्र उस कंप्यूटर सेंटर का इस्तेमाल चैटिंग से संबंधित गतिविधियों के लिए ही करते थे। तो, मैं भारत से संबंधित एक चैट रूम में बातचीत करने के दौरान गैबी से मिला। उस समय भारत से संबंधित शायद ही कोई चैट रूम था, और मैं यह देखने और जानने के लिए उत्सुक था कि वहाँ पर क्या चर्चा हो रही है! और जब मैंने देखा कि एक विदेशी लड़की भारत से सम्बंधित विषयों पर इतनी ज्ञान भरी चर्चा कर रही है, तो मेरा ध्यान उसकी ओर आकर्षित होना स्वाभाविक ही था [उन दिनों, इंटरनेट पर लोग उपनामों (alias) का अधिक उपयोग नहीं करते थे, और केवल उनके स्क्रीन नामों से एक-दूसरे के असली नामों के बारे में अंदाज़ा लगाना बहुत आसान था]।
जब मैंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की और अपनी नई नौकरी शुरू की, तो मैंने एक नए व्यक्तिगत कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन में निवेश किया [उस समय केवल डायल-अप कनेक्शन मिलता था, जो कि बेहद धीमा, अविश्वसनीय और बहुत मँहगा होता था]। मेरे माँ और डैड को न तो कंप्यूटर और न ही इंटरनेट का सर पता था, और न ही उसकी पूँछ! उनको इसकी उपयोगिता के बारे में भी कुछ पता नहीं था। लेकिन मुझे यह बहुत उपयोगी लगा, क्योंकि एक तो मेरे कई दोस्तों सहपाठियों को विदेशों में नौकरी मिल गई थी [देश, जैसे अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड और जर्मनी] और अलग-अलग समय क्षेत्रों में रहने के बावज़ूद सभी से एक ही समय में बात करने में सक्षम होना, एक मजेदार अनुभव था। प्रौद्योगिकी के ‘अत्याधुनिकिकरण’ के मेरे ज्ञानवर्द्धन में मेरे वो दोस्त और सहपाठी मेरे कोच और मार्गदर्शक थे। उन्होंने मुझे चैट रूम की अवधारणा [कांसेप्ट] के बारे में बताया। जो लोग इस तरह की चीजें जानते हैं वे बेहतर बता सकते हैं। ख़ैर, मैं इंटरनेट रुपी इस विलासिता का ख़र्च वहन करने में सक्षम था, क्योंकि मेरी नौकरी से मुझे अच्छा वेतन मिलता था, और मेरे पास शायद ही कोई खर्च था।
जब हम ब्राजील के बारे में सोचते हैं, तो हमारे ज़हन में एक ऐसे देश का ख़ाका खिंच जाता है, जहाँ की लड़कियाँ और महिलाएं तंग बिकनी पहनती हैं, और अपना शरीर-प्रदर्शन करती हैं, खासकर विश्व प्रसिद्ध कार्निवल के दौरान! हम सभी ने उन विचित्र वेश-भूषाओं को देखा ही है, है ना? लेकिन यहां मेरे सभी पाठकों के लिए यह आश्चर्य की बात होगी कि ब्राजील की अति-कामुक वैश्विक छवि के विपरीत, वहाँ का समाज काफ़ी रूढ़िवादी है। कुछ ज्ञानी और जानकार लोगों ने ब्राजील को ‘महान विरोधाभासों’ का देश कहा है। एक तरह से यह ठीक टिप्पणी है। ब्राज़ील जहाँ कार्निवल की भूमि भी है, तो वहीं यह एक ऐसी जगह भी है, जहां कई पारंपरिक दृष्टिकोण और सामाजिक मूल्य आज भी कायम हैं।
अब मैं अपनी कहानी से थोड़ा अलग जाऊँगा - ताकि मैं ब्राजील और वहाँ के लोगों के बारे में अपनी समझ को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकूं। ब्राजीलियाई मुख्य रूप से तीन जातियों का मिश्रण हैं - मूल-निवासी, यूरोपीय इमिग्रेंट्स, और अफ्रीकी दास-बंदी। वर्तमान में ब्राजीलियाई नस्ल, दरअसल, इन तीनों नस्लों का मिश्रण है। यह भी कहा जा सकता है कि ब्राजीलियाई वर्तमान में दुनिया के किसी भी हिस्से की तुलना में नस्ल-मिश्रण के बारे में अधिक खुला हुआ दृष्टिकोण रखते हैं। नस्ल के प्रति ऐसे उदारवादी रवैये के बावजूद, ब्राज़ील में आश्चर्यजनक रूप से अंतर्निहित नस्लवाद उपस्थित है। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि वहाँ अश्वेत लोगों को रोजगार मिलने की संभावना कम होती है, और इसलिए उनके गरीब होने की संभावना भी अधिक होती है। और ग़रीबी वहां की एक बड़ी सामाजिक समस्या है। रिओ द जनेरिओ की बीस प्रतिशत जनसँख्या स्लम में रहती है। ग़रीबी और आर्थिक विसमानताओं के कारण, वहाँ अपराध भी काफ़ी अधिक होता है - हत्या, डकैती, चोरी, अपहरण - यह सब वहाँ बहुत है। ड्रग्स की समस्या भी बहुत है। और उसके कारण गैंग-वॉर भी काफ़ी होती है, किसके चपेट में आम लोग भी अक्सर ही आ जाते हैं। इन सभी विषमताओं के बीच, एक चीज है जो ब्राज़ील के समाज को बांधे रखती है, और वह है संगीत और नृत्य के प्रति उनका प्रेम। अधिकांश ब्राज़ीलियाई बहुत कम उम्र से ही नृत्य करना सीखना शुरू कर देते हैं। साम्बा, जोंगो, बुम्बा, और फोर्रो यह सब यहाँ के प्रमुख नृत्य हैं। तो नृत्य, संगीत, जीवन के प्रति प्रेम - यह सब बातें ब्राज़ील को अन्य देशों से अलग बनाती हैं।
खैर, इसके पहले कि मैं हमारे मुख्य विषय से बहुत दूर चला जाऊँ, मुझे गैबी पर वापस आना चाहिए। गैबी भारत देश, यहाँ के दर्शन, संस्कृति, और भारत से जुड़ी लगभग हर चीज पर मोहित थी - और वो भी बचपन से ही। भारत के बारे में उसको अपने स्कूल की लाइब्रेरी से जानने सीखने को मिला, और आगे चल कर उसको और जानने का एक तरीके का पागलपन सा हो गया! उसको भारत के बारे में इतनी उत्सुकता थी कि इस उत्साह में वो ‘हरे कृष्ण’ संप्रदाय में भी शामिल हो गई - तब वो शायद चौदह पंद्रह साल की ही थी! बेशक, उस जुड़ाव के बाद, गैबी का भारत और हिंदू धर्म के बारे में ज्ञान काफी बढ़ गया। लेकिन उसका ज्ञान बहुत रूढ़िवादी और पुराना था - भारत स्वयं भी परिवर्तित होता हुआ देश है। तो जब चैट रूम में उससे मुलाकात हुई, तो मैंने सोचा कि मैं उसे एक-दो नई बातें मैं भी बता सकता हूँ, और साथ ही साथ मैं उसका एक ‘अंतरराष्ट्रीय’ दोस्त भी बन सकता हूँ। हमारी पहली की कुछ बातचीतों में मैं जान गया कि गैबी बहुत बुद्धिमान थी। उसमे विभिन्न विषयों का गहन अवलोकन [डीप ऑब्जरवेशन] करने, और उन पर अंतर्दृष्टि [इनसाइट] विकसित करने की अद्भुत क्षमता थी। मुझे गैबी की बुध्दिमत्ता, और भारत की संस्कृति के विभिन्न विषयों पर उसका ज्ञान बहुत पसंद आया। मुझे कई मुद्दों पर गैबी के अलग दृष्टिकोण से बहुत कुछ नया सीखने को मिला। संस्कृति और धर्म के कई विषयों पर गैबी के प्रश्नों और उन पर उसके दृष्टिकोण को देखने सममझने में बिताया गया समय मेरे लिए सबसे अधिक उत्पादक समय था। उसके सवालों के जवाब तलाशने ने कई बार मुझे बौद्धिक रूप से चुनौती दी।
गैबी की बुद्धिमत्ता ने मुझे उसकी ओर आकर्षित किया। कुछ ही समय में मुझे उसे देखने की तीव्र इच्छा होने लगी थी। लेकिन न जाने क्यों, मैं उससे उसकी तस्वीरें नहीं मांग पा रहा था। लेकिन फिर, उन शुरुआती कुछ दिनों को छोड़कर, मैंने इस बात पर ध्यान देना बंद कर दिया कि गैबी कैसी दिखती है [उसने शुरुआत में कभी भी अपनी तस्वीरें मुझसे शेयर नहीं कीं]। मैं उसकी बुद्धिमत्ता पर पूरी तरह से मोहित हो गया था। और निश्चित रूप से, मैंने भी उसका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। हमने अपने अपने ईमेल एक दूसरे के साथ शेयर किये, और फिर हमारा रोज़ का ईमेल का लेन-देन शुरू हो गया। जब आप मित्र बन जाते हैं, तब औपचारिकताएँ भी कम हो जाती हैं। मुझे जल्दी ही मालूम पड़ा कि गैबी का सेन्स ऑफ़ ह्यूमर भी काफ़ी अच्छा था।
मैंने उसे भारत में रहने के अपने अनुभव, हमारे तौर-तरीके, यहाँ की परम्पराओं, और हमारे काम करने के तरीकों आदि के बारे में बताया। पढ़ाई के दौरान, मैं आस-पास के कई पहाड़ों की यात्रा करी थी, और मैं अपनी यात्रा की कहानियों को गैबी के साथ शेयर करता था। मैं खींची हुई तस्वीरों को स्कैन कर के गैबी को ईमेल करता था। स्कैन करने, कॉपी करने और ईमेल करने में उन दिनों बहुत समय लगता था, लेकिन यह बहुत मजेदार होता था। उसने मुझे बताया कि जब मैं अपनी स्नातक की परीक्षा समाप्त कर रहा हूँगा, तब वो अपनी स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी कर लेगी। और उसके बाद वो पीएचडी के लिए आवेदन करना चाहती थी - उसको उम्मीद थी कि उसको भारत के किसी अच्छे विश्वविद्यालय में प्रवेश मिल जाएगा, क्योंकि वह भारतीय संस्कृति से संबंधित शोध करना चाहती थी। क्योंकि गैबी मुझसे पढ़ाई में आगे थी, मुझे पता था कि वो मुझसे उम्र में कम से कम दो, या तीन साल बड़ी तो होगी! वैसे भी मेरे लिए यह बात कोई मायने नहीं रखती थी, क्योंकि उस समय तक मुझे अपने से बड़ी उम्र की महिलाओं के प्रति अपने स्वाभाविक लगाव का एहसास हो गया था। ऐसा नहीं है कि मैं ढूंढ़ ढूंढ़ कर अपने से बड़ी उम्र की लड़कियों से रोमांस कर रहा था, बस यह कि अभी तक जो भी लड़कियाँ मेरे जीवन में आईं थी, सभी मुझसे बड़ी थीं। हो सकता है कि मेरे इस झुकाव का कारण, मेरा मेरी माँ के साथ जो अत्यधिक लगाव था, उस से कुछ लेना-देना हो।
ख़ैर, आखिरकार गैबी ने मेरे साथ अपनी तस्वीरें शेयर करीं। यह करने में उसने लगभग छः महीने का समय लिया। उसने कुल मिला कर पाँच तस्वीरें भेजीं - दो सामान्य तस्वीरें थीं जिनमे गैबी ने स्कर्ट और ब्लाउज पहना हुआ था, लेकिन बाकी तीन में उसने बिकिनी पहनी हुई थी। गैबी लगभग चौबीस - पच्चीस वर्ष की श्वेत लड़की थी। उसका शरीर धाविकाओं जैसा पुष्ट था, और वो खूबसूरत भी बहुत थी। उसके स्तन कोई 34B साइज़ के रहे होंगे [मुझे उसके स्तनों का आकार बाद में पता चला ... बहुत बाद में] - बिकिनी के अंदर से उनका आकार बहुत प्यारा लग रहा था । उसके नितम्बों का आकार भी सौम्य और सुन्दर था। हालाँकि वो मेरी तुलना में छोटे कद काठी की थी, लेकिन वो ऐसी कोई समस्या नहीं लग रही थी। फोटो मिलने से पहले से ही मैं गैबी के व्यक्तित्व से प्रभावित था, और उसके बाद भी। और वैसे भी, उसको देखने या न देखने से क्या फ़र्क़ पड़ने वाला था? ऐसा तो नहीं था कि हम कभी मिलने वाले थे - है ना? इसलिए जब मैंने अपनी पहली जॉब शुरू करी, तो हमने अपनी ईमेल पर अपनी कहानियों और तस्वीरों का आदान प्रदान करना जारी रखा। वो यह जानकर बहुत खुश हुई कि मैंने अपनी पहली नौकरी शुरू कर दी है, और मुझसे नियमित रूप से पूछती थी कि मैं जॉब में कैसा परफॉर्म कर रहा हूँ, और मुझे नई जॉब में क्या पसंद आ रहा है, और क्या नहीं?
इस बार हम और भी अधिक व्यक्तिगत बातों पर चर्चा करने लगे। उसने मुझे बताया कि वह आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार से है - जो कि एक अलग सी बात थी - वहाँ श्वेत लोगों में ग़रीबी बहुत कम थी। उसने बताया कि उसको स्नातकोत्तर तक की अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी थी। उसे परिवार से वो प्यार, वो प्रोत्साहन नहीं मिला, जिसका बच्चों के विकास में इतना महत्व है। और तो और, उसकी माँ ने उसे किसी भी प्रयास के लिए हमेशा हतोत्साहित किया, चाहे वह शैक्षिक ही क्यों न हो। यहाँ तक कि उन्होंने गैबी के दुबले पतले दिखने पर भी उसका उपहास किया - कभी यह कह कर कि वो बदसूरत दिखती है, तो कभी यह कह कर कि बच्चा कहाँ रखेगी। यह खुलासा शुरुआत में मेरे लिए एक बड़े झटके के रूप में आया। लेकिन बाद में मुझे पता चला कि भारत की ही तरह ब्राजील का सामाजिक ताना-बाना भी पुरुषों की ओर झुका हुआ है। वहां भी यहाँ की ही तरह स्त्री और पुरुष के बीच बड़ी असमानता है - वहां भी महिलाएं पुरुषों के औसत वेतन का केवल दो तिहाई ही कमाती हैं, और लोग बच्चों में नर बच्चे ही चाहते हैं। मैंने उससे कहा कि भारत में भी सब कुछ वैसा ही है और मैं भी एक मामूली परिवार से हूँ, लेकिन चूंकि मैं अपने माँ बाप का एकलौता बेटा था, इसलिए मेरे लिए सब कुछ थोड़ा अधिक आसान था। इसके अलावा, मेरी शिक्षा का खर्च कम था, मेरे माता-पिता इसे वहन कर सकते थे। लेकिन अब मेरे पास एक अच्छी नौकरी थी, जहाँ वेतन बहुत अच्छा था, और मैं इस बात से खुश था, कि मैं अपने माँ और डैड को उनके कुछ सपनों को जीने में अब मदद कर सकता था।