• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

Status
Not open for further replies.

avsji

..........
Supreme
3,530
15,961
159
b6ed43d2-5e8a-4e85-9747-f27d0e966b2c

प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
Last edited:

Mink

Avid reader
563
1,290
124
Bahut hi khubsurat update tha bro aur last mein kajal ka ** ko dekh kar kho jana mast tha
 
  • Love
  • Like
Reactions: Tiger 786 and avsji

avsji

..........
Supreme
3,530
15,961
159
Bahut hi khubsurat update tha bro aur last mein kajal ka ** ko dekh kar kho jana mast tha
बहुत बहुत धन्यवाद भाई 😊
 

avsji

..........
Supreme
3,530
15,961
159

avsji

..........
Supreme
3,530
15,961
159
Avsji, हर बार की तरह अद्भुत अपडेट
बहुत बहुत धन्यवाद मित्र 🙏😊
 

avsji

..........
Supreme
3,530
15,961
159
आत्मनिर्भर - नए अनुभव - Update 9

उस दिन के बाद से काजल और मेरी बहुत अच्छी बॉन्डिंग हो गई। और हमारे बीच एक बहुत ही करीबी रिश्ता बन गया! मुझे उस समय तक भी नहीं मालूम था कि आगे चल कर, हमारी निकटता का कैसा अत्यंत दूरगामी परिणाम होने वाला है! वैसे भी, भविष्य के गर्भ में क्या है, वो पहले से ही जानने का प्रयास नहीं करना चाहिए। इस समय तो बस केवल यही जान लेना पर्याप्त है कि काजल और मैं - बहुत अच्छे दोस्त हो गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारा रिश्ता, यौन निकटता से अधिक, आपसी सम्मान और विश्वास पर आधारित था। काजल की निकटता ने मुझ पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाला। उसके आने के बाद से मेरा जीवन वैसे ही काफ़ी व्यवस्थित हो गया था; लेकिन अब मुझे जीवन का सुख भी मिलने लगा था। एक कुँवारे पुरुष के जीवन में जब एक स्त्री का आगमन होता है तो उसको सुख तो मिलता ही है। काजल के साथ अंतरंगता बढ़ने के साथ ही मैंने उसको अपने जीवन के कई रहस्यों से अवगत कराया। मैंने उसे अपने बचपन के बारे में बताया - मैंने उसको बताया कि बचपन में मुझे कैसे नग्न रहना पसंद था। तो उसने मुझे अभी भी नग्न रहने के लिए प्रोत्साहित किया। मैंने उसको यह भी बताया कि बचपन में मुझे माँ के स्तनों से दूध पीना बहुत पसंद था। तो उसने मुझे अभी भी उसका दूध पीते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। काजल मेरे स्तनपान करने की इच्छा से बहुत खुश थी, और उसने मुझे अपने स्तनों को पीने से मुझे कभी नहीं रोका। जब भी मुझे उसका दूध पीने की इच्छा होती, तो मुझे बस इतना करना था कि मैं उसका ब्लाउज खोल दूं और पीने लग जाऊँ। मुझको नियमित रूप से रोज़ स्तनपान कराने के कारण काजल को मेरे घर पर अब अधिक समय लगने लगा। इसलिए मैंने उसको कहा कि घर की सफाई सप्ताह में एक दो बार ही किया करे।

काजल मेरे लिंग को चूमना कभी नहीं भूलती थी - दिन में कम से कम दो बार मुझे उसका चुम्मा मिलता था। जैसे सुनील को मिलता था। यह सारे रूटीन तभी टूटते थे जब मेरे माँ डैड या अन्य मेहमान मुझसे मिलने आते थे। हमारे बीच में अब गहरी अंतरंगता थी, लेकिन यह भी सच था कि उसने मुझे कभी अपनी योनि में नहीं पहुंचने दिया। किसी भी तरह की पहुंच नहीं - न तो लिंग और न ही उंगली या मुँह! मैंने भी कभी उस पर जबरदस्ती करने की कोशिश नहीं की। मुझे उसके शरीर के अन्य सभी अंगों को छूने की अनुमति थी। मैंने एक बार उसके पहनने के लिए एक सेक्सी ब्रा-पैंटी सेट खरीदा था। यह उपहार पा कर काजल बहुत हैरान भी हुई और खुश थी! वह कभी-कभी केवल उन्हें पहन कर मेरे घर में रहती थी। बड़ा मज़ेदार सा माहौल हो जाता - जब वो शाम को घर आती, और मुझे कपड़े पहने देखती, तो वो मेरे पास चली आती, और मुझे नंगा कर देती। सुनील को भी मुझे वैसे ही देखने की आदत हो गई। जब वह काम कर रही होती, तो मैं अक्सर रसोई में चला जाता, वहाँ उसके साथ बातें करता रहता। मुझे हस्तमैथुन और मुखमैथुन का आनंद देने में भी उसको कोई संकोच नहीं होता था।

काजल अब महीने में तीन चार बार मेरे घर पर ही सोने लगी, और हर बार मैं भी उसके और उसके बच्चों के साथ ही सो जाता था। उन दिनों में हम चारों, एक परिवार के सदस्यों जैसे ही होते थे - काजल और मैं, मम्मी-पापा के रोल में, और सुनील और लतिका, हमारे बच्चों के रोल में। एक रात जब हम सोने की तैयारी कर रहे थे - सुनील काजल के बाईं तरफ था, जबकि मैं दाईं तरफ। जैसे ही हम लेट गए, मैंने काजल के ब्लाउज के बटन खोलना शुरू कर दिया। काजल सुनील के सामने ऐसा किये जाने से घबरा गई, और ‘न न’ कहती रही, लेकिन मैं तभी रुका, जब उसके स्तन पूरी तरह से नंगे हो गए। फिर सुनील और मैंने खुशी-खुशी उन शानदार स्तनों से दावत का आनंद उठाया। सुनील को केवल इस बात पर आपत्ति थी कि मैं काजल के स्तन का अधिक हिस्सा अपने मुँह में लेने में ले रहा था, जो उसे लगता था कि मेरे बड़े होने का मुझको एक अनुचित लाभ था। उस रात के बाद जब हम साथ सोते थे तो काजल और मैं ज्यादातर नंगे रहते थे।

सच कहूँ, मुझे उन तीनों से बहुत अधिक अपनापन लगने लगा था। वास्तव में वो तीनों मुझे मेरे ही परिवार का हिस्सा लगने लगे थे। सुनील भी मुझे अपने पिता के जैसे ही देखने लग गया था - मुझे नहीं मालूम कि काजल ने उसको यह करने को कहा था या नहीं, लेकिन अब वो जब भी मुझसे मिलता, एक बेटे के समान ही मेरे पैर छूता और मेरा आशीर्वाद लेता! मुझे नहीं पता कि काजल के पति को हमारी नज़दीकियाँ कैसी लगती थीं, या उसका हमारे बारे में क्या नज़रिया था! हम उसके बारे में कभी बातें नहीं करते थे; काजल भी अपनी तरफ से उसके बारे में कुछ कहती नहीं थी। कभी-कभी जब काजल मेरे घर आती, तो वह सीधे मेरे पास आ कर मेरी गोद में बैठ जाती, और घर का कोई भी काम शुरू करने से पहले अपने स्तन मेरे मुँह में दे देती। जब मेरा पेट भर जाता तब वो काम शुरू करती। कुल मिलाकर काजल के साथ मेरा जीवन काफी खुशनुमा बन गया था। वह मेरी मैट्रन, मेरी दोस्त, मेरी प्रेमी और मेरी साथी - सब कुछ थी।

चूँकि मैंने माँ और डैड से, खासकर अपनी माँ से कभी कुछ भी नहीं छिपाया था, मैंने उनको काजल और मेरे सम्बन्धों के बारे में सब कुछ बता दिया। यह सब सुनकर माँ शुरू शुरू में असहज तो ज़रूर हुईं - इस बात से नहीं कि काजल की आर्थिक पृष्ठभूमि कमज़ोर थी, बल्कि इस बात से कि वो पहले से शादी-शुदा थी - अभी भी है - और दो बच्चो की माँ थी, और मुझसे उम्र में काफी बड़ी थी। और तो और उसका पति भी ठीक आदमी नहीं था। इसलिए माँ ने मुझे सावधान रहने को कहा। उसने मुझको समझाया कि क्योंकि काजल एक विवाहित महिला थी, इसलिए हम जो कुछ आपस में कर रहे थे वह वास्तव में व्यभिचार की श्रेणी में आता है, जो कि नहीं होना चाहिए।

लेकिन फिर माँ और डैड काजल से मिले। आपको यकीन नहीं होगा कि काजल से मिल कर माँ कितनी अधिक प्रसन्न हुईं, और डैड भी! काजल ने माँ और डैड के पैर छुए, और उनसे बहुत ही सभ्य तरीके से बात चीत की। माँ और काजल लगभग तुरंत ही एक दूसरे से घुल मिल गए। डैड और माँ, दोनों बच्चों के लिए कई सारे उपहार - जैसे कपड़े, जूते, और खिलौने - भी ले कर आए थे, जिनको पा कर सुनील और लतिका बहुत प्रसन्न हुए। माँ के कहने पर काजल एक रात को हमारे घर पर ही रुकने को तैयार हो गई। और दो ही दिनों में ही माँ को काजल के बारे में सब कुछ मालूम पड़ गया। उनको इस बात को जान कर बहुत दुःख हुआ कि इतनी संस्कारी स्त्री को गरीबी के कारण दूसरे लोगों के घर में काम करना पड़ रहा था। मुझे सावधान रहने की सलाह देने वाली मेरी माँ, काजल के साथ तुरंत दोस्त बन गईं। गौरतलब है कि माँ और काजल की उम्र में कोई अधिक अंतर नहीं है। माँ काजल से शायद कोई दो या बहुत अधिक तो तीन साल ही बड़ी थीं। इसलिए जब काजल उन्हें ‘माँ जी’ और मुझे ‘भैया’ कहकर संबोधित करती थी तो उन्हें यह बहुत अजीब लगता था। उन्होंने काजल से कहा कि वो मुझे मेरे नाम से ही बुलाया करे। उन्होंने काजल को समझाया कि जब सम्बन्ध सेक्सुअल हो जाए, तो अपने प्रेमी को ‘भैया’ नहीं कहना चाहिए। हाँ, लेकिन प्रेमी की माँ को ‘माँ जी’ कहना अनुचित नहीं है।

एक शाम, जब काजल का दूध पिए तीन दिन हो गए, तब काजल मेरे कमरे में किसी काम से आई। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने बगल बैठा लिया, और उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा। काजल कातरता से ‘न न’ कह कर गिड़गिड़ाने लगी - कहने लगी कि अगर माँ जी ने देख लिया वो वो क्या बोलेंगी; क्या सोचेंगी!! लेकिन मैं रुकना नहीं चाहता था। आज उसके स्तन खाली करने की ज़िद पकड़ ली थी मैंने। मुझे पता था कि दूध बनने के कारण काजल को भी स्तनों में दर्द हो रहा होगा। जब से मैंने उसका दूध पीना शुरू किया था, तब से उसको और भी अधिक दूध बनना शुरू हो गया था। सुनील पीता था, लेकिन उतना नहीं। लतिका का पीना तो कम ही था। मेरे ही कारण से अचानक से उसका उत्पादन बढ़ गया था। तीन दिनों से उसके स्तन खाली नहीं हुए थे, इसलिए काजल को भी दिक्कत हो रही होगी। वो भी मुझे पिलाना चाहती थी, लेकिन उसे इस बात की चिंता थी कि माँ जी क्या कहेंगी!

अभी हमारी ज़ोरा ज़ोरी चल ही रही थी कि माँ ने कमरे में आकर कहा,

“काजल बेटा, प्लीज अमर को अपना दूध पिला दो। खाना मैं देख लूँगी। और तुम दोनों जो कुछ कर रहे हो, उस पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है... इसलिए बेफ़िक्र रहो। मुझे पता है कि तुम्हारे दूधों में दर्द हो रहा होगा। पिला दो - तुम्हारा दर्द भी कम हो जाएगा और इसका मन भी भर जाएगा!”

“देखो ... मैंने तुमसे कहा था न कि माँ हमको बुरा भला नहीं कहेंगी! ठीक है न माँ?”

माँ ने काजल से जो कहा, उसे मैंने उसको दोहराया और उसके ब्लाउज को शरीर से अलग कर के, झट से मैं उसके एक चूचक को मुँह में ले कर पीने लगा।

बेचारी काजल असहाय होकर बैठने, और कभी-कभी शर्म से हँसने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती थी। कभी-कभी वो अपना चेहरा अपने हाथों के पीछे छिपा लेती थी, क्योंकि जब मैं काजल से स्तनपान कर रहा था, माँ बड़े मजे से हमको देख रही थीं। सामान्यतः, मुझे उसके एक स्तन का दूध खाली करने में लगभग तीन से चार मिनट लगते थे, लेकिन उस दिन मुझे करीब आठ मिनट का समय लगा। जैसे जैसे काजल का दर्द कम हुआ, वो भी सामान्य हो गई। जब स्तनपान संपन्न हो गया, तब माँ ने बड़े आभार से काजल से कहा,

“काजल बेटा, मैं सच में तुम्हारी बहुत आभारी हूँ! तुमने मेरे बेटे की इतनी अच्छी तरह से देखभाल करी है।”

माँ ने काजल का माथा चूमा। माँ ऐसी ही थीं - प्रेम, स्नेह उनके रोम रोम से बरसता था! मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि मेरी माँ क्या कभी किसी बात पर नाराज़ भी हो सकती हैं? उनके लिए कोई भी बात अपराध नहीं थी; और सारे अपराध क्षम्य थे। अब तो काजल भी समझ गई थी कि माँ के पास प्यार और स्नेह का एक अनंत भंडार है।

“माँ जी… मैं अपने पूरे जीवन में आप जैसी किसी और औरत से नहीं मिली! आप बहुत स्नेही हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि आपका बेटा भी आपके और बाबूजी के जैसा ही दिल का साफ़ है!”

मेरी बढ़ाई सुनकर मैं जोश में आ कर उसका स्तन चूसने लगा, जिससे शायद उसे तकलीफ हुई हो।

“आहहह!... लेकिन माँ जी, ये बहुत बदमाश और शरारती हो गया है …” काजल ने मेरी मीठी शिकायत की।

मैंने उसके चूचक को थोड़ा जोर से दबाया; काजल के होंठों से ‘सीईई’ जैसी सीत्कार निकल गई।

“बदमाश? कैसे?” माँ ने उत्सुकतावश पूछा।

मैंने इलास्टिक बैंड वाला पायजामा पहना हुआ था। काजल जानती थी कि उसके नीचे मैंने कुछ नहीं पहना हुआ था। काजल ने पायजामा मेरी कमर के नीचे खिसका दिया। मैं सोच भी नहीं सकता था कि काजल माँ के सामने ऐसा कुछ कर सकती है, इसलिए मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। मेरा लिंग उस समय पूरी तरह से तना हुआ था!

“इसे देखिए! जब देखो तब इसका नुनु खड़ा ही रहता है!”

“ओह्ह! हा हा!” माँ हँस पड़ीं, “तुम तो सच में बड़े हो गए हो बेटा!”

करीब से निरीक्षण करने के लिए माँ मेरे करीब आ गईं और फिर कुछ देर बाद, उन्होंने उसने मेरे एक नितंब पर चपत लगाई।

“मेरा अमर तुम्हारी वजह से बदमाश बन गया है, काजल बेटा। तुम उसको इतना प्यार जो करती हो, इसलिए वो अब वो अच्छी तरह फल फूल रहा है। तुम दोनों जो कर रहे हो, उसे करते रहो! तुम दोनों के बीच जो भी है - उसको सुरक्षित रखो! मैं तुम दोनों को सुरक्षित रखूँगी! यह मेरा वायदा है!”

माँ ने कहा, और काजल का माथा चूम लिया।

बाद में माँ ने मुझे बताया कि काजल से मिलने के बाद उन्हें समझ में आया कि मैं उसको इतना पसंद क्यों करता हूँ! उन्होंने कहा कि हमारे बीच में जो भी कुछ था, वो बहुत सुन्दर था। माँ ने मुझसे वायदा किया कि वो मेरी और काजल और हमारे संबंधों की रक्षा करेंगीं। लेकिन उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि मुझे एक ऐसी प्रेमिका की तलाश करनी चाहिए जो ‘सिंगल’ हो। काजल भी माँ की इस बात से पूरी तरह सहमत थी। वो खुद को मेरे गार्जियन के रूप में अधिक देखती थी... प्रेमिका के रूप में नहीं। बहुत अधिक करीबी कुछ हुआ तो जैसे मेरी बड़ी बहन! इसलिए, काजल ने मेरे लिए एक उपयुक्त साथी खोजने का जिम्मा भी अपने ऊपर ले लिया। वह अक्सर मुझे जहाँ जहाँ वो काम करने जाती थी, वहाँ या उनसे जुडी हुई अगर कोई मेरे लिए उपयुक्त लड़की होती थी, तो मुझे बताती थी। काजल का यह प्रयास मुझे बहुत क्यूट लगता था, लेकिन मैंने उसे यह तलाश रोकने के लिए कहा ... क्योंकि मुझे लग रहा था कि शायद मुझे अपने लिए एक साथी मिल गई है।

***
 

avsji

..........
Supreme
3,530
15,961
159
पहला प्यार - Update #1


वो पहली लड़की, जिसे मैं अपनी प्रेमिका भी मान सकता था, वो दरअसल एक विदेशी लड़की थी - एक ब्राज़ीलियाई लड़की। और बड़ी दिलचस्प बात यह भी है कि मैं उस लड़की से कभी व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला। उसका नाम गैब्रिएला [गैबी] था। हम उस समय के एक बहुत ही नए चैट रूम [वो चैट रूम यूनिक्स सिस्टम पर आधारित था और उस पर अधिकतर टेक्स्ट पर ही बात हो पाती थी। अटैचमेंट में कभी कभी चित्र भेज सकते थे, लेकिन उनको डाउनलोड होने में बहुत समय लगता था। आज कल तो उस चैट रूम को डायनासौर के युग का माना जायेगा - वैसे आज कल भी चैट रूम्स होते हैं क्या?] में यूँ ही अचानक से मिल गए थे। यह बात तब की है जब मैं इंजीनियरिंग के आख़िरी साल में था। मेरे इंजीनियरिंग कॉलेज में एक सुव्यवस्थित कंप्यूटर सेंटर था, जिसका उपयोग बहुत कम ही लोग करते थे। यहाँ इंटरनेट कनेक्टिविटी अच्छी थी, हालाँकि आपको इसके लिए अग्रिम बुकिंग और नगद भुगतान करने की आवश्यकता होती थी। चूंकि फीस बहुत अधिक नहीं थी, इसलिए मैं यह खर्चा उठा लेता था। ज्यादातर छात्र उस कंप्यूटर सेंटर का इस्तेमाल चैटिंग से संबंधित गतिविधियों के लिए ही करते थे। तो, मैं भारत से संबंधित एक चैट रूम में बातचीत करने के दौरान गैबी से मिला। उस समय भारत से संबंधित शायद ही कोई चैट रूम था, और मैं यह देखने और जानने के लिए उत्सुक था कि वहाँ पर क्या चर्चा हो रही है! और जब मैंने देखा कि एक विदेशी लड़की भारत से सम्बंधित विषयों पर इतनी ज्ञान भरी चर्चा कर रही है, तो मेरा ध्यान उसकी ओर आकर्षित होना स्वाभाविक ही था [उन दिनों, इंटरनेट पर लोग उपनामों (alias) का अधिक उपयोग नहीं करते थे, और केवल उनके स्क्रीन नामों से एक-दूसरे के असली नामों के बारे में अंदाज़ा लगाना बहुत आसान था]।

जब मैंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की और अपनी नई नौकरी शुरू की, तो मैंने एक नए व्यक्तिगत कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन में निवेश किया [उस समय केवल डायल-अप कनेक्शन मिलता था, जो कि बेहद धीमा, अविश्वसनीय और बहुत मँहगा होता था]। मेरे माँ और डैड को न तो कंप्यूटर और न ही इंटरनेट का सर पता था, और न ही उसकी पूँछ! उनको इसकी उपयोगिता के बारे में भी कुछ पता नहीं था। लेकिन मुझे यह बहुत उपयोगी लगा, क्योंकि एक तो मेरे कई दोस्तों सहपाठियों को विदेशों में नौकरी मिल गई थी [देश, जैसे अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड और जर्मनी] और अलग-अलग समय क्षेत्रों में रहने के बावज़ूद सभी से एक ही समय में बात करने में सक्षम होना, एक मजेदार अनुभव था। प्रौद्योगिकी के ‘अत्याधुनिकिकरण’ के मेरे ज्ञानवर्द्धन में मेरे वो दोस्त और सहपाठी मेरे कोच और मार्गदर्शक थे। उन्होंने मुझे चैट रूम की अवधारणा [कांसेप्ट] के बारे में बताया। जो लोग इस तरह की चीजें जानते हैं वे बेहतर बता सकते हैं। ख़ैर, मैं इंटरनेट रुपी इस विलासिता का ख़र्च वहन करने में सक्षम था, क्योंकि मेरी नौकरी से मुझे अच्छा वेतन मिलता था, और मेरे पास शायद ही कोई खर्च था।

जब हम ब्राजील के बारे में सोचते हैं, तो हमारे ज़हन में एक ऐसे देश का ख़ाका खिंच जाता है, जहाँ की लड़कियाँ और महिलाएं तंग बिकनी पहनती हैं, और अपना शरीर-प्रदर्शन करती हैं, खासकर विश्व प्रसिद्ध कार्निवल के दौरान! हम सभी ने उन विचित्र वेश-भूषाओं को देखा ही है, है ना? लेकिन यहां मेरे सभी पाठकों के लिए यह आश्चर्य की बात होगी कि ब्राजील की अति-कामुक वैश्विक छवि के विपरीत, वहाँ का समाज काफ़ी रूढ़िवादी है। कुछ ज्ञानी और जानकार लोगों ने ब्राजील को ‘महान विरोधाभासों’ का देश कहा है। एक तरह से यह ठीक टिप्पणी है। ब्राज़ील जहाँ कार्निवल की भूमि भी है, तो वहीं यह एक ऐसी जगह भी है, जहां कई पारंपरिक दृष्टिकोण और सामाजिक मूल्य आज भी कायम हैं।

अब मैं अपनी कहानी से थोड़ा अलग जाऊँगा - ताकि मैं ब्राजील और वहाँ के लोगों के बारे में अपनी समझ को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकूं। ब्राजीलियाई मुख्य रूप से तीन जातियों का मिश्रण हैं - मूल-निवासी, यूरोपीय इमिग्रेंट्स, और अफ्रीकी दास-बंदी। वर्तमान में ब्राजीलियाई नस्ल, दरअसल, इन तीनों नस्लों का मिश्रण है। यह भी कहा जा सकता है कि ब्राजीलियाई वर्तमान में दुनिया के किसी भी हिस्से की तुलना में नस्ल-मिश्रण के बारे में अधिक खुला हुआ दृष्टिकोण रखते हैं। नस्ल के प्रति ऐसे उदारवादी रवैये के बावजूद, ब्राज़ील में आश्चर्यजनक रूप से अंतर्निहित नस्लवाद उपस्थित है। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि वहाँ अश्वेत लोगों को रोजगार मिलने की संभावना कम होती है, और इसलिए उनके गरीब होने की संभावना भी अधिक होती है। और ग़रीबी वहां की एक बड़ी सामाजिक समस्या है। रिओ द जनेरिओ की बीस प्रतिशत जनसँख्या स्लम में रहती है। ग़रीबी और आर्थिक विसमानताओं के कारण, वहाँ अपराध भी काफ़ी अधिक होता है - हत्या, डकैती, चोरी, अपहरण - यह सब वहाँ बहुत है। ड्रग्स की समस्या भी बहुत है। और उसके कारण गैंग-वॉर भी काफ़ी होती है, किसके चपेट में आम लोग भी अक्सर ही आ जाते हैं। इन सभी विषमताओं के बीच, एक चीज है जो ब्राज़ील के समाज को बांधे रखती है, और वह है संगीत और नृत्य के प्रति उनका प्रेम। अधिकांश ब्राज़ीलियाई बहुत कम उम्र से ही नृत्य करना सीखना शुरू कर देते हैं। साम्बा, जोंगो, बुम्बा, और फोर्रो यह सब यहाँ के प्रमुख नृत्य हैं। तो नृत्य, संगीत, जीवन के प्रति प्रेम - यह सब बातें ब्राज़ील को अन्य देशों से अलग बनाती हैं।

खैर, इसके पहले कि मैं हमारे मुख्य विषय से बहुत दूर चला जाऊँ, मुझे गैबी पर वापस आना चाहिए। गैबी भारत देश, यहाँ के दर्शन, संस्कृति, और भारत से जुड़ी लगभग हर चीज पर मोहित थी - और वो भी बचपन से ही। भारत के बारे में उसको अपने स्कूल की लाइब्रेरी से जानने सीखने को मिला, और आगे चल कर उसको और जानने का एक तरीके का पागलपन सा हो गया! उसको भारत के बारे में इतनी उत्सुकता थी कि इस उत्साह में वो ‘हरे कृष्ण’ संप्रदाय में भी शामिल हो गई - तब वो शायद चौदह पंद्रह साल की ही थी! बेशक, उस जुड़ाव के बाद, गैबी का भारत और हिंदू धर्म के बारे में ज्ञान काफी बढ़ गया। लेकिन उसका ज्ञान बहुत रूढ़िवादी और पुराना था - भारत स्वयं भी परिवर्तित होता हुआ देश है। तो जब चैट रूम में उससे मुलाकात हुई, तो मैंने सोचा कि मैं उसे एक-दो नई बातें मैं भी बता सकता हूँ, और साथ ही साथ मैं उसका एक ‘अंतरराष्ट्रीय’ दोस्त भी बन सकता हूँ। हमारी पहली की कुछ बातचीतों में मैं जान गया कि गैबी बहुत बुद्धिमान थी। उसमे विभिन्न विषयों का गहन अवलोकन [डीप ऑब्जरवेशन] करने, और उन पर अंतर्दृष्टि [इनसाइट] विकसित करने की अद्भुत क्षमता थी। मुझे गैबी की बुध्दिमत्ता, और भारत की संस्कृति के विभिन्न विषयों पर उसका ज्ञान बहुत पसंद आया। मुझे कई मुद्दों पर गैबी के अलग दृष्टिकोण से बहुत कुछ नया सीखने को मिला। संस्कृति और धर्म के कई विषयों पर गैबी के प्रश्नों और उन पर उसके दृष्टिकोण को देखने सममझने में बिताया गया समय मेरे लिए सबसे अधिक उत्पादक समय था। उसके सवालों के जवाब तलाशने ने कई बार मुझे बौद्धिक रूप से चुनौती दी।

गैबी की बुद्धिमत्ता ने मुझे उसकी ओर आकर्षित किया। कुछ ही समय में मुझे उसे देखने की तीव्र इच्छा होने लगी थी। लेकिन न जाने क्यों, मैं उससे उसकी तस्वीरें नहीं मांग पा रहा था। लेकिन फिर, उन शुरुआती कुछ दिनों को छोड़कर, मैंने इस बात पर ध्यान देना बंद कर दिया कि गैबी कैसी दिखती है [उसने शुरुआत में कभी भी अपनी तस्वीरें मुझसे शेयर नहीं कीं]। मैं उसकी बुद्धिमत्ता पर पूरी तरह से मोहित हो गया था। और निश्चित रूप से, मैंने भी उसका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। हमने अपने अपने ईमेल एक दूसरे के साथ शेयर किये, और फिर हमारा रोज़ का ईमेल का लेन-देन शुरू हो गया। जब आप मित्र बन जाते हैं, तब औपचारिकताएँ भी कम हो जाती हैं। मुझे जल्दी ही मालूम पड़ा कि गैबी का सेन्स ऑफ़ ह्यूमर भी काफ़ी अच्छा था।

मैंने उसे भारत में रहने के अपने अनुभव, हमारे तौर-तरीके, यहाँ की परम्पराओं, और हमारे काम करने के तरीकों आदि के बारे में बताया। पढ़ाई के दौरान, मैं आस-पास के कई पहाड़ों की यात्रा करी थी, और मैं अपनी यात्रा की कहानियों को गैबी के साथ शेयर करता था। मैं खींची हुई तस्वीरों को स्कैन कर के गैबी को ईमेल करता था। स्कैन करने, कॉपी करने और ईमेल करने में उन दिनों बहुत समय लगता था, लेकिन यह बहुत मजेदार होता था। उसने मुझे बताया कि जब मैं अपनी स्नातक की परीक्षा समाप्त कर रहा हूँगा, तब वो अपनी स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी कर लेगी। और उसके बाद वो पीएचडी के लिए आवेदन करना चाहती थी - उसको उम्मीद थी कि उसको भारत के किसी अच्छे विश्वविद्यालय में प्रवेश मिल जाएगा, क्योंकि वह भारतीय संस्कृति से संबंधित शोध करना चाहती थी। क्योंकि गैबी मुझसे पढ़ाई में आगे थी, मुझे पता था कि वो मुझसे उम्र में कम से कम दो, या तीन साल बड़ी तो होगी! वैसे भी मेरे लिए यह बात कोई मायने नहीं रखती थी, क्योंकि उस समय तक मुझे अपने से बड़ी उम्र की महिलाओं के प्रति अपने स्वाभाविक लगाव का एहसास हो गया था। ऐसा नहीं है कि मैं ढूंढ़ ढूंढ़ कर अपने से बड़ी उम्र की लड़कियों से रोमांस कर रहा था, बस यह कि अभी तक जो भी लड़कियाँ मेरे जीवन में आईं थी, सभी मुझसे बड़ी थीं। हो सकता है कि मेरे इस झुकाव का कारण, मेरा मेरी माँ के साथ जो अत्यधिक लगाव था, उस से कुछ लेना-देना हो।

ख़ैर, आखिरकार गैबी ने मेरे साथ अपनी तस्वीरें शेयर करीं। यह करने में उसने लगभग छः महीने का समय लिया। उसने कुल मिला कर पाँच तस्वीरें भेजीं - दो सामान्य तस्वीरें थीं जिनमे गैबी ने स्कर्ट और ब्लाउज पहना हुआ था, लेकिन बाकी तीन में उसने बिकिनी पहनी हुई थी। गैबी लगभग चौबीस - पच्चीस वर्ष की श्वेत लड़की थी। उसका शरीर धाविकाओं जैसा पुष्ट था, और वो खूबसूरत भी बहुत थी। उसके स्तन कोई 34B साइज़ के रहे होंगे [मुझे उसके स्तनों का आकार बाद में पता चला ... बहुत बाद में] - बिकिनी के अंदर से उनका आकार बहुत प्यारा लग रहा था । उसके नितम्बों का आकार भी सौम्य और सुन्दर था। हालाँकि वो मेरी तुलना में छोटे कद काठी की थी, लेकिन वो ऐसी कोई समस्या नहीं लग रही थी। फोटो मिलने से पहले से ही मैं गैबी के व्यक्तित्व से प्रभावित था, और उसके बाद भी। और वैसे भी, उसको देखने या न देखने से क्या फ़र्क़ पड़ने वाला था? ऐसा तो नहीं था कि हम कभी मिलने वाले थे - है ना? इसलिए जब मैंने अपनी पहली जॉब शुरू करी, तो हमने अपनी ईमेल पर अपनी कहानियों और तस्वीरों का आदान प्रदान करना जारी रखा। वो यह जानकर बहुत खुश हुई कि मैंने अपनी पहली नौकरी शुरू कर दी है, और मुझसे नियमित रूप से पूछती थी कि मैं जॉब में कैसा परफॉर्म कर रहा हूँ, और मुझे नई जॉब में क्या पसंद आ रहा है, और क्या नहीं?

इस बार हम और भी अधिक व्यक्तिगत बातों पर चर्चा करने लगे। उसने मुझे बताया कि वह आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार से है - जो कि एक अलग सी बात थी - वहाँ श्वेत लोगों में ग़रीबी बहुत कम थी। उसने बताया कि उसको स्नातकोत्तर तक की अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी थी। उसे परिवार से वो प्यार, वो प्रोत्साहन नहीं मिला, जिसका बच्चों के विकास में इतना महत्व है। और तो और, उसकी माँ ने उसे किसी भी प्रयास के लिए हमेशा हतोत्साहित किया, चाहे वह शैक्षिक ही क्यों न हो। यहाँ तक कि उन्होंने गैबी के दुबले पतले दिखने पर भी उसका उपहास किया - कभी यह कह कर कि वो बदसूरत दिखती है, तो कभी यह कह कर कि बच्चा कहाँ रखेगी। यह खुलासा शुरुआत में मेरे लिए एक बड़े झटके के रूप में आया। लेकिन बाद में मुझे पता चला कि भारत की ही तरह ब्राजील का सामाजिक ताना-बाना भी पुरुषों की ओर झुका हुआ है। वहां भी यहाँ की ही तरह स्त्री और पुरुष के बीच बड़ी असमानता है - वहां भी महिलाएं पुरुषों के औसत वेतन का केवल दो तिहाई ही कमाती हैं, और लोग बच्चों में नर बच्चे ही चाहते हैं। मैंने उससे कहा कि भारत में भी सब कुछ वैसा ही है और मैं भी एक मामूली परिवार से हूँ, लेकिन चूंकि मैं अपने माँ बाप का एकलौता बेटा था, इसलिए मेरे लिए सब कुछ थोड़ा अधिक आसान था। इसके अलावा, मेरी शिक्षा का खर्च कम था, मेरे माता-पिता इसे वहन कर सकते थे। लेकिन अब मेरे पास एक अच्छी नौकरी थी, जहाँ वेतन बहुत अच्छा था, और मैं इस बात से खुश था, कि मैं अपने माँ और डैड को उनके कुछ सपनों को जीने में अब मदद कर सकता था।
 

avsji

..........
Supreme
3,530
15,961
159
पहला प्यार - Update #2


गैबी यह सब जानकर बहुत खुश हुई, और अक्सर मुझसे कहती कि काश वो भी कुछ ऐसा ही कर पाती। लेकिन उसकी पीएचडी करने की तीव्र इच्छा थी। मैंने यह समझा, और उसको आगे पढ़ने के लिए काफी प्रोत्साहित किया। मैंने उससे कहा कि अगर वह पीएचडी नहीं करती है, तो उसे बाद में उस को अपने फैसले पर पछतावा हो सकता है। मैंने उसे भारत आने और मेरे साथ रहने के लिए भी प्रोत्साहित किया। वो दोस्त ही क्या, अगर हम एक दूसरे की मदद नहीं कर सकते हैं? मुझे नहीं पता कि उसने मेरे प्रस्ताव पर क्या विचार किया, लेकिन उसने मुझे बताया कि उसके परिवार और विशेष रूप से उसकी माँ के उपहास भरे व्यवहार ने उस पर भारी भावनात्मक असर डाला। वो लम्बे समय से अवसाद का शिकार रही। उससे मुक्ति के लिए उसको बस एक ही निकास समझ आया - सेक्स! जब आप अवसादग्रस्त रहते हैं, तो अपने लिए साथी भी गलत ही ढ़ूंढ़ते हैं। उसको हमेशा ऐसे पुरुषों का साथ मिला जो हमेशा सिर्फ एक चीज चाहते थे - सेक्स! गैबी ने भी कई लोगों के साथ खुलकर सेक्स दिया, और अब उसको अपने किये पर पछतावा और शर्मिंदगी होती थी। बिना प्रेम का सेक्स हमेशा व्यर्थ होता है - अब वो ऐसा मानने लगी थी। मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं गैबी के कौमार्य को ले कर शुरू में थोड़ा निराश नहीं था, लेकिन जब मैंने ब्राज़ील की संस्कृति और गैबी की परिस्थिति के बारे में और जाना, तो मैं सब समझ गया, और धीरे-धीरे वह ‘हानि’ वाला भाव मेरे मन से लुप्त हो गया। मैंने उससे कहा कि उसे छोटी-छोटी बातों की चिंता नहीं करनी चाहिए। जीवन में प्यार बहुत मायने रखता है, और मैं उससे प्रेम करता हूँ - भले ही यह प्रेम अभी तक ‘सात जन्मो’ वाला प्रेम न हो, लेकिन कम से कम एक मित्र के रूप में मैं उससे बहुत प्रेम करता हूँ।

इस बात के जवाब में गैबी ने कहा कि मेरे साथ बात कर के उसको बहुत अलग सा महसूस होता है। उसने मुझे बताया कि मेरी मानसिकता बहुत उदार थी; एक अच्छा श्रोता था, और अपनी उम्र के लिए एक बहुत ही मुकम्मल और आश्वस्त व्यक्ति था। मैं उसके आकलन से सहमत था - अच्छी नौकरी होने से समाज में बढ़िया स्थान बनता है। मैं भी अब समाज में अच्छे कारणों से जाना जा रहा था। तो जब मैंने उसका बॉयफ्रेंड और प्रेमी बनने की पेशकश की, तो गैबी ने उसे तुरंत और सहर्ष स्वीकार कर लिया। हमारा प्रेम और अंतरंग सम्बन्ध आपसी विश्वास, सम्मान और दोस्ती पर आधारित था, और इंटरनेट पर फल फूल रहा था। हम बहुत लंबे लंबे ई-मेल का आदान-प्रदान करने लगे [प्रिंट करोगे तो चार पांच पेज लंबे] और कभी-कभी हम डाक मेल भी लिखते थे। उसमे समय तो लगता था, लेकिन उसका अलग ही मज़ा था। कम से कम हम एक दूसरे की लिखावट पढ़ पाते और उसमे रखे हुए फ़ोटो भी देख पाते। अपने एक डाक मेल में उसने एक बहुत ही अंतरंग तस्वीर साझा की जिसमें उसने केवल छोटी सी टू-पीस बिकनी पहनी हुई थी, और मुझसे वादा किया कि जब हम व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे (क्या यह संभव भी था?) तो वो मुझसे सब कुछ शेयर करेगी! साथ ही हमने आईएसडी कॉलों पर भी एक-दूसरे से बात करनी शुरू कर दी। भारत से ब्राज़ील आईएसडी कॉल उस समय बहुत महँगी थीं - उस पर मेरे मासिक वेतन का लगभग एक चौथाई से भी अधिक खर्च हो जाता, लेकिन उस पर आनंद खूब आता। जब गैबी को पता चला तो उसने मुझे कॉल न करने को कहा। गैबी की मधुर आवाज है। हम जल्दी ही एक दूसरे के साथ और अधिक सहज हो गए।

गैबी और मैं अब एक-दूसरे को प्रेमी के रूप में सम्बोधित और संदर्भित [रेफर] करना शुरू कर दिया, और कई अंतरंग विवरण साझा करना शुरू कर दिया। उसने मुझे बताया कि जब से मैं उसके जीवन में आया था, तब से उसने किसी अन्य के साथ कोई भी सरोकार रखना बंद कर दिया था। मैंने उस पर भरोसा किया। गैबी जैसी लड़की और वो भी ब्राज़ीलियन परिक्षेत्र में इस बात को ले कर झूठ नहीं बोलेगी। क्योंकि उसको ऐसा करने का कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलने वाला। ब्राजील में लोग अपने प्रेम जीवन के बारे में बहुत खुले हैं; अगर वे कुछ कहते हैं, तो वे इसे अच्छे विश्वास के कारण कहते हैं और ज्यादातर सच बोलते हैं ... दूसरे शब्दों में, जब वे प्यार और सेक्स के बारे में बात करते हैं, तो इसलिए क्योंकि वो सुनने वाले को सीधा सीधा बताना चाहते हैं। इसका मतलब, गैबी ने करीब डेढ़ साल से सेक्स नहीं किया था, जो कि एक बड़ी बात थी और मुझे यह जान कर अच्छा भी लगा। इधर मैं काजल के साथ अंतरंग हो रहा था! जब हम प्रेमी के रूप में सामने आए, तब उसने मुझसे कहा कि अब उसको मेरे साथ सेक्स करने की तीव्र इच्छा होती है।

इच्छा तो मुझे भी हो रही थी। लेकिन हम क्या कर सकते थे? यह वह समय था जब माँ और काजल मुझ पर अपनी उम्र की एक ‘अनअटैच्ड’ गर्लफ्रेंड खोजने का दबाव बना रहे थे। मैंने सोचा कि अगर शारीरिक नहीं, तो कम से कम भावनात्मक स्तर पर तो मैं गैबी के साथ मजबूती से बंध गया था। यह बात गैबी भी मानती थी - उसने मुझे बताया कि मुझसे मिलने के बाद वो अब भावनात्मक रूप में अधिक स्थिर महसूस करती थी, और उसने मुझे अपने दिल में अपना साथी मान लिया था। हम दोनों बहुत कुछ तो नहीं कर सकते थे, लेकिन मैंने उसके लिए एक छोटा सा उपहार भेजा - मैंने एक पेशेवर फोटोग्राफर द्वारा अपना एक बढ़िया सा नग्न फोटो लिया, और उसे गैबी को पोस्ट कर दिया। फोटो में मेरा स्तम्भन भी साफ़ साफ़ दिख रहा था। यह फ़ोटो इसलिए ली गई थी जिससे गैबी समझ सके कि मैं उसके बारे में कैसा महसूस करता हूँ। अपने पत्र में मैंने उससे कहा कि मैं उसके साथ बड़े जोश के साथ सेक्स करूंगा। जब उसको पत्र मिला तो वो मुझसे बोली कि वो अपने उपहार को पा कर धन्य हो गई। उसने माना कि मेरा लिंग उसके लिए पर्याप्त से भी अधिक था, और यह कि उसके अपने देश में बहुत से लोग उतने भाग्यशाली नहीं थे जितना कि मैं खुद था। वो जानती थी कि हमारी सेक्स लाइफ बहुत मज़ेदार रहेगी। मुझे यकीन है कि उसने मुझे अच्छा महसूस कराने के लिए वो साइज़ वाली बात कही थी, क्योंकि मैंने कहीं पढ़ा था कि भारतीय पुरुषों के लिंग, पाश्चात्य पुरुषों की तुलना में छोटे होते हैं। उसने मुझसे कहा कि उसको ख़ासतौर पर मेरे लिंग का रंग बहुत पसंद आया; उसके अनुसार मेरे लिंग का रंग दालचीनी जैसा है, और उसने उम्मीद जताई कि उसका स्वाद भी दालचीनी जैसा होगा - मसालेदार!

अब चूंकि हम अपने निजी अंगों के रंग की बात कर रहे थे, तो मुझे उसके चूचक और योनि का रंग पूछने के लिए साहस मिला। थोड़ा डर तो लगा ही रहता है न कि कहीं वो मुझे भी अन्य ठरकी आदमियों जैसा ही न समझे! उसने मुझसे कहा कि वो मेरी उसके गुप्तांगों के बारे में जानने की इच्छा पढ़कर बहुत देर तक दिल खोलकर हंसती रही। उसने मुझे बताया कि उसे लगा कि मुझे उसके अधिक अंतरंग पहलुओं में कोई दिलचस्पी नहीं है। फिर उसने मुझे बिना किसी हिचकिचाहट के उससे उसके बारे में कुछ भी पूछने, कुछ भी जानने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि उसके पास जो कुछ भी था अब वो मेरा था...! उसने कहा कि वो मेरे सामने नग्न होना चाहती थी, और मेरे साथ नग्न रहना चाहती थी, मेरे लिए नग्न हो कर नृत्य करना चाहती थी! उसे उम्मीद थी कि एक दिन वो यह सब कुछ, और और भी बहुत कुछ कर सकेगी। फिर अंत में उसने बताया कि उसके चूचकों और उसकी योनि का रंग ‘सामन मछली’ के रंग के समान था और यह कि यह सब मुझे लिखने में उसको शर्म हो रही थी।

उस दिन के बाद, मैं गैबी से हमेशा उससे पूछता कि मेरे ‘सामन’ कैसे हैं? और क्या वो उनकी उनकी अच्छी देखभाल कर रही थी? गैबी हमेशा मेरी उस बात पर हंसती थी। यह सब हमारे लिए एक तरह का कोड-वर्ड था! उसने एक बार मुझको बताया कि एक बार उसने एक सामन मछली के माँस में दालचीनी की छड़ी लगा कर कल्पना करी कि मेरा लिंग उसकी योनि में लग कर कैसा लगेगा! उसने मुझे बताया कि उसने अपनी माँ को हमारे बारे में, और मेरे साथ रहने की अपनी इच्छा के बारे में बताया। उसने अपनी माँ को मेरी सभी तस्वीरें दिखाईं - वो भी, जिसमें मैं नग्न था [मैं अभी भी समझ नहीं पाता कि उसने ऐसा क्यों किया]! गैबी के अनुसार, उसकी माँ को मैं पसंद आया, लेकिन उन्होंने उससे कहा कि आखिरकार मेरे जैसा हैंडसम और मजबूत आदमी उसमे क्यों दिलचस्पी ले रहा था? उन्होंने गैबी से कहा कि मेरा और उसका कोई मुकाबला नहीं था। साथ ही साथ उन्होंने गैबी को यह भी समझाया कि शायद मैं एक गोरी महिला के साथ एक आसान सेक्स की तलाश में था [उनके अनुसार ज्यादातर भारतीय पुरुष श्वेत चमड़ी पसंद करते हैं]। उसकी माँ ने गैबी को यह भी कहकर उसका और अपमान किया कि उसकी योनि मेरा लिंग लेने लायक ही नहीं है और यह कि मेरा लिंग उसकी योनि को फाड़ देगा। यह सब गैबी का इतना घोर अपमान था कि वो वापस से अवसाद में चली गई। मुझे कई दिनों तक ई-मेल, डाक मेल, और यहां तक कि एक-दो फोन कॉल्स पर भी बहुत अनुनय - विनय करना पड़ा कि वो फिर से अपने अवसाद से बाहर आ सके। मेरे साथ बातचीत करते हुए, वो उन दिनों बहुत दार्शनिक भी हो जाती थी। उसने मुझसे कहा कि मेरे जीवन में उसकी स्थिति वैसी ही है, जैसा मुरलीधर के जीवन में राधिका की थी : प्यार किया जाना और फिर भुला दिया जाना। यह एक बहुत ही हृदयविदारक टिप्पणी थी। मैं कभी भी ऐसा सोच भी नहीं सकता था। मैंने उसको समझाया कि वो मेरी ‘लव ऑफ़ माय लाइफ’ है। मैं उसको जीवन भर प्यार करूँगा और उसके साथ शादी करना और परिवार बनाना चाहता था। क्या वो इसके लिए तैयार है? जब मैंने उससे यह कहा, वो वो बहुत प्रसन्न हुई।

मुझे समझ आ गया कि अगर गैबी अपने घर पर रही तो उसकी माँ उसको कहीं का नहीं छोड़ेंगी। मैं बस यह चाहता था कि वो ब्राज़ील छोड़ कर यहाँ आ जाए, भारत में, मेरे पास! उस समय मैंने उसे पीएचडी करने के लिए प्रोत्साहित करना और भी बढ़ा दिया। मैंने उसके पीएचडी वाले सपने को साकार करने में जो बन पड़ा, वो करना शुरू कर दिया। मेरे कुछ वरिष्ठ सहयोगी एक बड़े विश्वविद्यालय में अच्छे संपर्क वाले थे। उनके द्वारा मैंने गैबी के लिए बढ़िया सिफारिश लगवाई, और जल्दी ही उसका वहाँ के पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला हो गया। यहाँ तक कि उसको एक छोटी सी छात्रवृत्ति भी प्राप्त हो गई। शैक्षणिक सत्र में थोड़ी देर हो जाने के बावजूद उन्होंने गैबी की इतनी मदद दी। क्योंकि गैबी ने एक विदेशी छात्रा की हैसियत से आवेदन दिया था, और क्योंकि उसने पहले से ही अपने शोध से संबंधित विषय पर एक पेपर प्रकाशित कर लिया था, इसलिए उसको दाखिला मिलने में काफ़ी आसानी हो गई। इस विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को विश्वास था कि वह एक गुणवत्तापूर्ण शोध करने में सक्षम होगी और वह छात्रवृत्ति की हकदार थी। मैंने स्वयं को गैबी के वीसा एप्लीकेशन में उसके ‘लोकल गार्जियन’ के रूप में दिखाया, जिससे उसको वीसा मिलने में दिक्कत न हो।

इस प्रकार, मेरे थोड़े से प्रयास, गैबी के अथक परिश्रम, और हमारे सौभाग्य के सम्मिलित प्रभाव से जल्द ही, गैबी अपनी पीएचडी करने के लिए भारत आने के लिए अब पूरी तरह तैयार थी। मैंने उससे कहा कि उसे मेरे साथ रहना चाहिए - एक तरीके से यह उसके यहाँ रहने की प्रमुख स्थिति थी जिस पर समझौता नहीं किया जा सकता था। मैंने उसे आर्थिक मदद की पेशकश भी की, लेकिन उसने यह कहते हुए मना कर दिया कि उसके पास छात्रवृत्ति है, और उसे अपने संसाधनों में रहना सीखना चाहिए। उसने कहा कि मैं उसे अपने साथ रहने के लिए बोल रहा था, जो कि खुद में ही एक बहुत बड़ी मदद थी। मैं उसकी बात सुन कर थोड़ा निराश तो हुआ, लेकिन चूंकि वो मेरे साथ ही रहने वाली थी, इसलिए मुझे दुःख नहीं हुआ। वैसे भी मेरे मन में उससे शादी करने की इच्छा थी। और तब सब कुछ वैसे ही बदल जाता। मेरे घर पर, मेरे साथ रहने के प्रस्ताव से गैबी बेहद खुश थी। मेरा घर बड़ा था... सिर्फ एक अकेले व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा! माँ और डैड कभी कभी ही आते थे, इसलिए अगर गैबी स्थाई रूप से मेरे साथ रहती, तो बढ़िया रहता।

***
 

Mass

Well-Known Member
6,320
10,870
174
avsji , wonderful update...
Diwali ki Hardik Shubkaamnaayein...
aap aise hi hamaara manoranjan karte rahe apne zabardast stories ke saath...uske liye bhi dher saari shubkaamnaayein..

Stay safe and play safe!!
 
  • Love
  • Like
Reactions: Tiger 786 and avsji
Status
Not open for further replies.
Top