• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

Status
Not open for further replies.

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,392
24,539
159
b6ed43d2-5e8a-4e85-9747-f27d0e966b2c

प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
Last edited:

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,392
24,539
159
Avsji, अपडेट के लिए धन्यवाद। बहुत सुंदर अपडेट था। मजा आ गया। आगे के लिए इंतजारी बढ़ गई
बहुत बहुत धन्यवाद भाई! :)
ओह, फिर तो आज का अपडेट शायद पसंद नहीं आएगा!
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,392
24,539
159
पहला प्यार - पल दो पल का साथ - Update #1


नए नए विवाहित होने के बड़े सारे लाभ हैं। एक तो आपको बड़ा लाड़ प्यार मिलता है, और आपके सौ खून माफ़ होते हैं। हमने भी इन दिनों में जो कुछ भी किया उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, चाहे वह कितना ही हास्यास्पद क्यों न रहा हो! और तो और, सभी हमको एक दूसरे से और अधिक अंतरंग होने के लिए प्रोत्साहित करते रहते। सर्दियों में जब गुनगुनी धूप खिली हुई हो, तो खेतों में - खासतौर पर सरसों के खेतों में घूमने का आनंद ही कुछ और है! पीली पीली सरसों के ऊपर, गुनगुनी धूप ऐसी लगती है जैसे सोना! वैसे जब भी हम गाँव में घूमने निकलते, हमको एकांत नहीं मिलता। हमको देखते ही लोग हमको घेर लेते - खासकर बच्चे। वे सभी गैबी को देखना और छूना चाहते, क्योंकि वो उनके लिए उत्सुकता वाली वस्तु थी। उसकी त्वचा और बालों के अलग रंग के कारण वो गुड़िया जैसी लगती। और, गैबी थी भी इतनी दयालु, कि वो उनको कभी भी अपने पास आने, उससे बात करने, और खुद को छूने से मना न करती। वह उस छोटी सी जगह में सभी की जिज्ञासा और प्रशंसा का पात्र थी! गैबी के पास बहुत सारी साड़ियाँ नहीं थीं, इसलिए, जब तक हम गाँव में रहे, वो ज्यादातर समय शलवार-कुर्ता ही पहनती। खैर, हमने गाँव में किन किन गतिविधियों में भाग लिया, उन सभी के बारे में लिखने की जरूरत नहीं है।

शादी के करीब दस और दिन तक हम हमारे पुश्तैनी गाँव में ही रहे। जब आप खुश होते हैं, तो दिन यूँ ही फ़ुर्र से उड़ जाते हैं, और आपको पता भी नहीं चलता। बस, ठीक वैसा ही हमारे साथ हुआ। गाँव ही हमारा हनीमून था! गैबी के हिसाब से हम दोनों साथ में हैं, जीवन का आनंद उठा रहे हैं, खूब सेक्स कर रहे हैं, बढ़िया बढ़िया भोजन के स्वाद ले रहे हैं - हनीमून में और क्या होता है? इसलिए और कहीं नहीं जाना है, और न तो पैसे बर्बाद करने हैं। तो हम वहीं, गाँव में ही रह गए। माँ डैड को भी हनीमून का कांसेप्ट ठीक से नहीं मालूम था - लेकिन उनको ये मालूम था कि नवविवाहित जोड़े शादी के बाद कहीं सुन्दर सी जगह घूमने जाते हैं। उन्होंने भी हमसे एक दो बार कहीं घूम आने को कहा, लेकिन जब गैबी उस विचार से बहुत उत्साहित नहीं दिखी तो उन्होंने भी कोई ख़ास ज़ोर नहीं दिया।

खैर, शीघ्र ही हमारे वापस जाने का समय आ गया था। गाँव छोड़ने की बात पर मेरा दिल बिलकुल बुझ गया! और जब जाने का समय आया तो मैंने देखा कि पूरा गाँव हमें अलविदा कहने आया था। सच में - उस दिन मैं बहुत अधिक भावुक हो गया था। उनमें से कुछ लोगों ने हमें उपहार भी दिए - उनमें से अधिकांश सामग्री खाद्यान्न, सब्जियां, फल और हाथ से बने सामान थे! गैबी को पश्मीना शॉल और साड़ी भी भेंट में दी गई। वापस लौटते समय हमने ज्यादा बातें नहीं की - इतनी खूबसूरत जगह को पीछे छोड़ कर हमें बहुत दुख हुआ। और तो और, काजल भी अपने पैतृक गाँव में अपने माता-पिता को देखने के लिए तरसने लगी थी। मैंने उससे कहा कि मैं उसके लिए टिकट बुक कर दूंगा! मैंने उससे मज़ाक में कहा कि मैं उसको पंद्रह दिनों की छुट्टी दे दूंगा, जब भी वो घर जाना चाहे।

वापस आ कर भी हमने किसी हनीमून पर जाने के खिलाफ फैसला किया। कारण बहुत सीधा सा था। गैबी ने जोर देकर कहा कि मेरे पैतृक गांव में हमारा रहना ही शानदार अनुभव था, और वहाँ रह कर एक आदर्श हनीमून से उसकी हर उम्मीद पूरी हो गई। उसने यह भी कहा कि वह इतनी खूबसूरत और प्राचीन जगह पर रहकर बेहद खुश थी, और हनीमून जैसे अनावश्यक काम पर कोई पैसा बर्बाद नहीं करना चाहती थी। यह सर्दी का मौसम था, इसलिए सब कुछ और भी अधिक सुखद हो गया था। हम रोजाना स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले रहे थे। हम अधिकतर समय घर के अंदर, या फिर अपने कमरे के अंदर ही होते थे। इन सभी कारणों से किसी प्रकार के औपचारिक हनीमून की कोई आवश्यकता नहीं थी।

लिहाज़ा, अपने गाँव में रहने के बाद जब हम शहर लौट आए तब मैंने वापस अपना ऑफिस ज्वाइन कर लिया, और गैबी ने अपना रिसर्च कार्य फिर से शुरू कर लिया। शादी के बाद के शुरुवाती दिन, जिनको अक्सर ‘हनीमून पीरियड’ कहा जाता है, बड़े शानदार होते हैं। मित्रों से मिलना, घर को साथ में सजाना, सारे काम साथ में करना! यह सब बड़ा सुखदायक अनुभव होता है। बड़े आश्चर्यजनक रूप से, गैबी ने एक गृहिणी की भूमिका भी निपुणता से निभानी शुरू करी। गाँव में रहते हुए, गैबी और मैंने कुछ पारम्परिक, लेकिन हमारे लिए नई रेसिपी सीखी थीं, जिन्हें हमने अपने घर पर आज़माने की कोशिश की। मुझे कुछ कुछ खाना पकाना आता है, लेकिन बस एक सीमा तक! रोज़ रोज़ पकाने को कहा जाय, तो वो नहीं हो पाएगा। लेकिन, गैबी तो जैसे पाक-शास्त्र की एक विशेषज्ञा ही बन गई थी। उसने कुछ ही दिनों में कई सारे नए व्यंजन पकाना सीख लिया। साथ ही साथ उसने ब्राजील के कुछ व्यंजनों को नया रूप देने की भी कोशिश की, जो अक्सर आश्चर्यजनक रूप से अत्यंत स्वादिष्ट निकले। उसने कई प्रसिद्ध ब्राज़ीलियन व्यंजनों, जैसे फीजोडा, एरोज़ ब्रासीलीरो, कैल्डो वर्डे सूप, अरोज़ डोस को सफलता पूर्वक शाकाहारी रूप दिया। इनके साथ साथ वो अपनी देसी रोटी, पराठे, पूरियाँ भी पका लेती थी। उसने माँ की कुछ रेसिपीज़ भी सीखीं और उनमें महारत हासिल की। कुछ ही दिनों में मैं बस उसका सहायक जैसा रह गया!

काजल हमेशा की ही तरह मेरे परिवार का स्तंभ थी, और सबसे अच्छी बात यह थी, कि उसकी उपस्थिति हमारे परिवार में हमेशा ही स्वागत-योग्य रही थी। वो गैबी और मुझको पति-पत्नी के रूप में साथ और खुश देखकर बहुत खुश थी। और भी ख़ुशी इस बात की थी कि वो भी मेरे साथ अंतरंग सम्बन्ध में थी - और गैबी और काजल के बीच कोई भी सौतिया डाह नहीं था। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि उसकी अपने पति के साथ अनबन दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही थी, और अब वो उससे तलाक़ लेने की सोच रही थी। गैबी ने काजल से बड़े स्पष्ट तरीके से कह दिया था कि यह (हमारा) घर, उसका ही घर है, और वो यहाँ पूरे हक़ से रह सकती है। कम से कम इस बात के लिए उसको चिंता नहीं करनी चाहिए। लेकिन फिर भी, जितना हम चाहते थे कि काजल हमारे साथ स्थाई रूप से रह सके, वो ऐसा कर नहीं पाती थी। अभी भी समाज का डर उसको साल रहा था। लोग क्या कहेंगे, घर वाले क्या कहेंगे, इत्यादि! लिहाज़ा, हर महीने वो केवल पाँच छः बार ही हमारे साथ रह पाती थी। इस कारण से काजल के साथ मेरी अंतरंगता उतनी अधिक नहीं हो पा रही थी, लेकिन मुझे उस बात का कोई मलाल नहीं था। वैसे भी काजल के साथ मेरा सम्बन्ध केवल सेक्स वाला नहीं था। हम दोनों बहुत करीब थे, और हमारे रिश्ते में एक अलग ही तरीके ही मिठास और गरिमा थी।

खैर, हमारे जीवन में अन्य अच्छी बातें जारी रहीं और आगे भी बढ़ीं।

घर का बहुत सारा काम, खास तौर पर खाना पकाना, गैबी और मैं ही कर लेते थे, इसलिए काजल को हमारे घर पर थोड़ा ‘रेस्टिंग पीरियड’ मिल जाता था। इस समय का इस्तेमाल बहुत ही उम्दा तरीके से किया जाता था। चूँकि काजल इस घर में सबसे बड़ी थी, इसलिए वो अपने ‘घर में बड़े होने के अधिकारों’ का पूरा इस्तेमाल करती थी, और हमारे साथ अपने बच्चों की तरह व्यवहार करती थी। वो सवेरे सवेरे आती, दरवाज़ा खोलती, और सीधा हमारे कमरे में आ जाती। फिर हमारे दिन की शुरुवात उसका स्तनपान करने से होती। लतिका इस समय स्तनपान कम करने लगी थी, इसलिए, ज्यादातर समय मैं और गैबी ही काजल के दूध के प्राथमिक उपभोक्ता थे! काजल अक्सर दूसरों के सामने मज़ाक मज़ाक में शेखी बघारती, कि दरअसल उसके चार बच्चे हैं - दो लड़के और दो लड़कियाँ! मुझे यकीन है कि अन्य लोग इस बात को गंभीरता से नहीं लेते थे, क्योंकि उनको इस बात के पीछे की सच्चाई नहीं मालूम थी। लेकिन फिर भी, हम सभी इस बात पर बहुत हँसते थे। लतिका फिलहाल हमारे सम्बन्ध को समझने के लिए अभी छोटी थी, लेकिन सुनील अवश्य ही हमें अपने भाई-बहन की ही तरह मानता था। गैबी के पास मुझसे अधिक समय होता था - इसलिए सुनील को पढ़ाने की जिम्मेदारी उस पर थी। लेकिन सुनील स्वयं में अपनी पढ़ाई लिखाई को ले कर इतना सजग था कि उसको किसी सुपरवाइजर की आवश्यकता नहीं थी।

**
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,392
24,539
159
पहला प्यार - पल दो पल का साथ - Update #2


हमारी शादी को अब ढाई महीने हो गए! हमारा जीवन मस्त चल रहा था! ऐसा लग रहा था कि हम किसी सुन्दर से सपने को जी रहे हों! कि अचानक एक दिन गैबी बीमार होने लगी। पिछले दो दिनों से गैबी बाथरूम में जा कर उल्टियाँ करती। उसने शुरू शुरू में सोचा कि हो सकता है कि फ्लू हुआ हो, या पेट में कोई तकलीफ हो। मुझे लग रहा था कि शायद उसका लीवर किसी कारणवश खराब हो गया हो। गैबी डाक्टरों को ले कर थोड़ी लापरवाह और थोड़ी डरपोक थी - इसलिए अपने आप से वहाँ नहीं जा रही थी। मैं उसे डॉक्टर के पास नहीं ले जा पा रहा था क्योंकि मेरी ऑफिस में लंबी शिफ्ट हो रही थी। लेकिन मैंने उसको ढेरों कसमें वायदे दे कर डॉक्टर के पास जाने के लिए मजबूर अवश्य किया। वैसे भी वो अगर विश्वविद्यालय जा सकती थी, तो डॉक्टर के पास भी जा सकती थी। खैर, देर रात, मैं जब घर लौटा तो उसने दरवाजा खोला। गैबी अभी भी थोड़ी थकी हुई सी लग रही थी। मैंने उसे अपने गले से लगाया और पूछा,

“हाउ आर यू, माय लव?” मुझे उसके साथ डॉक्टर के पास न जा पाने का सोच कर बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन क्या कर सकता था, “आर यू फ़ीलिंग बेटर? डॉक्टर ने क्या कहा?”

उसने मेरी तरफ देखा और फिर सोफे पर बैठ कर रोने लगी। मैं उसके पास गया और उसके बगल में बैठ गया। दिल में किसी अनजानी आशंका ने घर कर लिया।

‘कहीं कोई सीरियस बात तो नहीं हो गई!’ मैंने सोचा।

“क्या हुआ हनी?” मैंने पूछा, अब वाकई डर लग रहा था मुझे।

गैबी ने मेरी ओर न देखते हुए अपने आँसू पोंछे।

“हनी... ओह गॉड... प्लीज मुझ से नाराज़ मत होना!” उसने मेरी ओर देखते हुए विनती की। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

“नाराज़... अरे क्या हो गया? क्या कह रही हो? डॉक्टर ने क्या कहा?” मुझे पहेलियाँ बूझना बहुत ख़राब लगता है, ख़ास तौर पर तब, जब सेहत का सवाल हो।

गैबी ने खुद को संयत करने की कोशिश की, फिर एक गहरी साँस ले कर बोली,

“हनी, डॉक्टर ने कहा... कि... वो... कि मैं... कि मैं... मैं... हनी, आई ऍम प्रेग्नेंट!”

“क्या!” मेरा मुँह खुले का खुला ही रह गया, “आर यू... सच में?”

उसने 'हाँ' में सर हिलाया, “अबाउट टू मन्थस नाउ!” वो फुसफुसाते हुए बोली और फिर नीचे, अपने पैरों की ओर देखते हुए बोली, “आई ऍम सॉरी हनी! मुझे प्रीकाशन लेना चाहिए था!”

‘गैबी प्रेग्नेंट है! वाह!’ मन ही मन बाप बनने की सम्भावना से मैं आह्लादित हो गया। वैवाहिक जीवन में माँ बाप बनना संभवतः सबसे बड़ा मुकाम होता है!

“तुम्हे प्रीकाशन लेना चाहिए था? तुम्हे? हा हा हा! मुझे लगता है कि, इसमें मेरा भी पार्टिसिपेशन बराबर का है!” मैंने गैबी को चूमते हुए कहा।

मेरे चुम्बन से गैबी का कुछ कहना और रोना दोनों बंद हो गया - हम कुछ देर तक एक दूसरे को चूमते रहे। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसके पेट को सहलाने के लिए उसकी कमीज को थोड़ा ऊपर खींच लिया। जैसे ही उसने मुझे अपना पेट छूते हुए महसूस किया, उसने हमारा चुंबन तोड़ दिया। मेरी आँखों में देखते ही गैबी प्रसन्नता से कराह उठी। उसने मेरे चेहरे को बड़ी कोमलता से सहलाया।

“आई लव यू!” मैंने फुसफुसाते हुए कहा।

“तुम नाराज नहीं हो, हनी?”

“नाराज़? पागल हो गई हो तुम!” मैंने दुलारते हुए गैबी से कहा, “ऐसा है सेन्होरा, तुम तो अब मेरे साथ फंस गई हो! एक लंबे समय के लिए!” मैं मुस्कुराया, “तुम मुझे छोड़ के जाना भी चाहो, तो नहीं जा सकती!”

मेरा हाथ उसकी जींस पर चला गया और मैंने उसकी जींस को खोलना शुरू कर दिया। गैबी मुस्कुराई और अपनी जींस और पैंटी उतरवाने में मेरी मदद करने लगी।

“मैं तुमको छोड़ कर जाऊँगी हनी? मैं?” कमर के नीचे नंगी होने के बाद गैबी ने बड़ी अदा और बड़ी मोहब्बत से कहा, “मैं तो बस यही चाहती हूँ - तुम्हारे साथ रहना! बस!”

मैं मुस्कुराया और कहा, “हनी, डू यू वांट द बेबी?”

“ओह डार्लिंग! योर बेबी इस व्हाट आई वांट मोर दैन एनीथिंग!”

“बढ़िया है फिर! देन लेट अस बिकम पेरेंट्स!”

गैबी की बाँछे खिल गईं, “वैरी सून माय लव! वैरी सून!”


**


एक सप्ताह बाद जब काजल सवेरे सवेरे घर आई, तो उसको भी मितली महसूस हो रही थी।

गैबी ने उससे उसके साथ डॉक्टर के पास चलने को कहा।

“दीदी, चलो मेरे साथ डॉक्टर के पास!”

“क्यों दीदी?”

“मुझे लगता है कि तुम भी प्रेग्नेंट हो!”

“भी?” काजल ने हँसते हुए कहा, “क्या दीदी, तुम प्रेग्नेंट हो?”

“हाँ ना!” गैबी शरमाते हुए बोली, “दो महीने!”

“क्या!” काजल यह बात सुन कर खूब खुश हो गई, “दीदी! ये तो बड़ी सुन्दर खबर है! बहुत बहुत बधाई हो!”

“हा हा हा! थैंक यू दीदी, थैंक यू!” गैबी हँसते हुए बोली, “लेकिन तुम चलो मेरे साथ!”

“अरे दीदी, मैं प्रेग्नेंट कैसे हो सकती हूँ?”

“क्यों, तुम सेक्स नहीं कर रही हो क्या?”

“हा हा! नहीं नहीं, वो बात नहीं! सेक्स तो कर रही हूँ, लेकिन तुम दोनों को रोज़ रोज़ मन भर के दूध भी तो पिलाती हूँ!”

“उसका प्रेग्नेंसी से क्या लेना देना?”

“दूध पिलाने वाली औरतें प्रेग्नेंट नहीं होतीं!”

“ऐसी बेवकूफ़ी वाली बातें न करो, और चलो डॉक्टर के पास!”

डॉक्टर ने गैबी की शंका को तुरंत कन्फर्म कर दिया। काजल भी दो महीने से प्रेग्नेंट थी! बेशक, यह बात काजल ने मुझे नहीं बताई! लेकिन चूँकि यह बात गैबी को मालूम थी, तो उसने मुझे बता दिया। मैं इस खबर से बहुत खुश नहीं था : काजल के पहले से ही दो बच्चे थे, और उसको एक और बच्चे की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी! उसके परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी, और ऊपर से उसका उसके हस्बैंड से झगड़ा भी चल रहा था, जो कब तलाक की शकल ले लेगा, कहना मुश्किल था। लेकिन, मैंने काजल के सामने उसकी प्रेग्नेंसी पर अपनी अप्रसन्नता नहीं दिखाई। आखिरकार, यह काजल का जीवन था, और बच्चा करने या न करने का उसका अपना निर्णय था! लेकिन सच में, मेरे घर में दो दो गर्भवती महिलाओं का होना बड़ा दिलचस्प था। मैंने काजल से कह दिया, कि वो काम का ज्यादा बोझ न ले, और केवल खाना पकाने पर ध्यान दे। उसको अपना ख्याल रखने की जरूरत थी। लेकिन काजल तो खैर काजल ही थी - उसने मुझसे कहा कि ‘दीदी’ को उसकी जरूरत है। चूँकि यह गैबी का पहला बच्चा था, इसलिए उसको एक अनुभवी देखभाल की आवश्यकता थी।

जब गैबी और मैंने माँ और डैड को गैबी की प्रेग्नेंसी के बारे में पता चला, तो वे बहुत खुश हुए! बहुत बहुत खुश! माँ की प्रतिक्रिया ऐसी थी जैसे उनकी अपनी संतान करने की वर्षों से दबी हुई इच्छा की पूर्ति हो गई हो! उन्होंने कहा कि वो अगले ही हफ़्ते हमसे मिलने आएँगे। यह तो और भी अच्छी बात थी! हमको दो दिनों के लिए ही सही, लेकिन सहारा तो हो ही जाता! फिर हमने उनको काजल की प्रेग्नेंसी के बारे में भी बताया। मुझे आश्चर्य हुआ कि माँ और डैड दोनों ही इस बात पर उतने ही प्रसन्न हुए जितने गैबी की प्रेग्नेंसी के बारे में सुन कर हुए! लेकिन इसमें मुझे आश्चर्य नहीं करना चाहिए थे। वो दोनों काजल से बहुत प्यार करते थे, और उसको अपनी बेटी की तरह मानते थे।

अगले सप्ताहांत जब वो हमसे मिलने आए, तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि उपहार स्वरुप वो काजल और गैबी दोनों के लिए एक जैसी ही सोने की ज़ंजीर लाए थे! मैं सचमुच आश्चर्यचकित था! मैंने भी उनसे ऐसा करने की कभी उम्मीद नहीं की थी। काजल भी माँ और डैड के प्यार से हैरान थी! वो बहुत देर तक माँ के आलिंगन लिपटी रोती रही। यह एक खुशी का दिन था; यह एक भावनात्मक दिन था; यह एक यादगार दिन था! माँ डैड बस तीन दिन ही हमारे साथ रहे, और फिर वापस चले गए। डैड को वापस ऑफिस ज्वाइन करना था, और माँ के बिना उनका गुज़ारा न होता! और सभी हम फिर से अपनी दिनचर्या में वापस रम गए। चार और महीने जैसे पलक झपकते निकल गए।
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,392
24,539
159
पहला प्यार - पल दो पल का साथ - Update #3


एक शाम, जब मैं ऑफिस से वापस लौटा, तो मैंने पाया कि गैबी अभी तक विश्वविद्यालय से नहीं लौटी थी। ऐसा नहीं है कि वो कभी भी देर से नहीं आती थी - जब से उसने विश्वविद्यालय ज्वाइन किया था, तब से वो तीन चार बार देर से आई थी। लेकिन इतनी देर कभी नहीं लगी।

‘हो सकता है,’ मैंने सोचा, ‘कि किसी ज़रूरी काम से उसको रोकना पड़ा हो!’ इसलिए मैंने थोड़ा इंतज़ार करने का सोचा।

लेकिन जब वो मेरे घर आने के तीन घंटे बाद भी जब वापस नहीं लौटी तो मुझे चिंता होने लगी। बहुत चिंता! मेरी छठी इंद्रिय को लगने लगा कि हो न हो, गैबी के साथ कुछ न कुछ अनिष्ट हो गया है। मैंने उसके गाइड प्रोफेसर को उनके ऑफिस में कॉल लगाया; लेकिन वहाँ कोई नहीं था। इसलिए मैंने उनके घर पर फोन किया! तो उन्होंने मुझे बताया कि गैबी वो लगभग पांच घंटे पहले ही यूनिवर्सिटी से निकल गई थी, घर के लिए!

‘पांच घंटे पहले?’ कुछ तो गड़बड़ था! उसने पांच घंटे पहले ऑफिस छोड़ा था, और अभी तक घर नहीं आई थी! गैबी के लिए ऐसा कुछ करना बहुत ही अनियमित था, इसलिए मैं बहुत अधिक चिंतित हो गया।

मैं बिना देर किए, लापता व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पास के पुलिस स्टेशन गया। जैसा हमेशा होता है, पुलिस गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी! उनका कहना था कि छः सात घंटे की देरी क्या देरी है? ज़रूर वो किसी दोस्त से मिलने गई होगी। लेकिन फिर मैंने उन्हें समझाया कि गैबी एक विदेशी है, और यहाँ के विश्वविद्यालय में रिसर्च कर रही है। इसलिए उसको इस शहर में अपने विश्वविद्यालय के कुछ लोगों को छोड़कर, और किसी का अता पता नहीं है, और न जान पहचान!

बड़ी आनाकानी और मेरी विनती करने के बाद आखिरकार पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने को तैयार हुई। उन्होंने मुझसे गैबी के बारे में सारी जानकारी ली। भारतीय पुलिस का अंदाज़ और रवैया दोस्ताना नहीं होता। आपको पुलिस स्टेशन में बैठने को पूछ लें, वही बहुत बड़ी बात हो जाती है। इसलिए, मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब पुलिस के कुछ लोग मुझसे बड़ी सहानुभूति से बात कर रहे थे। निश्चित रूप से कुछ तो गड़बड़ था। उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरी पत्नी यूनिवर्सिटी से घर कैसे आती जाती है, तो मैंने बताया कि वह आमतौर पर सिटी बस का इस्तेमाल करती है।

इतना सुन कर वो सभी कुछ देर के लिए चुप हो गए। जब मैंने ज़ोर दे कर पूछा कि आखिर बात क्या है, वो उन्होंने जो कहा, उससे मुझे लगा कि जैसे मेरे सर पर कोई बम गिर गया हो! उन्होंने बताया कि कुछ घंटों पहले एक बस की दुर्घटना हो गई थी, जिसमें दो महिलाओं सहित पाँच लोगों की मौत हो गई थी, कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

मरने वाली महिलाओं में एक विदेशी भी थी!

वो जितना मुझे बताते जाते, उतना ही मेरा दिल भारी होता जाता। वो मुझे कुछ पूछ रहे थे, और मैं उनको यंत्रवत सब बता रहा था। लेकिन मस्तिष्क में मानों एक झंझावात चल रहा था -

‘गैबी मुझे ऐसे कैसे छोड़ कर जा सकती है…’ अभी तो हमने साथ में जीना शुरू भी नहीं किया, और अभी ही ये!

मुझसे जानकारी लेने के कोई एक घंटे बाद एक इंस्पेक्टर ने अंततः पुष्टि करी कि मेरी गैबी वास्तव में उन दो महिलाओं में से एक थी, जिनकी उस बस दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी!

मैं आपको कोई रक्तरंजित विवरण नहीं देना चाहता! लेकिन मेरी सुंदर सी गैबी का बेजान, विकृत, और कुचला हुआ शरीर देखना, मेरी आत्मा को झकझोर देने वाला दृश्य था! मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी ही जिंदगी ने मेरा शरीर छोड़ दिया है... जैसे गैबी के साथ मेरी खुद की संजीवनी चली गई हो। मैं अपने घुटनों के बल गिर गया और रोने लगा। पुलिस और मुर्दाघर के लोग मुझे सांत्वना देते रहे, और पूछने लगे कि क्या कोई है जिससे वे संपर्क कर सकते हैं, या मुझे सहारा देने के लिए बुला सकते हैं। जब मैं जवाब नहीं दे सका, तो उन्होंने खुद मेरी जेब की तलाशी ली, और डैड का फ़ोन विवरण ले कर उनको कॉल किया। यह खबर सुन कर डैड और माँ का क्या हाल हुआ होगा, मुझे नहीं मालूम! एक झटके से मेरी जीवन की ज्योति जाती रही - गैबी और हमारा होने वाला बच्चा! होनी कितनी क्रूर हो सकती है और जीवन कितना क्षणभंगुर!

उसके बाद और क्या क्या हुआ, मुझे ठीक से याद नहीं।
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,392
24,539
159
दोस्तों, आज एक छोटा अपडेट ही संभव है।
कहानी के अंतराल के लिए ये आवश्यक है! उम्मीद है, कि ये कहानी अभी भी आप लोगों को रास आ रही है।
साथ बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! :)
 

rksh

Member
358
686
108
पहला प्यार - पल दो पल का साथ - Update #3


एक शाम, जब मैं ऑफिस से वापस लौटा, तो मैंने पाया कि गैबी अभी तक विश्वविद्यालय से नहीं लौटी थी। ऐसा नहीं है कि वो कभी भी देर से नहीं आती थी - जब से उसने विश्वविद्यालय ज्वाइन किया था, तब से वो तीन चार बार देर से आई थी। लेकिन इतनी देर कभी नहीं लगी।

‘हो सकता है,’ मैंने सोचा, ‘कि किसी ज़रूरी काम से उसको रोकना पड़ा हो!’ इसलिए मैंने थोड़ा इंतज़ार करने का सोचा।

लेकिन जब वो मेरे घर आने के तीन घंटे बाद भी जब वापस नहीं लौटी तो मुझे चिंता होने लगी। बहुत चिंता! मेरी छठी इंद्रिय को लगने लगा कि हो न हो, गैबी के साथ कुछ न कुछ अनिष्ट हो गया है। मैंने उसके गाइड प्रोफेसर को उनके ऑफिस में कॉल लगाया; लेकिन वहाँ कोई नहीं था। इसलिए मैंने उनके घर पर फोन किया! तो उन्होंने मुझे बताया कि गैबी वो लगभग पांच घंटे पहले ही यूनिवर्सिटी से निकल गई थी, घर के लिए!

‘पांच घंटे पहले?’ कुछ तो गड़बड़ था! उसने पांच घंटे पहले ऑफिस छोड़ा था, और अभी तक घर नहीं आई थी! गैबी के लिए ऐसा कुछ करना बहुत ही अनियमित था, इसलिए मैं बहुत अधिक चिंतित हो गया।

मैं बिना देर किए, लापता व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पास के पुलिस स्टेशन गया। जैसा हमेशा होता है, पुलिस गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी! उनका कहना था कि छः सात घंटे की देरी क्या देरी है? ज़रूर वो किसी दोस्त से मिलने गई होगी। लेकिन फिर मैंने उन्हें समझाया कि गैबी एक विदेशी है, और यहाँ के विश्वविद्यालय में रिसर्च कर रही है। इसलिए उसको इस शहर में अपने विश्वविद्यालय के कुछ लोगों को छोड़कर, और किसी का अता पता नहीं है, और न जान पहचान!

बड़ी आनाकानी और मेरी विनती करने के बाद आखिरकार पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने को तैयार हुई। उन्होंने मुझसे गैबी के बारे में सारी जानकारी ली। भारतीय पुलिस का अंदाज़ और रवैया दोस्ताना नहीं होता। आपको पुलिस स्टेशन में बैठने को पूछ लें, वही बहुत बड़ी बात हो जाती है। इसलिए, मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब पुलिस के कुछ लोग मुझसे बड़ी सहानुभूति से बात कर रहे थे। निश्चित रूप से कुछ तो गड़बड़ था। उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरी पत्नी यूनिवर्सिटी से घर कैसे आती जाती है, तो मैंने बताया कि वह आमतौर पर सिटी बस का इस्तेमाल करती है।

इतना सुन कर वो सभी कुछ देर के लिए चुप हो गए। जब मैंने ज़ोर दे कर पूछा कि आखिर बात क्या है, वो उन्होंने जो कहा, उससे मुझे लगा कि जैसे मेरे सर पर कोई बम गिर गया हो! उन्होंने बताया कि कुछ घंटों पहले एक बस की दुर्घटना हो गई थी, जिसमें दो महिलाओं सहित पाँच लोगों की मौत हो गई थी, कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

मरने वाली महिलाओं में एक विदेशी भी थी!

वो जितना मुझे बताते जाते, उतना ही मेरा दिल भारी होता जाता। वो मुझे कुछ पूछ रहे थे, और मैं उनको यंत्रवत सब बता रहा था। लेकिन मस्तिष्क में मानों एक झंझावात चल रहा था -

‘गैबी मुझे ऐसे कैसे छोड़ कर जा सकती है…’ अभी तो हमने साथ में जीना शुरू भी नहीं किया, और अभी ही ये!

मुझसे जानकारी लेने के कोई एक घंटे बाद एक इंस्पेक्टर ने अंततः पुष्टि करी कि मेरी गैबी वास्तव में उन दो महिलाओं में से एक थी, जिनकी उस बस दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी!

मैं आपको कोई रक्तरंजित विवरण नहीं देना चाहता! लेकिन मेरी सुंदर सी गैबी का बेजान, विकृत, और कुचला हुआ शरीर देखना, मेरी आत्मा को झकझोर देने वाला दृश्य था! मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी ही जिंदगी ने मेरा शरीर छोड़ दिया है... जैसे गैबी के साथ मेरी खुद की संजीवनी चली गई हो। मैं अपने घुटनों के बल गिर गया और रोने लगा। पुलिस और मुर्दाघर के लोग मुझे सांत्वना देते रहे, और पूछने लगे कि क्या कोई है जिससे वे संपर्क कर सकते हैं, या मुझे सहारा देने के लिए बुला सकते हैं। जब मैं जवाब नहीं दे सका, तो उन्होंने खुद मेरी जेब की तलाशी ली, और डैड का फ़ोन विवरण ले कर उनको कॉल किया। यह खबर सुन कर डैड और माँ का क्या हाल हुआ होगा, मुझे नहीं मालूम! एक झटके से मेरी जीवन की ज्योति जाती रही - गैबी और हमारा होने वाला बच्चा! होनी कितनी क्रूर हो सकती है और जीवन कितना क्षणभंगुर!

उसके बाद और क्या क्या हुआ, मुझे ठीक से याद नहीं।
Kahani ek akalpniy mode par aa Gai hai , aage dekhte hai ki kya hoga
Intjar rahega agle update ka
 
  • Like
Reactions: avsji

A.A.G.

Well-Known Member
9,638
20,287
173
पहला प्यार - पल दो पल का साथ - Update #1


नए नए विवाहित होने के बड़े सारे लाभ हैं। एक तो आपको बड़ा लाड़ प्यार मिलता है, और आपके सौ खून माफ़ होते हैं। हमने भी इन दिनों में जो कुछ भी किया उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, चाहे वह कितना ही हास्यास्पद क्यों न रहा हो! और तो और, सभी हमको एक दूसरे से और अधिक अंतरंग होने के लिए प्रोत्साहित करते रहते। सर्दियों में जब गुनगुनी धूप खिली हुई हो, तो खेतों में - खासतौर पर सरसों के खेतों में घूमने का आनंद ही कुछ और है! पीली पीली सरसों के ऊपर, गुनगुनी धूप ऐसी लगती है जैसे सोना! वैसे जब भी हम गाँव में घूमने निकलते, हमको एकांत नहीं मिलता। हमको देखते ही लोग हमको घेर लेते - खासकर बच्चे। वे सभी गैबी को देखना और छूना चाहते, क्योंकि वो उनके लिए उत्सुकता वाली वस्तु थी। उसकी त्वचा और बालों के अलग रंग के कारण वो गुड़िया जैसी लगती। और, गैबी थी भी इतनी दयालु, कि वो उनको कभी भी अपने पास आने, उससे बात करने, और खुद को छूने से मना न करती। वह उस छोटी सी जगह में सभी की जिज्ञासा और प्रशंसा का पात्र थी! गैबी के पास बहुत सारी साड़ियाँ नहीं थीं, इसलिए, जब तक हम गाँव में रहे, वो ज्यादातर समय शलवार-कुर्ता ही पहनती। खैर, हमने गाँव में किन किन गतिविधियों में भाग लिया, उन सभी के बारे में लिखने की जरूरत नहीं है।

शादी के करीब दस और दिन तक हम हमारे पुश्तैनी गाँव में ही रहे। जब आप खुश होते हैं, तो दिन यूँ ही फ़ुर्र से उड़ जाते हैं, और आपको पता भी नहीं चलता। बस, ठीक वैसा ही हमारे साथ हुआ। गाँव ही हमारा हनीमून था! गैबी के हिसाब से हम दोनों साथ में हैं, जीवन का आनंद उठा रहे हैं, खूब सेक्स कर रहे हैं, बढ़िया बढ़िया भोजन के स्वाद ले रहे हैं - हनीमून में और क्या होता है? इसलिए और कहीं नहीं जाना है, और न तो पैसे बर्बाद करने हैं। तो हम वहीं, गाँव में ही रह गए। माँ डैड को भी हनीमून का कांसेप्ट ठीक से नहीं मालूम था - लेकिन उनको ये मालूम था कि नवविवाहित जोड़े शादी के बाद कहीं सुन्दर सी जगह घूमने जाते हैं। उन्होंने भी हमसे एक दो बार कहीं घूम आने को कहा, लेकिन जब गैबी उस विचार से बहुत उत्साहित नहीं दिखी तो उन्होंने भी कोई ख़ास ज़ोर नहीं दिया।

खैर, शीघ्र ही हमारे वापस जाने का समय आ गया था। गाँव छोड़ने की बात पर मेरा दिल बिलकुल बुझ गया! और जब जाने का समय आया तो मैंने देखा कि पूरा गाँव हमें अलविदा कहने आया था। सच में - उस दिन मैं बहुत अधिक भावुक हो गया था। उनमें से कुछ लोगों ने हमें उपहार भी दिए - उनमें से अधिकांश सामग्री खाद्यान्न, सब्जियां, फल और हाथ से बने सामान थे! गैबी को पश्मीना शॉल और साड़ी भी भेंट में दी गई। वापस लौटते समय हमने ज्यादा बातें नहीं की - इतनी खूबसूरत जगह को पीछे छोड़ कर हमें बहुत दुख हुआ। और तो और, काजल भी अपने पैतृक गाँव में अपने माता-पिता को देखने के लिए तरसने लगी थी। मैंने उससे कहा कि मैं उसके लिए टिकट बुक कर दूंगा! मैंने उससे मज़ाक में कहा कि मैं उसको पंद्रह दिनों की छुट्टी दे दूंगा, जब भी वो घर जाना चाहे।

वापस आ कर भी हमने किसी हनीमून पर जाने के खिलाफ फैसला किया। कारण बहुत सीधा सा था। गैबी ने जोर देकर कहा कि मेरे पैतृक गांव में हमारा रहना ही शानदार अनुभव था, और वहाँ रह कर एक आदर्श हनीमून से उसकी हर उम्मीद पूरी हो गई। उसने यह भी कहा कि वह इतनी खूबसूरत और प्राचीन जगह पर रहकर बेहद खुश थी, और हनीमून जैसे अनावश्यक काम पर कोई पैसा बर्बाद नहीं करना चाहती थी। यह सर्दी का मौसम था, इसलिए सब कुछ और भी अधिक सुखद हो गया था। हम रोजाना स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले रहे थे। हम अधिकतर समय घर के अंदर, या फिर अपने कमरे के अंदर ही होते थे। इन सभी कारणों से किसी प्रकार के औपचारिक हनीमून की कोई आवश्यकता नहीं थी।

लिहाज़ा, अपने गाँव में रहने के बाद जब हम शहर लौट आए तब मैंने वापस अपना ऑफिस ज्वाइन कर लिया, और गैबी ने अपना रिसर्च कार्य फिर से शुरू कर लिया। शादी के बाद के शुरुवाती दिन, जिनको अक्सर ‘हनीमून पीरियड’ कहा जाता है, बड़े शानदार होते हैं। मित्रों से मिलना, घर को साथ में सजाना, सारे काम साथ में करना! यह सब बड़ा सुखदायक अनुभव होता है। बड़े आश्चर्यजनक रूप से, गैबी ने एक गृहिणी की भूमिका भी निपुणता से निभानी शुरू करी। गाँव में रहते हुए, गैबी और मैंने कुछ पारम्परिक, लेकिन हमारे लिए नई रेसिपी सीखी थीं, जिन्हें हमने अपने घर पर आज़माने की कोशिश की। मुझे कुछ कुछ खाना पकाना आता है, लेकिन बस एक सीमा तक! रोज़ रोज़ पकाने को कहा जाय, तो वो नहीं हो पाएगा। लेकिन, गैबी तो जैसे पाक-शास्त्र की एक विशेषज्ञा ही बन गई थी। उसने कुछ ही दिनों में कई सारे नए व्यंजन पकाना सीख लिया। साथ ही साथ उसने ब्राजील के कुछ व्यंजनों को नया रूप देने की भी कोशिश की, जो अक्सर आश्चर्यजनक रूप से अत्यंत स्वादिष्ट निकले। उसने कई प्रसिद्ध ब्राज़ीलियन व्यंजनों, जैसे फीजोडा, एरोज़ ब्रासीलीरो, कैल्डो वर्डे सूप, अरोज़ डोस को सफलता पूर्वक शाकाहारी रूप दिया। इनके साथ साथ वो अपनी देसी रोटी, पराठे, पूरियाँ भी पका लेती थी। उसने माँ की कुछ रेसिपीज़ भी सीखीं और उनमें महारत हासिल की। कुछ ही दिनों में मैं बस उसका सहायक जैसा रह गया!

काजल हमेशा की ही तरह मेरे परिवार का स्तंभ थी, और सबसे अच्छी बात यह थी, कि उसकी उपस्थिति हमारे परिवार में हमेशा ही स्वागत-योग्य रही थी। वो गैबी और मुझको पति-पत्नी के रूप में साथ और खुश देखकर बहुत खुश थी। और भी ख़ुशी इस बात की थी कि वो भी मेरे साथ अंतरंग सम्बन्ध में थी - और गैबी और काजल के बीच कोई भी सौतिया डाह नहीं था। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि उसकी अपने पति के साथ अनबन दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही थी, और अब वो उससे तलाक़ लेने की सोच रही थी। गैबी ने काजल से बड़े स्पष्ट तरीके से कह दिया था कि यह (हमारा) घर, उसका ही घर है, और वो यहाँ पूरे हक़ से रह सकती है। कम से कम इस बात के लिए उसको चिंता नहीं करनी चाहिए। लेकिन फिर भी, जितना हम चाहते थे कि काजल हमारे साथ स्थाई रूप से रह सके, वो ऐसा कर नहीं पाती थी। अभी भी समाज का डर उसको साल रहा था। लोग क्या कहेंगे, घर वाले क्या कहेंगे, इत्यादि! लिहाज़ा, हर महीने वो केवल पाँच छः बार ही हमारे साथ रह पाती थी। इस कारण से काजल के साथ मेरी अंतरंगता उतनी अधिक नहीं हो पा रही थी, लेकिन मुझे उस बात का कोई मलाल नहीं था। वैसे भी काजल के साथ मेरा सम्बन्ध केवल सेक्स वाला नहीं था। हम दोनों बहुत करीब थे, और हमारे रिश्ते में एक अलग ही तरीके ही मिठास और गरिमा थी।

खैर, हमारे जीवन में अन्य अच्छी बातें जारी रहीं और आगे भी बढ़ीं।

घर का बहुत सारा काम, खास तौर पर खाना पकाना, गैबी और मैं ही कर लेते थे, इसलिए काजल को हमारे घर पर थोड़ा ‘रेस्टिंग पीरियड’ मिल जाता था। इस समय का इस्तेमाल बहुत ही उम्दा तरीके से किया जाता था। चूँकि काजल इस घर में सबसे बड़ी थी, इसलिए वो अपने ‘घर में बड़े होने के अधिकारों’ का पूरा इस्तेमाल करती थी, और हमारे साथ अपने बच्चों की तरह व्यवहार करती थी। वो सवेरे सवेरे आती, दरवाज़ा खोलती, और सीधा हमारे कमरे में आ जाती। फिर हमारे दिन की शुरुवात उसका स्तनपान करने से होती। लतिका इस समय स्तनपान कम करने लगी थी, इसलिए, ज्यादातर समय मैं और गैबी ही काजल के दूध के प्राथमिक उपभोक्ता थे! काजल अक्सर दूसरों के सामने मज़ाक मज़ाक में शेखी बघारती, कि दरअसल उसके चार बच्चे हैं - दो लड़के और दो लड़कियाँ! मुझे यकीन है कि अन्य लोग इस बात को गंभीरता से नहीं लेते थे, क्योंकि उनको इस बात के पीछे की सच्चाई नहीं मालूम थी। लेकिन फिर भी, हम सभी इस बात पर बहुत हँसते थे। लतिका फिलहाल हमारे सम्बन्ध को समझने के लिए अभी छोटी थी, लेकिन सुनील अवश्य ही हमें अपने भाई-बहन की ही तरह मानता था। गैबी के पास मुझसे अधिक समय होता था - इसलिए सुनील को पढ़ाने की जिम्मेदारी उस पर थी। लेकिन सुनील स्वयं में अपनी पढ़ाई लिखाई को ले कर इतना सजग था कि उसको किसी सुपरवाइजर की आवश्यकता नहीं थी।

**
Nice update..!!
 
  • Like
Reactions: avsji

Hard Rock 143

New Member
77
212
33
पहला प्यार - पल दो पल का साथ - Update #3


एक शाम, जब मैं ऑफिस से वापस लौटा, तो मैंने पाया कि गैबी अभी तक विश्वविद्यालय से नहीं लौटी थी। ऐसा नहीं है कि वो कभी भी देर से नहीं आती थी - जब से उसने विश्वविद्यालय ज्वाइन किया था, तब से वो तीन चार बार देर से आई थी। लेकिन इतनी देर कभी नहीं लगी।

‘हो सकता है,’ मैंने सोचा, ‘कि किसी ज़रूरी काम से उसको रोकना पड़ा हो!’ इसलिए मैंने थोड़ा इंतज़ार करने का सोचा।

लेकिन जब वो मेरे घर आने के तीन घंटे बाद भी जब वापस नहीं लौटी तो मुझे चिंता होने लगी। बहुत चिंता! मेरी छठी इंद्रिय को लगने लगा कि हो न हो, गैबी के साथ कुछ न कुछ अनिष्ट हो गया है। मैंने उसके गाइड प्रोफेसर को उनके ऑफिस में कॉल लगाया; लेकिन वहाँ कोई नहीं था। इसलिए मैंने उनके घर पर फोन किया! तो उन्होंने मुझे बताया कि गैबी वो लगभग पांच घंटे पहले ही यूनिवर्सिटी से निकल गई थी, घर के लिए!

‘पांच घंटे पहले?’ कुछ तो गड़बड़ था! उसने पांच घंटे पहले ऑफिस छोड़ा था, और अभी तक घर नहीं आई थी! गैबी के लिए ऐसा कुछ करना बहुत ही अनियमित था, इसलिए मैं बहुत अधिक चिंतित हो गया।

मैं बिना देर किए, लापता व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पास के पुलिस स्टेशन गया। जैसा हमेशा होता है, पुलिस गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी! उनका कहना था कि छः सात घंटे की देरी क्या देरी है? ज़रूर वो किसी दोस्त से मिलने गई होगी। लेकिन फिर मैंने उन्हें समझाया कि गैबी एक विदेशी है, और यहाँ के विश्वविद्यालय में रिसर्च कर रही है। इसलिए उसको इस शहर में अपने विश्वविद्यालय के कुछ लोगों को छोड़कर, और किसी का अता पता नहीं है, और न जान पहचान!

बड़ी आनाकानी और मेरी विनती करने के बाद आखिरकार पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने को तैयार हुई। उन्होंने मुझसे गैबी के बारे में सारी जानकारी ली। भारतीय पुलिस का अंदाज़ और रवैया दोस्ताना नहीं होता। आपको पुलिस स्टेशन में बैठने को पूछ लें, वही बहुत बड़ी बात हो जाती है। इसलिए, मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब पुलिस के कुछ लोग मुझसे बड़ी सहानुभूति से बात कर रहे थे। निश्चित रूप से कुछ तो गड़बड़ था। उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरी पत्नी यूनिवर्सिटी से घर कैसे आती जाती है, तो मैंने बताया कि वह आमतौर पर सिटी बस का इस्तेमाल करती है।

इतना सुन कर वो सभी कुछ देर के लिए चुप हो गए। जब मैंने ज़ोर दे कर पूछा कि आखिर बात क्या है, वो उन्होंने जो कहा, उससे मुझे लगा कि जैसे मेरे सर पर कोई बम गिर गया हो! उन्होंने बताया कि कुछ घंटों पहले एक बस की दुर्घटना हो गई थी, जिसमें दो महिलाओं सहित पाँच लोगों की मौत हो गई थी, कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

मरने वाली महिलाओं में एक विदेशी भी थी!

वो जितना मुझे बताते जाते, उतना ही मेरा दिल भारी होता जाता। वो मुझे कुछ पूछ रहे थे, और मैं उनको यंत्रवत सब बता रहा था। लेकिन मस्तिष्क में मानों एक झंझावात चल रहा था -

‘गैबी मुझे ऐसे कैसे छोड़ कर जा सकती है…’ अभी तो हमने साथ में जीना शुरू भी नहीं किया, और अभी ही ये!

मुझसे जानकारी लेने के कोई एक घंटे बाद एक इंस्पेक्टर ने अंततः पुष्टि करी कि मेरी गैबी वास्तव में उन दो महिलाओं में से एक थी, जिनकी उस बस दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी!

मैं आपको कोई रक्तरंजित विवरण नहीं देना चाहता! लेकिन मेरी सुंदर सी गैबी का बेजान, विकृत, और कुचला हुआ शरीर देखना, मेरी आत्मा को झकझोर देने वाला दृश्य था! मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी ही जिंदगी ने मेरा शरीर छोड़ दिया है... जैसे गैबी के साथ मेरी खुद की संजीवनी चली गई हो। मैं अपने घुटनों के बल गिर गया और रोने लगा। पुलिस और मुर्दाघर के लोग मुझे सांत्वना देते रहे, और पूछने लगे कि क्या कोई है जिससे वे संपर्क कर सकते हैं, या मुझे सहारा देने के लिए बुला सकते हैं। जब मैं जवाब नहीं दे सका, तो उन्होंने खुद मेरी जेब की तलाशी ली, और डैड का फ़ोन विवरण ले कर उनको कॉल किया। यह खबर सुन कर डैड और माँ का क्या हाल हुआ होगा, मुझे नहीं मालूम! एक झटके से मेरी जीवन की ज्योति जाती रही - गैबी और हमारा होने वाला बच्चा! होनी कितनी क्रूर हो सकती है और जीवन कितना क्षणभंगुर!

उसके बाद और क्या क्या हुआ, मुझे ठीक से याद नहीं।
खुशियों से भरा, पर अंत मे बहुत ही मार्मिक घटना से अपडेट का अंत.....

ऐसे अंत की उम्मीद नहीं थी।
 
  • Like
Reactions: avsji
Status
Not open for further replies.
Top