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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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avsji

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पहला प्यार - Update #3


गैबी को शुक्रवार की रात को भारत आना था, जो मेरे लिए बहुत उपयुक्त दिन था, क्योंकि शुक्रवार मेरा सप्ताहांत होता है। और सबसे अच्छी बात, कि मैं उसको दो दिन सारी आवश्यक जगहें दिखा सकता था, और उसे भारतीय जलवायु के अनुकूल बनाने में मदद कर सकता था। विदेशियों के लिए भारत आ कर तुरंत सेटल होना आसान नहीं होता, चाहे वे कहीं से भी आए हों। मैं एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी करने के लिए पहुँच गया। उस टर्मिनल पर दर्शक दीर्घा में खड़े खड़े मैं गैबी के आने का लंबा और दर्दनाक इंतजार करने लगा [दर्दनाक इसलिए क्योंकि मुझे मेहमानों को लेने रेलवे स्टेशनों या हवाई अड्डे जाने और वहाँ पर उनका इंतज़ार करने का अच्छा खासा अनुभव है, और इस काम से मुझे नफरत है]! ख़ैर, एक लम्बे इंतज़ार के बाद मुझे गैबी निकासी के गलियारे से आती हुई दिखी।

गैबी अपनी फोटो में जैसी दिखती थी, उतनी ही छरहरी लग रही थी! उसके बाल गहरे लाल रंग के थे, और पोनीटेल में बंधे हुए थे। उसने एक पतली ऑफ-व्हाइट शर्ट और हल्के नीले रंग की डेनिम जींस पहनी हुई थी। चूँकि उसकी शर्ट थोड़ी झीनी सी थी, इसलिए उसमें से उसकी काली ब्रा आसानी से दिख रही थी। उसने अपने सूटकेस के हत्थे को मज़बूती से पकड़ रखा था - न जाने क्यों वो डरी सहमी हुई सी लग रही थी। उसके चेहरे पर एक चिंतित सा भाव था। वैसे यह आश्चर्य की बात नहीं थी - वो पहली बार अपने देश से बाहर आई थी, और भारत का अनुभव करना किसी भी नए व्यक्ति के लिए एक कठिन काम हो सकता है। उसकी आँखें तेजी से उसके चारों ओर देख रही थीं। उसका लगेज बहुत सारा नहीं था - मैं समझ गया था कि उसके लिए सब कुछ केवल अपने दम पर जुगाड़ना कितना कठिन रहा होगा। मैं खुद भी, बहुत मना कर, मिन्नतें कर के, उसको भारत लाने में सफल हुआ था। मैंने उसकी आनाकानी करने पर उसको डाँटा भी था। मैंने उसको कहा था कि उसके प्रेमी, और होने वाले पति के रूप में, मुझे उसकी हर तरह से मदद करने का अधिकार है। अगर वो चाहती है, तो वो मुझे पैसे वापस कर सकती है, लेकिन मेरे पैसे, मेरे संपत्ति पर उसका भी मेरे जितना ही हक़ है। यह बात मैंने कई दिनों तक दोहराई थी, और तब कहीं जा कर वो यहाँ आने को तैयार हुई थी। एक दिन तो उसने कमाल कर दिया - उसने मुझसे पूछा कि मैं काजल को कितना वेतन देता हूँ। वो चाहती थी कि घर का काम वो कर देगी, जिससे उसको काजल का वेतन मिल सके। मैंने गैबी की इस बात पर उसको जम कर डाँटा और समझाया कि मैं अपनी नौकरानी से बहुत प्यार करता हूँ और उसे जाने नहीं देना चाहता! बेचारी गैबी अपने भविष्य को लेकर इतनी अनिश्चित थी कि वो तय नहीं कर पा रही थी कि उसका भारत आना सही है भी, या नहीं! और यह सब तब जब हमने एक दूसरे के लिए अपने प्यार का इज़हार कर दिया था; और मैं उसको बोल भी चुका था कि मैं उससे शादी करना चाहता था। खैर, अच्छा हुआ कि उसने अपनी मूर्खतापूर्ण हठ को छोड़ दिया और हमारा मिलने का इंतजार खत्म हो गया।

उसे देखते ही मुझे अपने चेहरे पर एक चौड़ी सी मुस्कान महसूस हुई। मैंने उसे पुकारा,

“गैबी! इधर!” मैंने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए जोर-जोर से हाथ हिलाया।

जैसे ही उसने मुझे देखा, उसका चेहरा खिल उठा और वह मेरी ओर भागने लगी - न अपने सामान की परवाह, न खुद की।

“हनी!” वह मेरी तरफ भागते हुए चिल्ला रही थी।

उसकी आवाज बहुत तेज थी। उसके चेहरे के भाव ऐसे लग रहे थे, जैसे वो कई दिनों से समुद्र के बीच में फंसी रही हो, और बस अभी अभी ही उसको वह बचाया गया हो। उसके चेहरे पर उपस्थित भय के भावों का स्थान राहत, आनंद, और उत्साह के भावों ने ले लिया।

“हनी!” जैसे ही मैं उसके पास पहुँचा, उसने वही शब्द दोहराया। वह मुझे देखकर कितनी भावुक हो गई थी!

“माय हार्ट!”

इतना प्यार!

मुझे पता था कि मैं भी उससे बहुत प्यार करता हूँ! लगभग चिल्लाते हुए गैबी मेरी ओर दौड़ी, अपना सामान ट्रॉली पीछे छोड़कर मुझ पर कूद पड़ी। मैंने उसे अपने आलिंगन में उठा लिया - इस तरह से कि उसके पैर मेरी कमर के चारों ओर और उसकी बाहें मेरे गले में लिपटी हुई थीं। आगे जो हुआ वह मेरे लिए थोड़ा सा शर्मनाक था क्योंकि सब देख रहे थे। गैबी मेरे मुँह पर अपने मुँह को रख कर खुले मुँह के साथ मुझे चूमने लगी! मुझे इस अचानक हुए हमले से उबरने में कुछ सेकंड लगे और फिर मैं भी उसके चुम्बन का जवाब उतनी ही उत्साह से देने लगा। उसके पैर मेरे कमर को चारों ओर से पकड़े हुए थे, और मैंने उसके नितम्ब अपने हाथों में थाम रखे थे। हम दोनों पूरी भावना, पूरे उत्साह के साथ एक दूसरे को ‘फ्रेंच किस’ कर रहे थे। मैंने अपने पूरे जीवन में इस तीव्रता से कभी किसी को नहीं चूमा था, और इस चुम्बन का मुझ पर एक स्पष्ट और सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा। मेरा लिंग अचानक ही स्तंभित होने लगा। आस-पास के लोग हमें उत्सुक हैरानी से देख रहे थे : जाहिर सी बात है, सभी यही सोच रहे होंगे कि हम एक शादीशुदा जोड़ा हैं! तब एक देसी आदमी के लिए एक विदेशी बीवी होना, एक बड़ी उपलब्धि थी। ‘नेबर्स एनवी, ओनर्स प्राइड’ वाली हालत!

“गैबी...?”

“हम्म मम्म?” वह प्यार से मेरी आँखों में देख रही थी।

अपनी तस्वीरों में गैबी जैसी दिखती है, उससे कहीं अधिक सुंदर थी।

“तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो! और मैं बहुत खुश हूँ कि तुम अब मेरे साथ, मेरे पास हो!”

“माय हार्ट! मेरे पास जो कुछ भी है वह तुम्हारा है। सब कुछ! तुम हो, बस.... अब कुछ नहीं चाहिए! बस तुम्हारा प्यार …”

“गैबी, यू आर गॉड्स गिफ्ट [तुम भगवान् का दिया उपहार हो] ... और मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ!!”

हम इसी तरह से कुछ देर ऐसी ही मीठी मीठी बातें करते रहे। अब तो बहुत सी बातें याद भी नहीं हैं। लेकिन अंत में, हमने अपना आलिंगन तोड़ा और उसका सामान ट्रॉली से उठाया और हम ले कर पार्किंग में चले आये और फिर अपनी कार में बैठ गए। मैं आम-तौर पर तेज ड्राइव करता हूँ, लेकिन उस दिन, दिल चाह रहा था कि एयरपोर्ट से घर का सफर बस चलता रहे। इसलिए, मैं कार धीरे चला रहा था। मेरी कार के स्टीरियो पर एक हल्का, रोमांटिक संगीत चल रहा था, जिसे गैबी भी पसंद कर रही थी। उसको समझ में तो नहीं आ रहा होगा, यह तो तय है। ड्राइव के दौरान उसने मुझे प्यार से छुआ।

“माय बिग एंड स्ट्रांग बॉय!”

वो मुझे देख कर बहुत खुश थी, और उसके चेहरे पर प्रशंसा और गौरव वाले भाव थे। लगभग डेढ़ साल तक चले ऑनलाइन सम्बन्ध में आज हम पहली बार एक दूसरे के सामने थे। इसलिए आज वो मुझे छूने और महसूस करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती थी। तो उसने मुझे छुआ - कभी मेरी बाहों को, तो कभी छाती को, तो कभी जांघों की मांसपेशियों को! जब उसने मेरी जांघों को छुआ, तो मुझे गुदगुदी सी हुई - आंशिक रूप से उसके स्पर्श के उत्तर में, और आंशिक रूप से इस प्रत्याशा में कि वह आगे क्या करने वाली है। मुझे उम्मीद थी कि वह मेरे लिंग को महसूस करेगी, और उसने निराश नहीं किया। मानो मेरे मन की बात पढ़ते हुए उसकी हथेली मेरे लिंग पर पहुंच गई,

“माय सिनामन....” उसने मुस्कुराते हुए कहा। मेरा लिंग पहले से बिलकुल सख्त बना बैठा था।

“डू यू वांट टू बी फ़्री ऑफ़ दिस स्टुपिड फ़ैब्रिक?”

[गैबी और मैं शुरू शुरू में अंग्रेज़ी, फ़िर अंग्रेज़ी-हिंदी, और फिर हिंदी और पुर्तगाली में बात करते हैं - लेकिन यहाँ पर सब हिंदी में ही लिखा जाएगा - तीन भाषाओं में एक ही बात लिखने का धैर्य नहीं है मुझमे!]

इस समय गैबी मुझसे बात नहीं कर रही थी; इस समय वो मेरे लिंग से बात कर रही थी।

सच कहूँ? मैं तो चाहता भी था यही था कि ऐसा कुछ हो। उसने मेरी ज़िप खोल दी, और मेरे अंडरवियर के माध्यम से वो मेरे लिंग तक पहुंच गई। कुछ ही सेकंड में, उसके हाथ ने मेरे लिंग को मुक्त कर दिया था और ज़िप के सामने से बाहर निकाल लिया था। मुझे उसके बाहर निकलते ही कार के एयर-कंडीशनर की ठंड का एहसास हुआ। उस समय बहुत लोगों के पास कार ही नहीं होती थी, और एयर-कंडीशनर कार तो बहुत ही कम होती थीं। गैबी ने मेरे कठोर, पूरी तरह से स्तंभित लिंग को पहली बार मूर्त रूप में देखा था। मेरा लिंग बाहर की तरफ़ सीधा निकला हुआ था; उसकी चमड़ी थोड़ा पीछे की ओर खिंची हुई थी और इस कारण लिंगमुण्ड थोड़ा दिख रहा था। उसने अपनी हथेली और उंगलियों को शाफ्ट के चारों ओर लपेट लिया, थोड़ा दबाया - स्तम्भन इतना मज़बूत था कि उस मामूली से दबाव से तो थोड़ा भी नहीं दबा।

गैबी के गले से एक आश्चर्यजनक आह निकल गई,

“तुमको मालूम है, हनी,” उसने मुझसे कहना शुरू किया - उसकी आवाज स्पष्ट रूप से यौन उत्तेजना के साथ थोड़ी कर्कश हो गई थी - “... जितना मैं संभाल सकती हूँ, ये उससे कहीं ज़्यादा बड़ा है। मेरी योनि इसके मुकाबले.... छोटी है …”

वो मुझे बताते बताते मेरे लिंग को पकड़े पकड़े हस्तमैथुन दे रही थी।

मैं पहले से ही यौन तनाव के अपने चरम पर था। मैंने पिछले तीन दिनों से न तो हस्तमैथुन किया था, और न ही काजल के निकट गया था, क्योंकि मैं खुद को बचा रहा था, जिससे गैबी के साथ बिस्तर पर अच्छा परफॉर्म कर सकूं। लेकिन अब वही बात मुझे परेशानी दे रही थी। शीघ्र ही स्खलन होने का वास्तविक खतरा मँडरा रहा था, जबकि मैं ऐसा करने से पहले बहुत समय लेना चाहता था। मैंने कार रोकी और सड़क के किनारे खड़ी कर दी।

“गैबी, अगर तुम यह करना जल्दी ही नहीं रोकती हो, तो मैं तुम्हारे हाथ में ही स्खलित हो जाऊँगा!”

“सच में, मेरी जान? अच्छा!” उसने इतना कहा, और फिर झुक कर उसने मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया।

उसने धीरे धीरे मेरे लिंग को चूसना और हाथ से पंप करना शुरू कर दिया - धीरे-धीरे, क्योंकि उसको मालूम था कि कैसा भी तेज़ घर्षण मुझे तत्काल स्खलित कर देगा। उसके मुँह की नरम गर्माहट, और इस मधुर मुख-मैथुन ने मुझे कामुक आनंद से झकझोर कर रख दिया। मैं जैसे इच्छाशक्ति को सम्हाले अटका हुआ था - कि अभी स्खलित हुआ, कि तभी स्खलित हुआ। गैबी भी चाहती थी कि मैं मुख मैथुन से होने वाले आनंद का मज़ा देर तक लूँ। इसलिए वो धीरे धीरे यह सब कर रही थी। शायद वो खुद भी मेरी मरदाना गंध से उत्तेजित हो गई थी। मेरे लिंगमुण्ड से शिश्नाग्रच्छद कब का हट चुका था, और उसकी जीभ उसको गुदगुदी कर रही थी और साथ ही साथ उसको चूस भी रही थी। उसने बड़े प्यार से मुझको मुख-मैथुन का सुख दिया, तब तक, जब तक कि उस पता नहीं लग गया कि मैं स्खलित होने वाला हूँ। गैबी के प्रयासों के बावज़ूद, मैं जल्दी ही स्खलित हो गया - मेरा स्खलन विस्फोट की भाँति ही महसूस हुआ। गैबी मुझे मुँह में ही लिए लगातार चूसती रही, और पीती रही। जब तक मेरे लिंग ने स्खलन करना जारी रखा, तब तक गैबी ने चूसना और पीना जारी रखा। जब पूरा खाली हो गया, तब भी गैबी ने कुछ देर उसको चूसा और फिर मेरे लिंग को मुक्त कर दिया।

“मज़ा आया, मेरी जान? तुम को यह पसंद आया?” उसने पूछा।

‘मज़ा आया? पसंद आया? अरे भगवान! मैं तो स्वर्ग में तैर रहा था।’

मैंने बस ‘हाँ’ में सर हिलाया, और मुस्कुराया। फिर से गाड़ी चलाने से पहले मुझे अपने होश और सांस लेने में कुछ समय लगा।
 

avsji

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पहला प्यार - Update #4


जब हम अपने घर पहुंचे तो काफी रात हो चुकी थी। जाहिर है, काजल बहुत पहले ही जा चुकी थी। मैंने काजल से कहा था कि मेरे एक मेहमान के लिए भी खाना पका दें। उसने मेरे अनुरोध पर कुछ ख़ास व्यंजन बनाए थे, और उन्हें बाद में दोबारा गर्म करने के लिए माइक्रोवेव-योग्य कंटेनरों में बड़े सलीके से रख दिया था। मेरा फ्लैट सबसे ऊपर की मंजिल पर था, जो वास्तव में तीसरी मंजिल थी। यहाँ से आस पास का अच्छा दृश्य दिखता था, और हवा बड़ी आसानी से आती-जाती थी। लेकिन साथ ही बहुत धूप और बारिश भी घर के अंदर आ जाती थी। मेरे फ्लैट का खुलापन गर्मियों में एक समस्या थी - क्योंकि घर काफी गर्म हो जाता था, लेकिन अन्य मौसमों के दौरान यह बहुत शानदार रहता था। हमने उसका सामान घर के अंदर ले लिया, और मैंने वो सब दूसरे कमरे में ले जा कर एक तरफ रख दिया। गैबी हॉल ही में इंतजार कर रही थी। जब मैं लौटा तो वह अभी भी किंकर्तव्यविमूढ़ सी खड़ी थी।

“ओह, गैबी!” मैंने कहा, “व्हेयर आर माय मैनर्स? बैठो न! आराम से रहो। अब यह तुम्हारा घर है!”

गैबी हँसी और बोली, “नहीं जान! कृपया फॉर्मल मत बनो मेरे साथ। मुझे तुम्हारे घर का डेकॉर, साफ़ सफाई देख कर बहुत अच्छा लग रहा है! अच्छा क्या, आई ऍम सरप्राइस्ड! बहुत सुंदर!”

“ठीक है! मैं तुम्हारा यह फीडबैक काजल को बताऊंगा!” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “यह घर तो काजल ही सम्हालती है!”

गैबी को काजल और उसके मुझ पर होने वाले प्रभाव के बारे में जानती थी। बेशक, मैंने गैबी को के साथ अपने ‘अंतरंग प्रभाव’ का पूरा हिसाब नहीं दिया। वह बाद के लिए था।

“बैठो न!” मैंने कहा।

“जान, मैं पहले नहा लेती हूँ। इतनी लंबी जर्नी रही है। मैं बहुत थक गई हूँ, और अब तो बॉडी से स्मेल भी आ रही है!” उसने हँसते हुए कहा।

“ओह ज़रूर! बाथरूम हॉल के ठीक बगल में है। टॉयलेट के लिए, उसके बगल दूसरा दरवाज़ा है। लेकिन हम यहाँ टॉयलेट में टिश्यू नहीं यूज़ करते हैं ... हम लोग पानी का स्प्रे यूज़ करते हैं।” मैंने हंसते हुए कहा।

गैबी पलकें झपकाते हुए मुस्कुराई, “हाँ! हा हा हा हा! उतना तो मैं भी जानती हूँ!” और बाथरूम की ओर चल दिया।

उसने तेजी से अपनी शर्ट के बटन खोलना शुरू किया। इसके बाद, उसने अपनी जींस खोल दी, जो फर्श पर गिर गई। उसने अपनी काले रंग की ब्रा से ही मिलती हुई काले रंग की चड्ढी पहनी हुई थी। फिर वो फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गई। गैबी ने बड़ी तसल्ली से नहाने में अपना समय लिया, और करीब 45 मिनट के बाद बाहर आई। तब तक मैं भूख से मर गया था - उसके लिए अभी भी दिन ही था, लेकिन मेरी तो आधी रात से भी आगे हो गई थी। इस बीच काजल ने जो स्वादिष्ट खाना बनाया था, वह सब मैंने दोबारा गरम कर लिया था। ख़ैर, अंत में गैबी हॉल में आई, और किलकारी भरते हुए बोली,

“उम्म्म्म! कितनी बढ़िया सुगंध है! ओह गॉड! बहुत भूख लगी है!”

गैबी ने हल्के हरे रंग की, हल्के कॉटन की नाइटी पहनी हुई थी। इस नाइटी में स्पेगेटी स्ट्रैप्स और छोटे छोटे फ्लोरल प्रिंट्स बने हुए थे। यह नाइटी ढीली ढाली नाइटी नहीं थी, बल्कि यह एक बढ़िया फिटिंग वाली, बॉडी-हग्गिंग नाइटी थी। इसकी नेक-लाइन थोड़ा नीची ज़रूर थी, लेकिन उसमे से केवल गैबी का सीना दिख रहा था, उसके स्तन या उसका वक्ष-विदारण नहीं। उस नाइटी में गैबी को देख कर अच्छा लग रहा था। हालांकि इसमें कुछ भी सेक्सी नहीं था - उसको पहन कर आप किसी अनजान के लिए घर का दरवाजा खोल सकते हैं।

वो मुझे यूँ देखते हुए देख कर मुस्कुराई, “बस एक मिनट और, जान!” उसने कहा, और अपने कमरे में चली गई।

जब वो वापस आई, तो उसके हाथ में एक बढ़िया ब्राज़ीलियाई वाइन की बोतल थी। ब्राज़ील में इसको ‘विन्हो फ़िनो’ [बढ़िया वाइन’ कहते हैं। मैंने देखा - यह एक महंगी पोर्ट वाइन थी।

उसने कहा, “थैंक यू सो मच फॉर हैविंग मी!” और बोतल मुझे सौंप दी।

“यू आर सो वेलकम, माय लव!” मैंने सरलता से उसका जवाब दिया, शुरुआत की, लेकिन मैंने उसके वाक्य के अनजाने में दोहरे अर्थ के बारे में सोचा, और कहा, “आई थिंक आई विल बी वैरी हैप्पी टू हैव यू!” और आँख मारी।

[‘टू हैव यू’ का दूसरा अर्थ सेक्स करना भी हो सकता है]

गैबी एक पल को रुकी, फिर वो मेरी बात का मतलब समझ कर मुस्कुराई और शिकायत करते हुए बोली, “इंग्लिश!”

भोजन बहुत स्वादिष्ट था और हम उसका आनंद उठाते हुए छोटी-छोटी बातें करते रहे। इतने दिनों तक हज़ारों किलोमीटर दूर से गैबी से बात करने के बाद, आज आमने सामने उससे बात करना बड़ा सुखद लग रहा था। उससे बात करते हुए कहीं न कहीं, मैं उस मौखिक सेक्स के बारे में सोचता रहा जो उसने मुझे कार में दिया था। इसका असर यह हुआ कि जब तक हमारा रात का खाना खत्म हुआ, तब तक मैं वापस अपने पूर्ण स्तम्भन में आ चुका था।

गैबी से यह बात छुपी नहीं रह सकी; उसने मेरे स्तम्भन को देखा और मेरे कान में फुसफुसाते हुए बोली, “हनी, क्या तुम मुझसे सेक्स करना चाहते हो?”

“गैबी? अह हाँ .... हाँ, करने का मन तो है!” मैंने कबूल किया।

मेरी बात पर गैबी ने मुझे होंठों पर चूमा और कहा, “यू नो दैट आई लव यू ... डोंट यू हनी?”

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया - क्या कहना चाहती है?

गैबी को जैसे मेरा भ्रम समझ में आ गया। वह हंस पड़ी और बोली,

“मेरी जान, मैं बस इतना कह रही हूं कि मैं भी तुमको बहुत प्यार करती हूँ, और मैं भी तुमसे सेक्स करना चाहती हूँ ... शायद जितना तुम मुझसे करना चाहते हो, उससे भी ज्यादा! लेकिन इससे पहले कि हम सेक्स करें, मेरी इच्छा है कि तुम मुझसे भी प्यार करो - केवल मेरे शरीर से नहीं - मन ही मन मैं अपना शरीर तुमको पहले से ही तुमको सौंप चुकी हूँ और अब से बस यह तुम्हारा है। लेकिन मैं चाहती हूँ कि हमारा प्यार केवल शरीर तक ही सीमित न रहे। हम एक दूसरे को पूरी तरह से प्यार करें! जब ऐसा होगा, तब हम सेक्स करेंगे।”

मैंने चुपचाप उसकी तरफ देखा, लेकिन उसकी बात का खंडन नहीं किया। शायद वो सही कह रही है। मैं गैबी की तरफ आकर्षित तो था, लेकिन क्या यह आकर्षण केवल इसलिए था कि वो एक लड़की है? शायद नहीं - लेकिन यह बात ठीक ठीक मालूम होनी चाहिए। वैसे भी, वो कह ही रही है कि उसका शरीर अब सिर्फ मेरे लिए है, तो मैं भी यह बात मान लेता हूँ!

वह मुस्कुराई, “तब तक, माय मैरिडो, बस इतना ही!” और उसने मेरे होठों पर एक गर्मागर्म चुम्बन दिया।

पुर्तगाली में मैरिडो का मतलब 'पति' होता है। उस समय, मुझे नहीं पता था कि इसका क्या मतलब है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि गैबी मुझे पहले से ही अपना पति मानती थी। दिलचस्प सी बात है, है ना?

मैंने आह भरी। लिंग का स्तम्भन शांत हो गया। अब मुझे किसी और उत्तेजक की जरूरत नहीं थी - अब मैं सोना चाहता था। तो मैंने गैबी को अच्छी तरह चूमा और फिर मेरे कमरे के पास गया। नींद से मेरी हालत खराब थी, लेकिन दूसरी ओर गैबी ताज़गी से भरपूर और खूबसूरत लग रही थी। ब्राज़ील में, इस समय के आसपास केवल दोपहर का समय हुआ होगा, इसलिए उसे नींद नहीं आ रही थी। पता नहीं कब वह अपने बिस्तर पर गई। मैं तो उससे बहुत पहले ही सो गया।


***


जब मैं सो कर उठा तो सुबह का समय था लगभग साढ़े नौ बजे। मैं सामान्य दिनों के मुकाबले साढ़े तीन घंटे से अधिक सो चुका था। मैं उठा और तुरंत गैबी को देखने गया। वह इस समय बड़ी शांति से सो रही थी। उसकी नाइटी का निचला सिरा [हेम] उसकी जाँघों पर से काफी ऊपर तक उठ गया था, इतना ऊपर कि उसका योनि-मुख दिख सकता था। जैसा कि मैंने पहले भी उल्लेख किया है, मैं तो रात में नग्न सोता हूं, और इसलिए, मैं उस समय भी नग्न ही था। वैसे भी गैबी से कुछ भी छुपाने की मुझे कोई जरूरत नहीं थी - उसको मालूम था कि मैं नंगा कैसा दिखता हूँ। गैबी की खतरनाक तरह से नंगी टाँगें देखते ही मेरा लिंग तुरंत सख्त हो गया। मैं उसकी सुडौल टांगों और उसके प्यारे शरीर से अपनी आँखें नहीं हटा सका। जैसा मैंने पहले भी बताया, उसकी नाईटी एकदम फिट थी, और मैं उसका फिगर अच्छी तरह से उभार कर दिखा रही थी। मैं दबे पाँव उसकी ओर बढ़ा और बड़ी कोमलता से मैंने उसका एक पैर थाम लिया। उसके पैर के नाखून हल्के गुलाबी रंग के थे, और उसकी त्वचा बड़ी चिकनी और मुलायम थी।

और फिर अचानक से ही एक विचार या कहिए कि एक एहसास मेरे मन में बिजली की भांति कौंधा। मुझे उस पल से पहले एहसास नहीं हुआ था कि गैबी कितनी खूबसूरत है! वो न केवल अविश्वसनीय रूप से सेक्सी थी, बल्कि मासूमियत भरी सुंदर भी थी। मन में हुआ कि मैं उसके कोमल होठों को चूम लूँ! लेकिन किसी तरह अपने मन पर नियन्त्रण कर के मैं शांत रहा। मैं उसके बगल बैठ कर, उसके बालों को सहलाने लगा, और फिर बहुत धीरे से उसके सुन्दर के चेहरे को सहलाने लगा। गैबी के सान्निध्य से मुझे अपने अंदर एक अलग तरह की गर्मी निकलती महसूस हो रही थी। कुछ देर तक तो मैंने खुद पर नियंत्रण रखा, लेकिन फिर रहा नहीं गया। मैं नीचे झुक गया और अपने होंठों को उसके होंठों पर बहुत धीरे से रख कर उसको चूमने लगा। इतने धीरे से जिससे वो जाग न सके। यह एक बहुत की शिष्ट और कोमल सा चुंबन था और गैबी अभी भी वैसे ही बेखयाली, बेपरवाही से सो रही थी। मैं बैठा बैठा उसे देख रहा था। कैसी किस्मत! ऐसी बला की खूबसूरत लड़की आज अपने पास है!

‘हे भगवान! कितनी सुन्दर है ये!’ मैंने सोचा, और मेरे मन में गैबी का ‘कुछ और’ देखने की लालसा जागने लगी।

मैंने उसकी नाइटी के निचले सिरे को थोड़ा और ऊपर खिसकाया और उसकी बहुत ही सुंदर योनि को देखकर आश्चर्य से, और मंत्रमुग्ध हो कर बुत बना बैठा रहा! गैबी की योनि पर बाल का एक रोयाँ भी नहीं था - उसका आकार छोटा था और उसको देख कर लग रहा था कि वो बहुत सँकरी होगी। उसकी योनि के दोनों होंठ मिल कर एक लंबा सा चीरा बना रहे थे। मुझे आश्चर्य हुआ यह देख कर कि उसकी योनि का मुख बिलकुल भी नहीं दिख रहा था, क्योंकि उसकी योनि के दोनों होंठ एक साथ कसकर बंद थे, और ज्यादातर अंदर मुड़े हुए थे। महिलाएँ, जिन्होंने काफी सेक्स किया होता है, उनका योनि पुष्प [लेबिया माइनोरा] बिलकुल खिला हुआ रहता है। लेकिन गैबी में वो स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था। यह एक दिलचस्प बात थी, क्योंकि मुझे उम्मीद थी कि उसके जैसी अच्छी तरह से सेक्स की अनुभवी महिला के पास अधिक ‘स्पष्ट’ योनि होगी! अधीरता में मैंने अपना थूक निगल लिया - गला ख़ुश्क हुआ जा रहा था। अचानक से एक ख़याल आया कि मैं जो कर रहा था वह न केवल अनैतिक था, बल्कि गैबी के भरोसे का उल्लंघन भी था। मैंने गैबी की नाइटी का निचला सिरा वापस नीचे की तरफ खींच लिया, और उसके कमरे से बाहर निकल गया।
 

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पहला प्यार - Update #5


“ऐसा फिर कभी मत करना,” कमरे के दरवाजे पर काजल खड़ी थी, “... कभी किसी लड़की का विश्वास मत तोड़ना।” वो मुझे हिदायद दे रही थी। बात तो उसकी सही थी।

मैं कमरे से बाहर निकला, और काजल के पास आ कर रुक गया।

“उसे थोड़ा समय दो, फिर वो खुद ही तुमको अपना सब कुछ दे देगी। सच में! मैंने भी तो यही किया था! देखना, एक दिन वो तुमको खुद ही सब कुछ करने देगी!” काजल लगातार बोलती रही।

आश्चर्यजनक सी बात है न? महिलाओं की छठी इंद्रिय कैसे काम करती है। मुझे अब भी आश्चर्य होता है कि उसने कैसे अनुमान लगा लिया कि गैबी और मैंने अभी तक सेक्स नहीं किया था! मेरा गला सूख गया था। मैंने जोर से थूक निगल लिया। काजल भले ही मुस्कुरा रही थी, लेकिन उसकी नसीहत भरी आवाज, मुझे मेरे अनैतिक कृत्य को रोकने के लिए काफी थी। मैं काजल के पास खड़ा हो गया। अपराध-बोध किसी के लिए भी भावनात्मक रूप से थकाने वाला अनुभव हो सकता है। सच है कि मैं गैबी से प्यार करता था, और इसलिए मुझे इंतजार करना चाहिए। ऐसे धैर्य खोने, और जबरदस्ती करने से काम बिगड़ जाएगा। इज़्ज़त पर बट्टा लगेगा, वो अलग! उसने खुद ही मुझसे कहा था कि वह मुझसे प्यार करेगी, लेकिन जब समय सही होगा तब! जब मैं सिर्फ उसके शरीर को नहीं, बल्कि उसके पूरे वज़ूद से प्यार करूँगा, तब। लेकिन फिलहाल अभी क्या करें, क्योंकि मेरा शरीर इस समय सेक्स की मांग कर रहा था। गैबी की योनि देखने के बाद मेरा लिंग स्तंभित हो गया था, और वापस अपने शांत रूप में जाने वाला नहीं था। काजल ने भी यह देखा। बीते कई दिनों में सुबह का सबसे अच्छा स्तम्भन!

“चिंता मत करो! मैं हूँ न!” काजल ने मुझे दिलासा दी।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, और मुझे मेरे बेडरूम में ले गई, और हमारे पीछे बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया। इससे पहले कि काजल कुछ भी करती, मैंने उस पर चुम्बनों की बौछार लगा दी, और साथ ही साथ तेजी से उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिया - निर्दयता और अधीरता से! अब तक की हमारी अंतरंगता में, मैंने काजल को इस तरह से कभी नहीं चूमा था! उसके होठों की थरथराहट ने उसकी उत्तेजना की भविष्यवाणी कर दी और जल्द ही वो मेरे लिंग पर अपनी श्रोणि को रगड़ने लगी। मैं इतनी देर में उसकी ब्लाउज, ब्रा, और साड़ी उतार चुका था, और कोशिश कर रहा था कि उसका पेटीकोट उतार दूँ। लेकिन वो करने से पहले, काजल ने मुझे रोका,

“रुको रुको! मेरे पास एक बेहतर आईडिया है।” काजल ने कहा, और साथ ही साथ वो एक मीठी सी मुस्कान भी बिखेर देती है।

वो मुझे बेड पर बैठने के लिए हल्का सा धक्का देती है, और खुद मेरे सामने अपने घुटनों के बल बैठ कर, मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लेती है।

“ऊउउह्ह्ह्ह्ह!” काजल के मुँह के अंदर जाते ही मुझे अपने लिंग के लगभग हर हिस्से से कई कामुक संवेदनायें उठती हुई महसूस हुईं!

अगले कुछ ही पलों में मेरी पूरी लंबाई का एक बड़ा हिस्सा काजल के गर्म मुँह के भीतर था। लिंग की मोटाई उसे असहज अवश्य कर रही थी, लेकिन वो मुझे सुख दिए बिना अब जाने नहीं देना चाहती थी। फिर उसने अपना सिर मेरे लिंग की लम्बाई पर अंदर से बाहर चलाना शुरू कर दिया - और साथ ही में अपनी जीभ से उस पर गुदगुदी जैसी करनी शुरू कर दी। काजल वाला मुख मैथुन, गैबी वाले मुख मैथुन से बहुत अलग था। दोनों ही परम सुखकारी, लेकिन बहुत भिन्न! कुछ ही क्षणों में मैंने समय और स्थान के बारे में सारी जानकारी खो दी थी। कहाँ था, क्यों था, कब था - यह सब बातें अब बेमानी हो गई थीं। बस यह बात मायने रख रही थी कि मुझे अपार सुख मिल रहा था। मुख मैथुन के सुख में एकाध बार मेरी आँखें खुलीं, तो मैंने काजल के सुंदर चेहरे को अपने लिंग पर प्यार से ऊपर - नीचे होते हुए देखा। मुझे नहीं पता था कि काजल मुख-मैथुन की कला को जानती है, और वास्तव में वो इसमें सिद्धहस्त है! मुझे इस बात से उसके पति की किस्मत पर बहुत रश्क़ हुआ। मजेदार बात रह भी थी कि केवल दस ही घण्टे के भीतर ही मैं दूसरी बार मुख मैथुन का सुख ले रहा था, और वो भी एक दूसरी स्त्री से! ऐसी किस्मत होनी चाहिए!

‘आह! मज़ा आ गया!’ मैंने सोचा।

काजल के मुंह में मेरा लिंग - यह एक बहुत ही सुकून देने वाला दृश्य था। उसका चूषण मेरे लिंग अविश्वसनीय और कामुक संवेदनाएं पैदा कर रहा था। उसके मुँह में भी मैं बहुत ही उत्तेजित महसूस कर रहा था। मुझे वास्तव में यह अनुभव पसंद आया! अचानक मुझे कुछ अलग सा लगा - अपना सर मेरे लिंग पर ऊपर नीचे करते हुए, काजल ने मेरी प्रतिक्रियाओं को देखते हुए, मेरे लिंगमुण्ड पर चारों ओर अपनी जीभ फेरी, और लिंग के अन्य हिस्सों पर! ऐसी मीठी, और कामुक गुदगुदी! मैं कामुक आनंद से कराहने लगा!

“आअह्ह्ह्ह! हाँ...”

उसने मेरे अंडकोष को चूसने के लिए मेरे लिंग को कुछ देर के लिए छोड़ दिया। पहले उसने एक को चूसा और चूमा, फिर दूसरे को... और फिर दोनों साथ-साथ! मुझे यह अनुभव बहुत बढ़िया लगा! फिर वो वापस लिंग पर लौट गई।

“ओह गॉड!” मैं कराह उठा, “ओह... गुड!”

मैं अब तेजी से अपने चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रहा था। मेरा सारा शरीर परमानंद से काँप रहा था; मेरी साँसें छोटी और अनियमित होती जा रही थी। काजल ने मेरी तरफ देखा, और समझ गई। उसको पता था कि मेरे चेहरे पर जो भाव आ रहे थे, वो तब आते हैं जब कोई पुरुष स्खलित होने वाला होता है। चूसते हुए भी, उसके होठों पर एक छोटी सी मुस्कान तैर गई।

बस कुछ ही पलों में मैं फूट पड़ा!

वीर्य का पहला गोला सीधे उसके गले में जा कर गिरा, और फिर ताबड़ तोड़ टीन्स हार और छोटे गोले उसके मुँह में गिरे। उसने मेरा लिंग नहीं छोड़ा और जो कुछ भी मैंने दिया, काजल वो सब कुछ चूसती रही। कुछ ही पलों में मैं पूरी तरह शांत हो गया।

“हाय काजल!” मैं अवाक रह गया, “मज़ा आ गया यार! अद्भुत!”

काजल ने अभी भी मेरा लिंग नहीं छोड़ा, और उसको चूसना, चूमना और और जीभ से सहलाना जारी रखा। अब तक मेरा कामोन्माद पूरी तरह से शांत हो गया था। जब मैं पूरी तरह से शांत हो गया, तब ही कहीं जा कर काजल ने मुझे छोड़ा। इस सुख के साथ तो पूरा जीवन जिया जा सकता है! फिर काजल उठ खड़ी हुई और मुस्कुराती हुई मेरी ओर देखने लगी।

“काजल! ओह काजल!” मैं अंत में बोला, “मैं भी तुमको ‘कर’ दूँ?”

काजल बहुत प्रसन्नता से मुस्कुराई, “बाद में। अभी नहीं।”

उस समय, काजल मेरे बगल वाले कमरे में सो रही ‘गोरी’ लड़की के बारे में जानने में अधिक उत्सुक थी । मैंने काजल को गैबी के बारे में पहले नहीं बताया था। उसने मुझसे बहुत सारे सवाल पूछे - यह लड़की कौन थी? किस देश से [काजल ने ठीक ठीक समझा कि गैबी एक भारतीय की तरह नहीं दिखती] थी? ब्राज़ील कहाँ है? कितना दूर है? वह यहाँ क्यों आई थी? पीएचडी क्या होता है? क्या मैं उससे शादी करने जा रहा था? कब? और क्या मैंने उसके साथ ‘कुछ’ किया है? इत्यादि।

मैं उसके सवालों की झड़ी का जवाब देते हुए लगभग थक गया था। लेकिन फिर भी मैंने धैर्यपूर्वक उसे गैबी के बारे में सब कुछ बताया, समझाया और उससे कहा कि मैंने उसके साथ यौन संबंध नहीं बनाए हैं। लेकिन हमको एक दूसरे से प्रेम है और शादी करने का इरादा भी! यह सब सुनकर काजल बहुत खुश हुई और उसने मुझे बधाई दी। मैंने काजल से पूछा कि वो नाराज है, या उदास? उसने मुझसे कहा कि वो न तो उदास है, और न ही नाराज़। बल्कि वो बहुत खुश है। उसने मुझे कहा कि मेरे और उसके बीच में जो कुछ है, वो अलग है, और मुझे याद दिलाया कि उसी ने ही मुझे अपने उम्र की लड़की को खोजने के लिए प्रोत्साहित किया था।

काजल मेरे ही जैसे, गैबी के बारे में जान कर मंत्रमुग्ध सी हो गई। उसने मुझे भरोसा दिया कि वो इस बात से बहुत खुश थी कि मैं एक ‘गोरी मेम’ से शादी करने जा रहा था। चूंकि उसने सवेरे देखा था कि मैं गैबी के गुप्तांगों को घूर रहा था, इसलिए उसने मुझे समझाया कि गैबी जैसी छोटी और कमसिन लड़की के साथ कैसे कोमलता से व्यवहार करना चाहिए और जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। उसने मुझसे कहा कि मेरा लिंग लम्बा भी है और मोटा भी। और जल्दबाज़ी करने पर वो गैबी को नुक्सान पहुँचा सकता है। मैंने काजल से यह तथ्य छिपा लिया कि गैबी की योनि अच्छी तरह से खेली खाई थी। बेशक, गैबी भी मेरे लिंग के आकार को लेकर खबरदार थी। लेकिन मुझे उम्मीद थी कि अपने अनुभव के आधार पर वो मेरे लिंग को अपने अंदर फिट करने में सफल रहेगी। काजल गैबी से मिलना चाहती थी लेकिन चूँकि वो सो रही थी, और बहुत देर तक इंतज़ार करने के बाद भी सोती ही रही, तो वो चली गई, शाम को उससे मिलने का वायदा ले कर। वैसे भी सुनील को पढ़ने के लिए आज आना ही था।

उस दिन, मैंने गैबी को उसका सामान खोलने, सामान जमाने, और आराम से रहने के लिए उसकी ज़रूरत की चीज़ें खरीदने में मदद की। काजल शाम को आने के बजाय दोपहर में ही आ धमकी, और गैबी से ऐसे मिली जैसे कि उन दोनों की न जाने कब से यारी दोस्ती है! गैबी को बहुत थोड़ी सी हिंदी बोलनी आती थी - काजल उसको अपनी तरफ से कहानियाँ सुनाती जा रही थी, और मैं एक अनुवादक की भाँति उसको समझने में गैबी की मदद कर रहा था। खैर, मैंने काजल को कहा कि खूब समय पड़ा है यारी दोस्ती करने के लिए, फिलहाल मैं गैबी को कुछ ज़रूरी चीज़ों की ख़रीददारी कराने ले जा रहा हूँ। शाम को हम आस-पास के स्थानों - जैसे बाजार, सब्जी और फलों के बाजार, और एक शॉपिंग-मॉल भी गए। लौटते समय, गैबी ने मुझसे कहा कि कहीं किसी कोने से ‘एक बहुत ही स्वादिष्ट सुगंध’ आ रही है। मुझे समझा की वो ‘चाट’ के बारे में बात कर रही थी।

तो, हम उस चाट विक्रेता के पास गए, और उसके लिए एक प्लेट आलू-टिक्की चाट बनावाई और फिर उसके बाद उसको आधा दर्ज़न गोल-गप्पे भी खिलाए। वो अलग बात है कि अगले दिन गैबी की घर के बाथरूम से अच्छी तरह से जान पहचान हो गई। जी ठीक है, चलिए उसके बारे में बात नहीं करते हैं। अगले कुछ दिनों में मैं गैबी को भारतीय तौर तरीकों से और अपने परिवेश से अच्छी तरह से परिचित कराने और समझाने में व्यस्त हो गया। वो पहले से ही हिंदी सीखने की कोशिश कर रही थी और उसे इसकी थोड़ी समझ थी। इसलिए गैबी जल्दी ही हमारी बोली सीख गई, और खुद भी ‘परफेक्ट’ हिंदी बोलने की कोशिश करने लगी। काजल, सुनील और लतिका के साथ साथ, उसने हमारे पड़ोसियों और मेरे कुछ दोस्तों और कार्यालय के सहयोगियों के साथ दोस्ती भी की। निःसंदेह, सभी लोग एक विदेशी लड़की को जानने, उससे मिलने और उससे बात करने में रुचि रखते थे। वे हमारे रिश्ते की प्रकृति के बारे में भी जानने को उत्सुक थे, जिस पर गैबी ने उनको समझाया कि हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं, और शादी करना चाहते हैं, और यह कि वो पीएचडी करने के लिए भारत आई हुई है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि जिज्ञासु मनों को बस इतनी सी बात शांत नहीं कर सकती। वे अक्सर हमारे यौन संबंधों के बारे में सोचते रहते थे।

खैर, कुछ तो लोग सोचेंगे, लोगों का काम है सोचना!


***


गैबी के रिसर्च गाइड एक सुशिक्षित, ज्ञानी, और पेशेवर गाइड थे, साथ ही साथ एक बहुत अच्छे इंसान भी थे। उन्होंने सत्य और ज्ञान के सिद्धांत [थ्योरी ऑफ़ ट्रुथ एंड नॉलेज] पर आधारित एक कठिन विषय गैबी को शोध करने के लिए दिया था। यह एक बहुत ही विशाल विषय है, और समकालीन भारतीय संदर्भ में धर्मों की स्थिति की समझ पर केंद्रित है। शीघ्र ही गैबी अपने शोध के श्रम में व्यस्त हो गई। मेहनती और पढ़ाकू तो वो हमेशा से ही थी, और जल्दी ही उसने अपने शोध के विषय, नए दोस्तों के साथ, और भारत में रहने के अपने अनोखे अनुभवों का आनंद लेना शुरू कर दिया।

आश्चर्यजनक तरीके से गैबी बहुत तेजी से भारतीय तरीकों की अभ्यस्त हो गई - वो अब शलवार-कुर्ता पहनती थी, केवल शाकाहारी भोजन करती थी [क्योंकि मैं शाकाहारी था], और तो और, वो कभी-कभी ब्राजील के विभिन्न व्यंजनों का शाकाहारी संस्करण भी पकाने की कोशिश करती थी। सप्ताह में वो कम से कम एक बार मंदिर जाती थी, और अपने साथ मुझको भी ले जाती। वहाँ तीसरी बार जाने पर वहाँ सभी हमको पति-पत्नी के रूप में देखना शुरू कर दिए - और मज़ेदार बात यह है कि गैबी ने इस बात से कभी भी विरोध नहीं किया। मंदिर में पूजा करने के बाद वो खुद भी विवाहित महिलाओं की भाँति ही अपनी मांग में सिन्दूर लगा लेती थी। पहली बार मैंने उसको बताया कि यह केवल शादी-शुदा स्त्रियाँ ही करती हैं - तो उसने मुझसे कहा कि मन से तो मैं उसका पति ही तो हूँ! जब हम शाम को एक साथ समय बिताते थे, तो हम उसके शोध के विषय पर चर्चा करते थे - मैं उसको अपने वैज्ञानिक विचार बताता था, जिससे उसे उसके शोध में मदद मिली। कई बार मैं भी गैबी के साथ उसके विभिन्न फील्ड वर्क के लिए जाता था।

अब इस तरह का कार्यभार होने के कारण और कई सारी नई चीजों को आत्मसात करने में व्यस्त होने के कारण, गैबी और मेरा प्रेम-आलाप लगभग विराम पर आ गया - प्रेम की पतंग उड़ने से पहले ही ज़मीन पर गिरी हुई लगने लगी। मैं खुद भी यह समझता था कि उसके लिए पीएचडी के कार्य और मेरी प्रेमिका होना - दोनों एक साथ कर पाना अभी संभव नहीं था। मैंने भी समझदारी दिखाते है बस उसको सेटल होने पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। एक बार वो अपने नए परिवेश में सेटल हो जाएगी, तो सब अपने आप ही आसान हो जाएगा। मैंने इस बात को पूरी तरह से समझा और मुझसे जैसा बन पड़ा, गैबी को मैंने अपना समर्थन दिया।

इतनी व्यस्तता में भी, हम दोनों एक दूसरे के लिए अक्सर ही कोमल अंतरंग क्षण निकालने से कामयाब रहे। एक दिन जब मैं ऑफिस से घर वापस आया, तो मेरे कंधे में बहुत दर्द था, और हाथ का हिलना-डुलना भी बेहद मुश्किल था। गैबी ने जब मेरी गर्दन और कंधों में अकड़न देखी, तो उसने मुझसे पूछा कि क्या हुआ। सब सुन कर उसने सुझाव दिया कि वो मेरी मालिश कर देगी। मुझे यह विचार पसंद आया। जल्द ही, मेरे कंधे और गर्दन की तेल मालिश शुरू हो गई - उसके तेल से सने हाथ मेरी गर्दन, कंधों और पीठ पर पैटर्न बनाते हुए चलने लगे। कुछ देर बाद मैंने कन्धों और गर्दन में तनाव को कम होते हुए महसूस किया - उसके हाथों ने धीरे-धीरे दर्द को दूर कर दिया। गैबी ने मेरे दर्द वाले कंधे पर करीब दस मिनट तक मालिश किया। शुरुआती दर्द इतना था कि थोड़ा सा भी छूने पर तकलीफ हुई, लेकिन धीरे-धीरे दर्द इस हद तक ठीक हो गया कि मुझे लगा वो ठीक भी हो गया है! एक बार कन्धों, गर्दन और पीठ की मालिश हो जाने के बाद, गैबी ने मेरे गालों, माथे, आंखों, गर्दन और छाती की मालिश भी शुरू कर दी। दिन क्या, उसकी मालिश के कारण मेरी हफ़्तों की थकावट भी निकल गई।

लेकिन मेरी याददाश्त अभी भी इस बात को लेकर अस्पष्ट है कि कब और कैसे मेरा लिंग उसके मुंह में चला गया! मुझे तो बस इतना याद है कि वो मुख मैथुन बेहद कामुक और आनंद देने वाला था! वो एक बहुत ही खुशनुमा शाम थी!


***


मुझे कुछ दिनों बाद यह भी पता चला कि गैबी ब्राजील में झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए एक स्कूल में अंशकालिक शिक्षक [पार्ट टाइम टीचर] के रूप में काम करती थी। वो उन बच्चों को पुर्तगाली भाषा व्याकरण पढ़ाती थी। उसके छात्र, नियमित स्कूली बच्चों की तरह नहीं थे - वे ज्यादातर गरीब और सड़क-छाप थे, और उन्होंने बेहद कठिन जीवन देखा था। उनमें से कई नशेड़ी माता-पिता की संतान थे! कई सारे तो खुद भी ड्रग्स के लती थे, और उसके कई छात्र तो बच्चे भी नहीं थे। उन्हें पढ़ाने - सिखाने के लिए गैबी खुद भी उन्ही ही तरह ही सख्त हो गई थी। लेकिन जब किसी छात्र ने गैबी का यौन शोषण करने की कोशिश की, तब उसने वो काम छोड़ दिया। खैर, यह जान कर मैंने उसे समय मिलने पर मुझे भी पुर्तगाली भाषा सिखाने के लिए कहा।

गैबी मेरे इस बात पर मुस्कुराई, “जानू, मैं तुमको सिखाऊँगी - अगर तुम वाकई सीखना चाहते हो!”

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया, “बिलकुल सीखना चाहता हूँ - तुम हिंदी सीख रही हो। तो मैं भी पुर्तगाली सीखना चाहता हूँ!”

और इस तरह से मेरा पुर्तगाली भाषा सीखने का कार्यक्रम शुरू हुआ। जब भी हमारे पास खाली समय होता, तो मैं उससे पूछता कि इसको पुर्तगाली में कैसे कहते हैं, और वह धैर्यपूर्वक मुझे हिंदी/अंग्रेजी से पुर्तगाली अनुवाद बताती, उस शब्द का उच्चारण समझाती और वाक्य बनाने का वर्णन करती। अगर उसको मेरा उच्चारण या व्याकरण गलत लगता, तो वो मुझसे उसको दोहराने को कहती - कई बार। मैं मज़ाक मज़ाक में उसे अपना ‘प्रोफेसर’ कहता।

जब भी मैं ऐसा कहता, वह हंसती और फिर से मुझे सुधारती, “प्रोफेसरा, डार्लिंग! मैं एक औरत हूँ। प्रोफेसर आदमी लोग होते हैं!”

अब तक गैबी भी अपने नए परिवेश और अपने शैक्षणिक कार्यक्रम में अच्छी तरह से रम गई थी। इसलिए अब तो थोड़ा आराम से काम कर रही थी, और हमारे लिए समय निकाल पा रही थी। इसलिए, अब हम अपने दैनिक समय में कई सारी गतिविधियाँ शामिल कर पा रहे थे - अब हम एक साथ जॉगिंग करने जाते थे, साथ में स्थानीय बाजार से सब्जियों और फलों की खरीदारी करते थे, मंदिरों में जाते थे [गैबी को मंदिरों में जाना बहुत पसंद था], और सप्ताहांत में हम शहर के बाहर लंबी ड्राइव के लिए जाते थे।

***
 

avsji

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पहला प्यार - Update #6


जैसा कि मैंने पहले कहा, मेरे माँ और डैड बहुत खुले विचारों वाले लोग थे। तो, जब मैंने उन्हें गैबी के बारे में बताया और यह बताया कि गैबी मेरे साथ रह रही है, तो उन्होंने इस बारे में कुछ भी सकारात्मक या नकारात्मक नहीं कहा; बस हमको सुरक्षित रहने के लिए कहा। जब भी हमारी फोन पर बातचीत होती, वे हमेशा गैबी और काजल के बारे में पूछते थे। गैबी को यह मालूम था, और वो कभी-कभी मुझसे माँ और डैड से बात कराने के लिए कहती थी। मुझे नहीं पता कि मैंने ऐसा कभी क्यों नहीं किया! शायद मुझे इस बात का डर था कि कहीं माँ और डैड उसे नापसंद न कर दें! या कहीं वे उसको ठुकरा न दें! इसलिए, मैंने सोचा, कि सबसे अच्छा यही है कि वे तीनों सबसे पहले व्यक्तिगत रूप से मिले - टेलीफोन पर बातचीत तो बाद में भी हो सकती है।

माँ और डैड गैबी से सबसे पहली बार दशहरा के दौरान मिले, जब वे हमसे मिलने आए थे। मेरे सामने वो चाहे कुछ कहते हों, दरअसल, माँ और डैड गैबी से मिलने के लिए बहुत उत्सुक थे; और गैबी से मिलकर वे बहुत खुश थे - बहुत ही नहीं, बहुत ज्यादा खुश! मुझको तो ऐसा लगा कि जैसे माँ और डैड को उससे मोहब्बत हो गई! माँ और गैबी एक दूसरे को लगभग तुरंत ही पसंद करने लगे। डैड भी उसे पहली ही नज़र में पसंद करने लगे... वैसे भी डैड नए लोगों के सामने अपनी भावनाओं को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाते, लेकिन फिर भी आप उनके चेहरे पर किसी के लिए उनकी भावनाओं को आराम से पढ़ सकते हैं। यह सब एक अच्छा संकेत था - विवाह जैसे प्रयोजनों के लिए माता पिता का आशीर्वाद तो चाहिए ही! उससे मिलने से पहले भी, और उससे मिलने के बाद भी, माँ और डैड ने गैबी को ले कर मुझसे कम से कम एक हजार सवाल पूछे होंगे! वे जानना चाहते थे कि क्या उन्हें ब्राजील की बहू मिलने वाली है? अगर हाँ, तो कब? मैंने उनसे कहा कि इसकी बहुत संभावना है। गैबी ने भी यही कहा। उसका यहाँ भारत आना, और मेरे साथ रहना उसी दिशा में एक कदम था। मेरे माँ और डैड यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए! मैं उनकी प्रतिक्रिया से हैरान था !! मुझे लगा कि वे हमें शादी से पहले साथ रहने से हतोत्साहित कर सकते हैं।

दूसरी बार जब वे हमसे मिलने आए, तब
दीपाली का उत्सव था। दीपावली का उत्सव, दशहरे के बीस दिनों के बाद होता है। मेरे डैड अपने काम से इतनी जल्दी जल्दी कभी भी छुटियाँ नहीं लेते थे - कम से कम मुझे तो याद नहीं पड़ता। वैसे भी डैड ने एक लम्बे अर्से से लंबी छुट्टी नहीं ली थी, इसलिए हमने यह तय किया था कि जब दिवाली होगी, जब मैं और डैड लम्बी छुट्टी लेंगे, और कहीं घूमने चलेंगे। मेरे कार्यालय में कुछ दिनों की छुट्टी थी, और मैंने भी कुछ दिनों की छुट्टी के लिए आवेदन किया था। गैबी पर भी काम का बोझ वैसा नहीं था, जितना शुरू में था। उसको वैसे भी रोज़ रोज़ जाने की ज़रुरत नहीं होती। डैड ने भी अपने कार्यालय में छुट्टी के लिए आवेदन कर दिया था। क्योंकि हम शहर से बाहर छुट्टी मनाने की योजना बना रहे थे, इसलिए माँ और डैड ही मेरे पास आए। हम चारों का मेरे शहर से उस यात्रा पर निकलना अधिक सुविधाजनक था। मेरे घर में एक अच्छी बात हमेशा से रही है - हम लोग देश में होने वाले कई त्योहार मनाते हैं, यहाँ तक कि अन्य धर्मों के भी [स्वादिष्ट भोजन किसी भी बहाने से खाने को मिले!]। लेकिन सभी त्योहारों में हमको दीपावली सबसे अधिक पसंद आती है, क्योंकि कोई भी अन्य त्योहार इसकी सुंदरता और उत्साह से मेल नहीं खाता है। वो सारे रंग, टिमटिमाती रोशनी, और मिठाइयाँ; कोई और उत्सव दीपावली को भला कैसे हरा सकता है?

खैर, माँ और डैड दीपावली की सुबह सुबह घर पहुंचे, और आते ही मुझको ‘आलसी’ होने का ताना देने लगे। क्यों? क्योंकि मैंने उनके आने से पहले घर की सजावट नहीं करी थी - न दिए लगाए, न झालर से सजावट करी, न तोरण और न ही कंदील! वो इस बात को आसानी से भूल गए कि मैं सवेरे सवेरे, डेढ़ घंटे से, रेलवे स्टेशन पर खड़ा, उनकी लेट-लतीफ़ ट्रैन के आने का इंतज़ार कर रहा था। तो उनके घर आते ही मुझको काम मिल गया - घर की सजावट, शाम की पूजा की व्यवस्था, और खाने के लिए जो पकवान बनने थे, उसके लिए सामग्री - सब मुझे ही करना था। काजल भी दीपावली की छुट्टी पर अपने मायके गई हुई थी, इसलिए गैबी ने उनके आने से पहले ही हमारे लिए नाश्ता तैयार कर दिया था - उसने हम सभी के लिए आलू के परांठे और चाय बनाई हुई थी। माँ की ख़ुशी देखते ही बन रही थी! उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि गैबी यह सब कर सकती है! जब उन्होंने परांठे खाये, तो उसकी ऐसी बढ़ाई करी कि जैसे उससे अधिक स्वादिष्ट परांठे उन्होंने कभी खाये ही न हो! गैबी में माँ अब अपनी ‘आदर्श बहू’ देखने लगी थी - रूपवती, गुणवती, बुद्धिमती और सबकी लाडली!

खैर, नाश्ते के बाद, मुझ कोल्हू के बैल को सभी ज़रूरत का सामान खरीदने के लिए घर से बाहर निकाल दिया गया। इसलिए, मैं दिवाली के लिए झालरें, मोमबत्तियाँ, दीये, सब्जियां, फूल, दूध, पनीर और मिठाई खरीदने के लिए पास के बाजार में व्यस्त रहा। करीब दो घंटे बाद जब मैं लौटा तो घर के सजवाट में व्यस्त हो गया। मेरे डैड तो बड़ी आसानी से थके होने का हवाला दे कर सभी कामों से कन्नी काट लिए। खैर, अगले दो घंटे तक मैंने सजावट का काम समाप्त किया - मैंने विभिन्न दरवाजों पर तोरण लगाया, बालकनी में कंदील लगाया, जहां कहीं भी संभव था मैंने झालरें लगाईं, और पूरे घर में मोमबत्तियां और दीये लगाए। लगे हाथ बाथरूम की सफाई करी। अब हम दिवाली के लिए पूरी तरह से तैयार थे। लंच का समय हो चुका था। माँ ने भोजन का जिम्मा खुद पर लिया और गैबी उनके साथ एक सक्षम सहायक के रूप में लग गई। रात को भारी भारी खाना होना था, इसलिए लंच थोड़ा हल्का होना था। और इस बीच मेरे डैड ठाठ से सोते रहे - वो बेचारे ट्रैन की यात्रा कर के इतना थक जो गए थे!! आलसी कौन है, यह कहने की कोई ज़रुरत है भला?

जब तक हम सबने लंच किया तब तक शाम के 4 बज चुके थे। मैं शाम के उत्सव में तरोताजा होने के लिए कुछ देर सोने चला गया। मैंने आखिरकार शाम को 6 बजे उठा, और नहाने चला गया ताकि मैं पूरी तरह से तरोताजा हो जाऊं। जब मैं बाथरूम से बाहर आया, तो मेरी माँ ने मुझे गैबी (?) के कमरे में खींच लिया। गैबी वहां पहले से मौजूद थी। मैं थोड़ा शर्मिंदा होने का नाटक किया, क्योंकि मैं कपड़े के नाम पर केवल एक तौलिये में लिपटा हुआ था। लेकिन इस बात की परवाह न तो माँ को थी, और न ही गैबी को। मतलब मेरा नाटक करना बेकार! माँ ने बताया कि वो हमारे लिए तोहफे लेकर आई हैं, और यह कह कर उन्होंने अपना सूटकेस खोला। गैबी और मैं, हम दोनों ही यह देखकर हैरान रह गए कि माँ उसके लिए उपहार लाई हैं। गैबी के लिए माँ एक आड़ू-गुलाबी रंग की डिज़ाइनर शिफॉन साड़ी, और उससे मैचिंग चोली जैसा ब्लाउज़, पेटीकोट लाई थीं। साथ ही साथ उसके लिए सोने का एक हार, डिजाइनर चूड़ियाँ और एक पतली सी, सोने की परत चढ़ी डिजाइनर चांदी की पायल भी! वाह! क्या बात है! होने वाली बहू पर इतना प्यार! अरे हाँ, मेरे लिए एक रेशमी कुर्ता पायजामा का सेट भी था। कुर्ते पर रेशम में कढ़ाई का काम [चिकन] किया गया था। मुझे तोहफा बहुत अच्छा लगा, लेकिन इसके बारे में मैंने ज्यादा नहीं सोचा। नौकरी लगने के बाद यह पहली दीपावली थी, इसलिए मैंने भी माँ के लिए सोने के कंगन और डैड के लिए सूट का कपड़ा लिया था, जो वो अपने पसंद से सिलवा सकते थे। माँ और डैड ने मुझे ढेर सारा आशीर्वाद दिया। गैबी के लिए मैं जीन्स और टी-शर्ट लाया था, क्योंकि मैं चाहता था कि वो अपना फिगर तो दिखाए - शलवार कुर्ते में कुछ दिखता ही नहीं!

भई, आप लोगों का नहीं मालूम, लेकिन मुझे तो नए कपड़े पहनने का उत्साह हमेशा से रहा है। ख़ास तौर पर त्योहारों पर! मैंने जल्दी से अपनी नई पोशाक पहन ली और कमरे से बाहर निकल आया। जबकि दोनों महिलाओं ने मेरे पीछे का कमरा बंद कर दिया, और खुद भी लक्ष्मी-गणेश पूजा के लिए तैयार होने लगीं। उतनी देर तक मैं डैड के पास बैठ कर उनसे बातें करता रहा। हम काम के और हमारे पैतृक घर के बारे में बातें करते रहे। इस समय तक मेरे दादा जी और दादी जी दोनों ही भगवान् को प्यारे हो चले थे, और हमारे पैतृक घर की देख रेख फिलहाल पड़ोसियों के जिम्मे थी। माँ और गैबी को कमरे से बाहर आने में ‘कुछ’ समय लगा [आप लोग जानते ही हैं कि महिलाओं को सजने धजने में और अपनी सजावट से संतुष्ट होने में कितना समय लगता है], लेकिन जब वे दोनों कमरे से बाहर आए, तो मैं दंग रह गया! मेरी पहली नज़र शिफॉन की साड़ी में लिपटी उस खूबसूरत लड़की पर पड़ी! कुछ पलों तक मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था ये मेरी गैबी ही थी! वो अपने गहनों में भव्य रूप से अलंकृत लग रही थी, उसके गहरे लाल रंग के बाल खुले हुए थे, और उसके चलने से हलके हलके हिल रहे थे। उसका ब्लाउज थोड़ा सा तंग था और छोटा भी [माँ ने गैबी की नाप अपने हिसाब से सोच कर उसके लिए ब्लाउज / चोली सिलवा दिया होगा], और उसके लगभग सपाट पेट और नाभि को अच्छी तरह दिखा रहा था। गैबी गज़ब की खूबसूरत लग रही थी।

डैड मेरे बगल खड़े हो कर ‘लक्ष्मी रूपेण ... लक्ष्मी रूपेण’ बुदबुदा रहे थे - अब वो यह बात अपनी पत्नी के लिए कह रहे थे, या मेरी होने वाली पत्नी के लिए, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि माँ हमेशा के ही तरह सुन्दर लग रहीं थीं।


आज हम चारों ने पूजा की। यह बहुत अच्छा था कि आज हमने दीपावली की पहली पूजा, हमने एक जोड़े के रूप में करी। माँ और डैड भी हमारे साथ ऐसा ही व्यवहार कर रहे थे जैसे कि हम पति पत्नी हों। पिताजी पूजा के दौरान मुख्य पुजारी थे, और बढ़िया संस्कृत में श्लोक बोले जा रहे थे, और हम उनके बताए अनुसार पूजा-अर्चना कर रहे थे। करीब आधे घंटे के बाद पूजा संपन्न हुई। मुझे हमेशा अच्छा लगता था जब डैड पूजा करते थे। डैड के व्यवहार और स्वाभाव में एक स्वाभाविक मासूमियत और पवित्रता थी, जिसके कारण मुझे लगता था कि जब वह पूजा करेंगे, तो उनकी बात भगवान् अवश्य सुनेंगे। पूजा के बाद माँ ने एक और अद्भुत काम किया - उन्होंने गैबी का चेहरा हथेलियों में लिया, और अपने माथे को गैबी के माथे पर कुछ इस प्रकार से छुआ / रगड़ा कि माँ की माँग से कुछ सिंदूर गैबी की माँग में लग गया। माँ ने बाद में हमको समझाया कि उन्होंने ऐसा गैबी को सदा सुखी रहने, और एक लंबे विवाहित जीवन के लिए आशीर्वाद देने के रूप में किया था। जाहिर सी बात थी कि माँ हमें जल्द से जल्द शादी के बंधन में देखने के लिए उत्सुक और व्याकुल थीं। पूजा के बाद में, हमने साथ में दीये जलाए, कुछ पटाखे छुड़ाए, और फिर अंत में एक साथ बैठकर स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाया। यह एक अद्भुत पारिवारिक समय था!
 
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avsji

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Waiting for next update mitr …

लिखा है अपडेट! दस हज़ार शब्दों का!
पढ़ कर डिटेल में बताएँ कि कैसा लगा? :)
 
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avsji

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Superb. As always Avsji style. Fantastic flow of the story is the best part.

बहुत बहुत धन्यवाद!
कथा प्रवाह के साथ साथ, उम्मीद है कि कहानी भी पसंद आ रही होगी! :)
 
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sunoanuj

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Bahut hee badhiya or jabardast update.. sach main yeh ek mega update tha .. bhawnao ko bhaut hee achee trah se vyakt kiya hai mitr…
 
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avsji

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Bahut hee badhiya or jabardast update.. sach main yeh ek mega update tha .. bhawnao ko bhaut hee achee trah se vyakt kiya hai mitr…
बहुत बहुत धन्यवाद! 😊
 
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