पहला प्यार - Update #5
“ऐसा फिर कभी मत करना,” कमरे के दरवाजे पर काजल खड़ी थी, “... कभी किसी लड़की का विश्वास मत तोड़ना।” वो मुझे हिदायद दे रही थी। बात तो उसकी सही थी।
मैं कमरे से बाहर निकला, और काजल के पास आ कर रुक गया।
“उसे थोड़ा समय दो, फिर वो खुद ही तुमको अपना सब कुछ दे देगी। सच में! मैंने भी तो यही किया था! देखना, एक दिन वो तुमको खुद ही सब कुछ करने देगी!” काजल लगातार बोलती रही।
आश्चर्यजनक सी बात है न? महिलाओं की छठी इंद्रिय कैसे काम करती है। मुझे अब भी आश्चर्य होता है कि उसने कैसे अनुमान लगा लिया कि गैबी और मैंने अभी तक सेक्स नहीं किया था! मेरा गला सूख गया था। मैंने जोर से थूक निगल लिया। काजल भले ही मुस्कुरा रही थी, लेकिन उसकी नसीहत भरी आवाज, मुझे मेरे अनैतिक कृत्य को रोकने के लिए काफी थी। मैं काजल के पास खड़ा हो गया। अपराध-बोध किसी के लिए भी भावनात्मक रूप से थकाने वाला अनुभव हो सकता है। सच है कि मैं गैबी से प्यार करता था, और इसलिए मुझे इंतजार करना चाहिए। ऐसे धैर्य खोने, और जबरदस्ती करने से काम बिगड़ जाएगा। इज़्ज़त पर बट्टा लगेगा, वो अलग! उसने खुद ही मुझसे कहा था कि वह मुझसे प्यार करेगी, लेकिन जब समय सही होगा तब! जब मैं सिर्फ उसके शरीर को नहीं, बल्कि उसके पूरे वज़ूद से प्यार करूँगा, तब। लेकिन फिलहाल अभी क्या करें, क्योंकि मेरा शरीर इस समय सेक्स की मांग कर रहा था। गैबी की योनि देखने के बाद मेरा लिंग स्तंभित हो गया था, और वापस अपने शांत रूप में जाने वाला नहीं था। काजल ने भी यह देखा। बीते कई दिनों में सुबह का सबसे अच्छा स्तम्भन!
“चिंता मत करो! मैं हूँ न!” काजल ने मुझे दिलासा दी।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, और मुझे मेरे बेडरूम में ले गई, और हमारे पीछे बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया। इससे पहले कि काजल कुछ भी करती, मैंने उस पर चुम्बनों की बौछार लगा दी, और साथ ही साथ तेजी से उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिया - निर्दयता और अधीरता से! अब तक की हमारी अंतरंगता में, मैंने काजल को इस तरह से कभी नहीं चूमा था! उसके होठों की थरथराहट ने उसकी उत्तेजना की भविष्यवाणी कर दी और जल्द ही वो मेरे लिंग पर अपनी श्रोणि को रगड़ने लगी। मैं इतनी देर में उसकी ब्लाउज, ब्रा, और साड़ी उतार चुका था, और कोशिश कर रहा था कि उसका पेटीकोट उतार दूँ। लेकिन वो करने से पहले, काजल ने मुझे रोका,
“रुको रुको! मेरे पास एक बेहतर आईडिया है।” काजल ने कहा, और साथ ही साथ वो एक मीठी सी मुस्कान भी बिखेर देती है।
वो मुझे बेड पर बैठने के लिए हल्का सा धक्का देती है, और खुद मेरे सामने अपने घुटनों के बल बैठ कर, मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लेती है।
“ऊउउह्ह्ह्ह्ह!” काजल के मुँह के अंदर जाते ही मुझे अपने लिंग के लगभग हर हिस्से से कई कामुक संवेदनायें उठती हुई महसूस हुईं!
अगले कुछ ही पलों में मेरी पूरी लंबाई का एक बड़ा हिस्सा काजल के गर्म मुँह के भीतर था। लिंग की मोटाई उसे असहज अवश्य कर रही थी, लेकिन वो मुझे सुख दिए बिना अब जाने नहीं देना चाहती थी। फिर उसने अपना सिर मेरे लिंग की लम्बाई पर अंदर से बाहर चलाना शुरू कर दिया - और साथ ही में अपनी जीभ से उस पर गुदगुदी जैसी करनी शुरू कर दी। काजल वाला मुख मैथुन, गैबी वाले मुख मैथुन से बहुत अलग था। दोनों ही परम सुखकारी, लेकिन बहुत भिन्न! कुछ ही क्षणों में मैंने समय और स्थान के बारे में सारी जानकारी खो दी थी। कहाँ था, क्यों था, कब था - यह सब बातें अब बेमानी हो गई थीं। बस यह बात मायने रख रही थी कि मुझे अपार सुख मिल रहा था। मुख मैथुन के सुख में एकाध बार मेरी आँखें खुलीं, तो मैंने काजल के सुंदर चेहरे को अपने लिंग पर प्यार से ऊपर - नीचे होते हुए देखा। मुझे नहीं पता था कि काजल मुख-मैथुन की कला को जानती है, और वास्तव में वो इसमें सिद्धहस्त है! मुझे इस बात से उसके पति की किस्मत पर बहुत रश्क़ हुआ। मजेदार बात रह भी थी कि केवल दस ही घण्टे के भीतर ही मैं दूसरी बार मुख मैथुन का सुख ले रहा था, और वो भी एक दूसरी स्त्री से! ऐसी किस्मत होनी चाहिए!
‘आह! मज़ा आ गया!’ मैंने सोचा।
काजल के मुंह में मेरा लिंग - यह एक बहुत ही सुकून देने वाला दृश्य था। उसका चूषण मेरे लिंग अविश्वसनीय और कामुक संवेदनाएं पैदा कर रहा था। उसके मुँह में भी मैं बहुत ही उत्तेजित महसूस कर रहा था। मुझे वास्तव में यह अनुभव पसंद आया! अचानक मुझे कुछ अलग सा लगा - अपना सर मेरे लिंग पर ऊपर नीचे करते हुए, काजल ने मेरी प्रतिक्रियाओं को देखते हुए, मेरे लिंगमुण्ड पर चारों ओर अपनी जीभ फेरी, और लिंग के अन्य हिस्सों पर! ऐसी मीठी, और कामुक गुदगुदी! मैं कामुक आनंद से कराहने लगा!
“आअह्ह्ह्ह! हाँ...”
उसने मेरे अंडकोष को चूसने के लिए मेरे लिंग को कुछ देर के लिए छोड़ दिया। पहले उसने एक को चूसा और चूमा, फिर दूसरे को... और फिर दोनों साथ-साथ! मुझे यह अनुभव बहुत बढ़िया लगा! फिर वो वापस लिंग पर लौट गई।
“ओह गॉड!” मैं कराह उठा, “ओह... गुड!”
मैं अब तेजी से अपने चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रहा था। मेरा सारा शरीर परमानंद से काँप रहा था; मेरी साँसें छोटी और अनियमित होती जा रही थी। काजल ने मेरी तरफ देखा, और समझ गई। उसको पता था कि मेरे चेहरे पर जो भाव आ रहे थे, वो तब आते हैं जब कोई पुरुष स्खलित होने वाला होता है। चूसते हुए भी, उसके होठों पर एक छोटी सी मुस्कान तैर गई।
बस कुछ ही पलों में मैं फूट पड़ा!
वीर्य का पहला गोला सीधे उसके गले में जा कर गिरा, और फिर ताबड़ तोड़ टीन्स हार और छोटे गोले उसके मुँह में गिरे। उसने मेरा लिंग नहीं छोड़ा और जो कुछ भी मैंने दिया, काजल वो सब कुछ चूसती रही। कुछ ही पलों में मैं पूरी तरह शांत हो गया।
“हाय काजल!” मैं अवाक रह गया, “मज़ा आ गया यार! अद्भुत!”
काजल ने अभी भी मेरा लिंग नहीं छोड़ा, और उसको चूसना, चूमना और और जीभ से सहलाना जारी रखा। अब तक मेरा कामोन्माद पूरी तरह से शांत हो गया था। जब मैं पूरी तरह से शांत हो गया, तब ही कहीं जा कर काजल ने मुझे छोड़ा। इस सुख के साथ तो पूरा जीवन जिया जा सकता है! फिर काजल उठ खड़ी हुई और मुस्कुराती हुई मेरी ओर देखने लगी।
“काजल! ओह काजल!” मैं अंत में बोला, “मैं भी तुमको ‘कर’ दूँ?”
काजल बहुत प्रसन्नता से मुस्कुराई, “बाद में। अभी नहीं।”
उस समय, काजल मेरे बगल वाले कमरे में सो रही ‘गोरी’ लड़की के बारे में जानने में अधिक उत्सुक थी । मैंने काजल को गैबी के बारे में पहले नहीं बताया था। उसने मुझसे बहुत सारे सवाल पूछे - यह लड़की कौन थी? किस देश से [काजल ने ठीक ठीक समझा कि गैबी एक भारतीय की तरह नहीं दिखती] थी? ब्राज़ील कहाँ है? कितना दूर है? वह यहाँ क्यों आई थी? पीएचडी क्या होता है? क्या मैं उससे शादी करने जा रहा था? कब? और क्या मैंने उसके साथ ‘कुछ’ किया है? इत्यादि।
मैं उसके सवालों की झड़ी का जवाब देते हुए लगभग थक गया था। लेकिन फिर भी मैंने धैर्यपूर्वक उसे गैबी के बारे में सब कुछ बताया, समझाया और उससे कहा कि मैंने उसके साथ यौन संबंध नहीं बनाए हैं। लेकिन हमको एक दूसरे से प्रेम है और शादी करने का इरादा भी! यह सब सुनकर काजल बहुत खुश हुई और उसने मुझे बधाई दी। मैंने काजल से पूछा कि वो नाराज है, या उदास? उसने मुझसे कहा कि वो न तो उदास है, और न ही नाराज़। बल्कि वो बहुत खुश है। उसने मुझे कहा कि मेरे और उसके बीच में जो कुछ है, वो अलग है, और मुझे याद दिलाया कि उसी ने ही मुझे अपने उम्र की लड़की को खोजने के लिए प्रोत्साहित किया था।
काजल मेरे ही जैसे, गैबी के बारे में जान कर मंत्रमुग्ध सी हो गई। उसने मुझे भरोसा दिया कि वो इस बात से बहुत खुश थी कि मैं एक ‘गोरी मेम’ से शादी करने जा रहा था। चूंकि उसने सवेरे देखा था कि मैं गैबी के गुप्तांगों को घूर रहा था, इसलिए उसने मुझे समझाया कि गैबी जैसी छोटी और कमसिन लड़की के साथ कैसे कोमलता से व्यवहार करना चाहिए और जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। उसने मुझसे कहा कि मेरा लिंग लम्बा भी है और मोटा भी। और जल्दबाज़ी करने पर वो गैबी को नुक्सान पहुँचा सकता है। मैंने काजल से यह तथ्य छिपा लिया कि गैबी की योनि अच्छी तरह से खेली खाई थी। बेशक, गैबी भी मेरे लिंग के आकार को लेकर खबरदार थी। लेकिन मुझे उम्मीद थी कि अपने अनुभव के आधार पर वो मेरे लिंग को अपने अंदर फिट करने में सफल रहेगी। काजल गैबी से मिलना चाहती थी लेकिन चूँकि वो सो रही थी, और बहुत देर तक इंतज़ार करने के बाद भी सोती ही रही, तो वो चली गई, शाम को उससे मिलने का वायदा ले कर। वैसे भी सुनील को पढ़ने के लिए आज आना ही था।
उस दिन, मैंने गैबी को उसका सामान खोलने, सामान जमाने, और आराम से रहने के लिए उसकी ज़रूरत की चीज़ें खरीदने में मदद की। काजल शाम को आने के बजाय दोपहर में ही आ धमकी, और गैबी से ऐसे मिली जैसे कि उन दोनों की न जाने कब से यारी दोस्ती है! गैबी को बहुत थोड़ी सी हिंदी बोलनी आती थी - काजल उसको अपनी तरफ से कहानियाँ सुनाती जा रही थी, और मैं एक अनुवादक की भाँति उसको समझने में गैबी की मदद कर रहा था। खैर, मैंने काजल को कहा कि खूब समय पड़ा है यारी दोस्ती करने के लिए, फिलहाल मैं गैबी को कुछ ज़रूरी चीज़ों की ख़रीददारी कराने ले जा रहा हूँ। शाम को हम आस-पास के स्थानों - जैसे बाजार, सब्जी और फलों के बाजार, और एक शॉपिंग-मॉल भी गए। लौटते समय, गैबी ने मुझसे कहा कि कहीं किसी कोने से ‘एक बहुत ही स्वादिष्ट सुगंध’ आ रही है। मुझे समझा की वो ‘चाट’ के बारे में बात कर रही थी।
तो, हम उस चाट विक्रेता के पास गए, और उसके लिए एक प्लेट आलू-टिक्की चाट बनावाई और फिर उसके बाद उसको आधा दर्ज़न गोल-गप्पे भी खिलाए। वो अलग बात है कि अगले दिन गैबी की घर के बाथरूम से अच्छी तरह से जान पहचान हो गई। जी ठीक है, चलिए उसके बारे में बात नहीं करते हैं। अगले कुछ दिनों में मैं गैबी को भारतीय तौर तरीकों से और अपने परिवेश से अच्छी तरह से परिचित कराने और समझाने में व्यस्त हो गया। वो पहले से ही हिंदी सीखने की कोशिश कर रही थी और उसे इसकी थोड़ी समझ थी। इसलिए गैबी जल्दी ही हमारी बोली सीख गई, और खुद भी ‘परफेक्ट’ हिंदी बोलने की कोशिश करने लगी। काजल, सुनील और लतिका के साथ साथ, उसने हमारे पड़ोसियों और मेरे कुछ दोस्तों और कार्यालय के सहयोगियों के साथ दोस्ती भी की। निःसंदेह, सभी लोग एक विदेशी लड़की को जानने, उससे मिलने और उससे बात करने में रुचि रखते थे। वे हमारे रिश्ते की प्रकृति के बारे में भी जानने को उत्सुक थे, जिस पर गैबी ने उनको समझाया कि हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं, और शादी करना चाहते हैं, और यह कि वो पीएचडी करने के लिए भारत आई हुई है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि जिज्ञासु मनों को बस इतनी सी बात शांत नहीं कर सकती। वे अक्सर हमारे यौन संबंधों के बारे में सोचते रहते थे।
खैर, कुछ तो लोग सोचेंगे, लोगों का काम है सोचना!
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गैबी के रिसर्च गाइड एक सुशिक्षित, ज्ञानी, और पेशेवर गाइड थे, साथ ही साथ एक बहुत अच्छे इंसान भी थे। उन्होंने सत्य और ज्ञान के सिद्धांत [थ्योरी ऑफ़ ट्रुथ एंड नॉलेज] पर आधारित एक कठिन विषय गैबी को शोध करने के लिए दिया था। यह एक बहुत ही विशाल विषय है, और समकालीन भारतीय संदर्भ में धर्मों की स्थिति की समझ पर केंद्रित है। शीघ्र ही गैबी अपने शोध के श्रम में व्यस्त हो गई। मेहनती और पढ़ाकू तो वो हमेशा से ही थी, और जल्दी ही उसने अपने शोध के विषय, नए दोस्तों के साथ, और भारत में रहने के अपने अनोखे अनुभवों का आनंद लेना शुरू कर दिया।
आश्चर्यजनक तरीके से गैबी बहुत तेजी से भारतीय तरीकों की अभ्यस्त हो गई - वो अब शलवार-कुर्ता पहनती थी, केवल शाकाहारी भोजन करती थी [क्योंकि मैं शाकाहारी था], और तो और, वो कभी-कभी ब्राजील के विभिन्न व्यंजनों का शाकाहारी संस्करण भी पकाने की कोशिश करती थी। सप्ताह में वो कम से कम एक बार मंदिर जाती थी, और अपने साथ मुझको भी ले जाती। वहाँ तीसरी बार जाने पर वहाँ सभी हमको पति-पत्नी के रूप में देखना शुरू कर दिए - और मज़ेदार बात यह है कि गैबी ने इस बात से कभी भी विरोध नहीं किया। मंदिर में पूजा करने के बाद वो खुद भी विवाहित महिलाओं की भाँति ही अपनी मांग में सिन्दूर लगा लेती थी। पहली बार मैंने उसको बताया कि यह केवल शादी-शुदा स्त्रियाँ ही करती हैं - तो उसने मुझसे कहा कि मन से तो मैं उसका पति ही तो हूँ! जब हम शाम को एक साथ समय बिताते थे, तो हम उसके शोध के विषय पर चर्चा करते थे - मैं उसको अपने वैज्ञानिक विचार बताता था, जिससे उसे उसके शोध में मदद मिली। कई बार मैं भी गैबी के साथ उसके विभिन्न फील्ड वर्क के लिए जाता था।
अब इस तरह का कार्यभार होने के कारण और कई सारी नई चीजों को आत्मसात करने में व्यस्त होने के कारण, गैबी और मेरा प्रेम-आलाप लगभग विराम पर आ गया - प्रेम की पतंग उड़ने से पहले ही ज़मीन पर गिरी हुई लगने लगी। मैं खुद भी यह समझता था कि उसके लिए पीएचडी के कार्य और मेरी प्रेमिका होना - दोनों एक साथ कर पाना अभी संभव नहीं था। मैंने भी समझदारी दिखाते है बस उसको सेटल होने पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। एक बार वो अपने नए परिवेश में सेटल हो जाएगी, तो सब अपने आप ही आसान हो जाएगा। मैंने इस बात को पूरी तरह से समझा और मुझसे जैसा बन पड़ा, गैबी को मैंने अपना समर्थन दिया।
इतनी व्यस्तता में भी, हम दोनों एक दूसरे के लिए अक्सर ही कोमल अंतरंग क्षण निकालने से कामयाब रहे। एक दिन जब मैं ऑफिस से घर वापस आया, तो मेरे कंधे में बहुत दर्द था, और हाथ का हिलना-डुलना भी बेहद मुश्किल था। गैबी ने जब मेरी गर्दन और कंधों में अकड़न देखी, तो उसने मुझसे पूछा कि क्या हुआ। सब सुन कर उसने सुझाव दिया कि वो मेरी मालिश कर देगी। मुझे यह विचार पसंद आया। जल्द ही, मेरे कंधे और गर्दन की तेल मालिश शुरू हो गई - उसके तेल से सने हाथ मेरी गर्दन, कंधों और पीठ पर पैटर्न बनाते हुए चलने लगे। कुछ देर बाद मैंने कन्धों और गर्दन में तनाव को कम होते हुए महसूस किया - उसके हाथों ने धीरे-धीरे दर्द को दूर कर दिया। गैबी ने मेरे दर्द वाले कंधे पर करीब दस मिनट तक मालिश किया। शुरुआती दर्द इतना था कि थोड़ा सा भी छूने पर तकलीफ हुई, लेकिन धीरे-धीरे दर्द इस हद तक ठीक हो गया कि मुझे लगा वो ठीक भी हो गया है! एक बार कन्धों, गर्दन और पीठ की मालिश हो जाने के बाद, गैबी ने मेरे गालों, माथे, आंखों, गर्दन और छाती की मालिश भी शुरू कर दी। दिन क्या, उसकी मालिश के कारण मेरी हफ़्तों की थकावट भी निकल गई।
लेकिन मेरी याददाश्त अभी भी इस बात को लेकर अस्पष्ट है कि कब और कैसे मेरा लिंग उसके मुंह में चला गया! मुझे तो बस इतना याद है कि वो मुख मैथुन बेहद कामुक और आनंद देने वाला था! वो एक बहुत ही खुशनुमा शाम थी!
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मुझे कुछ दिनों बाद यह भी पता चला कि गैबी ब्राजील में झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए एक स्कूल में अंशकालिक शिक्षक [पार्ट टाइम टीचर] के रूप में काम करती थी। वो उन बच्चों को पुर्तगाली भाषा व्याकरण पढ़ाती थी। उसके छात्र, नियमित स्कूली बच्चों की तरह नहीं थे - वे ज्यादातर गरीब और सड़क-छाप थे, और उन्होंने बेहद कठिन जीवन देखा था। उनमें से कई नशेड़ी माता-पिता की संतान थे! कई सारे तो खुद भी ड्रग्स के लती थे, और उसके कई छात्र तो बच्चे भी नहीं थे। उन्हें पढ़ाने - सिखाने के लिए गैबी खुद भी उन्ही ही तरह ही सख्त हो गई थी। लेकिन जब किसी छात्र ने गैबी का यौन शोषण करने की कोशिश की, तब उसने वो काम छोड़ दिया। खैर, यह जान कर मैंने उसे समय मिलने पर मुझे भी पुर्तगाली भाषा सिखाने के लिए कहा।
गैबी मेरे इस बात पर मुस्कुराई, “जानू, मैं तुमको सिखाऊँगी - अगर तुम वाकई सीखना चाहते हो!”
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया, “बिलकुल सीखना चाहता हूँ - तुम हिंदी सीख रही हो। तो मैं भी पुर्तगाली सीखना चाहता हूँ!”
और इस तरह से मेरा पुर्तगाली भाषा सीखने का कार्यक्रम शुरू हुआ। जब भी हमारे पास खाली समय होता, तो मैं उससे पूछता कि इसको पुर्तगाली में कैसे कहते हैं, और वह धैर्यपूर्वक मुझे हिंदी/अंग्रेजी से पुर्तगाली अनुवाद बताती, उस शब्द का उच्चारण समझाती और वाक्य बनाने का वर्णन करती। अगर उसको मेरा उच्चारण या व्याकरण गलत लगता, तो वो मुझसे उसको दोहराने को कहती - कई बार। मैं मज़ाक मज़ाक में उसे अपना ‘प्रोफेसर’ कहता।
जब भी मैं ऐसा कहता, वह हंसती और फिर से मुझे सुधारती, “प्रोफेसरा, डार्लिंग! मैं एक औरत हूँ। प्रोफेसर आदमी लोग होते हैं!”
अब तक गैबी भी अपने नए परिवेश और अपने शैक्षणिक कार्यक्रम में अच्छी तरह से रम गई थी। इसलिए अब तो थोड़ा आराम से काम कर रही थी, और हमारे लिए समय निकाल पा रही थी। इसलिए, अब हम अपने दैनिक समय में कई सारी गतिविधियाँ शामिल कर पा रहे थे - अब हम एक साथ जॉगिंग करने जाते थे, साथ में स्थानीय बाजार से सब्जियों और फलों की खरीदारी करते थे, मंदिरों में जाते थे [गैबी को मंदिरों में जाना बहुत पसंद था], और सप्ताहांत में हम शहर के बाहर लंबी ड्राइव के लिए जाते थे।
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