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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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avsji

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अंतराल - समृद्धि - Update #7


लतिका का रिजल्ट आने के तीन सप्ताह बाद काजल और सत्यजीत की शादी थी।

उसके लिए हाँलाकि बहुत सारी तैयारियाँ नहीं करनी थीं, लेकिन फिर भी शादी के दिन तक का समय भागदौड़ भरा रहा। चूँकि हम शादी यहाँ दिल्ली से करना चाहते थे, इसलिए माँ भी यहीं आ गईं। माँ काजल के विवाह को ले कर बहुत उत्साहित थीं, और शादी की खरीदारी के लिए उसके साथ जाना चाहती थीं। लेकिन वो ज्यादा कुछ नहीं कर पाईं। दो छोटे बच्चों के साथ, एक लम्बे समय तक कार में बैठना बहुत कठिन काम है... ख़ास तौर पर गर्मियों में। मई-जून-जुलाई में वैसे भी दिल्ली में प्रचंड गर्मी पड़ती है। प्रदूषण के कारण वो और भी असहनीय हो जाती है। इसलिए बच्चों के साथ, गर्मी में, लम्बे समय तक - मुश्किल काम था।

फिर भी - खरीददारी तो करी गई, और भरपूर करी गई।

निःस्वार्थ सेवा भाव काजल में कुछ ऐसा था कि जब हमने उसके सामान का जायज़ा लिया, तो पाया कि उसके कपड़े सभी सामान्य ही थे। मुझे तो सच में बेहद बुरा लगा यह देख कर। मेरे घर की स्वामिनी, गृह-प्रमुख, और मेरी कंपनी की मालकिनों में एक - और केवल सामान्य कपड़े! मुझे अपने आप पर गुस्सा आया - इतना आत्मकेंद्रित होना किस काम का, अगर आपको अपने परिवार के लोगों के बारे में इतना कम पता रहे? ये सब कमाना धमाना किस काम का कि आपकी कंपनी के मालिक ही उस धन का आनंद न उठा सकें!

तो उसके लिए बढ़िया कपड़े और गहने खरीदने की बारी आ गई थी। काजल ने बड़ी न-नुकुर करी - उससे उम्मीद भी इसी बात की थी - लेकिन हमने ज़िद कर के उसके लिए बढ़िया बढ़िया कपड़े खरीदे। सुहागिन के रंग बिरंगे कपड़े - जो मुख्यतः साड़ियाँ थीं। माँ चाहती थीं कि काजल कुछ आकर्षक अधोवस्त्र भी खरीदें, इसलिए काजल ने उन्हें खरीदा, भले ही कुछ अनिच्छा से ही सही! हमने यह भी सोचा कि गहने खरीदने के लिए यह अवसर एक बढ़िया बहाना है, इसलिए हम गहनों आभूषणों की खरीददारी पर दिल खोलकर खर्च कर सकते हैं। काजल शुरू में झिझकी, लेकिन फिर हम सभी के कहने (बेहद अधिक ज़ोर देने) पर वो राज़ी हो गई।


**


सत्यजीत, उनके दो बेहद करीबी मित्र, उनका बेटा, बहू - बस इतने ही लोग इस ख़ास समारोह में सम्मिलित हुए थे। सत्यजीत ने कहा भी था कि उनको बहुत शोशे की ज़रुरत नहीं। हमारी तरफ़ से हम सभी, ससुर जी, और जयंती दीदी और उनका परिवार उपस्थित थे। वैसे, कोर्ट में इतने लोग भी खड़े हो जाएँ तो बहुत है। ख़ैर! काजल और सत्यजीत की शादी हमारे ही स्थानीय फॅमिली कोर्ट में शाम को करीब चार बजे हुई। शादी के लिए वो एक बहुत ही व्यस्त दिन था : शायद एक दर्जन और भी जोड़े उस दिन शादी के लिए उपस्थित थे, इसलिए उस दिन बड़े ही असामान्य रूप से भीड़ थी वहाँ। कोर्ट में शादी का मसला यह है कि शादी हो जाती है, लेकिन शादी वाली फ़ीलिंग नहीं आ पाती।

माँ ने एक समय हँसते हुए टिप्पणी करी कि मंदिर और कोर्ट में शादी करना हमारे घर की परंपरा बन गई है।

इस बात पर लतिका बोली, “बोऊ दी, मैं भी मंदिर में ही शादी करूँगी! ये कोर्ट में बहुत बोरिंग सा लगता है!”

मैंने हँसते हुए कहा, “बुआ जी, पहले ठीक से बड़ी तो हो जाइए। आपकी शादी आप जहाँ चाहें, वहाँ और जैसे चाहें, वैसे करवा देंगे!”

“पक्का न?”

“बिलकुल पक्का!”

“ओके!” लतिका ने प्रसन्न होते हुए कहा, “और मैं लव मैरिज करूँगी! जैसे आप सभी ने किया है!”

आई एक्सपेक्ट नथिंग लेस!” पापा ने उसकी बात पर मुस्कुराते हुए कहा, “लेकिन अभी अम्मा की शादी तो हो जाने दो!”

“हाँ! क्या दादा आप भी!” कह कर लतिका वापस काजल और सत्यजीत के समारोह में शामिल हो गई।

काजल ने एक शादी के समय रेशम की नई, भारी बूटों वाली साड़ी पहनी थी। गर्मी के हिसाब से प्रतिकूल थी, लेकिन शादी पर और क्या पहनें? सत्या ने पैंट और शर्ट पहनी थी - नई और महँगी। हम सभी ने भी समारोह के अनुसार ही सुरुचिपूर्ण कपड़े पहने हुए थे। रजिस्ट्रार में अपने अपने हस्ताक्षर करने के बाद सत्या ने काजल के गले में मंगलसूत्र बाँध दिया। हम सभी ने ताली बजाकर उन दोनों का ‘मैरीड कपल’ के रूप में अभिनंदन किया।

शादी के बाद हमारे दोनों परिवारों के लिए डिनर पार्टी रात के करीब ग्यारह बजे तक चली और फिर हमने अलविदा कहा। काजल अपने नए परिवार के साथ सुबह की फ्लाइट से मुंबई रवाना होगी, इसलिए हमारे पास कल अलविदा कहने का एक और मौका होगा। हम सभी देर रात घर पहुँचे और बहुत थके हुए थे।

घर पहुँचते ही हम बिस्तर पर ढेर हो गए। अगली सुबह, केवल मैं, पापा और लतिका हवाईअड्डे गए। माँ भी आना चाहती थीं, लेकिन काजल और पापा ने उनको रुकने, सोने की कोशिश करने, और बच्चों की देखभाल करने के लिए कह दिया था। वैसे भी मुंबई जा कर काजल से मुलाकात होनी ही थी। हमने सत्या और काजल को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और फिर वापस घर लौट आए। एक बहुत ही व्यस्त सप्ताह समाप्त हो गया था, और हम अगले सप्ताह कुछ आराम करना चाहते थे।


**


अपनी नई दुल्हन के साथ ‘लम्बी सुहागरात’ मनाने के लिए सत्यजीत ने दोपहर में ही प्रीतिभोज करने की योजना बनाई हुई थी। सप्ताह के बीच का दिन था, और दिन का प्रीतीभोज था, लेकिन फिर भी, हैरानी वाली बात थी कि जितने भी मेहमान आमंत्रित किए गए थे, वो सभी लोग इसमें उपस्थित थे। कारण? बस एक - सत्यजीत को हर कोई पसंद करता था। सत्यजीत एक नेक, और दयालु व्यक्ति थे और जब भी वे कर सकते थे, हर किसी की यथासंभव मदद करने की कोशिश करते थे। लोग उनके दयालु स्वभाव के लिए उनका सम्मान करते थे, और उन्हें पसंद करते थे। जब उन्हें सत्या की शादी के बारे में पता चला, तो सभी लोग वास्तव में उनके लिए बहुत खुश हुए। और जब काजल जैसी सुन्दर स्त्री को उनकी पत्नी के रूप में लोगों ने देखा, तो वो सभी और भी प्रसन्न हुए। कोई आश्चर्य नहीं कि सत्या और काजल के लिए बधाइयों का ताँता लग गया।

दावत शाम तक चली, लेकिन शायद सत्या को उम्मीद थी कि ऐसा ही होगा। कोई सात बजते बजते सत्या और काजल प्रीतिभोज स्थल से निकल गए, और अपने घर चले गए। और अंत में, वे दोनों अपने शयनकक्ष में अकेले थे।

काजल को अपने आलिंगन में लेकर सत्यजीत ने उसका मुँह चूम लिया।

“मिसेस मुळे, तुम्ही आनंदी आहात का?” उसने बड़े प्यार से, बड़ी उम्मीद से पूछा।

“बहुत खुश... बहुत बहुत खुश!” काजल सत्या की बात पर मुस्कुराई।

वाकई, सत्या को अपने पति के रूप में पा कर वो बहुत खुश थी। जो सभी गुण उसक अपने पति में चाहिए थे, उससे अधिक गुण सत्या में थे। और भी एक बात थी - और वो थी प्रेम!

तुम्हाला माहीत आहे... मैं आज के दिन का... इस पल का... इंतजार कर रहा था... तब से, जब मैंने आपको पहली बार देखा था।” सत्यजीत ने काजल को बड़ी आसक्ति से देखा, “देवा! आप बहुत सुंदर हैं!”

काजल ने सत्या की आवाज़ में अपने लिए चाह साफ़ साफ़ सुनी। उसकी आवाज़ में उत्तेजना वाला कम्पन था।

जब काजल मेरे साथ संसर्ग में आई थी, तो बहुत सहज थी। मेरे घर में रहने के कारण वो मुझको बहुत ऑब्ज़र्व कर सकी थी। सत्यजीत भले ही एक बहुत अच्छा इंसान था, लेकिन उसके साथ काजल को अभी भी काफी अपरिचितता थी। छोटी छोटी डेट्स में वो उसके व्यवहार और स्वभाव की झलकियाँ ही देख पाई थी। वो स्त्रियों के साथ कैसा था, उसको ज्ञात नहीं था। पहली पत्नी के साथ उसका पत्नीव्रत व्यवहार - उससे काजल आंतरिक रूप से बहुत खुश थी कि सत्या एक अच्छा आदमी था। लेकिन उसकी अंतरंग इच्छाएँ क्या थीं, अब खुलने वाली थीं। वैसे भी अभी रात के कोई आठ ही बजे होंगे - ऐसे में घर के सभी सदस्य और एक दो मेहमान भी उनके कमरे के बाहर होंगे। ऐसे में सुहागरात! और इसलिए काजल थोड़ा और भी असहज थी।

“मिस्टर मुळे... अब मैं आपकी बीवी हूँ।” काजल ने अदा से कहा, “अब तो मुझे ‘आप’ कह कर न बुलाइए!”

वो मुस्कुराया, “आज की रात हम बहुत मज़ा करेंगे।” उसने आँख मारते हुए कहा।

काजल शरमा गई, ‘हाँ! आज की रात तो वास्तव में मज़े वाली रात है।’

सत्या ने दो पल कुछ नहीं कहा, फिर कमरे में रखे लवसीट पर बैठते हुए काजल से फ़रमाइश करी, “मेरी जान, फ़्रिज में एक वाइन रखी है। ज़रा उसका एक गिलास दोगी मुझे?”

“वाइन? मिस्टर मुळे... मुझे तो लगता था कि आप एक धार्मिक आदमी हैं।” काजल ने सत्या को छेड़ा।

“मेरी जान, ये तो भगवान ही जानते हैं कि मैंने अपनी ज़िन्दगी में केवल दो तीन बार ही वाइन पिया है, और वो भी केवल ख़ुशी के मारे!”

काजल को यह सुन कर संतोष हुआ। मैं भी तो ख़ुशी के मौकों पर पीता था; वैसे आज कल थोड़ा अधिक होने लगा था। लेकिन फिर भी उसने सत्या को छेड़ा,

“मिस्टर मुळे, अभी आपकी बीवी की जवानी इतनी नहीं ढली कि आपको वाइन का सहारा लेना पड़े!”

“वो तो है ही... लेकिन, आज तो हमारी सुहागरात है न? और आज के दिन तो अपने आदमी को अपनी इच्छा के हिसाब से आनंद लेने दीजिये?”

“मिस्टर मुळे, क्या चल रहा है मन में आपके?” काजल शरारत से मुस्कुराई, “अपने मन को शांत कीजिए... आप दादा जी हैं, और मैं दादी जी हूँ।” काजल ने सत्यजीत को छेड़ा।

“मिसेज़ मुळे, ज़रा एक बात तो बताइए मुझे... बिना मेरा बीज अपने गर्भ में पाले, आप मेरे बच्चों की दादी कैसे हो सकती हैं?”

“मिस्टर मुळे, आज की रात उसी के लिए ही तो है!” काजल बड़ी अदा से बोली, “आज से आप जब चाहें मेरे गर्भ को अपने बीज से भर सकते हैं!”

काजल मुस्कुराई और थोड़ी वाइन एक ग्लास में उड़ेल कर उसके पास ले गई। सत्यजीत तो उत्तेजित था ही, लेकिन इस छोटी सी अंतरंग छेड़खानी ने उसे भी उत्तेजित कर दिया था। वर्षों से अविवाहित जीवन व्यतीत करने के बाद वो अपनी नव-विवाहिता वाले दर्ज़े को अपने और अपने पति दोनों के ही लिए सार्थक बना देना चाहती थी।

जब वो वापस आ रही थी, तब सत्यजीत की आँखें उसके सीने पर जमी हुई थीं। काजल भी अपने तेजी से उत्तेजित होते हुए चूचकों पर सत्या की निगाहें महसूस कर सकती थी। गिलास को काजल के हाथ से लेते हुए सत्या मुस्कुराया।

“थैंक यू, मेरी जान!” सत्यजीत ने कहा।

प्रथम सम्भोग की प्रत्याशा में काजल के चूचक सख्त हो गए थे। सत्या ने वाइन का एक बड़ा सा घूंट लिया, और काजल के स्तनों को देखते हुए मन ही मन कल्पना करने लगा कि उसका सख़्त लिंग काजल की नर्म गर्म योनि में पूरी तरह पैवस्त है, और उसके दोनों स्तन उसके हाथों में ढँके हुए हैं। यह कल्पना वाला दृश्य और विचार बहुत ही कामुक था। ब्रह्मचर्य करते हुए एक लम्बा समय हो गया था।

उसने लवसीट पर ही जो थोड़ा सा स्थान था, उसको थपथपाया और कहा, “इधर आओ, और मेरे पास बैठो।”

काजल मुस्कुराई और उसके पास बैठ गई। अपने प्रेमी के अंक (गोद / आगोश) में बैठना बड़ा सुकून वाला अनुभव होता है। कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने पर उत्तेजना वाले भाव कम हो गए, और शुद्ध प्रेम वाले भाव उत्पन्न होने लगे। काजल बड़ी कोमलता से बोली,

“सत्या, मुझे विश्वास ही नहीं होता कि मुझे फिर से सुहागिन होने का मौका मिला... सोचा ही नहीं था... एक समय था... [इस समय काजल बेहद भावुक हो गई] ... एक समय था जब ज़िन्दगी से ही भरोसा हट गया था मेरा। न जाने कैसा समय था... हर तरफ निराशा! फिर भगवान ने कैसी कृपा धरी! न केवल मुझे, बल्कि मेरे बच्चों को भी सहारा मिला... सर उठा कर, इज़्ज़त से जीने का मौका मिला। किसी परिवार का हिस्सा बनने का मौका मिला!” अब तक काजल की आँखों से आँसू गिरने लगे थे।

उसने रुक कर अपने आँसू पोंछे, और बोली, “वो ‘सेकंड चाँस’ कर के बोलते हैं न? मैं सोचती थी कि बड़ी किस्मत वालों को ही मिलता है वो! अमर को मिला... बहू को मिला... और मैंने देखा है कि वो कैसे लोगों की ज़िन्दगी में बहार ले कर आता है। ... इसलिए... मेरे प्यारे सत्या... मुझे प्यार का सेकंड चाँस देने के लिए बहुत बहुत थैंक यू!”

“काजल, बेवक़ूफ़ मत बनो।” सत्यजीत भी काजल की बातों से भावुक हो गया था, “मेरी किस्मत है कि मैं आपके साथ हूँ! कि मेरी शादी आपसे हुई है! इसलिए थैंक यू तो मुझे बोलना चाहिए!” उसने कहा, और काजल को अपनी मजबूत बाहों में ले कर, उसे कस कर पकड़ लिया।

सत्या की बाहों में आ कर काजल थोड़ा रिलैक्स हुई। वो सत्या की तरफ़ झुक गई - उसकी पीठ सत्या के सीने की तरफ थी, और उस स्थिति में वो सत्या के ऊपर ही एडजस्ट हो गई। सत्या ने अपनी बाहें उसकी कमर पर लपेट दीं, और काजल को अपने ऊपर ही समेट लिया। वे दोनों कुछ देर उसी स्थिति में बैठे बातें करते रहे। बातचीत के दौरान किसी समय काजल ने अपना सर सत्या के कंधे पर रख दिया। सत्या ने एक मौका पा कर काजल की साड़ी का पल्लू नीचे ढलका दिया, जिससे उसकी गर्दन उजागर हो गई। सत्या ने काजल की गर्दन और कान की लोलकी को हल्के से चूमा।

“उम्म्म्म...” काजल ने एक कोमल कूजन करते हुए कहा, और अपना सर एक तरफ कर दिया कि सत्या चूमने के लिए थोड़ा और स्थान मिल जाए।

काजल ने यह भी महसूस किया, कि सत्या के हाथ उसके ब्लाउज के बटन खोलने में व्यस्त हो गए हैं।

‘तो, समय आ ही गया है!’

हाँलाकि माँ की ही तरह काजल की ब्रा पहनने की आदत छूट गई थी, लेकिन आज के लिए उसने माँ के ही आग्रह पर क्रीम रंग की लेस वाली ब्राइडल अंडरगार्मेंट्स पहन रखी थी। माँ ने अपने अनुभव से काजल को समझाया था कि उनकी पहली रात उन दोनों के लिए सुखद और रोमांचकारी होनी चाहिए। कुछ ही देर में काजल का ब्लाउज खुल गया, और उसके ब्रा से ढँके स्तन अब सत्या के सामने प्रस्तुत थे।

सुंदर... गोल, आणि... मऊ...” सत्यजीत ने काजल के स्तनों की बढ़ाई करते हुए कहा, “... बिल्कुल मेरे सॉफ़्ट बन्स की तरह!”

“हा हा हा! आपने अभी तक उन्हें देखा तक नहीं है।” काजल ने हँसते हुए कहा।

यह खुद को भोगने के लिए एक खुला निमंत्रण था, और काजल को उम्मीद थी कि ऐसा निमंत्रण पा कर सत्या उस पर झपट पड़ेगा! क्यों? क्योंकि सत्या ने पिछले पंद्रह सालों में एक बार भी सेक्स नहीं किया था। लेकिन सत्या बहुत ही धैर्यवान व्यक्ति था, और खुद के मज़े से पहले वो अपनी दुल्हन को आनंद देना चाहता था। अपनी पूर्व पत्नी के साथ रहते रहते उसने दीर्घकालीन फोरप्ले की कला भी सीख ली थी, जो उनकी पत्नी को बहुत आनंद देती थी। वो कला निश्चित रूप से काजल पर भी काम करेगी - यह सत्या को उम्मीद थी।

उसने अपने हाथों को उसके स्तनों पर फिराते हुए सहलाया, फिर प्रत्येक स्तन को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाया। काजल के चूचक लगभग पुनः ही सख्त हो गए। उसके खेलने का तरीका बड़ा रोचक था : सत्या ने बड़ी कोमलता से ब्रा के ऊपर से ही काजल के चूचकों को अपने अंगूठे और तर्जनी से पकड़ कर हलके से दबाया और पेन के जैसे रोल किया। काजल की सिसकी निकल गई। वो थोड़ा मुड़ी, और सत्या ने उसे अपनी गोद में लिटा लिया।

काजल इस समय तक बहुत उत्तेजित हो चली थी। उसे इस बात का अहसास तब हुआ जब उसने देखा कि सत्या कुछ समय से उसके नग्न स्तनों को सहला रहा है, और उसे इस बात का पता ही नहीं चला!

ते किती सुजले आहेत!” सत्या ने काजल के स्तंभित चूचकों को प्रशंसा की दृष्टि से देखते हुए कहा, “... जब अंगूर के दाने बहुत पक जाते हैं न... तब ऐसा लगता है कि वे किसी भी समय फूट जाएंगे, और अपने रस को बहने देंगे।”

सच में काजल की हालत वही थी। उत्तेजनावश उसके चूचक खड़े हो गए थे, और दो दिनों से किसी ने स्तनपान नहीं किया था, इसलिए अंदर बनने वाले दूध का दबाव भी बन रहा था। सच में किसी भी क्षण उसके अंगूर के दाने अपना रस छोड़ सकते थे।

काजल का भी मन हो रहा था कि काश सत्या इनको अपने मुँह में भर के उनका रस पी ले। लेकिन सत्या को तो जैसे कोई जल्दी ही नहीं थी। काजल को अपनी बाहों में संतुलित करते हुए, उसने उसकी ब्लाउज और फिर ब्रा उतार दी, और फिर अपनी पत्नी के स्तनों की सुंदरता का जायज़ा लिया। माँ के समान काजल भी शारीरिक रूप से शानदार शेप में थी। पैंतालीस की हो चुकने के बावजूद उसके स्तन ढीले नहीं हुए थे, और ब्रा के बिना भी अपने आकार को बनाए रखने में सक्षम थे। उसके स्तनों की दोनों गोलाईयाँ बड़े मोहक, और गहरे भूरे लाल रंग के चूचकों और एरोला से सुसज्जित थीं।

सत्यजीत अवाक होकर अपनी पत्नी की सुंदरता का रसपान कर रहा था।

“आप तो अपने नाम की तरह ही बहुत सुंदर हैं, मिसेज़ मुळे!”

उसने कहा और बारी बारी से काजल के दोनों चूचकों को चूमने लगा।

काजल गर्व से मुस्कुराई।

उधर सत्यजीत भी बड़ा गर्वित था कि उसकी नई पत्नी इतनी सुन्दर है, और उसने इस सुन्दर सी स्त्री से ‘प्रेम विवाह’ किया था! सब कुछ एक चमत्कार जैसा था। थोड़ा ज़ोर लगा कर चूसने से चूचकों का बाँध टूट गया और सत्या का मुँह अपनी पत्नी के मीठे रस से भर गया। दूध का स्वाद आते ही उसकी आँखें आश्चर्य से गोल हो गईं! उसको काजल की बात अभी तक मज़ाक ही लग रही थी। भला किस स्त्री को संतानोत्पत्ति के इतने समय बाद भी दूध आता होगा? भला कौन स्त्री अपने इतने बड़े बच्चों को दूध पिलाती होगी? वो यह सोचता तो था - क्योंकि काजल की बात पर उसको यकीन नहीं हुआ। लेकिन अब संदेह का कोई कारण ही नहीं था - लेशमात्र भी नहीं!

“आह... कितना मीठा!” उसने तृप्त भाव से आस्वादन लेते हुए कहा, “मुझे रोज पिलाया करो मेरी जान!”

“आप जब चाहो! किसने रोका है?”

सच में! किसने रोका है? इस सुन्दर स्त्री का हर खज़ाना अब उसका है!

काजल की बात सत्यजीत के कानों में वह संगीत जैसी लगी। जब वो स्तन खाली हो गया, तब काजल ने धीरे से अपने पति के सर को अपने दाहिने स्तन की ओर खींचा। सत्या समझ गया कि क्या करना है, और उसने मुँह खोल कर दूसरे चूचक को पीना और चूसना शुरू कर दिया। दूध पीते हुए वो काजल को छेड़ भी रहा था! उस छेड़खानी की गुदगुदी से काजल की उन्माद भरी आहें निकल रही थीं। जब दोनों स्तन पूरी तरह से खाली हो गए, और जब वो स्तनपान से संतुष्ट हो गया, तो उसने काजल के मुख को चूमा,

“काश मैंने तुम्हें पहले पाया होता।”

“अभी भी बहुत देर नहीं हुई है!” काजल मुस्कुराई।

“नहीं! नहीं हुई है! लेकिन...” सत्या अपनी बच्चों जैसी इच्छाओं को दबाने की कोशिश में मुस्कुराया, “... वो क्या है कि...”

“क्या हुआ मेरी जान? आपके मन में जो कुछ है, आप मुझसे खुल कर नहीं कह सकेंगे, तो फिर मेरा क्या काम?” काजल ने सत्या को दिलासा देते हुए कहा।

सत्यजीत मुस्कुराया, “वो क्या है कि... मैं सोच रहा था कि एक और बच्चा...?”

“आपको एक और बच्चे की चाहत है?”

सत्या ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

काजल का दिल भर आया। माँ को दो बार पुनः माँ बनते देख कर उसका भी मन होने लगा था, और सत्या के साथ उसने भी इस सम्भावना के बारे में सोचा अवश्य था।

“तो फिर मिस्टर मुळे, आज से ही कोशिश करनी शुरू कर देनी चाहिए हमको!” जिस अदा से काजल ने कहा उससे सत्यजीत का लिंग फड़कने लगा।

“मैं आपसे कोई वायदा तो नहीं करूँगी... लेकिन इतना ज़रूर कहूँगी कि अभी भी मुझे बच्चे हो सकते हैं! ... और अगर नहीं भी हुए, तो क्या हुआ? हमारे दो बेटे हैं ही न? उनके भी बच्चे हैं! और फिर कुछ सालों में मेरी बेटी की भी शादी हो जाएगी, और उसके भी बच्चे होंगे। इसलिए आप बहुत सोचिए नहीं! हमारा एक बड़ा सा परिवार होगा!” काजल ने कहा, और बड़े प्यार से सत्या के गाल को सहलाया।

“आप सही कह रही हैं... अभी तक मैं यह सोच नहीं रहा था... लेकिन जब मैंने ये दूध निकलते देखा, तो यह इच्छा मेरे पूरे मन में छ गई है!”

“फिर क्या,” काजल ने उसके होठों को चूमा, और बोली, “मुझसे जम कर प्यार करिए... क्या जाने! हम दोनों के भाग्य से बच्चे भी हो सकते हैं... चमत्कार तो होते ही रहते हैं... और ये कोई इतनी बड़ी बात नहीं!”

सत्या काजल की बात सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ।

“क्या आप सच में सभी बच्चों को दूध पिलाती हैं?” सत्या ने उत्सुकतावश पूछा।

उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया, “आपको मेरी बात झूठी लगी थी क्या मिस्टर मुळे?”

“नहीं नहीं! लेकिन सच में, यकीन नहीं हुआ कि इतने सालों तक...” बात उसने अधूरी ही छोड़ दी।

“मुझे भी नहीं होता था... लेकिन जब बहू के यहाँ रहने लगी थी तब उसके कहने पर सुनील और पुचुकी को पिलाना शुरू किया। बच्चे पीते रहे, और दूध बनता रहा। फिर मिष्टी भी शामिल हो गई! उसको देख कर मुझे अपनी बच्ची की ही याद हो आई! कैसे न पिलाती उसको? ... और फिर अब तो बहू को भी...”

“हा हा! गज़ब है यार! सच में!”

“क्या? कि मैं बहू को अपना दूध पिलाती हूँ?”

“हाँ वो भी...” उसने काजल के एक चूचक को सहलाया, “और एक मेरी बहू है... वो पोते का दूध छुड़ाने का सोच रही है!”

“ये तो बहुत जल्दी है...”

“कह रही थी कि दूध पिलाती रहेगी तो फिर से माँ बनने में दिक्कत होगी!”

“क्या? हा हा! अभी कुल जमा बीस की ही हुई है, और वो यह सोच रही है कि उसको आगे दोबारा माँ बनने में दिक्कत होगी!” काजल हँसने लगी, “और यहाँ मेरी बहू चालीस के ऊपर हो कर फिर से माँ बनी... और मैं पैंतालीस की हो कर आपको बाप बनाने की सोच रही हूँ! और वो... कौन समझाया उसको यह सब?”

“उसकी आई ने कहा होगा! और कौन समझाएगा यह सब? हमारे घर में केवल मर्द ही हैं, और हम ऐसी बातें थोड़े ही कहेंगे उससे!” सत्या ने एक सेकंड के लिए सोचा और कहा, “बहू को थोड़ा समझाओ न!”

“किस बारे में?”

“यही की बच्चों को दूध पिलाते रहना चाहिए।”

“हम्म... लेकिन वो मेरी बात क्यों सुनेगी?”

“क्योंकि तुम उसकी सास हो...?”

काजल ने कुछ पल सोचा और बोली, “मेरे प्यारे पतिदेव जी, यह ‘सास’ वाली बात उस पर नहीं चलेगी... वो जब इस घर आई थी, तब इस घर में कोई औरत नहीं थी... कोई सास नहीं थी... तो वो इस घर की मालकिन बन कर आई। तो मैं उसकी सास जैसी तो हूँ, लेकिन सास नहीं... उसके साथ मेरा रिश्ता भी नया है, और मैं बाहर से भी आई हूँ!”

काजल ने थोड़ा रुक कर कहा, “इसलिए मैं उसकी सास तो नहीं बन सकती... लेकिन हाँ, अगर मैं आपके बेटे... आपके बेटे की माँ बन सकूँ... और... बहू की सहेली जैसी माँ बन सकूँ...” काजल बोली और रुक कर सत्या की ओर एक नज़र डाली कि उसकी बात का क्या प्रभाव हुआ है, “... तो शायद मैं उसको समझा सकूँ!”

सत्या को यकीन ही नहीं हुआ जो उसने सुना। काजल तुरंत ही न केवल उसकी इच्छापूर्ति के लिए तैयार हो गई, बल्कि वो उसके परिवार के साथ एक हो जाना चाहती थी। उसकी नई पत्नी उसके बेटे को अपने बेटे के रूप में स्वीकार करना चाहती है। बहुत अच्छा था!

“थैंक यू, काजल। बहुत बहुत!” सत्या ने भावातिरेक से कहा, और उसके मुँह को चूम लिया।
 

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अंतराल - समृद्धि - Update #8


“आपको मुझे थैंक यू कहने की ज़रूरत नहीं है, पतिदेव जी! मैं आपके पास केवल प्यार के लिए आई हूँ... यह प्यार ही है जिसे मैं आप सभी को देना चाहती हूँ, और प्यार ही है, जिसे मैं पाना चाहती हूँ!” काजल ने बड़ी ईमानदारी से कहा, “भगवान ने मुझे अब तक बहुत कुछ दिया है...”

यह बोलते बोलते वो फिर से भावुक हो गई, “मैं जहाँ से आई हूँ, वहाँ से यहाँ तक पहुँचना भगवान की कृपा से ही संभव हो सका है।”

काजल रुकी, और फिर कुछ सोच कर आगे बोली, “और जब मैं अपनी ज़िन्दगी के बारे में सोचती हूँ, तो लगता है कि मैंने जो कुछ भी पाया है, वो केवल इसलिए है क्योंकि मैंने अपना प्यार दिया... बिना किसी शर्त... और उसके बदले में मुझे इतना सब कुछ मिला... भरा पूरा परिवार और ढेर सारा प्यार!”

सत्या ने काजल की बात समझते हुए सर हिलाया।

काजल ने कहना जारी रखा, “बारह साल पहले मैं क्या थी? कुछ भी तो नहीं! मेरी पहचान क्या थी? बस एक घरेलू नौकरानी की! मैं दूसरों के लिए खाना पकाती थी, दूसरों के घरों में साफ़ सफाई करती थी। ज़िन्दगी को लेकर बहुत कड़वाहट आ गई थी मन में... बहुत अधिक कड़वाहट... न जाने क्या करती मैं! मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ, भगवान से यही पूछती। हमेशा! मेरे माँ बाप ने मुझे पढ़ने नहीं दिया… फिर मेरी शादी एक लम्पट आदमी से कर दी गई… न काम न पैसा! यह सब कितना गलत था! तब तक मेरी ज़िन्दगी में केवल दो अच्छी चीजें हुई थीं - मेरा बेटा और मेरी बेटी!”

काजल की आँखों की कोरों से आँसू लुढ़कने लगे, लेकिन उसने कहना जारी रखा, “फिर अचानक ही भगवान की ऐसी दया हुई कि क्या कहूँ! एक फ़रिश्ता आया मेरी ज़िन्दगी में! ... उसने मेरे लिए... मेरे बच्चों के लिए सच्ची भावना दिखाई। अमर वो पहला आदमी था जिसने मेरे साथ नौकरों जैसा व्यवहार नहीं किया। उसने मेरे साथ केवल सम्मान के साथ, प्यार के साथ व्यवहार किया... मुझे अपने बड़े का मान दिया... ज़िन्दगी में पहली बार मुझे एक सुरक्षित जगह मिली थी। हाँ - मैं काम करती थी वहाँ, लेकिन सच में, वो घर था मेरे लिए। जब यह एहसास हुआ मुझको, तब मैंने अमर को निःस्वार्थ प्यार देने के बारे में सोचा।”

सत्या ने यह तो बिलकुल ही नहीं सोचा होगा कि उसकी ‘सुहागरात’ काजल की स्मृति-पथ वाली यात्रा बन जाएगी। लेकिन एक समझदार और धैर्यवान पति की तरह उसने काजल को अपने मन की बातें कहने दीं। सेक्स तो कभी भी हो सकता है, लेकिन पति और पत्नी के बीच में प्रेम और सौहार्द भरा वार्तालाप होना आवश्यक है।

“फिर अमर के माँ बाप मिले… उन्होंने मुझे ऐसे सम्हाला कि सच में मैं उनकी बेटी हूँ! कितना प्यार दिया उन्होंने! और हमको हर तरह की सहूलियत दी। मेरे माँ बाप का मुझ पर कोई हक़ नहीं। सही मायने में ये दोनों मेरे माँ बाप थे। मैंने भी उन्हें अपने माँ बाप से अधिक प्यार किया। पहले दिन से वो मेरा संसार बन गए।”

सत्या ने बड़े प्यार से, जैसे धाढ़स बँधाते हुए काजल के हाथों को थाम लिया। लेकिन काजल जैसे किसी ध्यान मुद्रा में थीं। वो उन पुराने दिनों के बारे में सोचकर मुस्कुराई, “मेरे बच्चे उनके प्यार के कारण पढ़ सके! स्कूल में, मोहल्ले में, समाज में... इज़्ज़त से खड़े हो सके!”

अचानक ही उसकी मुस्कान गायब हो गई, “... लेकिन हर अच्छे लोगों के साथ अच्छी चीजें ही नहीं होती हैं। जब बाबू जी की... (वो बोलने में हिचक गई) के बारे में सुना, तो लगा कि यह कोई घिनौना मज़ाक है! इस परिवार के साथ ऐसा कैसे हो सकता है? बहू के साथ ऐसा कैसे हो सकता है? उसकी उम्र ही क्या थी? विधवा जीवन कोई मज़ाक है? कैसे रहेगी वो अकेली? मैं हमेशा यही सोचती! लेकिन फिर भगवान ने मुझे बहू को एक अलग ही रोल में प्यार करने का चाँस दे दिया।”

काजल फिर से मुस्कुराई, “शायद भगवान अब चाहते थे कि मैं उसको उसकी माँ की तरह प्यार करूँ! जब सुनील ने बहू के बारे में मुझे बताया, तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतनी लकी हो सकती हूँ! मुझे माँ बनने का एक और मौका मिला था... और मैंने उस मौके को भगवान का प्रसाद मान कर स्वीकार लिया! पूरे मन से, पूरी निष्ठा से मैंने उसकी माँ बनने की कोशिश करी... और देखो, उसका फल भी तो मिला न! मुझे दादी बनने का भी सुख और मान मिला! मेरा खानदान आगे बढ़ा!”

हाल के सालों की सभी अच्छी बातों को याद करते हुए काजल मुस्कुराई, लेकिन ऐसा होने पर भी उसके आँसू बहने लगे, “और फिर आप मिले! आप भी तो इसी कारण से मिले... तो मेरे पास देने के लिए बस प्यार ही है, और पाने के लिए भी!”

“मेरी जान, मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ! ... और मुझे यकीन है कि मेरे बेटा और बहू भी आपको माँ जैसा ही प्यार करेंगे!”

“पतिदेव जी, इतना मत सोचिये! माँ बनना कोई आसान बात नहीं है। बहुत सारा त्याग करना पड़ता है!” काजल ने खुद को सम्हालते हुए कहा।

“मालूम है जी... लेकिन क्या आप अपनाओगी मेरे बच्चों को, काजल?” सत्या ने उत्साह से और उम्मीद से पूछा, “वो भी तो सुनील जैसा ही है! प्लीज उसको भी माँ का प्यार देना! बेचारा... अभी तक उसने अपनी माँ के प्यार को नहीं जाना है।”

“मुझे पता है... और आप चिंता मत करिए! अब मैं आ गई हूँ न? भगवान के आशीर्वाद से मैं आपके घर में कुछ और खुशियां लाने की कोशिश करूँगी!”

“ओह काजल!” सत्या ने भावविभोर हो कर काजल को गले से लगा लिया और उसे चूम लिया। काजल ने भी उस चुम्बन का समुचित उत्तर दिया।

फिर थोड़ी देर के चुम्बन के बाद, “आप अभी तक थके नहीं हैं मिस्टर मुळे?” उसने पूछा।

“क्यों? ऐसा क्यों पूछा?”

“इतनी देर से मैं आपकी गोद में लेटी हुई हूँ।”

“सबसे पहली बात, आप भारी नहीं हैं, मिसेज़ मुळे! दूसरी बात, मुझे आपको ऐसे अपनी बाहों में भर के रखना अच्छा लगता है।” सत्या ने उसके चूचकों को सहलाया और आगे कहा, “और... अभी के लिए आप मेरे ऊपर हैं... और... कुछ देर बाद मैं आपके ऊपर हो जाऊँगा!”

“हैं?” काजल ने हैरान होते हुए कहा, “वो क्यों?”

“आपको भारी जो करना है!” कह कर सत्या ने आँख मारी।

काजल शर्म से लाल हो गई, और इतनी देर में पहली बार उसने अपने शरीर की नग्नता का जायज़ा लिया। सत्या ने उसको ऐसे देखते हुए देखा। काजल मुस्कुराई। बेहद शर्म से!

“इतने में ही, मिसेज़ मुळे” सत्या ने बड़े ही सड़कछाप अंदाज़ में कहा, “अभी तो पूरा नंगा होना बाकी है!” उसने काजल की साड़ी की प्लीट्स को उसके पेटीकोट के अंदर से खींचते हुए कहा।

“बुढ़ापे में ऐसी बदमाशियाँ, मिस्टर मुळे?”

“थोड़ी देर में दिखाता हूँ अपना बुढ़ापा,” सत्या ने कहा और फिर से आँख मारी।

काजल खिलखिला उठी।

उधर सत्या भले ही वो पहले भी मन ही मन काजल के फिगर का अनुमान लगाता था, लेकिन रेशम की साड़ी उतर जाने के बाद अब वो काजल की पतली कमर और उसके कूल्हों के उभार और लोच की बेहतर सराहना कर सकता था। उसमें फिर से कामेच्छा जाग उठी। उसने उसके पेटीकोट की डोरी खोली, और कपड़े को नीचे सरका दिया। अब काजल उसकी गोद में लगभग नग्न लेटी हुई थी : उसने केवल अपनी क्रीम रंग की लेस वाली पैंटी पहन रखी थी।

“ओह, तुम बहुत सुंदर हो, काजल! बहुत खूबसूरत।” इस रात में पहली बार सत्या की आवाज उत्तेजनावश काँप उठी।

उसने पूरे जोश में अपने होंठों को काजल के होंठों से लगाया, और बड़े जोश से उसे चूमा। चूमते हुए उसने अपना हाथ काजल के स्तनमर्दन करने में व्यस्त कर दिया। उसे चूमते हुए ही सत्या ने अपनी तर्जनी और मध्यमा उंगलियों के बीच उसके सख्त हो रहे चूचक को निचोड़ा। जैसे ही सत्या की दोनों उँगलियाँ काजल के चूचक पर दबते हुए आपस में सटी, काजल की आँखें किसी मदमत्त हुई स्त्री की भाँति फड़कने लगीं और बंद हो गईं। दूसरे चूचक की ऐसी किस्मत नहीं थी। सत्या ने उसके दूसरे को सहलाते हुए, उसको उँगलियों के अग्र भाग से पकड़ कर बाहर की ओर खींचा। काजल ऐसी सिसकी कि जैसे उसको करंट लग गया हो। सत्या समझ गया कि उसकी हरकतें काजल को बहुत पसंद आ रही हैं।

उसने अपना हाथ उसके पेट पर सरकाते हुए नीचे की ओर बढ़ाया। उसका हाथ काजल की पैंटी के ऊपर पहुँच कर रुक गया। उसकी उंगली पैंटी की इलास्टिक पर रुक गई और उसकी हथेली काजल के पेट के सौम्य उभार को ढँक ली। कुछ देर उसने काजल की तेजी से चलती साँसों के कारण उसके पेट में उठने वाली थरथराहट को महसूस किया, और फिर हथेली को आगे की सैर पर बढ़ा दिया। लेकिन इस बार उसका हाथ काजल की पैंटी के अंदर आगे बढ़ रहा था। बहुत धीरे धीरे। जैसे ही उसने काजल की योनि की फाँक के आरम्भ को महसूस किया, उसका हाथ रुक गया।

उसने हाथ बाहर निकाल कर काजल की टाँगें खोलीं, फिर अपनी हथेली को वापस उसकी पैंटी के अंदर डाल कर अपनी उंगली को उसकी योनि के होंठों के बीच की फाँक पर रख दिया, और काजल के दोबारा अपनी टाँगों को बंद करने का इंतज़ार करने लगा। लेकिन काजल अपनी जाँघों को बंद करने के बजाए उनको और खोल दिया। काजल का मंतव्य साफ़ था। सत्या ने अपने अंगूठे और उँगलियों से उसकी योनि की गर्मी और नमी को महसूस किया, और अपनी हथेली से उसने उसकी योनि को सहलाया। काजल ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। काजल चाहती थी कि उसके पति को उनके प्रथम सम्भोग का सारा आनंद मिले। जैसे ही उसके हाथ ने काजल की योनि के होंठों को खोला, वहाँ की हवा में काजल की कामुक सुगंध भर गई। अब वर्जनाओं का कोई स्थान नहीं था। पैंटी उतरने का समय आ गया था। उसने बड़े ही धीरे धीरे काजल की पैंटी उतार दी। बेचारी तड़प कर रह गई। लोहा इतना गरम था कि उसको किसी अन्य आकार ने ढालने के लिए किसी चोट की आवश्यकता नहीं थी... क्योंकि लोहा इस समय पिघल रहा था।

एक बेहद लम्बे अर्से में पहली बार सत्या की बाहों में एक सुन्दर, सुगढ़, और नग्न महिला थी। उसने काजल की योनि का निरीक्षण करने में अपना समय लिया : काजल की योनि वैक्सिंग हो कर पूरी तरह से चिकनी थी, और बहुत स्वादिष्ट लग रही थी! सत्या इच्छा से भर गया था। उसने फिर से काजल की टाँगें फैला दीं, और बड़े यत्न से उसकी योनि में अपनी उंगली डालने से खुद को रोका। काजल की योनि से कामरस निकल रहा था, तो सत्या ने उसके रस को उसके भगशेफ पर फैलाया और उसे सहलाने लगा। काजल पहले से ही अपनी यौन उत्तेजना के चरम पर बैठी हुई थी। सत्या की हरकत से उसके पूरे शरीर में आनंद की अनोखी लहरें दौड़ने लगीं, और वो उसकी गोदी में उछलने लगी।

उनका सहायक कक्ष अब काजल की कामोत्तेजना की मीठी महक के साथ-साथ उसकी आनंद भरी कराहों से भर गया था। इस समय तक काजल की योनि ऐसी गीली हो चुकी थी कि रस का स्राव होने लगा था! सत्या उसी रस को अपनी उँगलियों पर लपेट कर काजल के भगशेफ से ले कर उसकी योनि के चीरे तक चलाने लगा। उसकी इस हरकत से काजल के शरीर में कामुक आंदोलन होने लगे; वो हर छेड़खानी पर उछलती और कामुकता से कूजती। वो सत्या की गोद में फिसल रही थी, और उसकी उँगलियों को स्वयं को छेड़ने के लिए और भी खोल रही थी।

सत्या ने दो उँगलियाँ सीधी कीं, और धीरे-धीरे काजल के अंदर प्रवेश करने लगा। किसी स्वतःप्रेरणा से काजल के नितम्ब स्वयं ही उठ गए, और इस कारण से सत्या को उसमें प्रवेश होने के लिए और भी स्थान मिल गया। योनि के अंदर जा कर सत्या ने अपनी उंगलियाँ ऊपर की ओर उठा कर काजल के अंदर गुदगुदी करी। उसका प्रभाव तुरंत ही सामने आ गया - काजल के कूल्हे ऊपर उठे और उसके मुँह से एक तीव्र किलकारी निकल गई। घर में शायद ही कोई हो, जिसने वो न सुना हो! सत्या ने अपना अंगूठा नीचे दबाया, और उँगलियों और अंगूठे के बीच उसके भगशेफ को दबाने और सहलाने लगा।

काजल के लिए ये छेड़खानी असहनीय हो चुकी थी। सत्या की इस नई हरकत से उसकी योनि में जैसे कम्पन होने लगा, और वो अपने चरमोत्कर्ष को प्राप्त करने लगी। काजल को अभी अपना ओर्गास्म प्राप्त किए हुए लम्बा समय हो गया था। उसका शरीर आनंदातिरेक से आ कर थरथराने लगा ; उसकी आँखें बंद हो गईं और उसका सिर शिथिलता से पीछे की ओर लुढ़क गया। कुछ समय बाद जब काजल थोड़ा शांत हुई, तब सत्या ने अपनी उँगलियाँ उसकी योनि से बाहर निकाल लीं, और वो सत्या के ऊपर ही निढाल हो गई।

कुछ देर सुस्ताने के बाद काजल ने सत्या को अपने ऊपर खींच लिया, और अपने तीव्र ओर्गास्म सुख की प्राप्ति के बाद शिथिल होने के बावजूद उसे चूमने लगी। अपने पति का कठोर लिंग उसको अपने नितम्बों पर चुभता हुआ महसूस हो रहा था। उसने सत्या को अपनी आँखों में प्रणय निवेदन की अपील लिए हुए देखा। वो निवेदन सत्या को साफ़ दिखाई दिया। ऐसा नहीं है कि सत्या को किसी निवेदन की आवश्यकता थी! वो तो कब से तैयार बैठा था। काजल को बिस्तर पर लिटाकर सत्या ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे। जैसे ही वो पूर्ण नग्न हुआ, उसका उत्तेजित लिंग काजल की तरफ बड़ी तत्परता से देखने लगा। सत्या का लिंग किसी भी तरह से कमतर लिंग नहीं था। ठीक है कि यह सुनील के लिंग जितना मोटा नहीं था और अमर के लिंग जितना लम्बा नहीं था, लेकिन वो एक बहुत ही स्वस्थ और मज़बूत लिंग था। उसके पूर्व-पति के मुकाबले तो बहुत ही संपन्न लिंग था यह! काजल संतुष्टि से मुस्कुराई, और सत्या के लिंग को अपने हाथों में पकड़ कर सहलाने लगी।

सत्या काजल से एक होने हो बेकरार था - वो तो बस यह चाहता था कि काजल को कम से कम एक बार ओर्गास्म का आनंद अवश्य मिले। इसलिए वो फोरप्ले में समय ले रहा था। लेकिन अब जबकि काजल को उसके हिस्से का आनंद मिल गया था, तो इंतज़ार करने का कोई अर्थ नहीं था। उसने खुद को काजल की जांघों के बीच समायोजित किया, उसके योनि के होंठ खोले, और उसमें प्रविष्ट हो गया। काजल के पूर्व-पति और मेरे लिंग के विपरीत सत्या के लिंग का सिरा गोल और उभड़ा हुआ था; लिहाज़ा, वो योनि-मुख को हम दोनों के मुकाबले थोड़ा अधिक फैला सकता था। काजल को मालूम था कि यह होगा - उसने प्रथम प्रहार की प्रत्याशा में एक गहरी साँस ली! दर्द की एक झनझनाहट उसकी योनि से गुज़री, लेकिन चंद क्षणों में ही वो दर्द जाता रहा। योनि मार्ग कामरस से भीग कर अद्भुत तरीके से चिकना हो चला था, इसलिए सम्भोग के दौरान कष्ट होने का चांस कम ही लग रहा था।

सत्या ने उसे प्रबल तरीके से भोगना शुरू कर दिया। काजल उससे कहना चाहती थी कि वो आराम से करे, और सम्भोग का आनंद ले! लेकिन कुछ सोच कर उसने सत्या को जैसे करने का मन था, उसको करने दिया। वो वैसे भी पिछले कई सालों से ब्रह्मचर्य का पालन कर रहा था, इसलिए उसको जिस भी तरीके से सही लग रहा था, आनंद लेने का अधिकार था। भूखे को यह समझाना कि कैसे खाना है, बेहद मूर्खता वाला काम है। इस प्रथम सम्भोग के बाद, वो दोनों बाद में अपने इस अंतरंग आनंद को जैसा चाहें, और भी आनंददायक बना सकते हैं। सत्या इतने लंबे समय से सम्भोग के अनुभव से दूर रहा था कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस मॉल-युद्ध में कितने समय तक टिकेगा। सम्भोग की गति पहले से ही तीव्र और अनियंत्रित थी। कोई दो मिनट तक तेजी से धक्के लगाने के बाद उसको अपने अंडकोषों में वही परिचित दबाव बनता महसूस हुआ। रुकना या खुद पर नियंत्रण रख पाना मुश्किल था। वो आनंद से कराह उठा और अपनी धक्के लगाने की गति को बढ़ाता रहा। बिस्तर पर लेटे रहने के बावजूद काजल अपना संतुलन बनाए रखने में लगभग सफल रही। उसकी कोशिश यही थी कि सत्या को जितना अधिक हो सके, उतनी देर तक आनंद मिले। लेकिन शायद सत्या को दीर्घकालीन सम्भोग नहीं, बल्कि अपनी पत्नी के गर्भ में बीजारोपण की अधिक आवश्यकता थी। एक और मिनट में सत्या ने महसूस किया कि उसका चरमोत्कर्ष सन्निकट है, तो उसने अपनी गति को और भी बढ़ा दिया।

तीन चार धक्के और, कि उसका स्खलन आ गया। आनंद से कराहते हुए, उसी अनियंत्रित तरीके से वो अपने गर्म वीर्य की धाराएँ काजल के गर्भ में भरने लगा। उसको अपनी आँखों के सामने सैकड़ों छोटे-छोटे प्रकाश बिंदु फूटते हुए महसूस होने लगे। वो आनंद से कराह रहा था, लेकिन फिर भी उसका धक्के लगाना जारी रहा। उसको न जाने क्यों लग रहा था कि अभी भी उसके अंदर वीर्य की एक उदार खुराक बची हुई है। सत्या इस आंकलन में सही था : कोई दो दर्जन धक्कों के बाद वो पुनः स्खलित होने लगा, और काजल की योनि में अपने वीर्य की एक और खुराक जमा कर दी।

अब कहीं जा कर उसका संचित कोष पूरी तरह से समाप्त हुआ। लिंग का स्तम्भन पूरी तरह से समाप्त हो गया था, लिहाज़ा, उसने आखिरकार अपनी हार मान ली, और काजल के ऊपर संतुष्टि भरी शिथिलता से गिर गया। अपने सफल प्रथम मिलन के आनंद से दोनों के चेहरे दमक रहे थे। काजल ने सत्या को अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों को चूमा। उन्हें खुद को पूरी तरह से संयत करने में लगभग पांच मिनट का समय लगा। तब तक वे एक दूसरे को चूमते रहे और और एक दूसरे के शरीर को सहलाते रहे।

“मिस्टर मुळे, अभी आप खुश हैं?” काजल ने मज़ाकिया अंदाज़ में पूछा।

“बहुत खुश, मिसेज़ मुळे, बहुत बहुत खुश!”

“तो, पतिदेव जी, मैं आपको यही ख़ुशी रोज़ देना चाहती हूँ!”

“क्या सच?”

“मुच!” काजल ने हँसते हुए कहा, फिर थोड़ा रुक कर, “और मैं आपको फिर से बाप बनने का सुख देना चाहती हूँ!”

“ओह काजल... आई लव यू!”

“मी टू!” काजल मुस्कुराई, “मैं इस परिवार का हिस्सा बन कर बहुत खुश हूँ, और आप सभी की ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी करूँगी!”

“मुझे मालूम था कि आपसे शादी करना बिलकुल सही निर्णय रहेगा! थैंक यू काजल... आई लव यू!”

“मिस्टर मुळे, अभी आपको थोड़ी थकान आई है?” काजल ने फिर से मज़ाकिया अंदाज़ में पूछा।

“हाँ जी, मिसेज़ मुळे, थक तो गया!” सत्या ने भी मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, "आपको प्यार करने में बड़ी ताकत लग जाती है!"

“तो, पतिदेव जी, ताकत बचा कर रखिए... आइए आपको सुला दूँ!”

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नव वर्ष की हार्दिक अभिनंदन व शुभकामनाएं

प्रिय मित्र - आपको भी, और आपके परिवार को भी नए साल ही हार्दिक शुभकामनाएँ! :)
आप सभी का कल्याण हो!
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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नींव - पहली लड़की - Update 12


सवेरे मुझे थोड़ा जल्दी ही उठा दिया गया जिससे मैं नित्य कर्म कर सकूँ। मैंने साथ ही साथ मंजन इत्यादि कर लिया, और खाने की राह देखने लगा। गाँव में ‘नाश्ता’ जैसा कम ही होता है। या तो रात का खाना, या फिर लइया चना गुड़, इस प्रकार की ही व्यवस्था होती है। इसलिए माँ हमारे घर में मेरे लिए पराठे बना रही थीं, जिसको दही और अचार के साथ परोसा जाना था। बगल वाली चाची भी आ गईं थीं, घर को ठीक कराने में माँ की मदद करने। आज उनसे मिलने गाँव के कई लोग आने वाले थे, मतलब दिन भर चहल पहल रहेगी। नाश्ता करने के बाद मैं सवेरे इधर उधर ही रहा। चाची के लड़के मुझे खेत देखने और अमरुद खिलाने ले गए। वापस आते आते ग्यारह बज गए। वापस आया तो देखा कि घर में सात आठ महिलाएँ पहले से ही उपस्थित थीं। माँ से मिले हुए सभी को समय हो गया था, इसलिए सभी उनका कुशल क्षेम जानना चाहती थीं। मुझको देखते ही चाची बोलीं,

“आई गयो लल्ला? आवो, तोहार मालिस कै देई!”

मैंने घबरा कर माँ की तरफ देखा, लेकिन माँ ने मुस्कुरा कर कर रात जैसा ही इशारा किया कि सब ठीक है और मुझे घबराना नहीं चाहिए। चाची ने मुझे माँ की तरफ़ देखते हुए देखा, तो बोलीं,

“अरे, तोहार अम्मैं कहिन हैं। घबड़ाओ नाही। कपड़ा उतार कै आई जावो!”

तो मैं पैंट और शर्ट उतार दी, और उनके पास आ गया। मुझे लगा कि शायद कमरे के एकांत में मेरी मालिश होगी, लेकिन चाची तो वहीं आँगन ही में पीढ़ा डाल कर बैठ गईं। मेरे लेटने के लिए कोई चटाई भी नहीं थी - मतलब उस ईंटे वाली फ़र्श पर ही लेटना था। मैं उनके पास आया तो वो बोलीं,

“ई काहे पहिने हौ?” और मेरी चड्ढी भी उतारने लगीं।

मैं कुछ कहता या करता, उसके पहले ही मैं सबके सामने नंगा हो गया। मेरा शरीर अच्छा था; देखने में सुदर्शन, और स्वस्थ! बस, एक जो ‘ग्रोथ ऑपर्च्युनिटी’ थी, वो अब तक सभी पाठकों को मालूम ही है। सभी स्त्रियों की दृष्टि मुझ पर ही पड़ गई - उनमे से दो-एक की मेरी हमजोली लड़कियाँ भी थीं, और वो माँ से इसलिए भी प्यार मोहब्बत से रहती थीं कि शायद कभी उनकी लड़कियों के हमारे घर की बहू बनने का चांस लग जाए! जाहिर सी बात है, उनको मेरे शरीर में रूचि तो आई ही होगी। होने वाला दामाद स्वस्थ है या नहीं! हा हा हा!

“चाची!” कह कर मैंने अपने लिंग को अपने हाथों से ढँक लिया।

“अरे! अबहीं बड़ा सरमात हौ! और कल राती जब हम तोहार छुन्नी धोवत रहिन, तब तौ नाही सरमात रहयो!”

कह कर चाची ने मेरी मालिश शुरू कर दी। सबसे पहले उन्होंने मेरे हाथों की मालिश की और फिर पैरों की। उसके बाद जाँघों की, और फिर नंबर आया मेरे लिंग की मालिश की। सरसों के तेल से उन्होंने तसल्ली से मेरे लिंग की चमड़ी को पीछे कर के अच्छी तरह से उसकी मालिश करी।

“हमरे बड़के लरिके कै तो लागत है कि भगवान ओका गढ़ते बानी पूरा गारा उधरैं गिराय दिहिन!” एक महिला ने टिप्पणी दी।

उसकी बात सुन कर माँ मुस्कुरा दीं।

“तोहरे लरिका मा ओकरे नूनी के अलावा कुछु हईयै नाही! सुखान मिर्ची बाय तोहार लरिका!” चाची ने कहा, तो कमरे में सभी औरतों की हँसी छूट गई।

“लेकिन भइया के नूनी तनी छोट बाय, दीदी!” किसी अन्य महिला ने अपनी चिंता व्यक्त की।

माँ के कुछ कहने से पहले ही चाची मेरे बचाव में कूद पड़ीं, “ई देखति हौ,” उन्होंने मेरे वृषणों और लिंग के ऊपर की त्वचा को दिखाते हुए कहा, “चिक्कन बाय। अबहीं लल्ला का जवान होवै मा थोरी बेर बाय!”

“हुआँ सहर मा सब सब्जिया सुई लगाय लगाय कै बढ़ावत हैं, सुने हन!” एक महिला ने अपने विशेष ज्ञान का प्रदर्शन किया, “कहाँ से लागै सरीर मा! हियाँ होते भइया, तौ सुद्ध खाना, खूब दूध, दही, घी खवाइत इनका।”

सभी को मालूम था कि वो महिला ऐसा क्यों करतीं। उनकी बेटी मुझसे बस दो साल छोटी थी, और उनकी मंशा थी कि जल्दी ही वो हमारे घर की बहू बन जाए। माँ केवल मुस्कुरा रही थीं।

“अरे, दुधवा तो लल्ला कै महतारी अबहुँ पियावत हैं लल्ला के!”

“का सच्ची दीदी?” वो महिला आश्चर्य से बोलीं, “हमार लौंडवै तौ तीनै साल मा दूध से ऐसे भागत रहै जैसे हम उनका जहर पियावत होइ!” उनकी बात पर सभी हँसने लगे।

“दूध नहीं आता अब, दीदी! लेकिन अब इसकी आदत हो गई है!” माँ ने सफाई दी।

“सुरसतिया, तोहरे दूनो लरिकै अब एक एक बचवन के बाप हैं! उनका तोहार दूध न चाही। दूनो आपन आपन मेहरारू के दुधवा पियत होइहैं अबहीं!”

उनकी इस बात पर सभा में ठहाके लगने लगे।

“सहियै कह्यौ दीदी, हमार छोटकवा पियत रहा वहि दिना! बहुरिया कान्हा का दूध पियाय कै लेटावत रही, और ई वहीं बइठा टपटपावत रहा। कान्हवा का लिटाय कै जैसे ऊ आपन ब्लउजिया बंद करै लाग, ई दहिजरा ओकै दूध पियै लाग!”

“सच्ची दीदी?” माँ ने हँसते हुए कहा।

“अउर का! और पूरा पी लिहिस। कान्हा के ताईं कुछु छोड़बै नाही किहिस दहिजार! कितना बोले हन की अपने बाप भाई कै मदद किया करौ खेते मा! लेकिन जब देखो अपनी मेहरारू के लगे रहत है!”

“कितनी उम्र है उन दोनों की?” माँ ने विनोदपूर्ण तरीके से पूछा।

“छोटकवा तो भइया से दुइ तीन सालै बड़ा होइ, और बहुरिया तो हमार बिटियै जितनी बड़ी बाय!”

मतलब, गाँवों में तब तक भी बहुत अधिक बदलाव नहीं हुआ था। और ऐसी छोटी उम्र की लड़की से और क्या उम्मीद की जाए? वो बच्चा जन पाई, उतना ही बहुत हो गया। कितना ही दूध बना पाएगी वो, कितना ही स्वस्थ होगा उसका बच्चा!

“फिर तो बहुत छोटे हैं दोनों, दीदी!” माँ ने कहा।

“तोहरै जितनी तो बाय बहुरिया हमार... जब तू बियाह कै आई रहियु!”

कहने की आवश्यकता नहीं कि कुछ ही देर की मालिश से मेरे लिंग में समुचित तनाव आ गया। चाची के मालिश करने का तरीका कुछ ऐसा था कि मेरे लिंग में आमतौर से अधिक स्तम्भन हो गया था। जब उसने मेरे लिंग के बढ़े हुए आकार को देखा, तब जा कर उस महिला तो तसल्ली हुई। माँ भी बड़ी रूचि ले कर मेरे लिंग को देख रही थीं।

“बहू, एका सरसों कै तेल लगाय कै अच्छे से रगरा करौ। एमा जब खून जाये तो ई ठीक से बाढ़ै!” चाची बोली।

उधर उन महिला को लगा कि उनके होने वाले दामाद को बाकी औरतें नज़र लगा देंगी, इसलिए उनसे रहा न गया, और वो उठ कर मेरे पास आ गईं, और अपने आँख के काजल का कतरा पोंछ कर मेरे माथे के कोने पर लगा दीं,

“तू सब जनी ऐसे का देखति हौ? हमरे भइया का नजर लगावति हौ!”

“अरे, सुरसतिया, हियाँ सबसे बुरी नजर तोहरै बाय!” चाची ने उनको उलाहना दी।

सभी महिलाएँ हँसने लगीं। माँ भी। एक तो वो उन सभी से उम्र में काफ़ी छोटी थीं, और ऊपर से उनका व्यवहार भी इतना कोमल और मृदुल था, कि उनको सभी का स्नेह भी खूब मिलता था। लोग बाकी लोगों से छल कपट कर लेते थे, लेकिन माँ से नहीं। इसलिए उनको मालूम था कि वहाँ उपस्थित सभी लोग उनके शुभचिंतक ही हैं।

“एक ठो डिठौनवा भइया के छुन्नियवा पै लगाय दियौ!”

यदि किसी को लग रहा था कि वो महिला यह काम नहीं करेंगी, तो उनको गलत लग रहा था। उन्होंने फिर से अपने आँख के काजल का एक और कतरा पोंछा, और मेरे लिंग पर एक टीका लगा दिया। और फिर लिंग को अपनी उँगलियों से नोंच कर उसका चुम्बन भी ले लीं!

“लेट न जायौ!” किसी ने फुसफुसाते हुए कहा।

“मुँहझौंसी! हमार बिटवा आय!” उन्होंने नाराज़ होते हुए कहा।

“दीदी,” एक अन्य अभिलाषी महिला बोली, “लल्ला का करधनिया पहरावा करौ - हम तौ सबका पहिरावा है - हमार बेटवा, बिटिया, बहुरिया, पोता - सबका! सही मा, ऐसे तो लल्ला का नजर लागिन जइहै!”

और बिना किसी उत्तर के इंतज़ार के वो उठीं, बाहर गईं, और दरवाज़े पर खड़ी होकर अपनी बेटी को आवाज़ लगाने लगीं,

“गायत्री... ओ गायत्री।”

“हाँ अम्मा!” बहुत धीमी सी आवाज़ आई।

“अरे ऊ एक ठो करधनिया लिहे आवो हियाँ। जल्दी से।” कह कर वो वापस आ गईं।


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विशेष उल्लेख : कहानी का यह अद्यतन kailash1982 जी के सुझावों से प्रेरित है।
शुद्ध अवधि पढ़ कर मजा आ गया भाई जी
 

Kala Nag

Mr. X
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अंतराल - समृद्धि - Update #7


लतिका का रिजल्ट आने के तीन सप्ताह बाद काजल और सत्यजीत की शादी थी।

उसके लिए हाँलाकि बहुत सारी तैयारियाँ नहीं करनी थीं, लेकिन फिर भी शादी के दिन तक का समय भागदौड़ भरा रहा। चूँकि हम शादी यहाँ दिल्ली से करना चाहते थे, इसलिए माँ भी यहीं आ गईं। माँ काजल के विवाह को ले कर बहुत उत्साहित थीं, और शादी की खरीदारी के लिए उसके साथ जाना चाहती थीं। लेकिन वो ज्यादा कुछ नहीं कर पाईं। दो छोटे बच्चों के साथ, एक लम्बे समय तक कार में बैठना बहुत कठिन काम है... ख़ास तौर पर गर्मियों में। मई-जून-जुलाई में वैसे भी दिल्ली में प्रचंड गर्मी पड़ती है। प्रदूषण के कारण वो और भी असहनीय हो जाती है। इसलिए बच्चों के साथ, गर्मी में, लम्बे समय तक - मुश्किल काम था।

फिर भी - खरीददारी तो करी गई, और भरपूर करी गई।

निःस्वार्थ सेवा भाव काजल में कुछ ऐसा था कि जब हमने उसके सामान का जायज़ा लिया, तो पाया कि उसके कपड़े सभी सामान्य ही थे। मुझे तो सच में बेहद बुरा लगा यह देख कर। मेरे घर की स्वामिनी, गृह-प्रमुख, और मेरी कंपनी की मालकिनों में एक - और केवल सामान्य कपड़े! मुझे अपने आप पर गुस्सा आया - इतना आत्मकेंद्रित होना किस काम का, अगर आपको अपने परिवार के लोगों के बारे में इतना कम पता रहे? ये सब कमाना धमाना किस काम का कि आपकी कंपनी के मालिक ही उस धन का आनंद न उठा सकें!
वाह एक शब्द आत्मकेंद्रीक
इस एक शब्द में भाव बहुत गहरा है
तो उसके लिए बढ़िया कपड़े और गहने खरीदने की बारी आ गई थी। काजल ने बड़ी न-नुकुर करी - उससे उम्मीद भी इसी बात की थी - लेकिन हमने ज़िद कर के उसके लिए बढ़िया बढ़िया कपड़े खरीदे। सुहागिन के रंग बिरंगे कपड़े - जो मुख्यतः साड़ियाँ थीं। माँ चाहती थीं कि काजल कुछ आकर्षक अधोवस्त्र भी खरीदें, इसलिए काजल ने उन्हें खरीदा, भले ही कुछ अनिच्छा से ही सही! हमने यह भी सोचा कि गहने खरीदने के लिए यह अवसर एक बढ़िया बहाना है, इसलिए हम गहनों आभूषणों की खरीददारी पर दिल खोलकर खर्च कर सकते हैं। काजल शुरू में झिझकी, लेकिन फिर हम सभी के कहने (बेहद अधिक ज़ोर देने) पर वो राज़ी हो गई।


**
चलो यह एक अच्छी कृतज्ञता है
पर है बहुत कम
सत्यजीत, उनके दो बेहद करीबी मित्र, उनका बेटा, बहू - बस इतने ही लोग इस ख़ास समारोह में सम्मिलित हुए थे। सत्यजीत ने कहा भी था कि उनको बहुत शोशे की ज़रुरत नहीं। हमारी तरफ़ से हम सभी, ससुर जी, और जयंती दीदी और उनका परिवार उपस्थित थे। वैसे, कोर्ट में इतने लोग भी खड़े हो जाएँ तो बहुत है। ख़ैर! काजल और सत्यजीत की शादी हमारे ही स्थानीय फॅमिली कोर्ट में शाम को करीब चार बजे हुई। शादी के लिए वो एक बहुत ही व्यस्त दिन था : शायद एक दर्जन और भी जोड़े उस दिन शादी के लिए उपस्थित थे, इसलिए उस दिन बड़े ही असामान्य रूप से भीड़ थी वहाँ। कोर्ट में शादी का मसला यह है कि शादी हो जाती है, लेकिन शादी वाली फ़ीलिंग नहीं आ पाती।

माँ ने एक समय हँसते हुए टिप्पणी करी कि मंदिर और कोर्ट में शादी करना हमारे घर की परंपरा बन गई है।

इस बात पर लतिका बोली, “बोऊ दी, मैं भी मंदिर में ही शादी करूँगी! ये कोर्ट में बहुत बोरिंग सा लगता है!”

मैंने हँसते हुए कहा, “बुआ जी, पहले ठीक से बड़ी तो हो जाइए। आपकी शादी आप जहाँ चाहें, वहाँ और जैसे चाहें, वैसे करवा देंगे!”

“पक्का न?”

“बिलकुल पक्का!”

“ओके!” लतिका ने प्रसन्न होते हुए कहा, “और मैं लव मैरिज करूँगी! जैसे आप सभी ने किया है!”

आई एक्सपेक्ट नथिंग लेस!” पापा ने उसकी बात पर मुस्कुराते हुए कहा, “लेकिन अभी अम्मा की शादी तो हो जाने दो!”

“हाँ! क्या दादा आप भी!” कह कर लतिका वापस काजल और सत्यजीत के समारोह में शामिल हो गई।
हा हा हा
बहुत अच्छे
काजल ने एक शादी के समय रेशम की नई, भारी बूटों वाली साड़ी पहनी थी। गर्मी के हिसाब से प्रतिकूल थी, लेकिन शादी पर और क्या पहनें? सत्या ने पैंट और शर्ट पहनी थी - नई और महँगी। हम सभी ने भी समारोह के अनुसार ही सुरुचिपूर्ण कपड़े पहने हुए थे। रजिस्ट्रार में अपने अपने हस्ताक्षर करने के बाद सत्या ने काजल के गले में मंगलसूत्र बाँध दिया। हम सभी ने ताली बजाकर उन दोनों का ‘मैरीड कपल’ के रूप में अभिनंदन किया।

शादी के बाद हमारे दोनों परिवारों के लिए डिनर पार्टी रात के करीब ग्यारह बजे तक चली और फिर हमने अलविदा कहा। काजल अपने नए परिवार के साथ सुबह की फ्लाइट से मुंबई रवाना होगी, इसलिए हमारे पास कल अलविदा कहने का एक और मौका होगा। हम सभी देर रात घर पहुँचे और बहुत थके हुए थे।

घर पहुँचते ही हम बिस्तर पर ढेर हो गए। अगली सुबह, केवल मैं, पापा और लतिका हवाईअड्डे गए। माँ भी आना चाहती थीं, लेकिन काजल और पापा ने उनको रुकने, सोने की कोशिश करने, और बच्चों की देखभाल करने के लिए कह दिया था। वैसे भी मुंबई जा कर काजल से मुलाकात होनी ही थी। हमने सत्या और काजल को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और फिर वापस घर लौट आए। एक बहुत ही व्यस्त सप्ताह समाप्त हो गया था, और हम अगले सप्ताह कुछ आराम करना चाहते थे।


**
तो विवाह और विदाई हो ही गई
अब अमर की जीवन में बहुत बड़ा शून्यता पसर जाएगी
ऐसा मुझे लगता है
अपनी नई दुल्हन के साथ ‘लम्बी सुहागरात’ मनाने के लिए सत्यजीत ने दोपहर में ही प्रीतिभोज करने की योजना बनाई हुई थी।
ओ तेरी
बड़े उत्तम विचार
सप्ताह के बीच का दिन था, और दिन का प्रीतीभोज था, लेकिन फिर भी, हैरानी वाली बात थी कि जितने भी मेहमान आमंत्रित किए गए थे, वो सभी लोग इसमें उपस्थित थे। कारण? बस एक - सत्यजीत को हर कोई पसंद करता था। सत्यजीत एक नेक, और दयालु व्यक्ति थे और जब भी वे कर सकते थे, हर किसी की यथासंभव मदद करने की कोशिश करते थे। लोग उनके दयालु स्वभाव के लिए उनका सम्मान करते थे, और उन्हें पसंद करते थे। जब उन्हें सत्या की शादी के बारे में पता चला, तो सभी लोग वास्तव में उनके लिए बहुत खुश हुए। और जब काजल जैसी सुन्दर स्त्री को उनकी पत्नी के रूप में लोगों ने देखा, तो वो सभी और भी प्रसन्न हुए। कोई आश्चर्य नहीं कि सत्या और काजल के लिए बधाइयों का ताँता लग गया।

दावत शाम तक चली, लेकिन शायद सत्या को उम्मीद थी कि ऐसा ही होगा। कोई सात बजते बजते सत्या और काजल प्रीतिभोज स्थल से निकल गए, और अपने घर चले गए। और अंत में, वे दोनों अपने शयनकक्ष में अकेले थे।
हम्म्म
यह सुहाग रात वाला भाव कुछ अलग होता है
कुछ ऐसा के कलम भी हार जाए
काजल को अपने आलिंगन में लेकर सत्यजीत ने उसका मुँह चूम लिया।

“मिसेस मुळे, तुम्ही आनंदी आहात का?” उसने बड़े प्यार से, बड़ी उम्मीद से पूछा।

“बहुत खुश... बहुत बहुत खुश!” काजल सत्या की बात पर मुस्कुराई।

वाकई, सत्या को अपने पति के रूप में पा कर वो बहुत खुश थी। जो सभी गुण उसक अपने पति में चाहिए थे, उससे अधिक गुण सत्या में थे। और भी एक बात थी - और वो थी प्रेम!

तुम्हाला माहीत आहे... मैं आज के दिन का... इस पल का... इंतजार कर रहा था... तब से, जब मैंने आपको पहली बार देखा था।” सत्यजीत ने काजल को बड़ी आसक्ति से देखा, “देवा! आप बहुत सुंदर हैं!”

काजल ने सत्या की आवाज़ में अपने लिए चाह साफ़ साफ़ सुनी। उसकी आवाज़ में उत्तेजना वाला कम्पन था।

जब काजल मेरे साथ संसर्ग में आई थी, तो बहुत सहज थी। मेरे घर में रहने के कारण वो मुझको बहुत ऑब्ज़र्व कर सकी थी। सत्यजीत भले ही एक बहुत अच्छा इंसान था, लेकिन उसके साथ काजल को अभी भी काफी अपरिचितता थी। छोटी छोटी डेट्स में वो उसके व्यवहार और स्वभाव की झलकियाँ ही देख पाई थी। वो स्त्रियों के साथ कैसा था, उसको ज्ञात नहीं था। पहली पत्नी के साथ उसका पत्नीव्रत व्यवहार - उससे काजल आंतरिक रूप से बहुत खुश थी कि सत्या एक अच्छा आदमी था। लेकिन उसकी अंतरंग इच्छाएँ क्या थीं, अब खुलने वाली थीं। वैसे भी अभी रात के कोई आठ ही बजे होंगे - ऐसे में घर के सभी सदस्य और एक दो मेहमान भी उनके कमरे के बाहर होंगे। ऐसे में सुहागरात! और इसलिए काजल थोड़ा और भी असहज थी।

“मिस्टर मुळे... अब मैं आपकी बीवी हूँ।” काजल ने अदा से कहा, “अब तो मुझे ‘आप’ कह कर न बुलाइए!”

वो मुस्कुराया, “आज की रात हम बहुत मज़ा करेंगे।” उसने आँख मारते हुए कहा।

काजल शरमा गई, ‘हाँ! आज की रात तो वास्तव में मज़े वाली रात है।’
सुहाग रात की यही विशेषता है
दुल्हन शर्माती जरूर है
सत्या ने दो पल कुछ नहीं कहा, फिर कमरे में रखे लवसीट पर बैठते हुए काजल से फ़रमाइश करी, “मेरी जान, फ़्रिज में एक वाइन रखी है। ज़रा उसका एक गिलास दोगी मुझे?”

“वाइन? मिस्टर मुळे... मुझे तो लगता था कि आप एक धार्मिक आदमी हैं।” काजल ने सत्या को छेड़ा।

“मेरी जान, ये तो भगवान ही जानते हैं कि मैंने अपनी ज़िन्दगी में केवल दो तीन बार ही वाइन पिया है, और वो भी केवल ख़ुशी के मारे!”
ओ तेरी वाइन
काजल को यह सुन कर संतोष हुआ। मैं भी तो ख़ुशी के मौकों पर पीता था; वैसे आज कल थोड़ा अधिक होने लगा था। लेकिन फिर भी उसने सत्या को छेड़ा,

“मिस्टर मुळे, अभी आपकी बीवी की जवानी इतनी नहीं ढली कि आपको वाइन का सहारा लेना पड़े!”

“वो तो है ही... लेकिन, आज तो हमारी सुहागरात है न? और आज के दिन तो अपने आदमी को अपनी इच्छा के हिसाब से आनंद लेने दीजिये?”

“मिस्टर मुळे, क्या चल रहा है मन में आपके?” काजल शरारत से मुस्कुराई, “अपने मन को शांत कीजिए... आप दादा जी हैं, और मैं दादी जी हूँ।” काजल ने सत्यजीत को छेड़ा।

“मिसेज़ मुळे, ज़रा एक बात तो बताइए मुझे... बिना मेरा बीज अपने गर्भ में पाले, आप मेरे बच्चों की दादी कैसे हो सकती हैं?”

“मिस्टर मुळे, आज की रात उसी के लिए ही तो है!” काजल बड़ी अदा से बोली, “आज से आप जब चाहें मेरे गर्भ को अपने बीज से भर सकते हैं!”
भाई यह बहुत जबरदस्त है
काजल मुस्कुराई और थोड़ी वाइन एक ग्लास में उड़ेल कर उसके पास ले गई। सत्यजीत तो उत्तेजित था ही, लेकिन इस छोटी सी अंतरंग छेड़खानी ने उसे भी उत्तेजित कर दिया था। वर्षों से अविवाहित जीवन व्यतीत करने के बाद वो अपनी नव-विवाहिता वाले दर्ज़े को अपने और अपने पति दोनों के ही लिए सार्थक बना देना चाहती थी।

जब वो वापस आ रही थी, तब सत्यजीत की आँखें उसके सीने पर जमी हुई थीं। काजल भी अपने तेजी से उत्तेजित होते हुए चूचकों पर सत्या की निगाहें महसूस कर सकती थी। गिलास को काजल के हाथ से लेते हुए सत्या मुस्कुराया।

“थैंक यू, मेरी जान!” सत्यजीत ने कहा।

प्रथम सम्भोग की प्रत्याशा में काजल के चूचक सख्त हो गए थे। सत्या ने वाइन का एक बड़ा सा घूंट लिया, और काजल के स्तनों को देखते हुए मन ही मन कल्पना करने लगा कि उसका सख़्त लिंग काजल की नर्म गर्म योनि में पूरी तरह पैवस्त है, और उसके दोनों स्तन उसके हाथों में ढँके हुए हैं। यह कल्पना वाला दृश्य और विचार बहुत ही कामुक था। ब्रह्मचर्य करते हुए एक लम्बा समय हो गया था।

उसने लवसीट पर ही जो थोड़ा सा स्थान था, उसको थपथपाया और कहा, “इधर आओ, और मेरे पास बैठो।”

काजल मुस्कुराई और उसके पास बैठ गई। अपने प्रेमी के अंक (गोद / आगोश) में बैठना बड़ा सुकून वाला अनुभव होता है। कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने पर उत्तेजना वाले भाव कम हो गए, और शुद्ध प्रेम वाले भाव उत्पन्न होने लगे। काजल बड़ी कोमलता से बोली,

“सत्या, मुझे विश्वास ही नहीं होता कि मुझे फिर से सुहागिन होने का मौका मिला... सोचा ही नहीं था... एक समय था... [इस समय काजल बेहद भावुक हो गई] ... एक समय था जब ज़िन्दगी से ही भरोसा हट गया था मेरा। न जाने कैसा समय था... हर तरफ निराशा! फिर भगवान ने कैसी कृपा धरी! न केवल मुझे, बल्कि मेरे बच्चों को भी सहारा मिला... सर उठा कर, इज़्ज़त से जीने का मौका मिला। किसी परिवार का हिस्सा बनने का मौका मिला!” अब तक काजल की आँखों से आँसू गिरने लगे थे।

उसने रुक कर अपने आँसू पोंछे, और बोली, “वो ‘सेकंड चाँस’ कर के बोलते हैं न? मैं सोचती थी कि बड़ी किस्मत वालों को ही मिलता है वो! अमर को मिला... बहू को मिला... और मैंने देखा है कि वो कैसे लोगों की ज़िन्दगी में बहार ले कर आता है। ... इसलिए... मेरे प्यारे सत्या... मुझे प्यार का सेकंड चाँस देने के लिए बहुत बहुत थैंक यू!”

“काजल, बेवक़ूफ़ मत बनो।” सत्यजीत भी काजल की बातों से भावुक हो गया था, “मेरी किस्मत है कि मैं आपके साथ हूँ! कि मेरी शादी आपसे हुई है! इसलिए थैंक यू तो मुझे बोलना चाहिए!” उसने कहा, और काजल को अपनी मजबूत बाहों में ले कर, उसे कस कर पकड़ लिया।

सत्या की बाहों में आ कर काजल थोड़ा रिलैक्स हुई। वो सत्या की तरफ़ झुक गई - उसकी पीठ सत्या के सीने की तरफ थी, और उस स्थिति में वो सत्या के ऊपर ही एडजस्ट हो गई। सत्या ने अपनी बाहें उसकी कमर पर लपेट दीं, और काजल को अपने ऊपर ही समेट लिया। वे दोनों कुछ देर उसी स्थिति में बैठे बातें करते रहे। बातचीत के दौरान किसी समय काजल ने अपना सर सत्या के कंधे पर रख दिया। सत्या ने एक मौका पा कर काजल की साड़ी का पल्लू नीचे ढलका दिया, जिससे उसकी गर्दन उजागर हो गई। सत्या ने काजल की गर्दन और कान की लोलकी को हल्के से चूमा।

“उम्म्म्म...” काजल ने एक कोमल कूजन करते हुए कहा, और अपना सर एक तरफ कर दिया कि सत्या चूमने के लिए थोड़ा और स्थान मिल जाए।

काजल ने यह भी महसूस किया, कि सत्या के हाथ उसके ब्लाउज के बटन खोलने में व्यस्त हो गए हैं।

‘तो, समय आ ही गया है!’

हाँलाकि माँ की ही तरह काजल की ब्रा पहनने की आदत छूट गई थी, लेकिन आज के लिए उसने माँ के ही आग्रह पर क्रीम रंग की लेस वाली ब्राइडल अंडरगार्मेंट्स पहन रखी थी। माँ ने अपने अनुभव से काजल को समझाया था कि उनकी पहली रात उन दोनों के लिए सुखद और रोमांचकारी होनी चाहिए। कुछ ही देर में काजल का ब्लाउज खुल गया, और उसके ब्रा से ढँके स्तन अब सत्या के सामने प्रस्तुत थे।

सुंदर... गोल, आणि... मऊ...” सत्यजीत ने काजल के स्तनों की बढ़ाई करते हुए कहा, “... बिल्कुल मेरे सॉफ़्ट बन्स की तरह!”
उ का है कि
सुंदर और गोल समझ आया
पर मराठी नहीं आता
“हा हा हा! आपने अभी तक उन्हें देखा तक नहीं है।” काजल ने हँसते हुए कहा।

यह खुद को भोगने के लिए एक खुला निमंत्रण था, और काजल को उम्मीद थी कि ऐसा निमंत्रण पा कर सत्या उस पर झपट पड़ेगा! क्यों? क्योंकि सत्या ने पिछले पंद्रह सालों में एक बार भी सेक्स नहीं किया था। लेकिन सत्या बहुत ही धैर्यवान व्यक्ति था, और खुद के मज़े से पहले वो अपनी दुल्हन को आनंद देना चाहता था। अपनी पूर्व पत्नी के साथ रहते रहते उसने दीर्घकालीन फोरप्ले की कला भी सीख ली थी, जो उनकी पत्नी को बहुत आनंद देती थी। वो कला निश्चित रूप से काजल पर भी काम करेगी - यह सत्या को उम्मीद थी।

उसने अपने हाथों को उसके स्तनों पर फिराते हुए सहलाया, फिर प्रत्येक स्तन को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाया। काजल के चूचक लगभग पुनः ही सख्त हो गए। उसके खेलने का तरीका बड़ा रोचक था : सत्या ने बड़ी कोमलता से ब्रा के ऊपर से ही काजल के चूचकों को अपने अंगूठे और तर्जनी से पकड़ कर हलके से दबाया और पेन के जैसे रोल किया। काजल की सिसकी निकल गई। वो थोड़ा मुड़ी, और सत्या ने उसे अपनी गोद में लिटा लिया।

काजल इस समय तक बहुत उत्तेजित हो चली थी। उसे इस बात का अहसास तब हुआ जब उसने देखा कि सत्या कुछ समय से उसके नग्न स्तनों को सहला रहा है, और उसे इस बात का पता ही नहीं चला!

ते किती सुजले आहेत!” सत्या ने काजल के स्तंभित चूचकों को प्रशंसा की दृष्टि से देखते हुए कहा, “... जब अंगूर के दाने बहुत पक जाते हैं न... तब ऐसा लगता है कि वे किसी भी समय फूट जाएंगे, और अपने रस को बहने देंगे।”

सच में काजल की हालत वही थी। उत्तेजनावश उसके चूचक खड़े हो गए थे, और दो दिनों से किसी ने स्तनपान नहीं किया था, इसलिए अंदर बनने वाले दूध का दबाव भी बन रहा था। सच में किसी भी क्षण उसके अंगूर के दाने अपना रस छोड़ सकते थे।

काजल का भी मन हो रहा था कि काश सत्या इनको अपने मुँह में भर के उनका रस पी ले। लेकिन सत्या को तो जैसे कोई जल्दी ही नहीं थी। काजल को अपनी बाहों में संतुलित करते हुए, उसने उसकी ब्लाउज और फिर ब्रा उतार दी, और फिर अपनी पत्नी के स्तनों की सुंदरता का जायज़ा लिया। माँ के समान काजल भी शारीरिक रूप से शानदार शेप में थी। पैंतालीस की हो चुकने के बावजूद उसके स्तन ढीले नहीं हुए थे, और ब्रा के बिना भी अपने आकार को बनाए रखने में सक्षम थे। उसके स्तनों की दोनों गोलाईयाँ बड़े मोहक, और गहरे भूरे लाल रंग के चूचकों और एरोला से सुसज्जित थीं।

सत्यजीत अवाक होकर अपनी पत्नी की सुंदरता का रसपान कर रहा था।

“आप तो अपने नाम की तरह ही बहुत सुंदर हैं, मिसेज़ मुळे!”

उसने कहा और बारी बारी से काजल के दोनों चूचकों को चूमने लगा।

काजल गर्व से मुस्कुराई।

उधर सत्यजीत भी बड़ा गर्वित था कि उसकी नई पत्नी इतनी सुन्दर है, और उसने इस सुन्दर सी स्त्री से ‘प्रेम विवाह’ किया था! सब कुछ एक चमत्कार जैसा था। थोड़ा ज़ोर लगा कर चूसने से चूचकों का बाँध टूट गया और सत्या का मुँह अपनी पत्नी के मीठे रस से भर गया। दूध का स्वाद आते ही उसकी आँखें आश्चर्य से गोल हो गईं! उसको काजल की बात अभी तक मज़ाक ही लग रही थी। भला किस स्त्री को संतानोत्पत्ति के इतने समय बाद भी दूध आता होगा? भला कौन स्त्री अपने इतने बड़े बच्चों को दूध पिलाती होगी? वो यह सोचता तो था - क्योंकि काजल की बात पर उसको यकीन नहीं हुआ। लेकिन अब संदेह का कोई कारण ही नहीं था - लेशमात्र भी नहीं!

“आह... कितना मीठा!” उसने तृप्त भाव से आस्वादन लेते हुए कहा, “मुझे रोज पिलाया करो मेरी जान!”

“आप जब चाहो! किसने रोका है?”

सच में! किसने रोका है? इस सुन्दर स्त्री का हर खज़ाना अब उसका है!

काजल की बात सत्यजीत के कानों में वह संगीत जैसी लगी। जब वो स्तन खाली हो गया, तब काजल ने धीरे से अपने पति के सर को अपने दाहिने स्तन की ओर खींचा। सत्या समझ गया कि क्या करना है, और उसने मुँह खोल कर दूसरे चूचक को पीना और चूसना शुरू कर दिया। दूध पीते हुए वो काजल को छेड़ भी रहा था! उस छेड़खानी की गुदगुदी से काजल की उन्माद भरी आहें निकल रही थीं। जब दोनों स्तन पूरी तरह से खाली हो गए, और जब वो स्तनपान से संतुष्ट हो गया, तो उसने काजल के मुख को चूमा,

“काश मैंने तुम्हें पहले पाया होता।”

“अभी भी बहुत देर नहीं हुई है!” काजल मुस्कुराई।

“नहीं! नहीं हुई है! लेकिन...” सत्या अपनी बच्चों जैसी इच्छाओं को दबाने की कोशिश में मुस्कुराया, “... वो क्या है कि...”

“क्या हुआ मेरी जान? आपके मन में जो कुछ है, आप मुझसे खुल कर नहीं कह सकेंगे, तो फिर मेरा क्या काम?” काजल ने सत्या को दिलासा देते हुए कहा।

सत्यजीत मुस्कुराया, “वो क्या है कि... मैं सोच रहा था कि एक और बच्चा...?”

“आपको एक और बच्चे की चाहत है?”

सत्या ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

काजल का दिल भर आया। माँ को दो बार पुनः माँ बनते देख कर उसका भी मन होने लगा था, और सत्या के साथ उसने भी इस सम्भावना के बारे में सोचा अवश्य था।

“तो फिर मिस्टर मुळे, आज से ही कोशिश करनी शुरू कर देनी चाहिए हमको!” जिस अदा से काजल ने कहा उससे सत्यजीत का लिंग फड़कने लगा।

“मैं आपसे कोई वायदा तो नहीं करूँगी... लेकिन इतना ज़रूर कहूँगी कि अभी भी मुझे बच्चे हो सकते हैं! ... और अगर नहीं भी हुए, तो क्या हुआ? हमारे दो बेटे हैं ही न? उनके भी बच्चे हैं! और फिर कुछ सालों में मेरी बेटी की भी शादी हो जाएगी, और उसके भी बच्चे होंगे। इसलिए आप बहुत सोचिए नहीं! हमारा एक बड़ा सा परिवार होगा!” काजल ने कहा, और बड़े प्यार से सत्या के गाल को सहलाया।

“आप सही कह रही हैं... अभी तक मैं यह सोच नहीं रहा था... लेकिन जब मैंने ये दूध निकलते देखा, तो यह इच्छा मेरे पूरे मन में छ गई है!”

“फिर क्या,” काजल ने उसके होठों को चूमा, और बोली, “मुझसे जम कर प्यार करिए... क्या जाने! हम दोनों के भाग्य से बच्चे भी हो सकते हैं... चमत्कार तो होते ही रहते हैं... और ये कोई इतनी बड़ी बात नहीं!”

सत्या काजल की बात सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ।

“क्या आप सच में सभी बच्चों को दूध पिलाती हैं?” सत्या ने उत्सुकतावश पूछा।

उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया, “आपको मेरी बात झूठी लगी थी क्या मिस्टर मुळे?”

“नहीं नहीं! लेकिन सच में, यकीन नहीं हुआ कि इतने सालों तक...” बात उसने अधूरी ही छोड़ दी।

“मुझे भी नहीं होता था... लेकिन जब बहू के यहाँ रहने लगी थी तब उसके कहने पर सुनील और पुचुकी को पिलाना शुरू किया। बच्चे पीते रहे, और दूध बनता रहा। फिर मिष्टी भी शामिल हो गई! उसको देख कर मुझे अपनी बच्ची की ही याद हो आई! कैसे न पिलाती उसको? ... और फिर अब तो बहू को भी...”

“हा हा! गज़ब है यार! सच में!”

“क्या? कि मैं बहू को अपना दूध पिलाती हूँ?”

“हाँ वो भी...” उसने काजल के एक चूचक को सहलाया, “और एक मेरी बहू है... वो पोते का दूध छुड़ाने का सोच रही है!”

“ये तो बहुत जल्दी है...”

“कह रही थी कि दूध पिलाती रहेगी तो फिर से माँ बनने में दिक्कत होगी!”

“क्या? हा हा! अभी कुल जमा बीस की ही हुई है, और वो यह सोच रही है कि उसको आगे दोबारा माँ बनने में दिक्कत होगी!” काजल हँसने लगी, “और यहाँ मेरी बहू चालीस के ऊपर हो कर फिर से माँ बनी... और मैं पैंतालीस की हो कर आपको बाप बनाने की सोच रही हूँ! और वो... कौन समझाया उसको यह सब?”

“उसकी आई ने कहा होगा! और कौन समझाएगा यह सब? हमारे घर में केवल मर्द ही हैं, और हम ऐसी बातें थोड़े ही कहेंगे उससे!” सत्या ने एक सेकंड के लिए सोचा और कहा, “बहू को थोड़ा समझाओ न!”

“किस बारे में?”

“यही की बच्चों को दूध पिलाते रहना चाहिए।”

“हम्म... लेकिन वो मेरी बात क्यों सुनेगी?”

“क्योंकि तुम उसकी सास हो...?”

काजल ने कुछ पल सोचा और बोली, “मेरे प्यारे पतिदेव जी, यह ‘सास’ वाली बात उस पर नहीं चलेगी... वो जब इस घर आई थी, तब इस घर में कोई औरत नहीं थी... कोई सास नहीं थी... तो वो इस घर की मालकिन बन कर आई। तो मैं उसकी सास जैसी तो हूँ, लेकिन सास नहीं... उसके साथ मेरा रिश्ता भी नया है, और मैं बाहर से भी आई हूँ!”

काजल ने थोड़ा रुक कर कहा, “इसलिए मैं उसकी सास तो नहीं बन सकती... लेकिन हाँ, अगर मैं आपके बेटे... आपके बेटे की माँ बन सकूँ... और... बहू की सहेली जैसी माँ बन सकूँ...” काजल बोली और रुक कर सत्या की ओर एक नज़र डाली कि उसकी बात का क्या प्रभाव हुआ है, “... तो शायद मैं उसको समझा सकूँ!”

सत्या को यकीन ही नहीं हुआ जो उसने सुना। काजल तुरंत ही न केवल उसकी इच्छापूर्ति के लिए तैयार हो गई, बल्कि वो उसके परिवार के साथ एक हो जाना चाहती थी। उसकी नई पत्नी उसके बेटे को अपने बेटे के रूप में स्वीकार करना चाहती है। बहुत अच्छा था!

“थैंक यू, काजल। बहुत बहुत!” सत्या ने भावातिरेक से कहा, और उसके मुँह को चूम लिया।
भाई पता नहीं पर मन में एक सवाल है
पैंतालीस बरस के उम्र में बच्चे संभव है
 

Kala Nag

Mr. X
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अंतराल - समृद्धि - Update #8


“आपको मुझे थैंक यू कहने की ज़रूरत नहीं है, पतिदेव जी! मैं आपके पास केवल प्यार के लिए आई हूँ... यह प्यार ही है जिसे मैं आप सभी को देना चाहती हूँ, और प्यार ही है, जिसे मैं पाना चाहती हूँ!” काजल ने बड़ी ईमानदारी से कहा, “भगवान ने मुझे अब तक बहुत कुछ दिया है...”

यह बोलते बोलते वो फिर से भावुक हो गई, “मैं जहाँ से आई हूँ, वहाँ से यहाँ तक पहुँचना भगवान की कृपा से ही संभव हो सका है।”

काजल रुकी, और फिर कुछ सोच कर आगे बोली, “और जब मैं अपनी ज़िन्दगी के बारे में सोचती हूँ, तो लगता है कि मैंने जो कुछ भी पाया है, वो केवल इसलिए है क्योंकि मैंने अपना प्यार दिया... बिना किसी शर्त... और उसके बदले में मुझे इतना सब कुछ मिला... भरा पूरा परिवार और ढेर सारा प्यार!”

सत्या ने काजल की बात समझते हुए सर हिलाया।
बहुत ही जबरदस्त कहा
प्यार दिया बिना शर्त
काजल ने कहना जारी रखा, “बारह साल पहले मैं क्या थी? कुछ भी तो नहीं! मेरी पहचान क्या थी? बस एक घरेलू नौकरानी की! मैं दूसरों के लिए खाना पकाती थी, दूसरों के घरों में साफ़ सफाई करती थी। ज़िन्दगी को लेकर बहुत कड़वाहट आ गई थी मन में... बहुत अधिक कड़वाहट... न जाने क्या करती मैं! मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ, भगवान से यही पूछती। हमेशा! मेरे माँ बाप ने मुझे पढ़ने नहीं दिया… फिर मेरी शादी एक लम्पट आदमी से कर दी गई… न काम न पैसा! यह सब कितना गलत था! तब तक मेरी ज़िन्दगी में केवल दो अच्छी चीजें हुई थीं - मेरा बेटा और मेरी बेटी!”

काजल की आँखों की कोरों से आँसू लुढ़कने लगे, लेकिन उसने कहना जारी रखा, “फिर अचानक ही भगवान की ऐसी दया हुई कि क्या कहूँ! एक फ़रिश्ता आया मेरी ज़िन्दगी में! ... उसने मेरे लिए... मेरे बच्चों के लिए सच्ची भावना दिखाई। अमर वो पहला आदमी था जिसने मेरे साथ नौकरों जैसा व्यवहार नहीं किया। उसने मेरे साथ केवल सम्मान के साथ, प्यार के साथ व्यवहार किया... मुझे अपने बड़े का मान दिया... ज़िन्दगी में पहली बार मुझे एक सुरक्षित जगह मिली थी। हाँ - मैं काम करती थी वहाँ, लेकिन सच में, वो घर था मेरे लिए। जब यह एहसास हुआ मुझको, तब मैंने अमर को निःस्वार्थ प्यार देने के बारे में सोचा।”
यह अमर के लिए बहुत बढ़िया कंप्लीमेंट है
सत्या ने यह तो बिलकुल ही नहीं सोचा होगा कि उसकी ‘सुहागरात’ काजल की स्मृति-पथ वाली यात्रा बन जाएगी। लेकिन एक समझदार और धैर्यवान पति की तरह उसने काजल को अपने मन की बातें कहने दीं। सेक्स तो कभी भी हो सकता है, लेकिन पति और पत्नी के बीच में प्रेम और सौहार्द भरा वार्तालाप होना आवश्यक है।

“फिर अमर के माँ बाप मिले… उन्होंने मुझे ऐसे सम्हाला कि सच में मैं उनकी बेटी हूँ! कितना प्यार दिया उन्होंने! और हमको हर तरह की सहूलियत दी। मेरे माँ बाप का मुझ पर कोई हक़ नहीं। सही मायने में ये दोनों मेरे माँ बाप थे। मैंने भी उन्हें अपने माँ बाप से अधिक प्यार किया। पहले दिन से वो मेरा संसार बन गए।”

सत्या ने बड़े प्यार से, जैसे धाढ़स बँधाते हुए काजल के हाथों को थाम लिया। लेकिन काजल जैसे किसी ध्यान मुद्रा में थीं। वो उन पुराने दिनों के बारे में सोचकर मुस्कुराई, “मेरे बच्चे उनके प्यार के कारण पढ़ सके! स्कूल में, मोहल्ले में, समाज में... इज़्ज़त से खड़े हो सके!”

अचानक ही उसकी मुस्कान गायब हो गई, “... लेकिन हर अच्छे लोगों के साथ अच्छी चीजें ही नहीं होती हैं। जब बाबू जी की... (वो बोलने में हिचक गई) के बारे में सुना, तो लगा कि यह कोई घिनौना मज़ाक है! इस परिवार के साथ ऐसा कैसे हो सकता है? बहू के साथ ऐसा कैसे हो सकता है? उसकी उम्र ही क्या थी? विधवा जीवन कोई मज़ाक है? कैसे रहेगी वो अकेली? मैं हमेशा यही सोचती! लेकिन फिर भगवान ने मुझे बहू को एक अलग ही रोल में प्यार करने का चाँस दे दिया।”

काजल फिर से मुस्कुराई, “शायद भगवान अब चाहते थे कि मैं उसको उसकी माँ की तरह प्यार करूँ! जब सुनील ने बहू के बारे में मुझे बताया, तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतनी लकी हो सकती हूँ! मुझे माँ बनने का एक और मौका मिला था... और मैंने उस मौके को भगवान का प्रसाद मान कर स्वीकार लिया! पूरे मन से, पूरी निष्ठा से मैंने उसकी माँ बनने की कोशिश करी... और देखो, उसका फल भी तो मिला न! मुझे दादी बनने का भी सुख और मान मिला! मेरा खानदान आगे बढ़ा!”

हाल के सालों की सभी अच्छी बातों को याद करते हुए काजल मुस्कुराई, लेकिन ऐसा होने पर भी उसके आँसू बहने लगे, “और फिर आप मिले! आप भी तो इसी कारण से मिले... तो मेरे पास देने के लिए बस प्यार ही है, और पाने के लिए भी!”

“मेरी जान, मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ! ... और मुझे यकीन है कि मेरे बेटा और बहू भी आपको माँ जैसा ही प्यार करेंगे!”

“पतिदेव जी, इतना मत सोचिये! माँ बनना कोई आसान बात नहीं है। बहुत सारा त्याग करना पड़ता है!” काजल ने खुद को सम्हालते हुए कहा।

“मालूम है जी... लेकिन क्या आप अपनाओगी मेरे बच्चों को, काजल?” सत्या ने उत्साह से और उम्मीद से पूछा, “वो भी तो सुनील जैसा ही है! प्लीज उसको भी माँ का प्यार देना! बेचारा... अभी तक उसने अपनी माँ के प्यार को नहीं जाना है।”

“मुझे पता है... और आप चिंता मत करिए! अब मैं आ गई हूँ न? भगवान के आशीर्वाद से मैं आपके घर में कुछ और खुशियां लाने की कोशिश करूँगी!”

“ओह काजल!” सत्या ने भावविभोर हो कर काजल को गले से लगा लिया और उसे चूम लिया। काजल ने भी उस चुम्बन का समुचित उत्तर दिया।

फिर थोड़ी देर के चुम्बन के बाद, “आप अभी तक थके नहीं हैं मिस्टर मुळे?” उसने पूछा।

“क्यों? ऐसा क्यों पूछा?”

“इतनी देर से मैं आपकी गोद में लेटी हुई हूँ।”

“सबसे पहली बात, आप भारी नहीं हैं, मिसेज़ मुळे! दूसरी बात, मुझे आपको ऐसे अपनी बाहों में भर के रखना अच्छा लगता है।” सत्या ने उसके चूचकों को सहलाया और आगे कहा, “और... अभी के लिए आप मेरे ऊपर हैं... और... कुछ देर बाद मैं आपके ऊपर हो जाऊँगा!”

“हैं?” काजल ने हैरान होते हुए कहा, “वो क्यों?”

“आपको भारी जो करना है!” कह कर सत्या ने आँख मारी।
हा हा हा
ग़ज़ब
काजल शर्म से लाल हो गई, और इतनी देर में पहली बार उसने अपने शरीर की नग्नता का जायज़ा लिया। सत्या ने उसको ऐसे देखते हुए देखा। काजल मुस्कुराई। बेहद शर्म से!

“इतने में ही, मिसेज़ मुळे” सत्या ने बड़े ही सड़कछाप अंदाज़ में कहा, “अभी तो पूरा नंगा होना बाकी है!” उसने काजल की साड़ी की प्लीट्स को उसके पेटीकोट के अंदर से खींचते हुए कहा।

“बुढ़ापे में ऐसी बदमाशियाँ, मिस्टर मुळे?”

“थोड़ी देर में दिखाता हूँ अपना बुढ़ापा,” सत्या ने कहा और फिर से आँख मारी।

काजल खिलखिला उठी।

उधर सत्या भले ही वो पहले भी मन ही मन काजल के फिगर का अनुमान लगाता था, लेकिन रेशम की साड़ी उतर जाने के बाद अब वो काजल की पतली कमर और उसके कूल्हों के उभार और लोच की बेहतर सराहना कर सकता था। उसमें फिर से कामेच्छा जाग उठी। उसने उसके पेटीकोट की डोरी खोली, और कपड़े को नीचे सरका दिया। अब काजल उसकी गोद में लगभग नग्न लेटी हुई थी : उसने केवल अपनी क्रीम रंग की लेस वाली पैंटी पहन रखी थी।

“ओह, तुम बहुत सुंदर हो, काजल! बहुत खूबसूरत।” इस रात में पहली बार सत्या की आवाज उत्तेजनावश काँप उठी।

उसने पूरे जोश में अपने होंठों को काजल के होंठों से लगाया, और बड़े जोश से उसे चूमा। चूमते हुए उसने अपना हाथ काजल के स्तनमर्दन करने में व्यस्त कर दिया। उसे चूमते हुए ही सत्या ने अपनी तर्जनी और मध्यमा उंगलियों के बीच उसके सख्त हो रहे चूचक को निचोड़ा। जैसे ही सत्या की दोनों उँगलियाँ काजल के चूचक पर दबते हुए आपस में सटी, काजल की आँखें किसी मदमत्त हुई स्त्री की भाँति फड़कने लगीं और बंद हो गईं। दूसरे चूचक की ऐसी किस्मत नहीं थी। सत्या ने उसके दूसरे को सहलाते हुए, उसको उँगलियों के अग्र भाग से पकड़ कर बाहर की ओर खींचा। काजल ऐसी सिसकी कि जैसे उसको करंट लग गया हो। सत्या समझ गया कि उसकी हरकतें काजल को बहुत पसंद आ रही हैं।

उसने अपना हाथ उसके पेट पर सरकाते हुए नीचे की ओर बढ़ाया। उसका हाथ काजल की पैंटी के ऊपर पहुँच कर रुक गया। उसकी उंगली पैंटी की इलास्टिक पर रुक गई और उसकी हथेली काजल के पेट के सौम्य उभार को ढँक ली। कुछ देर उसने काजल की तेजी से चलती साँसों के कारण उसके पेट में उठने वाली थरथराहट को महसूस किया, और फिर हथेली को आगे की सैर पर बढ़ा दिया। लेकिन इस बार उसका हाथ काजल की पैंटी के अंदर आगे बढ़ रहा था। बहुत धीरे धीरे। जैसे ही उसने काजल की योनि की फाँक के आरम्भ को महसूस किया, उसका हाथ रुक गया।

उसने हाथ बाहर निकाल कर काजल की टाँगें खोलीं, फिर अपनी हथेली को वापस उसकी पैंटी के अंदर डाल कर अपनी उंगली को उसकी योनि के होंठों के बीच की फाँक पर रख दिया, और काजल के दोबारा अपनी टाँगों को बंद करने का इंतज़ार करने लगा। लेकिन काजल अपनी जाँघों को बंद करने के बजाए उनको और खोल दिया। काजल का मंतव्य साफ़ था। सत्या ने अपने अंगूठे और उँगलियों से उसकी योनि की गर्मी और नमी को महसूस किया, और अपनी हथेली से उसने उसकी योनि को सहलाया। काजल ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। काजल चाहती थी कि उसके पति को उनके प्रथम सम्भोग का सारा आनंद मिले। जैसे ही उसके हाथ ने काजल की योनि के होंठों को खोला, वहाँ की हवा में काजल की कामुक सुगंध भर गई। अब वर्जनाओं का कोई स्थान नहीं था। पैंटी उतरने का समय आ गया था। उसने बड़े ही धीरे धीरे काजल की पैंटी उतार दी। बेचारी तड़प कर रह गई। लोहा इतना गरम था कि उसको किसी अन्य आकार ने ढालने के लिए किसी चोट की आवश्यकता नहीं थी... क्योंकि लोहा इस समय पिघल रहा था।

एक बेहद लम्बे अर्से में पहली बार सत्या की बाहों में एक सुन्दर, सुगढ़, और नग्न महिला थी। उसने काजल की योनि का निरीक्षण करने में अपना समय लिया : काजल की योनि वैक्सिंग हो कर पूरी तरह से चिकनी थी, और बहुत स्वादिष्ट लग रही थी! सत्या इच्छा से भर गया था। उसने फिर से काजल की टाँगें फैला दीं, और बड़े यत्न से उसकी योनि में अपनी उंगली डालने से खुद को रोका। काजल की योनि से कामरस निकल रहा था, तो सत्या ने उसके रस को उसके भगशेफ पर फैलाया और उसे सहलाने लगा। काजल पहले से ही अपनी यौन उत्तेजना के चरम पर बैठी हुई थी। सत्या की हरकत से उसके पूरे शरीर में आनंद की अनोखी लहरें दौड़ने लगीं, और वो उसकी गोदी में उछलने लगी।

उनका सहायक कक्ष अब काजल की कामोत्तेजना की मीठी महक के साथ-साथ उसकी आनंद भरी कराहों से भर गया था। इस समय तक काजल की योनि ऐसी गीली हो चुकी थी कि रस का स्राव होने लगा था! सत्या उसी रस को अपनी उँगलियों पर लपेट कर काजल के भगशेफ से ले कर उसकी योनि के चीरे तक चलाने लगा। उसकी इस हरकत से काजल के शरीर में कामुक आंदोलन होने लगे; वो हर छेड़खानी पर उछलती और कामुकता से कूजती। वो सत्या की गोद में फिसल रही थी, और उसकी उँगलियों को स्वयं को छेड़ने के लिए और भी खोल रही थी।

सत्या ने दो उँगलियाँ सीधी कीं, और धीरे-धीरे काजल के अंदर प्रवेश करने लगा। किसी स्वतःप्रेरणा से काजल के नितम्ब स्वयं ही उठ गए, और इस कारण से सत्या को उसमें प्रवेश होने के लिए और भी स्थान मिल गया। योनि के अंदर जा कर सत्या ने अपनी उंगलियाँ ऊपर की ओर उठा कर काजल के अंदर गुदगुदी करी। उसका प्रभाव तुरंत ही सामने आ गया - काजल के कूल्हे ऊपर उठे और उसके मुँह से एक तीव्र किलकारी निकल गई। घर में शायद ही कोई हो, जिसने वो न सुना हो! सत्या ने अपना अंगूठा नीचे दबाया, और उँगलियों और अंगूठे के बीच उसके भगशेफ को दबाने और सहलाने लगा।

काजल के लिए ये छेड़खानी असहनीय हो चुकी थी। सत्या की इस नई हरकत से उसकी योनि में जैसे कम्पन होने लगा, और वो अपने चरमोत्कर्ष को प्राप्त करने लगी। काजल को अभी अपना ओर्गास्म प्राप्त किए हुए लम्बा समय हो गया था। उसका शरीर आनंदातिरेक से आ कर थरथराने लगा ; उसकी आँखें बंद हो गईं और उसका सिर शिथिलता से पीछे की ओर लुढ़क गया। कुछ समय बाद जब काजल थोड़ा शांत हुई, तब सत्या ने अपनी उँगलियाँ उसकी योनि से बाहर निकाल लीं, और वो सत्या के ऊपर ही निढाल हो गई।

कुछ देर सुस्ताने के बाद काजल ने सत्या को अपने ऊपर खींच लिया, और अपने तीव्र ओर्गास्म सुख की प्राप्ति के बाद शिथिल होने के बावजूद उसे चूमने लगी। अपने पति का कठोर लिंग उसको अपने नितम्बों पर चुभता हुआ महसूस हो रहा था। उसने सत्या को अपनी आँखों में प्रणय निवेदन की अपील लिए हुए देखा। वो निवेदन सत्या को साफ़ दिखाई दिया। ऐसा नहीं है कि सत्या को किसी निवेदन की आवश्यकता थी! वो तो कब से तैयार बैठा था। काजल को बिस्तर पर लिटाकर सत्या ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे। जैसे ही वो पूर्ण नग्न हुआ, उसका उत्तेजित लिंग काजल की तरफ बड़ी तत्परता से देखने लगा। सत्या का लिंग किसी भी तरह से कमतर लिंग नहीं था। ठीक है कि यह सुनील के लिंग जितना मोटा नहीं था और अमर के लिंग जितना लम्बा नहीं था, लेकिन वो एक बहुत ही स्वस्थ और मज़बूत लिंग था। उसके पूर्व-पति के मुकाबले तो बहुत ही संपन्न लिंग था यह! काजल संतुष्टि से मुस्कुराई, और सत्या के लिंग को अपने हाथों में पकड़ कर सहलाने लगी।

सत्या काजल से एक होने हो बेकरार था - वो तो बस यह चाहता था कि काजल को कम से कम एक बार ओर्गास्म का आनंद अवश्य मिले। इसलिए वो फोरप्ले में समय ले रहा था। लेकिन अब जबकि काजल को उसके हिस्से का आनंद मिल गया था, तो इंतज़ार करने का कोई अर्थ नहीं था। उसने खुद को काजल की जांघों के बीच समायोजित किया, उसके योनि के होंठ खोले, और उसमें प्रविष्ट हो गया। काजल के पूर्व-पति और मेरे लिंग के विपरीत सत्या के लिंग का सिरा गोल और उभड़ा हुआ था; लिहाज़ा, वो योनि-मुख को हम दोनों के मुकाबले थोड़ा अधिक फैला सकता था। काजल को मालूम था कि यह होगा - उसने प्रथम प्रहार की प्रत्याशा में एक गहरी साँस ली! दर्द की एक झनझनाहट उसकी योनि से गुज़री, लेकिन चंद क्षणों में ही वो दर्द जाता रहा। योनि मार्ग कामरस से भीग कर अद्भुत तरीके से चिकना हो चला था, इसलिए सम्भोग के दौरान कष्ट होने का चांस कम ही लग रहा था।

सत्या ने उसे प्रबल तरीके से भोगना शुरू कर दिया। काजल उससे कहना चाहती थी कि वो आराम से करे, और सम्भोग का आनंद ले! लेकिन कुछ सोच कर उसने सत्या को जैसे करने का मन था, उसको करने दिया। वो वैसे भी पिछले कई सालों से ब्रह्मचर्य का पालन कर रहा था, इसलिए उसको जिस भी तरीके से सही लग रहा था, आनंद लेने का अधिकार था। भूखे को यह समझाना कि कैसे खाना है, बेहद मूर्खता वाला काम है। इस प्रथम सम्भोग के बाद, वो दोनों बाद में अपने इस अंतरंग आनंद को जैसा चाहें, और भी आनंददायक बना सकते हैं। सत्या इतने लंबे समय से सम्भोग के अनुभव से दूर रहा था कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस मॉल-युद्ध में कितने समय तक टिकेगा। सम्भोग की गति पहले से ही तीव्र और अनियंत्रित थी। कोई दो मिनट तक तेजी से धक्के लगाने के बाद उसको अपने अंडकोषों में वही परिचित दबाव बनता महसूस हुआ। रुकना या खुद पर नियंत्रण रख पाना मुश्किल था। वो आनंद से कराह उठा और अपनी धक्के लगाने की गति को बढ़ाता रहा। बिस्तर पर लेटे रहने के बावजूद काजल अपना संतुलन बनाए रखने में लगभग सफल रही। उसकी कोशिश यही थी कि सत्या को जितना अधिक हो सके, उतनी देर तक आनंद मिले। लेकिन शायद सत्या को दीर्घकालीन सम्भोग नहीं, बल्कि अपनी पत्नी के गर्भ में बीजारोपण की अधिक आवश्यकता थी। एक और मिनट में सत्या ने महसूस किया कि उसका चरमोत्कर्ष सन्निकट है, तो उसने अपनी गति को और भी बढ़ा दिया।

तीन चार धक्के और, कि उसका स्खलन आ गया। आनंद से कराहते हुए, उसी अनियंत्रित तरीके से वो अपने गर्म वीर्य की धाराएँ काजल के गर्भ में भरने लगा। उसको अपनी आँखों के सामने सैकड़ों छोटे-छोटे प्रकाश बिंदु फूटते हुए महसूस होने लगे। वो आनंद से कराह रहा था, लेकिन फिर भी उसका धक्के लगाना जारी रहा। उसको न जाने क्यों लग रहा था कि अभी भी उसके अंदर वीर्य की एक उदार खुराक बची हुई है। सत्या इस आंकलन में सही था : कोई दो दर्जन धक्कों के बाद वो पुनः स्खलित होने लगा, और काजल की योनि में अपने वीर्य की एक और खुराक जमा कर दी।

अब कहीं जा कर उसका संचित कोष पूरी तरह से समाप्त हुआ। लिंग का स्तम्भन पूरी तरह से समाप्त हो गया था, लिहाज़ा, उसने आखिरकार अपनी हार मान ली, और काजल के ऊपर संतुष्टि भरी शिथिलता से गिर गया। अपने सफल प्रथम मिलन के आनंद से दोनों के चेहरे दमक रहे थे। काजल ने सत्या को अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों को चूमा। उन्हें खुद को पूरी तरह से संयत करने में लगभग पांच मिनट का समय लगा। तब तक वे एक दूसरे को चूमते रहे और और एक दूसरे के शरीर को सहलाते रहे।

“मिस्टर मुळे, अभी आप खुश हैं?” काजल ने मज़ाकिया अंदाज़ में पूछा।

“बहुत खुश, मिसेज़ मुळे, बहुत बहुत खुश!”

“तो, पतिदेव जी, मैं आपको यही ख़ुशी रोज़ देना चाहती हूँ!”

“क्या सच?”

“मुच!” काजल ने हँसते हुए कहा, फिर थोड़ा रुक कर, “और मैं आपको फिर से बाप बनने का सुख देना चाहती हूँ!”

“ओह काजल... आई लव यू!”

“मी टू!” काजल मुस्कुराई, “मैं इस परिवार का हिस्सा बन कर बहुत खुश हूँ, और आप सभी की ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी करूँगी!”

“मुझे मालूम था कि आपसे शादी करना बिलकुल सही निर्णय रहेगा! थैंक यू काजल... आई लव यू!”

“मिस्टर मुळे, अभी आपको थोड़ी थकान आई है?” काजल ने फिर से मज़ाकिया अंदाज़ में पूछा।

“हाँ जी, मिसेज़ मुळे, थक तो गया!” सत्या ने भी मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, "आपको प्यार करने में बड़ी ताकत लग जाती है!"

“तो, पतिदेव जी, ताकत बचा कर रखिए... आइए आपको सुला दूँ!”

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हाँ भाई
बहुत ही बढ़िया था
भावनात्मक था
और क्या लिख पाऊँगा
 

avsji

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वाह एक शब्द आत्मकेंद्रीक
इस एक शब्द में भाव बहुत गहरा है

कई लोग होते हैं आत्मकेंद्रित। उनको इसका आभास तक नहीं होता। कम से कम अमर को समझ में आ गया है अपने बारे में ठीक से।
अभी भी उसके आदमी के रूप में परिपक्व होने में बहुत स्कोप है। परिपक्वता का उम्र से लेना देना नहीं होता - यह तो आप भी जानते ही होंगे।
सुनील उसके मुकाबले कहीं अधिक परिपक्व हो गया है, और वो भी बहुत तेजी से!

चलो यह एक अच्छी कृतज्ञता है
पर है बहुत कम

शायद काजल को चाहिए भी नहीं। उसके जितना स्वार्थविहीन पात्र इस कहानी में नहीं है।

हा हा हा
बहुत अच्छे

बच्चे और उनकी बातें!

तो विवाह और विदाई हो ही गई
अब अमर की जीवन में बहुत बड़ा शून्यता पसर जाएगी
ऐसा मुझे लगता है

खालीपन तो आएगा ही। अच्छी बात यह है कि उसके पास काम की, और दो लड़कियों की जिम्मेदारी है।
बहुत हो गया भागना - अब तो जीवन का सामना करना ही होगा।

ओ तेरी
बड़े उत्तम विचार

हम्म्म
यह सुहाग रात वाला भाव कुछ अलग होता है
कुछ ऐसा के कलम भी हार जाए

आप बताइए कि कैसा रहा सुहागरात वर्णन?
एक मित्र ने मुझे 'सुहाग-सेज का लेखक' कह कर बुलाया था कभी! :) हा हा!

सुहाग रात की यही विशेषता है
दुल्हन शर्माती जरूर है

दुल्हन को शर्माने के पैसे मिलते हैं शायद!
हा हा हा

ओ तेरी वाइन

भाई यह बहुत जबरदस्त है

उ का है कि
सुंदर और गोल समझ आया
पर मराठी नहीं आता

सॉफ्ट

भाई पता नहीं पर मन में एक सवाल है
पैंतालीस बरस के उम्र में बच्चे संभव है

चलिए - इस विषय पर एक लम्बा उत्तर दे ही देता हूँ। प्रत्येक लड़की एक निश्चित अण्डों की संख्या के साथ पैदा होती है। उसका शरीर उससे अधिक अण्डे नहीं उत्पन्न कर सकता।
जब लड़की प्यूबर्टी पर पहुँचती है, तब तक उसके शरीर में केवल पच्चीस प्रतिशत ही अंडे बचे रहते हैं, जो उसके प्रजनन काल (जो कि कोई तीस से चालीस साल चल सकता है) तक घटते रहते हैं।
पुराने समय में जब खान पान थोड़ा अभाव था, और जीवनशैली अच्छी थी (मतलब मेहनतकश जीवन), तब लड़कियों की प्यूबर्टी भी चौदह पंद्रह के बाद आती थी। मुझे याद है, मैं जब दसवीं में था, तब मेरे क्लास में तीन चार लड़कियों के ही स्तन उभरने शुरू हुए थे। और मैं दसवीं में साढ़े चौदह की उम्र में था। जाहिर सी बात है, लड़कियाँ भी मेरी ही उम्र की थीं। इस तरह से चालीस के बाद भी स्त्रियाँ प्रजनन योग्य रहती थीं! गाँव में भी अनगिनत महिलाओं के देखा है बढ़ी उम्र में माँ बनते हुए। सास और बहू दोनों को एक समय में माँ बनते देखा है।
आज कल स्थिति अलग है। अभी हाल ही में अंजलि की ऑफिस की एक मित्र की लड़की देखी - दस साल की केवल, और उसके स्तन उन लड़कियों के मुकाबले... खैर छोड़िए, नहीं तो आप मेरे बारे में न जाने क्या सोचेंगे! मैं केवल इतना कहना चाहता हूँ कि आज कल खानपान इतना rich है, और शरीर को इतना आराम है कि लड़कियाँ प्यूबर्टी जल्दी हासिल कर लेती हैं। लेकिन जीवनशैली खराब है, इस कारण से उनको मेनोपॉज़ जल्दी आ जाता है। कुछ को तो तीस के दशक में ही! क्यों न हो? शरीर देखिये आज कल लड़कियों के। मोटा थुलथुल शरीर, हार्मोन का कोई हिसाब किताब नहीं!
अब आते हैं पुरुषों पर। जाहिर सी बात है, महिलाओं के पार्टनर्स (अधिकतर उनके पति) उन्ही की उम्र के होंगे। बढ़ती उम्र के साथ साथ शुक्राणुओं की गुणवत्ता भी घटती है। और साथ ही साथ जीवनशैली वाला तर्क पुरुषों पर भी लागू है।
तो theoretically महिलाओं को पैंतालीस और उसके बाद भी बच्चे हो सकते हैं। आज कल सामाजिक रूप, और प्रैक्टिकल रूप से इसको नीचा माना जाता है। इसलिए बहुत ही कम महिलाएँ ऐसा करती हैं।

बहुत ही जबरदस्त कहा
प्यार दिया बिना शर्त

प्रेम तो बिना शर्त ही करना चाहिए। नहीं तो सौदा है।
मोहब्बत अब तिजारत बन गई है... तिजारत अब मोहब्बत बन गई है

यह अमर के लिए बहुत बढ़िया कंप्लीमेंट है

हाँ जी!

हा हा हा
ग़ज़ब

हाँ भाई
बहुत ही बढ़िया था
भावनात्मक था
और क्या लिख पाऊँगा

बहुत लिखा आपने! वैसे भी सेक्स सीन पर आप कुछ लिखते नहीं।
अगली कहानी में सेक्स कम रखूँगा। शायद रहस्य या थ्रिल पर लिखूँ।

साथ बने रहने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! :)
 

avsji

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शुद्ध अवधि पढ़ कर मजा आ गया भाई जी

जी भाई! कहानी के जरिए ही अवधी का प्रयोग कर लिया।
वरना कहाँ होता है! उम्मीद है कि कहानी पसंद आ रही है। थोड़ी अतरंगी है, लेकिन बर्दाश्त कर लीजिये! हा हा :)
 

avsji

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Happy new year avsji bhai ❤️

नए साल की आपको भी बहुत बहुत बधाईयाँ संजू भाई!
उम्मीद है कि आप सभी स्वस्थ और सुख से हैं :)
 
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