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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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Ssking

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आत्मनिर्भर - नए अनुभव - Update 8


काजल के जाने के बाद मैं फिर सो गया। जब उठा तो दोपहर हो रही थी। मैं उठ कर हॉल में आ गया, और टीवी देखने लगा। भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच वन-डे मैच चल रहा था। उस समय ढाई सौ के ऊपर रन बन जाएँ तो जीत लगभग निश्चित हो जाती थी। और जब वेस्टइंडीज़ का स्कोर दो सौ सत्तर के ऊपर चला गया, मैं समझ गया कि अब कुछ नहीं हो सकता। और फिर तेंदुलकर भी शून्य पर आउट हो गया, तो मैंने टीवी बंद कर दी। मैच का नतीज़ा मालूम हो गया था। ठीक उसी समय काजल वापस आई। उसने आने से पहले अपनी बेटी को एक शिशु-सदन में रख दिया था, जहाँ वो अपने साथ के बच्चो के साथ खेलती।

“उठ गए?” उसने कहा।

“हाँ, थोड़ी देर से उठा हुआ हूँ।”

“अच्छी बात है! मैं खाना पका देती हूँ।”

“अरे! वो सवेरे की लुची तरकारी ख़तम हो गई सब?”

“नहीं! तरकारी है। वो खाना है?”

“हाँ! खूब स्वादिष्ट थी!”

काजल ने हँसते हुए कहा, “बहुत अच्छी बात है! तुम भी बंगाली बनते जा रहे हो। रुको, मैं ताज़ी ताज़ी लुची छान कर लाती हूँ।”

कुछ देर में मैं खाना खा चुका और जबरदस्ती कर के काजल को भी खिलाया।

“काजल, तुम अपने और दोनों बच्चों के लिए भी खाना यहीं से ले जाया करो, या यहीं पर खा लिया करो न। ठीक से खाना खाना बहुत ज़रूरी है।”

“क्या बात है, बहुत प्यार आ रहा है?”

“हा हा हा! नहीं। ऐसी बात नहीं है।” फिर मैं थोड़ा गंभीर होते हुए बोला, “काजल, तुम अब से थोड़े और पैसे ले लिया करो?”

“क्यों?” काजल ने कहा, उसका व्यवहार बदलते देर नहीं लगी, “अब हम यह सब कर रहे हैं, इसलिए तुम मुझे और पैसे देना चाहते हो?”

मुझे लग गया कि कुछ गड़बड़ तो हो गई है, इसलिए मैंने कुछ कहा नहीं। रचना के साथ भी ऐसा ही हुआ था। मैं काजल को नाराज़ नहीं करना चाहता था।

“बोलो? यही बात है न? तुमको क्या लगता है? मैं कोई वेश्या हूँ?”

काजल नाराज़ तो हो गई थी। लेकिन वो उस तरह से अपनी नाराज़गी नहीं दिखा सकती थी, जैसी रचना ने दिखाई थी।

“वो बात नहीं है काजल। प्लीज मेरे पास बैठो और दो पल के लिए मेरी बात सुनो। प्लीज?”

कुछ सोच कर वो मेरे बगल बैठ गई।

“काजल, आपने मेरी जिस तरह से देखभाल करी है - कैसी बुरी हालत थी! बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहा था मैं! लेकिन आपने बढ़ चढ़ कर मेरी देखभाल करी। आपको वो सब करने की क्या ज़रुरत थी? पड़े रहने देतीं?” मैंने आवेश में आ कर यह सब कह दिया, “सच कहूँ, तो मैंने आपको मेड की नज़र से कभी नहीं देखा। आप मेरे लिए हमेशा मेरी गार्जियन जैसी रही हैं - मैं कोई रिश्ता नहीं जोड़ना चाहता, लेकिन मेरे मन में आप के लिए जो आदर है वो वैसा है जैसे कि आप मेरी मेरी बड़ी बहन, या दोस्त हैं। आप इतना कुछ करती हैं मेरे लिए, तो मुझे भी तो कुछ करना चाहिए?” मैंने कहा, “है न?”

“तुमने किया तो है! सुनील के दाखिले के लिए और उसको पढ़ाने की तुमको क्या ज़रुरत थी? तुम भी तो कर रहे हो न हमारे लिए बहुत कुछ!” काजल मेरी बात सुन कर संयत हो गई थी।

“फिर भी काजल। आपकी ज़रुरत मेरे से अधिक हैं।”

काजल मुझसे बहस नहीं करना चाहती थी, इसलिए वो बोली,

“अच्छा! तो एक काम करते हैं। एक गुल्लक ले आते हैं। उसको यहीं रखेंगे। तुमको मुझे जितना भी एक्स्ट्रा पैसा देना रहा करे, उसमे डाल दिया करो। मुझे जब भी ज़रुरत होगी, मैं उसमे से ले लूंगी। ठीक है? मेरा मरद मेरे हाथ में ज्यादा पैसे देखेगा, तो सब उड़ा देगा। उसका निकम्मापन और भी बढ़ जाएगा!” उसने स्नेह से मेरी तरफ देखा, “ठीक है?”

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया। वो मुस्कुराई। अचानक ही उसकी आँखों में ममता वाले भाव दिखे,

“तुम बहुत भोले हो, अमर!” उसने प्रेम से मेरा एक गाल सहलाते हुए कहा, “किससे मिला है ये भोलापन? माँ से या बाबू जी से?”

“दोनों से!” उनकी याद आते ही मेरे चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई।

“भगवान उन दोनों को, और तुमको हमेशा खुश रखें!”

मैं मुस्कुराया, “मिलवाऊँगा तुमको! तुम तीनों एक दूसरे को बहुत पसंद करोगे - मुझे पक्का भरोसा है।” मैंने कहा, और फिर कुछ सोचते हुए मैंने जोड़ा, “लेकिन कम से कम खाना तो यहीं से ले जाया करो, या यहीं खा लिया करो?”

“ठीक है मालिक!” काजल ने बनावटी अंदाज़ में कहा।

“मारूँगा तुमको!” कह कर मैंने उसको मारने के लिए घूँसा बनाया।

“अच्छा जी, तो घर के सारे काम भी मुझ ही से करवाओगे, मेरा दूध भी पियोगे, और मारोगे भी मुझे ही!”

“ऐसी बातें करोगी, तो मरूँगा सच में!”

“तुम किसी को नहीं मार सकते, अमर!” उसने बड़ी कोमलता से बोला, “तुम बहुत अच्छे हो। मैंने तुम जैसा कोई और आदमी नहीं देखा!”

“ठीक है, तब तो तुमको मेरे पिताश्री से ज़रूर मिलना चाहिए!”

“हाय मेरी किस्मत! काश, माँ जी से पहले मिली होती मैं उनसे!”

“हा हा हा हा हा!”

“सच में अमर!” कह कर वो बिस्तर से उठने लगी। मैंने हाथ से पकड़ कर उसको रोक लिया।

“जाने दो न,” उसने अपना हाथ छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं करी, कुछ काम ही निबटा लूँ!”

“हमेशा काम करती रहती हो! आज मौका मिला है, मेरे पास रहो!”

मैंने कहा और पलंग के किनारे पर बैठ गया। वह खड़े खड़े मुझे देख रही थी, अनिश्चित। बिलकुल अचानक ही हम दोनों के बीच की स्नेह भरी बातें, कामुक माहौल में बदल गईं। मैंने उसकी कमर पकड़कर अपने पास भींच लिया - मेरा सर उसके स्तनों के बीच में था और होंठ उसके पेट पर। मैंने उसी अवस्था में उसको चूम लिया। काजल के शरीर में एक जानी-पहचानी सी कंपकंपी उठ रही थी। मैंने ऊपर देखा, तो उसकी आँखें बंद थीं। मैंने उसकी तरफ देखते हुए ही उसकी साड़ी का पल्लू तब तक खींचा जब तक कि वह केवल अपने ब्लाउज और पेटीकोट में ही न रह गई। मैंने देखा कि उसके पेटीकोट की डोरी उसकी कमर के बाईं तरफ बंधी हुई थी! मैं उसको खोलना चाहता था, लेकिन उससे पहले मैं उसको उसके परिचित तरीके से ही नग्न करना चाहता था। मैंने उसका ब्लाउज खोलना शुरू कर दिया।

“अभी नहीं?” वो बोली।

उसका विरोध बिल्कुल भी गंभीर नहीं लग रहा था, इसलिए मैंने भी न सुनने का नाटक किया।

“सवेरे से दूध नहीं मिला!” मैंने शिकायत करी।

“इतना सब खिलाया, फिर भी तुम हमेशा भूखे हो... और तुम्हारा नुनु भी बिलकुल शैतान बच्चे जैसा हो गया है!” काजल ने मेरे शिश्न को देखते हुए कहा, “एकदम ढीठ!”

लेकिन न तो वो हटी और न ही उसने विरोध किया। मैंने जल्दी ही उसका ब्लाउज खोला और उसके कंधों से खिसका दिया।

“अम्मा बहुत सुंदर है,” मैं उसकी तारीफ़ करता हूँ - ब्रा में से उसका वक्ष-विदरण बेहद खूबसूरत लग रहा था।

“मैं तुम्हारी अम्मा नहीं हूँ,” उसने शिकायत किया।

मैंने उसकी बात पर कोई टिप्पणी नहीं की और जो कुछ मैं कर रहा था उसे करना जारी रखा।

“बिल्कुल नहीं,” इस समय मैं उसकी ब्रा खोल रहा था, “अब बस! और मत करो।” वो अपने होंठ काटते हुए बोली; उसकी आवाज़ में निश्चय का पूरा अभाव सुनाई दे रहा था।

माँ ने समझाया था कि स्त्री की अनुमति के बिना उसके साथ कुछ भी नहीं करना - लेकिन यहाँ काजल केवल शरमाती हुई लग रही थी। एक मूक अनुमति तो थी। उसके स्तन पुनः स्वतंत्र हो गए थे।

इस समय काजल थोड़ी शर्मीली सी लग रही थी। शायद इसलिए क्योंकि दिन का समय था, और उसके नंगे शरीर के सारे विवरण मुझे दिख रहे थे। लेकिन फिर भी उसकी आवाज़ में कुछ ऐसा था जिससे लग रहा था कि मैं उसके साथ जो भी कुछ कर रहा था, वो उन सभी हरकतों पर खुश थी। वह इस बात से खुश लग रही थी कि अब मैं उसको एक आकर्षक अभीष्ट महिला के रूप में देख रहा था, चाह रहा था, और उसकी प्रशंसा कर रहा था। अक्सर औरतों के स्तन ऐसे भारी भारी से होते हैं कि आपस में जुड़े / चिपके से रहते हैं, लेकिन काजल के स्तन एक दूसरे से अलग थे। उसके चूचक पिए जाने के पूर्वाभास में सीधे खड़े हुए थे। कल रात तो नहीं दिखे, लेकिन बढ़िया रौशनी में उसके एरीओला के चारों ओर छोटे छोटे उभार भी दिख रहे थे - माँ के भी ऐसे ही थे। मैंने सहज रूप से उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में लिया - शायद काजल को इस बात की उम्मीद थी, इसलिए वो मुझसे दूर नहीं गई। उसका तो नहीं मालूम, लेकिन मुझे तो अपने हाथों में स्तनों को महसूस करना बिलकुल स्वर्गिक आनंद दे रहा था। जैसे ही मैंने उसके स्तनों को थोड़ा दबाया, उसकी आँखें बंद हो गईं। कितनी सुंदर लग रही थी काजल... बिलकुल देवी की तरह!

मैं अब उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों को चूम रहा था और वो प्यार से मेरे गाल सहला रही थी। मैं बीच बीच में उसके स्तन भी पीने लगा। एक बार जब स्तनों से दूध निकलने लगता है, तो बूँद बूँद कर के टपकने लगता है। तो जब मैं उसके पेट को चूमता, तब उसके स्तनों से दूध की बूँदें मेरे सर या कन्धों पर गिरतीं! इसको कहते हैं दूध में स्नान करना! काजल भी मुझे बड़ी कोमलता से सहला रही थी - उसके स्पर्श में इतनी कोमलता थी कि मैं मन ही मन पिघल गया। यह मेरे आनंद की पराकाष्ठा थी!!!!

“बस... थोड़ा ही। ठीक है?” उसने कहा।

‘थोड़ा ही?’ क्या इस तरह के प्रेम संबंधों में कोई सीमा होती है?

काजल खुद जानती थी कि अब हमारे बीच की जो दीवार टूटी है, तो उसमें होने वाले लेन देन की सीमा अब हमारी सज्जनता ही तय कर सकती थी। ये छोटे मोटे, अनिश्चित सी सलाहें वो काम नहीं कर सकतीं। मैं उसके स्वादिष्ट दूध का आनंद उठाने लगा। उसके पूरे शरीर पर, जहाँ भी मैं चाहता था, वहाँ वहाँ मेरे होंठों की छाप लगी हुई थी। उसने न तो मुझे रोका, और न ही कोई शिकायत करी। वो खुद भी बदले में मुझ पर बेपनाह प्यार बरसा रही थी - वो कभी मेरे सर को, तो कभी चेहरे को चूम ले रही थी। यह मेरे लिए इतना भावनात्मक सम्बन्ध था कि मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे। उस शहर के अकेलेपन में काजल मेरा सहारा थी - वो मेरे लिए अब मेरा परिवार थी। सब प्रकार की भावनाएँ उभर कर सामने आ रही थीं - मेरा लिंग भी स्तंभित हो गया था, और उसको मेरे इरादों के बारे में चेतावनी दे रहा था। लेकिन काजल को जैसे उसकी परवाह ही नहीं थी। मैं उसके स्तन पीता रहा, और वो अंततः खाली हो गए। मैंने चैन भरी साँस ली, और बिस्तर पर लेट गया।

“मेरे ऊपर बैठो ... अपने पैर मेरे दोनों तरफ कर के,” मैंने उससे कहा।

“इस तरह?” काजल मंत्रमुग्ध सी मेरे ऊपर चढ़ते हुए बोली।

उसने अपने दोनों पैर मेरे दाएँ बाएँ कर लिए, और अपने घुटनों और पैरों के सहारे मेरे ऊपर बैठ गई। ‘वुमन ऑन टॉप’ जैसी पोजीशन बन गई। मैंने उसकी बाहें पकड़ कर अपनी तरफ खींचा - जैसे ही उसका चेहरा मेरे चेहरे के पास आया, उसके नितंब मेरे लिंग पर आ गए।

“हाँ, ऐसे ही!” मैंने उसके होंठ चूम लिए।

मेरी इस हरकत से वो स्तब्ध रह गई। उसने मुझे अजीब सी नज़रों से देखा।

“अमर ....” उसने कोमलता से कहा, “हमें यह नहीं करना चाहिए …”

हमारे बीच सज्जनता अभी भी बची हुई थी। उसने हल्का सा विरोध किया, जबकि उसका हाथ मेरे सीने से ले कर नीचे मेरे पेट तक फिसल रहा था। और मेरा हाथ उसके नितंबों को दबा रहा था।

“कितना बड़ा सा है तुम्हारा ... नुनु!” जैसे ही उसका हाथ मेरे लिंग पर गया, उसने कहा।

“नुनु?”

उसका पेटीकोट हमारे स्पर्श में बाधा दे रहा था, मैंने उसके निचले सर को पकड़ कर ऊपर उठा दिया, ताकि वो मुझ पर ठीक से बैठ सके।

“हाँ,” काजल प्यार से मुस्कुराते हुए बोली, “नुनु! मैं इसको प्यार से यही कहूँगी!”

मैंने उसके स्तनों का और नितम्बों का मर्दन, चुम्बन और चूषण जारी रखा। दोनों स्तन, बारी बारी। मैं उस समय तक पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। काजल भी यौन आनंद ले रही थी, हर किसी भी चीज़ से बेखबर हो कर! क्योंकि मेरा मुँह उसके कामुक शरीर के लगभग हर अंग को चूमने चुभलाने में व्यस्त था।

मेरा लिंग सीधे उसकी योनि की तरफ देख रहा था। कामुक स्त्री नग्न ही सुन्दर लगती है। इसलिए, मैंने उसकी पेटीकोट की डोरी खोल दी। उसने अचानक ही अपनी कमर पर ढीलापन सा महसूस हुआ, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती, मैंने पेटीकोट को उसके नितंबों से नीचे खिसका दिया। उसने उसे पकड़ने की कोशिश तो की, लेकिन मैंने उसे इतनी ताकत से खींचा कि काजल पीछे की ओर लगभग गिर सी गई। वो शिकायती लहजे में मुस्कुराई। मैं भी मुस्कुराया।

“अब बस! बहुत हो गए कपड़े हमारे बीच!”

“बोका!” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

काजल अब मेरे सामने पूरी तरह से नग्न बैठी थी! मैंने उसको हाथों से पकड़ कर अपनी ओर खींचा। वो मेरे सीने पर गिर गई। सब कुछ बहुत कामुक था! कामुक माहौल! उसने मुझे कुछ उत्सुकता और कुछ शरारत से देखा। मंद मंद मुस्कुराते हुए उसने मुझसे मज़ाक मज़ाक में कहा,

“अगर मैं कुँवारी लड़की होती, तो मैं अभी के अभी तुमसे शादी कर लेती!”

मैं मुस्कुराया। शायद यह वाक्य मेरे साथ सेक्स करने की इच्छा रखने का उसका अपना ही एक विनम्र तरीका था। मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि उसने मेरे होंठों पर ऊँगली रख दी, और मुस्कुराते हुए कहना जारी रखा,

“... लेकिन उसके लिए बहुत देर हो चुकी है!”

यह कह कर काजल मेरी गोद से नीचे उतर गई। मैं उसे फिर से अपनी ओर खींचने लगा, पर उसने मुझे रोक लिया,

“नहीं। रुको तो! मेरी बात तो सुन लो!”

मैंने इंतजार किया।

“तुम्हें पता है अमर, मुझे न जाने कैसे तुम्हारे सामने ऐसे.... ऐसे नंगी खड़े होने में शर्म भी नहीं आ रही है!”

मैं उसे फिर से अपनी ओर खींचने लगा।

“अरे रुको तो! बोका!” वो हँसते हुए मुझसे बोली, “प्लीज मेरी बात तो सुन लो ... मैं औरत हूँ, शादी-शुदा हूँ, इसलिए यह [उसने अपनी योनि की तरफ संकेत किया] मेरे पति के लिए है। लेकिन ... लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुमको सुख नहीं दे सकती …”

और यह कहते हुए, काजल बिस्तर पर लेट गई और उसने अपने हाथों से अपने स्तनों को जोड़ कर सटा दिया। अब दोनों स्तनों के बीच, उनके तल पर एक सँकरी सी नलिका बन गई - योनि की सुरंग के जैसी!

“यहाँ करो ... इनके बीच। तुमको मेरे स्तन पसंद भी हैं। जब तुम करोगे, तो मैं तुमको देखना चाहती हूँ!”

मैं काजल की बात का मतलब समझ गया और उसके ऊपर आ गया। मुझे इस समय सम्भोग करने की बड़ी प्रबल इच्छा हो रही थी। मुझे अब सेक्स करना ही था चाहे वो काजल के अंदर हो, या काजल के बाहर! मैंने दोनों स्तनों के बीच अपना लिंग डाला, तो उसने घर्षण और पकड़ बढ़ाने के लिए अपने स्तनों को एक साथ दबाया। मेरा पूरी तरह से तना हुआ लिंग उसके चेहरे के काफ़ी करीब था। काजल ने मेरे शिश्न को एक छोटा सा चुम्बन दिया, और मुझे अपना काम करने के लिए अपना सर हिला कर इशारा किया। फिर क्या था! मैंने स्तन मैथुन करना शुरू कर दिया। यह अनुभव मेरे लिए अपने आप में बहुत शानदार था। उसके दोनों स्तनों के बीच की सुरंग सँकरी और गर्म थी, और उसमे अपने आप में थोड़ी तैलीय चिकनाई थी, जो शायद त्वचा के प्राकृतिक तैल या फिर किसी क्रीम के कारण हो सकती है। मैंने थोड़ी देर में अपनी ले बाँध ली, और मैथुन की गति तेज़ कर दी। जैसा अनुभव योनि मैथुन में होता है, यह अनुभव उससे बहुत अलग था। लेकिन उस समय काजल के साथ यह करना ही मेरे लिए एक रोमांचक घटना थी। मैंने लगभग तीस चालीस धक्के लगाए, और उसके बाद अपने वृषणों में हलचल होती महसूस करी।

“आ... आ रहा हूँ... काजल ... आह! निकलने वाला हूँ ... ओह!” मैंने मैथुन के चरमोन्माद के पास पहुँच कर जोर से घोषणा की।

“चिंता मत करो ... बस करते रहो।” काजल ने मुझे प्रोत्साहित किया।

तो मैंने धक्के लगाने की गति कम नहीं करी। आठ दस और धक्के लगाए, और फिर फट पड़ा! मेरा वीर्य उड़ता हुआ उसके नाक, मुँह और गले पर गिरा। वो बेचारी इस तरह के हमले के लिए तैयार नहीं थी और एक तरह से चौंक गई। फिर भी उसने अपने स्तनों पर दबाव बनाए रखा, जब तक मैं कुछ और झटके लगाने के बाद पूरी तरह से मैं रुक न गया। स्खलित होने के बाद मैं पूरी तरह संतुष्ट और खुश था।

“आह! मज़ा आ गया, काजल! थैंक यू!” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “... थैंक यू! थैंक यू! थैंक यू!”

“हा हा हा! अरे बस बस!” उसने खिलखिलाते हुए कहा।

मैं लगभग दस मिनट तक बिस्तर पर पड़ा रहा - थका हुआ; और अपनी साँसों को स्थिर करने की कोशिश करता रहा। इस बीच काजल बिस्तर से उठी; उसने अपना चेहरा और शरीर के अन्य हिस्सों को धोया, और फिर वापस बिस्तर पर आ गई। मेरे बगल करवट में लेट कर वो मुझे मुस्कुराते हुए देख रही थी। सब कुछ बड़े हसीन ख़्वाब जैसा था। मैंने उसे अपनी ओर देखते हुए देखा। मैं मुस्कुराया - संतुष्ट और प्रसन्न!

“थैंक यू, काजल। थैंक यू! तुमने मेरी ज़िन्दगी बदल दी है।”

“आज पहली बार किया है?” उसने पूछा - शायद मेरा अनाड़ीपन उसको समझ में आ गया था।

“हाँ!” मैंने झूठ बोला।

वह संतुष्ट और प्रसन्न होकर मुस्कुराई, “बहुत अच्छा। कोई लड़की किसी दिन बहुत खुशनसीब होने वाली है!”

“हा हा हा!”

“सच में! और तुम्हारा नुनु भी खूब बढ़िया है। लम्बा, मोटा और मज़बूत! यहाँ ऐसा लग रहा था तो वहाँ ....” काजल जैसे खुद में ही खोई हुई कुछ भी बड़बड़ा रही थी।

“अरे तो एक बार अंदर ले कर देखो!” मैंने उसको छेड़ा।

“हा हा हा! बोका हो पूरे तुम!” मानो अपने होश में वापस आते हुए बोली।

**
बड़े भैया एक सही है मेरी भी एक टीचर थी जिससे मुझे इसी तरह अटैचमेंट हुआ मुझे भी दूध बहुत पसंद है उन्होंने मेरे साथ सब किया है सेक्स के अलावा कोई भी लड़की शादी के बाद योनि पर हक केवल पति का ही मानती है अधिकतर वो बात अलग है फिर भी संबंध बनते है पर योनि के अलावा वो अपने प्रेमी को संपूर्ण सुख देने के लिए सदैव तत्पर रहती है❤️
 

Ssking

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आत्मनिर्भर - नए अनुभव - Update 8


काजल के जाने के बाद मैं फिर सो गया। जब उठा तो दोपहर हो रही थी। मैं उठ कर हॉल में आ गया, और टीवी देखने लगा। भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच वन-डे मैच चल रहा था। उस समय ढाई सौ के ऊपर रन बन जाएँ तो जीत लगभग निश्चित हो जाती थी। और जब वेस्टइंडीज़ का स्कोर दो सौ सत्तर के ऊपर चला गया, मैं समझ गया कि अब कुछ नहीं हो सकता। और फिर तेंदुलकर भी शून्य पर आउट हो गया, तो मैंने टीवी बंद कर दी। मैच का नतीज़ा मालूम हो गया था। ठीक उसी समय काजल वापस आई। उसने आने से पहले अपनी बेटी को एक शिशु-सदन में रख दिया था, जहाँ वो अपने साथ के बच्चो के साथ खेलती।

“उठ गए?” उसने कहा।

“हाँ, थोड़ी देर से उठा हुआ हूँ।”

“अच्छी बात है! मैं खाना पका देती हूँ।”

“अरे! वो सवेरे की लुची तरकारी ख़तम हो गई सब?”

“नहीं! तरकारी है। वो खाना है?”

“हाँ! खूब स्वादिष्ट थी!”

काजल ने हँसते हुए कहा, “बहुत अच्छी बात है! तुम भी बंगाली बनते जा रहे हो। रुको, मैं ताज़ी ताज़ी लुची छान कर लाती हूँ।”

कुछ देर में मैं खाना खा चुका और जबरदस्ती कर के काजल को भी खिलाया।

“काजल, तुम अपने और दोनों बच्चों के लिए भी खाना यहीं से ले जाया करो, या यहीं पर खा लिया करो न। ठीक से खाना खाना बहुत ज़रूरी है।”

“क्या बात है, बहुत प्यार आ रहा है?”

“हा हा हा! नहीं। ऐसी बात नहीं है।” फिर मैं थोड़ा गंभीर होते हुए बोला, “काजल, तुम अब से थोड़े और पैसे ले लिया करो?”

“क्यों?” काजल ने कहा, उसका व्यवहार बदलते देर नहीं लगी, “अब हम यह सब कर रहे हैं, इसलिए तुम मुझे और पैसे देना चाहते हो?”

मुझे लग गया कि कुछ गड़बड़ तो हो गई है, इसलिए मैंने कुछ कहा नहीं। रचना के साथ भी ऐसा ही हुआ था। मैं काजल को नाराज़ नहीं करना चाहता था।

“बोलो? यही बात है न? तुमको क्या लगता है? मैं कोई वेश्या हूँ?”

काजल नाराज़ तो हो गई थी। लेकिन वो उस तरह से अपनी नाराज़गी नहीं दिखा सकती थी, जैसी रचना ने दिखाई थी।

“वो बात नहीं है काजल। प्लीज मेरे पास बैठो और दो पल के लिए मेरी बात सुनो। प्लीज?”

कुछ सोच कर वो मेरे बगल बैठ गई।

“काजल, आपने मेरी जिस तरह से देखभाल करी है - कैसी बुरी हालत थी! बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहा था मैं! लेकिन आपने बढ़ चढ़ कर मेरी देखभाल करी। आपको वो सब करने की क्या ज़रुरत थी? पड़े रहने देतीं?” मैंने आवेश में आ कर यह सब कह दिया, “सच कहूँ, तो मैंने आपको मेड की नज़र से कभी नहीं देखा। आप मेरे लिए हमेशा मेरी गार्जियन जैसी रही हैं - मैं कोई रिश्ता नहीं जोड़ना चाहता, लेकिन मेरे मन में आप के लिए जो आदर है वो वैसा है जैसे कि आप मेरी मेरी बड़ी बहन, या दोस्त हैं। आप इतना कुछ करती हैं मेरे लिए, तो मुझे भी तो कुछ करना चाहिए?” मैंने कहा, “है न?”

“तुमने किया तो है! सुनील के दाखिले के लिए और उसको पढ़ाने की तुमको क्या ज़रुरत थी? तुम भी तो कर रहे हो न हमारे लिए बहुत कुछ!” काजल मेरी बात सुन कर संयत हो गई थी।

“फिर भी काजल। आपकी ज़रुरत मेरे से अधिक हैं।”

काजल मुझसे बहस नहीं करना चाहती थी, इसलिए वो बोली,

“अच्छा! तो एक काम करते हैं। एक गुल्लक ले आते हैं। उसको यहीं रखेंगे। तुमको मुझे जितना भी एक्स्ट्रा पैसा देना रहा करे, उसमे डाल दिया करो। मुझे जब भी ज़रुरत होगी, मैं उसमे से ले लूंगी। ठीक है? मेरा मरद मेरे हाथ में ज्यादा पैसे देखेगा, तो सब उड़ा देगा। उसका निकम्मापन और भी बढ़ जाएगा!” उसने स्नेह से मेरी तरफ देखा, “ठीक है?”

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया। वो मुस्कुराई। अचानक ही उसकी आँखों में ममता वाले भाव दिखे,

“तुम बहुत भोले हो, अमर!” उसने प्रेम से मेरा एक गाल सहलाते हुए कहा, “किससे मिला है ये भोलापन? माँ से या बाबू जी से?”

“दोनों से!” उनकी याद आते ही मेरे चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई।

“भगवान उन दोनों को, और तुमको हमेशा खुश रखें!”

मैं मुस्कुराया, “मिलवाऊँगा तुमको! तुम तीनों एक दूसरे को बहुत पसंद करोगे - मुझे पक्का भरोसा है।” मैंने कहा, और फिर कुछ सोचते हुए मैंने जोड़ा, “लेकिन कम से कम खाना तो यहीं से ले जाया करो, या यहीं खा लिया करो?”

“ठीक है मालिक!” काजल ने बनावटी अंदाज़ में कहा।

“मारूँगा तुमको!” कह कर मैंने उसको मारने के लिए घूँसा बनाया।

“अच्छा जी, तो घर के सारे काम भी मुझ ही से करवाओगे, मेरा दूध भी पियोगे, और मारोगे भी मुझे ही!”

“ऐसी बातें करोगी, तो मरूँगा सच में!”

“तुम किसी को नहीं मार सकते, अमर!” उसने बड़ी कोमलता से बोला, “तुम बहुत अच्छे हो। मैंने तुम जैसा कोई और आदमी नहीं देखा!”

“ठीक है, तब तो तुमको मेरे पिताश्री से ज़रूर मिलना चाहिए!”

“हाय मेरी किस्मत! काश, माँ जी से पहले मिली होती मैं उनसे!”

“हा हा हा हा हा!”

“सच में अमर!” कह कर वो बिस्तर से उठने लगी। मैंने हाथ से पकड़ कर उसको रोक लिया।

“जाने दो न,” उसने अपना हाथ छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं करी, कुछ काम ही निबटा लूँ!”

“हमेशा काम करती रहती हो! आज मौका मिला है, मेरे पास रहो!”

मैंने कहा और पलंग के किनारे पर बैठ गया। वह खड़े खड़े मुझे देख रही थी, अनिश्चित। बिलकुल अचानक ही हम दोनों के बीच की स्नेह भरी बातें, कामुक माहौल में बदल गईं। मैंने उसकी कमर पकड़कर अपने पास भींच लिया - मेरा सर उसके स्तनों के बीच में था और होंठ उसके पेट पर। मैंने उसी अवस्था में उसको चूम लिया। काजल के शरीर में एक जानी-पहचानी सी कंपकंपी उठ रही थी। मैंने ऊपर देखा, तो उसकी आँखें बंद थीं। मैंने उसकी तरफ देखते हुए ही उसकी साड़ी का पल्लू तब तक खींचा जब तक कि वह केवल अपने ब्लाउज और पेटीकोट में ही न रह गई। मैंने देखा कि उसके पेटीकोट की डोरी उसकी कमर के बाईं तरफ बंधी हुई थी! मैं उसको खोलना चाहता था, लेकिन उससे पहले मैं उसको उसके परिचित तरीके से ही नग्न करना चाहता था। मैंने उसका ब्लाउज खोलना शुरू कर दिया।

“अभी नहीं?” वो बोली।

उसका विरोध बिल्कुल भी गंभीर नहीं लग रहा था, इसलिए मैंने भी न सुनने का नाटक किया।

“सवेरे से दूध नहीं मिला!” मैंने शिकायत करी।

“इतना सब खिलाया, फिर भी तुम हमेशा भूखे हो... और तुम्हारा नुनु भी बिलकुल शैतान बच्चे जैसा हो गया है!” काजल ने मेरे शिश्न को देखते हुए कहा, “एकदम ढीठ!”

लेकिन न तो वो हटी और न ही उसने विरोध किया। मैंने जल्दी ही उसका ब्लाउज खोला और उसके कंधों से खिसका दिया।

“अम्मा बहुत सुंदर है,” मैं उसकी तारीफ़ करता हूँ - ब्रा में से उसका वक्ष-विदरण बेहद खूबसूरत लग रहा था।

“मैं तुम्हारी अम्मा नहीं हूँ,” उसने शिकायत किया।

मैंने उसकी बात पर कोई टिप्पणी नहीं की और जो कुछ मैं कर रहा था उसे करना जारी रखा।

“बिल्कुल नहीं,” इस समय मैं उसकी ब्रा खोल रहा था, “अब बस! और मत करो।” वो अपने होंठ काटते हुए बोली; उसकी आवाज़ में निश्चय का पूरा अभाव सुनाई दे रहा था।

माँ ने समझाया था कि स्त्री की अनुमति के बिना उसके साथ कुछ भी नहीं करना - लेकिन यहाँ काजल केवल शरमाती हुई लग रही थी। एक मूक अनुमति तो थी। उसके स्तन पुनः स्वतंत्र हो गए थे।

इस समय काजल थोड़ी शर्मीली सी लग रही थी। शायद इसलिए क्योंकि दिन का समय था, और उसके नंगे शरीर के सारे विवरण मुझे दिख रहे थे। लेकिन फिर भी उसकी आवाज़ में कुछ ऐसा था जिससे लग रहा था कि मैं उसके साथ जो भी कुछ कर रहा था, वो उन सभी हरकतों पर खुश थी। वह इस बात से खुश लग रही थी कि अब मैं उसको एक आकर्षक अभीष्ट महिला के रूप में देख रहा था, चाह रहा था, और उसकी प्रशंसा कर रहा था। अक्सर औरतों के स्तन ऐसे भारी भारी से होते हैं कि आपस में जुड़े / चिपके से रहते हैं, लेकिन काजल के स्तन एक दूसरे से अलग थे। उसके चूचक पिए जाने के पूर्वाभास में सीधे खड़े हुए थे। कल रात तो नहीं दिखे, लेकिन बढ़िया रौशनी में उसके एरीओला के चारों ओर छोटे छोटे उभार भी दिख रहे थे - माँ के भी ऐसे ही थे। मैंने सहज रूप से उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में लिया - शायद काजल को इस बात की उम्मीद थी, इसलिए वो मुझसे दूर नहीं गई। उसका तो नहीं मालूम, लेकिन मुझे तो अपने हाथों में स्तनों को महसूस करना बिलकुल स्वर्गिक आनंद दे रहा था। जैसे ही मैंने उसके स्तनों को थोड़ा दबाया, उसकी आँखें बंद हो गईं। कितनी सुंदर लग रही थी काजल... बिलकुल देवी की तरह!

मैं अब उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों को चूम रहा था और वो प्यार से मेरे गाल सहला रही थी। मैं बीच बीच में उसके स्तन भी पीने लगा। एक बार जब स्तनों से दूध निकलने लगता है, तो बूँद बूँद कर के टपकने लगता है। तो जब मैं उसके पेट को चूमता, तब उसके स्तनों से दूध की बूँदें मेरे सर या कन्धों पर गिरतीं! इसको कहते हैं दूध में स्नान करना! काजल भी मुझे बड़ी कोमलता से सहला रही थी - उसके स्पर्श में इतनी कोमलता थी कि मैं मन ही मन पिघल गया। यह मेरे आनंद की पराकाष्ठा थी!!!!

“बस... थोड़ा ही। ठीक है?” उसने कहा।

‘थोड़ा ही?’ क्या इस तरह के प्रेम संबंधों में कोई सीमा होती है?

काजल खुद जानती थी कि अब हमारे बीच की जो दीवार टूटी है, तो उसमें होने वाले लेन देन की सीमा अब हमारी सज्जनता ही तय कर सकती थी। ये छोटे मोटे, अनिश्चित सी सलाहें वो काम नहीं कर सकतीं। मैं उसके स्वादिष्ट दूध का आनंद उठाने लगा। उसके पूरे शरीर पर, जहाँ भी मैं चाहता था, वहाँ वहाँ मेरे होंठों की छाप लगी हुई थी। उसने न तो मुझे रोका, और न ही कोई शिकायत करी। वो खुद भी बदले में मुझ पर बेपनाह प्यार बरसा रही थी - वो कभी मेरे सर को, तो कभी चेहरे को चूम ले रही थी। यह मेरे लिए इतना भावनात्मक सम्बन्ध था कि मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे। उस शहर के अकेलेपन में काजल मेरा सहारा थी - वो मेरे लिए अब मेरा परिवार थी। सब प्रकार की भावनाएँ उभर कर सामने आ रही थीं - मेरा लिंग भी स्तंभित हो गया था, और उसको मेरे इरादों के बारे में चेतावनी दे रहा था। लेकिन काजल को जैसे उसकी परवाह ही नहीं थी। मैं उसके स्तन पीता रहा, और वो अंततः खाली हो गए। मैंने चैन भरी साँस ली, और बिस्तर पर लेट गया।

“मेरे ऊपर बैठो ... अपने पैर मेरे दोनों तरफ कर के,” मैंने उससे कहा।

“इस तरह?” काजल मंत्रमुग्ध सी मेरे ऊपर चढ़ते हुए बोली।

उसने अपने दोनों पैर मेरे दाएँ बाएँ कर लिए, और अपने घुटनों और पैरों के सहारे मेरे ऊपर बैठ गई। ‘वुमन ऑन टॉप’ जैसी पोजीशन बन गई। मैंने उसकी बाहें पकड़ कर अपनी तरफ खींचा - जैसे ही उसका चेहरा मेरे चेहरे के पास आया, उसके नितंब मेरे लिंग पर आ गए।

“हाँ, ऐसे ही!” मैंने उसके होंठ चूम लिए।

मेरी इस हरकत से वो स्तब्ध रह गई। उसने मुझे अजीब सी नज़रों से देखा।

“अमर ....” उसने कोमलता से कहा, “हमें यह नहीं करना चाहिए …”

हमारे बीच सज्जनता अभी भी बची हुई थी। उसने हल्का सा विरोध किया, जबकि उसका हाथ मेरे सीने से ले कर नीचे मेरे पेट तक फिसल रहा था। और मेरा हाथ उसके नितंबों को दबा रहा था।

“कितना बड़ा सा है तुम्हारा ... नुनु!” जैसे ही उसका हाथ मेरे लिंग पर गया, उसने कहा।

“नुनु?”

उसका पेटीकोट हमारे स्पर्श में बाधा दे रहा था, मैंने उसके निचले सर को पकड़ कर ऊपर उठा दिया, ताकि वो मुझ पर ठीक से बैठ सके।

“हाँ,” काजल प्यार से मुस्कुराते हुए बोली, “नुनु! मैं इसको प्यार से यही कहूँगी!”

मैंने उसके स्तनों का और नितम्बों का मर्दन, चुम्बन और चूषण जारी रखा। दोनों स्तन, बारी बारी। मैं उस समय तक पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। काजल भी यौन आनंद ले रही थी, हर किसी भी चीज़ से बेखबर हो कर! क्योंकि मेरा मुँह उसके कामुक शरीर के लगभग हर अंग को चूमने चुभलाने में व्यस्त था।

मेरा लिंग सीधे उसकी योनि की तरफ देख रहा था। कामुक स्त्री नग्न ही सुन्दर लगती है। इसलिए, मैंने उसकी पेटीकोट की डोरी खोल दी। उसने अचानक ही अपनी कमर पर ढीलापन सा महसूस हुआ, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती, मैंने पेटीकोट को उसके नितंबों से नीचे खिसका दिया। उसने उसे पकड़ने की कोशिश तो की, लेकिन मैंने उसे इतनी ताकत से खींचा कि काजल पीछे की ओर लगभग गिर सी गई। वो शिकायती लहजे में मुस्कुराई। मैं भी मुस्कुराया।

“अब बस! बहुत हो गए कपड़े हमारे बीच!”

“बोका!” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

काजल अब मेरे सामने पूरी तरह से नग्न बैठी थी! मैंने उसको हाथों से पकड़ कर अपनी ओर खींचा। वो मेरे सीने पर गिर गई। सब कुछ बहुत कामुक था! कामुक माहौल! उसने मुझे कुछ उत्सुकता और कुछ शरारत से देखा। मंद मंद मुस्कुराते हुए उसने मुझसे मज़ाक मज़ाक में कहा,

“अगर मैं कुँवारी लड़की होती, तो मैं अभी के अभी तुमसे शादी कर लेती!”

मैं मुस्कुराया। शायद यह वाक्य मेरे साथ सेक्स करने की इच्छा रखने का उसका अपना ही एक विनम्र तरीका था। मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि उसने मेरे होंठों पर ऊँगली रख दी, और मुस्कुराते हुए कहना जारी रखा,

“... लेकिन उसके लिए बहुत देर हो चुकी है!”

यह कह कर काजल मेरी गोद से नीचे उतर गई। मैं उसे फिर से अपनी ओर खींचने लगा, पर उसने मुझे रोक लिया,

“नहीं। रुको तो! मेरी बात तो सुन लो!”

मैंने इंतजार किया।

“तुम्हें पता है अमर, मुझे न जाने कैसे तुम्हारे सामने ऐसे.... ऐसे नंगी खड़े होने में शर्म भी नहीं आ रही है!”

मैं उसे फिर से अपनी ओर खींचने लगा।

“अरे रुको तो! बोका!” वो हँसते हुए मुझसे बोली, “प्लीज मेरी बात तो सुन लो ... मैं औरत हूँ, शादी-शुदा हूँ, इसलिए यह [उसने अपनी योनि की तरफ संकेत किया] मेरे पति के लिए है। लेकिन ... लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुमको सुख नहीं दे सकती …”

और यह कहते हुए, काजल बिस्तर पर लेट गई और उसने अपने हाथों से अपने स्तनों को जोड़ कर सटा दिया। अब दोनों स्तनों के बीच, उनके तल पर एक सँकरी सी नलिका बन गई - योनि की सुरंग के जैसी!

“यहाँ करो ... इनके बीच। तुमको मेरे स्तन पसंद भी हैं। जब तुम करोगे, तो मैं तुमको देखना चाहती हूँ!”

मैं काजल की बात का मतलब समझ गया और उसके ऊपर आ गया। मुझे इस समय सम्भोग करने की बड़ी प्रबल इच्छा हो रही थी। मुझे अब सेक्स करना ही था चाहे वो काजल के अंदर हो, या काजल के बाहर! मैंने दोनों स्तनों के बीच अपना लिंग डाला, तो उसने घर्षण और पकड़ बढ़ाने के लिए अपने स्तनों को एक साथ दबाया। मेरा पूरी तरह से तना हुआ लिंग उसके चेहरे के काफ़ी करीब था। काजल ने मेरे शिश्न को एक छोटा सा चुम्बन दिया, और मुझे अपना काम करने के लिए अपना सर हिला कर इशारा किया। फिर क्या था! मैंने स्तन मैथुन करना शुरू कर दिया। यह अनुभव मेरे लिए अपने आप में बहुत शानदार था। उसके दोनों स्तनों के बीच की सुरंग सँकरी और गर्म थी, और उसमे अपने आप में थोड़ी तैलीय चिकनाई थी, जो शायद त्वचा के प्राकृतिक तैल या फिर किसी क्रीम के कारण हो सकती है। मैंने थोड़ी देर में अपनी ले बाँध ली, और मैथुन की गति तेज़ कर दी। जैसा अनुभव योनि मैथुन में होता है, यह अनुभव उससे बहुत अलग था। लेकिन उस समय काजल के साथ यह करना ही मेरे लिए एक रोमांचक घटना थी। मैंने लगभग तीस चालीस धक्के लगाए, और उसके बाद अपने वृषणों में हलचल होती महसूस करी।

“आ... आ रहा हूँ... काजल ... आह! निकलने वाला हूँ ... ओह!” मैंने मैथुन के चरमोन्माद के पास पहुँच कर जोर से घोषणा की।

“चिंता मत करो ... बस करते रहो।” काजल ने मुझे प्रोत्साहित किया।

तो मैंने धक्के लगाने की गति कम नहीं करी। आठ दस और धक्के लगाए, और फिर फट पड़ा! मेरा वीर्य उड़ता हुआ उसके नाक, मुँह और गले पर गिरा। वो बेचारी इस तरह के हमले के लिए तैयार नहीं थी और एक तरह से चौंक गई। फिर भी उसने अपने स्तनों पर दबाव बनाए रखा, जब तक मैं कुछ और झटके लगाने के बाद पूरी तरह से मैं रुक न गया। स्खलित होने के बाद मैं पूरी तरह संतुष्ट और खुश था।

“आह! मज़ा आ गया, काजल! थैंक यू!” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “... थैंक यू! थैंक यू! थैंक यू!”

“हा हा हा! अरे बस बस!” उसने खिलखिलाते हुए कहा।

मैं लगभग दस मिनट तक बिस्तर पर पड़ा रहा - थका हुआ; और अपनी साँसों को स्थिर करने की कोशिश करता रहा। इस बीच काजल बिस्तर से उठी; उसने अपना चेहरा और शरीर के अन्य हिस्सों को धोया, और फिर वापस बिस्तर पर आ गई। मेरे बगल करवट में लेट कर वो मुझे मुस्कुराते हुए देख रही थी। सब कुछ बड़े हसीन ख़्वाब जैसा था। मैंने उसे अपनी ओर देखते हुए देखा। मैं मुस्कुराया - संतुष्ट और प्रसन्न!

“थैंक यू, काजल। थैंक यू! तुमने मेरी ज़िन्दगी बदल दी है।”

“आज पहली बार किया है?” उसने पूछा - शायद मेरा अनाड़ीपन उसको समझ में आ गया था।

“हाँ!” मैंने झूठ बोला।

वह संतुष्ट और प्रसन्न होकर मुस्कुराई, “बहुत अच्छा। कोई लड़की किसी दिन बहुत खुशनसीब होने वाली है!”

“हा हा हा!”

“सच में! और तुम्हारा नुनु भी खूब बढ़िया है। लम्बा, मोटा और मज़बूत! यहाँ ऐसा लग रहा था तो वहाँ ....” काजल जैसे खुद में ही खोई हुई कुछ भी बड़बड़ा रही थी।

“अरे तो एक बार अंदर ले कर देखो!” मैंने उसको छेड़ा।

“हा हा हा! बोका हो पूरे तुम!” मानो अपने होश में वापस आते हुए बोली।

**
बड़े भैया एक सही है मेरी भी एक टीचर थी जिससे मुझे इसी तरह अटैचमेंट हुआ मुझे भी दूध बहुत पसंद है उन्होंने मेरे साथ सब किया है सेक्स के अलावा कोई भी लड़की शादी के बाद योनि पर हक केवल पति का ही मानती है अधिकतर वो बात अलग है फिर भी संबंध बनते है पर योनि के अलावा वो अपने प्रेमी को संपूर्ण सुख देने के लिए सदैव तत्पर रहती है❤️
 

avsji

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बड़े भैया एक सही है मेरी भी एक टीचर थी जिससे मुझे इसी तरह अटैचमेंट हुआ मुझे भी दूध बहुत पसंद है उन्होंने मेरे साथ सब किया है सेक्स के अलावा कोई भी लड़की शादी के बाद योनि पर हक केवल पति का ही मानती है अधिकतर वो बात अलग है फिर भी संबंध बनते है पर योनि के अलावा वो अपने प्रेमी को संपूर्ण सुख देने के लिए सदैव तत्पर रहती है❤️
आपके विचार और अनुभव शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई।
मुझे इस बात का कोई अनुभव तो नहीं है - यह कहानी एक मित्र के जीवन पर आधारित है। बाकी कोई सुनाए तो गप्प लगती है।
लेकिन वो मेरे बहुत करीबी मित्र हैं, और मुझे मालूम है कि यह सब उनके साथ हुआ है।
जहाँ तक ये बात है तो मुझे लगता है कि अगर किसी स्त्री को अपने पति और उपपति (प्रेमी) के बीच में असमंजस रहता है, तब वो पूर्ण सम्भोग करने से हिचकिचाएगी।
जब वो असमंजस समाप्त हो जाता है, तब पति की हैसियत भी समाप्त।
पढ़ते रहिए - आप समझ जायेंगे मेरी बात को :)
 

Ssking

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आपके विचार और अनुभव शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई।
मुझे इस बात का कोई अनुभव तो नहीं है - यह कहानी एक मित्र के जीवन पर आधारित है। बाकी कोई सुनाए तो गप्प लगती है।
लेकिन वो मेरे बहुत करीबी मित्र हैं, और मुझे मालूम है कि यह सब उनके साथ हुआ है।
जहाँ तक ये बात है तो मुझे लगता है कि अगर किसी स्त्री को अपने पति और उपपति (प्रेमी) के बीच में असमंजस रहता है, तब वो पूर्ण सम्भोग करने से हिचकिचाएगी।
जब वो असमंजस समाप्त हो जाता है, तब पति की हैसियत भी समाप्त।
पढ़ते रहिए - आप समझ जायेंगे मेरी बात को :)
उपाधि अच्छी दी आपने उप पति😍
 

Lib am

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अमर, काजल और गैबी का प्यार बहुत हिनिर्मल और निश्छल है, बिना किसी स्वार्थ के। क्या अमर दोनो से शादी करेगा? बहुत उम्दा लेखन और अप्डेट्स। इसी तरह लिखते रहिये।
 
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avsji

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अमर, काजल और गैबी का प्यार बहुत हिनिर्मल और निश्छल है, बिना किसी स्वार्थ के। क्या अमर दोनो से शादी करेगा? बहुत उम्दा लेखन और अप्डेट्स। इसी तरह लिखते रहिये।
बहुत बहुत धन्यवाद भाई! साथ बने रहिए, सब पता चलेगा 😊
लम्बी कहानी है और जटिल भी। कई सारे सूत्र निकल कर आगे जुड़ेंगे। इस तरह तो कहानी अभी तो बस शुरू ही हुई है 😊
 

avsji

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Bhai ji kahani bahut hi achchhi chal rahi hai,
Kripya samayanusar jaldi jaldi update dete rahe.
बहुत बहुत धन्यवाद भाई!
पाठकों का ऐसे ही समय पर फीडबैक आता रहे, तो लिखने में भी मज़ा आता है।
और, समय पर अपडेट भी आते रहते हैं ;)
 
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