पहला प्यार - विवाह प्रस्ताव - Update #2
गौर करने वाली बात है कि उसे अपने घर पर फोन किए हुए कोई दो महीने हो चुके थे! उसकी पढ़ाई के साथ बहुत व्यस्त बहुत होने, और अपनी कॉलों पर मिलने वाली बिलकुल शुष्क प्रतिक्रिया के कारण शनैः शनैः, गैबी की घर पर फ़ोन करने की संख्या कम होती गई। और वो और, उसको इस बात पर भी आश्चर्य होता कि आज तक ब्राज़ील से उसके लिए कभी कोई कॉल नहीं आया। क्या उसके घर वाले उसे याद नहीं करते? चलो, कॉल नहीं तो न सही, लेकिन ई-मेल तो किया ही जा सकता था! वो सुविधा तो उपलब्ध है आज कल! लेकिन वो भी नहीं। आमतौर पर हम उम्मीद करते हैं कि इतने लंबे समय के बाद अपने बच्चों की आवाज़ सुनने पर उसके माता-पिता खुश होंगे। लेकिन गैबी के माता-पिता नहीं! उनके साथ अच्छी बातचीत करने या उनसे अपनी सगाई और अपने होने वाले विवाह पर किसी प्रकार की सुखद प्रतिक्रिया प्राप्त करने की गैबी के मन में जो भी थोड़ी बहुत आशा थी, वह लगभग तुरंत ही फीकी पड़ गई।
अबसे पहले तो उसकी माँ ने इतने लंबे अंतराल के बाद कॉल करने के लिए उसे लताड़ा, और वो बात जल्दी ही आरोप और प्रत्यारोप में बदल गई। कौन कॉल कर सकता था, अगर दूसरा नहीं कर सकता था इत्यादि। यह बहस जल्दी ही बदसूरत होना शुरू हो गई, और इससे पहले कि उनकी बहस उबलने लगती, मैं बीच कूद गया। मैंने आज से पहले कभी गैबी की माँ से बात नहीं की थी।
“हेलो मिसेज़ सूसा!” मैंने मुस्कुराते हुए बात करने की कोशिश की।
बड़ी गलती हो गई! उनसे बात नहीं करी थी, तो आज भी नहीं करनी चाहिए थी।
“ओह ... अच्छा तो आज कल तू इसको रखे हुए है!” गैबी की माँ ने बड़े तिरस्कार से मुझे चिढ़ाते हुए कहा।
हे भगवान! ये कैसी घटिया औरत है! दिल से घटिया, मन से घटिया, और भाषा में भी घटिया!! क्या गैबी जैसी सभ्य लड़की, सच में उसकी बेटी हो सकती है?
“माफ़ कीजिए?”
“तुम इंडियंस को गोरी चमड़ी इतनी पसंद आती है, कि उसके लिए तुम कुछ भी करोगे? हह!”
मैं चौंक गया। क्या यह औरत पागल हो गई है!? इतना घटियापन! इतनी नीचता! वो भी अपनी ही बेटी को ले कर!
“क्या कह कर अपने पास रखे हो उसको? क्या वायदा किया है? घर का? पैसों का? ताकि तुम हर दिन उसको चोद सको?”
(यह सभी बातें अंग्रेजी में बोली गईं थीं - और उनके अंदाज़ में उतना ही या उससे अधिक घटियापन था, जितना यहाँ पढ़ने में लग रहा है)
हे प्रभु! ये औरत कैसा बकवास कर रही थी! मैंने कई सारे घटिया, और ओछे लोग देखें हैं, लेकिन गैबी की माँ एक अलग ही दर्ज़े की घटिया औरत लग रही थी। अब मैं उसकी गन्दगी और नहीं ले सकता था। गैबी पहले ही रोने लगी थी। हमारे सारे के सारे खुशनुमा माहौल का पूरा सत्यानाश हो गया था! कितना परफेक्ट दिन जा रहा था आज का! और इस औरत ने उस पर ज़हर डाल दिया।
“एक मिनट! एक मिनट!” मेरी आवाज़ अचानक ही ऊँची और कड़क हो गई - आज तक मैंने किसी भी औरत से इस तरह से बात नहीं करी थी, “आप ऐसी गंदी, ऐसी घटिया औरत हैं कि मैं सोच भी नहीं सकता था! मैं आपकी इन वाहियात बातों को सुनने के लिए एक मिनट भी खड़ा नहीं हो सकता। मुझे आश्चर्य है कि गैबी आपको अभी तक बर्दाश्त कैसे करती आई है! आज आपसे बात करी है, लेकिन आप जान लें, कि मेरी आपके साथ यह आखिरी बातचीत है। गैबी केवल इतना चाहती थी कि वो आपको हमारी सगाई, और होने वाली शादी के हमारे फैसले के बारे में आपको बता सके। आप मुझे सुन रही हैं न? समझ आ रहा है न? हम शादी कर रहे हैं - हाँ, गैबी और मैं! मुझे लगा कि यह खबर आपके घटिया से जीवन के लिए कुछ अच्छा कर सकती है। इसलिए हम यह खबर आपसे शेयर करने लगे। लेकिन शायद मैं ग़लत था!”
मैंने आवेश में आ कर न जाने क्या क्या कहा, और सब कुछ कह कर, फोन काट दिया।
गुस्से, अविश्वास, और अपमान से मेरा सर घूम रहा था। मैं अभी तक गैबी के घर के नकारात्मक माहौल की केवल कहानियाँ ही सुन रहा था, लेकिन आज जब मैंने खुद उस नकारात्मकता से सामना किया तो उस जहर की मात्रा की थाह ही नहीं ले पाया! आखिर उसकी माँ की समस्या क्या थी? अगर गैबी के जीवन में कुछ अच्छा हो रहा था तो वो उसके लिए खुश क्यों नहीं हो सकती थी?
मैंने गैबी की तरफ देखा - वो बेकाबू होकर रो रही थी। वो अपनी माँ के अशिष्ट व्यवहार के लिए मुझसे क्षमा याचना कर रही थी। उस बेचारी का, उस घटिया औरत के व्यवहार के लिए क्या दोष? मैंने गैबी को अपने आलिंगन में लिया, और उसे शांत करने की कोशिश करने लगा। गैबी को शांत करने में मुझे बहुत समय और प्रयास लगा। लेकिन अंततः, वो कम से कम बाहर से शांत हो गई। लेकिन मुझे मालूम था कि वो अंदर ही अंदर रो रही थी। मैं उसको स्वांत्वना देने के लिए, उसको आलिंगनबद्ध किये ही उसके बालों को सहलाता रहा, और रह रह कर उसको चूमता रहा, और उसको शांत करने के लिए प्रेम भरे शब्द बोलता रहा। वो कितनी शांत हुई, कहना तो मुश्किल है, लेकिन मुझे थोड़ी राहत हुई जब मैंने देखा कि वो मेरे बाहों में ही सो गई। चलो, कम से कम कुछ शांति तो मिलेगी! मैंने देखा कि उसकी बाहों पर रोंगटे खड़े हो गए थे। आज कल हवा में ठंडक थोड़ी बढ़ रही थी। नवंबर बीत रहा था। मैं कुछ देर उसको ऐसे ही, अपनी बाहों में लिए रहा, ताकि गैबी गहरी नींद में सो जाए। जब वो गहरी गहरी साँसे भरने लगी, तब मैंने चुपके से गैबी को अपनी बाँहों में उठाया, और उसको अपने कमरे में ले गया। वहां मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसको कंबल से ढक दिया।
काजल उस रात घर कुछ देर से आई। जब उसने कॉल-बेल दबाई, तो गैबी चौंक कर उठ गई, और जोर-जोर से रोने लगी। मैंने दरवाज़ा खोला और जब काजल अंदर आई तो उसने गैबी का रोना सुना, और उसको चिंता हुई।
“क्या हुआ दीदी को?” उसने पूछा।
“कुछ नहीं। वो बस चौंक कर उठ गई है। बस इतना ही …”
काजल ने मुझे शक वाली नज़र से देखा। मेरे जवाब ने उसको शांत नहीं किया। वो सीधा मेरे कमरे में घुस गई। अंदर गैबी को एक नज़र देखते ही वो व समझ गई कि गैबी बहुत रोई थी। उसकी आँखें रोने से सूज गई थीं; उसके आँसू उसके नाक और गालों पर सूख गए थे। ये सब निशान किसी और ही तरफ संकेत कर रहे थे। मैं कमरे के अंदर नहीं गया; मैं पहले से ही उदास था, और गैबी को और रोते नहीं देखना चाहता था। लगभग दस या पंद्रह मिनट के बाद, काजल कमरे से बाहर आई और मुझे खतरनाक नजर से देखने लगी।
“तुमने उसके साथ क्या किया? उसको मारा है?” आज तक काजल ने मुझसे ऐसे बात नहीं करी थी।
“मारा? अरे नहीं काजल। मैंने आज गैबी को ‘प्रोपोज़’ किया था, और वो अपनी मम्मी को इसके बारे में बताना चाहती थी। लेकिन उन दोनों का झगड़ा हो गया, इसलिए गैबी दुखी है।”
“ओह…” काजल ने कहा, और फिर कुछ पलों के बाद उसे होश आया कि मैंने क्या कहा, “क्या? तुमने दीदी को प्रपोज किया? वाह! वाआआआआह!!!”
काजल स्पष्ट रूप से खुश थी। बहुत खुश! उसने मुझे किलकारी मारते हुए अपने गले से लगा लिया और मुझे कई बार चूमा। अंत में, वह खुशी-खुशी रसोई में अपना काम करने चली गई। गैबी उस समय तक उठ कर, बिस्तर से बाहर आ गई, और उसने काजल को मुझे चूमते हुए देख लिया। मैंने जब गैबी को उठा हुआ देखा तो उसका हाथ थाम कर, बाहर बालकनी में उसके साथ बैठ गया।
“गैबी, आई ऍम सॉरी, कि मैंने तुम्हारी माँ के साथ बदतमीज़ी की।”
“ओह! नहीं डार्लिंग! तुम सॉरी मत कहो। उनको तुमसे जो मिला, वो उसी के लायक है। उनको तुमसे इस तरह बात करने का कोई अधिकार नहीं है। मैं तुमको और तुम्हारे स्वभाव को जानती हूँ। सॉरी तो मुझको कहना चाहिए - क्योंकि मेरे कारण.... मेरी मम्मी के कारण तुमको ठेस पहुँची है। तुम्हारी बेइज़्ज़ती हुई है। इसलिए आई ऍम सॉरी!”
“मेरी गैबी! कृपया सॉरी मत कहो। आई ऍम योर फॅमिली नाउ! माँ और डैड दोनों ही तुमसे इतना प्यार करते हैं। तुमको तो वो अपनी बेटी ही मानते हैं।”
“यस, माय लव! मैं भी उनसे बहुत प्यार करती हूँ। माँ मुझसे बहुत प्यार करती हैं। डैड भी उतना कहते नहीं, लेकिन उनका सारा प्यार उनकी आँखों में दिखता है! और तुम बिलकुल सही हो, अब तुम सब ही मेरा परिवार हो… और मैं बहुत खुश हूँ - यह बात मैं जितनी बार भी कहूँ, कम है! सच में!!”
मैंने उसकी इस बात पर उसको चूम लिया! हम दोनों कुछ देर तक एक दूसरे को चूमते रहे। जब हम अंत में हमने अपना चुम्बन तोड़ा, तो गैबी ने पूछा,
“हनी, क्या तुमने काजल दीदी के साथ सेक्स किया है?”
यह बात गैबी ने केवल पूछने के इरादे से कही थी। उसमे कोई शिकायत नहीं थी। उसके चेहरे पर कोई उद्विग्नता नहीं थी। न कोई ईर्ष्या। वो बस जानना चाहती थी, तो मैंने भी गैबी को काजल और मेरे सम्बन्ध के बारे में सब कुछ सच सच बताने का निर्णय लिया।
“नहीं यार, सेक्स तो नहीं किया। लेकिन काजल ने मुझे इतनी बार नंगा देखा है, कि अब मेरे पास उससे छिपाने के लिए कुछ नहीं है।”
वह समझ रही थी कि मैं क्या कह रहा था, लेकिन फिर भी उसने मुझे चिढ़ाया, “हाँ हाँ! अब तुम इतने भी सीधे नहीं हो!” उसने मजाक में टिप्पणी की।
फिर मैंने गैबी को काजल के साथ अपने सभी अंतरंग क्षणों के बारे में संक्षेप में बताया। काजल ने मेरे लिए क्या क्या किया, यह सब जान कर, सुन कर गैबी जैसे मंत्रमुग्ध सी हो गई, और शायद थोड़ी उत्तेजित भी!
“काजल इस ए ब्यूटीफुल वुमन! मुझे जान कर बहुत खुशी हुई, कि उसने तुमको इतनी सारी खुशियाँ दी हैं।” उसने कहा।
“मतलब कि तुम .... नाराज नहीं हो?”
“बकवास! मैं भला नाराज़ क्यों होऊं? क्या तुम इस बात को जान कर मुझसे नाराज़ हो कि मैंने कई लोगों के साथ सेक्स किया है?”
“नहीं।” यह सच था।
“तो फिर मैं कैसे और क्यों तुमसे नाराज होऊंगी? लेकिन हाँ - मैं एक बात से थोड़ा दुखी हूं! मैं यहां आ कर, वो सब चीज़ें तुम्हारे लिए कर सकती थी। और भी बहुत कुछ कर सकती थी।”
“इट इस नेवर टू लेट टू से सॉरी!” मैं मुस्कुराया।
“सच में!”
वह कुछ देर रुकी; उसका चेहरा गंभीर था। वह कुछ तो सोच रही थी। मैंने उसके कुछ कहने का इंतजार किया। कुछ देर बाद गैबी ने कहा,
“हनी, क्या तुम जानते हो, कि जब भी मैं हमारे पहले सेक्स के बारे में सोचती हूँ, तो मैं बस यही चाहती हूँ, कि यह तुम्हारे और मेरे लिए ख़ास एक्सपीरियंस हो। खास और बढ़िया! बिलकुल स्पेशल!” फिर बिलकुल से पिघलते हुए वो बड़ी कोमलता से बोली,
“हनी, इफ़ यू वांट टू मेक लव टू मी, देन टेल मी! मैं अब तुमको बिल्कुल भी मना नहीं करूंगी। यू हैव मोर दैन हंड्रेड परसेंट राइट्स ओवर मी! लेकिन मैं बस इसलिए तुमको अपने से दूर रख रही हूँ, क्योंकि मैं हमारे पहले एक्सपीरियंस को हमारे लिए बिलकुल खास बनाना चाहती हूँ!”
“ओह गैबी! गैबी!” कह कर मैंने उसको अपने आलिंगन में भर लिया, “तुम मेरे लिए आप स्पेशल हो! तुम्हारे साथ होना मेरे हर पल को स्पेशल बनाता है। उसके लिए मुझे टाइम और सेटिंग्स की परवाह नहीं है। अगर मैं तुम्हारे साथ झोपड़ी में भी रहूँ, तो वो मेरे लिए एक महल समान है। मैं तुमसे प्यार करता हूं, और बस यही एक चीज है जो कोई मायने रखती है।”
गैबी मुस्कुराई; उसकी आँखों से आँसू की एक बूँद ढलक गई।
“तुम वेट करना चाहती हो, तो मैं भी वेट करना चाहता हूँ!”
“ओह हनी! आई लव यू!” फिर थोड़ा रुक कर, “क्या मैं एक बात पूछ सकती हूँ?”
“क्या?” मैं भी मुस्कुराया।
“क्या तुमको काजल पर भरोसा है?”
“भरोसा मतलब?”
“मतलब, क्या तुम उस पर भरोसा करते हो?” मुझे पता था कि गैबी के पूछने का क्या मतलब था।
“हाँ, मैं करता हूँ। पूरा भरोसा। मुझे हर चीज में उस पर भरोसा है।”
“बढ़िया! बढ़िया! हनी, क्या तुम काजल को आज रात यहाँ रुकने के लिए कह सकते हो?”
“हाँ! ज़रूर। लेकिन यह उसके ऊपर है, कि वो यहाँ रहना चाहती है, या नहीं। क्या बात है, डार्लिंग?”
“कुछ नहीं मेरी जान! आज मैं उन सभी लोगों के साथ रहना चाहती हूँ, जो हम दोनों से खूब प्यार करते हैं।”
“... और मैं, एक अकेला, काफ़ी नहीं हूँ?”
“हनी, यू आर मोर दैन एनफ! बट, आई थिंक, आई नीड ए वुमंस ओर से, ए मदर्स टच! प्लीज हनी! आस्क हर?”
गैबी को इतना कहने की ज़रुरत नहीं थी। मैंने काजल से आज रात यहीं रुक जाने के लिए कहा, और वो ख़ुशी ख़ुशी इस बात के लिए राज़ी हो गई। मुझे मालूम था कि उसके साथ उसके बच्चे भी आएंगे, लेकिन मुझे इस बात से कोई परेशानी नहीं थी। मुझे सुनील और लतिका दोनों ही बहुत प्यारे लगते थे, और उनके साथ खेलना और बात करना मुझे पसंद था। काजल को एक और घर जा कर अपना काम खत्म करना था, इसलिए हमने उसके लौटने का इंतजार करने का फैसला किया, ताकि हम सभी साथ ही में खाना खा सकें। चूँकि उसके वापस आने में कुछ समय था, इसलिए मैंने इसी बीच बाहर जाकर सुनील के लिए आइसक्रीम खरीदी, और लतिका के लिए मोतीचूर के लड्डू। दोनों बच्चों को ये बहुत पसंद है, और हमको भी! साथ ही मैंने बाहर से ही थोड़ा और खाना पैक करवा लिया, क्योंकि यह प्लान थोड़ा देर से बना, और हम चारों के लिए खाना थोड़ा कम हो जाता।
खैर, कोई एक घंटा बाद काजल और दोनों बच्चे घर आ गए। जैसा कि मैंने कहा, सुनील एक खुशमिजाज बच्चा था, और वो हंसी ख़ुशी रहता था। लतिका भी वैसी ही खुशमिज़ाज़ बच्ची थी। हम पाँचों ने साथ ही में खाना खाया, और फिर उसके बाद हम चारों ने लूडो खेला, जो बेहद मजेदार रहा। हम चारों ने जो खूब मज़ा किया और देखने से साफ़ लग रहा था कि गैबी का दुःख लगभग समाप्त हो गया था। सोने से पहले सुनील और हम तीनों ने आइसक्रीम खाई, और लतिका ने लड्डू। जल्दी ही दोनों बच्चो को नींद आने लगी।
काजल, हमेशा के जैसे ही, फर्श पर सोने की व्यवस्था करने के लिए बढ़ी, लेकिन मैंने उसे मना किया। रात में ठंड बढ़ गई थी, और अब हमारे बीच में ऐसी किसी औपचारिकता की न तो कोई जरूरत थी, और न ही उसके लिए कोई स्थान। काजल का स्थान बहुत खास था - मेरे दिल में भी, और मेरे घर में भी। गैबी ने भी उसको नीचे लेटने से साफ़ मना कर दिया, और उसको अपने साथ, अपने बिस्तर पर लेटने के लिए कहा। गैबी ने कहा कि उसे भी नींद आ रही थी, इसलिए चारों ही साथ में आ सकते हैं। मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए मैं ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी देखने लगा।