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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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Battu

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अंतराल - स्नेहलेप - Update #10

अगली दोपहर :

रोज़ ही की तरह, माँ, काजल और सुनील की तिकड़ी के कमरे में बैठे हुए, घर में एक बड़ी पार्टी का आयोजन करने पर चर्चा कर रही थी, और सामान्य गप-शप में मशगूल थी। घर में कोई पार्टी किए हमको कुछ समय हो गया था। काजल का मानना था कि कुछ रागरंग हो, नृत्य संगीत हो, बढ़िया खाना पीना हो - तो मज़ा आए। माँ भी इस विचार की उत्साहपूर्वक सराहना कर रही थीं - वो भी चाहती थीं कि सुनील के ग्रेजुएशन, उसकी हालिया नौकरी, और व्यापार में मेरी सफलता का जश्न जाए।

जब यह सब चर्चा चल रही थी, काजल ने टीवी चालू कर दिया... किसी चैनल पर हेमा मालिनी की एक फिल्म दिखा रहे थे। माँ और काजल दोनों ही हेमा की बड़ी फैन थीं - इसलिए उन्होंने फिल्म को चालू रखा। यह उसकी अन्य फिल्मों से थोड़ी अलग थी। फिल्म की कहानी एक युवक (कमल हासन) के बारे में थी जो हेमा मालिनी वाले किरदार को लुभाने की कोशिश कर रहा था, जो कि उम्र में उससे बहुत बड़ी थी। जहाँ हेमा, कमल हासन को हर संभव तरीके से मना करने की कोशिश कर रही थी, वहीं कमल के काफी प्रयत्नों के बाद वो भी बदले में उससे प्यार करने लगती है।

यह एक जटिल कहानी थी, लेकिन जो बात सभी के दिल को छू गई वह यह थी कि यह एक बड़ी उम्र की महिला की कहानी थी, और उसके फिर से प्यार पाने की संभावना की कहानी थी। माँ और काजल दोनों एक ही नाव में सवार थीं - और यह फिल्म उन दोनों को बहुत अलग तरीके से छू गई। जहाँ काजल के पास मेरे रूप में एक वास्तविक विकल्प था, वहीं माँ के पास कोई विकल्प नहीं था। दोनों महिलायें एक दूसरे को शादी करने के लिए प्रोत्साहित करती रहतीं, लेकिन दोनों ही कोई भी संकल्प न लेतीं।

हेमा और कमल के बीच कुछ संवादों के दौरान, माँ और सुनील आँखों ही आँखों में अपनी बातों का आदान-प्रदान कर रहे थे - सुनील मानों जैसे कमल के संवादों के साथ अपनी बात बोल रहा था, वहीं माँ हेमा के संवादों के जरिए अपनी बात रख रही थी। लेकिन अंत में, जब हेमा के विरोध का किला ढह जाता है, और जब वो महमूद के सामने स्वीकार करती है - संवाद के साथ नहीं बल्कि आंखों में आंसू के साथ - कि वो कमल के साथ प्यार में थी, तब माँ ने सुनील की ओर नहीं देखा। कहानी का ऐसा मोड़ आ जाएगा, वो उसने सोचा भी नहीं था। वो दृश्य देख कर माँ के अंदर एक उथल-पुथल मच गई।

काजल ने तभी कहा, “वो एक्स-मेन वाला हीरो है ना... उसकी बीवी भी तो उससे उम्र में बहुत बड़ी है।”

“कौन? ह्यूग जैकमैन?” सुनील ने कहा।

“हाँ! वो ही। उसी के हाथ से चाकू निकलता है न?” काजल ने हँसते हुए कहा।

“क्या बात है अम्मा! तुमको तो याद है!”

“और नहीं तो क्या।” काजल ने कहा, “वैसे ठीक भी है। शादी में हमेशा पत्नी ही कम उम्र की क्यों होनी चाहिए? ये कोई जरूरी तो नहीं है। क्यों दीदी?”

“समाज भी तो कुछ होता है, काजल!”

“अरे दीदी, लेकिन यह कोई नियम भी तो नहीं है न, दीदी! शादी ब्याह में उम्र का क्या मतलब है? उससे पहले तो प्रेम का स्थान है। पति पत्नी के बीच प्रेम है, आदर है, तभी तो सुखी परिवार की नींव पड़ती है। बच्चे वच्चे तो बाद में होते हैं।”

शायद काजल कुछ और कहती - मेरे और देवयानी के बारे में, लेकिन चुप हो गई। मेरी शादी का ज़िक्र घर में थोड़ा वर्जित माना जाता है। माँ ने भी काजल की बात पर कुछ नहीं कहा।

उस दिन और कुछ खास नहीं हुआ।



अगली रात :

रात की ख़ामोशी में सुनील किन्ही कामुक विचारों में खोया हुआ, बिस्तर पर नग्न पड़ा हुआ था, और अपने लिंग को हाथ में थामे, उसको धीरे धीरे सहलाते हुए हस्तमैथुन कर रहा था! रह रह कर उसके मन में कई सारे विचार आ-जा रहे थे। अपनी सम्भाविक प्रेमिका और पत्नी को अपने ख्यालों में ही निर्वस्त्र करते हुए वो उसके साथ प्रेम सम्बन्ध बना रहा था, और दूसरे हाथ हस्तमैथुन करते हुए, वो उन विचारों की उमंगों का अनुभव भी कर रहा था। एक अकेले, जवान आदमी के पास अपनी काम-पिपासा संतुष्ट करने का इससे अच्छा और सुरक्षित अन्य कोई तरीका नहीं हो सकता। न जाने कितने ख़्वाब, न जाने कितनी ही तमन्नाएँ, न जाने कितनी ही फंतासी - सब रह रह कर उसके दिमाग में आ जा रहे थे और उन्ही की ताल पर उसका हाथ अपने लिंग पर फिसल रहा था!

अपने विचारों में वो इतना खोया हुआ था कि उसको ध्यान ही नहीं रहा कि दरवाज़े पर उसकी अम्मा खड़ी हो कर, उसे विस्मय से घूर रही थी। वैसे, ध्यान भी कैसे आता? कमरे में एक तो केवल जीरो वाट का बल्ब जल रहा था, दूसरा वो हस्तमैथुन से उत्पन्न होने वाली कामुक गुदगुदी का आनंद, अपनी आँखें बंद कर के ले रहा था। वैसे भी, इतनी रात में वो किसी को अपने कमरे में आने की उम्मीद नहीं कर रहा था। अचानक ही सुनील की नज़र काजल पर पड़ी - वो भी अपनी अम्मा को वहाँ खड़ी देख कर हैरान रह गया।

“क्या कर रहा है, सुनील?” काजल फुसफुसाती हुई बोली!

बहुत से लोग हस्तमैथुन को स्वस्थ क्रिया नहीं मानते। काजल भी उनमें से ही थी। उसका मानना था कि सम्भोग से सम्बंधित सभी क्रियाएँ, किसी अंतरंग साथी के साथ ही करनी चाहिए। वही तरीका एक स्वस्थ तरीका है। हस्तमैथुन काम संतुष्टि का एक अस्वस्थ तरीका है - ऐसा काजल का मानना था।

“अम्मा?!” सुनील हड़बड़ा कर बस इतना ही बोल पाया।

काजल कुछ देर ऐसे खड़ी रही कि जैसे सोच रही हो कि वो क्या करे क्या नहीं, और फिर कुछ सोच कर वो कमरे से बाहर चली गई, और जाते जाते धीरे से अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर गई। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जो नुकसान होना था, वो हो चुका था - सुनील की अम्मा ने उसको हस्तमैथुन करने हुए पकड़ लिया था! सुनने में कितना हास्यास्पद लगता है न - उसकी अम्मा ने उसको हस्तमैथुन करने हुए पकड़ लिया था! जीवन के पूरे इक्कीस साल ऐसे ही बीत गए, और उन इक्कीस सालों में ने अनगिनत बार उसकी अम्मा ने उसको नंगा देखा था। लेकिन हस्तमैथुन करते हुए पहली बार पकड़ा था... पकड़ा था! सच में, हस्तमैथुन जैसी क्रिया करते हुए ‘पकड़े जाने’ पर शर्म की जैसी अनुभूति होती है, वो बहुत ही कम अवसरों पर होती है।

वो चिंतित हो गया, ‘न जाने अम्मा क्या सोचेंगीं!’

उसका उत्तेजित लिंग शीघ्रता से शांत हो गया। कोई दो मिनट बीता होगा कि उसने दरवाज़े पर दस्तक सुनी। सुनील ने अभी भी कपड़े नहीं पहने हुए थे। लेकिन उसको कुछ करना नहीं पड़ा। दस्तक के तुरंत बाद, बिना किसी उत्तर की प्रतीक्षा किये, काजल ने दरवाज़े से कमरे के भीतर झाँक कर कहा,

“मैं अंदर आ जाऊँ?”

“अम्मा, मैं बस एक सेकंड में कपड़े पहन लेता हूँ! क्या तुम रुक सकती हो?”

“सुनील, तुम मेरे बेटे हो। तुमको मुझसे शर्माने की ज़रुरत नहीं है!” काजल ने कहा और वो अंदर आ गई।

अंदर आ कर उसने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया और अपने बेटे की ओर मुड़ी, जो अभी भी बिस्तर पर नग्न तो लेटा हुआ था, लेकिन संकोच में - जिससे उसका शरीर थोड़ा छुपा रहे।

“क्या बात है, अम्मा?”

“तू हैंडल क्यों मार रहा था रे?” काजल ने यथासंभव कोमल आवाज़ में पूछा। वो नहीं चाहती थी कि सुनील को बुरा लगे।

“क्या अम्मा!” सुनील ने झेंपते हुए कहा।

क्या अम्मा क्या? तुझे मैंने समझाया था न, कि गन्दी आदतें मत पालना! लेकिन मेरी सुननी कहाँ है नवाब को? अरे सोच, कहीं तेरी बिची पर चोट लग गई तो? फिर तेरे बच्चे कैसे होंगे रे? सोचा है क्या कभी?”

“अरे, ऐसे नहीं चोट लगती अम्मा! और यह मैं आज पहली बार नहीं कर रहा हूँ!” सुनील को अपनी अम्मा के सामने ऐसे नग्न बैठे हुए थोड़ा शर्मनाक लग रहा था। एक वो कारण, और दूसरा अपनी अम्मा की बेवकूफी भरी बात से वो थोड़ा झुंझला भी गया था।

“अरे लेकिन तू ये करता ही क्यों है?”

“अम्मा, मैं भी तो आदमी ही हूँ! मेरा भी मन होता है सेक्स करने का। और मेरे पास कोई लड़की थोड़े ही है!”

“तो तूने पहले कभी किसी लड़की को...?”

“नहीं अम्मा!” सुनील ने झेंपते हुए कहा।

“अपनी वाली को भी नहीं?”

“अम्मा, आपने उसको और मुझको क्या समझा है?” उसने तैश में आ कर कहा, “और बिना उसको अपने दिल की बात कहे, और बिना उसकी रज़ामंदी के मैं ये सब कैसे कर लूँगा? और आपको लगता है कि वो ये सब कर लेगी - किसी के साथ भी?”

“हाँ! वो बात भी ठीक है! माँ हूँ न, इसलिए बेवकूफ़ी भरी बातें सोचने लगती हूँ! सॉरी!” फिर कुछ सोच कर, “ठीक है... तू जो कर रहा था, वो कर ले। मैं जाती हूँ!”

“लेकिन तुम आई क्यों थी, अम्मा?”

“कुछ नहीं! नींद नहीं आ रही थी, इसलिए चली आई। तू अक्सर देर तक काम करता है न, तो मुझे लगा कि तू जाग रहा होगा! सोचा, हम दोनों कुछ देर बातें करेंगे!”

“भैया सो गए?”

काजल ने शर्मा कर ‘हाँ’ में सर हिलाया।

सुनील मुस्कुराया, “अम्मा, तुमको और भैया को साथ में देख कर, सोच कर बहुत अच्छा लगता है!”

काजल मुस्कुराई, लेकिन उसने बात बदल दी, “चल, तू कर ले अपना। मैं जाती हूँ! लेकिन सम्हाल कर करना!”

कह कर काजल कमरे से बाहर जाने लगी।

“अम्मा, मत जाओ। आज यहीं सो जाओ? मेरे पास?”

“सच में? तुम्हारे साथ यहाँ?”

“हाँ! वैसे भी अब मुझे कुछ करने का मन नहीं होगा!”

काजल ने कुछ सोचा, और फिर आ कर सुनील के बगल ही, उसके बिस्तर पर लेट गई। वो बिस्तर सिंगल बेड था, इसलिए दोनों बहुत अगल बगल ही लेट सकते थे।

“अच्छा एक बात बता, किसकी याद आ रही थी तुझको? अपनी वाली की?”

सुनील मुस्कुराया, “अम्मा, और किसकी याद आएगी?”

“जब उसके लिए तू इतना तरसता रहता है, तो उसको बोल क्यों नहीं देता?”

“डर लगता है अम्मा! कि कहीं इंकार न कर दे!”

“अरे, ये क्या बात हुई! चाहे वो इंकार करे, या चाहे इक़रार - बोलना तो पड़ेगा ही न! कम से कम तुझको मालूम तो हो जाएगा कि वो भी तुझे चाहती है या नहीं!”

“हम्म!”

“उसको बोल दे। जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी!”

“ठीक है अम्मा! बोल दूँगा! बहुत जल्दी! थैंक यू!”

“डरना मत!”

“नहीं डरूँगा!”

“मेरे दूध का मान रखना! डरना मत, सच में!”

“प्रॉमिस, अम्मा!”

सुनील ने आत्मविश्वास से कहा और करवट हो कर अपनी अम्मा को अपने आलिंगन में बाँध कर किसी सोच में डूब गया।

“क्या सोच रहा है?”

“कुछ नहीं अम्मा!”

फिर कुछ देर चुप्पी।

“अच्छा एक बात तो बता! तुझे सेक्स करना आता है?” काजल ने अचानक ही पूछ लिया।

“क्या अम्मा! अब तुमसे ये सब बातें कैसे डिसकस करूँ! तुम भी न!”

“अरे! सीधा सादा सवाल तो पूछा। उसके लिए इतना नाटक!”

“हाँ, आता है अम्मा!” सुनील ने हथियार डालते हुए कहा।

“अभी बोल रहा था कि कभी किया नहीं, तो कैसे आता है?”

“अम्मा - सब कुछ करने से ही नहीं आता! सीखने के और भी कई तरीके हैं!”

“हम्म! बात तेरी ठीक है। वैसे अगर नहीं आता है, तो शरमाना मत! पूछ लेना!” काजल ने आत्मविश्वास से कहा, “माँ हूँ तेरी! सब कुछ सिखाया है तुझको... ये भी सिखा दूँगी!”

“आता है अम्मा! किया नहीं है, लेकिन आता है कि कैसे करना है।” सुनील ने झेंपते हुए कहा।

“अच्छी बात है!”

सुनील अपनी माँ की बातों से बुरी तरह झेंप गया था। लेकिन उसको अच्छा भी लगा कि ऐसे नाज़ुक समय में उसकी माँ उसके साथ है। अपनी अम्मा के वात्सल्य भरे आलिंगन में बंध कर, उसके सारे कामुक विचार जाते रहे। कुछ देर दोनों खामोश लेटे रहे, फिर सुनील ही बोला,

“अम्मा?”

“हाँ बेटा?”

“....”

“क्या? बोल न?”

“दूधू पी लूँ?” सुनील ने हिचकिचाते हुए कहा।

“क्या? ओमोर माईये?”

सुनील ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“अरे तो ऐसे बोल न कि ‘अम्मा, अपना दूध पिला दो’! ऐसे शर्मा क्यों रहा है? तुझे दूध पिला कर इतना बड़ा किया है! तेरे फर्स्ट ईयर तक अपना दूध पिलाया है। ऐसे ही इतना बड़ा हो गया क्या तू?”

सुनील कुछ नहीं बोला। सच बात पर कैसी चर्चा?

“अरे बोल न! ये लड़का भी न! अरे अगर तू मुझसे ऐसे शरमाएगा, तो अपनी बीवी के सामने क्या करेगा?”

“हा हा हा! क्या अम्मा - माँ और बीवी में कुछ अंतर होता है!”

“हाँ - अंतर तो होता है! एक अपने बेटे को अपने अंदर से निकालती है, और दूसरी उसी बेटे को अपने अंदर लेती है!” काजल ने सुनील की टाँग खिंचाई करते हुए कहा, “अंतर तो होता है भई!”

“हा हा हा हा! अम्मा तुम बहुत शरारती हो!”

“और अंदर लेने वाली ज्यादा लुभाती है!”

“अम्मा! दूध पिलाने को पूछा, और तुमने पूरी गाथा कह दी!”

“जब तक तू ठीक से पूछेगा नहीं, तब तक तुझे दूधू नहीं मिलेगा!”

“मेरी प्यारी अम्मा, मुझे अपना दूध पिला दो!” सुनील ने मनुहार करते हुए कहा।

“हाँ, ये ठीक है! आ जा मेला बेटू, अपनी अम्मा का मीठा मीठा दूधू पी ले!” काजल ने उसको दुलारते हुए कहा तो सही, लेकिन कुछ किया नहीं। सुनील ने कुछ क्षणों तक इंतज़ार किया, फिर बोला,

“अम्मा, अब तो बोल भी दिया। पिलाओगी नहीं?”

“ब्लाउज खोलना आता है?”

सुनील ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“तो खोल न!”

“क्या?” आश्चर्य की बात थी।

“हाँ, इस घर में कोई भी बच्चा अपनी माँ का इंतज़ार थोड़े ही करता है। सभी खुद ही ब्लाउज खोल कर पी लेते हैं!”

“ओह,” सुनील ने कहा, और काजल की ब्लाउज के बटन खोलने लगा। वो आराम से लेटी रही। कुछ देर में ब्लाउज के दोनों पट अलग हो गए, और उसके दोनों स्तन अनावृत हो गए।

उसने काजल का एक चूचक अपने मुँह में लिया और उसको चूसने लगा। थोड़ी देर में मीठे दूध की पतली धारा सुनील के मुँह को भरने लगी। काजल का मातृत्व आह्लादित हो गया। एक माँ के स्तनों में जब दूध बनता है, तब उसकी यही इच्छा होती है कि उसकी संतान उसका दूध पिए। सुनील द्वारा स्तनपान का आग्रह किए जाने से काजल आनंदित भी हुई, और गौरान्वित भी! अपने जवान बेटे को स्तनपान कराना आनंद का विषय तो है ही, साथ ही साथ गौरव का विषय भी है।

कोई एक मिनट के बाद काजल बोली,

“एक सेकंड, सुनील!”

जैसे ही सुनील ने उसका चूचक छोड़ा, काजल बिस्तर से उठ खड़ी हुई। फिर उसने अपनी ब्लाउज उतार दी, और अपनी साड़ी भी। वो केवल अपनी पेटीकोट पहने हुए ही, वापस, बिस्तर पर आ गई।

“आ जा!” सुनील की तरफ करवट कर के काजल ने उसको आमंत्रित किया।

सुनील वापस उसके चूचक से जा लगा। उधर काजल उसके लिंग को धीरे धीरे सहलाने लगी।

“आखिरी बार जब तुझको नंगा तब देखा था जब तू फर्स्ट ईयर में था... है न?”

सुनील ने हाँ में सर हिलाया।

“और दीदी तुझे तब भी नहलाती थीं! हा हा!”

“क्या अम्मा!” वो झेंपते हुए बोला।

“कल नहला दूँ तुझे - पहले के ही जैसे?”

“नहला दो न अम्मा!” सुनील सम्मान के साथ बोला, “तुम मेरी माँ हो! तुम्हारा पूरा अधिकार है कि तुम जैसा चाहो, करो!”

“दीदी को बोल दूँगी!”

“अरे वो क्यों? वो मेरी माँ नहीं हैं!”

“हाँ, वो तेरी माँ नहीं है!” काजल सोचती हुई बोली, “वैसे, सुन्दर लगती है न, दीदी?”

“हाँ अम्मा! बहुत!” सुनील जैसे कहीं दूर जा कर बोला।

“फिगर भी अच्छा सा है! जवान लड़की जैसी ही तो लगती है!”

“हाँ!” सुनील स्वतः बोल पड़ा।

“तुझको लगती कैसी है वो?”

“बहुत अच्छी!”

“हमेशा सोचती हूँ कि वो जिस घर जाएगी न, वो बहुत भाग्यशाली घर होगा!”

“वो शादी करेंगी न?”

“अरे क्यों नहीं करेगी शादी! मैं करवाऊँगी उसकी शादी, हाँ नहीं तो! लेकिन कोई अच्छा सा वर भी तो मिले!”

“उनके लिए एक अच्छा वर कैसा होगा अम्मा?”

“अरे, ये कोई पूछने वाली बात है? इतनी अच्छी सी तो है दीदी! तो बढ़िया पढ़ा लिखा हो, अच्छा कमाऊ हो, उसको खूब प्यार दे सके! अच्छा संस्कारी लड़का हो। शान्त स्वभाव का हो। अच्छे शरीर वाला हो - स्वस्थ, सुन्दर! इतना सब तो होना ही चाहिए!”

काजल ने आकार में बढ़ते हुए उसके लिंग को दबाते सहलाते हुए कहा।

“हाँ अम्मा, यह सब तो चाहिए ही!”

काजल कुछ सोच कर फिर आगे बोली, “तूने अच्छा किया - अच्छी आदतें पालीं। अच्छा खाया पिया! एक्सरसाइज करता है। अच्छा लगता है तू भी!”

“हा हा! थैंक यू अम्मा!”

“हाँ! बुरी आदतें पालने से आदमियों का नुनु और बिची कमज़ोर हो जाता है! इतने सालों तक जो मैंने तुझे दूध पिलाया है, उसका लाभ न मिलता!”

“क्या अम्मा! आज कैसी कैसी बातें कर रही हो तुम?”

“देख सुनील, मैं तेरी माँ हूँ! तेरे भले के लिए ही सोचती हूँ! अब देख - अभी तक समझ हम सभी की तपस्या हो गई तुझे पाल पोस कर बड़ा करने में। तेरी अच्छी सी पढ़ाई, तेरा उत्तम कैरियर, तेरी बढ़िया सी जॉब - यह सब हम सभी की तपस्या का फल है! अब एक ही काम रह गया है बस - और वो है तेरी शादी का!”

काजल ने कहा, और फिर कुछ सोच कर आगे बोली, “शादी ब्याह कोई मज़ाक बात नहीं है। शादी में अगर औरत को बहुत सैक्रिफाइस करना पड़ता है, तो आदमी को भी करना पड़ता है। शादी जिम्मेदारी लेने का नाम है। उसमे जहाँ अपने परिवार होने का आनंद मिलता है, वहीं अनगिनत जिम्मेदारियाँ भी लेनी पड़ती है! और, अपनी बीवी को खुश रखना, उसको हर प्रकार का सुख देना, एक आदमी की सबसे पहली जिम्मेदारी होती है।”

“हाँ, मैं ये सब बातें मानता हूँ अम्मा। लेकिन तुम्हारा पॉइंट क्या है?”

“पॉइंट ये है कि अपनी बीवी को शारीरिक सुख देने के लिए आदमी के पास मज़बूत नुनु होना चाहिए। है कि नहीं?” काजल ने उसके लिंग की लम्बाई पर हाथ फिराते हुए कहा।

सुनील ने झुँझलाते हुए बोला, “तुम्हारे सामने ये थोड़े ही खड़ा होगा अम्मा।”

“क्यों?”

“तुम तो मेरी अम्मा हो न।”

“हाँ! वो बात भी ठीक है। मुझे गर्व है कि मेरा बेटा मेरा इतना सम्मान करता है! लेकिन लास्ट टाइम जब तुझे देखा था, तब तो दीदी के सामने तेरा नुनु खड़ा था!”

“क्या अम्मा!!”

“हाँ ठीक है, ठीक है! वो तेरी माँ थोड़े ही है! वैसे अभी जितना है, वो भी बढ़िया लग रहा है!”

“अम्मा, तुम्हारे दूध का कमाल फिर कभी दिखाऊँगा। बस अभी इतना जान लो कि अभी जितना है, उससे भी बड़ा हो जाता है।”

“सच में?”

“हाँ अम्मा! आई प्रॉमिस!”

“बढ़िया है फिर तो! मेरी बहू की रक्षा करना भगवान!”

“हा हा हा!”

“अच्छा सुन, मेरे मन में एक बात है। मैं सोच रही थी, कि अगर तुम अपनी जॉइनिंग के पहले ही शादी कर लो, तो बहू को अपने साथ ही लिए जाओ! बढ़िया एक साथ ही, नए शहर में, नया नया जीवन शुरू करो!”

“इतनी जल्दी अम्मा?”

“अरे, इसमें क्या जल्दी है रे? हम सभी ने तो लीगल ऐज का होते ही शादी कर ली थी - मैंने भी, दीदी ने भी, और अमर ने भी! तू भी लीगल ऐज का हो गया है। कर ले। अच्छा साथी मिल जाता है तो जीवन में बस आनंद ही आनंद आ जाता है! अगर तेरी वाली ‘हाँ’ कर दे, तो तुरंत शादी कर लो। हम हैं न - बिना किसी देरी के तुम दोनों की शादी करवा देंगे। और, बिना कारण इंतज़ार करने की कोई ज़रुरत नहीं, और न ही कोई लाभ। एक लम्बा वैवाहिक जीवन बिताओ साथ में!”

“हम्म!”

“जितनी जल्दी हो, उसको प्रोपोज़ कर दे! और, अगर वो मान जाए तो तुरंत शादी कर ले! बिना वजह इंतज़ार मत कर। हमारे पास ज़रुरत के हिसाब से पैसे हैं! इतने दिनों तक पैसे जोड़े हैं मैंने। इसलिए तुम चिंता न करना। अमर और मैं, तुम्हारा घर जमाने में पूरी मदद करेंगे। और फिर तू कुछ ही दिनों में अपनी जॉब भी शुरू कर लेगा। सब बढ़िया बढ़िया हो जाएगा!” काजल आनंदित होते हुए बोली।

“हम्म... सच में अम्मा, प्रोपोज़ कर दूँ?”

“हाँ! अब और देर न कर! बिना हिचके, बिना झिझके, और बिना डरे प्रोपोज़ कर दे बहू को!” काजल मुस्कुराते हुए बोली, “लेकिन पूरे मान सम्मान के साथ! वो अगर मना कर दे, तो ज़िद न करना। लेकिन सच कहूँ - मेरा दिल कहता है कि सब अच्छा अच्छा होगा!”

“ठीक है अम्मा!” सुनील मुस्कुराया, “थैंक यू अम्मा!”

काजल ने उसके ‘थैंक यू’ पर आँखें तरेरीं, और आगे बोली, “और वो मान जाए, तो तुरंत शादी कर लेना!”

“ठीक है अम्मा!”

“चल, अब जाती हूँ मैं! मेरी छातियाँ भी खाली हो गईं अब! तू सो जा! यहाँ जगह कम है। न तो तू ठीक से सो पाएगा और न ही मैं! और सवेरे मेरी लाडो रानियाँ मुझे अपने साथ नहीं देखेंगी, तो परेशान होने लगेंगी। गुड नाईट बेटा!”

“गुड नाईट अम्मा!”

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Bhai yah kahani mujhe bahut pasand thi aapki lekhni ka to me vese bhi prashanshak hu par is kahani me aap jis disha me badh rahe he wo sir pasand nahi aa raha. Jis sunil ko bachpan se Amar ki maa ne maa k rup me pala, kajal aur uski family ko apanaya support kiya wo ab Amar ki maa se shadi karna chah raha he. Isse achchha he is kahani ko yadi ase hi ant ki aur le jana he to incest hi daal do usme ab bacha kya he. Amar k sath uski mom ko set kar do. Is kahani ka ek nayak tha ab aap sunil ko fit kar rahe as a hero jo maza nahi aa raha padhane me. Jo maa bachpan se Amar se sabse jyada judi hui thi aur Amar k karan hi geby, devy aur kajal k pariwar se judi thi ab wo amar ko chhod kar sabse judi hui he wah, Amar k papa k jane ka gum aur devayani k jane k gum me dono hi ek dusre ka sahara he but aap unko dur kar naye sahare de rahe ho. Sorry brother just yah mere dil ki baat thi aap bura na manana but mujhe sunil aur Amar ki mom ka angel pasand nahi aaya so kaha diya vese hi jese Amar ka devi aur videshi k sath swapping wala incident samajh me nahi aaya tha.
 
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snidgha12

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अहो, आप श्री avsji के विशेष अनुग्रह पर मुझ अज्ञ अकिंचन ने कुछ दो शब्द लिखे। अनुग्रहित हुए।

आप का उत्तर पढ़कर और आप श्री को :what1: मुस्कुराता हुआ जानकर संतुष्ट भी हुए।

१.) आप श्री ने मुझे कृपा पात्र जानकर साथ रखने का जो आग्रह किया है उसके विषय में कहेंगे कि एक तो हम साहित्य प्रेमी हैं परन्तु तन और मन से कलुषित और मलिन उड़ीगन (षटपद) के समान हैं। पराग (स्वानंद) के लिए इस पुष्प से उस पुष्प पर जाते हैं और मधुर रस का उपभोग करते ही हैं , परन्तु यदा कदा मल पर भी बैठ जाते हैं।

२.) आप श्री के वचनों से आपका मंतव्य जान आहत होने सा भाव अंतर मन में जागा। आप देवनागरी का उपयोग कर जो हिंदी साहित्य जगत में नाम कर रहे हैं वह आपके यथोचित है। परन्तु क्या आप कि रचना कालजयी है। क्या छद्म नाम से प्रकाशित होने वाली रचना आप श्री को बहुमान दिलवाती है ।

मुझ snidgha12 नामधारी को ऐसा प्रतीत नहीं होता।
 
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avsji

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अहो, आप श्री avsji के विशेष अनुग्रह पर मुझ अज्ञ अकिंचन ने कुछ दो शब्द लिखे। अनुग्रहित हुए।

आप का उत्तर पढ़कर और आप श्री को :what1: मुस्कुराता हुआ जानकर संतुष्ट भी हुए।

१.) आप श्री ने मुझे कृपा पात्र जानकर साथ रखने का जो आग्रह किया है उसके विषय में कहेंगे कि एक तो हम साहित्य प्रेमी हैं परन्तु तन और मन से कलुषित और मलिन उड़ीगन (षटपद) के समान हैं। पराग (स्वानंद) के लिए इस पुष्प से उस पुष्प पर जाते हैं और मधुर रस का उपभोग करते ही हैं , परन्तु यदा कदा मल पर भी बैठ जाते हैं।

२.) आप श्री के वचनों से आपका मंतव्य जान आहत होने सा भाव अंतर मन में जागा। आप देवनागरी का उपयोग कर जो हिंदी साहित्य जगत में नाम कर रहे हैं वह आपके यथोचित है। परन्तु क्या आप कि रचना कालजयी है। क्या छद्म नाम से प्रकाशित होने वाली रचना आप श्री को बहुमान दिलवाती है ।

मुझ snidgha12 नामधारी को ऐसा प्रतीत नहीं होता।
अरे भाई, मैंने कब कहा कि मैं यहाँ हिंदी साहित्य में कोई योगदान कर रहा हूँ? ये कथाएँ सब मनोरंजन के लिए हैं। और स्वयं को ले कर मैंने कोई भी धारणा नहीं बना रखी है। बार बार मेरी खिंचाई कर के जो पहले ही बेइज़्ज़ती कर चुके हैं, उसमें और बढ़ोत्तरी न करें। यही निवेदन है प्रभु 😂🙏
 
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अहो, आप श्री avsji के विशेष अनुग्रह पर मुझ अज्ञ अकिंचन ने कुछ दो शब्द लिखे। अनुग्रहित हुए।

आप का उत्तर पढ़कर और आप श्री को :what1: मुस्कुराता हुआ जानकर संतुष्ट भी हुए।

१.) आप श्री ने मुझे कृपा पात्र जानकर साथ रखने का जो आग्रह किया है उसके विषय में कहेंगे कि एक तो हम साहित्य प्रेमी हैं परन्तु तन और मन से कलुषित और मलिन उड़ीगन (षटपद) के समान हैं। पराग (स्वानंद) के लिए इस पुष्प से उस पुष्प पर जाते हैं और मधुर रस का उपभोग करते ही हैं , परन्तु यदा कदा मल पर भी बैठ जाते हैं।

२.) आप श्री के वचनों से आपका मंतव्य जान आहत होने सा भाव अंतर मन में जागा। आप देवनागरी का उपयोग कर जो हिंदी साहित्य जगत में नाम कर रहे हैं वह आपके यथोचित है। परन्तु क्या आप कि रचना कालजयी है। क्या छद्म नाम से प्रकाशित होने वाली रचना आप श्री को बहुमान दिलवाती है ।

मुझ snidgha12 नामधारी को ऐसा प्रतीत नहीं होता।
अरे भाई, मैंने कब कहा कि मैं यहाँ हिंदी साहित्य में कोई योगदान कर रहा हूँ? ये कथाएँ सब मनोरंजन के लिए हैं। और स्वयं को ले कर मैंने कोई भी धारणा नहीं बना रखी है। बार बार मेरी खिंचाई कर के जो पहले ही बेइज़्ज़ती कर चुके हैं, उसमें और बढ़ोत्तरी न करें। यही निवेदन है प्रभु 😂🙏
 
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आपके विचारों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मित्र। एक बात समझाइये लेकिन -- किसी विधवा द्वारा पुनः विवाह करने की संभावना आपको इतनी क्यों अखर रही है कि आप उसको incest करने की सलाह दे रहे हैं? अगर वो इज़्ज़त से किसी अन्य पुरूष की विधि के हिसाब से ब्याहता बने तो क्या ख़राबी?
जहाँ तक माँ और अमर के बीच दूरी की बात है, तो अगर किसी के घर मे इस तरह की अशुभ घटनाएं हो जाएं, तो उनके व्यवहार में अंतर आना क्या स्वाभाविक नहीं? सोच कर बताइएगा।
और जहाँ तक नायक नायिका वाली बात है, इस कहानी में कोई नायक या नायिका नहीं है - अमर बस एक मुख्य किरदार है।
🙏
 
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snidgha12

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avsji आप अपने को गज के समान बनाएं, हम जैसे श्वान तो बकवाद करते हैं, परन्तु आप इस मान अपमान के किचड़ से परिपूर्ण जगत में आप पद्म के समान बनें।

धन्यवाद 🙏
 
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avsji आप अपने को गज के समान बनाएं, हम जैसे श्वान तो बकवाद करते हैं, परन्तु आप इस मान अपमान के किचड़ से परिपूर्ण जगत में आप पद्म के समान बनें।

धन्यवाद 🙏

भाई - आपने पुनः मेरी बात को अन्यथा में ले लिया।

बात शुरू हुई कि केवल लाइक बटन दबा देने से बेहतर हो कि दो लाइनें इस कहानी पर अपने विचार देने के लिए छोड़ देवें। फिर आपने बहुत कुछ लिखा - लगभग निबंध टाइप - बस कहानी के लिए कुछ नहीं लिखा। इसलिए मेरी कही हुई बात तो वहीं की वहीं अटकी हुई है।

और जहाँ तक बुरा मानने वाली बात है - जैसा कि आपने कहा, क्षद्म नाम में कहानी लिखी, तो क्या बुरा, क्या भला? किसने क्या कहा, क्या सुना, उसका क्या ही मोल है?
किन्तु पाठक जन आते हैं, कहानी पढ़ते हैं, तो लेखक का भी मन तो होता ही है कि वो पढ़ कर बताएँ कैसा लगा? ऐसी इच्छा करना कोई गुनाहे-अज़ीम नहीं! पाठक को अच्छा लगा या बुरा, वो अलग बात है।
अब ऊपर ही देख लीजिए - एक पाठक को इस कहानी की दिशा अच्छी नहीं लग रही है, तो उन्होंने साफ़ लिख डाला। और मैंने उनसे इस सन्दर्भ में संवाद करने का प्रयास भी किया है। यह एक आदरपूर्ण प्रक्रिया है। पहले भी कुछ पाठक ऐसा कर चुके हैं।

आपने क्या किया? विचार छोड़ने के मेरे अनुरोध के उत्तर में अनावश्यक क्लिष्ट हिंदी का प्रयोग, कई बार अनुपयुक्त स्थानों पर 'श्री' का प्रयोग - भई मुझे तो यही लगा कि आपने सरेआम मेरे इस फोरम पर क्षद्म अवतार avsji की छीछालेदर कर दी है। सो मैंने वो लिख दिया। बुरा नहीं माना। क्यों मानूँगा? इसलिए गज/श्वान वाली बात तो उठती ही नहीं।

सोचता हूँ, कुछ लेखक सोचते हैं कि लिखने के बदले उनको कुछ रकम मिले। ऐसे लेखकों को सब्ज़बाग़ देखने बंद कर देने चाहिए।
यहाँ तो दो सच्चे बोल आसानी से नहीं मिल रहे... रकम घंटा मिलेगी! 🤣🤣
 
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भाई - आपने पुनः मेरी बात को अन्यथा में ले लिया।

बात शुरू हुई कि केवल लाइक बटन दबा देने से बेहतर हो कि दो लाइनें इस कहानी पर अपने विचार देने के लिए छोड़ देवें। फिर आपने बहुत कुछ लिखा - लगभग निबंध टाइप - बस कहानी के लिए कुछ नहीं लिखा। इसलिए मेरी कही हुई बात तो वहीं की वहीं अटकी हुई है।

और जहाँ तक बुरा मानने वाली बात है - जैसा कि आपने कहा, क्षद्म नाम में कहानी लिखी, तो क्या बुरा, क्या भला? किसने क्या कहा, क्या सुना, उसका क्या ही मोल है?
किन्तु पाठक जन आते हैं, कहानी पढ़ते हैं, तो लेखक का भी मन तो होता ही है कि वो पढ़ कर बताएँ कैसा लगा? ऐसी इच्छा करना कोई गुनाहे-अज़ीम नहीं! पाठक को अच्छा लगा या बुरा, वो अलग बात है।
अब ऊपर ही देख लीजिए - एक पाठक को इस कहानी की दिशा अच्छी नहीं लग रही है, तो उन्होंने साफ़ लिख डाला। और मैंने उनसे इस सन्दर्भ में संवाद करने का प्रयास भी किया है। यह एक आदरपूर्ण प्रक्रिया है। पहले भी कुछ पाठक ऐसा कर चुके हैं।

आपने क्या किया? विचार छोड़ने के मेरे अनुरोध के उत्तर में अनावश्यक क्लिष्ट हिंदी का प्रयोग, कई बार अनुपयुक्त स्थानों पर 'श्री' का प्रयोग - भई मुझे तो यही लगा कि आपने सरेआम मेरे इस फोरम पर क्षद्म अवतार avsji की छीछालेदर कर दी है। सो मैंने वो लिख दिया। बुरा नहीं माना। क्यों मानूँगा? इसलिए गज/श्वान वाली बात तो उठती ही नहीं।

सोचता हूँ, कुछ लेखक सोचते हैं कि लिखने के बदले उनको कुछ रकम मिले। ऐसे लेखकों को सब्ज़बाग़ देखने बंद कर देने चाहिए।
यहाँ तो दो सच्चे बोल आसानी से नहीं मिल रहे... रकम घंटा मिलेगी! 🤣🤣
Bhai maine puri kahani nahi padhi per kya isme maa bete ka sex hai
 
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