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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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avsji

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जिस तरह से लड़की अपने पहले प्रेम को कुछ दिनो के बाद भुलाकर आगे बढ़ जाती है , किसी दूसरे के साथ रिलेशन बना लेती है , या शादी कर अपने गृहस्थ जीवन मे रत हो जाती है उस तरह मर्द नही कर पाते।

नहीं संजू भाई - ऐसा कुछ नहीं है।
औरतों पर expectations का इतना बोझा होता है कि देखने वाले को लगता है कि उसने सब भुला दिया!
लेकिन वैसा होता नहीं। मुश्किल और आसानी दोनों के मामले में उतनी ही है।

औरते अपने प्रेमी को शादी के कुछेक दिन या महीने बाद ही भुला देती है।

ना।

मर्द अपने प्रेम और पार्टनर को अपने दिलो-दिमाग से जल्द हटा ही नही पाते। कभी कभी जीवन भर उसकी याद को अपने सीने से लगाए रखते है।

दोनों के लिए यह बात समान है।

कुछ अपवाद जरूर है लेकिन मर्द और औरत की यह आम चरित्र होती है।

ऐसा ही मृत्यु के मामले मे भी होता है। औरत इमोशनल बहुत होती है लेकिन कुछ चीजे ऐसी होती है जहां मर्द उनसे अधिक इमोशनल होता है।

पुरुष अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद रोना गाना इसलिए अधिक मचाता है क्योंकि उसके पीछे उसका काम करने वाली (मतलब - पत्नी) चली गई होती है।
शादी के बाद मैंने कुछ अपवादों को छोड़ कर हर पुरुष को देखा है, अपने जीवन की हर बात के लिए अपनी पत्नी पर निर्भर होते।
अब ऐसे में पत्नी की मृत्यु से भयंकर झटका तो लगना ही है। यूँ अचानक ही अपने पाँवों पर वापस खड़ा हो पाना मुश्किल काम है।

स्त्रियों के लिए अपेक्षाकृत आसान हो सकता है, अगर उनको वित्तीय सुरक्षा मिले।
लेकिन अगर वित्तीय सुरक्षा नहीं है, तो उनके लिए भी बड़ा कठिन हो जाता है अपने पति की मृत्यु के बाद।

जैसा आपने कहा, भूल कर किसी और के साथ आगे बढ़ जाती हैं। जरूर, लेकिन भूल तो नहीं ही पाती हैं। हां आदमी जरूर अपने कंफर्ट जोन से बाहर आने में समय लेता है, औरत मुकाबले में, लेकिन बाहर दोनो तभी आते है, जब विकल्प अच्छा मिलता है।

बहुत हद तक सही है यह बात!
स्त्रियाँ वैसे भी अपना घर छोड़ कर दूसरों का घर सम्हालती हैं - इसलिए उनको अपना कम्फर्ट ज़ोन छोड़ना ही पड़ता है।
 
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नौजवान है आप लोग और बहुत अच्छी बात है कि आप लोग औरत के लिए अच्छी भावना रखते है। मै भी रखता हूं। महिलाओ के साथ मेरा एक्सपीरियंस बहुत बहुत ज्यादा रहा है। लेकिन सिंगल एक्सपीरियंस भी ऐसा नही था जिसे मै अच्छा कहूं। इसके बावजूद भी महिलाओ के प्रति मेरे दिल मे कभी भी मान सम्मान की भावना कम नही हुई।

जब आप लोग एक्सपीरियंस हो जाओगे या भुक्त भोगी हो जाओ तब शायद आप समझ सकेंगे।

बहुत कुछ देखा है और भोगा भी है। उसी आधार पर कहता हूं " मर्द का दिल रोता है और औरत की आंखे रोती है "।
मेरे छोटे भाई ने एक कहानी " बाप " लिखा । उन्हे कुछ तो समझ होगा तभी तो यह कहानी लिखा। शायद कुछ कहानी या फिल्म की वजह से लोग इन्हे मर्द से अधिक संवेदनशील करार कर देते है।

महिलाए इमोशनल होती है लेकिन हिम्मत भी उनमे मर्द से अधिक होती है। अगर आप औरत के माइंड को रीड करो तो यह समझ सकते है। मर्द विचलित अधिक होता है। महिलाए अधिकतर अपनी भावनाए तभी दर्शाती है जब उनके खुद के ऊपर कोई बात होती है।

वैवाहिक जीवन मे , अधिकतर औरत अपने पति को परेशानी , दिमागी टेंशन , हिकारत के अलावा कुछ नही देती। औरत कहेगी की मै पति को अपना प्यार देती हूं। प्यार एक दूसरे के कार्यों मे रूचि लेते हुए सहयोग करने , पति की इच्छा के तरजीह देने से होता है। केवल पति के साथ रात मे सोने से नही होता। इसीलिए मैने यहां कहा था कि शादी के मापदंड मे सिर्फ बीस बाइस प्रतिशत लोग ही क्वालिफाई करते है। बाकी तो समझौता होता है या परम्परा के नाम पर खिलवाड़।
अभी नही लेकिन देर सबेर आप लोग मेरे बात से सहमत जरूर होंगे।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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नौजवान है आप लोग और बहुत अच्छी बात है कि आप लोग औरत के लिए अच्छी भावना रखते है। मै भी रखता हूं। महिलाओ के साथ मेरा एक्सपीरियंस बहुत बहुत ज्यादा रहा है। लेकिन सिंगल एक्सपीरियंस भी ऐसा नही था जिसे मै अच्छा कहूं। इसके बावजूद भी महिलाओ के प्रति मेरे दिल मे कभी भी मान सम्मान की भावना कम नही हुई।

जब आप लोग एक्सपीरियंस हो जाओगे या भुक्त भोगी हो जाओ तब शायद आप समझ सकेंगे।

बहुत कुछ देखा है और भोगा भी है। उसी आधार पर कहता हूं " मर्द का दिल रोता है और औरत की आंखे रोती है "।
मेरे छोटे भाई ने एक कहानी " बाप " लिखा । उन्हे कुछ तो समझ होगा तभी तो यह कहानी लिखा। शायद कुछ कहानी या फिल्म की वजह से लोग इन्हे मर्द से अधिक संवेदनशील करार कर देते है।

महिलाए इमोशनल होती है लेकिन हिम्मत भी उनमे मर्द से अधिक होती है। अगर आप औरत के माइंड को रीड करो तो यह समझ सकते है। मर्द विचलित अधिक होता है। महिलाए अधिकतर अपनी भावनाए तभी दर्शाती है जब उनके खुद के ऊपर कोई बात होती है।

वैवाहिक जीवन मे , अधिकतर औरत अपने पति को परेशानी , दिमागी टेंशन , हिकारत के अलावा कुछ नही देती। औरत कहेगी की मै पति को अपना प्यार देती हूं। प्यार एक दूसरे के कार्यों मे रूचि लेते हुए सहयोग करने , पति की इच्छा के तरजीह देने से होता है। केवल पति के साथ रात मे सोने से नही होता। इसीलिए मैने यहां कहा था कि शादी के मापदंड मे सिर्फ बीस बाइस प्रतिशत लोग ही क्वालिफाई करते है। बाकी तो समझौता होता है या परम्परा के नाम पर खिलवाड़।
अभी नही लेकिन देर सबेर आप लोग मेरे बात से सहमत जरूर होंगे।
भाई जी, बस एक बात कहूंगा।

औरत जैसा निष्ठुर कोई नही होता इस दुनिया में। मर्द तो बस बदनाम होते हैं कठोर दिल होने के लिए।

बाकी बात आगे बढ़ने और भूलने की हो तो अभी भी बोलूंगा कि दोनो समान हैं इस बात में।
 

avsji

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वैवाहिक जीवन मे , अधिकतर औरत अपने पति को परेशानी , दिमागी टेंशन , हिकारत के अलावा कुछ नही देती। औरत कहेगी की मै पति को अपना प्यार देती हूं। प्यार एक दूसरे के कार्यों मे रूचि लेते हुए सहयोग करने , पति की इच्छा के तरजीह देने से होता है। केवल पति के साथ रात मे सोने से नही होता। इसीलिए मैने यहां कहा था कि शादी के मापदंड मे सिर्फ बीस बाइस प्रतिशत लोग ही क्वालिफाई करते है। बाकी तो समझौता होता है या परम्परा के नाम पर खिलवाड़।

संजू भाई, इस बात को न मानने का सवाल ही नहीं उठता। पूरी तरह से सही है। किस्मत से वैसा ही साथी मिला है मुझको जिसके साथ जिंदगी का सफ़र आसान और सुहाना हो गया है 🙏
 
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Kala Nag

Mr. X
Prime
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अरे भाई साहब, फाइनेंसियल ईयर एंडिंग का क्या ही कहूँ!
थक गया पूरी तरह - इसीलिए कुछ लिखना भी संभव नहीं हुआ।
आज पूरी तरह से ब्रेक लिया हर चीज़ से।
हा हा हा
हाँ भाई बड़ा ही प्रॉब्लम भरा महीना होता है
कहानी पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मित्र :)
संस्कार से सही ग़लत में फ़र्क़ करना आता है - इसलिए ग्लानि से मुक्त होना आसान है।
अब लतिका का झुकाव समझ में आता है पर अमर वह क्या इतनी सहजता स्वीकार कर पाएगा
अंतर्द्वंद में वह अपने आप को कोसता रहेगा
अंत निश्चय ही सुखद होगा परंतु स्वयं को समझाना इतना सहज नहीं होगा
ऐसा मेरा मानना है
हाँ, लेकिन व्यवहार में शिष्टता आनी लाज़मी ही है। अमर को लगा कि उसने जो किया, वो गलत था, इसलिए उसने लतिका से माफ़ी माँगी।
वही तो
अमर के मन में जो द्वंद होगा वह वात्सल्य प्रेम और जीवन संगिनी के प्रति के प्रेम के भीतर होगा
कहीं सुना था कि माफ़ी माँगना ऐसा होता है जैसे आप इबादत कर रहे हों।
ना नहीं
उतनी ही साफगोई, उतनी ही शिष्टता, उतना ही विश्वास!

आगे तो हम सभी जानते हैं कि क्या होगा! लेकिन कैसे होगा, और क्या क्या होगा, बस उसी पर कहानी है :)
साथ बने रहें भाई :)
हाँ भाई इसका तो प्रतीक्षा है
अब तक कहानी में हीरोइन की आयु हीरो से अधिक थी
पर यहाँ इस मोड़ पर परिस्थिति विपरित है
यही तो वह विशेषता है जो मुझे जाननी और देखनी है
 
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संजू भाई, इस बात को न मानने का सवाल ही नहीं उठता। पूरी तरह से सही है। किस्मत से वैसा ही साथी मिला है मुझको जिसके साथ जिंदगी का सफ़र आसान और सुहाना हो गया है 🙏
बहुत कम लोग होते हैं जिनका जोड़ी परफेक्ट होता है। आप और आपकी पत्नी किस्मत के धनी है जो आप दोनो की जोड़ी बन गई।
इससे आप इन्कार नही करेंगे कि असल प्राब्लम इंसान का शादी के बाद ही शुरू होता है। चाहे अपने फैमिली को लेकर या चाहे पति पत्नी के अपने रिश्ते के ऊपर।
बहुत ज्यादा देखा है समाज को ! कुछ दिन के अंतराल पर किसी न किसी सामाजिक या पारिवारिक कार्य की वजह से बचपन से ही सभी जगह मुझे ही ट्रेवलिंग करना पड़ा ।और अभी कुछ दिन पहले भी इसी वजह से एक हफ्ते इस फोरम पर दर्शन तक नही दे पाया। जब मेरी उम्र सात साल थी तब मेरे गार्डियन ने मुझे करीब डेढ़ हजार किलोमीटर भेज दिया था फैमिली मैटर की वजह से। और वो जो ट्रेवलिंग शुरू क्या हुआ कि अब तक थमा नही है।
कभी फुर्सत मे आप से बात करेंगे !
 

avsji

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बहुत कम लोग होते हैं जिनका जोड़ी परफेक्ट होता है। आप और आपकी पत्नी किस्मत के धनी है जो आप दोनो की जोड़ी बन गई।

जी भाई! किस्मत के धनी तो हैं हम!
मैं अंजली से अक्सर कहता हूँ कि कोई तो अच्छा काम किया होगा मैंने जो तुम मिली मुझको :)
शायद एक बात जो हमारे मुफ़ीद रही, वो यह कि हमारे परिवार बरसों से एक दूसरे को जानते थे - जब मैं और अंजली छोटे छोटे ही थे।

इससे आप इन्कार नही करेंगे कि असल प्राब्लम इंसान का शादी के बाद ही शुरू होता है। चाहे अपने फैमिली को लेकर या चाहे पति पत्नी के अपने रिश्ते के ऊपर।

अरे पूरी तरह से मानता हूँ यह बात! जीवन में जब एडजस्टमेंट करने की बात आती है, तब ही दिक्कतें शुरू होती हैं।
छोटी छोटी बातें खराब लगने लगती हैं अगले की। वहीं सारा फ्रिक्शन शुरू होता है।

बहुत ज्यादा देखा है समाज को ! कुछ दिन के अंतराल पर किसी न किसी सामाजिक या पारिवारिक कार्य की वजह से बचपन से ही सभी जगह मुझे ही ट्रेवलिंग करना पड़ा ।और अभी कुछ दिन पहले भी इसी वजह से एक हफ्ते इस फोरम पर दर्शन तक नही दे पाया। जब मेरी उम्र सात साल थी तब मेरे गार्डियन ने मुझे करीब डेढ़ हजार किलोमीटर भेज दिया था फैमिली मैटर की वजह से। और वो जो ट्रेवलिंग शुरू क्या हुआ कि अब तक थमा नही है।
कभी फुर्सत मे आप से बात करेंगे !

ज़रूर संजू भाई! बिलकुल बात करेंगे!
 

avsji

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हा हा हा
हाँ भाई बड़ा ही प्रॉब्लम भरा महीना होता है

हाँ भाई! लेकिन बोनस पूरे से अधिक मिलेगा इस बार!
टारगेट ब्रीच किया है :)

अब लतिका का झुकाव समझ में आता है पर अमर वह क्या इतनी सहजता स्वीकार कर पाएगा
अंतर्द्वंद में वह अपने आप को कोसता रहेगा
अंत निश्चय ही सुखद होगा परंतु स्वयं को समझाना इतना सहज नहीं होगा
ऐसा मेरा मानना है

वही तो
अमर के मन में जो द्वंद होगा वह वात्सल्य प्रेम और जीवन संगिनी के प्रति के प्रेम के भीतर होगा

अमर के मन में द्वंद्व बड़ा विकट होने वाला है। अगर सुनील और सुमन वाले कोण से देखें, तो यहां न अमर को कोई अंदेशा है, और न ही लतिका को ठीक से मालूम है।
सुनील को मालूम था कि उसको केवल सुमन से ही प्रेम है - ऐसा प्रेम जो कोई अन्य लड़की पूरा नहीं कर सकती। उसी दृढ़ निश्चय के कारण वो सुमन को पर्स्यु कर पाया। वो उफनाई हुई नदी का ऐसा प्रवाह था जिसमें बहने से सुमन खुद को रोक न सकी।
लतिका के मन में कोमल भावनाएँ हैं, लेकिन वो उम्र के उस नाज़ुक मोड़ पर है, जहाँ शायद लड़कियाँ बुद्धि से कम लेकिन भावनाओं से अधिक सोचती हैं। उधर, अमर लतिका के बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकता।

ना नहीं

:) कोई बात नहीं! अब सुन लिया!

हाँ भाई इसका तो प्रतीक्षा है
अब तक कहानी में हीरोइन की आयु हीरो से अधिक थी
पर यहाँ इस मोड़ पर परिस्थिति विपरित है
यही तो वह विशेषता है जो मुझे जाननी और देखनी है

हाँ - यह बात तो रही है हर बार!
सभी की सभी - गैबी, डेवी, और यहाँ तक कि रचना भी!
ऐसे में लतिका और अमर के बीच जेनेरेशन गैप जैसा भी कुछ है।

साथ बने रहिए! :)
एक और कहानी का प्लाट आया है दिमाग में! इस कहानी के बाद वो शुरू करूँगा।
उसमें थोड़ा रोमांच, रहस्य और पराशक्तियों की बातें होंगीं :)
 

KinkyGeneral

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एक और कहानी का प्लाट आया है दिमाग में! इस कहानी के बाद वो शुरू करूँगा।
उसमें थोड़ा रोमांच, रहस्य और पराशक्तियों की बातें होंगीं :)
les gooooooooooooooooo :poggers:
:poggers::poggers::poggers::poggers::poggers::poggers::poggers:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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असल प्राब्लम इंसान का शादी के बाद ही शुरू होता है। चाहे अपने फैमिली को लेकर या चाहे पति पत्नी के अपने रिश्ते के ऊपर।
इस बात से बिल्कुल सहमत हूं, आजकल इगो को लोग ज्यादा ऊपर रखते हैं, और दोनो ही रखते है।
जीवन में जब एडजस्टमेंट करने की बात आती है, तब ही दिक्कतें शुरू होती हैं।
ये जो आपने एडजस्टमेंट लिखा, बस यही लोग नही समझते और इन एडजस्टमेंट को कॉम्प्रोमाइज का ना दे कर इगो सैटिस्फाई करने के चक्कर में घनचक्कर बन जाते हैं
 
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