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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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avsji

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nice update..!!
yaar davi ki aisi kaisi fantacy hosakti hai..amar usse fully satisfied karta hai lekin fir bhi uske dimag me gayle ko dekh kar yeh fantacy jaag gayi..aur amar ne usko permission bhi de di..amar ko dil me dard toh huva hoga kyunki khud ke honeymoon pe hi uski biwi dusre se chudne ki fantacy puri karna chahti hai..!! bas ek baat hai ki iss fantacy ke chakkar me davi amar jaisa achha pati kho na de..kyunki aisi fantacy ki wajah se bahot rishte tut jate hai aur waise amar koi foreigner nahi hai woh indian hi hai..aur koi bhi indian aadmi kitna bhi free minded ho lekin shaadi jaise bandhan me bandhne ke baad pati patni ke liye kuchh maryada rakhi jati hai aur uska ullanghan hoga toh darar bhi paida hosakti hai..!! bhai amar ki jubani kahani kab start hogi..!!
बातें आपकी सारी सही हैं। लेकिन एक बात तो है - जब कोई कपल अपने शुरुवाती दिनों में ही एक दूसरे को ठीक से समझ लेता है न, तभी उनका जीवन ठीक से चलता है आगे।
सोचिये न - एक तरीके से यह अमर के लिए भी टेस्ट है, कि क्या वो अपनी बीवी पर भरोसा करता है?
किसी ने एक बार लिखा था कि डेवी को मालूम होना चाहिए कि अमर काजल के साथ सम्भोग करता रहेगा। कैसी अनूठी बात है। अमर करता है तो करता रहे, लेकिन डेवी पूरी तरह से डिवोटेड रहे। यह भी कोई बात हुई भला? तो यही सब बातें आगे आने वाले अपडेट में होंगी।

waiting for next update..!!
लिख रहे हैं। करते हैं अपडेट।
 
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Lib am

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नया सफ़र - विवाह - Update #15


देवयानी का परिप्रेक्ष्य (जारी) :


मेरी ट्रेन ऑफ़ थॉट्स किसी पक्षी की आवाज़ पर टूटी।

रिस्टवॉच में देखा - साढ़े चार के ऊपर हो गया था समय! समुद्र का शोर थोड़ा बढ़ गया था। शायद हाई टाइड था। थोड़ी रौशनी बढ़ गई थी, लेकिन अभी भी थोड़ा अँधेरा था, इसलिए साफ़ साफ़ कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

हनीमून के लिए अंडमान आना बिलकुल सही डिसिशन लग रहा था। अमर ने मुझे दो चॉइस बताई थी - या तो कान्हा के जंगल, या फिर अंडमान! कान्हा वाला आईडिया बहुत एक्साइटिंग लगा, क्योंकि मैंने कभी जंगल नहीं देखे। लेकिन वहाँ ठंडक बहुत रहती। दिल्ली की ठंडक में बाद और ठंडक झेलने का मेरा मूड नहीं हुआ। इसलिए मैंने अंडमान के लिए हाँ कही। बड़ा ही क्लीशे सा लगता है न - हनीमून के लिए बीच वाली जगह चले जाओ! लेकिन यहाँ आ कर पता चला कि ये तो वाकई स्वर्ग है! एक बात जो मुझे बेहद पसंद आई वो यह कि यहाँ आप की शांति, यहाँ की चुप्पी का मज़ा ले सकते हैं। बहुत आइसोलेटेड सी जगह है, इसलिए लोग ही नहीं दिखते। पोर्ट ब्लेयर ऐसा था, और हैवलॉक तो और भी खाली सी जगह है।

हमारा होटल या रिसॉर्ट (अगर आप इसे रिसोर्ट बोलना चाहें), लगभग खाली था! इस समय यहाँ केवल तीन ही मेहमान थे - हम - मतलब, अमर और मैं; कलकत्ता से आए हुए एक रिटायर्ड कपल; और गेल और मरी! बस, इतने ही लोग! ऐसा नहीं है कि हैवलॉक में और कोई टूरिस्ट नहीं थे, लेकिन ज्यादातर टूरिस्ट्स यहाँ से थोड़ी दूरी पर स्थित एक सरकारी होटल में रह रहे थे। इस ‘रिसोर्ट’ में फिलहाल बिजली नहीं थी, और टेलीफोन कनेक्शन भी बेहद खराब था। हमारे पेजर भी यहाँ यूज़लेस थे! हमने अपने अपने घरों में पोर्ट ब्लेयर से ही बता दिया था कि हम हैवलॉक जा रहे हैं, और वहाँ शायद एक या दो सप्ताह के लिए रुक सकते हैं - अगर अच्छा लगा तो! इसलिए अगर बातचीत न हो सके तो परेशान न हों।

गर्मी नहीं थी, लेकिन फिर भी उमस सी थी। समुद्र के ठीक बगल रहने से ऐसा होता है। वैसे यह ऐसी कोई प्रॉब्लम भी नहीं थी। लेकिन चटक धूप में एक्सपोज़ होने से ज़रूर ही हम दोनों थोड़े काले हो गए थे, लेकिन उमस वाले मौसम के कारण हमारी स्किन भी हेल्दी हो गई थी। ठंडक में तो लगता है कि बॉडी से बैक्टीरिया चिपके ही रहते हैं। लेकिन यहाँ लगातार पसीना निकलता रहता है, और स्किन ऑटोमॅटिकली क्लीन होती रहती है। हर जगह के अपने नफ़े और नुक़सान होते हैं। लेकिन ऐसे उमस और गर्मी वाली जगह में कपड़े कम पहनने या न पहनने का मन होता है। जैसे कि अभी! वैसे भी अमर के साथ जब अकेले होती हूँ, टी शरीर पर कपड़े होते ही नहीं! नज़र घुमा कर देखा - कोई आस पास नहीं था, तो मैंने अपनी नाइटी उतार दी, और समुद्र की ताज़ी, साफ़ हवा को अपने न्यूड शरीर पर महसूस करने लगी।

सुबह की हवा में समुद्र के पानी की महक घुली हुई थी - लेकिन अच्छा लग रहा था। ताज़ी हवा - ऑक्सीजन से लदी हुई! एक ट्रिविया - लोग सोचते हैं कि धरती की ऑक्सीजन पेड़ों से आती है - हाँ हाँ आती है, लेकिन मेजोरिटी - पृथ्वी की कोई तीन चौथाई ऑक्सीजन समुद्र में रहने वाले माइक्रो-ऑर्गैनिस्म जैसे कि प्लैंकटन से आती है। है न मज़ेदार बात? तो पेड़ लगाने से अधिक, हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि समुद्र में पॉल्यूशन न हो, या कम हो। तरह-तरह के पक्षी उड़ रहे थे, और अजीबोगरीब आवाजें निकाल रहे थे। समुद्र की लहरों के थपेड़े जब किनारे पर आ कर अपना दम तोड़ देते हैं, तो अलग ही तरीके की आवाज़ आती है - लहर की + नमकीन पानी के झाग फूटने की + पानी के वापस जाने की - तीनों की मिली जुली आवाज़ें! एक अलग ही तरह का एहसास! और यह एहसास कई गुणा बढ़ जाता है जब आस पास लोगों का शोर नहीं होता।

कुछ देर में थोड़ा थोड़ा उजाला होने लगा - हाँ, हाई टाइड (ज्वार) ही था - समुद्री पानी रिसोर्ट के बेहद करीब था इस समय। इतना करीब कि मैं अगर अहाते से उठूँ, और तीन क़दम चलूँ, तो पानी में चली जाऊँ! सच में - यह जगह स्वर्ग थी! और मैं यहाँ हमेशा के लिए रह सकती थी!

कुछ देर मैं उस सुन्दर नीरवता का मज़ा लेती रही। इतना आनंद आ रहा था कि मेरी आँख लग गई।

बगल के झोपड़े के खुलने की आवाज़ से मेरी नींद टूटी - शायद कोई पावर नैप जैसी झपकी आई थी मुझे। मैंने नज़र घुमा कर देखा तो बगल के कबाने के अहाते में मरी खड़ी हुई थी - और मेरी ही ओर देख रही थी। उसने अपनी कमर पर एक तौलिया लपेटा हुआ था, लेकिन कमर से ऊपर वो पूरी तरह से न्यूड थी। उसके लंबे, सीधे, काले बाल उसके कंधों पर ढलके हुए थे। उसके ब्रेस्ट्स छोटे थे, और थोड़ा लटके हुए थे। उसके ब्रेस्ट्स को देख कर मुझे खुद पर थोड़ा घमंड तो हुआ! दैट असाइड, मरी बहुत सुंदर सी थी, और बहुत सुन्दर लग भी रही थी! अभी अभी सो कर उठने के बावजूद! उसके हाथ में एक मग था, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि वो क्या पी रही थी। अगर कॉफी पी रही थी, तो इसका मतलब है कि वो रिसोर्ट के किचन से आ रही होगी। यहाँ रूम सर्विस नहीं थी और कॉफी लेने के लिए किचन में ही जाना पड़ता।

मरी को देख कर मुझे एक अजीब सी फ़ीलिंग महसूस हुई - क्यूरिऑसिटी मिली हुई। न जाने क्यों मैं मन ही मन इमेजिन करने लगी कि उसकी तौलिए के नीचे क्या था - मेरा मतलब है कि मैं यह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके तौलिए के नीचे क्या था! लेकिन फिर भी न जाने क्यों ऐसा थॉट मेरे मन में आने लगा! शायद इसलिए कि वो एक विदेशी औरत है! और वैसे भी लड़कियों को एक दूसरे के प्राइवेट पार्ट्स देख कर थोड़ी बहुत ईर्ष्या तो होती ही है! मुझे लगा कि वो मुझे पोर्च में बैठी देख कर अचकचा गई - इसलिए वापस जाने के लिए मुड़ी। उसके ऐसा करने से मुझे उसकी कमर के ठीक ऊपर एक टैटू दिखा। टैटू का अधिकाँश भाग उसके तौलिए ने ढँका हुआ था। न जाने क्यों लगा कि उसका बाकी का टैटू भी देखना चाहिए।

मरी ने जो कुछ भी सोचा हुआ हो - शायद उसने अपना वो विचार तुरंत ही बदल दिया। क्योंकि वो फिर से पलट कर वापस पोर्च में, मुंडेर तक आ गई - उतना आगे कि जहाँ से पोर्च की सीढ़ियां रेतीले बीच तक जाती थीं। उगते हुए सूरज की बेहद कमज़ोर रौशनी में मरी का पूरा फिगर दिख रहा था। हम दोनों में कितना अंतर था - मरी स्लिम थी, और मैं थोड़ा मोटी थी। उसके ब्रेस्ट्स छोटे थे, मेरे बड़े। मेरे बाल काले, उसके लाल-काले! वो यूरोपियन गोरी, और मैं इंडियन गोरी! उसके ब्रेस्ट्स थोड़ा ड्रूपिंग थे, मेरे फर्म!

मैंने गैबी की न्यूड पिक्स देखी थीं - वो बहुत ही सुन्दर लगती थी। उसका सब कुछ बहुत सुन्दर सा था। मुझे शुरू शुरू में उससे इंफिरियॉरिटी काम्प्लेक्स हो गया था। न जाने क्यों! इसीलिए समझदार लोग कहते हैं कि अपने को कभी किसी से कम्पेयर नहीं करना चाहिए! फिर मैंने सोचा कि अगर अमर को मुझसे इतनी मोहब्बत है, तो मैं ऐसे वैसे क्यों सोच रही हूँ? प्यार मोहब्बत के मामले में सेल्फ़ डाउट की कोई जगह नहीं होती! अमर के लिए जैसी गैबी इम्पोर्टेन्ट थी, वैसी ही मैं भी हूँ! हम दोनों ही उसके लवर्स थे और वाइफ भी! गैबी के बारे में सोचते सोचते मेरे मन में ख़याल आया कि क्या मरी भी गैबी के ही जैसी होगी?

उसने मेरी तरफ़ हाथ हिला कर थोड़ा ऊँची आवाज़ में कहा - जिससे समुद्री लहरों की आवाज़ से भी मुझे उसका कहा हुआ सुनाई दे जाए,

हाईया डेवी, गुड मॉर्निंग! आई सी दैट यू टू गेट अप वेरी अर्ली इन द मॉर्निंग?”

उसकी बात पर मुझे हँसी आ गई... काश कि वो मेरा लेज़ी साइड जानती!

“गुड मॉर्निंग मरी!”

मरी चलते हुए हमारे पोर्च में आ गई, और फिर झुक कर उसने मेरे दोनों गालों को चूमा।

होली मदर ऑफ़ गॉड! यू इनडीड आर वैरी सेक्सी!” उसने मुझसे कहा, और मेरे ही बगल वाली आराम कुर्सी पर लेट गई।

मुझको न्यूड देख कर शायद उसको भी थोड़ा सपोर्ट मिला हो! इसलिए लेटने से पहले, उसने अपनी कमर पर बंधे हुए तौलिये को उतार दिया। अब वो भी मेरी ही तरह पूरी तरह से न्यूड थी। वैसे भी इस वीरान से ‘रिसोर्ट’ में किसी के आने जाने का डर नहीं था।

आई लव दीस क्वायट मॉर्निंग्स ऑन द बीच!” उसने आह भरते हुए कहा, “सो पीसफुल... सो गुड!”

क्या मैंने पहले बताया कि मुझे मरी के बोलने का अंदाज़ बहुत पसंद आया था? उसके बोलने का तरीका कुछ ऐसा था कि लगता था कि वो गा रही हो।

दैट इस सो ट्रू! आई लव इट हियर!”

योर फर्स्ट टाइम ऑन बीच?”

ऑन अ बीच दिस क्लीन? यस!”

“ओह! हा हा हा! यू विल नेवर फॉरगेट इट!”

आई नो!”

आई होप यू डोंट माइंड सीइंग मी नेकेड?”

नॉट अट आल मरी! यू आर वैरी ब्यूटीफुल!”

यू आर इवन मोर!” मरी ने कहा और आगे जोड़ा, “यू सीम वैरी कूल... एंड योर हस्बैंड टू!” वो मुस्कुराई, “आई फ़िगर्ड दैट यू गाइस हैड लोड्स ऑफ़ फन लास्ट नाईट?”

‘अह ओह’ मरी की बात सुन कर मेरे चेहरे की रंगत लाल हो गई। मतलब कल रात के हमारे शोरगुल को इन दोनों ने सुन लिया था! लेकिन क्या करूँ? अमर करते ही ऐसे हैं कि अपने आप ही आहें निकलने लगती हैं!

ओह गॉड! व्ही वेर मेकिंग अ लॉट ऑफ़ नॉइज़, वरेन्ट वही?”

हनी, यू गाइस आर सपोज़्ड टू मेक अ लॉट ऑफ़ नॉइज़! यू आर जस्ट मॅरीड, एंड एंजोयिंग योर मैरिटल ब्लिस इस नथिंग टू बी अशेम्ड ऑफ़!” मरी ने मुझे समझाते हुए कहा।

वो रुकी, मुस्कुराई, और फिर आगे बोली, “इन फैक्ट, इफ एनीथिंग, आई मस्ट थैंक यू गाइस! आफ्टर यू गाइस वेर डन, फॉर द फर्स्ट राउण्ड दैट इस, गेल वास ऑन मी लाइक इट वास आवर फर्स्ट नाइट ऑफ़ आवर हनीमून!”

कह कर मरी हँसने लगी। उसकी बात पर मुझको भी हंसी आ गई। उसके बात करने का अंदाज़ बहुत ही बिंदास और मज़ाकिया था। मैंने एक बात तो रियलाइज़ करी - अमर के आने के साथ ही अचानक ही मेरी लाइफ में बढ़िया बढ़िया लोग आने लग गए थे। अमर के परिवार के सभी लोग कितने अच्छे थे, वो बार बार कहने की ज़रुरत नहीं! लेकिन उनके दोस्त भी वैसे ही! सच में - आई ऍम लुकिंग फॉरवर्ड टू माय लाइफ विद हिम! ऐसा साथी हो, तो जीने में कैसा मज़ा आए!

हाऊ लॉन्ग हैव यू टू बीन डेटिंग बिफोर यू गॉट मैरीड?”

उम् अबाउट सिक्स मंथ्स!”

दैट्स गुड! गेल एंड मी - व्ही डेटेड फॉर अबाउट सेवन एट मंथ्स! हाऊ ओल्ड इस ही?”

इस क्वेश्चन पर मैं थोड़ा नर्वस हो गई। विल शी जज मी?

ही इस ट्वेन्टी थ्री!”

ओह नाइस! वैरी यंग! इट इस गुड टू हैव अ यंग एंड एनर्जेटिक हस्बैंड! यू आर व्हाट? ट्वेंटी सेवन?”

आई ऍम थर्टी टू...”

व्हाट? नो!” मरी की बात से लगा कि वो जेनुइनली सरप्राइज़्ड थी!

अचानक ही मुझे अच्छा लगने लगा।

यस - आई ऍम नाइन इयर्स ओल्डर दैन हिम!”

वाओ! आई कांट बिलीव दैट यू आर माय ऐज! नो वे! यू लुक लाइक अ डॉल डेवी! अनबिलीवेबल! यू रियली डोंट लुक इवन अ डे ओल्डर दैन व्हाट आई गेस्सड अर्लियर! लेट मी टेल यू हनी, योर मैन श्योर नोस हाऊ टू मेक लव टू हिज वुमन एंड मेक हर हैप्पी! सो हीयर इट फ्रॉम मी - एंड इट इस माय डोज़ेन इयर्स ऑफ़ मैरीड लाइफ टॉकिंग - हैव अस मच लव एंड अस मच सेक्स अस पॉसिबल! अंडरस्टुड?”

यस मैम!” मैंने मुस्कुराते हुए मरी को सल्यूट किया।

हम दोनों ही इस बात पर हँसने लगे।

अगले बीस मिनट तक हम दोनों अपनी शादी, और मरी और गेल के हनीमून के किस्से सुनते सुनाते रहे। मरी एक खुशमिजाज, और सीधी-सादी औरत थी, और उसके साथ बात करना, हंसी मज़ाक करना बहुत आसान था! कुछ ही देर में ऐसा लगने लगा कि जैसे हम दोनों सालों से दोस्त हों! बहुत हद तक जयंती दी जैसी है वो। जब उसने बताया कि वो अपने खाली टाइम में सोशल वर्क और काउन्सलिंग करती है, तो मुझे बहुत आश्चर्य नहीं हुआ। उसकी पर्सनालिटी है वैसी! इस ट्रिप पर एक दोस्त पा कर मुझे अच्छा लगा!

हम दोनों कुछ देर और बातें करते रहे। अब इतना उजाला हो गया था कि सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई दे। लेकिन हाँ, हमारे आस पास सब कुछ पहले ही जैसा शांत निर्जन था। अचानक ही मरी वाले कबाना का दरवाजा खुला और उसमे से गेल से बाहर आया। वो पूरी तरह से नंगा था और उसका हैंडसम पीनस प्राउडली झूल रहा था। उसको ऐसे देख कर मैं थोड़ा अचकचा सी गई। उसके पीनस के आस पास का एरिया क्लीन शेव्ड था, जिससे उसके पीनस का साइज़ और बड़ा लग रहा था। वैसे मुझे अमर का नेचुरल लुक ज्यादा पसंद था। आई थिंक अ मैन शुड हैव बॉडी हेयर!

“मरी,” उसने अपनी बीवी को पुकारा।

सूरज की रौशनी उसकी आँखों में जा रही थी इसलिए उसने अपनी हथेली से रौशनी को रोक रखा था। शायद इसलिए भी वो हमको देख नहीं पाया।

ओवर हियर बेब!” मरी बोली, “आई ऍम जस्ट टॉकिंग टू डेवी! कम ऑन ओवर!”

उसका बस इतना कहना ही था कि गेल बिना किसी हेसिटेशन हमारी तरफ़ आने लगा। कोई परवाह ही नहीं! वो हमारी तरफ आ रहा था, और मरी मुझे समझा रही थी कि, “यू विल हैव टू एक्सक्यूज़ माय हस्बैंड... गेटिंग हिम टू वीयर क्लॉथ्स, स्पेशली टू बेड एंड व्हेन नियर बीच, इस लाइक टीचिंग अन ओल्ड डॉग अ न्यू ट्रिक - इम्पॉसिबल!”

बोंजोर डेवी!” उसने कहा।

हाय गेल!”

हर कबाना में तीन से चार आराम कुर्सियाँ थीं। मेरे कबाना में चार थीं, और वो बुज़ुर्ग कपल के कबाना में दो। गेल आ कर अपनी बीवी के बगल बैठ गया - पूरा फैल कर! जैसे हमारे सामने नंगा लेटना कोई मामूली या साधारण बात हो। ऐसी कोई बड़ी बात भी नहीं थी - अमर भी मेरे आस पास, या फिर अपने घर में नंगा हो कर घूमने में शरमाते नहीं हैं। डिपेंड्स ऑन द कम्फर्ट लेवल! लेकिन मेरे लिए तो यह नई बात थी। और तो और गेल बहुत हैंडसम भी था! अमर और गेल में बहुत अंतर नहीं है - हाँ, रंग का है और उम्र का है। लेकिन बस। इतना ही। दोनों ही हैंडसम! दोनों ही छरहरे और मज़बूत बॉडी के मालिक!

अचानक ही कपल स्वैपिंग वाला आईडिया फिर से दिमाग में कौंध गया। इतनी पुरानी फंतासी ऐसे नहीं जाती! ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि मुझे अमर के साथ सेक्सुअल सटिस्फैक्शन नहीं है। बहुत है। सोचने से भी अधिक। लेकिन बात कुछ और ही है। आई वांटेड टू सैंपल जस्ट वन ‘अदर मेल’ विद माय हस्बैंड्स अप्रूवल एंड ब्लेस्सिंग्स! अमर ने कभी सीधे सीधे इस बात से मना नहीं किया। मतलब उनको बुरा तो नहीं लगा ये सुन कर। यहाँ तक ठीक है। खुद अमर ने मुझे मिला कर अभी तक चार लड़कियों के साथ सेक्स किया ही हुआ है, और मैंने अमर को मिला कर दो! क्या वो इन दोनों के साथ स्वैप करना चाहेंगे? मतलब अमर मरी के साथ, और मैं गेल के साथ? लेकिन यह सब हमारे हनीमून पर? ओह्हो! क्या सोचेंगे वो मेरे बारे में? लेकिन क्या करूँ इस फंतासी का? ये गेल भी न! इसको यूँ नंगा नंगा इधर आने की क्या ज़रुरत थी? ही गेव मी दीस नॉटी थॉट्स! मैंने सोचा कि व्हाई नॉट टेस्ट द वाटर्स!

लेकिन गेल ने ऐसा कुछ रिएक्शन नहीं दिखाया कि लगे कि वो मेरी न्यूडिटी से अफेक्टेड है। उसके लिए मेरा न्यूड होना उतना ही नार्मल लग रहा था जितना उसका खुद का न्यूड होना! उसका पीनस पार्शियली इरेक्ट था - अब वो मेरे कारण था, या मरी के कारण, कह पाना पॉसीबल नहीं था। गेल तो नहीं, लेकिन मरी ज़रूर मुझसे पोसिटीवली अफेक्टेड थी। वो बोली,

यू रियली डू हैव अ नाइस फिगर डेवी... डू यू वर्क आउट?”

अपनी बढ़ाई सुन कर किसको अच्छा नहीं लगता? लेकिन सबके सामने तो ऐसा ही दिखाना पड़ता है न कि हम कितने हम्बल हैं!

व्हाय थैंक यू सो मच मरी! नो आई डोंट वर्क आउट! बट आई शुड!”

यस! स्टार्ट वर्किंग आउट। फॉर वीमेन आवर ऐज, एक्सरसाइज इस वैरी इम्पोर्टेन्ट एंड हेल्पफुल! ऑफ़ कोर्स यू मेन्टेन योर वेट विद इट, बट इट हेल्प्स विद मच मोर दैन दैट। यू कैन मेंटेन योर बॉडी रिदम एंड हॉर्मोन्स! एंड इट मेक्स यू फील गुड ऑल ओवर! इट इवन हेल्प्स विद योर सेक्स ड्राइव, राइट बेब?”

मरी ने कहते हुए गेल से पूछा।

स्पॉट ऑन हनी!” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

मरी मुस्कुराई।

गेल ने मरी का हाथ अपने हाथ में ले कर प्यार से दबाया। इतने सालों बाद भी दोनों में प्यार देख कर अच्छा लगा। मैं और अमर भी इन्ही के जैसे रहेंगे! खुश! इन विदेशी जोड़ों को देख कर अक्सर मन में ख़याल आता है कि क्यों हम लोग भी उन्ही के जैसे नहीं रह पाते? हैप्पी, रिस्पेक्टफुल, लविंग! गेल और मरी के रिलेशनशिप को देख कर ताज़गी वाला एहसास होता है। उनका ऐटिटूड भी बिलकुल बिंदास! गुड पीपल!

तभी एक अटेंडेंट वहाँ आ खड़ा हुआ। हम तीनों को ऐसे नंगा देख कर अगर उसको शॉक लगा भी, तो भी उसने दिखाया नहीं। शायद उसको वहाँ आये गेस्ट्स को ऐसे देखने का एक्सपीरियंस रहा हो।

“मैडम,” उसने मुझसे कहा, “ब्रेकफास्ट रेडी है। आप लोग चाहें तो आ जाइए!”

मैंने गेल और मरी को ट्रांसलेट कर के बताया।

ओह गुडी!” मरी ने खुश होते हुए मुझसे कहा, “व्ही आर गोइंग फॉर स्नॉर्केलिंग टुडे! व्हाई डोंट यू एंड अमर ज्वाइन अस ऐस वेल? यू विल लव द एक्सपीरियंस, आई ऍम श्योर!”

स्नॉर्केलिंग का आईडिया तो बढ़िया लग रहा था - मैंने कुछ ब्रोशर्स में पढ़ा था कि साफ़ समुद्री पानी में स्नॉर्केलिंग का एक अलग ही मज़ा है। लेकिन मुझे लगा कि यह बहुत एक्सपेंसिव होगा। मैंने उनको इस बारे में बताया। मरी ने कहा कि कोई भी इक्विपमेंट खरीदने की क्या ज़रुरत है। उसको रेंट किया जा सकता है, जो कि चीप रहेगा। चूँकि हम चारों को ही स्विमिंग आती है इसलिए किसी इंस्ट्रक्टर की कोई ज़रुरत नहीं है। बस, पानी में बहुत दूर तक नहीं जाना है - क्योंकि तेज करेंट्स का डर रहेगा। बाकी तो सब आसान ही है। अचानक ही मैं भी एक्साइट हो गई इस नई एक्टिविटी के बारे में सुन कर। मैंने उनसे कहा कि मैं अमर से बात कर के बताऊँगी। अमर अभी तक बाहर नहीं निकले थे, इसका मतलब अभी भी नींद में ही थे।

आई विल गो एंड वेक हिम अप!” मैंने कहा और गेल और मरी से फिलहाल के लिए विदा ली।

वो दोनों भी अपने कबाना जाने लगे - कपड़े पहनने।

**

मैं जब कमरे में आई तो देखा मैंने कि मेरे भोले सजन अभी भी सो रहे थे। हा हा हा! भोले सजन! ठीक है कि हमारी एडल्ट एक्टिविटीज में अमर थोड़ा सा भी भोलापन नहीं दिखाते, लेकिन भोले तो वो हैं! सोते हुए वो कितने पीसफुल लगते हैं। पीठ के बल लेटे हुए अमर का पीनस हमेशा के ही जैसे रेजिंग हार्ड था।

मुझे हँसी आ गई, ‘ये कभी शांत भी रहता है या नहीं!’

मेरी हँसी सुन कर अमर की नींद खुल गई। मुझे अपने सामने देखते ही वो मुस्कुराए।

“मेरा जानू उठ गया?”

“उहूँ,” अमर ने मुस्कुराते हुए कहा।

“हम्म जानू नहीं, जानू का टुन्नू उठा हुआ है!” मैंने उनको छेड़ा।

“हा हा हा हा!”

“क्यों उठा हुआ है?” मैंने उनके पीनस को पकड़ते हुए कहा।

“क्या पता?” अमर उनींदी आवाज़ में बोले।

“यहाँ कौन से सिग्नल आते हैं जिनको पकड़ता रहता है ये?” मैंने अमर को छेड़ा, “न तो टेलीफोन काम करते हैं, और न ही पेजर! और तो और लाइट भी नहीं आती! फिर भी!”

“ये बायो-पॉवर्ड है मेरी जान!” अमर ने मुझको अपनी बाहों में भरते हुए कहा, “अपनी जानेमन को अपने आस पास महसूस कर के ये एक्टिव हो जाता है!”

“हा हा हा!”

“अपनी जानेमन से इसका मन नहीं भरता?”

“कभी नहीं!”

कह कर अमर ने मुझको अपने ऊपर बैठा लिया।

समझ में तो आ गया कि अब आगे क्या होने वाला है - लेकिन अमर का स्टाइल भी न... बिलकुल बिंदास है! बोलते भी तो हैं - अर्ली मॉर्निंग सेक्स इस द बेस्ट सेक्स! एंड व्हेन ही एन्टर्ड मी - ओह गॉड! अमेजिंग सेन्स ऑफ़ कम्प्लीटनेस! अमर के साथ सेक्स करना ऐसा लगता है जैसे मैं किसी बीच वेकेशन पर हूँ - हॉट, ह्यूमिड, वेट एंड रिलैक्सिंग! इन दैट आर्डर!

ये बदमाश लड़का अभी अभी सो कर उठा है, और इतनी एनर्जी!

ओह गॉड!

और ये तब था जब मैं अमर की सवारी कर रही थी!

स्ट्रांग एंड पावरफुल थ्रस्टस!

मेरी हर नस में ऐसे झुनझुनी होने लगी कि जैसे उनमें आग लग गई हो। और सेक्स का प्लेज़र इतना इंटेंस था कि साँस लेना मुश्किल होने लगा। आँखें बंद और मुँह से हाँफते हुए साँस!

ओह गॉड! अमर रियली इस अ सेक्स सावांत!

कभी सोचा ही नहीं था कि कोई मुझको इस तरह से मज़ा दे सकता है। ऐसा लगने लगा था कि मैं कोई म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट हूँ जिसको बजाने में अमर कोई वर्चुआसो हैं! उधर अमर धक्के पर धक्के लगाए जा रहे थे। कुछ ही देर में मेरी बॉडी पसीना पसीना हो गई थी, और यह एक्सपीरियंस बर्दाश्त के बाहर जाने लगा था।

यही हर बार होता है - सब कुछ फेमिलिअर तरीके से शुरू होता है, लेकिन फिर कण्ट्रोल मेरे हाथों से निकल जाता है। हर बार ऐसा ही लगता है कि जैसे मैं डेज़ में हूँ! अमर के साथ हमेशा यही होता है मेरे साथ... आई जस्ट कैन नॉट कण्ट्रोल माय इमोशंस, इवन इफ आई ट्राईड! अमर का पैशन ओवर-पॉवरिंग है, और उनके सेक्सुअल टैलेंट्स मास्टरफुल! हर बार यही होता है - कुछ देर के बाद आई जस्ट रेस्पॉन्ड टू व्हाट ही डस! आई ऍम ऑलवेज़ हिस विलिंग कम्पैनियन! दिस इस ब्लिस! ऐसे शानदार मर्द के साथ होने का मज़ा ही अलग है!

पिछले दो मिनट से मैं लगातार आहें भर रही हूँ। गला सूख चुका है। लेकिन अमर के धक्के रुक ही नहीं रहे हैं। अचानक ही मुझे उनकी बॉडी में एक टाइटनेस महसूस हुई। फैमिलियर फीलिंग! अमर भी जल्दी ही इजैकुलेट करने वाले हैं। मेरा ओर्गास्म तो पहले ही हो चुका!

आई वास नाउ रेडी टू गेट अ जेनेरस डोज़ ऑफ़ हिस लाइफ गिविंग सीड्स!

कुछ देर बाद जब वो मेरी कोख को भरने लगे तब मुझे ऐसा लगा कि जैसे दिमाग से सारे ख़याल हट गए हों - बिलकुल ब्लैंक! मेरी पूरी बॉडी थरथरा रही थी और मेरी वजाइना ऐसे बिहैव कर रही थी कि जैसे उस पर मेरा कोई कण्ट्रोल ही न हो! अमर के पीनस को वो ऐसे निचोड़ रही थी कि जैसे उसका सारा रस वो पी लेना चाहती हो! धक्के सारे अमर ने मारे थे, और ढेर मैं हो गई!

**

“जानू?” मैंने पुकारा।

एक वंडरफुल सेक्स के आफ़्टरग्लो में कितना पीसफ़ुल लगता है। कोई थॉट्स नहीं। बस, अगर कुछ होता है तो वो है प्यार!

“हम्म?”

“आई लव यू!” मैं हिचकिचा रही थी।

“सबसे ज्यादा!” उन्होंने कहा।

“जानू?”

“क्या बात है, मेरी जान? क्या हो गया?”

आई वास थिंकिंग!”

“क्या?” उन्होंने पूछा।

जब मैंने कुछ देर कुछ नहीं कहा तो वो ही बोले, “यू डू नो दैट यू कैन टॉक अबाउट एनीथिंग विद मी। राइट?

“हनी?” कुछ देर चुप रह कर मैं फिर बोली।

“हाँ?” उन्होंने फिर से कहा - इस बार मुझको चूमते हुए, “बोलो न! क्या हुआ, मेरी जान?”

“तुम बुरा तो नहीं मानोगे?”

“तुम्हारी किसी भी बात का मैं बुरा नहीं मानूँगा - प्रॉमिस! अब बताओ। क्या हो गया?”

“हनी?” मैं अभी भी हिचक रही थी।

“क्या हो गया मेरी पिंकू को?” उन्होंने मुझको दुलार करते हुए कहा, “मुझसे ऐसे हिचकेगी, तो फिर हमारी बातें कैसे होंगी?”

“पक्का नहीं नाराज़ होंगे?”

“तुमसे? नाराज़? मैं? हो ही नहीं सकता!” उन्होंने मेरे एक निप्पल को छेड़ते हुए कहा।

“ठीक है,” मैंने अनसरटेनटी से कहा, “आप प्लीज नाराज़ मत होना, और मेरे बारे में ऐसा वैसा मत सोचना?”

“अरे यार! मेरी डेवी, तुम ऐसे मत सोचो - सी, आई थिंक आई नो व्हाट यू वांट! इफ यू वांट तो एक्सपीरियंस सेक्स विद गेल, देन लेट मी टेल यू, यू हैव माय परमिशन! आई विल नॉट फील बैड अबाउट यू... एट आल!”

व्हाट!” मुझे यकीन ही नहीं हुआ, “आर यू श्योर?”

अब्सॉल्युटली!” अमर ने कहा, “आई नो दैट यू वांटेड टू एक्सपीरियंस इट वन्स! एंड गेल सीम्स लाइक अ गुड एनफ फेलो! व्हाई नॉट!”

“ओह गॉड, अमर! माय अमर! माय लव!” मैंने अमर को बेतहाशा चूमते हुए कहा, “यू आर वंडरफुल! प्लीज अंडरस्टैंड दैट इट इस ओनली फॉर क्यूरिऑसिटी!”

“जानेमन, सेक्स करना, तो पूरे मज़े लेना!” उन्होंने मेरी क्लिटोरिस को छेड़ते हुए कहा, “बाद में मुझे कोई कम्प्लेन नहीं चाहिए!”

“ओह हनी! आई ऑलमोस्ट डोंट वांट टू डू इट नाउ! यू आर सो गुड टू मी!”

“नो! लेट अस गेट दिस आउट ऑफ़ आवर सिस्टम नाउइट हैस बीन योर लॉन्ग स्टैंडिंग फंतासी! आई वांट यू टू फुलफिल इट!”

ओह गॉड हनी!” मैं अमर से लिपटते हुए बोली, “आई ऍम योर स्लेव! यू आर द बेस्ट हस्बैंड दैट एनी वुमन कैन गेट!”

और यह बात पूरी तरह से सच भी थी! अमर के जैसा हस्बैंड - कम से कम मुझको तो नहीं मिल सकता। किसी आदमी की बीवी उसको ऐसा कुछ बोल दे, तो वो आदमी अपनी बीवी की खाल खींच ले। नहीं तो तलाक़ दे दे। और भी, अगर वो औरत अपने हनीमून पर उसको यह बोले! लेकिन अमर सबसे अलग हैं! उनको मालूम है कि अगर मेरी यह डिजायर शांत नहीं हुई, तो आगे मेरे फ़िसलने का खतरा बना रहेगा। इसलिए उनकी परमिशन से अगर ये हो तो ठीक है। सच में - उनकी इस बात पर तो मैं उनकी और भी बड़ी दीवानी हो गई हूँ।

दिस मैन इस अ कीपर!

**
ये डेवी की ख्वाहिश क्या एक बार पर खतम होगी या फिर डेवी इस लत के भवर में फस जायेगी। बहुत ही सुंदर अपडेट।
 
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पहला प्यार - विवाह - Update #1


शाम को, माँ ने कॉल किया। उन्होंने मुझे और गैबी को बताया कि हमारी शादी की तारीख उस दिन से दो सप्ताह बाद के लिए तय हो गई है। बस दो सप्ताह! समय बहुत कम था, लेकिन यह अच्छी बात भी थी। अब हमको मिलने में - एक होने में - बस दो सप्ताह का ही समय था! मेरा पूरा वृहद् परिवार - मतलब रिश्तेदार - मेरे पैतृक स्थान के निकट ही रहते थे, इसलिए उनके लिए वहाँ आना बहुत आसान था। माँ की योजना यही थी - सभी को पैतृक स्थान पर ही बुला कर हमारी शादी कराने की। उम्मीद है कि उन्होंने हमारी मंदिर में शादी करने की इच्छा को भी सुनिश्चित करने के लिए कोई इंतज़ाम किया होगा।

रात में, गैबी और मैं एक साथ सोए - पूरे नग्न। मैं उस दिन काजल के साथ कई बार सम्भोग करके बेहद संतुष्ट था, और बेहद थक गया था। गैबी तो उस तरह से संतुष्ट नहीं हुई थी, लेकिन वो इस बारे में कोई शिकायत भी नहीं कर सकती थी। यह उसी का प्रण और प्रतिबन्ध था कि शादी से पहले सेक्स नहीं करना है। नहीं तो अब तक मैं उसको यौन सुख का आनंद कितनी ही बार दिला सकता था! फिर भी, वो इस बात पर खुश थी कि मैंने और काजल ने एक साथ मस्ती की। उसने मुझे यह भी बताया कि उसने सुनील के साथ जो अनुभव किया वह खास था! गैबी ने मुझे बताया कि उस दिन सुनील को स्तनपान कराने से उसके भी अंदर माँ बनने की इच्छा बलवती हो गई है - यह एक ऐसा विचार था जिससे वो पहले डरती रही है। लेकिन अब उसको लग रहा था कि वो मेरी पत्नी और मेरे बच्चों की माँ बन कर अपार हर्ष का अनुभव करेगी।

इसके साथ ही एक बेहद रोमांचक दिन का अंत हो गया था!

**

हमारी शादी तक के दिन बड़ी तेजी से बीत गए! एक तो वैसे ही बहुत कम समय था, और ऊपर से खरीददारी वाले इतने सारे काम! ऐसा लगा कि पलक झपकाई, और दस दिन गायब!

समझदार और जानकार लोगों ने मुझे बताया था कि शादी होने तक का समय भावनात्मक रूप से बहुत अधिक देने वाला हो सकता है! उनकी बात पूरी तरह से ठीक थी। मैंने गैबी को सुझाव दिया कि चूंकि हमारे पास बहुत ज्यादा समय नहीं था, इसलिए हमको शादी के लिए सारी खरीदारी जल्दी से जल्दी कर लेनी चाहिए। गैबी ने कहा कि माँ पहले से ही सारा इंतज़ाम संभाल रही हैं। जब मैंने माँ से बात की, तो उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, कि वो और डैड दोनों फिलहाल इसी काम में व्यस्त हैं। हाँलाकि गाँव में शादी होने के कारण, हमारी शादी में खर्च बेहद कम होने वाला था, लेकिन फिर भी पैसे तो चाहिए ही थे। उस समय देश में एटीएम जैसी व्यवस्था नहीं थी - बैंक में ही, लाइन लगा कर पैसे निकलवाने पड़ते थे। यात्रा के समय ट्रेवलर्स चेक, बैंक ड्राफ्ट इत्यादि का इस्तेमाल होता था, लेकिन गाँव में उनको भुनाना भी लगभग असंभव था। इसलिए मैंने उनसे कहा कि मैं अपने साथ पैसे लेता आऊँगा। कुछ आवश्यक वस्तुओं, जैसे गैबी, माँ और काजल के लिए ज़ेवर इत्यादि को खरीदने का काम मैंने ही कर लिया। माँ और डैड के कारण मुझे बहुत राहत मिली। उनका साथ होना बहुत अच्छा था। गैबी और मैं अकेले अधिकांश काम नहीं कर सकते थे। मैंने काजल से भी साथ ही चलने को कहा - मैंने उसको अपने अन्य जगहों के काम से बीस दिनों की छुट्टी लेने को कहा।

पहले तो उसने थोड़ी न नुकुर करी! इस पर मैंने कहा कि मैं उसको बाकी घरों पर काम करने के पैसे भी दूँगा। मेरी इस बात पर काजल बहुत नाराज़ हुई। पूरे दो दिनों तक उसने मुझसे बात नहीं करी। बाद में उसने बताया कि बाकी घरों के लिए उसने अपनी सहेली को काम पर लगा दिया है, और वो हमारे साथ चलेगी। यह एक तरीके का ‘श्रम विनिमय’ था - जब सहेली छुट्टी मारे, तो काजल उसके घरों में काम कर देती थी, और जब काजल छुट्टी मारे, तो सहेली। वो अलग बात थी कि काजल मेरे यहाँ हमेशा आती रही। फिर भी, उसको मैंने अतिरिक्त रुपए लेने का आग्रह किया। बहुत अनुनय विनय करने पर उसने मुझसे वो रुपए गुल्लक में ही जमा कर देने को कहा। अब तक उसके गुल्लक में कम से कम दो महीने की तनख्वाह के बराबर रुपए जमा हो गए थे। लेकिन, वो कभी उनको छूती ही नहीं थी। काजल के भी हमारे साथ ही आने की बात सुन कर माँ और डैड को भी बहुत अच्छा लगा। वैसे तो गाँव में सहायता उपलब्ध थी, लेकिन फिर भी काजल से एक अलग ही प्रकार का अपनापन हम सभी को ही था। कुछ नहीं तो काजल के होने से कम से कम गैबी को तो एक भावनात्मक सहारा तो मिल ही सकता था!

उधर, माँ की इच्छा थी कि वो गैबी को जल्दी से जल्दी अपनी बहू बना लें, इसलिए इतनी जल्दी की तारीख निकलवाई। डैड और माँ ने हमारी शादी को ले कर हमारी इच्छाओं को पूरा करने के लिए सब कुछ किया। वे हमारी शादी के लिए एक भव्य उत्सव चाहते थे, लेकिन वो इस बात का भी सम्मान करते थे कि गैबी और मैं एक शांत, सुन्दर, केवल स्नेही और करीबी लोगों के लिए, और भारतीय संस्कृति के क़रीब वाली शादी चाहते थे! हमारे विवाह में केवल कुछ सबसे करीबी लोग और मित्र मौजूद हों, इतना ही हमारे लिए काफ़ी था। गैबी क्रिस्तान थी, लेकिन फिर भी उसका मन था कि सनातन धर्म के हिसाब से ही हमारा विवाह हो! साथ ही साथ उसको रंग बिरंगे कपड़ों में सज धज कर, एक राजकुमारी के जैसे ही, अपनी शादी के लिए तैयार होने का बहुत मन था! हम दोनों का ही बड़ा मन था कि किसी प्राचीन मंदिर में हमारा विवाह हो। लेकिन गाँव में हमारी शादी की बात सुन कर लगा कि शायद वो इच्छा पूरी होनी संभव न हो! लेकिन उस संदेह के विपरीत, हमारे विवाह के लिए माँ और डैड को एक बहुत बढ़िया स्थान मिल गया!

हमारे पुश्तैनी गाँव में सदियों पुराना एक शिव-पार्वती मंदिर था। लोगों का मानना था कि इस मंदिर का निर्माण करीब साढ़े तीन शताब्दी पहले हुआ था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण [ए.एस.आई.] ने इस आकलन की पुष्टि भी की है। जैसा कि लगभग सभी प्राचीन मंदिरों के साथ होता है, हमारे स्थानीय लोगों का मानना था कि इस मंदिर में पूजा करने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। बहुत पहले कभी यहाँ बड़ी चहल पहल होती थी, और सुदूर इलाकों से लोग भगवान् के दर्शनों के लिए यहाँ आते थे। लेकिन पिछले कई दशकों से इस मंदिर की हालत खस्ता थी। मंदिर के बेहद पास ही में पीपल के दो पेड़ उग आने के कारण, मंदिर की नींव और मुख्य ढाँचे को काफी नुकसान हुआ था। इसलिए अब इस सुन्दर से मंदिर को स्थानीय लोगों के अतिरिक्त कोई जानता भी नहीं था। और तो और, अब वहाँ पूजा अर्चना भी नहीं होती थी। लेकिन गाँव के प्रबुद्ध लोगों के नेतृत्व में इस मंदिर को अभी हाल ही में, धर्मार्थ दान से प्राप्त धन से, स्थानीय लोगों द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। जीर्णोद्धार के लिए, उन्होंने लगभग उसी निर्माण सामग्री का उपयोग किया था, जो पहले मंदिर के निर्माण में उपयोग की गई थी। चूंकि मंदिर लंबे समय से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था, इसलिए यह मान लेना सुरक्षित था कि गैबी और मेरा विवाह, उस मंदिर के शानदार और लम्बे इतिहास में, एक लंबे समय में पहली शादी होगी! यह भी लगभग सौ प्रतिशत संभव था कि दो देशों, दो परंपराओं, दो भाषाओं और दो संस्कृतियों वाले किसी युगल (जोड़े) का पहली बार इस मंदिर में विवाह होगा!

हालाँकि गैबी और मैं एक साधारण सी शादी करना चाहते थे, लेकिन माँ और डैड की इच्छा पर हमने गाँव में ही एक भव्य रिसेप्शन देने का सोचा। हम चारों को ही यह आईडिया बहुत अच्छा लगा क्योंकि इस तरह से पूरा गाँव हमारी शादी में शरीक़ हो सकता था! इस हिसाब से भव्य शादी तो यह होने वाली थी ही! सबसे अच्छी बात यह थी कि हम बड़ी आसानी से इस विवाह में होने वाले खर्च का वहन कर सकते थे। शादी तो वही अच्छी, जिसमें विवाह करने वालों पर बिना वजह का धन का भार न आए। नहीं तो आज कल तो दिखावे की शादियों का चलन है - लोग लोन (ऋण) ले कर फ़िज़ूल का खर्च करते हैं।

जैसा कि मैंने काफ़ी पहले बताया है, मेरा हमारे गाँव से मज़बूत जुड़ाव है। इस गाँव में हमारी पुश्तैनी जायदाद है - एक घर, मूल रूप से आज-कल की भाषा में एक फार्महाउस, जिसे मेरे परदादा जी ने बनवाया था। मेरे दादाजी के कुछ साल पहले गुजर जाने के बाद, वहाँ अब कोई नहीं रहता था। यह एक पुराना फार्महाउस था। गाँव के कई घरों के विपरीत, यह घर मुख्य रूप से पत्थरों और ईंटों का उपयोग करके बनाया गया था। इसकी छत खपरैल से बनाई गई थी, और अंदर फूस की एक परत थी। भवन निर्माण में इस्तेमाल की गई लकड़ी अभी भी स्वस्थ अवस्था में थी और संभव था कि अगले पचास वर्षों तक भी ऐसे ही रहेगी। इस घर में चार समान आकार के कमरे थे : उनमें से तीन भूतल पर थे, और एक ऊपर, पहली मंज़िल पर! इस कारण से ऊपर वाले कमरे से घर की काफी बड़ी छत का आनंद उठाया जा सकता था। जब सब्ज़ियों का मौसम होता, तो लौकी या कद्दू की लता पूरे छत पर फैली दिखाई देती - उनके फलों के साथ। अनाज और अन्य सामान रखने के लिए एक भंडार कक्ष था, एक रसोईघर था, केंद्र में एक खुला आंगन था, जहाँ से पूरे घर में हवा और प्रकाश का आवागमन होता। कुल मिलाकर यह एक बहुत अच्छा सा घर था। इसकी उम्र और नाममात्र के क्षय को देखते कह सकते हैं कि यह एक मजबूत निर्माण था। जैसा कि अधिकांश पुरानी इमारतों में होता है, यह घर गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता था।

लेकिन इस घर की भी अपनी कई सीमाएँ थीं - घर के अंदर शौचालय का कोई प्रावधान नहीं था। दादा जी के समय तो सभी खेत में निवृत्त हो जाते थे, या फिर नहाने के लिए कुएँ पर चले जाते। लेकिन अब ज्यादातर लोगों को ऐसे खुले में शौच या स्नान करना ठीक नहीं लगता; सभी को इन कामों के लिए एकांत चाहिए। इसलिए डैड ने कुछ साल पहले घर के ठीक सामने, आँगन में एक बढ़िया सा बाथरूम बनवाया था - आपको वो बात शायद याद हो। दिक्कत केवल यह थी कि ये घर के बाहर था। रसोई छोटी थी, लेकिन दिन में उसमे रोशनी अच्छी आ जाती थी। रसोई के साथ समस्या यह थी कि उसमें अभी तक कोई गैस कनेक्शन नहीं था। खाना पकाने के लिए वही परंपरागत लकड़ी के चूल्हे का इंतज़ाम था। इन चूल्हों में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इनसे बहुत धुंआ निकलता है। इसलिए, उन पर खाना पकाने वाले व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा होता है। तो हाल ही में एक मिट्टी के तेल का चूल्हा भी लगाया गया था... हालांकि उसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं हुआ (क्योंकि गाँव के घर पर कोई होता ही नहीं खाना पकाने को)। पहले घर के अंदर ही पानी की व्यवस्था न होने के कारण दिक्कत होती थी, लेकिन डैड ने कुछ समय पहले ही वर्षा जल संचयन [रेन वाटर हार्वेस्टिंग] सिस्टम बनवाया और घर के अंदर ही एक हैंडपंप लगवाया। अब कुएं पर जाकर पानी खींचने की जरूरत नहीं होती थी। कुल मिला कर पूरा घर अच्छी तरह से रोशनी और हवादार था। इसे तब बनाया गया था जब देश में बिजली की कोई अवधारणा नहीं थी। यद्यपि हमारे गांव और घर वर्तमान में बिजली से जुड़े हुए थे, लेकिन उसकी आपूर्ति पूरी तरह अनियमित थी। आप उस पर भरोसा नहीं कर सकते थे। लेकिन अगर आप इतनी खूबसूरत जगह में हैं, तो बिजली की जरूरत क्यों! गाँव की हवा साफ थी, पानी शुद्ध था, भोजन ताजा, स्वादिष्ट और पौष्टिक था! वहाँ का जीवन सादा और आरामदेह था, और वहां के लोग अभी भी आधुनिक चीजों के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करते थे। मतलब, अभी भी वहाँ सब कुछ बढ़िया था!

शीघ्र ही, हमने अपना सामान पैक किया और हम पाँचों - गैबी, काजल, सुनील, लतिका और मैं, मेरी कार से अपने पैतृक गांव के लिए निकल पड़े। कार छोटी तो अवश्य थी, लेकिन लतिका के गोद में होने के कारण कार के अंदर मुश्किल नहीं हुई। सामान के नाम पर एक बड़ा सूटकेस था, जिसमें गैबी और मेरे शादी के कपड़े-लत्ते थे, और चार एयर-बैग्स थे, जिसमें हम सभी के रोज़मर्रा के कपड़े थे! हमको सवेरे शीघ्र ही निकलना था, इसलिए काजल ने रात ही में आलू-टमाटर की सूखी सब्ज़ी और पूरियाँ छान ली थीं - कल रास्ते के लिए। ठण्डक के मौसम में इसी प्रकार की खाद्य सामग्रियाँ ही लम्बी यात्रा के लिए उपयुक्त हैं। वैसे भी, उस समय रास्ते में भोजन इत्यादि का हमको ठीक से आईडिया नहीं था। चाय पानी बाथरूम के लिए तो सब ठीक है, लेकिन खाना पीना तो अपना वाला ही ठीक रहता है। रात में हम पाँचों हमारे घर पर ही रुके, जिससे सवेरे जल्दी निकल सकें। मेरा गाँव बहुत दूर नहीं था - कार से बस लगभग 12 घंटे का सफर था, अगर गाड़ी थोड़ी तेज़ चलाएँ - नहीं तो कोई साढ़े तेरह घण्टे! अब हम सारों में मैं ही अकेला ड्राइवर था, इसलिए इतनी लम्बी यात्रा थका देने वाली हो जाती है। लेकिन काजल और गैबी ने सुनिश्चित किया कि गाड़ी चलाते समय मेरे आराम का अच्छी तरह से ध्यान रखा जाए। हम केवल खाना खाने और रस्ते में बाथरूम इत्यादि के लिए ही रुके। इसलिए मेरा थकना लाज़मी है। जब मैं शाम तक गाड़ी चलाते हुए बहुत थक गया, तो मैंने कार को मुख्य सड़क पर, घने जंगल वाले इलाके में, थोड़ा साइड में ले कर रोक दिया, और कुछ देर सो गया। करीब एक घंटे के उस ब्रेक के दौरान, किसी ने भी मुझे परेशान नहीं किया। फिर मुझे चाय [जो हमने रास्ते में होटल से खरीद कर थर्मस में भर लिया था] पीने के लिए जगाया गया ताकि तारो-ताज़ा हो कर फिर से ड्राइविंग शुरू की जा सके। चौड़े राजमार्गों, संकरी कस्बों की गलियों, और धुंध भरे खेतों से गुजरते हुए वास्तव में बहुत अच्छा समय और अंततः देर शाम तक हम अपने गाँव पहुँचे। सवेरे पाँच बजे निकल कर, शाम को सात बजे गाँव पहुंचे।
क्या शानदार कहानी है avsji भाई। इसके पहले मैंने आपकी दो कहानियां पढ़ी थी और वो दोनो ही कहानियां मुझे बेहद पसंद आईं थी। इस कहानी को मैंने हाल ही में पढ़ना शुरू किया था और सोचा था कि सभी अपडेट पढ़ने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया दूंगा लेकिन खुद को रोक नहीं सका। मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि किसी कहानी का कॉन्सेप्ट इतना खूबसूरत भी हो सकता है। Incest catagory में होते हुए भी इस कहानी में मैंने कहीं पर भी कोई अभद्रता और कोई अश्लीलता नहीं देखी। फिर चाहे वो मां बेटे के बीच अंतरंग वाला रिश्ता हो या फिर काजल या गैबी के साथ। हर रिश्ते के साथ इतना मधुर दृश्य दिखाया आपने कि पढ़ते वक्त मन प्रफुल्लित हो उठता था। मैं खुले दिल से स्वीकार करता हूं कि incest catagory में मैंने अब तक जो भी कहानियां पढ़ी थी ये उन सभी से बेहतर है और ये भी दावे के साथ कह सकता हूं कि इस तरह नज़ाकत से भरी कहानी दूसरा कोई नहीं लिख सकता। ऐसी अद्भुत कहानी लिखने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आप जैसे अदभुत लेखक को मेरा कोटि कोटि प्रणाम। :bow:
ये कहानी इतनी रोचक और खूबसूरत है कि मुझे समझ में ही नहीं आ रहा कि इसके संबंध में मैं ऐसे किन शब्दों द्वारा समीक्षा करूं जिससे कि इस कहानी की गरिमा और शान में कोई गुस्ताखी न होने पाए। ऐसे माता पिता बड़े ही नसीब वालों को मिलते हैं जो अपने बेटे के साथ इतना खूबसूरत रिश्ता बनाते हैं। मैं तो यही सोच सोच कर चकित था कि बेटे के साथ इतना कुछ करने के बाद भी उनके अंदर किसी प्रकार की ऐसी भावना जन्म नहीं लेने पाई जिसके चलते उनके बीच का रिश्ता दाग़दार हो जाए या ऐसी मानसिकता हो जाए जिसके चलते ये खूबसूरत परिवार पतन के रास्ते पर पहुंच जाए। सब कुछ कितनी खूबसूरती से दिखाया है आपने, भावनाओं का सुंदर शब्दों द्वारा चित्रण, इतना कुछ होने के बाद भी रिश्तों के बीच की मर्यादा का हनन नहीं हुआ बल्कि वही मान सम्मान और प्यार बना रहा जो कि बेटे के प्रति होना चाहिए। ये सब चीज़ें ऐसी थीं जिन्होंने मुझे चमत्कृत कर दिया। ऐसा वही कर सकता है जिसके पास इतना अद्भुत हुनर हो.....अविश्वसनीय। :applause:
इस कहानी का हर दृश्य और हर किरदार अदभुत प्रतिभा और अद्भुत मानसिकता वाला है। गांव का वो अदभुत दृश्य जिसमें ताई हमारे हीरो की मालिश करती है और इतना ही नहीं सबके सामने उसकी मां को भी नग्न कर के मालिश करती है। गांव की औरतों के लिए ये सब सामान्य सी बात थी। उस लड़की के साथ हीरो का अकेले में मिलना और उनके बीच की वो बातें कितनी सुंदर थीं। छोटी उमर में भी उस लड़की के अंदर कितनी maturity थी। अपना हीरो तो अब जा कर थोड़ा समझदार हुआ है लेकिन इस लड़की की बातों में जो एहसास जो जज़्बात थे वो हृदय को छू गए। आसान नहीं होता किसी के प्रति अपने अंदर पनप उठी कोमल भावनाओं को बेदर्दी से कुचल देना अथवा दबा लेना। ख़ैर नियति के खेल तो हमेशा से ही हम इंसानों की समझ से परे रहे हैं।
काम करने वाली एक मामूली सी औरत काजल का चरित्र जिस तरह से उभर कर आया वो भी अदभुत और अविश्वसनीय ही था। ये हीरो का चरित्र ही था जिसने काजल के हृदय में भी उसके प्रति प्रेम का अंकुर पैदा कर दिया। उसके बाद गैबी जैसी विदेशी लड़की कहानी में Enter हुई। इंटरनेट के माध्यम से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ जो धीरे धीरे प्रेम प्रसंग में बदल गया। गैबी को पीएचडी करना था जिसके लिए हीरो ने उसकी मदद की और उसे भारत बुला कर अपने साथ रख लिया। दो प्रेमी एक साथ रहने लगे, काजल के साथ गैबी का रिश्ता और उसका ब्यौहार हर गुजरते समय के साथ गहरा और सुंदर होता गया। काजल हीरो को स्तनपान कराती थी, ये दृश्य ऐसे थे जो बेहद ही खूबसूरत थे। उसने गैबी को भी स्तनपान कराया। गैबी के लिए ये सब हैरतंगेज था किंतु वो भी खुशी खुशी इस माहौल में ढल गई। काजल के बच्चों को हीरो का एक पिता की तरह प्यार और स्नेह देना और उनके उज्ज्वल भविष्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना बेहद ही रोचक लगा। काजल को अपने पति से ये सब कभी प्राप्त नहीं हुआ था और जब हीरो के द्वारा उसने ये सब अपने लिए करते हुए देखा तो ज़ाहिर है कि उसके दिल में उसके प्रति प्रेम को जन्म ले ही लेना था। उसके बच्चे भी तो हीरो को अपने पिता जैसा ही मानने लगे थे। बात करें गैबी की तो वो एक ऐसी लड़की है जो खूबसूरत तो है लेकिन उसे अपने परिवार वालों का वैसा प्यार और सहयोग नहीं मिला जैसा कि उसे मिलना चाहिए था। अपने देश में उसके कई लड़कों के साथ जिस्मानी संबंध थे लेकिन उसके इन संबंधों को जानने के बाद भी अपने हीरो को कोई फ़र्क नहीं पड़ा जोकि हैरानी की बात तो थी किंतु ये उसके विसाल हृदय का परिचय भी था। ख़ैर इस कहानी में ऐसा बहुत कुछ है जो अपने आप में ही बेहद अदभुत और बेहद खूबसूरत है। अगर उस सबके बारे में कहना शुरू करूं तो शायद कई अपडेट लिखने पड़े फिर भी कम ही होंगे। :love:
गैबी से विवाह की तैयारी चल रही है और हमारा हीरो सबको ले कर गांव के लिए निकल चुका है। उधर उसके माता पिता भी गैबी जैसी लड़की को अपनी बहू के रूप में खुशी खुशी स्वीकार कर लिया है और जल्द से जल्द उसे पक्के तौर पर अपनी बहू बना लेना चाहते हैं। एक बार फिर से गांव के मधुर दृश्य देखने को मिलेंगे, एक बार फिर से गांव की शुद्ध ठेठ भाषा का आनंद मिलने वाला है। अभी से उत्सुकता जाग उठी है कि वहां पर क्या क्या होगा? वहां के लोग गैबी जैसी लड़की को किस आव भाव से लेंगे। क्या उस लड़की का भी प्रसंग देखने को मिलेगा जिससे हीरो की एकांत में मुलाकात हुई थी? अगर हां, तो कैसा पल रहेगा वो जब वो दोनो आमने सामने होंगे। मेरा खयाल है कि आज भी उस लड़की के कोमल हृदय में हीरो के प्रति वही कोमल भावनाएं कहीं दबी हुई होंगी।
बहुत ही खूबसूरत कहानी लिख रहे हैं avsji भाई। यकीन मानिए ये कहानी मेरी सबसे ज़्यादा पसंदीदा कहानियों में से एक हो गई है। आप हमेशा यूं ही लिखते रहें और हम सब आपकी इतनी सुंदर कहानियों का लुत्फ उठाते रहें। :hug:
 
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क्या शानदार कहानी है avsji भाई। इसके पहले मैंने आपकी दो कहानियां पढ़ी थी और वो दोनो ही कहानियां मुझे बेहद पसंद आईं थी। इस कहानी को मैंने हाल ही में पढ़ना शुरू किया था और सोचा था कि सभी अपडेट पढ़ने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया दूंगा लेकिन खुद को रोक नहीं सका। मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि किसी कहानी का कॉन्सेप्ट इतना खूबसूरत भी हो सकता है। Incest catagory में होते हुए भी इस कहानी में मैंने कहीं पर भी कोई अभद्रता और कोई अश्लीलता नहीं देखी। फिर चाहे वो मां बेटे के बीच अंतरंग वाला रिश्ता हो या फिर काजल या गैबी के साथ। हर रिश्ते के साथ इतना मधुर दृश्य दिखाया आपने कि पढ़ते वक्त मन प्रफुल्लित हो उठता था। मैं खुले दिल से स्वीकार करता हूं कि incest catagory में मैंने अब तक जो भी कहानियां पढ़ी थी ये उन सभी से बेहतर है और ये भी दावे के साथ कह सकता हूं कि इस तरह नज़ाकत से भरी कहानी दूसरा कोई नहीं लिख सकता। ऐसी अद्भुत कहानी लिखने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आप जैसे अदभुत लेखक को मेरा कोटि कोटि प्रणाम। :bow:
ये कहानी इतनी रोचक और खूबसूरत है कि मुझे समझ में ही नहीं आ रहा कि इसके संबंध में मैं ऐसे किन शब्दों द्वारा समीक्षा करूं जिससे कि इस कहानी की गरिमा और शान में कोई गुस्ताखी न होने पाए। ऐसे माता पिता बड़े ही नसीब वालों को मिलते हैं जो अपने बेटे के साथ इतना खूबसूरत रिश्ता बनाते हैं। मैं तो यही सोच सोच कर चकित था कि बेटे के साथ इतना कुछ करने के बाद भी उनके अंदर किसी प्रकार की ऐसी भावना जन्म नहीं लेने पाई जिसके चलते उनके बीच का रिश्ता दाग़दार हो जाए या ऐसी मानसिकता हो जाए जिसके चलते ये खूबसूरत परिवार पतन के रास्ते पर पहुंच जाए। सब कुछ कितनी खूबसूरती से दिखाया है आपने, भावनाओं का सुंदर शब्दों द्वारा चित्रण, इतना कुछ होने के बाद भी रिश्तों के बीच की मर्यादा का हनन नहीं हुआ बल्कि वही मान सम्मान और प्यार बना रहा जो कि बेटे के प्रति होना चाहिए। ये सब चीज़ें ऐसी थीं जिन्होंने मुझे चमत्कृत कर दिया। ऐसा वही कर सकता है जिसके पास इतना अद्भुत हुनर हो.....अविश्वसनीय। :applause:
इस कहानी का हर दृश्य और हर किरदार अदभुत प्रतिभा और अद्भुत मानसिकता वाला है। गांव का वो अदभुत दृश्य जिसमें ताई हमारे हीरो की मालिश करती है और इतना ही नहीं सबके सामने उसकी मां को भी नग्न कर के मालिश करती है। गांव की औरतों के लिए ये सब सामान्य सी बात थी। उस लड़की के साथ हीरो का अकेले में मिलना और उनके बीच की वो बातें कितनी सुंदर थीं। छोटी उमर में भी उस लड़की के अंदर कितनी maturity थी। अपना हीरो तो अब जा कर थोड़ा समझदार हुआ है लेकिन इस लड़की की बातों में जो एहसास जो जज़्बात थे वो हृदय को छू गए। आसान नहीं होता किसी के प्रति अपने अंदर पनप उठी कोमल भावनाओं को बेदर्दी से कुचल देना अथवा दबा लेना। ख़ैर नियति के खेल तो हमेशा से ही हम इंसानों की समझ से परे रहे हैं।
काम करने वाली एक मामूली सी औरत काजल का चरित्र जिस तरह से उभर कर आया वो भी अदभुत और अविश्वसनीय ही था। ये हीरो का चरित्र ही था जिसने काजल के हृदय में भी उसके प्रति प्रेम का अंकुर पैदा कर दिया। उसके बाद गैबी जैसी विदेशी लड़की कहानी में Enter हुई। इंटरनेट के माध्यम से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ जो धीरे धीरे प्रेम प्रसंग में बदल गया। गैबी को पीएचडी करना था जिसके लिए हीरो ने उसकी मदद की और उसे भारत बुला कर अपने साथ रख लिया। दो प्रेमी एक साथ रहने लगे, काजल के साथ गैबी का रिश्ता और उसका ब्यौहार हर गुजरते समय के साथ गहरा और सुंदर होता गया। काजल हीरो को स्तनपान कराती थी, ये दृश्य ऐसे थे जो बेहद ही खूबसूरत थे। उसने गैबी को भी स्तनपान कराया। गैबी के लिए ये सब हैरतंगेज था किंतु वो भी खुशी खुशी इस माहौल में ढल गई। काजल के बच्चों को हीरो का एक पिता की तरह प्यार और स्नेह देना और उनके उज्ज्वल भविष्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना बेहद ही रोचक लगा। काजल को अपने पति से ये सब कभी प्राप्त नहीं हुआ था और जब हीरो के द्वारा उसने ये सब अपने लिए करते हुए देखा तो ज़ाहिर है कि उसके दिल में उसके प्रति प्रेम को जन्म ले ही लेना था। उसके बच्चे भी तो हीरो को अपने पिता जैसा ही मानने लगे थे। बात करें गैबी की तो वो एक ऐसी लड़की है जो खूबसूरत तो है लेकिन उसे अपने परिवार वालों का वैसा प्यार और सहयोग नहीं मिला जैसा कि उसे मिलना चाहिए था। अपने देश में उसके कई लड़कों के साथ जिस्मानी संबंध थे लेकिन उसके इन संबंधों को जानने के बाद भी अपने हीरो को कोई फ़र्क नहीं पड़ा जोकि हैरानी की बात तो थी किंतु ये उसके विसाल हृदय का परिचय भी था। ख़ैर इस कहानी में ऐसा बहुत कुछ है जो अपने आप में ही बेहद अदभुत और बेहद खूबसूरत है। अगर उस सबके बारे में कहना शुरू करूं तो शायद कई अपडेट लिखने पड़े फिर भी कम ही होंगे। :love:
गैबी से विवाह की तैयारी चल रही है और हमारा हीरो सबको ले कर गांव के लिए निकल चुका है। उधर उसके माता पिता भी गैबी जैसी लड़की को अपनी बहू के रूप में खुशी खुशी स्वीकार कर लिया है और जल्द से जल्द उसे पक्के तौर पर अपनी बहू बना लेना चाहते हैं। एक बार फिर से गांव के मधुर दृश्य देखने को मिलेंगे, एक बार फिर से गांव की शुद्ध ठेठ भाषा का आनंद मिलने वाला है। अभी से उत्सुकता जाग उठी है कि वहां पर क्या क्या होगा? वहां के लोग गैबी जैसी लड़की को किस आव भाव से लेंगे। क्या उस लड़की का भी प्रसंग देखने को मिलेगा जिससे हीरो की एकांत में मुलाकात हुई थी? अगर हां, तो कैसा पल रहेगा वो जब वो दोनो आमने सामने होंगे। मेरा खयाल है कि आज भी उस लड़की के कोमल हृदय में हीरो के प्रति वही कोमल भावनाएं कहीं दबी हुई होंगी।
बहुत ही खूबसूरत कहानी लिख रहे हैं avsji भाई। यकीन मानिए ये कहानी मेरी सबसे ज़्यादा पसंदीदा कहानियों में से एक हो गई है। आप हमेशा यूं ही लिखते रहें और हम सब आपकी इतनी सुंदर कहानियों का लुत्फ उठाते रहें। :hug:

भाई साहब - बहुत, बहुत, और बहुत धन्यवाद! पाठक मित्रों के इस प्रकार के सन्देश पढ़ कर मेरा हृदय प्रफ़ुल्लित हो जाता है।
दरअसल यह कहानी मेरे ही एक मित्र (अमर) के जीवन पर आधारित है, और मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ कि इस कहानी में लिखीं हुई बातें ज्यादातर सत्य हैं। हाँ, जैसा कि हम लेखक लोग करते हैं - मैंने भी कुछ स्थानों पर अभिव्यक्ति वाली छूट ले रखी है। लेकिन फिर भी गप्पों पर भी मुझे ऐसा लगता है कि अगर जो कुछ मैंने लिखा है, वो केवल मेरे मित्र के साथ ही संभव है। लेकिन कहानी में लिखी हुई हर बड़ी घटनाएँ सत्य हैं।
अमर के माता पिता ऐसे क्यूट कपल हैं कि क्या कहें! सीधे, सरल और स्नेही लोग। दोनों ही। उनके बारे में अनेक बातें हैं, जो आपको कहानी के अगले हिस्सों में मालूम पड़ेगी। जब घर में संस्कार अच्छे होते हैं, तो बच्चे भी अच्छे ही निकलते हैं। बचपन में अमर वैसे तो बेहद बुद्धिमान थे, लेकिन उनमें व्यवहारिकता की कमी तो थी। वैसे भी संभव है कि माँ बाप की स्नेह-वर्षा के कारण उनको समय से पहले 'चालू' होने की आवश्यकता ही न पड़ी हो। लेकिन इसी कारण से अमर का एक अनूठा ही व्यक्तित्व बन कर उभरा। मैं उनको कोई बारह साल से जानता हूँ, और सच में - उनके जैसा मित्र नहीं है! उन्होंने तब मेरा साथ दिया, जब मैं बिल्कुल अकेला पड़ गया था। और, भाभी भी क्या कमाल की हैं! बिलकुल एक-दूजे के लिए बनी जोड़ी!
वैसे इस कहानी में कोई हीरो हीरोइन नहीं है - बस एक सेंट्रल करैक्टर है - अमर। उन्ही के इर्द गिर्द घूमती है यह कहानी। लेकिन कहानी में फोकस हमेशा उन्ही के ऊपर नहीं रहेगा। आवश्यकतानुसार सभी के बारे में विस्तार से लिखा जाएगा। फिलहाल के लिए ---
गैबी का किरदार एक ऐसी लड़की का है जो अपने परिवार से ही निराश हैं। माता पिता तो वो होते हैं जो अपने बच्चों से प्रेम करें, उनका उत्साह वर्द्धन करें, उनका सम्बल बनें। लेकिन गैबी के साथ एक लम्बे समय तक अन्याय ही हुआ। और तो और, उनके बारे में जान कर मुझे भी बहुत निराशा हुई थी। कौन कर सकता है अपनी ही संतान के साथ ऐसा? लेकिन उनके साथ तो हुआ। लेकिन उनका जैसा तन सुन्दर, उससे भी अधिक मन सुन्दर! प्रेम की भूख के कारण ही उनके अनेक सेक्स पार्टनर्स बने, लेकिन फिर भी प्रेम न मिला। अमर के आने से पहले तो कभी नहीं। और अमर से उनको ऐसा अनकंडीशनल प्रेम मिला कि वो खुद को रोक ही न सकीं उनका होने से! अमर के आते ही उनको एक ऐसा परिवार मिल गया जहाँ केवल स्नेह और प्रेम की वर्षा होती रहती है। अद्भुत जोड़ी है अमर और गैबी की! पढ़ते रहिए - आपको और पता चलेगा उनके बारे में।
काजल आर्थिक और सामाजिक रूप से निम्नवर्ग में जन्मी, और उसमे भी निकृष्ट रूप में पली बढ़ी स्त्री हैं। न उनके पढ़ाई लिखाई का कोई ठिकाना रहा, और न ही शादी-ब्याह का कोई ठीक ठौर। लम्पट, नाकारा पति। और ऐसे में दो संतानें! सुनील मेधावी है। उसको एक डायरेक्शन चाहिए था अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए। ऐसे में वो डायरेक्शन अमर ने उसको दिया। क्यों न माने वो अमर को अपना पिता? सब कुछ तो किया है अमर ने वो पोजीशन हासिल करने के लिए। कम से कम काजल का जीवन अब जा कर स्थिर हुआ है। इसलिए अब वो भी निर्बाध रूप से अपना जीवन जीना चाहती हैं। अमर के साथ उनके सम्बन्ध थोड़े जटिल स्वभाव के हैं, वो आपको आगे समझ में आएगा।
मैं अपने आप को एक फेमिनिस्ट लेखक मानता हूँ। मेरे फेमिनिस्ट होने का यह मतलब नहीं है कि मैं स्त्रियों को पुरुषों से श्रेष्ठ मानता हूँ (हाँलाकि कई मामलों में वो पुरुषों से श्रेष्ठ हैं)! मैं बस चाहता हूँ कि उनकी बातें, उनकी चेष्टाएँ, उनकी इच्छाएँ सब सामने आएँ। स्त्रियों में भी वो सब कुछ करने की इच्छा और ललक होती है, जो पुरुषों में होती है। कम से कम मेरी कहानियों में स्त्रियाँ वो सब कुछ कर पाती हैं। और अगर उनमें भावनात्मक द्वन्द्व है, तो वो मैं बताता हूँ कि क्यों है। इसीलिए मेरी कहानियों में महिला पात्रों को विशेष फ़ुटेज मिलता है। गाँव की लड़की, गायत्री, भी एक ऐसी ही करैक्टर है। वो जानती है कि हाँलाकि अमर की पत्नी बन कर वो सुखी तो रहेगी, लेकिन वो यह भी जानती है कि यह सब संभव नहीं। उसको अपनी स्थिति की समझ है - अमर को नहीं। अमर में अभी भी भोलापन - या यह कहिए कि नादानी है। उनमें चालूपना आता है कई वर्षों के बाद। वो भी बताऊँगा कि क्यों।
पड़ोस के चाचा और चाची और उनका परिवार माइनर करैक्टर हैं। लेकिन उनकी अपनी उपयोगिता है कहानी सुनाने में। ऐसे ही कई माइनर करैक्टर आते रहेंगे (पहले भी आ चुके हैं - रचना, वसीम, राजी स्त्री इत्यादि), जो कहानी को या तो आगे बढ़ाने में सहयोग देंगे, या उसको स्थिरता!
जी - और जहाँ तक भाषा की बात है, तो इसमें कई भाषाओं का प्रयोग तो किया है मैंने। अभी तक - जहाँ तक आपने पढ़ा - हिंदी, पुर्तगाली, अंग्रेजी, बंगाली और ग्राम्य भाषा का प्रयोग हो चुका है। ऐसे ही तो रस आता है पढ़ने में! *हिंगलिश* जैसे बकवास में ऐसा आनंद आ सकता है क्या? बताइए तो!
अब आप जब साथ आ ही गए हैं, तो साथ बने रहिए। मुझे ढेरों कमैंट्स की दरकार नहीं है। बस, कुछ पाठकगण साथ रहते हैं, लिखते हैं, क्रिटिक करते हैं, तो लिखने में आनंद आता रहता है, लिखने की प्रेरणा मिलती रहती है। बहुत बहुत धन्यवाद :)
 

avsji

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Supreme
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ये डेवी की ख्वाहिश क्या एक बार पर खतम होगी या फिर डेवी इस लत के भवर में फस जायेगी। बहुत ही सुंदर अपडेट।
शीघ्र ही मालूम पड़ेगा :)
बहुत बहुत धन्यवाद!
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
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अब आप जब साथ आ ही गए हैं, तो साथ बने रहिए। मुझे ढेरों कमैंट्स की दरकार नहीं है। बस, कुछ पाठकगण साथ रहते हैं, लिखते हैं, क्रिटिक करते हैं, तो लिखने में आनंद आता रहता है, लिखने की प्रेरणा मिलती रहती है। बहुत बहुत धन्यवाद :)
पूरी कोशिश करूंगा avsji भाई, समय का थोड़ा अभाव है पर यकीन मानिए इस कहानी को मैं खुद भी नज़रअंदाज़ नहीं कर पाऊंगा। :love:
 
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Kala Nag

Mr. X
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नाग भाई - आप जो करते हैं न, वो किसी भी तरह से कम नहीं है।
मैं तो आपका ही अनुसरण करना चाहता हूँ। आपकी तरह पूरी तरह थ्रिलर तो नहीं लिख सकता, लेकिन उसके कुछ एलिमेंट्स तो इस्तेमाल कर सकता हूँ।
एक प्लाट आया है दिमाग में। देखते हैं - समय मिलने पर लिखना शुरू करूँगा।
बड़ी बेसब्री के साथ प्रतीक्षा रहेगी
:):) लेकिन आपको आपका उपन्यास लिखने के लिए हमेशा 'उंगली' करता रहूँगा।
हा हा हा
छोटे छोटे कहानियाँ लिखता था अपनी कहानी में कुछ किरदार क्या जोड़ा मेरी कल्पना से भी बड़ी कहानी हो गई
इस कहानी को सही अंजाम तक पहुंचाने दीजिए फिर सोचेंगे
आपकी अगली कड़ी की प्रतीक्षा में
 

A.A.G.

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बातें आपकी सारी सही हैं। लेकिन एक बात तो है - जब कोई कपल अपने शुरुवाती दिनों में ही एक दूसरे को ठीक से समझ लेता है न, तभी उनका जीवन ठीक से चलता है आगे।
सोचिये न - एक तरीके से यह अमर के लिए भी टेस्ट है, कि क्या वो अपनी बीवी पर भरोसा करता है?
किसी ने एक बार लिखा था कि डेवी को मालूम होना चाहिए कि अमर काजल के साथ सम्भोग करता रहेगा। कैसी अनूठी बात है। अमर करता है तो करता रहे, लेकिन डेवी पूरी तरह से डिवोटेड रहे। यह भी कोई बात हुई भला? तो यही सब बातें आगे आने वाले अपडेट में होंगी।


लिख रहे हैं। करते हैं अपडेट।
amar toh davi pe bharosa karta hai isliye toh usse apni fantacy pura parne de raha hai..lekin uske dil pe tab kya bit rahi hogi yeh woh khud hi jane..mera bas yahi kehna hai ki davi ne jaise amar aur uske sambhog ka warnan kiya hai uss hisab davi ke dil me kisi aur se sambhog karne ki baat aani hi nahi chahiye..lekin fir bhi uske dil me woh fantacy ki baat aarahi hai..!! amar ne toh ab kajal ko apni behen bana liya hai aur uske sath toh kitna time pehle sambhog karna band kar diya hai..aur yaha pe mai sirf amar ke dil me kya chal raha hoga yeh janana chahta hu kyunki woh kitna bhi free minded ho lekin uske dil me kahi na kahi yeh baat chubh rahi hogi ki woh itna zabardast tarike se apni biwi ko satisfy kar raha hai lekin fir bhi davi ko apne fantacy ke jariye kisi aur se sex karna hai..!!
 
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