अब होनी को कौन टाल सकता है
वीर कोई महापुरुष तो नहीं था हाँ उसमें बदलाव आए थे पर उसके वर्तमान पर उसके अतीत हावी हो गई जिसकी कीमत उसने अनु को खो कर चुकाई है l
समझ नहीं आता कि किसी और के हिस्से के पाप का क़र्ज़ कोई और क्यों चुकाए! माना वीर कोई साधू संत नहीं है, लेकिन वो बदल रहा था / गया था। समाज की दण्ड व्यवस्था भी इसी बात पर केंद्रित है कि अपराधी को बदलने का अवसर मिले। भगवान् कृष्ण ने भी शिशुपाल के सौ अपराध क्षमा किए थे!
अरे भाई ऐसा क्यूँ
आप कुछ पाठकों में से एक हैं जो मेरे प्रस्तुत किए अंकों की समीक्षा और विश्लेषण सटीकता से करते हैं l
इतना कुछ लिखना चाहता था! आपने इस अपडेट में सब गुड़-गोबर कर दिया। बाकी सब कुछ गौण हो गया। वीर-अनु का एपिसोड आया, तो शुरू में मैंने अनु के खट्टा खाने की इच्छा पर मैंने लिखना शुरू किया था कि मेरी अंजलि को खट्टा नहीं, केक और पेस्ट्रीज़ खाने का मन होता था। अन्य स्त्रियों को नमकीन खाने का मन होने लगता है। जिन स्त्रियों को वाइन अच्छी लगती है, उनको वाइन अच्छी लगनी बंद हो जाती है। इत्यादि। लेकिन आपने सब गड़बड़ कर दिया। मूड ख़राब हो गया।
भाई अगर सब अच्छा ही हो रहा होता तो समाज में ऑनर किलिंग जैसी मानसिकता ना होती l कई प्रेम कहानियाँ, कितने प्रेमी इसी मानसिकता के भेंट चढ़ गए हैं l यह भी समाज का एक अस्वीकार्य वास्तविकता है l
मानता हूँ - पूरी तरह! समाज की यह एक घिनौनी सच्चाई तो है।
इस स्साले पिनाक की माँ की **
हाँ यह तो है अब भैरव सिंह को पता चल गया है l कौन कौन उसके खिलाफ है l आगे वह उसी प्रकार से वार करेगा यह निश्चित है
हाँ भैरव सिंह को जो हार नसीब हुई वह उसकी कभी सोच भी नहीं सकता था l अब हालात यह है कि वह बाहर नहीं निकल पा रहा है l इसी खीज के चलते वह अपना हार की खीज को रुप पर उतारा l अब रुप को हिम्मत तो दिखानी ही थी, आखिर कर कहानी की प्रमुख व प्रधान नायिका जो है
भैरव नीच है, लेकिन पिनाक तो अति-नीच है!
कहानी में एक ही भोला, निष्पाप किरदार था - अनु! उसके जाने से मन खट्टा हो गया।
धन्यवाद बंधु आपका बहुत धन्यवाद
कुछ दिन हुए हम लोग सरकारी काम में व्यस्त थे
इलेक्शन ड्यूटी पर किसे भेजना है किसे नहीं इस बाबत डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के साथ हम लोग मैनेजमेंट की तरफ से प्रतिनिधित्व कर रहे थे l इसलिए मैं रेगुलर आ नहीं पा रहा था l
एक समय हमारी भी इलेक्शन ड्यूटी लगी थी।
बाद में हम प्राइवेट सेक्टर में चले गए, तो उससे मुक्ति मिली
