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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
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प्रिय पाठक मित्रों -- मुझको तो अब अपने Kala Nag भाई के लिए घबराहट होने लगी है।
कहीं उनको कुछ हो तो नहीं गया! हे प्रभु, रक्षा करें!
यदि किसी के पास इनकी कोई खबर हो, तो अवश्य बताएँ!
 

Kala Nag

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मित्रों जीवन कभी आसान नहीं होता l कुछ घटनायें होंगी यह प्रकृति का नियम हैं l पर उसका समय हम निर्धारण नहीं कर सकते l मेरे जीवन में एक दुर्घटना हुई है l संभलने में थोड़ा समय लगा l कहीं भी मेरा मन नहीं लग रहा था l पर चूंकि मैंने वादा किया था इस कहानी को पूरा करने के लिए इसलिए बहुत दिनों बाद आया हूँ l कहानी का अगला अंक लेकर l

धन्यबाद व आभार
 

Kala Nag

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👉एक सौ पैंतीसवां अपडेट
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वीर चार लोगों से घिरा हुआ था l अचानक उनमें से एक वीर पर कटार से हमला कर देता है l वीर उससे बचता है और अपने कमर के पीछे रखे फोल्डिंग रॉड को झटका देकर निकालता है l रॉड उस झटके से तीन फुट लंबा हो जाता है l इतने में जिसने वीर पर हमला किया था वह अब संभल जाता है और उसके साथी भी अपनी अपनी हथियार निकाल लेते हैं l चारों के हाथों में हथियार देख कर वीर अपना पॉजिशन बनता है l इतने में कुछ दुर से देख रहा विश्व अपने पेंट की जेब से एक छोटा सा थैला निकालता है और उसमें से शर्ट के बटन की आकार के कुछ नुकीले चक्र निकालता है और उन लोगों पर फेंक मारने के लिए तैयार हो जाता है l जैसे ही एक आदमी अपना हथियार उठाकर हमलावर होता है तभी उसके कलाई पर कुछ चुभती है l ऐसी हालत उस अकेले की नहीं होती बल्कि एक पलक झपकी में बारी बारी से चारों के साथ होता है l उनकी वही थोड़ी डिस्ट्रेकशन का फायदा उठाकर वीर उन चारों पर रॉड से हमला कर देता है l रॉड के मार से चारों के मुहँ से दर्द भरी कराह निकलने लगती है l पर वीर उन्हें ज्यादा समय नहीं देता चारों को एक एक घुसा मारता है l वीर के हर एक घुसे के साथ वे लोग कटे पेड़ की तरह जमीन पर गिरने लगते हैं l उनके गिरते ही वीर चारों तरफ़ अपनी नजरें घुमाता है फिर सावधानी से आगे बढ़ जाता है l उसके वहाँ से निकलने के बाद विश्व उन चारों के पास पहुँच कर उन लोगों का जायजा लेता है l चारों के जबड़े पर मार जबरदस्त लगी थी l चारों कराह रहे थे l तभी विश्व के कान में लगे पॉड में आवाज आती है l

जोडार - तुम वहीँ पर क्यूँ रुक गए...
विश्व - (अपनी बायीं तरफ की पॉड को म्यूटे कर) सोच रहा हूँ... इन्होंने हमला तो किया पर किसीको आगाह नहीं किया.. क्यूँ...
जोडार - क्यूँ.. शक की कोई वज़ह...
विश्व - हम छुप कर इस बस्ती में घुस रहे हैं... मैंने जैसा सोचा था... वैसी पहरेदारी भी नहीं है... फ़िर भी पहली ही कदम पर वीर घेर लिया गया... वैसे वीर ने उन्हें अच्छे से हैंडल किया...
जोडार - तो प्रॉब्लम क्या है...
विश्व - यह लोग कौन हैं... मार तो खाए पर किसी को आगाह तक नहीं किया...
जोडार - हाँ पॉइंट तो है... वैसे कैसी हालत है उनकी...
विश्व - जबड़ों की हालत खराब है...
जोडार - क्या... (चौंक कर) वीर के पंच में इतना ताकत है...
विश्व - नहीं... शायद वीर अपने हाथों में... आइरन पंच वाला ग्लोभ्स पहना हुआ है...
जोडार - ओ... वैसे वीर कहाँ तक पहुँचा...
विश्व - आप भी तो ड्रोन विजन से देख रहे होंगे...
जोडार - हाँ... पर जिस आई पैड में सुंढी साही का मैप डाला था... वह तुम्हारे पास है...
विश्व - तो क्या हुआ... वीर आपके नजरों में तो होगा ना... आखिर सारे ड्रोन्स में... इंफ्रा रेड थर्मल विजन है...
जोडार - हाँ वीर सही रास्ते में बढ़ रहा है... आगे शायद तुम्हें कंटैक्ट करेगा... क्यूंकि जंक्शन आ रहा है....
विश्व - ठीक है...
जोडार - वैसे तुम इन लोगों के साथ क्या कर रहे हो...
विश्व - इन लोगों की बेहोशी को बढ़ा रहा हूँ... और कचरे में फेंक रहा हूँ...

विश्व पहले अपने कान में लगे इयर पॉड को ऑन करता है फिर एक एक करके उन लोगों के बायीं कान के नीचे एक नस पर हल्का सा दबाव बढ़ा कर सबको उठा उठा कर कूड़ेदान में डालता है l तभी उसके कान में वीर की आवाज़ गूंजती है l


वीर - प्रताप... मैं एक जंक्शन पर कन्फ्यूज हो रहा हूँ...
विश्व - देखो... मैंने पहले ही कहा था.. मुझे साथ लेने के लिए...
वीर - तुम्हें शायद पता नहीं... मैंने खुद ही... अभी थोड़ी देर पहले... कुछ लोगों को निपटा दिया है...
विश्व - हाँ देखा आपने टैब से... तुम जोडार साहब के... इंफ्रा रेड ड्रोन सर्विलांस में हो...
वीर - तो... अभी बताओ... मुझे जाना कहाँ है...
विश्व - सीधे जाओ... फिर बायीं तरफ एक मोड़ मिलेगा... वहाँ पर पहुँचो...
वीर - ठीक है...
विश्व - जल्दी करो... सुबह होने वाला है... हमें सुबह होने से पहले उस घर तक पहुँचना होगा... लोग जाग गए तो... ना तो अनु के पास पहुँचेंगे... ना ही निकल पायेंगे...
वीर - मैं... अनु के वगैर... यहाँ से जाऊँगा ही नहीं...
विश्व - ओके ओके.. चल आगे बढ़...

वीर आगे चलता है, पर उसे अंदाजा तक नहीं था कि विश्व भी उसके पीछे बराबरी की दूरी बनाए जा रहा है और मैप के अनुसार वीर को रास्ता बता रहा है l कुछ ही देर बाद वीर एक घर के सामने रुकता है l

वीर - एक जगह पर पहुँच गया हूँ... क्या यह सही जगह है...
विश्व - हाँ बिल्कुल...
वीर - तो अब मैं... अंदर जा रहा हूँ...
विश्व - ठीक है... संभल कर...

वीर घर के बरामदे में बड़ी सतर्कता के साथ खड़ा होता है l चारों ओर अपनी नजरें दौड़ता है l वीर अपना फोल्डिंग रॉड निकालता है और बायीं हाथ में एक आइरन पंच पहनता है l धीरे धीरे दरवाजे तक पहुँच कर धक्का देता है l दरवाजा खुल जाता है l अंदर कुर्सी पर वीर को एक आदमी बैठा हुआ मिलता है जो वीर की ओर रीवॉल्वर ताने हुए था l

आदमी - आओ... क्षेत्रपाल खानदान के चश्मों चराग आओ... तुम्हारा ही इंतजार था... (वीर के पीछे देख कर) ओ... लगता है... मेरे आदमियों को निपटा कर आए हो... साले नालायक निकले...
वीर - हाँ... चार ही थे... अपनी नींद खराब कर... बड़े उतावले हो रहे थे... मैंने कुछ नहीं किया... बस कुछ देर के लिए सुला दिया...
आदमी - चु.. चु.. चु.. नहीं करना था ऐसा... आखिर तुम्हें उन्हीं के कंधे पर जाना था... अब तुम्हें किसी मरे हुए कुत्ते की तरह घसीटते हुए ले जाना पड़ेगा...
वीर - बस.. बहुत हो गई बकचोदी... बोल हराम जादे... कहाँ है मेरी अनु...
आदमी - बकचोदी... तुझे लगता है मैं बकचोदी कर रहा हूँ... तु आयेगा... मैं जानता था... अनु को चारा बनाया... और अपने पिंजरे में तुझे लाया... तुझे मारने से पहले... यह एहसास दिलाने... किसी अपने को खोने का दर्द क्या होता है...

वीर आगे बढ़ने की कोशिश करता है कि तभी उस आदमी की रीवॉल्वर से एक गोली वीर पैरों के पास फर्श पर लगती है l वीर रुक जाता है l

आदमी - नहीं वीर नहीं... तुझे आज मरना है... मरेगा भी तु... पर मरने से पहले... तुझे कुछ कहना है...

आदमी की बात ख़तम होते ही कुछ और लोग उस कमरे में आ जाते हैं l गिनती में बीस या पच्चीस होंगे l वीर अपनी नजरें एक बार घुमा कर जायजा लेता है फिर उस आदमी की ओर देखता है l

आदमी - मैं नीरा... आज से तक़रीबन छह महीने पहले... तुमने मेरे भाई सुरा और उसकी मंगेतर एलोरा को उठवा लिया था... जो आज तक गायब हैं... (वीर कुछ याद करने की कोशिश करता है) याद आया... यह उसीका बदला है... (दांत चबाते हुए) तुम क्षेत्रपाल... अपनी अहं के आगे किसीको कुछ भी नहीं समझते... तुम लोगों के गुरूर और हवस के आगे... मेरा भाई और उसकी मंगेतर... (और कुछ भी नहीं कह पाता)
वीर - हाँ हाँ... याद आया... तु बात ऐसे कर रहा है... जैसे तु, तेरा भाई और उसकी मंगेतर... क्या नाम बताया... अरे हाँ.. एलोरा... बी ग्रेड अल्बम की रंडी... जैसे दूध के धुले और बड़े मासूम थे...
नीरा - (तमतमा कर खड़ा हो जाता है) वीर...
वीर - हाँ... तुम सब हरामजादे... आइकन ग्रुप के लिए... काम करते हुए... क्षेत्रपाल की सल्तनत में सेंध लगाने की कोशिश करी थी... वह तुम्हारा भाई सुरा... अपनी मंगेतर एलोरा के जरिए... बड़े बड़े लोगों को फंसा कर... टेंडर हासिल करने की कोशिश की थी... मैंने उन्हें उनकी किए कि सजा दी थी...
नीरा - वीर...
वीर - और तुम क्या कह रहे थे... सुरा की मंगेतर... अबे हरामजादे... सच तो यह है कि... वह एलोरा तुम दो भाइयों की रखैल थी...
नीरा - वीर... (गोली चला देता है, पर वीर को लगती नहीं है, पर वीर अपनी जगह से टस से मस नहीं होता)
वीर - कहाँ है अनु...
नीरा - हा हा... हा हा हा हा... क्या अजीब फॅमिली है... साला बाप जिसकी सुपारी देता है... बेटा उसे बचाने आया है...
वीर - मेरे बाप ने तुझे तो सुपारी दे नहीं सकता.... तेरे और मेरे बीच में तीसरा कोई है... कौन है वह...
नीरा - उससे तुझे क्या मतलब... उसे तेरे बाप का काम करना था... और मुझे तुझसे बदला लेना था...
वीर - अनु कहाँ है...
नीरा - एलोरा को... तुम लोगों ने... अपने रंग महल ले गए थे ना... अब अनु तुझे वहाँ मिलेगी जहां लोग अपनी रातें रंगीन करने के लिए जाएंगे...
वीर - कमीने...

वीर नीरा के ऊपर छलांग मारता है, पर उस कमरे में मौजूद दुसरे लोग वीर को पकड़ लेते हैं और वीर को उसके घुटने पर ला देते हैं l वीर के सामने नीरा खड़े होकर

नीरा - आह... क्या सीन है... क्षेत्रपाल मेरे सामने घुटनों पर... मज़ा आ गया...

नीरा अपना रीवॉल्वर वीर के सिर पर तान देता है कि तभी उसके हाथ में एक छोटा सा तारा नुमा धातु आ कर चुभती है l नीरा के हाथ से रीवॉल्वर छिटक जाता है l उसके चेहरे पर दर्द उभर जाता है और कराहने लगता है l इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता जो लोग वीर को घुटने पर गिरा कर पकड़े हुए थे सबकी पकड़ ढीली हो जाती है क्यूंकि सबकी हाथों में उसी तरह की धातु से हमला हुआ था l वीर छूटते ही नीरा पर फिर से टूट पड़ता है l दुसरे लोग जब संभल कर वीर की ओर बढ़ते तब अचानक से विश्व उन लोगों के सामने आ जाता है l विश्व को सामने देख कर सभी भौचक्के हो जाते हैं l यहाँ तक वीर भी अपनी हैरानी छुपा नहीं पाता l अपनी मेटल पंच से वीर नीरा की हालत खराब करने में लग जाता है l उधर विश्व अकेले ही उस कमरे में मौजूद लोगों को सुबह सुबह तारे दिखाने लगता है l

वीर - (नीरा की धुनाई करते हुए विश्व से) तुम... कब आए...
विश्व - बस तुम्हारे उपर खतरे का जब एहसास हो गया...
वीर - (नीरा की गर्दन पकड़ कर) इसने जब मुझ पर गोली चलाई... तब क्या देख रहे थे...
विश्व - हाँ... देख रहा था...
वीर - मैं मर गया होता तो...
विश्व - जो बदला लेने के वक़्त... बैकलॉल करे... वह इतनी जल्दी किसी को गोली नहीं मार सकता... इसे मारना होता... तो तुम्हें तभी मार चुका होता...

विश्व की मार से कुछ लोग खिड़की तोड़ कर बाहर गिरने लगते हैं l बाहर कुछ लोग यह देख कर चिल्ला कर सबको इकट्ठा होने को कहते हैं l

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दम दम एयर पोर्ट की ओर चार कारों का काफिला बढ़ रहा था l सबसे आगे वाली कार में सेक्यूरिटी सवार थे l उस कार के पीछे वाले कार में भैरव सिंह बैठा हुआ था l भैरव सिंह के कार के पीछे एक और कार में पिनाक और विक्रम बैठे हुए थे l विक्रम देख रहा था पिनाक के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी l

विक्रम - छोटे राजा जी... क्या हुआ... बहुत परेशान लग रहे हैं...
पिनाक - (अपनी दांत चबाते हुए) वज़ह आप जानते हैं युवराज...
विक्रम - तो क्या... वीर ने अनु को ढूंढ लिया...
पिनाक - नहीं... पर राजकुमार... कल रात घर नहीं पहुँचे हैं...
विक्रम - ओ...
पिनाक - आज उनकी मंगनी है... अगर वह नहीं आए... तो राजा साहब की बड़ी बेइज्जती होगी... और हमारा सिर हमेशा के लिए नीचे झुक जाएगा...
विक्रम - कमाल है ना... आपने मंगनी ऐसे तय की है... जैसे सरकार इमर्जेंसी डिक्लेर करती है... आपने वीर से पूछा तक नहीं...
पिनाक - हमने जरूरी नहीं समझा...
विक्रम - आपने वीर की बातों पर... या कामों पर तवज्जो दी ही कब थी... पता नहीं आपने कभी वीर को... अपने लिए जरुरी कभी समझे भी थे या नहीं...
पिनाक - (बिदक जाता है) युवराज... आप अपनी हद से आगे जा रहे हैं... मत भूलिए हम कौन हैं...

विक्रम चुप हो कर खिड़की से बाहर की ओर देखने लगता है l अभी सुबह होने में कुछ देर है l फिर भी धीरे धीरे उजाला फैल रहा था l गाड़ी के भीतर कुछ देर के लिए खामोशी पसर जाती है l यह खामोशी पिनाक को बर्दास्त नहीं होती l

पिनाक - आप... आप चुप क्यूँ हो गए...
विक्रम - खुद को हद के दायरे में रखने की कोशिश कर रहा हूँ...
पिनाक - प्लीज युवराज... कुछ तो सुझाव दीजिए... आपको लगता है यह शादी जल्दबाज़ी में हो रहा है... हम इंकार नहीं कर रहे हैं... पर रास्ता कुछ नहीं था... केके के हमसे टूटना और हमारे ना सिर्फ पोलिटिकल राइवल बल्कि बिजनैस राइवल से हाथ मिलाना... हमारे वज़ूद को चैलेंज कर रहा था... इसलिए उसके टक्कर में.... निर्मल सामल को खड़ा करना पड़ रहा है... बदले में...
विक्रम - बदले में... मैरेज कम बिजनस एग्रीमेंट...
पिनाक - आप अभी तक सिर्फ सिक्यूरिटी सम्भाले हुए हैं... जिस दिन सत्ता और साम्राज्य संभालेंगे... तब हमारी बातेँ समझ में आयेंगी...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
पिनाक - अब आप ही बताएं... हम कैसे राजकुमार जी का पता लगाएं...
विक्रम - आपका सबसे क़ाबिल और समझदार आदमी भुवनेश्वर में है ना... प्रधान उससे खबर लीजिए...

पिनाक को विक्रम का जवाब पसंद नहीं आता l फिर भी अपना मोबाइल निकाल कर बल्लभ को कॉल लगाता है l कॉल मिलते ही

पिनाक - प्रधान...
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक - अब तक की क्या खबर है...
बल्लभ - पता नहीं पर...
पिनाक - पर...
बल्लभ - अभी कुछ देर पहले... कुछ प्लैटुन सुंढी साही बस्ती की ओर रवाना हुए हैं...
पिनाक - अच्छा... समझ गया... अब फोन रखो...

पिनाक कॉल काट कर फोन को कस कर पकड़ लेता है और अपनी जांघ पर रगड़ने लगता है l विक्रम अपनी भवें सिकुड़ कर पिनाक की हरकत पर गौर कर रहा था l फिर अचानक पिनाक एक और कॉल करता है l उधर से कॉल पीक होते ही

पिनाक - हैलो...
@ - जी छोटे राजा जी कहिए...
पिनाक - जानते हो... पुलिस निकल चुकी है...
@ - निकलने दीजिए... कौनसा उसे ढूंढ लेगी...
पिनाक - देखो कुछ भी हो जाए... आज शाम मंगनी से पहले पुलिस के हत्थे कुछ लगनी नहीं चाहिए...
@ - आप बेफिक्र हो जाइए छोटे राजा जी... उस लड़की का अगुवा आप ही के दुश्मन से कराया है... वह तो लड़की को छोड़ने से रहा...
पिनाक - कहीं यह लड़की सुंढी साही में तो नहीं है...
@ - यह मुझे पता नहीं है... हो भी सकती है... क्यूँ क्या हुआ..
पिनाक - पुलिस वहीँ पर जा रही है...
@ - तो फिर आप बेफिक्र हो जाइए... सुंढी साही एक अंधेरी कुआं है... जो उसमें खो गया... किसीको नहीं मिलेगा... और उस बस्ती के लोग बड़े ही खुंखार होते हैं... इसलिए आज तक कभी पुलिस या प्रशासन उस बस्ती में जाने की हिम्मत नहीं की है...
पिनाक - ठीक है...

पिनाक एक आत्म सन्तुष्टि के साथ फोन पर कॉल को काट देता है और एक इत्मीनान भरी मुस्कान के साथ विक्रम की ओर देख कर कहता है

पिनाक - अब सिर्फ आपके हिस्से का काम बाकी है युवराज... राजकुमार को शाम की पार्टी में लाना आपका जिम्मा...

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वीर, सुरा के साथ बाहर आकर घर की बरामदे में गिरता है l वीर सुरा का गर्दन दबोच रखा था वह अपनी नजर उठा कर देखता है कि घर के बाहर भीड़ हैरान हो कर उसे देख रही है l उस भीड़ के बीच मल्ला था, उसके आँखों में आश्चर्य और गुस्सा दोनों था l यूँ तो गोली चलने की आवाज से धीरे धीरे घर के बाहर इकट्ठे हो रहे थे और एक दुसरे को हैरानी के साथ देख रहे थे, क्यूंकि पहली बार ऐसा हुआ था कि कोई उसके जानकारी के वगैर सुंढी साही में घुसा है और तो और उसके मेहमान को दबोच रखा है l मल्ला का जिस्म गुस्से में थर्राने लगता है l

मल्ला - मारो इस हराम जादे को...

भीड़ इतना सुनते ही वीर की ओर बढ़ने हो वाली थी के पास में सीमेंट के बने इलेक्ट्रिक खंबो में एक के बाद ही के चार धमाके होने लगते हैं l और वह खंबे कुछ इस तरह से टूटते हैं कि बरामदे के पास एक वर्गाकार क्षेत्र बन जाता है l मल्ला और कुछ लोग उस वर्गाकार क्षेत्र में रह जाते हैं और बाकी भीड़ उन खंबो से बने क्षेत्र के बाहर खड़ी रह जाती है l अभी अभी जो हुआ था ना सिर्फ बस्ती वाले बल्कि खुद वीर भी हैरान था l हाथ में एक रिमोट लेकर घर के भीतर से विश्व निकलता है l मल्ला जैसे ही विश्व को देखता है हैरानी से उसकी आँखे बड़ी हो जाती हैं l भीड़ में कुछ लोग हल्ला मचाते हुए उन गिरे हुए खंबों को लांघ कर हमले की बात कर रहे थे कि विश्व रिमोट से एक और बटन दबाता है l एक जोरदार धमाका होता है पास के जंक्शन के ट्रांसफॉर्मर में l सबका ध्यान उस तरफ खिंच जाता है l जो लोग हरकत कर रहे थे वह लोग अपनी गुस्से को दबा कर विश्व की ओर देखने लगते हैं l उस भीड़ में से एक आदमी विश्व की रिमोट वाली हाथ पर निशाना लगा कर एक दरांती फेंक मारता है l निशाना अचूक था पर बेकार l विश्व जैसे इस हमले के लिए तैयार था अपनी बाएँ हाथ से दरांती पकड़ लेता है और पलक झपकते ही उसी आदमी पर वापस फेंक मारता है l दरांती उसी आदमी के कंधे पर लगती है l इससे पहले कि लोग किसी और तरह से प्रतिक्रिया देते मल्ला पीछे घुम कर

मल्ला - बस... अब कोई कुछ नहीं करेगा...

सब लोग जैसे रोबोट की तरह रुक जाते हैं l मल्ला विश्व और वीर की ओर मुड़ता है l

मल्ला - विश्वा भाई आप यहाँ..
विश्व - हाँ मैं यहाँ... पर तुम यहाँ कैसे...
मल्ला - यही मेरी बस्ती है.... यहाँ के सारे धंधे मेरे जिम्मे और हिफाजत में होते हैं...
विश्व - आज तुम्हारे लिए मेरी राय बदल गई है...
मल्ला - आप भूल रहे हो विश्वा भाई... सुपारी उठा कर काम करना मेरा पेशा है...
विश्व - हाँ जानता हूँ... पर जुर्म करो तो कुछ मर्दाना हो... तुम तो दल्ले निकले... एक लड़की को उठा लाए...
मल्ला - ना विश्वा भाई ना... ना मैंने ना मेरे किसी आदमी ने लड़की को उठाया है... (सुरा की ओर इशारा करते हुए) इसने और इसीके आदमियों ने लड़की को उठाया था... बदले में एक रात की पनाह और रास्ता मांगा था... मोटी रकम के बदले... सो हमने दी...
विश्व - अब रात ख़तम हो चुकी है मल्ला...
मल्ला - पर है तो मेरी पनाह में...
विश्व - बात एक रात की थी... जिसकी उसने रकम चुकाई थी... रात गई... बात गई...
वीर - अब मैं तुमसे आज का पूरा दिन खरीदता हूँ... अपनी रकम बोलो...
सुरा - नहीं... मल्ला... नहीं... यह धोका है... तु मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकता...
विश्व - अपनी कीमत बोलो मल्ला...
मल्ला के पास खड़ा एक आदमी - मल्ला भाई... यह दो लोग हैं... हम इतने हैं... हुकुम करो... काट डालेंगे...
भीड़ - हाँ हाँ मल्ला भाई हाँ हाँ...

मल्ला घुम कर उस आदमी के गाल पर एक थप्पड़ जड़ देता है l यह देख कर वह आदमी और भीड़ भी सन्न रह जाते हैं l

मल्ला - जानता है वह कौन है... विश्वा... विश्वा भाई है... वह एक अकेला सौ के बराबर है... अगर इस बस्ती में वह आया है... तो यकीनन पूरी तैयारी... बंदोबस्त के साथ आया होगा... देखा नहीं अपनी चारों तरफ हुए धमाकों को...

जिस ऊंची आवाज़ से मल्ला बस्ती वालों से कह रहा था वह आवाज ना सिर्फ बस्ती वालों पर प्रभाव छोड़ रही थी बल्कि वीर और सुरा पर भी बराबर असर कर रही थी l

विश्व - मल्ला... यकीन मानों मैं कोई और खूनखराबा नहीं चाहता... अपनी आज के दिन भर की कीमत बोलो...
मल्ला - ठीक है... आज का पूरा दिन आपको दे दी... पर कोई फायदा नहीं होगा... क्यूँकी सुबह के अंधरे में... इसने अपने आदमियों के जरिए उस लड़की को मछवारों के साथ... दया नदी के जरिए चीलका भेज दिया है...

यह सुन कर वीर गुस्से में सुरा को अपनी तरफ़ घुमाता है और घुसे बरसाने लगता है l विश्व एक बार फिर रिमोट में बटन दबाता है l एक धमाका और होता है पास वाले कूड़े दान में l धमाके की आवाज का असर था कि ना सिर्फ वीर रुक जाता है बल्कि जो लोग विश्व को धर दबोचने की सोच भी रहे थे वह लोग भी अपनी सोच से बाज आ गए l

विश्व - (मल्ला से) तुम उसकी मत सोचो... लड़की हम तक कैसे पहुँचेगी वह हम सोच लेंगे...

इतने में एक आदमी भागते हुए आता है और चिल्लाते हुए कहता है l

- पुलिस वाले आए हैं...

मल्ला विश्व की तरफ हैरानी भरे नजरों से देखता है l फिर पास खड़े अपने आदमी से

मल्ला - कहा था ना.. यह आपनी पूरी तैयारी और बंदोबस्त के साथ आया होगा... (जो खबर लाया था उस आदमी से) कितने पुलिस वाले हैं...
आदमी - तीन चार ट्रकों में भर भरकर आए हैं...
मल्ला - क्या... (विश्वा से) पहली बार ऐसा हुआ है... इतने पुलिस वाले यहाँ आए हैं...
विश्व - हाँ इस बस्ती की इतिहास मालुम है... पहले पुलिस वाले सिर्फ जीप पर आते थे... आज प्लाटुन भर कर आए हैं.... फैसला तुम्हारे हाथ में है मल्ला... या तो तुम पीस जाओगे... या फिर पैसे बनाओगे...
मल्ला - ठीक है... कोई खून खराबा नहीं... अब तुम बोलो हमें क्या करना है....
विश्व - कुछ लोगों के लेकर बस्ती के मुहाने पुलिस को रोकने के लिए बैरिकेड् बनाओ...
मल्ला - पुलिस हमला कर सकती है...
विश्व - जब तक मेरा इशारा ना हो... पुलिस कुछ नहीं करेगी...

मल्ला अपना सिर हिलाता है और कुछ मर्द और औरतों को पुलिस को अंदर आने से रोकने के लिए कहता है l आधे से ज्यादा भीड़ पुलिस को रोकने के लिए वहाँ से चली जाती है l विश्व वीर को इशारा करता है l

वीर - अपना कीमत बोलो मल्ला...
मल्ला - लड़की मिल जाए... तो जो सही लगे... इस बस्ती के खाते में जमा कर देना...

फिर मल्ला अपने आदमियों को इशारा करता है l धीरे धीरे वहाँ से लोग चले जाते हैं l वहाँ पर सुरा और नीचे गिरे छटपटाते हुए उसके साथियों के साथ वीर और विश्व रह जाते हैं l वीर सुरा को खिंच कर अंदर लाता है और उसी सोफ़े पर पटक देता है जहाँ वह बैठा था l फिर सुरा को घुमा कर सोफ़े के हेड रेस्ट पर उल्टा लिटा देता है और उसके हाथों को सोफ़े के पीछे वाले पैरों में बाँध देता है और सुरा के पैरों को सोफ़े के आगे वाले पैरों में बाँध देता है l उसके बाद सुरा के चेहरे के सामने आकर खड़ा हो जाता है l उसके बालों का पकड़ कर सुरा का चेहरा उठाता है

वीर - बोल कमीने... कहाँ है मेरी अनु...

दर्द भरी चेहरे पर मुस्कान लाते हुए सुरा - नहीं बताऊँगा...
वीर - बता हराम जादे... नहीं तो..
सुरा - कुछ भी कर ले... मर जाऊँगा... मगर नहीं बताऊँगा...
वीर - सुन हरामजादे... मैं तेरे अंदर इतना दर्द और खौफ भर दूँगा के... तू अपने आप तोते की तरह बोलने लगेगा...
सुरा - हा हा हा हा... कोशिश करके देख ले...

वीर सुरा के चेहरे पर एक घुसा जड़ देता है l सुरा दर्द के मारे कराहने लगता है l विश्व सुरा से पूछने के लिए आगे आता है तो वीर उसे रोक देता है l

वीर - नहीं प्रताप... इसने मेरे जुनून को छेड़ा है... इससे मुझे हो पूछने दो...
विश्व - पर वीर...
वीर - भरोसा रखो... अगर मैं हार गया... तो तुम्हें ही कहूँगा इससे उगलवाने के लिए...

विश्व रुक जाता है l वीर इसबार सुरा के पीछे आता है और उसका पेंट घुटने तक उतार देता है l

सुरा - यह क्या कर रहे हो...
वीर - कहा था ना... तेरे अंदर दर्द और खौफ इतना भर दूँगा के तु तोते की रटने लगेगा...

विश्व भी हैरान था वीर के इस हरकत पर l वीर कमरे में किचन की ओर जाता है l विश्व को किचन से वीर की कुछ ढूंढने की आवाज़ आ रही थी l कुछ देर बाद वीर के हाथ में दो अंडे थे l

विश्व - तुम करना क्या चाहते हो वीर...
वीर - शक्कर ढूंढ रहा था... शक्कर तो नहीं मिली पर यह दो अंडे मिल गए...
विश्व - हाँ दिख रहा है मुझे... पर तुम करना क्या चाहते हो...
वीर - टॉर्चर... एक स्पेशल टॉर्चर... जो इसने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा...
विश्व - मतलब...
वीर - अभी देखो...

वीर एक ग्लास में अंडे फोड़ कर डाल देता है, चम्मच से फेंट लेने के बाद थोड़ा थोड़ा कर सुरा के पिछवाड़े के सूराख और गांड पर चम्मच से मलने लगता है l विश्व की आँखे हैरत से फैल जाता है l वीर अब सुरा के सामने आकर खड़ा हो जाता है l

वीर - देख सुरा दर्द से पहले... तु अनु का पता बता दे...
सुरा - तु कुछ भी कर ले... तुझे इस जनम में अनु नहीं मिलेगी...
वीर - (अपनी जैकेट की जीप खोल कर एक कपड़े से लिपटी छोटा थैला निकालता है, और उसे सुरा को दिखाते हुए) तु तो जानता है ना... मैं हमेशा अनु की हिफाजत के लिए उसके पीछे लगा रहता था... उसके गली के बाहर एक पेड़ के नीचे उसके इंतजार में छुपा रहता था... उसी पेड़ के एक शाखा पर यह लाल चीटियों का घोंसला था... (यह सुनते ही विश्व और सुरा की आँखे हैरानी से फैल जाते हैं) लाल चींटी... वह भी बड़े बड़े... जानता है ना... यह झुंड में खाना खाते हैं... इनकी झुंड की भूख के आगे हाथी भी बेबस हो जाती है... अब तेरे पिछवाड़े मैंने अंडे का फेंट मल दिया है... इससे पहले कि इन चीटियों को तेरा पिछवाड़ा खाने की दावत में पेश कर दूँ... सीधी तरह से बता दे... अनु कहाँ है...
सुरा - (चिल्लाते हुए) मैंने अपने साथी मंगू के साथ उसे दया नदी के रास्ते.... चीलका भेज दिया है...
वीर - तो उसे फोन कर... और अनु को वापस लाने के लिए बोल...
सुरा - तु कुछ भी कर ले... मैं... मंगू को नहीं बुलाऊंगा...
वीर - ठीक है... अब मैं यह चीटियां तेरे पिछवाड़े पर छोड़ दूँगा... यह धीरे धीरे पहले स्टार्टर में तेरे गांड का नास्ता करेंगे... उसके बाद मैंस में तेरे लंड और टट्टे खाएंगे... यकीन मान... दो घंटे बाद... तेरे कमर के नीचे की ढांचे में... सिर्फ हड्डियाँ होंगी... पर मांस नहीं होगा....
सुरा - नहीं...

वीर धीरे धीरे सुरा के पीछे आता है और अपने दस्ताने पहने हुए हाथों से उस कपड़े के थैले से सूखे पत्तों का एक गोला निकालता है l उस गोले का एक सिरे में छोटा सा छेद कर देता है l सिर्फ दो ही सेकेंड के बाद बहुत बड़े बड़े और डरावने गहरे लाल रंग के कुछ चींटी बाहर निकलते हैं l वीर उन्हें सुरा के पिछवाड़े पर छिड़क देता है और फिर उस गोले की छेद को बंद कर कपड़े की थैले में वापस रख देता है l उसकी इस हरकत को विश्व मुहँ फाड़े देख रहा था l थोड़ी देर बाद सुरा का चीखना शुरु हो जाता है l

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दया नदी में एक मोटर चालित नाव तेजी से आगे बढ़ रही थी l सुरज पूर्व आकाश को चीर कर थोड़ा ही ऊपर उठा है, पर दूर से ऐसा लग रहा था जैसे एक नाव तेजी से उगते सुरज की ओर बढ़ी जा रही थी l नाव मैं मंगू दो साथियों के साथ बैठ कर सिगरेट फूँक रहा था l एक कोने पर अनु चुप चाप बैठी हुई थी l


एक - मंगू... ए मंगू...
मंगू - क्या है बे...
एक - यार... कल से भूख बड़ी जबरदस्त लग रही है...
मंगू - क्यूँ बे... रात को ही तो ठूंस ठूंस कर खाया था... फिर भी भूख लग रही है... पहले चीलका पहुँचने दे... लड़की को पार्सल करने दे... उसके बाद जी भर के ठूंस लेना...
एक - यार तु समझा नहीं...
मंगू - क्या मतलब...
एक - अरे यार मंगू... तु समझ नहीं रहा है... यह भूक अलग है... पेट की नहीं... लौडे की है... तन बदन की है... (यह सुनते ही मंगू चौंकता है और सवालिया नजरों से अपने उस आदमी को देखता है) बात इस लड़की को बर्बाद करने की है... तो क्यूँ ना... हम ही बोहनी कर देते...
दुसरा - (चहकते हुए) हाँ... यार... लड़की का जब पार्सल ही करना है... तो अच्छी तरह से जाँच परख कर पार्सल कर देते हैं...
मंगू - (एक कुटिल मुस्कराहट के साथ अनु की ओर देखते हुए) हाँ मैं भी यही सोच रहा हूँ... साली है बहुत कड़क... ऊपर से तीखी... चखने को मन कर रहा है... (तीनों हँसने लगते हैं)
एक - पर मेरे को तो पहले चाटना है... फिर काट काट कर खाना है...
दुसरा - तो देरी क्यूँ... चलो एक साथ मिलकर... इसकी मुनिया में डुबकी लगाते हैं...

तीनों खड़े होते हैं और धीरे धीरे अनु की तरफ आगे बढ़ते हैं l इतनी देर से बेखौफ रही अनु को अब डर लगने लगती है l वह डर के मारे अपनी जगह पर खड़ी हो जाती है और उन्हें धमकाते हुए

अनु - रुक जाओ... खबर दार जो आगे बढ़ने की कोशिश की तो...
मंगू - (अपने साथियों से) ऐ... तुम लोग रुको रे... मुझे इसके क़रीब जाने दो... (अनु से) मैंने इन्हें रोक दिया है... अब हम इकट्ठे नहीं... एक एक कर के आयेंगे...
अनु - देखो... अपने हद में रहो... वर्ना... मैं कुद जाऊँगी... तुम जानते नहीं हो... तुम लोगों का क्या होगा... यह तुम लोग सोच भी नहीं सकते....
मंगू - अरे अरे रे... लड़की डर गई... (तीनों हँसने लगते हैं) अब तक तेरे आशिक ने क्या उखाड़ा है... पुलिस कमिश्नरेट का घेराव ही तो किया है...
अनु - सिर्फ उतने में ही तो तुम लोगों की गिली हो गई... के शहर के रास्ते के बजाय... नदी के रास्ते मुझे ले जा रहे हो... (यह सुन कर मंगू भड़क जाता है)
मंगू - साली... डर रही है... मगर डराने की भी कोशिश कर रही है...
दो साथी - हाँ भाई... अभी तक सलामत है... इसीलिए इतना फुदक रही है... एक बार फुद्दी फटी तो लाइन में आ जाएगी... (तीनों फिर से आगे बढ़ने लगते हैं, अनु पीछे हटते हुए नाव के सिरे पर पहुँच जाती है)
अनु - देखो मैं आखिरी बार कह रही हूँ... मेरे करीब आए तो कुद जाऊँगी... मुझे अगुवा कर पहले ही अपनी बर्बादी पर मोहर लगा चुके हो... अब इससे आगे बढ़े... तो तुम्हारा अंजाम बहुत बुरा होगा...
मंगू - अच्छा... क्या बुरा होगा... कितना बुरा होगा...
अनु - यकीन ना आए तो अपने मालिक से पूछ लो...

तीनों मरदुत ठहाके लगा कर हँसने लगते हैं के तभी मंगू की जेब से मोबाइल बजने की आवाज आती है l मंगू अपने जेब से मोबाइल निकाल कर देखता है स्क्रीन पर बॉस डिस्प्ले हो रहा था l फोन कॉल पर लेते हुए

मंगू - (स्पीकर पर डालते हुए) वाह सुरा भाई वाह... बड़ी लंबी उमर है तुम्हारी... अभी अभी इस लड़की ने तुम्हें याद किया और तुमने फोन लगा दिया...
सुरा - (चिल्ला कर) अबे भोषड़ी के मंगू... जल्दी लड़की को वापस ला...

यह सुनते ही तीनों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है, चेहरे पर जो भद्दी हँसी थी एकाएक गायब हो जाती है l लड़खड़ाती हुई लहजे में मंगू पूछता है

मंगू - क्या.. क्या हुआ... सुरा भाई...
सुरा - आह... पुलिस को तुम्हारी लोकेशन मालुम हो गया है... आह... और चीलका पुलिस और नेवी तुम लोगों के लिए आगे आ रही है... आह... बस्ती को पुलिस घेर चुकी है... आह...
मंगू - पर मल्ला तो कह रहा था... बस्ती में कभी पुलिस घुस नहीं सकती...
सुरा - अबे मादरचोद... मैं यहाँ... तुझे कैफ़ियत नहीं दे रहा हूँ... मल्ला हमसे पैसे लिए... हमारा काम कर दिया... अब राजकुमार से पैसा लेकर उनका काम कर रहा है... आह मेरी हालत तब तक खराब रहेगी जब तक लड़की उन्हें... आ आह... नहीं मिल जाती... इसलिए भोषड़ी वाले अपनी खैरियत की सोच कर लड़की को वापस ले आओ... वर्ना अंजाम बहुत बुरा हो... गा... आ आह...

फोन कट जाता है, अब तीनों के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगती है l तीनों अपनी नजर घुमा कर अनु की तरफ़ देखते हैं l अनु के चेहरे पर एक जबरदस्त आत्मविश्वास भरा मुस्कराहट था l

मंगू - (मोटर वाले से) ऐ ऐ... नाव घुमा... नाव घुमा रे वापस...

मोटर वाला नाव को वापस मोड़ देता है l अब दृश्य कुछ इस तरह था कि नाव के आगे अपनी हाथ को मोड़ कर कुहनियों के बीच फांस कर अनु खड़ी थी और मंगू और उसके दो साथी डरे डरे से मोटर वाले के पास खड़े हुए थे l हवाएँ अनु के जुल्फों को उलझा रहे थे और अनु बार बार अपनी उलझी लटों को एक रूहानी खुशी के साथ सुलझा रही थी l उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह हवा में उड़ते हुए जा रही है l करीब आधे घंटे बाद नाव किनारे पर लगती है l अनु पीछे मुड़ कर नहीं देखती सीधे किनारे पर कुदते हुए उतरती है और भागने लगती है l उसे लगता है जैसे उसके भागते रास्ते के दोनों तरफ लोग उसकी इस्तकबाल कर रहे हैं उसे उसकी राजकुमार से मिलाने के लिए l वह बस भागी जा रही थी l जैसे ही उसे वह घर दिखती है जहां उसे कैद कर रखा गया था, वह अचानक उस घर से कुछ दूर ठिठक जाती है l उसके रुकते ही एक हवा का झोंका उसे छुते हुए गुज़रती है l वह देखती है दरवाजे से बदहवास वीर भागते हुए बाहर आता है और बरामदे पर आकर ठिठक जाता है जैसे उस हवा के झोंके ने अनु का संदेश वीर तक पहुँचाया हो l दोनों एक दूसरे को देखते ही एक दूसरे की ओर भागने लगते हैं l वीर के करीब पहुँचते ही अनु छलांग लगा देती है वीर उसे अपनी बाहों में थाम कर गले से लगा लेता है, अनु का चेहरा वीर के कंधे पर थी और पैर जमीन से छह इंच उपर थे l वीर की बाहों में अनु झूल रही थी l दोनों की आँखे भीगी हुई थीं पर दोनों के चेहरे पर अद्भुत रौनक थी l कुछ लोग यह दृश्य देख कर हैरान हो रहे थे और कुछ लोग खुश l

वीर - अनु...
अनु - हूँ..
वीर - तुझे डर लगा...
अनु - थोड़ा... और आपको..
वीर - ना... ऊँहुँ...
अनु - (मुस्कराते हुए) झूठे...
वीर - सच में...
अनु - झूठ... कितनी जोर से आपने मुझे जकड़ रखा है...
वीर - (बड़ी मुश्किल से अपनी जज्बातों को काबु करते हुए) हाँ... बहुत डर गया था... तु मिल गई.. ऐसा लग रहा है... जिंदगी मिल गई... इन सत्रह घंटों में... ना जाने कितनी बार मरा हूँ... कई मौतें मरा हूँ... तु सीने से क्या लग गई... मैं जी उठा हूँ...(अनु चुप रहती है)
अनु - (झूलते हुए वीर के कंधे से अपना सिर निकालती है और वीर के माथे पर अपना माथा लगा देती है) मैं भी... बस भगवान से प्रार्थना कर रही थी... या तो मेरे राजकुमार आ जाएं या मेरी मौत... आपने तो मेरी मौत को हरा दिया...
वीर - (अनु को जोर से भींच कर) चुप पगली... तुझे कुछ हो जाता तो... मैं जिंदा ही कहाँ रहता... अब चाहे कुछ भी हो जाए... मुझे तुझसे कोई अलग नहीं कर सकता...
 

Devilrudra

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👉एक सौ पैंतीसवां अपडेट
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वीर चार लोगों से घिरा हुआ था l अचानक उनमें से एक वीर पर कटार से हमला कर देता है l वीर उससे बचता है और अपने कमर के पीछे रखे फोल्डिंग रॉड को झटका देकर निकालता है l रॉड उस झटके से तीन फुट लंबा हो जाता है l इतने में जिसने वीर पर हमला किया था वह अब संभल जाता है और उसके साथी भी अपनी अपनी हथियार निकाल लेते हैं l चारों के हाथों में हथियार देख कर वीर अपना पॉजिशन बनता है l इतने में कुछ दुर से देख रहा विश्व अपने पेंट की जेब से एक छोटा सा थैला निकालता है और उसमें से शर्ट के बटन की आकार के कुछ नुकीले चक्र निकालता है और उन लोगों पर फेंक मारने के लिए तैयार हो जाता है l जैसे ही एक आदमी अपना हथियार उठाकर हमलावर होता है तभी उसके कलाई पर कुछ चुभती है l ऐसी हालत उस अकेले की नहीं होती बल्कि एक पलक झपकी में बारी बारी से चारों के साथ होता है l उनकी वही थोड़ी डिस्ट्रेकशन का फायदा उठाकर वीर उन चारों पर रॉड से हमला कर देता है l रॉड के मार से चारों के मुहँ से दर्द भरी कराह निकलने लगती है l पर वीर उन्हें ज्यादा समय नहीं देता चारों को एक एक घुसा मारता है l वीर के हर एक घुसे के साथ वे लोग कटे पेड़ की तरह जमीन पर गिरने लगते हैं l उनके गिरते ही वीर चारों तरफ़ अपनी नजरें घुमाता है फिर सावधानी से आगे बढ़ जाता है l उसके वहाँ से निकलने के बाद विश्व उन चारों के पास पहुँच कर उन लोगों का जायजा लेता है l चारों के जबड़े पर मार जबरदस्त लगी थी l चारों कराह रहे थे l तभी विश्व के कान में लगे पॉड में आवाज आती है l

जोडार - तुम वहीँ पर क्यूँ रुक गए...
विश्व - (अपनी बायीं तरफ की पॉड को म्यूटे कर) सोच रहा हूँ... इन्होंने हमला तो किया पर किसीको आगाह नहीं किया.. क्यूँ...
जोडार - क्यूँ.. शक की कोई वज़ह...
विश्व - हम छुप कर इस बस्ती में घुस रहे हैं... मैंने जैसा सोचा था... वैसी पहरेदारी भी नहीं है... फ़िर भी पहली ही कदम पर वीर घेर लिया गया... वैसे वीर ने उन्हें अच्छे से हैंडल किया...
जोडार - तो प्रॉब्लम क्या है...
विश्व - यह लोग कौन हैं... मार तो खाए पर किसी को आगाह तक नहीं किया...
जोडार - हाँ पॉइंट तो है... वैसे कैसी हालत है उनकी...
विश्व - जबड़ों की हालत खराब है...
जोडार - क्या... (चौंक कर) वीर के पंच में इतना ताकत है...
विश्व - नहीं... शायद वीर अपने हाथों में... आइरन पंच वाला ग्लोभ्स पहना हुआ है...
जोडार - ओ... वैसे वीर कहाँ तक पहुँचा...
विश्व - आप भी तो ड्रोन विजन से देख रहे होंगे...
जोडार - हाँ... पर जिस आई पैड में सुंढी साही का मैप डाला था... वह तुम्हारे पास है...
विश्व - तो क्या हुआ... वीर आपके नजरों में तो होगा ना... आखिर सारे ड्रोन्स में... इंफ्रा रेड थर्मल विजन है...
जोडार - हाँ वीर सही रास्ते में बढ़ रहा है... आगे शायद तुम्हें कंटैक्ट करेगा... क्यूंकि जंक्शन आ रहा है....
विश्व - ठीक है...
जोडार - वैसे तुम इन लोगों के साथ क्या कर रहे हो...
विश्व - इन लोगों की बेहोशी को बढ़ा रहा हूँ... और कचरे में फेंक रहा हूँ...

विश्व पहले अपने कान में लगे इयर पॉड को ऑन करता है फिर एक एक करके उन लोगों के बायीं कान के नीचे एक नस पर हल्का सा दबाव बढ़ा कर सबको उठा उठा कर कूड़ेदान में डालता है l तभी उसके कान में वीर की आवाज़ गूंजती है l


वीर - प्रताप... मैं एक जंक्शन पर कन्फ्यूज हो रहा हूँ...
विश्व - देखो... मैंने पहले ही कहा था.. मुझे साथ लेने के लिए...
वीर - तुम्हें शायद पता नहीं... मैंने खुद ही... अभी थोड़ी देर पहले... कुछ लोगों को निपटा दिया है...
विश्व - हाँ देखा आपने टैब से... तुम जोडार साहब के... इंफ्रा रेड ड्रोन सर्विलांस में हो...
वीर - तो... अभी बताओ... मुझे जाना कहाँ है...
विश्व - सीधे जाओ... फिर बायीं तरफ एक मोड़ मिलेगा... वहाँ पर पहुँचो...
वीर - ठीक है...
विश्व - जल्दी करो... सुबह होने वाला है... हमें सुबह होने से पहले उस घर तक पहुँचना होगा... लोग जाग गए तो... ना तो अनु के पास पहुँचेंगे... ना ही निकल पायेंगे...
वीर - मैं... अनु के वगैर... यहाँ से जाऊँगा ही नहीं...
विश्व - ओके ओके.. चल आगे बढ़...

वीर आगे चलता है, पर उसे अंदाजा तक नहीं था कि विश्व भी उसके पीछे बराबरी की दूरी बनाए जा रहा है और मैप के अनुसार वीर को रास्ता बता रहा है l कुछ ही देर बाद वीर एक घर के सामने रुकता है l

वीर - एक जगह पर पहुँच गया हूँ... क्या यह सही जगह है...
विश्व - हाँ बिल्कुल...
वीर - तो अब मैं... अंदर जा रहा हूँ...
विश्व - ठीक है... संभल कर...

वीर घर के बरामदे में बड़ी सतर्कता के साथ खड़ा होता है l चारों ओर अपनी नजरें दौड़ता है l वीर अपना फोल्डिंग रॉड निकालता है और बायीं हाथ में एक आइरन पंच पहनता है l धीरे धीरे दरवाजे तक पहुँच कर धक्का देता है l दरवाजा खुल जाता है l अंदर कुर्सी पर वीर को एक आदमी बैठा हुआ मिलता है जो वीर की ओर रीवॉल्वर ताने हुए था l

आदमी - आओ... क्षेत्रपाल खानदान के चश्मों चराग आओ... तुम्हारा ही इंतजार था... (वीर के पीछे देख कर) ओ... लगता है... मेरे आदमियों को निपटा कर आए हो... साले नालायक निकले...
वीर - हाँ... चार ही थे... अपनी नींद खराब कर... बड़े उतावले हो रहे थे... मैंने कुछ नहीं किया... बस कुछ देर के लिए सुला दिया...
आदमी - चु.. चु.. चु.. नहीं करना था ऐसा... आखिर तुम्हें उन्हीं के कंधे पर जाना था... अब तुम्हें किसी मरे हुए कुत्ते की तरह घसीटते हुए ले जाना पड़ेगा...
वीर - बस.. बहुत हो गई बकचोदी... बोल हराम जादे... कहाँ है मेरी अनु...
आदमी - बकचोदी... तुझे लगता है मैं बकचोदी कर रहा हूँ... तु आयेगा... मैं जानता था... अनु को चारा बनाया... और अपने पिंजरे में तुझे लाया... तुझे मारने से पहले... यह एहसास दिलाने... किसी अपने को खोने का दर्द क्या होता है...

वीर आगे बढ़ने की कोशिश करता है कि तभी उस आदमी की रीवॉल्वर से एक गोली वीर पैरों के पास फर्श पर लगती है l वीर रुक जाता है l

आदमी - नहीं वीर नहीं... तुझे आज मरना है... मरेगा भी तु... पर मरने से पहले... तुझे कुछ कहना है...

आदमी की बात ख़तम होते ही कुछ और लोग उस कमरे में आ जाते हैं l गिनती में बीस या पच्चीस होंगे l वीर अपनी नजरें एक बार घुमा कर जायजा लेता है फिर उस आदमी की ओर देखता है l

आदमी - मैं नीरा... आज से तक़रीबन छह महीने पहले... तुमने मेरे भाई सुरा और उसकी मंगेतर एलोरा को उठवा लिया था... जो आज तक गायब हैं... (वीर कुछ याद करने की कोशिश करता है) याद आया... यह उसीका बदला है... (दांत चबाते हुए) तुम क्षेत्रपाल... अपनी अहं के आगे किसीको कुछ भी नहीं समझते... तुम लोगों के गुरूर और हवस के आगे... मेरा भाई और उसकी मंगेतर... (और कुछ भी नहीं कह पाता)
वीर - हाँ हाँ... याद आया... तु बात ऐसे कर रहा है... जैसे तु, तेरा भाई और उसकी मंगेतर... क्या नाम बताया... अरे हाँ.. एलोरा... बी ग्रेड अल्बम की रंडी... जैसे दूध के धुले और बड़े मासूम थे...
नीरा - (तमतमा कर खड़ा हो जाता है) वीर...
वीर - हाँ... तुम सब हरामजादे... आइकन ग्रुप के लिए... काम करते हुए... क्षेत्रपाल की सल्तनत में सेंध लगाने की कोशिश करी थी... वह तुम्हारा भाई सुरा... अपनी मंगेतर एलोरा के जरिए... बड़े बड़े लोगों को फंसा कर... टेंडर हासिल करने की कोशिश की थी... मैंने उन्हें उनकी किए कि सजा दी थी...
नीरा - वीर...
वीर - और तुम क्या कह रहे थे... सुरा की मंगेतर... अबे हरामजादे... सच तो यह है कि... वह एलोरा तुम दो भाइयों की रखैल थी...
नीरा - वीर... (गोली चला देता है, पर वीर को लगती नहीं है, पर वीर अपनी जगह से टस से मस नहीं होता)
वीर - कहाँ है अनु...
नीरा - हा हा... हा हा हा हा... क्या अजीब फॅमिली है... साला बाप जिसकी सुपारी देता है... बेटा उसे बचाने आया है...
वीर - मेरे बाप ने तुझे तो सुपारी दे नहीं सकता.... तेरे और मेरे बीच में तीसरा कोई है... कौन है वह...
नीरा - उससे तुझे क्या मतलब... उसे तेरे बाप का काम करना था... और मुझे तुझसे बदला लेना था...
वीर - अनु कहाँ है...
नीरा - एलोरा को... तुम लोगों ने... अपने रंग महल ले गए थे ना... अब अनु तुझे वहाँ मिलेगी जहां लोग अपनी रातें रंगीन करने के लिए जाएंगे...
वीर - कमीने...

वीर नीरा के ऊपर छलांग मारता है, पर उस कमरे में मौजूद दुसरे लोग वीर को पकड़ लेते हैं और वीर को उसके घुटने पर ला देते हैं l वीर के सामने नीरा खड़े होकर

नीरा - आह... क्या सीन है... क्षेत्रपाल मेरे सामने घुटनों पर... मज़ा आ गया...

नीरा अपना रीवॉल्वर वीर के सिर पर तान देता है कि तभी उसके हाथ में एक छोटा सा तारा नुमा धातु आ कर चुभती है l नीरा के हाथ से रीवॉल्वर छिटक जाता है l उसके चेहरे पर दर्द उभर जाता है और कराहने लगता है l इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता जो लोग वीर को घुटने पर गिरा कर पकड़े हुए थे सबकी पकड़ ढीली हो जाती है क्यूंकि सबकी हाथों में उसी तरह की धातु से हमला हुआ था l वीर छूटते ही नीरा पर फिर से टूट पड़ता है l दुसरे लोग जब संभल कर वीर की ओर बढ़ते तब अचानक से विश्व उन लोगों के सामने आ जाता है l विश्व को सामने देख कर सभी भौचक्के हो जाते हैं l यहाँ तक वीर भी अपनी हैरानी छुपा नहीं पाता l अपनी मेटल पंच से वीर नीरा की हालत खराब करने में लग जाता है l उधर विश्व अकेले ही उस कमरे में मौजूद लोगों को सुबह सुबह तारे दिखाने लगता है l

वीर - (नीरा की धुनाई करते हुए विश्व से) तुम... कब आए...
विश्व - बस तुम्हारे उपर खतरे का जब एहसास हो गया...
वीर - (नीरा की गर्दन पकड़ कर) इसने जब मुझ पर गोली चलाई... तब क्या देख रहे थे...
विश्व - हाँ... देख रहा था...
वीर - मैं मर गया होता तो...
विश्व - जो बदला लेने के वक़्त... बैकलॉल करे... वह इतनी जल्दी किसी को गोली नहीं मार सकता... इसे मारना होता... तो तुम्हें तभी मार चुका होता...

विश्व की मार से कुछ लोग खिड़की तोड़ कर बाहर गिरने लगते हैं l बाहर कुछ लोग यह देख कर चिल्ला कर सबको इकट्ठा होने को कहते हैं l

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दम दम एयर पोर्ट की ओर चार कारों का काफिला बढ़ रहा था l सबसे आगे वाली कार में सेक्यूरिटी सवार थे l उस कार के पीछे वाले कार में भैरव सिंह बैठा हुआ था l भैरव सिंह के कार के पीछे एक और कार में पिनाक और विक्रम बैठे हुए थे l विक्रम देख रहा था पिनाक के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी l

विक्रम - छोटे राजा जी... क्या हुआ... बहुत परेशान लग रहे हैं...
पिनाक - (अपनी दांत चबाते हुए) वज़ह आप जानते हैं युवराज...
विक्रम - तो क्या... वीर ने अनु को ढूंढ लिया...
पिनाक - नहीं... पर राजकुमार... कल रात घर नहीं पहुँचे हैं...
विक्रम - ओ...
पिनाक - आज उनकी मंगनी है... अगर वह नहीं आए... तो राजा साहब की बड़ी बेइज्जती होगी... और हमारा सिर हमेशा के लिए नीचे झुक जाएगा...
विक्रम - कमाल है ना... आपने मंगनी ऐसे तय की है... जैसे सरकार इमर्जेंसी डिक्लेर करती है... आपने वीर से पूछा तक नहीं...
पिनाक - हमने जरूरी नहीं समझा...
विक्रम - आपने वीर की बातों पर... या कामों पर तवज्जो दी ही कब थी... पता नहीं आपने कभी वीर को... अपने लिए जरुरी कभी समझे भी थे या नहीं...
पिनाक - (बिदक जाता है) युवराज... आप अपनी हद से आगे जा रहे हैं... मत भूलिए हम कौन हैं...

विक्रम चुप हो कर खिड़की से बाहर की ओर देखने लगता है l अभी सुबह होने में कुछ देर है l फिर भी धीरे धीरे उजाला फैल रहा था l गाड़ी के भीतर कुछ देर के लिए खामोशी पसर जाती है l यह खामोशी पिनाक को बर्दास्त नहीं होती l

पिनाक - आप... आप चुप क्यूँ हो गए...
विक्रम - खुद को हद के दायरे में रखने की कोशिश कर रहा हूँ...
पिनाक - प्लीज युवराज... कुछ तो सुझाव दीजिए... आपको लगता है यह शादी जल्दबाज़ी में हो रहा है... हम इंकार नहीं कर रहे हैं... पर रास्ता कुछ नहीं था... केके के हमसे टूटना और हमारे ना सिर्फ पोलिटिकल राइवल बल्कि बिजनैस राइवल से हाथ मिलाना... हमारे वज़ूद को चैलेंज कर रहा था... इसलिए उसके टक्कर में.... निर्मल सामल को खड़ा करना पड़ रहा है... बदले में...
विक्रम - बदले में... मैरेज कम बिजनस एग्रीमेंट...
पिनाक - आप अभी तक सिर्फ सिक्यूरिटी सम्भाले हुए हैं... जिस दिन सत्ता और साम्राज्य संभालेंगे... तब हमारी बातेँ समझ में आयेंगी...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
पिनाक - अब आप ही बताएं... हम कैसे राजकुमार जी का पता लगाएं...
विक्रम - आपका सबसे क़ाबिल और समझदार आदमी भुवनेश्वर में है ना... प्रधान उससे खबर लीजिए...

पिनाक को विक्रम का जवाब पसंद नहीं आता l फिर भी अपना मोबाइल निकाल कर बल्लभ को कॉल लगाता है l कॉल मिलते ही

पिनाक - प्रधान...
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक - अब तक की क्या खबर है...
बल्लभ - पता नहीं पर...
पिनाक - पर...
बल्लभ - अभी कुछ देर पहले... कुछ प्लैटुन सुंढी साही बस्ती की ओर रवाना हुए हैं...
पिनाक - अच्छा... समझ गया... अब फोन रखो...

पिनाक कॉल काट कर फोन को कस कर पकड़ लेता है और अपनी जांघ पर रगड़ने लगता है l विक्रम अपनी भवें सिकुड़ कर पिनाक की हरकत पर गौर कर रहा था l फिर अचानक पिनाक एक और कॉल करता है l उधर से कॉल पीक होते ही

पिनाक - हैलो...
@ - जी छोटे राजा जी कहिए...
पिनाक - जानते हो... पुलिस निकल चुकी है...
@ - निकलने दीजिए... कौनसा उसे ढूंढ लेगी...
पिनाक - देखो कुछ भी हो जाए... आज शाम मंगनी से पहले पुलिस के हत्थे कुछ लगनी नहीं चाहिए...
@ - आप बेफिक्र हो जाइए छोटे राजा जी... उस लड़की का अगुवा आप ही के दुश्मन से कराया है... वह तो लड़की को छोड़ने से रहा...
पिनाक - कहीं यह लड़की सुंढी साही में तो नहीं है...
@ - यह मुझे पता नहीं है... हो भी सकती है... क्यूँ क्या हुआ..
पिनाक - पुलिस वहीँ पर जा रही है...
@ - तो फिर आप बेफिक्र हो जाइए... सुंढी साही एक अंधेरी कुआं है... जो उसमें खो गया... किसीको नहीं मिलेगा... और उस बस्ती के लोग बड़े ही खुंखार होते हैं... इसलिए आज तक कभी पुलिस या प्रशासन उस बस्ती में जाने की हिम्मत नहीं की है...
पिनाक - ठीक है...

पिनाक एक आत्म सन्तुष्टि के साथ फोन पर कॉल को काट देता है और एक इत्मीनान भरी मुस्कान के साथ विक्रम की ओर देख कर कहता है

पिनाक - अब सिर्फ आपके हिस्से का काम बाकी है युवराज... राजकुमार को शाम की पार्टी में लाना आपका जिम्मा...

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वीर, सुरा के साथ बाहर आकर घर की बरामदे में गिरता है l वीर सुरा का गर्दन दबोच रखा था वह अपनी नजर उठा कर देखता है कि घर के बाहर भीड़ हैरान हो कर उसे देख रही है l उस भीड़ के बीच मल्ला था, उसके आँखों में आश्चर्य और गुस्सा दोनों था l यूँ तो गोली चलने की आवाज से धीरे धीरे घर के बाहर इकट्ठे हो रहे थे और एक दुसरे को हैरानी के साथ देख रहे थे, क्यूंकि पहली बार ऐसा हुआ था कि कोई उसके जानकारी के वगैर सुंढी साही में घुसा है और तो और उसके मेहमान को दबोच रखा है l मल्ला का जिस्म गुस्से में थर्राने लगता है l

मल्ला - मारो इस हराम जादे को...

भीड़ इतना सुनते ही वीर की ओर बढ़ने हो वाली थी के पास में सीमेंट के बने इलेक्ट्रिक खंबो में एक के बाद ही के चार धमाके होने लगते हैं l और वह खंबे कुछ इस तरह से टूटते हैं कि बरामदे के पास एक वर्गाकार क्षेत्र बन जाता है l मल्ला और कुछ लोग उस वर्गाकार क्षेत्र में रह जाते हैं और बाकी भीड़ उन खंबो से बने क्षेत्र के बाहर खड़ी रह जाती है l अभी अभी जो हुआ था ना सिर्फ बस्ती वाले बल्कि खुद वीर भी हैरान था l हाथ में एक रिमोट लेकर घर के भीतर से विश्व निकलता है l मल्ला जैसे ही विश्व को देखता है हैरानी से उसकी आँखे बड़ी हो जाती हैं l भीड़ में कुछ लोग हल्ला मचाते हुए उन गिरे हुए खंबों को लांघ कर हमले की बात कर रहे थे कि विश्व रिमोट से एक और बटन दबाता है l एक जोरदार धमाका होता है पास के जंक्शन के ट्रांसफॉर्मर में l सबका ध्यान उस तरफ खिंच जाता है l जो लोग हरकत कर रहे थे वह लोग अपनी गुस्से को दबा कर विश्व की ओर देखने लगते हैं l उस भीड़ में से एक आदमी विश्व की रिमोट वाली हाथ पर निशाना लगा कर एक दरांती फेंक मारता है l निशाना अचूक था पर बेकार l विश्व जैसे इस हमले के लिए तैयार था अपनी बाएँ हाथ से दरांती पकड़ लेता है और पलक झपकते ही उसी आदमी पर वापस फेंक मारता है l दरांती उसी आदमी के कंधे पर लगती है l इससे पहले कि लोग किसी और तरह से प्रतिक्रिया देते मल्ला पीछे घुम कर

मल्ला - बस... अब कोई कुछ नहीं करेगा...

सब लोग जैसे रोबोट की तरह रुक जाते हैं l मल्ला विश्व और वीर की ओर मुड़ता है l

मल्ला - विश्वा भाई आप यहाँ..
विश्व - हाँ मैं यहाँ... पर तुम यहाँ कैसे...
मल्ला - यही मेरी बस्ती है.... यहाँ के सारे धंधे मेरे जिम्मे और हिफाजत में होते हैं...
विश्व - आज तुम्हारे लिए मेरी राय बदल गई है...
मल्ला - आप भूल रहे हो विश्वा भाई... सुपारी उठा कर काम करना मेरा पेशा है...
विश्व - हाँ जानता हूँ... पर जुर्म करो तो कुछ मर्दाना हो... तुम तो दल्ले निकले... एक लड़की को उठा लाए...
मल्ला - ना विश्वा भाई ना... ना मैंने ना मेरे किसी आदमी ने लड़की को उठाया है... (सुरा की ओर इशारा करते हुए) इसने और इसीके आदमियों ने लड़की को उठाया था... बदले में एक रात की पनाह और रास्ता मांगा था... मोटी रकम के बदले... सो हमने दी...
विश्व - अब रात ख़तम हो चुकी है मल्ला...
मल्ला - पर है तो मेरी पनाह में...
विश्व - बात एक रात की थी... जिसकी उसने रकम चुकाई थी... रात गई... बात गई...
वीर - अब मैं तुमसे आज का पूरा दिन खरीदता हूँ... अपनी रकम बोलो...
सुरा - नहीं... मल्ला... नहीं... यह धोका है... तु मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकता...
विश्व - अपनी कीमत बोलो मल्ला...
मल्ला के पास खड़ा एक आदमी - मल्ला भाई... यह दो लोग हैं... हम इतने हैं... हुकुम करो... काट डालेंगे...
भीड़ - हाँ हाँ मल्ला भाई हाँ हाँ...

मल्ला घुम कर उस आदमी के गाल पर एक थप्पड़ जड़ देता है l यह देख कर वह आदमी और भीड़ भी सन्न रह जाते हैं l

मल्ला - जानता है वह कौन है... विश्वा... विश्वा भाई है... वह एक अकेला सौ के बराबर है... अगर इस बस्ती में वह आया है... तो यकीनन पूरी तैयारी... बंदोबस्त के साथ आया होगा... देखा नहीं अपनी चारों तरफ हुए धमाकों को...

जिस ऊंची आवाज़ से मल्ला बस्ती वालों से कह रहा था वह आवाज ना सिर्फ बस्ती वालों पर प्रभाव छोड़ रही थी बल्कि वीर और सुरा पर भी बराबर असर कर रही थी l

विश्व - मल्ला... यकीन मानों मैं कोई और खूनखराबा नहीं चाहता... अपनी आज के दिन भर की कीमत बोलो...
मल्ला - ठीक है... आज का पूरा दिन आपको दे दी... पर कोई फायदा नहीं होगा... क्यूँकी सुबह के अंधरे में... इसने अपने आदमियों के जरिए उस लड़की को मछवारों के साथ... दया नदी के जरिए चीलका भेज दिया है...

यह सुन कर वीर गुस्से में सुरा को अपनी तरफ़ घुमाता है और घुसे बरसाने लगता है l विश्व एक बार फिर रिमोट में बटन दबाता है l एक धमाका और होता है पास वाले कूड़े दान में l धमाके की आवाज का असर था कि ना सिर्फ वीर रुक जाता है बल्कि जो लोग विश्व को धर दबोचने की सोच भी रहे थे वह लोग भी अपनी सोच से बाज आ गए l

विश्व - (मल्ला से) तुम उसकी मत सोचो... लड़की हम तक कैसे पहुँचेगी वह हम सोच लेंगे...

इतने में एक आदमी भागते हुए आता है और चिल्लाते हुए कहता है l

- पुलिस वाले आए हैं...

मल्ला विश्व की तरफ हैरानी भरे नजरों से देखता है l फिर पास खड़े अपने आदमी से

मल्ला - कहा था ना.. यह आपनी पूरी तैयारी और बंदोबस्त के साथ आया होगा... (जो खबर लाया था उस आदमी से) कितने पुलिस वाले हैं...
आदमी - तीन चार ट्रकों में भर भरकर आए हैं...
मल्ला - क्या... (विश्वा से) पहली बार ऐसा हुआ है... इतने पुलिस वाले यहाँ आए हैं...
विश्व - हाँ इस बस्ती की इतिहास मालुम है... पहले पुलिस वाले सिर्फ जीप पर आते थे... आज प्लाटुन भर कर आए हैं.... फैसला तुम्हारे हाथ में है मल्ला... या तो तुम पीस जाओगे... या फिर पैसे बनाओगे...
मल्ला - ठीक है... कोई खून खराबा नहीं... अब तुम बोलो हमें क्या करना है....
विश्व - कुछ लोगों के लेकर बस्ती के मुहाने पुलिस को रोकने के लिए बैरिकेड् बनाओ...
मल्ला - पुलिस हमला कर सकती है...
विश्व - जब तक मेरा इशारा ना हो... पुलिस कुछ नहीं करेगी...

मल्ला अपना सिर हिलाता है और कुछ मर्द और औरतों को पुलिस को अंदर आने से रोकने के लिए कहता है l आधे से ज्यादा भीड़ पुलिस को रोकने के लिए वहाँ से चली जाती है l विश्व वीर को इशारा करता है l

वीर - अपना कीमत बोलो मल्ला...
मल्ला - लड़की मिल जाए... तो जो सही लगे... इस बस्ती के खाते में जमा कर देना...

फिर मल्ला अपने आदमियों को इशारा करता है l धीरे धीरे वहाँ से लोग चले जाते हैं l वहाँ पर सुरा और नीचे गिरे छटपटाते हुए उसके साथियों के साथ वीर और विश्व रह जाते हैं l वीर सुरा को खिंच कर अंदर लाता है और उसी सोफ़े पर पटक देता है जहाँ वह बैठा था l फिर सुरा को घुमा कर सोफ़े के हेड रेस्ट पर उल्टा लिटा देता है और उसके हाथों को सोफ़े के पीछे वाले पैरों में बाँध देता है और सुरा के पैरों को सोफ़े के आगे वाले पैरों में बाँध देता है l उसके बाद सुरा के चेहरे के सामने आकर खड़ा हो जाता है l उसके बालों का पकड़ कर सुरा का चेहरा उठाता है

वीर - बोल कमीने... कहाँ है मेरी अनु...

दर्द भरी चेहरे पर मुस्कान लाते हुए सुरा - नहीं बताऊँगा...
वीर - बता हराम जादे... नहीं तो..
सुरा - कुछ भी कर ले... मर जाऊँगा... मगर नहीं बताऊँगा...
वीर - सुन हरामजादे... मैं तेरे अंदर इतना दर्द और खौफ भर दूँगा के... तू अपने आप तोते की तरह बोलने लगेगा...
सुरा - हा हा हा हा... कोशिश करके देख ले...

वीर सुरा के चेहरे पर एक घुसा जड़ देता है l सुरा दर्द के मारे कराहने लगता है l विश्व सुरा से पूछने के लिए आगे आता है तो वीर उसे रोक देता है l

वीर - नहीं प्रताप... इसने मेरे जुनून को छेड़ा है... इससे मुझे हो पूछने दो...
विश्व - पर वीर...
वीर - भरोसा रखो... अगर मैं हार गया... तो तुम्हें ही कहूँगा इससे उगलवाने के लिए...

विश्व रुक जाता है l वीर इसबार सुरा के पीछे आता है और उसका पेंट घुटने तक उतार देता है l

सुरा - यह क्या कर रहे हो...
वीर - कहा था ना... तेरे अंदर दर्द और खौफ इतना भर दूँगा के तु तोते की रटने लगेगा...

विश्व भी हैरान था वीर के इस हरकत पर l वीर कमरे में किचन की ओर जाता है l विश्व को किचन से वीर की कुछ ढूंढने की आवाज़ आ रही थी l कुछ देर बाद वीर के हाथ में दो अंडे थे l

विश्व - तुम करना क्या चाहते हो वीर...
वीर - शक्कर ढूंढ रहा था... शक्कर तो नहीं मिली पर यह दो अंडे मिल गए...
विश्व - हाँ दिख रहा है मुझे... पर तुम करना क्या चाहते हो...
वीर - टॉर्चर... एक स्पेशल टॉर्चर... जो इसने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा...
विश्व - मतलब...
वीर - अभी देखो...

वीर एक ग्लास में अंडे फोड़ कर डाल देता है, चम्मच से फेंट लेने के बाद थोड़ा थोड़ा कर सुरा के पिछवाड़े के सूराख और गांड पर चम्मच से मलने लगता है l विश्व की आँखे हैरत से फैल जाता है l वीर अब सुरा के सामने आकर खड़ा हो जाता है l

वीर - देख सुरा दर्द से पहले... तु अनु का पता बता दे...
सुरा - तु कुछ भी कर ले... तुझे इस जनम में अनु नहीं मिलेगी...
वीर - (अपनी जैकेट की जीप खोल कर एक कपड़े से लिपटी छोटा थैला निकालता है, और उसे सुरा को दिखाते हुए) तु तो जानता है ना... मैं हमेशा अनु की हिफाजत के लिए उसके पीछे लगा रहता था... उसके गली के बाहर एक पेड़ के नीचे उसके इंतजार में छुपा रहता था... उसी पेड़ के एक शाखा पर यह लाल चीटियों का घोंसला था... (यह सुनते ही विश्व और सुरा की आँखे हैरानी से फैल जाते हैं) लाल चींटी... वह भी बड़े बड़े... जानता है ना... यह झुंड में खाना खाते हैं... इनकी झुंड की भूख के आगे हाथी भी बेबस हो जाती है... अब तेरे पिछवाड़े मैंने अंडे का फेंट मल दिया है... इससे पहले कि इन चीटियों को तेरा पिछवाड़ा खाने की दावत में पेश कर दूँ... सीधी तरह से बता दे... अनु कहाँ है...
सुरा - (चिल्लाते हुए) मैंने अपने साथी मंगू के साथ उसे दया नदी के रास्ते.... चीलका भेज दिया है...
वीर - तो उसे फोन कर... और अनु को वापस लाने के लिए बोल...
सुरा - तु कुछ भी कर ले... मैं... मंगू को नहीं बुलाऊंगा...
वीर - ठीक है... अब मैं यह चीटियां तेरे पिछवाड़े पर छोड़ दूँगा... यह धीरे धीरे पहले स्टार्टर में तेरे गांड का नास्ता करेंगे... उसके बाद मैंस में तेरे लंड और टट्टे खाएंगे... यकीन मान... दो घंटे बाद... तेरे कमर के नीचे की ढांचे में... सिर्फ हड्डियाँ होंगी... पर मांस नहीं होगा....
सुरा - नहीं...

वीर धीरे धीरे सुरा के पीछे आता है और अपने दस्ताने पहने हुए हाथों से उस कपड़े के थैले से सूखे पत्तों का एक गोला निकालता है l उस गोले का एक सिरे में छोटा सा छेद कर देता है l सिर्फ दो ही सेकेंड के बाद बहुत बड़े बड़े और डरावने गहरे लाल रंग के कुछ चींटी बाहर निकलते हैं l वीर उन्हें सुरा के पिछवाड़े पर छिड़क देता है और फिर उस गोले की छेद को बंद कर कपड़े की थैले में वापस रख देता है l उसकी इस हरकत को विश्व मुहँ फाड़े देख रहा था l थोड़ी देर बाद सुरा का चीखना शुरु हो जाता है l

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दया नदी में एक मोटर चालित नाव तेजी से आगे बढ़ रही थी l सुरज पूर्व आकाश को चीर कर थोड़ा ही ऊपर उठा है, पर दूर से ऐसा लग रहा था जैसे एक नाव तेजी से उगते सुरज की ओर बढ़ी जा रही थी l नाव मैं मंगू दो साथियों के साथ बैठ कर सिगरेट फूँक रहा था l एक कोने पर अनु चुप चाप बैठी हुई थी l


एक - मंगू... ए मंगू...
मंगू - क्या है बे...
एक - यार... कल से भूख बड़ी जबरदस्त लग रही है...
मंगू - क्यूँ बे... रात को ही तो ठूंस ठूंस कर खाया था... फिर भी भूख लग रही है... पहले चीलका पहुँचने दे... लड़की को पार्सल करने दे... उसके बाद जी भर के ठूंस लेना...
एक - यार तु समझा नहीं...
मंगू - क्या मतलब...
एक - अरे यार मंगू... तु समझ नहीं रहा है... यह भूक अलग है... पेट की नहीं... लौडे की है... तन बदन की है... (यह सुनते ही मंगू चौंकता है और सवालिया नजरों से अपने उस आदमी को देखता है) बात इस लड़की को बर्बाद करने की है... तो क्यूँ ना... हम ही बोहनी कर देते...
दुसरा - (चहकते हुए) हाँ... यार... लड़की का जब पार्सल ही करना है... तो अच्छी तरह से जाँच परख कर पार्सल कर देते हैं...
मंगू - (एक कुटिल मुस्कराहट के साथ अनु की ओर देखते हुए) हाँ मैं भी यही सोच रहा हूँ... साली है बहुत कड़क... ऊपर से तीखी... चखने को मन कर रहा है... (तीनों हँसने लगते हैं)
एक - पर मेरे को तो पहले चाटना है... फिर काट काट कर खाना है...
दुसरा - तो देरी क्यूँ... चलो एक साथ मिलकर... इसकी मुनिया में डुबकी लगाते हैं...

तीनों खड़े होते हैं और धीरे धीरे अनु की तरफ आगे बढ़ते हैं l इतनी देर से बेखौफ रही अनु को अब डर लगने लगती है l वह डर के मारे अपनी जगह पर खड़ी हो जाती है और उन्हें धमकाते हुए

अनु - रुक जाओ... खबर दार जो आगे बढ़ने की कोशिश की तो...
मंगू - (अपने साथियों से) ऐ... तुम लोग रुको रे... मुझे इसके क़रीब जाने दो... (अनु से) मैंने इन्हें रोक दिया है... अब हम इकट्ठे नहीं... एक एक कर के आयेंगे...
अनु - देखो... अपने हद में रहो... वर्ना... मैं कुद जाऊँगी... तुम जानते नहीं हो... तुम लोगों का क्या होगा... यह तुम लोग सोच भी नहीं सकते....
मंगू - अरे अरे रे... लड़की डर गई... (तीनों हँसने लगते हैं) अब तक तेरे आशिक ने क्या उखाड़ा है... पुलिस कमिश्नरेट का घेराव ही तो किया है...
अनु - सिर्फ उतने में ही तो तुम लोगों की गिली हो गई... के शहर के रास्ते के बजाय... नदी के रास्ते मुझे ले जा रहे हो... (यह सुन कर मंगू भड़क जाता है)
मंगू - साली... डर रही है... मगर डराने की भी कोशिश कर रही है...
दो साथी - हाँ भाई... अभी तक सलामत है... इसीलिए इतना फुदक रही है... एक बार फुद्दी फटी तो लाइन में आ जाएगी... (तीनों फिर से आगे बढ़ने लगते हैं, अनु पीछे हटते हुए नाव के सिरे पर पहुँच जाती है)
अनु - देखो मैं आखिरी बार कह रही हूँ... मेरे करीब आए तो कुद जाऊँगी... मुझे अगुवा कर पहले ही अपनी बर्बादी पर मोहर लगा चुके हो... अब इससे आगे बढ़े... तो तुम्हारा अंजाम बहुत बुरा होगा...
मंगू - अच्छा... क्या बुरा होगा... कितना बुरा होगा...
अनु - यकीन ना आए तो अपने मालिक से पूछ लो...

तीनों मरदुत ठहाके लगा कर हँसने लगते हैं के तभी मंगू की जेब से मोबाइल बजने की आवाज आती है l मंगू अपने जेब से मोबाइल निकाल कर देखता है स्क्रीन पर बॉस डिस्प्ले हो रहा था l फोन कॉल पर लेते हुए

मंगू - (स्पीकर पर डालते हुए) वाह सुरा भाई वाह... बड़ी लंबी उमर है तुम्हारी... अभी अभी इस लड़की ने तुम्हें याद किया और तुमने फोन लगा दिया...
सुरा - (चिल्ला कर) अबे भोषड़ी के मंगू... जल्दी लड़की को वापस ला...

यह सुनते ही तीनों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है, चेहरे पर जो भद्दी हँसी थी एकाएक गायब हो जाती है l लड़खड़ाती हुई लहजे में मंगू पूछता है

मंगू - क्या.. क्या हुआ... सुरा भाई...
सुरा - आह... पुलिस को तुम्हारी लोकेशन मालुम हो गया है... आह... और चीलका पुलिस और नेवी तुम लोगों के लिए आगे आ रही है... आह... बस्ती को पुलिस घेर चुकी है... आह...
मंगू - पर मल्ला तो कह रहा था... बस्ती में कभी पुलिस घुस नहीं सकती...
सुरा - अबे मादरचोद... मैं यहाँ... तुझे कैफ़ियत नहीं दे रहा हूँ... मल्ला हमसे पैसे लिए... हमारा काम कर दिया... अब राजकुमार से पैसा लेकर उनका काम कर रहा है... आह मेरी हालत तब तक खराब रहेगी जब तक लड़की उन्हें... आ आह... नहीं मिल जाती... इसलिए भोषड़ी वाले अपनी खैरियत की सोच कर लड़की को वापस ले आओ... वर्ना अंजाम बहुत बुरा हो... गा... आ आह...

फोन कट जाता है, अब तीनों के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगती है l तीनों अपनी नजर घुमा कर अनु की तरफ़ देखते हैं l अनु के चेहरे पर एक जबरदस्त आत्मविश्वास भरा मुस्कराहट था l

मंगू - (मोटर वाले से) ऐ ऐ... नाव घुमा... नाव घुमा रे वापस...

मोटर वाला नाव को वापस मोड़ देता है l अब दृश्य कुछ इस तरह था कि नाव के आगे अपनी हाथ को मोड़ कर कुहनियों के बीच फांस कर अनु खड़ी थी और मंगू और उसके दो साथी डरे डरे से मोटर वाले के पास खड़े हुए थे l हवाएँ अनु के जुल्फों को उलझा रहे थे और अनु बार बार अपनी उलझी लटों को एक रूहानी खुशी के साथ सुलझा रही थी l उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह हवा में उड़ते हुए जा रही है l करीब आधे घंटे बाद नाव किनारे पर लगती है l अनु पीछे मुड़ कर नहीं देखती सीधे किनारे पर कुदते हुए उतरती है और भागने लगती है l उसे लगता है जैसे उसके भागते रास्ते के दोनों तरफ लोग उसकी इस्तकबाल कर रहे हैं उसे उसकी राजकुमार से मिलाने के लिए l वह बस भागी जा रही थी l जैसे ही उसे वह घर दिखती है जहां उसे कैद कर रखा गया था, वह अचानक उस घर से कुछ दूर ठिठक जाती है l उसके रुकते ही एक हवा का झोंका उसे छुते हुए गुज़रती है l वह देखती है दरवाजे से बदहवास वीर भागते हुए बाहर आता है और बरामदे पर आकर ठिठक जाता है जैसे उस हवा के झोंके ने अनु का संदेश वीर तक पहुँचाया हो l दोनों एक दूसरे को देखते ही एक दूसरे की ओर भागने लगते हैं l वीर के करीब पहुँचते ही अनु छलांग लगा देती है वीर उसे अपनी बाहों में थाम कर गले से लगा लेता है, अनु का चेहरा वीर के कंधे पर थी और पैर जमीन से छह इंच उपर थे l वीर की बाहों में अनु झूल रही थी l दोनों की आँखे भीगी हुई थीं पर दोनों के चेहरे पर अद्भुत रौनक थी l कुछ लोग यह दृश्य देख कर हैरान हो रहे थे और कुछ लोग खुश l

वीर - अनु...
अनु - हूँ..
वीर - तुझे डर लगा...
अनु - थोड़ा... और आपको..
वीर - ना... ऊँहुँ...
अनु - (मुस्कराते हुए) झूठे...
वीर - सच में...
अनु - झूठ... कितनी जोर से आपने मुझे जकड़ रखा है...
वीर - (बड़ी मुश्किल से अपनी जज्बातों को काबु करते हुए) हाँ... बहुत डर गया था... तु मिल गई.. ऐसा लग रहा है... जिंदगी मिल गई... इन सत्रह घंटों में... ना जाने कितनी बार मरा हूँ... कई मौतें मरा हूँ... तु सीने से क्या लग गई... मैं जी उठा हूँ...(अनु चुप रहती है)
अनु - (झूलते हुए वीर के कंधे से अपना सिर निकालती है और वीर के माथे पर अपना माथा लगा देती है) मैं भी... बस भगवान से प्रार्थना कर रही थी... या तो मेरे राजकुमार आ जाएं या मेरी मौत... आपने तो मेरी मौत को हरा दिया...
वीर - (अनु को जोर से भींच कर) चुप पगली... तुझे कुछ हो जाता तो... मैं जिंदा ही कहाँ रहता... अब चाहे कुछ भी हो जाए... मुझे तुझसे कोई अलग नहीं कर सकता...
Nice👍👍👍
 
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parkas

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👉एक सौ पैंतीसवां अपडेट
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वीर चार लोगों से घिरा हुआ था l अचानक उनमें से एक वीर पर कटार से हमला कर देता है l वीर उससे बचता है और अपने कमर के पीछे रखे फोल्डिंग रॉड को झटका देकर निकालता है l रॉड उस झटके से तीन फुट लंबा हो जाता है l इतने में जिसने वीर पर हमला किया था वह अब संभल जाता है और उसके साथी भी अपनी अपनी हथियार निकाल लेते हैं l चारों के हाथों में हथियार देख कर वीर अपना पॉजिशन बनता है l इतने में कुछ दुर से देख रहा विश्व अपने पेंट की जेब से एक छोटा सा थैला निकालता है और उसमें से शर्ट के बटन की आकार के कुछ नुकीले चक्र निकालता है और उन लोगों पर फेंक मारने के लिए तैयार हो जाता है l जैसे ही एक आदमी अपना हथियार उठाकर हमलावर होता है तभी उसके कलाई पर कुछ चुभती है l ऐसी हालत उस अकेले की नहीं होती बल्कि एक पलक झपकी में बारी बारी से चारों के साथ होता है l उनकी वही थोड़ी डिस्ट्रेकशन का फायदा उठाकर वीर उन चारों पर रॉड से हमला कर देता है l रॉड के मार से चारों के मुहँ से दर्द भरी कराह निकलने लगती है l पर वीर उन्हें ज्यादा समय नहीं देता चारों को एक एक घुसा मारता है l वीर के हर एक घुसे के साथ वे लोग कटे पेड़ की तरह जमीन पर गिरने लगते हैं l उनके गिरते ही वीर चारों तरफ़ अपनी नजरें घुमाता है फिर सावधानी से आगे बढ़ जाता है l उसके वहाँ से निकलने के बाद विश्व उन चारों के पास पहुँच कर उन लोगों का जायजा लेता है l चारों के जबड़े पर मार जबरदस्त लगी थी l चारों कराह रहे थे l तभी विश्व के कान में लगे पॉड में आवाज आती है l

जोडार - तुम वहीँ पर क्यूँ रुक गए...
विश्व - (अपनी बायीं तरफ की पॉड को म्यूटे कर) सोच रहा हूँ... इन्होंने हमला तो किया पर किसीको आगाह नहीं किया.. क्यूँ...
जोडार - क्यूँ.. शक की कोई वज़ह...
विश्व - हम छुप कर इस बस्ती में घुस रहे हैं... मैंने जैसा सोचा था... वैसी पहरेदारी भी नहीं है... फ़िर भी पहली ही कदम पर वीर घेर लिया गया... वैसे वीर ने उन्हें अच्छे से हैंडल किया...
जोडार - तो प्रॉब्लम क्या है...
विश्व - यह लोग कौन हैं... मार तो खाए पर किसी को आगाह तक नहीं किया...
जोडार - हाँ पॉइंट तो है... वैसे कैसी हालत है उनकी...
विश्व - जबड़ों की हालत खराब है...
जोडार - क्या... (चौंक कर) वीर के पंच में इतना ताकत है...
विश्व - नहीं... शायद वीर अपने हाथों में... आइरन पंच वाला ग्लोभ्स पहना हुआ है...
जोडार - ओ... वैसे वीर कहाँ तक पहुँचा...
विश्व - आप भी तो ड्रोन विजन से देख रहे होंगे...
जोडार - हाँ... पर जिस आई पैड में सुंढी साही का मैप डाला था... वह तुम्हारे पास है...
विश्व - तो क्या हुआ... वीर आपके नजरों में तो होगा ना... आखिर सारे ड्रोन्स में... इंफ्रा रेड थर्मल विजन है...
जोडार - हाँ वीर सही रास्ते में बढ़ रहा है... आगे शायद तुम्हें कंटैक्ट करेगा... क्यूंकि जंक्शन आ रहा है....
विश्व - ठीक है...
जोडार - वैसे तुम इन लोगों के साथ क्या कर रहे हो...
विश्व - इन लोगों की बेहोशी को बढ़ा रहा हूँ... और कचरे में फेंक रहा हूँ...

विश्व पहले अपने कान में लगे इयर पॉड को ऑन करता है फिर एक एक करके उन लोगों के बायीं कान के नीचे एक नस पर हल्का सा दबाव बढ़ा कर सबको उठा उठा कर कूड़ेदान में डालता है l तभी उसके कान में वीर की आवाज़ गूंजती है l


वीर - प्रताप... मैं एक जंक्शन पर कन्फ्यूज हो रहा हूँ...
विश्व - देखो... मैंने पहले ही कहा था.. मुझे साथ लेने के लिए...
वीर - तुम्हें शायद पता नहीं... मैंने खुद ही... अभी थोड़ी देर पहले... कुछ लोगों को निपटा दिया है...
विश्व - हाँ देखा आपने टैब से... तुम जोडार साहब के... इंफ्रा रेड ड्रोन सर्विलांस में हो...
वीर - तो... अभी बताओ... मुझे जाना कहाँ है...
विश्व - सीधे जाओ... फिर बायीं तरफ एक मोड़ मिलेगा... वहाँ पर पहुँचो...
वीर - ठीक है...
विश्व - जल्दी करो... सुबह होने वाला है... हमें सुबह होने से पहले उस घर तक पहुँचना होगा... लोग जाग गए तो... ना तो अनु के पास पहुँचेंगे... ना ही निकल पायेंगे...
वीर - मैं... अनु के वगैर... यहाँ से जाऊँगा ही नहीं...
विश्व - ओके ओके.. चल आगे बढ़...

वीर आगे चलता है, पर उसे अंदाजा तक नहीं था कि विश्व भी उसके पीछे बराबरी की दूरी बनाए जा रहा है और मैप के अनुसार वीर को रास्ता बता रहा है l कुछ ही देर बाद वीर एक घर के सामने रुकता है l

वीर - एक जगह पर पहुँच गया हूँ... क्या यह सही जगह है...
विश्व - हाँ बिल्कुल...
वीर - तो अब मैं... अंदर जा रहा हूँ...
विश्व - ठीक है... संभल कर...

वीर घर के बरामदे में बड़ी सतर्कता के साथ खड़ा होता है l चारों ओर अपनी नजरें दौड़ता है l वीर अपना फोल्डिंग रॉड निकालता है और बायीं हाथ में एक आइरन पंच पहनता है l धीरे धीरे दरवाजे तक पहुँच कर धक्का देता है l दरवाजा खुल जाता है l अंदर कुर्सी पर वीर को एक आदमी बैठा हुआ मिलता है जो वीर की ओर रीवॉल्वर ताने हुए था l

आदमी - आओ... क्षेत्रपाल खानदान के चश्मों चराग आओ... तुम्हारा ही इंतजार था... (वीर के पीछे देख कर) ओ... लगता है... मेरे आदमियों को निपटा कर आए हो... साले नालायक निकले...
वीर - हाँ... चार ही थे... अपनी नींद खराब कर... बड़े उतावले हो रहे थे... मैंने कुछ नहीं किया... बस कुछ देर के लिए सुला दिया...
आदमी - चु.. चु.. चु.. नहीं करना था ऐसा... आखिर तुम्हें उन्हीं के कंधे पर जाना था... अब तुम्हें किसी मरे हुए कुत्ते की तरह घसीटते हुए ले जाना पड़ेगा...
वीर - बस.. बहुत हो गई बकचोदी... बोल हराम जादे... कहाँ है मेरी अनु...
आदमी - बकचोदी... तुझे लगता है मैं बकचोदी कर रहा हूँ... तु आयेगा... मैं जानता था... अनु को चारा बनाया... और अपने पिंजरे में तुझे लाया... तुझे मारने से पहले... यह एहसास दिलाने... किसी अपने को खोने का दर्द क्या होता है...

वीर आगे बढ़ने की कोशिश करता है कि तभी उस आदमी की रीवॉल्वर से एक गोली वीर पैरों के पास फर्श पर लगती है l वीर रुक जाता है l

आदमी - नहीं वीर नहीं... तुझे आज मरना है... मरेगा भी तु... पर मरने से पहले... तुझे कुछ कहना है...

आदमी की बात ख़तम होते ही कुछ और लोग उस कमरे में आ जाते हैं l गिनती में बीस या पच्चीस होंगे l वीर अपनी नजरें एक बार घुमा कर जायजा लेता है फिर उस आदमी की ओर देखता है l

आदमी - मैं नीरा... आज से तक़रीबन छह महीने पहले... तुमने मेरे भाई सुरा और उसकी मंगेतर एलोरा को उठवा लिया था... जो आज तक गायब हैं... (वीर कुछ याद करने की कोशिश करता है) याद आया... यह उसीका बदला है... (दांत चबाते हुए) तुम क्षेत्रपाल... अपनी अहं के आगे किसीको कुछ भी नहीं समझते... तुम लोगों के गुरूर और हवस के आगे... मेरा भाई और उसकी मंगेतर... (और कुछ भी नहीं कह पाता)
वीर - हाँ हाँ... याद आया... तु बात ऐसे कर रहा है... जैसे तु, तेरा भाई और उसकी मंगेतर... क्या नाम बताया... अरे हाँ.. एलोरा... बी ग्रेड अल्बम की रंडी... जैसे दूध के धुले और बड़े मासूम थे...
नीरा - (तमतमा कर खड़ा हो जाता है) वीर...
वीर - हाँ... तुम सब हरामजादे... आइकन ग्रुप के लिए... काम करते हुए... क्षेत्रपाल की सल्तनत में सेंध लगाने की कोशिश करी थी... वह तुम्हारा भाई सुरा... अपनी मंगेतर एलोरा के जरिए... बड़े बड़े लोगों को फंसा कर... टेंडर हासिल करने की कोशिश की थी... मैंने उन्हें उनकी किए कि सजा दी थी...
नीरा - वीर...
वीर - और तुम क्या कह रहे थे... सुरा की मंगेतर... अबे हरामजादे... सच तो यह है कि... वह एलोरा तुम दो भाइयों की रखैल थी...
नीरा - वीर... (गोली चला देता है, पर वीर को लगती नहीं है, पर वीर अपनी जगह से टस से मस नहीं होता)
वीर - कहाँ है अनु...
नीरा - हा हा... हा हा हा हा... क्या अजीब फॅमिली है... साला बाप जिसकी सुपारी देता है... बेटा उसे बचाने आया है...
वीर - मेरे बाप ने तुझे तो सुपारी दे नहीं सकता.... तेरे और मेरे बीच में तीसरा कोई है... कौन है वह...
नीरा - उससे तुझे क्या मतलब... उसे तेरे बाप का काम करना था... और मुझे तुझसे बदला लेना था...
वीर - अनु कहाँ है...
नीरा - एलोरा को... तुम लोगों ने... अपने रंग महल ले गए थे ना... अब अनु तुझे वहाँ मिलेगी जहां लोग अपनी रातें रंगीन करने के लिए जाएंगे...
वीर - कमीने...

वीर नीरा के ऊपर छलांग मारता है, पर उस कमरे में मौजूद दुसरे लोग वीर को पकड़ लेते हैं और वीर को उसके घुटने पर ला देते हैं l वीर के सामने नीरा खड़े होकर

नीरा - आह... क्या सीन है... क्षेत्रपाल मेरे सामने घुटनों पर... मज़ा आ गया...

नीरा अपना रीवॉल्वर वीर के सिर पर तान देता है कि तभी उसके हाथ में एक छोटा सा तारा नुमा धातु आ कर चुभती है l नीरा के हाथ से रीवॉल्वर छिटक जाता है l उसके चेहरे पर दर्द उभर जाता है और कराहने लगता है l इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता जो लोग वीर को घुटने पर गिरा कर पकड़े हुए थे सबकी पकड़ ढीली हो जाती है क्यूंकि सबकी हाथों में उसी तरह की धातु से हमला हुआ था l वीर छूटते ही नीरा पर फिर से टूट पड़ता है l दुसरे लोग जब संभल कर वीर की ओर बढ़ते तब अचानक से विश्व उन लोगों के सामने आ जाता है l विश्व को सामने देख कर सभी भौचक्के हो जाते हैं l यहाँ तक वीर भी अपनी हैरानी छुपा नहीं पाता l अपनी मेटल पंच से वीर नीरा की हालत खराब करने में लग जाता है l उधर विश्व अकेले ही उस कमरे में मौजूद लोगों को सुबह सुबह तारे दिखाने लगता है l

वीर - (नीरा की धुनाई करते हुए विश्व से) तुम... कब आए...
विश्व - बस तुम्हारे उपर खतरे का जब एहसास हो गया...
वीर - (नीरा की गर्दन पकड़ कर) इसने जब मुझ पर गोली चलाई... तब क्या देख रहे थे...
विश्व - हाँ... देख रहा था...
वीर - मैं मर गया होता तो...
विश्व - जो बदला लेने के वक़्त... बैकलॉल करे... वह इतनी जल्दी किसी को गोली नहीं मार सकता... इसे मारना होता... तो तुम्हें तभी मार चुका होता...

विश्व की मार से कुछ लोग खिड़की तोड़ कर बाहर गिरने लगते हैं l बाहर कुछ लोग यह देख कर चिल्ला कर सबको इकट्ठा होने को कहते हैं l

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दम दम एयर पोर्ट की ओर चार कारों का काफिला बढ़ रहा था l सबसे आगे वाली कार में सेक्यूरिटी सवार थे l उस कार के पीछे वाले कार में भैरव सिंह बैठा हुआ था l भैरव सिंह के कार के पीछे एक और कार में पिनाक और विक्रम बैठे हुए थे l विक्रम देख रहा था पिनाक के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी l

विक्रम - छोटे राजा जी... क्या हुआ... बहुत परेशान लग रहे हैं...
पिनाक - (अपनी दांत चबाते हुए) वज़ह आप जानते हैं युवराज...
विक्रम - तो क्या... वीर ने अनु को ढूंढ लिया...
पिनाक - नहीं... पर राजकुमार... कल रात घर नहीं पहुँचे हैं...
विक्रम - ओ...
पिनाक - आज उनकी मंगनी है... अगर वह नहीं आए... तो राजा साहब की बड़ी बेइज्जती होगी... और हमारा सिर हमेशा के लिए नीचे झुक जाएगा...
विक्रम - कमाल है ना... आपने मंगनी ऐसे तय की है... जैसे सरकार इमर्जेंसी डिक्लेर करती है... आपने वीर से पूछा तक नहीं...
पिनाक - हमने जरूरी नहीं समझा...
विक्रम - आपने वीर की बातों पर... या कामों पर तवज्जो दी ही कब थी... पता नहीं आपने कभी वीर को... अपने लिए जरुरी कभी समझे भी थे या नहीं...
पिनाक - (बिदक जाता है) युवराज... आप अपनी हद से आगे जा रहे हैं... मत भूलिए हम कौन हैं...

विक्रम चुप हो कर खिड़की से बाहर की ओर देखने लगता है l अभी सुबह होने में कुछ देर है l फिर भी धीरे धीरे उजाला फैल रहा था l गाड़ी के भीतर कुछ देर के लिए खामोशी पसर जाती है l यह खामोशी पिनाक को बर्दास्त नहीं होती l

पिनाक - आप... आप चुप क्यूँ हो गए...
विक्रम - खुद को हद के दायरे में रखने की कोशिश कर रहा हूँ...
पिनाक - प्लीज युवराज... कुछ तो सुझाव दीजिए... आपको लगता है यह शादी जल्दबाज़ी में हो रहा है... हम इंकार नहीं कर रहे हैं... पर रास्ता कुछ नहीं था... केके के हमसे टूटना और हमारे ना सिर्फ पोलिटिकल राइवल बल्कि बिजनैस राइवल से हाथ मिलाना... हमारे वज़ूद को चैलेंज कर रहा था... इसलिए उसके टक्कर में.... निर्मल सामल को खड़ा करना पड़ रहा है... बदले में...
विक्रम - बदले में... मैरेज कम बिजनस एग्रीमेंट...
पिनाक - आप अभी तक सिर्फ सिक्यूरिटी सम्भाले हुए हैं... जिस दिन सत्ता और साम्राज्य संभालेंगे... तब हमारी बातेँ समझ में आयेंगी...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
पिनाक - अब आप ही बताएं... हम कैसे राजकुमार जी का पता लगाएं...
विक्रम - आपका सबसे क़ाबिल और समझदार आदमी भुवनेश्वर में है ना... प्रधान उससे खबर लीजिए...

पिनाक को विक्रम का जवाब पसंद नहीं आता l फिर भी अपना मोबाइल निकाल कर बल्लभ को कॉल लगाता है l कॉल मिलते ही

पिनाक - प्रधान...
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक - अब तक की क्या खबर है...
बल्लभ - पता नहीं पर...
पिनाक - पर...
बल्लभ - अभी कुछ देर पहले... कुछ प्लैटुन सुंढी साही बस्ती की ओर रवाना हुए हैं...
पिनाक - अच्छा... समझ गया... अब फोन रखो...

पिनाक कॉल काट कर फोन को कस कर पकड़ लेता है और अपनी जांघ पर रगड़ने लगता है l विक्रम अपनी भवें सिकुड़ कर पिनाक की हरकत पर गौर कर रहा था l फिर अचानक पिनाक एक और कॉल करता है l उधर से कॉल पीक होते ही

पिनाक - हैलो...
@ - जी छोटे राजा जी कहिए...
पिनाक - जानते हो... पुलिस निकल चुकी है...
@ - निकलने दीजिए... कौनसा उसे ढूंढ लेगी...
पिनाक - देखो कुछ भी हो जाए... आज शाम मंगनी से पहले पुलिस के हत्थे कुछ लगनी नहीं चाहिए...
@ - आप बेफिक्र हो जाइए छोटे राजा जी... उस लड़की का अगुवा आप ही के दुश्मन से कराया है... वह तो लड़की को छोड़ने से रहा...
पिनाक - कहीं यह लड़की सुंढी साही में तो नहीं है...
@ - यह मुझे पता नहीं है... हो भी सकती है... क्यूँ क्या हुआ..
पिनाक - पुलिस वहीँ पर जा रही है...
@ - तो फिर आप बेफिक्र हो जाइए... सुंढी साही एक अंधेरी कुआं है... जो उसमें खो गया... किसीको नहीं मिलेगा... और उस बस्ती के लोग बड़े ही खुंखार होते हैं... इसलिए आज तक कभी पुलिस या प्रशासन उस बस्ती में जाने की हिम्मत नहीं की है...
पिनाक - ठीक है...

पिनाक एक आत्म सन्तुष्टि के साथ फोन पर कॉल को काट देता है और एक इत्मीनान भरी मुस्कान के साथ विक्रम की ओर देख कर कहता है

पिनाक - अब सिर्फ आपके हिस्से का काम बाकी है युवराज... राजकुमार को शाम की पार्टी में लाना आपका जिम्मा...

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वीर, सुरा के साथ बाहर आकर घर की बरामदे में गिरता है l वीर सुरा का गर्दन दबोच रखा था वह अपनी नजर उठा कर देखता है कि घर के बाहर भीड़ हैरान हो कर उसे देख रही है l उस भीड़ के बीच मल्ला था, उसके आँखों में आश्चर्य और गुस्सा दोनों था l यूँ तो गोली चलने की आवाज से धीरे धीरे घर के बाहर इकट्ठे हो रहे थे और एक दुसरे को हैरानी के साथ देख रहे थे, क्यूंकि पहली बार ऐसा हुआ था कि कोई उसके जानकारी के वगैर सुंढी साही में घुसा है और तो और उसके मेहमान को दबोच रखा है l मल्ला का जिस्म गुस्से में थर्राने लगता है l

मल्ला - मारो इस हराम जादे को...

भीड़ इतना सुनते ही वीर की ओर बढ़ने हो वाली थी के पास में सीमेंट के बने इलेक्ट्रिक खंबो में एक के बाद ही के चार धमाके होने लगते हैं l और वह खंबे कुछ इस तरह से टूटते हैं कि बरामदे के पास एक वर्गाकार क्षेत्र बन जाता है l मल्ला और कुछ लोग उस वर्गाकार क्षेत्र में रह जाते हैं और बाकी भीड़ उन खंबो से बने क्षेत्र के बाहर खड़ी रह जाती है l अभी अभी जो हुआ था ना सिर्फ बस्ती वाले बल्कि खुद वीर भी हैरान था l हाथ में एक रिमोट लेकर घर के भीतर से विश्व निकलता है l मल्ला जैसे ही विश्व को देखता है हैरानी से उसकी आँखे बड़ी हो जाती हैं l भीड़ में कुछ लोग हल्ला मचाते हुए उन गिरे हुए खंबों को लांघ कर हमले की बात कर रहे थे कि विश्व रिमोट से एक और बटन दबाता है l एक जोरदार धमाका होता है पास के जंक्शन के ट्रांसफॉर्मर में l सबका ध्यान उस तरफ खिंच जाता है l जो लोग हरकत कर रहे थे वह लोग अपनी गुस्से को दबा कर विश्व की ओर देखने लगते हैं l उस भीड़ में से एक आदमी विश्व की रिमोट वाली हाथ पर निशाना लगा कर एक दरांती फेंक मारता है l निशाना अचूक था पर बेकार l विश्व जैसे इस हमले के लिए तैयार था अपनी बाएँ हाथ से दरांती पकड़ लेता है और पलक झपकते ही उसी आदमी पर वापस फेंक मारता है l दरांती उसी आदमी के कंधे पर लगती है l इससे पहले कि लोग किसी और तरह से प्रतिक्रिया देते मल्ला पीछे घुम कर

मल्ला - बस... अब कोई कुछ नहीं करेगा...

सब लोग जैसे रोबोट की तरह रुक जाते हैं l मल्ला विश्व और वीर की ओर मुड़ता है l

मल्ला - विश्वा भाई आप यहाँ..
विश्व - हाँ मैं यहाँ... पर तुम यहाँ कैसे...
मल्ला - यही मेरी बस्ती है.... यहाँ के सारे धंधे मेरे जिम्मे और हिफाजत में होते हैं...
विश्व - आज तुम्हारे लिए मेरी राय बदल गई है...
मल्ला - आप भूल रहे हो विश्वा भाई... सुपारी उठा कर काम करना मेरा पेशा है...
विश्व - हाँ जानता हूँ... पर जुर्म करो तो कुछ मर्दाना हो... तुम तो दल्ले निकले... एक लड़की को उठा लाए...
मल्ला - ना विश्वा भाई ना... ना मैंने ना मेरे किसी आदमी ने लड़की को उठाया है... (सुरा की ओर इशारा करते हुए) इसने और इसीके आदमियों ने लड़की को उठाया था... बदले में एक रात की पनाह और रास्ता मांगा था... मोटी रकम के बदले... सो हमने दी...
विश्व - अब रात ख़तम हो चुकी है मल्ला...
मल्ला - पर है तो मेरी पनाह में...
विश्व - बात एक रात की थी... जिसकी उसने रकम चुकाई थी... रात गई... बात गई...
वीर - अब मैं तुमसे आज का पूरा दिन खरीदता हूँ... अपनी रकम बोलो...
सुरा - नहीं... मल्ला... नहीं... यह धोका है... तु मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकता...
विश्व - अपनी कीमत बोलो मल्ला...
मल्ला के पास खड़ा एक आदमी - मल्ला भाई... यह दो लोग हैं... हम इतने हैं... हुकुम करो... काट डालेंगे...
भीड़ - हाँ हाँ मल्ला भाई हाँ हाँ...

मल्ला घुम कर उस आदमी के गाल पर एक थप्पड़ जड़ देता है l यह देख कर वह आदमी और भीड़ भी सन्न रह जाते हैं l

मल्ला - जानता है वह कौन है... विश्वा... विश्वा भाई है... वह एक अकेला सौ के बराबर है... अगर इस बस्ती में वह आया है... तो यकीनन पूरी तैयारी... बंदोबस्त के साथ आया होगा... देखा नहीं अपनी चारों तरफ हुए धमाकों को...

जिस ऊंची आवाज़ से मल्ला बस्ती वालों से कह रहा था वह आवाज ना सिर्फ बस्ती वालों पर प्रभाव छोड़ रही थी बल्कि वीर और सुरा पर भी बराबर असर कर रही थी l

विश्व - मल्ला... यकीन मानों मैं कोई और खूनखराबा नहीं चाहता... अपनी आज के दिन भर की कीमत बोलो...
मल्ला - ठीक है... आज का पूरा दिन आपको दे दी... पर कोई फायदा नहीं होगा... क्यूँकी सुबह के अंधरे में... इसने अपने आदमियों के जरिए उस लड़की को मछवारों के साथ... दया नदी के जरिए चीलका भेज दिया है...

यह सुन कर वीर गुस्से में सुरा को अपनी तरफ़ घुमाता है और घुसे बरसाने लगता है l विश्व एक बार फिर रिमोट में बटन दबाता है l एक धमाका और होता है पास वाले कूड़े दान में l धमाके की आवाज का असर था कि ना सिर्फ वीर रुक जाता है बल्कि जो लोग विश्व को धर दबोचने की सोच भी रहे थे वह लोग भी अपनी सोच से बाज आ गए l

विश्व - (मल्ला से) तुम उसकी मत सोचो... लड़की हम तक कैसे पहुँचेगी वह हम सोच लेंगे...

इतने में एक आदमी भागते हुए आता है और चिल्लाते हुए कहता है l

- पुलिस वाले आए हैं...

मल्ला विश्व की तरफ हैरानी भरे नजरों से देखता है l फिर पास खड़े अपने आदमी से

मल्ला - कहा था ना.. यह आपनी पूरी तैयारी और बंदोबस्त के साथ आया होगा... (जो खबर लाया था उस आदमी से) कितने पुलिस वाले हैं...
आदमी - तीन चार ट्रकों में भर भरकर आए हैं...
मल्ला - क्या... (विश्वा से) पहली बार ऐसा हुआ है... इतने पुलिस वाले यहाँ आए हैं...
विश्व - हाँ इस बस्ती की इतिहास मालुम है... पहले पुलिस वाले सिर्फ जीप पर आते थे... आज प्लाटुन भर कर आए हैं.... फैसला तुम्हारे हाथ में है मल्ला... या तो तुम पीस जाओगे... या फिर पैसे बनाओगे...
मल्ला - ठीक है... कोई खून खराबा नहीं... अब तुम बोलो हमें क्या करना है....
विश्व - कुछ लोगों के लेकर बस्ती के मुहाने पुलिस को रोकने के लिए बैरिकेड् बनाओ...
मल्ला - पुलिस हमला कर सकती है...
विश्व - जब तक मेरा इशारा ना हो... पुलिस कुछ नहीं करेगी...

मल्ला अपना सिर हिलाता है और कुछ मर्द और औरतों को पुलिस को अंदर आने से रोकने के लिए कहता है l आधे से ज्यादा भीड़ पुलिस को रोकने के लिए वहाँ से चली जाती है l विश्व वीर को इशारा करता है l

वीर - अपना कीमत बोलो मल्ला...
मल्ला - लड़की मिल जाए... तो जो सही लगे... इस बस्ती के खाते में जमा कर देना...

फिर मल्ला अपने आदमियों को इशारा करता है l धीरे धीरे वहाँ से लोग चले जाते हैं l वहाँ पर सुरा और नीचे गिरे छटपटाते हुए उसके साथियों के साथ वीर और विश्व रह जाते हैं l वीर सुरा को खिंच कर अंदर लाता है और उसी सोफ़े पर पटक देता है जहाँ वह बैठा था l फिर सुरा को घुमा कर सोफ़े के हेड रेस्ट पर उल्टा लिटा देता है और उसके हाथों को सोफ़े के पीछे वाले पैरों में बाँध देता है और सुरा के पैरों को सोफ़े के आगे वाले पैरों में बाँध देता है l उसके बाद सुरा के चेहरे के सामने आकर खड़ा हो जाता है l उसके बालों का पकड़ कर सुरा का चेहरा उठाता है

वीर - बोल कमीने... कहाँ है मेरी अनु...

दर्द भरी चेहरे पर मुस्कान लाते हुए सुरा - नहीं बताऊँगा...
वीर - बता हराम जादे... नहीं तो..
सुरा - कुछ भी कर ले... मर जाऊँगा... मगर नहीं बताऊँगा...
वीर - सुन हरामजादे... मैं तेरे अंदर इतना दर्द और खौफ भर दूँगा के... तू अपने आप तोते की तरह बोलने लगेगा...
सुरा - हा हा हा हा... कोशिश करके देख ले...

वीर सुरा के चेहरे पर एक घुसा जड़ देता है l सुरा दर्द के मारे कराहने लगता है l विश्व सुरा से पूछने के लिए आगे आता है तो वीर उसे रोक देता है l

वीर - नहीं प्रताप... इसने मेरे जुनून को छेड़ा है... इससे मुझे हो पूछने दो...
विश्व - पर वीर...
वीर - भरोसा रखो... अगर मैं हार गया... तो तुम्हें ही कहूँगा इससे उगलवाने के लिए...

विश्व रुक जाता है l वीर इसबार सुरा के पीछे आता है और उसका पेंट घुटने तक उतार देता है l

सुरा - यह क्या कर रहे हो...
वीर - कहा था ना... तेरे अंदर दर्द और खौफ इतना भर दूँगा के तु तोते की रटने लगेगा...

विश्व भी हैरान था वीर के इस हरकत पर l वीर कमरे में किचन की ओर जाता है l विश्व को किचन से वीर की कुछ ढूंढने की आवाज़ आ रही थी l कुछ देर बाद वीर के हाथ में दो अंडे थे l

विश्व - तुम करना क्या चाहते हो वीर...
वीर - शक्कर ढूंढ रहा था... शक्कर तो नहीं मिली पर यह दो अंडे मिल गए...
विश्व - हाँ दिख रहा है मुझे... पर तुम करना क्या चाहते हो...
वीर - टॉर्चर... एक स्पेशल टॉर्चर... जो इसने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा...
विश्व - मतलब...
वीर - अभी देखो...

वीर एक ग्लास में अंडे फोड़ कर डाल देता है, चम्मच से फेंट लेने के बाद थोड़ा थोड़ा कर सुरा के पिछवाड़े के सूराख और गांड पर चम्मच से मलने लगता है l विश्व की आँखे हैरत से फैल जाता है l वीर अब सुरा के सामने आकर खड़ा हो जाता है l

वीर - देख सुरा दर्द से पहले... तु अनु का पता बता दे...
सुरा - तु कुछ भी कर ले... तुझे इस जनम में अनु नहीं मिलेगी...
वीर - (अपनी जैकेट की जीप खोल कर एक कपड़े से लिपटी छोटा थैला निकालता है, और उसे सुरा को दिखाते हुए) तु तो जानता है ना... मैं हमेशा अनु की हिफाजत के लिए उसके पीछे लगा रहता था... उसके गली के बाहर एक पेड़ के नीचे उसके इंतजार में छुपा रहता था... उसी पेड़ के एक शाखा पर यह लाल चीटियों का घोंसला था... (यह सुनते ही विश्व और सुरा की आँखे हैरानी से फैल जाते हैं) लाल चींटी... वह भी बड़े बड़े... जानता है ना... यह झुंड में खाना खाते हैं... इनकी झुंड की भूख के आगे हाथी भी बेबस हो जाती है... अब तेरे पिछवाड़े मैंने अंडे का फेंट मल दिया है... इससे पहले कि इन चीटियों को तेरा पिछवाड़ा खाने की दावत में पेश कर दूँ... सीधी तरह से बता दे... अनु कहाँ है...
सुरा - (चिल्लाते हुए) मैंने अपने साथी मंगू के साथ उसे दया नदी के रास्ते.... चीलका भेज दिया है...
वीर - तो उसे फोन कर... और अनु को वापस लाने के लिए बोल...
सुरा - तु कुछ भी कर ले... मैं... मंगू को नहीं बुलाऊंगा...
वीर - ठीक है... अब मैं यह चीटियां तेरे पिछवाड़े पर छोड़ दूँगा... यह धीरे धीरे पहले स्टार्टर में तेरे गांड का नास्ता करेंगे... उसके बाद मैंस में तेरे लंड और टट्टे खाएंगे... यकीन मान... दो घंटे बाद... तेरे कमर के नीचे की ढांचे में... सिर्फ हड्डियाँ होंगी... पर मांस नहीं होगा....
सुरा - नहीं...

वीर धीरे धीरे सुरा के पीछे आता है और अपने दस्ताने पहने हुए हाथों से उस कपड़े के थैले से सूखे पत्तों का एक गोला निकालता है l उस गोले का एक सिरे में छोटा सा छेद कर देता है l सिर्फ दो ही सेकेंड के बाद बहुत बड़े बड़े और डरावने गहरे लाल रंग के कुछ चींटी बाहर निकलते हैं l वीर उन्हें सुरा के पिछवाड़े पर छिड़क देता है और फिर उस गोले की छेद को बंद कर कपड़े की थैले में वापस रख देता है l उसकी इस हरकत को विश्व मुहँ फाड़े देख रहा था l थोड़ी देर बाद सुरा का चीखना शुरु हो जाता है l

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दया नदी में एक मोटर चालित नाव तेजी से आगे बढ़ रही थी l सुरज पूर्व आकाश को चीर कर थोड़ा ही ऊपर उठा है, पर दूर से ऐसा लग रहा था जैसे एक नाव तेजी से उगते सुरज की ओर बढ़ी जा रही थी l नाव मैं मंगू दो साथियों के साथ बैठ कर सिगरेट फूँक रहा था l एक कोने पर अनु चुप चाप बैठी हुई थी l


एक - मंगू... ए मंगू...
मंगू - क्या है बे...
एक - यार... कल से भूख बड़ी जबरदस्त लग रही है...
मंगू - क्यूँ बे... रात को ही तो ठूंस ठूंस कर खाया था... फिर भी भूख लग रही है... पहले चीलका पहुँचने दे... लड़की को पार्सल करने दे... उसके बाद जी भर के ठूंस लेना...
एक - यार तु समझा नहीं...
मंगू - क्या मतलब...
एक - अरे यार मंगू... तु समझ नहीं रहा है... यह भूक अलग है... पेट की नहीं... लौडे की है... तन बदन की है... (यह सुनते ही मंगू चौंकता है और सवालिया नजरों से अपने उस आदमी को देखता है) बात इस लड़की को बर्बाद करने की है... तो क्यूँ ना... हम ही बोहनी कर देते...
दुसरा - (चहकते हुए) हाँ... यार... लड़की का जब पार्सल ही करना है... तो अच्छी तरह से जाँच परख कर पार्सल कर देते हैं...
मंगू - (एक कुटिल मुस्कराहट के साथ अनु की ओर देखते हुए) हाँ मैं भी यही सोच रहा हूँ... साली है बहुत कड़क... ऊपर से तीखी... चखने को मन कर रहा है... (तीनों हँसने लगते हैं)
एक - पर मेरे को तो पहले चाटना है... फिर काट काट कर खाना है...
दुसरा - तो देरी क्यूँ... चलो एक साथ मिलकर... इसकी मुनिया में डुबकी लगाते हैं...

तीनों खड़े होते हैं और धीरे धीरे अनु की तरफ आगे बढ़ते हैं l इतनी देर से बेखौफ रही अनु को अब डर लगने लगती है l वह डर के मारे अपनी जगह पर खड़ी हो जाती है और उन्हें धमकाते हुए

अनु - रुक जाओ... खबर दार जो आगे बढ़ने की कोशिश की तो...
मंगू - (अपने साथियों से) ऐ... तुम लोग रुको रे... मुझे इसके क़रीब जाने दो... (अनु से) मैंने इन्हें रोक दिया है... अब हम इकट्ठे नहीं... एक एक कर के आयेंगे...
अनु - देखो... अपने हद में रहो... वर्ना... मैं कुद जाऊँगी... तुम जानते नहीं हो... तुम लोगों का क्या होगा... यह तुम लोग सोच भी नहीं सकते....
मंगू - अरे अरे रे... लड़की डर गई... (तीनों हँसने लगते हैं) अब तक तेरे आशिक ने क्या उखाड़ा है... पुलिस कमिश्नरेट का घेराव ही तो किया है...
अनु - सिर्फ उतने में ही तो तुम लोगों की गिली हो गई... के शहर के रास्ते के बजाय... नदी के रास्ते मुझे ले जा रहे हो... (यह सुन कर मंगू भड़क जाता है)
मंगू - साली... डर रही है... मगर डराने की भी कोशिश कर रही है...
दो साथी - हाँ भाई... अभी तक सलामत है... इसीलिए इतना फुदक रही है... एक बार फुद्दी फटी तो लाइन में आ जाएगी... (तीनों फिर से आगे बढ़ने लगते हैं, अनु पीछे हटते हुए नाव के सिरे पर पहुँच जाती है)
अनु - देखो मैं आखिरी बार कह रही हूँ... मेरे करीब आए तो कुद जाऊँगी... मुझे अगुवा कर पहले ही अपनी बर्बादी पर मोहर लगा चुके हो... अब इससे आगे बढ़े... तो तुम्हारा अंजाम बहुत बुरा होगा...
मंगू - अच्छा... क्या बुरा होगा... कितना बुरा होगा...
अनु - यकीन ना आए तो अपने मालिक से पूछ लो...

तीनों मरदुत ठहाके लगा कर हँसने लगते हैं के तभी मंगू की जेब से मोबाइल बजने की आवाज आती है l मंगू अपने जेब से मोबाइल निकाल कर देखता है स्क्रीन पर बॉस डिस्प्ले हो रहा था l फोन कॉल पर लेते हुए

मंगू - (स्पीकर पर डालते हुए) वाह सुरा भाई वाह... बड़ी लंबी उमर है तुम्हारी... अभी अभी इस लड़की ने तुम्हें याद किया और तुमने फोन लगा दिया...
सुरा - (चिल्ला कर) अबे भोषड़ी के मंगू... जल्दी लड़की को वापस ला...

यह सुनते ही तीनों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है, चेहरे पर जो भद्दी हँसी थी एकाएक गायब हो जाती है l लड़खड़ाती हुई लहजे में मंगू पूछता है

मंगू - क्या.. क्या हुआ... सुरा भाई...
सुरा - आह... पुलिस को तुम्हारी लोकेशन मालुम हो गया है... आह... और चीलका पुलिस और नेवी तुम लोगों के लिए आगे आ रही है... आह... बस्ती को पुलिस घेर चुकी है... आह...
मंगू - पर मल्ला तो कह रहा था... बस्ती में कभी पुलिस घुस नहीं सकती...
सुरा - अबे मादरचोद... मैं यहाँ... तुझे कैफ़ियत नहीं दे रहा हूँ... मल्ला हमसे पैसे लिए... हमारा काम कर दिया... अब राजकुमार से पैसा लेकर उनका काम कर रहा है... आह मेरी हालत तब तक खराब रहेगी जब तक लड़की उन्हें... आ आह... नहीं मिल जाती... इसलिए भोषड़ी वाले अपनी खैरियत की सोच कर लड़की को वापस ले आओ... वर्ना अंजाम बहुत बुरा हो... गा... आ आह...

फोन कट जाता है, अब तीनों के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगती है l तीनों अपनी नजर घुमा कर अनु की तरफ़ देखते हैं l अनु के चेहरे पर एक जबरदस्त आत्मविश्वास भरा मुस्कराहट था l

मंगू - (मोटर वाले से) ऐ ऐ... नाव घुमा... नाव घुमा रे वापस...

मोटर वाला नाव को वापस मोड़ देता है l अब दृश्य कुछ इस तरह था कि नाव के आगे अपनी हाथ को मोड़ कर कुहनियों के बीच फांस कर अनु खड़ी थी और मंगू और उसके दो साथी डरे डरे से मोटर वाले के पास खड़े हुए थे l हवाएँ अनु के जुल्फों को उलझा रहे थे और अनु बार बार अपनी उलझी लटों को एक रूहानी खुशी के साथ सुलझा रही थी l उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह हवा में उड़ते हुए जा रही है l करीब आधे घंटे बाद नाव किनारे पर लगती है l अनु पीछे मुड़ कर नहीं देखती सीधे किनारे पर कुदते हुए उतरती है और भागने लगती है l उसे लगता है जैसे उसके भागते रास्ते के दोनों तरफ लोग उसकी इस्तकबाल कर रहे हैं उसे उसकी राजकुमार से मिलाने के लिए l वह बस भागी जा रही थी l जैसे ही उसे वह घर दिखती है जहां उसे कैद कर रखा गया था, वह अचानक उस घर से कुछ दूर ठिठक जाती है l उसके रुकते ही एक हवा का झोंका उसे छुते हुए गुज़रती है l वह देखती है दरवाजे से बदहवास वीर भागते हुए बाहर आता है और बरामदे पर आकर ठिठक जाता है जैसे उस हवा के झोंके ने अनु का संदेश वीर तक पहुँचाया हो l दोनों एक दूसरे को देखते ही एक दूसरे की ओर भागने लगते हैं l वीर के करीब पहुँचते ही अनु छलांग लगा देती है वीर उसे अपनी बाहों में थाम कर गले से लगा लेता है, अनु का चेहरा वीर के कंधे पर थी और पैर जमीन से छह इंच उपर थे l वीर की बाहों में अनु झूल रही थी l दोनों की आँखे भीगी हुई थीं पर दोनों के चेहरे पर अद्भुत रौनक थी l कुछ लोग यह दृश्य देख कर हैरान हो रहे थे और कुछ लोग खुश l

वीर - अनु...
अनु - हूँ..
वीर - तुझे डर लगा...
अनु - थोड़ा... और आपको..
वीर - ना... ऊँहुँ...
अनु - (मुस्कराते हुए) झूठे...
वीर - सच में...
अनु - झूठ... कितनी जोर से आपने मुझे जकड़ रखा है...
वीर - (बड़ी मुश्किल से अपनी जज्बातों को काबु करते हुए) हाँ... बहुत डर गया था... तु मिल गई.. ऐसा लग रहा है... जिंदगी मिल गई... इन सत्रह घंटों में... ना जाने कितनी बार मरा हूँ... कई मौतें मरा हूँ... तु सीने से क्या लग गई... मैं जी उठा हूँ...(अनु चुप रहती है)
अनु - (झूलते हुए वीर के कंधे से अपना सिर निकालती है और वीर के माथे पर अपना माथा लगा देती है) मैं भी... बस भगवान से प्रार्थना कर रही थी... या तो मेरे राजकुमार आ जाएं या मेरी मौत... आपने तो मेरी मौत को हरा दिया...
वीर - (अनु को जोर से भींच कर) चुप पगली... तुझे कुछ हो जाता तो... मैं जिंदा ही कहाँ रहता... अब चाहे कुछ भी हो जाए... मुझे तुझसे कोई अलग नहीं कर सकता...
Bahut hi badhiya update diya hai Kala Nag bhai....
Nice and beautiful update....
 

avsji

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मित्रों जीवन कभी आसान नहीं होता l कुछ घटनायें होंगी यह प्रकृति का नियम हैं l पर उसका समय हम निर्धारण नहीं कर सकते l मेरे जीवन में एक दुर्घटना हुई है l संभलने में थोड़ा समय लगा l कहीं भी मेरा मन नहीं लग रहा था l पर चूंकि मैंने वादा किया था इस कहानी को पूरा करने के लिए इसलिए बहुत दिनों बाद आया हूँ l कहानी का अगला अंक लेकर l

धन्यबाद व आभार

प्रिय भाई, जीवन कठिन है। आप जिस समस्या से जूझ रहे हैं, उसका अंदाजा लगाना मेरे लिए संभव नहीं है, लेकिन आशा है कि आप उसके दुःख और ताप से शीघ्र ही उबर सकें। मेरे घर में भी ऐसी ही घटना घट गई कि क्या कहें। आप अपना ध्यान रखें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बस यही कहना है।
 

Sidd19

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👉एक सौ पैंतीसवां अपडेट
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वीर चार लोगों से घिरा हुआ था l अचानक उनमें से एक वीर पर कटार से हमला कर देता है l वीर उससे बचता है और अपने कमर के पीछे रखे फोल्डिंग रॉड को झटका देकर निकालता है l रॉड उस झटके से तीन फुट लंबा हो जाता है l इतने में जिसने वीर पर हमला किया था वह अब संभल जाता है और उसके साथी भी अपनी अपनी हथियार निकाल लेते हैं l चारों के हाथों में हथियार देख कर वीर अपना पॉजिशन बनता है l इतने में कुछ दुर से देख रहा विश्व अपने पेंट की जेब से एक छोटा सा थैला निकालता है और उसमें से शर्ट के बटन की आकार के कुछ नुकीले चक्र निकालता है और उन लोगों पर फेंक मारने के लिए तैयार हो जाता है l जैसे ही एक आदमी अपना हथियार उठाकर हमलावर होता है तभी उसके कलाई पर कुछ चुभती है l ऐसी हालत उस अकेले की नहीं होती बल्कि एक पलक झपकी में बारी बारी से चारों के साथ होता है l उनकी वही थोड़ी डिस्ट्रेकशन का फायदा उठाकर वीर उन चारों पर रॉड से हमला कर देता है l रॉड के मार से चारों के मुहँ से दर्द भरी कराह निकलने लगती है l पर वीर उन्हें ज्यादा समय नहीं देता चारों को एक एक घुसा मारता है l वीर के हर एक घुसे के साथ वे लोग कटे पेड़ की तरह जमीन पर गिरने लगते हैं l उनके गिरते ही वीर चारों तरफ़ अपनी नजरें घुमाता है फिर सावधानी से आगे बढ़ जाता है l उसके वहाँ से निकलने के बाद विश्व उन चारों के पास पहुँच कर उन लोगों का जायजा लेता है l चारों के जबड़े पर मार जबरदस्त लगी थी l चारों कराह रहे थे l तभी विश्व के कान में लगे पॉड में आवाज आती है l

जोडार - तुम वहीँ पर क्यूँ रुक गए...
विश्व - (अपनी बायीं तरफ की पॉड को म्यूटे कर) सोच रहा हूँ... इन्होंने हमला तो किया पर किसीको आगाह नहीं किया.. क्यूँ...
जोडार - क्यूँ.. शक की कोई वज़ह...
विश्व - हम छुप कर इस बस्ती में घुस रहे हैं... मैंने जैसा सोचा था... वैसी पहरेदारी भी नहीं है... फ़िर भी पहली ही कदम पर वीर घेर लिया गया... वैसे वीर ने उन्हें अच्छे से हैंडल किया...
जोडार - तो प्रॉब्लम क्या है...
विश्व - यह लोग कौन हैं... मार तो खाए पर किसी को आगाह तक नहीं किया...
जोडार - हाँ पॉइंट तो है... वैसे कैसी हालत है उनकी...
विश्व - जबड़ों की हालत खराब है...
जोडार - क्या... (चौंक कर) वीर के पंच में इतना ताकत है...
विश्व - नहीं... शायद वीर अपने हाथों में... आइरन पंच वाला ग्लोभ्स पहना हुआ है...
जोडार - ओ... वैसे वीर कहाँ तक पहुँचा...
विश्व - आप भी तो ड्रोन विजन से देख रहे होंगे...
जोडार - हाँ... पर जिस आई पैड में सुंढी साही का मैप डाला था... वह तुम्हारे पास है...
विश्व - तो क्या हुआ... वीर आपके नजरों में तो होगा ना... आखिर सारे ड्रोन्स में... इंफ्रा रेड थर्मल विजन है...
जोडार - हाँ वीर सही रास्ते में बढ़ रहा है... आगे शायद तुम्हें कंटैक्ट करेगा... क्यूंकि जंक्शन आ रहा है....
विश्व - ठीक है...
जोडार - वैसे तुम इन लोगों के साथ क्या कर रहे हो...
विश्व - इन लोगों की बेहोशी को बढ़ा रहा हूँ... और कचरे में फेंक रहा हूँ...

विश्व पहले अपने कान में लगे इयर पॉड को ऑन करता है फिर एक एक करके उन लोगों के बायीं कान के नीचे एक नस पर हल्का सा दबाव बढ़ा कर सबको उठा उठा कर कूड़ेदान में डालता है l तभी उसके कान में वीर की आवाज़ गूंजती है l


वीर - प्रताप... मैं एक जंक्शन पर कन्फ्यूज हो रहा हूँ...
विश्व - देखो... मैंने पहले ही कहा था.. मुझे साथ लेने के लिए...
वीर - तुम्हें शायद पता नहीं... मैंने खुद ही... अभी थोड़ी देर पहले... कुछ लोगों को निपटा दिया है...
विश्व - हाँ देखा आपने टैब से... तुम जोडार साहब के... इंफ्रा रेड ड्रोन सर्विलांस में हो...
वीर - तो... अभी बताओ... मुझे जाना कहाँ है...
विश्व - सीधे जाओ... फिर बायीं तरफ एक मोड़ मिलेगा... वहाँ पर पहुँचो...
वीर - ठीक है...
विश्व - जल्दी करो... सुबह होने वाला है... हमें सुबह होने से पहले उस घर तक पहुँचना होगा... लोग जाग गए तो... ना तो अनु के पास पहुँचेंगे... ना ही निकल पायेंगे...
वीर - मैं... अनु के वगैर... यहाँ से जाऊँगा ही नहीं...
विश्व - ओके ओके.. चल आगे बढ़...

वीर आगे चलता है, पर उसे अंदाजा तक नहीं था कि विश्व भी उसके पीछे बराबरी की दूरी बनाए जा रहा है और मैप के अनुसार वीर को रास्ता बता रहा है l कुछ ही देर बाद वीर एक घर के सामने रुकता है l

वीर - एक जगह पर पहुँच गया हूँ... क्या यह सही जगह है...
विश्व - हाँ बिल्कुल...
वीर - तो अब मैं... अंदर जा रहा हूँ...
विश्व - ठीक है... संभल कर...

वीर घर के बरामदे में बड़ी सतर्कता के साथ खड़ा होता है l चारों ओर अपनी नजरें दौड़ता है l वीर अपना फोल्डिंग रॉड निकालता है और बायीं हाथ में एक आइरन पंच पहनता है l धीरे धीरे दरवाजे तक पहुँच कर धक्का देता है l दरवाजा खुल जाता है l अंदर कुर्सी पर वीर को एक आदमी बैठा हुआ मिलता है जो वीर की ओर रीवॉल्वर ताने हुए था l

आदमी - आओ... क्षेत्रपाल खानदान के चश्मों चराग आओ... तुम्हारा ही इंतजार था... (वीर के पीछे देख कर) ओ... लगता है... मेरे आदमियों को निपटा कर आए हो... साले नालायक निकले...
वीर - हाँ... चार ही थे... अपनी नींद खराब कर... बड़े उतावले हो रहे थे... मैंने कुछ नहीं किया... बस कुछ देर के लिए सुला दिया...
आदमी - चु.. चु.. चु.. नहीं करना था ऐसा... आखिर तुम्हें उन्हीं के कंधे पर जाना था... अब तुम्हें किसी मरे हुए कुत्ते की तरह घसीटते हुए ले जाना पड़ेगा...
वीर - बस.. बहुत हो गई बकचोदी... बोल हराम जादे... कहाँ है मेरी अनु...
आदमी - बकचोदी... तुझे लगता है मैं बकचोदी कर रहा हूँ... तु आयेगा... मैं जानता था... अनु को चारा बनाया... और अपने पिंजरे में तुझे लाया... तुझे मारने से पहले... यह एहसास दिलाने... किसी अपने को खोने का दर्द क्या होता है...

वीर आगे बढ़ने की कोशिश करता है कि तभी उस आदमी की रीवॉल्वर से एक गोली वीर पैरों के पास फर्श पर लगती है l वीर रुक जाता है l

आदमी - नहीं वीर नहीं... तुझे आज मरना है... मरेगा भी तु... पर मरने से पहले... तुझे कुछ कहना है...

आदमी की बात ख़तम होते ही कुछ और लोग उस कमरे में आ जाते हैं l गिनती में बीस या पच्चीस होंगे l वीर अपनी नजरें एक बार घुमा कर जायजा लेता है फिर उस आदमी की ओर देखता है l

आदमी - मैं नीरा... आज से तक़रीबन छह महीने पहले... तुमने मेरे भाई सुरा और उसकी मंगेतर एलोरा को उठवा लिया था... जो आज तक गायब हैं... (वीर कुछ याद करने की कोशिश करता है) याद आया... यह उसीका बदला है... (दांत चबाते हुए) तुम क्षेत्रपाल... अपनी अहं के आगे किसीको कुछ भी नहीं समझते... तुम लोगों के गुरूर और हवस के आगे... मेरा भाई और उसकी मंगेतर... (और कुछ भी नहीं कह पाता)
वीर - हाँ हाँ... याद आया... तु बात ऐसे कर रहा है... जैसे तु, तेरा भाई और उसकी मंगेतर... क्या नाम बताया... अरे हाँ.. एलोरा... बी ग्रेड अल्बम की रंडी... जैसे दूध के धुले और बड़े मासूम थे...
नीरा - (तमतमा कर खड़ा हो जाता है) वीर...
वीर - हाँ... तुम सब हरामजादे... आइकन ग्रुप के लिए... काम करते हुए... क्षेत्रपाल की सल्तनत में सेंध लगाने की कोशिश करी थी... वह तुम्हारा भाई सुरा... अपनी मंगेतर एलोरा के जरिए... बड़े बड़े लोगों को फंसा कर... टेंडर हासिल करने की कोशिश की थी... मैंने उन्हें उनकी किए कि सजा दी थी...
नीरा - वीर...
वीर - और तुम क्या कह रहे थे... सुरा की मंगेतर... अबे हरामजादे... सच तो यह है कि... वह एलोरा तुम दो भाइयों की रखैल थी...
नीरा - वीर... (गोली चला देता है, पर वीर को लगती नहीं है, पर वीर अपनी जगह से टस से मस नहीं होता)
वीर - कहाँ है अनु...
नीरा - हा हा... हा हा हा हा... क्या अजीब फॅमिली है... साला बाप जिसकी सुपारी देता है... बेटा उसे बचाने आया है...
वीर - मेरे बाप ने तुझे तो सुपारी दे नहीं सकता.... तेरे और मेरे बीच में तीसरा कोई है... कौन है वह...
नीरा - उससे तुझे क्या मतलब... उसे तेरे बाप का काम करना था... और मुझे तुझसे बदला लेना था...
वीर - अनु कहाँ है...
नीरा - एलोरा को... तुम लोगों ने... अपने रंग महल ले गए थे ना... अब अनु तुझे वहाँ मिलेगी जहां लोग अपनी रातें रंगीन करने के लिए जाएंगे...
वीर - कमीने...

वीर नीरा के ऊपर छलांग मारता है, पर उस कमरे में मौजूद दुसरे लोग वीर को पकड़ लेते हैं और वीर को उसके घुटने पर ला देते हैं l वीर के सामने नीरा खड़े होकर

नीरा - आह... क्या सीन है... क्षेत्रपाल मेरे सामने घुटनों पर... मज़ा आ गया...

नीरा अपना रीवॉल्वर वीर के सिर पर तान देता है कि तभी उसके हाथ में एक छोटा सा तारा नुमा धातु आ कर चुभती है l नीरा के हाथ से रीवॉल्वर छिटक जाता है l उसके चेहरे पर दर्द उभर जाता है और कराहने लगता है l इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता जो लोग वीर को घुटने पर गिरा कर पकड़े हुए थे सबकी पकड़ ढीली हो जाती है क्यूंकि सबकी हाथों में उसी तरह की धातु से हमला हुआ था l वीर छूटते ही नीरा पर फिर से टूट पड़ता है l दुसरे लोग जब संभल कर वीर की ओर बढ़ते तब अचानक से विश्व उन लोगों के सामने आ जाता है l विश्व को सामने देख कर सभी भौचक्के हो जाते हैं l यहाँ तक वीर भी अपनी हैरानी छुपा नहीं पाता l अपनी मेटल पंच से वीर नीरा की हालत खराब करने में लग जाता है l उधर विश्व अकेले ही उस कमरे में मौजूद लोगों को सुबह सुबह तारे दिखाने लगता है l

वीर - (नीरा की धुनाई करते हुए विश्व से) तुम... कब आए...
विश्व - बस तुम्हारे उपर खतरे का जब एहसास हो गया...
वीर - (नीरा की गर्दन पकड़ कर) इसने जब मुझ पर गोली चलाई... तब क्या देख रहे थे...
विश्व - हाँ... देख रहा था...
वीर - मैं मर गया होता तो...
विश्व - जो बदला लेने के वक़्त... बैकलॉल करे... वह इतनी जल्दी किसी को गोली नहीं मार सकता... इसे मारना होता... तो तुम्हें तभी मार चुका होता...

विश्व की मार से कुछ लोग खिड़की तोड़ कर बाहर गिरने लगते हैं l बाहर कुछ लोग यह देख कर चिल्ला कर सबको इकट्ठा होने को कहते हैं l

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दम दम एयर पोर्ट की ओर चार कारों का काफिला बढ़ रहा था l सबसे आगे वाली कार में सेक्यूरिटी सवार थे l उस कार के पीछे वाले कार में भैरव सिंह बैठा हुआ था l भैरव सिंह के कार के पीछे एक और कार में पिनाक और विक्रम बैठे हुए थे l विक्रम देख रहा था पिनाक के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी l

विक्रम - छोटे राजा जी... क्या हुआ... बहुत परेशान लग रहे हैं...
पिनाक - (अपनी दांत चबाते हुए) वज़ह आप जानते हैं युवराज...
विक्रम - तो क्या... वीर ने अनु को ढूंढ लिया...
पिनाक - नहीं... पर राजकुमार... कल रात घर नहीं पहुँचे हैं...
विक्रम - ओ...
पिनाक - आज उनकी मंगनी है... अगर वह नहीं आए... तो राजा साहब की बड़ी बेइज्जती होगी... और हमारा सिर हमेशा के लिए नीचे झुक जाएगा...
विक्रम - कमाल है ना... आपने मंगनी ऐसे तय की है... जैसे सरकार इमर्जेंसी डिक्लेर करती है... आपने वीर से पूछा तक नहीं...
पिनाक - हमने जरूरी नहीं समझा...
विक्रम - आपने वीर की बातों पर... या कामों पर तवज्जो दी ही कब थी... पता नहीं आपने कभी वीर को... अपने लिए जरुरी कभी समझे भी थे या नहीं...
पिनाक - (बिदक जाता है) युवराज... आप अपनी हद से आगे जा रहे हैं... मत भूलिए हम कौन हैं...

विक्रम चुप हो कर खिड़की से बाहर की ओर देखने लगता है l अभी सुबह होने में कुछ देर है l फिर भी धीरे धीरे उजाला फैल रहा था l गाड़ी के भीतर कुछ देर के लिए खामोशी पसर जाती है l यह खामोशी पिनाक को बर्दास्त नहीं होती l

पिनाक - आप... आप चुप क्यूँ हो गए...
विक्रम - खुद को हद के दायरे में रखने की कोशिश कर रहा हूँ...
पिनाक - प्लीज युवराज... कुछ तो सुझाव दीजिए... आपको लगता है यह शादी जल्दबाज़ी में हो रहा है... हम इंकार नहीं कर रहे हैं... पर रास्ता कुछ नहीं था... केके के हमसे टूटना और हमारे ना सिर्फ पोलिटिकल राइवल बल्कि बिजनैस राइवल से हाथ मिलाना... हमारे वज़ूद को चैलेंज कर रहा था... इसलिए उसके टक्कर में.... निर्मल सामल को खड़ा करना पड़ रहा है... बदले में...
विक्रम - बदले में... मैरेज कम बिजनस एग्रीमेंट...
पिनाक - आप अभी तक सिर्फ सिक्यूरिटी सम्भाले हुए हैं... जिस दिन सत्ता और साम्राज्य संभालेंगे... तब हमारी बातेँ समझ में आयेंगी...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
पिनाक - अब आप ही बताएं... हम कैसे राजकुमार जी का पता लगाएं...
विक्रम - आपका सबसे क़ाबिल और समझदार आदमी भुवनेश्वर में है ना... प्रधान उससे खबर लीजिए...

पिनाक को विक्रम का जवाब पसंद नहीं आता l फिर भी अपना मोबाइल निकाल कर बल्लभ को कॉल लगाता है l कॉल मिलते ही

पिनाक - प्रधान...
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक - अब तक की क्या खबर है...
बल्लभ - पता नहीं पर...
पिनाक - पर...
बल्लभ - अभी कुछ देर पहले... कुछ प्लैटुन सुंढी साही बस्ती की ओर रवाना हुए हैं...
पिनाक - अच्छा... समझ गया... अब फोन रखो...

पिनाक कॉल काट कर फोन को कस कर पकड़ लेता है और अपनी जांघ पर रगड़ने लगता है l विक्रम अपनी भवें सिकुड़ कर पिनाक की हरकत पर गौर कर रहा था l फिर अचानक पिनाक एक और कॉल करता है l उधर से कॉल पीक होते ही

पिनाक - हैलो...
@ - जी छोटे राजा जी कहिए...
पिनाक - जानते हो... पुलिस निकल चुकी है...
@ - निकलने दीजिए... कौनसा उसे ढूंढ लेगी...
पिनाक - देखो कुछ भी हो जाए... आज शाम मंगनी से पहले पुलिस के हत्थे कुछ लगनी नहीं चाहिए...
@ - आप बेफिक्र हो जाइए छोटे राजा जी... उस लड़की का अगुवा आप ही के दुश्मन से कराया है... वह तो लड़की को छोड़ने से रहा...
पिनाक - कहीं यह लड़की सुंढी साही में तो नहीं है...
@ - यह मुझे पता नहीं है... हो भी सकती है... क्यूँ क्या हुआ..
पिनाक - पुलिस वहीँ पर जा रही है...
@ - तो फिर आप बेफिक्र हो जाइए... सुंढी साही एक अंधेरी कुआं है... जो उसमें खो गया... किसीको नहीं मिलेगा... और उस बस्ती के लोग बड़े ही खुंखार होते हैं... इसलिए आज तक कभी पुलिस या प्रशासन उस बस्ती में जाने की हिम्मत नहीं की है...
पिनाक - ठीक है...

पिनाक एक आत्म सन्तुष्टि के साथ फोन पर कॉल को काट देता है और एक इत्मीनान भरी मुस्कान के साथ विक्रम की ओर देख कर कहता है

पिनाक - अब सिर्फ आपके हिस्से का काम बाकी है युवराज... राजकुमार को शाम की पार्टी में लाना आपका जिम्मा...

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वीर, सुरा के साथ बाहर आकर घर की बरामदे में गिरता है l वीर सुरा का गर्दन दबोच रखा था वह अपनी नजर उठा कर देखता है कि घर के बाहर भीड़ हैरान हो कर उसे देख रही है l उस भीड़ के बीच मल्ला था, उसके आँखों में आश्चर्य और गुस्सा दोनों था l यूँ तो गोली चलने की आवाज से धीरे धीरे घर के बाहर इकट्ठे हो रहे थे और एक दुसरे को हैरानी के साथ देख रहे थे, क्यूंकि पहली बार ऐसा हुआ था कि कोई उसके जानकारी के वगैर सुंढी साही में घुसा है और तो और उसके मेहमान को दबोच रखा है l मल्ला का जिस्म गुस्से में थर्राने लगता है l

मल्ला - मारो इस हराम जादे को...

भीड़ इतना सुनते ही वीर की ओर बढ़ने हो वाली थी के पास में सीमेंट के बने इलेक्ट्रिक खंबो में एक के बाद ही के चार धमाके होने लगते हैं l और वह खंबे कुछ इस तरह से टूटते हैं कि बरामदे के पास एक वर्गाकार क्षेत्र बन जाता है l मल्ला और कुछ लोग उस वर्गाकार क्षेत्र में रह जाते हैं और बाकी भीड़ उन खंबो से बने क्षेत्र के बाहर खड़ी रह जाती है l अभी अभी जो हुआ था ना सिर्फ बस्ती वाले बल्कि खुद वीर भी हैरान था l हाथ में एक रिमोट लेकर घर के भीतर से विश्व निकलता है l मल्ला जैसे ही विश्व को देखता है हैरानी से उसकी आँखे बड़ी हो जाती हैं l भीड़ में कुछ लोग हल्ला मचाते हुए उन गिरे हुए खंबों को लांघ कर हमले की बात कर रहे थे कि विश्व रिमोट से एक और बटन दबाता है l एक जोरदार धमाका होता है पास के जंक्शन के ट्रांसफॉर्मर में l सबका ध्यान उस तरफ खिंच जाता है l जो लोग हरकत कर रहे थे वह लोग अपनी गुस्से को दबा कर विश्व की ओर देखने लगते हैं l उस भीड़ में से एक आदमी विश्व की रिमोट वाली हाथ पर निशाना लगा कर एक दरांती फेंक मारता है l निशाना अचूक था पर बेकार l विश्व जैसे इस हमले के लिए तैयार था अपनी बाएँ हाथ से दरांती पकड़ लेता है और पलक झपकते ही उसी आदमी पर वापस फेंक मारता है l दरांती उसी आदमी के कंधे पर लगती है l इससे पहले कि लोग किसी और तरह से प्रतिक्रिया देते मल्ला पीछे घुम कर

मल्ला - बस... अब कोई कुछ नहीं करेगा...

सब लोग जैसे रोबोट की तरह रुक जाते हैं l मल्ला विश्व और वीर की ओर मुड़ता है l

मल्ला - विश्वा भाई आप यहाँ..
विश्व - हाँ मैं यहाँ... पर तुम यहाँ कैसे...
मल्ला - यही मेरी बस्ती है.... यहाँ के सारे धंधे मेरे जिम्मे और हिफाजत में होते हैं...
विश्व - आज तुम्हारे लिए मेरी राय बदल गई है...
मल्ला - आप भूल रहे हो विश्वा भाई... सुपारी उठा कर काम करना मेरा पेशा है...
विश्व - हाँ जानता हूँ... पर जुर्म करो तो कुछ मर्दाना हो... तुम तो दल्ले निकले... एक लड़की को उठा लाए...
मल्ला - ना विश्वा भाई ना... ना मैंने ना मेरे किसी आदमी ने लड़की को उठाया है... (सुरा की ओर इशारा करते हुए) इसने और इसीके आदमियों ने लड़की को उठाया था... बदले में एक रात की पनाह और रास्ता मांगा था... मोटी रकम के बदले... सो हमने दी...
विश्व - अब रात ख़तम हो चुकी है मल्ला...
मल्ला - पर है तो मेरी पनाह में...
विश्व - बात एक रात की थी... जिसकी उसने रकम चुकाई थी... रात गई... बात गई...
वीर - अब मैं तुमसे आज का पूरा दिन खरीदता हूँ... अपनी रकम बोलो...
सुरा - नहीं... मल्ला... नहीं... यह धोका है... तु मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकता...
विश्व - अपनी कीमत बोलो मल्ला...
मल्ला के पास खड़ा एक आदमी - मल्ला भाई... यह दो लोग हैं... हम इतने हैं... हुकुम करो... काट डालेंगे...
भीड़ - हाँ हाँ मल्ला भाई हाँ हाँ...

मल्ला घुम कर उस आदमी के गाल पर एक थप्पड़ जड़ देता है l यह देख कर वह आदमी और भीड़ भी सन्न रह जाते हैं l

मल्ला - जानता है वह कौन है... विश्वा... विश्वा भाई है... वह एक अकेला सौ के बराबर है... अगर इस बस्ती में वह आया है... तो यकीनन पूरी तैयारी... बंदोबस्त के साथ आया होगा... देखा नहीं अपनी चारों तरफ हुए धमाकों को...

जिस ऊंची आवाज़ से मल्ला बस्ती वालों से कह रहा था वह आवाज ना सिर्फ बस्ती वालों पर प्रभाव छोड़ रही थी बल्कि वीर और सुरा पर भी बराबर असर कर रही थी l

विश्व - मल्ला... यकीन मानों मैं कोई और खूनखराबा नहीं चाहता... अपनी आज के दिन भर की कीमत बोलो...
मल्ला - ठीक है... आज का पूरा दिन आपको दे दी... पर कोई फायदा नहीं होगा... क्यूँकी सुबह के अंधरे में... इसने अपने आदमियों के जरिए उस लड़की को मछवारों के साथ... दया नदी के जरिए चीलका भेज दिया है...

यह सुन कर वीर गुस्से में सुरा को अपनी तरफ़ घुमाता है और घुसे बरसाने लगता है l विश्व एक बार फिर रिमोट में बटन दबाता है l एक धमाका और होता है पास वाले कूड़े दान में l धमाके की आवाज का असर था कि ना सिर्फ वीर रुक जाता है बल्कि जो लोग विश्व को धर दबोचने की सोच भी रहे थे वह लोग भी अपनी सोच से बाज आ गए l

विश्व - (मल्ला से) तुम उसकी मत सोचो... लड़की हम तक कैसे पहुँचेगी वह हम सोच लेंगे...

इतने में एक आदमी भागते हुए आता है और चिल्लाते हुए कहता है l

- पुलिस वाले आए हैं...

मल्ला विश्व की तरफ हैरानी भरे नजरों से देखता है l फिर पास खड़े अपने आदमी से

मल्ला - कहा था ना.. यह आपनी पूरी तैयारी और बंदोबस्त के साथ आया होगा... (जो खबर लाया था उस आदमी से) कितने पुलिस वाले हैं...
आदमी - तीन चार ट्रकों में भर भरकर आए हैं...
मल्ला - क्या... (विश्वा से) पहली बार ऐसा हुआ है... इतने पुलिस वाले यहाँ आए हैं...
विश्व - हाँ इस बस्ती की इतिहास मालुम है... पहले पुलिस वाले सिर्फ जीप पर आते थे... आज प्लाटुन भर कर आए हैं.... फैसला तुम्हारे हाथ में है मल्ला... या तो तुम पीस जाओगे... या फिर पैसे बनाओगे...
मल्ला - ठीक है... कोई खून खराबा नहीं... अब तुम बोलो हमें क्या करना है....
विश्व - कुछ लोगों के लेकर बस्ती के मुहाने पुलिस को रोकने के लिए बैरिकेड् बनाओ...
मल्ला - पुलिस हमला कर सकती है...
विश्व - जब तक मेरा इशारा ना हो... पुलिस कुछ नहीं करेगी...

मल्ला अपना सिर हिलाता है और कुछ मर्द और औरतों को पुलिस को अंदर आने से रोकने के लिए कहता है l आधे से ज्यादा भीड़ पुलिस को रोकने के लिए वहाँ से चली जाती है l विश्व वीर को इशारा करता है l

वीर - अपना कीमत बोलो मल्ला...
मल्ला - लड़की मिल जाए... तो जो सही लगे... इस बस्ती के खाते में जमा कर देना...

फिर मल्ला अपने आदमियों को इशारा करता है l धीरे धीरे वहाँ से लोग चले जाते हैं l वहाँ पर सुरा और नीचे गिरे छटपटाते हुए उसके साथियों के साथ वीर और विश्व रह जाते हैं l वीर सुरा को खिंच कर अंदर लाता है और उसी सोफ़े पर पटक देता है जहाँ वह बैठा था l फिर सुरा को घुमा कर सोफ़े के हेड रेस्ट पर उल्टा लिटा देता है और उसके हाथों को सोफ़े के पीछे वाले पैरों में बाँध देता है और सुरा के पैरों को सोफ़े के आगे वाले पैरों में बाँध देता है l उसके बाद सुरा के चेहरे के सामने आकर खड़ा हो जाता है l उसके बालों का पकड़ कर सुरा का चेहरा उठाता है

वीर - बोल कमीने... कहाँ है मेरी अनु...

दर्द भरी चेहरे पर मुस्कान लाते हुए सुरा - नहीं बताऊँगा...
वीर - बता हराम जादे... नहीं तो..
सुरा - कुछ भी कर ले... मर जाऊँगा... मगर नहीं बताऊँगा...
वीर - सुन हरामजादे... मैं तेरे अंदर इतना दर्द और खौफ भर दूँगा के... तू अपने आप तोते की तरह बोलने लगेगा...
सुरा - हा हा हा हा... कोशिश करके देख ले...

वीर सुरा के चेहरे पर एक घुसा जड़ देता है l सुरा दर्द के मारे कराहने लगता है l विश्व सुरा से पूछने के लिए आगे आता है तो वीर उसे रोक देता है l

वीर - नहीं प्रताप... इसने मेरे जुनून को छेड़ा है... इससे मुझे हो पूछने दो...
विश्व - पर वीर...
वीर - भरोसा रखो... अगर मैं हार गया... तो तुम्हें ही कहूँगा इससे उगलवाने के लिए...

विश्व रुक जाता है l वीर इसबार सुरा के पीछे आता है और उसका पेंट घुटने तक उतार देता है l

सुरा - यह क्या कर रहे हो...
वीर - कहा था ना... तेरे अंदर दर्द और खौफ इतना भर दूँगा के तु तोते की रटने लगेगा...

विश्व भी हैरान था वीर के इस हरकत पर l वीर कमरे में किचन की ओर जाता है l विश्व को किचन से वीर की कुछ ढूंढने की आवाज़ आ रही थी l कुछ देर बाद वीर के हाथ में दो अंडे थे l

विश्व - तुम करना क्या चाहते हो वीर...
वीर - शक्कर ढूंढ रहा था... शक्कर तो नहीं मिली पर यह दो अंडे मिल गए...
विश्व - हाँ दिख रहा है मुझे... पर तुम करना क्या चाहते हो...
वीर - टॉर्चर... एक स्पेशल टॉर्चर... जो इसने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा...
विश्व - मतलब...
वीर - अभी देखो...

वीर एक ग्लास में अंडे फोड़ कर डाल देता है, चम्मच से फेंट लेने के बाद थोड़ा थोड़ा कर सुरा के पिछवाड़े के सूराख और गांड पर चम्मच से मलने लगता है l विश्व की आँखे हैरत से फैल जाता है l वीर अब सुरा के सामने आकर खड़ा हो जाता है l

वीर - देख सुरा दर्द से पहले... तु अनु का पता बता दे...
सुरा - तु कुछ भी कर ले... तुझे इस जनम में अनु नहीं मिलेगी...
वीर - (अपनी जैकेट की जीप खोल कर एक कपड़े से लिपटी छोटा थैला निकालता है, और उसे सुरा को दिखाते हुए) तु तो जानता है ना... मैं हमेशा अनु की हिफाजत के लिए उसके पीछे लगा रहता था... उसके गली के बाहर एक पेड़ के नीचे उसके इंतजार में छुपा रहता था... उसी पेड़ के एक शाखा पर यह लाल चीटियों का घोंसला था... (यह सुनते ही विश्व और सुरा की आँखे हैरानी से फैल जाते हैं) लाल चींटी... वह भी बड़े बड़े... जानता है ना... यह झुंड में खाना खाते हैं... इनकी झुंड की भूख के आगे हाथी भी बेबस हो जाती है... अब तेरे पिछवाड़े मैंने अंडे का फेंट मल दिया है... इससे पहले कि इन चीटियों को तेरा पिछवाड़ा खाने की दावत में पेश कर दूँ... सीधी तरह से बता दे... अनु कहाँ है...
सुरा - (चिल्लाते हुए) मैंने अपने साथी मंगू के साथ उसे दया नदी के रास्ते.... चीलका भेज दिया है...
वीर - तो उसे फोन कर... और अनु को वापस लाने के लिए बोल...
सुरा - तु कुछ भी कर ले... मैं... मंगू को नहीं बुलाऊंगा...
वीर - ठीक है... अब मैं यह चीटियां तेरे पिछवाड़े पर छोड़ दूँगा... यह धीरे धीरे पहले स्टार्टर में तेरे गांड का नास्ता करेंगे... उसके बाद मैंस में तेरे लंड और टट्टे खाएंगे... यकीन मान... दो घंटे बाद... तेरे कमर के नीचे की ढांचे में... सिर्फ हड्डियाँ होंगी... पर मांस नहीं होगा....
सुरा - नहीं...

वीर धीरे धीरे सुरा के पीछे आता है और अपने दस्ताने पहने हुए हाथों से उस कपड़े के थैले से सूखे पत्तों का एक गोला निकालता है l उस गोले का एक सिरे में छोटा सा छेद कर देता है l सिर्फ दो ही सेकेंड के बाद बहुत बड़े बड़े और डरावने गहरे लाल रंग के कुछ चींटी बाहर निकलते हैं l वीर उन्हें सुरा के पिछवाड़े पर छिड़क देता है और फिर उस गोले की छेद को बंद कर कपड़े की थैले में वापस रख देता है l उसकी इस हरकत को विश्व मुहँ फाड़े देख रहा था l थोड़ी देर बाद सुरा का चीखना शुरु हो जाता है l

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दया नदी में एक मोटर चालित नाव तेजी से आगे बढ़ रही थी l सुरज पूर्व आकाश को चीर कर थोड़ा ही ऊपर उठा है, पर दूर से ऐसा लग रहा था जैसे एक नाव तेजी से उगते सुरज की ओर बढ़ी जा रही थी l नाव मैं मंगू दो साथियों के साथ बैठ कर सिगरेट फूँक रहा था l एक कोने पर अनु चुप चाप बैठी हुई थी l


एक - मंगू... ए मंगू...
मंगू - क्या है बे...
एक - यार... कल से भूख बड़ी जबरदस्त लग रही है...
मंगू - क्यूँ बे... रात को ही तो ठूंस ठूंस कर खाया था... फिर भी भूख लग रही है... पहले चीलका पहुँचने दे... लड़की को पार्सल करने दे... उसके बाद जी भर के ठूंस लेना...
एक - यार तु समझा नहीं...
मंगू - क्या मतलब...
एक - अरे यार मंगू... तु समझ नहीं रहा है... यह भूक अलग है... पेट की नहीं... लौडे की है... तन बदन की है... (यह सुनते ही मंगू चौंकता है और सवालिया नजरों से अपने उस आदमी को देखता है) बात इस लड़की को बर्बाद करने की है... तो क्यूँ ना... हम ही बोहनी कर देते...
दुसरा - (चहकते हुए) हाँ... यार... लड़की का जब पार्सल ही करना है... तो अच्छी तरह से जाँच परख कर पार्सल कर देते हैं...
मंगू - (एक कुटिल मुस्कराहट के साथ अनु की ओर देखते हुए) हाँ मैं भी यही सोच रहा हूँ... साली है बहुत कड़क... ऊपर से तीखी... चखने को मन कर रहा है... (तीनों हँसने लगते हैं)
एक - पर मेरे को तो पहले चाटना है... फिर काट काट कर खाना है...
दुसरा - तो देरी क्यूँ... चलो एक साथ मिलकर... इसकी मुनिया में डुबकी लगाते हैं...

तीनों खड़े होते हैं और धीरे धीरे अनु की तरफ आगे बढ़ते हैं l इतनी देर से बेखौफ रही अनु को अब डर लगने लगती है l वह डर के मारे अपनी जगह पर खड़ी हो जाती है और उन्हें धमकाते हुए

अनु - रुक जाओ... खबर दार जो आगे बढ़ने की कोशिश की तो...
मंगू - (अपने साथियों से) ऐ... तुम लोग रुको रे... मुझे इसके क़रीब जाने दो... (अनु से) मैंने इन्हें रोक दिया है... अब हम इकट्ठे नहीं... एक एक कर के आयेंगे...
अनु - देखो... अपने हद में रहो... वर्ना... मैं कुद जाऊँगी... तुम जानते नहीं हो... तुम लोगों का क्या होगा... यह तुम लोग सोच भी नहीं सकते....
मंगू - अरे अरे रे... लड़की डर गई... (तीनों हँसने लगते हैं) अब तक तेरे आशिक ने क्या उखाड़ा है... पुलिस कमिश्नरेट का घेराव ही तो किया है...
अनु - सिर्फ उतने में ही तो तुम लोगों की गिली हो गई... के शहर के रास्ते के बजाय... नदी के रास्ते मुझे ले जा रहे हो... (यह सुन कर मंगू भड़क जाता है)
मंगू - साली... डर रही है... मगर डराने की भी कोशिश कर रही है...
दो साथी - हाँ भाई... अभी तक सलामत है... इसीलिए इतना फुदक रही है... एक बार फुद्दी फटी तो लाइन में आ जाएगी... (तीनों फिर से आगे बढ़ने लगते हैं, अनु पीछे हटते हुए नाव के सिरे पर पहुँच जाती है)
अनु - देखो मैं आखिरी बार कह रही हूँ... मेरे करीब आए तो कुद जाऊँगी... मुझे अगुवा कर पहले ही अपनी बर्बादी पर मोहर लगा चुके हो... अब इससे आगे बढ़े... तो तुम्हारा अंजाम बहुत बुरा होगा...
मंगू - अच्छा... क्या बुरा होगा... कितना बुरा होगा...
अनु - यकीन ना आए तो अपने मालिक से पूछ लो...

तीनों मरदुत ठहाके लगा कर हँसने लगते हैं के तभी मंगू की जेब से मोबाइल बजने की आवाज आती है l मंगू अपने जेब से मोबाइल निकाल कर देखता है स्क्रीन पर बॉस डिस्प्ले हो रहा था l फोन कॉल पर लेते हुए

मंगू - (स्पीकर पर डालते हुए) वाह सुरा भाई वाह... बड़ी लंबी उमर है तुम्हारी... अभी अभी इस लड़की ने तुम्हें याद किया और तुमने फोन लगा दिया...
सुरा - (चिल्ला कर) अबे भोषड़ी के मंगू... जल्दी लड़की को वापस ला...

यह सुनते ही तीनों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है, चेहरे पर जो भद्दी हँसी थी एकाएक गायब हो जाती है l लड़खड़ाती हुई लहजे में मंगू पूछता है

मंगू - क्या.. क्या हुआ... सुरा भाई...
सुरा - आह... पुलिस को तुम्हारी लोकेशन मालुम हो गया है... आह... और चीलका पुलिस और नेवी तुम लोगों के लिए आगे आ रही है... आह... बस्ती को पुलिस घेर चुकी है... आह...
मंगू - पर मल्ला तो कह रहा था... बस्ती में कभी पुलिस घुस नहीं सकती...
सुरा - अबे मादरचोद... मैं यहाँ... तुझे कैफ़ियत नहीं दे रहा हूँ... मल्ला हमसे पैसे लिए... हमारा काम कर दिया... अब राजकुमार से पैसा लेकर उनका काम कर रहा है... आह मेरी हालत तब तक खराब रहेगी जब तक लड़की उन्हें... आ आह... नहीं मिल जाती... इसलिए भोषड़ी वाले अपनी खैरियत की सोच कर लड़की को वापस ले आओ... वर्ना अंजाम बहुत बुरा हो... गा... आ आह...

फोन कट जाता है, अब तीनों के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगती है l तीनों अपनी नजर घुमा कर अनु की तरफ़ देखते हैं l अनु के चेहरे पर एक जबरदस्त आत्मविश्वास भरा मुस्कराहट था l

मंगू - (मोटर वाले से) ऐ ऐ... नाव घुमा... नाव घुमा रे वापस...

मोटर वाला नाव को वापस मोड़ देता है l अब दृश्य कुछ इस तरह था कि नाव के आगे अपनी हाथ को मोड़ कर कुहनियों के बीच फांस कर अनु खड़ी थी और मंगू और उसके दो साथी डरे डरे से मोटर वाले के पास खड़े हुए थे l हवाएँ अनु के जुल्फों को उलझा रहे थे और अनु बार बार अपनी उलझी लटों को एक रूहानी खुशी के साथ सुलझा रही थी l उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह हवा में उड़ते हुए जा रही है l करीब आधे घंटे बाद नाव किनारे पर लगती है l अनु पीछे मुड़ कर नहीं देखती सीधे किनारे पर कुदते हुए उतरती है और भागने लगती है l उसे लगता है जैसे उसके भागते रास्ते के दोनों तरफ लोग उसकी इस्तकबाल कर रहे हैं उसे उसकी राजकुमार से मिलाने के लिए l वह बस भागी जा रही थी l जैसे ही उसे वह घर दिखती है जहां उसे कैद कर रखा गया था, वह अचानक उस घर से कुछ दूर ठिठक जाती है l उसके रुकते ही एक हवा का झोंका उसे छुते हुए गुज़रती है l वह देखती है दरवाजे से बदहवास वीर भागते हुए बाहर आता है और बरामदे पर आकर ठिठक जाता है जैसे उस हवा के झोंके ने अनु का संदेश वीर तक पहुँचाया हो l दोनों एक दूसरे को देखते ही एक दूसरे की ओर भागने लगते हैं l वीर के करीब पहुँचते ही अनु छलांग लगा देती है वीर उसे अपनी बाहों में थाम कर गले से लगा लेता है, अनु का चेहरा वीर के कंधे पर थी और पैर जमीन से छह इंच उपर थे l वीर की बाहों में अनु झूल रही थी l दोनों की आँखे भीगी हुई थीं पर दोनों के चेहरे पर अद्भुत रौनक थी l कुछ लोग यह दृश्य देख कर हैरान हो रहे थे और कुछ लोग खुश l

वीर - अनु...
अनु - हूँ..
वीर - तुझे डर लगा...
अनु - थोड़ा... और आपको..
वीर - ना... ऊँहुँ...
अनु - (मुस्कराते हुए) झूठे...
वीर - सच में...
अनु - झूठ... कितनी जोर से आपने मुझे जकड़ रखा है...
वीर - (बड़ी मुश्किल से अपनी जज्बातों को काबु करते हुए) हाँ... बहुत डर गया था... तु मिल गई.. ऐसा लग रहा है... जिंदगी मिल गई... इन सत्रह घंटों में... ना जाने कितनी बार मरा हूँ... कई मौतें मरा हूँ... तु सीने से क्या लग गई... मैं जी उठा हूँ...(अनु चुप रहती है)
अनु - (झूलते हुए वीर के कंधे से अपना सिर निकालती है और वीर के माथे पर अपना माथा लगा देती है) मैं भी... बस भगवान से प्रार्थना कर रही थी... या तो मेरे राजकुमार आ जाएं या मेरी मौत... आपने तो मेरी मौत को हरा दिया...
वीर - (अनु को जोर से भींच कर) चुप पगली... तुझे कुछ हो जाता तो... मैं जिंदा ही कहाँ रहता... अब चाहे कुछ भी हो जाए... मुझे तुझसे कोई अलग नहीं कर सकता...
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Lets Go Parker GIF by Richmond Spiders
 
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