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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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sunoanuj

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MIT update ki pratiksha hai …
 
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ANUJ KUMAR

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👉अड़सठवां अपडेट
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द हैल
आधी रात हो चुकी है
पर तीन जन
तीन जनों के आँखे जाग रही है l पर तीनों के जागने के अपनी अपनी वजह है l
वीर ने खुद को जैसा बनाया था उस वज़ूद से वीर की जद्दोजहद चल रही है l अनु की बातेँ, उसकी कहानी और उसके साथ बिताए हुए हर पल वीर को अंदर से झिंझोड रहे थे l वह तड़प रहा है और रह रह कर आज उसे विक्रम याद आ रहा था l उसने ना जाने कितनी बार विक्रम की हालत पर जली कटी ताने मारा करता था I आस वह उसी तड़प से गुजर रहा है l फर्क़ बस इतना था विक्रम तब रंग महल में प्रवेश नहीं किया था और वीर प्रवेश हो चुका है l वीर जिसे उम्र की मोड़ पर हॉर्मोन बहाव की आकर्षण कह रहा था और जिसका समाधान सेक्स को समझ रहा था आज उसी पड़ाव से वह गुजर रहा है पर खुद को समझा नहीं पा रहा है l नजाने कितनों के साथ सेक्स किया है, जिस पर अपनी नजर टेढ़ी की उसे अपने नीचे लाकर ही माना है l पर आज वह एक अलग अनुभव से गुजर रहा है l वह आज वह अपने बेड पर ठीक से सो भी नहीं पा रहा है, कभी बेड के किनारे बैठ जाता है तो कभी लेट कर दोनों तकिये को अपने चेहरे पर रख कर सोने की कोशिश कर रहा है l पर सब बेकार l वह चिढ़ कर वॉशरुम में जाता है l वॉशरुम में अपने चेहरे पर पानी मारता है और आईने में खुद को देखता है l फिर अपनी आँखे बंद कर अपने माथे को आईने पर पटकने लगता है l उसके मुहँ से निकल जाता है
"अनु अनु"
वह चौंक जाता है l वह खीज कर वॉशरुम से निकल कर बेड पर आकर बैठता है और बड़बड़ाने लगता है
"एक लड़की वीर को पागल नहीं कर सकती" "नहीं नहीं नहीं "
वीर अपना मोबाइल निकालता है और विक्रम को फोन लगाता है l पर उसे फोन पर एक कंप्युटर वॉयस सुनाई देती है " आप जिनसे संपर्क करना चाहते हैं वह अपनी कॉल को फॉरवर्ड किए हुए हैं"
वीर खीज कर बेड पर अपना फोन पटक देता है और अपनी हाथों से चेहरे को ढक कर बेड के किनारे बैठ जाता है l उधर रुप की हालत वैसी है पर वजह और है l जिस तेजी से रॉकी अपने इरादों की राह में बढ़ रहा था उसे ब्रेक लगाना जरूरी समझ कर वह वह सिम्फनी होटल गई थी, क्यूँ की वह नहीं चाहती थी उसके वजह से किसीको कोई नुकसान हो l क्यूँकी वह अच्छी तरह से जानती थी कि अगर रॉकी की हरकत के बारे में उसके भाइयों को भनक तक पड़ गई होती तो उसके साथ साथ उसके दोस्तों और सगे संबंधीयों पर क्षेत्रपाल नाम की अहंकार का बिजली गिर गई होती l पर अंत में रॉकी ने उसे हैरान कर दिया यह कह कर की उसके बड़े भाई की हत्या विक्रम के हाथों हुई थी l और विक्रम और शुभ्रा की बीच शादी की वजह प्यार नहीं बलात्कार था l जब कि वह और उसके परिवार वालों को यह मालुम था कि विक्रम और शुभ्रा की लव मैरेज हुई थी l क्या यही वजह है कि शुभ्रा और विक्रम के बीच के अनबन की l पर उसने यह भी तो देखा है कि विक्रम जब घर में होता है तभी उसके सो जाने के बाद ही शुभ्रा सोने जाती थी l या कोई और वजह है, यह सोचते सोचते हुए अपनी वेयर हेल्थ की घड़ी को देखती है l उसे पहले पहले बहुत हैरानी होती थी के कैसे कॉलेज में होने वाली सभी बातेँ उसके भाभी को मालुम हो जाती है l तब उसे इस घड़ी के बारे में शुभ्रा ने बताया था, और रुप ने ऐसी ही घड़ी को रॉकी को देकर उससे सारी जानकारी हासिल की थी l वह जब रॉकी से मिलने गई थी तब उसने भी यही घड़ी पहनी थी l क्यूँकी शुभ्रा की स्ट्रिक्ट आदेश था l इसलिए रॉकी के साथ जो भी बातचीत हुई सब शुभ्रा ने सुना होगा l क्यूँकी इतने दिनों में पहली बार रुप जब घर आई उसे शाम से घर में होने के बावजूद शुभ्रा उसे दिखी ही नहीं l शायद रुप के सामने आना नहीं चाहती थी l यह सब सोचने के बाद रुप फैसला करती है उसे शुभ्रा से बात करनी चाहिए l ऐसी सोच में अपने कमरे में शुभ्रा भी खोई हुई है l शुभ्रा के लिए उसका अतीत बहुत ही दर्दनाक है l इसलिए हमेशा वह अपने अतीत से भागती रहती थी l रुप के बार बार पूछने पर भी वह हमेशा टाल जाती थी l पर आज हालात पुरी तरह से अलग है l उसे मालुम है रुप हर हाल में अब सच्चाई जान कर रहेगी I अब रुप के आगे उसकी कोई भी बहाना नहीं चलेगी l इसलिए रॉकी से रुप की सारी बातेँ जान लेने के बाद वह खुद को तैयार कर रही है l उसे अपनी कमरे के बाहर दरवाजे के नीचे एक शाया दिखती है l वह समझ जाती है कि बाहर रुप ही है l वह मन को मजबूत करती है और उठ कर दरवाजे के पास जाती है और इससे पहले कि रुप दरवाजे पर दस्तक देती, शुभ्रा दरवाजा खोल देती है l रुप देखती है शुभ्रा के चेहरे पर ना कोई परेशानी है ना कोई तनाव l

शुभ्रा - आओ रुप... मैं जानती हूँ कि तुम यहाँ क्यूँ आई हो...
रुप - और भाभी... आज आपसे सब जानने के बाद ही इस कमरे से जाऊँगी...
शुभ्रा - (थोड़ा सा हँसते हुए रुप की दोनों हाथों को पकड़ कर अपने बिस्तर पर बिठा कर) तो पूछो... क्या जानना चाहते हो....
रुप - भाभी... आपकी और भैया की लव मैरेज हुई थी ना... रॉकी झूठ बोल रहा है ना...
शुभ्रा - रॉकी ने तुम्हें वही सब बताया है... जो उसके लिए सच था... और जो तुम जानती हो... वह तुम्हारे लिए सच है...
रुप - मतलब... मेरा मतलब यह क्या बात हुई... उसका सच और मेरे सच में... (उसे कुछ नहीं सूझता)
शुभ्रा - उसके सच और तुम्हारे सच के बीच एक सच और भी है... वह सच... जिससे मैं और तुम्हारे भाई जुड़े हुए हैं... और वह सच... जो सिर्फ मेरे और तुम्हारे भाई की सच है... जिससे हम दोनों को छोड़ कोई और नहीं जानता... (चुप हो जाती है)
रुप - (शांत हो कर सुन रही थी, शुभ्रा के चुप देख कर) भाभी... मुझे आपकी चेहरे पर दर्द दिख रहा है... अगर आप बताना ना चाहें तो... मैं आपको बताने के लिए मजबूर नहीं करूंगी... (कह कर उठने लगती है)
शुभ्रा - (रुप के हाथ को पकड़ कर बिठाते हुए) बैठ जाओ... पता नहीं कबसे दिल में दबा कर रखा है... आज इस दर्द को बाहर आ जाने दो... (रुप बैठ जाती है)

बात उन आज से सात साल पहले की है l मेरी अट्ठारहवीं जनम दिन के दिन ही इसकी शुरुआत हुई l भुवनेश्वर में आने से पहले हम दिल्ली में रहते थे क्यूंकि पापा राज्यसभा में थे l उस दौरान मेरी दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई दिल्ली में पुरी हो गई थी l मैं मेडिकल के लिए कोचिंग ले रही थी कि पापा ने मुझे भुवनेश्वर बुला लिया l उन्होंने यह मैसेज दिया था कि मेरी फ्यूचर होटल ऐइरा में बर्थ डे केक काटने के बाद सरप्राइज की तरह पेश किया जाएगा l पापा पहले से ही होटल में तैयारी देखने के लिए चले गए थे l मैं मम्मी के साथ शाम को होटल ऐइरा के लिए गाड़ी में निकली l

फ्लैशबैक

गाड़ी में

शुभ्रा - ऐसा कौनसा सरप्राइज प्लान किया है पापा ने...
शु.म - अब मुझे क्या पता... उन्होंने अगर कुछ प्लान किया है... तो होगा कुछ ज़बरदस्त...
शुभ्रा - पर मम्मा मैं अगर दिल्ली में मेडिकल करती तो क्या हो जाता... पापा ने बेकार में मुझे भुवनेश्वर बुला लिया...
शु.म - देख तेरे पापा की सारी बिजनस यहीं पर है... और तुझे तो पता है ना... वह अपने कुल देवी के लिए कितना समर्पित हैं... इसलिए उन्हें दिल्ली जाना कतइ पसंद नहीं था... अब चूँकि वह पार्टी प्रेसिडेंट बन गए हैं... इसलिए उन्होंने दिल्ली छोड़ कर यहीं पर पार्टी का काम काज देखना सही समझा...
शुभ्रा - तो ठीक है ना... मुझे क्यूँ दिल्ली से बुला लिया...
शु.म - क्यूँ तेरे भी तो बेस्ट फ्रेंड्स हैं यहां पर...
शुभ्रा - हाँ हैं तो... पर दिल्ली की बात ही कुछ और है मम्मा...
शु.म - बस बस... अब तुझे जो भी करना है... वह सब यहीं पर करना है...

यूँ ही बातों बातों में दोनों होटल ऐइरा में पहुँचते हैं l दोनों होटल के लॉबी में पहुँचते ही होटल का मैनेजर उन्हें सीधे रेस्टोरेंट में जाने के लिए कहता है l क्यूँकी आज आम लोगों के लिए रेस्टोरेंट बंद कर दिया गया था l दोनों माँ बेटी जब रेस्टोरेंट के अंदर आते हैं तो दोनों वहाँ पर हुए सजावट देख कर हैरान हो जाते हैं l शुभ्रा भाग कर अपने पापा बिरजा किंकर सामंतराय के गले लग जाती है l

शुभ्रा - वाव पापा क्या डेकोरेशन है...
बिरजा - तो पसंद आई मेरी बेटी को...
शुभ्रा - कोई शक़... (दोनों बाप बेटी हँसने लगते हैं)
बिरजा - तो चलो फिर... एक और सरप्राइज है तुम्हारे लिए...
शुभ्रा - सच... वाव... तो फिर दीजिए...
बिरजा - जाओ रुम नंबर xx में तुम्हारे लिए वह सरप्राइज़ रखा है... रिसेप्शन से चाबी लेकर अपना सरप्राइज देख लो...
शुभ्रा - ओके

बस इतना कह कर शुभ्रा बाहर रेस्टोरेंट के बाहर भागती है l भागते भागते बाहर वह किसीसे टकरा जाती है l उस शख्स के साथ साथ शुभ्रा भी नीचे गिर जाती है l वह शख्स पहले तो गुस्से से देखता है मगर जैसे ही शुभ्रा को देखता है अचानक उसके चेहरे का भाव बदल जाता है l शुभ्रा पहले खड़ी हो जाती है और अपना हाथ उस शख्स की ओर बढ़ाती है l वह शख्स किसी रोबॉट की तरह अपना हाथ बढ़ाता है और शुभ्रा की हाथ पकड़ कर उठ खड़ा होता है l शुभ्रा उसे सॉरी कह कर रिसेप्शन से चाबी लेकर अपना सरप्राइज देखने कमरे की ओर भाग जाती है l कमरे में पहुंच कर देखती है बेड पर एक जबरदस्त ड्रेस रखा हुआ है और बगल में डायमंड का नेकलेस सेट रखा हुआ है l शुभ्रा तुरंत ही अपना कपड़े बदल कर गहने पहन कर नीचे आती है और रेस्टोरेंट में भागते हुए घुस जाती है l रेस्टोरेंट में पहुँच कर देखती है कि एक और फॅमिली के चार सदस्य माँ बाप और दो लड़के उसके मम्मी पापा के पास खड़े हैं l

बिरजा - आओ मेरी बच्ची आओ... कैसा रहा मेरी सरप्राइज़...
शुभ्रा - ओह फेवुलस.. आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं...
बिरजा - लुक (उन परिवार वालों को) दिस इज़ माय डटर... (उस परिवार की औरत से) कैसी है मेरी बेटी भाभी जी... (शुभ्रा के कंधे पर हाथ रखकर)
औरत - बहुत ही सुंदर और सुशील... भाई साहब... आपने जैसा कहा था... मैं तो कहती हूँ... उससे कई गुना ज्यादा है आपकी बेटी...
शुभ्रा - पापा... यह.. यह लोग...
उस परिवार का छोटा लड़का - मैं बताता हूँ भाभी... यह मेरे पापा रमेश रंजन पाढ़ी... यह मेरी मम्मी..सुमित्रा पाढ़ी... मैं हूँ रॉकी उर्फ़ राकेश रंजन पाढ़ी और यह है.. हैंडसम हंक राजेश रंजन पाढ़ी...

शुभ्रा छोटे रॉकी की बात सुनकर हैरान हो जाती है l उसे अब इस सरप्राइज पार्टी की बात समझ में आती है l शुभ्रा अपने बाप बिरजा किंकर की ओर देखती है l

बिरजा - हाँ बेटी... तुमने ठीक गेस किया है... यह तुम्हारे मेडिकल पढ़ाई की टिकट है... राजेश निरोग मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर रहा है... तुम भी एमबीबीएस करना चाहती हो... तो तुम दोनों डॉक्टर मियाँ बीबी बन जाओ... जोड़ी बहुत अच्छी रहेगी...

शुभ्रा कुछ रिएक्शन नहीं देती I हिचकिचाते हुए मुस्कराने की कोशिश करती है l

बिरजा - (सुमित्रा से) देखा भाभी जी... मेरी बेटी शर्मा रही है... हा हा हा हा... (राजेश से) बेटे राजेश क्या तुम शुभ्रा से बात करना चाहोगे...
राजेश - (कुछ नहीं कहता है बस शर्मा कर सिर नीचे झुका लेता है)
बिरजा - (शुभ्रा से) बेटी क्या तुम बात करना चाहोगी...
शुभ्रा - हाँ... (अपनी माँ से) मम्मी... मैं लॉबी में जा रही हूँ... थोड़ी देर बाद राजेश जी को लॉबी में भेज दीजिए...
शु.म - (राजेश को छेड़ते हुए) देख लो राजेश... मेरी बेटी तुम्हें शादी के बाद डॉमिनेट करेगी...

सभी हँसते हैँ l शुभ्रा इशारे करते हुए लॉबी की ओर जाने के लिए रेस्टोरेंट से निकलती है l पीछे देखती है उसे कोई नहीं देख रहा है तो वह लॉबी से हो कर बाहर निकल जाती है l बाहर गेट की ओर जाते हुए अपने पीछे एक कार को आते हुए पाती है l वह कार को रोकती है और ड्राइविंग सीट के साइड में आकर खिड़की को नीचे करने के लिए इशारा करती है l कार में बैठा शख्स काँच को नीचे सरकाता है l शुभ्रा देखती है यह वही शख्स है जिससे होटल की लॉबी में टकराई थी l

शुभ्रा - एक्शक्युज मी... क्या आप मुझे वह आगे की जंक्शन पर ड्रॉप कर देंगे....

शख्स अपना सर हिला कर अपना सहमती देता है तो शुभ्रा जाकर दूसरे तरफ बैठ जाती है l वह शख्स गाड़ी के अंदर बैठे बैठे अपनी आँखे बंद कर लेता है जैसे उसके नाक में कोई सम्मोहन वाला जबरदस्त खुशबु महसूस हो रहा है l

शुभ्रा - चलिए.... चलिए... जल्दी... चलिए...

शख्स गाड़ी स्टार्ट करता है l गाड़ी होटल से बाहर निकल कर सड़क पर दौड़ने लगती है l गाड़ी में बैठे शख्स देखता है कि शुभ्रा अपने आप में कुछ बड़बड़ा रही है l उसे यूँ बड़बड़ाते हुए देख शख्स हँस देता है l उस शख्स को यूँ हंसता देख शुभ्रा पूछती है,

शुभ्रा - आप क्यूँ बे वजह हंस रहे हैं...
शख्स - पहली बार देख रहा हूँ... किसीको खुद से बात करते हुए....

शुभ्रा चुप हो जाती है l उसके चुप होते ही शख्स को बुरा लगता है l

शख्स - सॉरी... शायद आपको मेरी बात बुरी लगी....
शुभ्रा - नहीं.. ऐसी बात नहीं...
शख्स - आप... किसी बात से रूठी हुई लग रही हैं..
शुभ्रा - हाँ... (उखड़ कर ज़वाब देती है)

शख्स कुछ और नहीं कहता, शुभ्रा की उखड़ी हुई जवाब सुन कर l

शख्स - अगैन.. सॉरी...
शुभ्रा - क्यूँ...
शख्स - वह शायद आपको मेरा बात करना अच्छा नहीं लगा....
शुभ्रा - नहीं ऐसी बात नहीं है.... मैं अपने मॉमा और पापा से उखड़ी हुई हूँ... और सॉरी आपसे लिफ्ट ली है... और आप पर उनका गुस्सा उतार दिया...
शख्स - कोई नहीं... पर आप अपने माँ बाप से क्यूँ गुस्सा हैं...
शुभ्रा - मुझे उनकी पिछड़ी मानसिकता से प्रॉब्लम है.... लड़की अट्ठारह साल की हुई नहीं की उसकी शादी करा दो... जैसे वह बेटी नहीं कोई बोझ है...
शख्स - कोई माँ बाप ऐसे हो नहीं सकते... आप को शायद कोई गलत फहमी हो गया हो....
शुभ्रा - आप जानते हैं... हम इस होटल में क्यूँ आए हैं... आज मेरा जनम दिन है...
शख्स - ओ अच्छा... मैनी मैनी हैप्पी रिटर्नस ऑफ दी डे.... माय बेस्ट विश फॉर अ ब्यूटीफुल गर्ल...
शुभ्रा - थैंक्यू... पर आपने मुझे बीच में टोका क्यूँ...
शख्स - अरे... क्या बात कर रही हैं.... आज आपका जनम दिन है... और मैंने आपको विश भी नहीं करूँ...

शुभ्रा - ठीक है... पर फिलहाल आप चुप रहिए....(शख्स चुप हो जाता है) हाँ तो.. आज मेरा बर्थ डे... इस होटल में सेलिब्रिट करने के बहाने... मेरे पेरेंट्स आज मेरी मंगनी कराने के लिए प्लान किए थे... इसलिए उन्हें वहीँ छोड़ कर भाग आई... और सीधे अपनी सहेली के घर जा रही हूँ...
शख्स - ओ... तो यह बात है... वैसे एक ना एक दिन आपको शादी तो करनी पड़ेगी ना...
शुभ्रा - हाँ शायद.. पर शादी से पहले... मुझे जिंदगी में कुछ एचीव करना है... आई वांट टू डु सम थिंग इन माय लाइफ... लड़की होने का मतलब यह तो नहीं कि बालिग होते ही शादी करले और बच्चे पैदा करे... रुकिए.. रुकिए... यहीं गाड़ी रोक दीजिए...

वह शख्स गाड़ी रोक देता है, शुभ्रा तुरंत उतर जाती है l

शुभ्रा - थैंक्यू... (कह कर मुड़ने को हुई)
शख्स - सुनिए....
शुभ्रा - जी कहिए...
शख्स - आपने अपना नाम बताया नहीं...
शुभ्रा - आपने मुझे लिफ्ट दी... उसके लिए शुक्रिया.... और अगर संयोग से हम फिर कभी मिले तब सोचेंगे.... तब तक के लिए हमे अजनबी ही रहने दीजिए...

इतना कह कर शुभ्रा पलट कर चली जाती है l

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

रुप - भाभी... एक बात पूछूं...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म...
रुप - वह शख्स... विक्रम भैया ही थे ना...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - वाव... पहली मुलाकात कितनी हसीन और प्यारी थी...
शुभ्रा - हाँ... बहुत ही प्यारी थी...(कहते कहते शुभ्रा चुप हो कर अपनी यादों में खो जाती है)
रुप - भाभी...
शुभ्रा - (अपनी यादों से बाहर आती है) हाँ...
रुप - आप... आगे की बात बताइए ना...

फ्लैशबैक शुरु

अगले दिन बिरजा किंकर सामंतराय के घर सुबह नाश्ते के वक़्त

शुभ्रा के घर नाश्ते के टेबल पर

बिरजा - कल तुमने मेरी नाक क्यूँ कटवा दी...
शुभ्रा - कहाँ पापा... सही सलामत तो है...
बिरजा - क्या... तुम्हें मजाक सूझ रहा है...
शुभ्रा - कहाँ पापा...(स्नैक्स खाते हुए) मजाक तो आपने मेरे साथ किया... बर्थ डे सरप्राइज के नाम पर झटका दिया...
बिरजा - क्यूँ... शादी नहीं करनी है तुम्हें...
शुभ्रा - आप सीधे यह भी तो पुछ सकते थे मुझे... बच्चे नहीं ढोने हैं तुम्हें...
बिरजा - (चिल्लाते हुए) शुभ्रा...
शुभ्रा - लगी ना दिल पे आपकी.... मुझे भी लगा... अगर शादी हो करानी थी आपको... तो पढ़ाया लिखाया क्यूँ... गँवार ही रहने देते...
बिरजा - (थोड़ा नरम पड़ते हुए) राजेश बहुत ही अच्छा लड़का है... और शादी तो तुम्हारे मेडिकल खतम होने के बाद ही होती.... अभी तो सिर्फ मंगनी की बात चल रही थी...
शुभ्रा - तो प्लान चेंज किजिये... मंगनी मेडिकल के बाद और शादी थोड़ी प्रैक्टिस के बाद....
बिरजा - नहीं मैंने जुबान दी है... तुम्हें उसकी लाज रखनी ही चाहिए...
शुभ्रा - नाश्ता खा तो रहे हैं... फिर दी कहाँ और कब...
बिरजा - ओ हो... (अपनी पत्नी से) यह मेरी ही बेटी है ना... या हस्पताल में किसीने बदल दिया था...
शु.माँ - कल तक तो मैं खुद कंफ्यूज थी... पर आप दोनों की बात सुन कर अब श्योर हो गई हूँ... यह आप ही की बेटी है...
बिरजा - आ.. ह्... तुम माँ बेटी से बात करना ही बेकार है...
शुभ्रा - तो ठीक है ना.. आप मेरी मेडिकल एडमिशन करा दीजिए है... आपकी मुझसे बात करना बेकार नहीं... कार ही कार होगा...
बिरजा - बिल्कुल नहीं... मेडिकल पढ़ने जी एक ही कंडीशन है... राजु से मंगनी... वरना... साइंस पढ़ो...
शुभ्रा - ठीक है... मैं साइंस ही पढ़ूंगी... मगर उस घन चक्कर से शादी नहीं करूंगी...
बिरजा - ठीक है... अपनी बातों पर टिकी रहना...
शुभ्रा - हूँ....

इतना कह कर नाश्ते के टेबल पर से उठ कर अपनी कमरे जी और चली जाती है l

फ्लैशबैक में विराम

रुप - ओह... तो फिर.. आपने मेडिकल पढ़ा कैसे...
शुभ्रा - तुम्हारे भाई के वजह से...
रुप - भैया के वजह से... मतलब...

फिर शुभ्रा रुप को अपनी ओर विक्रम के बीच हुई बातेँ, मुलाकातें, छुप कर की गई शादी और विक्रम की राजगड़ से वापसी तक कि सारी कहानी बता देती है l

रुप - वाव भाभी... क्या बात है... आपकी प्रेम कहानी तो अद्भुत है... और आपने शादी भी कर ली थी... वाव... यह.. यह शादी की बात आपने छुपाई कब तक...
शुभ्रा - मेरी मेडिकल खतम होने तक...
रुप - क्या... फिर
शुभ्रा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) उसके बाद मेरी पढ़ाई बदस्तूर चल रही थी... और हर रात विकी जी से रात को बातेँ... वह हमेशा मुझसे ही सुनते थे.... मेरे पूछने पर कभी कभी कुछ कुछ बता देते थे...(कुछ देर रुक कर) उसी कॉलेज में राजेश भी पढ़ते थे... जाहिर है एक दिन हम टकराए....

फ्लैशबैक

शुभ्रा अपनी दोस्तों के साथ कैन्टीन की ओर जा रही है तभी उसे पीछे से आवाज सुनाई देती है

राजेश - एस्क्युज मी... एस्क्युज मी...
शुभ्रा - (पीछे मुड़ कर देखती है)
राजेश - (उसके पास पहुँच कर) कैन आई टक वीथ यु... (शुभ्रा उसे हैरानी से देखती है) जस्ट फॉर... फाइव मिनट्स...
शुभ्रा - ओके... (अपनी सहेलियों से) तुम लोग चलो मैं आती हूँ.... (उसकी सहेलियाँ कैन्टीन की ओर चली जाती हैं) जी कहिए...
राजेश - क्या... आपने मुझे पहचाना...
शुभ्रा - जी... पहचान गई...
राजेश - वह मैं आपको थैंक्यू कहना चाहता हूँ...
शुभ्रा - (हैरानी से) क्यूँ...
राजेश - उस दिन एक्चुयली... मैं भी हैरान रह गया था... मेरे पेरेंट्स पता नहीं मेरे छोटे भाई के साथ... ऐसा प्लान बना डाला था... पर आप उस दिन वहाँ से भाग कर मुझे बचा लिया था....
शुभ्रा - (हैरान हो कर) क्या... कैसे...
राजेश - वह... बात यह है कि... मैं... मैं... किसी और लड़की से.. यु नो.. व्हाट आई मीन...
शुभ्रा - ( बहुत खुश होती है) तो आपने अपने पेरेंट्स को बताया क्यूँ नहीं...
राजेश - मौका ही कब मिला....
शुभ्रा - तो... अभी तक नहीं बताया...
राजेश - सॉरी टु सै... पर नहीं...
शुभ्रा - व्हाट... पर क्यूँ...
राजेश - एक्चुयली... हम दोनों चाहते थे कि... मेडिकल खतम हो जाए... तो उसके बाद...
शुभ्रा - ओ...
राजेश - यु नो वन थिंग... शी इज़ इन योर क्लास...
शुभ्रा - व्हाट...
राजेश - आप चलिए... यहीं कैन्टीन में ही हमारी ग्रुप होगी... मैं मिलवाता हूँ आपको...

शुभ्रा और राजेश कैन्टीन में आते हैं l वहाँ एक टेबल पर एक लड़का और दो लड़कियाँ बैठी हुई थीं l एक लड़की को शुभ्रा पहचान जाती है l फिर दोनों उस टेबल के पास आते हैं l

राजेश - सो... यह मेरे दोस्त हैं... (लड़के के तरफ इशारा करते हुए) यह है प्रत्युष... (एक लड़की के तरफ इशारा करते हुए) और यह हैं इस गधे की फियांसी तान्या... और यह है..
शुभ्रा - रूबी...
रूबी - हाय... शुभ्रा...
शुभ्रा - हाय... (कह कर हाथ मिलाती है)
रूबी - शुभ्रा... तुमने जो किया... उसके लिए थैंक्स...
शुभ्रा - अरे यार... कमाल करती हो... मैंने खुद को बचाने के लिए वहाँ से भागी थी... और तुम कह रही हो थैंक्स... अरे थैंक्स तो मुझे कहना चाहिए... तुम दोनों पहले से ही ऐंगेज्ड हो...

सभी वहाँ पर हँसने लगते हैं l रूबी और शुभ्रा दोनों एक दूसरे को हाय फाय करते हैं l

प्रत्युष - ओके शुभ्रा... हमारे बीच सीनियर जुनियर.. कोई बेरीयर नहीं है... हमारे ग्रुप में तुम्हारा स्वागत है... और हाँ यहाँ पर... आप कहना बैन है...
शुभ्रा - ओके देन तो सबसे हाय फाय हो जाए...
सभी - हो जाए ( कह कर एक-दूसरे से हाय फाय करने लगते हैं)

फ्लैशबैक में विराम

रुप - ओ इसका मतलब... रॉकी का भाई राजेश को पहले से ही किसी से प्यार था...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - क्या... और यह उन्होंने अपने पेरेंट्स नहीं बताया...
शुभ्रा - मौका ही नहीं आया...
रुप - मतलब....
शुभ्रा - (रुप की तरफ देख कर एक दर्द भरी हँसी हँसती है) हमारी दोस्ती और पढ़ाई आगे बढ़ रही थी... विकी जी और मेरी जिंदगी उनकी शर्तों पर आगे बढ़ रही थी... ऐसे में प्रत्युष और राजेश की मेडिकल खतम हुई... प्रत्युष ने पुरे स्टेट में टॉप किया था... इसलिए फेयरवैल पार्टी में... कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने प्रत्युष को आगे पीजी कोर्स करने के लिए स्कॉलरशिप के साथ साथ स्टाइपेंड और हाउस सर्जन की ऑफर दिया... सच पूछो तो प्रत्युष को इंट्रेस्ट नहीं था... पर हम लोगों ने ही... प्रत्युष को फोर्स किया.. एक्सेप्ट करने के लिए... पर उसकी फियांसी को यह मंजुर नहीं था... वह एम्स में पीजी करना चाहती थी... हमारे बहुत समझाने के बाद... वह तैयार हुई... इसलिए प्रत्युष यहीं रह गया... यह हमारी सबसे बड़ी भूल थी...(कहते कहते शुभ्रा की आवाज भर्रा जाती है)( फिर अपने आप को नॉर्मल करते हुए) अब कॉलेज में हमारी ग्रुप वही थी... पर सिर्फ़ एक मेंबर कम हो गई थी... तान्या... राजेश भी वहीँ हाउस सर्जन बन कर जॉइन हो गया... मैं अब स्टडीज के साथ साथ पेशेंट को भी अटेंड करने लगी थी... मुझे एक पेशेंट की गिरती हेल्थ ने परेशान कर दिया था... मैं इस बाबत अपनी रिपोर्ट बना कर राजेश को दिखाया... राजेश को मेरी रिपोर्ट सही लगी... प्रत्युष तब मेडिसन कर रहा था... हमने मिल कर प्रत्युष को वह रिपोर्ट दिखाई...

फ्लैशबैक शुरु

प्रत्युष - ओह माय गॉड... शुभ्रा.. आर यु श्योर...
शुभ्रा - प्रत्युष... यह रिपोर्ट मैंने खुद बनाया है... और दो महीने से उस पेशेंट को खुद ऑब्जर्व कर रही हूँ... मुझे लगता है कि... इनकी बॉडी मेडिसिन्स को शायद... रिसपंड नहीं कर रहे हैं...
प्रत्युष - जानती हो... यह मेडिसन हमारे ही एमडी के फार्मास्यूटिकल्स में बन रही है... वाईआईसी फार्मास्यूटिकल्स को सस्ती जेनेरिक दवाओं के लिए कई एडवर्ड्स मिले हुए हैं...
शुभ्रा - जानती हूँ... प्रत्युष... मैं दवाओं पर सवाल नहीं उठा रही हूँ.. शायद हमारी डायग्नोसिस गलत है...
राजेश - मुझे भी यही लग रहा है... अगर हमारी डायग्नोसिस गलत है... तो यह मेडिसन्स उसके लिए जहर बन जाएंगे...
प्रत्युष - ह्म्म्म्म... ठीक है... अब इन्हें मैं देखूँगा... कल से इन्हें मेरे पास भेज दो...
शुभ्रा - ओके...

कुछ दिनों के बाद

सहर के एक रेस्तरां में

शुभ्रा - क्या बात है प्रत्युष... तुमने हमें यहाँ क्यूँ बुलाया...
राजेश - हाँ.. मेडिकल में बात करने से मना कर दिया...
प्रत्युष - देखो... मैं जो कह रहा हूँ... उसे गौर से सुनो... यह हमारी आखिरी मुलाकात है... आज के बाद... रूबी और शुभ्रा... तुम दोनों अपनी अपनी पढ़ाई चुप चाप खतम करोगी... पढ़ाई खतम होने के बाद अगर पीजी करना हो... तो कहीं और करना... पर कोशिश करना... इस कॉलेज से दूर रहने के लिए... और राजेश तु... तु किसी एग्रीमेंट में बंधा हुआ नहीं है... इसलिए मेरी राय मान... किसी और हस्पताल में प्रैक्टिस के लिए चला जा...
तीनों - (एक साथ) व्हाट...
शुभ्रा - यह तुम क्या कर रहे हो प्रत्युष...
राकेश - तु दिल्ली जा कर आने के बाद... कुछ खोया खोया हुआ रह रहा है... बात क्या है...
प्रत्युष - बात बहुत ही सीरियस और खतरनाक है... एक्चुयली शुभ्रा... तुम जिस पेशेंट को चेक कर रही थी... तुम्हारी डायग्नोसिस बिल्कुल सही थी... प्रॉब्लम मेडिसन में ही है...
तीनों - (हैरान हो कर) व्हाट...
प्रत्युष - हाँ... मैं दिल्ली अपने दोस्त की मैरेज अटेंड करने गया था... साथ साथ उसे दी जा रही दवाओं के सैंपल को एम्स के लैब में चेक भी कराया... उन दवाओं में.. बैन्ड ड्रग्स और स्टेरॉयड मिले हैं....
राजेश - ओह माय गॉड...
शुभ्रा - तो हम बैठे क्यूँ हैं... हम हेल्थ डिपार्टमेंट को खबर करते हैं... चलो फिर...
रूबी - करेक्ट...
प्रत्युष - नहीं कर सकते हैं...
तीनों - क्यूँ...
प्रत्युष - मैंने... हमारे हस्पताल के डिस्पेंसरी से दवाएं लेकर दुबारा चेक किया तो... कुछ नहीं मिला... पर जब वही पुरानी दवाओं की दुबारा पड़ताल किया... तो रिजल्ट सेम रहा...
राजेश - इसका क्या मतलब हुआ...
प्रत्युष - इसका मतलब यह हुआ... उन दवाओं के डिस्ट्रीब्यूशन में... यह लोग वेल ऑर्गनाइज्ड हैं... और इनके सुरक्षा में सरकारी तंत्र भी सामिल है... हम बिना सबूत के यश वर्धन पर उंगली तक नहीं उठा सकते...

कुछ देर के लिए सभी चुप हो जाते हैं l किसी के मुहँ से कोई बात नहीं फूटती l

प्रत्युष - चलो... अब हम सब घर चलें.... राजेश तुम रूबी को घर छोड़ दो... मैं शुभ्रा को उसके घर छोड़ देता हूँ...
राजेश - ठीक है...

उसके बाद सब अपने अपने रास्ते चले जाते हैं l अपनी गाड़ी में प्रत्युष शुभ्रा को ले जाता है और शुभ्रा के घर आने से पहले अपनी गाड़ी रोक देता है और शुभ्रा की ओर देखता है

प्रत्युष - क्या बात है शुभ्रा... मुझे वहाँ पर सबसे ज्यादा परेशान तुम लगी... ऐसी क्या वजह थी...
शुभ्रा - वह... यश वर्धन के बारे में सुनकर... क्यूंकि मेरे पापा उसी पार्टी के प्रेसिडेंट हैं... जिस पार्टी के हेल्थ मिनिस्टर यश के पिताजी ओंकार जी हैं... क्या मेरे पापा भी इनवाल्व होंगे... यही सोच रही थी...
प्रत्युष - जरूरी नहीं है... चूंकि यश के पिता हेल्थ मिनिस्टर हैं... इसलिए बिना सबूत के हम किसीके गिरेबां पर हाथ नहीं रख सकते हैं... (इतना कह कर प्रत्युष अपनी पेंट के जेब से एक चाबी निकाल कर शुभ्रा को देते हुए) शुभ्रा... मान लो मुझे कुछ हो जाता है...
शुभ्रा - व्हाट... व्हाट नॉनसेंस प्रत्युष...
प्रत्युष - प्लीज... पहले बात को पूरी तरह से सुनो... मैंने इन कुछ दिनों में... अपने लेवल पर जितना भी हो सकता था... किया है... और करूंगा भी.... ऐसे में मान लो मुझे कुछ हो जाता है... तो... जब तुम्हें लगे कि यश को सजा मिलनी चाहिए... तो उसके खिलाफ मैंने जो तहकीकात किए हैं... वह सब कुछ मैंने एक डायरि में लिख कर रखे हैं... तुम्हें अपने तरीके से उसे फॉलो करना होगा... फिर कुछ हो सका तो... वह इंसानियत के लिए तुम्हारा बड़ा उपकार होगा.... (चाबी और एक पॉकेट डायरि देते हुए) यह मेरे बैंक लॉकर डिटेल्स...
शुभ्रा - यह तुम मुझे क्यूँ दे रहे हो... अपने मम्मी पापा को क्यूँ नहीं दे रहे...
प्रत्युष - वह इसलिए... की मैं उनका इकलौता बेटा हूँ... अगर मुझे कुछ हो जाए... तो मैं यह नहीं चाहता कि उनके साथ कुछ हो....
शुभ्रा - (चुप रहती है)
प्रत्युष - नहीं ऐसा नहीं कि मुझे तुम्हारी फिक्र नहीं है... यह मैं तुम्हारी चॉइस पर छोड़ रहा हूँ... अगर तुम्हें कभी लगे कि यश को सजा मिलनी चाहिए.. तब... क्यूंकि तुम एक पॉलिटिशियन की बेटी हो... तुमको शायद उतना खतरा ना हो... वरना तुम्हारी मर्जी... लो रख लो...

हिचकिचाते हुए शुभ्रा प्रत्युष से वह चाबी और डायरि रख लेती है l फिर शुभ्रा गाड़ी से उतर कर अपने घर चली जाती है l इस दौरान डेढ़ महीना गुजर जाता है l इन डेढ़ महीनों में राजेश किसी दुसरे हास्पिटल में प्रैक्टिस के लिए चला जाता है l सिर्फ रूबी और शुभ्रा ही रह जाते हैं l डेढ़ महीने बाद पुरे सहर में हंगामा मच जाता है कि प्रत्युष की हत्या उसके अपने घर में हो चुकी है और उसके माँ बाप ने यश वर्धन पर हत्या का आरोप मढ़ा है l
महीने भर की तहकीकात में यश को क्लीन चिट मिल जाता है l इस बारे में मीडिया वाले प्रत्युष के माँ बाप पर निजी रंजिश के चलते यश वर्धन को फांसने का आरोप लगा देते हैं l

फ्लैशबैक में विराम

रुप - हे भगवान... ऐसा कैसे हो सकता है... मतलब प्रत्युष को पहले से ही शक़ था... वह इतनी आसानी से छूट कैसे गया...
शुभ्रा - पहले वह प्रत्युष की माँ के गाड़ी के सामने एक्सीडेंट का नाटक किया... प्रत्युष की माँ उसे हस्पताल में एडमिट करा दिया... यह वह पहला सबूत था पुलिस के लिए.... और अपनी ही मेडिकल में एडमिट होकर... सिक्युरिटी को धोखा दे कर प्रत्युष के घर जा कर हत्या कर दिया... इसलिए पुलिस ने उसे क्लीन चिट दे दिया...
रुप - ओह माय गॉड... तो क्या वह गिरफ्तार नहीं हुआ...
शुभ्रा - हुआ... मैंने करवाया...
रुप - क्या... आपने...
शुभ्रा - हाँ... उसके तरीके को... उसीके ऊपर आजमाया मैंने...
रुप - मतलब.. मेरा मतलब कैसे...
शुभ्रा - (थोड़ी देर चुप रहती है) (फिर एक गहरी सांस छोड़ते हुए) प्रत्युष की मौत ने मेरे दिल पर गहरी छाप छोड़ा था... आख़िर ढाई साल तक दोस्ती थी हमारी... और उसने मरने से पहले... अपनी लॉकर की चाबी दी थी... मैं यह बात राजेश को नहीं बताई... इसलिए मैंने एक दिन फैसला किया कि यह बात मैं... तुम्हारे भैया से कहूँगी... इसलिए एक दिन मैंने उन्हें जिद करके मिलने बुलाया...

फ्लैशबैक शुरु

मुंडुली बैरेज की रेतीली पठार पर शुभ्रा इंतजार कर रही है l थोड़ी देर बाद विक्रम अपनी गाड़ी से वहाँ पहुँचता है l शुभ्रा उसे देखते ही गले से लग जाती है और फुट फुट कर रोने लगती है l

विक्रम - क्य... क्या हुआ.. शुब्बु... क्यूँ रो रही हो... (शुभ्रा के चेहरे को अपनी दोनों हाथों में लेकर) किसने मेरे शुब्बु को रुलाया है... एक बार उसका नाम कह दो... मैं उसे इन आँखों में आंसू लाने के जुर्म में बहुत गहरी सजा दूँगा....

फिर भी शुभ्रा उसे कुछ कहने के वजाए सुबकती रहती है l कुछ देर बाद चुप हो कर उसे प्रत्युष के बारे में बताती है, और उस लॉकर बात बताती है l सब सुनने के बाद

विक्रम - देखो जान... प्रत्युष ने ठीक ही कहा था... पहले आप अपनी पढ़ाई पूरी करो... बाद में हम दोनों मिल कर उस यश वर्धन का काम तमाम कर देंगे... अभी वह बहुत चौकन्ना होगा... इसलिए अभी उसके नजर में मत आओ... वरना जो आप करना चाहती हो... वह नहीं कर पाओगे... पहले आपकी मेडिकल खतम हो जाने दो... फिर आप जो कहो हम वह करेंगे...
शुभ्रा - तब तक क्या यश को उसकी मनमानी करने देंगे...
विक्रम - आप समझने की कोशिश लीजिए.... वह अभी कुछ महीने के लिए हर संभव खुदको क्लीन रखेगा... जब सब मामला ठंडा पड़ जाएगा... तभी वह फिर से अपना धंधा शुरु करेगा... इसलिए... हम कितनी भी कोशिश कर लें... उसे कानूनन सजा नहीं दिलवा सकते हैं... सो... आप मेरी बात मानिए और मेडिकल खतम होने दीजिए....
शुभ्रा - (कुछ देर सोचती है फिर विक्रम को कस के पकड़ लेती है) ठीक है... जैसा आप कहें...
विक्रम - वेरी गुड... अब ठीक है... अच्छा चलिए अब घर चलते हैं...
शुभ्रा - (शर्मा कर मुस्करा देती है) नहीं... कुछ देर मुझे ऐसे ही रहने दीजिए ना... पुरे तीन साल के बाद मिल रहे हैं...
विक्रम - ऐसे रहने में हमे कोई प्रॉब्लम तो नहीं है पर....
शुभ्रा - (और कस के विक्रम के सीने से लग जाती है) पर क्या...
विक्रम - हम तीन साल बाद ऐसे वीराने में मिल रहे हैं... आपको लगता है कि मुझसे कंट्रोल होगा...
शुभ्रा - (शर्मा कर अपना चेहरा विक्रम के सीने में छुपा लेती है) मैंने आपको रोका तो नहीं है...
विक्रम - हाँ रोका तो नहीं है... पर (विक्रम शुभ्रा को कस के पकड़ लेता है) इस रेत के ऊपर प्यार करने से... आपके कपड़े खराब हो जाएंगे... और गाड़ी के अंदर जगह कंफर्ट नहीं होगा...
शुभ्रा - (अपनी दांतों से विक्रम की सीने पर काटती है)
विक्रम - आह... (शुभ्रा के चेहरे को अपने दोनों हाथों से उठाता है, शुभ्रा की आँखे बंद हैं और होंठ थरथरा रहे हैं ) ओह माय गॉड शुब्बु... आप कितनी खूबसूरत हैं... (धीरे से) चूम लूँ...
शुभ्रा - (अपनी आँखे खोलती है) मैं आपकी सिर्फ़ प्रेमिका नहीं हूँ... पत्नी भी हूँ... आपकी में अर्धांगिनी सही... पर मैं तो पुरी की पुरी आपकी हूँ...

और ज्यादा कुछ कह नहीं पाती विक्रम उसके होंठो को अपने होठों से बंद कर देता है l फिर शुभ्रा की आँखे बंद हो जाती हैं l विक्रम की चुंबन धीरे धीरे जंगली होती जाती है l अब शुभ्रा की सांस उखड़ने लगती है उसे बर्दास्त नहीं हो पाती वह विक्रम से ख़ुद को अलग करने की कोशिश करती है l पर विक्रम की ताकत के आगे उसकी नहीं चलती l विक्रम उसके होंटों को छोड़ कर अब उसके गालों पर और गले पर चुम्बनों की झड़ी लगा देता है l शुभ्रा अपनी दोनों हाथों से विक्रम को धक्का देती है और अलग हो जाती है l लंबी लंबी सांसे लेने लगती है जैसे कोई मैराथन दौड़ कर आई हो l विक्रम देखता है शुभ्रा की होंठ के किनारे से खून निकल रहा है l

विक्रम - स.. स.. सॉरी... शुब्बु... वह मैं...
शुभ्रा - (पहले अपनी आँखे सिकुड़ कर देखती है फिर हँसती है) ओह गॉड... विकी... आपकी प्यार करने की स्टाइल एकदम जंगली है...
विक्रम - सॉरी.. जान... वह आप हैं ही इतनी सुंदर के...
शुभ्रा - देखिए ना आपने क्या कर दिया.... (अपने होठों को दिखाते हुए)
विक्रम - ठीक है जान... अब मुझसे आप वादा करो... के जब तक आपकी मेडिकल खतम नहीं हो जाती... इस मैटर पर आप आगे नहीं बढ़ोगी...
शुभ्रा - वह तो ठीक है... हम जब अगली बार मिलेंगे... तब क्या होगा...
विक्रम - तब एक काम करते हैं...
शुभ्रा - क्या...
विक्रम - जिस दिन अगली मुलाकात होगी... वह जगह किसी आलिशान होटल के रॉयल शूट में होगी...
शुभ्रा - (शर्माते हुए) विकी जी... मुझे आपके इरादे नेक नहीं लग रहे हैं...
विक्रम - अब फिर से दो साल बाद हमारी अगली मुलाकात होगी... तब अपनी प्रेमिका से नहीं... पत्नी से मुलाकात करना चाहते हैं...
शुभ्रा - आप मुलाकात करेंगे या... (शर्मा के और कह नहीं पाती)
विक्रम - आज जो कसर रह गई... उस दिन हम पुरा कर देंगे...
शुभ्रा - छी... (कह कर अपनी गाड़ी की तरफ भाग जाती है) (और अपनी गाड़ी में बैठ कर जाते हुए) विकी आई लव यु... (चिल्लाते हुए कह कर चली जाती है)
Extraordinary update
 
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कहाँ हो भाई, कल का बोल कर अभी तक कोई खबर भी नही।
 

Kala Nag

Mr. X
Prime
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👉उनहत्तरवां अपडेट
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विक्रम से मिलकर आने के बाद शुभ्रा काफी हद तक नॉर्मल हो गई थी l वह खुशी खुशी अपने घर में पहुँचती है कि उसकी मम्मी उसे एक पार्सल थमा देती है

शु.म - यह ले.. पता नहीं आए दिन ऑनलाइन से क्या क्या मंगाती रहती है ... मेडिकल पढ़ रही है इसलिए चुप हूँ वरना... ऐसी फिजूल ख़र्च के लिए हाथ पैर तोड़के एक कोने में बिठा देती... हूँ.. ह्...

इतना कह कर शु.म पार्सल दे कर चली जाती है l पार्सल देख कर शुभ्रा हैरान हो जाती है l वह याद करने की कोशिश करती है कब उसने कौनसी प्रोडक्ट के लिए ऑनलाइन ऑर्डर किया था, पर उसे कुछ भी याद नहीं आता l तभी उसकी फोन बजने लगती है l फोन पर विक्रम का नाम देख कर फोन उठाती है l

शुभ्रा - हैलो...
विक्रम - आपको पार्सल मिल गई...
शुभ्रा - क्या... यह आपने भिजवाया है...
विक्रम - हाँ आपकी सुरक्षा के लिए...
शुभ्रा - क्या... सुरक्षा के लिए...
विक्रम - हाँ जान... उस पार्सल में एक घड़ी है... वेयर हेल्थ की... पर उसमें हमारी सिक्युरिटी कंपनी ने मोडिफाइ कर एक इसे स्पाय वाच बना दिया है... उस बॉक्स में एक कंप्युटर जेनेरेट मैनुअल होगा... उसमें लिखे हर इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते जाइए...
शुभ्रा - (घबरा कर) पर यह घड़ी मुझे क्यूँ दे रहे हैं... और इसमे क्या फायदा है...
विक्रम - शांत.. आप पहले शांत हो जाए... देखिए... आप हमारे लिए बहुत मायने रखते हैं.... हम नहीं चाहते हैं कि आप को यश से किसी भी तरह का खतरा हो... इसलिए यह एक प्रिकौशन है...
शुभ्रा - पर...
विक्रम - प्लीज... हमारे खातिर...
शुभ्रा - आप ऐसे ना कहिए... आपके लिए कुछ भी... पर इससे मेरी सिक्युरिटी कैसे होगी...
विक्रम - जान.. यह घड़ी नैनो टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है... इसमें माइक, रिकॉर्डर और जीपीएस है... इसकी ऐप आप अपने मोबाइल पर इंस्टॉल करते ही... यह मेरे मोबाइल से जुड़ जाएगा... आपकी हर खबर मुझ तक पहुंचाएगा...
शुभ्रा - ओ.. विकी... आप कितने अच्छे हैं... आपसे मिलकर घर पहुँची भी नहीं... आपने मेरे लिए यह गैजेट् भेज दी... मुझे नाज़ है आपने प्यार पर...
विक्रम - और मुझे भी...
शुभ्रा - लव यु..
विक्रम - लव यु ठु माय लव...

इतना कह कर विक्रम फोन काट देता है l शुभ्रा अपने फोन को पहले चूमती है और फिर पार्सल से घड़ी निकाल कर उसकी ऐप को मोबाइल में लोड कर देती है l

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

रुप - ओ.. तो यह है वह स्पाय वाच की कहानी...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - भाभी... प्रत्युष के माता पिता से मिलने की कभी आपने कोशिश नहीं की...
शुभ्रा - नहीं... नहीं की... क्यूंकि तुम्हारे भाई को अंदेशा था... यश जरूर उनसे मिलने वालों की खबर रखता होगा... इसलिए उन्होंने कहा कि... पहले मेडिकल खतम कर लो ... बाद में मिल लेना...
रुप - ओ.. फिर आपके वह दोस्त.. मेरा मतलब है... राजेश और रूबी...
शुभ्रा - राजेश तो किसी और हॉस्पिटल में प्रैक्टिस के लिए चला गया था... पर हाँ... प्रत्युष के देहांत के बाद... रूबी से कभी मुलाकात नहीं हो पाई थी... एक दिन मुझे खबर मिली कि उसनें स्लीपिंग पिल्स ले लिया है.... और उसे मेडिकल कॉलेज में ही एडमिट करा दिया गया है... यह खबर मिलने के बाद मैं मेडिकल के स्पेशल वार्ड में उससे मिलने गई... पर जब मुलाकात हुई...

फ्लैशबैक शुरू

हॉस्पिटल के स्पेशल वार्ड में रूबी बेड पर आँखे मूँद कर लेटी हुई है l शुभ्रा उसके पर बैठती है और रूबी के कंधे पर शुभ्रा हाथ रखती है तो रूबी चौंक कर अपनी आँखे खोल कर शुभ्रा को देखती है l

शुभ्रा - हाय रूबी... कितने दिन हो गए हमे मिले हुए...और यह तुमने ऐसा क्यूँ किया.... अब कैसी हो...
रूबी - (शुभ्रा को घूर के देखते हुए) कैसी लग रही हूँ...
शुभ्रा - क्य... क्या बात है... तुम इतनी उखड़ी हुई क्यूँ लग रही हो...
रूबी - हूँ... उखड़ी हुई... साँस अभी तक उखड़ी नहीं है... खैर... छोड़ो... तुम बताओ... तुम्हें इतने दिन क्यूँ लग गए... मुझसे मिलने के लिए...
शुभ्रा - (चुप हो जाती है)
रूबी - मैं जानती हूँ... डर.. और मुझे भी इसी डर ने तुम्हारे सामने आने नहीं दिया...
शुभ्रा - सॉरी यार...
रूबी - और जानती हो शुभ्रा... इसी डर ने मुझे कुछ कड़वे सच से रुबरु कर दिया...
शुभ्रा - कैसा सच...
रूबी - (चुप रहती है)
शुभ्रा - क्या... राजेश से कोई... अनबन हुआ है...
रूबी - अनबन.. हँह्हँह्... बात बनी ही कब थी...
शुभ्रा - क्या... क्या मतलब है तुम्हारा...
रूबी - वह वक्त... वह लम्हा बहुत ही खूबसूरत था... जब उसने प्रपोज किया और मैंने एक्सेप्ट किया... हमारे इस रिलेशन में.. मैं बहुत सीरियस थी... बट फॉर हिम आई वज टाइम पास.... प्रत्युष के एक्सपायर होने के बाद... राजेश दुसरे हास्पिटल चला गया प्रैक्टिस के लिए... और वहाँ पर उसे एक और टाइम पास मिल गई...
शुभ्रा - व्हाट... राजेश ऐसा निकला...
रूबी - शुभ्रा... सीरियसली... एक जवाब दोगी...
शुभ्रा - (उसे घूरती है)
रूबी - आर यु इन लव...
शुभ्रा - (हैरान हो कर ना में सिर हिलाती है)
रूबी - अच्छा है... लेट बी प्रैक्टिकल... यह प्यार व्यार सब ढकोसले हैं... प्यार में जिसे दिल कहते हैं... मेडिकल टर्म में वह एक मुट्ठी भर का मांस का लोथड़ा है जो हर इंसान के बाएं कंधे के कुछ नीचे धड़कता रहता है... प्यार लव जैसी घटिया चीज़ को इसके साथ रिलेट मत करना... वरना.. जीना मुश्किल हो जाएगा... इन पाँच सालों में मुझे जो समझ में आया... वह यह है कि... प्यार एक भरम है... और रिश्ता एक अंडरस्टेंडिंग है... बस... दुनिया में वही प्यार अमर हुए हैं... या याद किए जाते हैं... जो हद से तो गुजर जाए... पर नाकाम हो गए... क्यूंकि कामयाब प्यार कभी याद नहीं किया जाता है... वजह... प्यार कभी कामयाब होता ही नहीं है....
शुभ्रा - (रूबी की बातों को हैरान हो कर सुन रही थी)
रूबी - यह मैं अपनी पर्सनल एक्सपेरियंस से कह रही हूँ... आगे तुम्हारी जिंदगी... तुम्हारी मर्जी...
शुभ्रा - रा... राजेश... ने..
रूबी - वह जहां भी रहे... मेरी दिल से दुआ है... वह बस खुश ही रहे... (कहते कहते सुबकने लगती है) जानती हो... मैं जानती हूँ.. वह जो भी कहा है सब झूठ है... पर अगर यही किस्मत में लिखा है... तो यही सही... मैं उससे दूर रह कर उसके लिए सिर्फ दुआ करती रहूंगी...

इतना कह कर रूबी अपना चेहरा घुमा लेती है और चुप हो जाती है l शुभ्रा उसे कैबिन में रूबी को उसकी हालत में छोड़ कर और कोई क्लास किए वगैर बाहर चली जाती है l शुभ्रा पसोपेश में रहती है कि रूबी ने यह क्या दिया l वह बिना देरी किए राजेश को फोन लगाती है l राजेश की फोन बजती तो है, पर राजेश उठाता नहीं है l दो तीन बार कोशिश करती है और परिणाम वही l खीज कर शुभ्रा अपनी गाड़ी से घर की ओर निकलती है l बीच रास्ते में उसकी फोन बजने लगती है तो वह किनारे पर लगा कर फोन को देखती है l एक अनजाना फोन नंबर दिखती है l फोन पीक करती है l

शुभ्रा - हैलो...
- हाँ शुभ्रा बोलो... क्यूँ फोन किया था...
शुभ्रा - (हैरान हो कर) राजेश...?
राजेश - हाँ मैं ही हूँ...
शुभ्रा - यह.. क्या.. तुम्हारा नया नंबर है...
राजेश - नहीं... किसी और का है... क्या कोई जरूरी काम है...
शुभ्रा - हाँ.. मिलना चाहती थी मैं तुमसे...
राजेश - किस लिए...
शुभ्रा - बस काम था तुमसे... क्यूँ मिलना नहीं चाहते मुझसे...
राजेश - नहीं ऐसी बात नहीं है... पर...
शुभ्रा - पर क्या...

राजेश फोन काट देता है l शुभ्रा उसे बार बार फोन लगाती है पर कोई तब तक कॉल फॉरवर्ड हो चुका था l शुभ्रा सोच में पड़ जाती है, राजेश के अजीब बर्ताव पर l तभी उसके मोबाइल पर एक मैसेज आती है l राजेश के उसी नए नंबर से

" तुम अब मुझसे मिलने की कोशिश मत करो l मैं यहाँ बुरी तरह से घिरा हुआ हूँ l मुझ पर नजर रखी जा रही है l मुझसे मिलने की कोशिश में खुद को खतरे में मत डालो l और कभी मुझसे मिलने की कोशिश मत करना"

शुभ्रा यह पढ़ कर हैरान हो जाती है और सोचने लगती है "क्या राजेश ने खतरा कहा... मतलब.. कहीं यश... पर कैसे... और कब से... राजेश ने क्या इसलिए रूबी को खुद से दूर कर दिया.... हे भगवान यह क्या हो रहा है... क्या इस बारे में विकी जी से बात करूँ.... पहले घर चलती हूँ...

यह सोचते सोचते शुभ्रा घर पहुँचती है l शुभ्रा को रूबी की बातों से बुरा लगा था इसलिए ज्यादा देर तक वह मेडिकल में रुक नहीं पाई थी l घर में आकर अपने कमरे में पहुँच कर वह मन में थोड़ा थोड़ा डरने लगती है l उसे यह समझ में नहीं आता के क्यूँ,.. क्यूँ राजेश और रूबी के बीच ब्रेकअप हो गया l रूबी की बातों से उसे लग रहा है शायद राजेश का ही दोष होगा l वह अपनी माँ के पास जाती है


शुभ्रा - मम्मी ओ मम्मी...

शु.म - क्या है...
शुभ्रा - पापा कहाँ हैं...

शु.म - तेरे पापा पार्टी अध्यक्ष हैं... और आगे चुनाव आने वाले हैं... इसलिए बहुत बिजी हैं आज कल... लेकिन तु क्यूँ ढूंढ रही है अपने बाप को...
शुभ्रा - मम्मा... आज चलो ना फिर... हम बाहर चलते हैं... थोड़ा घूमेंगे फिरेंगे... फिर बाहर किसी होटल में खाना खाकर आयेंगे...
शु.म - (शुभ्रा की बात सुनकर कुछ सोचने लगती है)
शुभ्रा - क्या सोचने लगी मम्मी...
शु.म - यही... की खाने के लिए कौनसा होटल बढ़िया रहेगा...
शुभ्रा - (खुशी से उछलते हुए अपनी मम्मी के गालों को चूम लेती है) मेरी अच्छी मम्मी...
शु.म - ठीक है.. ठीक है... ज्यादा मस्का लगाने की जरूरत नहीं है... हम होटल ऐइरा में डिनर करेंगे....
शुभ्रा - ठीक है मम्मी...

शाम को शुभ्रा अपनी मम्मी के साथ जैसे ही होटल ऐइरा में पहुँचती है, उसे विक्रम की याद आती है l उसके चेहरे पर एक अलग खुशी छा जाती है l वह अपनी माँ की बांह थाम कर होटल की रेस्टोरेंट में आती है l शुभ्रा अपनी मम्मी को लेकर एक टेबल पर जाति है और वहाँ बैठ जाती है l तभी उसके कानों पर एक आवाज़ सुनाई देती है

- हैलो भाभी... (शुभ्रा इधर उधर देखती है, तो थोड़ी दूर पर राजेश अपने परिवार के साथ बैठा हुआ है और यह आवाज उसके छोटे भाई रॉकी की थी)
सुमित्रा - क्या बात है अध्यक्षा...(दोनों के पास आकर) माँ बेटी दोनों यहाँ... बिरजा भाई साहब कहाँ हैं.
शु.म - नहीं सुमित्रा बहन... वह पार्टी ऑफिस में बहुत बिजी हैं... इसलिए हम माँ बेटी यहाँ आए हैं..
सुमित्रा - तो फिर आप दोनों हमे क्यूँ जॉइन नहीं करते..

इससे पहले शुभ्रा कुछ कह पति तभी शुभ्रा की मम्मी

शु.म - हाँ हाँ क्यूँ नहीं

शुभ्रा बेमन व गुस्से से अपनी माँ को देखती है, उसकी माँ सुमित्रा के साथ चली जाती है तो मजबूर होकर शुभ्रा भी पीछे पीछे चलके उनके टेबल पर बैठ जाती है

रॉकी - आइए भाभी...(शुभ्रा उसे गुस्से से घूर कर देखती है)
राजेश - (रॉकी से) यह क्या बत्तमीजी है... रॉकी..
रॉकी - उसमें बत्तमीजी कहाँ से आ गई...

रमेश - (बात को बढ़ते देख) ओह... स्टॉप इट... यह होटल है... घर नहीं... (शुभ्रा से) आई कैन अंडरस्टैंड... पर उस दिन की तरह भाग मत जाना... उस दिन जितनी गलती बिरजा भाई की गलती थी... उतनी हमारी भी थी..
शुभ्रा - (बात को समझते हुए मुस्कराने की कोशिश करती है)

शुभ्रा खुद को नॉर्मल करने की कोशिश करते हुए पाढ़ी फॅमिली की ओर देखती है l पाढ़ी दंपति शुभ्रा की एक आस भरी नजर से देख रहे हैं l रॉकी के चेहरे पर खुशी झलक रही है पर राजेश उससे नजरें मिलाने से कतरा रहा है

शुभ्रा - (रमेश से) अंकल... मैं राजेश से पर्सनली कुछ बात करना चाहती हूँ..
रमेश - ठीक है... जाओ बाहर लॉबी में जाओ... या गार्डन में जाओ... बात करो एक दुसरे से...
शु.म - हाँ हाँ.. एक दुसरे को समझो...

शुभ्रा अपनी माँ को गुस्से से देखती है l शु.म सकपका जाती है और सुमित्रा की ओर देख कर मुस्कराने लगती है l शुभ्रा राजेश को इशारे से बाहर चलने को कहती है, यह देख क

रॉकी - भैया आप बिंदास जाओ... टैग अभी लगे या बाद में... हर शादी शुदा आदमी जोरु का गुलाम ही कहलाता है..

सभी यह सुन कर हँसते हैं l शुभ्रा आगे आगे बाहर की ओर जाती है और राजेश उसके पीछे पीछे l दोनों होटल के पीछे वाले गार्डन में आते हैं

शुभ्रा - व्हाट इज़ दिस राजेश... यह तुम्हारा भाई बार बार मुझे भाभी क्यों कह रहा है... और तुमने.... रूबी को डिच किया... व्हाए...
राजेश - देखो शुभ्रा... कुछ भी... कुछ भी रिएक्ट करने से पहले ध्यान से मेरी बात सुनो... मैं अब मछली की तरह यश के जाल में फंसा हुआ हूँ...
शुभ्रा - व.. व्हाट... यह... यह कब हुआ और क्यूँ...
राजेश - तुम जानती हो... प्रत्युष के चले जाने के बाद... मैं xxx हॉस्पिटल में प्रैक्टिस के लिए जॉइन किया था अचानक मुझे उस हॉस्पिटल की मैनेजमेंट ने पीजी का ऑफर दिया... अच्छी स्टाइपेंड पर... तो मैं उनके शर्तों पर तैयार हो गया... और मैंने एग्रीमेंट साइन किया... पर कुछ ही दिनों बाद... असलियत सामने आई... उस हस्पताल में यश वर्धन का भी शेयर है... इसलिए उस मेडिकल के मैनेजमेंट में भी उसकी चलती है... पर तब तक देर हो गयी थी...
शुभ्रा - यश को शक़ कैसे हुआ...
राजेश - अभी भी उसे सिर्फ शक़ है... चूँकि मैं प्रत्युष का सबसे अच्छा दोस्त था... इस आधार पर उसे सिर्फ शक़ है... और वह मुझे ऑब्जर्व कर रहा है... अभी तक तो मैं सेफ हूँ.... क्यूंकि... अभी तक मैंने ऐसी कोई हरकत नहीं की... जिसके वजह उसका शक़ यकीन में बदल जाए...
शुभ्रा - क्या इसलिए तुमने रूबी को...
राजेश - हाँ... मेरी वजह से उसकी जान पर खतरा हो सकता था... या यूँ कहो सबकी... इसलिए तो मैंने तुमसे किसी और की मोबाइल पर सिर्फ मैसेज किया....
शुभ्रा - वह तो ठीक है पर... यह तुम्हारा भाई रॉकी बार बार मुझे भाभी क्यूँ कह रहा है...
राजेश - वह असल में... (कहते कहते चुप हो जाता है)
शुभ्रा - देखो मुझे साफ साफ कहो...
राजेश - (धीरे से) आर यु ऐनगेज्ड...
शुभ्रा - (तुनक जाती है) व्हाट डु यु मिन... (फिर भवें सिकुड़ कर) वेट वेट... कहीं रूबी को डिच तुम... मेरा नाम लेकर तो नहीं किया...
राजेश - (कुछ नहीं कहता अपना सिर झुका लेता है)

शुभ्रा को गुस्सा आ जाता है और वह राजेश को एक थप्पड़ मार देती है l

शुभ्रा - यु स्कौंड्रल... तुमने मुझसे पहले दोस्ती की... और अब यह सिला दे रहे हो....(और एक बार हाथ उठाती है)
राजेश - (उसका हाथ पकड़ लेता है) बस... मैंने तुम्हारे साथ दोस्ती की है..... पर वह मर्यादा नहीं लांघा है... हाँ मैंने तुमको आगे रख कर रूबी के साथ धोखा किया है.... पर तुम्हारा नाम रूबी के सामने नहीं लिया है... मुझ पर घर में शादी के लिए जोर डाल रहे थे.... एक दिन घर पर था तभी रूबी की फोन आयी थी... तो मैंने सिर्फ यह कह कर ब्रेकअप कर लिया के... चार साल पहले मेरे माँ बाप ने जहाँ मेरी शादी तय की थी... मैं उनके मर्जी से वहीँ शादी करूंगा... क्यूंकि यह बात घर वालों के सामने हुआ था... इसलिए घर वाले तुमको ही डाऊट करने लगे... और कुछ नहीं...
शुभ्रा - (गुस्से से राजेश को देखते हुए) चार साल पहले की बात.... रूबी कैसे और कितना जानती है...
राजेश - यही... के मेरे मम्मी पापा एक जगह मेरी शादी तय करने ले गए थे... मैंने मना कर दिया था...
शुभ्रा - (कुछ नहीं कहती और राजेश को घूरते हुए देखती है) फिर मेरे ऐनगेज्ड होने की बात कहाँ से आ गई...
राजेश - बस यूँही... शुभ्रा... अगर किसीसे प्यार नहीं किया है... तो दोस्ती के नाते सलाह दे रहा हूँ... कभी प्यार मत करना... यह... यश एक कभी ना बुझने वाली आग है... जो हमेशा जलाता ही रहता है... कोई बता कर प्यार करता है... कोई जता कर प्यार करता है... पर मैं रूबी को खुद से दूर करते हुए प्यार करता हूँ... और कभी ना बुझने वाली इस आग में जल रहा हूँ... और उसके लिए दुआ कर रहा हूँ....
शुभ्रा - (अब उसे हैरान हो कर देखती रहती है)
राजेश - अब चलें...
शुभ्रा - (अपना सिर ना में हिलाती है) तुम जाओ राजेश...
राजेश - ठीक है... तुम्हारा मुड़ बिगड़ गया है... समझ सकता हूँ... हाँ... तुम्हें कहीं जाना है तो जाओ... तुम्हारे मम्मी को मैं घर ड्रॉप कर दूँगा...

शुभ्रा कुछ नहीं कहती है l अपना मुहँ दुसरी ओर फ़ेर लेती है l राजेश भी शुभ्रा के ज़वाब के इंतजार किए वगैर वहाँ से चला जाता है l शुभ्रा रूबी और राजेश के बारे में सोचते हुए गार्डन में एक चेयर पर बैठ जाती है l खुद से ही सवाल करने लगती है l

"यह कैसा प्यार है... राजेश रूबी से प्यार करता है... उसकी सलामती के लिए उसे खुद से दूर कर दिया... और रूबी टूटने के बाद भी राजेश के लिए मन में गुस्सा तो है पर नफरत नहीं करती... दोनों एक दुसरे के लिए प्यार को सिर्फ अपने दुआओं सिमट लिया है.......
मेरा प्यार... क्या.... मेरे प्यार में भी इतनी गहराई है... हाँ हाँ.. मेरा प्यार सबसे अच्छा और सच्चा है... हम दोनों भी तो प्यार के कड़ी इम्तिहान से गुजर रहे हैं... (अपनी घड़ी को देखने लगती है) कितना प्यार करते हैं मुझसे विकी... मेरी हिफाजत के लिए यह घड़ी भी दी है..."

यह सोचते हुए शुभ्रा के होठों पर मुस्कान नाच उठती है l तभी उसके कानों में कहीं पर झगड़ा होने की आवाज़ पहुँचने लगती है l शुभ्रा उस शोर की जाती है तो देखती है कि एक खूबसूरत लड़की एक आदमी की गिरेबां पकड़ कर

लड़की - तुमने मुझे बर्बाद कर दिया है... मैं तुम्हें नहीं छोड़ुंगी...
आदमी - कमीनी... तेरे में जितनी रस था सब निचोड़ चुका हूँ... बचा क्या है तुझ में... चल निकल... (लड़की के हाथ से अपनी गिरेबां को छुड़ा कर)
लड़की - मिस्टर यश वर्धन... (यह नाम सुनते ही शुभ्रा के कान खड़े हो जाते हैं) मैं तुम्हें तबाह कर दूँगी... तुम्हारा असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने ला दूंगी... (शुभ्रा तुरंत खुद को एक पेड़ के ओट में छुपा लेती है और मोबाइल से रिकॉर्डिंग शुरू कर देती है)
यश - दुनिया के लिए मिस... और कईयों के वन नाइट् मिसेस... कमीनी कुत्तीआ साली हरामजादी रंडी... निहारिका... जब तक तेरे बदन में रस ही रस था... तब तक मैंने तुझे उसके दाम भी दिए... और अपनी कंपनी के हर प्रॉडक्ट के लिए मॉडल बनाया... अब डार्लिंग... यह कंपटीशन मार्केट है... लाइन में ना जाने कितने इंतजार में खड़े हैं... तेरी जगह लेने के लिए... तो अब तेरी जरूरत नहीं है मुझे... तेरी कॉन्ट्रैक्ट खतम होते ही छोड़ दिआ...
निहारिका - तो मेरे दुसरे कॉन्ट्रैक्ट भी मुझसे क्यूँ छिन रहे हो...
यश - क्यूँकी मैं अब तुझे देख देख कर उब गया हूँ... इसलिए तुझे अपनी जिंदगी में ही नहीं... यहाँ तक किसी पोस्टर में भी नहीं देखना चाहता....
निहारिका - हूँह्... अपनी जाल में जिसे फंसाने के लिए तु यहाँ जिसे बुलाया था... मैंने उसे तेरी करतूत बता दी थी... इसलिए वह यहाँ नहीं आयी...
यश - कोई बात नहीं... मैंने जिस पर अपनी नजर इनायत की है... उसे अपने नीचे ला कर ही माना है... आज वह बच गई... तो कल अपने आप आयेगी मेरे नीचे... हा हा हा..
निहारिका - इतना खुश मत हो... यश वर्धन... ज़माना तुम्हारा असली चेहरा नहीं देखा है अब तक... मैं दिखाऊंगी... और बताऊंगी... तुम कोई फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के मालिक नहीँ हो... बल्कि एक ड्रग् सिंडिकेट के भड़वे हो... जो अपनी दवाई कंपनी के आड़ में ड्रग्स स्मगल कर रहा है... और बचे हुए ड्रग्स को अपनी दवा कम्पनी के जरिए पेशेंट में खपा रहे हो.... और तुम्हारे इस काम को अंजाम देने के लिए तुम्हारा बाप हेल्थ मिनिस्टर बना हुआ है...
यश - श्श्श्श्श्श... जानती है... यह बात.... किसने बताने की जी जान से कोशिश की थी... तो मैंने उसे जहन्नुम भेज दिया... तु तो सब जानती है ना... कुछ भी कर ले... जितना ज्यादा चिल्लाएगी मेरे लिए उतना ही आसान होगा... तु खुदको किसी पागल खाने में पाएगी... चल तुझे पूरा मौका देता हूँ... मेरे खिलाफ जो कर सकती है कर ले...

कह कर यश वहाँ से चला जाता है l उसके जाते ही शुभ्रा अपनी रिकॉर्डिंग बंद कर देती है l वह धीरे धीरे निहारिका की पास जाती है l

शुभ्रा - अहेम.. अहेम.. (खरासती है)
निहारिका - (शुभ्रा को देख कर पहले चौंक जाती है, फिर संभलते हुए) क... क... क्या बात है... यहाँ क्या कर रही हो...
शुभ्रा - कमाल है... यह सवाल तो मुझे तुमसे पूछना चाहिए था...
निहारिका - मैं.. मैं यहाँ किसीका इंतजार कर रही हूँ...
शुभ्रा - और वह... तुम्हें बेइज्जत करके चला गया है...
निहारिका - दैट्स नॉन ऑफ योर बिजनैस...
शुभ्रा - खैर... मेरा नाम शुभ्रा है... यह मेरा नंबर है... 9××× आगे तुम्हारी मर्जी...
निहारिका - तुम कौन हो... और...
शुभ्रा - फैन तो बिल्कुल नहीं हूँ... हाँ तुम्हारी मदत जरूर कर सकती हूँ...
निहारिका - ठीक है... याद रखूंगी... (कह कर वहाँ से चली जाती है)

शुभ्रा वापस रेस्टोरेंट में आकर देखती है कोई भी वहाँ पर नहीं था l इसलिए पार्किंग में आकर कार में बैठ कर घर लौट जाती है l

फ्लैशबैक में विराम

रुप - यह तो गजब हो गया... क्या इत्तेफाक था... पाढ़ी परिवार का पार्टी दो बार उसी होटल में आपने स्पॉइल कर दिया.. और कमाल की बात है के आपको उसी होटल में यश के खिलाफ सबूत भी मिल गया...
शुभ्रा - वह इत्तेफ़ाक नहीं था...
हमारी और पाढ़ी परिवार का मिलना मेरी मम्मी का प्लान था... बाकी मुझे राजेश से जानकारी लेनी थी... वह इत्तेफाक रहा... और एक इत्तेफाक... उस रोज होटल ऐइरा में यश ने पोलिटिकल रियुनीयन पार्टी दे रहा था... उसी होटल में उसे लड़ने निहारिका आ पहुँची थी... मेरे हाथ एक सबूत दे गई... पर आज के डिजिटल युग में यह सबूत काफी नहीं था... यह मैं जानती थी... इसलिए मैंने इस सबूत को दुसरे काम के लिए इस्तमाल किया...
रुप - दुसरे काम में मतलब...
शुभ्रा - मैं उस दिन देर शाम को जब घर पहुँची... तो शिकायत का पिटारा लेकर मम्मी को पापा के कान भरते देखा... जैसे ही पापा मुझ पर भड़क कर मेरे मैनर... और बिहेवियर पर सवाल खड़ा किया... मैंने भी पलट वार करते हुए उनकी और उनके पार्टी पर मैनर और बिहेवियर पर हमला बोल दिया.... उस दिन मैंने पापा की जमकर क्लास ली... उन्हें उनके पार्टी के आईडोलॉजी पर सवाल खड़ा कर दिया... उस रात पापा राजेश के लिए मेरी क्लास लेने के फ़िराक़ में थे... मैं उल्टा वह वीडियो दिखा कर पापा की क्लास लगा दी...
रुप - फिर...
शुभ्रा - फिर... फिर... अगले दिन मुझे पता चला कि... मेरी छोड़ी हुई तीर बिल्कुल निशाने पर लगी थी...
रुप - मतलब...

फ्लैशबैक शुरु

सुबह शुभ्रा की नींद उसके मोबाइल फोन की रिंग से टुट जाती है l वह फोन को बिना देखे उठाती है l

शुभ्रा - (नींद में ही) हैलो....
- हैलो... जान... गुड मॉर्निंग...
शुभ्रा - (नींद में ही खुश होते हुए) विकी जी... इतनी सुबह सुबह...
विक्रम - बस आप की याद आ रही है...
शुभ्रा - हूँ.म्म्म्म... लव यु विकी जी...
विक्रम - आपके लिए एक तोहफा है...
शुभ्रा - (अचानक अपने बेड पर बैठते हुए) सच... बताइए ना क्या तोहफा है...
विक्रम - तोहफा है... और सरप्राइज भी... बस आपको देखना होगा...
शुभ्रा - बोलिए कब आना है... आई एम क्वाइट एक्साइटेड... बस अपना नास्ता खतम किजिये... और हस्पताल जा कर क्लास अटेंड कीजिए... उसके बाद... आपके मैसेज बॉक्स में एक मैप मिल जाएगा... उसे फॉलो करते हुए आ जाइएगा... आपके दीवाने हैं... आपके इंतजार में है...
शुभ्रा - (खुशी से चहक कर) बस कुछ ही देर... मैं जल्दी तैयार हो कर निकलती हूँ....

शुभ्रा अपनी फोन काट देती है और उछलते कुदते हुए बाथरुम में घुस जाती है l तैयार होने के बाद नीचे नाश्ते के लिए उतरती है l नीचे नाश्ते के टेबल पर बिरजा पहले से ही बैठा हुआ था और किसी गहरे सोच में खोया हुआ था l जैसे ही वह टेबल पर शुभ्रा को देखता है तो

बिरजा - बेटी वह वीडियो जरा मुझे फॉरवर्ड करना....
शुभ्रा - ठीक है पापा... (कह कर मोबाइल निकालती है और वीडियो भेज देती है)

वीडियो मिलते ही बिरजा उस वीडियो को फिर से देखने लगता है l इतने में शुभ्रा जल्दी जल्दी नाश्ता खत्म कर बाहर अपनी गाड़ी में बैठ कर निकल जाती है l आज शुभ्रा कॉलेज में पहुँचते ही उसे फाइनल एक्जाम की शेड्यूल मिल जाती है l पुरे कॉलेज में ऐसे घूमने लगती है जैसे वह उड़ रही है l वह वापस आकर अपनी गाड़ी में बैठ जाती है और मोबाइल फोन में मैप ऑन कर देती है उसे फॉलो करते हुए एक बड़ी सी अपार्टमेंट के पास पहुँचती है l गाड़ी से उतर कर शुभ्रा उस अपार्टमेंट को देखती है l तभी वहाँ पर एक और गाड़ी पहुँचती है, गाड़ी से उतरकर उसके पास कुछ चल कर आते हैं l उन में से एक आदमी शुभ्रा के हाथ में कुछ डाक्यूमेंट्स देता है l

शुभ्रा - यह.. यह क्या है... और मुझे आप यह सब क्यूँ दे रहे हैं...
आदमी - इस अपार्टमेंट के उपर जो पेंट हाउस है... वह अब आपका है...
शुभ्रा - व्हाट... देखिए... आपको गलत फहमी हो रहा है... आप शायद मुझे कोई और समझ रहे हैं....
आदमी - आप सुश्री शुभ्रा सामंतराय हैं ना...
शुभ्रा - (हैरान हो कर) जी...
आदमी - तो वह पेंट हाउस... आपका ही है... (अपनी जेब से चाबियों का गुच्छा निकाल कर) यह रही उस घर की चाबी...

इतना कह कर वह आदमी वहाँ से चला जाता है l शुभ्रा हैरान हो कर विक्रम को फोन लगाती है पर उसका फोन नट रिचेबल आता है l वह उस अपार्टमेंट के एंट्रेस की ओर देखती है l उसे वहाँ पर एक वॉचमैन दिखता है l वह वॉचमैन जैसे शुभ्रा को अपने ओर देखते हुए पाता है वह सैल्यूट मारता है l शुभ्रा को समझ में नहीं आता कि वह क्या करे l कुछ देर युँही सोचते सोचते अपार्टमेंट की लिफ्ट की ओर जाती है l लिफ्ट में जाकर सबसे उपरी मंजिल की बटन दबाती है l उपर छत में पहुंच कर पेंट हाउस के दरवाज़े पर पहुँचती है l चाबियों के गुच्छे को ट्राय करती है और एक दो चाबी ट्राय करने के बाद एक चाबी से दरवाजा खुल जाता है l जैसे ही दरवाजे पर धक्का देकर अंदर आती है तभी छत के सीलिंग की फैन घूमने लगती है और उसके उपर फूलों की पंखुड़ियां गिरने लगती हैं l

- गुड आफ्टरनून जान...
शुभ्रा - (आवाज जी तरफ घूमती है) विकी... तो यह है आपकी सरप्राइज़...
विक्रम - क्यूँ पसंद नहीं आया...
शुभ्रा - (भाग कर विक्रम के गले लग जाती है) पर यह गिफ्ट... किसलिए...
विक्रम - हम तो चाहते हैं आपको हर रोज सरप्राइज दें...
शुभ्रा - पर यह क्यूँ...
विक्रम - यह हमारा प्यार का यादगार है... चलिए आज आप इस घर का एक नाम रखिए...
शुभ्रा - क्या...
विक्रम - हमारे प्यार की यादगार है... क्या आप नाम नहीं रखेंगे इसका...
शुभ्रा - (कुछ सोचती है) ठीक है.... सोच लिया..
विक्रम - अच्छा... क्या नाम सोचा है आपने...
शुभ्रा - पैराडाइस...
विक्रम - वाव... ब्यूटीफुल... बिल्कुल आपकी तरह...
शुभ्रा - पर आपने बताया नहीं... के क्यूँ लिया यह घर... जब कि आप तो एक बड़े विला में रहते हैं...
विक्रम - (चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ जाती है) हमने कहा था ना... अगली मुलाकात किसी होटल की रॉयल शूट में करेंगे...
शुभ्रा - (विक्रम से अलग होते हुए) ओ... तो जनाब चिड़िया फंसाने के लिए पेंट हाउस का दाना फेंका है...

विक्रम - (चेहरा बुझ जाता है अपना सिर झुका लेता है) शुब्बु... आप चाहें तो थप्पड़ मार लीजिए... पर हमारे प्यार को ताना तो ना मारिये...
शुभ्रा - ओ.. विकी.. मुझे आप माफ कर दीजिए... मैं तो आपकी टांग खिंच रही थी...
विक्रम - (अपनी चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कान के साथ) तो...
शुभ्रा - (थोड़ी भाव के साथ शर्माते हुए) तो...
विक्रम - ऑनऑफिसीयल शादी ही सही... पर शादी तो हुई है ना...
शुभ्रा - पर शर्त तो आपने ही रखी थी ना...
विक्रम - हाँ... वो तो है... पर आज आपकी मेडिकल फाइनल एक्जाम की... शेड्यूल तो निकल चुका है ना...
शुभ्रा - ओ... (विक्रम के गले में अपनी बाहें डाल कर) तो जनाब इसलिए इतना बेताब हैं... सब्र नहीं हो रहा है...
विक्रम - (शुभ्रा को अपनी बदन से चिपकाते हुए) क्यूँ... (शुभ्रा के आँखों में आँखे डालते हुए) आप नहीं हो बेताब...
शुभ्रा - (थरथराते हुए लंबी लंबी सांसे लेते हुए) हाँ हैं तो बहुत बेताब... शायद आपसे ज्यादा...

कहते कहते शुभ्रा के होठ विक्रम के होठों से सट जाती है l विक्रम भी झुक कर उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लेता है l फिर दो प्यासे प्रेमी अपने प्यास को बुझाने के लिए एक दुसरे को पागलों की तरह चूमने लगते हैं l विक्रम की हाथ धीरे धीरे नीचे की सरकने लगती है और दोनों हाथों में शुभ्रा के नितम्ब को कस कर ऊपर की ओर भिंचता है l शुभ्रा पर मदहोशी छाने लगती है वह एकदम से पागलों की तरह गहरी चुंबन लेने लगती है l उसके पेट पर विक्रम का खड़ा हुआ पुरुषांग चुभने लगती है जो उसके उत्तेजना को और भी भड़काने लगती है l दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने काटने लगते हैं l पर तभी दो प्रेमियों की ध्यान टुटता है l विक्रम की फोन बजने लगती है l दोनों आपस में चिपके हुए अपना चुम्बन तोड़ते हैं l विक्रम देखता है शुभ्रा का चेहरा खुशी और उत्तेजना से दमक रही है उसकी आँखे बंद है l विक्रम को एहसास होता है कि उसके दोनों हाथों ने शुभ्रा की गांड थामे हुए हैं l शुभ्रा को भी इस बात का एहसास होते ही शर्मा कर विक्रम से अलग हो जाती है l तब तक विक्रम की फोन की रिंग एक बार बंद हो कर दुबारा बजने लगती है l विक्रम अपनी सांसो को दुरूस्त करते हुए फोन देखता है l शुभ्रा देखती है फोन देख कर विक्रम की आँखे फैल गई है l
विक्रम शुभ्रा को वहीँ छोड़ कर बाहर छत में जाता है थोड़ी देर बाद आकर ड्रॉइंग रूम में टीवी ऑन करता है l टीवी पर एक ब्रेकिंग न्यूज चल रही है l

"रूलिंग पार्टी ऑफिस के सूत्रों से खबर मिली है कि श्री ओंकार चेट्टी चार वार के विजेता राज्य के भूत पूर्व स्वस्थ्य मंत्री को इसबार टिकट ना देने के लिए पार्टी अध्यक्ष बिरजा किंकर सामंतराय ने फैसला ले लिया है"
 
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