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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Kala Nag

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To in Sab ke peechhe Vishwa na hokar kk ka baap hai, Bahut Badhiya.
Lagta hai Kuchh to bada hone wala hai. Pratiksha rahegi kal ki
हाँ केके का पोलिटिकल बाप है
अब धीरे धीरे रोमांस कम होता जाएगा और रोमांचक होता जाएगा
धन्यबाद मित्र बहुत बहुत धन्यबाद
 

Mastmalang

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मित्रों परसों ही तो पोस्ट किया था
भाई इंसानी दिमाग से जितना हो पा रहा है कोशिश कर रहा हूँ
हो सका तो कल सुबह दस से ग्यारह बजे तक पोस्ट कर दूँगा
Kya Kare man hi nahi bharta
Jaise lagta hai ki parso nahi barso ho gaye
 

Kala Nag

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Kya Kare man hi nahi bharta
Jaise lagta hai ki parso nahi barso ho gaye
मैं एक अंक खतम होने पर आगे बढ़ाने के लिए दुसरे के लिए लिखता हूँ फिर एडिटिंग करता हूँ फिर पोस्ट करने की सोचता हूँ
फिर भी मुझे आप लोगों के भावनाओं का आदर भी है और सम्मान भी
कोशिश करूँगा
 

Sidd19

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मित्रों परसों ही तो पोस्ट किया था
भाई इंसानी दिमाग से जितना हो पा रहा है कोशिश कर रहा हूँ
हो सका तो कल सुबह दस से ग्यारह बजे तक पोस्ट कर दूँगा
Bhai take your time
 

Kala Nag

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👉तिरानवेवां अपडेट
--------------------
कटक सदर
चेट्टी निवास
घर के परिसर में सात गाडियों का एक काफिला आकर रुकने लगती है l तीन गाड़ी आगे और तीन गाड़ी पीछे, बीच वाली बड़ी सी गाड़ी को कवर करते हुए काफिला रुकती है l तीसरी गाड़ी में से कुछ गार्ड्स उतरते हैं और बीच वाले गाड़ी के पास जाकर खड़े हो जाते हैं l एक गार्ड गाड़ी की डोर खोलता है l महानायक पिता पुत्र बड़े ठाठ से उतरते हैं l दोनों चेट्टी निवास के अंदर जाने लगते हैं और सारे गार्ड्स गाड़ी के पास खड़े रहते हैं l केके और विनय जब अंदर पहुँचते हैं तो वहां पर मौजूद लोगों के चेहरे पर डर गुस्सा और शर्मिंदगी का मिला जुला भाव देखते हैं l

विनय - (बहुत धीरे से) डैड... कहीं चेट्टी अंकल.. सिधार तो नहीं गए...
केके - (दबी हुई आवाज में) चुप कर कमबख्त... (वहाँ पर खड़े एक दाढ़ी वाले आदमी से) चेट्टी सर जी कहाँ पर हैं...

वह आदमी अपना चेहरा उठा कर ऊपर की ओर इशारा करता है l उसे ऊपर की ओर इशारा करते हुए देख विनय

विनय - (चौंक कर) क्या... चेट्टी अंकल ऊपर सिधार गए... (रोते हुए) आँ.. हाँ.. आ..
वह आदमी - ऑए... यह क्या कह रहा है... चेट्टी साहब अपने ऊपर वाले कमरे में हैं...
विनय - ओ... (खुश होते हुए) ऊपर मतलब... ऊपर वाले कमरे में...
वह आदमी - हाँ...
विनय - वैसे... दाढ़ी वाले भाई... यहाँ तो खुशियाँ हल्ला गुल्ला शोर होना चाहिए था... पर मातम क्यूँ दिख रहा है...
वह आदमी - पता नहीं... हम जब आए... चेट्टी साहब... कुछ लोगों को... गाली देते हुए यहाँ से निकाल दिए... और खुद को कमरे में बंद कर रखा है...
विनय - ओ...

महानायक बाप बेटे सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर पहुँचते हैं l ऊपर चेट्टी ने खुद को जिस कमरे में बंद कर रखा था उस कमरे के सामने आठ दस लोग हाथ पर हाथ बांधे सिर झुकाए खड़े थे l महानायक बाप बेटे को देख वहाँ पर खड़े एक टकला आदमी कमरे का दरवाजा खट खटाता है l

चेट्टी - (चिल्लाते हुए) क्या है...
टकला - मालिक... वह.. केके साहब... और उनके बेटे आए हैं...

अंदर से कोई आवाज़ नहीं आती है l विनय और केके थोड़े हैरान होते हैं l क्लिक - टक आवाज के बाद दरवाजा खुलता है, पर चेट्टी उन्हें नहीं दिखता है l

चेट्टी - अंदर आ जाओ तुम दोनों...

केके और विनय दोनों अंदर आते हैं पर उन्हें अंदर कोई नहीं दिखता है पर कमरे की हालत खराब था, जैसे वहाँ कोई तूफान गुजरा हो, कमरे की हालत देख कर हैरान हो रहे थे कि तभी दरवाज़ा बंद होता है l बाप बेटे पीछे मुड़ कर देखते हैं चेट्टी फटे कपड़ों में बिखरे बालों के साथ खड़ा हुआ है l चेहरे पर और जिस्म पर कहीं कहीं चोट के निशान दिख रहे हैं l उनकी ऐसी हालत देख कर बाप बेटे दोनों हैरान हो कर कभी चेट्टी को तो कभी एक दुसरे को देखते हैं l

केके - (हकलाते हुए) यह.. यह आपकी... ऐसी हालत... कैसे... किसने...
चेट्टी - (लंगड़ा के चलते हुए कमरे में पड़े एक सोफ़े के पास खड़ा होता है और महानायक बाप बेटे को हाथों से इशारा करते हुए) बताता हूँ... पहले बैठ जाओ... (उनके बैठने के बाद) (कराहते हुए) कभी कभी हमे लगता है... की प्लान परफेक्ट है... पर परफेक्ट प्लान भी... बैक फायर करती है...
केके - (हैरान हो कर) क्या... मतलब क्या हुआ यहाँ...

एक गहरी सांस छोड़ते हुए इन बाप बेटों के आने से पहले जो हुआ वह बताने लगता है l

चेट्टी निवास के ड्रॉइंग रुम में एक सिंहासन नुमा कुर्सी पर बैठे ओंकार विक्रम को फोन पर शुभ्रा की लोकेशन बता कर फोन काट देता है और जोर जोर से हँसने लगता है l धीरे धीरे उसके चेहरे से हँसी गायब होने लगती है और चेहरे पर गुस्सा और नफरत की मिली जुली भाव छाने लगती है l वह दारू की बोतल उठा कर पीने लगता है l कुछ घूंट पीने के बाद हांफते हुए बोतल को टेबल पर रखता है l जोर जोर से सांस लेते हुए खड़ा होता है और दीवार पर लगे यश के फोटो के सामने खड़े हो कर

चेट्टी - बेटा... मेरा बदला शुरु हो गया है... जो हराम खोर.. मेरी उंगली पकड़ कर राजनीति के गलियारे में कदम रखे थे... मेरे सहारे xxx पार्टी में घुसे थे... वही क्षेत्रपाल बाप बेटे... हमारी दोस्ती को कुचल कर.. हमें ही रास्ते से हटा दिया... (रोते हुए) हमारा सब कुछ बर्बाद कर दिया... (चेहरा को कठोर करते हुए) तु फिक्र मत कर बेटे... आज मैंने खुलेआम जंग छेड़ दी है... अब क्षेत्रपालों की... इज़्ज़त... रौब.. रुतबा.. सब बिखरेंगे... देखना तु मेरे बेटे... देखना....

तभी एक धमाका सुनाई देता है l उस धमाके के फौरन बाद बिजली चली जाती है l कुछ गार्ड्स ड्रॉइंग रुम के अंदर भाग कर आते हैं l

चेट्टी - (थोड़े नशे में) ऐ... क्या हुआ...
एक गार्ड - सर... हम नहीं जानते... पास कहीं पर धमाका हुआ है... तो हम अपनी अपनी पोजीशन ले रहे हैं...

तभी इंवर्टर से घर में इक्का दुक्का पंखे चलने लगते हैं और कुछ लाइट्स जलने लगती हैं l जैसे ही लाइट जलती है

चेट्टी - (सभी गार्ड्स से) अब तुम लोग जाओ.... देखो... कोई बाहर वाला आने ना पाए...
एक गार्ड - सर... प्लीज... आप अपने बेड रुम में चलिए... हम तब तक... सब चेक कर लेंगे...
चेट्टी - ठीक है...

कहकर लड़खड़ाते कदमों में ऊपर अपने कमरे की ओर जाने लगता है l उसके साथ चार गार्ड्स भी जाने लगते हैं l

चेट्टी - तुम लोग कहाँ जा रहे हो....
एक गार्ड - सर.. पहले आप महफ़ूज़ तो हो जाइए...
चेट्टी - ठीक है...

ऊपर कमरे के बाहर गार्ड चेट्टी को रोक कर अंदर एक नजर मारता है और फिर चेट्टी को अंदर जाने के लिए कहता है l चेट्टी खीजते हुए अंदर जा कर दरवाजा बंद कर देता है l अंदर सेल्फ पर रखे शराब की बोतलों में से एक उठाता है और खोल कर मुहँ लगा कर पीने लगता है l

:- सच कहा था तुने... ना तेरा कोई आगे है... ना कोई पीछे...(चौंक कर आवाज की तरफ देखता है, उसे ब्लर सा दिख रहा था)
चेट्टी - कौन है... (चटाक, एक थप्पड़ उसके गाल पर लगती है)

लड़खड़ा कर एक टेबल के पास पहुँचता है, और उस टेबल पर रखे फ्लावर वश से पानी निकाल कर अपनी आँखों पर मारने लगता है l तभी एक हाथ उसके गिरेबान को खिंच कर और एक थप्पड़ मार देता है l इसबार वह कमरे के बेड पर जा कर गिरता है l वह मुड़ कर देखता है l इसबार उसे सब साफ नजर आता है l

चेट्टी - विक्रम... तु. तुम... यहाँ.. कब और कैसे...
विक्रम - तुझे लगा... मैंने किसीसे गाड़ी छिन कर... अपनी बीवी को बचाने के लिए गया... जाहिर है... तेरे सारे आदमी भी... तुझे वही बताया होगा... इसीलिए... उन सब को ठेंगा दिखा कर.... मैं यहाँ पहुँच गया...
चेट्टी - हा हा हा हा... मतलब... तुझे तेरी बीवी से प्यार नहीं है... हा हा हा हा... क्षेत्रपाल जो ठहरा...
विक्रम - (उसके गिरेबान पकड़ कर) शुभ्रा... मेरी जान है... उनकी सुरक्षा पर कंफर्मेशन पाने के बाद... मैं यहाँ आया हूँ...

कह कर चेट्टी को उठा कर फेंक देता है l दीवार से लगे यश के फोटो से टकरा कर चेट्टी फोटो के साथ गिरता है l वह चिल्लाने को होता है कि विक्रम उसका मुहँ दबोच लेता है और उसके कान में धीरे से कहने लगता है l

विक्रम - मैं अपने साथ साथ... मेरे परिवार के हर सदस्य को जीपीएस ट्रैकिंग में रखता हूँ... और तु यह कैसे भुल गया... के शहर की ज्यादातर सर्विलांस ESS की दी हुई है... भले ही जैमर से मोबाइल सिग्नल को जैम कर दिआ... पर सर्विलांस ज्यों का त्यों ही था... जैसे ही शुभ्रा डिटेक्ट हुई.... ESS उन्हें सेव करने निकल गई है.... कायदे से तो... मुझे जाना चाहिए था... पर मुझे अपने ESS पर पूरा भरोसा है... इसलिए तेरी बजाने आ गया....

कह कर अपने तरफ घुमाता है और पेट पर एक जोरदार पंच मारता है l जिसके वजह से उसके हलक से निकल रही चीख घुट जाती है l वह पेट को पकड़ कर पीछे हटते हुए सोफ़े पर गिरता है l

विक्रम - तेरे हिफाजत के लिए... यहाँ वाई प्लस सिक्युरिटी मिली हुई है ना तुझे... देख तेरी सिक्युरिटी की बजा कर... मैं तेरी ले रहा हूँ...

दर्द से छटपटाते हुए चेट्टी विक्रम को देखने लगता है l अपने चेहरे पर हँसी लाते हुए l

चेट्टी - कुछ भी हो विक्रम... आज तेरी बीवी तुझे... सलामत तो नहीं मिलेगी...
विक्रम - कमीने... (चेट्टी की गिरेबान पकड़ कर खड़ा करता है)
चेट्टी - (एक कमीनी हँसी हँसते हुए) हाँ... राज कुमार क्षेत्रपाल... तेरी बीवी को जिस मॉल तक... एस्कॉट करते हुए ले जाया गया है... वहाँ पर रॉय ग्रुप सिक्युरिटी की सर्विस है... हा हा हा... (अपनी गिरेबान को छुड़ा कर कुर्सी पर पैर पर पैर रख कर बैठते हुए) कुछ भी हो... तु यह बाजी हार जाएगा... आह...
विक्रम - (एक लात फिर से पेट में मारता है, चेट्टी का मुहँ खुल जाता है, विक्रम उसमें अपना रुमाल ठूंस देता है और उसका गिरेबान पकड़ कर) शतरंज में चालें तभी चलो... जब शाह को महफ़ूज़ रख सको... (कह कर चेट्टी को खिंच कर उठाता है और फिर उसे सोफ़े के सामने वाले टी पोए पर पेट के बल पटक देता है) और साजिशों की दुकान तभी चलाओ... जब तशरीफ को मजबुत रख सको...

विक्रम अपनी कमर से बेल्ट निकालता है और चेट्टी के गांड पर चाबुक की तरह बरसाने लगता है l चेट्टी हिल नहीं पाता क्यूंकि विक्रम अपना पैर चेट्टी के पीठ पर दबाव बनाए रखा था और मुहँ में रुमाल होने के वजह से चेट्टी चिल्ला नहीं पाता l जी भर कर मारने के बाद l विक्रम अपना बेल्ट पहनता है और चेट्टी का सिर के तरफ बैठ जाता है l

विक्रम - अबे ढक्कन... हाथ तो फ्री था... रुमाल निकाल कर चिल्ला भी सकता था...

यह सुन कर चेट्टी हैरान हो कर विक्रम की ओर देखता है l विक्रम मुस्कराते हुए अपना मोबाइल निकाल कर महांती का मैसेज दिखाता है
"युवराणी सेफ, बट स्टील वी आर इन xxx मेडिकल वीथ हर"
मैसेज देख कर चेट्टी और भी हैरान होता है l

विक्रम - यह है ESS समझा... सुन बे... भुतनी के... मैं कभी भी तुम लोगों तक पहुँच सकता हूँ... यही बताने यहाँ आया था... बता कर जा रहा हूँ...

कह कर विक्रम उसे उठाता है और बेड पर धक्का देता है l चेट्टी बेड पर पेट के बल गिरता है l विक्रम दरवाजा खोल कर बाहर जाता है l सीढियों से उतर कर नीचे आता है l नीचे पहरा देते हुए गार्ड से

विक्रम - ऐ.. सुनो... चेट्टी अंकल... तुमको बुला रहे हैं... जाओ तुम सब ऊपर...

गार्ड्स सभी ऊपर के कमरे की ओर भागते हैं l जैसे ही सब ऊपर के कमरे में पहुँचते हैं

चेट्टी - (पुरी ताकत से चिल्लाते हुए) गेट ऑउट...

कहानी खतम होती है l चेट्टी अपनी जबड़े भींचे हुए आँखे बंद कर खड़ा हुआ है l महानायक बाप बेटे यह सुन कर हैरान थे l

केके - मतलब रंगा... कुछ नहीं कर पाया...
चेट्टी - हाँ... लगता तो यही है... (दर्द को दबा कर कराहते हुए) उससे काम नहीं हुआ...
विनय - अंकल... लगता है आपको बहुत दर्द हो रहा है... प्लीज बैठ जाइए...

चेट्टी उसे गुस्से से खा जाने वाली नजर से घूरने लगता है l

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होटल xxx
शूट के अंदर रोणा सिर्फ टावल पहन कर अपनी आँखे मूँद कर एक स्टूल पर बैठा हुआ है l उसके बदन पर जलन बहुत मात्रा में कम हो गया है पर फिर भी उसके बदन पर हल्के गुलाबी रंग के छाले नजर आ रहे हैं l उसके सामने बल्लभ चहल कदम कर रहा था l

बल्लभ - पता नहीं... यह परीड़ा कहाँ मर गया है... अभी तक तो आ जाना चाहिए था...
रोणा - (अपनी आँखे मूँदे हुए) आ जाएगा... फिक्र मत कर आ जाएगा...
बल्लभ - तु भुतनी के... चुप रह... साले हरामी... बोला था तुझे... दोबारा किसी हस्पताल में... नर्स की पिछवाड़ा देखने जैसा काम मत कर... पर कुत्ते का दुम है तु...
रोणा - हाँ हाँ... टेढ़ा हूँ... तो...
बल्लभ - (चिढ़ कर) छे... तेरे से ज्यादा बात की तो... मेरा बीपी उठ जाएगा... (तभी उनके शूट की डोर बेल बजती है) लगता है... परीड़ा आ गया...

कह कर बल्लभ दरवाजा खोलने के लिए बेड रुम से बाहर आता है l दरवाजा खोलता है तो उसे एक फ़ूड ट्रॉली पर गुलदस्ता मिलता है ग्रीटिंग के साथ l बिल्कुल हूबहू वैसा ही गुलदस्ता था, जैसा रोणा को मेडिकल में मिला था l वह दरवाजे से बाहर आकर करीडर में नजर घुमाता है, उसे कोई नहीं दिखता l वह कुछ सोचते हुए ग्रीटिंग कार्ड उठाता है और उसे खोलता है l

"आँख लगाओ तो आँख जले...
मुहँ लगाओ तो मुहँ जले....
और दिल लगाओ तो दिल जले...

अब तुम्हारा जलन ठीक हो गया होगा l फिर भी गेट वैल सुन"

यह पढ़ते ही बल्लभ की आँखे हैरानी से बड़ी हो जाती हैं l वह झट से गुलदस्ता अंदर लेकर दरवाजा बंद कर देता है l दरवाजे पर टेक् लगाए कुछ देर खड़ा रहता है फिर कुछ सोच कर वह गुलदस्ता उठा कर बेड रुम में आता है l रोणा की आँखे हैरानी से फैल जाता है l क्यूँकी हस्पताल वाली गुलदस्ता वह भुला नहीं था I

रोणा - (हैरानी भरे लहजे में) कोई मेसेज भी होना चाहिए... (बल्लभ वह ग्रीटिंग कार्ड को रोणा के हाथ में दे देता है, कार्ड में रोणा मेसेज पढ़ते ही चौंक जाता है) यह... यह बात तो मैंने... कल जीम में... तुझसे कहा था...
बल्लभ - हाँ... मतलब कल जो फर्श साफ कर रहा था... वही था... (अपना हाथ माथे पर मारते हुए) आआआह्ह्ह...
रोणा - (गुस्से में) साला कमीना... मेरे पास ही था वह... आ आ ह...
बल्लभ - कल मुझे परीड़ा ने कहा था... हमारे आस पास रह कर... कोई हमारी ले रहा है...

तभी फिर से डोर बेल बजती है l बल्लभ समझ जाता है जरुर इस बार परीड़ा ही आया होगा l वह फिर से दरवाजा खोलता है, हाथों में कुछ फाइल्स लिए सामने परीड़ा ही था l परीड़ा उसके चेहरे पर आए भाव को देख कर

परीड़ा - क्या बात है प्रधान... तेरे चेहरे पर... बारह क्यूँ बजे हुए हैं... क्या फिर से टमाटर समझ कर कोई... टट्टे काट लिया क्या तुम लोगों के...

बल्लभ सिर हिला कर अंदर आने के लिए इशारा करता है l परीड़ा अंदर आता है और दोनों मिलकर बेड रुम में रोणा के पास आ कर चेयर पर बैठ जाते हैं l परीड़ा दोनों के चेहरों को देखने के बाद

परीड़ा - कोई बतायेगा... क्या हुआ है अभी यहाँ...

बल्लभ गुलदस्ते के बारे में परीड़ा को सारी बातेँ बताता है l सब कुछ सुनने के बाद

परीड़ा - मतलब यह हुआ... फटे में टांग अड़ाओ तो टट्टे संभाल कर...
बल्लभ - (दांत पिसते हुए) बंद करेगा... तु अपना टट्टे पुराण...
परीड़ा - हाँ बंद कर देते हैं...
रोणा - तो... भुत पूर्व आईबी ऑफिसर... कुछ उखाड़ कर लाए हो... या खाली हाथ...
परीड़ा - (फाइलों को दिखाते हुए) तुझे मैं खाली हाथ दिख रहा हूँ...
रोणा - यह सब विश्व ही कर रहा है ना... उसका कोई संबंध उस एडवोकेट प्रतिभा से है क्या...
परीड़ा - पता नहीं...
बल्लभ और रोणा - (एक साथ) क्या...
रोणा - तो इतने फाइल क्या झुनझुना बजाने लाया है...
बल्लभ - तु तो कह रहा था... वह कुछ सुराग छोड़ कर गया है...
परीड़ा - वह तो अभी भी कह रहा हूँ...
रोणा - पर तुने ही अभी कहा... तुझे उसके बारे में पता नहीं...
परीड़ा - हाँ... और मैंने कल प्रधान से यह भी कहा था... की हम आज तीनों मिलकर बैठेंगे... एक एक कडियों को जोड़ कर... सारी पहेलियाँ सुलझाएंगे... क्यूंकि पहेली सुलझे या नहीं सुलझे... झटका तो आखिर में... तुम लोगों को लगनी ही है...

परीड़ा की बातेँ सुन कर रोणा और बल्लभ दोनों हैरान हो कर एक दुसरे को देखते हैं l

परीड़ा - अटेंशन प्लीज... (दोनों परीड़ा की ओर देखते हैं) तो सारी कड़ियां, सीसीटीवी की फुटेज सब देखने के बाद... मैं एक थ्योरी बनाता हूँ... देखते हैं... कितना मैच करता है... तो शुरु करें...

बल्लभ और रोणा दोनों अपना सिर हाँ में हिलाते हैं l

परीड़ा - तो... कटक में कुटाई कांड के बाद... तुम दोनों ने कटक छोड़ दिया... और अपने राजगड़ चले जाने की अफवाह फैला दी... उसके बाद तुम दोनों भुवनेश्वर आ गए... और तब तक सेफ थे... जब तक वकील प्रतिभा से मुलाकात नहीं हुई थी.... (बल्लभ और रोणा दोनों कुछ सोच में पड़ जाते हैं) यस जेंटलमेन... लेट्स मूव... प्रतिभा के घर से निकलने के बाद... तुम लोग बक्शी जगबंधु विहार के आउटर पर टैक्सी का इंतजार करने लगे... तभी एक टैक्सी आता है... तुम लोगों से भुवनेश्वर जाने के लिए पूछता है... राइट...
रोणा - तो... उसमें क्या थ्योरी है... हम लोग टैक्सी में ही तो आए थे...
परीड़ा - टट्टे कट जाए तो जाए... पर टमाटर ना जाए...
रोणा - क्या मतलब है तुम्हारा...
परीड़ा - पहले बात को सुनो... फिर नाक घुसेड़ो...
बल्लभ - तु बताना चालू रख...
परीड़ा - तुम दोनों उस टैक्सी में बैठ गए... टैक्सी के ड्राइवर के साथ आगे की सीट में एक बंदा बैठा था... राइट...
दोनों - हाँ...
परीड़ा - वह टैक्सी तुम दोनों को... होटल के प्रेमीसेस में लाकर ड्रॉप कर देता है... रोणा सीधे होटल के बार में घुस जाता है... और प्रधान तुम रिसेप्शन से स्वैप कार्ड लेकर कमरे की ओर चले गए... राइट...
दोनों - ह्म्म्म्म... राइट...
परीड़ा - तो अब... जो तुम दोनों ने नोटिस नहीं किया... वह यही.. के तुम दोनों के पीछे पीछे टैक्सी ड्राइवर के बगल में जो बैठा था वह उतरा... वह रिसेप्शन में प्रधान के पीछे खड़ा था... प्रधान अपने कमरे का नंबर बता कर चाबी लिया था... जिससे उसे तुम्हारे कमरे का नंबर मालुम हो गया... कुछ देर बाद और एक आदमी रिसेप्शन पर आता है... वह टैक्सी वाला उससे गले मिलता है... दोनों अब रिसेप्शन से तुम्हारे ठीक ऊपर वाले फ्लोर पर तुम्हारे ऊपर वाला रुम मांगते हैं... चूंकि रुम खाली था... उन्हें मिल जाता है... वह अपने रुम अंदर जा कर... बाथरुम के वेंटिलेशन विंडो निकाल कर अपने कमरे के वाटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन से वाकिफ़ होते हैं...
बल्लभ - पर... वाटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन... और ऐसी... दोनों सेंट्रल है ना...
परीड़ा - तो... लास्ट डिस्ट्रीब्यूशन में मैनीपुलेशन किया जा सकता है...
रोणा - तो उसने क्या मैनीपुलेशन किया....
परीड़ा - बताता हूँ... सुबह होटल के... हाउस कीपिंग और सैनीटाइजेशन डिपार्टमेंट को फोन आता है... तुम्हारे ऊपर वाले कमरे से... एक हाउस कीपिंग बॉय और सैनीटाइजींग बॉय दोनों उस कमरे में जाते हैं और हॉस्टेज बना लिए जाते हैं... यानी उन दोनों को क्लोरोफर्म सुंघा कर बेहोश कर दिया जाता है... उन्हीं के कपड़े पहन कर अपने काम को अंजाम देने के लिए तैयार हो जाते हैं... तुम दोनों की रेकी करने के लिए जीम में एक फर्श साफ कर रहा था... इतने में एक तीसरा बंदा आता है... जो सीधे उन दोनों के फ्लोर पर उनके कमरे में जाता है... शायद वही प्लंबिंग के काम में माहिर था... जब प्रधान रोणा को कसरत करते छोड़ कर कमरे की ओर आया... वह हाउस कीपिंग बॉय बन कर आ गया...
प्रधान - हाँ.. हाँ हाँ... मैं चिढ कर जीम से निकल कर कमरे में आया... तेरे ऑफिस जाने के लिए तैयार हो कर जैसे ही कमरे से बाहर निकला... मुझे वह हाउस कीपिंग बॉय मिला... उसने मुझसे हाउस कीपिंग के लिए स्वैप कार्ड मांगा... तो मैंने उसे झट से कार्ड दे तो दिया... पर अंदर से मुझे वाइव भी आ रहा था... तब मैंने उसकी शकल अच्छी तरह से देखा... उसके चेहरे पर दाढ़ी था... फिर... मैं बाहर चला गया...
परीड़ा - ह्म्म्म्म... और... टैप पॉइंट में जो छेड़ छाड़ बाकी था... तुमसे चाबी लेकर उसने कर दिया... और चाबी रिसेप्शन तक पहुँचा दिया...
रोणा - हाँ... एक्सरसाइज खतम कर के रिसेप्शन से चाबी लेकर... मैं कमरे में आया... अपने सारे कपड़े उतारे... फिर पसीना सूखने के बाद बाथरुम गया... पहले टब की ड्रेन को सील किया और नल खोला... ठंडा पानी बहने लगा... मैं शावर के नीचे आकर नहाने लगा... साबुन लगाते वक़्त शावर को बंद किया... साबुन के बाद... जब शावर को खोला खौलता पानी मुझ पर गिरा... मैं चिल्लाते हुए पीछे हटा... पर तब टब में गिर गया... तब तक टब में गरम पानी भरा हुआ था... मेरी हालत खराब हो गई थी... उसके बाद... पर क्या वह ट्रैप मेरे लिए था...
परीड़ा - हाँ... तुम नहा रहे थे... वह देख रहा था... वह सुबह ही... तुम्हारे कमरे के बाथरूम वेंटिलेशन के पास वाटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में... सलेनोएड लगा दिया था... जिससे वह जब चाहे... तुम्हारे कमरे की पानी की लाइन बदल सकता था... और उसने वही किया... जब सारे स्टाफ का ध्यान तुम पर थी... तब वे लोग कमरा छोड़ कर चले गए...
बल्लभ - इतना कुछ करने वाले... जाहिर है... अपनी पहचान छुपाये होंगे...
परीड़ा - हाँ... रिसेप्शन में जो आधार कार्ड दिए थे... वह सब नकली था... मतलब... आदमी भी नकली थे...
रोणा - सीसीटीवी से कोई जानकारी मिली....
परीड़ा - नहीं... वे लोग बहुत ही चालाक हैं... सीसीटीवी से कैसे चेहरा छुपाना है... उसमें वह लोग माहिर निकले...
रोणा - तो भोषड़ी के... तुने उखाड़ा क्या है...
परीड़ा - वही... जो तुम लोग नहीं उखाड़ पाए...

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विक्रम और रुप मिलकर xxx हॉस्पिटल में पहुँचते हैं l पुरे हॉस्पिटल में ESS गार्ड्स के सिक्युरिटी था l हर तरफ ESS के गार्ड्स ही दिख रहे थे l लॉबी में उन्हें महांती दिखता है l दोनों को देख कर महांती उनके पास जाता है l

विक्रम - (घबराए हुए) यह क्या महांती... तुमने तो कहा था कि... शुभ्रा जी को कुछ हुआ नहीं है...
महांती - जी.. उन्हें कुछ भी नहीं हुआ है... जरा सा शॉक में थीं... इसलिए उन्हें मेडिकल लाया गया...
विक्रम - कहाँ है वह...
महांती - वार्ड नंबर @#$ में... हैं... युवराज आप थोड़ा रुकिए... राजकुमारी जी... पहले आप जाइए... युवराणी से मिल लीजिए...
रुप - ठीक है...

कह कर रुप महांती के कहे @#& नंबर वार्ड की ओर चली जाती है l

विक्रम - क्या बात है महांती... तुमने... मुझे क्यों रोक दिया...
महांती - युवराज... हमने जब आपको... युवराणी जी की खैरियत की खबर दिया... तब तक एक्चुयली... युवराणी जी को किसीने मेडिकल में भर्ती कर दिया था... और...
विक्रम - और... और क्या महांती...
महांती - युवराणी जी को मॉल में बचाने की कोशिश में... राकेश रंजन पाढ़ी नामका एक लड़का घायल हो गया...
विक्रम - क्या...

उधर रुप भाग कर शुभ्रा के स्पेशल वार्ड में पहुँचती है l शुभ्रा बेड पर आँखे मूँद कर लेटी हुई थी l

रुप - भाभी...

शुभ्रा अपनी आँखे खोलती है I रुप सिसकते हुए भाग कर शुभ्रा के गले लग जाती है l

रुप - यह क्या है भाभी....
शुभ्रा - कुछ नहीं हुआ है मुझे... पर आज जो भी कुछ हुआ... तुमको वह सब कुछ बताना है...
रुप - क्या भाभी...

शुभ्रा बताना शुरू करती है l

आज सुबह जब अपनी कमरे दरवाजा खोला तो हर रोज की तरह फुल और ग्रीटिंग रखा हुआ था, मैंने ग्रीटिंग उठा कर देखा तो उसमे कुछ अलग लिखा हुआ था

" शुब्बु मेरी जान... आज आप कहीं बाहर ना जाएं तो बेहतर होगा... अगर कहीं जाना जरूरी हुआ तो... वह जीपीएस वाली घड़ी पहन कर जाइयेगा... और कोशिश कीजिएगा... मैंन रोड पर... या मैंन रोड के आसपास खुद को रखें.... कुछ बुरा होने की आसार लगे... तो घबराइयेगा मत... आप महांती के सर्विलांस में रहेंगी "

तब मुझे समझ में आया कुछ तो गड़बड़ है l कोई हमारे ताक में हो सकता है l फिर भी मैं महांती के सर्विलांस हुँगी, यही मेरे लिए दिलासे की बात थी l मैं रुक सकती थी पर कुछ दिन हुए तुम्हारे साथ रह कर उड़ना जो शुरू किया था l उपर से मैं कहीं भी रहूँ, हुँगी तो विकी के नजरों में ही l इसलिए खतरा उठाया मैंने आज तुम्हें फिर से कॉलेज छोड़ने का फैसला किया और विकी भी मान गए l तुम्हें कॉलेज में ड्रॉप करते वक़्त ही देख लिया था मेरे पीछे महांती के लोग साये की तरह लगे हुए हैं l यहीँ पर मैंने बेवकूफ़ी कर दी l एक शरारत सूझी मन में, सोचा एक बार छका देती हूँ l यहीँ गलती कर बैठी जयदेव विहार ओवर ब्रिज के नीचे ट्रैफ़िक से मैं राज भवन स्क्वेयर जाने के वजाए फायर स्टेशन रोड पकड़ ली l मेरी सिक्युरिटी गार्ड्स आगे निकल गए l पर मैं जब घर की ओर गाड़ी मोड़ने की सोची तब तक मुझे हर तरफ गाड़ियां घेर चुके थे l मैं विकी को फोन करने की कोशिश की पर फोन नहीं लगा l तब याद आया कि मैंने विकी की कही हुई घड़ी भी नहीं पहना है l पहली बार मुझे डर का एहसास हुआ l मैं कोशिश करती रही कि मैंन रोड़ से ना हटुं पर असल बात यह थी कि मैं उनके हिसाब से गाड़ी चलाए जा रही थी l गाडियों के काफिले के साथ मैं एक अनजान मॉल के पार्किंग में पहुँची l तब मैंने देखा मोबाइल में सिग्नल आ गया था l विकी को फोन लगाया तो बिजी आ रहा था तो महांती को फोन लगाया, उसका भी फोन बिजी आ रहा था I

तभी जो गाडियाँ मुझे मॉल में लाई थीं l उनमें से कुछ बंदे उतरे I सभी के हाथों में कुछ ना कुछ था l हॉकी स्टिक, रॉड, चेन वगैरह l

मैं - कौन हो तुम लोग... और मुझे ऐसे क्यूँ यहाँ लेकर आए हो... जानते हो मैं कौन हूँ...
एक बंदा - (हँसते हुए) हा हा हा हा... तु... विक्रम की बीवी है... और कुछ... हा हा हा..
शुभ्रा - तुम जानते नहीं... तुमने क्या गलती कर दी है... तुम सोच भी नहीं सकते... तुम्हारा क्या हश्र होने वाला है...
बंदा - मेरा तो जब होगा तब होगा... तु अपनी सोच... वैसे मारने से मना किया गया है... सिर्फ आज दोपहर तक तु यहीं हमारे निगरानी में रहेगी... हमारा साथ देगी तो सलामत रहेगी... कुछ उल्टा सीधा किया तो हमें कुछ भी करने की छूट है...

मैंने अपनी जबड़े भींच लिए धीरे धीरे कदम पीछे किए और पीछे मुड़ कर भागने लगी l कुछ देर बाद मॉल के पार्किंग में गाड़ियों के पीछे छुप गई l वे लोग अब फैल कर मुझे ढूंढने लगे I मैं एक गाड़ी के ओट में छुपी थी कि एक हाथ मेरे मुहँ को दबोच लिया l मैंने डर के मारे अपनी आँख मूँद ली l एक धीमी आवाज मेरे कानों में पड़ी

"घबराइये मत भाभी... मैं आपको कुछ होने नहीं दूँगा"

मैं हैरानी से अपनी आँखे खोल कर देखा वह वीर नहीं था पर चेहरा जाना पहचाना लग रहा था, वह च्विंगम चबा रहा था l

"मैं आपके मुहँ से हाथ निकालूँ"

मैंने सिर हिला कर इशारे से हाँ कहा तो उसने अपना हाथ हटा लिया l

मैं - (दबी हुई आवाज में) क.. कौन हो.. तुम..
वह - भाभी.. पहचाना नहीं मुझे... (मैंने सिर हिलाकर ना कहा) मैं रॉकी... राकेश रंजन...

रुप - (चौंकती है) क्या... आपको बचाने वाला रॉकी था...
शुभ्रा - था नहीं... है...

उधर विक्रम - (महांती से) राकेश...
महांती - हाँ.. हमारे ही कॉलेज में पढ़ता है... स्टुडेंट यूनियन का... जनरल सेक्रेटरी है... और...
विक्रम - और क्या... राजेश आपको याद होगा... जो यश के ऑफिस में लिफ्ट से गिर कर मरा था...
विक्रम - (शुन हो जाता है)
महांती - यह उसका छोटा भाई है... उसे सब रॉकी के नाम से बुलाते हैं...
विक्रम - रॉकी...
महांती - जी...
विक्रम - फिर...
महांती - हमने उस मॉल के पार्किंग एरिया के सारी सीसीटीवी फुटेज... हासिल कर लिए हैं... आगे आप.. इस टेबलेट में देखिए क्या हुआ...

कह कर महांती एक टेबलेट में वीडियो प्ले कर के देता है l विक्रम टेबलेट में देखने लगता है l

रुप - रॉकी...
शुभ्रा - हाँ... मेरे ऊपर होने वाली हमले को अपने ऊपर ले लिया...
रुप - क्या

पार्किंग एरिया में

रॉकी - (धीरे से) पहचाना.. मेरा भाभी कहना... आपको पसंद नहीं था...
शुभ्रा - (थोड़े दुख के साथ सिर हिला कर हाँ कहती है, फिर धीरे से) तुम यहाँ कैसे...
रॉकी - अपने दोस्त के लिए... एक गिफ्ट खरीदने आया था... फिर पार्किंग में आपको देखा... अब कुछ कुछ समझ में आ गया है... आप घबराओ मत... मैं कुछ करता हूँ...

तभी उनके कानों में एक आवाज़ सुनाई देती है l

"वह रहे"

रॉकी और शुभ्रा आवाज के तरफ देखते हैं l एक आदमी हाथ में हॉकी स्टिक लिए उनके तरफ आ रहा था I कुछ ही देर में सारे के सारे लोग इकट्ठा हो जाते हैं l रॉकी और शुभ्रा खड़े हो जाते हैं l

बंदा - ऐ... लड़के.. लड़की को छोड़... और फुट यहाँ से...

एक आदमी आता है और रॉकी की कलर पकड़ कर धक्का दे कर वहाँ से भागता है l शुभ्रा डर के मारे फिर से अपनी जगह से हटने लगती है l

बंदा - इस मॉल की सिक्युरिटी... तेरे पति के.. कंपिटीटर की है... रॉय ग्रुप की... इसलिए इस भरम में मत रहना... कोई आकर तुझे बचा लेगा...

उधर रॉकी एक कोने में अपनी जेब से एक सिगरेट निकालता है, उसे तोड़ देता है l फिर छोटे से हिस्से को जला कर फूंकने लगता है l कुछ सेकेंड फूंकने के बाद मुहँ में रखे च्विंगम से पार्किंग में लगे स्मोक डिटेक्टर में चिपका देता है l फिर दीवार पर लगे फायर एस्टींग्युसर निकाल कर छुपते छुपते शुभ्रा जहां खड़ी थी उस जगह के करीब पहुँचता है l तभी फायर अलार्म बजते हुए पानी की स्प्रिंकलर ऑन हो जाता l वहाँ पर मौजूद सभी लोग हैरान हो जाते हैं l तभी रॉकी हाथ में फायर एस्टींग्युसर लेकर आता है और उसका मुहँ खोल देता है l सफेद धुएं का कोहरा दीवार बन जाता है l रॉकी शुभ्रा के हाथ पकड़ कर वहाँ से भागता है l धुएं में घिरे उन लोगों में से वह प्रमुख बंदा थोड़ा आगे आकर अपने हाथ में पकड़े रॉड को फेंक मारता है l रॉड सीधे रॉकी के सिर पर लगता है l

रॉकी - आ.. ह्.. (गिर जाता है)
शुभ्रा - रॉकी...

रॉकी उठने की कोशिश करते हुए पीछे देखता है कि धुआँ छट रहा और धुएँ को चीरते हुए हॉकी स्टिक्स, चेन उनके तरफ हवा में उड़ते हुए आ रहे हैं l रॉकी उठता है और शुभ्रा को धक्का देता है, और उसके तरफ आ रहे स्टिक्स और चेन की तरफ पीठ कर खड़ा हो जाता है l सभी रॉकी को लगते हैं वह वहीँ गिर जाता है l

शुभ्रा - (भाग कर रॉकी के पास पहुँचती है) रॉकी... (रोते हुए) रॉकी... उठो रॉकी... उठो...

रॉकी बेहोश हो चुका था l वह सब के सब सब शुभ्रा के सामने खड़े थे l फिर से अपने हाथों में स्टिक्स और चेन उठा लेते हैं l

शुभ्रा - (गुस्से से गुर्राते हुए) तुम जो भी हो... बहुत पछताओगे... देखना...
बंदा - कहा ना.. वह जब होगा... तब होगा... आज यहाँ जो भी हो रहा है... सब सीसीटीवी में रिकार्ड हो रहा है... तुम और तुम्हारा पति कितने बेबस हैं... यही सब वायरल किया जाएगा...
शुभ्रा - (गुर्राते हुए) अब मैं कहीं नहीं जाऊँगी... मुझे ढूंढते हुए... मेरी सिक्युरिटी आ पहुँचेगी... तुम लोग सब मारे जाओगे....
बंदा - पहले ही कहा था... यहाँ हमारी सिक्युरिटी है... मैंने कहा था तुझे... कोई हरकत ना करना... क्यूंकि मुझे छूट भी दी गई है... तुझे मार देने के लिए... इसलिए अब चपड़ चपड़ बंद... हाँ मरने से पहले.. मेरा नाम याद रखना... रंगा... रंगा नाम है मेरा...

इतना कह कर वह बंदा अपने हाथ में पकड़े रॉड को शुभ्रा पर मारने के लिए उठाता है l शुभ्रा अपनी आँखे बंद कर लेती है l पर कुछ सेकेंड के बाद भी जब उसे मार नहीं लगती शुभ्रा धीरे से अपनी आँख खोल कर देखती है तो पाती है कि वह बंदा जो शुभ्रा को मारने के लिए रॉड उठाया था वह अपनी जगह पर जड़वत खड़े होकर डर के मारे सामने किसीको देखे जा रहा है l फिर अचानक उसके हाथों से रॉड गिर जाता है l उसके हाथों से रॉड गिरते ही उसके लोग उसे देखते हैं और उसका डरा हुआ चेहरा देख कर बारी बारी सबके हाथों से स्टिक्स, चेन और रॉड गिरने लगते हैं l शुभ्रा को महसुस होता है कि उसके पीछे कोई कदम बढ़ाते हुए आगे आ रहा है, और उसके हर बढ़ते हुए कदमों के ताल में शुभ्रा को मारने आए लोग एक एक कदम पीछे जा रहे थे और फिर वह प्रमुख बंदा रंगा पहले पीछे मुड़ कर भागता है l उसे भागता देख कर उसके सारे बंदे उसके पीछे पीछे भाग जाते हैं l शुभ्रा हैरान हो कर पीछे मुड़ कर देखती है l

विक्रम वीडियो को रोक देता है और महांती को देखता है l

विक्रम - यह आदमी कौन है.. जिसे देख कर... वह लोग भाग गए..
महांती - वह लोग नहीं युवराज... भागने वाला रंगा और उसके गुर्गे थे... एक से एक छठे हुए क्रिमिनल...
विक्रम - क्या...
महांती - हाँ युवराज... उस आदमी ने... युवराणी और रॉकी को यहाँ लाकर... हस्पताल में एडमिट करवाया... असल में उसीने युवराणी और रॉकी को बचाया है...
विक्रम - पर सीसीटीवी में उसका चेहरा नहीं दिख रहा है...
महांती - नेक्स्ट वीडियो देखिए... हॉस्पिटल की सर्विलांस की... उसका चेहरा साफ दिखेगा आपको...

विक्रम नेक्स्ट वीडियो प्ले करता है l हास्पिटल के अंदर वह रॉकी को अपनी बाहों में उठा कर ला रहा है और उसके साथ शुभ्रा भागते हुए आ रही है l विक्रम को उस आदमी का चेहरा इस बार साफ दिखता है, विक्रम विडिओ को पॉज करता है l

महांती - यही वह लड़का है... जिसे देख कर... रंगा और उसके साथी वहाँ से भाग गए...

कह कर महांती विक्रम की चेहरे को देखता है गुस्से और नफरत से विक्रम का चेहरा तमतमा रहा था l उसकी आँखे अंगारों के भांति लाल दिख रहे थे l

महांती - युवराज...

विक्रम के गाल थर्रा रहे थे l विक्रम महांती को देखता है l उसकी आँखे लाल रंग से तर रहीं थीं l

महांती - (हैरान हो कर) कहीं यह... वह तो नहीं... (विक्रम सिर हिला कर हाँ कहता है) ओह... माय गॉड...


रुप - (हैरानी से चिल्लाती है) क्या...
शुभ्रा - हाँ नंदिनी... हाँ...

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रोणा - क्या उखाड़ा है बे तुने... अब तक हमें मालूम भी नहीं है... किसने मेरे साथ यह सब किया...
परीड़ा - हूँ... पर इस बार अंदाजा लगा सकता हूँ...
रोणा - अच्छा... (चिढ़ाते हुए) वह भुत... कौन हो सकता है...
परीड़ा - वही... जो जैल में रहकर... स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम में... प्लंबींग काम में माहिर हो गया...

हैरानी से रोणा का मुहँ खुला रह जाता है l बल्लभ भी चौंक कर परीड़ा को देखने लगता है l परीड़ा इशारे से टी पोए पर पड़े फाइलों को दिखाता है l

रोणा - क्या... क्या है इसमें...
परीड़ा - तेरी आँख जली... मुहँ जला और तन भी जला... पर धुआँ नहीं निकला... इस फाइल में वह है... जिससे... उन सबके पिछवाड़े में धुआँ निकलेगा... जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में... रुप से जुड़े हुए थे...
बल्लभ - रुप मतलब...
परीड़ा - राजगड़ उन्नयन परिषद...
रोणा - क्या...
बल्लभ - (चुप रह कर सोचमें पड़ जाता है)
रोणा - यह जीन... बोतल में से कब निकला...
परीड़ा - कल ही होम सेक्रेटरी के पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिस में फाइल हुआ है...
रोणा - क्या... क्या फाइल हुआ है...
बल्लभ - आर टी आई... राइट टू इन्फॉर्मेशन....
परीड़ा - ह्म्म्म्म... बिल्कुल... और इन्फॉर्मेशन में... पुछा गया है... रुप फाउंडेशन स्कैम के लिए बनाया गया एसआईटी को अदालत ने बहाल रखा है... तो अब इन सात सालों में... एसआईटी की अन्वेषण कहाँ तक पहुँची है... उसका पुरा लेखा जोखा विस्तृत जानकारी के साथ उपलब्ध कराया जाए...
रोणा - (तेज तेज सांसे चलने लगती हैं) वि.. वि.. विश्वा...
परीड़ा - उँ.. हुँ... विश्वा नहीं...
रोणा - तो फिर...
परीड़ा - विश्व प्रताप महापात्र बीए एलएलबी...

"क्या"
चिल्लाते हुए रोणा और बल्लभ दोनों अपने अपने कुर्सी से उछल कर खड़े हो जाते हैं l

उधर चेट्टी निवास में ड्रॉइंग रुम में रंगा और उसके साथी घुटनों पर बैठे हुए हैं l उनके सामने ओंकार चेट्टी खड़ा हुआ था और उनके पीछे महानायक बाप बेटे खड़े हुए थे l

चेट्टी - (चेहरा बुझा हुआ था) पहले... मेरी उंगली थामे... उंगली से हाथ... हाथ से बांह... बांह से कंधे पर पहुँच कर... मेरे कदमों से कदम मिला कर... सियासत की सीढ़ी चढ़ते हुए... यह क्षेत्रपाल... ऊचाईयों तक पहुँचने के बाद... मुझे धक्का दे कर गिरा दिया... (चेहरे पर कठोरता लाते हुए) मेरा... सब कुछ... सब कुछ बर्बाद हो गया... जिस तरह से सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर गए थे... उसी तरह एक एक सीढ़ियां नीचे उतारने के लिए... (रंगा को देख कर) मादरचोद... तुझे सिर्फ दो पहर तक... विक्रम की बीवी को रोके रखने के लिए कहा था... अगर नहीं संभली... तो खतम करने के लिए... कहा था... भुतनी के... तुझसे वह भी नहीं हुआ...
रंगा - म.. मा.. माफ़ कर दीजिए... माई बाप...
चेट्टी - मैं माफ कर भी दिया तो क्या होगा... मैं खुल्लमखुल्ला सामने आया... (महानायक बाप बेटे को दिखा कर) इन हरामी बाप बेटे के लिए... तुम्हारे भरोसे... पर तुम...
रंगा - वह... मैं... मैं डर गया था... म. मालिक...
चेट्टी - किससे भुतनी के.. किससे... जब ना तो ESS वाले पहुँचे थे... ना विक्रम पहुँचा था... तो... (चिल्लाते हुए) तेरा कौनसा बाप वहाँ पहुँच गया था... ऐसा कौनसा तोप था वह... जिसे देख कर तेरी फट गई...
रंगा - वह तोप ही था... वह एक अकेला सौ सौ के बराबर है... अगर बंदूक हाथ में होता... तो शायद उसका सामना करने के लिए... हिम्मत कर लेता... पर... और किसी हथियार के साथ... मैं उसके सामने टिक नहीं पाता...
चेट्टी - कौन है वह...
रंगा - विश्वा... विश्व प्रताप महापात्र...
चेट्टी - विश्वा... यह विश्वा कौन है...

हॉस्पिटल में शुभ्रा के स्पेशल वार्ड में

शुभ्रा - हाँ नंदिनी.. हाँ... वह प्रताप था...
रुप - प्र..ताप...
शुभ्रा - हाँ प्रताप... था... जिसे देख कर... वह पच्चीस से तीस बंदे... बिना पीछे देखे भाग गए...
रुप - फिर...
शुभ्रा - फिर क्या... फिर प्रताप... हमारे पास आया और रॉकी की नब्ज देखा.. फिर मुझसे गाड़ी पुछा... मैंने उसे चाबी दे दी... उसीने ड्राइव कर इसी हस्पताल तक लेकर आया... बाकी तुम्हारे सामने है...

रोणा - यह... वही विश्व है.. या कोई और...
बल्लभ - यह... बीए एलएलबी... कब...
परीड़ा - इस बाबत मैंने इंक्वायरी के लिए... हेड क्वार्टर आर्काइव में छानबीन किया... तो मालुम हुआ... वह जैल में रह कर... करेस्पंडींग डिस्टेंस कोर्स में इगनौउ से ग्रेजुएट हुआ है.... और कटक मधुसूदन लॉ कॉलेज से... करेस्पंडींग डिस्टेंस कोर्स के जरिए एलएलबी किया है...
बल्लभ - और यह बात... हमसे खान पुरी तरह से छुपाया...
रोणा - एलएलबी कर लिया है तो क्या... केस भी लड़ लेगा...
परीड़ा - हाँ... तुझे याद है वैदेही ने साठ दिन का चैलेंज दिया था...
रोणा - विश्व के वकालत से... साठ दिन का कुछ संबंध बैठता है क्या...
बल्लभ - हाँ... अब उसके छूटे बीस दिन हो चुके हैं... आर टी आई के नियम के अनुसार... तीस से चालीस दिन के बीच.... पीआईओ से जवाब मिल जाएगा... उसे आधार बना कर... खुद को पीड़ित बता कर... कोर्ट में.. पीआईएल दाखिल करेगा...
परीड़ा - बिल्कुल... क्यूंकि वह खुद उस केस से जुड़ा हुआ था... तो जाहिर है अब वह अपनी दिमाग से... केस लड़ेगा...
रोणा - आ... ह्ह्ह.. (छत की ओर देख कर दोनों हाथ उठा कर चिल्लाने लगता है) आ.. आ.. आ.. ह्ह्ह्ह्...

कुछ देर के लिए फिर से खामोशी पसर जाती है l परीड़ा और बल्लभ के चेहरे पर टेंशन साफ दिख रहा था और रोणा कमरे के अंदर इधर उधर... उधर इधर होता है l

रोणा - जब उस हरामजादे को पकड़ा था... कहा था मैंने... एनकाउंटर कर देते हैं... राजा साहब ने और (बल्लभ से) तुमने... मुझे रोका था... अब देख... हमारी कब्र खोद रहा है वह मादरचोद... तभी... तभी मैं बोलूँ... वह कमीनी वैदेही... उसे इतना कानून कैसे मालुम हो गया... मुझे... इंस्पेक्टर अनिकेत रोणा को चैलेंज दी उसने... अब पता चला... किसके दम पर वह उछल रही थी... देख लूँगा... मैं उन दोनों भाई बहन को देख लूँगा...
बल्लभ - (समझाने के लहजे में) कुछ नहीं करना है तुझे रोणा... कुछ भी मत करना...
रोणा - (भड़कते हुए) अबे चुप... (मुहं बना कर चिढ़ाते हुए) कुछ नहीं करना... तो क्या करूँ... उसके लौडे पर बैठ कर पादुं..
परीड़ा - प्रधान ठीक कह रहा है रोणा...
रोणा - क्या ठीक कह रहा है... क्या ठीक कह रहा है... साला वकील है... इसलिए... उस नए वकील से डर गया...

बल्लभ अपनी जगह से उठता है और एक झन्नाटेदार थप्पड़ रोणा के गाल पर जमा देता है l रोणा थप्पड़ खा कर अपने ही कुर्सी पर गिरता है और संभल कर बैठता है l

बल्लभ - मिर्गी का दौरा पड़ा था क्या... भोषड़ी के... वह अब एक आर टी आई एक्टिविस्ट है... उसने जिस केस पर... आर टी आई में सरकार से जवाब मांगा है... अगर उसे कुछ होता है... तो वह केस... सीबीआई को हस्तांतरित हो जाएगा... समझा कुछ... या लगाऊँ तुझे एक और थप्पड़...

उधर रंगा घुटने पर बैठे बैठे विश्व के बारे में जितना जानता था सारी बातेँ ओंकार चेट्टी को बताता है l ओंकार चेट्टी आँखे मूँद कर मगर खड़े रह कर सब सुन रहा था l सब जानने के बाद

चेट्टी - (अपनी आँखे मूँदे हुए) ह्म्म्म्म... तो यह वही विश्व है... जिसके वकील को... यश ने बड़े क्षेत्रपाल के लिए लुढ़काया था... इसका मतलब यह हुआ कि.... वह क्षेत्रपाल का दुश्मन हुआ... तो फिर.... उसने क्षेत्रपाल की बहु को... क्यूँ बचाया... (अपनी आँखे खोल कर रंगा से) क्यूँ बचाया...
रंगा - मैं... (हकलाते हुए) मैं कैसे कह सकता हूँ...

तभी रंगा का एक गुर्गा जो रंगा के साथ घुटनों पर बैठा हुआ था वह अपना हाथ उठा कर

गुर्गा - मैं बताऊँ मालिक...
चेट्टी - हाँ... बोल...
गुर्गा - मालिक रंगा भाई... उस विश्व को देखते ही भाग गए... और हम भी रंगा भाई के पीछे पीछे भाग लिए... अब वह विश्व... बचाने आया था... या टहलने... क्या पता...
चेट्टी - ह्म्म्म्म... वेरी गुड... चल अब खड़ा हो जा... बहुत देर से घुटने पर बैठा है...
गुर्गा - (खुश होते हुए) जी मालिक... (खड़े हो कर) शुक्रिया मालिक...
चेट्टी - ह्म्म्म्म... अब अपना पिछवाड़ा उठा कर... मुर्गा बन जा...
गुर्गा - (हैरानी से) मालिक...
चेट्टी - साले... हरामी... अपने भागने की कहानी ऐसे बता रहा है... जैसे कोई ओलिंपिक पदक जीत के आया है... (चिल्लाते हुए) मुर्गा बन...

वह गुर्गा मुहँ बना कर मुर्गा बन जाता है l चेट्टी अपनी आँखे बंद कर सोचने लगता है l अचानक वह अपनी आँखे खोल कर हैरानी से रंगा से पूछता है

चेट्टी - क्या... क्या नाम बताया उसका...
रंगा - विश्वा...
चेट्टी - अब याद आया... इसके साथ मेरे यश की... जैल में कबड्डी की मैच हुई थी... यह नाम उस इंटरनल इंक्वायरी मैं आया था... ह्म्म्म्म...
केके - चेट्टी सर... क्या मैं कुछ कहूँ...
चेट्टी - हाँ... तु भी कुछ कह ले...
केके - कहावत है कि... दुश्मन के दुश्मन... दोस्त होता है... क्यूँ ना हम उसे अपने साथ मिला लें...
चेट्टी - ह्म्म्म्म... अगर बात छिड़ ही गई है... तो यह तेरे जिम्मे रहा... तु उससे बात कर... और अपने ग्रुप में शामिल कर...
रंगा - म..म.. मालिक... मेरा... क्या होगा...
चेट्टी - हूँ... बात तो सही है... तेरा क्या होगा रंगा...
रंगा - प्लीज... प्लीज मालिक प्लीज...
चेट्टी - केके... इसे और इसके लफंडरों को... अपने माइनिंग इलाके में छुपा दे... वरना... अगर यहीं रहे... तो कभी ना कभी विक्रम के हत्थे चढ़ जाएंगे...
केके - जी सर... और अब... अब हम क्या करें...
चेट्टी - कभी कभी दुश्मन के आँखों के सामने रहने से... जान और माल दोनों महफूज रहते हैं... वह अब हमसे ताकत के बूते नहीं... दिमाग से लड़ेगा... इसके लिए हमें तैयार होना होगा...

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विक्रम और रुप दोनों रॉकी के वार्ड में आते हैं l रॉकी लेटा हुआ था और उसके सिरहाने आँखों में आंसू लिए उसकी माँ और बगल में चेयर डाल कर उसका बाप रमेश चिंता में बैठे हुए हैं l रॉकी विक्रम को देख कर सीधा होने की कोशिश करता है I रॉकी के माँ बाप भी खड़े हो जाते हैं l

रुप - नहीं नहीं... आराम से... (रॉकी से) तुम उठो मत...
विक्रम - (रॉकी के पास बैठ कर) थैंक्यू... आज तुमने जो किया... (पॉज लेता है) मैं उसके लिए... (फिर पॉज लेता है) (रॉकी के हाथ अपने हाथ में लेकर) रॉकी... आज तुम मुझसे कुछ भी मांग लो...
रॉकी - (हल्का सा मुस्कराते हुए) विक्रम सर... आप शायद नहीं जानते... मैं शुरु से ही शुभ्रा जी को भाभी ही कहा करता था... हालात ऐसे हुए... की मैंने नंदिनी जी को बहन कहा... शायद वह रिश्ता निभाने के लिए... भगवान ने मुझे मौका दिया...

विक्रम मुस्कराता हुआ उसके हाथों पर थपकी देता है l

विक्रम - तुमने भगवान कहा... मैं उन्हें नहीं जानता... पर आज मैं दिल से तुम्हें अपने भाई का दर्जा देता हूँ... और वादा करता हूँ... हमेशा तुम्हारे साथ एक बड़े भाई की तरह पेश आऊंगा... और तुम्हारे साथ रहूँगा... वादा है मेरा...
रॉकी - इतनी बड़ी इज़्ज़त दे दी आपने... और क्या चाहिए... बस भाभी मुझे देवर मान लें.. यही मेरे लिए काफी होगा...

विक्रम और रुप हँस देते हैं l उनके साथ रॉकी के माँ बाप भी मुस्करा देते हैं l विक्रम वहाँ से उठता है और रॉकी के माता पिता के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाता है l

रमेश - यह.. यह क्या कर रहे हैं आप...
रॉकी की माँ - प्लीज राज कुमार जी... आप हमारे आगे हाथ मत जोड़िये...
विक्रम - मैं हमेशा से... आपके परिवार का गुनहगार रहूँगा... पिछली बार राजेश के वजह से... मैं शुभ्रा को बचा पाया था... पर जाने अनजाने में... (विक्रम चुप हो जाता है) और आज.. राकेश ने फिर से शुभ्रा को बचाया... मैं.. (आवाज़ भर्रा जाती है) कर्जदार हो गया आपका...
रॉ.माँ - आप ऐसे ना कहें राज कुमार... आपने भी तो आज हमारे बेटे को बहुत इज़्ज़त दी है...

विक्रम और कुछ कह नहीं पाता वह वहाँ से अपना सिर झुका कर बाहर चला जाता है l

रुप - (रॉकी से)(भरे हुए गले में) आज वाकई... तुम मेरे भाई हो गए हो... और यह मेरे लिए एक तोहफा है... थैंक्यू भैया...

कह कर रॉकी के गले लग जाती है l रॉकी के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं l

रॉकी - तो.. तुमने मुझे माफ कर दिया...
रुप - हाँ भैया...
रॉकी - (भर्राती आवाज में) थैंक्यू बहना...
रुप - (रॉकी से अलग हो कर) आप जल्दी से ठीक हो जाओ भैया...
रॉकी - जरूर...

रुप फिर रॉकी के माँ बाप से इजाजत लेकर कमरे से निकल जाती है और शुभ्रा की कमरे की ओर जाती है l दरवाजे के पास वह विक्रम को खड़े देखती है I विक्रम को देखते ही वह समझ जाती है कि विक्रम अंदर जाने के लिए झिझक रहा था l पर फिर विक्रम हिम्मत करते हुए अंदर चला जाता है l रुप बंद हो रहे दरवाजे को रोक देती है और किनारे से अंदर झाँकती है l

विक्रम को अंदर देख कर शुभ्रा बेड से उतर जाती है l विक्रम कुछ कहने की कोशिश करता है पर जैसे शब्द उसके गले में घुट रही थी l वह कुछ नहीं कह पाता, भीगे पलकों में शुभ्रा को देखने लगता है l शुभ्रा से भी रहा नहीं जाता वह भागते हुए जाती है और बिलखते हुए विक्रम के गले लग जाती है l

शुभ्रा - मुझे माफ कर दीजिए.. विकी... मुझे माफ कर दीजिए...
विक्रम - कोई बात नहीं है... कुछ हुआ भी नहीं है... अगर आपको कुछ हो जाता.... तो हम...
शुभ्रा - सॉरी विकी... सॉरी...

दोनों यूहीं एक दुसरे के बाहों में कुछ देर सिसकते हैं l

शुभ्रा - (खुद को संभाल कर) एक बात पूछूं...
विक्रम - पूछिये...
शुभ्रा - क्या... अब भी उस लड़के के लिए... मन में गुस्सा है...
विक्रम - (शुभ्रा के चेहरे को ऊपर उठाता है) मैं आप से झूठ हरगिज नहीं कहूँगा... हाँ मेरे मन में गुस्सा है... पर सच यह भी है... की उसीके वजह से... आज आप मेरी जिंदगी में हैं... मेरी बाहों में हैं...
शुभ्रा - (विक्रम की आँखों में देख कर) तो क्या आप...
विक्रम - जान... मैं राजवंशी हूँ... गुस्सा पालना जानता हूँ... भले ही खुन्नस खाए हूँ... पर खुन्नस तभी उतार पाऊँगा.. जब उसके एहसान को उतार पाऊँगा... और... (अपना हाथ शुभ्रा के सिर पर रख कर) वादा करता हूँ... जब तक उसकी ऐसी कोई मदत ना कर दूँ... तब तक... अपनी खुन्नस को आड़े आने नहीं दूँगा... (फिर शुभ्रा के दोनों हाथ पकड़ कर) मैं इतना बुरा तो नहीं हूँ ना... के किसीकी जान ले लूँ...

शुभ्रा फिर से विक्रम के गले लग जाती है l यह सब दरवाजे के ओट से देख कर को जितनी खुशी हो रही थी, उसकी आँखे उतनी ही बह रही थी l वह दरवाजे से हटती है और लॉबी मे पड़े एक चेयर पर बैठ जाती है और खुद से बातेँ करने लगती है

तुम कौन हो... कभी कभी जाने पहचाने से लगते हो... अनाम लगते हो... और कभी कभी एकदम से अनजाने से लगते हो... कौन हो तुम... अकेले कितनों से भी भीड़ सकते हो... मुजरिम तुमसे डरते हैं... सेक्शन शंकर... डरा... रंगा... डरा... बड़े बड़े छटे हुए बदमाश तुमसे डरते हैं... क्या पुलिस वाले हो... आ.. आ.. ह्ह्ह्... मैं पता करूंगी... जरूर पता करूंगी....
 

Jaguaar

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कटक सदर
चेट्टी निवास
घर के परिसर में सात गाडियों का एक काफिला आकर रुकने लगती है l तीन गाड़ी आगे और तीन गाड़ी पीछे, बीच वाली बड़ी सी गाड़ी को कवर करते हुए काफिला रुकती है l तीसरी गाड़ी में से कुछ गार्ड्स उतरते हैं और बीच वाले गाड़ी के पास जाकर खड़े हो जाते हैं l एक गार्ड गाड़ी की डोर खोलता है l महानायक पिता पुत्र बड़े ठाठ से उतरते हैं l दोनों चेट्टी निवास के अंदर जाने लगते हैं और सारे गार्ड्स गाड़ी के पास खड़े रहते हैं l केके और विनय जब अंदर पहुँचते हैं तो वहां पर मौजूद लोगों के चेहरे पर डर गुस्सा और शर्मिंदगी का मिला जुला भाव देखते हैं l

विनय - (बहुत धीरे से) डैड... कहीं चेट्टी अंकल.. सिधार तो नहीं गए...
केके - (दबी हुई आवाज में) चुप कर कमबख्त... (वहाँ पर खड़े एक दाढ़ी वाले आदमी से) चेट्टी सर जी कहाँ पर हैं...

वह आदमी अपना चेहरा उठा कर ऊपर की ओर इशारा करता है l उसे ऊपर की ओर इशारा करते हुए देख विनय

विनय - (चौंक कर) क्या... चेट्टी अंकल ऊपर सिधार गए... (रोते हुए) आँ.. हाँ.. आ..
वह आदमी - ऑए... यह क्या कह रहा है... चेट्टी साहब अपने ऊपर वाले कमरे में हैं...
विनय - ओ... (खुश होते हुए) ऊपर मतलब... ऊपर वाले कमरे में...
वह आदमी - हाँ...
विनय - वैसे... दाढ़ी वाले भाई... यहाँ तो खुशियाँ हल्ला गुल्ला शोर होना चाहिए था... पर मातम क्यूँ दिख रहा है...
वह आदमी - पता नहीं... हम जब आए... चेट्टी साहब... कुछ लोगों को... गाली देते हुए यहाँ से निकाल दिए... और खुद को कमरे में बंद कर रखा है...
विनय - ओ...

महानायक बाप बेटे सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर पहुँचते हैं l ऊपर चेट्टी ने खुद को जिस कमरे में बंद कर रखा था उस कमरे के सामने आठ दस लोग हाथ पर हाथ बांधे सिर झुकाए खड़े थे l महानायक बाप बेटे को देख वहाँ पर खड़े एक टकला आदमी कमरे का दरवाजा खट खटाता है l

चेट्टी - (चिल्लाते हुए) क्या है...
टकला - मालिक... वह.. केके साहब... और उनके बेटे आए हैं...

अंदर से कोई आवाज़ नहीं आती है l विनय और केके थोड़े हैरान होते हैं l क्लिक - टक आवाज के बाद दरवाजा खुलता है, पर चेट्टी उन्हें नहीं दिखता है l

चेट्टी - अंदर आ जाओ तुम दोनों...

केके और विनय दोनों अंदर आते हैं पर उन्हें अंदर कोई नहीं दिखता है पर कमरे की हालत खराब था, जैसे वहाँ कोई तूफान गुजरा हो, कमरे की हालत देख कर हैरान हो रहे थे कि तभी दरवाज़ा बंद होता है l बाप बेटे पीछे मुड़ कर देखते हैं चेट्टी फटे कपड़ों में बिखरे बालों के साथ खड़ा हुआ है l चेहरे पर और जिस्म पर कहीं कहीं चोट के निशान दिख रहे हैं l उनकी ऐसी हालत देख कर बाप बेटे दोनों हैरान हो कर कभी चेट्टी को तो कभी एक दुसरे को देखते हैं l

केके - (हकलाते हुए) यह.. यह आपकी... ऐसी हालत... कैसे... किसने...
चेट्टी - (लंगड़ा के चलते हुए कमरे में पड़े एक सोफ़े के पास खड़ा होता है और महानायक बाप बेटे को हाथों से इशारा करते हुए) बताता हूँ... पहले बैठ जाओ... (उनके बैठने के बाद) (कराहते हुए) कभी कभी हमे लगता है... की प्लान परफेक्ट है... पर परफेक्ट प्लान भी... बैक फायर करती है...
केके - (हैरान हो कर) क्या... मतलब क्या हुआ यहाँ...

एक गहरी सांस छोड़ते हुए इन बाप बेटों के आने से पहले जो हुआ वह बताने लगता है l

चेट्टी निवास के ड्रॉइंग रुम में एक सिंहासन नुमा कुर्सी पर बैठे ओंकार विक्रम को फोन पर शुभ्रा की लोकेशन बता कर फोन काट देता है और जोर जोर से हँसने लगता है l धीरे धीरे उसके चेहरे से हँसी गायब होने लगती है और चेहरे पर गुस्सा और नफरत की मिली जुली भाव छाने लगती है l वह दारू की बोतल उठा कर पीने लगता है l कुछ घूंट पीने के बाद हांफते हुए बोतल को टेबल पर रखता है l जोर जोर से सांस लेते हुए खड़ा होता है और दीवार पर लगे यश के फोटो के सामने खड़े हो कर

चेट्टी - बेटा... मेरा बदला शुरु हो गया है... जो हराम खोर.. मेरी उंगली पकड़ कर राजनीति के गलियारे में कदम रखे थे... मेरे सहारे xxx पार्टी में घुसे थे... वही क्षेत्रपाल बाप बेटे... हमारी दोस्ती को कुचल कर.. हमें ही रास्ते से हटा दिया... (रोते हुए) हमारा सब कुछ बर्बाद कर दिया... (चेहरा को कठोर करते हुए) तु फिक्र मत कर बेटे... आज मैंने खुलेआम जंग छेड़ दी है... अब क्षेत्रपालों की... इज़्ज़त... रौब.. रुतबा.. सब बिखरेंगे... देखना तु मेरे बेटे... देखना....

तभी एक धमाका सुनाई देता है l उस धमाके के फौरन बाद बिजली चली जाती है l कुछ गार्ड्स ड्रॉइंग रुम के अंदर भाग कर आते हैं l

चेट्टी - (थोड़े नशे में) ऐ... क्या हुआ...
एक गार्ड - सर... हम नहीं जानते... पास कहीं पर धमाका हुआ है... तो हम अपनी अपनी पोजीशन ले रहे हैं...

तभी इंवर्टर से घर में इक्का दुक्का पंखे चलने लगते हैं और कुछ लाइट्स जलने लगती हैं l जैसे ही लाइट जलती है

चेट्टी - (सभी गार्ड्स से) अब तुम लोग जाओ.... देखो... कोई बाहर वाला आने ना पाए...
एक गार्ड - सर... प्लीज... आप अपने बेड रुम में चलिए... हम तब तक... सब चेक कर लेंगे...
चेट्टी - ठीक है...

कहकर लड़खड़ाते कदमों में ऊपर अपने कमरे की ओर जाने लगता है l उसके साथ चार गार्ड्स भी जाने लगते हैं l

चेट्टी - तुम लोग कहाँ जा रहे हो....
एक गार्ड - सर.. पहले आप महफ़ूज़ तो हो जाइए...
चेट्टी - ठीक है...

ऊपर कमरे के बाहर गार्ड चेट्टी को रोक कर अंदर एक नजर मारता है और फिर चेट्टी को अंदर जाने के लिए कहता है l चेट्टी खीजते हुए अंदर जा कर दरवाजा बंद कर देता है l अंदर सेल्फ पर रखे शराब की बोतलों में से एक उठाता है और खोल कर मुहँ लगा कर पीने लगता है l

:- सच कहा था तुने... ना तेरा कोई आगे है... ना कोई पीछे...(चौंक कर आवाज की तरफ देखता है, उसे ब्लर सा दिख रहा था)
चेट्टी - कौन है... (चटाक, एक थप्पड़ उसके गाल पर लगती है)

लड़खड़ा कर एक टेबल के पास पहुँचता है, और उस टेबल पर रखे फ्लावर वश से पानी निकाल कर अपनी आँखों पर मारने लगता है l तभी एक हाथ उसके गिरेबान को खिंच कर और एक थप्पड़ मार देता है l इसबार वह कमरे के बेड पर जा कर गिरता है l वह मुड़ कर देखता है l इसबार उसे सब साफ नजर आता है l

चेट्टी - विक्रम... तु. तुम... यहाँ.. कब और कैसे...
विक्रम - तुझे लगा... मैंने किसीसे गाड़ी छिन कर... अपनी बीवी को बचाने के लिए गया... जाहिर है... तेरे सारे आदमी भी... तुझे वही बताया होगा... इसीलिए... उन सब को ठेंगा दिखा कर.... मैं यहाँ पहुँच गया...
चेट्टी - हा हा हा हा... मतलब... तुझे तेरी बीवी से प्यार नहीं है... हा हा हा हा... क्षेत्रपाल जो ठहरा...
विक्रम - (उसके गिरेबान पकड़ कर) शुभ्रा... मेरी जान है... उनकी सुरक्षा पर कंफर्मेशन पाने के बाद... मैं यहाँ आया हूँ...

कह कर चेट्टी को उठा कर फेंक देता है l दीवार से लगे यश के फोटो से टकरा कर चेट्टी फोटो के साथ गिरता है l वह चिल्लाने को होता है कि विक्रम उसका मुहँ दबोच लेता है और उसके कान में धीरे से कहने लगता है l

विक्रम - मैं अपने साथ साथ... मेरे परिवार के हर सदस्य को जीपीएस ट्रैकिंग में रखता हूँ... और तु यह कैसे भुल गया... के शहर की ज्यादातर सर्विलांस ESS की दी हुई है... भले ही जैमर से मोबाइल सिग्नल को जैम कर दिआ... पर सर्विलांस ज्यों का त्यों ही था... जैसे ही शुभ्रा डिटेक्ट हुई.... ESS उन्हें सेव करने निकल गई है.... कायदे से तो... मुझे जाना चाहिए था... पर मुझे अपने ESS पर पूरा भरोसा है... इसलिए तेरी बजाने आ गया....

कह कर अपने तरफ घुमाता है और पेट पर एक जोरदार पंच मारता है l जिसके वजह से उसके हलक से निकल रही चीख घुट जाती है l वह पेट को पकड़ कर पीछे हटते हुए सोफ़े पर गिरता है l

विक्रम - तेरे हिफाजत के लिए... यहाँ वाई प्लस सिक्युरिटी मिली हुई है ना तुझे... देख तेरी सिक्युरिटी की बजा कर... मैं तेरी ले रहा हूँ...

दर्द से छटपटाते हुए चेट्टी विक्रम को देखने लगता है l अपने चेहरे पर हँसी लाते हुए l

चेट्टी - कुछ भी हो विक्रम... आज तेरी बीवी तुझे... सलामत तो नहीं मिलेगी...
विक्रम - कमीने... (चेट्टी की गिरेबान पकड़ कर खड़ा करता है)
चेट्टी - (एक कमीनी हँसी हँसते हुए) हाँ... राज कुमार क्षेत्रपाल... तेरी बीवी को जिस मॉल तक... एस्कॉट करते हुए ले जाया गया है... वहाँ पर रॉय ग्रुप सिक्युरिटी की सर्विस है... हा हा हा... (अपनी गिरेबान को छुड़ा कर कुर्सी पर पैर पर पैर रख कर बैठते हुए) कुछ भी हो... तु यह बाजी हार जाएगा... आह...
विक्रम - (एक लात फिर से पेट में मारता है, चेट्टी का मुहँ खुल जाता है, विक्रम उसमें अपना रुमाल ठूंस देता है और उसका गिरेबान पकड़ कर) शतरंज में चालें तभी चलो... जब शाह को महफ़ूज़ रख सको... (कह कर चेट्टी को खिंच कर उठाता है और फिर उसे सोफ़े के सामने वाले टी पोए पर पेट के बल पटक देता है) और साजिशों की दुकान तभी चलाओ... जब तशरीफ को मजबुत रख सको...

विक्रम अपनी कमर से बेल्ट निकालता है और चेट्टी के गांड पर चाबुक की तरह बरसाने लगता है l चेट्टी हिल नहीं पाता क्यूंकि विक्रम अपना पैर चेट्टी के पीठ पर दबाव बनाए रखा था और मुहँ में रुमाल होने के वजह से चेट्टी चिल्ला नहीं पाता l जी भर कर मारने के बाद l विक्रम अपना बेल्ट पहनता है और चेट्टी का सिर के तरफ बैठ जाता है l

विक्रम - अबे ढक्कन... हाथ तो फ्री था... रुमाल निकाल कर चिल्ला भी सकता था...

यह सुन कर चेट्टी हैरान हो कर विक्रम की ओर देखता है l विक्रम मुस्कराते हुए अपना मोबाइल निकाल कर महांती का मैसेज दिखाता है
"युवराणी सेफ, बट स्टील वी आर इन xxx मेडिकल वीथ हर"
मैसेज देख कर चेट्टी और भी हैरान होता है l

विक्रम - यह है ESS समझा... सुन बे... भुतनी के... मैं कभी भी तुम लोगों तक पहुँच सकता हूँ... यही बताने यहाँ आया था... बता कर जा रहा हूँ...

कह कर विक्रम उसे उठाता है और बेड पर धक्का देता है l चेट्टी बेड पर पेट के बल गिरता है l विक्रम दरवाजा खोल कर बाहर जाता है l सीढियों से उतर कर नीचे आता है l नीचे पहरा देते हुए गार्ड से

विक्रम - ऐ.. सुनो... चेट्टी अंकल... तुमको बुला रहे हैं... जाओ तुम सब ऊपर...

गार्ड्स सभी ऊपर के कमरे की ओर भागते हैं l जैसे ही सब ऊपर के कमरे में पहुँचते हैं

चेट्टी - (पुरी ताकत से चिल्लाते हुए) गेट ऑउट...

कहानी खतम होती है l चेट्टी अपनी जबड़े भींचे हुए आँखे बंद कर खड़ा हुआ है l महानायक बाप बेटे यह सुन कर हैरान थे l

केके - मतलब रंगा... कुछ नहीं कर पाया...
चेट्टी - हाँ... लगता तो यही है... (दर्द को दबा कर कराहते हुए) उससे काम नहीं हुआ...
विनय - अंकल... लगता है आपको बहुत दर्द हो रहा है... प्लीज बैठ जाइए...

चेट्टी उसे गुस्से से खा जाने वाली नजर से घूरने लगता है l

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होटल xxx
शूट के अंदर रोणा सिर्फ टावल पहन कर अपनी आँखे मूँद कर एक स्टूल पर बैठा हुआ है l उसके बदन पर जलन बहुत मात्रा में कम हो गया है पर फिर भी उसके बदन पर हल्के गुलाबी रंग के छाले नजर आ रहे हैं l उसके सामने बल्लभ चहल कदम कर रहा था l

बल्लभ - पता नहीं... यह परीड़ा कहाँ मर गया है... अभी तक तो आ जाना चाहिए था...
रोणा - (अपनी आँखे मूँदे हुए) आ जाएगा... फिक्र मत कर आ जाएगा...
बल्लभ - तु भुतनी के... चुप रह... साले हरामी... बोला था तुझे... दोबारा किसी हस्पताल में... नर्स की पिछवाड़ा देखने जैसा काम मत कर... पर कुत्ते का दुम है तु...
रोणा - हाँ हाँ... टेढ़ा हूँ... तो...
बल्लभ - (चिढ़ कर) छे... तेरे से ज्यादा बात की तो... मेरा बीपी उठ जाएगा... (तभी उनके शूट की डोर बेल बजती है) लगता है... परीड़ा आ गया...

कह कर बल्लभ दरवाजा खोलने के लिए बेड रुम से बाहर आता है l दरवाजा खोलता है तो उसे एक फ़ूड ट्रॉली पर गुलदस्ता मिलता है ग्रीटिंग के साथ l बिल्कुल हूबहू वैसा ही गुलदस्ता था, जैसा रोणा को मेडिकल में मिला था l वह दरवाजे से बाहर आकर करीडर में नजर घुमाता है, उसे कोई नहीं दिखता l वह कुछ सोचते हुए ग्रीटिंग कार्ड उठाता है और उसे खोलता है l

"आँख लगाओ तो आँख जले...
मुहँ लगाओ तो मुहँ जले....
और दिल लगाओ तो दिल जले...

अब तुम्हारा जलन ठीक हो गया होगा l फिर भी गेट वैल सुन"

यह पढ़ते ही बल्लभ की आँखे हैरानी से बड़ी हो जाती हैं l वह झट से गुलदस्ता अंदर लेकर दरवाजा बंद कर देता है l दरवाजे पर टेक् लगाए कुछ देर खड़ा रहता है फिर कुछ सोच कर वह गुलदस्ता उठा कर बेड रुम में आता है l रोणा की आँखे हैरानी से फैल जाता है l क्यूँकी हस्पताल वाली गुलदस्ता वह भुला नहीं था I

रोणा - (हैरानी भरे लहजे में) कोई मेसेज भी होना चाहिए... (बल्लभ वह ग्रीटिंग कार्ड को रोणा के हाथ में दे देता है, कार्ड में रोणा मेसेज पढ़ते ही चौंक जाता है) यह... यह बात तो मैंने... कल जीम में... तुझसे कहा था...
बल्लभ - हाँ... मतलब कल जो फर्श साफ कर रहा था... वही था... (अपना हाथ माथे पर मारते हुए) आआआह्ह्ह...
रोणा - (गुस्से में) साला कमीना... मेरे पास ही था वह... आ आ ह...
बल्लभ - कल मुझे परीड़ा ने कहा था... हमारे आस पास रह कर... कोई हमारी ले रहा है...

तभी फिर से डोर बेल बजती है l बल्लभ समझ जाता है जरुर इस बार परीड़ा ही आया होगा l वह फिर से दरवाजा खोलता है, हाथों में कुछ फाइल्स लिए सामने परीड़ा ही था l परीड़ा उसके चेहरे पर आए भाव को देख कर

परीड़ा - क्या बात है प्रधान... तेरे चेहरे पर... बारह क्यूँ बजे हुए हैं... क्या फिर से टमाटर समझ कर कोई... टट्टे काट लिया क्या तुम लोगों के...

बल्लभ सिर हिला कर अंदर आने के लिए इशारा करता है l परीड़ा अंदर आता है और दोनों मिलकर बेड रुम में रोणा के पास आ कर चेयर पर बैठ जाते हैं l परीड़ा दोनों के चेहरों को देखने के बाद

परीड़ा - कोई बतायेगा... क्या हुआ है अभी यहाँ...

बल्लभ गुलदस्ते के बारे में परीड़ा को सारी बातेँ बताता है l सब कुछ सुनने के बाद

परीड़ा - मतलब यह हुआ... फटे में टांग अड़ाओ तो टट्टे संभाल कर...
बल्लभ - (दांत पिसते हुए) बंद करेगा... तु अपना टट्टे पुराण...
परीड़ा - हाँ बंद कर देते हैं...
रोणा - तो... भुत पूर्व आईबी ऑफिसर... कुछ उखाड़ कर लाए हो... या खाली हाथ...
परीड़ा - (फाइलों को दिखाते हुए) तुझे मैं खाली हाथ दिख रहा हूँ...
रोणा - यह सब विश्व ही कर रहा है ना... उसका कोई संबंध उस एडवोकेट प्रतिभा से है क्या...
परीड़ा - पता नहीं...
बल्लभ और रोणा - (एक साथ) क्या...
रोणा - तो इतने फाइल क्या झुनझुना बजाने लाया है...
बल्लभ - तु तो कह रहा था... वह कुछ सुराग छोड़ कर गया है...
परीड़ा - वह तो अभी भी कह रहा हूँ...
रोणा - पर तुने ही अभी कहा... तुझे उसके बारे में पता नहीं...
परीड़ा - हाँ... और मैंने कल प्रधान से यह भी कहा था... की हम आज तीनों मिलकर बैठेंगे... एक एक कडियों को जोड़ कर... सारी पहेलियाँ सुलझाएंगे... क्यूंकि पहेली सुलझे या नहीं सुलझे... झटका तो आखिर में... तुम लोगों को लगनी ही है...

परीड़ा की बातेँ सुन कर रोणा और बल्लभ दोनों हैरान हो कर एक दुसरे को देखते हैं l

परीड़ा - अटेंशन प्लीज... (दोनों परीड़ा की ओर देखते हैं) तो सारी कड़ियां, सीसीटीवी की फुटेज सब देखने के बाद... मैं एक थ्योरी बनाता हूँ... देखते हैं... कितना मैच करता है... तो शुरु करें...

बल्लभ और रोणा दोनों अपना सिर हाँ में हिलाते हैं l

परीड़ा - तो... कटक में कुटाई कांड के बाद... तुम दोनों ने कटक छोड़ दिया... और अपने राजगड़ चले जाने की अफवाह फैला दी... उसके बाद तुम दोनों भुवनेश्वर आ गए... और तब तक सेफ थे... जब तक वकील प्रतिभा से मुलाकात नहीं हुई थी.... (बल्लभ और रोणा दोनों कुछ सोच में पड़ जाते हैं) यस जेंटलमेन... लेट्स मूव... प्रतिभा के घर से निकलने के बाद... तुम लोग बक्शी जगबंधु विहार के आउटर पर टैक्सी का इंतजार करने लगे... तभी एक टैक्सी आता है... तुम लोगों से भुवनेश्वर जाने के लिए पूछता है... राइट...
रोणा - तो... उसमें क्या थ्योरी है... हम लोग टैक्सी में ही तो आए थे...
परीड़ा - टट्टे कट जाए तो जाए... पर टमाटर ना जाए...
रोणा - क्या मतलब है तुम्हारा...
परीड़ा - पहले बात को सुनो... फिर नाक घुसेड़ो...
बल्लभ - तु बताना चालू रख...
परीड़ा - तुम दोनों उस टैक्सी में बैठ गए... टैक्सी के ड्राइवर के साथ आगे की सीट में एक बंदा बैठा था... राइट...
दोनों - हाँ...
परीड़ा - वह टैक्सी तुम दोनों को... होटल के प्रेमीसेस में लाकर ड्रॉप कर देता है... रोणा सीधे होटल के बार में घुस जाता है... और प्रधान तुम रिसेप्शन से स्वैप कार्ड लेकर कमरे की ओर चले गए... राइट...
दोनों - ह्म्म्म्म... राइट...
परीड़ा - तो अब... जो तुम दोनों ने नोटिस नहीं किया... वह यही.. के तुम दोनों के पीछे पीछे टैक्सी ड्राइवर के बगल में जो बैठा था वह उतरा... वह रिसेप्शन में प्रधान के पीछे खड़ा था... प्रधान अपने कमरे का नंबर बता कर चाबी लिया था... जिससे उसे तुम्हारे कमरे का नंबर मालुम हो गया... कुछ देर बाद और एक आदमी रिसेप्शन पर आता है... वह टैक्सी वाला उससे गले मिलता है... दोनों अब रिसेप्शन से तुम्हारे ठीक ऊपर वाले फ्लोर पर तुम्हारे ऊपर वाला रुम मांगते हैं... चूंकि रुम खाली था... उन्हें मिल जाता है... वह अपने रुम अंदर जा कर... बाथरुम के वेंटिलेशन विंडो निकाल कर अपने कमरे के वाटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन से वाकिफ़ होते हैं...
बल्लभ - पर... वाटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन... और ऐसी... दोनों सेंट्रल है ना...
परीड़ा - तो... लास्ट डिस्ट्रीब्यूशन में मैनीपुलेशन किया जा सकता है...
रोणा - तो उसने क्या मैनीपुलेशन किया....
परीड़ा - बताता हूँ... सुबह होटल के... हाउस कीपिंग और सैनीटाइजेशन डिपार्टमेंट को फोन आता है... तुम्हारे ऊपर वाले कमरे से... एक हाउस कीपिंग बॉय और सैनीटाइजींग बॉय दोनों उस कमरे में जाते हैं और हॉस्टेज बना लिए जाते हैं... यानी उन दोनों को क्लोरोफर्म सुंघा कर बेहोश कर दिया जाता है... उन्हीं के कपड़े पहन कर अपने काम को अंजाम देने के लिए तैयार हो जाते हैं... तुम दोनों की रेकी करने के लिए जीम में एक फर्श साफ कर रहा था... इतने में एक तीसरा बंदा आता है... जो सीधे उन दोनों के फ्लोर पर उनके कमरे में जाता है... शायद वही प्लंबिंग के काम में माहिर था... जब प्रधान रोणा को कसरत करते छोड़ कर कमरे की ओर आया... वह हाउस कीपिंग बॉय बन कर आ गया...
प्रधान - हाँ.. हाँ हाँ... मैं चिढ कर जीम से निकल कर कमरे में आया... तेरे ऑफिस जाने के लिए तैयार हो कर जैसे ही कमरे से बाहर निकला... मुझे वह हाउस कीपिंग बॉय मिला... उसने मुझसे हाउस कीपिंग के लिए स्वैप कार्ड मांगा... तो मैंने उसे झट से कार्ड दे तो दिया... पर अंदर से मुझे वाइव भी आ रहा था... तब मैंने उसकी शकल अच्छी तरह से देखा... उसके चेहरे पर दाढ़ी था... फिर... मैं बाहर चला गया...
परीड़ा - ह्म्म्म्म... और... टैप पॉइंट में जो छेड़ छाड़ बाकी था... तुमसे चाबी लेकर उसने कर दिया... और चाबी रिसेप्शन तक पहुँचा दिया...
रोणा - हाँ... एक्सरसाइज खतम कर के रिसेप्शन से चाबी लेकर... मैं कमरे में आया... अपने सारे कपड़े उतारे... फिर पसीना सूखने के बाद बाथरुम गया... पहले टब की ड्रेन को सील किया और नल खोला... ठंडा पानी बहने लगा... मैं शावर के नीचे आकर नहाने लगा... साबुन लगाते वक़्त शावर को बंद किया... साबुन के बाद... जब शावर को खोला खौलता पानी मुझ पर गिरा... मैं चिल्लाते हुए पीछे हटा... पर तब टब में गिर गया... तब तक टब में गरम पानी भरा हुआ था... मेरी हालत खराब हो गई थी... उसके बाद... पर क्या वह ट्रैप मेरे लिए था...
परीड़ा - हाँ... तुम नहा रहे थे... वह देख रहा था... वह सुबह ही... तुम्हारे कमरे के बाथरूम वेंटिलेशन के पास वाटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में... सलेनोएड लगा दिया था... जिससे वह जब चाहे... तुम्हारे कमरे की पानी की लाइन बदल सकता था... और उसने वही किया... जब सारे स्टाफ का ध्यान तुम पर थी... तब वे लोग कमरा छोड़ कर चले गए...
बल्लभ - इतना कुछ करने वाले... जाहिर है... अपनी पहचान छुपाये होंगे...
परीड़ा - हाँ... रिसेप्शन में जो आधार कार्ड दिए थे... वह सब नकली था... मतलब... आदमी भी नकली थे...
रोणा - सीसीटीवी से कोई जानकारी मिली....
परीड़ा - नहीं... वे लोग बहुत ही चालाक हैं... सीसीटीवी से कैसे चेहरा छुपाना है... उसमें वह लोग माहिर निकले...
रोणा - तो भोषड़ी के... तुने उखाड़ा क्या है...
परीड़ा - वही... जो तुम लोग नहीं उखाड़ पाए...

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विक्रम और रुप मिलकर xxx हॉस्पिटल में पहुँचते हैं l पुरे हॉस्पिटल में ESS गार्ड्स के सिक्युरिटी था l हर तरफ ESS के गार्ड्स ही दिख रहे थे l लॉबी में उन्हें महांती दिखता है l दोनों को देख कर महांती उनके पास जाता है l

विक्रम - (घबराए हुए) यह क्या महांती... तुमने तो कहा था कि... शुभ्रा जी को कुछ हुआ नहीं है...
महांती - जी.. उन्हें कुछ भी नहीं हुआ है... जरा सा शॉक में थीं... इसलिए उन्हें मेडिकल लाया गया...
विक्रम - कहाँ है वह...
महांती - वार्ड नंबर @#$ में... हैं... युवराज आप थोड़ा रुकिए... राजकुमारी जी... पहले आप जाइए... युवराणी से मिल लीजिए...
रुप - ठीक है...

कह कर रुप महांती के कहे @#& नंबर वार्ड की ओर चली जाती है l

विक्रम - क्या बात है महांती... तुमने... मुझे क्यों रोक दिया...
महांती - युवराज... हमने जब आपको... युवराणी जी की खैरियत की खबर दिया... तब तक एक्चुयली... युवराणी जी को किसीने मेडिकल में भर्ती कर दिया था... और...
विक्रम - और... और क्या महांती...
महांती - युवराणी जी को मॉल में बचाने की कोशिश में... राकेश रंजन पाढ़ी नामका एक लड़का घायल हो गया...
विक्रम - क्या...

उधर रुप भाग कर शुभ्रा के स्पेशल वार्ड में पहुँचती है l शुभ्रा बेड पर आँखे मूँद कर लेटी हुई थी l

रुप - भाभी...

शुभ्रा अपनी आँखे खोलती है I रुप सिसकते हुए भाग कर शुभ्रा के गले लग जाती है l

रुप - यह क्या है भाभी....
शुभ्रा - कुछ नहीं हुआ है मुझे... पर आज जो भी कुछ हुआ... तुमको वह सब कुछ बताना है...
रुप - क्या भाभी...

शुभ्रा बताना शुरू करती है l

आज सुबह जब अपनी कमरे दरवाजा खोला तो हर रोज की तरह फुल और ग्रीटिंग रखा हुआ था, मैंने ग्रीटिंग उठा कर देखा तो उसमे कुछ अलग लिखा हुआ था

" शुब्बु मेरी जान... आज आप कहीं बाहर ना जाएं तो बेहतर होगा... अगर कहीं जाना जरूरी हुआ तो... वह जीपीएस वाली घड़ी पहन कर जाइयेगा... और कोशिश कीजिएगा... मैंन रोड पर... या मैंन रोड के आसपास खुद को रखें.... कुछ बुरा होने की आसार लगे... तो घबराइयेगा मत... आप महांती के सर्विलांस में रहेंगी "

तब मुझे समझ में आया कुछ तो गड़बड़ है l कोई हमारे ताक में हो सकता है l फिर भी मैं महांती के सर्विलांस हुँगी, यही मेरे लिए दिलासे की बात थी l मैं रुक सकती थी पर कुछ दिन हुए तुम्हारे साथ रह कर उड़ना जो शुरू किया था l उपर से मैं कहीं भी रहूँ, हुँगी तो विकी के नजरों में ही l इसलिए खतरा उठाया मैंने आज तुम्हें फिर से कॉलेज छोड़ने का फैसला किया और विकी भी मान गए l तुम्हें कॉलेज में ड्रॉप करते वक़्त ही देख लिया था मेरे पीछे महांती के लोग साये की तरह लगे हुए हैं l यहीँ पर मैंने बेवकूफ़ी कर दी l एक शरारत सूझी मन में, सोचा एक बार छका देती हूँ l यहीँ गलती कर बैठी जयदेव विहार ओवर ब्रिज के नीचे ट्रैफ़िक से मैं राज भवन स्क्वेयर जाने के वजाए फायर स्टेशन रोड पकड़ ली l मेरी सिक्युरिटी गार्ड्स आगे निकल गए l पर मैं जब घर की ओर गाड़ी मोड़ने की सोची तब तक मुझे हर तरफ गाड़ियां घेर चुके थे l मैं विकी को फोन करने की कोशिश की पर फोन नहीं लगा l तब याद आया कि मैंने विकी की कही हुई घड़ी भी नहीं पहना है l पहली बार मुझे डर का एहसास हुआ l मैं कोशिश करती रही कि मैंन रोड़ से ना हटुं पर असल बात यह थी कि मैं उनके हिसाब से गाड़ी चलाए जा रही थी l गाडियों के काफिले के साथ मैं एक अनजान मॉल के पार्किंग में पहुँची l तब मैंने देखा मोबाइल में सिग्नल आ गया था l विकी को फोन लगाया तो बिजी आ रहा था तो महांती को फोन लगाया, उसका भी फोन बिजी आ रहा था I

तभी जो गाडियाँ मुझे मॉल में लाई थीं l उनमें से कुछ बंदे उतरे I सभी के हाथों में कुछ ना कुछ था l हॉकी स्टिक, रॉड, चेन वगैरह l

मैं - कौन हो तुम लोग... और मुझे ऐसे क्यूँ यहाँ लेकर आए हो... जानते हो मैं कौन हूँ...
एक बंदा - (हँसते हुए) हा हा हा हा... तु... विक्रम की बीवी है... और कुछ... हा हा हा..
शुभ्रा - तुम जानते नहीं... तुमने क्या गलती कर दी है... तुम सोच भी नहीं सकते... तुम्हारा क्या हश्र होने वाला है...
बंदा - मेरा तो जब होगा तब होगा... तु अपनी सोच... वैसे मारने से मना किया गया है... सिर्फ आज दोपहर तक तु यहीं हमारे निगरानी में रहेगी... हमारा साथ देगी तो सलामत रहेगी... कुछ उल्टा सीधा किया तो हमें कुछ भी करने की छूट है...

मैंने अपनी जबड़े भींच लिए धीरे धीरे कदम पीछे किए और पीछे मुड़ कर भागने लगी l कुछ देर बाद मॉल के पार्किंग में गाड़ियों के पीछे छुप गई l वे लोग अब फैल कर मुझे ढूंढने लगे I मैं एक गाड़ी के ओट में छुपी थी कि एक हाथ मेरे मुहँ को दबोच लिया l मैंने डर के मारे अपनी आँख मूँद ली l एक धीमी आवाज मेरे कानों में पड़ी

"घबराइये मत भाभी... मैं आपको कुछ होने नहीं दूँगा"

मैं हैरानी से अपनी आँखे खोल कर देखा वह वीर नहीं था पर चेहरा जाना पहचाना लग रहा था, वह च्विंगम चबा रहा था l

"मैं आपके मुहँ से हाथ निकालूँ"

मैंने सिर हिला कर इशारे से हाँ कहा तो उसने अपना हाथ हटा लिया l

मैं - (दबी हुई आवाज में) क.. कौन हो.. तुम..
वह - भाभी.. पहचाना नहीं मुझे... (मैंने सिर हिलाकर ना कहा) मैं रॉकी... राकेश रंजन...

रुप - (चौंकती है) क्या... आपको बचाने वाला रॉकी था...
शुभ्रा - था नहीं... है...

उधर विक्रम - (महांती से) राकेश...
महांती - हाँ.. हमारे ही कॉलेज में पढ़ता है... स्टुडेंट यूनियन का... जनरल सेक्रेटरी है... और...
विक्रम - और क्या... राजेश आपको याद होगा... जो यश के ऑफिस में लिफ्ट से गिर कर मरा था...
विक्रम - (शुन हो जाता है)
महांती - यह उसका छोटा भाई है... उसे सब रॉकी के नाम से बुलाते हैं...
विक्रम - रॉकी...
महांती - जी...
विक्रम - फिर...
महांती - हमने उस मॉल के पार्किंग एरिया के सारी सीसीटीवी फुटेज... हासिल कर लिए हैं... आगे आप.. इस टेबलेट में देखिए क्या हुआ...

कह कर महांती एक टेबलेट में वीडियो प्ले कर के देता है l विक्रम टेबलेट में देखने लगता है l

रुप - रॉकी...
शुभ्रा - हाँ... मेरे ऊपर होने वाली हमले को अपने ऊपर ले लिया...
रुप - क्या

पार्किंग एरिया में

रॉकी - (धीरे से) पहचाना.. मेरा भाभी कहना... आपको पसंद नहीं था...
शुभ्रा - (थोड़े दुख के साथ सिर हिला कर हाँ कहती है, फिर धीरे से) तुम यहाँ कैसे...
रॉकी - अपने दोस्त के लिए... एक गिफ्ट खरीदने आया था... फिर पार्किंग में आपको देखा... अब कुछ कुछ समझ में आ गया है... आप घबराओ मत... मैं कुछ करता हूँ...

तभी उनके कानों में एक आवाज़ सुनाई देती है l

"वह रहे"

रॉकी और शुभ्रा आवाज के तरफ देखते हैं l एक आदमी हाथ में हॉकी स्टिक लिए उनके तरफ आ रहा था I कुछ ही देर में सारे के सारे लोग इकट्ठा हो जाते हैं l रॉकी और शुभ्रा खड़े हो जाते हैं l

बंदा - ऐ... लड़के.. लड़की को छोड़... और फुट यहाँ से...

एक आदमी आता है और रॉकी की कलर पकड़ कर धक्का दे कर वहाँ से भागता है l शुभ्रा डर के मारे फिर से अपनी जगह से हटने लगती है l

बंदा - इस मॉल की सिक्युरिटी... तेरे पति के.. कंपिटीटर की है... रॉय ग्रुप की... इसलिए इस भरम में मत रहना... कोई आकर तुझे बचा लेगा...

उधर रॉकी एक कोने में अपनी जेब से एक सिगरेट निकालता है, उसे तोड़ देता है l फिर छोटे से हिस्से को जला कर फूंकने लगता है l कुछ सेकेंड फूंकने के बाद मुहँ में रखे च्विंगम से पार्किंग में लगे स्मोक डिटेक्टर में चिपका देता है l फिर दीवार पर लगे फायर एस्टींग्युसर निकाल कर छुपते छुपते शुभ्रा जहां खड़ी थी उस जगह के करीब पहुँचता है l तभी फायर अलार्म बजते हुए पानी की स्प्रिंकलर ऑन हो जाता l वहाँ पर मौजूद सभी लोग हैरान हो जाते हैं l तभी रॉकी हाथ में फायर एस्टींग्युसर लेकर आता है और उसका मुहँ खोल देता है l सफेद धुएं का कोहरा दीवार बन जाता है l रॉकी शुभ्रा के हाथ पकड़ कर वहाँ से भागता है l धुएं में घिरे उन लोगों में से वह प्रमुख बंदा थोड़ा आगे आकर अपने हाथ में पकड़े रॉड को फेंक मारता है l रॉड सीधे रॉकी के सिर पर लगता है l

रॉकी - आ.. ह्.. (गिर जाता है)
शुभ्रा - रॉकी...

रॉकी उठने की कोशिश करते हुए पीछे देखता है कि धुआँ छट रहा और धुएँ को चीरते हुए हॉकी स्टिक्स, चेन उनके तरफ हवा में उड़ते हुए आ रहे हैं l रॉकी उठता है और शुभ्रा को धक्का देता है, और उसके तरफ आ रहे स्टिक्स और चेन की तरफ पीठ कर खड़ा हो जाता है l सभी रॉकी को लगते हैं वह वहीँ गिर जाता है l

शुभ्रा - (भाग कर रॉकी के पास पहुँचती है) रॉकी... (रोते हुए) रॉकी... उठो रॉकी... उठो...

रॉकी बेहोश हो चुका था l वह सब के सब सब शुभ्रा के सामने खड़े थे l फिर से अपने हाथों में स्टिक्स और चेन उठा लेते हैं l

शुभ्रा - (गुस्से से गुर्राते हुए) तुम जो भी हो... बहुत पछताओगे... देखना...
बंदा - कहा ना.. वह जब होगा... तब होगा... आज यहाँ जो भी हो रहा है... सब सीसीटीवी में रिकार्ड हो रहा है... तुम और तुम्हारा पति कितने बेबस हैं... यही सब वायरल किया जाएगा...
शुभ्रा - (गुर्राते हुए) अब मैं कहीं नहीं जाऊँगी... मुझे ढूंढते हुए... मेरी सिक्युरिटी आ पहुँचेगी... तुम लोग सब मारे जाओगे....
बंदा - पहले ही कहा था... यहाँ हमारी सिक्युरिटी है... मैंने कहा था तुझे... कोई हरकत ना करना... क्यूंकि मुझे छूट भी दी गई है... तुझे मार देने के लिए... इसलिए अब चपड़ चपड़ बंद... हाँ मरने से पहले.. मेरा नाम याद रखना... रंगा... रंगा नाम है मेरा...

इतना कह कर वह बंदा अपने हाथ में पकड़े रॉड को शुभ्रा पर मारने के लिए उठाता है l शुभ्रा अपनी आँखे बंद कर लेती है l पर कुछ सेकेंड के बाद भी जब उसे मार नहीं लगती शुभ्रा धीरे से अपनी आँख खोल कर देखती है तो पाती है कि वह बंदा जो शुभ्रा को मारने के लिए रॉड उठाया था वह अपनी जगह पर जड़वत खड़े होकर डर के मारे सामने किसीको देखे जा रहा है l फिर अचानक उसके हाथों से रॉड गिर जाता है l उसके हाथों से रॉड गिरते ही उसके लोग उसे देखते हैं और उसका डरा हुआ चेहरा देख कर बारी बारी सबके हाथों से स्टिक्स, चेन और रॉड गिरने लगते हैं l शुभ्रा को महसुस होता है कि उसके पीछे कोई कदम बढ़ाते हुए आगे आ रहा है, और उसके हर बढ़ते हुए कदमों के ताल में शुभ्रा को मारने आए लोग एक एक कदम पीछे जा रहे थे और फिर वह प्रमुख बंदा रंगा पहले पीछे मुड़ कर भागता है l उसे भागता देख कर उसके सारे बंदे उसके पीछे पीछे भाग जाते हैं l शुभ्रा हैरान हो कर पीछे मुड़ कर देखती है l

विक्रम वीडियो को रोक देता है और महांती को देखता है l

विक्रम - यह आदमी कौन है.. जिसे देख कर... वह लोग भाग गए..
महांती - वह लोग नहीं युवराज... भागने वाला रंगा और उसके गुर्गे थे... एक से एक छठे हुए क्रिमिनल...
विक्रम - क्या...
महांती - हाँ युवराज... उस आदमी ने... युवराणी और रॉकी को यहाँ लाकर... हस्पताल में एडमिट करवाया... असल में उसीने युवराणी और रॉकी को बचाया है...
विक्रम - पर सीसीटीवी में उसका चेहरा नहीं दिख रहा है...
महांती - नेक्स्ट वीडियो देखिए... हॉस्पिटल की सर्विलांस की... उसका चेहरा साफ दिखेगा आपको...

विक्रम नेक्स्ट वीडियो प्ले करता है l हास्पिटल के अंदर वह रॉकी को अपनी बाहों में उठा कर ला रहा है और उसके साथ शुभ्रा भागते हुए आ रही है l विक्रम को उस आदमी का चेहरा इस बार साफ दिखता है, विक्रम विडिओ को पॉज करता है l

महांती - यही वह लड़का है... जिसे देख कर... रंगा और उसके साथी वहाँ से भाग गए...

कह कर महांती विक्रम की चेहरे को देखता है गुस्से और नफरत से विक्रम का चेहरा तमतमा रहा था l उसकी आँखे अंगारों के भांति लाल दिख रहे थे l

महांती - युवराज...

विक्रम के गाल थर्रा रहे थे l विक्रम महांती को देखता है l उसकी आँखे लाल रंग से तर रहीं थीं l

महांती - (हैरान हो कर) कहीं यह... वह तो नहीं... (विक्रम सिर हिला कर हाँ कहता है) ओह... माय गॉड...


रुप - (हैरानी से चिल्लाती है) क्या...
शुभ्रा - हाँ नंदिनी... हाँ...

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रोणा - क्या उखाड़ा है बे तुने... अब तक हमें मालूम भी नहीं है... किसने मेरे साथ यह सब किया...
परीड़ा - हूँ... पर इस बार अंदाजा लगा सकता हूँ...
रोणा - अच्छा... (चिढ़ाते हुए) वह भुत... कौन हो सकता है...
परीड़ा - वही... जो जैल में रहकर... स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम में... प्लंबींग काम में माहिर हो गया...

हैरानी से रोणा का मुहँ खुला रह जाता है l बल्लभ भी चौंक कर परीड़ा को देखने लगता है l परीड़ा इशारे से टी पोए पर पड़े फाइलों को दिखाता है l

रोणा - क्या... क्या है इसमें...
परीड़ा - तेरी आँख जली... मुहँ जला और तन भी जला... पर धुआँ नहीं निकला... इस फाइल में वह है... जिससे... उन सबके पिछवाड़े में धुआँ निकलेगा... जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में... रुप से जुड़े हुए थे...
बल्लभ - रुप मतलब...
परीड़ा - राजगड़ उन्नयन परिषद...
रोणा - क्या...
बल्लभ - (चुप रह कर सोचमें पड़ जाता है)
रोणा - यह जीन... बोतल में से कब निकला...
परीड़ा - कल ही होम सेक्रेटरी के पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिस में फाइल हुआ है...
रोणा - क्या... क्या फाइल हुआ है...
बल्लभ - आर टी आई... राइट टू इन्फॉर्मेशन....
परीड़ा - ह्म्म्म्म... बिल्कुल... और इन्फॉर्मेशन में... पुछा गया है... रुप फाउंडेशन स्कैम के लिए बनाया गया एसआईटी को अदालत ने बहाल रखा है... तो अब इन सात सालों में... एसआईटी की अन्वेषण कहाँ तक पहुँची है... उसका पुरा लेखा जोखा विस्तृत जानकारी के साथ उपलब्ध कराया जाए...
रोणा - (तेज तेज सांसे चलने लगती हैं) वि.. वि.. विश्वा...
परीड़ा - उँ.. हुँ... विश्वा नहीं...
रोणा - तो फिर...
परीड़ा - विश्व प्रताप महापात्र बीए एलएलबी...

"क्या"
चिल्लाते हुए रोणा और बल्लभ दोनों अपने अपने कुर्सी से उछल कर खड़े हो जाते हैं l

उधर चेट्टी निवास में ड्रॉइंग रुम में रंगा और उसके साथी घुटनों पर बैठे हुए हैं l उनके सामने ओंकार चेट्टी खड़ा हुआ था और उनके पीछे महानायक बाप बेटे खड़े हुए थे l

चेट्टी - (चेहरा बुझा हुआ था) पहले... मेरी उंगली थामे... उंगली से हाथ... हाथ से बांह... बांह से कंधे पर पहुँच कर... मेरे कदमों से कदम मिला कर... सियासत की सीढ़ी चढ़ते हुए... यह क्षेत्रपाल... ऊचाईयों तक पहुँचने के बाद... मुझे धक्का दे कर गिरा दिया... (चेहरे पर कठोरता लाते हुए) मेरा... सब कुछ... सब कुछ बर्बाद हो गया... जिस तरह से सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर गए थे... उसी तरह एक एक सीढ़ियां नीचे उतारने के लिए... (रंगा को देख कर) मादरचोद... तुझे सिर्फ दो पहर तक... विक्रम की बीवी को रोके रखने के लिए कहा था... अगर नहीं संभली... तो खतम करने के लिए... कहा था... भुतनी के... तुझसे वह भी नहीं हुआ...
रंगा - म.. मा.. माफ़ कर दीजिए... माई बाप...
चेट्टी - मैं माफ कर भी दिया तो क्या होगा... मैं खुल्लमखुल्ला सामने आया... (महानायक बाप बेटे को दिखा कर) इन हरामी बाप बेटे के लिए... तुम्हारे भरोसे... पर तुम...
रंगा - वह... मैं... मैं डर गया था... म. मालिक...
चेट्टी - किससे भुतनी के.. किससे... जब ना तो ESS वाले पहुँचे थे... ना विक्रम पहुँचा था... तो... (चिल्लाते हुए) तेरा कौनसा बाप वहाँ पहुँच गया था... ऐसा कौनसा तोप था वह... जिसे देख कर तेरी फट गई...
रंगा - वह तोप ही था... वह एक अकेला सौ सौ के बराबर है... अगर बंदूक हाथ में होता... तो शायद उसका सामना करने के लिए... हिम्मत कर लेता... पर... और किसी हथियार के साथ... मैं उसके सामने टिक नहीं पाता...
चेट्टी - कौन है वह...
रंगा - विश्वा... विश्व प्रताप महापात्र...
चेट्टी - विश्वा... यह विश्वा कौन है...

हॉस्पिटल में शुभ्रा के स्पेशल वार्ड में

शुभ्रा - हाँ नंदिनी.. हाँ... वह प्रताप था...
रुप - प्र..ताप...
शुभ्रा - हाँ प्रताप... था... जिसे देख कर... वह पच्चीस से तीस बंदे... बिना पीछे देखे भाग गए...
रुप - फिर...
शुभ्रा - फिर क्या... फिर प्रताप... हमारे पास आया और रॉकी की नब्ज देखा.. फिर मुझसे गाड़ी पुछा... मैंने उसे चाबी दे दी... उसीने ड्राइव कर इसी हस्पताल तक लेकर आया... बाकी तुम्हारे सामने है...

रोणा - यह... वही विश्व है.. या कोई और...
बल्लभ - यह... बीए एलएलबी... कब...
परीड़ा - इस बाबत मैंने इंक्वायरी के लिए... हेड क्वार्टर आर्काइव में छानबीन किया... तो मालुम हुआ... वह जैल में रह कर... करेस्पंडींग डिस्टेंस कोर्स में इगनौउ से ग्रेजुएट हुआ है.... और कटक मधुसूदन लॉ कॉलेज से... करेस्पंडींग डिस्टेंस कोर्स के जरिए एलएलबी किया है...
बल्लभ - और यह बात... हमसे खान पुरी तरह से छुपाया...
रोणा - एलएलबी कर लिया है तो क्या... केस भी लड़ लेगा...
परीड़ा - हाँ... तुझे याद है वैदेही ने साठ दिन का चैलेंज दिया था...
रोणा - विश्व के वकालत से... साठ दिन का कुछ संबंध बैठता है क्या...
बल्लभ - हाँ... अब उसके छूटे बीस दिन हो चुके हैं... आर टी आई के नियम के अनुसार... तीस से चालीस दिन के बीच.... पीआईओ से जवाब मिल जाएगा... उसे आधार बना कर... खुद को पीड़ित बता कर... कोर्ट में.. पीआईएल दाखिल करेगा...
परीड़ा - बिल्कुल... क्यूंकि वह खुद उस केस से जुड़ा हुआ था... तो जाहिर है अब वह अपनी दिमाग से... केस लड़ेगा...
रोणा - आ... ह्ह्ह.. (छत की ओर देख कर दोनों हाथ उठा कर चिल्लाने लगता है) आ.. आ.. आ.. ह्ह्ह्ह्...

कुछ देर के लिए फिर से खामोशी पसर जाती है l परीड़ा और बल्लभ के चेहरे पर टेंशन साफ दिख रहा था और रोणा कमरे के अंदर इधर उधर... उधर इधर होता है l

रोणा - जब उस हरामजादे को पकड़ा था... कहा था मैंने... एनकाउंटर कर देते हैं... राजा साहब ने और (बल्लभ से) तुमने... मुझे रोका था... अब देख... हमारी कब्र खोद रहा है वह मादरचोद... तभी... तभी मैं बोलूँ... वह कमीनी वैदेही... उसे इतना कानून कैसे मालुम हो गया... मुझे... इंस्पेक्टर अनिकेत रोणा को चैलेंज दी उसने... अब पता चला... किसके दम पर वह उछल रही थी... देख लूँगा... मैं उन दोनों भाई बहन को देख लूँगा...
बल्लभ - (समझाने के लहजे में) कुछ नहीं करना है तुझे रोणा... कुछ भी मत करना...
रोणा - (भड़कते हुए) अबे चुप... (मुहं बना कर चिढ़ाते हुए) कुछ नहीं करना... तो क्या करूँ... उसके लौडे पर बैठ कर पादुं..
परीड़ा - प्रधान ठीक कह रहा है रोणा...
रोणा - क्या ठीक कह रहा है... क्या ठीक कह रहा है... साला वकील है... इसलिए... उस नए वकील से डर गया...

बल्लभ अपनी जगह से उठता है और एक झन्नाटेदार थप्पड़ रोणा के गाल पर जमा देता है l रोणा थप्पड़ खा कर अपने ही कुर्सी पर गिरता है और संभल कर बैठता है l

बल्लभ - मिर्गी का दौरा पड़ा था क्या... भोषड़ी के... वह अब एक आर टी आई एक्टिविस्ट है... उसने जिस केस पर... आर टी आई में सरकार से जवाब मांगा है... अगर उसे कुछ होता है... तो वह केस... सीबीआई को हस्तांतरित हो जाएगा... समझा कुछ... या लगाऊँ तुझे एक और थप्पड़...

उधर रंगा घुटने पर बैठे बैठे विश्व के बारे में जितना जानता था सारी बातेँ ओंकार चेट्टी को बताता है l ओंकार चेट्टी आँखे मूँद कर मगर खड़े रह कर सब सुन रहा था l सब जानने के बाद

चेट्टी - (अपनी आँखे मूँदे हुए) ह्म्म्म्म... तो यह वही विश्व है... जिसके वकील को... यश ने बड़े क्षेत्रपाल के लिए लुढ़काया था... इसका मतलब यह हुआ कि.... वह क्षेत्रपाल का दुश्मन हुआ... तो फिर.... उसने क्षेत्रपाल की बहु को... क्यूँ बचाया... (अपनी आँखे खोल कर रंगा से) क्यूँ बचाया...
रंगा - मैं... (हकलाते हुए) मैं कैसे कह सकता हूँ...

तभी रंगा का एक गुर्गा जो रंगा के साथ घुटनों पर बैठा हुआ था वह अपना हाथ उठा कर

गुर्गा - मैं बताऊँ मालिक...
चेट्टी - हाँ... बोल...
गुर्गा - मालिक रंगा भाई... उस विश्व को देखते ही भाग गए... और हम भी रंगा भाई के पीछे पीछे भाग लिए... अब वह विश्व... बचाने आया था... या टहलने... क्या पता...
चेट्टी - ह्म्म्म्म... वेरी गुड... चल अब खड़ा हो जा... बहुत देर से घुटने पर बैठा है...
गुर्गा - (खुश होते हुए) जी मालिक... (खड़े हो कर) शुक्रिया मालिक...
चेट्टी - ह्म्म्म्म... अब अपना पिछवाड़ा उठा कर... मुर्गा बन जा...
गुर्गा - (हैरानी से) मालिक...
चेट्टी - साले... हरामी... अपने भागने की कहानी ऐसे बता रहा है... जैसे कोई ओलिंपिक पदक जीत के आया है... (चिल्लाते हुए) मुर्गा बन...

वह गुर्गा मुहँ बना कर मुर्गा बन जाता है l चेट्टी अपनी आँखे बंद कर सोचने लगता है l अचानक वह अपनी आँखे खोल कर हैरानी से रंगा से पूछता है

चेट्टी - क्या... क्या नाम बताया उसका...
रंगा - विश्वा...
चेट्टी - अब याद आया... इसके साथ मेरे यश की... जैल में कबड्डी की मैच हुई थी... यह नाम उस इंटरनल इंक्वायरी मैं आया था... ह्म्म्म्म...
केके - चेट्टी सर... क्या मैं कुछ कहूँ...
चेट्टी - हाँ... तु भी कुछ कह ले...
केके - कहावत है कि... दुश्मन के दुश्मन... दोस्त होता है... क्यूँ ना हम उसे अपने साथ मिला लें...
चेट्टी - ह्म्म्म्म... अगर बात छिड़ ही गई है... तो यह तेरे जिम्मे रहा... तु उससे बात कर... और अपने ग्रुप में शामिल कर...
रंगा - म..म.. मालिक... मेरा... क्या होगा...
चेट्टी - हूँ... बात तो सही है... तेरा क्या होगा रंगा...
रंगा - प्लीज... प्लीज मालिक प्लीज...
चेट्टी - केके... इसे और इसके लफंडरों को... अपने माइनिंग इलाके में छुपा दे... वरना... अगर यहीं रहे... तो कभी ना कभी विक्रम के हत्थे चढ़ जाएंगे...
केके - जी सर... और अब... अब हम क्या करें...
चेट्टी - कभी कभी दुश्मन के आँखों के सामने रहने से... जान और माल दोनों महफूज रहते हैं... वह अब हमसे ताकत के बूते नहीं... दिमाग से लड़ेगा... इसके लिए हमें तैयार होना होगा...

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विक्रम और रुप दोनों रॉकी के वार्ड में आते हैं l रॉकी लेटा हुआ था और उसके सिरहाने आँखों में आंसू लिए उसकी माँ और बगल में चेयर डाल कर उसका बाप रमेश चिंता में बैठे हुए हैं l रॉकी विक्रम को देख कर सीधा होने की कोशिश करता है I रॉकी के माँ बाप भी खड़े हो जाते हैं l

रुप - नहीं नहीं... आराम से... (रॉकी से) तुम उठो मत...
विक्रम - (रॉकी के पास बैठ कर) थैंक्यू... आज तुमने जो किया... (पॉज लेता है) मैं उसके लिए... (फिर पॉज लेता है) (रॉकी के हाथ अपने हाथ में लेकर) रॉकी... आज तुम मुझसे कुछ भी मांग लो...
रॉकी - (हल्का सा मुस्कराते हुए) विक्रम सर... आप शायद नहीं जानते... मैं शुरु से ही शुभ्रा जी को भाभी ही कहा करता था... हालात ऐसे हुए... की मैंने नंदिनी जी को बहन कहा... शायद वह रिश्ता निभाने के लिए... भगवान ने मुझे मौका दिया...

विक्रम मुस्कराता हुआ उसके हाथों पर थपकी देता है l

विक्रम - तुमने भगवान कहा... मैं उन्हें नहीं जानता... पर आज मैं दिल से तुम्हें अपने भाई का दर्जा देता हूँ... और वादा करता हूँ... हमेशा तुम्हारे साथ एक बड़े भाई की तरह पेश आऊंगा... और तुम्हारे साथ रहूँगा... वादा है मेरा...
रॉकी - इतनी बड़ी इज़्ज़त दे दी आपने... और क्या चाहिए... बस भाभी मुझे देवर मान लें.. यही मेरे लिए काफी होगा...

विक्रम और रुप हँस देते हैं l उनके साथ रॉकी के माँ बाप भी मुस्करा देते हैं l विक्रम वहाँ से उठता है और रॉकी के माता पिता के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाता है l

रमेश - यह.. यह क्या कर रहे हैं आप...
रॉकी की माँ - प्लीज राज कुमार जी... आप हमारे आगे हाथ मत जोड़िये...
विक्रम - मैं हमेशा से... आपके परिवार का गुनहगार रहूँगा... पिछली बार राजेश के वजह से... मैं शुभ्रा को बचा पाया था... पर जाने अनजाने में... (विक्रम चुप हो जाता है) और आज.. राकेश ने फिर से शुभ्रा को बचाया... मैं.. (आवाज़ भर्रा जाती है) कर्जदार हो गया आपका...
रॉ.माँ - आप ऐसे ना कहें राज कुमार... आपने भी तो आज हमारे बेटे को बहुत इज़्ज़त दी है...

विक्रम और कुछ कह नहीं पाता वह वहाँ से अपना सिर झुका कर बाहर चला जाता है l

रुप - (रॉकी से)(भरे हुए गले में) आज वाकई... तुम मेरे भाई हो गए हो... और यह मेरे लिए एक तोहफा है... थैंक्यू भैया...

कह कर रॉकी के गले लग जाती है l रॉकी के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं l

रॉकी - तो.. तुमने मुझे माफ कर दिया...
रुप - हाँ भैया...
रॉकी - (भर्राती आवाज में) थैंक्यू बहना...
रुप - (रॉकी से अलग हो कर) आप जल्दी से ठीक हो जाओ भैया...
रॉकी - जरूर...

रुप फिर रॉकी के माँ बाप से इजाजत लेकर कमरे से निकल जाती है और शुभ्रा की कमरे की ओर जाती है l दरवाजे के पास वह विक्रम को खड़े देखती है I विक्रम को देखते ही वह समझ जाती है कि विक्रम अंदर जाने के लिए झिझक रहा था l पर फिर विक्रम हिम्मत करते हुए अंदर चला जाता है l रुप बंद हो रहे दरवाजे को रोक देती है और किनारे से अंदर झाँकती है l

विक्रम को अंदर देख कर शुभ्रा बेड से उतर जाती है l विक्रम कुछ कहने की कोशिश करता है पर जैसे शब्द उसके गले में घुट रही थी l वह कुछ नहीं कह पाता, भीगे पलकों में शुभ्रा को देखने लगता है l शुभ्रा से भी रहा नहीं जाता वह भागते हुए जाती है और बिलखते हुए विक्रम के गले लग जाती है l

शुभ्रा - मुझे माफ कर दीजिए.. विकी... मुझे माफ कर दीजिए...
विक्रम - कोई बात नहीं है... कुछ हुआ भी नहीं है... अगर आपको कुछ हो जाता.... तो हम...
शुभ्रा - सॉरी विकी... सॉरी...

दोनों यूहीं एक दुसरे के बाहों में कुछ देर सिसकते हैं l

शुभ्रा - (खुद को संभाल कर) एक बात पूछूं...
विक्रम - पूछिये...
शुभ्रा - क्या... अब भी उस लड़के के लिए... मन में गुस्सा है...
विक्रम - (शुभ्रा के चेहरे को ऊपर उठाता है) मैं आप से झूठ हरगिज नहीं कहूँगा... हाँ मेरे मन में गुस्सा है... पर सच यह भी है... की उसीके वजह से... आज आप मेरी जिंदगी में हैं... मेरी बाहों में हैं...
शुभ्रा - (विक्रम की आँखों में देख कर) तो क्या आप...
विक्रम - जान... मैं राजवंशी हूँ... गुस्सा पालना जानता हूँ... भले ही खुन्नस खाए हूँ... पर खुन्नस तभी उतार पाऊँगा.. जब उसके एहसान को उतार पाऊँगा... और... (अपना हाथ शुभ्रा के सिर पर रख कर) वादा करता हूँ... जब तक उसकी ऐसी कोई मदत ना कर दूँ... तब तक... अपनी खुन्नस को आड़े आने नहीं दूँगा... (फिर शुभ्रा के दोनों हाथ पकड़ कर) मैं इतना बुरा तो नहीं हूँ ना... के किसीकी जान ले लूँ...

शुभ्रा फिर से विक्रम के गले लग जाती है l यह सब दरवाजे के ओट से देख कर को जितनी खुशी हो रही थी, उसकी आँखे उतनी ही बह रही थी l वह दरवाजे से हटती है और लॉबी मे पड़े एक चेयर पर बैठ जाती है और खुद से बातेँ करने लगती है

तुम कौन हो... कभी कभी जाने पहचाने से लगते हो... अनाम लगते हो... और कभी कभी एकदम से अनजाने से लगते हो... कौन हो तुम... अकेले कितनों से भी भीड़ सकते हो... मुजरिम तुमसे डरते हैं... सेक्शन शंकर... डरा... रंगा... डरा... बड़े बड़े छटे हुए बदमाश तुमसे डरते हैं... क्या पुलिस वाले हो... आ.. आ.. ह्ह्ह्... मैं पता करूंगी... जरूर पता करूंगी....
Awesome Updatee

Maza aagaya padh kee.

Vishwa ke baare mein unn 3 chachundaro ko pata chal gaya hai. Ab jarur woh teen satark hojaayenge aur Vishwa ko ekbaar hone se bhi maat toh jarur denge.

Idher Chetti aur Mahanayak ko bhi Vishwa ke baare mein pata chal gaya aur ab woh usse apni team mein shamil karna chahte hai. Dekhte hai Vishwa ab kyaa karta hai.

Idher Vikram ab Vishwa ka karzdaar hogaya hai. Dekhte hai woh kaise apna badla aur karz dono utarta hai.
 

Lib am

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अररे तौबा

कोशिश करता हूँ
रात ग्यारह बजे तक पोस्ट करने की
अगर नहीं हुआ तो बारह घंटे के बाद ही संभव होगा
अपडेट तो बाद में पढ़ूंगा, पहले दिल से आपका धन्यवाद करना चाहता हूं Kala Nag भाई, ये दूसरी बार है की मैंने आपसे रिक्वेस्ट की और आपने अपडेट उसी दिन दिया। मैं मानता हूं कि और पाठक भी रोज ये ही आपसे रिक्वेस्ट करते होंगे और आपने सभी की भावनाओ का सम्मान भी किया होगा मगर मैं फिर भी इसे अपनी रिक्वेस्ट का परिणाम मानुगा क्योंकि मैंने दो ही बार बोला जल्दी अपडेट देने के लिए और आपने दोनो बार मेरी बात का मान रक्खा। आपके लेखन की तारीफ के लिए तो शब्दकोष में शब्द ही नहीं बचे है हमारी, तो वही पुराने शब्दो का बार बार प्रयोग करते रहते है, मगर अपने पाठको की भावनाओ की कद्र जिस तरह आप करते है उसकी तारीफ के लिए भी शब्द नही बचे है मेरे पास।
बुरा लगे तो माफी चाहूंगा की आपके स्टोरी फोरम में किसी दूसरे लेखक की बात कर रहा हूं मगर उनके लिए ना लिखूं तो उनके मेरे लिए प्रेम और सम्मान की अवहेलना हो जायेगी। ठीक ऐसा ही मेरे एक और प्रिय लेखक Rockstar_Rocky भाई ने भी किया है की मैंने जब उनसे जल्दी अपडेट देने को कहा तो उन्होंने भी उसी दिन अपडेट दिया। मैं अपने को गौरवान्वित मानता हूं कि ऐसे अच्छे लोगो से संपर्क हुआ जो दूसरों की भावनाओ की इतनी कद्र करते है वो भी एक ऐसी फोरम पर जहां हमारे स्क्रीन नाम तक असली नही है तो उसके लिए सादर प्रणाम और दिल की गहराइयों से धन्यवाद। 🙏🙏🙏
अब अपडेट पढ़ूंगा और फिर अपने विचार लिखूंगा, पढ़ते ही।
 
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