यह क्या कर डाला आपने बुज्जी भाई ! अनु को जान से ही मरवा दिया ! और वह भी तब जब अपने गर्भ मे पल रही पहली संतान की खुशी सेलिब्रेट करने की बारी थी ।
जच्चा - बच्चा दोनो ही मारे गए । यह अनहोनी क्यों ?
मै पुरी दृढता के साथ कहता हूं , आप ऐसा मत कीजिए ।
अनु को वापस जीवित कीजिए ।
ऐसा ही काम हमारे अमर भाई ने भी अपनी पिछली कहानी मे किया था । नायक की बदनसीब पत्नी को उसके पेट मे पल रहे बच्चे के साथ ही एक्सिडेंट करवा दिया ।
यह आप लोग समझ नही पाते कि यह सब पढ़कर रीडर्स के ऊपर क्या गुजरता है ! अगर संवेदनशील सीन्स ही डालना है तो कुछ और तरीके से लिखकर डाला जा सकता है ।
मै आपसे बार-बार और विनम्रतापूर्वक कहता हूं , अनु को वापस स्टोरी मे लाइए ।
बहुत कुछ लिखना चाहता था इस अपडेट के ऊपर । तापस सर का हैरतअंगेज कारनामा , भैरव सिंह - रूप - विक्रम का कन्वर्सेशन , पिनाक हरामजादे के मां की ऐसी की तैसी , वल्लभ साहब का निरन्तर लाजवाब इनवेस्टिगेशन , अनु - वीर का मासूमियत भरा प्रेम । लेकिन सबकुछ आपने गुड़गोबर कर दिया ।
नेक्स्ट अपडेट मे अनु को वापस लेकर आइए ।
इसके बदले उसके गर्भ मे पल रहे बालक को भले ही आप स्वर्गवास दिखा दीजिए लेकिन अनु को वापस , वापस और वापस लेकर आइए ।
जो बच्चा पैदा ही न हुआ हो , उसके मृत्यु का गम हम बर्दाश्त कर सकते है ।