• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
Prime
4,343
17,121
159
IMG-20211022-084409


*Index *
 
Last edited:

Kala Nag

Mr. X
Prime
4,343
17,121
159
👉एक सौ सोलहवां अपडेट
---------------------------

शाम ढल रहा था
सुरज लाल और काले गेंद की तरह दिख रहा था और पश्चिम की आकाश में डूबने को था l टीलु कनाल के किनारे पहुँच कर देखता है विश्व कनाल के नीचे जाने वाली एक सीढ़ी पर बैठ किसी सोच में खोया हुआ था l टीलु विश्व के करीब बैठ जाता है l

टीलु - किस सोच में खोए हुए हो भाई...
विश्व - जानते हो... इसी कनाल को बनाने के लिए... मेरे बाबा इरिगेशन डिपार्टमेंट में जॉइन किए थे... बाबा चले गए... पर यह कनाल अभी भी बन रहा है... ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रहा....
टीलु - (थोड़ा हँसते हुए) भाई... यही तो विकास होता है... इसी विकास को दिखा कर... इसकी आड़ में... ना जाने कितने सफेद पोश विकसित हो गए... अगर इसका विकास समाप्त हो जाएगा.... फिर... उन लोगों का विकास कैसे होगा...
विश्व - (हँस देता है) हाँ तुमने सही कहा... गाँव और समाज का विकास हो ना हो... पर स्वयं का विकास अनिवार्य हो गया है...
टीलु - भाई... यह एक सामाजिक बीमारी है... इसी को तो ठीक करने आए हो तुम...
विश्व - (मुस्कराते हुए टीलु की ओर देखता है) मैं नहीं... हम... गुस्सा... आक्रोश मेरा जरूर है... पर तुम लोग ना होते तो... मैं कुछ भी नहीं कर सकता था... तुम लोगों ने मेरे गुस्से को बांटा है... मेरे लक्ष्य को बांटा है... इसलिये... इस बीमारी को हम मिलकर इलाज करेंगे...
टीलु - भाई... तुम ना कभी कभी बहुत इमोशनल कर देते हो... हम किसी और टॉपिक पर बात करें... मुझे लगता है... वह बहुत जरूरी है....
विश्व - (थोड़ा भवें सिकुड़ कर) अच्छा... ऐसी कौनसी जरूरी बात है....
टीलु - है एक जरूरी बात... मुझे लगता है... तुम उसीके बारे में सोच रहे थे... और उसीके बारे में... मैं कुछ जानकारी लाया हूँ... मेरा मतलब है... कुछ देख कर... सोच कर... समझ कर आया हूँ...
विश्व - ह्म्म्म्म... तो कहो... क्या देख कर... सोच कर... समझ कर आए हो...
टीलु - एक महल... जहां पर सुरक्षा के लिए... पहरेदारी के लिए पहलवानों की टोली तो है... पर उनमें कोई चौकस नहीं है... सब साले निठल्ले और निकम्मे लग रहे थे...
विश्व - (थोड़ा चौंकते हुए) क्या... तुम महल की ओर गए थे...
टीलु - (दांत निकाल कर सिर खुजाते हुए) ही ही ही... हाँ...
विश्व - क्यूँ...
टीलु - देखो भाई... जितना मुझे समझ में आया... भाभी जी ने... तुमको महल बुलाया है...
विश्व - हाँ तो...
टीलु - हाँ तो... मेरे मदत के वगैर... तुम जा कैसे सकते हो... चलो चले भी गए... तो बाहर तो आना ही पड़ेगा ना...
विश्व - (उसे घूरते हुए देखता है)
टीलु - (फिर से अपने दांत दिखाते हुए) मैं तो पागल हूँ ना... इसीके आड़ में महल की आसपास रेकी करने गया था...
विश्व - (मुस्करा देता है) मत भूलो तुम मेरे साथ और मेरे पास रह रहे हो.... ठीक है... तो बोलो... क्या क्या देखा... और क्या क्या समझा..
टीलु - बोला ना... जिस राजा साहब का सिक्का चलता है... उसके महल की हिफाज़त में... सारे के सारे निठल्ले मौजूद हैं...
विश्व - वह इसलिए... के सिर्फ इस गाँव में ही नहीं... ब्लकि आसपास जितने भी गाँव सहर कस्बे हैं... क्षेत्रपाल महल की तरफ आँख भी उठा कर नहीं देखते... ज्यादातर महल के चौखट तक ही जाते हैं... और कोई अंदर जाय भी तो... उसकी सीमा... दिवान ए आम... या दिवान ए खास तक हो होती है... और खौफ इतना के महल के तरफ भी कोई पीठ नहीं करता... उल्टे पांव ही लौटते हैं...
टीलु - ओ... तभी... उनको मालुम है... कोई हिम्मत नहीं करेगा... उस महल में घुसने के लिए... ह्म्म्म्म... अच्छा भाई.. कभी कोई सच में घुसने की कोशिश नहीं की...
विश्व - ना... यह पीढ़ी दर पीढ़ी... एक रिवाज की तरह... सब के जेहन में घुसड़ दिया गया है... सब इसका पालन करते हैं... सिर्फ एक ने कोशिश की थी...
टीलु - कौन... एक मिनट... कहीं वह तुम तो नहीं...
विश्व - हाँ... मैं ही हूँ... पर सबको गुस्ताखी को जो सजा मिलता है... मुझे वह कभी नहीं मिली...
टीलु - कैसी सजा...
विश्व - लकड़बग्घों के आगे डाल देना... या मगरमच्छ के तालाब में फेंक दिया जाना...
टीलु - (डरते हुए) है भगवान...
विश्व - डर गए...
टीलु - (हिम्मत बटोर कर) ना... (फिर रोनी शक़्ल बना कर) हाँ...

विश्व उसकी हालत देख कर हँस देता है l टीलु भी उसका साथ देते हुए हँसने लगता है l

विश्व - (वैसे ही हँसते हुए) और... और क्या पता किया...
टीलु - (अपनी हँसी रोक कर) कोई सीसीटीवी कैमरा वगैरह नहीं दिखी...
विश्व - जाहिर सी बात है... उस महल में क्राइम करने के लिए घुसेगा कौन...
टीलु - (कुछ समझते हुए अपना सिर हाँ में हिलाता है)
विश्व - और... कुछ...
टीलु - हाँ भाई और एक बात... लगता है... क्षेत्रपाल के पास रईसों वाली एक और शौक नहीं है...
विश्व - जैसे...
टीलु - कुत्ते... लगता है... उसके कुत्तों का शौक बिल्कुल नहीं है... कम से कम... महल में... एक कुत्ता तो होना चाहिए... पर ऐसा लगा नहीं... या फिर कहीं अंदर हो... जो मुझे दिखा नहीं...
विश्व - नहीं... महल में कुत्ते नहीं होंगे...
टीलु - क्यूँ क्यूँ... ऐसा क्यूँ...
विश्व - (थोड़ा उदास होते हुए) एक कुत्ता हुआ करता था... टाइगर... टाइगर नाम था उसका... मेरी उससे बहुत अच्छी बनती थी... वह मेरा यार था... पर भैरव सिंह का बफादार नहीं हो पाया... उसे मार दिया गया...(आवाज में भारी पन) क्यूंकि वह मुझे बचाने के लिए... उन दरिंदों पर झपट पड़ा था... (विश्व चुप हो जाता है)
टीलु - ओ... कैसी नियति है क्षेत्रपाल महल की... अब जो होगा... उसके बाद तो... उसके निठल्ले सुरक्षा कर्मी की पिटाई या धुनाई... कुछ भी सम्भव है... हो सकता है... सीसीटीवी भी लगे... और इन पहरे दारी करने वालों को निकाल कर... भैरव सिंह कुत्ते पालने लग जाये...

×_____×_____×_____×_____×_____×_____×

रुप कमरे में कोई किताब पढ़ रही थी, की उसके मोबाइल पर रिंग बजने लगती है l किताब को रख कर मोबाइल को देखती है, स्क्रीन पर भाभी डिस्प्ले हो रहा था l रुप बहुत खुश हो जाती है और झट से कॉल पीक करती है l

रुप - वाव भाभी... कैसे याद किया...
शुभ्रा - भाभी की बच्ची... राजगड़ क्या गई... अपनी भाभी को पुरी तरह से भुल गई...
रुप - क्या बात कर रही हो भाभी... (छेड़ने के अंदाज में) मैंने तो अपनी भाभी के लिए मौका बना कर निकली थी... क्यूँ मौका नहीं भुनाया क्या... टाइटैनिक वाला रोमांस...
शुभ्रा - (शर्मा जाती है) कितनी बेशरम हो गई हो... खैर कब आ रही हो...
रुप - (एक आह भरते हुए) क्या मालुम भाभी मैं कब आऊंगी...
शुभ्रा - क्या मतलब... अनाम से बात नहीं बनी क्या...
रुप - कहाँ भाभी... वह बेवक़ूफ़ कल ही आया है... और मुझे अभी भी इंतजार है...
शुभ्रा - क्यूँ तुमने उससे बात नहीं की....
रुप - वह अनाम है भाभी... तो जाहिर है कि उससे... राजकुमारी रुप ने बात की है...
शुभ्रा - मतलब अनाम अभी भी अंधेरे में है... राजकुमारी... रुप... नंदिनी... तीन अलग अलग नहीं... एक ही है... वह नहीं जानता अब तक...
रुप - ह्म्म्म्म नहीं जानता...
शुभ्रा - वैसे नंदिनी... तुम चाहती क्या हो...
रुप - यही के... वह बिल्कुल मेरे बचपन की दिन की तरह... मेरे पास आए.. और मेरे लिए... प्यार का इजहार करे...
शुभ्रा - व्हाट... नंदिनी... तुम बिल्कुल पागल हो...
रुप - सो तो मैं हूँ... और मुझे इस बात पर... थोड़ा घमंड भी है...
शुभ्रा - आ आ आह...
रुप - हा हा हा... (खिल खिला कर हँस देती है)
शुभ्रा - तुम जानती हो... अब वह किसी भी बहाने... महल में आ नहीं सकता...
रुप - ना... मैं जानती हूँ... वह आ सकता है...
शुभ्रा - क्या... आर यु गॉन मैड...
रुप - नो... आई न्यू इट... सिर्फ वही आ सकता है..
शुभ्रा - ओके... चलो मान भी लिया वह आ सकता है... पर तुम उसकी जान को खतरे में भी तो डाल रही हो... अगर आया भी तो... चुप चाप छुप कर आएगा...
रुप - भाभी... हाँ वह आएगा.. छुप छुपा कर आएगा... यही तो प्यार का एक डायमेंशन है... आप तो जानती हो... अनाम आइडिया का खजाना है... मैं चाहती हूँ... मुझे एक अलग अंदाज में वह प्रपोज करे... एक दम यूनीक स्टाइल...
शुभ्रा - आर यु सीरियस..
रुप - यप...
शुभ्रा - (हथियार डालने के अंदाज में) ओके देन... बेस्ट ऑफ़ लक..
रुप - ओ.. ह्ह्... थैंक्यू भाभी... थैंक्यू... वैसे थोड़ा टॉपिक चेंज करें...
शुभ्रा - कैसी टॉपिक...
रुप - आपका लियोनार्दो डीकैप्रीयो...
शुभ्रा - शट अप...
रुप - आ हाँ हाँ... मुझे तो यहाँ तक महसुस हो रही है...
शुभ्रा - क्या...
रुप - आपके गाल.. लाल लाल हो गए हैं...
शुभ्रा - यु स्टुपीड गर्ल... फोन रख रही हूँ...

शर्म की मारी शुभ्रा बिचारी कॉल काट देती है और अपना चेहरा घुटनों के बीच छुपा लेती है l


×_____×_____×_____×_____×_____×_____×

बारंग रिसॉर्ट के अपने कमरे में आईने के सामने पिनाक टाई नॉट को ठीक कर रहा था l पीछे एक तरफ महांती खड़ा हुआ था l अपनी टाई ठीक करने के बाद पिनाक महांती के तरफ घूमता है l

पिनाक - तो युवराज कुछ दिनों से हैल में नहीं हैं... कहाँ गए हैं... तुम्हें पता है...
महांती - जी..
पिनाक - कहाँ पर...
महांती - पैराडाइज में...
पिनाक - (थोड़ा हैरान हो कर) पैराडाइज... यह कौनसा होटल है... या... कोई रिसॉर्ट है क्या...
महांती - नहीं... उनका अपना पैराडाइज...
पिनाक - खैर... जानते हो महांती... जिंदगी में पहली बार... मुझे राजगड़ से, रानी जी के जरिए बुलाया गया है...
महांती - (चुप रहता है)
पिनाक - पहले या तो भीमा से कॉल आता था... या फिर राजा साहब सीधे बुलाते थे... पर इस बार... (पिनाक चुप हो कर महांती की ओर देखता है) क्या हो सकता है....
महांती - इस पर मैं क्या कह सकता हूँ...

पिनाक एक कुर्सी पर बैठ जाता है और महांती को बैठने के लिए इशारा करता है l महांती उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ जाता है l


पिनाक - राजकुमार का कोई खबर...
महांती - आज तो ऑफिस में थे...
पिनाक - वह मैं जानता हूँ... क्या किसी लड़की के साथ.... (बात अधुरा छोड़ देता है)
महांती - छोटे राजा जी... मैं अपनी खिड़की से... अपने मालिक के आंगन में नहीं झाँकता...
पिनाक - बात झांकने की नहीं है... खबर रखने की है...
महांती - राजकुमार अपने मन के राजा हैं... वही करते हैं... जो उनकी मर्जी होती है...
पिनाक - ( महांती को घूर कर देखता है) महांती... तुम पार्टनर हो... ESS में... मतलब कुछ मामलों में... हमारे बराबर बैठते हो.... तो यह बताओ... जो कभी बर्षों में नहीं हुआ... वह कल क्यूँ हुआ...
महांती - यह तो आपका बड़प्पन है... युवराज जी ने जो इज़्ज़त और मान दी... उसे आपने भी कायम रखा... और... आपके परिवार के विषय में क्या कह सकता हूँ... क्यूंकि मेरे परिवार में कोई है नहीं.... पर आप मुझसे जो सुनना चाहते हैं... वह यह है कि... शायद राजकुमार जी की शादी के विषय में... आपको राजगड़ से छोटी रानी जी के जरिए... बुलावा भेजा गया है...
पिनाक - ह्म्म्म्म... मैं यह समझ सकता हूँ... इसीलिए तुमसे राजकुमार जी के बारे में... कुछ और जानना चाहता हूँ...
महांती - जब युवराज और मेरे बीच डील हुई थी... तब एक बात उन्होंने कहा था... हम क्षेत्रपाल कोई अच्छे लोग नहीं हैं... बदले में मैंने कहा था... मुझे अच्छे लोगों से डर लगता है... इसलिये अभी तक मुझे डर तो नहीं लग रहा है...
पिनाक - (मुस्कराता है) बस यही जानना चाहता था...

कह कर पिनाक उठ जाता है और कमरे से बाहर निकल कर गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी थोड़ी ही देर में महांती के आँखों से ओझल हो जाती है l

महांती - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) पर अब डर लगने लगा है छोटे राजा जी... युवराज से भी... राजकुमार जी से भी....

×_____×_____×_____×_____×_____×_____×


उमाकांत के घर
गाँव के उत्तरी छोर पर बाहर की ओर है l आगे की ओर देसी बार जैसा था, दुकान और पीने का इंतजाम था l शराब की भट्टी घर के पीछे बना हुआ था l आसपास शराब की बहुत तेज बदबू फैला हुआ था l भट्टी के भीतर किसी बात को लेकर भूरा किसी पर भड़क रहा था l

भूरा - बे हरामी... जब आता है... पूरा का पूरा बोतल गटक जाता है... पैसा कौन तेरा बाप देगा क्या....
आदमी - (थोड़े नशे में) भूरा भाई... तनख्वाह मिलते ही दे दूँगा ना...
शनिया - (जो पास खड़ा था) बे.. झूठा आदमी... तुझे मिलता कितना है बे... जो चुका देगा....
आदमी - जितना भी मिलता है... सब कुछ दे तो देता हूँ... तुम ही लोग हो... सूद की तरह मुझसे निचोड़ रहे हो... ठेका नहीं... बनिया बन कर हमारी जान को निचोड़ रहे हो...
शनिया - बे भोषड़ी के... क्यूँ झूठ बोल रहा है... सारे पैसे अगर हम ही ऐंठ रहे हैं... तो तेरी बेटी को तु क्या सिर्फ हवा पानी दे रहा है....
आदमी - चुप रहो तुम लोग.... वह तो वैदेही दीदी उसकी खाने पीने से लेकर... स्कुल तक सब कुछ देख रही है.... (रोते हुए) वर्ना... चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए....
भूरा - कहाँ... चुल्लू भर पानी में डूब मरने की बात करते हो.... पर पीने के के लिए यहाँ आकर मर रहे हो... यहाँ क्या दारु मुफ्त में दिए जा रहे हैं... अब नहीं... चल यह बता... सूद कब दे रहा है...
आदमी - (गिड़गिड़ाते हुए) दे... दे दूँगा ना... भूरा भाई...
भूरा - अगर नहीं दे पाया तो...
आदमी - कुछ भी करके... दे दूँगा ना भाई... कुछ ना हुआ तो... जो बचा खुचा है.. उसे गिरवी रख दूँगा...
शनिया - अबे... गिरवी रखने के लिए तेरे पास... सिवाय तेरे पिछवाड़े के कुछ बचा है क्या... (वहाँ पर मौजूद सभी लोग हँसने लगते हैं)
भूरा - है ना शनिया भाई... है... (एक भद्दी सी हँसी हँसते हुए) इसकी लड़की... क्या मस्त कटिंग लेकर बढ़ रही है...
आदमी - (गुस्से में, उसे उंगली दिखाते हुए) ऐ... भूरा... तमीज से...
भूरा - (गुस्से से उसका उंगली मरोड़कर ) तमीज... भोषड़ी के... (वह आदमी दर्द के मारे चिल्लाने लगता है) हमारा पिया हुआ है... हम ही पर उल्टी कर रहा है... आज कल राजा ने मुहँ मारना बंद कर रखा है.... तो क्या हुआ... हम भी लौड़ा लेके घूमते हैं ना... अब यह तय हो गया... अगले हफ्ते तक... अगर हमें पैसे नहीं मिले... तो असल के साथ सूद... तेरी बेटी को नीचे लिटा कर वसूलेंगे...

इतना कह कर उस आदमी को दुकान से धक्के मार कर निकाल देता है l वह आदमी बाहर किसी के पैरों में आकर गिरता है l भूरा और शनिया देखते हैं वह कोई जाना पहचाना अजनबी था l दोनों उसे पहचानने की कोशिश करते हैं l फिर अचानक उनकी आंखे हैरानी से फैल जाते हैं l वह विश्व था l विश्व उस आदमी को उठाता है, और उसके दोनों कंधे पर हाथ रखकर

विश्व - यह क्या हालत बना रखी है तुमने अपना बिल्लू...

बिल्लू अपना नाम सुन कर विश्व को पहचानने की कोशिश करता है l और जैसे ही विश्व को पहचान लेता है वह अपने कंधे से विश्व का हाथ हटाता है, और बिना पीछे मुड़े वहाँ से चला जाता है l बिल्लू के जाने के बाद विश्व शनिया और भूरा की ओर देखता है l

शनिया - ऐ... तु... यहाँ क्यूँ आया है...
विश्व - शराब की भट्टी... पहले गाँव के बाहर... नदी किनारे श्मशान के पास हुआ करता था... यहाँ क्यूँ ले आए...
भूरा - तुझसे मतलब...
विश्व - मुझसे ही तो मतलब है... यह उमाकांत सर जी का घर है... यहाँ पर... विद्या का अमृत बांटा जाता था... तुम मुट्ठीभर चांडाल... क्या बना दिया है इसे...
शनिया - ओये... अब यह जगह हमारा है... चल जल्दी से नौ दो ग्यारह हो जा यहाँ से...
भूरा - हाँ... राजा साहब का फरमान है... तेरा हुक्का पानी बंद है राजगड़ मैं...
विश्व - पर यहाँ पानी कहाँ है... सिर्फ शराब ही तो है...
शनिया - ऐ... बोला ना एक बार... सुना नहीं क्या... चल निकल यहाँ से...
विश्व - हाँ निकल जाऊँगा... तुम लोग भी... यह जगह खाली कर दो...

शनिया, भूरा ही नहीं वहाँ पर मौजूद सब लोग हैरानी से विश्व की ओर देखते हैं l

विश्व - अब तक जितनी जिंदगियां बर्बाद करनी थी... कर ली तुम लोगों ने... वैसे भी... यह उमाकांत सर जी का घर था... इस पर गैर कानूनी कब्जा किया है तुम लोगों ने... इसलिए मैं तुम लोगों को साठ घंटे तक का वक़्त देता हूँ... यानी तीन रातें और दो दिन... नर्सों सुबह तक मुझे यह जगह खाली चाहिए...
शनिया - यह जगह लावारिस था... मैंने कब्ज़ा कर इसका वारिस बना... इसलिए यह जगह मेरी है समझा...
विश्व - ना... यह जगह मेरी है... उमाकांत सर ने... यह जगह मेरे नाम कर दी थी... (कह कर एक अदालती काग़ज़ दिखाता है) तुम लोग तो पढ़े लिखे हो नहीं... इसलिए बात समझ में आएगी नहीं... खैर तुम लोगों के पास उनसठ घंटे अट्ठावन मिनट हैं... नर्सों मुझे यह जगह खाली चाहिए....
शनिया - (भूरा की ओर देखता है, फिर आस-पास खड़े दुसरे लोगों को देखता है, फिर विश्व से) अगर खाली नहीं किए तो...
विश्व - वही करूँगा... जो कानून के दायरे में होगा... मेरा मतलब है... पुलिस को लेकर आऊंगा...

भूरा और शनिया ठहाके मार कर हँसने लगते हैं l जो ग्राहक थे वह लोग तो चुप थे मगर भूरा और शनिया के साथी भी जोर जोर से हँसने लगते हैं l

भूरा - लगता है... तु भुल गया है... यहाँ के थाने में... दरोगा तेरी बहन का यार नहीं... अपना रोणा साहब हैं... (हा हा हा)
विश्व - (बड़े ही शांत लहजे में) कुछ भी नहीं भुला हूँ... और यह अच्छी तरह से जानता हूँ... यहाँ के थाने में... तुम लोगों के... माँ की यार है... (सबकी हँसी रुक जाती है) फिर भी... नर्सों सुबह तक... यह जगह खाली हो जानी चाहिए...
भूरा - हम खाली नहीं करेंगे... चल जा... जो उखाड़ना है... उखाड़ ले...
विश्व - जैसी तुम लोगों की इच्छा... मत भुलाना... नर्सों सुबह....


कह कर विश्व वहाँ से चला जाता है l शनिया उसे जाते हुए देख रहा था l सत्तू उनका और एक साथी उसके पास आकर खड़े हो कर

सत्तू - साला डरपोक निकला... हा हा हा... बोल रहा है... पुलिस को लेकर आएगा...
शनिया - (सत्तू की ओर घूमता है और एक झन्नाटे दार थप्पड़ लगा देता है) भोषड़ी के... कहाँ से लगा वह डर गया... हमने उसकी बहन को गाली दी... बदले में... उसने हम सबकी माँ की गाली दी...
भूरा - क्यूँ ना एक बार... रोणा साहब से बात कर लें...
शनिया - हाँ... बात तो करनी ही पड़ेगी...

×_____×_____×_____×_____×_____×____×

रुप को थोड़ी बैचैनी महसुस हो रही थी l अचानक अंदर ही अंदर खुस हो जाती थी और उत्सुकता के साथ अपने आजू बाजू देखने लगती थी l अपनी अंगूठे की नाखुन को दांतों में दबाते हुए अपने कमरे में टहल रही थी l तभी उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक होती है l रुप दरवाजे की ओर देखती है, बाहर से एक नौकरानी आवाज देती है

नौकरानी - राजकुमारी जी... छोटी रानी आपको उनके कमरे में आने के लिए कहा है...
रुप - ठीक है...

इतना कह कर रुप अपने कमरे से निकलती है और आगे आगे सुषमा के कमरे की ओर चलने लगती है, उसके पीछे पीछे नौकरानी चलने लगती है l अचानक रुप खड़ी हो जाती है l

नौकरानी - क्या हुआ राजकुमारी...
रुप - पता नहीं क्यूँ थोड़ा अजीब सा लग रहा है... जैसे कुछ ऐसा होने वाला है... जो कभी नहीं हुआ...
नौकरानी - ऐसा क्या होने वाला है...
रुप - पता नहीं... शायद मैं कुछ ज्यादा ही सोचने लगी हूँ...

बातचीत इतनी ही हुई थी के महल की बिजली कट जाती है और महल में अंधेरा हो जाता है l

रुप - देखा... मैं ना कहती थी... कुछ होने वाला है...
नौकरानी - हाँ... यह बिजली अचानक से चली गई...
रुप - मैं मोबाइल कमरे में भूल गई... सुनो... किसीको आवाज दो... कम से कम... कोई लालटेन या मोमबत्ती लेकर आए...
नौकरानी - जी राजकुमारी जी...

नौकरानी किसी को आवाज देती है लालटेन या मोमबत्ती के लिए, एक दुसरी नौकरानी वहाँ पर एक मोमबत्ती लेकर आती है और रुप के पास खड़ी हो जाती है l वह नौकरानी पहली वाली नौकरानी को एक और मोमबत्ती जला कर देती है l दोनों नौकरानियां रुप के अगल बगल में खड़े हो जाते हैं और सुषमा की कमरे की ओर चलने लगते हैं l कुछ दूर चलने के बाद रुप चौंकती है और फिर ठिठक जाती है l

नौकरानी - अब क्या हुआ राजकुमारी जी...
रुप - मुझे लगता है... कोई है यहाँ पर...
नौकरानी - यह अंतर्महल है... यहाँ आपके परिवार वाले या कोई जनानी ही आ सकती है... आपको वहम हुआ होगा...
रुप - हाँ... तुम ठीक कह रही हो... मुझे जरूर कोई वहम हुआ होगा...

फिर तीनों चलते हुए जब सुषमा के कमरे के बाहर पहुँचते हैं, तभी महल में बिजली वापस आ जाती है l रुप सुषमा के कमरे में आती है l सुषमा हाथ पंखे से टेबल पर रखे मोमबत्तीयों को बुझा रही थी l

रुप - चाची माँ... आपने बुलाया...
सुषमा - (रुप की ओर बिना देखे) हाँ बेटी...
रुप - क्या बात है रानी माँ... आज राजकुमारी नहीं कहा...
सुषमा - (उसी तरह बिना देखे) मैं अब... नकली मुखौटा वाली जिंदगी... जीते जीते... थकने लगी हूँ... अब और नहीं हो रहा मुझसे...

रुप को सुषमा के इस ज़वाब में बहुत दर्द महसुस होती है l रुप चुप चाप जाकर सुषमा के सामने खड़ी हो जाती है l देखती है सुषमा की आँखे नम थीं l

रुप - कुछ हुआ है... माँ..
सुषमा - (एक गहरी साँस छोड़ कर) चल आ बैठ... आज रात का खाना मेरे साथ खा ले... (कह कर बेल बजाती है, जिसे सुन कर एक नौकरानी अंदर आती है) हम दोनों के लिए... जाओ खाना ले आओ.... (नौकरानी अपनी सिर झुका कर बिना पीठ किए निकल जाती है)
रुप - माँ... आज आप बहुत दर्द में लग रही हैं...
सुषमा - नंदिनी... मैंने तुम लोगों से कहा था... यहाँ वापस मत आओ... यहाँ पर तुम लोग सब खो दोगे... तो क्यूँ आई...
रुप - (थोड़ी गंभीर हो कर) जो चीज़... जहां पर खो जाए... उसे वहीँ पर ढूंढना चाहिए... क्यूंकि वह चीज़ वही मिल सकती है... अपना खोया हुआ चीज़... मुझे अगर यहीँ मिल जाए... तो मेरी खोज मुकम्मल हो जाएगी...

तब तक खाना आ जाती है l नौकरानी परोसने वाली होती है कि उसे सुषमा रोक देती है, और बाहर इंतजार करने के लिए कहती है l रुप टेबल पर प्लेट लगाती है और खाना परोस देती है l

सुषमा - (अपना निवाला उठाते हुए) इतना भरोसा है तुम्हें अपने अनाम पर...
रुप - हाँ... है तो... पर आपको क्या हुआ है माँ...
सुषमा - (खाना खाते हुए) बहुत जल्द इस महल के भीतर... बवंडर आने वाला है... (एक थर्राती हुई साँस लेकर छोड़ते हुए) कल छोटे राजा जी आ रहे हैं.... शायद वीर की शादी की बात होगी... (रुप के खांसी होने लगती है) (सुषमा रुप की ओर पानी की ग्लास बढ़ाती है) लो पी लो...
रुप - माँ... क्या आप... वीर भैया के बारे में नहीं जानती...
सुषमा - जानती हूँ... तुम लोगों ने तो उसे देखा भी नहीं है... मैं उसे मिली... और आशीर्वाद देकर आई भी हूँ... पर... (चुप हो जाती है)
रुप - पर...
सुषमा - पर... वीर की राह में... क्षेत्रपाल नाम की ऊंची दीवार खड़ा है... या तो वीर दीवार फांदेगा या फिर तोड़ देगा...
रुप - (थोड़ी मायूसी के साथ) क्या घर के तीनों बड़े क्षेत्रपाल राजी नहीं होंगे...
सुषमा - तुम्हें क्या लगता है... तुम्हारा और अनाम का रिश्ता... यहाँ किसीको मंजुर होगा...
रुप - (चुप रहती है)
सुषमा - क्यूँ अब क्या हो गया...
रुप - मौत और मोहब्बत के दरमियान... हसरत और बर्बादी ही तो है... और मुझे दोनों कुबूल है...
सुषमा - (रुप की ओर देखती है और मुस्करा देती है)
रुप - क्या बात है माँ...
सुषमा - तुम बिल्कुल बदल गई हो.... पढ़ाई के लिए भुवनेश्वर जाने से पहले... तुम घर में एक गूंगी गुड़िया थी... पर अब...
रुप - मैं अंदर से यही थी माँ... अनाम से दोबारा मिली... तो अब मैं... मेरे अंदर से फुट कर बाहर निकली हूँ...
सुषमा - मतलब वीर से इस महल की नींव हिल जाएगी... और तुमसे यह ऊँची ऊँची दीवारें ढह जाएगी...
रुप - आप वीर भैया के लिए... बहुत चिंतित हैं...
सुषमा - हाँ भी... नहीं भी...
रुप - मतलब...
सुषमा - वह रंग महल के रास्ते पर... अंधा दौड़ लगा रहा था के अचानक... अनु नाम की एक हवा की झोंके से... उसने अपना रास्ता बदल दिया... अब उसके इम्तिहान का वक़्त समझो शुरु हो गया...
रुप - तो क्या... वीर भैया चूक जाएंगे...
सुषमा - नहीं... मैं वीर के जीवन में... बहुत कम साथ रही... पर उसे मैं जितना जानती हूँ... उतना तो वह खुद को भी नहीं जानता... वह एक जुनूनी है... और उसके जुनून के आगे क्षेत्रपाल नाम का अहंकार टूट का बिखर कर चूर चूर हो जाएगा....

थोड़ी देर के लिए कमरे में खामोशी पसर जाती है l दिनों का खाना ख़तम हो चुका था, अपने अपने लेमन बाउल में हाथ साफ कर लेते हैं l सुषमा बेल बजाती है l इस बार तीन चार नौकरानी भागते हुए आते हैं और थाली के साथ-साथ बचे हुए खाना ले जाते हैं l

रुप - अब मैं जाऊँ...
सुषमा - हाँ... एक मिनट...

रुप रुक जाती है l सुषमा रुप के हाथ में कॉर्डलेस देती है l रुप हैरान हो कर सुषमा को देखने लगती है l

सुषमा - रोज सुबह उठती हो... यह कॉर्डलेस लेती हो और अनाम को फोन करती हो... वैसे यह अंतर्महल है... क्षेत्रपाल मर्दों को छोड़ कोई नहीं आता... पर फिर भी... कल सुबह सुबह छोटे राजा जी पहुँच रहे हैं... घर में कोई गड़बड़ी होनी नहीं चाहिए... इसलिए... ले जाओ इसे...

रुप बेहद शर्म से गड़ जाती है l आँख उठा नहीं पाती और वह कॉर्डलेस लेकर वहाँ से चली जाती है l सुषमा के कमरे से निकल कर चारों तरफ नज़रें दौड़ाती है l उसे कोई नहीं दिखता तो खुशी और शर्म के साथ अपने कमरे की ओर भाग जाती है l अपने कमरे में पहुँच कर दरवाजा बंद कर देती है और दरवाजे पर टेक लगाए गहरी साँसे लेते हुए आँखे मूँद कर मुस्कराने लगती है l रुप की मुस्कान और भी बड़ी होती जाती है l एक लंबी साँस खिंच कर छोड़ते हुए अपनी आँखे खोलती है कि अचानक उसके चेहरे पर शॉक के भाव आ जाते हैं l उसकी नजर उसके कमरे की ड्रेसिंग टेबल पर ठहर जाती है l हैरानी से उसकी आँखे बड़ी हो जाती हैं l ड्रेसिंग टेबल का पुरा का पुरा आईना फेस क्रीम से सना हुआ था सिर्फ एक जगह को छोड़ कर l जिस जगह फेस क्रीम नहीं लगा हुआ था, उसीके पास एक काग़ज़ पर मोर के पंख की ड्रॉइंग


images
और यो(🤘) का उल्टी तरफ की ड्रॉइंग चिपकी हुई थी l और उस ड्रॉइंग के नीचे फ़ोल्ड की हुई एक चिट्ठी भी चिपकी हुई थी l रुप ड्रेसिंग टेबल के पास आती है उन ड्रॉइंग्स को गौर से देखने लगती है और फिर उस फ़ोल्ड की हुई चिट्ठी को निकालती है l चिट्ठी खोल कर जब पढ़ती है उसे झटका सा लगता है l

"क्या कहूँ कैसे कहूँ
जब जाना आप ही राजकुमारी हो आप ही नंदिनी हो और आप ही वह रुप हो जिनका नाम मेरी गर्दन के पीछे गुदा हुआ है l मैं हिल गया वाह क्या बेवक़ूफ़ बनाया आपने मुझे l
अपनी बेवकूफ़ी पर हँसते हुए आपके लिए मेरे दिल की बात को ज़ज्बात को आपके ड्रेसिंग टेबल पर चिपका दिया है l
क्यूंकि आपको देखा तो जुबान खामोश हो गई इसलिए जुबान से जो हो ना सका उसे कुछ लकीरों में कैद कर तस्वीर बना कर पेश कर दिया l
अपनी पलकों के रास्ते दिल में उतार कर समझ लीजिए l"

रुप अब गौर से उस ड्रॉइंग को देखने लगती है l मोर के पंख पर गहरे लाल रंग दिल की ड्रॉइंग बनी हुई है


IMG-20221211-200336
और उल्टी तरफ 🤘देख कर सोचने लगती है l अचानक उसकी आँखे बड़ी हो जाती है जैसे उसने कुछ ढूंढ लिया हो l हैरानी से उसकी मुहँ खुल जाती है l आईने के जिस हिस्से में थोड़ा खाली था उस हिस्से में रुप को अपनी आँख 👁️

TLsE
दिख रही थी l मोर के पंख में गहरे लाल रंग का❤️ दिल का ड्रॉइंग बना हुआ था और उल्टी तरफ 🤘में उसे यु दिखा l

Screenshot-2022-12-11-22-15-17-36-99c04817c0de5652397fc8b56c3b3817
मतलब साफ था 👁️❤️🤘( EYE LOVE U), खुशी के मारे अपने दोनों हाथों से अपना मुहँ ढक लेता है l हाँ अनाम ने रुप के लिए अनोखे तरीके से अपने प्यार का इजहार कर चुका था l पर फिर अचानक रुप के चेहरे पर मायूसी छा जाती है, क्यूंकि यह बात वह विश्व की मुहँ से सुनना चाहती थी l वह कॉर्डलेस पर विश्व की मोबाइल नंबर डायल करती है l दो या तीन रिंग के बाद फोन कट जाता है l विश्व फोन काट दिया था l रुप फिरसे रिडायल करती है पर इस बार विश्व की फोन बिजी आती है l रुप चिढ़ जाती है और अपने बेड पर कॉर्डलेस को पटक देती है l तभी उसके कानों में उसकी मोबाइल फोन की घंटी सुनाई देती है l रुप मोबाइल स्क्रीन पर देखती है बेवक़ूफ़ डिस्पले हो रहा था l लपक कर फोन उठाती है l

रुप - (धीमी आवाज में) है.. हैलो...

पर तब तक फोन कट चुका था l रुप गुस्से से मोबाइल को देखती है के विश्व की एक मैसेज उसके स्क्रीन पर आती है l रुप वह मैसेज खोलती है

विश्व - बस एक छोटा सा मासूम सा सवाल... क्या मैं पुछ सकता हूँ... 😋

फोन क्यूँ काटा 😤.... - रुप

विश्व - कमाल है... पता नहीं कितने दिनों से... मुझे बेवक़ूफ़ बना रही थीं... मैंने आपने दिल की बात आप तक पहुँचा तो दिया... 🥰

वह मुझे कुछ समझ में नहीं आया 🤨... मेरे सामने आकर मुझसे कहो... 😠.... - रुप

विश्व - इसीलिये तो आपसे एक छोटा सा... मासूम सा सवाल करना चाहता हूँ..... 😋 आप अगर जवाब देंगी तो मैं सामने आने की सोचूँगा.... 🤪

यु... अच्छा ठीक है... पूछो क्या पूछना चाहते हो...😬 - रुप

विश्व - हाँ तो सवाल यह है कि...🤔 क्या राजकुमारी... रुप नंदिनी... 😋इस नाचीज़ अनाम उर्फ विश्व प्रताप... उर्फ आपका अपना बेवक़ूफ़ 🤤की नकचढ़ी बनना स्वीकर करेंगी.... 🫣

रुप शर्म से मुस्करा देती है, अब तक जो उसका मुड़ खराब था यह इस मैसेज से उसका उखड़ा मुड़ सही हो जाती है l रुप टाइप करती है

कितने डरपोक 🥶और बेशरम हो🤥... लड़की से पहले इकरार करना चाहते हो.... 😏.. - रुप

विश्व - क्या करूँ😩... मेरी नकचढ़ी बचपन से ही 🥳बेशरम है... अब संगत का कुछ असर तो होगा ना... 😉

(हथियार डालते हुए) प्लीज... अगर यहीँ कहीं हो... तो सामने आ जाओ ना... 😓- रुप

विश्व - आ तो जाऊँ... पर किसके सामने... 🤔

रुप समझ जाती है विश्व उससे क्या कहलवाना चाहता है वह अपने दोनों गालों को अंदर खिंच कर दाँतों तले दबा लेती है और

अपने नकचढ़ी के सामने... 🫣- रुप

विश्व - लो आपने पुकारा और... हम चले आए... मोबाइल हथेली में लिए आपके पलंक के नीचे से.... 🫠

क्या...

रुप के मुहँ से निकल जाती है और तुरंत बेड से उतर कर नीचे झाँकती है विश्व नीचे लेटा हुआ था l रुप फिर उछल कर खड़ी हो जाती है और भाग कर दरवाजे को लॉक कर देती है l पर उसमें हिम्मत नहीं होती पिछे मुड़ कर देखने की अपनी साँसों पर काबु करने की कोशिश करती है फिर अपने चेहरे पर कड़क भाव लाने की कोशिश करती है फिर पीछे मुड़ती है l विश्व बेड के नीचे से बाहर आ चुका था l

विश्व - (अपने घुटने पर बैठ कर) आपका बेवक़ूफ़... आपकी सेवा में...
रुप - (एटिट्यूड के साथ) यह क्या बकवास ड्रॉइंग लगा दी है... ऊपर से पुरा का पुरा ड्रेसिंग टेबल खराब कर दिया...
विश्व - (वैसे ही घुटने पर बैठ कर, अपनी बाहें फैला कर)खामोशी की अपनी जुबान होती है... जो पलकों से सुनी जाती है और दिल से पढ़ी और महसुस की जाती है... मैं जानता हूँ... मेरी दिल की बात... मेरी नकचढ़ी ने समझ लिया है... फिर भी अगर जुबान से सुनना चाहती हैं... लीजिये कह देता हूँ... पहले कभी प्यार को नहीं समझा... और जब समझा... खयालों में... ख्वाबों में... बातों में जज़्बातों में आपको ही पाया... मेरे वगैर शायद आपका वज़ूद मुमकिन हो जहान में... पर आपके वगैर मेरी कोई वज़ूद नहीं इस कायनात में...
मुझे आपसे मोहब्बत है...
आपके साथ जीने की तमन्ना है...

रुप भाग कर आती है और उसके गले से लग जाती है l विश्व रुप के इस अप्रत्याशित हमले से पीछे की ओर लुढ़क जाता है रुप भी उसके साथ उसके ऊपर ही लुढ़क जाती है l विश्व फर्श पर और विश्व के ऊपर रूप l रुप को विश्व की पॉकेट पर वाईव्रेशन महसूस होती है l रुप हैरान हो कर चेहरा उठा कर विश्व की ओर सवालिया नजर से देखती है l

विश्व - दोस्त... बाहर ट्रांसफार्मर के पास खड़ा है... फिर से बिजली गुल करने के लिए...

रुप विश्व से अलग हो कर नीचे बैठ जाती है और विश्व की जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल उठाती है l

टीलु - भाई... भाभी से बात हो गई क्या... लिवर कब खींचना है बोलो... जहां छुपा हुआ हूँ... मच्छर काट काट कर मेरा कचूमर बना रहे हैं....
रुप - एक काम करो... घर जा कर सो जाओ... और सुबह के चार बजे आकर ट्रांसफार्मर का लिवर खींचना... तब तक तुम्हारे भाई... भाभी की महमान हैं...
टीलु - कौन...
रुप - तुम्हारी भाभी...
टीलु-भा... भा... भाभी... आ आ आप... हैलो... (फोन कट गया था)
 
Last edited:

Kala Nag

Mr. X
Prime
4,343
17,121
159
Intzar hai Mitra....


Are sir kab to sabr ka intahaan loge

Intajaar ho raha he update ka bhai 🙏

Waiti for next update please…

Abhi bhi update nahi diya bhai......




Bhut intjaar kar rahe hai ham

Bhai update kab ayega


Where are you bhai

Kaha ho Bhai
देरी के लिए माफी चाहता हूँ
अपडेट पोस्ट कर दिया है
आपके मंतव्य की अपेक्षा में
 

Sidd19

Active Member
1,880
1,965
158
Nbc Singing GIF by The Voice
awkward good witch GIF by Hallmark Channel
 

sunoanuj

Well-Known Member
4,106
10,674
159
Bahut hi jabardast update ….
 

Devilrudra

Active Member
514
1,437
123
👉एक सौ सोलहवां अपडेट
---------------------------

शाम ढल रहा था
सुरज लाल और काले गेंद की तरह दिख रहा था और पश्चिम की आकाश में डूबने को था l टीलु कनाल के किनारे पहुँच कर देखता है विश्व कनाल के नीचे जाने वाली एक सीढ़ी पर बैठ किसी सोच में खोया हुआ था l टीलु विश्व के करीब बैठ जाता है l

टीलु - किस सोच में खोए हुए हो भाई...
विश्व - जानते हो... इसी कनाल को बनाने के लिए... मेरे बाबा इरिगेशन डिपार्टमेंट में जॉइन किए थे... बाबा चले गए... पर यह कनाल अभी भी बन रहा है... ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रहा....
टीलु - (थोड़ा हँसते हुए) भाई... यही तो विकास होता है... इसी विकास को दिखा कर... इसकी आड़ में... ना जाने कितने सफेद पोश विकसित हो गए... अगर इसका विकास समाप्त हो जाएगा.... फिर... उन लोगों का विकास कैसे होगा...
विश्व - (हँस देता है) हाँ तुमने सही कहा... गाँव और समाज का विकास हो ना हो... पर स्वयं का विकास अनिवार्य हो गया है...
टीलु - भाई... यह एक सामाजिक बीमारी है... इसी को तो ठीक करने आए हो तुम...
विश्व - (मुस्कराते हुए टीलु की ओर देखता है) मैं नहीं... हम... गुस्सा... आक्रोश मेरा जरूर है... पर तुम लोग ना होते तो... मैं कुछ भी नहीं कर सकता था... तुम लोगों ने मेरे गुस्से को बांटा है... मेरे लक्ष्य को बांटा है... इसलिये... इस बीमारी को हम मिलकर इलाज करेंगे...
टीलु - भाई... तुम ना कभी कभी बहुत इमोशनल कर देते हो... हम किसी और टॉपिक पर बात करें... मुझे लगता है... वह बहुत जरूरी है....
विश्व - (थोड़ा भवें सिकुड़ कर) अच्छा... ऐसी कौनसी जरूरी बात है....
टीलु - है एक जरूरी बात... मुझे लगता है... तुम उसीके बारे में सोच रहे थे... और उसीके बारे में... मैं कुछ जानकारी लाया हूँ... मेरा मतलब है... कुछ देख कर... सोच कर... समझ कर आया हूँ...
विश्व - ह्म्म्म्म... तो कहो... क्या देख कर... सोच कर... समझ कर आए हो...
टीलु - एक महल... जहां पर सुरक्षा के लिए... पहरेदारी के लिए पहलवानों की टोली तो है... पर उनमें कोई चौकस नहीं है... सब साले निठल्ले और निकम्मे लग रहे थे...
विश्व - (थोड़ा चौंकते हुए) क्या... तुम महल की ओर गए थे...
टीलु - (दांत निकाल कर सिर खुजाते हुए) ही ही ही... हाँ...
विश्व - क्यूँ...
टीलु - देखो भाई... जितना मुझे समझ में आया... भाभी जी ने... तुमको महल बुलाया है...
विश्व - हाँ तो...
टीलु - हाँ तो... मेरे मदत के वगैर... तुम जा कैसे सकते हो... चलो चले भी गए... तो बाहर तो आना ही पड़ेगा ना...
विश्व - (उसे घूरते हुए देखता है)
टीलु - (फिर से अपने दांत दिखाते हुए) मैं तो पागल हूँ ना... इसीके आड़ में महल की आसपास रेकी करने गया था...
विश्व - (मुस्करा देता है) मत भूलो तुम मेरे साथ और मेरे पास रह रहे हो.... ठीक है... तो बोलो... क्या क्या देखा... और क्या क्या समझा..
टीलु - बोला ना... जिस राजा साहब का सिक्का चलता है... उसके महल की हिफाज़त में... सारे के सारे निठल्ले मौजूद हैं...
विश्व - वह इसलिए... के सिर्फ इस गाँव में ही नहीं... ब्लकि आसपास जितने भी गाँव सहर कस्बे हैं... क्षेत्रपाल महल की तरफ आँख भी उठा कर नहीं देखते... ज्यादातर महल के चौखट तक ही जाते हैं... और कोई अंदर जाय भी तो... उसकी सीमा... दिवान ए आम... या दिवान ए खास तक हो होती है... और खौफ इतना के महल के तरफ भी कोई पीठ नहीं करता... उल्टे पांव ही लौटते हैं...
टीलु - ओ... तभी... उनको मालुम है... कोई हिम्मत नहीं करेगा... उस महल में घुसने के लिए... ह्म्म्म्म... अच्छा भाई.. कभी कोई सच में घुसने की कोशिश नहीं की...
विश्व - ना... यह पीढ़ी दर पीढ़ी... एक रिवाज की तरह... सब के जेहन में घुसड़ दिया गया है... सब इसका पालन करते हैं... सिर्फ एक ने कोशिश की थी...
टीलु - कौन... एक मिनट... कहीं वह तुम तो नहीं...
विश्व - हाँ... मैं ही हूँ... पर सबको गुस्ताखी को जो सजा मिलता है... मुझे वह कभी नहीं मिली...
टीलु - कैसी सजा...
विश्व - लकड़बग्घों के आगे डाल देना... या मगरमच्छ के तालाब में फेंक दिया जाना...
टीलु - (डरते हुए) है भगवान...
विश्व - डर गए...
टीलु - (हिम्मत बटोर कर) ना... (फिर रोनी शक़्ल बना कर) हाँ...

विश्व उसकी हालत देख कर हँस देता है l टीलु भी उसका साथ देते हुए हँसने लगता है l

विश्व - (वैसे ही हँसते हुए) और... और क्या पता किया...
टीलु - (अपनी हँसी रोक कर) कोई सीसीटीवी कैमरा वगैरह नहीं दिखी...
विश्व - जाहिर सी बात है... उस महल में क्राइम करने के लिए घुसेगा कौन...
टीलु - (कुछ समझते हुए अपना सिर हाँ में हिलाता है)
विश्व - और... कुछ...
टीलु - हाँ भाई और एक बात... लगता है... क्षेत्रपाल के पास रईसों वाली एक और शौक नहीं है...
विश्व - जैसे...
टीलु - कुत्ते... लगता है... उसके कुत्तों का शौक बिल्कुल नहीं है... कम से कम... महल में... एक कुत्ता तो होना चाहिए... पर ऐसा लगा नहीं... या फिर कहीं अंदर हो... जो मुझे दिखा नहीं...
विश्व - नहीं... महल में कुत्ते नहीं होंगे...
टीलु - क्यूँ क्यूँ... ऐसा क्यूँ...
विश्व - (थोड़ा उदास होते हुए) एक कुत्ता हुआ करता था... टाइगर... टाइगर नाम था उसका... मेरी उससे बहुत अच्छी बनती थी... वह मेरा यार था... पर भैरव सिंह का बफादार नहीं हो पाया... उसे मार दिया गया...(आवाज में भारी पन) क्यूंकि वह मुझे बचाने के लिए... उन दरिंदों पर झपट पड़ा था... (विश्व चुप हो जाता है)
टीलु - ओ... कैसी नियति है क्षेत्रपाल महल की... अब जो होगा... उसके बाद तो... उसके निठल्ले सुरक्षा कर्मी की पिटाई या धुनाई... कुछ भी सम्भव है... हो सकता है... सीसीटीवी भी लगे... और इन पहरे दारी करने वालों को निकाल कर... भैरव सिंह कुत्ते पालने लग जाये...

×_____×_____×_____×_____×_____×_____×

रुप कमरे में कोई किताब पढ़ रही थी, की उसके मोबाइल पर रिंग बजने लगती है l किताब को रख कर मोबाइल को देखती है, स्क्रीन पर भाभी डिस्प्ले हो रहा था l रुप बहुत खुश हो जाती है और झट से कॉल पीक करती है l

रुप - वाव भाभी... कैसे याद किया...
शुभ्रा - भाभी की बच्ची... राजगड़ क्या गई... अपनी भाभी को पुरी तरह से भुल गई...
रुप - क्या बात कर रही हो भाभी... (छेड़ने के अंदाज में) मैंने तो अपनी भाभी के लिए मौका बना कर निकली थी... क्यूँ मौका नहीं भुनाया क्या... टाइटैनिक वाला रोमांस...
शुभ्रा - (शर्मा जाती है) कितनी बेशरम हो गई हो... खैर कब आ रही हो...
रुप - (एक आह भरते हुए) क्या मालुम भाभी मैं कब आऊंगी...
शुभ्रा - क्या मतलब... अनाम से बात नहीं बनी क्या...
रुप - कहाँ भाभी... वह बेवक़ूफ़ कल ही आया है... और मुझे अभी भी इंतजार है...
शुभ्रा - क्यूँ तुमने उससे बात नहीं की....
रुप - वह अनाम है भाभी... तो जाहिर है कि उससे... राजकुमारी रुप ने बात की है...
शुभ्रा - मतलब अनाम अभी भी अंधेरे में है... राजकुमारी... रुप... नंदिनी... तीन अलग अलग नहीं... एक ही है... वह नहीं जानता अब तक...
रुप - ह्म्म्म्म नहीं जानता...
शुभ्रा - वैसे नंदिनी... तुम चाहती क्या हो...
रुप - यही के... वह बिल्कुल मेरे बचपन की दिन की तरह... मेरे पास आए.. और मेरे लिए... प्यार का इजहार करे...
शुभ्रा - व्हाट... नंदिनी... तुम बिल्कुल पागल हो...
रुप - सो तो मैं हूँ... और मुझे इस बात पर... थोड़ा घमंड भी है...
शुभ्रा - आ आ आह...
रुप - हा हा हा... (खिल खिला कर हँस देती है)
शुभ्रा - तुम जानती हो... अब वह किसी भी बहाने... महल में आ नहीं सकता...
रुप - ना... मैं जानती हूँ... वह आ सकता है...
शुभ्रा - क्या... आर यु गॉन मैड...
रुप - नो... आई न्यू इट... सिर्फ वही आ सकता है..
शुभ्रा - ओके... चलो मान भी लिया वह आ सकता है... पर तुम उसकी जान को खतरे में भी तो डाल रही हो... अगर आया भी तो... चुप चाप छुप कर आएगा...
रुप - भाभी... हाँ वह आएगा.. छुप छुपा कर आएगा... यही तो प्यार का एक डायमेंशन है... आप तो जानती हो... अनाम आइडिया का खजाना है... मैं चाहती हूँ... मुझे एक अलग अंदाज में वह प्रपोज करे... एक दम यूनीक स्टाइल...
शुभ्रा - आर यु सीरियस..
रुप - यप...
शुभ्रा - (हथियार डालने के अंदाज में) ओके देन... बेस्ट ऑफ़ लक..
रुप - ओ.. ह्ह्... थैंक्यू भाभी... थैंक्यू... वैसे थोड़ा टॉपिक चेंज करें...
शुभ्रा - कैसी टॉपिक...
रुप - आपका लियोनार्दो डीकैप्रीयो...
शुभ्रा - शट अप...
रुप - आ हाँ हाँ... मुझे तो यहाँ तक महसुस हो रही है...
शुभ्रा - क्या...
रुप - आपके गाल.. लाल लाल हो गए हैं...
शुभ्रा - यु स्टुपीड गर्ल... फोन रख रही हूँ...

शर्म की मारी शुभ्रा बिचारी कॉल काट देती है और अपना चेहरा घुटनों के बीच छुपा लेती है l


×_____×_____×_____×_____×_____×_____×

बारंग रिसॉर्ट के अपने कमरे में आईने के सामने पिनाक टाई नॉट को ठीक कर रहा था l पीछे एक तरफ महांती खड़ा हुआ था l अपनी टाई ठीक करने के बाद पिनाक महांती के तरफ घूमता है l

पिनाक - तो युवराज कुछ दिनों से हैल में नहीं हैं... कहाँ गए हैं... तुम्हें पता है...
महांती - जी..
पिनाक - कहाँ पर...
महांती - पैराडाइज में...
पिनाक - (थोड़ा हैरान हो कर) पैराडाइज... यह कौनसा होटल है... या... कोई रिसॉर्ट है क्या...
महांती - नहीं... उनका अपना पैराडाइज...
पिनाक - खैर... जानते हो महांती... जिंदगी में पहली बार... मुझे राजगड़ से, रानी जी के जरिए बुलाया गया है...
महांती - (चुप रहता है)
पिनाक - पहले या तो भीमा से कॉल आता था... या फिर राजा साहब सीधे बुलाते थे... पर इस बार... (पिनाक चुप हो कर महांती की ओर देखता है) क्या हो सकता है....
महांती - इस पर मैं क्या कह सकता हूँ...

पिनाक एक कुर्सी पर बैठ जाता है और महांती को बैठने के लिए इशारा करता है l महांती उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ जाता है l


पिनाक - राजकुमार का कोई खबर...
महांती - आज तो ऑफिस में थे...
पिनाक - वह मैं जानता हूँ... क्या किसी लड़की के साथ.... (बात अधुरा छोड़ देता है)
महांती - छोटे राजा जी... मैं अपनी खिड़की से... अपने मालिक के आंगन में नहीं झाँकता...
पिनाक - बात झांकने की नहीं है... खबर रखने की है...
महांती - राजकुमार अपने मन के राजा हैं... वही करते हैं... जो उनकी मर्जी होती है...
पिनाक - ( महांती को घूर कर देखता है) महांती... तुम पार्टनर हो... ESS में... मतलब कुछ मामलों में... हमारे बराबर बैठते हो.... तो यह बताओ... जो कभी बर्षों में नहीं हुआ... वह कल क्यूँ हुआ...
महांती - यह तो आपका बड़प्पन है... युवराज जी ने जो इज़्ज़त और मान दी... उसे आपने भी कायम रखा... और... आपके परिवार के विषय में क्या कह सकता हूँ... क्यूंकि मेरे परिवार में कोई है नहीं.... पर आप मुझसे जो सुनना चाहते हैं... वह यह है कि... शायद राजकुमार जी की शादी के विषय में... आपको राजगड़ से छोटी रानी जी के जरिए... बुलावा भेजा गया है...
पिनाक - ह्म्म्म्म... मैं यह समझ सकता हूँ... इसीलिए तुमसे राजकुमार जी के बारे में... कुछ और जानना चाहता हूँ...
महांती - जब युवराज और मेरे बीच डील हुई थी... तब एक बात उन्होंने कहा था... हम क्षेत्रपाल कोई अच्छे लोग नहीं हैं... बदले में मैंने कहा था... मुझे अच्छे लोगों से डर लगता है... इसलिये अभी तक मुझे डर तो नहीं लग रहा है...
पिनाक - (मुस्कराता है) बस यही जानना चाहता था...

कह कर पिनाक उठ जाता है और कमरे से बाहर निकल कर गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी थोड़ी ही देर में महांती के आँखों से ओझल हो जाती है l

महांती - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) पर अब डर लगने लगा है छोटे राजा जी... युवराज से भी... राजकुमार जी से भी....

×_____×_____×_____×_____×_____×_____×


उमाकांत के घर
गाँव के उत्तरी छोर पर बाहर की ओर है l आगे की ओर देसी बार जैसा था, दुकान और पीने का इंतजाम था l शराब की भट्टी घर के पीछे बना हुआ था l आसपास शराब की बहुत तेज बदबू फैला हुआ था l भट्टी के भीतर किसी बात को लेकर भूरा किसी पर भड़क रहा था l

भूरा - बे हरामी... जब आता है... पूरा का पूरा बोतल गटक जाता है... पैसा कौन तेरा बाप देगा क्या....
आदमी - (थोड़े नशे में) भूरा भाई... तनख्वाह मिलते ही दे दूँगा ना...
शनिया - (जो पास खड़ा था) बे.. झूठा आदमी... तुझे मिलता कितना है बे... जो चुका देगा....
आदमी - जितना भी मिलता है... सब कुछ दे तो देता हूँ... तुम ही लोग हो... सूद की तरह मुझसे निचोड़ रहे हो... ठेका नहीं... बनिया बन कर हमारी जान को निचोड़ रहे हो...
शनिया - बे भोषड़ी के... क्यूँ झूठ बोल रहा है... सारे पैसे अगर हम ही ऐंठ रहे हैं... तो तेरी बेटी को तु क्या सिर्फ हवा पानी दे रहा है....
आदमी - चुप रहो तुम लोग.... वह तो वैदेही दीदी उसकी खाने पीने से लेकर... स्कुल तक सब कुछ देख रही है.... (रोते हुए) वर्ना... चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए....
भूरा - कहाँ... चुल्लू भर पानी में डूब मरने की बात करते हो.... पर पीने के के लिए यहाँ आकर मर रहे हो... यहाँ क्या दारु मुफ्त में दिए जा रहे हैं... अब नहीं... चल यह बता... सूद कब दे रहा है...
आदमी - (गिड़गिड़ाते हुए) दे... दे दूँगा ना... भूरा भाई...
भूरा - अगर नहीं दे पाया तो...
आदमी - कुछ भी करके... दे दूँगा ना भाई... कुछ ना हुआ तो... जो बचा खुचा है.. उसे गिरवी रख दूँगा...
शनिया - अबे... गिरवी रखने के लिए तेरे पास... सिवाय तेरे पिछवाड़े के कुछ बचा है क्या... (वहाँ पर मौजूद सभी लोग हँसने लगते हैं)
भूरा - है ना शनिया भाई... है... (एक भद्दी सी हँसी हँसते हुए) इसकी लड़की... क्या मस्त कटिंग लेकर बढ़ रही है...
आदमी - (गुस्से में, उसे उंगली दिखाते हुए) ऐ... भूरा... तमीज से...
भूरा - (गुस्से से उसका उंगली मरोड़कर ) तमीज... भोषड़ी के... (वह आदमी दर्द के मारे चिल्लाने लगता है) हमारा पिया हुआ है... हम ही पर उल्टी कर रहा है... आज कल राजा ने मुहँ मारना बंद कर रखा है.... तो क्या हुआ... हम भी लौड़ा लेके घूमते हैं ना... अब यह तय हो गया... अगले हफ्ते तक... अगर हमें पैसे नहीं मिले... तो असल के साथ सूद... तेरी बेटी को नीचे लिटा कर वसूलेंगे...

इतना कह कर उस आदमी को दुकान से धक्के मार कर निकाल देता है l वह आदमी बाहर किसी के पैरों में आकर गिरता है l भूरा और शनिया देखते हैं वह कोई जाना पहचाना अजनबी था l दोनों उसे पहचानने की कोशिश करते हैं l फिर अचानक उनकी आंखे हैरानी से फैल जाते हैं l वह विश्व था l विश्व उस आदमी को उठाता है, और उसके दोनों कंधे पर हाथ रखकर

विश्व - यह क्या हालत बना रखी है तुमने अपना बिल्लू...

बिल्लू अपना नाम सुन कर विश्व को पहचानने की कोशिश करता है l और जैसे ही विश्व को पहचान लेता है वह अपने कंधे से विश्व का हाथ हटाता है, और बिना पीछे मुड़े वहाँ से चला जाता है l बिल्लू के जाने के बाद विश्व शनिया और भूरा की ओर देखता है l

शनिया - ऐ... तु... यहाँ क्यूँ आया है...
विश्व - शराब की भट्टी... पहले गाँव के बाहर... नदी किनारे श्मशान के पास हुआ करता था... यहाँ क्यूँ ले आए...
भूरा - तुझसे मतलब...
विश्व - मुझसे ही तो मतलब है... यह उमाकांत सर जी का घर है... यहाँ पर... विद्या का अमृत बांटा जाता था... तुम मुट्ठीभर चांडाल... क्या बना दिया है इसे...
शनिया - ओये... अब यह जगह हमारा है... चल जल्दी से नौ दो ग्यारह हो जा यहाँ से...
भूरा - हाँ... राजा साहब का फरमान है... तेरा हुक्का पानी बंद है राजगड़ मैं...
विश्व - पर यहाँ पानी कहाँ है... सिर्फ शराब ही तो है...
शनिया - ऐ... बोला ना एक बार... सुना नहीं क्या... चल निकल यहाँ से...
विश्व - हाँ निकल जाऊँगा... तुम लोग भी... यह जगह खाली कर दो...

शनिया, भूरा ही नहीं वहाँ पर मौजूद सब लोग हैरानी से विश्व की ओर देखते हैं l

विश्व - अब तक जितनी जिंदगियां बर्बाद करनी थी... कर ली तुम लोगों ने... वैसे भी... यह उमाकांत सर जी का घर था... इस पर गैर कानूनी कब्जा किया है तुम लोगों ने... इसलिए मैं तुम लोगों को साठ घंटे तक का वक़्त देता हूँ... यानी तीन रातें और दो दिन... नर्सों सुबह तक मुझे यह जगह खाली चाहिए...
शनिया - यह जगह लावारिस था... मैंने कब्ज़ा कर इसका वारिस बना... इसलिए यह जगह मेरी है समझा...
विश्व - ना... यह जगह मेरी है... उमाकांत सर ने... यह जगह मेरे नाम कर दी थी... (कह कर एक अदालती काग़ज़ दिखाता है) तुम लोग तो पढ़े लिखे हो नहीं... इसलिए बात समझ में आएगी नहीं... खैर तुम लोगों के पास उनसठ घंटे अट्ठावन मिनट हैं... नर्सों मुझे यह जगह खाली चाहिए....
शनिया - (भूरा की ओर देखता है, फिर आस-पास खड़े दुसरे लोगों को देखता है, फिर विश्व से) अगर खाली नहीं किए तो...
विश्व - वही करूँगा... जो कानून के दायरे में होगा... मेरा मतलब है... पुलिस को लेकर आऊंगा...

भूरा और शनिया ठहाके मार कर हँसने लगते हैं l जो ग्राहक थे वह लोग तो चुप थे मगर भूरा और शनिया के साथी भी जोर जोर से हँसने लगते हैं l

भूरा - लगता है... तु भुल गया है... यहाँ के थाने में... दरोगा तेरी बहन का यार नहीं... अपना रोणा साहब हैं... (हा हा हा)
विश्व - (बड़े ही शांत लहजे में) कुछ भी नहीं भुला हूँ... और यह अच्छी तरह से जानता हूँ... यहाँ के थाने में... तुम लोगों के... माँ की यार है... (सबकी हँसी रुक जाती है) फिर भी... नर्सों सुबह तक... यह जगह खाली हो जानी चाहिए...
भूरा - हम खाली नहीं करेंगे... चल जा... जो उखाड़ना है... उखाड़ ले...
विश्व - जैसी तुम लोगों की इच्छा... मत भुलाना... नर्सों सुबह....


कह कर विश्व वहाँ से चला जाता है l शनिया उसे जाते हुए देख रहा था l सत्तू उनका और एक साथी उसके पास आकर खड़े हो कर

सत्तू - साला डरपोक निकला... हा हा हा... बोल रहा है... पुलिस को लेकर आएगा...
शनिया - (सत्तू की ओर घूमता है और एक झन्नाटे दार थप्पड़ लगा देता है) भोषड़ी के... कहाँ से लगा वह डर गया... हमने उसकी बहन को गाली दी... बदले में... उसने हम सबकी माँ की गाली दी...
भूरा - क्यूँ ना एक बार... रोणा साहब से बात कर लें...
शनिया - हाँ... बात तो करनी ही पड़ेगी...

×_____×_____×_____×_____×_____×____×

रुप को थोड़ी बैचैनी महसुस हो रही थी l अचानक अंदर ही अंदर खुस हो जाती थी और उत्सुकता के साथ अपने आजू बाजू देखने लगती थी l अपनी अंगूठे की नाखुन को दांतों में दबाते हुए अपने कमरे में टहल रही थी l तभी उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक होती है l रुप दरवाजे की ओर देखती है, बाहर से एक नौकरानी आवाज देती है

नौकरानी - राजकुमारी जी... छोटी रानी आपको उनके कमरे में आने के लिए कहा है...
रुप - ठीक है...

इतना कह कर रुप अपने कमरे से निकलती है और आगे आगे सुषमा के कमरे की ओर चलने लगती है, उसके पीछे पीछे नौकरानी चलने लगती है l अचानक रुप खड़ी हो जाती है l

नौकरानी - क्या हुआ राजकुमारी...
रुप - पता नहीं क्यूँ थोड़ा अजीब सा लग रहा है... जैसे कुछ ऐसा होने वाला है... जो कभी नहीं हुआ...
नौकरानी - ऐसा क्या होने वाला है...
रुप - पता नहीं... शायद मैं कुछ ज्यादा ही सोचने लगी हूँ...

बातचीत इतनी ही हुई थी के महल की बिजली कट जाती है और महल में अंधेरा हो जाता है l

रुप - देखा... मैं ना कहती थी... कुछ होने वाला है...
नौकरानी - हाँ... यह बिजली अचानक से चली गई...
रुप - मैं मोबाइल कमरे में भूल गई... सुनो... किसीको आवाज दो... कम से कम... कोई लालटेन या मोमबत्ती लेकर आए...
नौकरानी - जी राजकुमारी जी...

नौकरानी किसी को आवाज देती है लालटेन या मोमबत्ती के लिए, एक दुसरी नौकरानी वहाँ पर एक मोमबत्ती लेकर आती है और रुप के पास खड़ी हो जाती है l वह नौकरानी पहली वाली नौकरानी को एक और मोमबत्ती जला कर देती है l दोनों नौकरानियां रुप के अगल बगल में खड़े हो जाते हैं और सुषमा की कमरे की ओर चलने लगते हैं l कुछ दूर चलने के बाद रुप चौंकती है और फिर ठिठक जाती है l

नौकरानी - अब क्या हुआ राजकुमारी जी...
रुप - मुझे लगता है... कोई है यहाँ पर...
नौकरानी - यह अंतर्महल है... यहाँ आपके परिवार वाले या कोई जनानी ही आ सकती है... आपको वहम हुआ होगा...
रुप - हाँ... तुम ठीक कह रही हो... मुझे जरूर कोई वहम हुआ होगा...

फिर तीनों चलते हुए जब सुषमा के कमरे के बाहर पहुँचते हैं, तभी महल में बिजली वापस आ जाती है l रुप सुषमा के कमरे में आती है l सुषमा हाथ पंखे से टेबल पर रखे मोमबत्तीयों को बुझा रही थी l

रुप - चाची माँ... आपने बुलाया...
सुषमा - (रुप की ओर बिना देखे) हाँ बेटी...
रुप - क्या बात है रानी माँ... आज राजकुमारी नहीं कहा...
सुषमा - (उसी तरह बिना देखे) मैं अब... नकली मुखौटा वाली जिंदगी... जीते जीते... थकने लगी हूँ... अब और नहीं हो रहा मुझसे...

रुप को सुषमा के इस ज़वाब में बहुत दर्द महसुस होती है l रुप चुप चाप जाकर सुषमा के सामने खड़ी हो जाती है l देखती है सुषमा की आँखे नम थीं l

रुप - कुछ हुआ है... माँ..
सुषमा - (एक गहरी साँस छोड़ कर) चल आ बैठ... आज रात का खाना मेरे साथ खा ले... (कह कर बेल बजाती है, जिसे सुन कर एक नौकरानी अंदर आती है) हम दोनों के लिए... जाओ खाना ले आओ.... (नौकरानी अपनी सिर झुका कर बिना पीठ किए निकल जाती है)
रुप - माँ... आज आप बहुत दर्द में लग रही हैं...
सुषमा - नंदिनी... मैंने तुम लोगों से कहा था... यहाँ वापस मत आओ... यहाँ पर तुम लोग सब खो दोगे... तो क्यूँ आई...
रुप - (थोड़ी गंभीर हो कर) जो चीज़... जहां पर खो जाए... उसे वहीँ पर ढूंढना चाहिए... क्यूंकि वह चीज़ वही मिल सकती है... अपना खोया हुआ चीज़... मुझे अगर यहीँ मिल जाए... तो मेरी खोज मुकम्मल हो जाएगी...

तब तक खाना आ जाती है l नौकरानी परोसने वाली होती है कि उसे सुषमा रोक देती है, और बाहर इंतजार करने के लिए कहती है l रुप टेबल पर प्लेट लगाती है और खाना परोस देती है l

सुषमा - (अपना निवाला उठाते हुए) इतना भरोसा है तुम्हें अपने अनाम पर...
रुप - हाँ... है तो... पर आपको क्या हुआ है माँ...
सुषमा - (खाना खाते हुए) बहुत जल्द इस महल के भीतर... बवंडर आने वाला है... (एक थर्राती हुई साँस लेकर छोड़ते हुए) कल छोटे राजा जी आ रहे हैं.... शायद वीर की शादी की बात होगी... (रुप के खांसी होने लगती है) (सुषमा रुप की ओर पानी की ग्लास बढ़ाती है) लो पी लो...
रुप - माँ... क्या आप... वीर भैया के बारे में नहीं जानती...
सुषमा - जानती हूँ... तुम लोगों ने तो उसे देखा भी नहीं है... मैं उसे मिली... और आशीर्वाद देकर आई भी हूँ... पर... (चुप हो जाती है)
रुप - पर...
सुषमा - पर... वीर की राह में... क्षेत्रपाल नाम की ऊंची दीवार खड़ा है... या तो वीर दीवार फांदेगा या फिर तोड़ देगा...
रुप - (थोड़ी मायूसी के साथ) क्या घर के तीनों बड़े क्षेत्रपाल राजी नहीं होंगे...
सुषमा - तुम्हें क्या लगता है... तुम्हारा और अनाम का रिश्ता... यहाँ किसीको मंजुर होगा...
रुप - (चुप रहती है)
सुषमा - क्यूँ अब क्या हो गया...
रुप - मौत और मोहब्बत के दरमियान... हसरत और बर्बादी ही तो है... और मुझे दोनों कुबूल है...
सुषमा - (रुप की ओर देखती है और मुस्करा देती है)
रुप - क्या बात है माँ...
सुषमा - तुम बिल्कुल बदल गई हो.... पढ़ाई के लिए भुवनेश्वर जाने से पहले... तुम घर में एक गूंगी गुड़िया थी... पर अब...
रुप - मैं अंदर से यही थी माँ... अनाम से दोबारा मिली... तो अब मैं... मेरे अंदर से फुट कर बाहर निकली हूँ...
सुषमा - मतलब वीर से इस महल की नींव हिल जाएगी... और तुमसे यह ऊँची ऊँची दीवारें ढह जाएगी...
रुप - आप वीर भैया के लिए... बहुत चिंतित हैं...
सुषमा - हाँ भी... नहीं भी...
रुप - मतलब...
सुषमा - वह रंग महल के रास्ते पर... अंधा दौड़ लगा रहा था के अचानक... अनु नाम की एक हवा की झोंके से... उसने अपना रास्ता बदल दिया... अब उसके इम्तिहान का वक़्त समझो शुरु हो गया...
रुप - तो क्या... वीर भैया चूक जाएंगे...
सुषमा - नहीं... मैं वीर के जीवन में... बहुत कम साथ रही... पर उसे मैं जितना जानती हूँ... उतना तो वह खुद को भी नहीं जानता... वह एक जुनूनी है... और उसके जुनून के आगे क्षेत्रपाल नाम का अहंकार टूट का बिखर कर चूर चूर हो जाएगा....

थोड़ी देर के लिए कमरे में खामोशी पसर जाती है l दिनों का खाना ख़तम हो चुका था, अपने अपने लेमन बाउल में हाथ साफ कर लेते हैं l सुषमा बेल बजाती है l इस बार तीन चार नौकरानी भागते हुए आते हैं और थाली के साथ-साथ बचे हुए खाना ले जाते हैं l

रुप - अब मैं जाऊँ...
सुषमा - हाँ... एक मिनट...

रुप रुक जाती है l सुषमा रुप के हाथ में कॉर्डलेस देती है l रुप हैरान हो कर सुषमा को देखने लगती है l

सुषमा - रोज सुबह उठती हो... यह कॉर्डलेस लेती हो और अनाम को फोन करती हो... वैसे यह अंतर्महल है... क्षेत्रपाल मर्दों को छोड़ कोई नहीं आता... पर फिर भी... कल सुबह सुबह छोटे राजा जी पहुँच रहे हैं... घर में कोई गड़बड़ी होनी नहीं चाहिए... इसलिए... ले जाओ इसे...

रुप बेहद शर्म से गड़ जाती है l आँख उठा नहीं पाती और वह कॉर्डलेस लेकर वहाँ से चली जाती है l सुषमा के कमरे से निकल कर चारों तरफ नज़रें दौड़ाती है l उसे कोई नहीं दिखता तो खुशी और शर्म के साथ अपने कमरे की ओर भाग जाती है l अपने कमरे में पहुँच कर दरवाजा बंद कर देती है और दरवाजे पर टेक लगाए गहरी साँसे लेते हुए आँखे मूँद कर मुस्कराने लगती है l रुप की मुस्कान और भी बड़ी होती जाती है l एक लंबी साँस खिंच कर छोड़ते हुए अपनी आँखे खोलती है कि अचानक उसके चेहरे पर शॉक के भाव आ जाते हैं l उसकी नजर उसके कमरे की ड्रेसिंग टेबल पर ठहर जाती है l हैरानी से उसकी आँखे बड़ी हो जाती हैं l ड्रेसिंग टेबल का पुरा का पुरा आईना फेस क्रीम से सना हुआ था सिर्फ एक जगह को छोड़ कर l जिस जगह फेस क्रीम नहीं लगा हुआ था, उसीके पास एक काग़ज़ पर मोर के पंख की ड्रॉइंग


images
और यो(🤘) का उल्टी तरफ की ड्रॉइंग चिपकी हुई थी l और उस ड्रॉइंग के नीचे फ़ोल्ड की हुई एक चिट्ठी भी चिपकी हुई थी l रुप ड्रेसिंग टेबल के पास आती है उन ड्रॉइंग्स को गौर से देखने लगती है और फिर उस फ़ोल्ड की हुई चिट्ठी को निकालती है l चिट्ठी खोल कर जब पढ़ती है उसे झटका सा लगता है l

"क्या कहूँ कैसे कहूँ
जब जाना आप ही राजकुमारी हो आप ही नंदिनी हो और आप ही वह रुप हो जिनका नाम मेरी गर्दन के पीछे गुदा हुआ है l मैं हिल गया वाह क्या बेवक़ूफ़ बनाया आपने मुझे l
अपनी बेवकूफ़ी पर हँसते हुए आपके लिए मेरे दिल की बात को ज़ज्बात को आपके ड्रेसिंग टेबल पर चिपका दिया है l
क्यूंकि आपको देखा तो जुबान खामोश हो गई इसलिए जुबान से जो हो ना सका उसे कुछ लकीरों में कैद कर तस्वीर बना कर पेश कर दिया l
अपनी पलकों के रास्ते दिल में उतार कर समझ लीजिए l"

रुप अब गौर से उस ड्रॉइंग को देखने लगती है l मोर के पंख पर गहरे लाल रंग दिल की ड्रॉइंग बनी हुई है


IMG-20221211-200336
और उल्टी तरफ 🤘देख कर सोचने लगती है l अचानक उसकी आँखे बड़ी हो जाती है जैसे उसने कुछ ढूंढ लिया हो l हैरानी से उसकी मुहँ खुल जाती है l आईने के जिस हिस्से में थोड़ा खाली था उस हिस्से में रुप को अपनी आँख 👁️

TLsE
दिख रही थी l मोर के पंख में गहरे लाल रंग का❤️ दिल का ड्रॉइंग बना हुआ था और उल्टी तरफ 🤘में उसे यु दिखा l

Screenshot-2022-12-11-22-15-17-36-99c04817c0de5652397fc8b56c3b3817
मतलब साफ था 👁️❤️🤘( EYE LOVE U), खुशी के मारे अपने दोनों हाथों से अपना मुहँ ढक लेता है l हाँ अनाम ने रुप के लिए अनोखे तरीके से अपने प्यार का इजहार कर चुका था l पर फिर अचानक रुप के चेहरे पर मायूसी छा जाती है, क्यूंकि यह बात वह विश्व की मुहँ से सुनना चाहती थी l वह कॉर्डलेस पर विश्व की मोबाइल नंबर डायल करती है l दो या तीन रिंग के बाद फोन कट जाता है l विश्व फोन काट दिया था l रुप फिरसे रिडायल करती है पर इस बार विश्व की फोन बिजी आती है l रुप चिढ़ जाती है और अपने बेड पर कॉर्डलेस को पटक देती है l तभी उसके कानों में उसकी मोबाइल फोन की घंटी सुनाई देती है l रुप मोबाइल स्क्रीन पर देखती है बेवक़ूफ़ डिस्पले हो रहा था l लपक कर फोन उठाती है l

रुप - (धीमी आवाज में) है.. हैलो...

पर तब तक फोन कट चुका था l रुप गुस्से से मोबाइल को देखती है के विश्व की एक मैसेज उसके स्क्रीन पर आती है l रुप वह मैसेज खोलती है

विश्व - बस एक छोटा सा मासूम सा सवाल... क्या मैं पुछ सकता हूँ... 😋

फोन क्यूँ काटा 😤.... - रुप

विश्व - कमाल है... पता नहीं कितने दिनों से... मुझे बेवक़ूफ़ बना रही थीं... मैंने आपने दिल की बात आप तक पहुँचा तो दिया... 🥰

वह मुझे कुछ समझ में नहीं आया 🤨... मेरे सामने आकर मुझसे कहो... 😠.... - रुप

विश्व - इसीलिये तो आपसे एक छोटा सा... मासूम सा सवाल करना चाहता हूँ..... 😋 आप अगर जवाब देंगी तो मैं सामने आने की सोचूँगा.... 🤪

यु... अच्छा ठीक है... पूछो क्या पूछना चाहते हो...😬 - रुप

विश्व - हाँ तो सवाल यह है कि...🤔 क्या राजकुमारी... रुप नंदिनी... 😋इस नाचीज़ अनाम उर्फ विश्व प्रताप... उर्फ आपका अपना बेवक़ूफ़ 🤤की नकचढ़ी बनना स्वीकर करेंगी.... 🫣

रुप शर्म से मुस्करा देती है, अब तक जो उसका मुड़ खराब था यह इस मैसेज से उसका उखड़ा मुड़ सही हो जाती है l रुप टाइप करती है

कितने डरपोक 🥶और बेशरम हो🤥... लड़की से पहले इकरार करना चाहते हो.... 😏.. - रुप

विश्व - क्या करूँ😩... मेरी नकचढ़ी बचपन से ही 🥳बेशरम है... अब संगत का कुछ असर तो होगा ना... 😉

(हथियार डालते हुए) प्लीज... अगर यहीँ कहीं हो... तो सामने आ जाओ ना... 😓- रुप

विश्व - आ तो जाऊँ... पर किसके सामने... 🤔

रुप समझ जाती है विश्व उससे क्या कहलवाना चाहता है वह अपने दोनों गालों को अंदर खिंच कर दाँतों तले दबा लेती है और

अपने नकचढ़ी के सामने... 🫣- रुप

विश्व - लो आपने पुकारा और... हम चले आए... मोबाइल हथेली में लिए आपके पलंक के नीचे से.... 🫠

क्या...

रुप के मुहँ से निकल जाती है और तुरंत बेड से उतर कर नीचे झाँकती है विश्व नीचे लेटा हुआ था l रुप फिर उछल कर खड़ी हो जाती है और भाग कर दरवाजे को लॉक कर देती है l पर उसमें हिम्मत नहीं होती पिछे मुड़ कर देखने की अपनी साँसों पर काबु करने की कोशिश करती है फिर अपने चेहरे पर कड़क भाव लाने की कोशिश करती है फिर पीछे मुड़ती है l विश्व बेड के नीचे से बाहर आ चुका था l

विश्व - (अपने घुटने पर बैठ कर) आपका बेवक़ूफ़... आपकी सेवा में...
रुप - (एटिट्यूड के साथ) यह क्या बकवास ड्रॉइंग लगा दी है... ऊपर से पुरा का पुरा ड्रेसिंग टेबल खराब कर दिया...
विश्व - (वैसे ही घुटने पर बैठ कर, अपनी बाहें फैला कर)खामोशी की अपनी जुबान होती है... जो पलकों से सुनी जाती है और दिल से पढ़ी और महसुस की जाती है... मैं जानता हूँ... मेरी दिल की बात... मेरी नकचढ़ी ने समझ लिया है... फिर भी अगर जुबान से सुनना चाहती हैं... लीजिये कह देता हूँ... पहले कभी प्यार को नहीं समझा... और जब समझा... खयालों में... ख्वाबों में... बातों में जज़्बातों में आपको ही पाया... मेरे वगैर शायद आपका वज़ूद मुमकिन हो जहान में... पर आपके वगैर मेरी कोई वज़ूद नहीं इस कायनात में...
मुझे आपसे मोहब्बत है...
आपके साथ जीने की तमन्ना है...

रुप भाग कर आती है और उसके गले से लग जाती है l विश्व रुप के इस अप्रत्याशित हमले से पीछे की ओर लुढ़क जाता है रुप भी उसके साथ उसके ऊपर ही लुढ़क जाती है l विश्व फर्श पर और विश्व के ऊपर रूप l रुप को विश्व की पॉकेट पर वाईव्रेशन महसूस होती है l रुप हैरान हो कर चेहरा उठा कर विश्व की ओर सवालिया नजर से देखती है l

विश्व - दोस्त... बाहर ट्रांसफार्मर के पास खड़ा है... फिर से बिजली गुल करने के लिए...

रुप विश्व से अलग हो कर नीचे बैठ जाती है और विश्व की जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल उठाती है l

टीलु - भाई... भाभी से बात हो गई क्या... लिवर कब खींचना है बोलो... जहां छुपा हुआ हूँ... मच्छर काट काट कर मेरा कचूमर बना रहे हैं....
रुप - एक काम करो... घर जा कर सो जाओ... और सुबह के चार बजे आकर ट्रांसफार्मर का लिवर खींचना... तब तक तुम्हारे भाई... भाभी की महमान हैं...
टीलु - कौन...
रुप - तुम्हारी भाभी...
टीलु-भा... भा... भाभी... आ आ आप... हैलो... (फोन कट गया था)
Nice👍
 
Top