कहानी अब एक नए आयाम में प्रवेश कर चुकी है। विश्व की ज़िंदगी यहां से एक नया मोड़ लेने वाली है, वो मोड़ जो विश्व की मंज़िल की तरफ जाता है। भैरव सिंह, पिनाक सिंह, अनिकेत, बल्लभ और जितने भी ऐसे थे जिन्होंने सात वर्ष पहले ना केवल एक मासूम को जेल भिजवाया बल्कि एक लड़की की इज़्ज़त को भी तार – तार कर दिया, अब उन सभी का दंडचक्र आरंभ होने वाला है। जहां, विश्व के जीवन में उस न्याय – चक्र का आरंभ हो रहा है, जिसकी उसे सालों से प्रतीक्षा थी, वहीं उसका प्रेम, जोकि बचपन से उसके हृदय में कैद था, अब शायद उसके उजागर होने का समय भी निकट ही है।
नंदिनी को अंततः मालूम चल गया की प्रताप ही उसका अनाम है, परंतु इसी रहस्योद्घाटन के बाद नंदिनी के सामने वो दोराहा आने वाला है जो उसकी एक कठिन परीक्षा लेगा। अभी नंदिनी अनाम के विश्वा और विश्वा के प्रताप बनने के सफर के बारे में कुछ नहीं जानती, जल्द ही कहानी उस घटनाक्रम पर प्रकाश डाल सकती है, जो अभी तक परदे के पीछे छुपा हुआ है। आखिर ऐसी क्या वजह थी कि विश्व उस क्षेत्रपाल महल में नौकर बन गया था जहां उसकी बहन की इज़्ज़त और ज़िंदगी को नेस्तनाबूद किया गया था, जिस महल की दीवारें उसकी बहन की चीखों और उसके पिता के रक्त से रंगी थी, वहां विश्व के जाने का क्या कारण था? मुख्य प्रश्न ये भी है कि क्या प्रतिभा और तापस जानते हैं इस सबके बारे में? मुझे याद है की वैदैही ने पूरा अतीत नहीं बताया था प्रतिभा को, शायद जल्द ही वो पहली भी सामने आए...
विश्व अभी भी नंदिनी की सच्चाई और उसके अस्तित्व से अनभिज्ञ है, वो नहीं जानता की जिस राजकुमारी की तलाश में उसका हृदय है वो उसके इतने करीब है। वैसे मुझे नहीं लगता की अभी विश्व को इस बारे में पता चलने वाला है, इसका कारण यही है की अब विश्व और नंदिनी में मुलाकात अथवा बातें होंगी, इसकी संभावना बेहद कम है। दूसरा, रूप की चाची ने शुभ्रा को कुछ बताया था, जो वो नंदिनी से छुपा गई, क्या वो बात नंदिनी की शादी से जुड़ी थी? यदि हां, तो विश्व के सामने सच्चाई आने में अभी काफी समय लगने वाला है। शायद जब उस राजगढ़ नामक जंगल में वो लौटे, तभी उसे ये असलियत मालूम चलेगी...
खैर, अब विश्व का लक्ष्य क्या होना वाला है, ये देखना भी रोचक रहेगा। स्वप्न जोडार का मामला अब सुलझ चुका है, केके के साथ उसका लफड़ा सुलझने से विश्व ने भी अदालत और कानून के अखाड़े में अपने कदम रख दिए हैं। अभी के लिए विश्व शायद नंदिनी से भी दूर रहेगा, या कहीं की शायद हालात उन्हें कुछ वक्त तक दूर रखें। ऐसे में अब उसका ध्यान अनिकेत और बल्लभ पर हो सकता है, संभव है की इन दोनों के साथ – साथ परीड़ा भी पिस जाए। क्योंकि टोनी उर्फ लेनिन ने अपने हाथ इस मामले से पूरी तरह खींच लिए हैं, इसलिए शायद अब वो कुछ समय तक ज़िंदा तो रहेगा, परंतु मुझे नहीं लगता की भविष्य में वो कहानी से गायब होने वाला है, विश्व के हाथों मुक्ति पाने वो ज़रूर लौटेगा।
अनिकेत, बल्लभ और परीड़ा, तीनों ने मिलकर काफी कुछ पता लगा लिया है विश्व के बारे में। विश्व का एक बेहतरीन फाइटर होना, उसका वकालत करना, विश्व और डैनी के संबंंध, और सबसे बड़ी बात, टोनी के मुंह से सुने विश्वा भाई के किस्से। परंतु अभी भी वो तीनों एक तरह से अंधेरे में तीर चला रहे हैं। विश्व बल्लभ और अनिकेत के बारे में, उनकी शहर में उपस्थिति के बारे में और शायद उनके मकसद के बारे में भी सब कुछ जानता है। परंतु वो तीनों ना तो ये जानते हैं की विश्व कहां है, वो कैसा दिखता है, उसका राजगढ़ ना लौटने के पीछे का औचित्य क्या है और सबसे महत्वपूर्ण विश्व असल में क्या जाल बुन रहा है... अपने दुश्मन के बारे में इतनी बातों से अनभिज्ञ होना हानिकारक है और ये तीनों जल्द ही ये समझ जाएंगे।
परंतु जिस चीज़ का इंतज़ार है वो है की भैरव सिंह से ये दोनों क्या कहेंगे? विश्व के बारे में क्या बताएंगे? क्या अनिकेत कह पाएगा की विश्व बिना सामने आए दो बार उसकी धज्जियां उड़ा चुका है। संभव ही नहीं है, और यही इन दोनों की सबसे बड़ी गलती साबित होगी। मुझे नहीं लगता की विश्व इन दोनों को जान से मारेगा, परंतु जैसा रंगा ने कहा था, मुझे भी लगता है की वो इन दोनों की ज़िंदगी मौत से भी बत्तर कर देगा। मज़े की बात तो ये है की भैरव सिंह को शायद खबर भी नहीं होगी की उसके दोनों पिल्लों के साथ आखिर हुआ तो हुआ क्या?
केके, ओंकार चेट्टी और वो अनजान शख्स, इन तीनों की उपस्थिति भी कहानी को रोचक बना रही है। यदि वो तीसरा किरदार अभी तक कहानी में दिख चुका है, तो शायद वो डैनी हो सकता है, या फिर संभव है की वो कोई नया किरदार हो। बड़ी बात ये है की उस व्यक्ति का निशाना अभी वीर है ना की विक्रम, विक्रम को ओंकार ने धमकी दी थी और ओंकार के कहने पर ही रंगा ने शुभ्रा पर हमला किया था। क्या वो शख्स वीर के पूर्व कर्मों का मारा है? संभव है की उसके किसी प्रियजन को भी वीर की हवस और नीचता के कारण अपने प्राण अथवा प्रतिष्ठा गवानी पड़ी हो, और इसीलिए उसका मुख्य लक्ष्य वीर ही है।
अब केके को जिम्मेदारी मिली है की वो विश्व को अपने साथ मिलाए, क्षेत्रपालों के विरुद्ध खड़ा होने के लिए। अपनी ही कब्र तो नहीं खोद रहा है ओंकार? विश्व की ये कहानी, उसके लिए धर्मयुद्ध है और धर्मयुद्ध में इन अधर्मियों का साथ निभाए, अथवा उनकी सहायता ले, ऐसा चरित्र नहीं है विश्व का। परंतु, बेशक रोचक होगा देखना की क्या नतीजा निकलेगा जब केके ऐसा कोई प्रस्ताव लेकर विश्व के पास जाएगा। सर्वप्रथम तो जब उस मूर्ख को पता चलेगा की उसकी जेब पर डाका डालकर स्वप्न जोडार को जितवाने वाला विश्व ही है, तब उसकी प्रतिक्रिया देखने लायक होगी...
शुभ्रा और विक्रम के बीच भी अब शायद चीज़ें बेहतर हो रहीं हैं परंतु क्या सब कुछ ठीक हो चुका है दोनों के बीच? शायद नहीं। विश्व ने शुभ्रा को बचाकर एक तरह से विक्रम पर उपकार किया है, जिसका बदला उतारना चाहेगा विक्रम। वैदैही और प्रतिभा में से किसी पर आया संकट टालकर ही ऐसा संभव हो सकता है, परंतु उसके बाद क्या? विक्रम इतने समय से जो डेविल बनकर विश्व से भिड़ंत की तैयारी और प्रतीक्षा कर रहा है, और खुद को बेहतर बना रहा है, वो ऐसे ही व्यर्थ तो नहीं जाने वाला। अब देखना ये है की क्या उसी भिडंत के बाद, शुभ्रा और विक्रम पुनः पूर्णतः एक – दूसरे को समर्पित हो पाएंगे। क्योंकि शुभ्रा की ओर से अभी भी कुछ झिझक दिखाई दे रही है...
इधर वीर और अनु की प्रेम कहानी तब तक उड़ान नहीं भर पाएगी जब तक उस अनजान शख्स को ढूंढ नहीं लेता वीर। वो वीर पर चौबीसो घंटे नज़र रखे हुआ है, ऐसे में संभव नहीं है की वीर अपने प्यार का इज़हार अनु से कर पाए। पुष्पा ने अपने हाथ की नस काट ली है, क्या अपनी मां के गम में है वो या इसका आरोप वीर के सर आने वाला है? अनु के लिए जिस रिश्ते की बात कर रहा था मृत्युंजय अभी तक ना तो अनु उस बारे में जानती है और ना ही वीर। दादी का अगला कदम क्या होगा ये भी एक निर्णायक बात साबित होगी।
कहानी की कड़ियां अब जुड़ने लगीं हैं। शुभ्रा और विक्रम का मामला अब पूरी तरह से विश्व और विक्रम की भेंट पर निर्भर करता है, विक्रम कैसे उस एहसान को उतारेगा, इस पर निर्भर करता है। वीर और अनु की प्रेम कहानी उस अज्ञात दुश्मन के सामने आने पर निर्भर करती है, और यदि वो डैनी हुआ, तो यहां भी विश्व की उपस्थिति बन जायेगी। केके की विश्व से मुलाकात और क्षेत्रपालों से दुश्मनी के बारे में चर्चा, निर्णायक रहेगी। अंततः कहानी का शीर्षक – “विश्वरूप" सार्थक कब होगा, ये भी देखना है।
सभी अध्याय बहुत ही खूबसूरत थे भाई। कुछ समय से कहानी पढ़ नहीं पाया था, आज ही सभी अध्याय पढ़े हैं और देखकर बेहद प्रसन्नता हुई की स्वास्थ्य से जूझते हुए भी आपने कहानी को रोका नहीं है, अपडेट्स की गति निरंतर बनी हुई है। आपके लेखन में समय के साथ जो निखार आया है वो सचमें तारीफ के काबिल है। जैसा मैंने पहले भी कई बार कहा है की इतने बेहतर ढंग से प्रेम – प्रसंग अथवा प्रेमालाप लिखते हुए मैंने कम ही लेखकों को देख है, और अब भी मैं उस पर कायम हूं। तीन प्रेम – कहानियां हमें एक साथ यहां पढ़ने को मिल रही हैं और तीनों के मध्य जो भिन्नताएं हैं, वो दिल को छू जाती हैं। बीच में सुकुमार अंकल जैसे पात्रों की उपस्थिति और उनके आगमन से कहानी पर हुआ असर, सत्य में अब आप एक मंझे हुए लेखक की तरह कहानी लिख रहें हैं।
प्रतीक्षा अगले भाग की...