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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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Kala Nag

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👉एक सौ तेरहवां अपडेट
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रोणा की बातेँ सुन कर विश्व अपनी आँखे बंद कर श्रीनु की लाश को अपने बाहों में भींच लेता है l

विश्व - (अपनी जबड़े भींच कर) मुझे माफ कर दे श्रीनु... मुझे माफ कर दे... जो मौत मेरे हिस्से थी... वह मैंने तुझे दे दी... मुझे माफ कर दे...
रोणा - हाँ.. यह तुने बिल्कुल सही कहा... जो कुत्ते की मौत तुझे मरना चाहिए था... इस लड़के को मिला... तु क्या समझा... तु तेलुगु में बात करेगा... तो एसआईटी ऑफिसर श्रीधर को शक नहीं होगा...
विश्व - (हैरान हो कर) एस... आईटी..
रोणा - हाँ... अब तेरे से इतना बड़ा कांड हुआ है... तो कुछ ना कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा ना... (लहजा बदल जाता है) तुझे समझाया गया था... ज्यादा दिमाग मत चला... पर तु नहीं माना... (चिट्ठियां निकाल कर दिखाते हुए) इन्हें... तु इस पिल्ले से पोस्ट करवा दिया था... पर ऐन वक़्त पर... श्रीधर मुझे खबर कर दिया... और मैं इसे पकड़ कर महल ले गया... हा हा हा... बहुत ही नाजुक पिल्ला था... राजा साहब ने अपने जुते से कुचल कर... पर लोक इसके नाना के पास भेज दिया... हा हा हा...

विश्व और जोर से श्रीनु की लाश को जाकड़ लेता है l उसकी ऐसी हालत देख कर रोणा उससे कहता है l

रोणा - ऐ... अब बहुत हो गया... हाँ.. चल लाश को छोड़ अभी... पुलिस को पंचनामा करना है... साला मनहूस... जब से सरपंच बना है... मेरी पुलिस स्टेशन और मेरे कैरियर पर दाग लगने शुरु हो गए... इसका भी सांप काटने का रिपोर्ट बनाना है... (विश्व फिर भी अपने से श्रीनु की लाश को नहीं छोड़ता) (रोणा अपने स्टाफ से) ऐ अलग करो इसे.... (वहाँ पर मौजूद लोगों से) ऐ तुम लोगों को... पंचनामे पर दस्तखत करने हैं...
विश्व - ख़बरदार... (चिल्लाता है) (सभी रुक जाते हैं) बस... बहुत हो गया... अब इस लाश की पोस्ट मोर्टेम होगी... और कातिल कौन है... उसे ढूंढ निकाला जाएगा...
रोणा - बे मादरचोद... साले हरामी... पुलिस वाले को... बता रहा है... क़ातिल को ढूंढ निकालेगा... ह्म्म्म्म... चल बता... कैसे...
विश्व - मत भुल.. मैं सरपंच हूँ... मैं इस शव को... अभी यशपुर ले जाऊँगा... वहाँ बीच रास्ते पर शव रख कर... धरना दूँगा...
रोणा - अरे बाप रे... तुझे तो मैंने बेवक़ूफ़ समझा था... तुझे तो दिमाग भी चलाना आता है... ह्म्म्म्म... (अपने स्टाफ से) पहले इस हरामी को पकड़ो...

सभी स्टाफ विश्व को पकड़ लेते हैं l विश्व छटपटा रहा होता है l रोणा लाश की मुआयना करता है फिर विश्व को देख कर मुस्कराते हुए

रोणा - आज तुझे एक महत्वपूर्ण कानूनी सबक सिखाऊँगा... क़ातिल सजा देने के लिए.. तीन चीजों की जरूरत है... पहला लाश... दुसरा... गवाह... और तीसरा हत्या का तरीका.... लेकिन अगर लाश ही ना मिले.... तो कत्ल कभी साबित नहीं हो पाता... आज यह... (श्रीनु की लाश दिखा कर) रंग महल के मगरमच्छों का निवाला बनेगा...
विश्व - (चिल्लाता है) नहीं... नहीं रोणा बाबु नहीं... मैं कुछ नहीं करूंगा... प्लीज... मुझे श्रीनु का शव दे दीजिए... मैं वादा करता हूँ... मैं इसके शव का दाह संस्कार कर दूँगा... (गिड़गिड़ा कर रोते हुए) प्लीज... रोणा बाबु प्लीज...
रोणा - ना कुत्ते ना... एक बार... बगावत करने की सोच लिया है... आज नहीं तो कल करेगा ही... ना... इसकी लाश तो... मगरमच्छों को खिलाई जाएगी...
विश्व - नहीं... या आआआ.... (चिल्लाता है)

विश्व अपनी पुरी ताकत लगा कर झटका देता है l पुलिस वाले जो उसे पकड़े हुए थे सब दूर जा कर गिरते हैं l इससे पहले कि क्या हुआ रोणा कुछ समझ पाता विश्व तब तक उसके पास पहुँच कर एक जोरदार घुसा जड़ देता है l रोणा उड़ते हुए हवा में दुर जाकर गिरता है l वहाँ पर मौजूद लोग हैरान हो जाते हैं l विश्व पर दो तीन कांस्टेबल टुट पड़ते हैं l विश्व बहुत उग्र हो चुका था, उसे वह तीन कांस्टेबल भी काबु नहीं कर पाए, उससे छिटक कर दुर जा गिरे I फिर सभी मौजूद कांस्टेबल और हबलदार विश्व को पकड़ लेते हैं और विश्व को नीचे गिरा देते हैं l तब तक रोणा अपना जबड़ा मलते हुए संभल कर उठता है l रोणा अपने चारों तरफ देखता है लोग मुहँ फाड़े देख रहे हैं l

रोणा - यहाँ पर क्या देख रहे हो... दफा हो जाओ यहाँ से...

सभी लोग वहाँ से जल्दी जल्दी खिसक लेते हैं l अब उस जगह पर विश्व, और पुलिस वाले ही थे l

रोणा - साले... हरामी... कुत्ते... आह... जबड़ा हिला दिया मेरा... (अपने स्टाफ से) ऐ... आज एक एक करके इसे मारो... तब तक मारो... जब तक तुम लोग तक ना जाओ... और एक बात... चेहरे पर बिल्कुल भी नहीं....

उसके बाद विश्व को पाँच बंदे पकड़ते हैं और एक एक करके विश्व को मारने लगते हैं l जब सब थक जाते हैं तब रोणा विश्व को मारना शुरु करता है l तभी वैदेही भागते हुए आती है और रोणा के पैरों पर गिर जाती है l

वैदेही - (रोते गिड़गिड़ाते हुए) मेरे भाई को मत मारो... छोड़ दो उसे...
रोणा - आ गई रंडी... (वैदेही को बालों समेत उठा कर) सुना है शनीया को ज़मानत दे कर अपने भाई को बचाया था... कसम से... मुड़ तो है... पर साला वक़्त नहीं है... कोई ना... फिर कभी...

वैदेही को एक जोरदार थप्पड़ मार देता है, वैदेही दो तीन घेरा घुम कर नीचे गिरती है l उधर विश्व की हालत भी खराब हो चुकी थी l विश्व भी बेहोश हो कर गिर जाता है l कुछ देर बाद कुछ गाँव वाले जो वैदेही के खबर कर उसके पीछे पीछे आए थे पर छुपे हुए थे l वे लोग वैदेही संभालते हैं और विश्व को उठा कर घर में पहुँचा देते हैं l वैदेही तुरंत जा कर पानी की लोटा लाती है और विश्व के उपर छिटकती है l विश्व कराहते हुए अपनी आँखे खोलता है l खुद को वैदेही और कुछ गाँव वालों से घिरा हुआ पाता है l

वैदेही - (रोते हुए) यह... क्या हो गया है विशु... हम... हम अब यहाँ नहीं रहेंगे... हम यह गाँव छोड़ कर चले जाएंगे...
विश्व - आह.. नहीं... (उठने की कोशिश करते हुए)
वैदेही - (अपना रोना रोक कर) क्यूँ... क्यूँ उठ रहा है....
विश्व - (उठ बैठता है) दीदी.. अब तुम्हारा विशु... जिंदा नहीं है... मर चुका है... (उठने लगता है)
वैदेही - विशु... यह क्या कह रहा है... (उसे रोकने की कोशिश करते हुए) और कहाँ जाना चाहता है...
विश्व - या तो आज जिंदा होना है... या फिर हमेशा के लिए मर जाना है...
वैदेही - नहीं... मैं गलत थी.. हम सब गलत थे... हमें अब किसीसे नहीं लड़ना.. किसीके लिए नहीं लड़ना...

विश्व थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है और फिर अपनी दीदी की ओर देखने लगता है l वैदेही देखती है विश्व का चेहरा एक दम से भाव शून्य दिख रहा है l

विश्व - मैं किसी और की लड़ाई नहीं लड़ने जा रहा... अपनी लड़ाई को अंजाम देने जा रहा हूँ... श्रीनु... एक बारह साल का बच्चा... जिसने मेरी मौत को अपने ऊपर ले लिया... जब तक जिंदा रहूँगा... तब तक वह एक बोझ... मुझे जीने नहीं देगी... मैं अपनी गुरु दक्षिणा का मान नहीं रख पाया... इसलिए मुझे जाने दो दीदी... अगर लौटा... तो... इस गाँव में वह सब दुबारा नहीं दोहराया जाएगा... वरना... समझ लो... मैं कभी इस दुनिया में था ही नहीं....

विश्व ने जिस सपाट भाव से यह बात कही थी l वैदेही के पाँव जम गए l वहाँ पर मौजूद लोग और वैदेही उसे जाते हुए देख रहे थे l धीरे धीरे विश्व वैदेही और लोगों के नजरों से ओझल होता चला जाता है l

फ्लैशबैक से लौट कर

वैदेही - उस दिन विशु... यहाँ से गया... आज तक नहीं लौटा... आज आ रहा है... तो क्यूँ ना खुशी मनाऊँ...
गौरी - (अपनी आँखों से आँसू पोछते हुए) सच... कितनी पीड़ा दाई है... विशु की कहानी...
वैदेही - हाँ काकी... सब सोच रहे हैं... वह राजा से लड़ रहा है... पर सच तो यह है कि... वह खुद अपनी नाकारा वज़ूद से लड़ रहा है... अपने अंदर उस शख्सियत से लड़ रहा है... जिसे वह मरते दम तक माफ नहीं कर पाएगा... और खुदको सजा देने के लिए ही... विशु राजा के सल्तनत... हुकूमत से टकरा गया....


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राजगड़ का थाना l रोज की रूटीन के तहत अनिकेत रोणा टेबल पर टांगे रख कर और अपनी कुर्सी पर फैल कर लेटा हुआ था l उसके बदन पर शर्ट नहीं था और टेबल पर खाली शराब की बोतलें और एक ग्लास लुढ़क रहे थे l शनीया और उसके साथी यह सब देख कर एक दुसरे को देखते हैं l

भूरा - (शनीया के कानों में फूस फुसा कर) क्या नौकरी है... बदन पर खाकी... और टेबल पर साकी...

जम्हाई लेते हुए अधखुले आँखों से रोणा इन सबको देखता है l अपने दोनों हाथों को मोड़ कर अपने सिर के पीछे रख कर

रोणा - शनीया.. तु यहाँ.. अपनी मंडली को लेकर... क्या... वैदेही ने... फिर से तेरी फाड़ी क्या रे...
शनीया - नहीं साहब... इस बार उसने... उसके भाई के वजह से किस किस की फटी... बता रही थी...

रोणा अपनी टांगे टेबल पर हटाता है और अपनी हाथों को सिर के पीछे से निकाल कर हैंड रेस्ट पर रखते हुए सीधा हो कर बैठता है l

रोणा - मतलब सुबह सुबह... वैदेही से अपना पिछवाड़ा सुलगा कर आए हो... और धुआँ... यहाँ थाने में छोड़ने आए हो...
भूरा - साहब... एक वक़्त था... जब हम सिर्फ राजगड़ में ही नहीं... पचास पचास कोष तक जितने भी शहर गाँव कस्बे हैं... शेर बने फिरते थे... पर इन सात सालों में... हम बाहर तो शेर ही हैं... सिवाय उस कमीनी रंडी वैदेही के आगे....
रोणा - ह्म्म्म्म... तो... अपना दुखड़ा रोने मेरे पास आए हो...
शनीया - नहीं साहब... जिस तोड़ में उसने कहा कि.... विश्वा ने तुम्हारे खाकी वाले साहब को एक नहीं दो बार पेला है... पुछ कर देखो बोला... वह कितना सच बोल रही है... यही पता करने आए थे...
रोणा - मादरचोदों... मुझे समझ क्या रखा है तुम लोगों ने...
शनीया - चाकर... राजा साहब के... बिल्कुल हमारी तरह... बस दर्जा आपका हमसे ज्यादा है....
भूरा - वरना... इस हमाम में... हमारे जितने आप भी नंगे हैं...
शनीया - हाँ... और फर्क़ बस इतना है... हमारा लंगोट का नाड़ा ढीला नहीं हुआ है... तुम्हारा तो...
रोणा - बस... हरामीयों... बहुत झा़टे सुलगा लिए मेरे... अब एक लफ्ज़ और मुहँ से निकाला... तो डंडा पीछे घुसेड़ कर मुहँ से निकालूँगा...

शनीया, भूरा और उनके चेले चपाटे सब चुप हो जाते हैं l रोणा अपनी कुर्सी से उठ कर वॉशरुम में जाता है, मुहँ में पानी डालता है फिर टावल से चेहरा साफ करते हुए बाहर आता है l

रोणा - पहले यह बताओ... यहाँ आए किस लिए हो...
भूरा - वह आज वैदेही ने... अन्नछत्र खोला है...
रोना - अच्छा...
शनीया - हाँ... सुना है... विश्वा आज.. वापस आ रहा है...

रोणा यह सुन कर कुछ देर के लिए चुप रहता है, और उन्हें घूरते हुए पूछता है l

रोणा - ह्म्म्म्म... मिठाई भी साथ लाए हो क्या... सालों खबर ऐसे दे रहे हो... जैसे तुम्हारा बाप लौट कर आ रहा है...

फिर कुछ देर के लिए चुप्पी छा जाती है l शनीया देखता है इस खबर के बाद रोणा कुछ बैचैन हो जाता है l

शनीया - क्या हुआ साहब...
रोणा - यह तुम लोगों को कब मालुम हुआ... के विश्वा आज आ रहा है...
शनीया - प्रधान बाबु से... और शायद उन्हें आपने ही बताया था...
रोणा - कुछ बातेँ... तुम लोग समझ सको तो समझ जाओ... विश्वा या उसके बहन से उलझना चाहते हो... तो उन्हें इतना मजबूर करो... के वे लोग... अपनी दायरे से बाहर निकले... इतना उकसाओ के वे तुम्हारे इलाके में आ कर तुम लोगों से उलझे... झगड़ा करे... तब... उन दोनों को हम कानूनी पछाड़ दे सकते हैं...
भूरा - यह आप कह रहे हैं... हम राजा साहब के लोग हैं... और राजा साहब यहां के भगवान हैं...
रोणा - भगवान का भी एक हद होता है... यह दोनों भाई बहन... राजा साहब के काबु नहीं आने वाले....
शनीया - वह तो इसलिए... क्यूंकि राजा साहब ने कहा था... के सात साल तक... वैदेही को कुछ ना हो... और जब विश्वा आएगा... दोनों भाई बहन को मिला कर ऐसी सजा देंगे... के फिर कभी इस मिट्टी में... विश्वा या वैदेही जनम नहीं लेंगे...
रोणा - हाँ तब... जब विश्वा... वही पुराना वाला विश्वा होता...
शनीया - अब क्या उसके दो सिंग चार हाथ निकल आए हैं...
रोणा - सात साल पहले... विश्वा कुत्ते के दुम पर शैम्पू लगाता था... सीधा करने के लिए... सात साल बाद वकील बन कर लौट रहा है... हम सबको सीधा करने...
शनीया - सात साल पहले... हमारे लंगोट साफ किया करता था... हमारे दंडे में तेल लगाया करता था...
रोणा - सात साल बाद... तुम जैसे सौ सौ पहलवान... उसके आगे पानी भरोगे...
भूरा - क्या... वह जैल गया था... या पहलवानी सीखने...
रोणा - तुम सब गोबर दिमाग... बस इतना समझो... उन दो भाई बहन को... खुद से उलझाओगे... तो अपने इलाके में... ना कि उनके इलाके में... तब हम मिलकर उनको सबक सिखा पाएंगे....
शनीया - रोणा साहब... क्या विश्वा सच में इतना बड़ा तोप है...

रोणा की जबड़े भींच जाते हैं और अपनी आँखे मूँद लेता है, उसे लेनिन की कही बातेँ याद आने लगता है l अपनी आँखे खोलता है और शनीया से कहता है l

रोणा - यकीन तो तुम लोगों को भी है... फटी भी तुम लोगों की भी है... क्यूंकि वैदेही की बातों पर यकीन करने के बाद ही आए हो... और मुझ से मोहर लगवाने... कास... कास के राजा साहब... उस दिन मेरी बात मान गए होते... तो आज हम सबकी यूँ फट नहीं रही होती...

फ्लैशबैक

महल के दिवान ए खास में सिंहासन पर भैरव सिंह बैठा हुआ है l बगल में रोणा, बल्लभ और श्रीधर तीनों बैठे हुए हैं l भीमा और कुछ पहलवान हाथ बांधे खड़े हुए हैं l शराब की ग्लास हाथ में लिए अपनी माथे को ग्लास पर हल्का सा रगड़ते हुए

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... प्रधान... इस केस में... हमें अपनी नवरत्नों में चार रत्न खो दिए...
बल्लभ - जब तक चले... अपने सिक्का चलाया... और... जब खोटे हुए... तब आपने हटा दिया...
भैरव सिंह - हाँ प्रधान... पर यह खुन खराबा... हमें जरा भी पसंद नहीं... हम तो अपनी मर्जी की जीना चाहते हैं... अपनी मर्जी की राह चलना चाहते हैं... पर कुछ लोग बिल्ली बन कर... हमारी रास्ता काटते हैं... तब मजबूरन... हमें उन्हें अपने रास्ते से हटाना पड़ता है...
बल्लभ - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - अब उस बच्चे का क्या कसूर था... बेचारा बारह साल का ही तो था... मगर विश्व की हराम खोरी... उसे मरवा दिया... ऊपर से यह रोणा... मगरमच्छों का निवाला बना दिया... (अपना अंगूठा दिखाते हुए) गुड... बहुत अच्छे...
रोणा - जी आपकी सेवा में... कुछ भी...
भैरव सिंह - तुम हमारे काम आ रहे हो... इसलिए... हमारे बगल में बैठे हुए हो...
रोणा - (भीमा और उसके साथ खड़े हुए पहलवानों के तरफ इशारा करते हुए) तो यह लोग... खड़े क्यूँ हैं...
भैरव सिंह - यह लोग रत्न नहीं हैं... गुलाम हैं... वफादार... गुलाम...
श्रीधर - विश्व भी तो आपका गुलाम था...
भैरव सिंह - हाँ... वफादारी की घी... उससे हज़म ना हुई... हम पर पलटने की कोशिश की...
रोणा - वैसे... इलाज तो मैंने कर दिया है... पर समझ में नहीं आ रहा... इस केस में जुड़े जिसने भी चूं किया... उसे आपने रंग महल में लाकर... लकड़बग्घों के आगे फिकवा दिया... पर विश्वा को अभी तक जिंदा क्यूँ रखा है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... जिंदा क्यूँ रखा है... (बल्लभ की ओर देखता है और) वह क्या है कि... कुछ लोगों की तकलीफें... हमें बड़ी सुकून देती हैं... विश्वा अब उन लोगों में से है... वह जितना छटपटाता है... हमें उतना ही मजा आता है...
रोणा - मुझे लगता है... हमें विश्वा को भी रंग महल के जानवरों के आगे डाल देना चाहिए... (तभी सबको टाइगर की भोंक ने की आवाज सुनाई देती है)
श्रीधर - नहीं... अभी उसका वक़्त नहीं आया है.. उसने रुप फाउंडेशन केस को... ऊपर उछालने की कोशिश की है... हमें यह नहीं पता... सिर्फ यही वह सात लेटर थे... या कोई और...बहुत बड़ी रकम है... राजा साहब... यह केस तो डायलुट नहीं होगा... अगर हम सबको फरार दिखाते हैं... तो हो सकता है... केस सीबीआई के सुपुर्द कर दिया जाए...
बल्लभ - हाँ... फ़िलहाल विश्व का जिंदा रहना जरूरी है... अगर केस हमारे हाथ रही... तो हम कुछ जोड़ तोड़ कर सकते हैं... इसलिए एक ऐसा मकड़ जाल बिछायेंगे... की विश्व पूरी तरह से फंस जाएगा... हाँ... हमे वक़्त भी लेना होगा और जल्दी से काम भी लेना होगा.... ताकि केस परफेक्ट बन जाए... उसके बाद हम उसे मरवा सकते हैं...

टाइगर के लगातार भोंक ने से भैरव सिंह और दुसरे लोगों के बातचीत में खलल पड़ती है l

भैरव सिंह - यह टाइगर क्यूँ चिल्ला रहा है...

तभी एक पहरेदार दौड़ कर आता है और भैरव सिंह के आगे सिर झुका कर खड़ा हो जाता है l

पहरेदार - हुकुम...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... क्या हुआ...
पहरेदार - वह विश्वा... पता नहीं कैसे महल में आ गया... और बैठक के अंदर... तोड़ फोड़ करने की कोशिश कर रहा था... पकड़ा गया है... दबोच लिया गया है....
भैरव सिंह - (रोणा की ओर देखता है)
रोणा - (हड़बड़ाहट के साथ) मैंने तो उसकी तबीयत से धुलाई की थी...
भैरव सिंह - (उस पहरेदार से) टाइगर कितना वफादार है... चोर के आने से... मालिक को सावधान कर रहा है... (यह सुनते ही भीमा तेजी से बैठक की ओर चला जाता है)
पहरेदार - माफी हुकुम...
भैरव सिंह - क्या बात है...
पहरेदार - (हकलाते हुए) हू... हुकुम.. वह... टाइगर... हम पर हमला कर रहा है... (भैरव सिंह की भवें तन जाती है) हमने टाइगर को भी दबोच रखा है... पर वह बेकाबू हो रहा है... इसलिए हम विश्व पर... हाथ नहीं चला पा रहे हैं...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... अभी कोई ठुकाई मत करो उसकी..... हम भी तो देखें... दोनों कुत्तों की नमक हरामी... किस ऊंचाई तक उछल रहा है....

भैरव सिंह अपनी सिंहासन से उठ जाता है और बैठक की जाने लगता है l बैठक में विश्व को दस हट्टे कट्टे पहलवान दबोच रखे हुए हैं
इतने में भैरव सिंह महल के सीढियों से नीचे उतर कर आता है l उसके पीछे पीछे रोणा, बल्लभ और श्रीधर भी उतरते हैं l टाइगर छटपटाते हुए उन पहलवानों पर भोंके जा रहा था l

भैरव सिंह, विश्व से

भैरव सिंह - तेरी इतनी खातिरदारी हुई... फिर भी तेरी हैकड़ी नहीं गई... तेरी गर्मी भी नहीं उतरी... अबे हराम के जने... पुरे यशपुर में लोग जिस चौखट के बाहर ही अपना घुटने व नाक रगड़ कर... बिना पीठ दिखाए वापस लौट जाते हैं... तुने हिम्मत कैसे की... इसे लांघ कर भीतर आने की... और यहाँ तोड़ फोड़ मचाने की....

विश्व उन पहलवानों के चंगुल से छूटने की कोशिश करता है l इतने में भीमा विश्व को एक घूंसा मारता है जिसके वजह से वह विश्व का शरीर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है l जिसे देखकर भैरव सिंह के चेहरे का भाव और कठोर हो जाता है, फिर विश्व से

भैरव सिंह - बहुत छटपटा रहा है... मुझ तक पहुंचने के लिए... बे हरामी... सुवर की औलाद... तू मेरा क्या कर लेगा... या कर पाएगा...

इतना कह कर वह पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और पहलवानों को इशारे से विश्व को छोड़ने के लिए इशारा करता है l

विश्व के छूटते ही नीचे गिर जाता है बड़ी मुश्किल से अपना सर उठा कर भैरव सिंह के तरफ देखता है l जैसे तैसे खड़ा होता है और पूरी ताकत लगा कर कुर्सी पर बैठे भैरव सिंह पर छलांग लगा देता है l पर विश्व का शरीर हवा में ही अटक जाता है l वह देखता है कि उसे हवा में ही वही दस पहलवान फिर से हवा में दबोच रखा है l विश्व हवा में हाथ मारने लगता है पर उसके हाथ उस कुर्सी पर बैठे भैरव सिंह तक नहीं पहुंच पाते l यह देखकर भैरव सिंह के चेहरे पर एक हल्की सी सर्द मुस्कराहट नाच उठता है l जिससे विश्व भड़क कर चिल्लाता है

विश्व - भैरव सिंह......

भैरव सिंह - भीमा...
भीमा-ज - जी हुकुम....
भैरव सिंह - हम कौन हैं...
भीमा- मालिक,... मालिक आप हमारे माईबाप हैं,.... अन्न दाता हैं हमारे... आप तो हमारे पालन हार हैं...
भैरव सिंह - देख हराम के जने... देख... यह है हमारी शख्सियत... हम पूरे यशपुर के भगवान हैं... और हमारा नाम लेकर... हमे सिर्फ वही बुला सकता है... जिसकी हमसे या तो दोस्ती हो या दुश्मनी.... वरना पूरे स्टेट में हमे राजा साहब कह कर बुलाया जाता है.... तू यह कैसे भूल गया बे कुत्ते... गंदी नाली के कीड़े...

विश्व - (चिल्लाता है) आ - आ हा......... हा.. आ
भैरव सिंह - चर्बी उतर गई मगर... अभी भी तेरी गर्मी उतरी नहीं है... जब चीटियों के पर निकल आए... तो उन्हें बचने के लिए उड़ना चाहिए... ना कि बाज से पंजे लड़ाने चाहिए....
छिपकली अगर पानी में गिर जाए... तो पानी से निकलने की कोशिश करनी चाहिए... ना कि मगरमच्छ को ललकारे... तेरी औकात क्या है बे.... ना हमसे दोस्ती की हैसियत है... ना ही दुश्मनी की औकात है तेरी... किस बिनाह पर तुने हम से दुश्मनी करने की सोच लिया.... हाँ... आज अगर हमे छू भी लेता... तो हमारे बराबर हो जाता... कम-से-कम दुश्मनी के लिए....

विश्व अपना सिर उठाकर देखने की कोशिश करता है ठीक उसी समय उसके जबड़े पर भीमा घूंसा जड़ देता है l विश्व के मुहँ से खून की धार निकलने लगता है l

भैरव सिंह - हम तक पहुंचते पहुंचते... हमारी पहली ही पंक्ति पर तेरी ऐसी दशा है... तो सोच हम तक पहुंचने के लिए तुझे कितने सारे पंक्तियाँ भेदने होंगे... और उन्हें तोड़ कर हम तक कैसे पहुँचेगा... चल आज हम तुझे हमारी सारी पंक्तियों के बारे जानकारी देते हैं... तुझे मालूम तो था... तू किससे टकराने की ज़ुर्रत कर रहा है... पर मालूम नहीं था तुझे.. कि वह हस्ती... क्या शख्सियत रखता है... आज तु भैरव सिंह क्षेत्रपाल का विश्वरूप देखेगा... आज तुझे मालूम होगा जिससे टकराने की तूने ग़लती से सोच लीआ था.... उसके विश्वरूप के सैलाब के सामने तेरी हस्ती तेरा वज़ूद तिनके की तरह कैसे बह जाएगा....
विश्व - (छटपटाते हुए चिल्लाता है) या... आ... सीढ़ियों के ऊपर खड़े हो जाने से... यह मत सोच लेना हवाओं का रुख तेरे साथ है... हवाओं का रुख बदलेगा...तु यहाँ होगा... और मैं वहाँ...
भैरव सिंह - (कुछ देर के लिए चुप हो जाता है, उसका चेहरा थर्राने लगता) हमने किसी से इतनी बात ना कि... ना किसी की इतनी बात सुनी... हमारे जुते की धुल के बराबर भी नहीं... आँख.. जुबान और हरकत से... हमें चुनौती देने की कोशिश की है... इससे पहले कि तेरी हिम्मत... मिसाल बन जाए...
रोणा - माफी राजा साहब... इसकी नमक हरामी की एक ही सजा होनी चाहिए.... कुत्ते जैसी मौत...
भैरव सिंह - हूँ.... आज इसकी वह जो गत होगी... जिसकी मिसाल बनेगी... प्रधान... रोणा...
बल्लभ और रोणा - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - आज... तुम लोगों के हवाले... इसे किया जाता है...
रोणा - अभी एनकाउंटर किए देता हूँ इसका...

रोणा अपनी होलस्टोर से रिवॉल्वर निकाल लेता है के तभी बहुत देर से भोंक रहे टाइगर की चेन टुट जाता है और वह भागते हुए रोणा के रिवॉल्वर वाले हाथ को काट कर पकड़ लेता है l भीमा आकर टाइगर को रोणा से अलग करता है और उसके मुहँ को कस के पकड़ लेता है l

भैरव सिंह - नहीं... गोली पहले इस चार पैर वाले कुत्ते को मारो... जिसने अपनी मालिक को यह एहसास दिलाया... कुत्ते चाहे चार पैर वाले हों... या दो पैर वाले... कुत्ते गद्दारी ही करते हैं...

रोणा भौचक्का रह जाता है l वह भैरव सिंह की देखता है l उसकी जलती आँखे देख कर वह समझ जाता है l टाइगर पर रिवॉल्वर चला देता है, टाइगर ढेर हो जाता है l

भैरव सिंह - इसे जिंदा रहना है... ध्यान रहे... अब इसकी जान... नहीं जाने ना पाए... टांग उठा कर महल में घुस तो आया है... पर अपनी टांगों पर महल से जाने ना पाए... इसकी हालत ऐसी बना दो.. के जैल से छूट कर... राजगड़ के गालियों में भीख मांगता फिरे...
रोणा - जैसी आपकी हुकुम... राजा साहब... भीमा... पेट के बल सुला दो इसे...

भीमा और उसके साथी विश्व को पेट के बल सुला देते हैं l सोफ़े पर पड़े एक कुशन को रोणा उठाता है और विश्व की दाहिनी टांग पर रख कर कुशन पर रिवॉल्वर की नाल लगाता है और गोली चला देता है l

फ्लैशबैक खतम

भैरव सिंह की निशाना चूक जाता है फायरिंग यार्ड में l बगल में भीमा और बल्लभ दोनों खड़े थे l भैरव सिंह बंदूक की नाल को अच्छी तरह से जाँचता है l

भैरव सिंह - भीमा...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - आज निशाना नहीं लग रहा है...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - गाँव में कुछ हुआ है... या होने वाला है...
भीमा - पता नहीं हुकुम...(भैरव सिंह भीमा की ओर सवालिया नजर से देखता है) अभी.. शनीया या भूरा से... पता कर बताता हूँ... (कह कर वहाँ से चला जाता है)

भैरव सिंह फिर से अपनी बंदूक में गोली भरता है और गोली चलाने लगता है l इस बार भी गोली नहीं लगती l भैरव सिंह का चेहरा कठोर हो जाता है l

बल्लभ - लगता है... आज आपका ध्यान भटक रहा है...
भैरव सिंह - (चुप रहता है, बंदूक को फिर से परखने लगता है)
बल्लभ - या फिर ऐसी कोई बात है... जो आपके मन में खटक रहा है... इसलिए आप ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं...
भैरव सिंह - तुम दोनों... भुवनेश्वर में खाक छानते रहे... फिर भी... कुछ पता लगा नहीं पाए... हमने मिहिर को भेजा था... हमारे परिवार के बारे में... जानकारी इकट्ठा करने के लिए... उसका भी कोई खबर नहीं आया है....

तभी भागते हुए वहाँ भीमा पहुँचता है, और अपना हाथ बांधे सिर झुकाए खड़ा हो जाता है l

भैरव सिंह - तुम्हें देख कर लगता है... कोई मनहूस खबर लाए हो... बताओ...
भीमा - जी हुकुम... वह... (चुप हो जाता है)

भैरव सिंह भीमा को गुस्से में देखता है l उसके भींचे जबड़ों से दांत पीसने से कट कट की आवाज़ सुनाई देने लगता है l

भीमा - (डर के मारे, एक ही सांस में) वह, वैदेही ने आज अन्नछत्र खोला है.. आज विश्व आ रहा है...


×_____×_____×_____×_____×_____×_____×


वैदेही अपनी दुकान में रसोई में बहुत व्यस्त है l उसके साथ कुछ औरतें और बच्चे भी सब्जी काटने और छीलने में मदत कर रहे हैं l चूंकि कोई ग्राहक आए नहीं थे, इसलिए गौरी गल्ले से उठ कर बाहर जाने लगती है l

वैदेही - कहाँ जा रही हो काकी...
गौरी - कहाँ जाऊँगी... काम तो मुझे कुछ करने नहीं देती... सुबह जो कांड हुआ... उसके वजह से नाश्ते के लिए... कोई ग्राहक आया भी नहीं....
वैदेही - तो ठीक है ना काकी... आज नाश्ते का और दुपहर खाने का... पहला निवाला... मेरा विशु ही खाएगा...
गौरी - हाँ हाँ ठीक है... पर मुझे तो मेरी कमर सीधा करने दे...

कह कर गौरी बाहर निकल जाती है l उसे जाते देख वैदेही मुस्करा कर अपनी काम में लग जाती है l उधर गौरी बाहर आकर अपनी कमर सीधी करते हुए थोड़ी आगे जाती है l वह देखती है एक खूबसूरत नौजवान वैदेही की दुकान की ओर देखे जा रहा है l उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट दिख रही है और आँखों में नमी l गौरी उसके पास जाती है गौर से देखती है I सुंदर सौम्य और सुदर्शन नौजवान l उसे घेरे हुए गाँव के कुछ बच्चे खड़े निहार रहे हैं l

गौरी - विशु... तु विशु ही है ना...
विश्व - जी काकी...
गौरी - तु कब से यहाँ है...
विश्व - कुछ ही देर हुआ है... बहुत दिनों बाद... अपनी ही गाँव में... अपनी दीदी को देख रहा हूँ... बहुत खुशी महसूस हो रही है... अच्छा लग रहा है...
गौरी - (भर्राई आवाज में चिल्लाते हुए) व.. वैदेही... देख... तेरा विशु आया है...

वैदेही भागते हुए दुकान से निकलती है और विश्व को देख कर स्तब्ध हो जाती है l विश्व के हाथ से बैग छूट जाती है l दोनों एक दूसरे की तरफ बढ़ते हैं अचानक एक दूसरे के सामने खड़े हो जाते हैं l विश्व झुक कर घुटनों पर बैठ जाता है और वैदेही के पैर पकड़ लेता है l वैदेही भी अपने भाई के सिर को अपने पेट से लगा लेती है l दोनों रो रहे हैं l इनको देखने वाले हर आँखे रो रही थी l इतने में गौरी एक सफेद कद्दू में आरती लाकर इन दोनों के पास खड़ी हो जाती है l

गौरी - बहुत हुआ... अब उठो भी तुम दोनों...

वैदेही विश्व की सिर को छोड़ती है l विश्व खड़ा होता है l गौरी आरती उतार कर कद्दू नीचे पटक देती है l वैदेही विश्व को खिंच कर दुकान के अंदर ले जाती है l तब तक कुछ औरतें विश्व के लिए नाश्ते की थाली बना चुके थे l वैदेही उनसे थाली लेकर विश्व को अपने हाथों से खाना खिलाने लगती है l विश्व भी बड़े चाव से खाना वैदेही को थाली से निवाला तोड़ कर खिलाने लगता है l यह दृश्य देखने वाले दुकान के अंदर भीतर ही भीतर बहुत खुश हो रहे थे l
जब खाना खतम हुआ तभी सबकी कानों में ढोल और खंजरी की आवाज सुनाई देती है l

"सुनों सुनों सुनों राजा साहब की फरमान है l आज से सात वर्ष पहले विश्व प्रताप महापात्र की, इस गाँव से हुक्का पानी बंद किया गया है... जो भी उसके साथ किसी भी प्रकार का सम्बंध रखेगा,... इस गाँव से उसका भी हुक्का पानी बंद कर दिया जाएगा... याद रहे... याद रहे... यह यशपुर के भगवान... राजगड़ के भगवान... राजा भैरव सिंह की फरमान है....
 

Kala Nag

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Intezaar rahega Kala Nag bhai....


Shandar update bro

Naag bhai Tuesday ho gya ab to sir g

Waiting for update Kala Nag jii

Kala Nag बुज्जी भाई, सब ठीक तो है ना
माफ करना मित्रों कुछ कार्य व्यस्तता थी
फिर भी अब फ्लैशबैक समाप्त हो चुका है
कहानी अब के बाद वर्तमान में हो रहेगी
अपडेट थोड़ा छोटा लगेगा तो भी माफ कर देना
 

Sidd19

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nice update .ye rona to wakai ghatiya kism ka insan hai jisne shreenu ke body ko magarmach ke hawale kar diya 😡 .ab waqt badal raha hai kahi aisa na ho ki rona bhi niwala ban jaaye magarmach ka .
sheru ki itni sewa ki thi vishw ne to wo apne ko kaise nahi pehchanega aur bhairav ke aadmiyo par hi bhonkne laga 😍. rona ke haatho sheru ko bhi marwa diya tha 😔.

shaniya to vaidehi ki baat ka proof lene rona ke paas hi pahuch gaya 🤣🤣. aur rona ki baato se ye bhi lag gaya ki vishw ne rona ki achchi khatirdari ki hai 😁.
vaidehi aur vishw ka milan dekhkar sabki aankhe nam ho gayi thi ,
bhairav apne gande iraade abhi se dikha raha hai jo apne aadmiyo ko bhejkar vishw ka hukka pani band hone ka keh raha hai aur jo uska saath dega uska bhi hukka pani band karne ki dhamki de raha hai .
par dusre gaonwale darr jayenge ,vaidehi aur vishw to datkar mukabla karenge .
 

Luckyloda

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माफ करना मित्रों कुछ कार्य व्यस्तता थी
फिर भी अब फ्लैशबैक समाप्त हो चुका है
कहानी अब के बाद वर्तमान में हो रहेगी
अपडेट थोड़ा छोटा लगेगा तो भी माफ कर देना
Bahut Shandar update Raha Nag bhai parantu aapki antim line bilkul Satya Lagi update sach mein Chhota Laga
 

Luckyloda

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👉एक सौ तेरहवां अपडेट
------------------------
रोणा की बातेँ सुन कर विश्व अपनी आँखे बंद कर श्रीनु की लाश को अपने बाहों में भींच लेता है l

विश्व - (अपनी जबड़े भींच कर) मुझे माफ कर दे श्रीनु... मुझे माफ कर दे... जो मौत मेरे हिस्से थी... वह मैंने तुझे दे दी... मुझे माफ कर दे...
रोणा - हाँ.. यह तुने बिल्कुल सही कहा... जो कुत्ते की मौत तुझे मरना चाहिए था... इस लड़के को मिला... तु क्या समझा... तु तेलुगु में बात करेगा... तो एसआईटी ऑफिसर श्रीधर को शक नहीं होगा...
विश्व - (हैरान हो कर) एस... आईटी..
रोणा - हाँ... अब तेरे से इतना बड़ा कांड हुआ है... तो कुछ ना कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा ना... (लहजा बदल जाता है) तुझे समझाया गया था... ज्यादा दिमाग मत चला... पर तु नहीं माना... (चिट्ठियां निकाल कर दिखाते हुए) इन्हें... तु इस पिल्ले से पोस्ट करवा दिया था... पर ऐन वक़्त पर... श्रीधर मुझे खबर कर दिया... और मैं इसे पकड़ कर महल ले गया... हा हा हा... बहुत ही नाजुक पिल्ला था... राजा साहब ने अपने जुते से कुचल कर... पर लोक इसके नाना के पास भेज दिया... हा हा हा...

विश्व और जोर से श्रीनु की लाश को जाकड़ लेता है l उसकी ऐसी हालत देख कर रोणा उससे कहता है l

रोणा - ऐ... अब बहुत हो गया... हाँ.. चल लाश को छोड़ अभी... पुलिस को पंचनामा करना है... साला मनहूस... जब से सरपंच बना है... मेरी पुलिस स्टेशन और मेरे कैरियर पर दाग लगने शुरु हो गए... इसका भी सांप काटने का रिपोर्ट बनाना है... (विश्व फिर भी अपने से श्रीनु की लाश को नहीं छोड़ता) (रोणा अपने स्टाफ से) ऐ अलग करो इसे.... (वहाँ पर मौजूद लोगों से) ऐ तुम लोगों को... पंचनामे पर दस्तखत करने हैं...
विश्व - ख़बरदार... (चिल्लाता है) (सभी रुक जाते हैं) बस... बहुत हो गया... अब इस लाश की पोस्ट मोर्टेम होगी... और कातिल कौन है... उसे ढूंढ निकाला जाएगा...
रोणा - बे मादरचोद... साले हरामी... पुलिस वाले को... बता रहा है... क़ातिल को ढूंढ निकालेगा... ह्म्म्म्म... चल बता... कैसे...
विश्व - मत भुल.. मैं सरपंच हूँ... मैं इस शव को... अभी यशपुर ले जाऊँगा... वहाँ बीच रास्ते पर शव रख कर... धरना दूँगा...
रोणा - अरे बाप रे... तुझे तो मैंने बेवक़ूफ़ समझा था... तुझे तो दिमाग भी चलाना आता है... ह्म्म्म्म... (अपने स्टाफ से) पहले इस हरामी को पकड़ो...

सभी स्टाफ विश्व को पकड़ लेते हैं l विश्व छटपटा रहा होता है l रोणा लाश की मुआयना करता है फिर विश्व को देख कर मुस्कराते हुए

रोणा - आज तुझे एक महत्वपूर्ण कानूनी सबक सिखाऊँगा... क़ातिल सजा देने के लिए.. तीन चीजों की जरूरत है... पहला लाश... दुसरा... गवाह... और तीसरा हत्या का तरीका.... लेकिन अगर लाश ही ना मिले.... तो कत्ल कभी साबित नहीं हो पाता... आज यह... (श्रीनु की लाश दिखा कर) रंग महल के मगरमच्छों का निवाला बनेगा...
विश्व - (चिल्लाता है) नहीं... नहीं रोणा बाबु नहीं... मैं कुछ नहीं करूंगा... प्लीज... मुझे श्रीनु का शव दे दीजिए... मैं वादा करता हूँ... मैं इसके शव का दाह संस्कार कर दूँगा... (गिड़गिड़ा कर रोते हुए) प्लीज... रोणा बाबु प्लीज...
रोणा - ना कुत्ते ना... एक बार... बगावत करने की सोच लिया है... आज नहीं तो कल करेगा ही... ना... इसकी लाश तो... मगरमच्छों को खिलाई जाएगी...
विश्व - नहीं... या आआआ.... (चिल्लाता है)

विश्व अपनी पुरी ताकत लगा कर झटका देता है l पुलिस वाले जो उसे पकड़े हुए थे सब दूर जा कर गिरते हैं l इससे पहले कि क्या हुआ रोणा कुछ समझ पाता विश्व तब तक उसके पास पहुँच कर एक जोरदार घुसा जड़ देता है l रोणा उड़ते हुए हवा में दुर जाकर गिरता है l वहाँ पर मौजूद लोग हैरान हो जाते हैं l विश्व पर दो तीन कांस्टेबल टुट पड़ते हैं l विश्व बहुत उग्र हो चुका था, उसे वह तीन कांस्टेबल भी काबु नहीं कर पाए, उससे छिटक कर दुर जा गिरे I फिर सभी मौजूद कांस्टेबल और हबलदार विश्व को पकड़ लेते हैं और विश्व को नीचे गिरा देते हैं l तब तक रोणा अपना जबड़ा मलते हुए संभल कर उठता है l रोणा अपने चारों तरफ देखता है लोग मुहँ फाड़े देख रहे हैं l

रोणा - यहाँ पर क्या देख रहे हो... दफा हो जाओ यहाँ से...

सभी लोग वहाँ से जल्दी जल्दी खिसक लेते हैं l अब उस जगह पर विश्व, और पुलिस वाले ही थे l

रोणा - साले... हरामी... कुत्ते... आह... जबड़ा हिला दिया मेरा... (अपने स्टाफ से) ऐ... आज एक एक करके इसे मारो... तब तक मारो... जब तक तुम लोग तक ना जाओ... और एक बात... चेहरे पर बिल्कुल भी नहीं....

उसके बाद विश्व को पाँच बंदे पकड़ते हैं और एक एक करके विश्व को मारने लगते हैं l जब सब थक जाते हैं तब रोणा विश्व को मारना शुरु करता है l तभी वैदेही भागते हुए आती है और रोणा के पैरों पर गिर जाती है l

वैदेही - (रोते गिड़गिड़ाते हुए) मेरे भाई को मत मारो... छोड़ दो उसे...
रोणा - आ गई रंडी... (वैदेही को बालों समेत उठा कर) सुना है शनीया को ज़मानत दे कर अपने भाई को बचाया था... कसम से... मुड़ तो है... पर साला वक़्त नहीं है... कोई ना... फिर कभी...

वैदेही को एक जोरदार थप्पड़ मार देता है, वैदेही दो तीन घेरा घुम कर नीचे गिरती है l उधर विश्व की हालत भी खराब हो चुकी थी l विश्व भी बेहोश हो कर गिर जाता है l कुछ देर बाद कुछ गाँव वाले जो वैदेही के खबर कर उसके पीछे पीछे आए थे पर छुपे हुए थे l वे लोग वैदेही संभालते हैं और विश्व को उठा कर घर में पहुँचा देते हैं l वैदेही तुरंत जा कर पानी की लोटा लाती है और विश्व के उपर छिटकती है l विश्व कराहते हुए अपनी आँखे खोलता है l खुद को वैदेही और कुछ गाँव वालों से घिरा हुआ पाता है l

वैदेही - (रोते हुए) यह... क्या हो गया है विशु... हम... हम अब यहाँ नहीं रहेंगे... हम यह गाँव छोड़ कर चले जाएंगे...
विश्व - आह.. नहीं... (उठने की कोशिश करते हुए)
वैदेही - (अपना रोना रोक कर) क्यूँ... क्यूँ उठ रहा है....
विश्व - (उठ बैठता है) दीदी.. अब तुम्हारा विशु... जिंदा नहीं है... मर चुका है... (उठने लगता है)
वैदेही - विशु... यह क्या कह रहा है... (उसे रोकने की कोशिश करते हुए) और कहाँ जाना चाहता है...
विश्व - या तो आज जिंदा होना है... या फिर हमेशा के लिए मर जाना है...
वैदेही - नहीं... मैं गलत थी.. हम सब गलत थे... हमें अब किसीसे नहीं लड़ना.. किसीके लिए नहीं लड़ना...

विश्व थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है और फिर अपनी दीदी की ओर देखने लगता है l वैदेही देखती है विश्व का चेहरा एक दम से भाव शून्य दिख रहा है l

विश्व - मैं किसी और की लड़ाई नहीं लड़ने जा रहा... अपनी लड़ाई को अंजाम देने जा रहा हूँ... श्रीनु... एक बारह साल का बच्चा... जिसने मेरी मौत को अपने ऊपर ले लिया... जब तक जिंदा रहूँगा... तब तक वह एक बोझ... मुझे जीने नहीं देगी... मैं अपनी गुरु दक्षिणा का मान नहीं रख पाया... इसलिए मुझे जाने दो दीदी... अगर लौटा... तो... इस गाँव में वह सब दुबारा नहीं दोहराया जाएगा... वरना... समझ लो... मैं कभी इस दुनिया में था ही नहीं....

विश्व ने जिस सपाट भाव से यह बात कही थी l वैदेही के पाँव जम गए l वहाँ पर मौजूद लोग और वैदेही उसे जाते हुए देख रहे थे l धीरे धीरे विश्व वैदेही और लोगों के नजरों से ओझल होता चला जाता है l

फ्लैशबैक से लौट कर

वैदेही - उस दिन विशु... यहाँ से गया... आज तक नहीं लौटा... आज आ रहा है... तो क्यूँ ना खुशी मनाऊँ...
गौरी - (अपनी आँखों से आँसू पोछते हुए) सच... कितनी पीड़ा दाई है... विशु की कहानी...
वैदेही - हाँ काकी... सब सोच रहे हैं... वह राजा से लड़ रहा है... पर सच तो यह है कि... वह खुद अपनी नाकारा वज़ूद से लड़ रहा है... अपने अंदर उस शख्सियत से लड़ रहा है... जिसे वह मरते दम तक माफ नहीं कर पाएगा... और खुदको सजा देने के लिए ही... विशु राजा के सल्तनत... हुकूमत से टकरा गया....


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राजगड़ का थाना l रोज की रूटीन के तहत अनिकेत रोणा टेबल पर टांगे रख कर और अपनी कुर्सी पर फैल कर लेटा हुआ था l उसके बदन पर शर्ट नहीं था और टेबल पर खाली शराब की बोतलें और एक ग्लास लुढ़क रहे थे l शनीया और उसके साथी यह सब देख कर एक दुसरे को देखते हैं l

भूरा - (शनीया के कानों में फूस फुसा कर) क्या नौकरी है... बदन पर खाकी... और टेबल पर साकी...

जम्हाई लेते हुए अधखुले आँखों से रोणा इन सबको देखता है l अपने दोनों हाथों को मोड़ कर अपने सिर के पीछे रख कर

रोणा - शनीया.. तु यहाँ.. अपनी मंडली को लेकर... क्या... वैदेही ने... फिर से तेरी फाड़ी क्या रे...
शनीया - नहीं साहब... इस बार उसने... उसके भाई के वजह से किस किस की फटी... बता रही थी...

रोणा अपनी टांगे टेबल पर हटाता है और अपनी हाथों को सिर के पीछे से निकाल कर हैंड रेस्ट पर रखते हुए सीधा हो कर बैठता है l

रोणा - मतलब सुबह सुबह... वैदेही से अपना पिछवाड़ा सुलगा कर आए हो... और धुआँ... यहाँ थाने में छोड़ने आए हो...
भूरा - साहब... एक वक़्त था... जब हम सिर्फ राजगड़ में ही नहीं... पचास पचास कोष तक जितने भी शहर गाँव कस्बे हैं... शेर बने फिरते थे... पर इन सात सालों में... हम बाहर तो शेर ही हैं... सिवाय उस कमीनी रंडी वैदेही के आगे....
रोणा - ह्म्म्म्म... तो... अपना दुखड़ा रोने मेरे पास आए हो...
शनीया - नहीं साहब... जिस तोड़ में उसने कहा कि.... विश्वा ने तुम्हारे खाकी वाले साहब को एक नहीं दो बार पेला है... पुछ कर देखो बोला... वह कितना सच बोल रही है... यही पता करने आए थे...
रोणा - मादरचोदों... मुझे समझ क्या रखा है तुम लोगों ने...
शनीया - चाकर... राजा साहब के... बिल्कुल हमारी तरह... बस दर्जा आपका हमसे ज्यादा है....
भूरा - वरना... इस हमाम में... हमारे जितने आप भी नंगे हैं...
शनीया - हाँ... और फर्क़ बस इतना है... हमारा लंगोट का नाड़ा ढीला नहीं हुआ है... तुम्हारा तो...
रोणा - बस... हरामीयों... बहुत झा़टे सुलगा लिए मेरे... अब एक लफ्ज़ और मुहँ से निकाला... तो डंडा पीछे घुसेड़ कर मुहँ से निकालूँगा...

शनीया, भूरा और उनके चेले चपाटे सब चुप हो जाते हैं l रोणा अपनी कुर्सी से उठ कर वॉशरुम में जाता है, मुहँ में पानी डालता है फिर टावल से चेहरा साफ करते हुए बाहर आता है l

रोणा - पहले यह बताओ... यहाँ आए किस लिए हो...
भूरा - वह आज वैदेही ने... अन्नछत्र खोला है...
रोना - अच्छा...
शनीया - हाँ... सुना है... विश्वा आज.. वापस आ रहा है...

रोणा यह सुन कर कुछ देर के लिए चुप रहता है, और उन्हें घूरते हुए पूछता है l

रोणा - ह्म्म्म्म... मिठाई भी साथ लाए हो क्या... सालों खबर ऐसे दे रहे हो... जैसे तुम्हारा बाप लौट कर आ रहा है...

फिर कुछ देर के लिए चुप्पी छा जाती है l शनीया देखता है इस खबर के बाद रोणा कुछ बैचैन हो जाता है l

शनीया - क्या हुआ साहब...
रोणा - यह तुम लोगों को कब मालुम हुआ... के विश्वा आज आ रहा है...
शनीया - प्रधान बाबु से... और शायद उन्हें आपने ही बताया था...
रोणा - कुछ बातेँ... तुम लोग समझ सको तो समझ जाओ... विश्वा या उसके बहन से उलझना चाहते हो... तो उन्हें इतना मजबूर करो... के वे लोग... अपनी दायरे से बाहर निकले... इतना उकसाओ के वे तुम्हारे इलाके में आ कर तुम लोगों से उलझे... झगड़ा करे... तब... उन दोनों को हम कानूनी पछाड़ दे सकते हैं...
भूरा - यह आप कह रहे हैं... हम राजा साहब के लोग हैं... और राजा साहब यहां के भगवान हैं...
रोणा - भगवान का भी एक हद होता है... यह दोनों भाई बहन... राजा साहब के काबु नहीं आने वाले....
शनीया - वह तो इसलिए... क्यूंकि राजा साहब ने कहा था... के सात साल तक... वैदेही को कुछ ना हो... और जब विश्वा आएगा... दोनों भाई बहन को मिला कर ऐसी सजा देंगे... के फिर कभी इस मिट्टी में... विश्वा या वैदेही जनम नहीं लेंगे...
रोणा - हाँ तब... जब विश्वा... वही पुराना वाला विश्वा होता...
शनीया - अब क्या उसके दो सिंग चार हाथ निकल आए हैं...
रोणा - सात साल पहले... विश्वा कुत्ते के दुम पर शैम्पू लगाता था... सीधा करने के लिए... सात साल बाद वकील बन कर लौट रहा है... हम सबको सीधा करने...
शनीया - सात साल पहले... हमारे लंगोट साफ किया करता था... हमारे दंडे में तेल लगाया करता था...
रोणा - सात साल बाद... तुम जैसे सौ सौ पहलवान... उसके आगे पानी भरोगे...
भूरा - क्या... वह जैल गया था... या पहलवानी सीखने...
रोणा - तुम सब गोबर दिमाग... बस इतना समझो... उन दो भाई बहन को... खुद से उलझाओगे... तो अपने इलाके में... ना कि उनके इलाके में... तब हम मिलकर उनको सबक सिखा पाएंगे....
शनीया - रोणा साहब... क्या विश्वा सच में इतना बड़ा तोप है...

रोणा की जबड़े भींच जाते हैं और अपनी आँखे मूँद लेता है, उसे लेनिन की कही बातेँ याद आने लगता है l अपनी आँखे खोलता है और शनीया से कहता है l

रोणा - यकीन तो तुम लोगों को भी है... फटी भी तुम लोगों की भी है... क्यूंकि वैदेही की बातों पर यकीन करने के बाद ही आए हो... और मुझ से मोहर लगवाने... कास... कास के राजा साहब... उस दिन मेरी बात मान गए होते... तो आज हम सबकी यूँ फट नहीं रही होती...

फ्लैशबैक

महल के दिवान ए खास में सिंहासन पर भैरव सिंह बैठा हुआ है l बगल में रोणा, बल्लभ और श्रीधर तीनों बैठे हुए हैं l भीमा और कुछ पहलवान हाथ बांधे खड़े हुए हैं l शराब की ग्लास हाथ में लिए अपनी माथे को ग्लास पर हल्का सा रगड़ते हुए

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... प्रधान... इस केस में... हमें अपनी नवरत्नों में चार रत्न खो दिए...
बल्लभ - जब तक चले... अपने सिक्का चलाया... और... जब खोटे हुए... तब आपने हटा दिया...
भैरव सिंह - हाँ प्रधान... पर यह खुन खराबा... हमें जरा भी पसंद नहीं... हम तो अपनी मर्जी की जीना चाहते हैं... अपनी मर्जी की राह चलना चाहते हैं... पर कुछ लोग बिल्ली बन कर... हमारी रास्ता काटते हैं... तब मजबूरन... हमें उन्हें अपने रास्ते से हटाना पड़ता है...
बल्लभ - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - अब उस बच्चे का क्या कसूर था... बेचारा बारह साल का ही तो था... मगर विश्व की हराम खोरी... उसे मरवा दिया... ऊपर से यह रोणा... मगरमच्छों का निवाला बना दिया... (अपना अंगूठा दिखाते हुए) गुड... बहुत अच्छे...
रोणा - जी आपकी सेवा में... कुछ भी...
भैरव सिंह - तुम हमारे काम आ रहे हो... इसलिए... हमारे बगल में बैठे हुए हो...
रोणा - (भीमा और उसके साथ खड़े हुए पहलवानों के तरफ इशारा करते हुए) तो यह लोग... खड़े क्यूँ हैं...
भैरव सिंह - यह लोग रत्न नहीं हैं... गुलाम हैं... वफादार... गुलाम...
श्रीधर - विश्व भी तो आपका गुलाम था...
भैरव सिंह - हाँ... वफादारी की घी... उससे हज़म ना हुई... हम पर पलटने की कोशिश की...
रोणा - वैसे... इलाज तो मैंने कर दिया है... पर समझ में नहीं आ रहा... इस केस में जुड़े जिसने भी चूं किया... उसे आपने रंग महल में लाकर... लकड़बग्घों के आगे फिकवा दिया... पर विश्वा को अभी तक जिंदा क्यूँ रखा है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... जिंदा क्यूँ रखा है... (बल्लभ की ओर देखता है और) वह क्या है कि... कुछ लोगों की तकलीफें... हमें बड़ी सुकून देती हैं... विश्वा अब उन लोगों में से है... वह जितना छटपटाता है... हमें उतना ही मजा आता है...
रोणा - मुझे लगता है... हमें विश्वा को भी रंग महल के जानवरों के आगे डाल देना चाहिए... (तभी सबको टाइगर की भोंक ने की आवाज सुनाई देती है)
श्रीधर - नहीं... अभी उसका वक़्त नहीं आया है.. उसने रुप फाउंडेशन केस को... ऊपर उछालने की कोशिश की है... हमें यह नहीं पता... सिर्फ यही वह सात लेटर थे... या कोई और...बहुत बड़ी रकम है... राजा साहब... यह केस तो डायलुट नहीं होगा... अगर हम सबको फरार दिखाते हैं... तो हो सकता है... केस सीबीआई के सुपुर्द कर दिया जाए...
बल्लभ - हाँ... फ़िलहाल विश्व का जिंदा रहना जरूरी है... अगर केस हमारे हाथ रही... तो हम कुछ जोड़ तोड़ कर सकते हैं... इसलिए एक ऐसा मकड़ जाल बिछायेंगे... की विश्व पूरी तरह से फंस जाएगा... हाँ... हमे वक़्त भी लेना होगा और जल्दी से काम भी लेना होगा.... ताकि केस परफेक्ट बन जाए... उसके बाद हम उसे मरवा सकते हैं...

टाइगर के लगातार भोंक ने से भैरव सिंह और दुसरे लोगों के बातचीत में खलल पड़ती है l

भैरव सिंह - यह टाइगर क्यूँ चिल्ला रहा है...

तभी एक पहरेदार दौड़ कर आता है और भैरव सिंह के आगे सिर झुका कर खड़ा हो जाता है l

पहरेदार - हुकुम...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... क्या हुआ...
पहरेदार - वह विश्वा... पता नहीं कैसे महल में आ गया... और बैठक के अंदर... तोड़ फोड़ करने की कोशिश कर रहा था... पकड़ा गया है... दबोच लिया गया है....
भैरव सिंह - (रोणा की ओर देखता है)
रोणा - (हड़बड़ाहट के साथ) मैंने तो उसकी तबीयत से धुलाई की थी...
भैरव सिंह - (उस पहरेदार से) टाइगर कितना वफादार है... चोर के आने से... मालिक को सावधान कर रहा है... (यह सुनते ही भीमा तेजी से बैठक की ओर चला जाता है)
पहरेदार - माफी हुकुम...
भैरव सिंह - क्या बात है...
पहरेदार - (हकलाते हुए) हू... हुकुम.. वह... टाइगर... हम पर हमला कर रहा है... (भैरव सिंह की भवें तन जाती है) हमने टाइगर को भी दबोच रखा है... पर वह बेकाबू हो रहा है... इसलिए हम विश्व पर... हाथ नहीं चला पा रहे हैं...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... अभी कोई ठुकाई मत करो उसकी..... हम भी तो देखें... दोनों कुत्तों की नमक हरामी... किस ऊंचाई तक उछल रहा है....

भैरव सिंह अपनी सिंहासन से उठ जाता है और बैठक की जाने लगता है l बैठक में विश्व को दस हट्टे कट्टे पहलवान दबोच रखे हुए हैं
इतने में भैरव सिंह महल के सीढियों से नीचे उतर कर आता है l उसके पीछे पीछे रोणा, बल्लभ और श्रीधर भी उतरते हैं l टाइगर छटपटाते हुए उन पहलवानों पर भोंके जा रहा था l

भैरव सिंह, विश्व से

भैरव सिंह - तेरी इतनी खातिरदारी हुई... फिर भी तेरी हैकड़ी नहीं गई... तेरी गर्मी भी नहीं उतरी... अबे हराम के जने... पुरे यशपुर में लोग जिस चौखट के बाहर ही अपना घुटने व नाक रगड़ कर... बिना पीठ दिखाए वापस लौट जाते हैं... तुने हिम्मत कैसे की... इसे लांघ कर भीतर आने की... और यहाँ तोड़ फोड़ मचाने की....

विश्व उन पहलवानों के चंगुल से छूटने की कोशिश करता है l इतने में भीमा विश्व को एक घूंसा मारता है जिसके वजह से वह विश्व का शरीर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है l जिसे देखकर भैरव सिंह के चेहरे का भाव और कठोर हो जाता है, फिर विश्व से

भैरव सिंह - बहुत छटपटा रहा है... मुझ तक पहुंचने के लिए... बे हरामी... सुवर की औलाद... तू मेरा क्या कर लेगा... या कर पाएगा...

इतना कह कर वह पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और पहलवानों को इशारे से विश्व को छोड़ने के लिए इशारा करता है l

विश्व के छूटते ही नीचे गिर जाता है बड़ी मुश्किल से अपना सर उठा कर भैरव सिंह के तरफ देखता है l जैसे तैसे खड़ा होता है और पूरी ताकत लगा कर कुर्सी पर बैठे भैरव सिंह पर छलांग लगा देता है l पर विश्व का शरीर हवा में ही अटक जाता है l वह देखता है कि उसे हवा में ही वही दस पहलवान फिर से हवा में दबोच रखा है l विश्व हवा में हाथ मारने लगता है पर उसके हाथ उस कुर्सी पर बैठे भैरव सिंह तक नहीं पहुंच पाते l यह देखकर भैरव सिंह के चेहरे पर एक हल्की सी सर्द मुस्कराहट नाच उठता है l जिससे विश्व भड़क कर चिल्लाता है

विश्व - भैरव सिंह......

भैरव सिंह - भीमा...
भीमा-ज - जी हुकुम....
भैरव सिंह - हम कौन हैं...
भीमा- मालिक,... मालिक आप हमारे माईबाप हैं,.... अन्न दाता हैं हमारे... आप तो हमारे पालन हार हैं...
भैरव सिंह - देख हराम के जने... देख... यह है हमारी शख्सियत... हम पूरे यशपुर के भगवान हैं... और हमारा नाम लेकर... हमे सिर्फ वही बुला सकता है... जिसकी हमसे या तो दोस्ती हो या दुश्मनी.... वरना पूरे स्टेट में हमे राजा साहब कह कर बुलाया जाता है.... तू यह कैसे भूल गया बे कुत्ते... गंदी नाली के कीड़े...

विश्व - (चिल्लाता है) आ - आ हा......... हा.. आ
भैरव सिंह - चर्बी उतर गई मगर... अभी भी तेरी गर्मी उतरी नहीं है... जब चीटियों के पर निकल आए... तो उन्हें बचने के लिए उड़ना चाहिए... ना कि बाज से पंजे लड़ाने चाहिए....
छिपकली अगर पानी में गिर जाए... तो पानी से निकलने की कोशिश करनी चाहिए... ना कि मगरमच्छ को ललकारे... तेरी औकात क्या है बे.... ना हमसे दोस्ती की हैसियत है... ना ही दुश्मनी की औकात है तेरी... किस बिनाह पर तुने हम से दुश्मनी करने की सोच लिया.... हाँ... आज अगर हमे छू भी लेता... तो हमारे बराबर हो जाता... कम-से-कम दुश्मनी के लिए....

विश्व अपना सिर उठाकर देखने की कोशिश करता है ठीक उसी समय उसके जबड़े पर भीमा घूंसा जड़ देता है l विश्व के मुहँ से खून की धार निकलने लगता है l

भैरव सिंह - हम तक पहुंचते पहुंचते... हमारी पहली ही पंक्ति पर तेरी ऐसी दशा है... तो सोच हम तक पहुंचने के लिए तुझे कितने सारे पंक्तियाँ भेदने होंगे... और उन्हें तोड़ कर हम तक कैसे पहुँचेगा... चल आज हम तुझे हमारी सारी पंक्तियों के बारे जानकारी देते हैं... तुझे मालूम तो था... तू किससे टकराने की ज़ुर्रत कर रहा है... पर मालूम नहीं था तुझे.. कि वह हस्ती... क्या शख्सियत रखता है... आज तु भैरव सिंह क्षेत्रपाल का विश्वरूप देखेगा... आज तुझे मालूम होगा जिससे टकराने की तूने ग़लती से सोच लीआ था.... उसके विश्वरूप के सैलाब के सामने तेरी हस्ती तेरा वज़ूद तिनके की तरह कैसे बह जाएगा....
विश्व - (छटपटाते हुए चिल्लाता है) या... आ... सीढ़ियों के ऊपर खड़े हो जाने से... यह मत सोच लेना हवाओं का रुख तेरे साथ है... हवाओं का रुख बदलेगा...तु यहाँ होगा... और मैं वहाँ...
भैरव सिंह - (कुछ देर के लिए चुप हो जाता है, उसका चेहरा थर्राने लगता) हमने किसी से इतनी बात ना कि... ना किसी की इतनी बात सुनी... हमारे जुते की धुल के बराबर भी नहीं... आँख.. जुबान और हरकत से... हमें चुनौती देने की कोशिश की है... इससे पहले कि तेरी हिम्मत... मिसाल बन जाए...
रोणा - माफी राजा साहब... इसकी नमक हरामी की एक ही सजा होनी चाहिए.... कुत्ते जैसी मौत...
भैरव सिंह - हूँ.... आज इसकी वह जो गत होगी... जिसकी मिसाल बनेगी... प्रधान... रोणा...
बल्लभ और रोणा - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - आज... तुम लोगों के हवाले... इसे किया जाता है...
रोणा - अभी एनकाउंटर किए देता हूँ इसका...

रोणा अपनी होलस्टोर से रिवॉल्वर निकाल लेता है के तभी बहुत देर से भोंक रहे टाइगर की चेन टुट जाता है और वह भागते हुए रोणा के रिवॉल्वर वाले हाथ को काट कर पकड़ लेता है l भीमा आकर टाइगर को रोणा से अलग करता है और उसके मुहँ को कस के पकड़ लेता है l

भैरव सिंह - नहीं... गोली पहले इस चार पैर वाले कुत्ते को मारो... जिसने अपनी मालिक को यह एहसास दिलाया... कुत्ते चाहे चार पैर वाले हों... या दो पैर वाले... कुत्ते गद्दारी ही करते हैं...

रोणा भौचक्का रह जाता है l वह भैरव सिंह की देखता है l उसकी जलती आँखे देख कर वह समझ जाता है l टाइगर पर रिवॉल्वर चला देता है, टाइगर ढेर हो जाता है l

भैरव सिंह - इसे जिंदा रहना है... ध्यान रहे... अब इसकी जान... नहीं जाने ना पाए... टांग उठा कर महल में घुस तो आया है... पर अपनी टांगों पर महल से जाने ना पाए... इसकी हालत ऐसी बना दो.. के जैल से छूट कर... राजगड़ के गालियों में भीख मांगता फिरे...
रोणा - जैसी आपकी हुकुम... राजा साहब... भीमा... पेट के बल सुला दो इसे...

भीमा और उसके साथी विश्व को पेट के बल सुला देते हैं l सोफ़े पर पड़े एक कुशन को रोणा उठाता है और विश्व की दाहिनी टांग पर रख कर कुशन पर रिवॉल्वर की नाल लगाता है और गोली चला देता है l

फ्लैशबैक खतम

भैरव सिंह की निशाना चूक जाता है फायरिंग यार्ड में l बगल में भीमा और बल्लभ दोनों खड़े थे l भैरव सिंह बंदूक की नाल को अच्छी तरह से जाँचता है l

भैरव सिंह - भीमा...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - आज निशाना नहीं लग रहा है...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - गाँव में कुछ हुआ है... या होने वाला है...
भीमा - पता नहीं हुकुम...(भैरव सिंह भीमा की ओर सवालिया नजर से देखता है) अभी.. शनीया या भूरा से... पता कर बताता हूँ... (कह कर वहाँ से चला जाता है)

भैरव सिंह फिर से अपनी बंदूक में गोली भरता है और गोली चलाने लगता है l इस बार भी गोली नहीं लगती l भैरव सिंह का चेहरा कठोर हो जाता है l

बल्लभ - लगता है... आज आपका ध्यान भटक रहा है...
भैरव सिंह - (चुप रहता है, बंदूक को फिर से परखने लगता है)
बल्लभ - या फिर ऐसी कोई बात है... जो आपके मन में खटक रहा है... इसलिए आप ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं...
भैरव सिंह - तुम दोनों... भुवनेश्वर में खाक छानते रहे... फिर भी... कुछ पता लगा नहीं पाए... हमने मिहिर को भेजा था... हमारे परिवार के बारे में... जानकारी इकट्ठा करने के लिए... उसका भी कोई खबर नहीं आया है....

तभी भागते हुए वहाँ भीमा पहुँचता है, और अपना हाथ बांधे सिर झुकाए खड़ा हो जाता है l

भैरव सिंह - तुम्हें देख कर लगता है... कोई मनहूस खबर लाए हो... बताओ...
भीमा - जी हुकुम... वह... (चुप हो जाता है)

भैरव सिंह भीमा को गुस्से में देखता है l उसके भींचे जबड़ों से दांत पीसने से कट कट की आवाज़ सुनाई देने लगता है l

भीमा - (डर के मारे, एक ही सांस में) वह, वैदेही ने आज अन्नछत्र खोला है.. आज विश्व आ रहा है...


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वैदेही अपनी दुकान में रसोई में बहुत व्यस्त है l उसके साथ कुछ औरतें और बच्चे भी सब्जी काटने और छीलने में मदत कर रहे हैं l चूंकि कोई ग्राहक आए नहीं थे, इसलिए गौरी गल्ले से उठ कर बाहर जाने लगती है l

वैदेही - कहाँ जा रही हो काकी...
गौरी - कहाँ जाऊँगी... काम तो मुझे कुछ करने नहीं देती... सुबह जो कांड हुआ... उसके वजह से नाश्ते के लिए... कोई ग्राहक आया भी नहीं....
वैदेही - तो ठीक है ना काकी... आज नाश्ते का और दुपहर खाने का... पहला निवाला... मेरा विशु ही खाएगा...
गौरी - हाँ हाँ ठीक है... पर मुझे तो मेरी कमर सीधा करने दे...

कह कर गौरी बाहर निकल जाती है l उसे जाते देख वैदेही मुस्करा कर अपनी काम में लग जाती है l उधर गौरी बाहर आकर अपनी कमर सीधी करते हुए थोड़ी आगे जाती है l वह देखती है एक खूबसूरत नौजवान वैदेही की दुकान की ओर देखे जा रहा है l उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट दिख रही है और आँखों में नमी l गौरी उसके पास जाती है गौर से देखती है I सुंदर सौम्य और सुदर्शन नौजवान l उसे घेरे हुए गाँव के कुछ बच्चे खड़े निहार रहे हैं l

गौरी - विशु... तु विशु ही है ना...
विश्व - जी काकी...
गौरी - तु कब से यहाँ है...
विश्व - कुछ ही देर हुआ है... बहुत दिनों बाद... अपनी ही गाँव में... अपनी दीदी को देख रहा हूँ... बहुत खुशी महसूस हो रही है... अच्छा लग रहा है...
गौरी - (भर्राई आवाज में चिल्लाते हुए) व.. वैदेही... देख... तेरा विशु आया है...

वैदेही भागते हुए दुकान से निकलती है और विश्व को देख कर स्तब्ध हो जाती है l विश्व के हाथ से बैग छूट जाती है l दोनों एक दूसरे की तरफ बढ़ते हैं अचानक एक दूसरे के सामने खड़े हो जाते हैं l विश्व झुक कर घुटनों पर बैठ जाता है और वैदेही के पैर पकड़ लेता है l वैदेही भी अपने भाई के सिर को अपने पेट से लगा लेती है l दोनों रो रहे हैं l इनको देखने वाले हर आँखे रो रही थी l इतने में गौरी एक सफेद कद्दू में आरती लाकर इन दोनों के पास खड़ी हो जाती है l

गौरी - बहुत हुआ... अब उठो भी तुम दोनों...

वैदेही विश्व की सिर को छोड़ती है l विश्व खड़ा होता है l गौरी आरती उतार कर कद्दू नीचे पटक देती है l वैदेही विश्व को खिंच कर दुकान के अंदर ले जाती है l तब तक कुछ औरतें विश्व के लिए नाश्ते की थाली बना चुके थे l वैदेही उनसे थाली लेकर विश्व को अपने हाथों से खाना खिलाने लगती है l विश्व भी बड़े चाव से खाना वैदेही को थाली से निवाला तोड़ कर खिलाने लगता है l यह दृश्य देखने वाले दुकान के अंदर भीतर ही भीतर बहुत खुश हो रहे थे l
जब खाना खतम हुआ तभी सबकी कानों में ढोल और खंजरी की आवाज सुनाई देती है l

"सुनों सुनों सुनों राजा साहब की फरमान है l आज से सात वर्ष पहले विश्व प्रताप महापात्र की, इस गाँव से हुक्का पानी बंद किया गया है... जो भी उसके साथ किसी भी प्रकार का सम्बंध रखेगा,... इस गाँव से उसका भी हुक्का पानी बंद कर दिया जाएगा... याद रहे... याद रहे... यह यशपुर के भगवान... राजगड़ के भगवान... राजा भैरव सिंह की फरमान है....
😍😍😍😍😍😍
 

Anky@123

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Lajawab update Bhai
Me yakin se keh sakta hu agla update is puri kahani ko naya aayam dega, ek aesa mod dega jis ke raste per tyag samarpan aatmiyata Shakti aur samman milenge ....
Train flash back ka station chod chuki hai aur vartman ki patri per agrsar hai
 
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