रोणा - (शैतानी मुस्कराहट के साथ) वह अब रजिस्टर्ड सजायाफ्ता मुजरिम है... राजगड़ में कहीं भी... कोई चवन्नी भी खो जाए... कैफ़ियत विश्व को देना होगा... हा हा हा हा हा
लगता है कि रोणा से ही खेत्रपाल के प्यादे बिछने शुरू होंगे।
बिना दुश्मन की ताक़त जाने वो उससे उलझने की भूल कर रहा है - मतलब अंजाम तो भुगतना ही पड़ेगा।
रुप - सच कह रही हूँ... क्यूंकि बचपन सच्चा होता है... और बुढ़ापे में कोई ख्वाहिशें नहीं होती... जवानी ही हमें भटकाती है... बहकाती है...
हाँ - एक हद तक सही बात है। बचपन का भोलापन और निश्छलता प्रेम के शुद्ध रूप को दिखा सकती है।
लेकिन आज कल के बच्चों को देखता हूँ, तो उनमें भोलापन दिखता ही नहीं! या तो मैं मूरख था, या फिर ये नई पीढ़ी ज़रुरत से कुछ ज्यादा ही शानी है।
वीर - (उसकी ओर देख कर मुस्कराता है) इतना भरोसा है... तो मुझे अकेला क्यूँ छोड़ दिया... (अनु अपना अपना चेहरा झुका लेती है) मेरा इंतजार करना...
वीर तो लाइन पर आ गया है। बढ़िया।
विक्रम - महांती... जानते हो... आज जिंदगी में... पहली बार... पहली बार मुझे डर का एहसास हुआ...(एक गहरी सांस लेते हुए) जिस लहजे में... मतलब मुझ पर वह चिल्लाए नहीं पर... जैसे राजकुमार बात कर रहे थे... मेरे अंदर... मैंने डर को... साफ महसुस किया... अब... ऐसा लग रहा है.. जैसे... कोई बहुत बड़ा तूफ़ान आने वाला है... तिनका तिनका बिखरने वाला है...
अगर इतनी ही समझ है, तो एक चूतियापे वाले मिशन पर क्यों है विक्रम?
जोडार - ओह माय गॉड...
विश्व - अब आप अपने मैटेरियल्स पर दावा ठोक सकते हैं... और हैवी कंपेनसेशन भी...
जोडार - तो इसमें हम पार्टी किन किन लोगों को बनायेंगे...
विश्व - केके... और ESS....
ये लगी (लगने वाली है) पहली चोट!
मामूली ही सही, लेकिन चोट तो है। अहंकारी को लगता है कि कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
उसी ठसके में वो अपना काम करता है।
लेकिन अहंकारी में सहनशीलता बहुत कम होती है। थोड़ी सी भी चोट, उसके लिए पर्याप्त होती है।
बहुत बढ़िया भाई साहेब! उम्मीद है कि छुट्टी मज़े से बीतीं।
इतनी गर्मी में देश में बाहर भी कहाँ जाएँ! सोच रहा हूँ कि बीवी बच्चों को कहीं बाहर घुमा लाऊँ।