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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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*Index *
 
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Nobeless

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Aapki kahani ke pure update bas abhhi khatm kiye hai aur aisa lag raha hai ki aage aur kyun nhi hai padhne ko aur ab Hume bas intjar hi krna hai ki aap time to time update dete rhe dil me dimaag me yeh kahani itne andar tak utar chuki hai ki bas man krta hai padhte hi rhe padhte hi rhe jab tak ki kahani khtm na ho jaye.

Aapki lekhni bahut gajab ki hai sir bahut dino baad itne shuddh hindi ke word pdhne mile hai xforum me aur jitni achchi hi aapki shabd chayan h usse hi badhkar aapki kahani jitni tarif karu bas kam hi hogi aapki story padhkar Dard bhi utna hi hota hai jitni khusi, gussa aakrosh glani aur bhi bht se shabd hai jo kuch bhi nahi hai vaidahi aur vishva (especially vaidahi) ke flashback padhkar humare chahre par aaye itne jatil aur well written character and their development in the story kisi bhi top tier web series aur movie ko takkar de sakti hai (kash is story pr web series ban pati). Main lead, villains side characters sab ko hi aapne itne man laga kar likha hai ki hum jitna hi pyar apne hero se krte hai utna hi attachment vikram, shubhra aur veer, anu se bhi feel karte hai samay samay par new new reader ho toh ek sawaal hai kya "विश्वरूप" me vishva विश्व प्रताप aur rup रूप नंदिनी ke liye hai ya Sirf vishva se hi sambandhit hai aur aapse ek narajgi hai ki aapne baki side character ko itna time diya hai ki kahani ke mukhya patra hi kahani ke side character lgate hai (bas chhoti si hi narajgi samejhiye ise hahaha) par yah jaruri bhi hai jis tarike se aap kahani like rhe uske liye aur aage vishva ko bhi unka time milega shine hone ka yah bhi hum jante hai bas aap kis tarike se un updates ko sawarenge bas isi ki jaldi hai aur bas itna kahna chahunga ki aap maayush mat hoiye itne kam comments se kyunki jo Aap likh rhe hai woh ek thriller hai aur jo log is forum par aate hai woh मुख्यतया aise story me ruchi lete h jisme bharpur sex ho romance ho and I'm also one of them toh himmat mat hariye kyunki aapki yeh story kisi bhi erotica se bharpur story se kahin jyada mulyavaan h aur reader kisi na kisi din is story tk pahuch hi jayege jaise main pahuch gya.

Bas abhi ke liye itna kahna chahunga. Dhanyawaad aapki is अद्भुत रचना ke liye
 
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Kala Nag

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👉सत्तरवां अपडेट
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"आज का मुख्य समाचार... भुवनेश्वर सदर क्षेत्र से चार बार लगातार अपनी जीत दर्ज करने वाले रूलिंग पार्टी के बहुत ही अनुभवी प्रत्याशी श्री ओंकार चेट्टी जी को इस बार टिकट नहीं दिया जा रहा है l इस विषय में पार्टी के अंदर एक घड़ा इस कदम की तरफ दारी कर रहे हैं वहीँ दुसरी और कुछ लोग इस पर चुप्पी साधे हुए हैं l हमारे संवाददाता श्री चेट्टी जी से संपर्क करने की कोशिश की पर उनके कार्यालय ने हमसे बात करने से इंकार कर दिया l सबसे अहम बात यह है कि श्री पिनाक सिंह जी ने पार्टी अध्यक्ष जी के इस कदम का खुल कर विरोध किया है l उन्होंने इसे पार्टी कार्यालय में हुए अध्यक्ष जी के एक तरफा निर्णय बताया है l अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ओडिशा राजनीति में यह घटना दुर गामी प्रभाव छोड़ता है या नहीं l अभी के लिए बस इतना ही मैं प्रवीण कुमार रथ नभ वाणी चैनल से"

यह खबर सुनने के बाद विक्रम कुछ सोचते हुए वहाँ पर पड़े चेयर पर बैठ जाता है l शुभ्रा उसको गौर से देखने लगती है l

शुभ्रा - क्या बात है विकी... आप परेशान लग रहे हैं...
विक्रम - नहीं जान... हम परेशान नहीं हैं... पता नहीं अब छोटे राजा जी हमसे क्या करने के लिए कहेंगे... हम... यही सोच रहे हैं...
शुभ्रा - क्या.. आपको क्या करने के लिए कह सकते हैं...
विक्रम - (शुभ्रा की ओर देख कर) जान... यह पालिटिक्स है... और आप जानती हैं.. की हम इन दो सालों में पार्टी के युवा मंच के अध्यक्ष हैं... कम से कम इस नाते ही सही.... हम आपके पिताजी के करीब होने की कोशिश कर रहे थे... पर आज हमारे छोटे राजा जी ने खुले आम आपके पिताजी के निर्णय को विरोध कर रहे हैं...
शुभ्रा - (विक्रम की यह बात सुन कर हँस देती है और आगे बढ़ कर विक्रम के गोद में बैठ जाती है) तो आप इसलिए परेशान हैं कि कहीं... मेरे पापा ने मना कर दिया तो... हूँ...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
शुभ्रा - पर हम तो शादी शुदा हैं ना...
विक्रम - हाँ कोई शक़...
शुभ्रा - फिर आप को... किस बात का डर है...
विक्रम - (अपनी दाहिने हाथ से शुभ्रा के आखों के सामने की लट को हटा कर उसके कान के पीछे ले जाता है) आपके इन आँखों से... खुद को गिरते हुए देखना नहीं चाहते...
शुभ्रा - (अपनी दोनों हाथों में विक्रम के चेहरे को लेते हुए) आप मेरे आँखों के सरताज है... (विक्रम के मूँछों पर ताव देते हुए) आप हमारे जान जिस्म और रूह के मालिक हैं... (कह कर विक्रम के माथे पर एक चुंबन देती है)

फिर दोनों एक दूसरे के आँखों में खोने लगते हैं, दोनों के आँखों में खुमारी छाने लगती है, सांसे तेज होने लगती हैं, यूँ आँखों में खोते खोते कब उनके होंठ आपस में जुड़ गए उन दोनों को यह एहसास तक नहीं हुआ l चुंबनों की झड़ी लग चुकी थी, प्रेम की रुत अब अंगड़ाई लेने लगी l विक्रम शुभ्रा को अपनी बाहों में उठा कर वगैर चुंबन को तोड़ते हुए बेड रूम में ले आता है जहां पहले से ही फूलों के पंखुड़ियों से बेड सजी हुई थी l शुभ्रा को लिटाते हुए विक्रम खुद शुभ्रा के ऊपर आ जाता है चुंबन को तोड़ते हुए शुभ्रा के चेहरे को देखने लगता है l चुंबन के टूटते ही शुभ्रा अपनी आँखे खोल देती है और विक्रम को अपने तरफ बिना पलकें झुकाए देखते हुए पाती है l शुभ्रा के गालों पर लाली छा जाती है l उसके आँखों में अब मिलन की प्यास की रंग उभरने लगी थी l वह अपनी आँखे बंद करते हुए अपनी होठों को उपर कर देती है l विक्रम भी अपनी होंठो से शुभ्रा की होठों की लाली चूसने लगता है l अब प्रेम अगन चरम पर पहुँच जाती है l शर्म हया की चीलमन हट जाती है l दो प्रेमी प्रेम के अथाह सागर में गोते लगाने लगते हैं l फ़िर थक कर एक दुसरे के बाहों में समा कर सो जाते हैं l

सूरज ढल जाती है और शाम हो जाती है l शुभ्रा की आँखे खुल जाती है l उसे एहसास हो जाता है दो पहर के बाद इस कमरे में क्या हुआ था l वह झट से उठ जाती है देखती है विक्रम अभी भी सोया हुआ था l शुभ्रा विक्रम की चेहरे को देखती है l किसी मासूम बच्चे की तरह सोया हुआ है l दुनिया जहान की ना होश है, ना खबर है ना ही परवाह है l शुभ्रा विक्रम को देखते ही अपनी बदन की हालत से वाकिफ़ होती है l वह शर्माते हुए अपने कपड़े इकट्ठे करते हुए सीधे बाथरुम में घुस जाती है और नहा धो कर तैयार होकर बाहर निकलती है l विक्रम को नंगे बदन यूँ बेड पर सोते हुए देख शुभ्रा शर्माने लगती है, वह कमरे में लगी एक आदम कद आईने के सामने खड़ी हो कर अपना चेहरा देखने की कोशिश करती है पर देख नहीं पाती अपनी दोनों हाथों से चेहरे को छुपा लेती है l बड़ी मुश्किल से हाथों की उंगलियों के फांको से अपनी परछाई को देखने की कोशिश करती है l वह बिता हुआ लम्हा उसे अंदर से गुदगुदा रहे थे और सारे बदन में मीठा मीठा दर्द तैर रही थी l

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

शुभ्रा कुछ देर से ख़ामोश थी l रुप के सामने अपनी आँखे बंद कर अपनी सुहानी अतीत में खोई हुई थी l जब यूँही कुछ वक़्त गुजर जाता है l रुप से रहा नहीं जाता l

रुप - भाभी...
शुभ्रा - (अपनी अतीत से निकलती है) हाँ... हाँ... तो मैं... कहाँ थी...
रुप - यही की न्यूज में... उस हेल्थ मिनिस्टर को टिकट नहीं मिला... यह पता चला...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - फिर उसके बाद...
शुभ्रा - (अब तक नॉर्मल हो चुकी थी) फिर मैं घर चली गई... कुछ दिन ऐसे ही गुजरे... मैं अपनी इम्तिहान में बिजी हो गई... और विकी इलेक्शन के तैयारी में... ऐसे में एक दिन मेरे फोन पर एक अंजान नंबर से कॉल आया... अंजान नंबर देख कर पहले सोचा ना उठाउँ... फिर सोचा शायद राजेश का हो सकता है... यह सोच कर फोन उठा ली....

फ्लैशबैक शुरु

शुभ्रा - हैलो...
- हैलो.. मैं.. निहारिका बोल रही हूँ... याद है...
शुभ्रा - हाँ... तुम.. याद है...याद है.. बोलो कैसे याद किया...
निहारिका - तुमने कहा था कि... (चुप हो जाती है)
शुभ्रा - ठीक है... कैसी मदत चाहिए...
निहारिका - क्या हम कहीं बाहर मिले...
शुभ्रा - हाँ जरूर...
निहारिका - नहीं ऐसे नहीं... हमे छुपकर मिलना होगा... क्यूंकि... यश के आदमी मुझ पर नजर रखे हुए हैं...
शुभ्रा - ओ... तो हम कैसे और कहाँ पर मिलेंगे...
निहारिका - कुछ करना तो पड़ेगा... क्या तुम कुछ जुगाड़ कर सकते हो...
शुभ्रा - व्हाट... मैं.. मैं क्या कर सकती हूँ इस मामले में...
निहारिका - प्लीज शुभ्रा... कुछ करो...
शुभ्रा - ठीक है... कुछ करती हूँ... क्या यह तुम्हारा नंबर है...
निहारिका - हाँ... यह नंबर किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड है... इसलिए अभी के लिए कोई खतरा नहीं है...
शुभ्रा - ठीक है... मैं कुछ सोचती हूँ और तुमको इंफॉर्मे करती हूँ...

उधर से फोन कट जाती है l शुभ्रा के समझ में नहीं आता कैसे निहारिका से मिला जाए l उसके मन में आया कि इस मामले में एक बार विक्रम से मदत मांग ले, पर कुछ सोच कर रुक जाती है l फिर कुछ सोचने के बाद वह एक ई मेल भेजती है राजेश को

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

रुप - क्या आप राजेश से मदत मांगी...
शुभ्रा - हाँ... इस मामले में... एक वही था जो मेरी मदत कर सकता था... यह सोच कर मैंने उसे ई मेल कर दिया...
रुप - आपने भैया से क्यूँ नहीं हेल्प मांगा...
शुभ्रा - पता नहीं क्यूँ... पर मैंने जो किया उससे बहुतों के चेहरे से नकाब हट गया...
रुप - मतलब...
शुभ्रा - (आँखे नम हो जाती है, और जबड़े अपने आप भींच जाती हैं)
रुप - भाभी...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - फिर... फिर क्या हुआ... क्या राजेश ने मेल का रिप्लाई दिया...
शुभ्रा - हाँ दिया... हम दोनों मिले... राजेश मदत को तैयार हो गया... क्यूंकि वह खुद को यश की चंगुल से आजाद करना चाहता था... इसलिए हम दोनों ने एक प्लान बनाया... उस प्लान को मैंने निहारिका को फोन कर समझा दिया...

फ्लैशबैक शुरु

निहारिका अपनी कार से कहीं जा रही थी कि उसकी गाड़ी खराब हो जाती है l वह कार से नीचे उतरती है और सिटी राइड ऐप से एक शेयरींग कैब बुक करती है l कुछ देर बाद एक कैब निहारिका के सामने रुकती है l निहारिका अपनी मोबाइल फोन दिखाकर कोड बताती है और फिर कार के अंदर चली जाती है l अंदर उसे शुभ्रा बैठी हुई थी और ड्राइविंग सीट पर राजेश था I

शुभ्रा - कहो क्या बात है... क्यूँ मिलना चाहती थी मुझसे...
निहारिका - मदत चाहिए था... तुमसे...
शुभ्रा - कैसी मदत...
निहारिका - वह... मेरा तीसरा महीना चल रहा है...
शुभ्रा - क्या... तो इसमे मैं क्या मदत करूँ...
निहारिका - यह बच्चा... यश का है...
राजेश - व्हाट...
निहारिका - यह.. यह...
शुभ्रा - मेरा दोस्त है... हमारी ही टीम में है...
निहारिका - (दोनों से) देखो तुम लोग मेरे बारे में जो सोच रहे हो... मैं उसे नकार नहीं रही... पर एक औरत को मालूम होता है कि उसके पेट में किसका बच्चा है...
शुभ्रा - तो तुम इस बात को... मीडिया के सामने प्रूफ के साथ क्यूँ नहीं लेकर जाती...
निहारिका - चली भी गई तो... मेरी जान को खतरा है... मुझे प्रोटेक्शन चाहिए...

प्रोटेक्शन की बात पर शुभ्रा चुप हो जाती है पर राजेश कहता है

राजेश - तुम्हें प्रोटेक्शन के साथ साथ यश की कहर से बचाने की हिम्मत और कोशिश... एक ही शख्स कर सकती है...
निहारिका - कौन...
राजेश - प्रत्युष याद है...
निहारिका - कौन प्रत्युष...
राजेश - मेरा दोस्त... जिसको मारने के लिए... वह अपनी ही हॉस्पिटल का आड़ लिया था...
निहारिका - उसका इस मामले में क्या लेना देना...
राजेश - उसका नहीं... उसकी माँ का है... वह इंतजार में हैं... यश के खिलाफ कुछ भी करने के लिए... आई थिंक... तुम एक बार उनसे मिल लो...
शुभ्रा - (राजेश से) आर यु श्योर...
राजेश - डैम श्योर...(निहारिका से) क्या कहती हो... अभी मैं गाड़ी उन्हीं के ऑफिस तक ले जा रहा हूँ...
निहारिका - (चुप रहती है)
शुभ्रा - निहारिका... तुमसे अभी अभी राजेश ने कुछ पूछा है...
निहारिका - ठीक है... मुझे उनके ऑफिस के बाहर उतार दो...
राजेश - चलो फिर...

राजेश अपनी गाड़ी की स्पीड को बढ़ा देता है और प्रतिभा के ऑफिस के सामने गाड़ी रोक देता है l निहारिका गाड़ी से उतर कर प्रतिभा के ऑफिस की ओर चली जाती है l पीछे से दोनों
"बेस्ट ऑफ़ लक"

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

रुप - क्या आपने निहारिका को प्रतिभा मैम के यहाँ ड्रॉप कर चले गए...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - आप लोग क्यों नहीं गए...
शुभ्रा - उस वक़्त हमें यही सही लगा था...
रुप - फिर... निहारिका ने क्या किया...
शुभ्रा - प्रतिभा मैम निहारिका के साथ... नभ वाणी न्यूज चैनल के एडिटर प्रवीण कुमार रथ को लेकर.... पुलिस स्टेशन में यश के खिलाफ कंप्लेंट लिखवाया... और निहारिका को भी न्यूज चैनल का साथ मिला.... इसलिए उसने भी अपना विक्टीम कार्ड भी परफेक्ट खेला... प्रतिभा मैम ने कोर्ट में यश से निहारिका के जान को खतरा बता कर... एक हलफनामा दाखिल कर दिया.... बस यहीं से यश और उसके बाप की पतन शुरु हो गई... कुछ दिनों बाद मुझे राजेश फोन पर जानकारी देता है कि.. यश ने निहारिका को मारने का प्लान बनाया है... यह सुनते ही मेरे हाथ पांव जम गए... हमने फिर से मिलने का प्लान बनाया...

फ्लैशबैक शुरु

शुभ्रा - यह तुम्हें कहाँ से पता चला...
राजेश - यश के सिक्युरिटी टीम के... एक ऑफिसर के साथ मैंने दोस्ती कर ली थी... ताकि मुझे यश से कब खतरा हो सकता है... यह मालुम करने के लिए.... उसीके जरिए यह खबर मेरे हाथ लगी है....
शुभ्रा - समझ में नहीं आता... यश ऐसे... कैसे करने की कोशिश करेगा... जब कि निहारिका के तरफ से अदालत में हलफनामा दायर किया हुआ है... की उसकी जान को खतरा है... ऐसे में वह कुछ भी करेगा तो बात उसके खिलाफ ही जाएगा...
राजेश - मैं भी यही सोच कर परेशान हूँ... पर यह यश है.. किसी भी हद तक जा सकता है...
शुभ्रा - ठीक है... तुम अपने उस सेक्यूरिटी ऑफिसर से प्लान का पता लगाओ... मैं देखती हूँ क्या कर सकती हूँ...

राजेश उसकी बात सुनकर अपना सिर हिलाता है, और अपना गाड़ी ले कर चला जाता है l शुभ्रा भी अपनी गाड़ी ले कर वापस अपनी घर की ओर जाने लगती है l

कुछ दूर जाने के बाद रास्ते शुभ्रा की गाड़ी पंक्चर हो जाती है l वह परेशान हो कर नीचे उतरती है के तभी कुछ कुछ लोग उसे घेर लेते हैं और गन पॉइंट पर शुभ्रा को जबरदस्ती दुसरे गाड़ी में आँखों में पट्टी बांध कर ले जाते हैं l
जब शुभ्रा के आँखों से पट्टी उतरती है तो खुदको यश के घर में पाती है l

यश - वेलकम टू माय हेवन... यू ब्यूटीफुल गर्ल... यु चौदहवीं की चांद... वाइ आई सी... हाईट्स के चौदहवीं मंजिल पर.... स्वागत है...
शुभ्रा - हाऊ डैयर ऑफ यु... तुमने..... मुझे.... किडनैप किया...
यश - वह क्या है कि... तुम आज कर मेडिकल छोड़ कर... वीडियो बनाने का बड़ा शौक पाला हुआ है... इसलिए मैंने सोचा तुम्हारे और मेरे... आई मीन हम दोनों के होने वाली चुदाई की वीडियो क्यूँ ना तुम्हारे बाप को लाइव दिखाया जाए...
शुभ्रा - (यश की बात सुन कर शुभ्रा के शरीर में डर का लहर दौड़ जाती है)त.. त.. तुम... मेरे साथ... ऐसा नहीं कर सकते...
यश - क्यूँ... क्यूँ नहीं कर सकता.... डार्लिंग... (कह कर ताली बजाता है, एक गार्ड व्हीलचेयर पर अधमरा हालत में राजेश को लेकर आता है) इसके साथ मिलकर मेरी गेम बजाने की सोची थी तुमने...
शुभ्रा - (राजेश की हालत देख कर और भी डर जाती है)
यश - फट रही है... हूँ.. डर के मारे फट रही है... हा हा हा... ना.. यह ठीक नहीं है... आज तू आगे से फटेगी और पीछे से भी फटेगी... (यश की आँखों में खुन उतर आता है) और इसकी थ्री डी रिकॉर्डिंग तेरे बाप के पास भेजी जाएगी... उसके बाद तेरा बाप जब तक पार्टी का प्रेसिडेंट रहेगा... तु मेरी रांड बीवी रहेगी...
शुभ्रा - (खुद को संभालने की कोशिश करते हुए) मैं मैं शादी शुदा हूँ... अगर मेरे पति को तुम्हारी इस करतूत का आभास हुआ... तो तुम नहीं जानते... वह तुम्हारा क्या हालत बना देंगे...
यश - अच्छा तो तु... शादी शुदा है... मतलब कुँआरी नहीं है... आय हाय... चल कमीनी... झूठ बोल रही है...
शुभ्रा - (धीरे-धीरे खुद को मजबूत करते हुए) मैं झूठ नहीं बोल रही हूँ... मेरे पति का नाम विक्रम सिंह क्षेत्रपाल है...

यश यह सुन कर कुछ देर हैरान हो कर शुभ्रा को देखता है और फिर हँसने लगता है l उसको यूँ हँसते हुए देख कर शुभ्रा को डर लगने लगता है l इतने में राजेश को होश आता है l वह दर्द के मारे कराहने लगता है l

शुभ्रा - रा... राजेश...
राजेश - आ..ह शुभ्रा तुम...
शुभ्रा - हाँ...
यश - तो होश आ गया कुत्ते को... तुम दोनों चिड़िमार... यश से टकराने चले थे... यश वर्धन चेट्टी से... अपने दोस्त प्रत्युष के अंजाम से सबक सीखने के वजाए... मुझे सबक सिखाने निकले थे...(ताली बजाते हुए) हा हा हा हा
शुभ्रा - जितना हँसना है हँस ले कुत्ते... बस कुछ ही देर और... मेरे विकी यहाँ आयेंगे और तेरी लंका ढ़हायेंगे...
यश - आले... आले... आले... मेरी लंका को ढहाने के लिए राम की जरूरत है.. ना कि रावण की...
शुभ्रा - क्या बकते हो...
यश - मैं बक नहीं रहा हूँ... अरे जब उसको मालुम होगा कि मैंने तुझे उठाया है... तो वह बहुत खुश होगा... जब मैं बोलूंगा मुझे तेरे साथ लेटना है... तो देखना.... वह कैसे मेरे लिए बिस्तर सजा देगा...
शुभ्रा - (गुस्से से) क्या बक रहा है हरामजादे...
यश - बक नहीं रहा हूँ डार्लिंग... फैक्ट बता रहा हूँ... मैं विक्रम के हेल्प के वगैर प्रत्युष को मार ही नहीं सकता था... उसीने ही तो हस्पताल से मुझे बाहर निकाला था...
शुभ्रा - (यकीन ना करते हुए) तुम... तुम झूठ बोल रहे हो...
यश - तुम्हारी मर्जी जानेमन... मानो या ना मानो...
शुभ्रा - वह... वह क्यूँ तुम्हारी मदत करने लगे...
यश - अररे... तुम्हें नहीं पता... ह्म्म्म्म.... लगता है विक्रम ने तुम्हें नहीं बताया... कोई नहीं... आज मैं तुम्हें बताए देता हूँ... क्षेत्रपाल परिवार के मर्दों की एक रस्म है... रंग महल प्रवेश... जिस दिन वह रंग महल में प्रवेश करते हैं... उस दिन एक कुंवारी कन्या की चुत फाड़ रस्म अदा की जाती है... वह रस्म अच्छे से बीत जाए... इसलिए विक्रम मुझसे एफ्रोडीजीआक टैबलेट लेकर... वह कुँआरी चुत फाड़ रस्म को अंजाम दीया था... और उस बहुमूल्य मदत के बदले.... उसने मेरे निरोग हॉस्पिटल के वार्ड में डॉक्टर के लिबास पहन कर मेरे स्पेशल कैबिन में आया था... खुद मेरी जगह पेशेंट बन कर बेड में लेट गया और मुझे डॉक्टर के लिबास में बाहर भेज दिया... बाहर मैं प्रत्युष के घर जा कर... प्रत्युष को खतम करने के बाद... मैं वापस अपने मेडिकल आकर... बेड पर लेट गया और विक्रम डॉक्टर के लिबास में बाहर चला गया... समझी...

यश की यह बात सुन कर शुभ्रा और राजेश दोनों शॉक्ड हो जाते हैं l शुभ्रा को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था l पर जिस यकीन के साथ यश कह रहा था वह असल में शुभ्रा को अंदर से तोड़ रहा था l

यश - हा हा हा हा...
मुझे जब प्रत्युष पर शक हुआ था... तब मैंने उस पर नजर रखने शुरु किया.. तो सिर्फ़ यह... (राजेश को थप्पड़ मार देता है) यह मिला... इसने अगर मेडिकल कॉलेज छोड़ा ना होता... तो मुझे इस पर कभी शक नहीं हुआ होता... जानती हो.... प्रत्युष ने मेरे खिलाफ कुछ सबुत जुटाए थे... मुझे लगा उसने इसे दे दिया था.... इसलिए यह कॉलेज छोड़ दिया था...

यह सुनते ही शुभ्रा की आँखे हैरानी से फैल जाती है, उसे याद आता है मरने के लगभग महीने भर पहले प्रत्युष ने उसे एक लॉकर की चाबी और एक पॉकेट डायरी दिया था, और यह बात शुभ्रा विक्रम से कहा भी था, विक्रम ने मेडिकल खतम होने तक भुल जाने के लिए कहा था और शुभ्रा ने उसे भुला भी दिया था l यश अपनी बात कहाना चालू रखता है

यश - खैर तुम लोग शांत थे... इसलिए मैं भी शांत रहा... पर मैं प्रत्युष को भुला नहीं था... इसलिए... कहीं कोई जिन बोतल से निकल कर मेरी खटिया खड़ा ना कर दे... मैं बराबर इस राजेश पर नजर रखे हुए था... पर तुम लोगों के पिछवाड़े तो चूल मची थी... मुझसे उंगली करने निकल आए... (राजेश से) उस सिक्युरिटी ऑफिसर को मैंने ही प्लॉट किया था.... ताकि मुझे इल्म तो हो... मेरे साये में रह कर कौन मेरी गांड मार रहा है... हा हा हा... क्या फंसे हो तुम लोग...
अब... हाँ अब मेरे समझ में आया... बिरजा किंकर सामंतराय के पास वह वीडियो कहां से आया.... आई कैन गेस्.... तुम दोनों ने चालाकी तो दिखाई... पर यह भूल गए कि बड़े बड़े होटेलों में... छोटे छोटे सीसीटीवी होते हैं... तुम दोनों का गार्डन की ओर जाना... फिर राजेश का वापस आ जाना... पर शुभ्रा... हाँ हा हा हा.. हाँ शुभ्रा माय डार्लिंग... तुम रुक गई थी... मेरी वीडियो निकाल कर अपने बाप के जरिए मेरे बाप की टिकट काट दी... हा हा हा हा... इसलिए मैंने भी प्लान बनाया... आज फंसी है बिरजा किंकर सामंतराय की चिड़िया... मेरे चंगुल में... पर वाव....(शुभ्रा से) तु तो विक्रम की आईटॉम निकली.... जैसे निहारिका मेरी आईटॉम थी... हा हा हा...
मान गया विक्रम को... साला कहता था... अपने नीचे किसे लिटाना है उसका भी एक पैमाना होना चाहिए... वाह आज तो तेरा पैमाना और भी छलकेगी....

तभी उस कमरे में अलार्म बजने लगती हैं l यश की भवें सिकुड़ जाती हैं l तभी इंटरकॉम बजने लगती है l यश इंटरकॉम की स्पीकर ऑन करता है l

यश - हैलो...
- सर..... विक्रम सिंह की गाड़ी हमारी गेट को तोड़ते हुए प्रेमिसेस में घुस गई है... हमारे गार्ड्स उसे रोकने की कोशिश की... तो वह सबको मारते हुए आगे बढ़ रहा है....
यश - आने दो.... आने दो उसे... कोई कुछ नहीं करेगा...
- ठीक है सर...

यश शुभ्रा की ओर एक कुटिल मुस्कान के साथ देखता है l शुभ्रा उसे गुस्से भरे नजर से अपनी होठों पर एक विश्वास भरा मुस्कान के साथ देखती है l

यश - (शुभ्रा से) खुश फ़हमी में मत रहना... विक्रम तुझे यहाँ से ले जाएगा... तु देखेगी वह तुझे मेरे नीचे लिटायेगा...

कह कर यश पास पड़े एक चेयर पर अपना एक पैर को मोड़ कर दुसरे पैर पर रख कर बैठ जाता है l तभी रुम का दरवाज़ा धड़ाम की आवाज़ करते हुए खुल जाता है l विक्रम तेजी से अंदर आता है l

यश - विक्रम... माय बॉय... वेलकम... वेलकम... खुब जमेगा रंग आज... जब मिल बैठेंगे कमीने दो.... एक मैं.. एक तुम...

विक्रम भाग कर यश के पास पहुँचता है और यश को उठा कर सामने फ़र्श की ओर फेंक देता है l

यश - आ.. ह्... व्हाट इज़ दिस... विक्रम... अपने दोस्त के साथ..
विक्रम - तु... मेरा दोस्त... ना था.. ना है... आज तुने अपनी लाइफ लाइन क्रॉस कर ली....
यश - (अपनी कपड़े झाड़ कर उठते हुए) तो यह चिड़िया... सच कह रही थी... यह तेरी आईटॉम है... तो इसे अब मेरे लिए छोड़ दे... आज से यह मेरी आईटॉम...

विक्रम उसके पास आकर एक पंच मारता है l यश कुछ दुर छिटक कर गिरता है l विक्रम शुभ्रा की रस्सियाँ खोल देता है और शुभ्रा की हाथ पकड़ कर ले जाने लगता है, तो शुभ्रा अपनी हाथ छुड़ा कर राजेश की रस्सियाँ खोलने लगती है l इतने में यश अपनी जगह खड़े हो कर चिल्लाता है

यश - बस... बहुत हुआ... विक्रम... तु जिसे बचा रहा है... वह कल की हमारी मौत की फरमान है... यह दोनों प्रत्युष के दोस्त हैं... अगर मैं जैल जाता हूँ.... तो तु भी जाएगा... मेरी मदत करने के जुर्म में...

शुभ्रा राजेश की रस्सियाँ खोल चुकी थी l पर यश की बात सुन कर वह विक्रम की तरफ देखती है l

विक्रम - न.. नहीं.. जान.. यह झूठ बोल रहा है...
यश - (ताली बजाते हुए) हा हा हा हा... जान... हा हा हा हा... विक्रम... हमारे यहाँ एक कहावत है... राजा के घर से ना दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी.... मुझे बाहर निकालने के लिए जिस दिन तु डॉक्टर के लिबास में आया था... उस स्पेशल वार्ड में मेरा पर्सनल रिकॉर्डर भी था... कहो तो खिदमत में पेश करूँ... (शुभ्रा देखती है विक्रम का सिर झुक जाता है) और शुभ्रा जान...

विक्रम यश के पास आकर फिर एक पंच मारता है l यश नीचे गिर जाता है l इस बार यश अपनी जेब से कुछ गोली निकाल कर खाता है l फिर खड़े हो कर

यश - भोषड़ी के... मैं प्यार से बात कर रहा हूँ... तो तु गलत फहमी पाल रखा है क्या... मैं तुझे कुछ नहीं करूँगा... साले हरामी कुत्ते... मेरा किया हुआ एहसान भुल गया... मेरी दी हुई दवाई खाने के बाद.... तुने अपनी खानदानी चुत फाड़ रस्म को पुरा किया था.... भुल गया या भुला दिया... बेवफ़ा... (शुभ्रा एक शॉक के साथ विक्रम को देखती है, विक्रम हिम्मत नहीं कर पाता शुभ्रा को देखने की) कोई नहीं... जानती हो शुभ्रा डार्लिंग... मैं यह बात रिपीट ब्रॉडकास्ट क्यूँ कर रहा हूँ... ताकि तुम विक्रम की बोगस एक्सप्रेशन का लाइव टेलीकास्ट देख सको... (विक्रम से) मुझे मालुम तो था... एक दिन तेरी मेरी बिगड़ेगी.. पर इतनी जल्दी... खैर.. चूँकि मुझे तुम हरामी राजवंशीयों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था... इसलिए यहाँ पर तुम्हारे कंपनी की सिक्युरिटी सर्विस नहीं लिया था... अब देख कमीने तेरी कैसे बैंड बजती है... (चिल्ला कर) गार्ड्स...

कमरे में सिक्युरिटी गार्ड्स आ जाते हैं और विक्रम, शुभ्रा और राजेश के चारो ओर घेरा बनाने लगते हैं l

यश - गार्ड्स... (राजेश और शुभ्रा को दिखा कर) इस चूहे और इस चुहिया को कुछ मत करो... क्यूंकि यह दोनों चेट्टीस पिंजरे में हैं... यह जो शेर बन कर घुसा है ना... इसकी खाल उधेड़ कर मुझे देना... मैं उस(दीवार की ओर हाथ से इशारा कर) दीवार पर इसकी खाल टांगना चाहता हूँ...

फिर एक आठ गार्ड्स विक्रम पर टुट पड़ते हैं l विक्रम पहले वाले गार्ड के नाक पर दाहिने हाथ का पंच मारता है फिर फिर हाथ मोड़ कर कोहनी से दुसरे के कनपटी पर, फिर दाएँ घुटने पर बैठ कर तीसरे के नाभि पर पुरी ताकत भरा घुसा जड़ देता है l चौथे के दाएँ हाथ की कलाई पकड़ लेता है और उसके बाएँ कलर पकड़ कर अपनी दाहिने कोहनी को उसके दाहिने काख के नीचे सटा कर उठा कर फेंक देता है l पाँचवे को एक साइड ब्लेड किक फिर एक फ्रंट थ्रोस्ट किक, छटे को फ्रंट स्पिन किक और सातवें को कंधे को पकड़ कर उसके पेट पर बिजली की तेजी से पंच पे पंच मारता जाता है जब आठवां पीछे से विक्रम को पकड़ता तो विक्रम नीचे झुक कर आठवें की टांग खिंच देता है तो वह पीठ के बल गिर जाता है l जैसे ही वह गिरता है विक्रम मुड़ता है और कुद कर घुटने को मोड़ कर उसके सीने पर गिरता है l आठों के आठों चारो खाने चित l तभी एक बैंक फायर होता है, शुभ्रा चिल्लाती है

शुभ्रा - विकी...(पर गोली विक्रम को लगी नहीं है l
यश - (गन की बैरल से निकलती धुआँ पर फूँक मारते हुए) यह क्या कर दिया विक्रम... कैन यु बिलीव... (नीचे गिरे पड़े गार्ड्स के तरफ इशारा करते हुए) इन हराम खोरों को मैंने हायर किया था... स्पेशियली तेरे लिए... पर यह भोषड़ी वाले... मेरे लाखों डकार गए... अब यूँ नीचे फर्श चाट रहे हैं... खैर.. (गन को दिखाते हुए) अब बस इसका सहारा है... पर एक बात बता... तुने इस लड़की को ढूँढा कैसे.... जब की मैंने जब इसे किडनैप किया था... गाड़ी में गैजेट जैमर लगा रखा था... ट्रैक करना मुश्किल था... और एज यूजवल इस चेट्टीस राइट्स में भी गैजेट जैमर लगा हुआ है....
विक्रम - (जवाब में कुटिल मुस्कान के साथ) मैंने मेरे आदमी शुभ्रा जी के पीछे लगा रखा था... तेरे आदमी जैसे ही इनकी गाड़ी के टायर के साथ छेड़छाड़ की... मैं अपनी ऑफिस से निकल पड़ा... और मेरे आदमी पहले से ही इस विला के पास पहुँच कर मुझे लोकेशन की जानकारी देते रहे...
यश - ओ.. तो तुझे पहले से ही अंदेशा था... ह्म्म्म्म... और मैं खुद को श्याणा समझ रहा था...
विक्रम - थोड़ी देर बाद हमारे सिक्युरिटी के लोग यहाँ पहुँच जायेंगे... तु तो गया... हराम जादे...
यश - अच्छा... पर तब तक तो तुझे जिंदा रहना होगा... है कि नहीं..
विक्रम - हमारे सोने पर रिवॉल्वर तान सके... तु इतना बड़ा जिगर रखता है...
यश - ऊँ हूँ... मालुम तो नहीं... चलो मिलकर देखते हैं..

कह कर विक्रम पर रिवॉल्वर तान देता है l विक्रम यश की ओर भागता है l यश फायर करता है एक दो तीन शॉट

शुभ्रा - वि... की न... हीं...

चौथा शॉट फायर होने से पहले एक फ्लाइंग किक यश के मुहँ पर लगता है l यश छिटक कर बहुत दुर जा कर एक टी पोय पर गिरता है और उठ नहीं पाता है l जो पहले से नीचे गिरे पड़े थे वह लोग उठ कर दीवार से सट कर खड़े हो जाते हैं l विक्रम शुभ्रा के हाथ पकड़ कर उस कमरे के बाहर ले जाता है उनके पीछे पीछे राजेश भी जाता है l वह लोग कॉरिडोर से हो कर लिफ्ट के पास आते हैं l वह एक ग्लास फिटेड पारदर्शी लिफ्ट बिल्डिंग के बाहर के तरफ था, जिससे बाहर का नज़ारा साफ दिखता था l विक्रम लिफ्ट खोल कर पहले शुभ्रा को अंदर जाने को कहता है l शुभ्रा अंदर जाती है, उसके बाद राजेश अंदर जाता है l तभी राजेश चिल्लाता है

राजेश - विक्रम जी... यश..

विक्रम पीछे मुड़ता है तो देखता है उसके ठीक पीछे यश का चेहरा खुन से सना हुआ बहुत ही खतरनाक दिख रहा था l यश कुछ हरकत करता उससे पहले विक्रम उसके रिवॉल्वर वाली हाथ को पकड़ लेता है l दोनों की झड़प होने लगती है, विक्रम राजेश को कहता है कि वह नीचे जाए l राजेश भी लिफ्ट का दरवाज़ा बंद कर नीचे जाने के लिए स्विच दबा देता है l लिफ्ट धीरे-धीरे नीचे जाने लगता है और नीचे की मंजिल से गुज़रते वक़्त, अंदर शुभ्रा लिफ्ट की स्टॉप बटन दबा देती है l इतने में यश के रिवॉल्वर से गोली चलती है जो कि लिफ्ट के गार्ड ग्लास को चीरते हुए लिफ्ट की टेंशन केबल पर लगती है l जिससे लिफ्ट की बैलेंस बिगड़ जाती है l शुभ्रा चिल्लाती है "विकी" l विक्रम का ध्यान लिफ्ट की ओर जाता है क्यूंकि एक तरफ का टेंशन केबल टुट जाता है l विक्रम यश को धक्का मारता है और लिफ्ट के बगल में लगे फायर अलार्म के पास हैमर को ग्लास तोड़ कर निकालता है और हैमर के नेल पुलर से लिफ्ट की बाहर के तरफ का दरवाजा को खोलता है l इतने में यश और एक फायर करता है जो विक्रम के बाएं कंधे पर लगता है l विक्रम पीछे मुड़ कर हैमर को फेंकता है l हैमर यश को लगता है और वह बेहोश हो कर गिर जाता है l विक्रम अपनी घायल कंधे के साथ लिफ्ट के किनारे लेट जाता है

विक्रम - रा राजेश... लिफ्ट के छत पर सेफ्टी एक्जिट है... उसे हटाओ...

राजेश लिफ्ट के छत पर एक्जिट को हटाता है l

विक्रम - शुभ्रा... आ.. ह्... आप आइए... हमारे हाथ को थाम लीजिए...

राजेश शुभ्रा को लिफ्ट के एक्जिट से निकल कर लिफ्ट के छत पर पहुँचने में मदत करता है l शुभ्रा विक्रम के हाथ को कस के पकड़ लेती है l कंधे में दर्द होने के बावजूद विक्रम शुभ्रा को खिंच लेता है l अब राजेश जम्प लगा कर एक्जिट की साइड एड्ज को पकड़ कर लिफ्ट के छत पर खड़ा होता है l विक्रम अपना हाथ देता है l राजेश फिर से जम्प लगा कर विक्रम का हाथ पकड़ लेता है l जिससे विक्रम को झटका लगता है, वह एक हाथ से राजेश को संभाल नहीं पाता विक्रम अपना दुसरा हाथ बढ़ाता है तब उसके कंधे से खुन की धार निकल कर विक्रम के हाथों को गिला करते हुए राजेश के आँखों में गिरता है l विक्रम राजेश को खिंचने की जोर लगाते लगाते बेहोश हो जाता है l बेहोश होते होते उसके कान में शुभ्रा की चिल्लाने की आवाज़ आती है l

"नहीं ... राजेश"
 

Kala Nag

Mr. X
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Aapki kahani ke pure update bas abhhi khatm kiye hai aur aisa lag raha hai ki aage aur kyun nhi hai padhne ko aur ab Hume bas intjar hi krna hai ki aap time to time update dete rhe dil me dimaag me yeh kahani itne andar tak utar chuki hai ki bas man krta hai padhte hi rhe padhte hi rhe jab tak ki kahani khtm na ho jaye.

Aapki lekhni bahut gajab ki hai sir bahut dino baad itne shuddh hindi ke word pdhne mile hai xforum me aur jitni achchi hi aapki shabd chayan h usse hi badhkar aapki kahani jitni tarif karu bas kam hi hogi aapki story padhkar Dard bhi utna hi hota hai jitni khusi, gussa aakrosh glani aur bhi bht se shabd hai jo kuch bhi nahi hai vaidahi aur vishva (especially vaidahi) ke flashback padhkar humare chahre par aaye itne jatil aur well written character and their development in the story kisi bhi top tier web series aur movie ko takkar de sakti hai (kash is story pr web series ban pati). Main lead, villains side characters sab ko hi aapne itne man laga kar likha hai ki hum jitna hi pyar apne hero se krte hai utna hi attachment vikram, shubhra aur veer, anu se bhi feel karte hai samay samay par new new reader ho toh ek sawaal hai kya "विश्वरूप" me vishva विश्व प्रताप aur rup रूप नंदिनी ke liye hai ya Sirf vishva se hi sambandhit hai aur aapse ek narajgi hai ki aapne baki side character ko itna time diya hai ki kahani ke mukhya patra hi kahani ke side character lgate hai (bas chhoti si hi narajgi samejhiye ise hahaha) par yah jaruri bhi hai jis tarike se aap kahani like rhe uske liye aur aage vishva ko bhi unka time milega shine hone ka yah bhi hum jante hai bas aap kis tarike se un updates ko sawarenge bas isi ki jaldi hai aur bas itna kahna chahunga ki aap maayush mat hoiye itne kam comments se kyunki jo Aap likh rhe hai woh ek thriller hai aur jo log is forum par aate hai woh मुख्यतया aise story me ruchi lete h jisme bharpur sex ho romance ho and I'm also one of them toh himmat mat hariye kyunki aapki yeh story kisi bhi erotica se bharpur story se kahin jyada mulyavaan h aur reader kisi na kisi din is story tk pahuch hi jayege jaise main pahuch gya.

Bas abhi ke liye itna kahna chahunga. Dhanyawaad aapki is अद्भुत रचना ke liye
बहुत ही बढ़िया विश्लेषण किया है आपने
धन्यबाद मित्र बहुत बहुत धन्यबाद
आपके हर संशय का निवारण करूंगा कल ही
 

Surya_021

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👉सत्तरवां अपडेट
-------------------
"आज का मुख्य समाचार... भुवनेश्वर सदर क्षेत्र से चार बार लगातार अपनी जीत दर्ज करने वाले रूलिंग पार्टी के बहुत ही अनुभवी प्रत्याशी श्री ओंकार चेट्टी जी को इस बार टिकट नहीं दिया जा रहा है l इस विषय में पार्टी के अंदर एक घड़ा इस कदम की तरफ दारी कर रहे हैं वहीँ दुसरी और कुछ लोग इस पर चुप्पी साधे हुए हैं l हमारे संवाददाता श्री चेट्टी जी से संपर्क करने की कोशिश की पर उनके कार्यालय ने हमसे बात करने से इंकार कर दिया l सबसे अहम बात यह है कि श्री पिनाक सिंह जी ने पार्टी अध्यक्ष जी के इस कदम का खुल कर विरोध किया है l उन्होंने इसे पार्टी कार्यालय में हुए अध्यक्ष जी के एक तरफा निर्णय बताया है l अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ओडिशा राजनीति में यह घटना दुर गामी प्रभाव छोड़ता है या नहीं l अभी के लिए बस इतना ही मैं प्रवीण कुमार रथ नभ वाणी चैनल से"

यह खबर सुनने के बाद विक्रम कुछ सोचते हुए वहाँ पर पड़े चेयर पर बैठ जाता है l शुभ्रा उसको गौर से देखने लगती है l

शुभ्रा - क्या बात है विकी... आप परेशान लग रहे हैं...
विक्रम - नहीं जान... हम परेशान नहीं हैं... पता नहीं अब छोटे राजा जी हमसे क्या करने के लिए कहेंगे... हम... यही सोच रहे हैं...
शुभ्रा - क्या.. आपको क्या करने के लिए कह सकते हैं...
विक्रम - (शुभ्रा की ओर देख कर) जान... यह पालिटिक्स है... और आप जानती हैं.. की हम इन दो सालों में पार्टी के युवा मंच के अध्यक्ष हैं... कम से कम इस नाते ही सही.... हम आपके पिताजी के करीब होने की कोशिश कर रहे थे... पर आज हमारे छोटे राजा जी ने खुले आम आपके पिताजी के निर्णय को विरोध कर रहे हैं...
शुभ्रा - (विक्रम की यह बात सुन कर हँस देती है और आगे बढ़ कर विक्रम के गोद में बैठ जाती है) तो आप इसलिए परेशान हैं कि कहीं... मेरे पापा ने मना कर दिया तो... हूँ...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
शुभ्रा - पर हम तो शादी शुदा हैं ना...
विक्रम - हाँ कोई शक़...
शुभ्रा - फिर आप को... किस बात का डर है...
विक्रम - (अपनी दाहिने हाथ से शुभ्रा के आखों के सामने की लट को हटा कर उसके कान के पीछे ले जाता है) आपके इन आँखों से... खुद को गिरते हुए देखना नहीं चाहते...
शुभ्रा - (अपनी दोनों हाथों में विक्रम के चेहरे को लेते हुए) आप मेरे आँखों के सरताज है... (विक्रम के मूँछों पर ताव देते हुए) आप हमारे जान जिस्म और रूह के मालिक हैं... (कह कर विक्रम के माथे पर एक चुंबन देती है)

फिर दोनों एक दूसरे के आँखों में खोने लगते हैं, दोनों के आँखों में खुमारी छाने लगती है, सांसे तेज होने लगती हैं, यूँ आँखों में खोते खोते कब उनके होंठ आपस में जुड़ गए उन दोनों को यह एहसास तक नहीं हुआ l चुंबनों की झड़ी लग चुकी थी, प्रेम की रुत अब अंगड़ाई लेने लगी l विक्रम शुभ्रा को अपनी बाहों में उठा कर वगैर चुंबन को तोड़ते हुए बेड रूम में ले आता है जहां पहले से ही फूलों के पंखुड़ियों से बेड सजी हुई थी l शुभ्रा को लिटाते हुए विक्रम खुद शुभ्रा के ऊपर आ जाता है चुंबन को तोड़ते हुए शुभ्रा के चेहरे को देखने लगता है l चुंबन के टूटते ही शुभ्रा अपनी आँखे खोल देती है और विक्रम को अपने तरफ बिना पलकें झुकाए देखते हुए पाती है l शुभ्रा के गालों पर लाली छा जाती है l उसके आँखों में अब मिलन की प्यास की रंग उभरने लगी थी l वह अपनी आँखे बंद करते हुए अपनी होठों को उपर कर देती है l विक्रम भी अपनी होंठो से शुभ्रा की होठों की लाली चूसने लगता है l अब प्रेम अगन चरम पर पहुँच जाती है l शर्म हया की चीलमन हट जाती है l दो प्रेमी प्रेम के अथाह सागर में गोते लगाने लगते हैं l फ़िर थक कर एक दुसरे के बाहों में समा कर सो जाते हैं l

सूरज ढल जाती है और शाम हो जाती है l शुभ्रा की आँखे खुल जाती है l उसे एहसास हो जाता है दो पहर के बाद इस कमरे में क्या हुआ था l वह झट से उठ जाती है देखती है विक्रम अभी भी सोया हुआ था l शुभ्रा विक्रम की चेहरे को देखती है l किसी मासूम बच्चे की तरह सोया हुआ है l दुनिया जहान की ना होश है, ना खबर है ना ही परवाह है l शुभ्रा विक्रम को देखते ही अपनी बदन की हालत से वाकिफ़ होती है l वह शर्माते हुए अपने कपड़े इकट्ठे करते हुए सीधे बाथरुम में घुस जाती है और नहा धो कर तैयार होकर बाहर निकलती है l विक्रम को नंगे बदन यूँ बेड पर सोते हुए देख शुभ्रा शर्माने लगती है, वह कमरे में लगी एक आदम कद आईने के सामने खड़ी हो कर अपना चेहरा देखने की कोशिश करती है पर देख नहीं पाती अपनी दोनों हाथों से चेहरे को छुपा लेती है l बड़ी मुश्किल से हाथों की उंगलियों के फांको से अपनी परछाई को देखने की कोशिश करती है l वह बिता हुआ लम्हा उसे अंदर से गुदगुदा रहे थे और सारे बदन में मीठा मीठा दर्द तैर रही थी l

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

शुभ्रा कुछ देर से ख़ामोश थी l रुप के सामने अपनी आँखे बंद कर अपनी सुहानी अतीत में खोई हुई थी l जब यूँही कुछ वक़्त गुजर जाता है l रुप से रहा नहीं जाता l

रुप - भाभी...
शुभ्रा - (अपनी अतीत से निकलती है) हाँ... हाँ... तो मैं... कहाँ थी...
रुप - यही की न्यूज में... उस हेल्थ मिनिस्टर को टिकट नहीं मिला... यह पता चला...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - फिर उसके बाद...
शुभ्रा - (अब तक नॉर्मल हो चुकी थी) फिर मैं घर चली गई... कुछ दिन ऐसे ही गुजरे... मैं अपनी इम्तिहान में बिजी हो गई... और विकी इलेक्शन के तैयारी में... ऐसे में एक दिन मेरे फोन पर एक अंजान नंबर से कॉल आया... अंजान नंबर देख कर पहले सोचा ना उठाउँ... फिर सोचा शायद राजेश का हो सकता है... यह सोच कर फोन उठा ली....

फ्लैशबैक शुरु

शुभ्रा - हैलो...
- हैलो.. मैं.. निहारिका बोल रही हूँ... याद है...
शुभ्रा - हाँ... तुम.. याद है...याद है.. बोलो कैसे याद किया...
निहारिका - तुमने कहा था कि... (चुप हो जाती है)
शुभ्रा - ठीक है... कैसी मदत चाहिए...
निहारिका - क्या हम कहीं बाहर मिले...
शुभ्रा - हाँ जरूर...
निहारिका - नहीं ऐसे नहीं... हमे छुपकर मिलना होगा... क्यूंकि... यश के आदमी मुझ पर नजर रखे हुए हैं...
शुभ्रा - ओ... तो हम कैसे और कहाँ पर मिलेंगे...
निहारिका - कुछ करना तो पड़ेगा... क्या तुम कुछ जुगाड़ कर सकते हो...
शुभ्रा - व्हाट... मैं.. मैं क्या कर सकती हूँ इस मामले में...
निहारिका - प्लीज शुभ्रा... कुछ करो...
शुभ्रा - ठीक है... कुछ करती हूँ... क्या यह तुम्हारा नंबर है...
निहारिका - हाँ... यह नंबर किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड है... इसलिए अभी के लिए कोई खतरा नहीं है...
शुभ्रा - ठीक है... मैं कुछ सोचती हूँ और तुमको इंफॉर्मे करती हूँ...

उधर से फोन कट जाती है l शुभ्रा के समझ में नहीं आता कैसे निहारिका से मिला जाए l उसके मन में आया कि इस मामले में एक बार विक्रम से मदत मांग ले, पर कुछ सोच कर रुक जाती है l फिर कुछ सोचने के बाद वह एक ई मेल भेजती है राजेश को

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

रुप - क्या आप राजेश से मदत मांगी...
शुभ्रा - हाँ... इस मामले में... एक वही था जो मेरी मदत कर सकता था... यह सोच कर मैंने उसे ई मेल कर दिया...
रुप - आपने भैया से क्यूँ नहीं हेल्प मांगा...
शुभ्रा - पता नहीं क्यूँ... पर मैंने जो किया उससे बहुतों के चेहरे से नकाब हट गया...
रुप - मतलब...
शुभ्रा - (आँखे नम हो जाती है, और जबड़े अपने आप भींच जाती हैं)
रुप - भाभी...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - फिर... फिर क्या हुआ... क्या राजेश ने मेल का रिप्लाई दिया...
शुभ्रा - हाँ दिया... हम दोनों मिले... राजेश मदत को तैयार हो गया... क्यूंकि वह खुद को यश की चंगुल से आजाद करना चाहता था... इसलिए हम दोनों ने एक प्लान बनाया... उस प्लान को मैंने निहारिका को फोन कर समझा दिया...

फ्लैशबैक शुरु

निहारिका अपनी कार से कहीं जा रही थी कि उसकी गाड़ी खराब हो जाती है l वह कार से नीचे उतरती है और सिटी राइड ऐप से एक शेयरींग कैब बुक करती है l कुछ देर बाद एक कैब निहारिका के सामने रुकती है l निहारिका अपनी मोबाइल फोन दिखाकर कोड बताती है और फिर कार के अंदर चली जाती है l अंदर उसे शुभ्रा बैठी हुई थी और ड्राइविंग सीट पर राजेश था I

शुभ्रा - कहो क्या बात है... क्यूँ मिलना चाहती थी मुझसे...
निहारिका - मदत चाहिए था... तुमसे...
शुभ्रा - कैसी मदत...
निहारिका - वह... मेरा तीसरा महीना चल रहा है...
शुभ्रा - क्या... तो इसमे मैं क्या मदत करूँ...
निहारिका - यह बच्चा... यश का है...
राजेश - व्हाट...
निहारिका - यह.. यह...
शुभ्रा - मेरा दोस्त है... हमारी ही टीम में है...
निहारिका - (दोनों से) देखो तुम लोग मेरे बारे में जो सोच रहे हो... मैं उसे नकार नहीं रही... पर एक औरत को मालूम होता है कि उसके पेट में किसका बच्चा है...
शुभ्रा - तो तुम इस बात को... मीडिया के सामने प्रूफ के साथ क्यूँ नहीं लेकर जाती...
निहारिका - चली भी गई तो... मेरी जान को खतरा है... मुझे प्रोटेक्शन चाहिए...

प्रोटेक्शन की बात पर शुभ्रा चुप हो जाती है पर राजेश कहता है

राजेश - तुम्हें प्रोटेक्शन के साथ साथ यश की कहर से बचाने की हिम्मत और कोशिश... एक ही शख्स कर सकती है...
निहारिका - कौन...
राजेश - प्रत्युष याद है...
निहारिका - कौन प्रत्युष...
राजेश - मेरा दोस्त... जिसको मारने के लिए... वह अपनी ही हॉस्पिटल का आड़ लिया था...
निहारिका - उसका इस मामले में क्या लेना देना...
राजेश - उसका नहीं... उसकी माँ का है... वह इंतजार में हैं... यश के खिलाफ कुछ भी करने के लिए... आई थिंक... तुम एक बार उनसे मिल लो...
शुभ्रा - (राजेश से) आर यु श्योर...
राजेश - डैम श्योर...(निहारिका से) क्या कहती हो... अभी मैं गाड़ी उन्हीं के ऑफिस तक ले जा रहा हूँ...
निहारिका - (चुप रहती है)
शुभ्रा - निहारिका... तुमसे अभी अभी राजेश ने कुछ पूछा है...
निहारिका - ठीक है... मुझे उनके ऑफिस के बाहर उतार दो...
राजेश - चलो फिर...

राजेश अपनी गाड़ी की स्पीड को बढ़ा देता है और प्रतिभा के ऑफिस के सामने गाड़ी रोक देता है l निहारिका गाड़ी से उतर कर प्रतिभा के ऑफिस की ओर चली जाती है l पीछे से दोनों
"बेस्ट ऑफ़ लक"

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

रुप - क्या आपने निहारिका को प्रतिभा मैम के यहाँ ड्रॉप कर चले गए...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - आप लोग क्यों नहीं गए...
शुभ्रा - उस वक़्त हमें यही सही लगा था...
रुप - फिर... निहारिका ने क्या किया...
शुभ्रा - प्रतिभा मैम निहारिका के साथ... नभ वाणी न्यूज चैनल के एडिटर प्रवीण कुमार रथ को लेकर.... पुलिस स्टेशन में यश के खिलाफ कंप्लेंट लिखवाया... और निहारिका को भी न्यूज चैनल का साथ मिला.... इसलिए उसने भी अपना विक्टीम कार्ड भी परफेक्ट खेला... प्रतिभा मैम ने कोर्ट में यश से निहारिका के जान को खतरा बता कर... एक हलफनामा दाखिल कर दिया.... बस यहीं से यश और उसके बाप की पतन शुरु हो गई... कुछ दिनों बाद मुझे राजेश फोन पर जानकारी देता है कि.. यश ने निहारिका को मारने का प्लान बनाया है... यह सुनते ही मेरे हाथ पांव जम गए... हमने फिर से मिलने का प्लान बनाया...

फ्लैशबैक शुरु

शुभ्रा - यह तुम्हें कहाँ से पता चला...
राजेश - यश के सिक्युरिटी टीम के... एक ऑफिसर के साथ मैंने दोस्ती कर ली थी... ताकि मुझे यश से कब खतरा हो सकता है... यह मालुम करने के लिए.... उसीके जरिए यह खबर मेरे हाथ लगी है....
शुभ्रा - समझ में नहीं आता... यश ऐसे... कैसे करने की कोशिश करेगा... जब कि निहारिका के तरफ से अदालत में हलफनामा दायर किया हुआ है... की उसकी जान को खतरा है... ऐसे में वह कुछ भी करेगा तो बात उसके खिलाफ ही जाएगा...
राजेश - मैं भी यही सोच कर परेशान हूँ... पर यह यश है.. किसी भी हद तक जा सकता है...
शुभ्रा - ठीक है... तुम अपने उस सेक्यूरिटी ऑफिसर से प्लान का पता लगाओ... मैं देखती हूँ क्या कर सकती हूँ...

राजेश उसकी बात सुनकर अपना सिर हिलाता है, और अपना गाड़ी ले कर चला जाता है l शुभ्रा भी अपनी गाड़ी ले कर वापस अपनी घर की ओर जाने लगती है l

कुछ दूर जाने के बाद रास्ते शुभ्रा की गाड़ी पंक्चर हो जाती है l वह परेशान हो कर नीचे उतरती है के तभी कुछ कुछ लोग उसे घेर लेते हैं और गन पॉइंट पर शुभ्रा को जबरदस्ती दुसरे गाड़ी में आँखों में पट्टी बांध कर ले जाते हैं l
जब शुभ्रा के आँखों से पट्टी उतरती है तो खुदको यश के घर में पाती है l

यश - वेलकम टू माय हेवन... यू ब्यूटीफुल गर्ल... यु चौदहवीं की चांद... वाइ आई सी... हाईट्स के चौदहवीं मंजिल पर.... स्वागत है...
शुभ्रा - हाऊ डैयर ऑफ यु... तुमने..... मुझे.... किडनैप किया...
यश - वह क्या है कि... तुम आज कर मेडिकल छोड़ कर... वीडियो बनाने का बड़ा शौक पाला हुआ है... इसलिए मैंने सोचा तुम्हारे और मेरे... आई मीन हम दोनों के होने वाली चुदाई की वीडियो क्यूँ ना तुम्हारे बाप को लाइव दिखाया जाए...
शुभ्रा - (यश की बात सुन कर शुभ्रा के शरीर में डर का लहर दौड़ जाती है)त.. त.. तुम... मेरे साथ... ऐसा नहीं कर सकते...
यश - क्यूँ... क्यूँ नहीं कर सकता.... डार्लिंग... (कह कर ताली बजाता है, एक गार्ड व्हीलचेयर पर अधमरा हालत में राजेश को लेकर आता है) इसके साथ मिलकर मेरी गेम बजाने की सोची थी तुमने...
शुभ्रा - (राजेश की हालत देख कर और भी डर जाती है)
यश - फट रही है... हूँ.. डर के मारे फट रही है... हा हा हा... ना.. यह ठीक नहीं है... आज तू आगे से फटेगी और पीछे से भी फटेगी... (यश की आँखों में खुन उतर आता है) और इसकी थ्री डी रिकॉर्डिंग तेरे बाप के पास भेजी जाएगी... उसके बाद तेरा बाप जब तक पार्टी का प्रेसिडेंट रहेगा... तु मेरी रांड बीवी रहेगी...
शुभ्रा - (खुद को संभालने की कोशिश करते हुए) मैं मैं शादी शुदा हूँ... अगर मेरे पति को तुम्हारी इस करतूत का आभास हुआ... तो तुम नहीं जानते... वह तुम्हारा क्या हालत बना देंगे...
यश - अच्छा तो तु... शादी शुदा है... मतलब कुँआरी नहीं है... आय हाय... चल कमीनी... झूठ बोल रही है...
शुभ्रा - (धीरे-धीरे खुद को मजबूत करते हुए) मैं झूठ नहीं बोल रही हूँ... मेरे पति का नाम विक्रम सिंह क्षेत्रपाल है...

यश यह सुन कर कुछ देर हैरान हो कर शुभ्रा को देखता है और फिर हँसने लगता है l उसको यूँ हँसते हुए देख कर शुभ्रा को डर लगने लगता है l इतने में राजेश को होश आता है l वह दर्द के मारे कराहने लगता है l

शुभ्रा - रा... राजेश...
राजेश - आ..ह शुभ्रा तुम...
शुभ्रा - हाँ...
यश - तो होश आ गया कुत्ते को... तुम दोनों चिड़िमार... यश से टकराने चले थे... यश वर्धन चेट्टी से... अपने दोस्त प्रत्युष के अंजाम से सबक सीखने के वजाए... मुझे सबक सिखाने निकले थे...(ताली बजाते हुए) हा हा हा हा
शुभ्रा - जितना हँसना है हँस ले कुत्ते... बस कुछ ही देर और... मेरे विकी यहाँ आयेंगे और तेरी लंका ढ़हायेंगे...
यश - आले... आले... आले... मेरी लंका को ढहाने के लिए राम की जरूरत है.. ना कि रावण की...
शुभ्रा - क्या बकते हो...
यश - मैं बक नहीं रहा हूँ... अरे जब उसको मालुम होगा कि मैंने तुझे उठाया है... तो वह बहुत खुश होगा... जब मैं बोलूंगा मुझे तेरे साथ लेटना है... तो देखना.... वह कैसे मेरे लिए बिस्तर सजा देगा...
शुभ्रा - (गुस्से से) क्या बक रहा है हरामजादे...
यश - बक नहीं रहा हूँ डार्लिंग... फैक्ट बता रहा हूँ... मैं विक्रम के हेल्प के वगैर प्रत्युष को मार ही नहीं सकता था... उसीने ही तो हस्पताल से मुझे बाहर निकाला था...
शुभ्रा - (यकीन ना करते हुए) तुम... तुम झूठ बोल रहे हो...
यश - तुम्हारी मर्जी जानेमन... मानो या ना मानो...
शुभ्रा - वह... वह क्यूँ तुम्हारी मदत करने लगे...
यश - अररे... तुम्हें नहीं पता... ह्म्म्म्म.... लगता है विक्रम ने तुम्हें नहीं बताया... कोई नहीं... आज मैं तुम्हें बताए देता हूँ... क्षेत्रपाल परिवार के मर्दों की एक रस्म है... रंग महल प्रवेश... जिस दिन वह रंग महल में प्रवेश करते हैं... उस दिन एक कुंवारी कन्या की चुत फाड़ रस्म अदा की जाती है... वह रस्म अच्छे से बीत जाए... इसलिए विक्रम मुझसे एफ्रोडीजीआक टैबलेट लेकर... वह कुँआरी चुत फाड़ रस्म को अंजाम दीया था... और उस बहुमूल्य मदत के बदले.... उसने मेरे निरोग हॉस्पिटल के वार्ड में डॉक्टर के लिबास पहन कर मेरे स्पेशल कैबिन में आया था... खुद मेरी जगह पेशेंट बन कर बेड में लेट गया और मुझे डॉक्टर के लिबास में बाहर भेज दिया... बाहर मैं प्रत्युष के घर जा कर... प्रत्युष को खतम करने के बाद... मैं वापस अपने मेडिकल आकर... बेड पर लेट गया और विक्रम डॉक्टर के लिबास में बाहर चला गया... समझी...

यश की यह बात सुन कर शुभ्रा और राजेश दोनों शॉक्ड हो जाते हैं l शुभ्रा को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था l पर जिस यकीन के साथ यश कह रहा था वह असल में शुभ्रा को अंदर से तोड़ रहा था l

यश - हा हा हा हा...
मुझे जब प्रत्युष पर शक हुआ था... तब मैंने उस पर नजर रखने शुरु किया.. तो सिर्फ़ यह... (राजेश को थप्पड़ मार देता है) यह मिला... इसने अगर मेडिकल कॉलेज छोड़ा ना होता... तो मुझे इस पर कभी शक नहीं हुआ होता... जानती हो.... प्रत्युष ने मेरे खिलाफ कुछ सबुत जुटाए थे... मुझे लगा उसने इसे दे दिया था.... इसलिए यह कॉलेज छोड़ दिया था...

यह सुनते ही शुभ्रा की आँखे हैरानी से फैल जाती है, उसे याद आता है मरने के लगभग महीने भर पहले प्रत्युष ने उसे एक लॉकर की चाबी और एक पॉकेट डायरी दिया था, और यह बात शुभ्रा विक्रम से कहा भी था, विक्रम ने मेडिकल खतम होने तक भुल जाने के लिए कहा था और शुभ्रा ने उसे भुला भी दिया था l यश अपनी बात कहाना चालू रखता है

यश - खैर तुम लोग शांत थे... इसलिए मैं भी शांत रहा... पर मैं प्रत्युष को भुला नहीं था... इसलिए... कहीं कोई जिन बोतल से निकल कर मेरी खटिया खड़ा ना कर दे... मैं बराबर इस राजेश पर नजर रखे हुए था... पर तुम लोगों के पिछवाड़े तो चूल मची थी... मुझसे उंगली करने निकल आए... (राजेश से) उस सिक्युरिटी ऑफिसर को मैंने ही प्लॉट किया था.... ताकि मुझे इल्म तो हो... मेरे साये में रह कर कौन मेरी गांड मार रहा है... हा हा हा... क्या फंसे हो तुम लोग...
अब... हाँ अब मेरे समझ में आया... बिरजा किंकर सामंतराय के पास वह वीडियो कहां से आया.... आई कैन गेस्.... तुम दोनों ने चालाकी तो दिखाई... पर यह भूल गए कि बड़े बड़े होटेलों में... छोटे छोटे सीसीटीवी होते हैं... तुम दोनों का गार्डन की ओर जाना... फिर राजेश का वापस आ जाना... पर शुभ्रा... हाँ हा हा हा.. हाँ शुभ्रा माय डार्लिंग... तुम रुक गई थी... मेरी वीडियो निकाल कर अपने बाप के जरिए मेरे बाप की टिकट काट दी... हा हा हा हा... इसलिए मैंने भी प्लान बनाया... आज फंसी है बिरजा किंकर सामंतराय की चिड़िया... मेरे चंगुल में... पर वाव....(शुभ्रा से) तु तो विक्रम की आईटॉम निकली.... जैसे निहारिका मेरी आईटॉम थी... हा हा हा...
मान गया विक्रम को... साला कहता था... अपने नीचे किसे लिटाना है उसका भी एक पैमाना होना चाहिए... वाह आज तो तेरा पैमाना और भी छलकेगी....

तभी उस कमरे में अलार्म बजने लगती हैं l यश की भवें सिकुड़ जाती हैं l तभी इंटरकॉम बजने लगती है l यश इंटरकॉम की स्पीकर ऑन करता है l

यश - हैलो...
- सर..... विक्रम सिंह की गाड़ी हमारी गेट को तोड़ते हुए प्रेमिसेस में घुस गई है... हमारे गार्ड्स उसे रोकने की कोशिश की... तो वह सबको मारते हुए आगे बढ़ रहा है....
यश - आने दो.... आने दो उसे... कोई कुछ नहीं करेगा...
- ठीक है सर...

यश शुभ्रा की ओर एक कुटिल मुस्कान के साथ देखता है l शुभ्रा उसे गुस्से भरे नजर से अपनी होठों पर एक विश्वास भरा मुस्कान के साथ देखती है l

यश - (शुभ्रा से) खुश फ़हमी में मत रहना... विक्रम तुझे यहाँ से ले जाएगा... तु देखेगी वह तुझे मेरे नीचे लिटायेगा...

कह कर यश पास पड़े एक चेयर पर अपना एक पैर को मोड़ कर दुसरे पैर पर रख कर बैठ जाता है l तभी रुम का दरवाज़ा धड़ाम की आवाज़ करते हुए खुल जाता है l विक्रम तेजी से अंदर आता है l

यश - विक्रम... माय बॉय... वेलकम... वेलकम... खुब जमेगा रंग आज... जब मिल बैठेंगे कमीने दो.... एक मैं.. एक तुम...

विक्रम भाग कर यश के पास पहुँचता है और यश को उठा कर सामने फ़र्श की ओर फेंक देता है l

यश - आ.. ह्... व्हाट इज़ दिस... विक्रम... अपने दोस्त के साथ..
विक्रम - तु... मेरा दोस्त... ना था.. ना है... आज तुने अपनी लाइफ लाइन क्रॉस कर ली....
यश - (अपनी कपड़े झाड़ कर उठते हुए) तो यह चिड़िया... सच कह रही थी... यह तेरी आईटॉम है... तो इसे अब मेरे लिए छोड़ दे... आज से यह मेरी आईटॉम...

विक्रम उसके पास आकर एक पंच मारता है l यश कुछ दुर छिटक कर गिरता है l विक्रम शुभ्रा की रस्सियाँ खोल देता है और शुभ्रा की हाथ पकड़ कर ले जाने लगता है, तो शुभ्रा अपनी हाथ छुड़ा कर राजेश की रस्सियाँ खोलने लगती है l इतने में यश अपनी जगह खड़े हो कर चिल्लाता है

यश - बस... बहुत हुआ... विक्रम... तु जिसे बचा रहा है... वह कल की हमारी मौत की फरमान है... यह दोनों प्रत्युष के दोस्त हैं... अगर मैं जैल जाता हूँ.... तो तु भी जाएगा... मेरी मदत करने के जुर्म में...

शुभ्रा राजेश की रस्सियाँ खोल चुकी थी l पर यश की बात सुन कर वह विक्रम की तरफ देखती है l

विक्रम - न.. नहीं.. जान.. यह झूठ बोल रहा है...
यश - (ताली बजाते हुए) हा हा हा हा... जान... हा हा हा हा... विक्रम... हमारे यहाँ एक कहावत है... राजा के घर से ना दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी.... मुझे बाहर निकालने के लिए जिस दिन तु डॉक्टर के लिबास में आया था... उस स्पेशल वार्ड में मेरा पर्सनल रिकॉर्डर भी था... कहो तो खिदमत में पेश करूँ... (शुभ्रा देखती है विक्रम का सिर झुक जाता है) और शुभ्रा जान...

विक्रम यश के पास आकर फिर एक पंच मारता है l यश नीचे गिर जाता है l इस बार यश अपनी जेब से कुछ गोली निकाल कर खाता है l फिर खड़े हो कर

यश - भोषड़ी के... मैं प्यार से बात कर रहा हूँ... तो तु गलत फहमी पाल रखा है क्या... मैं तुझे कुछ नहीं करूँगा... साले हरामी कुत्ते... मेरा किया हुआ एहसान भुल गया... मेरी दी हुई दवाई खाने के बाद.... तुने अपनी खानदानी चुत फाड़ रस्म को पुरा किया था.... भुल गया या भुला दिया... बेवफ़ा... (शुभ्रा एक शॉक के साथ विक्रम को देखती है, विक्रम हिम्मत नहीं कर पाता शुभ्रा को देखने की) कोई नहीं... जानती हो शुभ्रा डार्लिंग... मैं यह बात रिपीट ब्रॉडकास्ट क्यूँ कर रहा हूँ... ताकि तुम विक्रम की बोगस एक्सप्रेशन का लाइव टेलीकास्ट देख सको... (विक्रम से) मुझे मालुम तो था... एक दिन तेरी मेरी बिगड़ेगी.. पर इतनी जल्दी... खैर.. चूँकि मुझे तुम हरामी राजवंशीयों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था... इसलिए यहाँ पर तुम्हारे कंपनी की सिक्युरिटी सर्विस नहीं लिया था... अब देख कमीने तेरी कैसे बैंड बजती है... (चिल्ला कर) गार्ड्स...

कमरे में सिक्युरिटी गार्ड्स आ जाते हैं और विक्रम, शुभ्रा और राजेश के चारो ओर घेरा बनाने लगते हैं l

यश - गार्ड्स... (राजेश और शुभ्रा को दिखा कर) इस चूहे और इस चुहिया को कुछ मत करो... क्यूंकि यह दोनों चेट्टीस पिंजरे में हैं... यह जो शेर बन कर घुसा है ना... इसकी खाल उधेड़ कर मुझे देना... मैं उस(दीवार की ओर हाथ से इशारा कर) दीवार पर इसकी खाल टांगना चाहता हूँ...

फिर एक आठ गार्ड्स विक्रम पर टुट पड़ते हैं l विक्रम पहले वाले गार्ड के नाक पर दाहिने हाथ का पंच मारता है फिर फिर हाथ मोड़ कर कोहनी से दुसरे के कनपटी पर, फिर दाएँ घुटने पर बैठ कर तीसरे के नाभि पर पुरी ताकत भरा घुसा जड़ देता है l चौथे के दाएँ हाथ की कलाई पकड़ लेता है और उसके बाएँ कलर पकड़ कर अपनी दाहिने कोहनी को उसके दाहिने काख के नीचे सटा कर उठा कर फेंक देता है l पाँचवे को एक साइड ब्लेड किक फिर एक फ्रंट थ्रोस्ट किक, छटे को फ्रंट स्पिन किक और सातवें को कंधे को पकड़ कर उसके पेट पर बिजली की तेजी से पंच पे पंच मारता जाता है जब आठवां पीछे से विक्रम को पकड़ता तो विक्रम नीचे झुक कर आठवें की टांग खिंच देता है तो वह पीठ के बल गिर जाता है l जैसे ही वह गिरता है विक्रम मुड़ता है और कुद कर घुटने को मोड़ कर उसके सीने पर गिरता है l आठों के आठों चारो खाने चित l तभी एक बैंक फायर होता है, शुभ्रा चिल्लाती है

शुभ्रा - विकी...(पर गोली विक्रम को लगी नहीं है l
यश - (गन की बैरल से निकलती धुआँ पर फूँक मारते हुए) यह क्या कर दिया विक्रम... कैन यु बिलीव... (नीचे गिरे पड़े गार्ड्स के तरफ इशारा करते हुए) इन हराम खोरों को मैंने हायर किया था... स्पेशियली तेरे लिए... पर यह भोषड़ी वाले... मेरे लाखों डकार गए... अब यूँ नीचे फर्श चाट रहे हैं... खैर.. (गन को दिखाते हुए) अब बस इसका सहारा है... पर एक बात बता... तुने इस लड़की को ढूँढा कैसे.... जब की मैंने जब इसे किडनैप किया था... गाड़ी में गैजेट जैमर लगा रखा था... ट्रैक करना मुश्किल था... और एज यूजवल इस चेट्टीस राइट्स में भी गैजेट जैमर लगा हुआ है....
विक्रम - (जवाब में कुटिल मुस्कान के साथ) मैंने मेरे आदमी शुभ्रा जी के पीछे लगा रखा था... तेरे आदमी जैसे ही इनकी गाड़ी के टायर के साथ छेड़छाड़ की... मैं अपनी ऑफिस से निकल पड़ा... और मेरे आदमी पहले से ही इस विला के पास पहुँच कर मुझे लोकेशन की जानकारी देते रहे...
यश - ओ.. तो तुझे पहले से ही अंदेशा था... ह्म्म्म्म... और मैं खुद को श्याणा समझ रहा था...
विक्रम - थोड़ी देर बाद हमारे सिक्युरिटी के लोग यहाँ पहुँच जायेंगे... तु तो गया... हराम जादे...
यश - अच्छा... पर तब तक तो तुझे जिंदा रहना होगा... है कि नहीं..
विक्रम - हमारे सोने पर रिवॉल्वर तान सके... तु इतना बड़ा जिगर रखता है...
यश - ऊँ हूँ... मालुम तो नहीं... चलो मिलकर देखते हैं..

कह कर विक्रम पर रिवॉल्वर तान देता है l विक्रम यश की ओर भागता है l यश फायर करता है एक दो तीन शॉट

शुभ्रा - वि... की न... हीं...

चौथा शॉट फायर होने से पहले एक फ्लाइंग किक यश के मुहँ पर लगता है l यश छिटक कर बहुत दुर जा कर एक टी पोय पर गिरता है और उठ नहीं पाता है l जो पहले से नीचे गिरे पड़े थे वह लोग उठ कर दीवार से सट कर खड़े हो जाते हैं l विक्रम शुभ्रा के हाथ पकड़ कर उस कमरे के बाहर ले जाता है उनके पीछे पीछे राजेश भी जाता है l वह लोग कॉरिडोर से हो कर लिफ्ट के पास आते हैं l वह एक ग्लास फिटेड पारदर्शी लिफ्ट बिल्डिंग के बाहर के तरफ था, जिससे बाहर का नज़ारा साफ दिखता था l विक्रम लिफ्ट खोल कर पहले शुभ्रा को अंदर जाने को कहता है l शुभ्रा अंदर जाती है, उसके बाद राजेश अंदर जाता है l तभी राजेश चिल्लाता है

राजेश - विक्रम जी... यश..

विक्रम पीछे मुड़ता है तो देखता है उसके ठीक पीछे यश का चेहरा खुन से सना हुआ बहुत ही खतरनाक दिख रहा था l यश कुछ हरकत करता उससे पहले विक्रम उसके रिवॉल्वर वाली हाथ को पकड़ लेता है l दोनों की झड़प होने लगती है, विक्रम राजेश को कहता है कि वह नीचे जाए l राजेश भी लिफ्ट का दरवाज़ा बंद कर नीचे जाने के लिए स्विच दबा देता है l लिफ्ट धीरे-धीरे नीचे जाने लगता है और नीचे की मंजिल से गुज़रते वक़्त, अंदर शुभ्रा लिफ्ट की स्टॉप बटन दबा देती है l इतने में यश के रिवॉल्वर से गोली चलती है जो कि लिफ्ट के गार्ड ग्लास को चीरते हुए लिफ्ट की टेंशन केबल पर लगती है l जिससे लिफ्ट की बैलेंस बिगड़ जाती है l शुभ्रा चिल्लाती है "विकी" l विक्रम का ध्यान लिफ्ट की ओर जाता है क्यूंकि एक तरफ का टेंशन केबल टुट जाता है l विक्रम यश को धक्का मारता है और लिफ्ट के बगल में लगे फायर अलार्म के पास हैमर को ग्लास तोड़ कर निकालता है और हैमर के नेल पुलर से लिफ्ट की बाहर के तरफ का दरवाजा को खोलता है l इतने में यश और एक फायर करता है जो विक्रम के बाएं कंधे पर लगता है l विक्रम पीछे मुड़ कर हैमर को फेंकता है l हैमर यश को लगता है और वह बेहोश हो कर गिर जाता है l विक्रम अपनी घायल कंधे के साथ लिफ्ट के किनारे लेट जाता है

विक्रम - रा राजेश... लिफ्ट के छत पर सेफ्टी एक्जिट है... उसे हटाओ...

राजेश लिफ्ट के छत पर एक्जिट को हटाता है l

विक्रम - शुभ्रा... आ.. ह्... आप आइए... हमारे हाथ को थाम लीजिए...

राजेश शुभ्रा को लिफ्ट के एक्जिट से निकल कर लिफ्ट के छत पर पहुँचने में मदत करता है l शुभ्रा विक्रम के हाथ को कस के पकड़ लेती है l कंधे में दर्द होने के बावजूद विक्रम शुभ्रा को खिंच लेता है l अब राजेश जम्प लगा कर एक्जिट की साइड एड्ज को पकड़ कर लिफ्ट के छत पर खड़ा होता है l विक्रम अपना हाथ देता है l राजेश फिर से जम्प लगा कर विक्रम का हाथ पकड़ लेता है l जिससे विक्रम को झटका लगता है, वह एक हाथ से राजेश को संभाल नहीं पाता विक्रम अपना दुसरा हाथ बढ़ाता है तब उसके कंधे से खुन की धार निकल कर विक्रम के हाथों को गिला करते हुए राजेश के आँखों में गिरता है l विक्रम राजेश को खिंचने की जोर लगाते लगाते बेहोश हो जाता है l बेहोश होते होते उसके कान में शुभ्रा की चिल्लाने की आवाज़ आती है l

"नहीं ... राजेश"
Awesome Update 🔥🔥🔥
 
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Kala Nag

Mr. X
Prime
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Aapki kahani ke pure update bas abhhi khatm kiye hai aur aisa lag raha hai ki aage aur kyun nhi hai padhne ko aur ab Hume bas intjar hi krna hai ki aap time to time update dete rhe dil me dimaag me yeh kahani itne andar tak utar chuki hai ki bas man krta hai padhte hi rhe padhte hi rhe jab tak ki kahani khtm na ho jaye.
Nobeless भाई बहुत बहुत धन्यबाद
आपने एक ही लय में अब तक कहानी को पढ़ा इसके लिए धन्यबाद और आभार रहूँगा
बस जुड़े रहे और समय समय पर अपनी टिप्पणी समीक्षा के रुप में देते रहें
Aapki lekhni bahut gajab ki hai sir bahut dino baad itne shuddh hindi ke word pdhne mile hai xforum me aur jitni achchi hi aapki shabd chayan h usse hi badhkar aapki kahani jitni tarif karu bas kam hi hogi aapki story padhkar Dard bhi utna hi hota hai jitni khusi, gussa aakrosh glani aur bhi bht se shabd hai jo kuch bhi nahi hai vaidahi aur vishva (especially vaidahi) ke flashback padhkar humare chahre par aaye itne jatil aur well written character and their development in the story kisi bhi top tier web series aur movie ko takkar de sakti hai (kash is story pr web series ban pati). Main lead, villains side characters sab ko hi aapne itne man laga kar likha hai ki hum jitna hi pyar apne hero se krte hai utna hi attachment vikram, shubhra aur veer, anu se bhi feel karte hai samay samay par
धन्यबाद मैं अपने बारे में एक छोटी सी जानकारी देता हूँ असल में मैं एक नाट्य कार हूँ
अपनी डिपार्टमेंट नाटक लिखता रहता हूँ जो हमारे वार्षिक अधिवेशन में प्रस्तुत किया जात है l अपनी ही एक नाटक का यह एक लार्जर प्रेजेंटेशन है l सच कहूँ तो कहानी इतनी लंबी हो जाएगी मुझे पता ही नहीं था l आपने इस पर वेब सीरीज की बात कही l भाई यह बहुत ही बड़ी बात है l धन्यबाद मित्र इस फोरम में और भी कहानियां हैं जिन पर वेब सीरीज बननी चाहिए
new new reader ho toh ek sawaal hai kya "विश्वरूप" me vishva विश्व प्रताप aur rup रूप नंदिनी ke liye hai ya Sirf vishva se hi sambandhit hai aur aapse ek narajgi hai ki aapne baki side character ko itna time diya hai ki kahani ke mukhya patra hi kahani ke side character lgate hai (bas chhoti si hi narajgi samejhiye ise hahaha)
भाई अभी विश्व की और एक फ्लैशबैक वैदेही की जुबानी बाकी है l और विश्व जब जैल से छूट जाएगा तब कहानी में विश्व ही छा जाएगा
par yah jaruri bhi hai jis tarike se aap kahani like rhe uske liye aur aage vishva ko bhi unka time milega shine hone ka yah bhi hum jante hai bas aap kis tarike se un updates ko sawarenge bas isi ki jaldi hai aur bas itna kahna chahunga ki aap maayush mat hoiye itne kam comments se kyunki jo Aap likh rhe hai woh ek thriller hai aur jo log is forum par aate hai woh मुख्यतया aise story me ruchi lete h jisme bharpur sex ho romance ho and I'm also one of them toh himmat mat hariye kyunki aapki yeh story kisi bhi erotica se bharpur story se kahin jyada mulyavaan h aur reader kisi na kisi din is story tk pahuch hi jayege jaise main pahuch gya.

Bas abhi ke liye itna kahna chahunga. Dhanyawaad aapki is अद्भुत रचना ke liye
अंत में बहुत बहुत धन्यबाद
बस आप जुड़े रहें
 

Nobeless

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हाँ इस फोरम के पाठकों के पसंद को आंकना और भांपना बहुत ही मुश्किल है l
आप शायद हिंग्लिश में लिखते तो बहुतों के नजर में आपकी लेखन आ सकती थीं
क्यूंकि प्रारम्भ में मुझे भी बहुतों ने हिंग्लिश में लिखने के लिए अनुरोध मिला था चूंकि मैंने देवनागिरी लिपि में शुरु कर चुका था इसलिए मैं इसे देवनागिरी ही खतम करना चाहता था
Bhai हिन्दी में ही लिखे अब इसे बहुत से ऐसे शब्दों का प्रयोग आपने किए है जो हिन्दी फ़ॉन्ट मे ही ठीक लगते है व समझने योग्य है और उतनी ही सुन्दर बनाते है इस कहानी को पढ़ने मे, जानता हूं कि यह बहुत ही ज्यादा समय लेता है हिंग्लिश के मुकाबले पर इतना ही अलग भी दिखता है बाकियों के बीच मे so keep going 👍👍😘😘
 
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