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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Kala Nag

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Bahut hi umda update hai mitra, shabdo ka chayan vakai me lajawab hai,

Waiting for next update
धन्यबाद मित्र अपडेट पर काम चल रहा है l कोर्ट रूम ड्रामा है, इसलिए मेहनत करनी पड़ रही है l कल जरूर अपडेट आयेगा, शायद देर शाम को
 

sunoanuj

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Bahut hee behtarin update shabdo ka chayan or or fir court mein raja sahab ke plan ki bahkiya hee udhed di Jayant ji ne . aapne jaynt ji ke sabdjaal se raja ji ke Inder jaal ko lag bhag kaat hee diya hai..

Super update ab aapse ugle update me umeenden badh gayi hai mitr …
 
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Kala Nag

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Bahut hee behtarin update shabdo ka chayan or or fir court mein raja sahab ke plan ki bahkiya hee udhed di Jayant ji ne . aapne jaynt ji ke sabdjaal se raja ji ke Inder jaal ko lag bhag kaat hee diya hai..

Super update ab aapse ugle update me umeenden badh gayi hai mitr …
आपके उत्तर मेरे लिए महत्वपूर्ण है
कहानी का प्रत्येक भाग को आप पढ़ रहे हैं और गहराई तक विश्लेषण भी करते हैं...
धन्यबाद एवं आभार अगला अपडेट कल ही आएगा वह भी देर शाम को
 

Kala Nag

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👉अट्ठाइसवां अपडेट
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सातपड़ा चेट्टीस् गेस्टहाउस
ओंकार चेट्टि - छोटे राजा जी... आप धैर्य रखें... सब ठीक हो जाएगा... मैं तो कहता हूँ... आप यहाँ चीलीका में.. बोटिंग और फीसींग का मजा लीजिए.... और आपके बंदों कों.... उनका काम करने दीजिए...
पिनाक - मुझे इन दोनों पर पूरा भरोसा है.... सच कहूँ तो राजा साहब कभी भी कोई टेंशन नहीं लेते.... क्यूंकि सारे टेंशन हमे ही उठाने पड़ते हैं... विश्वास न होगा आपको ओंकार जी... यही टेंशन ढो ढो कर शरीर अब हाइपर टेंशन का शिकार है....
ओंकार - अरे आप ऐसे ना कहिए... छोटे राजा जी.. एक मामूली सा केस ही तो है.... आज नहीं तो कल ही सही... हमारी एसआइटी ने जब विश्व को दोषी ठहराया है... तो अदालत भी उसे सजा देगी जरूर... अरे भाई सरकार अपनी है... और राजा साहब भी तो हमारे अपने हैं....
पिनाक - हाँ... किस्सा घोटाले में... हिस्सा सबका अपना अपना... पर टेंशन सिर्फ़ मेरा...
बल्लभ - ऐसे ना कहिए... छोटे राजा जी... हमे भी कहाँ दिन का चैन और रात का सुकून है.... सब कुछ छोड़ छाड़ कर... राजा साहब जी के लिए... दिन रात एक कर रहे हैं...
ओंकार - देखिए... यह बहुत गलत बात है... आप राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के गेस्ट हाउस में... स्वास्थ मंत्री के सामने बैठे हुए हैं.... और यह रोग और वैराग की बात ना करें... अछा नहीं लगता.....
रोणा - मैं तो पहले से ही कहता था... ठोक देते हैं.. पर किसीने मेरी सुनी ही नहीं.... विश्व को ठोक दिए होते... तो यह झंझट जी नहीं रहता....
पिनाक - अबे... गोबर दिमाग.... तुझे पुलिस में भर्ती कौन किया बे... एक तो इतने बड़े रकम की हड़प... ऊपर से हत्याएं... केस अगर केंद्र सरकार के हाथ चली गई होती.... तो लेने के देने पड़ जाते....
बल्लभ - छोटे राजा जी ठीक कह रहे हैं.... केस जब तक अपनी सरकार और सिस्टम के पास है.... तब तक आस है...
पिनाक - क्या मतलब है बे तेरा.... आस है.... अबे तेरा दिमाग ठीक से चला..... नहीं तो कुछ देर बाद कहेगा... गले में फांस है...

बल्लभ - छोटे राजा जी... मैं वकील हूँ... हर तरह के... सिचुएशन के लिए खुदको तैयार रखता हूँ.... ताकि वक्त पर सिचुएशन को सही तरीके से टैकल किया जा सके....
ओंकार - देखिए... छोटे राजा जी.... आपका यह बल्लभ.... मुझे तो बंदा सही लग रहा है.... हमने अपने अपने लेवल पर.... जितना हो सके.... कोशिश कर तो रहे हैं... अब देखिए... सीएम साहब से राजा साहब की.... कैजुअली बात हुई थी.... हमने होम मिनिस्टर को लपेटे में.... लेकर अपना एसआइटी बना दिया... अब सीएम साहब को थोड़े ना मालूम है... क्या हुआ है... और कैसे हुआ है...
पिनाक - पर होम मिनिस्टर को तो मालुम था ना.... उसे कोई और वकील नहीं मिला सिफारिश के लिए....
ओंकार - छोटे राजा जी.... सिफारिश होम मिनिस्टर ने नहीं... कानून मंत्री ने किया था.... अब उसे थोड़े ही मालूम था... वह साला बुड्ढा राजी हो जाएगा.... पर कोई नहीं... एसआइटी की टीम और बाकी प्यादे तो अपने हैं ना.... और पूरे देश को मालुम भी तो होना चाहिए.... के न्याय सबके लिए बराबर है....
मतलब... न्याय के तराजू में.... कभी एक पलड़ा भारी तो कभी दुसरा पलड़ा भारी... हो तो खबर में... विश्वसनीयता बनी रहती है.....
पिनाक - ठीक है.... पर... अभी तक... वह आया नहीं.....
ओंकार - आ जाएगा... आ जाएगा... आख़िर.... सबसे छुपकर... उसे आना है...
थोड़ी देर बाद एक नौकर आकर कहता है कोई आया है l
ओंकार - लीजिए... छोटे राजा जी... आपने शैतान को याद किया.... और वह हाजिर हो गया.... जाओ बुला कर अंदर लाओ उसे....
नौकर चला जाता है और थोड़ी देर बाद एक आदमी अंदर आता है l कोई सरकारी महकमा का मुलाजिम लग रहा था l
ओंकार - आओ... आओ... बर्खुर्दार आओ... आते वक्त किसीने देखा तो नहीं...

आदमी - जी नहीं... हाँ अगर कटक या भुवनेश्वर होता तो... शायद किसीके नजर में आ सकता था.... पर यहाँ सातपड़ा में.... कोई भी मुझे ट्राक नहीं कर सकता.... वैसे भी... आई एम प्रोफेशनल....
ओंकार - ठीक है... डींगे मत मार.... अब काम की बातें कर लें....

आदमी - जी... जरूर...
बल्लभ - परसों... पहली पेशी आपकी होगी मिस्टर परीडा जी....
परीडा - क्यूँ... ऐसा क्यूँ...
बल्लभ - क्यूँकी आपको... टेक्निकली समन सबसे पहले प्राप्त हुई.... इसलिए....
परीडा - ठीक है... फिर आगे क्या करना होगा...
बल्लभ - आपको... अपनी बयान पर टिके रहना होगा.... मेरा मतलब है... आप बयान कुछ ऐसे देंगे.... के हमारी केस की नींव मजबूत होगी.... जिसपर हम अपनी झूठ की इमारत खड़ी कर सकें...
परीडा - ह्म्म्म्म... पर मुझसे शुरू करने का मतलब....
बल्लभ - आप... एसआइटी के चीफ ऑफिसर हैं... इसलिए हमने जो प्लॉट बनाए हैं.... उस पर झूठ की नींव को आपकी बयान मजबूत करेगी....
परीडा - ठीक है.... और मुझे कहना क्या होगा....
पिनाक - अभी तो तुमने कहा.... यु आर अ प्रोफेशनल....
परीडा - ठीक है... आई विल मैनेज...
ओंकार - देखो बर्खुर्दार... शरूआत तुमसे ही रही है... अब केस की दारोमदार तुम पर है...
परीडा - ठीक है... अगर काम परफेक्ट हुआ... तो क्या इंसेंटिव मिलेगा....
पिनाक - मिलेगा... और अगर... गलती हो गई.... तुम्हें... रंग महल याद है ना....
परीडा - (अपनी थूक निगलते हुए) जी... छोटे राजा जी... य.... याद है...
पिनाक - काम अच्छा हो तो कीमत अच्छी होती है... और काम गलत हो जाए तो अंजाम भी अनुरूप होती है...
परीडा - जी तो फिर काम अच्छा ही होगा....

पिनाक - तो फिर इंसेंटिव भी मिलेगा....
तभी कोई चिल्लाता है
- हजूर, मालिक, माई बाप... कुछ छींटे हम पर भी मार दीजिएगा....

यह आवाज़ सबका ध्यान अपनी ओर खिंचता है l सब आवाज़ की तरफ देखते हैं l एक धोती और कुर्ता पहने, चमेली के तेल में भिगा हुआ सर के साथ एक अधेड़ उम्र का आदमी खड़ा है l अपनी मुँह में पान चबाते हुए और कंधे में पड़े गमछे से मुहँ को साफ करते हुए अपनी काले दांत दिखा कर हंसते हुए
- हजूर... हम भी आपके नाव में... हैं... आप तो पुर्ण गंगा हैं.... आप जिसे चाहें... उससे डुबकी लगवा दें... हम पर इतना कृपा रखें... थोडे थोड़े छींटे मारते रहें...
पिनाक - आ गया कुत्ता...
आदमी - ही.. ही.. ही.. जी मालिक... आपका वफादार कुत्ता... काटना हमारा स्वभाव नहीं है... बस अभाव ही अभाव है... जब राजा साहब थुकते हैं... हम जाकर चाटते हैं... ही.. ही.. ही.
ओंकार - अब यह जोकर कौन है....
परीडा - यह है... दिलीप कर... हमारा पहला सरकारी गवाह...
कर - जी... मैं.. कर... छोटे राजा जी के सेवा में उपस्थित हूँ...
बल्लभ - इसे मैंने ही बुलाया है.... इस वक्त यहां पर... तीन प्रमुख गवाह मौजूद हैं... परीडा, कर और रोणा... चौथा अभी तक नहीं पहुंचा....
ओंकार - छोटे राजा जी... आपका यह कर... बहुत ही बेशरम, बेग़ैरत इंसान है... क्यूँ भई... तुझे हमारे नौकर या गार्ड्स ने रोका नहीं...
कर - जी रोका ना... रोका... पर मैंने उनके हाथ पकड़ लिए.... पैर पकड़ लिया... रोया... गिड़गिड़ाया.... तब जाकर मेरे दुख को वह समझ कर मुझे छोड़ दिए... ही.. ही ही
पिनाक - तभी तो इसको कुत्ता बोला.... अभी आप कुछ ही देर में समझ जाओगे... आओ सभी बैठते हैं... और आगे की सोचते हैं....
पिनाक और ओंकार एक बड़े से डबल सीटेड सोफ़े पर बैठ जाते हैं l बल्लभ और परीडा भी एक एक सिंगल सीट सोफ़े पर बैठ जाते हैं l पर रोणा एक टेबल पर बैठ जाता है और दिलीप कर नीचे फर्श पर ग़मछा बिछा कर बैठ जाता है l ओंकार उसे ऐसे नीचे बैठा देख कर हंसता है
ओंकार - वास्तव में छोटे राजा जी.... क्या नमूना है... यह..
पिनाक - पर प्रधान... तुमने सुबुद्धी को नहीं बुलाया था क्या...
बल्लभ - बुलाया था.... और उसे कर के साथ आने के लिए कहा भी था....
पिनाक - फिर वह आया क्यूँ नहीं....
कर - मालिक... मैं थोड़ा... कउं...
पिनाक - हाँ भोंक...
कर - मालिक... जबसे उसने अदालत से अपने नाम का समन के बारे में सुना.... तब से उसे डायरिया हो गया... वह अपने परिवार समेत कहीं गायब हो गया है.....
बल्लभ - इसका मतलब.. अब अदालत में जिरह सिर्फ़ तीन लोगों की होगी....
रोणा - क्यूँ..... राजा साहब जी को भी तो समन गया होगा....
बल्लभ - हाँ... मैंने नये एडीएम पत्री को कह कर... राजगड़ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए... वह अदालत को अपनी गवाही देंगे... ऐसा इंतजाम कर दिया है....
रोणा - क्या... अदालत इसके लिए तैयार होगी....
बल्लभ - हाँ.. तैयार होगी.... पत्री ने सारा इंतजाम कर दिया है....
पिनाक - बहुत अच्छा किया.... प्रधान.... वरना राजा साहब... गवाही के लिए... कटक आते.... तो अच्छा नहीं होता....
ओंकार - तो अब....
बल्लभ - अब मेरे पास केस की पूरी डिटेल्स है.... अब मैं इस केस की डिटेल्स पढ़ूंगा.... और आप सबको आपको भूमिका समझाउंगा.... ध्यान रहे.. जयंत... ट्रिक करेगा.... पर आप में से कोई... उसमें फंसेगा नहीं.... टस से मस नहीं होगा.... इज़ ईट क्लीयर...
परीडा और रोणा - येस..
कर - जी.. जी... बिल्कुल जी... मेरा भी पूरा येस जी....

फिर बल्लभ केस डिटेल्स पढ़ कर सबको उनकी भूमिका समझाता है l सब अपनी अपनी भूमिका समझ कर सब बल्लभ को हाँ कहते हैं l ओंकार उनकी बातों को ध्यान लगा कर सुन रहा है पर पिनाक किसी खयाल में खोया हुआ है l तभी ओंकार ताली मारते हुए
-आओ... आओ मेरे जिगर के टुकड़े आओ... सो जेंटलमैन... दिस इस माय सन.... आ हा हा... मेरा बेटा...
सबकी नजरें उस तरफ घुम जाती है l एक नौजवान पूरा का पूरा सफेद लिबास में उस कमरे में प्रवेश करता है l सिर्फ उसके गले का स्कार्फ और गॉगल लाल रंग का है l अपने चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ा होता है l
ओंकार - लुक एट हिम... आ हा हा... माय सन... यश... यशवर्द्धन ईश्वर चंद्र चेट्टी... हमे राजनीती की मैदान में जिस तरह ओआईसी कहा जाता है.... इसे उसी तरह पूरे बिजनैस की दुनियां में वाइआइसी कहा जाता है.... आ हा हा....
सब उसे देख रहे हैं और वह भी सबको देख कर हाइ कहता है, जवाब में सब उसे हाइ कहते हैं l

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प्रत्युष अपने कमरे में मजे से सोया हुआ है l आज रविवार है इसलिए रात भर पढ़ते पढ़ते देर को सोया था l प्रतिभा प्रत्युष के कमरे में आती है l आते ही उल्टे झाड़ू से प्रत्युष के पिछवाड़े पर मारती है l
प्रत्युष - उइ माँ... आ... मर गया रे... आ.. ह...
प्रतिभा फौरन झाड़ू को पलंक के पास छुपा देती है
प्रतिभा - ओ हो.. क्या हुआ मेरे लाल को... क्यूँ चिल्ला रहा है... मेरा बच्चा....
प्रत्युष - (अपनी आँखों को मलते हुए) आह माँ... क्या बताऊँ... तेरे लाल को ना.... सपने में कोई मार रहा था....

प्रतिभा - ओ हो... चु.. चु... चु.... मेरे लाल को सपने में कोई मार रहा था..... कोई नहीं... अब सच में तुझे मार पड़ेगी... हाँ.... (कह कर प्रतिभा नीचे छुपाई हुई झाड़ू निकालती है)
प्रत्युष - (हैरानी से) क्या कहा आपने माँ...
प्रत्युष - तुझे सपनें में नहीं.... तुझे सच में जगाते हुए... मारना चाहिए...
प्रत्युष - ऐ... माँ... रुक रुक.... यह कौनसा अवतार है तेरी...
प्रतिभा - नालायक सुबह के दस बज रहे हैं... अभी भी घोड़े बेच कर सोया हुआ है.... चल उठ..
प्रत्युष - घोड़े बेचकर नहीं माँ... किताबें पढ़ कर....
प्रतिभा - अब तु उठेगा या पीटेगा...
प्रत्युष - वह लाल ही क्या माँ... जो माँ के हाथों से पीटते पीटते लाल ना हो जाए.....(कह कर फिरसे सो जाता है)
प्रतिभा - तो ठीक है... आज तो तु सच में लाल हो जाएगा... (कह कर प्रतिभा फिर झाड़ू से मारती है)
प्रत्युष अब झटपट से अपनी बिस्तर से उठ कर भाग जाता है l उधर ड्रॉइंग रूम में तापस अपनी वकींग शु उतार रहा है l उसे देख कर
प्रत्युष - डैड... सुबह के दस बजे... आप वकींग से लौट रहे हैं.... कितनी शर्म की बात है... माँ... मेरी माँ... मेरी प्यारी माँ... आज आपके वजह से... आपका गुस्सा मुझ पर उतार दिया है....
तापस - सुनो मिस्टर घन चक्कर.... अभी सिर्फ सुबह के आठ बजे हैं....
प्रत्युष - क्या.... पिताजी.... (रोते हुए) आ.. हा हा आ.. मुझे गले से लगा लीजिए पिताजी... आज जिंदगी में पहली बार माँ ने मुझे झाड़ू से मारा है....
तापस - अरे वाह... आज इस ऑकेजन को सेलिब्रिट करना चाहिए...
प्रत्युष - क्यूँ... माँ ने मुझे झाड़ू से मारा इसलिए...
तापस - नहीं मेरे पीले... तुने आज डैड को पिताजी कहा इसलिए...
प्रत्युष - हाँ... तब तो.. सेलिब्रेशन बनता है...
प्रतिभा - और सेलिब्रेशन के लिए.... हम आज बाहर जा रहे हैं....
प्रत्युष - कहाँ....
प्रतिभा - जहां तेरे पिताजी ले जाए....
प्रत्युष - तब तो आप एक काम करो माँ... आप लोग तैयार हो जाओ.... मैं अभी गया तैयार हो कर यूँ अभी आया....
तापस - अरे नामाकूल कितना टाइम लगेगा तुझे....
प्रत्युष - अरे फ़िकर नॉट... आप बस पांच मिनिट ठहरो... मैं एक घंटे बाद आया... (कह कर वापस अपने कमरे में घुस जाता है)
प्रतिभा - है.. भगवान... कितनी मुश्किल से उठाया... यह फिर अंदर घुस गया....(कह कर प्रत्युष के कमरे की ओर जा रही होती है कि तापस उसके हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाता है,
तापस - क्या बात है जान...
प्रतिभा - क्या हुआ.. कुछ भी तो नहीं...
तापस - देखो... हम दोनों... एक दुसरे को अच्छी तरह से जानते हैं और समझते हैं..... तुम्हारे भीतर कुछ चल रहा है...जिसे तुम छुपाने की कोशिश कर रही हो...
प्रतिभा - सेनापति जी.... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) एक्चुआली... मैंने जब पहली बार.... कोर्ट में केस लड़ा था... तब मुझे जैसा लग रहा था... आज इस केस में मुझे बिल्कुल वैसा ही लग रहा है... मैं सच में.. नर्वस फिल् कर रही हूँ... क्यूँ की असली एसीड टेस्ट कल से शुरू होगी....
तापस - जान... मैंने तब भी कहा था... आज भी कह रहा हूँ.... यह केस भी तुम्हारी हर पिछली केस की तरह है... जिन्हें आज तक तुमने लड़ा है.... इसे अपने दिल व दिमाग पर हावी मत होने दो.... ना तुम्हारा उस विश्व से कोई संबंध है... और ना ही उसे सजा दिलाने पर तुम्हें कोई पछता वा होना चाहिए..... बी प्रोफेशनल... जान
प्रतिभा - आप ठीक कह रहे हैं... सेनापति जी... मन नहीं लग रहा था.... इसलिए प्रत्युष छेड़ रही थी....
इतने में प्रत्युष बिल्कुल तैयार हो कर बाहर निकलता है
प्रत्युष - यह देखो माँ,... मैं तैयार हो गया.... टैन टैना....
प्रतिभा - तु.... तैयार हो गया....
प्रत्युष - यो...
प्रतिभा - नहाया, धोया है भी या नहीं....
प्रत्युष- उसकी क्या जरूरत है.... मैं सिर्फ कपड़े बदलकर आ गया...
प्रतिभा - क्या.... तूने नहाया नहीं है.... ब्रश भी किया है.. या वह भी नहीं....
प्रत्युष - ओह.... माय डियर माँ... तुमने कभी हाती को देखा है.... ब्रश करते हुए....
तापस - अब यह उल्टा झाड़ू खाएगा... मैं निकल लेता हूँ....
प्रतिभा झाड़ू को उल्टा करती है और प्रत्युष को गुस्से से देखती है l
प्रत्युष - वह देख माँ... डैड मुझे छोड़ कर भाग रहे हैं....
प्रतिभा पीछे मुड़ कर देखती है l तापस वहीं खड़ा मिलता है l जब प्रत्युष के तरफ मुड़ती है, प्रत्युष को गायब पाती है l प्रतिभा की हालत देख कर तापस अपनी हंसी रोक नहीं पाता है l प्रतिभा उसे गुस्से से देखती है और वह भी तापस के साथ हंसने लगती है l

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विश्व प्रताप महापात्र और मनरेगा घोटाले की सुनवाई में..... दोनों पक्षों के तरफ से.... अपनी अपनी दलीलें अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर चुके हैं.... जहां एक तरफ अभियोजन पक्ष ने इस घोटाले में जहां विश्व प्रताप को मुख्य अपराधी के तौर पर प्रस्तुत किया... वहीँ अभियुक्त पक्ष ने इसे एक षडयंत्र कहा.... आज से गवाहों की जिरह आरंभ होने जा रही है... सूत्र बताते हैं कि आज एसआइटी के मुख्य श्री कृष्ण चंद्र परीडा जी से..... दोनों पक्ष अपनी अपनी तरीके से जिरह करेंगे... अभी अभी मुल्जिम को लाया जा चुका है.... और थोड़ी ही देर बाद अदालत की कारवाई शुरू हो जाएगी... आगे की खबर जानने के लिए आप लोग हमारे साथ जुड़े रहें.... कैमरा मैंन सतवीर के साथ मैं प्रज्ञा आपको स्टूडियो लिए चलती हूँ अरुंधति के पास....
एफएम बंद करता है बल्लभ l
रोणा - यार यह तुमने सही किया.... इस केस को उछालने के लिए रेडियो और टीवी वालों का संगम करा दिया... पर हम भी अंदर कारवाई देख पाते तो और भी अच्छा होता....
बल्लभ - क्यूँ... इतनी जल्दी क्या है.... परसों से वैसे भी हम कोर्ट रूम के अंदर ही होंगे...
रोणा - वह कैसे.... समन तो हमे हुआ है....
बल्लभ - अबे भूतनी के.... राजगड़ से जितने भी गवाह आयेंगे... सबका वकील मैं हूँ... और सारी जिरह मेरे सामने ही होगी.... ऐसा परमिशन मैंने ले ली है...
रोणा - तो... परीडा के लिए भी ले लेना था....
बल्लभ - वह मुमकिन नहीं था.... वह एक सरकारी अधिकारी है.... और उसकी पोस्टिंग भुवनेश्वर सेक्रेट्रिएट में है... वह अगर किसीको हायर... करेगा तो या तो कटक से या फिर भुवनेश्वर से....
रोणा - ओ... ऐसा कुछ टेक्नीकली... होता है क्या...
बल्लभ - हाँ.... और ज्यादा मत अंदर घुस... तु अपने साथ मेरा दिमाग भी खराब कर रहा है... (तभी बल्लभ के मोबाइल में एक मैसेज आता है, उस मैसेज को पढ़ने के बाद ) लो अब कारवाई शुरू हो गई है....

अदालत के अंदर
वीटनेस बॉक्स में परीडा खड़ा है और उसे गीता पर हाथ रख कर कसम खाने के लिए कोर्ट की एक मुलाजिम कह रहा है
- कहिए मैं गीता पर हाथ रख कर वचन देता हूँ... मैं अदालत को जो भी कहूँगा सच कहूँगा... सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा....
परीडा - मैं गीता पर हाथ रख कर वचन देता हूँ... जो भी कहूँगा सच कहूँगा... सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा....
अपनी कुर्सी से प्रतिभा उठती है और परीडा के पास आती है
प्रतिभा - हाँ तो परीडा जी... अभी अभी आपने कसम खाई है... की इस अदालत को सच बतायेंगे.... क्यूंकि जिस केस ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है.... उसके मुख्य जांच अधिकारी आप हैं.... और जांच में आपने मुल्जिम श्री विश्व को अपराधी करार दिया है....
परीडा - जी...
प्रतिभा - चलिए फिर पहले आप अपनी परिचय को संक्षिप्त में बता दीजिए....
परीडा - जी मेरा नाम... कृष्ण चंद्र परीडा है.... मैं अभी सेक्रेट्रिएट में... होम सेक्रेटरी के अंडर कार्य कर रहा हूँ... इससे पूर्व मैं... आईबी में कार्यरत था...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म आई बी मतलब इंटेलिजंस बुरो... क्या यही वजह है कि आपको इस एसआइटी के लिए चुना गया....
परीडा - शायद....
प्रतिभा - परीडा जी आपकी एसआइटी कैसे बनी..... और कैसे ऑपरेट हुई... और कैसे आप लोग नतीजे पर पहुंचे... क्या विस्तार से प्रकाश डालेंगे....
परीडा - जी जरूर..... जैसा कि मैंने पहले बताया कि मैं सेक्रेट्रिएट में कार्यरत हूँ.... और होम सेक्रेटरी को रिपोर्ट करता हूँ.... एक दिन मुझे होम मिनिस्टर जी के ऑफिस से कॉल आया.... तो मैं तुरंत उनसे मिलने उनके कार्यालय में पहुच गया....
होम मिनिस्टर जी ने मुझसे कहा कि.... राजगड़ से राजा साहब यानी भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी आए थे.... और उन्होंने मुख्यमंत्री जी से अपने इलाके में... मनरेगा घोटाले पर जांच की आग्रह किया है.... पर कुछ दिन के लिए इस जांच को गुप्त रूप से किया जाए.... तो मुख्यमंत्री जी ने उन्हें आश्वासन दिया है... की एक अंडर कवर टीम इस जांच को अंजाम देगी.... इसलिए मुझे यह दायित्व निभाने का अवसर दिया गया.... मुझे और तीन जनों की टीम में शामिल करने को कहा गया... तो मैंने अपने दो सबअर्डीनेट और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को शामिल किया और एक ऑडिट टीम की तरह यशपुर पहुंचे अपना काम को अंजाम देने के लिए....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म अब तक ठीक है.... यशपुर पहुंचने के बाद आपने क्या किया.....
परीडा - जी यशपुर पहुंचने के बाद.... हमने राजा साहब जी से कॉन्टैक्ट की... चूंकि राजा साहब जी के शिकायत पर.... जांच आरंभ हुआ था.... इसलिए प्राथमिक गवाह के रूप में हमने राजा साहब जी का बयान लेने के लिए खबर भिजवाया.... राजा साहब जी ने हमको अपने महल में बुलाया.... और हमसे कहा कैसे विश्व को उन्होंने ही राजगड़ के विकास के लिए सरपंच बनने का आग्रह किया था....पर आज उन्हें अपने उस आग्रह पर बहुत पछतावा हो रहा है.... उन्हें दर-असल पंचायत समिति के एक सभ्य श्री उमाकांत आचार्य जी ने विश्व के करप्शन की जानकारी दी थी.... इसलिए पूरे सबूतों के साथ गिरफ्तार करने के लिए ही.... मुख्यमंत्री जी से एक निष्पक्ष जांच की आग्रह किया था.... तब मैं और मेरी टीम ने यह निश्चय किया कि... हम सबसे पहले श्री उमाकांत जी से मिलेंगे... तो राजा साहब ने अपने लोगों के जरिए.... श्री आचार्य जी को बुलावा भेजा था.... पर विडंबना यह रही कि राजा साहब जी के लोग... आचार्य जी मौत की खबर ले कर आए... आचार्य जी स्नान के लिए नदी के किनारे गए हुए थे.... तो वहाँ पर उन्हें सांप ने काट लीआ.... हमे घोटाले की सिरा मिलते मिलते रह गया था.... तो हमने यशपुर लौट कर तहसील ऑफिस की ऑडिट की तो पाया साढ़े सात सौ करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया.... हम ने हर डाक्यूमेंट्स में... सिर्फ और सिर्फ विश्व के ही दस्तखत नजर आए.... पर हमे शक हुआ... कहीं विश्व को कोई फंसा तो नहीं रहा है.... इसलिए हम एक दिन तहसील ऑफिस के कर्मचारी बता कर विश्व से मिले.... तो पाया... श्री विश्व अपने करनी को बड़े शान से बखान कर रहे हैं.... तो हमने चालाकी से उनकी सिग्नेचर हासिल की... फिर सारे डाक्यूमेंट्स के सिग्नेचर से मिलान फॉरेंसिक लैब में कराया तो सही पाया.... इस बीच हमे इत्तेफाक से दिलीप कर मिले.... वह भी विश्व के जाल में फंसे हुए थे.... कभी वह विश्व के पिता के दोस्त हुआ करते थे.... उन्होंने यह भी बताया कैसे राजा साहब से इंकार करने के बाद उमाकांत आचार्य के साथ मिलकर विश्व को सरपंच बनने के लिए तैयार किया.... आज उसी निर्णय पर रो रहे हैं.... हमने उनकी पूरी कहानी सुनने के बाद... उन्हें सबसे पहले सरकारी गवाह बनाया.... फिर हमें जांच का सही सिरा मिल गया... कैसे पांच हजार मृतकों के आधार कार्ड के जरिए... मनरेगा के बकाया राशि को उनके अकाउंट में कैसे जमा कराया... कैसे मृतकों के नाम पर कॉन्ट्रैक्ट उठाया गया.... और उनके बैंक अकाउंट को इसिएस के जरिए राजगड़ उन्नयन परिषद यानी रूप के अकाउंट में पहुंचाया गया...... और जैसे ही पैसे रूप के अकाउंट में पहुंचे... मृतकों की मृत सर्टिफिकेट जमा कर बैंक अकाउंट को डी-ऐक्टिव किया गया.... यह सब जांच में हमने पाया.... राजगड़ पंचायत के सरपंच, यशपुर के तहसीलदार, बीडीओ, रेवेन्यू इंस्पेक्टर और बैंक मैनेजर यह पांचो इस घोटाले में प्राइम सस्पेक्ट निकले.... हमने जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने होम मिनिस्टर जी से मिलने भुवनेश्वर गए.... रिपोर्ट सौंपते वक्त हमे खबर मिली... के एडिएम, बीडीओ फरार हो गए हैं... बैंक मैनेजर और तहसील ऑफिस के क्लार्क की हत्या हो गई और रेवेन्यू इंस्पेक्टर की गुमशुदगी की रिपोर्ट मिली.... कहीं विश्व भी हाथ से निकल ना जाए इसलिए हमने तुरंत देवगड़ एडिएम.... जो कि उस वक्त यशपुर तहसील के एडिशनल इंचार्ज भी थे... उनके हाथों विश्व के गिरफ्तारी की आदेश भिजवाया... होम सेक्रेट्रिएट के ऑफिस से.... बाकी सब आपके सामने है....
प्रतिभा - बहुत अच्छे... परीडा जी.... (जज के तरफ घूम कर) योर ऑनर यह संक्षिप्त विवरण था... कैसे विश्व को घोटाले की मुख्य अभियुक्त रूप जांच अधिकारी द्वारा... प्रस्तुत किया गया.... अब बचाव पक्ष... श्री परीडा जी से सवाल कर सकती है.....
जज - क्या डिफेंस.... श्री परीडा जी का क्रॉस एक्जाम करना चाहेगी...
जयंत - ऑफ कोर्स योर ऑनर.... जरूर....
जयंत - हाँ तो परीडा जी आपने अपने संक्षिप्त परिचय में कहा कि आप आईबी में पदाधिकारी थे.... और प्रमोशन के चलते सेक्रेट्रिएट में आए...
परीडा - जी....
जयंत - हाँ तो आप को होम सेक्रेट्रिएट से ऑर्डर मिला.... इसलिए आपने यह मनरेगा घोटाले की जांच शुरू की....
परीडा - जी...
जयंत - क्या आपको आश्चर्य नहीं लगा... के ऐसे अपराध की आप जांच कर रहे हैं.... जिस के ऊपर कोई लिखित अभियोग पत्र आपके पास नहीं है....
परीडा - जी.... वह... मैं.. मेरा मतलब है कि... हमे रिटीन ऑर्डर मिला था....
जयंत - और ऑर्डर में क्या लिखा था....
परीडा - जी सिर्फ जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए...
जयंत - जाहिर सी बात है... आपने वही किया भी... पर जब जांच रिपोर्ट आपने अदालत में सबमिट की... उसमे किस लिखित कंप्लेंट को आधार बना कर जांच किया बस यह नहीं बता पाए.... ह्म्म्म्म...
प्रतिभा अपने टेबल पर फाइलें पलट कर देखती है कि उसमें विश्व के खिलाफ या मनरेगा घोटाले की विरुद्ध कोई रिटीन कंप्लेंट नहीं है l
जयंत - योर ऑनर... यह राजा साहब के व्यक्तित्व ही है... जिनके मौखिक कंप्लेंट पर भी सिस्टम की हाई लेवल इंक्वायरी टीम ऐक्टिव हो गई....
प्रतिभा - आई ऑब्जेक्ट योर ऑनर.... मनरेगा का पैसा... सारे भारत वासियों का पैसा है... और कोई भी जागरूक नागरिक इस पर अपना विरोध मौखिक भी दर्ज करा सकता है.... इसमें यह कोई इशू नहीं है... क्यूंकि पुलिस भी फोन पर कंप्लेंट सुन कर हरकत में आती है.... प्रश्न है... जांच सही था या नहीं.... और यहां साढ़े सात सौ करोड़ रुपए की घोटाला सामने आया है.... इसलिए डिफेंस लॉयर... इसे किसीकी व्यक्तित्व को जोड़ कर ना देखें....
जज - सस्टैन.... डिफेंस लॉयर...अदालत को यह रिटीन कंप्लेंट की आवश्यकता यहां पर महसूस नहीं हो रही है.... आपको आगे पूछना है....
जयंत - जी... योर ऑनर...
जज - प्रोसिड...
जयंत - हाँ तो परीडा जी.... जांच के दौरान यशपुर में आप रुके कहाँ पर थे....
परीडा - जी.. यशपुर के सर्किट हाउस में....
जयंत - ह्म्म चूंकि आप सरकारी कार्य में गए थे... तो जाहिर सी बात है कि आप सर्किट हाउस में ही रुकते... वैसे... आप किस तरह की ऑडिटर बन कर गए थे...
परीडा - जी आरपीडीसी रेवेन्यू ऑडिटर बन कर...
जयंत - यह... आरपीडीसी होता क्या है...
परीडा - जी रूरल पेरिफेरल डेवलपमेंट कमेटी....
जयंत - तो आपने क्या पाया...
परीडा - जी कैसे प्रोजेक्ट कंप्लीशन सर्टिफिकेट और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट देकर करोड़ों हड़प लिए गए...
जयंत - ह्म्म... यह मृत् लोगों के आधार कार्ड.. का क्या चक्कर है... परीडा जी...
परीडा - जी... सर... पहले जब काम शरू हुआ था... जिन कॉन्ट्रैक्टर्स को काम दिया गया था.... उनकी काम की क्वालिटी को देख कर.. उन कॉन्ट्रैक्टर्स को पहले ब्लैक लिस्ट किया गया..... फिर उन प्रोजेक्ट्स को कंप्लीट करने के लिए.... मृत् व्यक्तियों के आधार कार्ड का सहारा लिया गया.... उनके नाम पर कुछ फेक कंस्ट्रक्शन कंपनीयाँ बनाई गई.... और उनके नाम पर जो करंट अकाउंट बनाया गया था.... उन अकाउंट्स पर पैसे भेजे गए थे और उन अकाउंट्स से इसिएस के जरिए पैसे.... विश्व के बनाए एनजीओ रूप के अकाउंट को वापस आ जाती थी डोनेशन के रूप में..... और सर रूप के अकाउंट को ऑपरेट करने की अधिकार सिर्फ़ दो लोगों के पास था.... एक विश्व और दूसरे बैंक अधिकारी जिनकी बाद में हत्या हो गई....
जयंत - अच्छा.... ह्म्म्म्म.... एक अंतिम प्रश्न.... क्या विश्व के साइन किए सभी चेक के पैसे.... क्या मृतकों के अकाउंट को गई थी....
परीडा - जी सभी के सभी.... और मैंने उसकी लिस्ट भी दी है.... आप रिपोर्ट में देख सकते हैं...
जयंत - आर यू श्योर... (इतना कह कर जयंत फाइलों के सारे काग़ज़ को उलट पलट करने लगा) नहीं नहीं... पता नहीं पर शायद.... मुझे लगता है... विश्व के साइन किए सभी चेक.... कैसे... परीडा जी..... कहीं आप गलती तो नहीं कर रहे हैं....
परीडा - जी मैंने अपनी रिपोर्ट में... सबमिट किया है... आप देख सकते हैं...
जयंत - (अपनी कुर्सी पर बैठ कर अपने सर पर हाथ रख कर) नहीं मुझे देखने की कोई जरूरत नहीं.... (बड़े दुखी मन से) मैं बस आपसे इतना जानना चाहता हूँ.... क्या विश्व अपने सरपंच बनने के काल में शुरू से लेकर गिरफ्तार होने से पहले तक.... जितने भी चेक साइन किए... क्या वे सभी मृतकों के अकाउंट्स थे...
परीडा - जी हाँ.... मैं फिर से दोहरा रहा हूँ... विश्व के द्वारा साइन किए गए.... सभी चेक के पैसे मृतकों के अकाउंट को ही जाती थी....
फिर जयंत चुप हो जाता है और अपनी जगह पर पहुंच कर टेबल पर अपनी दाहिने हाथ की मुट्ठी से ठक ठक ठक कर मारता है l उसके चेहरे पर तनाव साफ़ दिख रहा है l
जज - डिफेंस लॉयर... क्या आपको और जिरह नहीं करना है....
जयंत - ह्म्म्म्म नो... नो योर ऑनर... बस... मुझे यही जानना था.... ठीक है... धन्यबाद... परीडा जी.... अगर जरूरत पड़ी तो आपको दोबारा यहाँ आना पड़ेगा...
यह सुन कर प्रतिभा के चेहरे पर एक खुशी भरी मुस्कान खिल उठी l
परीडा - जी मैं कानून और न्याय की सेवा करने के लिए... हमेशा से तैयार रहता हूँ...
जयंत - वेल... माय लॉर्ड... आज के लिए इतना ही.... अगर प्रोसिक्यूशन चाहें तो परीडा जी के जत किंचीत संचित ज्ञान से बंचित जिरह कंटीन्यु कर सकती हैं...
जज - क्या प्रोसिक्यूशन कारवाई को आगे बढ़ाएगी....
प्रतिभा - नो... माय लॉर्ड...
जज - तो फिर ठीक है... अगली सुनवाई... बुधवार को होगी.... आज के लिए कारवाई स्थगित किया जाता है.... टुडेस् कोर्ट इज़ एडजॉर्न.... (कह कर टेबल पर हथोड़ा मारता है)
सभी अपनी जगह पर खड़े हो जाते हैं l तीनों जज बाहर चले जाते हैं l उनके जाते ही, सभी कोर्ट रूम खाली करते हैं सिर्फ़ जयंत अपनी जगह बैठा रह जाता है l

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चेट्टीस् गेस्ट हाउस में
सब - चियर्स....
सब के हाथ में ग्लास है l ओंकार और पिनाक एक जगह पर बैठ कर हाथ में ग्लास लिए बैठे हैं l बार काउन्टर पर एक नौकर बैठा सबके लिए पेग बना रहा है और एक एक को बढ़ा रहा है लेकिन, सबसे ज्यादा खुश रोणा दिख रहा है l
रोणा - वाह.. वाह.. परीडा जी... वाह वाह... क्या बुनियाद रखा है आपने वाह.... पहली बार.... वह साला बुढ़उ गच्चा खा गया....
परीडा - चियर्स.... रोणा... चियर्स... अरे... ऐसे कितने जयंत देखे हैं.. मैंने... यह मुझे क्या लपेटता मैंने ही उसे लपेट लीआ.... हा हा हा हा
कर - (अपने दोनों हाथ जोड़ कर, नशे में धुत) मैं वहाँ आऊँ.... कुछ कउँ...
रोणा - बोल कुत्ते... आज जी भर के... कउँ.. कउँ... कर ले...
कर - ही.. ही.. ही... प.. परीडा स् साब जी.... आपने हमारी म...नरेगा... इमारत की... क्या नींव डाली है... अब ह् ह्.. हमारी बारी... हम दीवार उठाएंगे.... यह खाकी वाला छत डालेगा... और अंत में... राजा सहाब... टीवी से कीवाट लगाएंगे... स... साला कोई अंदर ही घुस नहीं पाएगा.... ही ही ही ही...
पिनाक - अभी तो कुछ भी नहीं है.... विश्व को सज़ा हो जाने दो.... फिर देखो क्या पार्टी होती है... वैसे... प्रधान... कितने साल के लिए अंदर जाएगा....
बल्लभ - कहना... मुश्किल है.... अगर हमारे लगाए चार्जस स्टैंड करते हैं... तो चौदह से बीस साल की सजा हो सकती है....
पिनाक - स्टैंड करती है... मतलब... अबे... स्टैंड... करेगी... नहीं तो.. बैसाखी लगवा कर... स्टैंड करवाना पड़ेगा... समझा...
ओंकार - अरे.. अरे... छोटे राजा जी...( एक नौकर को इशारा कर) ऐ छोटे राजा जी के ग्लास में... दो चार बर्फ के टुकड़े डाल.... (फिर पिनाक से) छोटे राजा जी... पी तो रहे हैं... हॉट ड्रिंक... पर कुल रहिए.. कुल...
रोणा - छोटे राजा जी.... आप यहां... स्टेट के स्वस्थ्य मंत्री के पास बैठे हुए हैं.... और आप वाइआइसी फार्मास्यूटिकल्स के गेस्ट हाउस में हैं.... यहां आपको हर मर्ज की दवा मिल जाएगी.... इसलिए शांत रहें...
पिनाक - हाँ... रोणा... सही कह रहे हो... जब खुशी मिले... तब जश्न मनाने से चूकना नहीं चाहिए....
कर - क्या थूकना... मैं सिर्फ़ राजा साहब के थूक चाट सकता हूँ...
बल्लभ - इसे ज्यादा.. चढ़ गई है... ऐ (नौकर से) इसे लेकर उसके कमरे में फेंक आओ...
दो नौकर दिलीप कर को उठा कर ले जाते हैं l
परीडा - क्या बात है.. वकील... तुम्हारे हाथ में जाम तो है... पर तुम क्यूँ नहीं पी रहे हो....
बल्लभ - जब तक... (ग्लास को हिलाते हुए) विश्व को सजा नहीं हो जाता.... तब तक नहीं...
परीडा - अरे फ़िकर नॉट... विश्व का वकील... अगर स्ट्रॉन्ग है... अपनी भी प्रतिभा बहुत मजबूत है.... साला बुढ़उ... दो मिनिट के लिए ही सही.... मेरा दिमाग हिला दिया था.... रिटीन कंप्लेंट के बारे में पूछ कर.... पर प्रतिभा ने क्या.. पटखनी दी... बुढ़उ सोचा भी नहीं होगा... ऐसी पटखनी मिलेगी.....
बल्लभ कुछ नहीं कहता है, वह चुप रहता है और अपने हाथ में लिए शराब की ग्लास को हिलाता रहता है l
पिनाक - क्या बात है... प्रधान... आज जश्न मनाने में... कंजूसी क्यूँ...
बल्लभ - मैं यह सोच रहा हूँ.... आज की कारवाई में जयंत ने... ज्यादा कुछ पूछा नहीं.... शायद इसलिए कि परीडा सिर्फ़ एक इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर था... कहीं यह उसका स्मार्ट मूव तो नहीं....
रोणा - बोला... अपनी काली जुबान से बोला... साला काले कोट वाले... जब भी मुहँ खोलेगा... काली जुबान से ही बोलेगा...
पिनाक - प्रधान... तु... हमसे किस जनम का बैर निकाल रहा है बे... हम जश्न मना रहे हैं.... और तु रंग में भंग डाल रहा है....
परीडा - खैर मैंने तो अपना काम कर दिया है.... अगली सुनवाई उस कर की है....
पिनाक - ह्म्म्म्म... जानते हैं.... कर बहुत... पुराना खिलाड़ी है.... सम्भाल लेगा..
 
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Kala Nag

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बहुत बढ़िया अपडेट! जयंत बहुत ही काबिल वकील है।
और अवश्य ही वो दिखाना न चाहता हो, उसको वैदेही और विश्व से हमदर्दी अवश्य है।
इक्कीस साल के लड़के के लिए, केवल सात महीने में ऐसा घोटाला करना!
लेकिन जब बलि का बकरा चुन ही लिया गया है, तो फिर बलि भी दे ही दी जाएगी।
राजा साहब ने गलती कर दी - उसको न मार के। पुराने पापों का मोल भी भारी चुकाना पड़ेगा।

क्या बात है राइटर साहब ! आप ने मेरा दिल खुश कर दिया । क्या लाजबाव शब्दों का जाल बुना है आपने इस अपडेट में ! आउटस्टैंडिंग ।

विश्व की पैरवी भले ही जयंत सर कर रहे हों पर दिमाग का इस्तेमाल तो आपने ही किया है । आइडिया तो आप की ही है । मजा आ गया कोर्ट में जयंत सर को वकालत करते हुए देखकर । और क्या खूब मिशाल दिया था उन्होंने ! " Rome never built in one night " इस मिशाल के थ्रू जज साहब को सोचने पर मजबुर तो जरूर कर दिया होगा कि इतना बड़ा घोटाला सिर्फ सात महीने के अंदर ही नहीं किया जा सकता ।

उनकी कही गई सारी बातें आउटस्टैंडिंग थी । बहुत उम्दा लिखा है आपने ।

इसके पहले उन्होंने वैदेही को धर्मशाला में ठहराने की व्यवस्था की थी । वैदेही से मुझे बहुत ज्यादा सहानुभूति हो गई है । उसकी वर्तमान पीड़ा को मैं बहुत अच्छी तरह से महसूस कर रहा हूं । जयंत सर ने उसकी मदद करके हमारा दिल जीत लिया ।
विश्व सही कहता है वो भगवान तुल्य है ।

हिंदी में आप की नोलेज सच में बहुत ही अच्छी है । वेश्याओं के लिए सम्मान सूचक शब्द नगर बधू होता है । एक भद्र पुरुष ही ऐसे शब्दों का उच्चारण कर सकता है ।

सब कुछ , एवरी वर्ड , एवरी लाइन वाज आउटस्टैंडिंग ।
जगमग जगमग करता हुआ अपडेट था यह ।

Bahut hi umda update hai mitra, shabdo ka chayan vakai me lajawab hai,

Waiting for next update

Bahut hee behtarin update shabdo ka chayan or or fir court mein raja sahab ke plan ki bahkiya hee udhed di Jayant ji ne . aapne jaynt ji ke sabdjaal se raja ji ke Inder jaal ko lag bhag kaat hee diya hai..

Super update ab aapse ugle update me umeenden badh gayi hai mitr …
अगले अपडेट में आप सबका स्वागत है
 

parkas

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सातपड़ा चेट्टीस् गेस्टहाउस
ओंकार चेट्टि - छोटे राजा जी... आप धैर्य रखें... सब ठीक हो जाएगा... मैं तो कहता हूँ... आप यहाँ चीलीका में.. बोटिंग और फीसींग का मजा लीजिए.... और आपके बंदों कों.... उनका काम करने दीजिए...
पिनाक - मुझे इन दोनों पर पूरा भरोसा है.... सच कहूँ तो राजा साहब कभी भी कोई टेंशन नहीं लेते.... क्यूंकि सारे टेंशन हमे ही उठाने पड़ते हैं... विश्वास न होगा आपको ओंकार जी... यही टेंशन ढो ढो कर शरीर अब हाइपर टेंशन का शिकार है....
ओंकार - अरे आप ऐसे ना कहिए... छोटे राजा जी.. एक मामूली सा केस ही तो है.... आज नहीं तो कल ही सही... हमारी एसआइटी ने जब विश्व को दोषी ठहराया है... तो अदालत भी उसे सजा देगी जरूर... अरे भाई सरकार अपनी है... और राजा साहब भी तो हमारे अपने हैं....
पिनाक - हाँ... किस्सा घोटाले में... हिस्सा सबका अपना अपना... पर टेंशन सिर्फ़ मेरा...
बल्लभ - ऐसे ना कहिए... छोटे राजा जी... हमे भी कहाँ दिन का चैन और रात का सुकून है.... सब कुछ छोड़ छाड़ कर... राजा साहब जी के लिए... दिन रात एक कर रहे हैं...
ओंकार - देखिए... यह बहुत गलत बात है... आप राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के गेस्ट हाउस में... स्वास्थ मंत्री के सामने बैठे हुए हैं.... और यह रोग और वैराग की बात ना करें... अछा नहीं लगता.....
रोणा - मैं तो पहले से ही कहता था... ठोक देते हैं.. पर किसीने मेरी सुनी ही नहीं.... विश्व को ठोक दिए होते... तो यह झंझट जी नहीं रहता....
पिनाक - अबे... गोबर दिमाग.... तुझे पुलिस में भर्ती कौन किया बे... एक तो इतने बड़े रकम की हड़प... ऊपर से हत्याएं... केस अगर केंद्र सरकार के हाथ चली गई होती.... तो लेने के देने पड़ जाते....
बल्लभ - छोटे राजा जी ठीक कह रहे हैं.... केस जब तक अपनी सरकार और सिस्टम के पास है.... तब तक आस है...
पिनाक - क्या मतलब है बे तेरा.... आस है.... अबे तेरा दिमाग ठीक से चला..... नहीं तो कुछ देर बाद कहेगा... गले में फांस है...

बल्लभ - छोटे राजा जी... मैं वकील हूँ... हर तरह के... सिचुएशन के लिए खुदको तैयार रखता हूँ.... ताकि वक्त पर सिचुएशन को सही तरीके से टैकल किया जा सके....
ओंकार - देखिए... छोटे राजा जी.... आपका यह बल्लभ.... मुझे तो बंदा सही लग रहा है.... हमने अपने अपने लेवल पर.... जितना हो सके.... कोशिश कर तो रहे हैं... अब देखिए... सीएम साहब से राजा साहब की.... कैजुअली बात हुई थी.... हमने होम मिनिस्टर को लपेटे में.... लेकर अपना एसआइटी बना दिया... अब सीएम साहब को थोड़े ना मालूम है... क्या हुआ है... और कैसे हुआ है...
पिनाक - पर होम मिनिस्टर को तो मालुम था ना.... उसे कोई और वकील नहीं मिला सिफारिश के लिए....
ओंकार - छोटे राजा जी.... सिफारिश होम मिनिस्टर ने नहीं... कानून मंत्री ने किया था.... अब उसे थोड़े ही मालूम था... वह साला बुड्ढा राजी हो जाएगा.... पर कोई नहीं... एसआइटी की टीम और बाकी प्यादे तो अपने हैं ना.... और पूरे देश को मालुम भी तो होना चाहिए.... के न्याय सबके लिए बराबर है....
मतलब... न्याय के तराजू में.... कभी एक पलड़ा भारी तो कभी दुसरा पलड़ा भारी... हो तो खबर में... विश्वसनीयता बनी रहती है.....
पिनाक - ठीक है.... पर... अभी तक... वह आया नहीं.....
ओंकार - आ जाएगा... आ जाएगा... आख़िर.... सबसे छुपकर... उसे आना है...
थोड़ी देर बाद एक नौकर आकर कहता है कोई आया है l
ओंकार - लीजिए... छोटे राजा जी... आपने शैतान को याद किया.... और वह हाजिर हो गया.... जाओ बुला कर अंदर लाओ उसे....
नौकर चला जाता है और थोड़ी देर बाद एक आदमी अंदर आता है l कोई सरकारी महकमा का मुलाजिम लग रहा था l
ओंकार - आओ... आओ... बर्खुर्दार आओ... आते वक्त किसीने देखा तो नहीं...

आदमी - जी नहीं... हाँ अगर कटक या भुवनेश्वर होता तो... शायद किसीके नजर में आ सकता था.... पर यहाँ सातपड़ा में.... कोई भी मुझे ट्राक नहीं कर सकता.... वैसे भी... आई एम प्रोफेशनल....
ओंकार - ठीक है... डींगे मत मार.... अब काम की बातें कर लें....

आदमी - जी... जरूर...
बल्लभ - परसों... पहली पेशी आपकी होगी मिस्टर परीडा जी....
परीडा - क्यूँ... ऐसा क्यूँ...
बल्लभ - क्यूँकी आपको... टेक्निकली समन सबसे पहले प्राप्त हुई.... इसलिए....
परीडा - ठीक है... फिर आगे क्या करना होगा...
बल्लभ - आपको... अपनी बयान पर टिके रहना होगा.... मेरा मतलब है... आप बयान कुछ ऐसे देंगे.... के हमारी केस की नींव मजबूत होगी.... जिसपर हम अपनी झूठ की इमारत खड़ी कर सकें...
परीडा - ह्म्म्म्म... पर मुझसे शुरू करने का मतलब....
बल्लभ - आप... एसआइटी के चीफ ऑफिसर हैं... इसलिए हमने जो प्लॉट बनाए हैं.... उस पर झूठ की नींव को आपकी बयान मजबूत करेगी....
परीडा - ठीक है.... और मुझे कहना क्या होगा....
पिनाक - अभी तो तुमने कहा.... यु आर अ प्रोफेशनल....
परीडा - ठीक है... आई विल मैनेज...
ओंकार - देखो बर्खुर्दार... शरूआत तुमसे ही रही है... अब केस की दारोमदार तुम पर है...
परीडा - ठीक है... अगर काम परफेक्ट हुआ... तो क्या इंसेंटिव मिलेगा....
पिनाक - मिलेगा... और अगर... गलती हो गई.... तुम्हें... रंग महल याद है ना....
परीडा - (अपनी थूक निगलते हुए) जी... छोटे राजा जी... य.... याद है...
पिनाक - काम अच्छा हो तो कीमत अच्छी होती है... और काम गलत हो जाए तो अंजाम भी अनुरूप होती है...
परीडा - जी तो फिर काम अच्छा ही होगा....

पिनाक - तो फिर इंसेंटिव भी मिलेगा....
तभी कोई चिल्लाता है
- हजूर, मालिक, माई बाप... कुछ छींटे हम पर भी मार दीजिएगा....

यह आवाज़ सबका ध्यान अपनी ओर खिंचता है l सब आवाज़ की तरफ देखते हैं l एक धोती और कुर्ता पहने, चमेली के तेल में भिगा हुआ सर के साथ एक अधेड़ उम्र का आदमी खड़ा है l अपनी मुँह में पान चबाते हुए और कंधे में पड़े गमछे से मुहँ को साफ करते हुए अपनी काले दांत दिखा कर हंसते हुए
- हजूर... हम भी आपके नाव में... हैं... आप तो पुर्ण गंगा हैं.... आप जिसे चाहें... उससे डुबकी लगवा दें... हम पर इतना कृपा रखें... थोडे थोड़े छींटे मारते रहें...
पिनाक - आ गया कुत्ता...
आदमी - ही.. ही.. ही.. जी मालिक... आपका वफादार कुत्ता... काटना हमारा स्वभाव नहीं है... बस अभाव ही अभाव है... जब राजा साहब थुकते हैं... हम जाकर चाटते हैं... ही.. ही.. ही.
ओंकार - अब यह जोकर कौन है....
परीडा - यह है... दिलीप कर... हमारा पहला सरकारी गवाह...
कर - जी... मैं.. कर... छोटे राजा जी के सेवा में उपस्थित हूँ...
बल्लभ - इसे मैंने ही बुलाया है.... इस वक्त यहां पर... तीन प्रमुख गवाह मौजूद हैं... परीडा, कर और रोणा... चौथा अभी तक नहीं पहुंचा....
ओंकार - छोटे राजा जी... आपका यह कर... बहुत ही बेशरम, बेग़ैरत इंसान है... क्यूँ भई... तुझे हमारे नौकर या गार्ड्स ने रोका नहीं...
कर - जी रोका ना... रोका... पर मैंने उनके हाथ पकड़ लिए.... पैर पकड़ लिया... रोया... गिड़गिड़ाया.... तब जाकर मेरे दुख को वह समझ कर मुझे छोड़ दिए... ही.. ही ही
पिनाक - तभी तो इसको कुत्ता बोला.... अभी आप कुछ ही देर में समझ जाओगे... आओ सभी बैठते हैं... और आगे की सोचते हैं....
पिनाक और ओंकार एक बड़े से डबल सीटेड सोफ़े पर बैठ जाते हैं l बल्लभ और परीडा भी एक एक सिंगल सीट सोफ़े पर बैठ जाते हैं l पर रोणा एक टेबल पर बैठ जाता है और दिलीप कर नीचे फर्श पर ग़मछा बिछा कर बैठ जाता है l ओंकार उसे ऐसे नीचे बैठा देख कर हंसता है
ओंकार - वास्तव में छोटे राजा जी.... क्या नमूना है... यह..
पिनाक - पर प्रधान... तुमने सुबुद्धी को नहीं बुलाया था क्या...
बल्लभ - बुलाया था.... और उसे कर के साथ आने के लिए कहा भी था....
पिनाक - फिर वह आया क्यूँ नहीं....
कर - मालिक... मैं थोड़ा... कउं...
पिनाक - हाँ भोंक...
कर - मालिक... जबसे उसने अदालत से अपने नाम का समन के बारे में सुना.... तब से उसे डायरिया हो गया... वह अपने परिवार समेत कहीं गायब हो गया है.....
बल्लभ - इसका मतलब.. अब अदालत में जिरह सिर्फ़ तीन लोगों की होगी....
रोणा - क्यूँ..... राजा साहब जी को भी तो समन गया होगा....
बल्लभ - हाँ... मैंने नये एडीएम पत्री को कह कर... राजगड़ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए... वह अदालत को अपनी गवाही देंगे... ऐसा इंतजाम कर दिया है....
रोणा - क्या... अदालत इसके लिए तैयार होगी....
बल्लभ - हाँ.. तैयार होगी.... पत्री ने सारा इंतजाम कर दिया है....
पिनाक - बहुत अच्छा किया.... प्रधान.... वरना राजा साहब... गवाही के लिए... कटक आते.... तो अच्छा नहीं होता....
ओंकार - तो अब....
बल्लभ - अब मेरे पास केस की पूरी डिटेल्स है.... अब मैं इस केस की डिटेल्स पढ़ूंगा.... और आप सबको आपको भूमिका समझाउंगा.... ध्यान रहे.. जयंत... ट्रिक करेगा.... पर आप में से कोई... उसमें फंसेगा नहीं.... टस से मस नहीं होगा.... इज़ ईट क्लीयर...
परीडा और रोणा - येस..
कर - जी.. जी... बिल्कुल जी... मेरा भी पूरा येस जी....

फिर बल्लभ केस डिटेल्स पढ़ कर सबको उनकी भूमिका समझाता है l सब अपनी अपनी भूमिका समझ कर सब बल्लभ को हाँ कहते हैं l ओंकार उनकी बातों को ध्यान लगा कर सुन रहा है पर पिनाक किसी खयाल में खोया हुआ है l तभी ओंकार ताली मारते हुए
-आओ... आओ मेरे जिगर के टुकड़े आओ... सो जेंटलमैन... दिस इस माय सन.... आ हा हा... मेरा बेटा...
सबकी नजरें उस तरफ घुम जाती है l एक नौजवान पूरा का पूरा सफेद लिबास में उस कमरे में प्रवेश करता है l सिर्फ उसके गले का स्कार्फ और गॉगल लाल रंग का है l अपने चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ा होता है l
ओंकार - लुक एट हिम... आ हा हा... माय सन... यश... यशवर्द्धन ईश्वर चंद्र चेट्टी... हमे राजनीती की मैदान में जिस तरह ओआईसी कहा जाता है.... इसे उसी तरह पूरे बिजनैस की दुनियां में वाइआइसी कहा जाता है.... आ हा हा....
सब उसे देख रहे हैं और वह भी सबको देख कर हाइ कहता है, जवाब में सब उसे हाइ कहते हैं l

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प्रत्युष अपने कमरे में मजे से सोया हुआ है l आज रविवार है इसलिए रात भर पढ़ते पढ़ते देर को सोया था l प्रतिभा प्रत्युष के कमरे में आती है l आते ही उल्टे झाड़ू से प्रत्युष के पिछवाड़े पर मारती है l
प्रत्युष - उइ माँ... आ... मर गया रे... आ.. ह...
प्रतिभा फौरन झाड़ू को पलंक के पास छुपा देती है
प्रतिभा - ओ हो.. क्या हुआ मेरे लाल को... क्यूँ चिल्ला रहा है... मेरा बच्चा....
प्रत्युष - (अपनी आँखों को मलते हुए) आह माँ... क्या बताऊँ... तेरे लाल को ना.... सपने में कोई मार रहा था....

प्रतिभा - ओ हो... चु.. चु... चु.... मेरे लाल को सपने में कोई मार रहा था..... कोई नहीं... अब सच में तुझे मार पड़ेगी... हाँ.... (कह कर प्रतिभा नीचे छुपाई हुई झाड़ू निकालती है)
प्रत्युष - (हैरानी से) क्या कहा आपने माँ...
प्रत्युष - तुझे सपनें में नहीं.... तुझे सच में जगाते हुए... मारना चाहिए...
प्रत्युष - ऐ... माँ... रुक रुक.... यह कौनसा अवतार है तेरी...
प्रतिभा - नालायक सुबह के दस बज रहे हैं... अभी भी घोड़े बेच कर सोया हुआ है.... चल उठ..
प्रत्युष - घोड़े बेचकर नहीं माँ... किताबें पढ़ कर....
प्रतिभा - अब तु उठेगा या पीटेगा...
प्रत्युष - वह लाल ही क्या माँ... जो माँ के हाथों से पीटते पीटते लाल ना हो जाए.....(कह कर फिरसे सो जाता है)
प्रतिभा - तो ठीक है... आज तो तु सच में लाल हो जाएगा... (कह कर प्रतिभा फिर झाड़ू से मारती है)
प्रत्युष अब झटपट से अपनी बिस्तर से उठ कर भाग जाता है l उधर ड्रॉइंग रूम में तापस अपनी वकींग शु उतार रहा है l उसे देख कर
प्रत्युष - डैड... सुबह के दस बजे... आप वकींग से लौट रहे हैं.... कितनी शर्म की बात है... माँ... मेरी माँ... मेरी प्यारी माँ... आज आपके वजह से... आपका गुस्सा मुझ पर उतार दिया है....
तापस - सुनो मिस्टर घन चक्कर.... अभी सिर्फ सुबह के आठ बजे हैं....
प्रत्युष - क्या.... पिताजी.... (रोते हुए) आ.. हा हा आ.. मुझे गले से लगा लीजिए पिताजी... आज जिंदगी में पहली बार माँ ने मुझे झाड़ू से मारा है....
तापस - अरे वाह... आज इस ऑकेजन को सेलिब्रिट करना चाहिए...
प्रत्युष - क्यूँ... माँ ने मुझे झाड़ू से मारा इसलिए...
तापस - नहीं मेरे पीले... तुने आज डैड को पिताजी कहा इसलिए...
प्रत्युष - हाँ... तब तो.. सेलिब्रेशन बनता है...
प्रतिभा - और सेलिब्रेशन के लिए.... हम आज बाहर जा रहे हैं....
प्रत्युष - कहाँ....
प्रतिभा - जहां तेरे पिताजी ले जाए....
प्रत्युष - तब तो आप एक काम करो माँ... आप लोग तैयार हो जाओ.... मैं अभी गया तैयार हो कर यूँ अभी आया....
तापस - अरे नामाकूल कितना टाइम लगेगा तुझे....
प्रत्युष - अरे फ़िकर नॉट... आप बस पांच मिनिट ठहरो... मैं एक घंटे बाद आया... (कह कर वापस अपने कमरे में घुस जाता है)
प्रतिभा - है.. भगवान... कितनी मुश्किल से उठाया... यह फिर अंदर घुस गया....(कह कर प्रत्युष के कमरे की ओर जा रही होती है कि तापस उसके हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाता है,
तापस - क्या बात है जान...
प्रतिभा - क्या हुआ.. कुछ भी तो नहीं...
तापस - देखो... हम दोनों... एक दुसरे को अच्छी तरह से जानते हैं और समझते हैं..... तुम्हारे भीतर कुछ चल रहा है...जिसे तुम छुपाने की कोशिश कर रही हो...
प्रतिभा - सेनापति जी.... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) एक्चुआली... मैंने जब पहली बार.... कोर्ट में केस लड़ा था... तब मुझे जैसा लग रहा था... आज इस केस में मुझे बिल्कुल वैसा ही लग रहा है... मैं सच में.. नर्वस फिल् कर रही हूँ... क्यूँ की असली एसीड टेस्ट कल से शुरू होगी....
तापस - जान... मैंने तब भी कहा था... आज भी कह रहा हूँ.... यह केस भी तुम्हारी हर पिछली केस की तरह है... जिन्हें आज तक तुमने लड़ा है.... इसे अपने दिल व दिमाग पर हावी मत होने दो.... ना तुम्हारा उस विश्व से कोई संबंध है... और ना ही उसे सजा दिलाने पर तुम्हें कोई पछता वा होना चाहिए..... बी प्रोफेशनल... जान
प्रतिभा - आप ठीक कह रहे हैं... सेनापति जी... मन नहीं लग रहा था.... इसलिए प्रत्युष छेड़ रही थी....
इतने में प्रत्युष बिल्कुल तैयार हो कर बाहर निकलता है
प्रत्युष - यह देखो माँ,... मैं तैयार हो गया.... टैन टैना....
प्रतिभा - तु.... तैयार हो गया....
प्रत्युष - यो...
प्रतिभा - नहाया, धोया है भी या नहीं....
प्रत्युष- उसकी क्या जरूरत है.... मैं सिर्फ कपड़े बदलकर आ गया...
प्रतिभा - क्या.... तूने नहाया नहीं है.... ब्रश भी किया है.. या वह भी नहीं....
प्रत्युष - ओह.... माय डियर माँ... तुमने कभी हाती को देखा है.... ब्रश करते हुए....
तापस - अब यह उल्टा झाड़ू खाएगा... मैं निकल लेता हूँ....
प्रतिभा झाड़ू को उल्टा करती है और प्रत्युष को गुस्से से देखती है l
प्रत्युष - वह देख माँ... डैड मुझे छोड़ कर भाग रहे हैं....
प्रतिभा पीछे मुड़ कर देखती है l तापस वहीं खड़ा मिलता है l जब प्रत्युष के तरफ मुड़ती है, प्रत्युष को गायब पाती है l प्रतिभा की हालत देख कर तापस अपनी हंसी रोक नहीं पाता है l प्रतिभा उसे गुस्से से देखती है और वह भी तापस के साथ हंसने लगती है l

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विश्व प्रताप महापात्र और मनरेगा घोटाले की सुनवाई में..... दोनों पक्षों के तरफ से.... अपनी अपनी दलीलें अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर चुके हैं.... जहां एक तरफ अभियोजन पक्ष ने इस घोटाले में जहां विश्व प्रताप को मुख्य अपराधी के तौर पर प्रस्तुत किया... वहीँ अभियुक्त पक्ष ने इसे एक षडयंत्र कहा.... आज से गवाहों की जिरह आरंभ होने जा रही है... सूत्र बताते हैं कि आज एसआइटी के मुख्य श्री कृष्ण चंद्र परीडा जी से..... दोनों पक्ष अपनी अपनी तरीके से जिरह करेंगे... अभी अभी मुल्जिम को लाया जा चुका है.... और थोड़ी ही देर बाद अदालत की कारवाई शुरू हो जाएगी... आगे की खबर जानने के लिए आप लोग हमारे साथ जुड़े रहें.... कैमरा मैंन सतवीर के साथ मैं प्रज्ञा आपको स्टूडियो लिए चलती हूँ अरुंधति के पास....
एफएम बंद करता है बल्लभ l
रोणा - यार यह तुमने सही किया.... इस केस को उछालने के लिए रेडियो और टीवी वालों का संगम करा दिया... पर हम भी अंदर कारवाई देख पाते तो और भी अच्छा होता....
बल्लभ - क्यूँ... इतनी जल्दी क्या है.... परसों से वैसे भी हम कोर्ट रूम के अंदर ही होंगे...
रोणा - वह कैसे.... समन तो हमे हुआ है....
बल्लभ - अबे भूतनी के.... राजगड़ से जितने भी गवाह आयेंगे... सबका वकील मैं हूँ... और सारी जिरह मेरे सामने ही होगी.... ऐसा परमिशन मैंने ले ली है...
रोणा - तो... परीडा के लिए भी ले लेना था....
बल्लभ - वह मुमकिन नहीं था.... वह एक सरकारी अधिकारी है.... और उसकी पोस्टिंग भुवनेश्वर सेक्रेट्रिएट में है... वह अगर किसीको हायर... करेगा तो या तो कटक से या फिर भुवनेश्वर से....
रोणा - ओ... ऐसा कुछ टेक्नीकली... होता है क्या...
बल्लभ - हाँ.... और ज्यादा मत अंदर घुस... तु अपने साथ मेरा दिमाग भी खराब कर रहा है... (तभी बल्लभ के मोबाइल में एक मैसेज आता है, उस मैसेज को पढ़ने के बाद ) लो अब कारवाई शुरू हो गई है....

अदालत के अंदर
वीटनेस बॉक्स में परीडा खड़ा है और उसे गीता पर हाथ रख कर कसम खाने के लिए कोर्ट की एक मुलाजिम कह रहा है
- कहिए मैं गीता पर हाथ रख कर वचन देता हूँ... मैं अदालत को जो भी कहूँगा सच कहूँगा... सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा....
परीडा - मैं गीता पर हाथ रख कर वचन देता हूँ... जो भी कहूँगा सच कहूँगा... सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा....
अपनी कुर्सी से प्रतिभा उठती है और परीडा के पास आती है
प्रतिभा - हाँ तो परीडा जी... अभी अभी आपने कसम खाई है... की इस अदालत को सच बतायेंगे.... क्यूंकि जिस केस ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है.... उसके मुख्य जांच अधिकारी आप हैं.... और जांच में आपने मुल्जिम श्री विश्व को अपराधी करार दिया है....
परीडा - जी...
प्रतिभा - चलिए फिर पहले आप अपनी परिचय को संक्षिप्त में बता दीजिए....
परीडा - जी मेरा नाम... कृष्ण चंद्र परीडा है.... मैं अभी सेक्रेट्रिएट में... होम सेक्रेटरी के अंडर कार्य कर रहा हूँ... इससे पूर्व मैं... आईबी में कार्यरत था...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म आई बी मतलब इंटेलिजंस बुरो... क्या यही वजह है कि आपको इस एसआइटी के लिए चुना गया....
परीडा - शायद....
प्रतिभा - परीडा जी आपकी एसआइटी कैसे बनी..... और कैसे ऑपरेट हुई... और कैसे आप लोग नतीजे पर पहुंचे... क्या विस्तार से प्रकाश डालेंगे....
परीडा - जी जरूर..... जैसा कि मैंने पहले बताया कि मैं सेक्रेट्रिएट में कार्यरत हूँ.... और होम सेक्रेटरी को रिपोर्ट करता हूँ.... एक दिन मुझे होम मिनिस्टर जी के ऑफिस से कॉल आया.... तो मैं तुरंत उनसे मिलने उनके कार्यालय में पहुच गया....
होम मिनिस्टर जी ने मुझसे कहा कि.... राजगड़ से राजा साहब यानी भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी आए थे.... और उन्होंने मुख्यमंत्री जी से अपने इलाके में... मनरेगा घोटाले पर जांच की आग्रह किया है.... पर कुछ दिन के लिए इस जांच को गुप्त रूप से किया जाए.... तो मुख्यमंत्री जी ने उन्हें आश्वासन दिया है... की एक अंडर कवर टीम इस जांच को अंजाम देगी.... इसलिए मुझे यह दायित्व निभाने का अवसर दिया गया.... मुझे और तीन जनों की टीम में शामिल करने को कहा गया... तो मैंने अपने दो सबअर्डीनेट और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को शामिल किया और एक ऑडिट टीम की तरह यशपुर पहुंचे अपना काम को अंजाम देने के लिए....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म अब तक ठीक है.... यशपुर पहुंचने के बाद आपने क्या किया.....
परीडा - जी यशपुर पहुंचने के बाद.... हमने राजा साहब जी से कॉन्टैक्ट की... चूंकि राजा साहब जी के शिकायत पर.... जांच आरंभ हुआ था.... इसलिए प्राथमिक गवाह के रूप में हमने राजा साहब जी का बयान लेने के लिए खबर भिजवाया.... राजा साहब जी ने हमको अपने महल में बुलाया.... और हमसे कहा कैसे विश्व को उन्होंने ही राजगड़ के विकास के लिए सरपंच बनने का आग्रह किया था....पर आज उन्हें अपने उस आग्रह पर बहुत पछतावा हो रहा है.... उन्हें दर-असल पंचायत समिति के एक सभ्य श्री उमाकांत आचार्य जी ने विश्व के करप्शन की जानकारी दी थी.... इसलिए पूरे सबूतों के साथ गिरफ्तार करने के लिए ही.... मुख्यमंत्री जी से एक निष्पक्ष जांच की आग्रह किया था.... तब मैं और मेरी टीम ने यह निश्चय किया कि... हम सबसे पहले श्री उमाकांत जी से मिलेंगे... तो राजा साहब ने अपने लोगों के जरिए.... श्री आचार्य जी को बुलावा भेजा था.... पर विडंबना यह रही कि राजा साहब जी के लोग... आचार्य जी मौत की खबर ले कर आए... आचार्य जी स्नान के लिए नदी के किनारे गए हुए थे.... तो वहाँ पर उन्हें सांप ने काट लीआ.... हमे घोटाले की सिरा मिलते मिलते रह गया था.... तो हमने यशपुर लौट कर तहसील ऑफिस की ऑडिट की तो पाया साढ़े सात सौ करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया.... हम ने हर डाक्यूमेंट्स में... सिर्फ और सिर्फ विश्व के ही दस्तखत नजर आए.... पर हमे शक हुआ... कहीं विश्व को कोई फंसा तो नहीं रहा है.... इसलिए हम एक दिन तहसील ऑफिस के कर्मचारी बता कर विश्व से मिले.... तो पाया... श्री विश्व अपने करनी को बड़े शान से बखान कर रहे हैं.... तो हमने चालाकी से उनकी सिग्नेचर हासिल की... फिर सारे डाक्यूमेंट्स के सिग्नेचर से मिलान फॉरेंसिक लैब में कराया तो सही पाया.... इस बीच हमे इत्तेफाक से दिलीप कर मिले.... वह भी विश्व के जाल में फंसे हुए थे.... कभी वह विश्व के पिता के दोस्त हुआ करते थे.... उन्होंने यह भी बताया कैसे राजा साहब से इंकार करने के बाद उमाकांत आचार्य के साथ मिलकर विश्व को सरपंच बनने के लिए तैयार किया.... आज उसी निर्णय पर रो रहे हैं.... हमने उनकी पूरी कहानी सुनने के बाद... उन्हें सबसे पहले सरकारी गवाह बनाया.... फिर हमें जांच का सही सिरा मिल गया... कैसे पांच हजार मृतकों के आधार कार्ड के जरिए... मनरेगा के बकाया राशि को उनके अकाउंट में कैसे जमा कराया... कैसे मृतकों के नाम पर कॉन्ट्रैक्ट उठाया गया.... और उनके बैंक अकाउंट को इसिएस के जरिए राजगड़ उन्नयन परिषद यानी रूप के अकाउंट में पहुंचाया गया...... और जैसे ही पैसे रूप के अकाउंट में पहुंचे... मृतकों की मृत सर्टिफिकेट जमा कर बैंक अकाउंट को डी-ऐक्टिव किया गया.... यह सब जांच में हमने पाया.... राजगड़ पंचायत के सरपंच, यशपुर के तहसीलदार, बीडीओ, रेवेन्यू इंस्पेक्टर और बैंक मैनेजर यह पांचो इस घोटाले में प्राइम सस्पेक्ट निकले.... हमने जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने होम मिनिस्टर जी से मिलने भुवनेश्वर गए.... रिपोर्ट सौंपते वक्त हमे खबर मिली... के एडिएम, बीडीओ फरार हो गए हैं... बैंक मैनेजर और तहसील ऑफिस के क्लार्क की हत्या हो गई और रेवेन्यू इंस्पेक्टर की गुमशुदगी की रिपोर्ट मिली.... कहीं विश्व भी हाथ से निकल ना जाए इसलिए हमने तुरंत देवगड़ एडिएम.... जो कि उस वक्त यशपुर तहसील के एडिशनल इंचार्ज भी थे... उनके हाथों विश्व के गिरफ्तारी की आदेश भिजवाया... होम सेक्रेट्रिएट के ऑफिस से.... बाकी सब आपके सामने है....
प्रतिभा - बहुत अच्छे... परीडा जी.... (जज के तरफ घूम कर) योर ऑनर यह संक्षिप्त विवरण था... कैसे विश्व को घोटाले की मुख्य अभियुक्त रूप जांच अधिकारी द्वारा... प्रस्तुत किया गया.... अब बचाव पक्ष... श्री परीडा जी से सवाल कर सकती है.....
जज - क्या डिफेंस.... श्री परीडा जी का क्रॉस एक्जाम करना चाहेगी...
जयंत - ऑफ कोर्स योर ऑनर.... जरूर....
जयंत - हाँ तो परीडा जी आपने अपने संक्षिप्त परिचय में कहा कि आप आईबी में पदाधिकारी थे.... और प्रमोशन के चलते सेक्रेट्रिएट में आए...
परीडा - जी....
जयंत - हाँ तो आप को होम सेक्रेट्रिएट से ऑर्डर मिला.... इसलिए आपने यह मनरेगा घोटाले की जांच शुरू की....
परीडा - जी...
जयंत - क्या आपको आश्चर्य नहीं लगा... के ऐसे अपराध की आप जांच कर रहे हैं.... जिस के ऊपर कोई लिखित अभियोग पत्र आपके पास नहीं है....
परीडा - जी.... वह... मैं.. मेरा मतलब है कि... हमे रिटीन ऑर्डर मिला था....
जयंत - और ऑर्डर में क्या लिखा था....
परीडा - जी सिर्फ जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए...
जयंत - जाहिर सी बात है... आपने वही किया भी... पर जब जांच रिपोर्ट आपने अदालत में सबमिट की... उसमे किस लिखित कंप्लेंट को आधार बना कर जांच किया बस यह नहीं बता पाए.... ह्म्म्म्म...
प्रतिभा अपने टेबल पर फाइलें पलट कर देखती है कि उसमें विश्व के खिलाफ या मनरेगा घोटाले की विरुद्ध कोई रिटीन कंप्लेंट नहीं है l
जयंत - योर ऑनर... यह राजा साहब के व्यक्तित्व ही है... जिनके मौखिक कंप्लेंट पर भी सिस्टम की हाई लेवल इंक्वायरी टीम ऐक्टिव हो गई....
प्रतिभा - आई ऑब्जेक्ट योर ऑनर.... मनरेगा का पैसा... सारे भारत वासियों का पैसा है... और कोई भी जागरूक नागरिक इस पर अपना विरोध मौखिक भी दर्ज करा सकता है.... इसमें यह कोई इशू नहीं है... क्यूंकि पुलिस भी फोन पर कंप्लेंट सुन कर हरकत में आती है.... प्रश्न है... जांच सही था या नहीं.... और यहां साढ़े सात सौ करोड़ रुपए की घोटाला सामने आया है.... इसलिए डिफेंस लॉयर... इसे किसीकी व्यक्तित्व को जोड़ कर ना देखें....
जज - सस्टैन.... डिफेंस लॉयर...अदालत को यह रिटीन कंप्लेंट की आवश्यकता यहां पर महसूस नहीं हो रही है.... आपको आगे पूछना है....
जयंत - जी... योर ऑनर...
जज - प्रोसिड...
जयंत - हाँ तो परीडा जी.... जांच के दौरान यशपुर में आप रुके कहाँ पर थे....
परीडा - जी.. यशपुर के सर्किट हाउस में....
जयंत - ह्म्म चूंकि आप सरकारी कार्य में गए थे... तो जाहिर सी बात है कि आप सर्किट हाउस में ही रुकते... वैसे... आप किस तरह की ऑडिटर बन कर गए थे...
परीडा - जी आरपीडीसी रेवेन्यू ऑडिटर बन कर...
जयंत - यह... आरपीडीसी होता क्या है...
परीडा - जी रूरल पेरिफेरल डेवलपमेंट कमेटी....
जयंत - तो आपने क्या पाया...
परीडा - जी कैसे प्रोजेक्ट कंप्लीशन सर्टिफिकेट और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट देकर करोड़ों हड़प लिए गए...
जयंत - ह्म्म... यह मृत् लोगों के आधार कार्ड.. का क्या चक्कर है... परीडा जी...
परीडा - जी... सर... पहले जब काम शरू हुआ था... जिन कॉन्ट्रैक्टर्स को काम दिया गया था.... उनकी काम की क्वालिटी को देख कर.. उन कॉन्ट्रैक्टर्स को पहले ब्लैक लिस्ट किया गया..... फिर उन प्रोजेक्ट्स को कंप्लीट करने के लिए.... मृत् व्यक्तियों के आधार कार्ड का सहारा लिया गया.... उनके नाम पर कुछ फेक कंस्ट्रक्शन कंपनीयाँ बनाई गई.... और उनके नाम पर जो करंट अकाउंट बनाया गया था.... उन अकाउंट्स पर पैसे भेजे गए थे और उन अकाउंट्स से इसिएस के जरिए पैसे.... विश्व के बनाए एनजीओ रूप के अकाउंट को वापस आ जाती थी डोनेशन के रूप में..... और सर रूप के अकाउंट को ऑपरेट करने की अधिकार सिर्फ़ दो लोगों के पास था.... एक विश्व और दूसरे बैंक अधिकारी जिनकी बाद में हत्या हो गई....
जयंत - अच्छा.... ह्म्म्म्म.... एक अंतिम प्रश्न.... क्या विश्व के साइन किए सभी चेक के पैसे.... क्या मृतकों के अकाउंट को गई थी....
परीडा - जी सभी के सभी.... और मैंने उसकी लिस्ट भी दी है.... आप रिपोर्ट में देख सकते हैं...
जयंत - आर यू श्योर... (इतना कह कर जयंत फाइलों के सारे काग़ज़ को उलट पलट करने लगा) नहीं नहीं... पता नहीं पर शायद.... मुझे लगता है... विश्व के साइन किए सभी चेक.... कैसे... परीडा जी..... कहीं आप गलती तो नहीं कर रहे हैं....
परीडा - जी मैंने अपनी रिपोर्ट में... सबमिट किया है... आप देख सकते हैं...
जयंत - (अपनी कुर्सी पर बैठ कर अपने सर पर हाथ रख कर) नहीं मुझे देखने की कोई जरूरत नहीं.... (बड़े दुखी मन से) मैं बस आपसे इतना जानना चाहता हूँ.... क्या विश्व अपने सरपंच बनने के काल में शुरू से लेकर गिरफ्तार होने से पहले तक.... जितने भी चेक साइन किए... क्या वे सभी मृतकों के अकाउंट्स थे...
परीडा - जी हाँ.... मैं फिर से दोहरा रहा हूँ... विश्व के द्वारा साइन किए गए.... सभी चेक के पैसे मृतकों के अकाउंट को ही जाती थी....
फिर जयंत चुप हो जाता है और अपनी जगह पर पहुंच कर टेबल पर अपनी दाहिने हाथ की मुट्ठी से ठक ठक ठक कर मारता है l उसके चेहरे पर तनाव साफ़ दिख रहा है l
जज - डिफेंस लॉयर... क्या आपको और जिरह नहीं करना है....
जयंत - ह्म्म्म्म नो... नो योर ऑनर... बस... मुझे यही जानना था.... ठीक है... धन्यबाद... परीडा जी.... अगर जरूरत पड़ी तो आपको दोबारा यहाँ आना पड़ेगा...
यह सुन कर प्रतिभा के चेहरे पर एक खुशी भरी मुस्कान खिल उठी l
परीडा - जी मैं कानून और न्याय की सेवा करने के लिए... हमेशा से तैयार रहता हूँ...
जयंत - वेल... माय लॉर्ड... आज के लिए इतना ही.... अगर प्रोसिक्यूशन चाहें तो परीडा जी के जत किंचीत संचित ज्ञान से बंचित जिरह कंटीन्यु कर सकती हैं...
जज - क्या प्रोसिक्यूशन कारवाई को आगे बढ़ाएगी....
प्रतिभा - नो... माय लॉर्ड...
जज - तो फिर ठीक है... अगली सुनवाई... बुधवार को होगी.... आज के लिए कारवाई स्थगित किया जाता है.... टुडेस् कोर्ट इज़ एडजॉर्न.... (कह कर टेबल पर हथोड़ा मारता है)
सभी अपनी जगह पर खड़े हो जाते हैं l तीनों जज बाहर चले जाते हैं l उनके जाते ही, सभी कोर्ट रूम खाली करते हैं सिर्फ़ जयंत अपनी जगह बैठा रह जाता है l

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चेट्टीस् गेस्ट हाउस में
सब - चियर्स....
सब के हाथ में ग्लास है l ओंकार और पिनाक एक जगह पर बैठ कर हाथ में ग्लास लिए बैठे हैं l बार काउन्टर पर एक नौकर बैठा सबके लिए पेग बना रहा है और एक एक को बढ़ा रहा है लेकिन, सबसे ज्यादा खुश रोणा दिख रहा है l
रोणा - वाह.. वाह.. परीडा जी... वाह वाह... क्या बुनियाद रखा है आपने वाह.... पहली बार.... वह साला बुढ़उ गच्चा खा गया....
परीडा - चियर्स.... रोणा... चियर्स... अरे... ऐसे कितने जयंत देखे हैं.. मैंने... यह मुझे क्या लपेटता मैंने ही उसे लपेट लीआ.... हा हा हा हा
कर - (अपने दोनों हाथ जोड़ कर, नशे में धुत) मैं वहाँ आऊँ.... कुछ कउँ...
रोणा - बोल कुत्ते... आज जी भर के... कउँ.. कउँ... कर ले...
कर - ही.. ही.. ही... प.. परीडा स् साब जी.... आपने हमारी म...नरेगा... इमारत की... क्या नींव डाली है... अब ह् ह्.. हमारी बारी... हम दीवार उठाएंगे.... यह खाकी वाला छत डालेगा... और अंत में... राजा सहाब... टीवी से कीवाट लगाएंगे... स... साला कोई अंदर ही घुस नहीं पाएगा.... ही ही ही ही...
पिनाक - अभी तो कुछ भी नहीं है.... विश्व को सज़ा हो जाने दो.... फिर देखो क्या पार्टी होती है... वैसे... प्रधान... कितने साल के लिए अंदर जाएगा....
बल्लभ - कहना... मुश्किल है.... अगर हमारे लगाए चार्जस स्टैंड करते हैं... तो चौदह से बीस साल की सजा हो सकती है....
पिनाक - स्टैंड करती है... मतलब... अबे... स्टैंड... करेगी... नहीं तो.. बैसाखी लगवा कर... स्टैंड करवाना पड़ेगा... समझा...
ओंकार - अरे.. अरे... छोटे राजा जी...( एक नौकर को इशारा कर) ऐ छोटे राजा जी के ग्लास में... दो चार बर्फ के टुकड़े डाल.... (फिर पिनाक से) छोटे राजा जी... पी तो रहे हैं... हॉट ड्रिंक... पर कुल रहिए.. कुल...
रोणा - छोटे राजा जी.... आप यहां... स्टेट के स्वस्थ्य मंत्री के पास बैठे हुए हैं.... और आप वाइआइसी फार्मास्यूटिकल्स के गेस्ट हाउस में हैं.... यहां आपको हर मर्ज की दवा मिल जाएगी.... इसलिए शांत रहें...
पिनाक - हाँ... रोणा... सही कह रहे हो... जब खुशी मिले... तब जश्न मनाने से चूकना नहीं चाहिए....
कर - क्या थूकना... मैं सिर्फ़ राजा साहब के थूक चाट सकता हूँ...
बल्लभ - इसे ज्यादा.. चढ़ गई है... ऐ (नौकर से) इसे लेकर उसके कमरे में फेंक आओ...
दो नौकर दिलीप कर को उठा कर ले जाते हैं l
परीडा - क्या बात है.. वकील... तुम्हारे हाथ में जाम तो है... पर तुम क्यूँ नहीं पी रहे हो....
बल्लभ - जब तक... (ग्लास को हिलाते हुए) विश्व को सजा नहीं हो जाता.... तब तक नहीं...
परीडा - अरे फ़िकर नॉट... विश्व का वकील... अगर स्ट्रॉन्ग है... अपनी भी प्रतिभा बहुत मजबूत है.... साला बुढ़उ... दो मिनिट के लिए ही सही.... मेरा दिमाग हिला दिया था.... रिटीन कंप्लेंट के बारे में पूछ कर.... पर प्रतिभा ने क्या.. पटखनी दी... बुढ़उ सोचा भी नहीं होगा... ऐसी पटखनी मिलेगी.....
बल्लभ कुछ नहीं कहता है, वह चुप रहता है और अपने हाथ में लिए शराब की ग्लास को हिलाता रहता है l
पिनाक - क्या बात है... प्रधान... आज जश्न मनाने में... कंजूसी क्यूँ...
बल्लभ - मैं यह सोच रहा हूँ.... आज की कारवाई में जयंत ने... ज्यादा कुछ पूछा नहीं.... शायद इसलिए कि परीडा सिर्फ़ एक इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर था... कहीं यह उसका स्मार्ट मूव तो नहीं....
रोणा - बोला... अपनी काली जुबान से बोला... साला काले कोट वाले... जब भी मुहँ खोलेगा... काली जुबान से ही बोलेगा...
पिनाक - प्रधान... तु... हमसे किस जनम का बैर निकाल रहा है बे... हम जश्न मना रहे हैं.... और तु रंग में भंग डाल रहा है....
परीडा - खैर मैंने तो अपना काम कर दिया है.... अगली सुनवाई उस कर की है....
पिनाक - ह्म्म्म्म... जानते हैं.... कर बहुत... पुराना खिलाड़ी है.... सम्भाल लेगा..
Nice and awesome update...
 
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