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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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Kala Nag

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👉बयान्वेवां अपडेट
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xxx होटल
एक रॉयल शूट
उस शूट के बेड रुम में किंग साइज बेड के बगल में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l उस बेड पर रोणा लगभग नंगा लेटा हुआ है l सिर्फ कमर से घुटने तक एक सिलिंडर नुमा कपड़े से ढका हुआ है l पुरा शरीर उसका लाल दिख रहा है l रोणा को एक डॉक्टर दो मेल नर्सों के साथ चेक कर रहे हैं l उस शूट के बगल वाले बड़े से गेस्ट रुम में सोफ़े पर परीड़ा और बल्लभ बैठे हुए हैं l उनके सामने होटल का मैनेजर, कुछ स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर सिर झुकाए, हाथ बांधे खड़े हुए हैं l कुछ देर बाद बेड रुम का दरवाजा खुलता है l डॉक्टर और नर्स बाहर आते हैं l उनके बाहर आते ही परीड़ा और बल्लभ खड़े हो जाते हैं l

बल्लभ - डॉक्टर साहब... कितना सीरियस है...
डॉक्टर - नहीं... अभी ठीक है... सीरियस नहीं है... गरम पानी से... उनकी त्वचा जल गई है.... हमने पुरे बदन पर क्रीम लगा दिया है... जलन बहुत हद तक कम हो गया है... बेड पर मोटराइज्ड वाटर बेड डलवा दिया है... उसके अंदर ठंडा पानी सर्कुलेट होता रहेगा... और रुम टेंपरेचर बाइस डिग्री पर सेट किया गया है... कल सुबह तक नब्बे प्रतिशत ठीक हो जाएंगे... फ़िलहाल हमने उन्हें नींद की इंजेक्शन दे दिआ है... इत्मीनान रखिए... परसों तक वह पुरी तरह से ठीक हो जाएंगे... हाँ कुछ दिनों के लिए उनका त्वचा... थोड़ा काला पड़ जाएगा.... पर चिंता की कोई बात नहीं... हफ्ते दस दिन के भीतर ही.. उनका त्वचा नॉर्मल हो जाएगा... बस दवाई खाते रहना है.... और क्रीम लगाते रहना है...
बल्लभ - थैंक्यू डॉक्टर...
डॉक्टर - ईट्स ओके...

कह कर डॉक्टर और उसके स्टाफ बाहर चले जाते हैं l मैनेजर उन्हें दरवाजे के पार छोड़ कर वापस अपनी जगह खड़ा हो जाता है l तब तक परीड़ा और बल्लभ दोनों सोफ़े पर बैठ चुके थे l


मैनेजर - सर... जो हुआ... नहीं होना चाहिए था... पर हुआ... और बुरा हुआ... सर यकीन मानिए... ऐसा इस होटल में पहली बार हुआ है... वी आर वेरी सॉरी फॉर दिस...
बल्लभ - (भड़क कर) ऐसा पहली बार हुआ है... साज़िशन किसीकी जान लेने के कोशिश की गई है... आपकी सिक्युरिटी क्या कर रही थी... आपके स्टाफ क्या कर रहे थे... ऐसे कोई आएगा... आपसे पहचान नहीं हो पाया... कैसे रोकेंगे अगर फिरसे ऐसा कुछ हुआ...
सिक्युरिटी ऑफिसर - सर... जिन्होंने यह सब किया... उन्होंने आधार कार्ड की जिरक्स जमा कर रुम लिया था... अब कांड होने के बाद... जब तहकीकात किया गया... तब मालुम पड़ा... आधार कार्ड नकली है...और वह लोग भी....
बल्लभ - फिर भी...
सी.ऑ - सर हमसे जो भी हुआ... जितना भी हो सका... जो भी जानकारी हासिल की... सब तो आपको और परीड़ा सर को बता चुके हैं... यहाँ तक हमने सारे सीसीटीवी के फुटेज दे दिया है... बाकी...आप जैसा कहेंगे... हम करने के लिए तैयार है...
मैनेजर - सर... हम.. आपके स्टेयींग के सारी रकम.. रिफंड कर रहे हैं... अनिकेत सर जी को इसी शूट में... हॉस्पिटल ट्रीटमेंट दे रहे हैं... वह भी हमारी ख़र्चे पर... और उनके ठीक हो कर जाने तक.. हम रहना और खाना फ्री कर रहे हैं... प्लीज सर... कोई कंप्लेंट रेज मत कीजिए...

बल्लभ कुछ कहने को होता है कि परीड़ा उसे इशारे से रोकता है तो बल्लभ चुप हो जाता है l

परीड़ा - (मैनेजर से) ठीक है.. हम गौर करेंगे... अब आप लोग जाइए... हम... आपस में डिस्कस कर के आपको खबर कर देंगे...
मैनेजर - (मायूस हो कर) ओके सर... आई विल वेट... विथ पॉजिटिव होप...

कह कर मैनेजर अपने स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर को लेकर वहाँ से चला जाता है l बल्लभ परीड़ा की ओर देखता है, परीड़ा आँखे मूँद कर कुछ सोच रहा है l

बल्लभ - तुने इतनी आसानी से... उन्हें जाने क्यूँ दिया...
परीड़ा - (अपनी आँखे खोल कर) (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) तु अच्छी तरह से जानता है... इस मामले में... इन लोगों का कुछ लेना देना नहीं है... फिर बेकार में इन्हें घसीट क्यूँ रहा है...

बल्लभ असहाय, नाउम्मीद सा अपना हाथ सोफ़े के हैंडरेस्ट पर मारता है l

बल्लभ - क्या करें... कुछ समझ में नहीं आ रहा... कितनी आसानी से... रोणा को खौलते हुए पानी से नहला दिया... उसकी ऐसी हालत कर... आसानी से चले भी गए... हमें पुलिस को इंवाल्व करना चाहिए था... तुने बेकार में मना कर दिया....
परीड़ा - (बल्लभ की छटपटाहट उसे साफ महसुस होता है) पिछली बार... जब पुछा था... तब तुम्हीं लोगों ने पुलिस को इंवाल्व करने से मना किया था... और यहाँ पुलिस तक कैसे जाते... मत भूलो यहाँ की सेक्यूरिटी ESS की है... हाँ तुम चाहो तो... ESS को इंवाल्व कर सकते हो... फिर उसके बाद... युवराज अगर मैदान में उतरेगा... और जो तुम लोग ढूंढ रहे हो... शायद विक्रम सिंह ढूंढ ले... उसके बाद... सोचो तुम दोनों की औकात... क्या रह जाएगा... राजा साहब के सामने...
बल्लभ - (यह सब सुन कर चुप हो जाता है)
परीड़ा - वैसे भी... सारी गलती तुम लोगों की थी... तुम लोगों के बगल में रह कर,... कोई तुम लोगों की ले रहा था... साले तुम दोनों... अपनी आँखे मूँद कर... अंगूठा चूस रहे थे...
बल्लभ - (बिदक जाता है) कहना क्या चाहता है तु...
परीड़ा - यही... के सावधानी हटी... टट्टे कटीं...
बल्लभ - (परीड़ा को खा जाने वाली नजर से घूरते हुए) क्या मतलब हुआ इसका....
परीड़ा - कुछ उखाड़ने के चक्कर में... तुम झुक क्या गए... वह पीछे से आया... तुम लोगों का टट्टे काट कर ले गया... जब तुम उसे पकड़ोगे... वह क्या कहेगा... अररे... मैंने तो टमाटर समझ कर काट लिया था... यह तो आपके टट्टे निकले...
बल्लभ - (छटपटाते हुए चुप हो जाता है)
परीड़ा - अब तक रोणा पर हमला करने वाला... जो कोई भुत था... पहचान छुपाए हुए था... इस बार वह अपनी पहचान का सुराग छोड़ कर गया है....
बल्लभ - मतलब... कौन है... क्या विश्वा है... या कोई और है...
परीड़ा - घबराओ मत... अभी एक काम करते हैं... मैं कुछ और जानकारीयाँ इकट्ठा करता हूँ... रोणा को आज सोने दे... कल तक वह बहुत हद तक ठीक हो जायेगा... फिर सारी जानकारी सामने रख कर.... साथ मिल कर... पता करते हैं... वह भुत कौन है....

इतना कह कर परीड़ा वहाँ से उठता है और शूट रुम से बाहर चला जाता है l उसके जाते ही बल्लभ रोणा के सोये हुए रुम के अंदर जाता है l

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अपना जंक्शन आते ही भाश्वती रुप और विश्व को बाय कह कर उतर जाती है l जब से भाश्वती के लिए विश्व सेक्शन शंकर से मिला था, उस दिन के बाद विश्व और रुप भाश्वती के साथ बस में जाते हैं और उसे ड्रॉप करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं l भाश्वती और विश्व रुप के साथ एक सीट में बैठ कर आए थे l भाश्वती के उतर जाने के बाद उसी सीट में विश्व और रुप चुपचाप बैठे हुए थे और एक दुसरे से नज़रें चुरा रहे थे l आज ड्राइविंग स्कुल में दोनों के बीच कोई बात चित हुई नहीं थी l अभी भी दोनों ख़ामोश ही थे l सच यह भी था कि दोनों को अपने बीच की यह खामोशी सहन नहीं हो रहा था l इस उधेडबुन में दोनों की आँखे बंद हो गई थी जबड़े भींची हुई थी l फिर दोनों के मुहँ से एक साथ निकलता है

"क्या हम बात कर सकते हैं"

दोनों मुहँ से एक साथ जैसे ही यह शब्द निकालता है, पहले दोनों चौंकते हैं, फिर हैरान होते हैं फिर दोनों मुस्कराते हुए एक दुसरे को देख कर मुस्करा देते हैं फिर अपनी नजरें फ़ेर लेते हैं l रुप खुद को नॉर्मल करते हुए

रुप - ठीक है... शुरु करो फिर...
विश्व - क्या...
रुप - अरे... तुम्हीं ने तो कहा... बात करने के लिए...
विश्व - आपने भी तो... वही कहा...
रुप - तो...
विश्व - वह कहते हैं ना... लेडीज फर्स्ट...
रुप - (चेहरे पर मुस्कराहट लाती है) ठीक है... (धीरे धीरे मुस्कराहट चेहरे से गायब होती है) तुम.. चाहो तो... मुझे... सुकुमार अंकल के मामले से अलग कर सकते हो...
विश्व - (चौंक कर देखता है) क्यूँ...
रुप - नहीं... हमारी दोस्ती है कितने दिन की... और मैं तुम्हें मजबूर करूँ भी क्यूँ... क्यूँ की... सुकुमार अंकल के मैटर के बाद... फिर शायद ही हमारा मिलना हो...
विश्व - क्यूँ... आप इस शहर में नहीँ रहेंगी क्या...
रुप - (मन ही मन में) मैं तो यहीं रहूँगी बेवक़ूफ़... तुम तो एक महीने के लिए आए हो... फिर पता नहीं कितने दिनों के लिए... कहाँ चले जाओगे...
विश्व - मैंने कुछ पुछा आपसे...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए, खिड़की से बाहर देख कर ) पता नहीं...

विश्व का चेहरा थोड़ा उतर जाता है, वह भी अपना चेहरा दुसरी तरफ कर लेता है l फिर रुप की ओर घुम कर

विश्व - एक... बात... पुंछुं...
रुप - (विश्व की ओर देखते हुए) ह्म्म्म्म...
विश्व - कल आपने... उस आदमी को... क्यूँ मारा....

रुप देखती है विश्व की आँखे उसके आँखों में झाँक रही है l शायद इस सवाल का ज़वाब उसके लिए खास मायने रखता है l रुप भी उसकी आँखों में आँखे डाल कर जवाब देती है

रुप - वह मुझे... बिल्कुल भी पसंद नहीं आया...
विश्व - क्यूँ...
रुप - (अपने होठों को दबा कर मुहँ दुसरी तरफ कर) मैं रोज सैकड़ों नजरों से गुजरती हूँ... कौनसी नजर कैसी है... अच्छी तरह से समझती हूँ... पर उस दिन की नजर... अलग था... वह जब से अंदर आया था... मुझे वह... बहुत ही गंदी नजर से देख रहा था... मैं पानी देने गई... तो वह मुझे ऐसे देख रहा था जैसे... मुझे अपनी नजर से स्कैन कर रहा हो... या मेरा... एक्सरे ले रहा हो... मैं बेशक कपड़ों में थी...तन ढका हुआ था मेरा... पर लग रहा था... जैसे उसकी भद्दी नज़रों में... मैं... (कुछ कह नहीं पाती) (थर्राते हुए एक गहरी सांस लेती है) मैं वहाँ से... उसी वक़्त भाग जाना चाहती थी.... अपने आप को कोस रही थी... क्यूँ आई मैं उस कमरे में.... आंटी जी... मेरे अंदर की एंबार्समेंट को फौरन समझ गई... इसलिए उन्होंने मुझे वहाँ से भेज दिया... फिर मैंने देखा... आंटी जी मेरे लिए... मेरे खातिर उससे कहा सुनी कर रही थीं... पर उसने जिस तरह से... अंटी जी से बिहेव किया... (रुक कर तेज तेज सांस लेते हुए, गुस्से में तमतमाते हुए) मुझसे रहा नहीं गया... पहले से ही गुस्से में जल रही थी... बस सब्र टुट गया... अपना गुस्सा निकाल दिया... (कुछ देर अटक कर) कभी कभी लगता है... एक लड़की समाज में... किन से डरे... कितनों से डरे... किस किस वजह से डरे... (अपनी दोनों हाथों को मलते हुए) शायद पुराने ज़माने में लोग... इन जैसों के वजह से... लड़की को पैदा होते ही मार देते थे...

विश्व उसे सुनते हुए बिना पलकें झपकाए एक टक देखे जा रहा था l विश्व का इस तरह देखने से रुप शर्मा जाती है और अपना चेहरा झुका लेती है l विश्व को फौरन अपनी नजर का एहसास होता है l

विश्व - सॉरी...
रुप - किसलिए...
विश्व - वह... (क्या कहे उसे कुछ नहीं सूझता) वह... एक्चुयली थैंक्यू...
रुप - (हैरानी के साथ मुस्कराते हुए) यह किसलिए...
विश्व - (खुद को नॉर्मल करते हुए) वह... उस बत्तमीज को... जो मेरी माँ के साथ बत्तमीजी कर रहा था... उसे... अच्छा सबक सिखाया आपने... मेरे तरफ से.... इसलिए...

रुप मुस्करा देती है उसे एक अंदरुनी खुशी महसुस होती है l अपने चेहरे पर जाहिर ना हो इसलिए अपना चेहरा खिड़की की ओर कर लेती है l

विश्व - एक.... और बात... पुछुं...
रुप - हूँ... पुछो..
विश्व - आपने क्यूँ कहा कि... सुकुमार अंकल के मैटर में... मैं चाहूँ तो आपको अलग कर दूँ...
रुप - (चेहरा संजीदा हो जाता है) कभी कभी लगता है... मैं हद से ज्यादा तुम पर... अपनी जिद लादती रहती हूँ... शायद दोस्ती में कोई हद होती होगी... मैं.. बेहद अपना हक जताती रहती हूँ... सुकुमार अंकल तुम्हें बहुत पसंद करते हैं... एक्चुयली... सुकुमार अंकल... तुमसे ही अपना प्रॉब्लम शेयर करना चाहते थे... पर उस दिन तुम लेट आए... मैं उन्हें उदास देख कर उनसे प्रॉब्लम जाना... (मुस्कराते हुए) फिर मैंने ही अपने शरारत के चलते... सुकुमार अंकल से तुमको कहने के लिए मना कर दिया....
विश्व - ओ... (भवें उठा कर)
रुप - इसलिए...(संजीदा हो कर) तुम चाहो तो... मुझे उनके मैटर से अलग कर सकते हो... (अपना मुहँ फ़ेर लेती है)
विश्व - (कुछ देर की चुप्पी के बाद) एक बात कहूँ... (रुप जिज्ञासा भरे नजरों से देखती है) हम इस रविवार को... दोनों मिलकर... सुकुमार अंकल की प्रॉब्लम दुर करेंगे... (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए) इस मामले में... मुझे आपका साथ चाहिए... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे फाड़े कभी विश्व को, कभी उसके हाथ को देखती है l

विश्व - आपने मुझसे दोस्ती की है... मैंने भी आपसे दोस्ती की है... दोस्त के नाते... आपका हर हक़... और जिद मेरे सिर आँखों पर... फिर से पुछ रहा हूँ... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे मीट मीट करते हुए विश्व को देखने लगती है l विश्व कुछ सोचने के बाद अपना हाथ खिंचता है कि तभी रुप उसका हाथ पकड़ लेती है और खुशी से चहकते हुए हाथ मिला कर जोर जोर से हिलाने लगती है l

रुप - थैंक्यू...

तभी कंडक्टर आवाज देता है l "राज महल स्क्वेयर"

रुप की स्टॉपेज आ गई थी l रुप अपने सीट से उठ कर बाहर निकलती है l और पीछे की एक्जिट की ओर जाती l विश्व उसे जाता हुआ देख रहा था l ठीक डोर के पास पहुँच कर रुप पीछे मुड़ती है और हल्के से मुस्कराते हुए अपना हाथ हिला कर विश्व को बाय कहती है l विश्व भी अपना हाथ हिला कर जवाब में बाय कहता है l रुप उतर जाती है और बस आगे बढ़ जाती है l रुप उस बस को जाते हुए देखती है l उसके पास एक कार आकर रुकती है, रूप उस गाड़ी में बैठ जाती है l गाड़ी के अंदर वह आज की बात याद करते हुए खुद पर हैरान होती है l रॉकी ने दोस्ती की हाथ बढ़ाया था पर रुप को रॉकी से दोस्ती करनी ही नहीं थी, और आगे चलकर उसके दिल की बात जानने के लिए रॉकी से दोस्ती की थी l पर आज की बात और है, क्यूँकी आज पहली बार किसी लड़के का हाथ दोस्ती के लिये रुप ने खुद थामा था और हाथ उठा कर उसे बाय भी कहा था l

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ESS की ऑफिस
विक्रम कांफ्रेंस हॉल के अंदर बैठा हुआ है l थोड़ी देर बाद महांती कांफ्रेस हॉल की दरवाजे को बंद कर अंदर आता है और विक्रम के सामने बैठ जाता है l

महांती - और युवराज जी... कैसी रही... आपकी... और पार्टी प्रेसिडेंट की मीटिंग...
विक्रम - वही... एक दम बकवास और उबाऊ... लॉ मिनिस्टर की बेटी की रिसेप्शन है.. कुछ ऐसा करो की... इमेज बनें... फलाना ढिमका.... लोग दो चार बातेँ करें हमारे बारे में... तब टिकट मिलने पर कोई विरोध न होगा... पुरे मीटिंग में यही कह कर मेरा टाइम बर्बाद किया... और अपने साथ... एक इवेंट में लेकर गए... ओह... यकीन नहीं करोगे... इतना हैक्टिक... सिर अभी भी फटा जा रहा है... खैर इसे साइड करो... कहो... खबर क्या है और... हमें करना क्या है....
महांती - युवराज... इतना तो पक्का है... चेट्टी और केके... इस वक़्त कटक में हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मतलब... चेट्टी... अपने विधायक क्षेत्र में है...
महांती - हाँ.. अब वह विरोधी पार्टी में शामिल हो गया है... तो उस पार्टी में... उसे खास तबज्जो मिल रही है...
विक्रम - तबज्जो मतलब...
महांती - अब चेट्टी... विरोधी खेमे का बड़ा नेता बन गया है... पार्टी की मांग पर... उसे वाई प्लस सिक्युरिटी दी गई है...
विक्रम - (कुछ देर चुप रहने के बाद) उसे वाई सिक्युरिटी मिली है... केके को तो नहीं...
महांती - पर केके खुद को... चेट्टी की सिक्युरिटी के सील में रहेगा...
विक्रम - मतलब हम... अभी हाथ नहीं डाल सकते हैं...
महांती - फ़िलहाल तो नहीं... क्यूंकि आपकी पोलिटिकल आइडेंटिटी.... खतरे में आ सकती है...
विक्रम - तो क्या हम... कुछ नहीं कर सकते...
महांती - कुछ साल पहले... हम कहीं भी घुस सकते थे... पर अब आपका... एक पोलिटिकल इमेज है... ताकत का इस्तमाल.... आउट ऑफ स्क्रीन करना होगा आपको... ऑन द स्क्रीन... दिमाग चलाइये... और राजनीति कीजिए...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
महांती - उसे हमारे आँखों के सामने रहने दीजिए... मौका... कभी तो हाथ लगेगा...
विक्रम - इस बीच अगर... उनसे कोई गुस्ताखी हुई... तो...
महांती - वह लोग... जितने खुलेंगे... हम भी उनसे... उतने खुल जाएंगे...

फिर कुछ देर के लिए हॉल में शांति छा जाती है l विक्रम कुछ सोचने लगता है l

विक्रम - कल केके अदालत में... जे ग्रुप के मालिक को... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देने जा रहा है... वह आएगा... ऐसे निकल जाएगा... मुझे अच्छा नहीं लगेगा....
महांती - युवराज जी... आप ने सात साल लगा दिए... आज का अपना यह पहचान बनाने के लिए... आज हालात थोड़े अलग हैं... जो कभी साथ थे.. या नीचे थे... आज वह लोग.. बगावती तेवर के साथ... पंजा लड़ा रहे हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... पर कल के लिए... मुझे वीर की कही बातेँ याद आ रही हैं...
महांती - मुझे भी... वे लोग... बेशक हम से दुश्मनी ले लिए हैं... पर... डर तो उन्हें उतना ही होगा... इसलिए... कल वे हमको... मेरा मतलब है... आपको शायद किसी तरह एनगेज रखेंगे....

विक्रम मुस्कराते हुए अपनी जगह से उठता है l और कांफ्रेंस टेबल के पर थोड़ा इधर उधर होता है l फिर महांती की ओर देखते हुए

विक्रम - महांती... सात साल लगे... मैं इस इमेज को बनाने के लिए... भागता रहा... सबको... अपने पीछे छोड़ता रहा... पर आज देखो... कितना बेबस हूँ... मेरा दुश्मन मेरे सामने है... पर मैं मज़बूर हूँ...
महांती - युवराज... वह लोग आपसे दुश्मनी तो कर रहे हैं... पर सीधे सीधे नहीं... और खुल्लमखुल्ला तो हरगिज नहीं... सिर्फ हम जानते हैं... की हमारा दुश्मन कौन है... इसलिए आप भी उन्हीं की तरह सोचिए... आप राजनीति कीजिए... बाकी हम पर छोड़ दीजिए...
विक्रम - सुकांत रॉय... रॉय ग्रुप सिक्युरिटी सर्विस... वह हमसे... यानी ESS से भीड़ रहा है...
महांती - कोई बड़ी बात नहीं है... किसी भी संस्थान को कामयाब होने के लिए.. या सस्टैंन होने के लिए... फाइनैंस चाहिए... जो उसे अब केके दे रहा है... और पोलिटिकल सपोर्ट... उसे चेट्टी से मिल रहा है...
विक्रम - चेट्टी का अभी भी... पोलिटिकल बेस बाकी है...
महांती - क्यूँ नहीं... आखिर वह एक वेटरन है... निरोग हॉस्पिटल के ड्रग्स कांड में... उसका बेटा बदनाम हुआ था... और तब भी वह इंडिपेंडेंट में दुसरे नंबर पर था.. वोट शेयर में...
विक्रम - ह्म्म्म्म... तो इसका मतलब अगर मैं... कुछ अग्रेसिवनेस दिखाऊँ... तो
महांती - तो... वह लोग... आपको हर हाल में.... ऐंगेज रखने की कोशिश करेंगे...
विक्रम - ह्म्म्म्म सिर्फ मुझे... क्यूंकि... छोटे राजा जी... दिल्ली में हैं... और वीर अभी राजगड़ में...
महांती - जी...
विक्रम - तो सवाल यह है कि... मुझे किस तरह से एनगेज रखेंगे...
महांती - मुझे लगता है कि... आपकी प्रॉपर रेकी हो रही होगी... आप उनके नजर में होंगे...
विक्रम - क्या वे... मुझे कटक जाने से रोकेंगे...
महांती - (कुछ सोचते हुए) पता नहीं... पर आप... कल कटक क्यूँ जाएंगे...

विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरती है l वह अपना सिर हिला कर कुछ सोचते हुए l

विक्रम - अदालती कारवाई देखने के लिए... मैं कटक जाऊँगा... और देखूँगा... मुझे कैसे... एनगेज रखते हैं....


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अगले दिन
विश्व खोया खोया हुआ नाश्ता कर रहा है l और द हैल में रुप की भी वही दसा है l रुप के आगे से शुभ्रा थाली चुपके से निकाल लेती है l फिर भी रुप को होश नहीं रहता, वह अपनी चम्मच से खाना उठाने की कोशिश में टेबल पर चम्मच रगड़ती है l उसे यूँ खोया हुआ देख कर शुभ्रा और विक्रम दोनों हैरान होते हैं l

तापस - क्या हुआ लाट साहब... कहाँ खोए हुए हो...
विश्व - (अपने में लौटता है, हकलाते हुए) क कुछ नहीं...
प्रतिभा - कुछ तो है...
विश्व - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं माँ...

शुभ्रा - तो हकला क्यूँ रही हो...
रुप - वह भाभी... मैं हमारे ड्राइविंग स्कुल के.. सुकुमार अंकल के प्रॉब्लम की सॉल्यूशन के बारे में सोच रही थी...

विक्रम - क्या प्रॉब्लम है उनका...
रुप - पता नहीं... मैं आपको ठीक से समझा पाऊँगी भी या नहीं....
विक्रम - फिर भी बताओ...

विश्व पुरी बात बताता है l तापस और प्रतिभा सब सुनने के बाद l

तापस - ह्म्म्म्म... वाकई... बहुत बड़ी प्रॉब्लम है...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... तो कब है.. उनकी शादी की साल गिरह...
विश्व - परसों... एक्चुयली जब तक उनके बच्चे यहाँ नहीं थे... उनकी जिंदगी ठीक चल रही थी... पर अब जब बच्चे आ कर उन्हें अपने साथ ले जाना चाहते हैं....

रुप - तब से... वह अंकल... कुछ डिस्टर्ब्ड लग रहे हैं... और सेलिब्रेशन से भाग रहे हैं... इसलिए हमने सोचा है कि... परसों रात बारह बजे सुकुमार अंकल और आंटी जी को सरप्राइज़ करेंगे....
विक्रम - यह हम कौन कौन हैं...

यह सवाल सुनते ही शुभ्रा के हाथों से चम्मच छूट जाती है l विक्रम शुभ्रा के तरफ देखता है तो शुभ्रा खुद को संभाल लेती है l

रुप - हम मतलब... हम जितने भी सुकुमार अंकल के साथ ड्राइविंग सीख रहे हैं...
विक्रम - ओ... अच्छा... तुम्हें क्या लगता है... मैं तुम्हें रात के बारह बजे की सरप्राइज सेलिब्रेशन के लिए जाने दूँगा...
रुप - (एक नजर विक्रम की ओर देखती है और उसके आँखों में आँखे डाल कर) हाँ... क्यूंकि नंदिनी को उसका भाई... जरूर जाने देगा...
विक्रम - (रुप की जवाब सुन कर हैरान हो जाता है) ठीक है... कैसे जाओगी...
शुभ्रा - मैं उस दिन शाम को... टैक्सी कर चली जाऊँगी... प्रोग्राम खतम होने के बाद... आपको कॉल कर दूंगी... आप आकर मुझे ले जाना....
विक्रम - (कुछ देर के लिए चुप हो जाता है, फिर डायनिंग चेयर पर पीठ सटा कर) ठीक है...


विश्व - थैंक्स डैड...
तापस - थैंक्स कैसा... तुम जानते हो... मुझे चिंता क्यूँ और किसलिए हो रहा है...
विश्व - मैं जानता हूँ डैड... मैं वादा करता हूँ... मैं संभल कर रहूँगा...

विक्रम अपनी जगह से उठता है और रुप के पास जा कर उसके सिर पर हाथ फेरता है, फिर हाथ धो कर अपने कमरे में चला जाता है l कुछ देर बाद वह तैयार हो कर नीचे आता है l

शुभ्रा - (विक्रम से) सुनिए...
विक्रम - जी..
शुभ्रा - आज भी मैं... नंदिनी को छोड़ने जाऊँ...
विक्रम - (मुस्कराते हुए, अपना सिर हिला कर) जी जरूर...

कह कर विक्रम बाहर चला जाता है l विक्रम के जाने के बाद शुभ्रा रुप को मुस्कराते हुए देखती है l

रुप - क्या बात है भाभी... आप... मुझे देख कर... ऐसे क्यूँ मुस्करा रही हैं...
शुभ्रा - चलो... हम गाड़ी में बात करते हुए जाते हैं...

विश्व - माँ... क्या बात है... आज तुम... मुझे कहाँ ले कर जाने वाली हो...
प्रतिभा - कोर्ट...
विश्व - क्यूँ...
प्रतिभा - अरे भुल गया... आज केके ग्रुप के चेयरमैन... कमलाकांत महानायक... जोडार साहब को.. जज के सामने... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देगा....
विश्व - तो मैं वहाँ... जा कर क्या करूंगा...
प्रतिभा - अरे... तेरा... पहला लीगल केस है...
विश्व - पर...
प्रतिभा - कोई पर वर नहीं... चल मेरे साथ... गाड़ी मैं चला रही हूँ... चल...
विश्व - ठीक है...

गाड़ी सरपट दौड़ रही है l अंदर शुभ्रा और रुप बैठे हुए हैं l

रुप - क्या बात है भाभी... आप मन ही मन ऐसे मुस्करा रही हो... जैसे मेरी कोई चोरी पकड़ लिया आपने...
शुभ्रा - हूँम्म्म्म्म्... पकड़ा तो है...
रुप - कैसी चोरी...
शुभ्रा - अच्छा एक बात बताओ... क्या तुम्हें लगता है... की कुछ तुम मिस कर रही हो या... तुमसे कुछ खो गया है... रुप - हाँ... (खोई खोई हुई) शायद

प्रतिभा - एक्जाक्टली... तुम.. नंदिनी को मिस कर रही हो...
विश्व - (हकलाते हुए) क्या... यह.. यह कह रही हो...
प्रतिभा - बिल्कुल सही कह रही हूँ...

रुप - नहीं... आप गलत हो..
शुभ्रा - मैं गलत हूँ... कैसे.. तुम चार महीने से... यहीं हो... पर किसीसे इस कदर अटैच मेंट फिल नहीं हुआ तुम्हें... अब जब ड्राइविंग सेशन खतम होने को आ गई... तुम अब बुझी बुझी सी रहने लगी हो...
रुप - हूँह्ह्... कुछ भी...
शुभ्रा - आज डायनिंग टेबल पर... तुमने जो कहानी कही... वह तुम्हारे फेशियल एक्सप्रेशन से... मैच नहीं हो रही थी...

विश्व - माँ... क्या तुमको लगता है... मैंने डायनिंग टेबल पर कोई झूठ बोला है...
प्रतिभा - नहीं... मैंने कब कहा कि तुने झूठ बोला है... बस तुने पुरी बात नहीं बताई....
विश्व - माँ सुकुमार अंकल की बात... मैंने सौ फीसद सही कहा है...
प्रतिभा - पर उस वक़्त... तेरे दिल में कोई और बात चल रही थी.... उसे छुपाने के लिए... तुने सुकुमार अंकल की कहानी को आगे कर दिया...

रुप - यह... यह आप... कैसे कह सकते हैं...
शुभ्रा - सिंपल... नंदिनी... इन्हीं दो चार दिन में... तुम काफी डिस्टर्ब्ड लग रही हो... या फिर हुई हो... शायद अनाम को ना ढूंढ पाने की वजह से... और... या फिर शायद... प्रताप से बिछड़ ने की खयाल से...
रुप - (थोड़ी गंभीर हो कर) नहीं... नहीं भाभी.... ऐसी कोई बात नहीं... आपको गलतफहमी हो रही है... आप बहुत सोचने जो लगी हो आज कल...

प्रतिभा - नहीं... मुझे कोई गलत फहमी नहीं हुआ है... तु अपने भीतर... खुद से लड़ रहा है... जिसकी टीस तेरे चेहरे पर साफ दिख रहा है...
विश्व - ( घंभीर हो अपना चेहरा नीचे झुका लेता है)
प्रतिभा - तु... नंदिनी को लेकर... अभी भी कंफ्युज्ड है... है ना...
विश्व - हाँ... शायद... (प्रतिभा को देख कर) उनके चेहरे से... उनके बातों से... हर अदा में... मुझे राजकुमारी जी की झलक मिलती है...

रुप - कभी कभी मन में आता है... की मैं... (अपने दोनों हाथ उठा कर) इन्हीं हाथों से उसके गिरेबान को पकड़ुं... और झिंझोडते हुए पुछुं... कौन हो तुम... क्यूँ तुम अनाम जैसे लगते हो... या तुम्हीं अनाम हो...
शुभ्रा - तो एक बार तुम उससे पुछ क्यूँ नहीं लेती...
रुप - पता नहीं भाभी... दिल में हलचल सी होने लगती है... कहीं यह अनाम नहीं हुआ तो...

प्रतिभा - देख... मैं नहीं जानती तुम्हारी राजकुमारी कैसी होगी... पर मुझे तुम्हारी यह नकचढ़ी बहुत पसंद है...
विश्व - (खीज जाता है) माँ... हम दोस्त है... आपस में... हमारे बीच यही तय हुआ था... कि हम इस दोस्ती का खयाल रखेंगे... इज़्ज़त रखेंगे... यही बात है... मैं अबतक नंदिनी जी कुछ भी नहीं पुछ पाया...

शुभ्रा - पर... तुम कब तक किसी मृगतृष्णा के पीछे भागोगी...
रुप - भाभी... मेरा रिश्ता तय हो चुका है... पर मैंने कभी किसीसे कोई वादा लिया था... मैं उसके सामने दोषी नहीं बनना चाहती हूँ... इसलिए मैंने फैसला किया है... इस बार छुट्टी में... चाची माँ के पास जाऊँगी... वहाँ अपने तरीके से... अनाम को ढूंढुंगी... अगर वह मिला... और उसे अगर मेरा इंतजार होगा... तब... शायद मैं कुछ करूंगी... वरना... (चुप हो जाती है)

शुभ्रा गाड़ी को कॉलेज की पार्किंग में लगाती है l रुप उतर कर शुभ्रा को बाय कह कर अंदर चली जाती है l उधर प्रतिभा अपनी गाड़ी को कोर्ट के परिसर में लाती है l विश्व गाड़ी से उतर कर बाहर की ओर जाने लगता है l

प्रतिभा - अरे सुन तो... कहाँ जा रहा है...
विश्व - माँ... यह कोर्ट के अंदर.. तुम देखो... मैं... अपना मुड़ ठीक करने जा रहा हूँ....
प्रतिभा - मुझे यहाँ अकेले छोड़ कर जा रहा है...
विश्व - माँ.. यहाँ मेरा कुछ भी काम नहीं है... सॉरी मैं चला... (जाने लगता है)
प्रतिभा - (चिल्लाते हुए) ठीक है... आ फिर आज घर में... शाम को तेरी टांग ना तोड़ी... तो कहना...
विश्व - (बिना पीछे देखे) ठीक है माँ... बाय...

कह कर कोर्ट परिसर से बाहर निकल जाता है l प्रतिभा मुस्कराते हुए उसे जाते देखती है और फिर वह कोर्ट के अंदर जाने लगती है l


×_____×_____×_____×_____×_____×_____×

विक्रम घर से निकल आने के बाद ऑफिस जाने के वजाए पार्टी ऑफिस चला आया था l वहाँ अपने ऑफिस में कुछ देर रुका और साधारण कार्यकर्ताओं से बातचीत वगैरह किया l फिर अपने कमरे से सबको विदा करने के बाद, वह पीछे के रास्ते से भेष बदल कर एक पुरानी मारुति 800 कार लेकर कटक की ओर जाने लगता है l भुवनेश्वर अब पीछे छूट चुका था l नंदन कानन रोड लांघने के बाद उसका फोन बजने लगता है l उसे स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले होता दिखता है l वह अपना ब्लू टूथ ऑन करता है

:- हा हा हा हा... (एक मर्दाना हँसी सुनाई देता है)
विक्रम - कौन है...
:- तेरी मौत...

विक्रम गाड़ी की ब्रेक लगाता है l उसके पीछे वाली गाड़ियां रुक जाती हैं और हॉर्न पे हॉर्न बजाये जाते हैं l

फोन पर :- ना ना विक्रम बाबु... गाड़ी को आगे बढ़ाओ... आप... कोर्ट ही तो जा रहे हो ना...

यह सुन कर विक्रम हैरान होता है और गाड़ी फिर आगे बढ़ाने लगता है l

:- गुड... यह हुई ना... एक जिम्मेदार नागरिक वाली बात...
विक्रम - कौन हो तुम... और तुमको कैसे मालुम हुआ कि...
:- हा हा हा हा... मैं वही हूँ... जो तुम्हारे नजरों में नहीं हूँ... और तुम मेरे नजरों में हो...

विक्रम अब गाड़ी को धीमी रफ्तार से आगे लिए जा रहा था l और सोच रहा था कैसे वह उनके नजरों में आ गया l वह रियर मिरर में देखने लगता है, पर पीछे इतने गाड़ियां आ रही थी के उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कौनसे गाड़ी से उसका पीछा किया जा रहा है l

:- विक्रम तुम यही सोच रहे हो ना... की कौनसे गाड़ी से तुम पर नजर रखी जा रही है...
विक्रम - (हैरानी से भवें तन जाते हैं)
:- हाँ विक्रम... इसे तजुर्बा कहते हैं... जितनी तुम्हारी उम्र नहीं है... मैंने उतने कांड और कारनामें किए हुए हैं...
विक्रम - इतने ही कांड किए हो... तो यूँ छुपे हुए क्यूँ हो... सामने क्यूँ नहीं आते...
:- आ जाएंगे... आ जाएंगे... इतनी जल्दी भी क्या है... पहले तुम कोर्ट की मंजिल तो तय कर लो...
विक्रम - क्यूँ... तुम्हें क्या लगता है... मैं कोर्ट नहीं जा सकता...
:- नहीं... आज तो नहीं...
विक्रम - कौन रोकेगा मुझे...
:- क्या अभी भी तुम्हें शक़ है... तुम कब के रोक दिए गए हो...
विक्रम - अच्छा... मजाक अच्छा है... मुझे सामने कोर्ट दिख रहा है...
:- हाँ वह इसलिए... की तुम अभी... त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर हो...
विक्रम - हाँ... मतलब... मैं पुरी तरह से... तुम्हारे सर्विलांस में हूँ...
:- बिल्कुल... कोई शक़...
विक्रम - मुझे कोर्ट की लाल बिल्डिंग दिख रही है... फिर भी... तुम कह रहे हो... मैं कोर्ट तक नहीं पहुँच सकता...
:- नहीं...
विक्रम - कैसे...
:- ऐसे...

अचानक विक्रम की आगे वाली गाड़ी रुक जाती है l विक्रम झट से अपनी गाड़ी में ब्रेक लगाता है lसिर्फ विक्रम की गाड़ी नहीं त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर विक्रम के गाड़ी के आगे और पीछे गाड़ियों की अंबार लग जाता है l सिर्फ गाडियों की हॉर्न सुनाई देता है l विक्रम गाड़ी से बाहर निकालता है तो देखता है ब्रिज के ऊपर कुछ गाडियों के बीच टक्कर हुई है l इसलिए रोड पुरी तरह से जाम हो गया है l अब उसके पीछे इतने गाड़ियां रुक गई हैं कि गाड़ी घुमा कर पीछे लौट कर जाया नहीं जा सकता है l वह गाड़ी वहीँ छोड़ कर आगे बढ़ने लगता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l विक्रम स्क्रीन पर देखता है तो प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l विक्रम फोन उठाता है

:- देखा... तुम्हें कोर्ट दिख रहा होगा... पर तुम कोर्ट पहुँच नहीं पाओगे....

विक्रम अपने चारों तरफ नजर घुमाता है और अपने चारों तरफ की नजरों को अपने तरफ घूरते हुए पाता है l

विक्रम - तुम आज मुझे रोक कर... क्या साबित करना चाहते हो...
:- यही के तुम एक दूध पीते बच्चे हो... मैं जब चाहे तुम्हें रोक सकता हूँ... पर तुम मुझे नहीं रोक सकते हो...
विक्रम - छुपे हुए हो...
:- हाँ... फिर भी मेरी मुट्ठी में तुम्हारी चुटीया है...
विक्रम - मैं अकेले पैदल जा रहा हूँ...
:- हाँ.. यह कोशिश भी करके देख लो... कहीं तुम्हारी जिद तुम्हारी बीवी पर भारी ना पड़ जाए...

विक्रम के कदम रुक जाते हैं, उसे अपने जिस्म पर झुरझुरी सी महसुस होने लगती है l

विक्रम - (कांपती हुई आवाज़ में) क्या.. क्या कहा तुमने...
:- यही... की तुम कोर्ट तक पहुँचने के वजाए... अपनी बीवी तक पहुँचो... कहीं देर ना हो जाए...

विक्रम झट से फोन कट कर देता है और महांती को फोन लगाता है l

महांती - जी युवराज...
विक्रम - म.. महांती... (हांफते हुए)
महांती - आप हांफ क्यूँ रहे हैं...
विक्रम - वह.. वह युवराणी...
महांती - क्या हुआ उन्हें...
विक्रम - उनके सेक्योरिटी...
महांती - युवराज... आप घबराइए मत... उनके साथ हमारे स्पेशल ट्रूप के आठ गार्ड्स सिक्युरिटी हैं...
विक्रम - गुड... मुझे कंफर्म कराओ.. प्लीज..
महांती - ओके...

महांती का फोन कट जाते ही फिर उसी प्राइवेट नंबर से विक्रम को कॉल आता है l

विक्रम - हे..हैलो...
:- देखा आवाज में.. अदबी आ गई ना.. हा हा हा हा...
विक्रम - हँस मत कुत्ते... हँस मत... आज तुमने मेरी पत्नी की बात कर बड़ी गुस्ताखी कर दी है...
:- गुस्ताखी... तुम क्षेत्रपालों को... सम्मान कोई देता भी है... सब डर के मारे सम्मान देते हैं... और मैंने तुम क्षेत्रपालों से डरना छोड़ दिया है... मेरे ना आगे कोई है... ना मेरे बाद कोई है... डरना किस लिए फिर...
विक्रम - ओंकार चेट्टी...
:- हा हा हा हा... पहचान गए... अपने अंकल को...
विक्रम - हाँ... तु भी पहचान ले अपनी मौत को...
चेट्टी - फिर से बे अदबी...
विक्रम - कुछ भी कर लेता... पर शुभ्रा जी का रास्ता काटने की गलती कर बैठा है... बहुत पछतायेगा...
चेट्टी - कौन... वह सामंत राय की बेटी... मेरे बेटे की.... और मेरी बर्बादी की वजह...
विक्रम - कमीने...
चेट्टी - तुम क्षेत्रपालों से बहुत कम... खैर पहले... कंफर्म तो हो जा... तेरी बीवी सेफ है या नहीं...

चेट्टी का फोन कट जाता है l तभी विक्रम के मोबाइल पर महांती का कॉल आता है l

विक्रम - हैलो... (और कुछ पुछने हिम्मत नहीं हो रही थी)
महांती - युवराज... युवराणी जी की सिक्युरिटी ब्रीच हुई है...

विक्रम का हाथ पैर सब कांपने लगते हैं l महांती आगे क्या कह रहा था उसके कानों में जा नहीं रहा था l विक्रम महांती का कॉल काट देता है, और कार के बोनेट पर धप कर बैठ जाता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l डिस्प्ले में इसबार नंबर और नाम साफ दिख रहा था l ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी l शायद ट्रू कॉलर के वजह से l विक्रम कॉल उठाता है

विक्रम - कैसे...
चेट्टी - हैकिंग से... तेरे घर की सर्विलांस हैक किया गया... तेरी बीवी की ड्रेस से मिलती जुलती ड्रेस... एक डमी को पहना कर.. तेरी बीवी की मॉडल गाड़ी में बिठा कर... सेम नंबर प्लेट.. लगा कर बस इंतजार किया... तेरी बीवी... तेरी बहन को कॉलेज ड्रॉप कर आने के बाद... जयदेव विहार के ओवर ब्रिज के नीचे... हमारी गाड़ी तेरी बीवी की गाड़ी से सट गई... तेरी बीवी की सिक्युरिटी में आए गार्ड्स... अच्छी खासी दूरी बनाए हुए थे... इसलिए हमने उन्हें डमी के पीछे आने के लिए पोजीशन बनाया... वह बेवकूफ... तेरी बीवी को छोड़.. हमारे डमी की सिक्युरिटी में लग गए... यह है ESS की चुस्ती.... हा हा हा...

विक्रम तुरंत चेट्टी का फोन काट कर शुभ्रा को लगाता है l पर शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l बार बार कोशिश के बाद भी शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l वह चिढ़ कर गुस्से से कार के बोनेट पर घुसा मारने लगता है I इतने में उसका फोन फिर बजने लगता है l विक्रम कांपते हुए हाथों से फोन उठाता है l

चेट्टी - तेरी बीवी को फोन लगाने से... कोई फायदा नहीं होगा... मेरे सिक्युरिटी गार्ड्स... मोबाइल जैमर के जरिए... उसकी फोन सिग्नल... जैम कर दिया है... और अपनी हिफाजत में xxx मॉल के अंडरग्राउंड पार्किंग में ले गए हैं... अगर बचा सकता है... तो जा कर बचा ले...

फोन कट जाता है l विक्रम अब गाडियों पर चढ़ते हुए भुवनेश्वर की ओर भागने लगता है l ब्रिज के छोर पर पहुँच कर वहाँ पर खड़े बंदे से बाइक छिन कर xxx मॉल के तरफ बाइक भगाता है
 

Jaguaar

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xxx होटल
एक रॉयल शूट
उस शूट के बेड रुम में किंग साइज बेड के बगल में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l उस बेड पर रोणा लगभग नंगा लेटा हुआ है l सिर्फ कमर से घुटने तक एक सिलिंडर नुमा कपड़े से ढका हुआ है l पुरा शरीर उसका लाल दिख रहा है l रोणा को एक डॉक्टर दो मेल नर्सों के साथ चेक कर रहे हैं l उस शूट के बगल वाले बड़े से गेस्ट रुम में सोफ़े पर परीड़ा और बल्लभ बैठे हुए हैं l उनके सामने होटल का मैनेजर, कुछ स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर सिर झुकाए, हाथ बांधे खड़े हुए हैं l कुछ देर बाद बेड रुम का दरवाजा खुलता है l डॉक्टर और नर्स बाहर आते हैं l उनके बाहर आते ही परीड़ा और बल्लभ खड़े हो जाते हैं l

बल्लभ - डॉक्टर साहब... कितना सीरियस है...
डॉक्टर - नहीं... अभी ठीक है... सीरियस नहीं है... गरम पानी से... उनकी त्वचा जल गई है.... हमने पुरे बदन पर क्रीम लगा दिया है... जलन बहुत हद तक कम हो गया है... बेड पर मोटराइज्ड वाटर बेड डलवा दिया है... उसके अंदर ठंडा पानी सर्कुलेट होता रहेगा... और रुम टेंपरेचर बाइस डिग्री पर सेट किया गया है... कल सुबह तक नब्बे प्रतिशत ठीक हो जाएंगे... फ़िलहाल हमने उन्हें नींद की इंजेक्शन दे दिआ है... इत्मीनान रखिए... परसों तक वह पुरी तरह से ठीक हो जाएंगे... हाँ कुछ दिनों के लिए उनका त्वचा... थोड़ा काला पड़ जाएगा.... पर चिंता की कोई बात नहीं... हफ्ते दस दिन के भीतर ही.. उनका त्वचा नॉर्मल हो जाएगा... बस दवाई खाते रहना है.... और क्रीम लगाते रहना है...
बल्लभ - थैंक्यू डॉक्टर...
डॉक्टर - ईट्स ओके...

कह कर डॉक्टर और उसके स्टाफ बाहर चले जाते हैं l मैनेजर उन्हें दरवाजे के पार छोड़ कर वापस अपनी जगह खड़ा हो जाता है l तब तक परीड़ा और बल्लभ दोनों सोफ़े पर बैठ चुके थे l


मैनेजर - सर... जो हुआ... नहीं होना चाहिए था... पर हुआ... और बुरा हुआ... सर यकीन मानिए... ऐसा इस होटल में पहली बार हुआ है... वी आर वेरी सॉरी फॉर दिस...
बल्लभ - (भड़क कर) ऐसा पहली बार हुआ है... साज़िशन किसीकी जान लेने के कोशिश की गई है... आपकी सिक्युरिटी क्या कर रही थी... आपके स्टाफ क्या कर रहे थे... ऐसे कोई आएगा... आपसे पहचान नहीं हो पाया... कैसे रोकेंगे अगर फिरसे ऐसा कुछ हुआ...
सिक्युरिटी ऑफिसर - सर... जिन्होंने यह सब किया... उन्होंने आधार कार्ड की जिरक्स जमा कर रुम लिया था... अब कांड होने के बाद... जब तहकीकात किया गया... तब मालुम पड़ा... आधार कार्ड नकली है...और वह लोग भी....
बल्लभ - फिर भी...
सी.ऑ - सर हमसे जो भी हुआ... जितना भी हो सका... जो भी जानकारी हासिल की... सब तो आपको और परीड़ा सर को बता चुके हैं... यहाँ तक हमने सारे सीसीटीवी के फुटेज दे दिया है... बाकी...आप जैसा कहेंगे... हम करने के लिए तैयार है...
मैनेजर - सर... हम.. आपके स्टेयींग के सारी रकम.. रिफंड कर रहे हैं... अनिकेत सर जी को इसी शूट में... हॉस्पिटल ट्रीटमेंट दे रहे हैं... वह भी हमारी ख़र्चे पर... और उनके ठीक हो कर जाने तक.. हम रहना और खाना फ्री कर रहे हैं... प्लीज सर... कोई कंप्लेंट रेज मत कीजिए...

बल्लभ कुछ कहने को होता है कि परीड़ा उसे इशारे से रोकता है तो बल्लभ चुप हो जाता है l

परीड़ा - (मैनेजर से) ठीक है.. हम गौर करेंगे... अब आप लोग जाइए... हम... आपस में डिस्कस कर के आपको खबर कर देंगे...
मैनेजर - (मायूस हो कर) ओके सर... आई विल वेट... विथ पॉजिटिव होप...

कह कर मैनेजर अपने स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर को लेकर वहाँ से चला जाता है l बल्लभ परीड़ा की ओर देखता है, परीड़ा आँखे मूँद कर कुछ सोच रहा है l

बल्लभ - तुने इतनी आसानी से... उन्हें जाने क्यूँ दिया...
परीड़ा - (अपनी आँखे खोल कर) (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) तु अच्छी तरह से जानता है... इस मामले में... इन लोगों का कुछ लेना देना नहीं है... फिर बेकार में इन्हें घसीट क्यूँ रहा है...

बल्लभ असहाय, नाउम्मीद सा अपना हाथ सोफ़े के हैंडरेस्ट पर मारता है l

बल्लभ - क्या करें... कुछ समझ में नहीं आ रहा... कितनी आसानी से... रोणा को खौलते हुए पानी से नहला दिया... उसकी ऐसी हालत कर... आसानी से चले भी गए... हमें पुलिस को इंवाल्व करना चाहिए था... तुने बेकार में मना कर दिया....
परीड़ा - (बल्लभ की छटपटाहट उसे साफ महसुस होता है) पिछली बार... जब पुछा था... तब तुम्हीं लोगों ने पुलिस को इंवाल्व करने से मना किया था... और यहाँ पुलिस तक कैसे जाते... मत भूलो यहाँ की सेक्यूरिटी ESS की है... हाँ तुम चाहो तो... ESS को इंवाल्व कर सकते हो... फिर उसके बाद... युवराज अगर मैदान में उतरेगा... और जो तुम लोग ढूंढ रहे हो... शायद विक्रम सिंह ढूंढ ले... उसके बाद... सोचो तुम दोनों की औकात... क्या रह जाएगा... राजा साहब के सामने...
बल्लभ - (यह सब सुन कर चुप हो जाता है)
परीड़ा - वैसे भी... सारी गलती तुम लोगों की थी... तुम लोगों के बगल में रह कर,... कोई तुम लोगों की ले रहा था... साले तुम दोनों... अपनी आँखे मूँद कर... अंगूठा चूस रहे थे...
बल्लभ - (बिदक जाता है) कहना क्या चाहता है तु...
परीड़ा - यही... के सावधानी हटी... टट्टे कटीं...
बल्लभ - (परीड़ा को खा जाने वाली नजर से घूरते हुए) क्या मतलब हुआ इसका....
परीड़ा - कुछ उखाड़ने के चक्कर में... तुम झुक क्या गए... वह पीछे से आया... तुम लोगों का टट्टे काट कर ले गया... जब तुम उसे पकड़ोगे... वह क्या कहेगा... अररे... मैंने तो टमाटर समझ कर काट लिया था... यह तो आपके टट्टे निकले...
बल्लभ - (छटपटाते हुए चुप हो जाता है)
परीड़ा - अब तक रोणा पर हमला करने वाला... जो कोई भुत था... पहचान छुपाए हुए था... इस बार वह अपनी पहचान का सुराग छोड़ कर गया है....
बल्लभ - मतलब... कौन है... क्या विश्वा है... या कोई और है...
परीड़ा - घबराओ मत... अभी एक काम करते हैं... मैं कुछ और जानकारीयाँ इकट्ठा करता हूँ... रोणा को आज सोने दे... कल तक वह बहुत हद तक ठीक हो जायेगा... फिर सारी जानकारी सामने रख कर.... साथ मिल कर... पता करते हैं... वह भुत कौन है....

इतना कह कर परीड़ा वहाँ से उठता है और शूट रुम से बाहर चला जाता है l उसके जाते ही बल्लभ रोणा के सोये हुए रुम के अंदर जाता है l

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अपना जंक्शन आते ही भाश्वती रुप और विश्व को बाय कह कर उतर जाती है l जब से भाश्वती के लिए विश्व सेक्शन शंकर से मिला था, उस दिन के बाद विश्व और रुप भाश्वती के साथ बस में जाते हैं और उसे ड्रॉप करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं l भाश्वती और विश्व रुप के साथ एक सीट में बैठ कर आए थे l भाश्वती के उतर जाने के बाद उसी सीट में विश्व और रुप चुपचाप बैठे हुए थे और एक दुसरे से नज़रें चुरा रहे थे l आज ड्राइविंग स्कुल में दोनों के बीच कोई बात चित हुई नहीं थी l अभी भी दोनों ख़ामोश ही थे l सच यह भी था कि दोनों को अपने बीच की यह खामोशी सहन नहीं हो रहा था l इस उधेडबुन में दोनों की आँखे बंद हो गई थी जबड़े भींची हुई थी l फिर दोनों के मुहँ से एक साथ निकलता है

"क्या हम बात कर सकते हैं"

दोनों मुहँ से एक साथ जैसे ही यह शब्द निकालता है, पहले दोनों चौंकते हैं, फिर हैरान होते हैं फिर दोनों मुस्कराते हुए एक दुसरे को देख कर मुस्करा देते हैं फिर अपनी नजरें फ़ेर लेते हैं l रुप खुद को नॉर्मल करते हुए

रुप - ठीक है... शुरु करो फिर...
विश्व - क्या...
रुप - अरे... तुम्हीं ने तो कहा... बात करने के लिए...
विश्व - आपने भी तो... वही कहा...
रुप - तो...
विश्व - वह कहते हैं ना... लेडीज फर्स्ट...
रुप - (चेहरे पर मुस्कराहट लाती है) ठीक है... (धीरे धीरे मुस्कराहट चेहरे से गायब होती है) तुम.. चाहो तो... मुझे... सुकुमार अंकल के मामले से अलग कर सकते हो...
विश्व - (चौंक कर देखता है) क्यूँ...
रुप - नहीं... हमारी दोस्ती है कितने दिन की... और मैं तुम्हें मजबूर करूँ भी क्यूँ... क्यूँ की... सुकुमार अंकल के मैटर के बाद... फिर शायद ही हमारा मिलना हो...
विश्व - क्यूँ... आप इस शहर में नहीँ रहेंगी क्या...
रुप - (मन ही मन में) मैं तो यहीं रहूँगी बेवक़ूफ़... तुम तो एक महीने के लिए आए हो... फिर पता नहीं कितने दिनों के लिए... कहाँ चले जाओगे...
विश्व - मैंने कुछ पुछा आपसे...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए, खिड़की से बाहर देख कर ) पता नहीं...

विश्व का चेहरा थोड़ा उतर जाता है, वह भी अपना चेहरा दुसरी तरफ कर लेता है l फिर रुप की ओर घुम कर

विश्व - एक... बात... पुंछुं...
रुप - (विश्व की ओर देखते हुए) ह्म्म्म्म...
विश्व - कल आपने... उस आदमी को... क्यूँ मारा....

रुप देखती है विश्व की आँखे उसके आँखों में झाँक रही है l शायद इस सवाल का ज़वाब उसके लिए खास मायने रखता है l रुप भी उसकी आँखों में आँखे डाल कर जवाब देती है

रुप - वह मुझे... बिल्कुल भी पसंद नहीं आया...
विश्व - क्यूँ...
रुप - (अपने होठों को दबा कर मुहँ दुसरी तरफ कर) मैं रोज सैकड़ों नजरों से गुजरती हूँ... कौनसी नजर कैसी है... अच्छी तरह से समझती हूँ... पर उस दिन की नजर... अलग था... वह जब से अंदर आया था... मुझे वह... बहुत ही गंदी नजर से देख रहा था... मैं पानी देने गई... तो वह मुझे ऐसे देख रहा था जैसे... मुझे अपनी नजर से स्कैन कर रहा हो... या मेरा... एक्सरे ले रहा हो... मैं बेशक कपड़ों में थी...तन ढका हुआ था मेरा... पर लग रहा था... जैसे उसकी भद्दी नज़रों में... मैं... (कुछ कह नहीं पाती) (थर्राते हुए एक गहरी सांस लेती है) मैं वहाँ से... उसी वक़्त भाग जाना चाहती थी.... अपने आप को कोस रही थी... क्यूँ आई मैं उस कमरे में.... आंटी जी... मेरे अंदर की एंबार्समेंट को फौरन समझ गई... इसलिए उन्होंने मुझे वहाँ से भेज दिया... फिर मैंने देखा... आंटी जी मेरे लिए... मेरे खातिर उससे कहा सुनी कर रही थीं... पर उसने जिस तरह से... अंटी जी से बिहेव किया... (रुक कर तेज तेज सांस लेते हुए, गुस्से में तमतमाते हुए) मुझसे रहा नहीं गया... पहले से ही गुस्से में जल रही थी... बस सब्र टुट गया... अपना गुस्सा निकाल दिया... (कुछ देर अटक कर) कभी कभी लगता है... एक लड़की समाज में... किन से डरे... कितनों से डरे... किस किस वजह से डरे... (अपनी दोनों हाथों को मलते हुए) शायद पुराने ज़माने में लोग... इन जैसों के वजह से... लड़की को पैदा होते ही मार देते थे...

विश्व उसे सुनते हुए बिना पलकें झपकाए एक टक देखे जा रहा था l विश्व का इस तरह देखने से रुप शर्मा जाती है और अपना चेहरा झुका लेती है l विश्व को फौरन अपनी नजर का एहसास होता है l

विश्व - सॉरी...
रुप - किसलिए...
विश्व - वह... (क्या कहे उसे कुछ नहीं सूझता) वह... एक्चुयली थैंक्यू...
रुप - (हैरानी के साथ मुस्कराते हुए) यह किसलिए...
विश्व - (खुद को नॉर्मल करते हुए) वह... उस बत्तमीज को... जो मेरी माँ के साथ बत्तमीजी कर रहा था... उसे... अच्छा सबक सिखाया आपने... मेरे तरफ से.... इसलिए...

रुप मुस्करा देती है उसे एक अंदरुनी खुशी महसुस होती है l अपने चेहरे पर जाहिर ना हो इसलिए अपना चेहरा खिड़की की ओर कर लेती है l

विश्व - एक.... और बात... पुछुं...
रुप - हूँ... पुछो..
विश्व - आपने क्यूँ कहा कि... सुकुमार अंकल के मैटर में... मैं चाहूँ तो आपको अलग कर दूँ...
रुप - (चेहरा संजीदा हो जाता है) कभी कभी लगता है... मैं हद से ज्यादा तुम पर... अपनी जिद लादती रहती हूँ... शायद दोस्ती में कोई हद होती होगी... मैं.. बेहद अपना हक जताती रहती हूँ... सुकुमार अंकल तुम्हें बहुत पसंद करते हैं... एक्चुयली... सुकुमार अंकल... तुमसे ही अपना प्रॉब्लम शेयर करना चाहते थे... पर उस दिन तुम लेट आए... मैं उन्हें उदास देख कर उनसे प्रॉब्लम जाना... (मुस्कराते हुए) फिर मैंने ही अपने शरारत के चलते... सुकुमार अंकल से तुमको कहने के लिए मना कर दिया....
विश्व - ओ... (भवें उठा कर)
रुप - इसलिए...(संजीदा हो कर) तुम चाहो तो... मुझे उनके मैटर से अलग कर सकते हो... (अपना मुहँ फ़ेर लेती है)
विश्व - (कुछ देर की चुप्पी के बाद) एक बात कहूँ... (रुप जिज्ञासा भरे नजरों से देखती है) हम इस रविवार को... दोनों मिलकर... सुकुमार अंकल की प्रॉब्लम दुर करेंगे... (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए) इस मामले में... मुझे आपका साथ चाहिए... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे फाड़े कभी विश्व को, कभी उसके हाथ को देखती है l

विश्व - आपने मुझसे दोस्ती की है... मैंने भी आपसे दोस्ती की है... दोस्त के नाते... आपका हर हक़... और जिद मेरे सिर आँखों पर... फिर से पुछ रहा हूँ... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे मीट मीट करते हुए विश्व को देखने लगती है l विश्व कुछ सोचने के बाद अपना हाथ खिंचता है कि तभी रुप उसका हाथ पकड़ लेती है और खुशी से चहकते हुए हाथ मिला कर जोर जोर से हिलाने लगती है l

रुप - थैंक्यू...

तभी कंडक्टर आवाज देता है l "राज महल स्क्वेयर"

रुप की स्टॉपेज आ गई थी l रुप अपने सीट से उठ कर बाहर निकलती है l और पीछे की एक्जिट की ओर जाती l विश्व उसे जाता हुआ देख रहा था l ठीक डोर के पास पहुँच कर रुप पीछे मुड़ती है और हल्के से मुस्कराते हुए अपना हाथ हिला कर विश्व को बाय कहती है l विश्व भी अपना हाथ हिला कर जवाब में बाय कहता है l रुप उतर जाती है और बस आगे बढ़ जाती है l रुप उस बस को जाते हुए देखती है l उसके पास एक कार आकर रुकती है, रूप उस गाड़ी में बैठ जाती है l गाड़ी के अंदर वह आज की बात याद करते हुए खुद पर हैरान होती है l रॉकी ने दोस्ती की हाथ बढ़ाया था पर रुप को रॉकी से दोस्ती करनी ही नहीं थी, और आगे चलकर उसके दिल की बात जानने के लिए रॉकी से दोस्ती की थी l पर आज की बात और है, क्यूँकी आज पहली बार किसी लड़के का हाथ दोस्ती के लिये रुप ने खुद थामा था और हाथ उठा कर उसे बाय भी कहा था l

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ESS की ऑफिस
विक्रम कांफ्रेंस हॉल के अंदर बैठा हुआ है l थोड़ी देर बाद महांती कांफ्रेस हॉल की दरवाजे को बंद कर अंदर आता है और विक्रम के सामने बैठ जाता है l

महांती - और युवराज जी... कैसी रही... आपकी... और पार्टी प्रेसिडेंट की मीटिंग...
विक्रम - वही... एक दम बकवास और उबाऊ... लॉ मिनिस्टर की बेटी की रिसेप्शन है.. कुछ ऐसा करो की... इमेज बनें... फलाना ढिमका.... लोग दो चार बातेँ करें हमारे बारे में... तब टिकट मिलने पर कोई विरोध न होगा... पुरे मीटिंग में यही कह कर मेरा टाइम बर्बाद किया... और अपने साथ... एक इवेंट में लेकर गए... ओह... यकीन नहीं करोगे... इतना हैक्टिक... सिर अभी भी फटा जा रहा है... खैर इसे साइड करो... कहो... खबर क्या है और... हमें करना क्या है....
महांती - युवराज... इतना तो पक्का है... चेट्टी और केके... इस वक़्त कटक में हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मतलब... चेट्टी... अपने विधायक क्षेत्र में है...
महांती - हाँ.. अब वह विरोधी पार्टी में शामिल हो गया है... तो उस पार्टी में... उसे खास तबज्जो मिल रही है...
विक्रम - तबज्जो मतलब...
महांती - अब चेट्टी... विरोधी खेमे का बड़ा नेता बन गया है... पार्टी की मांग पर... उसे वाई प्लस सिक्युरिटी दी गई है...
विक्रम - (कुछ देर चुप रहने के बाद) उसे वाई सिक्युरिटी मिली है... केके को तो नहीं...
महांती - पर केके खुद को... चेट्टी की सिक्युरिटी के सील में रहेगा...
विक्रम - मतलब हम... अभी हाथ नहीं डाल सकते हैं...
महांती - फ़िलहाल तो नहीं... क्यूंकि आपकी पोलिटिकल आइडेंटिटी.... खतरे में आ सकती है...
विक्रम - तो क्या हम... कुछ नहीं कर सकते...
महांती - कुछ साल पहले... हम कहीं भी घुस सकते थे... पर अब आपका... एक पोलिटिकल इमेज है... ताकत का इस्तमाल.... आउट ऑफ स्क्रीन करना होगा आपको... ऑन द स्क्रीन... दिमाग चलाइये... और राजनीति कीजिए...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
महांती - उसे हमारे आँखों के सामने रहने दीजिए... मौका... कभी तो हाथ लगेगा...
विक्रम - इस बीच अगर... उनसे कोई गुस्ताखी हुई... तो...
महांती - वह लोग... जितने खुलेंगे... हम भी उनसे... उतने खुल जाएंगे...

फिर कुछ देर के लिए हॉल में शांति छा जाती है l विक्रम कुछ सोचने लगता है l

विक्रम - कल केके अदालत में... जे ग्रुप के मालिक को... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देने जा रहा है... वह आएगा... ऐसे निकल जाएगा... मुझे अच्छा नहीं लगेगा....
महांती - युवराज जी... आप ने सात साल लगा दिए... आज का अपना यह पहचान बनाने के लिए... आज हालात थोड़े अलग हैं... जो कभी साथ थे.. या नीचे थे... आज वह लोग.. बगावती तेवर के साथ... पंजा लड़ा रहे हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... पर कल के लिए... मुझे वीर की कही बातेँ याद आ रही हैं...
महांती - मुझे भी... वे लोग... बेशक हम से दुश्मनी ले लिए हैं... पर... डर तो उन्हें उतना ही होगा... इसलिए... कल वे हमको... मेरा मतलब है... आपको शायद किसी तरह एनगेज रखेंगे....

विक्रम मुस्कराते हुए अपनी जगह से उठता है l और कांफ्रेंस टेबल के पर थोड़ा इधर उधर होता है l फिर महांती की ओर देखते हुए

विक्रम - महांती... सात साल लगे... मैं इस इमेज को बनाने के लिए... भागता रहा... सबको... अपने पीछे छोड़ता रहा... पर आज देखो... कितना बेबस हूँ... मेरा दुश्मन मेरे सामने है... पर मैं मज़बूर हूँ...
महांती - युवराज... वह लोग आपसे दुश्मनी तो कर रहे हैं... पर सीधे सीधे नहीं... और खुल्लमखुल्ला तो हरगिज नहीं... सिर्फ हम जानते हैं... की हमारा दुश्मन कौन है... इसलिए आप भी उन्हीं की तरह सोचिए... आप राजनीति कीजिए... बाकी हम पर छोड़ दीजिए...
विक्रम - सुकांत रॉय... रॉय ग्रुप सिक्युरिटी सर्विस... वह हमसे... यानी ESS से भीड़ रहा है...
महांती - कोई बड़ी बात नहीं है... किसी भी संस्थान को कामयाब होने के लिए.. या सस्टैंन होने के लिए... फाइनैंस चाहिए... जो उसे अब केके दे रहा है... और पोलिटिकल सपोर्ट... उसे चेट्टी से मिल रहा है...
विक्रम - चेट्टी का अभी भी... पोलिटिकल बेस बाकी है...
महांती - क्यूँ नहीं... आखिर वह एक वेटरन है... निरोग हॉस्पिटल के ड्रग्स कांड में... उसका बेटा बदनाम हुआ था... और तब भी वह इंडिपेंडेंट में दुसरे नंबर पर था.. वोट शेयर में...
विक्रम - ह्म्म्म्म... तो इसका मतलब अगर मैं... कुछ अग्रेसिवनेस दिखाऊँ... तो
महांती - तो... वह लोग... आपको हर हाल में.... ऐंगेज रखने की कोशिश करेंगे...
विक्रम - ह्म्म्म्म सिर्फ मुझे... क्यूंकि... छोटे राजा जी... दिल्ली में हैं... और वीर अभी राजगड़ में...
महांती - जी...
विक्रम - तो सवाल यह है कि... मुझे किस तरह से एनगेज रखेंगे...
महांती - मुझे लगता है कि... आपकी प्रॉपर रेकी हो रही होगी... आप उनके नजर में होंगे...
विक्रम - क्या वे... मुझे कटक जाने से रोकेंगे...
महांती - (कुछ सोचते हुए) पता नहीं... पर आप... कल कटक क्यूँ जाएंगे...

विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरती है l वह अपना सिर हिला कर कुछ सोचते हुए l

विक्रम - अदालती कारवाई देखने के लिए... मैं कटक जाऊँगा... और देखूँगा... मुझे कैसे... एनगेज रखते हैं....


×_____×_____×_____×_____×_____×_____×

अगले दिन
विश्व खोया खोया हुआ नाश्ता कर रहा है l और द हैल में रुप की भी वही दसा है l रुप के आगे से शुभ्रा थाली चुपके से निकाल लेती है l फिर भी रुप को होश नहीं रहता, वह अपनी चम्मच से खाना उठाने की कोशिश में टेबल पर चम्मच रगड़ती है l उसे यूँ खोया हुआ देख कर शुभ्रा और विक्रम दोनों हैरान होते हैं l

तापस - क्या हुआ लाट साहब... कहाँ खोए हुए हो...
विश्व - (अपने में लौटता है, हकलाते हुए) क कुछ नहीं...
प्रतिभा - कुछ तो है...
विश्व - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं माँ...

शुभ्रा - तो हकला क्यूँ रही हो...
रुप - वह भाभी... मैं हमारे ड्राइविंग स्कुल के.. सुकुमार अंकल के प्रॉब्लम की सॉल्यूशन के बारे में सोच रही थी...

विक्रम - क्या प्रॉब्लम है उनका...
रुप - पता नहीं... मैं आपको ठीक से समझा पाऊँगी भी या नहीं....
विक्रम - फिर भी बताओ...

विश्व पुरी बात बताता है l तापस और प्रतिभा सब सुनने के बाद l

तापस - ह्म्म्म्म... वाकई... बहुत बड़ी प्रॉब्लम है...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... तो कब है.. उनकी शादी की साल गिरह...
विश्व - परसों... एक्चुयली जब तक उनके बच्चे यहाँ नहीं थे... उनकी जिंदगी ठीक चल रही थी... पर अब जब बच्चे आ कर उन्हें अपने साथ ले जाना चाहते हैं....

रुप - तब से... वह अंकल... कुछ डिस्टर्ब्ड लग रहे हैं... और सेलिब्रेशन से भाग रहे हैं... इसलिए हमने सोचा है कि... परसों रात बारह बजे सुकुमार अंकल और आंटी जी को सरप्राइज़ करेंगे....
विक्रम - यह हम कौन कौन हैं...

यह सवाल सुनते ही शुभ्रा के हाथों से चम्मच छूट जाती है l विक्रम शुभ्रा के तरफ देखता है तो शुभ्रा खुद को संभाल लेती है l

रुप - हम मतलब... हम जितने भी सुकुमार अंकल के साथ ड्राइविंग सीख रहे हैं...
विक्रम - ओ... अच्छा... तुम्हें क्या लगता है... मैं तुम्हें रात के बारह बजे की सरप्राइज सेलिब्रेशन के लिए जाने दूँगा...
रुप - (एक नजर विक्रम की ओर देखती है और उसके आँखों में आँखे डाल कर) हाँ... क्यूंकि नंदिनी को उसका भाई... जरूर जाने देगा...
विक्रम - (रुप की जवाब सुन कर हैरान हो जाता है) ठीक है... कैसे जाओगी...
शुभ्रा - मैं उस दिन शाम को... टैक्सी कर चली जाऊँगी... प्रोग्राम खतम होने के बाद... आपको कॉल कर दूंगी... आप आकर मुझे ले जाना....
विक्रम - (कुछ देर के लिए चुप हो जाता है, फिर डायनिंग चेयर पर पीठ सटा कर) ठीक है...


विश्व - थैंक्स डैड...
तापस - थैंक्स कैसा... तुम जानते हो... मुझे चिंता क्यूँ और किसलिए हो रहा है...
विश्व - मैं जानता हूँ डैड... मैं वादा करता हूँ... मैं संभल कर रहूँगा...

विक्रम अपनी जगह से उठता है और रुप के पास जा कर उसके सिर पर हाथ फेरता है, फिर हाथ धो कर अपने कमरे में चला जाता है l कुछ देर बाद वह तैयार हो कर नीचे आता है l

शुभ्रा - (विक्रम से) सुनिए...
विक्रम - जी..
शुभ्रा - आज भी मैं... नंदिनी को छोड़ने जाऊँ...
विक्रम - (मुस्कराते हुए, अपना सिर हिला कर) जी जरूर...

कह कर विक्रम बाहर चला जाता है l विक्रम के जाने के बाद शुभ्रा रुप को मुस्कराते हुए देखती है l

रुप - क्या बात है भाभी... आप... मुझे देख कर... ऐसे क्यूँ मुस्करा रही हैं...
शुभ्रा - चलो... हम गाड़ी में बात करते हुए जाते हैं...

विश्व - माँ... क्या बात है... आज तुम... मुझे कहाँ ले कर जाने वाली हो...
प्रतिभा - कोर्ट...
विश्व - क्यूँ...
प्रतिभा - अरे भुल गया... आज केके ग्रुप के चेयरमैन... कमलाकांत महानायक... जोडार साहब को.. जज के सामने... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देगा....
विश्व - तो मैं वहाँ... जा कर क्या करूंगा...
प्रतिभा - अरे... तेरा... पहला लीगल केस है...
विश्व - पर...
प्रतिभा - कोई पर वर नहीं... चल मेरे साथ... गाड़ी मैं चला रही हूँ... चल...
विश्व - ठीक है...

गाड़ी सरपट दौड़ रही है l अंदर शुभ्रा और रुप बैठे हुए हैं l

रुप - क्या बात है भाभी... आप मन ही मन ऐसे मुस्करा रही हो... जैसे मेरी कोई चोरी पकड़ लिया आपने...
शुभ्रा - हूँम्म्म्म्म्... पकड़ा तो है...
रुप - कैसी चोरी...
शुभ्रा - अच्छा एक बात बताओ... क्या तुम्हें लगता है... की कुछ तुम मिस कर रही हो या... तुमसे कुछ खो गया है... रुप - हाँ... (खोई खोई हुई) शायद

प्रतिभा - एक्जाक्टली... तुम.. नंदिनी को मिस कर रही हो...
विश्व - (हकलाते हुए) क्या... यह.. यह कह रही हो...
प्रतिभा - बिल्कुल सही कह रही हूँ...

रुप - नहीं... आप गलत हो..
शुभ्रा - मैं गलत हूँ... कैसे.. तुम चार महीने से... यहीं हो... पर किसीसे इस कदर अटैच मेंट फिल नहीं हुआ तुम्हें... अब जब ड्राइविंग सेशन खतम होने को आ गई... तुम अब बुझी बुझी सी रहने लगी हो...
रुप - हूँह्ह्... कुछ भी...
शुभ्रा - आज डायनिंग टेबल पर... तुमने जो कहानी कही... वह तुम्हारे फेशियल एक्सप्रेशन से... मैच नहीं हो रही थी...

विश्व - माँ... क्या तुमको लगता है... मैंने डायनिंग टेबल पर कोई झूठ बोला है...
प्रतिभा - नहीं... मैंने कब कहा कि तुने झूठ बोला है... बस तुने पुरी बात नहीं बताई....
विश्व - माँ सुकुमार अंकल की बात... मैंने सौ फीसद सही कहा है...
प्रतिभा - पर उस वक़्त... तेरे दिल में कोई और बात चल रही थी.... उसे छुपाने के लिए... तुने सुकुमार अंकल की कहानी को आगे कर दिया...

रुप - यह... यह आप... कैसे कह सकते हैं...
शुभ्रा - सिंपल... नंदिनी... इन्हीं दो चार दिन में... तुम काफी डिस्टर्ब्ड लग रही हो... या फिर हुई हो... शायद अनाम को ना ढूंढ पाने की वजह से... और... या फिर शायद... प्रताप से बिछड़ ने की खयाल से...
रुप - (थोड़ी गंभीर हो कर) नहीं... नहीं भाभी.... ऐसी कोई बात नहीं... आपको गलतफहमी हो रही है... आप बहुत सोचने जो लगी हो आज कल...

प्रतिभा - नहीं... मुझे कोई गलत फहमी नहीं हुआ है... तु अपने भीतर... खुद से लड़ रहा है... जिसकी टीस तेरे चेहरे पर साफ दिख रहा है...
विश्व - ( घंभीर हो अपना चेहरा नीचे झुका लेता है)
प्रतिभा - तु... नंदिनी को लेकर... अभी भी कंफ्युज्ड है... है ना...
विश्व - हाँ... शायद... (प्रतिभा को देख कर) उनके चेहरे से... उनके बातों से... हर अदा में... मुझे राजकुमारी जी की झलक मिलती है...

रुप - कभी कभी मन में आता है... की मैं... (अपने दोनों हाथ उठा कर) इन्हीं हाथों से उसके गिरेबान को पकड़ुं... और झिंझोडते हुए पुछुं... कौन हो तुम... क्यूँ तुम अनाम जैसे लगते हो... या तुम्हीं अनाम हो...
शुभ्रा - तो एक बार तुम उससे पुछ क्यूँ नहीं लेती...
रुप - पता नहीं भाभी... दिल में हलचल सी होने लगती है... कहीं यह अनाम नहीं हुआ तो...

प्रतिभा - देख... मैं नहीं जानती तुम्हारी राजकुमारी कैसी होगी... पर मुझे तुम्हारी यह नकचढ़ी बहुत पसंद है...
विश्व - (खीज जाता है) माँ... हम दोस्त है... आपस में... हमारे बीच यही तय हुआ था... कि हम इस दोस्ती का खयाल रखेंगे... इज़्ज़त रखेंगे... यही बात है... मैं अबतक नंदिनी जी कुछ भी नहीं पुछ पाया...

शुभ्रा - पर... तुम कब तक किसी मृगतृष्णा के पीछे भागोगी...
रुप - भाभी... मेरा रिश्ता तय हो चुका है... पर मैंने कभी किसीसे कोई वादा लिया था... मैं उसके सामने दोषी नहीं बनना चाहती हूँ... इसलिए मैंने फैसला किया है... इस बार छुट्टी में... चाची माँ के पास जाऊँगी... वहाँ अपने तरीके से... अनाम को ढूंढुंगी... अगर वह मिला... और उसे अगर मेरा इंतजार होगा... तब... शायद मैं कुछ करूंगी... वरना... (चुप हो जाती है)

शुभ्रा गाड़ी को कॉलेज की पार्किंग में लगाती है l रुप उतर कर शुभ्रा को बाय कह कर अंदर चली जाती है l उधर प्रतिभा अपनी गाड़ी को कोर्ट के परिसर में लाती है l विश्व गाड़ी से उतर कर बाहर की ओर जाने लगता है l

प्रतिभा - अरे सुन तो... कहाँ जा रहा है...
विश्व - माँ... यह कोर्ट के अंदर.. तुम देखो... मैं... अपना मुड़ ठीक करने जा रहा हूँ....
प्रतिभा - मुझे यहाँ अकेले छोड़ कर जा रहा है...
विश्व - माँ.. यहाँ मेरा कुछ भी काम नहीं है... सॉरी मैं चला... (जाने लगता है)
प्रतिभा - (चिल्लाते हुए) ठीक है... आ फिर आज घर में... शाम को तेरी टांग ना तोड़ी... तो कहना...
विश्व - (बिना पीछे देखे) ठीक है माँ... बाय...

कह कर कोर्ट परिसर से बाहर निकल जाता है l प्रतिभा मुस्कराते हुए उसे जाते देखती है और फिर वह कोर्ट के अंदर जाने लगती है l


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विक्रम घर से निकल आने के बाद ऑफिस जाने के वजाए पार्टी ऑफिस चला आया था l वहाँ अपने ऑफिस में कुछ देर रुका और साधारण कार्यकर्ताओं से बातचीत वगैरह किया l फिर अपने कमरे से सबको विदा करने के बाद, वह पीछे के रास्ते से भेष बदल कर एक पुरानी मारुति 800 कार लेकर कटक की ओर जाने लगता है l भुवनेश्वर अब पीछे छूट चुका था l नंदन कानन रोड लांघने के बाद उसका फोन बजने लगता है l उसे स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले होता दिखता है l वह अपना ब्लू टूथ ऑन करता है

:- हा हा हा हा... (एक मर्दाना हँसी सुनाई देता है)
विक्रम - कौन है...
:- तेरी मौत...

विक्रम गाड़ी की ब्रेक लगाता है l उसके पीछे वाली गाड़ियां रुक जाती हैं और हॉर्न पे हॉर्न बजाये जाते हैं l

फोन पर :- ना ना विक्रम बाबु... गाड़ी को आगे बढ़ाओ... आप... कोर्ट ही तो जा रहे हो ना...


यह सुन कर विक्रम हैरान होता है और गाड़ी फिर आगे बढ़ाने लगता है l

:- गुड... यह हुई ना... एक जिम्मेदार नागरिक वाली बात...
विक्रम - कौन हो तुम... और तुमको कैसे मालुम हुआ कि...
:- हा हा हा हा... मैं वही हूँ... जो तुम्हारे नजरों में नहीं हूँ... और तुम मेरे नजरों में हो...

विक्रम अब गाड़ी को धीमी रफ्तार से आगे लिए जा रहा था l और सोच रहा था कैसे वह उनके नजरों में आ गया l वह रियर मिरर में देखने लगता है, पर पीछे इतने गाड़ियां आ रही थी के उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कौनसे गाड़ी से उसका पीछा किया जा रहा है l

:- विक्रम तुम यही सोच रहे हो ना... की कौनसे गाड़ी से तुम पर नजर रखी जा रही है...
विक्रम - (हैरानी से भवें तन जाते हैं)
:- हाँ विक्रम... इसे तजुर्बा कहते हैं... जितनी तुम्हारी उम्र नहीं है... मैंने उतने कांड और कारनामें किए हुए हैं...
विक्रम - इतने ही कांड किए हो... तो यूँ छुपे हुए क्यूँ हो... सामने क्यूँ नहीं आते...
:- आ जाएंगे... आ जाएंगे... इतनी जल्दी भी क्या है... पहले तुम कोर्ट की मंजिल तो तय कर लो...
विक्रम - क्यूँ... तुम्हें क्या लगता है... मैं कोर्ट नहीं जा सकता...
:- नहीं... आज तो नहीं...
विक्रम - कौन रोकेगा मुझे...
:- क्या अभी भी तुम्हें शक़ है... तुम कब के रोक दिए गए हो...
विक्रम - अच्छा... मजाक अच्छा है... मुझे सामने कोर्ट दिख रहा है...
:- हाँ वह इसलिए... की तुम अभी... त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर हो...
विक्रम - हाँ... मतलब... मैं पुरी तरह से... तुम्हारे सर्विलांस में हूँ...
:- बिल्कुल... कोई शक़...
विक्रम - मुझे कोर्ट की लाल बिल्डिंग दिख रही है... फिर भी... तुम कह रहे हो... मैं कोर्ट तक नहीं पहुँच सकता...
:- नहीं...
विक्रम - कैसे...
:- ऐसे...

अचानक विक्रम की आगे वाली गाड़ी रुक जाती है l विक्रम झट से अपनी गाड़ी में ब्रेक लगाता है lसिर्फ विक्रम की गाड़ी नहीं त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर विक्रम के गाड़ी के आगे और पीछे गाड़ियों की अंबार लग जाता है l सिर्फ गाडियों की हॉर्न सुनाई देता है l विक्रम गाड़ी से बाहर निकालता है तो देखता है ब्रिज के ऊपर कुछ गाडियों के बीच टक्कर हुई है l इसलिए रोड पुरी तरह से जाम हो गया है l अब उसके पीछे इतने गाड़ियां रुक गई हैं कि गाड़ी घुमा कर पीछे लौट कर जाया नहीं जा सकता है l वह गाड़ी वहीँ छोड़ कर आगे बढ़ने लगता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l विक्रम स्क्रीन पर देखता है तो प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l विक्रम फोन उठाता है

:- देखा... तुम्हें कोर्ट दिख रहा होगा... पर तुम कोर्ट पहुँच नहीं पाओगे....

विक्रम अपने चारों तरफ नजर घुमाता है और अपने चारों तरफ की नजरों को अपने तरफ घूरते हुए पाता है l

विक्रम - तुम आज मुझे रोक कर... क्या साबित करना चाहते हो...
:- यही के तुम एक दूध पीते बच्चे हो... मैं जब चाहे तुम्हें रोक सकता हूँ... पर तुम मुझे नहीं रोक सकते हो...
विक्रम - छुपे हुए हो...
:- हाँ... फिर भी मेरी मुट्ठी में तुम्हारी चुटीया है...
विक्रम - मैं अकेले पैदल जा रहा हूँ...
:- हाँ.. यह कोशिश भी करके देख लो... कहीं तुम्हारी जिद तुम्हारी बीवी पर भारी ना पड़ जाए...

विक्रम के कदम रुक जाते हैं, उसे अपने जिस्म पर झुरझुरी सी महसुस होने लगती है l

विक्रम - (कांपती हुई आवाज़ में) क्या.. क्या कहा तुमने...
:- यही... की तुम कोर्ट तक पहुँचने के वजाए... अपनी बीवी तक पहुँचो... कहीं देर ना हो जाए...

विक्रम झट से फोन कट कर देता है और महांती को फोन लगाता है l

महांती - जी युवराज...
विक्रम - म.. महांती... (हांफते हुए)
महांती - आप हांफ क्यूँ रहे हैं...
विक्रम - वह.. वह युवराणी...
महांती - क्या हुआ उन्हें...
विक्रम - उनके सेक्योरिटी...
महांती - युवराज... आप घबराइए मत... उनके साथ हमारे स्पेशल ट्रूप के आठ गार्ड्स सिक्युरिटी हैं...
विक्रम - गुड... मुझे कंफर्म कराओ.. प्लीज..
महांती - ओके...

महांती का फोन कट जाते ही फिर उसी प्राइवेट नंबर से विक्रम को कॉल आता है l

विक्रम - हे..हैलो...
:- देखा आवाज में.. अदबी आ गई ना.. हा हा हा हा...
विक्रम - हँस मत कुत्ते... हँस मत... आज तुमने मेरी पत्नी की बात कर बड़ी गुस्ताखी कर दी है...
:- गुस्ताखी... तुम क्षेत्रपालों को... सम्मान कोई देता भी है... सब डर के मारे सम्मान देते हैं... और मैंने तुम क्षेत्रपालों से डरना छोड़ दिया है... मेरे ना आगे कोई है... ना मेरे बाद कोई है... डरना किस लिए फिर...
विक्रम - ओंकार चेट्टी...
:- हा हा हा हा... पहचान गए... अपने अंकल को...
विक्रम - हाँ... तु भी पहचान ले अपनी मौत को...
चेट्टी - फिर से बे अदबी...
विक्रम - कुछ भी कर लेता... पर शुभ्रा जी का रास्ता काटने की गलती कर बैठा है... बहुत पछतायेगा...
चेट्टी - कौन... वह सामंत राय की बेटी... मेरे बेटे की.... और मेरी बर्बादी की वजह...
विक्रम - कमीने...
चेट्टी - तुम क्षेत्रपालों से बहुत कम... खैर पहले... कंफर्म तो हो जा... तेरी बीवी सेफ है या नहीं...

चेट्टी का फोन कट जाता है l तभी विक्रम के मोबाइल पर महांती का कॉल आता है l

विक्रम - हैलो... (और कुछ पुछने हिम्मत नहीं हो रही थी)
महांती - युवराज... युवराणी जी की सिक्युरिटी ब्रीच हुई है...

विक्रम का हाथ पैर सब कांपने लगते हैं l महांती आगे क्या कह रहा था उसके कानों में जा नहीं रहा था l विक्रम महांती का कॉल काट देता है, और कार के बोनेट पर धप कर बैठ जाता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l डिस्प्ले में इसबार नंबर और नाम साफ दिख रहा था l ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी l शायद ट्रू कॉलर के वजह से l विक्रम कॉल उठाता है

विक्रम - कैसे...
चेट्टी - हैकिंग से... तेरे घर की सर्विलांस हैक किया गया... तेरी बीवी की ड्रेस से मिलती जुलती ड्रेस... एक डमी को पहना कर.. तेरी बीवी की मॉडल गाड़ी में बिठा कर... सेम नंबर प्लेट.. लगा कर बस इंतजार किया... तेरी बीवी... तेरी बहन को कॉलेज ड्रॉप कर आने के बाद... जयदेव विहार के ओवर ब्रिज के नीचे... हमारी गाड़ी तेरी बीवी की गाड़ी से सट गई... तेरी बीवी की सिक्युरिटी में आए गार्ड्स... अच्छी खासी दूरी बनाए हुए थे... इसलिए हमने उन्हें डमी के पीछे आने के लिए पोजीशन बनाया... वह बेवकूफ... तेरी बीवी को छोड़.. हमारे डमी की सिक्युरिटी में लग गए... यह है ESS की चुस्ती.... हा हा हा...

विक्रम तुरंत चेट्टी का फोन काट कर शुभ्रा को लगाता है l पर शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l बार बार कोशिश के बाद भी शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l वह चिढ़ कर गुस्से से कार के बोनेट पर घुसा मारने लगता है I इतने में उसका फोन फिर बजने लगता है l विक्रम कांपते हुए हाथों से फोन उठाता है l

चेट्टी - तेरी बीवी को फोन लगाने से... कोई फायदा नहीं होगा... मेरे सिक्युरिटी गार्ड्स... मोबाइल जैमर के जरिए... उसकी फोन सिग्नल... जैम कर दिया है... और अपनी हिफाजत में xxx मॉल के अंडरग्राउंड पार्किंग में ले गए हैं... अगर बचा सकता है... तो जा कर बचा ले...

फोन कट जाता है l विक्रम अब गाडियों पर चढ़ते हुए भुवनेश्वर की ओर भागने लगता है l ब्रिज के छोर पर पहुँच कर वहाँ पर खड़े बंदे से बाइक छिन कर xxx मॉल के तरफ बाइक भगाता है
Jabardasttt Updateee

Kyaa sach mein Vikram ko call krne wala Chetti hai yaa phir koi uska istemaal kar raha hai. Mujhe toh lag raha hai koi uske naam ka istemaal kar raha hai.

Idher itni security ke baad bhi Shubhra ko kidnap karliya gaya. Issi se pata chalta hai jitni jyaada security utni jyaada laaparwaahi.

Dekhte hai ab Vikram Shubhra ko kaise bachata hai.
 

Lib am

Well-Known Member
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👉बयान्वेवां अपडेट
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xxx होटल
एक रॉयल शूट
उस शूट के बेड रुम में किंग साइज बेड के बगल में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l उस बेड पर रोणा लगभग नंगा लेटा हुआ है l सिर्फ कमर से घुटने तक एक सिलिंडर नुमा कपड़े से ढका हुआ है l पुरा शरीर उसका लाल दिख रहा है l रोणा को एक डॉक्टर दो मेल नर्सों के साथ चेक कर रहे हैं l उस शूट के बगल वाले बड़े से गेस्ट रुम में सोफ़े पर परीड़ा और बल्लभ बैठे हुए हैं l उनके सामने होटल का मैनेजर, कुछ स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर सिर झुकाए, हाथ बांधे खड़े हुए हैं l कुछ देर बाद बेड रुम का दरवाजा खुलता है l डॉक्टर और नर्स बाहर आते हैं l उनके बाहर आते ही परीड़ा और बल्लभ खड़े हो जाते हैं l

बल्लभ - डॉक्टर साहब... कितना सीरियस है...
डॉक्टर - नहीं... अभी ठीक है... सीरियस नहीं है... गरम पानी से... उनकी त्वचा जल गई है.... हमने पुरे बदन पर क्रीम लगा दिया है... जलन बहुत हद तक कम हो गया है... बेड पर मोटराइज्ड वाटर बेड डलवा दिया है... उसके अंदर ठंडा पानी सर्कुलेट होता रहेगा... और रुम टेंपरेचर बाइस डिग्री पर सेट किया गया है... कल सुबह तक नब्बे प्रतिशत ठीक हो जाएंगे... फ़िलहाल हमने उन्हें नींद की इंजेक्शन दे दिआ है... इत्मीनान रखिए... परसों तक वह पुरी तरह से ठीक हो जाएंगे... हाँ कुछ दिनों के लिए उनका त्वचा... थोड़ा काला पड़ जाएगा.... पर चिंता की कोई बात नहीं... हफ्ते दस दिन के भीतर ही.. उनका त्वचा नॉर्मल हो जाएगा... बस दवाई खाते रहना है.... और क्रीम लगाते रहना है...
बल्लभ - थैंक्यू डॉक्टर...
डॉक्टर - ईट्स ओके...

कह कर डॉक्टर और उसके स्टाफ बाहर चले जाते हैं l मैनेजर उन्हें दरवाजे के पार छोड़ कर वापस अपनी जगह खड़ा हो जाता है l तब तक परीड़ा और बल्लभ दोनों सोफ़े पर बैठ चुके थे l


मैनेजर - सर... जो हुआ... नहीं होना चाहिए था... पर हुआ... और बुरा हुआ... सर यकीन मानिए... ऐसा इस होटल में पहली बार हुआ है... वी आर वेरी सॉरी फॉर दिस...
बल्लभ - (भड़क कर) ऐसा पहली बार हुआ है... साज़िशन किसीकी जान लेने के कोशिश की गई है... आपकी सिक्युरिटी क्या कर रही थी... आपके स्टाफ क्या कर रहे थे... ऐसे कोई आएगा... आपसे पहचान नहीं हो पाया... कैसे रोकेंगे अगर फिरसे ऐसा कुछ हुआ...
सिक्युरिटी ऑफिसर - सर... जिन्होंने यह सब किया... उन्होंने आधार कार्ड की जिरक्स जमा कर रुम लिया था... अब कांड होने के बाद... जब तहकीकात किया गया... तब मालुम पड़ा... आधार कार्ड नकली है...और वह लोग भी....
बल्लभ - फिर भी...
सी.ऑ - सर हमसे जो भी हुआ... जितना भी हो सका... जो भी जानकारी हासिल की... सब तो आपको और परीड़ा सर को बता चुके हैं... यहाँ तक हमने सारे सीसीटीवी के फुटेज दे दिया है... बाकी...आप जैसा कहेंगे... हम करने के लिए तैयार है...
मैनेजर - सर... हम.. आपके स्टेयींग के सारी रकम.. रिफंड कर रहे हैं... अनिकेत सर जी को इसी शूट में... हॉस्पिटल ट्रीटमेंट दे रहे हैं... वह भी हमारी ख़र्चे पर... और उनके ठीक हो कर जाने तक.. हम रहना और खाना फ्री कर रहे हैं... प्लीज सर... कोई कंप्लेंट रेज मत कीजिए...

बल्लभ कुछ कहने को होता है कि परीड़ा उसे इशारे से रोकता है तो बल्लभ चुप हो जाता है l

परीड़ा - (मैनेजर से) ठीक है.. हम गौर करेंगे... अब आप लोग जाइए... हम... आपस में डिस्कस कर के आपको खबर कर देंगे...
मैनेजर - (मायूस हो कर) ओके सर... आई विल वेट... विथ पॉजिटिव होप...

कह कर मैनेजर अपने स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर को लेकर वहाँ से चला जाता है l बल्लभ परीड़ा की ओर देखता है, परीड़ा आँखे मूँद कर कुछ सोच रहा है l

बल्लभ - तुने इतनी आसानी से... उन्हें जाने क्यूँ दिया...
परीड़ा - (अपनी आँखे खोल कर) (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) तु अच्छी तरह से जानता है... इस मामले में... इन लोगों का कुछ लेना देना नहीं है... फिर बेकार में इन्हें घसीट क्यूँ रहा है...

बल्लभ असहाय, नाउम्मीद सा अपना हाथ सोफ़े के हैंडरेस्ट पर मारता है l

बल्लभ - क्या करें... कुछ समझ में नहीं आ रहा... कितनी आसानी से... रोणा को खौलते हुए पानी से नहला दिया... उसकी ऐसी हालत कर... आसानी से चले भी गए... हमें पुलिस को इंवाल्व करना चाहिए था... तुने बेकार में मना कर दिया....
परीड़ा - (बल्लभ की छटपटाहट उसे साफ महसुस होता है) पिछली बार... जब पुछा था... तब तुम्हीं लोगों ने पुलिस को इंवाल्व करने से मना किया था... और यहाँ पुलिस तक कैसे जाते... मत भूलो यहाँ की सेक्यूरिटी ESS की है... हाँ तुम चाहो तो... ESS को इंवाल्व कर सकते हो... फिर उसके बाद... युवराज अगर मैदान में उतरेगा... और जो तुम लोग ढूंढ रहे हो... शायद विक्रम सिंह ढूंढ ले... उसके बाद... सोचो तुम दोनों की औकात... क्या रह जाएगा... राजा साहब के सामने...
बल्लभ - (यह सब सुन कर चुप हो जाता है)
परीड़ा - वैसे भी... सारी गलती तुम लोगों की थी... तुम लोगों के बगल में रह कर,... कोई तुम लोगों की ले रहा था... साले तुम दोनों... अपनी आँखे मूँद कर... अंगूठा चूस रहे थे...
बल्लभ - (बिदक जाता है) कहना क्या चाहता है तु...
परीड़ा - यही... के सावधानी हटी... टट्टे कटीं...
बल्लभ - (परीड़ा को खा जाने वाली नजर से घूरते हुए) क्या मतलब हुआ इसका....
परीड़ा - कुछ उखाड़ने के चक्कर में... तुम झुक क्या गए... वह पीछे से आया... तुम लोगों का टट्टे काट कर ले गया... जब तुम उसे पकड़ोगे... वह क्या कहेगा... अररे... मैंने तो टमाटर समझ कर काट लिया था... यह तो आपके टट्टे निकले...
बल्लभ - (छटपटाते हुए चुप हो जाता है)
परीड़ा - अब तक रोणा पर हमला करने वाला... जो कोई भुत था... पहचान छुपाए हुए था... इस बार वह अपनी पहचान का सुराग छोड़ कर गया है....
बल्लभ - मतलब... कौन है... क्या विश्वा है... या कोई और है...
परीड़ा - घबराओ मत... अभी एक काम करते हैं... मैं कुछ और जानकारीयाँ इकट्ठा करता हूँ... रोणा को आज सोने दे... कल तक वह बहुत हद तक ठीक हो जायेगा... फिर सारी जानकारी सामने रख कर.... साथ मिल कर... पता करते हैं... वह भुत कौन है....

इतना कह कर परीड़ा वहाँ से उठता है और शूट रुम से बाहर चला जाता है l उसके जाते ही बल्लभ रोणा के सोये हुए रुम के अंदर जाता है l

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अपना जंक्शन आते ही भाश्वती रुप और विश्व को बाय कह कर उतर जाती है l जब से भाश्वती के लिए विश्व सेक्शन शंकर से मिला था, उस दिन के बाद विश्व और रुप भाश्वती के साथ बस में जाते हैं और उसे ड्रॉप करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं l भाश्वती और विश्व रुप के साथ एक सीट में बैठ कर आए थे l भाश्वती के उतर जाने के बाद उसी सीट में विश्व और रुप चुपचाप बैठे हुए थे और एक दुसरे से नज़रें चुरा रहे थे l आज ड्राइविंग स्कुल में दोनों के बीच कोई बात चित हुई नहीं थी l अभी भी दोनों ख़ामोश ही थे l सच यह भी था कि दोनों को अपने बीच की यह खामोशी सहन नहीं हो रहा था l इस उधेडबुन में दोनों की आँखे बंद हो गई थी जबड़े भींची हुई थी l फिर दोनों के मुहँ से एक साथ निकलता है

"क्या हम बात कर सकते हैं"

दोनों मुहँ से एक साथ जैसे ही यह शब्द निकालता है, पहले दोनों चौंकते हैं, फिर हैरान होते हैं फिर दोनों मुस्कराते हुए एक दुसरे को देख कर मुस्करा देते हैं फिर अपनी नजरें फ़ेर लेते हैं l रुप खुद को नॉर्मल करते हुए

रुप - ठीक है... शुरु करो फिर...
विश्व - क्या...
रुप - अरे... तुम्हीं ने तो कहा... बात करने के लिए...
विश्व - आपने भी तो... वही कहा...
रुप - तो...
विश्व - वह कहते हैं ना... लेडीज फर्स्ट...
रुप - (चेहरे पर मुस्कराहट लाती है) ठीक है... (धीरे धीरे मुस्कराहट चेहरे से गायब होती है) तुम.. चाहो तो... मुझे... सुकुमार अंकल के मामले से अलग कर सकते हो...
विश्व - (चौंक कर देखता है) क्यूँ...
रुप - नहीं... हमारी दोस्ती है कितने दिन की... और मैं तुम्हें मजबूर करूँ भी क्यूँ... क्यूँ की... सुकुमार अंकल के मैटर के बाद... फिर शायद ही हमारा मिलना हो...
विश्व - क्यूँ... आप इस शहर में नहीँ रहेंगी क्या...
रुप - (मन ही मन में) मैं तो यहीं रहूँगी बेवक़ूफ़... तुम तो एक महीने के लिए आए हो... फिर पता नहीं कितने दिनों के लिए... कहाँ चले जाओगे...
विश्व - मैंने कुछ पुछा आपसे...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए, खिड़की से बाहर देख कर ) पता नहीं...

विश्व का चेहरा थोड़ा उतर जाता है, वह भी अपना चेहरा दुसरी तरफ कर लेता है l फिर रुप की ओर घुम कर

विश्व - एक... बात... पुंछुं...
रुप - (विश्व की ओर देखते हुए) ह्म्म्म्म...
विश्व - कल आपने... उस आदमी को... क्यूँ मारा....

रुप देखती है विश्व की आँखे उसके आँखों में झाँक रही है l शायद इस सवाल का ज़वाब उसके लिए खास मायने रखता है l रुप भी उसकी आँखों में आँखे डाल कर जवाब देती है

रुप - वह मुझे... बिल्कुल भी पसंद नहीं आया...
विश्व - क्यूँ...
रुप - (अपने होठों को दबा कर मुहँ दुसरी तरफ कर) मैं रोज सैकड़ों नजरों से गुजरती हूँ... कौनसी नजर कैसी है... अच्छी तरह से समझती हूँ... पर उस दिन की नजर... अलग था... वह जब से अंदर आया था... मुझे वह... बहुत ही गंदी नजर से देख रहा था... मैं पानी देने गई... तो वह मुझे ऐसे देख रहा था जैसे... मुझे अपनी नजर से स्कैन कर रहा हो... या मेरा... एक्सरे ले रहा हो... मैं बेशक कपड़ों में थी...तन ढका हुआ था मेरा... पर लग रहा था... जैसे उसकी भद्दी नज़रों में... मैं... (कुछ कह नहीं पाती) (थर्राते हुए एक गहरी सांस लेती है) मैं वहाँ से... उसी वक़्त भाग जाना चाहती थी.... अपने आप को कोस रही थी... क्यूँ आई मैं उस कमरे में.... आंटी जी... मेरे अंदर की एंबार्समेंट को फौरन समझ गई... इसलिए उन्होंने मुझे वहाँ से भेज दिया... फिर मैंने देखा... आंटी जी मेरे लिए... मेरे खातिर उससे कहा सुनी कर रही थीं... पर उसने जिस तरह से... अंटी जी से बिहेव किया... (रुक कर तेज तेज सांस लेते हुए, गुस्से में तमतमाते हुए) मुझसे रहा नहीं गया... पहले से ही गुस्से में जल रही थी... बस सब्र टुट गया... अपना गुस्सा निकाल दिया... (कुछ देर अटक कर) कभी कभी लगता है... एक लड़की समाज में... किन से डरे... कितनों से डरे... किस किस वजह से डरे... (अपनी दोनों हाथों को मलते हुए) शायद पुराने ज़माने में लोग... इन जैसों के वजह से... लड़की को पैदा होते ही मार देते थे...

विश्व उसे सुनते हुए बिना पलकें झपकाए एक टक देखे जा रहा था l विश्व का इस तरह देखने से रुप शर्मा जाती है और अपना चेहरा झुका लेती है l विश्व को फौरन अपनी नजर का एहसास होता है l

विश्व - सॉरी...
रुप - किसलिए...
विश्व - वह... (क्या कहे उसे कुछ नहीं सूझता) वह... एक्चुयली थैंक्यू...
रुप - (हैरानी के साथ मुस्कराते हुए) यह किसलिए...
विश्व - (खुद को नॉर्मल करते हुए) वह... उस बत्तमीज को... जो मेरी माँ के साथ बत्तमीजी कर रहा था... उसे... अच्छा सबक सिखाया आपने... मेरे तरफ से.... इसलिए...

रुप मुस्करा देती है उसे एक अंदरुनी खुशी महसुस होती है l अपने चेहरे पर जाहिर ना हो इसलिए अपना चेहरा खिड़की की ओर कर लेती है l

विश्व - एक.... और बात... पुछुं...
रुप - हूँ... पुछो..
विश्व - आपने क्यूँ कहा कि... सुकुमार अंकल के मैटर में... मैं चाहूँ तो आपको अलग कर दूँ...
रुप - (चेहरा संजीदा हो जाता है) कभी कभी लगता है... मैं हद से ज्यादा तुम पर... अपनी जिद लादती रहती हूँ... शायद दोस्ती में कोई हद होती होगी... मैं.. बेहद अपना हक जताती रहती हूँ... सुकुमार अंकल तुम्हें बहुत पसंद करते हैं... एक्चुयली... सुकुमार अंकल... तुमसे ही अपना प्रॉब्लम शेयर करना चाहते थे... पर उस दिन तुम लेट आए... मैं उन्हें उदास देख कर उनसे प्रॉब्लम जाना... (मुस्कराते हुए) फिर मैंने ही अपने शरारत के चलते... सुकुमार अंकल से तुमको कहने के लिए मना कर दिया....
विश्व - ओ... (भवें उठा कर)
रुप - इसलिए...(संजीदा हो कर) तुम चाहो तो... मुझे उनके मैटर से अलग कर सकते हो... (अपना मुहँ फ़ेर लेती है)
विश्व - (कुछ देर की चुप्पी के बाद) एक बात कहूँ... (रुप जिज्ञासा भरे नजरों से देखती है) हम इस रविवार को... दोनों मिलकर... सुकुमार अंकल की प्रॉब्लम दुर करेंगे... (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए) इस मामले में... मुझे आपका साथ चाहिए... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे फाड़े कभी विश्व को, कभी उसके हाथ को देखती है l

विश्व - आपने मुझसे दोस्ती की है... मैंने भी आपसे दोस्ती की है... दोस्त के नाते... आपका हर हक़... और जिद मेरे सिर आँखों पर... फिर से पुछ रहा हूँ... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे मीट मीट करते हुए विश्व को देखने लगती है l विश्व कुछ सोचने के बाद अपना हाथ खिंचता है कि तभी रुप उसका हाथ पकड़ लेती है और खुशी से चहकते हुए हाथ मिला कर जोर जोर से हिलाने लगती है l

रुप - थैंक्यू...

तभी कंडक्टर आवाज देता है l "राज महल स्क्वेयर"

रुप की स्टॉपेज आ गई थी l रुप अपने सीट से उठ कर बाहर निकलती है l और पीछे की एक्जिट की ओर जाती l विश्व उसे जाता हुआ देख रहा था l ठीक डोर के पास पहुँच कर रुप पीछे मुड़ती है और हल्के से मुस्कराते हुए अपना हाथ हिला कर विश्व को बाय कहती है l विश्व भी अपना हाथ हिला कर जवाब में बाय कहता है l रुप उतर जाती है और बस आगे बढ़ जाती है l रुप उस बस को जाते हुए देखती है l उसके पास एक कार आकर रुकती है, रूप उस गाड़ी में बैठ जाती है l गाड़ी के अंदर वह आज की बात याद करते हुए खुद पर हैरान होती है l रॉकी ने दोस्ती की हाथ बढ़ाया था पर रुप को रॉकी से दोस्ती करनी ही नहीं थी, और आगे चलकर उसके दिल की बात जानने के लिए रॉकी से दोस्ती की थी l पर आज की बात और है, क्यूँकी आज पहली बार किसी लड़के का हाथ दोस्ती के लिये रुप ने खुद थामा था और हाथ उठा कर उसे बाय भी कहा था l

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ESS की ऑफिस
विक्रम कांफ्रेंस हॉल के अंदर बैठा हुआ है l थोड़ी देर बाद महांती कांफ्रेस हॉल की दरवाजे को बंद कर अंदर आता है और विक्रम के सामने बैठ जाता है l

महांती - और युवराज जी... कैसी रही... आपकी... और पार्टी प्रेसिडेंट की मीटिंग...
विक्रम - वही... एक दम बकवास और उबाऊ... लॉ मिनिस्टर की बेटी की रिसेप्शन है.. कुछ ऐसा करो की... इमेज बनें... फलाना ढिमका.... लोग दो चार बातेँ करें हमारे बारे में... तब टिकट मिलने पर कोई विरोध न होगा... पुरे मीटिंग में यही कह कर मेरा टाइम बर्बाद किया... और अपने साथ... एक इवेंट में लेकर गए... ओह... यकीन नहीं करोगे... इतना हैक्टिक... सिर अभी भी फटा जा रहा है... खैर इसे साइड करो... कहो... खबर क्या है और... हमें करना क्या है....
महांती - युवराज... इतना तो पक्का है... चेट्टी और केके... इस वक़्त कटक में हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मतलब... चेट्टी... अपने विधायक क्षेत्र में है...
महांती - हाँ.. अब वह विरोधी पार्टी में शामिल हो गया है... तो उस पार्टी में... उसे खास तबज्जो मिल रही है...
विक्रम - तबज्जो मतलब...
महांती - अब चेट्टी... विरोधी खेमे का बड़ा नेता बन गया है... पार्टी की मांग पर... उसे वाई प्लस सिक्युरिटी दी गई है...
विक्रम - (कुछ देर चुप रहने के बाद) उसे वाई सिक्युरिटी मिली है... केके को तो नहीं...
महांती - पर केके खुद को... चेट्टी की सिक्युरिटी के सील में रहेगा...
विक्रम - मतलब हम... अभी हाथ नहीं डाल सकते हैं...
महांती - फ़िलहाल तो नहीं... क्यूंकि आपकी पोलिटिकल आइडेंटिटी.... खतरे में आ सकती है...
विक्रम - तो क्या हम... कुछ नहीं कर सकते...
महांती - कुछ साल पहले... हम कहीं भी घुस सकते थे... पर अब आपका... एक पोलिटिकल इमेज है... ताकत का इस्तमाल.... आउट ऑफ स्क्रीन करना होगा आपको... ऑन द स्क्रीन... दिमाग चलाइये... और राजनीति कीजिए...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
महांती - उसे हमारे आँखों के सामने रहने दीजिए... मौका... कभी तो हाथ लगेगा...
विक्रम - इस बीच अगर... उनसे कोई गुस्ताखी हुई... तो...
महांती - वह लोग... जितने खुलेंगे... हम भी उनसे... उतने खुल जाएंगे...

फिर कुछ देर के लिए हॉल में शांति छा जाती है l विक्रम कुछ सोचने लगता है l

विक्रम - कल केके अदालत में... जे ग्रुप के मालिक को... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देने जा रहा है... वह आएगा... ऐसे निकल जाएगा... मुझे अच्छा नहीं लगेगा....
महांती - युवराज जी... आप ने सात साल लगा दिए... आज का अपना यह पहचान बनाने के लिए... आज हालात थोड़े अलग हैं... जो कभी साथ थे.. या नीचे थे... आज वह लोग.. बगावती तेवर के साथ... पंजा लड़ा रहे हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... पर कल के लिए... मुझे वीर की कही बातेँ याद आ रही हैं...
महांती - मुझे भी... वे लोग... बेशक हम से दुश्मनी ले लिए हैं... पर... डर तो उन्हें उतना ही होगा... इसलिए... कल वे हमको... मेरा मतलब है... आपको शायद किसी तरह एनगेज रखेंगे....

विक्रम मुस्कराते हुए अपनी जगह से उठता है l और कांफ्रेंस टेबल के पर थोड़ा इधर उधर होता है l फिर महांती की ओर देखते हुए

विक्रम - महांती... सात साल लगे... मैं इस इमेज को बनाने के लिए... भागता रहा... सबको... अपने पीछे छोड़ता रहा... पर आज देखो... कितना बेबस हूँ... मेरा दुश्मन मेरे सामने है... पर मैं मज़बूर हूँ...
महांती - युवराज... वह लोग आपसे दुश्मनी तो कर रहे हैं... पर सीधे सीधे नहीं... और खुल्लमखुल्ला तो हरगिज नहीं... सिर्फ हम जानते हैं... की हमारा दुश्मन कौन है... इसलिए आप भी उन्हीं की तरह सोचिए... आप राजनीति कीजिए... बाकी हम पर छोड़ दीजिए...
विक्रम - सुकांत रॉय... रॉय ग्रुप सिक्युरिटी सर्विस... वह हमसे... यानी ESS से भीड़ रहा है...
महांती - कोई बड़ी बात नहीं है... किसी भी संस्थान को कामयाब होने के लिए.. या सस्टैंन होने के लिए... फाइनैंस चाहिए... जो उसे अब केके दे रहा है... और पोलिटिकल सपोर्ट... उसे चेट्टी से मिल रहा है...
विक्रम - चेट्टी का अभी भी... पोलिटिकल बेस बाकी है...
महांती - क्यूँ नहीं... आखिर वह एक वेटरन है... निरोग हॉस्पिटल के ड्रग्स कांड में... उसका बेटा बदनाम हुआ था... और तब भी वह इंडिपेंडेंट में दुसरे नंबर पर था.. वोट शेयर में...
विक्रम - ह्म्म्म्म... तो इसका मतलब अगर मैं... कुछ अग्रेसिवनेस दिखाऊँ... तो
महांती - तो... वह लोग... आपको हर हाल में.... ऐंगेज रखने की कोशिश करेंगे...
विक्रम - ह्म्म्म्म सिर्फ मुझे... क्यूंकि... छोटे राजा जी... दिल्ली में हैं... और वीर अभी राजगड़ में...
महांती - जी...
विक्रम - तो सवाल यह है कि... मुझे किस तरह से एनगेज रखेंगे...
महांती - मुझे लगता है कि... आपकी प्रॉपर रेकी हो रही होगी... आप उनके नजर में होंगे...
विक्रम - क्या वे... मुझे कटक जाने से रोकेंगे...
महांती - (कुछ सोचते हुए) पता नहीं... पर आप... कल कटक क्यूँ जाएंगे...

विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरती है l वह अपना सिर हिला कर कुछ सोचते हुए l

विक्रम - अदालती कारवाई देखने के लिए... मैं कटक जाऊँगा... और देखूँगा... मुझे कैसे... एनगेज रखते हैं....


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अगले दिन
विश्व खोया खोया हुआ नाश्ता कर रहा है l और द हैल में रुप की भी वही दसा है l रुप के आगे से शुभ्रा थाली चुपके से निकाल लेती है l फिर भी रुप को होश नहीं रहता, वह अपनी चम्मच से खाना उठाने की कोशिश में टेबल पर चम्मच रगड़ती है l उसे यूँ खोया हुआ देख कर शुभ्रा और विक्रम दोनों हैरान होते हैं l

तापस - क्या हुआ लाट साहब... कहाँ खोए हुए हो...
विश्व - (अपने में लौटता है, हकलाते हुए) क कुछ नहीं...
प्रतिभा - कुछ तो है...
विश्व - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं माँ...

शुभ्रा - तो हकला क्यूँ रही हो...
रुप - वह भाभी... मैं हमारे ड्राइविंग स्कुल के.. सुकुमार अंकल के प्रॉब्लम की सॉल्यूशन के बारे में सोच रही थी...

विक्रम - क्या प्रॉब्लम है उनका...
रुप - पता नहीं... मैं आपको ठीक से समझा पाऊँगी भी या नहीं....
विक्रम - फिर भी बताओ...

विश्व पुरी बात बताता है l तापस और प्रतिभा सब सुनने के बाद l

तापस - ह्म्म्म्म... वाकई... बहुत बड़ी प्रॉब्लम है...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... तो कब है.. उनकी शादी की साल गिरह...
विश्व - परसों... एक्चुयली जब तक उनके बच्चे यहाँ नहीं थे... उनकी जिंदगी ठीक चल रही थी... पर अब जब बच्चे आ कर उन्हें अपने साथ ले जाना चाहते हैं....

रुप - तब से... वह अंकल... कुछ डिस्टर्ब्ड लग रहे हैं... और सेलिब्रेशन से भाग रहे हैं... इसलिए हमने सोचा है कि... परसों रात बारह बजे सुकुमार अंकल और आंटी जी को सरप्राइज़ करेंगे....
विक्रम - यह हम कौन कौन हैं...

यह सवाल सुनते ही शुभ्रा के हाथों से चम्मच छूट जाती है l विक्रम शुभ्रा के तरफ देखता है तो शुभ्रा खुद को संभाल लेती है l

रुप - हम मतलब... हम जितने भी सुकुमार अंकल के साथ ड्राइविंग सीख रहे हैं...
विक्रम - ओ... अच्छा... तुम्हें क्या लगता है... मैं तुम्हें रात के बारह बजे की सरप्राइज सेलिब्रेशन के लिए जाने दूँगा...
रुप - (एक नजर विक्रम की ओर देखती है और उसके आँखों में आँखे डाल कर) हाँ... क्यूंकि नंदिनी को उसका भाई... जरूर जाने देगा...
विक्रम - (रुप की जवाब सुन कर हैरान हो जाता है) ठीक है... कैसे जाओगी...
शुभ्रा - मैं उस दिन शाम को... टैक्सी कर चली जाऊँगी... प्रोग्राम खतम होने के बाद... आपको कॉल कर दूंगी... आप आकर मुझे ले जाना....
विक्रम - (कुछ देर के लिए चुप हो जाता है, फिर डायनिंग चेयर पर पीठ सटा कर) ठीक है...


विश्व - थैंक्स डैड...
तापस - थैंक्स कैसा... तुम जानते हो... मुझे चिंता क्यूँ और किसलिए हो रहा है...
विश्व - मैं जानता हूँ डैड... मैं वादा करता हूँ... मैं संभल कर रहूँगा...

विक्रम अपनी जगह से उठता है और रुप के पास जा कर उसके सिर पर हाथ फेरता है, फिर हाथ धो कर अपने कमरे में चला जाता है l कुछ देर बाद वह तैयार हो कर नीचे आता है l

शुभ्रा - (विक्रम से) सुनिए...
विक्रम - जी..
शुभ्रा - आज भी मैं... नंदिनी को छोड़ने जाऊँ...
विक्रम - (मुस्कराते हुए, अपना सिर हिला कर) जी जरूर...

कह कर विक्रम बाहर चला जाता है l विक्रम के जाने के बाद शुभ्रा रुप को मुस्कराते हुए देखती है l

रुप - क्या बात है भाभी... आप... मुझे देख कर... ऐसे क्यूँ मुस्करा रही हैं...
शुभ्रा - चलो... हम गाड़ी में बात करते हुए जाते हैं...

विश्व - माँ... क्या बात है... आज तुम... मुझे कहाँ ले कर जाने वाली हो...
प्रतिभा - कोर्ट...
विश्व - क्यूँ...
प्रतिभा - अरे भुल गया... आज केके ग्रुप के चेयरमैन... कमलाकांत महानायक... जोडार साहब को.. जज के सामने... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देगा....
विश्व - तो मैं वहाँ... जा कर क्या करूंगा...
प्रतिभा - अरे... तेरा... पहला लीगल केस है...
विश्व - पर...
प्रतिभा - कोई पर वर नहीं... चल मेरे साथ... गाड़ी मैं चला रही हूँ... चल...
विश्व - ठीक है...

गाड़ी सरपट दौड़ रही है l अंदर शुभ्रा और रुप बैठे हुए हैं l

रुप - क्या बात है भाभी... आप मन ही मन ऐसे मुस्करा रही हो... जैसे मेरी कोई चोरी पकड़ लिया आपने...
शुभ्रा - हूँम्म्म्म्म्... पकड़ा तो है...
रुप - कैसी चोरी...
शुभ्रा - अच्छा एक बात बताओ... क्या तुम्हें लगता है... की कुछ तुम मिस कर रही हो या... तुमसे कुछ खो गया है... रुप - हाँ... (खोई खोई हुई) शायद

प्रतिभा - एक्जाक्टली... तुम.. नंदिनी को मिस कर रही हो...
विश्व - (हकलाते हुए) क्या... यह.. यह कह रही हो...
प्रतिभा - बिल्कुल सही कह रही हूँ...

रुप - नहीं... आप गलत हो..
शुभ्रा - मैं गलत हूँ... कैसे.. तुम चार महीने से... यहीं हो... पर किसीसे इस कदर अटैच मेंट फिल नहीं हुआ तुम्हें... अब जब ड्राइविंग सेशन खतम होने को आ गई... तुम अब बुझी बुझी सी रहने लगी हो...
रुप - हूँह्ह्... कुछ भी...
शुभ्रा - आज डायनिंग टेबल पर... तुमने जो कहानी कही... वह तुम्हारे फेशियल एक्सप्रेशन से... मैच नहीं हो रही थी...

विश्व - माँ... क्या तुमको लगता है... मैंने डायनिंग टेबल पर कोई झूठ बोला है...
प्रतिभा - नहीं... मैंने कब कहा कि तुने झूठ बोला है... बस तुने पुरी बात नहीं बताई....
विश्व - माँ सुकुमार अंकल की बात... मैंने सौ फीसद सही कहा है...
प्रतिभा - पर उस वक़्त... तेरे दिल में कोई और बात चल रही थी.... उसे छुपाने के लिए... तुने सुकुमार अंकल की कहानी को आगे कर दिया...

रुप - यह... यह आप... कैसे कह सकते हैं...
शुभ्रा - सिंपल... नंदिनी... इन्हीं दो चार दिन में... तुम काफी डिस्टर्ब्ड लग रही हो... या फिर हुई हो... शायद अनाम को ना ढूंढ पाने की वजह से... और... या फिर शायद... प्रताप से बिछड़ ने की खयाल से...
रुप - (थोड़ी गंभीर हो कर) नहीं... नहीं भाभी.... ऐसी कोई बात नहीं... आपको गलतफहमी हो रही है... आप बहुत सोचने जो लगी हो आज कल...

प्रतिभा - नहीं... मुझे कोई गलत फहमी नहीं हुआ है... तु अपने भीतर... खुद से लड़ रहा है... जिसकी टीस तेरे चेहरे पर साफ दिख रहा है...
विश्व - ( घंभीर हो अपना चेहरा नीचे झुका लेता है)
प्रतिभा - तु... नंदिनी को लेकर... अभी भी कंफ्युज्ड है... है ना...
विश्व - हाँ... शायद... (प्रतिभा को देख कर) उनके चेहरे से... उनके बातों से... हर अदा में... मुझे राजकुमारी जी की झलक मिलती है...

रुप - कभी कभी मन में आता है... की मैं... (अपने दोनों हाथ उठा कर) इन्हीं हाथों से उसके गिरेबान को पकड़ुं... और झिंझोडते हुए पुछुं... कौन हो तुम... क्यूँ तुम अनाम जैसे लगते हो... या तुम्हीं अनाम हो...
शुभ्रा - तो एक बार तुम उससे पुछ क्यूँ नहीं लेती...
रुप - पता नहीं भाभी... दिल में हलचल सी होने लगती है... कहीं यह अनाम नहीं हुआ तो...

प्रतिभा - देख... मैं नहीं जानती तुम्हारी राजकुमारी कैसी होगी... पर मुझे तुम्हारी यह नकचढ़ी बहुत पसंद है...
विश्व - (खीज जाता है) माँ... हम दोस्त है... आपस में... हमारे बीच यही तय हुआ था... कि हम इस दोस्ती का खयाल रखेंगे... इज़्ज़त रखेंगे... यही बात है... मैं अबतक नंदिनी जी कुछ भी नहीं पुछ पाया...

शुभ्रा - पर... तुम कब तक किसी मृगतृष्णा के पीछे भागोगी...
रुप - भाभी... मेरा रिश्ता तय हो चुका है... पर मैंने कभी किसीसे कोई वादा लिया था... मैं उसके सामने दोषी नहीं बनना चाहती हूँ... इसलिए मैंने फैसला किया है... इस बार छुट्टी में... चाची माँ के पास जाऊँगी... वहाँ अपने तरीके से... अनाम को ढूंढुंगी... अगर वह मिला... और उसे अगर मेरा इंतजार होगा... तब... शायद मैं कुछ करूंगी... वरना... (चुप हो जाती है)

शुभ्रा गाड़ी को कॉलेज की पार्किंग में लगाती है l रुप उतर कर शुभ्रा को बाय कह कर अंदर चली जाती है l उधर प्रतिभा अपनी गाड़ी को कोर्ट के परिसर में लाती है l विश्व गाड़ी से उतर कर बाहर की ओर जाने लगता है l

प्रतिभा - अरे सुन तो... कहाँ जा रहा है...
विश्व - माँ... यह कोर्ट के अंदर.. तुम देखो... मैं... अपना मुड़ ठीक करने जा रहा हूँ....
प्रतिभा - मुझे यहाँ अकेले छोड़ कर जा रहा है...
विश्व - माँ.. यहाँ मेरा कुछ भी काम नहीं है... सॉरी मैं चला... (जाने लगता है)
प्रतिभा - (चिल्लाते हुए) ठीक है... आ फिर आज घर में... शाम को तेरी टांग ना तोड़ी... तो कहना...
विश्व - (बिना पीछे देखे) ठीक है माँ... बाय...

कह कर कोर्ट परिसर से बाहर निकल जाता है l प्रतिभा मुस्कराते हुए उसे जाते देखती है और फिर वह कोर्ट के अंदर जाने लगती है l


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विक्रम घर से निकल आने के बाद ऑफिस जाने के वजाए पार्टी ऑफिस चला आया था l वहाँ अपने ऑफिस में कुछ देर रुका और साधारण कार्यकर्ताओं से बातचीत वगैरह किया l फिर अपने कमरे से सबको विदा करने के बाद, वह पीछे के रास्ते से भेष बदल कर एक पुरानी मारुति 800 कार लेकर कटक की ओर जाने लगता है l भुवनेश्वर अब पीछे छूट चुका था l नंदन कानन रोड लांघने के बाद उसका फोन बजने लगता है l उसे स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले होता दिखता है l वह अपना ब्लू टूथ ऑन करता है

:- हा हा हा हा... (एक मर्दाना हँसी सुनाई देता है)
विक्रम - कौन है...
:- तेरी मौत...

विक्रम गाड़ी की ब्रेक लगाता है l उसके पीछे वाली गाड़ियां रुक जाती हैं और हॉर्न पे हॉर्न बजाये जाते हैं l

फोन पर :- ना ना विक्रम बाबु... गाड़ी को आगे बढ़ाओ... आप... कोर्ट ही तो जा रहे हो ना...


यह सुन कर विक्रम हैरान होता है और गाड़ी फिर आगे बढ़ाने लगता है l

:- गुड... यह हुई ना... एक जिम्मेदार नागरिक वाली बात...
विक्रम - कौन हो तुम... और तुमको कैसे मालुम हुआ कि...
:- हा हा हा हा... मैं वही हूँ... जो तुम्हारे नजरों में नहीं हूँ... और तुम मेरे नजरों में हो...

विक्रम अब गाड़ी को धीमी रफ्तार से आगे लिए जा रहा था l और सोच रहा था कैसे वह उनके नजरों में आ गया l वह रियर मिरर में देखने लगता है, पर पीछे इतने गाड़ियां आ रही थी के उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कौनसे गाड़ी से उसका पीछा किया जा रहा है l

:- विक्रम तुम यही सोच रहे हो ना... की कौनसे गाड़ी से तुम पर नजर रखी जा रही है...
विक्रम - (हैरानी से भवें तन जाते हैं)
:- हाँ विक्रम... इसे तजुर्बा कहते हैं... जितनी तुम्हारी उम्र नहीं है... मैंने उतने कांड और कारनामें किए हुए हैं...
विक्रम - इतने ही कांड किए हो... तो यूँ छुपे हुए क्यूँ हो... सामने क्यूँ नहीं आते...
:- आ जाएंगे... आ जाएंगे... इतनी जल्दी भी क्या है... पहले तुम कोर्ट की मंजिल तो तय कर लो...
विक्रम - क्यूँ... तुम्हें क्या लगता है... मैं कोर्ट नहीं जा सकता...
:- नहीं... आज तो नहीं...
विक्रम - कौन रोकेगा मुझे...
:- क्या अभी भी तुम्हें शक़ है... तुम कब के रोक दिए गए हो...
विक्रम - अच्छा... मजाक अच्छा है... मुझे सामने कोर्ट दिख रहा है...
:- हाँ वह इसलिए... की तुम अभी... त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर हो...
विक्रम - हाँ... मतलब... मैं पुरी तरह से... तुम्हारे सर्विलांस में हूँ...
:- बिल्कुल... कोई शक़...
विक्रम - मुझे कोर्ट की लाल बिल्डिंग दिख रही है... फिर भी... तुम कह रहे हो... मैं कोर्ट तक नहीं पहुँच सकता...
:- नहीं...
विक्रम - कैसे...
:- ऐसे...

अचानक विक्रम की आगे वाली गाड़ी रुक जाती है l विक्रम झट से अपनी गाड़ी में ब्रेक लगाता है lसिर्फ विक्रम की गाड़ी नहीं त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर विक्रम के गाड़ी के आगे और पीछे गाड़ियों की अंबार लग जाता है l सिर्फ गाडियों की हॉर्न सुनाई देता है l विक्रम गाड़ी से बाहर निकालता है तो देखता है ब्रिज के ऊपर कुछ गाडियों के बीच टक्कर हुई है l इसलिए रोड पुरी तरह से जाम हो गया है l अब उसके पीछे इतने गाड़ियां रुक गई हैं कि गाड़ी घुमा कर पीछे लौट कर जाया नहीं जा सकता है l वह गाड़ी वहीँ छोड़ कर आगे बढ़ने लगता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l विक्रम स्क्रीन पर देखता है तो प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l विक्रम फोन उठाता है

:- देखा... तुम्हें कोर्ट दिख रहा होगा... पर तुम कोर्ट पहुँच नहीं पाओगे....

विक्रम अपने चारों तरफ नजर घुमाता है और अपने चारों तरफ की नजरों को अपने तरफ घूरते हुए पाता है l

विक्रम - तुम आज मुझे रोक कर... क्या साबित करना चाहते हो...
:- यही के तुम एक दूध पीते बच्चे हो... मैं जब चाहे तुम्हें रोक सकता हूँ... पर तुम मुझे नहीं रोक सकते हो...
विक्रम - छुपे हुए हो...
:- हाँ... फिर भी मेरी मुट्ठी में तुम्हारी चुटीया है...
विक्रम - मैं अकेले पैदल जा रहा हूँ...
:- हाँ.. यह कोशिश भी करके देख लो... कहीं तुम्हारी जिद तुम्हारी बीवी पर भारी ना पड़ जाए...

विक्रम के कदम रुक जाते हैं, उसे अपने जिस्म पर झुरझुरी सी महसुस होने लगती है l

विक्रम - (कांपती हुई आवाज़ में) क्या.. क्या कहा तुमने...
:- यही... की तुम कोर्ट तक पहुँचने के वजाए... अपनी बीवी तक पहुँचो... कहीं देर ना हो जाए...

विक्रम झट से फोन कट कर देता है और महांती को फोन लगाता है l

महांती - जी युवराज...
विक्रम - म.. महांती... (हांफते हुए)
महांती - आप हांफ क्यूँ रहे हैं...
विक्रम - वह.. वह युवराणी...
महांती - क्या हुआ उन्हें...
विक्रम - उनके सेक्योरिटी...
महांती - युवराज... आप घबराइए मत... उनके साथ हमारे स्पेशल ट्रूप के आठ गार्ड्स सिक्युरिटी हैं...
विक्रम - गुड... मुझे कंफर्म कराओ.. प्लीज..
महांती - ओके...

महांती का फोन कट जाते ही फिर उसी प्राइवेट नंबर से विक्रम को कॉल आता है l

विक्रम - हे..हैलो...
:- देखा आवाज में.. अदबी आ गई ना.. हा हा हा हा...
विक्रम - हँस मत कुत्ते... हँस मत... आज तुमने मेरी पत्नी की बात कर बड़ी गुस्ताखी कर दी है...
:- गुस्ताखी... तुम क्षेत्रपालों को... सम्मान कोई देता भी है... सब डर के मारे सम्मान देते हैं... और मैंने तुम क्षेत्रपालों से डरना छोड़ दिया है... मेरे ना आगे कोई है... ना मेरे बाद कोई है... डरना किस लिए फिर...
विक्रम - ओंकार चेट्टी...
:- हा हा हा हा... पहचान गए... अपने अंकल को...
विक्रम - हाँ... तु भी पहचान ले अपनी मौत को...
चेट्टी - फिर से बे अदबी...
विक्रम - कुछ भी कर लेता... पर शुभ्रा जी का रास्ता काटने की गलती कर बैठा है... बहुत पछतायेगा...
चेट्टी - कौन... वह सामंत राय की बेटी... मेरे बेटे की.... और मेरी बर्बादी की वजह...
विक्रम - कमीने...
चेट्टी - तुम क्षेत्रपालों से बहुत कम... खैर पहले... कंफर्म तो हो जा... तेरी बीवी सेफ है या नहीं...

चेट्टी का फोन कट जाता है l तभी विक्रम के मोबाइल पर महांती का कॉल आता है l

विक्रम - हैलो... (और कुछ पुछने हिम्मत नहीं हो रही थी)
महांती - युवराज... युवराणी जी की सिक्युरिटी ब्रीच हुई है...

विक्रम का हाथ पैर सब कांपने लगते हैं l महांती आगे क्या कह रहा था उसके कानों में जा नहीं रहा था l विक्रम महांती का कॉल काट देता है, और कार के बोनेट पर धप कर बैठ जाता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l डिस्प्ले में इसबार नंबर और नाम साफ दिख रहा था l ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी l शायद ट्रू कॉलर के वजह से l विक्रम कॉल उठाता है

विक्रम - कैसे...
चेट्टी - हैकिंग से... तेरे घर की सर्विलांस हैक किया गया... तेरी बीवी की ड्रेस से मिलती जुलती ड्रेस... एक डमी को पहना कर.. तेरी बीवी की मॉडल गाड़ी में बिठा कर... सेम नंबर प्लेट.. लगा कर बस इंतजार किया... तेरी बीवी... तेरी बहन को कॉलेज ड्रॉप कर आने के बाद... जयदेव विहार के ओवर ब्रिज के नीचे... हमारी गाड़ी तेरी बीवी की गाड़ी से सट गई... तेरी बीवी की सिक्युरिटी में आए गार्ड्स... अच्छी खासी दूरी बनाए हुए थे... इसलिए हमने उन्हें डमी के पीछे आने के लिए पोजीशन बनाया... वह बेवकूफ... तेरी बीवी को छोड़.. हमारे डमी की सिक्युरिटी में लग गए... यह है ESS की चुस्ती.... हा हा हा...

विक्रम तुरंत चेट्टी का फोन काट कर शुभ्रा को लगाता है l पर शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l बार बार कोशिश के बाद भी शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l वह चिढ़ कर गुस्से से कार के बोनेट पर घुसा मारने लगता है I इतने में उसका फोन फिर बजने लगता है l विक्रम कांपते हुए हाथों से फोन उठाता है l

चेट्टी - तेरी बीवी को फोन लगाने से... कोई फायदा नहीं होगा... मेरे सिक्युरिटी गार्ड्स... मोबाइल जैमर के जरिए... उसकी फोन सिग्नल... जैम कर दिया है... और अपनी हिफाजत में xxx मॉल के अंडरग्राउंड पार्किंग में ले गए हैं... अगर बचा सकता है... तो जा कर बचा ले...

फोन कट जाता है l विक्रम अब गाडियों पर चढ़ते हुए भुवनेश्वर की ओर भागने लगता है l ब्रिज के छोर पर पहुँच कर वहाँ पर खड़े बंदे से बाइक छिन कर xxx मॉल के तरफ बाइक भगाता है
ये रोड़ा का तो पकोड़ा बना दिया गरम पानी में तल कर, मगर कर भी क्या सकता है अब गधा डर्बी में दौड़ने की कोशिश करेगा तो मुंह की खायेगा ही और जॉकी उसका पिछवाड़ा भी तोड़ेगा और जब गधा रोड़ा और जॉकी विश्व हो तो पक्का वाट लगानी ही है उपर से विश्व की मां और दोस्त की बेइज्जती मतलब, आ बैल मेरी मार मतबल आ बैल मुझे मार।

विश्व और रूप कहना तो बहुत कुछ चाहते है मगर शर्म, हया और पुराने रिश्तों की डोर उन्हें आगे बढ़ने से हर बार रोक देती है मगर एक दूसरे के लिए वो अनजानी तड़प जिसकी कुछ वजह वो पुरानी डोर और कुछ वर्तमान में दोनो की शख्शियत जो बीते कल और आज का सम्मिश्रण है, वो फिर से उन्हें बेबस कर देती है।

खैर हमे तो इंतजार है सुकुमार अंकल की एनिवर्सरी का जब दो दिल मिलेंगे, क्या ही नजारा होगा, रूप का भड़कना, विश्व का हकलाना, रूप का अपनी जिद्द और जोर दिखाना और विश्व इन सबको सर झुका कर मान लेना और आखिर में रूप के दिल की वो दबी हुई तड़प, चाहत, कसक सबका एक साथ निकलना और विश्व का इन सबको झिझकते, शरमाते, तड़पते हुए बाहें फैलाकर स्वीकार करना। क्या ही सीन होगा वो कसम से मेरी तो आंखें ही भर आएंगी और जुबान पर मकसूद भाई वो डायलॉग आ जायेगा कि बस भी कर अब रुलाएगा क्या पगले

विश्व और रूप दोनो के दिल की हालत कुछ ऐसी है कि

तुझे ना देखूं तो चैन मुझे आता नहीं है
एक तेरे सिवा कोई और मुझे भाता नहीं है
कहीं मुझे प्यार हुआ तो नहीं है

दिल होके जुदा तुझसे रह पाता नहीं है
कोई भी मेरे दिल को समझाता नहीं है
कहीं मुझे प्यार
हुआ तो नहीं है


शुभ्रा रूप के दिल को बहुत अच्छे से समझती है और शायद यही वजह है कि सिर्फ रूप के चहेरे को देख कर वो उसके दिल की बात समझ लेती है।

ये सारे क्षेत्रपाल खानदान के लौंडे अपने आप को समझते तो तीस मार खान है मगर अपने बाप के नाम के बिना उखाड़ किसी के सर का बाल भी नही पाते है और यही हुआ Mr विक्रम क्षेत्रपाल के साथ। कहां तो दुश्मन को चुनौती देने जा रहे थे और कहां अपना घर ही नही संभाल पाए, अब इस घटना से तीन बातें हो सकती है

1. विक्रम समय से पहुंचे और शुभ्रा को बचाए। इससे दोनो का प्यार और गहरा हो जाए

2. विक्रम समय से ना पहुंच पाए मगर शुभ्रा को कुछ ना हो मगर दोनो के दिलो में फिर से दूरी आ जाए

3. शुभ्रा को आगे करके विक्रम को मजबूर किया जाए और एक बार फिर उसकी इज्जत का कुल्फी फालूदा हो जाए

एक और संभावना है कि विश्व बाबू वहां पहुंच जाए और विक्रम के पहुंचने से पहले ही सारा खेल खत्म करके शुभ्रा को बचाए और एक बार फिर विक्रम और क्षेत्रपाल दोनो नामो की इज्जत की धज्जियां उड़ा दे और विक्रम को एक बार फिर से अच्छे से तोड़ दे।

हम तो संभावनाएं ही लगा सकते है मगर

होवत वही जो Kala Nag भाई रची राखा

उत्तम अति उत्तम
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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मित्र ये हूई न बात लास्ट दो किस्तों मे क्या गज़ब ढाया है पूरी अपने अंदाज में लौट आए हों.. अद्भूत अब तो इतनी रोमांचकारी कहानी हो गई है कि इंतजार भी नहीं हो सकता है.. कहानी मे ये जो रोमांच पैदा किया है न मज़ा ले लिया है 😍
विक्रम / वीर की दोनों की चेटीटी ने बजा दी है..
उधर विश्व इंस्पेक्टर की पूरी बजाने में लगा हुआ है वाह क्या बात है

अब अगले अध्याय की प्रतीक्षा नहीं कर सकते हैं.. 😍 शीघ्र लिखे व प्रकाशित कर हमे अनुग्रहीत करे 🙏
 

Battu

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xxx होटल
एक रॉयल शूट
उस शूट के बेड रुम में किंग साइज बेड के बगल में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l उस बेड पर रोणा लगभग नंगा लेटा हुआ है l सिर्फ कमर से घुटने तक एक सिलिंडर नुमा कपड़े से ढका हुआ है l पुरा शरीर उसका लाल दिख रहा है l रोणा को एक डॉक्टर दो मेल नर्सों के साथ चेक कर रहे हैं l उस शूट के बगल वाले बड़े से गेस्ट रुम में सोफ़े पर परीड़ा और बल्लभ बैठे हुए हैं l उनके सामने होटल का मैनेजर, कुछ स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर सिर झुकाए, हाथ बांधे खड़े हुए हैं l कुछ देर बाद बेड रुम का दरवाजा खुलता है l डॉक्टर और नर्स बाहर आते हैं l उनके बाहर आते ही परीड़ा और बल्लभ खड़े हो जाते हैं l

बल्लभ - डॉक्टर साहब... कितना सीरियस है...
डॉक्टर - नहीं... अभी ठीक है... सीरियस नहीं है... गरम पानी से... उनकी त्वचा जल गई है.... हमने पुरे बदन पर क्रीम लगा दिया है... जलन बहुत हद तक कम हो गया है... बेड पर मोटराइज्ड वाटर बेड डलवा दिया है... उसके अंदर ठंडा पानी सर्कुलेट होता रहेगा... और रुम टेंपरेचर बाइस डिग्री पर सेट किया गया है... कल सुबह तक नब्बे प्रतिशत ठीक हो जाएंगे... फ़िलहाल हमने उन्हें नींद की इंजेक्शन दे दिआ है... इत्मीनान रखिए... परसों तक वह पुरी तरह से ठीक हो जाएंगे... हाँ कुछ दिनों के लिए उनका त्वचा... थोड़ा काला पड़ जाएगा.... पर चिंता की कोई बात नहीं... हफ्ते दस दिन के भीतर ही.. उनका त्वचा नॉर्मल हो जाएगा... बस दवाई खाते रहना है.... और क्रीम लगाते रहना है...
बल्लभ - थैंक्यू डॉक्टर...
डॉक्टर - ईट्स ओके...

कह कर डॉक्टर और उसके स्टाफ बाहर चले जाते हैं l मैनेजर उन्हें दरवाजे के पार छोड़ कर वापस अपनी जगह खड़ा हो जाता है l तब तक परीड़ा और बल्लभ दोनों सोफ़े पर बैठ चुके थे l


मैनेजर - सर... जो हुआ... नहीं होना चाहिए था... पर हुआ... और बुरा हुआ... सर यकीन मानिए... ऐसा इस होटल में पहली बार हुआ है... वी आर वेरी सॉरी फॉर दिस...
बल्लभ - (भड़क कर) ऐसा पहली बार हुआ है... साज़िशन किसीकी जान लेने के कोशिश की गई है... आपकी सिक्युरिटी क्या कर रही थी... आपके स्टाफ क्या कर रहे थे... ऐसे कोई आएगा... आपसे पहचान नहीं हो पाया... कैसे रोकेंगे अगर फिरसे ऐसा कुछ हुआ...
सिक्युरिटी ऑफिसर - सर... जिन्होंने यह सब किया... उन्होंने आधार कार्ड की जिरक्स जमा कर रुम लिया था... अब कांड होने के बाद... जब तहकीकात किया गया... तब मालुम पड़ा... आधार कार्ड नकली है...और वह लोग भी....
बल्लभ - फिर भी...
सी.ऑ - सर हमसे जो भी हुआ... जितना भी हो सका... जो भी जानकारी हासिल की... सब तो आपको और परीड़ा सर को बता चुके हैं... यहाँ तक हमने सारे सीसीटीवी के फुटेज दे दिया है... बाकी...आप जैसा कहेंगे... हम करने के लिए तैयार है...
मैनेजर - सर... हम.. आपके स्टेयींग के सारी रकम.. रिफंड कर रहे हैं... अनिकेत सर जी को इसी शूट में... हॉस्पिटल ट्रीटमेंट दे रहे हैं... वह भी हमारी ख़र्चे पर... और उनके ठीक हो कर जाने तक.. हम रहना और खाना फ्री कर रहे हैं... प्लीज सर... कोई कंप्लेंट रेज मत कीजिए...

बल्लभ कुछ कहने को होता है कि परीड़ा उसे इशारे से रोकता है तो बल्लभ चुप हो जाता है l

परीड़ा - (मैनेजर से) ठीक है.. हम गौर करेंगे... अब आप लोग जाइए... हम... आपस में डिस्कस कर के आपको खबर कर देंगे...
मैनेजर - (मायूस हो कर) ओके सर... आई विल वेट... विथ पॉजिटिव होप...

कह कर मैनेजर अपने स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर को लेकर वहाँ से चला जाता है l बल्लभ परीड़ा की ओर देखता है, परीड़ा आँखे मूँद कर कुछ सोच रहा है l

बल्लभ - तुने इतनी आसानी से... उन्हें जाने क्यूँ दिया...
परीड़ा - (अपनी आँखे खोल कर) (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) तु अच्छी तरह से जानता है... इस मामले में... इन लोगों का कुछ लेना देना नहीं है... फिर बेकार में इन्हें घसीट क्यूँ रहा है...

बल्लभ असहाय, नाउम्मीद सा अपना हाथ सोफ़े के हैंडरेस्ट पर मारता है l

बल्लभ - क्या करें... कुछ समझ में नहीं आ रहा... कितनी आसानी से... रोणा को खौलते हुए पानी से नहला दिया... उसकी ऐसी हालत कर... आसानी से चले भी गए... हमें पुलिस को इंवाल्व करना चाहिए था... तुने बेकार में मना कर दिया....
परीड़ा - (बल्लभ की छटपटाहट उसे साफ महसुस होता है) पिछली बार... जब पुछा था... तब तुम्हीं लोगों ने पुलिस को इंवाल्व करने से मना किया था... और यहाँ पुलिस तक कैसे जाते... मत भूलो यहाँ की सेक्यूरिटी ESS की है... हाँ तुम चाहो तो... ESS को इंवाल्व कर सकते हो... फिर उसके बाद... युवराज अगर मैदान में उतरेगा... और जो तुम लोग ढूंढ रहे हो... शायद विक्रम सिंह ढूंढ ले... उसके बाद... सोचो तुम दोनों की औकात... क्या रह जाएगा... राजा साहब के सामने...
बल्लभ - (यह सब सुन कर चुप हो जाता है)
परीड़ा - वैसे भी... सारी गलती तुम लोगों की थी... तुम लोगों के बगल में रह कर,... कोई तुम लोगों की ले रहा था... साले तुम दोनों... अपनी आँखे मूँद कर... अंगूठा चूस रहे थे...
बल्लभ - (बिदक जाता है) कहना क्या चाहता है तु...
परीड़ा - यही... के सावधानी हटी... टट्टे कटीं...
बल्लभ - (परीड़ा को खा जाने वाली नजर से घूरते हुए) क्या मतलब हुआ इसका....
परीड़ा - कुछ उखाड़ने के चक्कर में... तुम झुक क्या गए... वह पीछे से आया... तुम लोगों का टट्टे काट कर ले गया... जब तुम उसे पकड़ोगे... वह क्या कहेगा... अररे... मैंने तो टमाटर समझ कर काट लिया था... यह तो आपके टट्टे निकले...
बल्लभ - (छटपटाते हुए चुप हो जाता है)
परीड़ा - अब तक रोणा पर हमला करने वाला... जो कोई भुत था... पहचान छुपाए हुए था... इस बार वह अपनी पहचान का सुराग छोड़ कर गया है....
बल्लभ - मतलब... कौन है... क्या विश्वा है... या कोई और है...
परीड़ा - घबराओ मत... अभी एक काम करते हैं... मैं कुछ और जानकारीयाँ इकट्ठा करता हूँ... रोणा को आज सोने दे... कल तक वह बहुत हद तक ठीक हो जायेगा... फिर सारी जानकारी सामने रख कर.... साथ मिल कर... पता करते हैं... वह भुत कौन है....

इतना कह कर परीड़ा वहाँ से उठता है और शूट रुम से बाहर चला जाता है l उसके जाते ही बल्लभ रोणा के सोये हुए रुम के अंदर जाता है l

×_____×_____×_____×_____×_____×_____×

अपना जंक्शन आते ही भाश्वती रुप और विश्व को बाय कह कर उतर जाती है l जब से भाश्वती के लिए विश्व सेक्शन शंकर से मिला था, उस दिन के बाद विश्व और रुप भाश्वती के साथ बस में जाते हैं और उसे ड्रॉप करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं l भाश्वती और विश्व रुप के साथ एक सीट में बैठ कर आए थे l भाश्वती के उतर जाने के बाद उसी सीट में विश्व और रुप चुपचाप बैठे हुए थे और एक दुसरे से नज़रें चुरा रहे थे l आज ड्राइविंग स्कुल में दोनों के बीच कोई बात चित हुई नहीं थी l अभी भी दोनों ख़ामोश ही थे l सच यह भी था कि दोनों को अपने बीच की यह खामोशी सहन नहीं हो रहा था l इस उधेडबुन में दोनों की आँखे बंद हो गई थी जबड़े भींची हुई थी l फिर दोनों के मुहँ से एक साथ निकलता है

"क्या हम बात कर सकते हैं"

दोनों मुहँ से एक साथ जैसे ही यह शब्द निकालता है, पहले दोनों चौंकते हैं, फिर हैरान होते हैं फिर दोनों मुस्कराते हुए एक दुसरे को देख कर मुस्करा देते हैं फिर अपनी नजरें फ़ेर लेते हैं l रुप खुद को नॉर्मल करते हुए

रुप - ठीक है... शुरु करो फिर...
विश्व - क्या...
रुप - अरे... तुम्हीं ने तो कहा... बात करने के लिए...
विश्व - आपने भी तो... वही कहा...
रुप - तो...
विश्व - वह कहते हैं ना... लेडीज फर्स्ट...
रुप - (चेहरे पर मुस्कराहट लाती है) ठीक है... (धीरे धीरे मुस्कराहट चेहरे से गायब होती है) तुम.. चाहो तो... मुझे... सुकुमार अंकल के मामले से अलग कर सकते हो...
विश्व - (चौंक कर देखता है) क्यूँ...
रुप - नहीं... हमारी दोस्ती है कितने दिन की... और मैं तुम्हें मजबूर करूँ भी क्यूँ... क्यूँ की... सुकुमार अंकल के मैटर के बाद... फिर शायद ही हमारा मिलना हो...
विश्व - क्यूँ... आप इस शहर में नहीँ रहेंगी क्या...
रुप - (मन ही मन में) मैं तो यहीं रहूँगी बेवक़ूफ़... तुम तो एक महीने के लिए आए हो... फिर पता नहीं कितने दिनों के लिए... कहाँ चले जाओगे...
विश्व - मैंने कुछ पुछा आपसे...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए, खिड़की से बाहर देख कर ) पता नहीं...

विश्व का चेहरा थोड़ा उतर जाता है, वह भी अपना चेहरा दुसरी तरफ कर लेता है l फिर रुप की ओर घुम कर

विश्व - एक... बात... पुंछुं...
रुप - (विश्व की ओर देखते हुए) ह्म्म्म्म...
विश्व - कल आपने... उस आदमी को... क्यूँ मारा....

रुप देखती है विश्व की आँखे उसके आँखों में झाँक रही है l शायद इस सवाल का ज़वाब उसके लिए खास मायने रखता है l रुप भी उसकी आँखों में आँखे डाल कर जवाब देती है

रुप - वह मुझे... बिल्कुल भी पसंद नहीं आया...
विश्व - क्यूँ...
रुप - (अपने होठों को दबा कर मुहँ दुसरी तरफ कर) मैं रोज सैकड़ों नजरों से गुजरती हूँ... कौनसी नजर कैसी है... अच्छी तरह से समझती हूँ... पर उस दिन की नजर... अलग था... वह जब से अंदर आया था... मुझे वह... बहुत ही गंदी नजर से देख रहा था... मैं पानी देने गई... तो वह मुझे ऐसे देख रहा था जैसे... मुझे अपनी नजर से स्कैन कर रहा हो... या मेरा... एक्सरे ले रहा हो... मैं बेशक कपड़ों में थी...तन ढका हुआ था मेरा... पर लग रहा था... जैसे उसकी भद्दी नज़रों में... मैं... (कुछ कह नहीं पाती) (थर्राते हुए एक गहरी सांस लेती है) मैं वहाँ से... उसी वक़्त भाग जाना चाहती थी.... अपने आप को कोस रही थी... क्यूँ आई मैं उस कमरे में.... आंटी जी... मेरे अंदर की एंबार्समेंट को फौरन समझ गई... इसलिए उन्होंने मुझे वहाँ से भेज दिया... फिर मैंने देखा... आंटी जी मेरे लिए... मेरे खातिर उससे कहा सुनी कर रही थीं... पर उसने जिस तरह से... अंटी जी से बिहेव किया... (रुक कर तेज तेज सांस लेते हुए, गुस्से में तमतमाते हुए) मुझसे रहा नहीं गया... पहले से ही गुस्से में जल रही थी... बस सब्र टुट गया... अपना गुस्सा निकाल दिया... (कुछ देर अटक कर) कभी कभी लगता है... एक लड़की समाज में... किन से डरे... कितनों से डरे... किस किस वजह से डरे... (अपनी दोनों हाथों को मलते हुए) शायद पुराने ज़माने में लोग... इन जैसों के वजह से... लड़की को पैदा होते ही मार देते थे...

विश्व उसे सुनते हुए बिना पलकें झपकाए एक टक देखे जा रहा था l विश्व का इस तरह देखने से रुप शर्मा जाती है और अपना चेहरा झुका लेती है l विश्व को फौरन अपनी नजर का एहसास होता है l

विश्व - सॉरी...
रुप - किसलिए...
विश्व - वह... (क्या कहे उसे कुछ नहीं सूझता) वह... एक्चुयली थैंक्यू...
रुप - (हैरानी के साथ मुस्कराते हुए) यह किसलिए...
विश्व - (खुद को नॉर्मल करते हुए) वह... उस बत्तमीज को... जो मेरी माँ के साथ बत्तमीजी कर रहा था... उसे... अच्छा सबक सिखाया आपने... मेरे तरफ से.... इसलिए...

रुप मुस्करा देती है उसे एक अंदरुनी खुशी महसुस होती है l अपने चेहरे पर जाहिर ना हो इसलिए अपना चेहरा खिड़की की ओर कर लेती है l

विश्व - एक.... और बात... पुछुं...
रुप - हूँ... पुछो..
विश्व - आपने क्यूँ कहा कि... सुकुमार अंकल के मैटर में... मैं चाहूँ तो आपको अलग कर दूँ...
रुप - (चेहरा संजीदा हो जाता है) कभी कभी लगता है... मैं हद से ज्यादा तुम पर... अपनी जिद लादती रहती हूँ... शायद दोस्ती में कोई हद होती होगी... मैं.. बेहद अपना हक जताती रहती हूँ... सुकुमार अंकल तुम्हें बहुत पसंद करते हैं... एक्चुयली... सुकुमार अंकल... तुमसे ही अपना प्रॉब्लम शेयर करना चाहते थे... पर उस दिन तुम लेट आए... मैं उन्हें उदास देख कर उनसे प्रॉब्लम जाना... (मुस्कराते हुए) फिर मैंने ही अपने शरारत के चलते... सुकुमार अंकल से तुमको कहने के लिए मना कर दिया....
विश्व - ओ... (भवें उठा कर)
रुप - इसलिए...(संजीदा हो कर) तुम चाहो तो... मुझे उनके मैटर से अलग कर सकते हो... (अपना मुहँ फ़ेर लेती है)
विश्व - (कुछ देर की चुप्पी के बाद) एक बात कहूँ... (रुप जिज्ञासा भरे नजरों से देखती है) हम इस रविवार को... दोनों मिलकर... सुकुमार अंकल की प्रॉब्लम दुर करेंगे... (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए) इस मामले में... मुझे आपका साथ चाहिए... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे फाड़े कभी विश्व को, कभी उसके हाथ को देखती है l

विश्व - आपने मुझसे दोस्ती की है... मैंने भी आपसे दोस्ती की है... दोस्त के नाते... आपका हर हक़... और जिद मेरे सिर आँखों पर... फिर से पुछ रहा हूँ... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे मीट मीट करते हुए विश्व को देखने लगती है l विश्व कुछ सोचने के बाद अपना हाथ खिंचता है कि तभी रुप उसका हाथ पकड़ लेती है और खुशी से चहकते हुए हाथ मिला कर जोर जोर से हिलाने लगती है l

रुप - थैंक्यू...

तभी कंडक्टर आवाज देता है l "राज महल स्क्वेयर"

रुप की स्टॉपेज आ गई थी l रुप अपने सीट से उठ कर बाहर निकलती है l और पीछे की एक्जिट की ओर जाती l विश्व उसे जाता हुआ देख रहा था l ठीक डोर के पास पहुँच कर रुप पीछे मुड़ती है और हल्के से मुस्कराते हुए अपना हाथ हिला कर विश्व को बाय कहती है l विश्व भी अपना हाथ हिला कर जवाब में बाय कहता है l रुप उतर जाती है और बस आगे बढ़ जाती है l रुप उस बस को जाते हुए देखती है l उसके पास एक कार आकर रुकती है, रूप उस गाड़ी में बैठ जाती है l गाड़ी के अंदर वह आज की बात याद करते हुए खुद पर हैरान होती है l रॉकी ने दोस्ती की हाथ बढ़ाया था पर रुप को रॉकी से दोस्ती करनी ही नहीं थी, और आगे चलकर उसके दिल की बात जानने के लिए रॉकी से दोस्ती की थी l पर आज की बात और है, क्यूँकी आज पहली बार किसी लड़के का हाथ दोस्ती के लिये रुप ने खुद थामा था और हाथ उठा कर उसे बाय भी कहा था l

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ESS की ऑफिस
विक्रम कांफ्रेंस हॉल के अंदर बैठा हुआ है l थोड़ी देर बाद महांती कांफ्रेस हॉल की दरवाजे को बंद कर अंदर आता है और विक्रम के सामने बैठ जाता है l

महांती - और युवराज जी... कैसी रही... आपकी... और पार्टी प्रेसिडेंट की मीटिंग...
विक्रम - वही... एक दम बकवास और उबाऊ... लॉ मिनिस्टर की बेटी की रिसेप्शन है.. कुछ ऐसा करो की... इमेज बनें... फलाना ढिमका.... लोग दो चार बातेँ करें हमारे बारे में... तब टिकट मिलने पर कोई विरोध न होगा... पुरे मीटिंग में यही कह कर मेरा टाइम बर्बाद किया... और अपने साथ... एक इवेंट में लेकर गए... ओह... यकीन नहीं करोगे... इतना हैक्टिक... सिर अभी भी फटा जा रहा है... खैर इसे साइड करो... कहो... खबर क्या है और... हमें करना क्या है....
महांती - युवराज... इतना तो पक्का है... चेट्टी और केके... इस वक़्त कटक में हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मतलब... चेट्टी... अपने विधायक क्षेत्र में है...
महांती - हाँ.. अब वह विरोधी पार्टी में शामिल हो गया है... तो उस पार्टी में... उसे खास तबज्जो मिल रही है...
विक्रम - तबज्जो मतलब...
महांती - अब चेट्टी... विरोधी खेमे का बड़ा नेता बन गया है... पार्टी की मांग पर... उसे वाई प्लस सिक्युरिटी दी गई है...
विक्रम - (कुछ देर चुप रहने के बाद) उसे वाई सिक्युरिटी मिली है... केके को तो नहीं...
महांती - पर केके खुद को... चेट्टी की सिक्युरिटी के सील में रहेगा...
विक्रम - मतलब हम... अभी हाथ नहीं डाल सकते हैं...
महांती - फ़िलहाल तो नहीं... क्यूंकि आपकी पोलिटिकल आइडेंटिटी.... खतरे में आ सकती है...
विक्रम - तो क्या हम... कुछ नहीं कर सकते...
महांती - कुछ साल पहले... हम कहीं भी घुस सकते थे... पर अब आपका... एक पोलिटिकल इमेज है... ताकत का इस्तमाल.... आउट ऑफ स्क्रीन करना होगा आपको... ऑन द स्क्रीन... दिमाग चलाइये... और राजनीति कीजिए...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
महांती - उसे हमारे आँखों के सामने रहने दीजिए... मौका... कभी तो हाथ लगेगा...
विक्रम - इस बीच अगर... उनसे कोई गुस्ताखी हुई... तो...
महांती - वह लोग... जितने खुलेंगे... हम भी उनसे... उतने खुल जाएंगे...

फिर कुछ देर के लिए हॉल में शांति छा जाती है l विक्रम कुछ सोचने लगता है l

विक्रम - कल केके अदालत में... जे ग्रुप के मालिक को... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देने जा रहा है... वह आएगा... ऐसे निकल जाएगा... मुझे अच्छा नहीं लगेगा....
महांती - युवराज जी... आप ने सात साल लगा दिए... आज का अपना यह पहचान बनाने के लिए... आज हालात थोड़े अलग हैं... जो कभी साथ थे.. या नीचे थे... आज वह लोग.. बगावती तेवर के साथ... पंजा लड़ा रहे हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... पर कल के लिए... मुझे वीर की कही बातेँ याद आ रही हैं...
महांती - मुझे भी... वे लोग... बेशक हम से दुश्मनी ले लिए हैं... पर... डर तो उन्हें उतना ही होगा... इसलिए... कल वे हमको... मेरा मतलब है... आपको शायद किसी तरह एनगेज रखेंगे....

विक्रम मुस्कराते हुए अपनी जगह से उठता है l और कांफ्रेंस टेबल के पर थोड़ा इधर उधर होता है l फिर महांती की ओर देखते हुए

विक्रम - महांती... सात साल लगे... मैं इस इमेज को बनाने के लिए... भागता रहा... सबको... अपने पीछे छोड़ता रहा... पर आज देखो... कितना बेबस हूँ... मेरा दुश्मन मेरे सामने है... पर मैं मज़बूर हूँ...
महांती - युवराज... वह लोग आपसे दुश्मनी तो कर रहे हैं... पर सीधे सीधे नहीं... और खुल्लमखुल्ला तो हरगिज नहीं... सिर्फ हम जानते हैं... की हमारा दुश्मन कौन है... इसलिए आप भी उन्हीं की तरह सोचिए... आप राजनीति कीजिए... बाकी हम पर छोड़ दीजिए...
विक्रम - सुकांत रॉय... रॉय ग्रुप सिक्युरिटी सर्विस... वह हमसे... यानी ESS से भीड़ रहा है...
महांती - कोई बड़ी बात नहीं है... किसी भी संस्थान को कामयाब होने के लिए.. या सस्टैंन होने के लिए... फाइनैंस चाहिए... जो उसे अब केके दे रहा है... और पोलिटिकल सपोर्ट... उसे चेट्टी से मिल रहा है...
विक्रम - चेट्टी का अभी भी... पोलिटिकल बेस बाकी है...
महांती - क्यूँ नहीं... आखिर वह एक वेटरन है... निरोग हॉस्पिटल के ड्रग्स कांड में... उसका बेटा बदनाम हुआ था... और तब भी वह इंडिपेंडेंट में दुसरे नंबर पर था.. वोट शेयर में...
विक्रम - ह्म्म्म्म... तो इसका मतलब अगर मैं... कुछ अग्रेसिवनेस दिखाऊँ... तो
महांती - तो... वह लोग... आपको हर हाल में.... ऐंगेज रखने की कोशिश करेंगे...
विक्रम - ह्म्म्म्म सिर्फ मुझे... क्यूंकि... छोटे राजा जी... दिल्ली में हैं... और वीर अभी राजगड़ में...
महांती - जी...
विक्रम - तो सवाल यह है कि... मुझे किस तरह से एनगेज रखेंगे...
महांती - मुझे लगता है कि... आपकी प्रॉपर रेकी हो रही होगी... आप उनके नजर में होंगे...
विक्रम - क्या वे... मुझे कटक जाने से रोकेंगे...
महांती - (कुछ सोचते हुए) पता नहीं... पर आप... कल कटक क्यूँ जाएंगे...

विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरती है l वह अपना सिर हिला कर कुछ सोचते हुए l

विक्रम - अदालती कारवाई देखने के लिए... मैं कटक जाऊँगा... और देखूँगा... मुझे कैसे... एनगेज रखते हैं....


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अगले दिन
विश्व खोया खोया हुआ नाश्ता कर रहा है l और द हैल में रुप की भी वही दसा है l रुप के आगे से शुभ्रा थाली चुपके से निकाल लेती है l फिर भी रुप को होश नहीं रहता, वह अपनी चम्मच से खाना उठाने की कोशिश में टेबल पर चम्मच रगड़ती है l उसे यूँ खोया हुआ देख कर शुभ्रा और विक्रम दोनों हैरान होते हैं l

तापस - क्या हुआ लाट साहब... कहाँ खोए हुए हो...
विश्व - (अपने में लौटता है, हकलाते हुए) क कुछ नहीं...
प्रतिभा - कुछ तो है...
विश्व - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं माँ...

शुभ्रा - तो हकला क्यूँ रही हो...
रुप - वह भाभी... मैं हमारे ड्राइविंग स्कुल के.. सुकुमार अंकल के प्रॉब्लम की सॉल्यूशन के बारे में सोच रही थी...

विक्रम - क्या प्रॉब्लम है उनका...
रुप - पता नहीं... मैं आपको ठीक से समझा पाऊँगी भी या नहीं....
विक्रम - फिर भी बताओ...

विश्व पुरी बात बताता है l तापस और प्रतिभा सब सुनने के बाद l

तापस - ह्म्म्म्म... वाकई... बहुत बड़ी प्रॉब्लम है...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... तो कब है.. उनकी शादी की साल गिरह...
विश्व - परसों... एक्चुयली जब तक उनके बच्चे यहाँ नहीं थे... उनकी जिंदगी ठीक चल रही थी... पर अब जब बच्चे आ कर उन्हें अपने साथ ले जाना चाहते हैं....

रुप - तब से... वह अंकल... कुछ डिस्टर्ब्ड लग रहे हैं... और सेलिब्रेशन से भाग रहे हैं... इसलिए हमने सोचा है कि... परसों रात बारह बजे सुकुमार अंकल और आंटी जी को सरप्राइज़ करेंगे....
विक्रम - यह हम कौन कौन हैं...

यह सवाल सुनते ही शुभ्रा के हाथों से चम्मच छूट जाती है l विक्रम शुभ्रा के तरफ देखता है तो शुभ्रा खुद को संभाल लेती है l

रुप - हम मतलब... हम जितने भी सुकुमार अंकल के साथ ड्राइविंग सीख रहे हैं...
विक्रम - ओ... अच्छा... तुम्हें क्या लगता है... मैं तुम्हें रात के बारह बजे की सरप्राइज सेलिब्रेशन के लिए जाने दूँगा...
रुप - (एक नजर विक्रम की ओर देखती है और उसके आँखों में आँखे डाल कर) हाँ... क्यूंकि नंदिनी को उसका भाई... जरूर जाने देगा...
विक्रम - (रुप की जवाब सुन कर हैरान हो जाता है) ठीक है... कैसे जाओगी...
शुभ्रा - मैं उस दिन शाम को... टैक्सी कर चली जाऊँगी... प्रोग्राम खतम होने के बाद... आपको कॉल कर दूंगी... आप आकर मुझे ले जाना....
विक्रम - (कुछ देर के लिए चुप हो जाता है, फिर डायनिंग चेयर पर पीठ सटा कर) ठीक है...


विश्व - थैंक्स डैड...
तापस - थैंक्स कैसा... तुम जानते हो... मुझे चिंता क्यूँ और किसलिए हो रहा है...
विश्व - मैं जानता हूँ डैड... मैं वादा करता हूँ... मैं संभल कर रहूँगा...

विक्रम अपनी जगह से उठता है और रुप के पास जा कर उसके सिर पर हाथ फेरता है, फिर हाथ धो कर अपने कमरे में चला जाता है l कुछ देर बाद वह तैयार हो कर नीचे आता है l

शुभ्रा - (विक्रम से) सुनिए...
विक्रम - जी..
शुभ्रा - आज भी मैं... नंदिनी को छोड़ने जाऊँ...
विक्रम - (मुस्कराते हुए, अपना सिर हिला कर) जी जरूर...

कह कर विक्रम बाहर चला जाता है l विक्रम के जाने के बाद शुभ्रा रुप को मुस्कराते हुए देखती है l

रुप - क्या बात है भाभी... आप... मुझे देख कर... ऐसे क्यूँ मुस्करा रही हैं...
शुभ्रा - चलो... हम गाड़ी में बात करते हुए जाते हैं...

विश्व - माँ... क्या बात है... आज तुम... मुझे कहाँ ले कर जाने वाली हो...
प्रतिभा - कोर्ट...
विश्व - क्यूँ...
प्रतिभा - अरे भुल गया... आज केके ग्रुप के चेयरमैन... कमलाकांत महानायक... जोडार साहब को.. जज के सामने... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देगा....
विश्व - तो मैं वहाँ... जा कर क्या करूंगा...
प्रतिभा - अरे... तेरा... पहला लीगल केस है...
विश्व - पर...
प्रतिभा - कोई पर वर नहीं... चल मेरे साथ... गाड़ी मैं चला रही हूँ... चल...
विश्व - ठीक है...

गाड़ी सरपट दौड़ रही है l अंदर शुभ्रा और रुप बैठे हुए हैं l

रुप - क्या बात है भाभी... आप मन ही मन ऐसे मुस्करा रही हो... जैसे मेरी कोई चोरी पकड़ लिया आपने...
शुभ्रा - हूँम्म्म्म्म्... पकड़ा तो है...
रुप - कैसी चोरी...
शुभ्रा - अच्छा एक बात बताओ... क्या तुम्हें लगता है... की कुछ तुम मिस कर रही हो या... तुमसे कुछ खो गया है... रुप - हाँ... (खोई खोई हुई) शायद

प्रतिभा - एक्जाक्टली... तुम.. नंदिनी को मिस कर रही हो...
विश्व - (हकलाते हुए) क्या... यह.. यह कह रही हो...
प्रतिभा - बिल्कुल सही कह रही हूँ...

रुप - नहीं... आप गलत हो..
शुभ्रा - मैं गलत हूँ... कैसे.. तुम चार महीने से... यहीं हो... पर किसीसे इस कदर अटैच मेंट फिल नहीं हुआ तुम्हें... अब जब ड्राइविंग सेशन खतम होने को आ गई... तुम अब बुझी बुझी सी रहने लगी हो...
रुप - हूँह्ह्... कुछ भी...
शुभ्रा - आज डायनिंग टेबल पर... तुमने जो कहानी कही... वह तुम्हारे फेशियल एक्सप्रेशन से... मैच नहीं हो रही थी...

विश्व - माँ... क्या तुमको लगता है... मैंने डायनिंग टेबल पर कोई झूठ बोला है...
प्रतिभा - नहीं... मैंने कब कहा कि तुने झूठ बोला है... बस तुने पुरी बात नहीं बताई....
विश्व - माँ सुकुमार अंकल की बात... मैंने सौ फीसद सही कहा है...
प्रतिभा - पर उस वक़्त... तेरे दिल में कोई और बात चल रही थी.... उसे छुपाने के लिए... तुने सुकुमार अंकल की कहानी को आगे कर दिया...

रुप - यह... यह आप... कैसे कह सकते हैं...
शुभ्रा - सिंपल... नंदिनी... इन्हीं दो चार दिन में... तुम काफी डिस्टर्ब्ड लग रही हो... या फिर हुई हो... शायद अनाम को ना ढूंढ पाने की वजह से... और... या फिर शायद... प्रताप से बिछड़ ने की खयाल से...
रुप - (थोड़ी गंभीर हो कर) नहीं... नहीं भाभी.... ऐसी कोई बात नहीं... आपको गलतफहमी हो रही है... आप बहुत सोचने जो लगी हो आज कल...

प्रतिभा - नहीं... मुझे कोई गलत फहमी नहीं हुआ है... तु अपने भीतर... खुद से लड़ रहा है... जिसकी टीस तेरे चेहरे पर साफ दिख रहा है...
विश्व - ( घंभीर हो अपना चेहरा नीचे झुका लेता है)
प्रतिभा - तु... नंदिनी को लेकर... अभी भी कंफ्युज्ड है... है ना...
विश्व - हाँ... शायद... (प्रतिभा को देख कर) उनके चेहरे से... उनके बातों से... हर अदा में... मुझे राजकुमारी जी की झलक मिलती है...

रुप - कभी कभी मन में आता है... की मैं... (अपने दोनों हाथ उठा कर) इन्हीं हाथों से उसके गिरेबान को पकड़ुं... और झिंझोडते हुए पुछुं... कौन हो तुम... क्यूँ तुम अनाम जैसे लगते हो... या तुम्हीं अनाम हो...
शुभ्रा - तो एक बार तुम उससे पुछ क्यूँ नहीं लेती...
रुप - पता नहीं भाभी... दिल में हलचल सी होने लगती है... कहीं यह अनाम नहीं हुआ तो...

प्रतिभा - देख... मैं नहीं जानती तुम्हारी राजकुमारी कैसी होगी... पर मुझे तुम्हारी यह नकचढ़ी बहुत पसंद है...
विश्व - (खीज जाता है) माँ... हम दोस्त है... आपस में... हमारे बीच यही तय हुआ था... कि हम इस दोस्ती का खयाल रखेंगे... इज़्ज़त रखेंगे... यही बात है... मैं अबतक नंदिनी जी कुछ भी नहीं पुछ पाया...

शुभ्रा - पर... तुम कब तक किसी मृगतृष्णा के पीछे भागोगी...
रुप - भाभी... मेरा रिश्ता तय हो चुका है... पर मैंने कभी किसीसे कोई वादा लिया था... मैं उसके सामने दोषी नहीं बनना चाहती हूँ... इसलिए मैंने फैसला किया है... इस बार छुट्टी में... चाची माँ के पास जाऊँगी... वहाँ अपने तरीके से... अनाम को ढूंढुंगी... अगर वह मिला... और उसे अगर मेरा इंतजार होगा... तब... शायद मैं कुछ करूंगी... वरना... (चुप हो जाती है)

शुभ्रा गाड़ी को कॉलेज की पार्किंग में लगाती है l रुप उतर कर शुभ्रा को बाय कह कर अंदर चली जाती है l उधर प्रतिभा अपनी गाड़ी को कोर्ट के परिसर में लाती है l विश्व गाड़ी से उतर कर बाहर की ओर जाने लगता है l

प्रतिभा - अरे सुन तो... कहाँ जा रहा है...
विश्व - माँ... यह कोर्ट के अंदर.. तुम देखो... मैं... अपना मुड़ ठीक करने जा रहा हूँ....
प्रतिभा - मुझे यहाँ अकेले छोड़ कर जा रहा है...
विश्व - माँ.. यहाँ मेरा कुछ भी काम नहीं है... सॉरी मैं चला... (जाने लगता है)
प्रतिभा - (चिल्लाते हुए) ठीक है... आ फिर आज घर में... शाम को तेरी टांग ना तोड़ी... तो कहना...
विश्व - (बिना पीछे देखे) ठीक है माँ... बाय...

कह कर कोर्ट परिसर से बाहर निकल जाता है l प्रतिभा मुस्कराते हुए उसे जाते देखती है और फिर वह कोर्ट के अंदर जाने लगती है l


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विक्रम घर से निकल आने के बाद ऑफिस जाने के वजाए पार्टी ऑफिस चला आया था l वहाँ अपने ऑफिस में कुछ देर रुका और साधारण कार्यकर्ताओं से बातचीत वगैरह किया l फिर अपने कमरे से सबको विदा करने के बाद, वह पीछे के रास्ते से भेष बदल कर एक पुरानी मारुति 800 कार लेकर कटक की ओर जाने लगता है l भुवनेश्वर अब पीछे छूट चुका था l नंदन कानन रोड लांघने के बाद उसका फोन बजने लगता है l उसे स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले होता दिखता है l वह अपना ब्लू टूथ ऑन करता है

:- हा हा हा हा... (एक मर्दाना हँसी सुनाई देता है)
विक्रम - कौन है...
:- तेरी मौत...

विक्रम गाड़ी की ब्रेक लगाता है l उसके पीछे वाली गाड़ियां रुक जाती हैं और हॉर्न पे हॉर्न बजाये जाते हैं l

फोन पर :- ना ना विक्रम बाबु... गाड़ी को आगे बढ़ाओ... आप... कोर्ट ही तो जा रहे हो ना...

यह सुन कर विक्रम हैरान होता है और गाड़ी फिर आगे बढ़ाने लगता है l

:- गुड... यह हुई ना... एक जिम्मेदार नागरिक वाली बात...
विक्रम - कौन हो तुम... और तुमको कैसे मालुम हुआ कि...
:- हा हा हा हा... मैं वही हूँ... जो तुम्हारे नजरों में नहीं हूँ... और तुम मेरे नजरों में हो...

विक्रम अब गाड़ी को धीमी रफ्तार से आगे लिए जा रहा था l और सोच रहा था कैसे वह उनके नजरों में आ गया l वह रियर मिरर में देखने लगता है, पर पीछे इतने गाड़ियां आ रही थी के उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कौनसे गाड़ी से उसका पीछा किया जा रहा है l

:- विक्रम तुम यही सोच रहे हो ना... की कौनसे गाड़ी से तुम पर नजर रखी जा रही है...
विक्रम - (हैरानी से भवें तन जाते हैं)
:- हाँ विक्रम... इसे तजुर्बा कहते हैं... जितनी तुम्हारी उम्र नहीं है... मैंने उतने कांड और कारनामें किए हुए हैं...
विक्रम - इतने ही कांड किए हो... तो यूँ छुपे हुए क्यूँ हो... सामने क्यूँ नहीं आते...
:- आ जाएंगे... आ जाएंगे... इतनी जल्दी भी क्या है... पहले तुम कोर्ट की मंजिल तो तय कर लो...
विक्रम - क्यूँ... तुम्हें क्या लगता है... मैं कोर्ट नहीं जा सकता...
:- नहीं... आज तो नहीं...
विक्रम - कौन रोकेगा मुझे...
:- क्या अभी भी तुम्हें शक़ है... तुम कब के रोक दिए गए हो...
विक्रम - अच्छा... मजाक अच्छा है... मुझे सामने कोर्ट दिख रहा है...
:- हाँ वह इसलिए... की तुम अभी... त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर हो...
विक्रम - हाँ... मतलब... मैं पुरी तरह से... तुम्हारे सर्विलांस में हूँ...
:- बिल्कुल... कोई शक़...
विक्रम - मुझे कोर्ट की लाल बिल्डिंग दिख रही है... फिर भी... तुम कह रहे हो... मैं कोर्ट तक नहीं पहुँच सकता...
:- नहीं...
विक्रम - कैसे...
:- ऐसे...

अचानक विक्रम की आगे वाली गाड़ी रुक जाती है l विक्रम झट से अपनी गाड़ी में ब्रेक लगाता है lसिर्फ विक्रम की गाड़ी नहीं त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर विक्रम के गाड़ी के आगे और पीछे गाड़ियों की अंबार लग जाता है l सिर्फ गाडियों की हॉर्न सुनाई देता है l विक्रम गाड़ी से बाहर निकालता है तो देखता है ब्रिज के ऊपर कुछ गाडियों के बीच टक्कर हुई है l इसलिए रोड पुरी तरह से जाम हो गया है l अब उसके पीछे इतने गाड़ियां रुक गई हैं कि गाड़ी घुमा कर पीछे लौट कर जाया नहीं जा सकता है l वह गाड़ी वहीँ छोड़ कर आगे बढ़ने लगता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l विक्रम स्क्रीन पर देखता है तो प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l विक्रम फोन उठाता है

:- देखा... तुम्हें कोर्ट दिख रहा होगा... पर तुम कोर्ट पहुँच नहीं पाओगे....

विक्रम अपने चारों तरफ नजर घुमाता है और अपने चारों तरफ की नजरों को अपने तरफ घूरते हुए पाता है l

विक्रम - तुम आज मुझे रोक कर... क्या साबित करना चाहते हो...
:- यही के तुम एक दूध पीते बच्चे हो... मैं जब चाहे तुम्हें रोक सकता हूँ... पर तुम मुझे नहीं रोक सकते हो...
विक्रम - छुपे हुए हो...
:- हाँ... फिर भी मेरी मुट्ठी में तुम्हारी चुटीया है...
विक्रम - मैं अकेले पैदल जा रहा हूँ...
:- हाँ.. यह कोशिश भी करके देख लो... कहीं तुम्हारी जिद तुम्हारी बीवी पर भारी ना पड़ जाए...

विक्रम के कदम रुक जाते हैं, उसे अपने जिस्म पर झुरझुरी सी महसुस होने लगती है l

विक्रम - (कांपती हुई आवाज़ में) क्या.. क्या कहा तुमने...
:- यही... की तुम कोर्ट तक पहुँचने के वजाए... अपनी बीवी तक पहुँचो... कहीं देर ना हो जाए...

विक्रम झट से फोन कट कर देता है और महांती को फोन लगाता है l

महांती - जी युवराज...
विक्रम - म.. महांती... (हांफते हुए)
महांती - आप हांफ क्यूँ रहे हैं...
विक्रम - वह.. वह युवराणी...
महांती - क्या हुआ उन्हें...
विक्रम - उनके सेक्योरिटी...
महांती - युवराज... आप घबराइए मत... उनके साथ हमारे स्पेशल ट्रूप के आठ गार्ड्स सिक्युरिटी हैं...
विक्रम - गुड... मुझे कंफर्म कराओ.. प्लीज..
महांती - ओके...

महांती का फोन कट जाते ही फिर उसी प्राइवेट नंबर से विक्रम को कॉल आता है l

विक्रम - हे..हैलो...
:- देखा आवाज में.. अदबी आ गई ना.. हा हा हा हा...
विक्रम - हँस मत कुत्ते... हँस मत... आज तुमने मेरी पत्नी की बात कर बड़ी गुस्ताखी कर दी है...
:- गुस्ताखी... तुम क्षेत्रपालों को... सम्मान कोई देता भी है... सब डर के मारे सम्मान देते हैं... और मैंने तुम क्षेत्रपालों से डरना छोड़ दिया है... मेरे ना आगे कोई है... ना मेरे बाद कोई है... डरना किस लिए फिर...
विक्रम - ओंकार चेट्टी...
:- हा हा हा हा... पहचान गए... अपने अंकल को...
विक्रम - हाँ... तु भी पहचान ले अपनी मौत को...
चेट्टी - फिर से बे अदबी...
विक्रम - कुछ भी कर लेता... पर शुभ्रा जी का रास्ता काटने की गलती कर बैठा है... बहुत पछतायेगा...
चेट्टी - कौन... वह सामंत राय की बेटी... मेरे बेटे की.... और मेरी बर्बादी की वजह...
विक्रम - कमीने...
चेट्टी - तुम क्षेत्रपालों से बहुत कम... खैर पहले... कंफर्म तो हो जा... तेरी बीवी सेफ है या नहीं...

चेट्टी का फोन कट जाता है l तभी विक्रम के मोबाइल पर महांती का कॉल आता है l

विक्रम - हैलो... (और कुछ पुछने हिम्मत नहीं हो रही थी)
महांती - युवराज... युवराणी जी की सिक्युरिटी ब्रीच हुई है...

विक्रम का हाथ पैर सब कांपने लगते हैं l महांती आगे क्या कह रहा था उसके कानों में जा नहीं रहा था l विक्रम महांती का कॉल काट देता है, और कार के बोनेट पर धप कर बैठ जाता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l डिस्प्ले में इसबार नंबर और नाम साफ दिख रहा था l ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी l शायद ट्रू कॉलर के वजह से l विक्रम कॉल उठाता है

विक्रम - कैसे...
चेट्टी - हैकिंग से... तेरे घर की सर्विलांस हैक किया गया... तेरी बीवी की ड्रेस से मिलती जुलती ड्रेस... एक डमी को पहना कर.. तेरी बीवी की मॉडल गाड़ी में बिठा कर... सेम नंबर प्लेट.. लगा कर बस इंतजार किया... तेरी बीवी... तेरी बहन को कॉलेज ड्रॉप कर आने के बाद... जयदेव विहार के ओवर ब्रिज के नीचे... हमारी गाड़ी तेरी बीवी की गाड़ी से सट गई... तेरी बीवी की सिक्युरिटी में आए गार्ड्स... अच्छी खासी दूरी बनाए हुए थे... इसलिए हमने उन्हें डमी के पीछे आने के लिए पोजीशन बनाया... वह बेवकूफ... तेरी बीवी को छोड़.. हमारे डमी की सिक्युरिटी में लग गए... यह है ESS की चुस्ती.... हा हा हा...

विक्रम तुरंत चेट्टी का फोन काट कर शुभ्रा को लगाता है l पर शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l बार बार कोशिश के बाद भी शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l वह चिढ़ कर गुस्से से कार के बोनेट पर घुसा मारने लगता है I इतने में उसका फोन फिर बजने लगता है l विक्रम कांपते हुए हाथों से फोन उठाता है l

चेट्टी - तेरी बीवी को फोन लगाने से... कोई फायदा नहीं होगा... मेरे सिक्युरिटी गार्ड्स... मोबाइल जैमर के जरिए... उसकी फोन सिग्नल... जैम कर दिया है... और अपनी हिफाजत में xxx मॉल के अंडरग्राउंड पार्किंग में ले गए हैं... अगर बचा सकता है... तो जा कर बचा ले...

फोन कट जाता है l विक्रम अब गाडियों पर चढ़ते हुए भुवनेश्वर की ओर भागने लगता है l ब्रिज के छोर पर पहुँच कर वहाँ पर खड़े बंदे से बाइक छिन कर xxx मॉल के तरफ बाइक भगाता है
अद्भुत लेखनी के धनी हो भाई। कहानी का अंत लगभग सभी जान गए होंगे उनमे से मैं भी एक हु। नायक नायिका का मिलन, अच्छाई की बुराई पर जीत, बुरे लोगो को सज़ा, कुछ लोगो का सुधार और पश्चाताप आदि, पर इन सबके बावजूद कहानी वहा तक पहुच कैसे रही है। हर घटना हर पात्र के चरित्र का वर्णन आप इस प्रकार कर रहे हो कि जितना अपडेट आप देते है वो कम लगता है फिर स्टोरी की लेंथ देख कर अपने आप को कोसता हु की राइटर साहब ने इतना लिखा फिर उन्हें कैसे कहु की और थोड़ा बड़ा अपडेट देते तो अच्छा रहता क्योकि बंधु मन बड़ा चंचल होता है आप एक साथ 3 अपडेट भी दे दिए होते तो भी यह और मांगता यही आपकी लेखनी का जादू है जो हम पाठको को बांध कर रखता है। मैं यह बाते आपसे पूर्व में भी कर चुका हूं पर यही कॉमेंट पोस्ट करने पर बार बार मजबूर हो जाता हूं अतः सर्वप्रथम तो आपको और आपकी लेखनी को साधुवाद और बधाई। अब आते है आपके आज के अपडेट पर शुरुवात बड़ी मज़ेदार रही रोणा का बदहाल होना और बल्लभ और परिडा कि बातचीत अच्छी रही पर इस घटना ने दिल मे कई सवाल भी खड़े कर दिए। पहले रोणा को जो सबक सिखाया और कई दिन तक हॉस्पिटल में रखा उसके मुकाबले बहुत कम सज़ा दी कर छोड़ दिया गया जो 2 दिन में फिट हो कर फिर खड़ा हो जाएगा। दूसरा रोणा वाली घटना को अंजाम देने में कही विश्व ने जल्दबाजी तो नही कर दी क्योकि इस बार शायद वो खुद ना आ कर अपने दोस्तों से इस घटना को अंजाम दिलाया हो तो वो लोग cctv में आ जाएंगे फिर उनकी पहचान के मार्फत से वो लोग विश्व तक भी पहुच सकते है आदि। अब चलते है दूसरे सीन पर जो विश्व और रूप की बस में हुई बातचीत दोनो के दिलो में तड़प ओर बढ़ा रही है जो दोनों समझ तो रहे है पर पहचान की कमी के कारण उसे जता नही पा रहे। यह बेचारे और हम पाठक सब सुकुमार अंकल की पार्टी के इंतज़ार में बैठे है कि नायक नायिका एक दूसरे से मिले और पहचाने। तीसरे सीन में शुभ्रा नँदनी की और प्रतिभा विश्व के मज़े ले रही है और उन्हें उनके दिल का दर्पण दिखाने की कोशिश कर रही है। 4 सीन मोहंती और विक्रम की बातचीत का है तो न तो मोहंती इतना फ़ास्ट है कि अपने दुश्मनों को समझ पाए और न ही विक्रम। विक्रम में तो मैच्योरिटी की भी कमी स्पष्ट रूप से दिखती है ना तो उसमें इतना दिमाग है और ना ही उसमे क्षत्रपाल के औरे से निकलने की तड़प है। यह अपने खोल को तभी तोड़ पायेगा जब शुभ्रा अड़ जाएगी भले ही वो विश्व का पक्ष ले कर या नँदनी के प्यार को समझ कर। और लास्ट में 5वा सीन तो सबसे जबरदस्त रहा अब तक जो प्राइवेट नंबर से सबको कॉल आता था और जिसने सबकी मार रखी तो वो अब खुल कर सामने आ गया है ओंकार चेट्टी के रूप में। आज इसने विक्रम को चारों खाने चित्त कर दिया जिससे एक बार पुनः यह साबित होता है कि विक्रम में अनुभव की कमी है साथ मे सहनशीलता औऱ बहुत सी कमिया ले कर युवराज घूम रहे है। अगले अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी मित्र जल्दी देने का प्रयास ज़रूर करना। और एक रिक्वेस्ट यह है कि इस कहानी को जितना हो सके लंबा खींचो किसी को कोई जल्दी नही अंत तक पहुचने की
 

Luckyloda

Well-Known Member
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👉बयान्वेवां अपडेट
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xxx होटल
एक रॉयल शूट
उस शूट के बेड रुम में किंग साइज बेड के बगल में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l उस बेड पर रोणा लगभग नंगा लेटा हुआ है l सिर्फ कमर से घुटने तक एक सिलिंडर नुमा कपड़े से ढका हुआ है l पुरा शरीर उसका लाल दिख रहा है l रोणा को एक डॉक्टर दो मेल नर्सों के साथ चेक कर रहे हैं l उस शूट के बगल वाले बड़े से गेस्ट रुम में सोफ़े पर परीड़ा और बल्लभ बैठे हुए हैं l उनके सामने होटल का मैनेजर, कुछ स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर सिर झुकाए, हाथ बांधे खड़े हुए हैं l कुछ देर बाद बेड रुम का दरवाजा खुलता है l डॉक्टर और नर्स बाहर आते हैं l उनके बाहर आते ही परीड़ा और बल्लभ खड़े हो जाते हैं l

बल्लभ - डॉक्टर साहब... कितना सीरियस है...
डॉक्टर - नहीं... अभी ठीक है... सीरियस नहीं है... गरम पानी से... उनकी त्वचा जल गई है.... हमने पुरे बदन पर क्रीम लगा दिया है... जलन बहुत हद तक कम हो गया है... बेड पर मोटराइज्ड वाटर बेड डलवा दिया है... उसके अंदर ठंडा पानी सर्कुलेट होता रहेगा... और रुम टेंपरेचर बाइस डिग्री पर सेट किया गया है... कल सुबह तक नब्बे प्रतिशत ठीक हो जाएंगे... फ़िलहाल हमने उन्हें नींद की इंजेक्शन दे दिआ है... इत्मीनान रखिए... परसों तक वह पुरी तरह से ठीक हो जाएंगे... हाँ कुछ दिनों के लिए उनका त्वचा... थोड़ा काला पड़ जाएगा.... पर चिंता की कोई बात नहीं... हफ्ते दस दिन के भीतर ही.. उनका त्वचा नॉर्मल हो जाएगा... बस दवाई खाते रहना है.... और क्रीम लगाते रहना है...
बल्लभ - थैंक्यू डॉक्टर...
डॉक्टर - ईट्स ओके...

कह कर डॉक्टर और उसके स्टाफ बाहर चले जाते हैं l मैनेजर उन्हें दरवाजे के पार छोड़ कर वापस अपनी जगह खड़ा हो जाता है l तब तक परीड़ा और बल्लभ दोनों सोफ़े पर बैठ चुके थे l


मैनेजर - सर... जो हुआ... नहीं होना चाहिए था... पर हुआ... और बुरा हुआ... सर यकीन मानिए... ऐसा इस होटल में पहली बार हुआ है... वी आर वेरी सॉरी फॉर दिस...
बल्लभ - (भड़क कर) ऐसा पहली बार हुआ है... साज़िशन किसीकी जान लेने के कोशिश की गई है... आपकी सिक्युरिटी क्या कर रही थी... आपके स्टाफ क्या कर रहे थे... ऐसे कोई आएगा... आपसे पहचान नहीं हो पाया... कैसे रोकेंगे अगर फिरसे ऐसा कुछ हुआ...
सिक्युरिटी ऑफिसर - सर... जिन्होंने यह सब किया... उन्होंने आधार कार्ड की जिरक्स जमा कर रुम लिया था... अब कांड होने के बाद... जब तहकीकात किया गया... तब मालुम पड़ा... आधार कार्ड नकली है...और वह लोग भी....
बल्लभ - फिर भी...
सी.ऑ - सर हमसे जो भी हुआ... जितना भी हो सका... जो भी जानकारी हासिल की... सब तो आपको और परीड़ा सर को बता चुके हैं... यहाँ तक हमने सारे सीसीटीवी के फुटेज दे दिया है... बाकी...आप जैसा कहेंगे... हम करने के लिए तैयार है...
मैनेजर - सर... हम.. आपके स्टेयींग के सारी रकम.. रिफंड कर रहे हैं... अनिकेत सर जी को इसी शूट में... हॉस्पिटल ट्रीटमेंट दे रहे हैं... वह भी हमारी ख़र्चे पर... और उनके ठीक हो कर जाने तक.. हम रहना और खाना फ्री कर रहे हैं... प्लीज सर... कोई कंप्लेंट रेज मत कीजिए...

बल्लभ कुछ कहने को होता है कि परीड़ा उसे इशारे से रोकता है तो बल्लभ चुप हो जाता है l

परीड़ा - (मैनेजर से) ठीक है.. हम गौर करेंगे... अब आप लोग जाइए... हम... आपस में डिस्कस कर के आपको खबर कर देंगे...
मैनेजर - (मायूस हो कर) ओके सर... आई विल वेट... विथ पॉजिटिव होप...

कह कर मैनेजर अपने स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर को लेकर वहाँ से चला जाता है l बल्लभ परीड़ा की ओर देखता है, परीड़ा आँखे मूँद कर कुछ सोच रहा है l

बल्लभ - तुने इतनी आसानी से... उन्हें जाने क्यूँ दिया...
परीड़ा - (अपनी आँखे खोल कर) (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) तु अच्छी तरह से जानता है... इस मामले में... इन लोगों का कुछ लेना देना नहीं है... फिर बेकार में इन्हें घसीट क्यूँ रहा है...

बल्लभ असहाय, नाउम्मीद सा अपना हाथ सोफ़े के हैंडरेस्ट पर मारता है l

बल्लभ - क्या करें... कुछ समझ में नहीं आ रहा... कितनी आसानी से... रोणा को खौलते हुए पानी से नहला दिया... उसकी ऐसी हालत कर... आसानी से चले भी गए... हमें पुलिस को इंवाल्व करना चाहिए था... तुने बेकार में मना कर दिया....
परीड़ा - (बल्लभ की छटपटाहट उसे साफ महसुस होता है) पिछली बार... जब पुछा था... तब तुम्हीं लोगों ने पुलिस को इंवाल्व करने से मना किया था... और यहाँ पुलिस तक कैसे जाते... मत भूलो यहाँ की सेक्यूरिटी ESS की है... हाँ तुम चाहो तो... ESS को इंवाल्व कर सकते हो... फिर उसके बाद... युवराज अगर मैदान में उतरेगा... और जो तुम लोग ढूंढ रहे हो... शायद विक्रम सिंह ढूंढ ले... उसके बाद... सोचो तुम दोनों की औकात... क्या रह जाएगा... राजा साहब के सामने...
बल्लभ - (यह सब सुन कर चुप हो जाता है)
परीड़ा - वैसे भी... सारी गलती तुम लोगों की थी... तुम लोगों के बगल में रह कर,... कोई तुम लोगों की ले रहा था... साले तुम दोनों... अपनी आँखे मूँद कर... अंगूठा चूस रहे थे...
बल्लभ - (बिदक जाता है) कहना क्या चाहता है तु...
परीड़ा - यही... के सावधानी हटी... टट्टे कटीं...
बल्लभ - (परीड़ा को खा जाने वाली नजर से घूरते हुए) क्या मतलब हुआ इसका....
परीड़ा - कुछ उखाड़ने के चक्कर में... तुम झुक क्या गए... वह पीछे से आया... तुम लोगों का टट्टे काट कर ले गया... जब तुम उसे पकड़ोगे... वह क्या कहेगा... अररे... मैंने तो टमाटर समझ कर काट लिया था... यह तो आपके टट्टे निकले...
बल्लभ - (छटपटाते हुए चुप हो जाता है)
परीड़ा - अब तक रोणा पर हमला करने वाला... जो कोई भुत था... पहचान छुपाए हुए था... इस बार वह अपनी पहचान का सुराग छोड़ कर गया है....
बल्लभ - मतलब... कौन है... क्या विश्वा है... या कोई और है...
परीड़ा - घबराओ मत... अभी एक काम करते हैं... मैं कुछ और जानकारीयाँ इकट्ठा करता हूँ... रोणा को आज सोने दे... कल तक वह बहुत हद तक ठीक हो जायेगा... फिर सारी जानकारी सामने रख कर.... साथ मिल कर... पता करते हैं... वह भुत कौन है....

इतना कह कर परीड़ा वहाँ से उठता है और शूट रुम से बाहर चला जाता है l उसके जाते ही बल्लभ रोणा के सोये हुए रुम के अंदर जाता है l

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अपना जंक्शन आते ही भाश्वती रुप और विश्व को बाय कह कर उतर जाती है l जब से भाश्वती के लिए विश्व सेक्शन शंकर से मिला था, उस दिन के बाद विश्व और रुप भाश्वती के साथ बस में जाते हैं और उसे ड्रॉप करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं l भाश्वती और विश्व रुप के साथ एक सीट में बैठ कर आए थे l भाश्वती के उतर जाने के बाद उसी सीट में विश्व और रुप चुपचाप बैठे हुए थे और एक दुसरे से नज़रें चुरा रहे थे l आज ड्राइविंग स्कुल में दोनों के बीच कोई बात चित हुई नहीं थी l अभी भी दोनों ख़ामोश ही थे l सच यह भी था कि दोनों को अपने बीच की यह खामोशी सहन नहीं हो रहा था l इस उधेडबुन में दोनों की आँखे बंद हो गई थी जबड़े भींची हुई थी l फिर दोनों के मुहँ से एक साथ निकलता है

"क्या हम बात कर सकते हैं"

दोनों मुहँ से एक साथ जैसे ही यह शब्द निकालता है, पहले दोनों चौंकते हैं, फिर हैरान होते हैं फिर दोनों मुस्कराते हुए एक दुसरे को देख कर मुस्करा देते हैं फिर अपनी नजरें फ़ेर लेते हैं l रुप खुद को नॉर्मल करते हुए

रुप - ठीक है... शुरु करो फिर...
विश्व - क्या...
रुप - अरे... तुम्हीं ने तो कहा... बात करने के लिए...
विश्व - आपने भी तो... वही कहा...
रुप - तो...
विश्व - वह कहते हैं ना... लेडीज फर्स्ट...
रुप - (चेहरे पर मुस्कराहट लाती है) ठीक है... (धीरे धीरे मुस्कराहट चेहरे से गायब होती है) तुम.. चाहो तो... मुझे... सुकुमार अंकल के मामले से अलग कर सकते हो...
विश्व - (चौंक कर देखता है) क्यूँ...
रुप - नहीं... हमारी दोस्ती है कितने दिन की... और मैं तुम्हें मजबूर करूँ भी क्यूँ... क्यूँ की... सुकुमार अंकल के मैटर के बाद... फिर शायद ही हमारा मिलना हो...
विश्व - क्यूँ... आप इस शहर में नहीँ रहेंगी क्या...
रुप - (मन ही मन में) मैं तो यहीं रहूँगी बेवक़ूफ़... तुम तो एक महीने के लिए आए हो... फिर पता नहीं कितने दिनों के लिए... कहाँ चले जाओगे...
विश्व - मैंने कुछ पुछा आपसे...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए, खिड़की से बाहर देख कर ) पता नहीं...

विश्व का चेहरा थोड़ा उतर जाता है, वह भी अपना चेहरा दुसरी तरफ कर लेता है l फिर रुप की ओर घुम कर

विश्व - एक... बात... पुंछुं...
रुप - (विश्व की ओर देखते हुए) ह्म्म्म्म...
विश्व - कल आपने... उस आदमी को... क्यूँ मारा....

रुप देखती है विश्व की आँखे उसके आँखों में झाँक रही है l शायद इस सवाल का ज़वाब उसके लिए खास मायने रखता है l रुप भी उसकी आँखों में आँखे डाल कर जवाब देती है

रुप - वह मुझे... बिल्कुल भी पसंद नहीं आया...
विश्व - क्यूँ...
रुप - (अपने होठों को दबा कर मुहँ दुसरी तरफ कर) मैं रोज सैकड़ों नजरों से गुजरती हूँ... कौनसी नजर कैसी है... अच्छी तरह से समझती हूँ... पर उस दिन की नजर... अलग था... वह जब से अंदर आया था... मुझे वह... बहुत ही गंदी नजर से देख रहा था... मैं पानी देने गई... तो वह मुझे ऐसे देख रहा था जैसे... मुझे अपनी नजर से स्कैन कर रहा हो... या मेरा... एक्सरे ले रहा हो... मैं बेशक कपड़ों में थी...तन ढका हुआ था मेरा... पर लग रहा था... जैसे उसकी भद्दी नज़रों में... मैं... (कुछ कह नहीं पाती) (थर्राते हुए एक गहरी सांस लेती है) मैं वहाँ से... उसी वक़्त भाग जाना चाहती थी.... अपने आप को कोस रही थी... क्यूँ आई मैं उस कमरे में.... आंटी जी... मेरे अंदर की एंबार्समेंट को फौरन समझ गई... इसलिए उन्होंने मुझे वहाँ से भेज दिया... फिर मैंने देखा... आंटी जी मेरे लिए... मेरे खातिर उससे कहा सुनी कर रही थीं... पर उसने जिस तरह से... अंटी जी से बिहेव किया... (रुक कर तेज तेज सांस लेते हुए, गुस्से में तमतमाते हुए) मुझसे रहा नहीं गया... पहले से ही गुस्से में जल रही थी... बस सब्र टुट गया... अपना गुस्सा निकाल दिया... (कुछ देर अटक कर) कभी कभी लगता है... एक लड़की समाज में... किन से डरे... कितनों से डरे... किस किस वजह से डरे... (अपनी दोनों हाथों को मलते हुए) शायद पुराने ज़माने में लोग... इन जैसों के वजह से... लड़की को पैदा होते ही मार देते थे...

विश्व उसे सुनते हुए बिना पलकें झपकाए एक टक देखे जा रहा था l विश्व का इस तरह देखने से रुप शर्मा जाती है और अपना चेहरा झुका लेती है l विश्व को फौरन अपनी नजर का एहसास होता है l

विश्व - सॉरी...
रुप - किसलिए...
विश्व - वह... (क्या कहे उसे कुछ नहीं सूझता) वह... एक्चुयली थैंक्यू...
रुप - (हैरानी के साथ मुस्कराते हुए) यह किसलिए...
विश्व - (खुद को नॉर्मल करते हुए) वह... उस बत्तमीज को... जो मेरी माँ के साथ बत्तमीजी कर रहा था... उसे... अच्छा सबक सिखाया आपने... मेरे तरफ से.... इसलिए...

रुप मुस्करा देती है उसे एक अंदरुनी खुशी महसुस होती है l अपने चेहरे पर जाहिर ना हो इसलिए अपना चेहरा खिड़की की ओर कर लेती है l

विश्व - एक.... और बात... पुछुं...
रुप - हूँ... पुछो..
विश्व - आपने क्यूँ कहा कि... सुकुमार अंकल के मैटर में... मैं चाहूँ तो आपको अलग कर दूँ...
रुप - (चेहरा संजीदा हो जाता है) कभी कभी लगता है... मैं हद से ज्यादा तुम पर... अपनी जिद लादती रहती हूँ... शायद दोस्ती में कोई हद होती होगी... मैं.. बेहद अपना हक जताती रहती हूँ... सुकुमार अंकल तुम्हें बहुत पसंद करते हैं... एक्चुयली... सुकुमार अंकल... तुमसे ही अपना प्रॉब्लम शेयर करना चाहते थे... पर उस दिन तुम लेट आए... मैं उन्हें उदास देख कर उनसे प्रॉब्लम जाना... (मुस्कराते हुए) फिर मैंने ही अपने शरारत के चलते... सुकुमार अंकल से तुमको कहने के लिए मना कर दिया....
विश्व - ओ... (भवें उठा कर)
रुप - इसलिए...(संजीदा हो कर) तुम चाहो तो... मुझे उनके मैटर से अलग कर सकते हो... (अपना मुहँ फ़ेर लेती है)
विश्व - (कुछ देर की चुप्पी के बाद) एक बात कहूँ... (रुप जिज्ञासा भरे नजरों से देखती है) हम इस रविवार को... दोनों मिलकर... सुकुमार अंकल की प्रॉब्लम दुर करेंगे... (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए) इस मामले में... मुझे आपका साथ चाहिए... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे फाड़े कभी विश्व को, कभी उसके हाथ को देखती है l

विश्व - आपने मुझसे दोस्ती की है... मैंने भी आपसे दोस्ती की है... दोस्त के नाते... आपका हर हक़... और जिद मेरे सिर आँखों पर... फिर से पुछ रहा हूँ... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे मीट मीट करते हुए विश्व को देखने लगती है l विश्व कुछ सोचने के बाद अपना हाथ खिंचता है कि तभी रुप उसका हाथ पकड़ लेती है और खुशी से चहकते हुए हाथ मिला कर जोर जोर से हिलाने लगती है l

रुप - थैंक्यू...

तभी कंडक्टर आवाज देता है l "राज महल स्क्वेयर"

रुप की स्टॉपेज आ गई थी l रुप अपने सीट से उठ कर बाहर निकलती है l और पीछे की एक्जिट की ओर जाती l विश्व उसे जाता हुआ देख रहा था l ठीक डोर के पास पहुँच कर रुप पीछे मुड़ती है और हल्के से मुस्कराते हुए अपना हाथ हिला कर विश्व को बाय कहती है l विश्व भी अपना हाथ हिला कर जवाब में बाय कहता है l रुप उतर जाती है और बस आगे बढ़ जाती है l रुप उस बस को जाते हुए देखती है l उसके पास एक कार आकर रुकती है, रूप उस गाड़ी में बैठ जाती है l गाड़ी के अंदर वह आज की बात याद करते हुए खुद पर हैरान होती है l रॉकी ने दोस्ती की हाथ बढ़ाया था पर रुप को रॉकी से दोस्ती करनी ही नहीं थी, और आगे चलकर उसके दिल की बात जानने के लिए रॉकी से दोस्ती की थी l पर आज की बात और है, क्यूँकी आज पहली बार किसी लड़के का हाथ दोस्ती के लिये रुप ने खुद थामा था और हाथ उठा कर उसे बाय भी कहा था l

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ESS की ऑफिस
विक्रम कांफ्रेंस हॉल के अंदर बैठा हुआ है l थोड़ी देर बाद महांती कांफ्रेस हॉल की दरवाजे को बंद कर अंदर आता है और विक्रम के सामने बैठ जाता है l

महांती - और युवराज जी... कैसी रही... आपकी... और पार्टी प्रेसिडेंट की मीटिंग...
विक्रम - वही... एक दम बकवास और उबाऊ... लॉ मिनिस्टर की बेटी की रिसेप्शन है.. कुछ ऐसा करो की... इमेज बनें... फलाना ढिमका.... लोग दो चार बातेँ करें हमारे बारे में... तब टिकट मिलने पर कोई विरोध न होगा... पुरे मीटिंग में यही कह कर मेरा टाइम बर्बाद किया... और अपने साथ... एक इवेंट में लेकर गए... ओह... यकीन नहीं करोगे... इतना हैक्टिक... सिर अभी भी फटा जा रहा है... खैर इसे साइड करो... कहो... खबर क्या है और... हमें करना क्या है....
महांती - युवराज... इतना तो पक्का है... चेट्टी और केके... इस वक़्त कटक में हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मतलब... चेट्टी... अपने विधायक क्षेत्र में है...
महांती - हाँ.. अब वह विरोधी पार्टी में शामिल हो गया है... तो उस पार्टी में... उसे खास तबज्जो मिल रही है...
विक्रम - तबज्जो मतलब...
महांती - अब चेट्टी... विरोधी खेमे का बड़ा नेता बन गया है... पार्टी की मांग पर... उसे वाई प्लस सिक्युरिटी दी गई है...
विक्रम - (कुछ देर चुप रहने के बाद) उसे वाई सिक्युरिटी मिली है... केके को तो नहीं...
महांती - पर केके खुद को... चेट्टी की सिक्युरिटी के सील में रहेगा...
विक्रम - मतलब हम... अभी हाथ नहीं डाल सकते हैं...
महांती - फ़िलहाल तो नहीं... क्यूंकि आपकी पोलिटिकल आइडेंटिटी.... खतरे में आ सकती है...
विक्रम - तो क्या हम... कुछ नहीं कर सकते...
महांती - कुछ साल पहले... हम कहीं भी घुस सकते थे... पर अब आपका... एक पोलिटिकल इमेज है... ताकत का इस्तमाल.... आउट ऑफ स्क्रीन करना होगा आपको... ऑन द स्क्रीन... दिमाग चलाइये... और राजनीति कीजिए...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
महांती - उसे हमारे आँखों के सामने रहने दीजिए... मौका... कभी तो हाथ लगेगा...
विक्रम - इस बीच अगर... उनसे कोई गुस्ताखी हुई... तो...
महांती - वह लोग... जितने खुलेंगे... हम भी उनसे... उतने खुल जाएंगे...

फिर कुछ देर के लिए हॉल में शांति छा जाती है l विक्रम कुछ सोचने लगता है l

विक्रम - कल केके अदालत में... जे ग्रुप के मालिक को... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देने जा रहा है... वह आएगा... ऐसे निकल जाएगा... मुझे अच्छा नहीं लगेगा....
महांती - युवराज जी... आप ने सात साल लगा दिए... आज का अपना यह पहचान बनाने के लिए... आज हालात थोड़े अलग हैं... जो कभी साथ थे.. या नीचे थे... आज वह लोग.. बगावती तेवर के साथ... पंजा लड़ा रहे हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... पर कल के लिए... मुझे वीर की कही बातेँ याद आ रही हैं...
महांती - मुझे भी... वे लोग... बेशक हम से दुश्मनी ले लिए हैं... पर... डर तो उन्हें उतना ही होगा... इसलिए... कल वे हमको... मेरा मतलब है... आपको शायद किसी तरह एनगेज रखेंगे....

विक्रम मुस्कराते हुए अपनी जगह से उठता है l और कांफ्रेंस टेबल के पर थोड़ा इधर उधर होता है l फिर महांती की ओर देखते हुए

विक्रम - महांती... सात साल लगे... मैं इस इमेज को बनाने के लिए... भागता रहा... सबको... अपने पीछे छोड़ता रहा... पर आज देखो... कितना बेबस हूँ... मेरा दुश्मन मेरे सामने है... पर मैं मज़बूर हूँ...
महांती - युवराज... वह लोग आपसे दुश्मनी तो कर रहे हैं... पर सीधे सीधे नहीं... और खुल्लमखुल्ला तो हरगिज नहीं... सिर्फ हम जानते हैं... की हमारा दुश्मन कौन है... इसलिए आप भी उन्हीं की तरह सोचिए... आप राजनीति कीजिए... बाकी हम पर छोड़ दीजिए...
विक्रम - सुकांत रॉय... रॉय ग्रुप सिक्युरिटी सर्विस... वह हमसे... यानी ESS से भीड़ रहा है...
महांती - कोई बड़ी बात नहीं है... किसी भी संस्थान को कामयाब होने के लिए.. या सस्टैंन होने के लिए... फाइनैंस चाहिए... जो उसे अब केके दे रहा है... और पोलिटिकल सपोर्ट... उसे चेट्टी से मिल रहा है...
विक्रम - चेट्टी का अभी भी... पोलिटिकल बेस बाकी है...
महांती - क्यूँ नहीं... आखिर वह एक वेटरन है... निरोग हॉस्पिटल के ड्रग्स कांड में... उसका बेटा बदनाम हुआ था... और तब भी वह इंडिपेंडेंट में दुसरे नंबर पर था.. वोट शेयर में...
विक्रम - ह्म्म्म्म... तो इसका मतलब अगर मैं... कुछ अग्रेसिवनेस दिखाऊँ... तो
महांती - तो... वह लोग... आपको हर हाल में.... ऐंगेज रखने की कोशिश करेंगे...
विक्रम - ह्म्म्म्म सिर्फ मुझे... क्यूंकि... छोटे राजा जी... दिल्ली में हैं... और वीर अभी राजगड़ में...
महांती - जी...
विक्रम - तो सवाल यह है कि... मुझे किस तरह से एनगेज रखेंगे...
महांती - मुझे लगता है कि... आपकी प्रॉपर रेकी हो रही होगी... आप उनके नजर में होंगे...
विक्रम - क्या वे... मुझे कटक जाने से रोकेंगे...
महांती - (कुछ सोचते हुए) पता नहीं... पर आप... कल कटक क्यूँ जाएंगे...

विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरती है l वह अपना सिर हिला कर कुछ सोचते हुए l

विक्रम - अदालती कारवाई देखने के लिए... मैं कटक जाऊँगा... और देखूँगा... मुझे कैसे... एनगेज रखते हैं....


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अगले दिन
विश्व खोया खोया हुआ नाश्ता कर रहा है l और द हैल में रुप की भी वही दसा है l रुप के आगे से शुभ्रा थाली चुपके से निकाल लेती है l फिर भी रुप को होश नहीं रहता, वह अपनी चम्मच से खाना उठाने की कोशिश में टेबल पर चम्मच रगड़ती है l उसे यूँ खोया हुआ देख कर शुभ्रा और विक्रम दोनों हैरान होते हैं l

तापस - क्या हुआ लाट साहब... कहाँ खोए हुए हो...
विश्व - (अपने में लौटता है, हकलाते हुए) क कुछ नहीं...
प्रतिभा - कुछ तो है...
विश्व - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं माँ...

शुभ्रा - तो हकला क्यूँ रही हो...
रुप - वह भाभी... मैं हमारे ड्राइविंग स्कुल के.. सुकुमार अंकल के प्रॉब्लम की सॉल्यूशन के बारे में सोच रही थी...

विक्रम - क्या प्रॉब्लम है उनका...
रुप - पता नहीं... मैं आपको ठीक से समझा पाऊँगी भी या नहीं....
विक्रम - फिर भी बताओ...

विश्व पुरी बात बताता है l तापस और प्रतिभा सब सुनने के बाद l

तापस - ह्म्म्म्म... वाकई... बहुत बड़ी प्रॉब्लम है...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... तो कब है.. उनकी शादी की साल गिरह...
विश्व - परसों... एक्चुयली जब तक उनके बच्चे यहाँ नहीं थे... उनकी जिंदगी ठीक चल रही थी... पर अब जब बच्चे आ कर उन्हें अपने साथ ले जाना चाहते हैं....

रुप - तब से... वह अंकल... कुछ डिस्टर्ब्ड लग रहे हैं... और सेलिब्रेशन से भाग रहे हैं... इसलिए हमने सोचा है कि... परसों रात बारह बजे सुकुमार अंकल और आंटी जी को सरप्राइज़ करेंगे....
विक्रम - यह हम कौन कौन हैं...

यह सवाल सुनते ही शुभ्रा के हाथों से चम्मच छूट जाती है l विक्रम शुभ्रा के तरफ देखता है तो शुभ्रा खुद को संभाल लेती है l

रुप - हम मतलब... हम जितने भी सुकुमार अंकल के साथ ड्राइविंग सीख रहे हैं...
विक्रम - ओ... अच्छा... तुम्हें क्या लगता है... मैं तुम्हें रात के बारह बजे की सरप्राइज सेलिब्रेशन के लिए जाने दूँगा...
रुप - (एक नजर विक्रम की ओर देखती है और उसके आँखों में आँखे डाल कर) हाँ... क्यूंकि नंदिनी को उसका भाई... जरूर जाने देगा...
विक्रम - (रुप की जवाब सुन कर हैरान हो जाता है) ठीक है... कैसे जाओगी...
शुभ्रा - मैं उस दिन शाम को... टैक्सी कर चली जाऊँगी... प्रोग्राम खतम होने के बाद... आपको कॉल कर दूंगी... आप आकर मुझे ले जाना....
विक्रम - (कुछ देर के लिए चुप हो जाता है, फिर डायनिंग चेयर पर पीठ सटा कर) ठीक है...


विश्व - थैंक्स डैड...
तापस - थैंक्स कैसा... तुम जानते हो... मुझे चिंता क्यूँ और किसलिए हो रहा है...
विश्व - मैं जानता हूँ डैड... मैं वादा करता हूँ... मैं संभल कर रहूँगा...

विक्रम अपनी जगह से उठता है और रुप के पास जा कर उसके सिर पर हाथ फेरता है, फिर हाथ धो कर अपने कमरे में चला जाता है l कुछ देर बाद वह तैयार हो कर नीचे आता है l

शुभ्रा - (विक्रम से) सुनिए...
विक्रम - जी..
शुभ्रा - आज भी मैं... नंदिनी को छोड़ने जाऊँ...
विक्रम - (मुस्कराते हुए, अपना सिर हिला कर) जी जरूर...

कह कर विक्रम बाहर चला जाता है l विक्रम के जाने के बाद शुभ्रा रुप को मुस्कराते हुए देखती है l

रुप - क्या बात है भाभी... आप... मुझे देख कर... ऐसे क्यूँ मुस्करा रही हैं...
शुभ्रा - चलो... हम गाड़ी में बात करते हुए जाते हैं...

विश्व - माँ... क्या बात है... आज तुम... मुझे कहाँ ले कर जाने वाली हो...
प्रतिभा - कोर्ट...
विश्व - क्यूँ...
प्रतिभा - अरे भुल गया... आज केके ग्रुप के चेयरमैन... कमलाकांत महानायक... जोडार साहब को.. जज के सामने... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देगा....
विश्व - तो मैं वहाँ... जा कर क्या करूंगा...
प्रतिभा - अरे... तेरा... पहला लीगल केस है...
विश्व - पर...
प्रतिभा - कोई पर वर नहीं... चल मेरे साथ... गाड़ी मैं चला रही हूँ... चल...
विश्व - ठीक है...

गाड़ी सरपट दौड़ रही है l अंदर शुभ्रा और रुप बैठे हुए हैं l

रुप - क्या बात है भाभी... आप मन ही मन ऐसे मुस्करा रही हो... जैसे मेरी कोई चोरी पकड़ लिया आपने...
शुभ्रा - हूँम्म्म्म्म्... पकड़ा तो है...
रुप - कैसी चोरी...
शुभ्रा - अच्छा एक बात बताओ... क्या तुम्हें लगता है... की कुछ तुम मिस कर रही हो या... तुमसे कुछ खो गया है... रुप - हाँ... (खोई खोई हुई) शायद

प्रतिभा - एक्जाक्टली... तुम.. नंदिनी को मिस कर रही हो...
विश्व - (हकलाते हुए) क्या... यह.. यह कह रही हो...
प्रतिभा - बिल्कुल सही कह रही हूँ...

रुप - नहीं... आप गलत हो..
शुभ्रा - मैं गलत हूँ... कैसे.. तुम चार महीने से... यहीं हो... पर किसीसे इस कदर अटैच मेंट फिल नहीं हुआ तुम्हें... अब जब ड्राइविंग सेशन खतम होने को आ गई... तुम अब बुझी बुझी सी रहने लगी हो...
रुप - हूँह्ह्... कुछ भी...
शुभ्रा - आज डायनिंग टेबल पर... तुमने जो कहानी कही... वह तुम्हारे फेशियल एक्सप्रेशन से... मैच नहीं हो रही थी...

विश्व - माँ... क्या तुमको लगता है... मैंने डायनिंग टेबल पर कोई झूठ बोला है...
प्रतिभा - नहीं... मैंने कब कहा कि तुने झूठ बोला है... बस तुने पुरी बात नहीं बताई....
विश्व - माँ सुकुमार अंकल की बात... मैंने सौ फीसद सही कहा है...
प्रतिभा - पर उस वक़्त... तेरे दिल में कोई और बात चल रही थी.... उसे छुपाने के लिए... तुने सुकुमार अंकल की कहानी को आगे कर दिया...

रुप - यह... यह आप... कैसे कह सकते हैं...
शुभ्रा - सिंपल... नंदिनी... इन्हीं दो चार दिन में... तुम काफी डिस्टर्ब्ड लग रही हो... या फिर हुई हो... शायद अनाम को ना ढूंढ पाने की वजह से... और... या फिर शायद... प्रताप से बिछड़ ने की खयाल से...
रुप - (थोड़ी गंभीर हो कर) नहीं... नहीं भाभी.... ऐसी कोई बात नहीं... आपको गलतफहमी हो रही है... आप बहुत सोचने जो लगी हो आज कल...

प्रतिभा - नहीं... मुझे कोई गलत फहमी नहीं हुआ है... तु अपने भीतर... खुद से लड़ रहा है... जिसकी टीस तेरे चेहरे पर साफ दिख रहा है...
विश्व - ( घंभीर हो अपना चेहरा नीचे झुका लेता है)
प्रतिभा - तु... नंदिनी को लेकर... अभी भी कंफ्युज्ड है... है ना...
विश्व - हाँ... शायद... (प्रतिभा को देख कर) उनके चेहरे से... उनके बातों से... हर अदा में... मुझे राजकुमारी जी की झलक मिलती है...

रुप - कभी कभी मन में आता है... की मैं... (अपने दोनों हाथ उठा कर) इन्हीं हाथों से उसके गिरेबान को पकड़ुं... और झिंझोडते हुए पुछुं... कौन हो तुम... क्यूँ तुम अनाम जैसे लगते हो... या तुम्हीं अनाम हो...
शुभ्रा - तो एक बार तुम उससे पुछ क्यूँ नहीं लेती...
रुप - पता नहीं भाभी... दिल में हलचल सी होने लगती है... कहीं यह अनाम नहीं हुआ तो...

प्रतिभा - देख... मैं नहीं जानती तुम्हारी राजकुमारी कैसी होगी... पर मुझे तुम्हारी यह नकचढ़ी बहुत पसंद है...
विश्व - (खीज जाता है) माँ... हम दोस्त है... आपस में... हमारे बीच यही तय हुआ था... कि हम इस दोस्ती का खयाल रखेंगे... इज़्ज़त रखेंगे... यही बात है... मैं अबतक नंदिनी जी कुछ भी नहीं पुछ पाया...

शुभ्रा - पर... तुम कब तक किसी मृगतृष्णा के पीछे भागोगी...
रुप - भाभी... मेरा रिश्ता तय हो चुका है... पर मैंने कभी किसीसे कोई वादा लिया था... मैं उसके सामने दोषी नहीं बनना चाहती हूँ... इसलिए मैंने फैसला किया है... इस बार छुट्टी में... चाची माँ के पास जाऊँगी... वहाँ अपने तरीके से... अनाम को ढूंढुंगी... अगर वह मिला... और उसे अगर मेरा इंतजार होगा... तब... शायद मैं कुछ करूंगी... वरना... (चुप हो जाती है)

शुभ्रा गाड़ी को कॉलेज की पार्किंग में लगाती है l रुप उतर कर शुभ्रा को बाय कह कर अंदर चली जाती है l उधर प्रतिभा अपनी गाड़ी को कोर्ट के परिसर में लाती है l विश्व गाड़ी से उतर कर बाहर की ओर जाने लगता है l

प्रतिभा - अरे सुन तो... कहाँ जा रहा है...
विश्व - माँ... यह कोर्ट के अंदर.. तुम देखो... मैं... अपना मुड़ ठीक करने जा रहा हूँ....
प्रतिभा - मुझे यहाँ अकेले छोड़ कर जा रहा है...
विश्व - माँ.. यहाँ मेरा कुछ भी काम नहीं है... सॉरी मैं चला... (जाने लगता है)
प्रतिभा - (चिल्लाते हुए) ठीक है... आ फिर आज घर में... शाम को तेरी टांग ना तोड़ी... तो कहना...
विश्व - (बिना पीछे देखे) ठीक है माँ... बाय...

कह कर कोर्ट परिसर से बाहर निकल जाता है l प्रतिभा मुस्कराते हुए उसे जाते देखती है और फिर वह कोर्ट के अंदर जाने लगती है l


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विक्रम घर से निकल आने के बाद ऑफिस जाने के वजाए पार्टी ऑफिस चला आया था l वहाँ अपने ऑफिस में कुछ देर रुका और साधारण कार्यकर्ताओं से बातचीत वगैरह किया l फिर अपने कमरे से सबको विदा करने के बाद, वह पीछे के रास्ते से भेष बदल कर एक पुरानी मारुति 800 कार लेकर कटक की ओर जाने लगता है l भुवनेश्वर अब पीछे छूट चुका था l नंदन कानन रोड लांघने के बाद उसका फोन बजने लगता है l उसे स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले होता दिखता है l वह अपना ब्लू टूथ ऑन करता है

:- हा हा हा हा... (एक मर्दाना हँसी सुनाई देता है)
विक्रम - कौन है...
:- तेरी मौत...

विक्रम गाड़ी की ब्रेक लगाता है l उसके पीछे वाली गाड़ियां रुक जाती हैं और हॉर्न पे हॉर्न बजाये जाते हैं l

फोन पर :- ना ना विक्रम बाबु... गाड़ी को आगे बढ़ाओ... आप... कोर्ट ही तो जा रहे हो ना...

यह सुन कर विक्रम हैरान होता है और गाड़ी फिर आगे बढ़ाने लगता है l

:- गुड... यह हुई ना... एक जिम्मेदार नागरिक वाली बात...
विक्रम - कौन हो तुम... और तुमको कैसे मालुम हुआ कि...
:- हा हा हा हा... मैं वही हूँ... जो तुम्हारे नजरों में नहीं हूँ... और तुम मेरे नजरों में हो...

विक्रम अब गाड़ी को धीमी रफ्तार से आगे लिए जा रहा था l और सोच रहा था कैसे वह उनके नजरों में आ गया l वह रियर मिरर में देखने लगता है, पर पीछे इतने गाड़ियां आ रही थी के उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कौनसे गाड़ी से उसका पीछा किया जा रहा है l

:- विक्रम तुम यही सोच रहे हो ना... की कौनसे गाड़ी से तुम पर नजर रखी जा रही है...
विक्रम - (हैरानी से भवें तन जाते हैं)
:- हाँ विक्रम... इसे तजुर्बा कहते हैं... जितनी तुम्हारी उम्र नहीं है... मैंने उतने कांड और कारनामें किए हुए हैं...
विक्रम - इतने ही कांड किए हो... तो यूँ छुपे हुए क्यूँ हो... सामने क्यूँ नहीं आते...
:- आ जाएंगे... आ जाएंगे... इतनी जल्दी भी क्या है... पहले तुम कोर्ट की मंजिल तो तय कर लो...
विक्रम - क्यूँ... तुम्हें क्या लगता है... मैं कोर्ट नहीं जा सकता...
:- नहीं... आज तो नहीं...
विक्रम - कौन रोकेगा मुझे...
:- क्या अभी भी तुम्हें शक़ है... तुम कब के रोक दिए गए हो...
विक्रम - अच्छा... मजाक अच्छा है... मुझे सामने कोर्ट दिख रहा है...
:- हाँ वह इसलिए... की तुम अभी... त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर हो...
विक्रम - हाँ... मतलब... मैं पुरी तरह से... तुम्हारे सर्विलांस में हूँ...
:- बिल्कुल... कोई शक़...
विक्रम - मुझे कोर्ट की लाल बिल्डिंग दिख रही है... फिर भी... तुम कह रहे हो... मैं कोर्ट तक नहीं पहुँच सकता...
:- नहीं...
विक्रम - कैसे...
:- ऐसे...

अचानक विक्रम की आगे वाली गाड़ी रुक जाती है l विक्रम झट से अपनी गाड़ी में ब्रेक लगाता है lसिर्फ विक्रम की गाड़ी नहीं त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर विक्रम के गाड़ी के आगे और पीछे गाड़ियों की अंबार लग जाता है l सिर्फ गाडियों की हॉर्न सुनाई देता है l विक्रम गाड़ी से बाहर निकालता है तो देखता है ब्रिज के ऊपर कुछ गाडियों के बीच टक्कर हुई है l इसलिए रोड पुरी तरह से जाम हो गया है l अब उसके पीछे इतने गाड़ियां रुक गई हैं कि गाड़ी घुमा कर पीछे लौट कर जाया नहीं जा सकता है l वह गाड़ी वहीँ छोड़ कर आगे बढ़ने लगता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l विक्रम स्क्रीन पर देखता है तो प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l विक्रम फोन उठाता है

:- देखा... तुम्हें कोर्ट दिख रहा होगा... पर तुम कोर्ट पहुँच नहीं पाओगे....

विक्रम अपने चारों तरफ नजर घुमाता है और अपने चारों तरफ की नजरों को अपने तरफ घूरते हुए पाता है l

विक्रम - तुम आज मुझे रोक कर... क्या साबित करना चाहते हो...
:- यही के तुम एक दूध पीते बच्चे हो... मैं जब चाहे तुम्हें रोक सकता हूँ... पर तुम मुझे नहीं रोक सकते हो...
विक्रम - छुपे हुए हो...
:- हाँ... फिर भी मेरी मुट्ठी में तुम्हारी चुटीया है...
विक्रम - मैं अकेले पैदल जा रहा हूँ...
:- हाँ.. यह कोशिश भी करके देख लो... कहीं तुम्हारी जिद तुम्हारी बीवी पर भारी ना पड़ जाए...

विक्रम के कदम रुक जाते हैं, उसे अपने जिस्म पर झुरझुरी सी महसुस होने लगती है l

विक्रम - (कांपती हुई आवाज़ में) क्या.. क्या कहा तुमने...
:- यही... की तुम कोर्ट तक पहुँचने के वजाए... अपनी बीवी तक पहुँचो... कहीं देर ना हो जाए...

विक्रम झट से फोन कट कर देता है और महांती को फोन लगाता है l

महांती - जी युवराज...
विक्रम - म.. महांती... (हांफते हुए)
महांती - आप हांफ क्यूँ रहे हैं...
विक्रम - वह.. वह युवराणी...
महांती - क्या हुआ उन्हें...
विक्रम - उनके सेक्योरिटी...
महांती - युवराज... आप घबराइए मत... उनके साथ हमारे स्पेशल ट्रूप के आठ गार्ड्स सिक्युरिटी हैं...
विक्रम - गुड... मुझे कंफर्म कराओ.. प्लीज..
महांती - ओके...

महांती का फोन कट जाते ही फिर उसी प्राइवेट नंबर से विक्रम को कॉल आता है l

विक्रम - हे..हैलो...
:- देखा आवाज में.. अदबी आ गई ना.. हा हा हा हा...
विक्रम - हँस मत कुत्ते... हँस मत... आज तुमने मेरी पत्नी की बात कर बड़ी गुस्ताखी कर दी है...
:- गुस्ताखी... तुम क्षेत्रपालों को... सम्मान कोई देता भी है... सब डर के मारे सम्मान देते हैं... और मैंने तुम क्षेत्रपालों से डरना छोड़ दिया है... मेरे ना आगे कोई है... ना मेरे बाद कोई है... डरना किस लिए फिर...
विक्रम - ओंकार चेट्टी...
:- हा हा हा हा... पहचान गए... अपने अंकल को...
विक्रम - हाँ... तु भी पहचान ले अपनी मौत को...
चेट्टी - फिर से बे अदबी...
विक्रम - कुछ भी कर लेता... पर शुभ्रा जी का रास्ता काटने की गलती कर बैठा है... बहुत पछतायेगा...
चेट्टी - कौन... वह सामंत राय की बेटी... मेरे बेटे की.... और मेरी बर्बादी की वजह...
विक्रम - कमीने...
चेट्टी - तुम क्षेत्रपालों से बहुत कम... खैर पहले... कंफर्म तो हो जा... तेरी बीवी सेफ है या नहीं...

चेट्टी का फोन कट जाता है l तभी विक्रम के मोबाइल पर महांती का कॉल आता है l

विक्रम - हैलो... (और कुछ पुछने हिम्मत नहीं हो रही थी)
महांती - युवराज... युवराणी जी की सिक्युरिटी ब्रीच हुई है...

विक्रम का हाथ पैर सब कांपने लगते हैं l महांती आगे क्या कह रहा था उसके कानों में जा नहीं रहा था l विक्रम महांती का कॉल काट देता है, और कार के बोनेट पर धप कर बैठ जाता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l डिस्प्ले में इसबार नंबर और नाम साफ दिख रहा था l ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी l शायद ट्रू कॉलर के वजह से l विक्रम कॉल उठाता है

विक्रम - कैसे...
चेट्टी - हैकिंग से... तेरे घर की सर्विलांस हैक किया गया... तेरी बीवी की ड्रेस से मिलती जुलती ड्रेस... एक डमी को पहना कर.. तेरी बीवी की मॉडल गाड़ी में बिठा कर... सेम नंबर प्लेट.. लगा कर बस इंतजार किया... तेरी बीवी... तेरी बहन को कॉलेज ड्रॉप कर आने के बाद... जयदेव विहार के ओवर ब्रिज के नीचे... हमारी गाड़ी तेरी बीवी की गाड़ी से सट गई... तेरी बीवी की सिक्युरिटी में आए गार्ड्स... अच्छी खासी दूरी बनाए हुए थे... इसलिए हमने उन्हें डमी के पीछे आने के लिए पोजीशन बनाया... वह बेवकूफ... तेरी बीवी को छोड़.. हमारे डमी की सिक्युरिटी में लग गए... यह है ESS की चुस्ती.... हा हा हा...

विक्रम तुरंत चेट्टी का फोन काट कर शुभ्रा को लगाता है l पर शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l बार बार कोशिश के बाद भी शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l वह चिढ़ कर गुस्से से कार के बोनेट पर घुसा मारने लगता है I इतने में उसका फोन फिर बजने लगता है l विक्रम कांपते हुए हाथों से फोन उठाता है l

चेट्टी - तेरी बीवी को फोन लगाने से... कोई फायदा नहीं होगा... मेरे सिक्युरिटी गार्ड्स... मोबाइल जैमर के जरिए... उसकी फोन सिग्नल... जैम कर दिया है... और अपनी हिफाजत में xxx मॉल के अंडरग्राउंड पार्किंग में ले गए हैं... अगर बचा सकता है... तो जा कर बचा ले...

फोन कट जाता है l विक्रम अब गाडियों पर चढ़ते हुए भुवनेश्वर की ओर भागने लगता है l ब्रिज के छोर पर पहुँच कर वहाँ पर खड़े बंदे से बाइक छिन कर xxx मॉल के तरफ बाइक भगाता है
बहुत ही शानदार अपडेट भाई

आपके लेखनी को देखते हुए हमारे पास वह शब्द नहीं है जिनसे आपकी लेखनी की तारीफ कर सकें यह तो एक प्रकार से सूरज को दिए दिखाने जैसा होगा

बस एक बार फिर से अगले अपडेट का बहुत बेसब्र होकर प्रतीक्षा कर रहे हैं उम्मीद है कि अगला अपडेट आप हमारी बेचैनी को देखते हुए जल्द ही देंगे🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,483
24,711
159
👉बयान्वेवां अपडेट
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xxx होटल
एक रॉयल शूट
उस शूट के बेड रुम में किंग साइज बेड के बगल में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l उस बेड पर रोणा लगभग नंगा लेटा हुआ है l सिर्फ कमर से घुटने तक एक सिलिंडर नुमा कपड़े से ढका हुआ है l पुरा शरीर उसका लाल दिख रहा है l रोणा को एक डॉक्टर दो मेल नर्सों के साथ चेक कर रहे हैं l उस शूट के बगल वाले बड़े से गेस्ट रुम में सोफ़े पर परीड़ा और बल्लभ बैठे हुए हैं l उनके सामने होटल का मैनेजर, कुछ स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर सिर झुकाए, हाथ बांधे खड़े हुए हैं l कुछ देर बाद बेड रुम का दरवाजा खुलता है l डॉक्टर और नर्स बाहर आते हैं l उनके बाहर आते ही परीड़ा और बल्लभ खड़े हो जाते हैं l

बल्लभ - डॉक्टर साहब... कितना सीरियस है...
डॉक्टर - नहीं... अभी ठीक है... सीरियस नहीं है... गरम पानी से... उनकी त्वचा जल गई है.... हमने पुरे बदन पर क्रीम लगा दिया है... जलन बहुत हद तक कम हो गया है... बेड पर मोटराइज्ड वाटर बेड डलवा दिया है... उसके अंदर ठंडा पानी सर्कुलेट होता रहेगा... और रुम टेंपरेचर बाइस डिग्री पर सेट किया गया है... कल सुबह तक नब्बे प्रतिशत ठीक हो जाएंगे... फ़िलहाल हमने उन्हें नींद की इंजेक्शन दे दिआ है... इत्मीनान रखिए... परसों तक वह पुरी तरह से ठीक हो जाएंगे... हाँ कुछ दिनों के लिए उनका त्वचा... थोड़ा काला पड़ जाएगा.... पर चिंता की कोई बात नहीं... हफ्ते दस दिन के भीतर ही.. उनका त्वचा नॉर्मल हो जाएगा... बस दवाई खाते रहना है.... और क्रीम लगाते रहना है...
बल्लभ - थैंक्यू डॉक्टर...
डॉक्टर - ईट्स ओके...

कह कर डॉक्टर और उसके स्टाफ बाहर चले जाते हैं l मैनेजर उन्हें दरवाजे के पार छोड़ कर वापस अपनी जगह खड़ा हो जाता है l तब तक परीड़ा और बल्लभ दोनों सोफ़े पर बैठ चुके थे l


मैनेजर - सर... जो हुआ... नहीं होना चाहिए था... पर हुआ... और बुरा हुआ... सर यकीन मानिए... ऐसा इस होटल में पहली बार हुआ है... वी आर वेरी सॉरी फॉर दिस...
बल्लभ - (भड़क कर) ऐसा पहली बार हुआ है... साज़िशन किसीकी जान लेने के कोशिश की गई है... आपकी सिक्युरिटी क्या कर रही थी... आपके स्टाफ क्या कर रहे थे... ऐसे कोई आएगा... आपसे पहचान नहीं हो पाया... कैसे रोकेंगे अगर फिरसे ऐसा कुछ हुआ...
सिक्युरिटी ऑफिसर - सर... जिन्होंने यह सब किया... उन्होंने आधार कार्ड की जिरक्स जमा कर रुम लिया था... अब कांड होने के बाद... जब तहकीकात किया गया... तब मालुम पड़ा... आधार कार्ड नकली है...और वह लोग भी....
बल्लभ - फिर भी...
सी.ऑ - सर हमसे जो भी हुआ... जितना भी हो सका... जो भी जानकारी हासिल की... सब तो आपको और परीड़ा सर को बता चुके हैं... यहाँ तक हमने सारे सीसीटीवी के फुटेज दे दिया है... बाकी...आप जैसा कहेंगे... हम करने के लिए तैयार है...
मैनेजर - सर... हम.. आपके स्टेयींग के सारी रकम.. रिफंड कर रहे हैं... अनिकेत सर जी को इसी शूट में... हॉस्पिटल ट्रीटमेंट दे रहे हैं... वह भी हमारी ख़र्चे पर... और उनके ठीक हो कर जाने तक.. हम रहना और खाना फ्री कर रहे हैं... प्लीज सर... कोई कंप्लेंट रेज मत कीजिए...

बल्लभ कुछ कहने को होता है कि परीड़ा उसे इशारे से रोकता है तो बल्लभ चुप हो जाता है l

परीड़ा - (मैनेजर से) ठीक है.. हम गौर करेंगे... अब आप लोग जाइए... हम... आपस में डिस्कस कर के आपको खबर कर देंगे...
मैनेजर - (मायूस हो कर) ओके सर... आई विल वेट... विथ पॉजिटिव होप...

कह कर मैनेजर अपने स्टाफ और सिक्युरिटी ऑफिसर को लेकर वहाँ से चला जाता है l बल्लभ परीड़ा की ओर देखता है, परीड़ा आँखे मूँद कर कुछ सोच रहा है l

बल्लभ - तुने इतनी आसानी से... उन्हें जाने क्यूँ दिया...
परीड़ा - (अपनी आँखे खोल कर) (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) तु अच्छी तरह से जानता है... इस मामले में... इन लोगों का कुछ लेना देना नहीं है... फिर बेकार में इन्हें घसीट क्यूँ रहा है...

बल्लभ असहाय, नाउम्मीद सा अपना हाथ सोफ़े के हैंडरेस्ट पर मारता है l

बल्लभ - क्या करें... कुछ समझ में नहीं आ रहा... कितनी आसानी से... रोणा को खौलते हुए पानी से नहला दिया... उसकी ऐसी हालत कर... आसानी से चले भी गए... हमें पुलिस को इंवाल्व करना चाहिए था... तुने बेकार में मना कर दिया....
परीड़ा - (बल्लभ की छटपटाहट उसे साफ महसुस होता है) पिछली बार... जब पुछा था... तब तुम्हीं लोगों ने पुलिस को इंवाल्व करने से मना किया था... और यहाँ पुलिस तक कैसे जाते... मत भूलो यहाँ की सेक्यूरिटी ESS की है... हाँ तुम चाहो तो... ESS को इंवाल्व कर सकते हो... फिर उसके बाद... युवराज अगर मैदान में उतरेगा... और जो तुम लोग ढूंढ रहे हो... शायद विक्रम सिंह ढूंढ ले... उसके बाद... सोचो तुम दोनों की औकात... क्या रह जाएगा... राजा साहब के सामने...
बल्लभ - (यह सब सुन कर चुप हो जाता है)
परीड़ा - वैसे भी... सारी गलती तुम लोगों की थी... तुम लोगों के बगल में रह कर,... कोई तुम लोगों की ले रहा था... साले तुम दोनों... अपनी आँखे मूँद कर... अंगूठा चूस रहे थे...
बल्लभ - (बिदक जाता है) कहना क्या चाहता है तु...
परीड़ा - यही... के सावधानी हटी... टट्टे कटीं...
बल्लभ - (परीड़ा को खा जाने वाली नजर से घूरते हुए) क्या मतलब हुआ इसका....
परीड़ा - कुछ उखाड़ने के चक्कर में... तुम झुक क्या गए... वह पीछे से आया... तुम लोगों का टट्टे काट कर ले गया... जब तुम उसे पकड़ोगे... वह क्या कहेगा... अररे... मैंने तो टमाटर समझ कर काट लिया था... यह तो आपके टट्टे निकले...
बल्लभ - (छटपटाते हुए चुप हो जाता है)
परीड़ा - अब तक रोणा पर हमला करने वाला... जो कोई भुत था... पहचान छुपाए हुए था... इस बार वह अपनी पहचान का सुराग छोड़ कर गया है....
बल्लभ - मतलब... कौन है... क्या विश्वा है... या कोई और है...
परीड़ा - घबराओ मत... अभी एक काम करते हैं... मैं कुछ और जानकारीयाँ इकट्ठा करता हूँ... रोणा को आज सोने दे... कल तक वह बहुत हद तक ठीक हो जायेगा... फिर सारी जानकारी सामने रख कर.... साथ मिल कर... पता करते हैं... वह भुत कौन है....

इतना कह कर परीड़ा वहाँ से उठता है और शूट रुम से बाहर चला जाता है l उसके जाते ही बल्लभ रोणा के सोये हुए रुम के अंदर जाता है l

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अपना जंक्शन आते ही भाश्वती रुप और विश्व को बाय कह कर उतर जाती है l जब से भाश्वती के लिए विश्व सेक्शन शंकर से मिला था, उस दिन के बाद विश्व और रुप भाश्वती के साथ बस में जाते हैं और उसे ड्रॉप करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं l भाश्वती और विश्व रुप के साथ एक सीट में बैठ कर आए थे l भाश्वती के उतर जाने के बाद उसी सीट में विश्व और रुप चुपचाप बैठे हुए थे और एक दुसरे से नज़रें चुरा रहे थे l आज ड्राइविंग स्कुल में दोनों के बीच कोई बात चित हुई नहीं थी l अभी भी दोनों ख़ामोश ही थे l सच यह भी था कि दोनों को अपने बीच की यह खामोशी सहन नहीं हो रहा था l इस उधेडबुन में दोनों की आँखे बंद हो गई थी जबड़े भींची हुई थी l फिर दोनों के मुहँ से एक साथ निकलता है

"क्या हम बात कर सकते हैं"

दोनों मुहँ से एक साथ जैसे ही यह शब्द निकालता है, पहले दोनों चौंकते हैं, फिर हैरान होते हैं फिर दोनों मुस्कराते हुए एक दुसरे को देख कर मुस्करा देते हैं फिर अपनी नजरें फ़ेर लेते हैं l रुप खुद को नॉर्मल करते हुए

रुप - ठीक है... शुरु करो फिर...
विश्व - क्या...
रुप - अरे... तुम्हीं ने तो कहा... बात करने के लिए...
विश्व - आपने भी तो... वही कहा...
रुप - तो...
विश्व - वह कहते हैं ना... लेडीज फर्स्ट...
रुप - (चेहरे पर मुस्कराहट लाती है) ठीक है... (धीरे धीरे मुस्कराहट चेहरे से गायब होती है) तुम.. चाहो तो... मुझे... सुकुमार अंकल के मामले से अलग कर सकते हो...
विश्व - (चौंक कर देखता है) क्यूँ...
रुप - नहीं... हमारी दोस्ती है कितने दिन की... और मैं तुम्हें मजबूर करूँ भी क्यूँ... क्यूँ की... सुकुमार अंकल के मैटर के बाद... फिर शायद ही हमारा मिलना हो...
विश्व - क्यूँ... आप इस शहर में नहीँ रहेंगी क्या...
रुप - (मन ही मन में) मैं तो यहीं रहूँगी बेवक़ूफ़... तुम तो एक महीने के लिए आए हो... फिर पता नहीं कितने दिनों के लिए... कहाँ चले जाओगे...
विश्व - मैंने कुछ पुछा आपसे...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए, खिड़की से बाहर देख कर ) पता नहीं...

विश्व का चेहरा थोड़ा उतर जाता है, वह भी अपना चेहरा दुसरी तरफ कर लेता है l फिर रुप की ओर घुम कर

विश्व - एक... बात... पुंछुं...
रुप - (विश्व की ओर देखते हुए) ह्म्म्म्म...
विश्व - कल आपने... उस आदमी को... क्यूँ मारा....

रुप देखती है विश्व की आँखे उसके आँखों में झाँक रही है l शायद इस सवाल का ज़वाब उसके लिए खास मायने रखता है l रुप भी उसकी आँखों में आँखे डाल कर जवाब देती है

रुप - वह मुझे... बिल्कुल भी पसंद नहीं आया...
विश्व - क्यूँ...
रुप - (अपने होठों को दबा कर मुहँ दुसरी तरफ कर) मैं रोज सैकड़ों नजरों से गुजरती हूँ... कौनसी नजर कैसी है... अच्छी तरह से समझती हूँ... पर उस दिन की नजर... अलग था... वह जब से अंदर आया था... मुझे वह... बहुत ही गंदी नजर से देख रहा था... मैं पानी देने गई... तो वह मुझे ऐसे देख रहा था जैसे... मुझे अपनी नजर से स्कैन कर रहा हो... या मेरा... एक्सरे ले रहा हो... मैं बेशक कपड़ों में थी...तन ढका हुआ था मेरा... पर लग रहा था... जैसे उसकी भद्दी नज़रों में... मैं... (कुछ कह नहीं पाती) (थर्राते हुए एक गहरी सांस लेती है) मैं वहाँ से... उसी वक़्त भाग जाना चाहती थी.... अपने आप को कोस रही थी... क्यूँ आई मैं उस कमरे में.... आंटी जी... मेरे अंदर की एंबार्समेंट को फौरन समझ गई... इसलिए उन्होंने मुझे वहाँ से भेज दिया... फिर मैंने देखा... आंटी जी मेरे लिए... मेरे खातिर उससे कहा सुनी कर रही थीं... पर उसने जिस तरह से... अंटी जी से बिहेव किया... (रुक कर तेज तेज सांस लेते हुए, गुस्से में तमतमाते हुए) मुझसे रहा नहीं गया... पहले से ही गुस्से में जल रही थी... बस सब्र टुट गया... अपना गुस्सा निकाल दिया... (कुछ देर अटक कर) कभी कभी लगता है... एक लड़की समाज में... किन से डरे... कितनों से डरे... किस किस वजह से डरे... (अपनी दोनों हाथों को मलते हुए) शायद पुराने ज़माने में लोग... इन जैसों के वजह से... लड़की को पैदा होते ही मार देते थे...

विश्व उसे सुनते हुए बिना पलकें झपकाए एक टक देखे जा रहा था l विश्व का इस तरह देखने से रुप शर्मा जाती है और अपना चेहरा झुका लेती है l विश्व को फौरन अपनी नजर का एहसास होता है l

विश्व - सॉरी...
रुप - किसलिए...
विश्व - वह... (क्या कहे उसे कुछ नहीं सूझता) वह... एक्चुयली थैंक्यू...
रुप - (हैरानी के साथ मुस्कराते हुए) यह किसलिए...
विश्व - (खुद को नॉर्मल करते हुए) वह... उस बत्तमीज को... जो मेरी माँ के साथ बत्तमीजी कर रहा था... उसे... अच्छा सबक सिखाया आपने... मेरे तरफ से.... इसलिए...

रुप मुस्करा देती है उसे एक अंदरुनी खुशी महसुस होती है l अपने चेहरे पर जाहिर ना हो इसलिए अपना चेहरा खिड़की की ओर कर लेती है l

विश्व - एक.... और बात... पुछुं...
रुप - हूँ... पुछो..
विश्व - आपने क्यूँ कहा कि... सुकुमार अंकल के मैटर में... मैं चाहूँ तो आपको अलग कर दूँ...
रुप - (चेहरा संजीदा हो जाता है) कभी कभी लगता है... मैं हद से ज्यादा तुम पर... अपनी जिद लादती रहती हूँ... शायद दोस्ती में कोई हद होती होगी... मैं.. बेहद अपना हक जताती रहती हूँ... सुकुमार अंकल तुम्हें बहुत पसंद करते हैं... एक्चुयली... सुकुमार अंकल... तुमसे ही अपना प्रॉब्लम शेयर करना चाहते थे... पर उस दिन तुम लेट आए... मैं उन्हें उदास देख कर उनसे प्रॉब्लम जाना... (मुस्कराते हुए) फिर मैंने ही अपने शरारत के चलते... सुकुमार अंकल से तुमको कहने के लिए मना कर दिया....
विश्व - ओ... (भवें उठा कर)
रुप - इसलिए...(संजीदा हो कर) तुम चाहो तो... मुझे उनके मैटर से अलग कर सकते हो... (अपना मुहँ फ़ेर लेती है)
विश्व - (कुछ देर की चुप्पी के बाद) एक बात कहूँ... (रुप जिज्ञासा भरे नजरों से देखती है) हम इस रविवार को... दोनों मिलकर... सुकुमार अंकल की प्रॉब्लम दुर करेंगे... (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए) इस मामले में... मुझे आपका साथ चाहिए... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे फाड़े कभी विश्व को, कभी उसके हाथ को देखती है l

विश्व - आपने मुझसे दोस्ती की है... मैंने भी आपसे दोस्ती की है... दोस्त के नाते... आपका हर हक़... और जिद मेरे सिर आँखों पर... फिर से पुछ रहा हूँ... क्या आप मेरा साथ देंगी...

रुप अपनी आँखे मीट मीट करते हुए विश्व को देखने लगती है l विश्व कुछ सोचने के बाद अपना हाथ खिंचता है कि तभी रुप उसका हाथ पकड़ लेती है और खुशी से चहकते हुए हाथ मिला कर जोर जोर से हिलाने लगती है l

रुप - थैंक्यू...

तभी कंडक्टर आवाज देता है l "राज महल स्क्वेयर"

रुप की स्टॉपेज आ गई थी l रुप अपने सीट से उठ कर बाहर निकलती है l और पीछे की एक्जिट की ओर जाती l विश्व उसे जाता हुआ देख रहा था l ठीक डोर के पास पहुँच कर रुप पीछे मुड़ती है और हल्के से मुस्कराते हुए अपना हाथ हिला कर विश्व को बाय कहती है l विश्व भी अपना हाथ हिला कर जवाब में बाय कहता है l रुप उतर जाती है और बस आगे बढ़ जाती है l रुप उस बस को जाते हुए देखती है l उसके पास एक कार आकर रुकती है, रूप उस गाड़ी में बैठ जाती है l गाड़ी के अंदर वह आज की बात याद करते हुए खुद पर हैरान होती है l रॉकी ने दोस्ती की हाथ बढ़ाया था पर रुप को रॉकी से दोस्ती करनी ही नहीं थी, और आगे चलकर उसके दिल की बात जानने के लिए रॉकी से दोस्ती की थी l पर आज की बात और है, क्यूँकी आज पहली बार किसी लड़के का हाथ दोस्ती के लिये रुप ने खुद थामा था और हाथ उठा कर उसे बाय भी कहा था l

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ESS की ऑफिस
विक्रम कांफ्रेंस हॉल के अंदर बैठा हुआ है l थोड़ी देर बाद महांती कांफ्रेस हॉल की दरवाजे को बंद कर अंदर आता है और विक्रम के सामने बैठ जाता है l

महांती - और युवराज जी... कैसी रही... आपकी... और पार्टी प्रेसिडेंट की मीटिंग...
विक्रम - वही... एक दम बकवास और उबाऊ... लॉ मिनिस्टर की बेटी की रिसेप्शन है.. कुछ ऐसा करो की... इमेज बनें... फलाना ढिमका.... लोग दो चार बातेँ करें हमारे बारे में... तब टिकट मिलने पर कोई विरोध न होगा... पुरे मीटिंग में यही कह कर मेरा टाइम बर्बाद किया... और अपने साथ... एक इवेंट में लेकर गए... ओह... यकीन नहीं करोगे... इतना हैक्टिक... सिर अभी भी फटा जा रहा है... खैर इसे साइड करो... कहो... खबर क्या है और... हमें करना क्या है....
महांती - युवराज... इतना तो पक्का है... चेट्टी और केके... इस वक़्त कटक में हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मतलब... चेट्टी... अपने विधायक क्षेत्र में है...
महांती - हाँ.. अब वह विरोधी पार्टी में शामिल हो गया है... तो उस पार्टी में... उसे खास तबज्जो मिल रही है...
विक्रम - तबज्जो मतलब...
महांती - अब चेट्टी... विरोधी खेमे का बड़ा नेता बन गया है... पार्टी की मांग पर... उसे वाई प्लस सिक्युरिटी दी गई है...
विक्रम - (कुछ देर चुप रहने के बाद) उसे वाई सिक्युरिटी मिली है... केके को तो नहीं...
महांती - पर केके खुद को... चेट्टी की सिक्युरिटी के सील में रहेगा...
विक्रम - मतलब हम... अभी हाथ नहीं डाल सकते हैं...
महांती - फ़िलहाल तो नहीं... क्यूंकि आपकी पोलिटिकल आइडेंटिटी.... खतरे में आ सकती है...
विक्रम - तो क्या हम... कुछ नहीं कर सकते...
महांती - कुछ साल पहले... हम कहीं भी घुस सकते थे... पर अब आपका... एक पोलिटिकल इमेज है... ताकत का इस्तमाल.... आउट ऑफ स्क्रीन करना होगा आपको... ऑन द स्क्रीन... दिमाग चलाइये... और राजनीति कीजिए...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
महांती - उसे हमारे आँखों के सामने रहने दीजिए... मौका... कभी तो हाथ लगेगा...
विक्रम - इस बीच अगर... उनसे कोई गुस्ताखी हुई... तो...
महांती - वह लोग... जितने खुलेंगे... हम भी उनसे... उतने खुल जाएंगे...

फिर कुछ देर के लिए हॉल में शांति छा जाती है l विक्रम कुछ सोचने लगता है l

विक्रम - कल केके अदालत में... जे ग्रुप के मालिक को... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देने जा रहा है... वह आएगा... ऐसे निकल जाएगा... मुझे अच्छा नहीं लगेगा....
महांती - युवराज जी... आप ने सात साल लगा दिए... आज का अपना यह पहचान बनाने के लिए... आज हालात थोड़े अलग हैं... जो कभी साथ थे.. या नीचे थे... आज वह लोग.. बगावती तेवर के साथ... पंजा लड़ा रहे हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... पर कल के लिए... मुझे वीर की कही बातेँ याद आ रही हैं...
महांती - मुझे भी... वे लोग... बेशक हम से दुश्मनी ले लिए हैं... पर... डर तो उन्हें उतना ही होगा... इसलिए... कल वे हमको... मेरा मतलब है... आपको शायद किसी तरह एनगेज रखेंगे....

विक्रम मुस्कराते हुए अपनी जगह से उठता है l और कांफ्रेंस टेबल के पर थोड़ा इधर उधर होता है l फिर महांती की ओर देखते हुए

विक्रम - महांती... सात साल लगे... मैं इस इमेज को बनाने के लिए... भागता रहा... सबको... अपने पीछे छोड़ता रहा... पर आज देखो... कितना बेबस हूँ... मेरा दुश्मन मेरे सामने है... पर मैं मज़बूर हूँ...
महांती - युवराज... वह लोग आपसे दुश्मनी तो कर रहे हैं... पर सीधे सीधे नहीं... और खुल्लमखुल्ला तो हरगिज नहीं... सिर्फ हम जानते हैं... की हमारा दुश्मन कौन है... इसलिए आप भी उन्हीं की तरह सोचिए... आप राजनीति कीजिए... बाकी हम पर छोड़ दीजिए...
विक्रम - सुकांत रॉय... रॉय ग्रुप सिक्युरिटी सर्विस... वह हमसे... यानी ESS से भीड़ रहा है...
महांती - कोई बड़ी बात नहीं है... किसी भी संस्थान को कामयाब होने के लिए.. या सस्टैंन होने के लिए... फाइनैंस चाहिए... जो उसे अब केके दे रहा है... और पोलिटिकल सपोर्ट... उसे चेट्टी से मिल रहा है...
विक्रम - चेट्टी का अभी भी... पोलिटिकल बेस बाकी है...
महांती - क्यूँ नहीं... आखिर वह एक वेटरन है... निरोग हॉस्पिटल के ड्रग्स कांड में... उसका बेटा बदनाम हुआ था... और तब भी वह इंडिपेंडेंट में दुसरे नंबर पर था.. वोट शेयर में...
विक्रम - ह्म्म्म्म... तो इसका मतलब अगर मैं... कुछ अग्रेसिवनेस दिखाऊँ... तो
महांती - तो... वह लोग... आपको हर हाल में.... ऐंगेज रखने की कोशिश करेंगे...
विक्रम - ह्म्म्म्म सिर्फ मुझे... क्यूंकि... छोटे राजा जी... दिल्ली में हैं... और वीर अभी राजगड़ में...
महांती - जी...
विक्रम - तो सवाल यह है कि... मुझे किस तरह से एनगेज रखेंगे...
महांती - मुझे लगता है कि... आपकी प्रॉपर रेकी हो रही होगी... आप उनके नजर में होंगे...
विक्रम - क्या वे... मुझे कटक जाने से रोकेंगे...
महांती - (कुछ सोचते हुए) पता नहीं... पर आप... कल कटक क्यूँ जाएंगे...

विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरती है l वह अपना सिर हिला कर कुछ सोचते हुए l

विक्रम - अदालती कारवाई देखने के लिए... मैं कटक जाऊँगा... और देखूँगा... मुझे कैसे... एनगेज रखते हैं....


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अगले दिन
विश्व खोया खोया हुआ नाश्ता कर रहा है l और द हैल में रुप की भी वही दसा है l रुप के आगे से शुभ्रा थाली चुपके से निकाल लेती है l फिर भी रुप को होश नहीं रहता, वह अपनी चम्मच से खाना उठाने की कोशिश में टेबल पर चम्मच रगड़ती है l उसे यूँ खोया हुआ देख कर शुभ्रा और विक्रम दोनों हैरान होते हैं l

तापस - क्या हुआ लाट साहब... कहाँ खोए हुए हो...
विश्व - (अपने में लौटता है, हकलाते हुए) क कुछ नहीं...
प्रतिभा - कुछ तो है...
विश्व - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं माँ...

शुभ्रा - तो हकला क्यूँ रही हो...
रुप - वह भाभी... मैं हमारे ड्राइविंग स्कुल के.. सुकुमार अंकल के प्रॉब्लम की सॉल्यूशन के बारे में सोच रही थी...

विक्रम - क्या प्रॉब्लम है उनका...
रुप - पता नहीं... मैं आपको ठीक से समझा पाऊँगी भी या नहीं....
विक्रम - फिर भी बताओ...

विश्व पुरी बात बताता है l तापस और प्रतिभा सब सुनने के बाद l

तापस - ह्म्म्म्म... वाकई... बहुत बड़ी प्रॉब्लम है...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... तो कब है.. उनकी शादी की साल गिरह...
विश्व - परसों... एक्चुयली जब तक उनके बच्चे यहाँ नहीं थे... उनकी जिंदगी ठीक चल रही थी... पर अब जब बच्चे आ कर उन्हें अपने साथ ले जाना चाहते हैं....

रुप - तब से... वह अंकल... कुछ डिस्टर्ब्ड लग रहे हैं... और सेलिब्रेशन से भाग रहे हैं... इसलिए हमने सोचा है कि... परसों रात बारह बजे सुकुमार अंकल और आंटी जी को सरप्राइज़ करेंगे....
विक्रम - यह हम कौन कौन हैं...

यह सवाल सुनते ही शुभ्रा के हाथों से चम्मच छूट जाती है l विक्रम शुभ्रा के तरफ देखता है तो शुभ्रा खुद को संभाल लेती है l

रुप - हम मतलब... हम जितने भी सुकुमार अंकल के साथ ड्राइविंग सीख रहे हैं...
विक्रम - ओ... अच्छा... तुम्हें क्या लगता है... मैं तुम्हें रात के बारह बजे की सरप्राइज सेलिब्रेशन के लिए जाने दूँगा...
रुप - (एक नजर विक्रम की ओर देखती है और उसके आँखों में आँखे डाल कर) हाँ... क्यूंकि नंदिनी को उसका भाई... जरूर जाने देगा...
विक्रम - (रुप की जवाब सुन कर हैरान हो जाता है) ठीक है... कैसे जाओगी...
शुभ्रा - मैं उस दिन शाम को... टैक्सी कर चली जाऊँगी... प्रोग्राम खतम होने के बाद... आपको कॉल कर दूंगी... आप आकर मुझे ले जाना....
विक्रम - (कुछ देर के लिए चुप हो जाता है, फिर डायनिंग चेयर पर पीठ सटा कर) ठीक है...


विश्व - थैंक्स डैड...
तापस - थैंक्स कैसा... तुम जानते हो... मुझे चिंता क्यूँ और किसलिए हो रहा है...
विश्व - मैं जानता हूँ डैड... मैं वादा करता हूँ... मैं संभल कर रहूँगा...

विक्रम अपनी जगह से उठता है और रुप के पास जा कर उसके सिर पर हाथ फेरता है, फिर हाथ धो कर अपने कमरे में चला जाता है l कुछ देर बाद वह तैयार हो कर नीचे आता है l

शुभ्रा - (विक्रम से) सुनिए...
विक्रम - जी..
शुभ्रा - आज भी मैं... नंदिनी को छोड़ने जाऊँ...
विक्रम - (मुस्कराते हुए, अपना सिर हिला कर) जी जरूर...

कह कर विक्रम बाहर चला जाता है l विक्रम के जाने के बाद शुभ्रा रुप को मुस्कराते हुए देखती है l

रुप - क्या बात है भाभी... आप... मुझे देख कर... ऐसे क्यूँ मुस्करा रही हैं...
शुभ्रा - चलो... हम गाड़ी में बात करते हुए जाते हैं...

विश्व - माँ... क्या बात है... आज तुम... मुझे कहाँ ले कर जाने वाली हो...
प्रतिभा - कोर्ट...
विश्व - क्यूँ...
प्रतिभा - अरे भुल गया... आज केके ग्रुप के चेयरमैन... कमलाकांत महानायक... जोडार साहब को.. जज के सामने... कंपेंसेशन ड्राफ़्ट देगा....
विश्व - तो मैं वहाँ... जा कर क्या करूंगा...
प्रतिभा - अरे... तेरा... पहला लीगल केस है...
विश्व - पर...
प्रतिभा - कोई पर वर नहीं... चल मेरे साथ... गाड़ी मैं चला रही हूँ... चल...
विश्व - ठीक है...

गाड़ी सरपट दौड़ रही है l अंदर शुभ्रा और रुप बैठे हुए हैं l

रुप - क्या बात है भाभी... आप मन ही मन ऐसे मुस्करा रही हो... जैसे मेरी कोई चोरी पकड़ लिया आपने...
शुभ्रा - हूँम्म्म्म्म्... पकड़ा तो है...
रुप - कैसी चोरी...
शुभ्रा - अच्छा एक बात बताओ... क्या तुम्हें लगता है... की कुछ तुम मिस कर रही हो या... तुमसे कुछ खो गया है... रुप - हाँ... (खोई खोई हुई) शायद

प्रतिभा - एक्जाक्टली... तुम.. नंदिनी को मिस कर रही हो...
विश्व - (हकलाते हुए) क्या... यह.. यह कह रही हो...
प्रतिभा - बिल्कुल सही कह रही हूँ...

रुप - नहीं... आप गलत हो..
शुभ्रा - मैं गलत हूँ... कैसे.. तुम चार महीने से... यहीं हो... पर किसीसे इस कदर अटैच मेंट फिल नहीं हुआ तुम्हें... अब जब ड्राइविंग सेशन खतम होने को आ गई... तुम अब बुझी बुझी सी रहने लगी हो...
रुप - हूँह्ह्... कुछ भी...
शुभ्रा - आज डायनिंग टेबल पर... तुमने जो कहानी कही... वह तुम्हारे फेशियल एक्सप्रेशन से... मैच नहीं हो रही थी...

विश्व - माँ... क्या तुमको लगता है... मैंने डायनिंग टेबल पर कोई झूठ बोला है...
प्रतिभा - नहीं... मैंने कब कहा कि तुने झूठ बोला है... बस तुने पुरी बात नहीं बताई....
विश्व - माँ सुकुमार अंकल की बात... मैंने सौ फीसद सही कहा है...
प्रतिभा - पर उस वक़्त... तेरे दिल में कोई और बात चल रही थी.... उसे छुपाने के लिए... तुने सुकुमार अंकल की कहानी को आगे कर दिया...

रुप - यह... यह आप... कैसे कह सकते हैं...
शुभ्रा - सिंपल... नंदिनी... इन्हीं दो चार दिन में... तुम काफी डिस्टर्ब्ड लग रही हो... या फिर हुई हो... शायद अनाम को ना ढूंढ पाने की वजह से... और... या फिर शायद... प्रताप से बिछड़ ने की खयाल से...
रुप - (थोड़ी गंभीर हो कर) नहीं... नहीं भाभी.... ऐसी कोई बात नहीं... आपको गलतफहमी हो रही है... आप बहुत सोचने जो लगी हो आज कल...

प्रतिभा - नहीं... मुझे कोई गलत फहमी नहीं हुआ है... तु अपने भीतर... खुद से लड़ रहा है... जिसकी टीस तेरे चेहरे पर साफ दिख रहा है...
विश्व - ( घंभीर हो अपना चेहरा नीचे झुका लेता है)
प्रतिभा - तु... नंदिनी को लेकर... अभी भी कंफ्युज्ड है... है ना...
विश्व - हाँ... शायद... (प्रतिभा को देख कर) उनके चेहरे से... उनके बातों से... हर अदा में... मुझे राजकुमारी जी की झलक मिलती है...

रुप - कभी कभी मन में आता है... की मैं... (अपने दोनों हाथ उठा कर) इन्हीं हाथों से उसके गिरेबान को पकड़ुं... और झिंझोडते हुए पुछुं... कौन हो तुम... क्यूँ तुम अनाम जैसे लगते हो... या तुम्हीं अनाम हो...
शुभ्रा - तो एक बार तुम उससे पुछ क्यूँ नहीं लेती...
रुप - पता नहीं भाभी... दिल में हलचल सी होने लगती है... कहीं यह अनाम नहीं हुआ तो...

प्रतिभा - देख... मैं नहीं जानती तुम्हारी राजकुमारी कैसी होगी... पर मुझे तुम्हारी यह नकचढ़ी बहुत पसंद है...
विश्व - (खीज जाता है) माँ... हम दोस्त है... आपस में... हमारे बीच यही तय हुआ था... कि हम इस दोस्ती का खयाल रखेंगे... इज़्ज़त रखेंगे... यही बात है... मैं अबतक नंदिनी जी कुछ भी नहीं पुछ पाया...

शुभ्रा - पर... तुम कब तक किसी मृगतृष्णा के पीछे भागोगी...
रुप - भाभी... मेरा रिश्ता तय हो चुका है... पर मैंने कभी किसीसे कोई वादा लिया था... मैं उसके सामने दोषी नहीं बनना चाहती हूँ... इसलिए मैंने फैसला किया है... इस बार छुट्टी में... चाची माँ के पास जाऊँगी... वहाँ अपने तरीके से... अनाम को ढूंढुंगी... अगर वह मिला... और उसे अगर मेरा इंतजार होगा... तब... शायद मैं कुछ करूंगी... वरना... (चुप हो जाती है)

शुभ्रा गाड़ी को कॉलेज की पार्किंग में लगाती है l रुप उतर कर शुभ्रा को बाय कह कर अंदर चली जाती है l उधर प्रतिभा अपनी गाड़ी को कोर्ट के परिसर में लाती है l विश्व गाड़ी से उतर कर बाहर की ओर जाने लगता है l

प्रतिभा - अरे सुन तो... कहाँ जा रहा है...
विश्व - माँ... यह कोर्ट के अंदर.. तुम देखो... मैं... अपना मुड़ ठीक करने जा रहा हूँ....
प्रतिभा - मुझे यहाँ अकेले छोड़ कर जा रहा है...
विश्व - माँ.. यहाँ मेरा कुछ भी काम नहीं है... सॉरी मैं चला... (जाने लगता है)
प्रतिभा - (चिल्लाते हुए) ठीक है... आ फिर आज घर में... शाम को तेरी टांग ना तोड़ी... तो कहना...
विश्व - (बिना पीछे देखे) ठीक है माँ... बाय...

कह कर कोर्ट परिसर से बाहर निकल जाता है l प्रतिभा मुस्कराते हुए उसे जाते देखती है और फिर वह कोर्ट के अंदर जाने लगती है l


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विक्रम घर से निकल आने के बाद ऑफिस जाने के वजाए पार्टी ऑफिस चला आया था l वहाँ अपने ऑफिस में कुछ देर रुका और साधारण कार्यकर्ताओं से बातचीत वगैरह किया l फिर अपने कमरे से सबको विदा करने के बाद, वह पीछे के रास्ते से भेष बदल कर एक पुरानी मारुति 800 कार लेकर कटक की ओर जाने लगता है l भुवनेश्वर अब पीछे छूट चुका था l नंदन कानन रोड लांघने के बाद उसका फोन बजने लगता है l उसे स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले होता दिखता है l वह अपना ब्लू टूथ ऑन करता है

:- हा हा हा हा... (एक मर्दाना हँसी सुनाई देता है)
विक्रम - कौन है...
:- तेरी मौत...

विक्रम गाड़ी की ब्रेक लगाता है l उसके पीछे वाली गाड़ियां रुक जाती हैं और हॉर्न पे हॉर्न बजाये जाते हैं l

फोन पर :- ना ना विक्रम बाबु... गाड़ी को आगे बढ़ाओ... आप... कोर्ट ही तो जा रहे हो ना...


यह सुन कर विक्रम हैरान होता है और गाड़ी फिर आगे बढ़ाने लगता है l

:- गुड... यह हुई ना... एक जिम्मेदार नागरिक वाली बात...
विक्रम - कौन हो तुम... और तुमको कैसे मालुम हुआ कि...
:- हा हा हा हा... मैं वही हूँ... जो तुम्हारे नजरों में नहीं हूँ... और तुम मेरे नजरों में हो...

विक्रम अब गाड़ी को धीमी रफ्तार से आगे लिए जा रहा था l और सोच रहा था कैसे वह उनके नजरों में आ गया l वह रियर मिरर में देखने लगता है, पर पीछे इतने गाड़ियां आ रही थी के उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कौनसे गाड़ी से उसका पीछा किया जा रहा है l

:- विक्रम तुम यही सोच रहे हो ना... की कौनसे गाड़ी से तुम पर नजर रखी जा रही है...
विक्रम - (हैरानी से भवें तन जाते हैं)
:- हाँ विक्रम... इसे तजुर्बा कहते हैं... जितनी तुम्हारी उम्र नहीं है... मैंने उतने कांड और कारनामें किए हुए हैं...
विक्रम - इतने ही कांड किए हो... तो यूँ छुपे हुए क्यूँ हो... सामने क्यूँ नहीं आते...
:- आ जाएंगे... आ जाएंगे... इतनी जल्दी भी क्या है... पहले तुम कोर्ट की मंजिल तो तय कर लो...
विक्रम - क्यूँ... तुम्हें क्या लगता है... मैं कोर्ट नहीं जा सकता...
:- नहीं... आज तो नहीं...
विक्रम - कौन रोकेगा मुझे...
:- क्या अभी भी तुम्हें शक़ है... तुम कब के रोक दिए गए हो...
विक्रम - अच्छा... मजाक अच्छा है... मुझे सामने कोर्ट दिख रहा है...
:- हाँ वह इसलिए... की तुम अभी... त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर हो...
विक्रम - हाँ... मतलब... मैं पुरी तरह से... तुम्हारे सर्विलांस में हूँ...
:- बिल्कुल... कोई शक़...
विक्रम - मुझे कोर्ट की लाल बिल्डिंग दिख रही है... फिर भी... तुम कह रहे हो... मैं कोर्ट तक नहीं पहुँच सकता...
:- नहीं...
विक्रम - कैसे...
:- ऐसे...

अचानक विक्रम की आगे वाली गाड़ी रुक जाती है l विक्रम झट से अपनी गाड़ी में ब्रेक लगाता है lसिर्फ विक्रम की गाड़ी नहीं त्रिशूलीया ब्रिज के ऊपर विक्रम के गाड़ी के आगे और पीछे गाड़ियों की अंबार लग जाता है l सिर्फ गाडियों की हॉर्न सुनाई देता है l विक्रम गाड़ी से बाहर निकालता है तो देखता है ब्रिज के ऊपर कुछ गाडियों के बीच टक्कर हुई है l इसलिए रोड पुरी तरह से जाम हो गया है l अब उसके पीछे इतने गाड़ियां रुक गई हैं कि गाड़ी घुमा कर पीछे लौट कर जाया नहीं जा सकता है l वह गाड़ी वहीँ छोड़ कर आगे बढ़ने लगता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l विक्रम स्क्रीन पर देखता है तो प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l विक्रम फोन उठाता है

:- देखा... तुम्हें कोर्ट दिख रहा होगा... पर तुम कोर्ट पहुँच नहीं पाओगे....

विक्रम अपने चारों तरफ नजर घुमाता है और अपने चारों तरफ की नजरों को अपने तरफ घूरते हुए पाता है l

विक्रम - तुम आज मुझे रोक कर... क्या साबित करना चाहते हो...
:- यही के तुम एक दूध पीते बच्चे हो... मैं जब चाहे तुम्हें रोक सकता हूँ... पर तुम मुझे नहीं रोक सकते हो...
विक्रम - छुपे हुए हो...
:- हाँ... फिर भी मेरी मुट्ठी में तुम्हारी चुटीया है...
विक्रम - मैं अकेले पैदल जा रहा हूँ...
:- हाँ.. यह कोशिश भी करके देख लो... कहीं तुम्हारी जिद तुम्हारी बीवी पर भारी ना पड़ जाए...

विक्रम के कदम रुक जाते हैं, उसे अपने जिस्म पर झुरझुरी सी महसुस होने लगती है l

विक्रम - (कांपती हुई आवाज़ में) क्या.. क्या कहा तुमने...
:- यही... की तुम कोर्ट तक पहुँचने के वजाए... अपनी बीवी तक पहुँचो... कहीं देर ना हो जाए...

विक्रम झट से फोन कट कर देता है और महांती को फोन लगाता है l

महांती - जी युवराज...
विक्रम - म.. महांती... (हांफते हुए)
महांती - आप हांफ क्यूँ रहे हैं...
विक्रम - वह.. वह युवराणी...
महांती - क्या हुआ उन्हें...
विक्रम - उनके सेक्योरिटी...
महांती - युवराज... आप घबराइए मत... उनके साथ हमारे स्पेशल ट्रूप के आठ गार्ड्स सिक्युरिटी हैं...
विक्रम - गुड... मुझे कंफर्म कराओ.. प्लीज..
महांती - ओके...

महांती का फोन कट जाते ही फिर उसी प्राइवेट नंबर से विक्रम को कॉल आता है l

विक्रम - हे..हैलो...
:- देखा आवाज में.. अदबी आ गई ना.. हा हा हा हा...
विक्रम - हँस मत कुत्ते... हँस मत... आज तुमने मेरी पत्नी की बात कर बड़ी गुस्ताखी कर दी है...
:- गुस्ताखी... तुम क्षेत्रपालों को... सम्मान कोई देता भी है... सब डर के मारे सम्मान देते हैं... और मैंने तुम क्षेत्रपालों से डरना छोड़ दिया है... मेरे ना आगे कोई है... ना मेरे बाद कोई है... डरना किस लिए फिर...
विक्रम - ओंकार चेट्टी...
:- हा हा हा हा... पहचान गए... अपने अंकल को...
विक्रम - हाँ... तु भी पहचान ले अपनी मौत को...
चेट्टी - फिर से बे अदबी...
विक्रम - कुछ भी कर लेता... पर शुभ्रा जी का रास्ता काटने की गलती कर बैठा है... बहुत पछतायेगा...
चेट्टी - कौन... वह सामंत राय की बेटी... मेरे बेटे की.... और मेरी बर्बादी की वजह...
विक्रम - कमीने...
चेट्टी - तुम क्षेत्रपालों से बहुत कम... खैर पहले... कंफर्म तो हो जा... तेरी बीवी सेफ है या नहीं...

चेट्टी का फोन कट जाता है l तभी विक्रम के मोबाइल पर महांती का कॉल आता है l

विक्रम - हैलो... (और कुछ पुछने हिम्मत नहीं हो रही थी)
महांती - युवराज... युवराणी जी की सिक्युरिटी ब्रीच हुई है...

विक्रम का हाथ पैर सब कांपने लगते हैं l महांती आगे क्या कह रहा था उसके कानों में जा नहीं रहा था l विक्रम महांती का कॉल काट देता है, और कार के बोनेट पर धप कर बैठ जाता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l डिस्प्ले में इसबार नंबर और नाम साफ दिख रहा था l ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी l शायद ट्रू कॉलर के वजह से l विक्रम कॉल उठाता है

विक्रम - कैसे...
चेट्टी - हैकिंग से... तेरे घर की सर्विलांस हैक किया गया... तेरी बीवी की ड्रेस से मिलती जुलती ड्रेस... एक डमी को पहना कर.. तेरी बीवी की मॉडल गाड़ी में बिठा कर... सेम नंबर प्लेट.. लगा कर बस इंतजार किया... तेरी बीवी... तेरी बहन को कॉलेज ड्रॉप कर आने के बाद... जयदेव विहार के ओवर ब्रिज के नीचे... हमारी गाड़ी तेरी बीवी की गाड़ी से सट गई... तेरी बीवी की सिक्युरिटी में आए गार्ड्स... अच्छी खासी दूरी बनाए हुए थे... इसलिए हमने उन्हें डमी के पीछे आने के लिए पोजीशन बनाया... वह बेवकूफ... तेरी बीवी को छोड़.. हमारे डमी की सिक्युरिटी में लग गए... यह है ESS की चुस्ती.... हा हा हा...

विक्रम तुरंत चेट्टी का फोन काट कर शुभ्रा को लगाता है l पर शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l बार बार कोशिश के बाद भी शुभ्रा का फोन नहीं लगता है l वह चिढ़ कर गुस्से से कार के बोनेट पर घुसा मारने लगता है I इतने में उसका फोन फिर बजने लगता है l विक्रम कांपते हुए हाथों से फोन उठाता है l

चेट्टी - तेरी बीवी को फोन लगाने से... कोई फायदा नहीं होगा... मेरे सिक्युरिटी गार्ड्स... मोबाइल जैमर के जरिए... उसकी फोन सिग्नल... जैम कर दिया है... और अपनी हिफाजत में xxx मॉल के अंडरग्राउंड पार्किंग में ले गए हैं... अगर बचा सकता है... तो जा कर बचा ले...

फोन कट जाता है l विक्रम अब गाडियों पर चढ़ते हुए भुवनेश्वर की ओर भागने लगता है l ब्रिज के छोर पर पहुँच कर वहाँ पर खड़े बंदे से बाइक छिन कर xxx मॉल के तरफ बाइक भगाता है
भाई ये हुई न बात। कितने ही अपडेट से पक रहे थे हम। अब फुर्ती आई है।
चेट्टी पर ही शक था उस अंजान आदमी के होने का। उसका गुस्सा जायज़ है - misplaced लेकिन जायज़। अपना बेटा खोया है उसने, नाराज़ तो रहेगा ही। खैर!
वैसे अगर शुभ्रा को कुछ हुआ तो विक्रम के लिए वो बेहद बड़ी सज़ा होगी। दूध का धोया तो कोई भी नहीं है। शायद चेट्टी चाहता है कि विक्रम फड़फड़ाए। इसीलिए उसने उसके साथ खेलना शुरू कर दिया है।
छुपे रहने में चेट्टी के पास एक अलग ही तरह का control था। अब वो जाता रहा। उधर विक्रम और विश्व की मुलाकात की संभावना फिलहाल कम होती दिख रही है। या शायद नहीं। हो सकता है कि विश्व ही शुभ्रा को बचाये। भाई बोली थी वो उनको।
बढ़िया जाल बुना है आपने👌👌👌👌👌
बढ़िया रोमांच ,👌
 

Abhay@1

Member
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Bhut sunder update... Lekin shyad aadha hi post kiya aapne naag Bhai...
Subhra ko to veer bacha lega ,jaha tak mera thought hai...
And
I think ab 1-2 update me anaam ki asliyat samne aa jayegi....
Intejaar agle update ki..
 
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