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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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सुबह हो कर 10 भी बज गए। उत्सुकता के साथ बेसब्री भी जुड़ा हुआ है इंतेजार में।
 

Kala Nag

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दोस्तों अपडेट लिख चुका हूँ पर इस बार मैं संतुष्ट नहीं हो पा रहा हूँ
उसे रिफाइन कर रहा हूँ
इसलिए थोड़ा धैर्य धरें मैं शाम तक पोस्ट कर दूँगा
 

parkas

Well-Known Member
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दोस्तों अपडेट लिख चुका हूँ पर इस बार मैं संतुष्ट नहीं हो पा रहा हूँ
उसे रिफाइन कर रहा हूँ
इसलिए थोड़ा धैर्य धरें मैं शाम तक पोस्ट कर दूँगा
Intezaar rahega....
 
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दोस्तों अपडेट लिख चुका हूँ पर इस बार मैं संतुष्ट नहीं हो पा रहा हूँ
उसे रिफाइन कर रहा हूँ
इसलिए थोड़ा धैर्य धरें मैं शाम तक पोस्ट कर दूँगा
कोई ना हम इंतेजार कर लेंगे
 

Kala Nag

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👉पचहत्तरवां अपडेट
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गाड़ी के अंदर एक चुप्पी सी छाई हुई है और गाड़ी काले रंग के रोड पर भागी जा रही है l चुप्पी को तोड़ने के लिए और बातों को आगे बढ़ाने के लिए शुभ्रा एक गहरी सांस लेती है

शुभ्रा - फिर.. फिर क्या हुआ...
रुप - वह अगली बार का... सरप्राइज वाली बधाई... आठ साल बाद... यानी आज मिली... पर देने वाला अनाम नहीं था... या फिर... था...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म... यह बहुत बड़ा कंनफ्युजन है...
रुप - यही तो...
शुभ्रा - पर सौ बात की एक बात... तुम्हें जो बधाई मिलनी चाहिए थी... वह मिल गई... वह भी भगवान के घर... यानी... उस बधाई कि... तुम हकदार थी...
रुप - हुँम्म...

प्रतिभा - तुमने वह शब्द... और बधाई... जो राजकुमारी के लिए बचा कर रखे थे... आज नंदिनी को डेडीकेटे कर दिया...
विश्व - हाँ माँ.. पता नहीं कैसे... पर... स्पंटेनियस्ली... मेरे मुहँ से निकल गया...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... तो क्या तुझे इस बात का... दुख है...
विश्व - नहीं... या फिर पता नहीं... पर जिंदगी का वह किस्सा... वह हिस्सा... फिरसे याद आ गया... जिसे शायद... मैंने भुला दिया था...
प्रतिभा - क्या... (हैरान हो कर) भुल गए थे...
विश्व - हाँ शायद...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... अच्छा... तुम्हारे उस राजकुमारी का जन्मदिन कब है...
विश्व - (चौंकते हुए) क्या... क्या कहा आपने...
प्रतिभा - यही की तुम्हारे उस राजकुमारी का बर्थ डे कब है... या था...
विश्व - ओह.. माय गॉड...
प्रतिभा - क्या... क्या हुआ...
विश्व - माँ... आ.. आज...
प्रतिभा - (ब्रेक लगाते हुए) व्हाट...
विश्व - ह.. हाँ... आज ही के दिन... उनका बर्थ डे मनाते थे हम..
प्रतिभा - एक मिनट... मेरे तरफ पीठ कर के मुड़...
विश्व - क्यूँ...
प्रतिभा - कहा ना मुड़...

विश्व प्रतिभा के तरफ पीठ करके बैठ जाता है l प्रतिभा उसके गर्दन के पीछे देखने लगती है l

विश्व - क्या.. क्या देख रही हो माँ..
प्रतिभा - तेरी उस राजकुमारी नाम...

शुभ्रा - वैसे तुमने... अनाम के गर्दन के पीछे... क्या नाम गुदवाया था...
रुप - रुप...
शुभ्रा - क्या... रुप... तुम नाम गुदवाया रुप का... और यहाँ... नंदिनी की नाम से पहचान बना रही हो...
रुप - क्यूंकि... मैं तब जानती ही नहीं थी... के कभी क्षेत्रपाल महल से निकल कर... भुवनेश्वर में आ सकती हूँ...
शुभ्रा - तो... तुम्हें रुप नाम से चिढ़ क्यूँ है...
रुप - है... बस है.. रुप को कोई आजादी हासिल नहीं थी... मैं उसे दोहराना नहीं चाहती थी... रुप एक लुजर थी... हमेशा हार जाती थी... इसलिए कुछ दिनों के लिए ही सही... मैं नंदिनी बन कर जीना चाहती हूँ...
शुभ्रा - पर अनाम... नंदिनी को थोड़े ही ढूंढेगा...

प्रतिभा - (अनाम के गर्दन को देखने के बाद) नंदिनी...
अनाम - (चौंक कर) क्या...
प्रतिभा - छेड़ रही थी... रुप लिखा है... हूँह्.... हो गया बेड़ा गर्क...
विश्व - अब क्या हुआ माँ...
प्रतिभा - तेरी राजकुमारी का नाम तो... रुप निकला रे...
विश्व - (मुस्करा कर) अच्छा... तो उनका नाम रुप है..
प्रतिभा - क्यूँ... तुझे मालुम नहीं था...
विश्व - तुम्हारी कसम माँ... मुझे आज ही पता चला... वह भी तुमसे... पर तुम उनके नाम से ऐसे क्यूँ रिएक्ट किया...
प्रतिभा - सोच रही थी... कास नंदिनी नाम गुदा होता...
विश्व - अब तुम फिर शुरु हो गई...
प्रतिभा - पता नहीं क्यूँ... मेरा दिल कह रहा है... जो हुआ वह बेवजह नहीं था...
विश्व - (चुप रहता है, और खिड़की के बाहर झांकने लगता है)
प्रतिभा - अच्छा... यह बता... नंदिनी तुझे कैसी लगी... (विश्व प्रतिभा की ओर देखता है) दुबारा मिलना नहीं चाहोगे...
विश्व - (प्रतिभा को एक टक देखते हुए) नहीं...
प्रतिभा - क्यूँ... कुछ गलत हुआ क्या...
विश्व - (अपनी नजरें फ़ेर लेता है)(बाहर की ओर देखते हुए) माँ... उनकी आँखों में... एक गजब की.. चमक थी... उनकी चेहरे पर... एक जबरदस्त कशिश थी... जब उन्होंने मुझे थप्पड़ मारा... तब पहली बार.. मैंने... किसीके चेहरे को... किसके आँखों में देख रहा था... असल बात यह थी माँ... की मैं उनके तरफ खिंचता चला जा रहा था... मेरे मुहँ से वह शब्द ऐसे ही निकल गए... जिन्हें मैंने सिर्फ़ राजकुमारी जी के लिए संजोए थे... नंदिनी जी बहुत खुश हुई... उस कबूतर को आसमान में छोड़ते हुए... पर... तभी... तभी मेरे अंदर से मुझे गिल्ट फिल होने लगा... जैसे... जैसे मैं कोई धोका कर रहा हूँ... इसलिए मैं वहाँ से फौरन चला आया...
प्रतिभा - ओ... उसके बाद तुझे... राजकुमारी... और उनके साथ बिताए पल बुरी तरह से याद आई...
विश्व - (अपना सिर झुका लेता है)
प्रतिभा - प्रताप... मेरी तरफ देखो...
विश्व - (प्रतिभा की तरफ देखता है)
प्रतिभा - सच सच बताना... क्या तु.. राजकुमारी रुप से प्यार करता है...

रुप - नहीं जानती भाभी...
शुभ्रा - और तुम...
रुप - (चुप रहती है)
शुभ्रा - सपोज... फर्ज करो... अनाम ही प्रताप निकला तो...
रुप - (आँखे बड़ी हो जाती हैं, और वह शुभ्रा की ओर हैरानी भरी नजर से देखने लगती है)
शुभ्रा - क्या बात है... नंदिनी... तुम अनाम का असली नाम नहीं जानती... और अनाम अगर तुम्हारा नाम जान भी लिया हो... तो वह रुप को ढूंढेगा... नंदिनी को नहीं...
रुप - (चेहरा मायूस हो जाता है और अपना चेहरा झुका लेती है)
शुभ्रा - एक बात तो है नंदिनी... जो मैं समझ पाई... तुम्हें प्रताप तभी स्वीकार होगा... जब वह अनाम होगा... वरना तुम्हें... प्रताप स्वीकार नहीं है...

प्रतिभा - तुम रुप से प्यार करते हो...
विश्व - नहीं... नहीं..
प्रतिभा - हाँ...
विश्व - नहीं...
प्रतिभा - हाँ करते हो...
विश्व - नहीं करता...
प्रतिभा - हाँ करते हो...
विश्व - नहीं करता...
प्रतिभा - नहीं करते..
विश्व - हाँ करता हूँ...
प्रतिभा - (हँसती है) हा हा हा हा हा... आख़िर दिल की बात... जुबान पर आ ही गई...
विश्व - (झेप जाता है और अपनी नजर फ़ेर लेता है)
प्रतिभा - तुम भले ही रुप से... उम्र में आठ साल बड़े थे... पर उसके लिए तुम जिस फिलिंग को अनुकंपा कह रहे हो... वह प्यार ही था... (विश्व प्रतिभा को देखता है) हाँ बेटा... वह प्यार ही है... क्यूंकि रुप की बात करते हुए... उसके साथ बिताए पल को याद करते हुए... तेरे चेहरे पर जो चमक... और आवाज में जो खुशी मैंने देखी है... महसूस किया है.. वह प्यार ही है... (विश्व कुछ कहना चाहता है पर कह नहीं पाता है) वह प्यार ही था... जो तुम्हें नंदिनी के पास जाने पर गिल्ट फिल करा रहा है... यह उम्र.. उम्र की फासले... जात पात... ऊँच नीच... सब कहने की बातेँ हैं... वह कहते हैं ना...
ना उम्र की सीमा हो
ना जनम बंधन
जब प्यार करे कोई
देखे केवल मन
विश्व - माँ... मैं... मैं नंदनी जी से... फिर कभी नहीं मिलूंगा...
प्रतिभा - जानता है.. अगर तेरे डैड यहाँ होते... तो क्या अर्ज़ करते.... (विश्व प्रतिभा के चेहरे को देखता है)
मुद्दई कितना भी सोच ले...
क्या होता है...
वही होता है जो मंजुर ए...
खुदा होता है...

रुप - मैं... प्रताप से फिर कभी नहीं मिलूंगी...
शुभ्रा - क्यूँ...
रुप - आपने ठीक कहा भाभी... मैं प्रताप में शायद अनाम को खोजने लगी थी... अब मैं नहीं भटकने वाली... मैं अब फिर कभी प्रताप से नहीं मिलूंगी...

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वीर को अनु की कही बात भा गई थी l उसे अपने मन में गिल्ट फिल हो रहा था l क्यूँकी आज उसकी बहन का जन्मदिन उसकी भाभी ने मनाया पर वह उसे विश तक नहीं कर पाया l अनु एक आम लड़की थी और उसने वीर के साथ अपने पिता के साथ बिताए पल को दुबारा जिया था l यही बात भी वीर को कचोटती रही l इसलिए उसने फैसला किया कि आज घर लौटने से पहले वह कॉलेज में रुप को विश करेगा l इसी तरह सोचते हुए कॉलेज पहुँचता है l इतने दिनों बाद वीर को कॉलेज में देख कर सभी स्टूडेंट्स उसके तरफ ही देखने लगते हैं l वीर पहले कैन्टीन की तरफ बढ़ने लगता है l उसे देख कर सारे स्टूडेंट्स उसके रास्ते से हट जाते हैं l वीर कैन्टीन के अंदर पहुँचता है I उसके पहुँचते ही कैन्टीन में एक दम शांति छा जाती है l इतनी शांति, के केतली से चाय ग्लास में डालने की आवाज़ तक आखिरी कोने में साफ सुनाई देता है l वीर देखता है रुप के करीबी दोस्त सभी एक टेबल पर बैठे हुए हैं l वीर उनके पास जा कर खड़ा हो जाता है l उसके खड़े होते ही सबकी हालत ऐसी हो जाती है जैसे सांप सूँघ गया हो l सबसे ज्यादा हालत खराब दीप्ति की हो जाती है l

वीर - हैलो... गर्ल्स...
सब - (चुप रहते हैं)
वीर - मैंने कहा हैलो..
सब - हे.. हैल.. हैलो..(बड़ी मुस्किल से कह पाती हैं)
वीर - राजकुमारी जी... नहीं आयी अब तक...
सब - जी.. जी नहीं...
वीर - हूँ... ठीक है... क्या आप जानते हैं.. आज उनका जन्मदिन है...
सब - (पहले एक दुसरे को देखते हैं) जी मालुम है...
बनानी - इनफैक्ट... हम... उन्हीं को विश करने के लिए यहाँ पर इंतजार कर रहे हैं...
वीर - आप लोगों के कैसे मालुम... आज उनका जन्मदिन है....
तब्बसुम - यह तो उनके आइडेंटिटी कार्ड पर लिखा हुआ है...
वीर - ह्म्म्म्म... ओके... यु कैरी ऑन...

वीर उतना कह कर वहाँ से चला जाता है l वह सोचने लगता है रुप को विश करने के लिए उसके दोस्त हैं l पर रिश्तेदारों में सिर्फ भाभी अकेली हैं l भाभी नौकरों को बधाई के विश के बदले रिटर्न गिफ्ट के नाते कुछ पैसे दिए हैं l वह जा कर बॉटनीकल गार्डन में एक बेंच पर बैठ जाता है l वह सोचने लगता है उसका जन्मदिन पहले राजगड़ में सिर्फ महल की मंदिर में उसकी माँ की पूजा-अर्चना से शुरू हो कर रात को रंगमहल की महफ़िल में खतम होती थी l उसे कभी किसी और ने विश किया ही नहीं l कौन करता, कोई दोस्त होता तब ना l आज उसके दुश्मन हैं, मुलाजिम हैं, गुलाम भी हैं पर कोई दोस्त नहीं है, और वह सब उसके खाते के नहीं हैं l या तो राजा साहब के हैं, या युवराज जी के हिस्से के हैं l एक अनु है, जो उसके खाते में आती है, पर अनु के साथ उसका क्या रिस्ता है l वीर उस गार्डन से उठता है और अपनी क्लास की ओर जाने लगता है l वह अपनी सोच में इस कदर खोया हुआ है कि कब उसका क्लास रुम पीछे छूट गया उसे मालुम नहीं पड़ा l उसे एहसास तब होता है जब वह कॉरिडोर के आखिरी छोर पर पहुँचता है l वह खुद को संभालता है और अपने क्लास के बाहर पहुँचता है l वीर क्लास के अंदर एक नजर डालता है l एक प्रोफेसर पढ़ाते पढ़ाते रुक जाता है l सभी दरवाजे के तरफ देखते हैं l वीर को देखते ही सबसे पहले वाले रो में बैठे सारे स्टूडेंट्स वहाँ से उठ कर सबसे पीछे वाले बेंच पर बैठ जाते हैं l वीर जाकर खाली हुई बेंच पर बैठ जाता है l प्रोफेसर अपना चश्मा दुरुस्त करता है और फिर पढ़ाने लगता है l

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गाड़ी भुवनेश्वर के वजाए कटक में एक घर के पार्किंग में आकर रुकती है l कबसे खोया खोया बैठा विश्व गाड़ी के रुकते ही अपनी चारो तरफ देखने लगता है l

विश्व - यह हम कहाँ आ गए माँ...
प्रतिभा - अपने घर...
विश्व - क्या... वह... सरकारी क्वार्टर...
प्रतिभा - अरे सेनापति जी ने वीआरएस ले लिया था... तो सरकार को क्वार्टर लौटाना था.. इसलिए उसे लौटा कर इसे खरीद लिया...
विश्व - (गाड़ी से उतर कर) तो.. घर कटक में क्यूँ ली...
प्रतिभा - इसलिए क्यूंकि हाई कोर्ट कटक में है...
विश्व - क्या सिर्फ इसलिए...
प्रतिभा - अब सेनापति जी ने खरीदा है... तो मुझे यही बताना पड़ेगा ना...
विश्व - मतलब..
प्रतिभा - मतलब यह कि सेनापति जी कब क्या करते हैं... शादी के इतने साल बाद भी मुझे समझ में नहीं आया अब तक...
विश्व - ऐसा क्यूँ...
प्रतिभा - पहले बताये... भुवनेश्वर पटीया में घर ले लिया... पर जब सामान शिफ्ट कराए... तब मालुम हुआ... नया घर... कटक के बक्शी जगबंधु नगर में लिया गया है...
विश्व - (हँसता है) और आप कह रहीं थी... सेनापति जी को सरप्राइज में सिवाय ऊटपटांग शायरी के कुछ देना नहीं आता...
प्रतिभा - अच्छा... अब तु उनकी तरफदारी करेगा... जा मैं तुझसे बात नहीं करती...
विश्व - माँ... इसमें तरफदारी वाली बात कहाँ से आ गई...

दोनों घर के बरामदे के पास पहुँचते हैं l वहाँ पर दोनों पहुँचते ही देखते हैं, पहले से ही वहाँ पर तापस और विश्व के चारों दोस्त मौजूद हैं l

सीलु - (चिल्लाता है) या.. आ.. भाई आ गए...
प्रतिभा - चिल्ला क्यूँ रहा है लफंडर...
सीलु - क्या... आंटी भाई आया है... और खुशी से हम चिल्लाए भी ना...
जिलु - हाँ आंटी... सेनापति सर ने हमें तब से बाहर खड़ा रखा है... और कहा जब तक प्रताप भाई नहीं आ जाते.. तब तक हमें बाहर ऐसे ही... पता नहीं किसीकी नजर से बचाने के लिए.... बिजूका पुतले की तरह... हमें बाहर खड़ा कर दिया...
प्रतिभा - यह बिजूका पुतला क्या होता है...
तापस - (तभी वहाँ पहुँचता है) स्कैर क्रो भाग्यवान...स्कैर क्रो... वह जो पुतला खेत में लगा कर कौवों को डराते हैं...
प्रतिभा - ओ...
तास - अच्छा मंदिर हो आई...
प्रतिभा - हाँ... यह लोग आपके...
सीलु - जमकर प्रशंसा कर रहे थे... है ना आंटी...(हाथ जोड़ते हुए)
प्रतिभा - (तापस की ओर देख कर)हूँ... घर के अंदर जाने का कोई मुहूर्त है क्या...
तापस - नहीं... जब तुम्हारे प्रताप का गृह प्रवेश हो जाए... वही मुहूर्त है...
प्रतिभा - ठीक है... तो कहिए अपने लाडले से... वह अंदर जाए....
तापस - मेरा लाडला... या तुम्हारा लाडला...
प्रतिभा - नहीं मेरा नहीं... आपका...
तापस - क्या...(विश्व के तरफ देख कर भवें उठा कर इशारे से पूछता है) क्या माजरा है...
विश्व - (इशारे से अपने दोनों हाथों के अंगूठे से अपने तरफ करता है फिर दोनों अंगूठे को हिला कर मना करता है) मुझ पर नहीं.... (अपने दोनों तर्जनीओं एक दुसरे पर घुमा कर फिर दोनों तर्जनी को तापस की ओर करता है और अपने होठों को तिरछी कर उठाता है) आप पर गुस्सा है...
तापस - (अपनी आँखे बड़ी करके चेहरे को थोड़ा पीछे करता है) मुझ पर क्यूँ...
प्रतिभा - हो गया... अब बस... तुम दोनों इशारों में बात करना बंद करो...
सीलु - क्या हुआ आंटी...
प्रतिभा - (उसे घूर कर देखती है)
तापस - ओ हो भाग्यवान... अब गुस्सा थू को... और अपने बेटे के साथ अंदर आओ...
प्रतिभा - (अब अपना मुहँ फ़ेर लेती है)
तापस - (अब विश्व को देख कर फिर से भवें उठा कर इशारे से पूछता है क्या करें )
विश्व - (अपना एक हाथ कान पर रख कर दूसरे हाथ से गाने को इशारा करता है)
तापस - (सिर हिला कर ना करता है)
विश्व - (अपनी आँखे बड़ी करते हुए तापस को देखता है)
तापस - (गाते हुए) तेरा धियान किधर है...
तेरा हीरो इधर है...
विश्व के साथ साथ उसके दोस्त गाने के ताल में ताली बजाने लगते हैं l प्रतिभा शर्मा जाती है l

प्रतिभा - यह क्या है... छी.. कुछ तो शर्म करो... बुढ़ापा है...
तापस - ऐ मेरी जोहरा जबीं...
तुझे मालूम नहीं....
तु अभी तक है हंसी
और मैं जवान...
तुझ पे कुर्बान... मेरी जान.. मेरी जान...
प्रतिभा - (शर्मा कर अपनी दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है)
विश्व - वाह डैड... वाह... क्या बात है... बस एक कसर बाकी रह गई...
तापस - वह क्या...
विश्व - आप माँ को बाहों में उठा कर... घर के अंदर जाना बाकी है...
तापस - ऑए मरदूत... इस उम्र में... मुझसे यह करवाना चाहता है... कहीं कमर अकड़ बकड़ गया तो...
प्रतिभा - आप कहना क्या चाहते हैं...
तापस - अरे भाग्यवान... अब कहाँ मेरी उम्र तुम्हें उठाने की रही... मैं यह कह रहा था.. की मैं... (प्रतिभा अपनी आँखे सिकुड़ कर जबड़े भींच कर देखने लगती है) मेरे बाल में रंग लगे हुए हैं....
विश्व - बस बस डैड... आप ना सही... मैं तो उठा सकता हूँ...

जिलु सीलु सब ताली मारने लगते हैं l इससे पहले प्रतिभा कुछ समझ पाती विश्व प्रतिभा को अपनी बाहों में उठा कर घर के अंदर जाने लगता है l

प्रतिभा - आरे... बेशरम क्या कर रहा है... उतार मुझे... आह... सेनापति जी... देखिए इसे
तापस - शाबाश... बेटे... अब घर के अंदर ही उतारना...

विश्व पहले घर के अंदर जाता है उसके पीछे सभी आते हैं, विश्व प्रतिभा को नीचे उतारता है l प्रतिभा उतरने के बाद विश्व के कंधे पर मारने लगती है l विश्व भागने लगता है l फिर प्रतिभा सोफ़े पर बैठ जाता है l विश्व आकर उसके गोद में सिर रख कर नीचे बैठ जाता है l प्रतिभा विश्व के बालों पर प्यार से हाथ फ़ेरने लगती है, फिर तापस को देख कर

प्रतिभा - गृह प्रवेश हो गया सेनापति जी... अब क्या करें...
तापस - अब आप किचन में जाएं और दूध उबालें...
प्रतिभा - हाँ यह बात आपने ठीक कही...
तापस - पर... उससे पहले... अपने बेटे को वह देदो... जो कल आपने उसके लिए बड़ी चाव से खरीदा है...
प्रतिभा - अरे हाँ... लाइये ना प्लीज वह पैकेट...
विश्व - क.. कैसा पैकेट.. और क्या देना चाहती हो माँ...
प्रतिभा - तु उतावला बहुत हो रहा है... थोड़ी देर के लिए रुक तो सही...

तापस एक छोटा सा पैकेट बढ़ाता है l प्रतिभा वह पैकेट खोलती है l उसके अंदर से एक मोबाइल फोन निकाल कर विश्व को देती है l

विश्व - यह... यह किसलिए माँ...
प्रतिभा - अब तुझे इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है... फर्ज कर कोई गर्ल फ्रेंड् बन गई... तो हम से छुप कर चैटिंग कर लिया करना...

विश्व के सभी दोस्त हे...है... करते हुए ताली बजाने लगते हैं l

तापस - इसमें सिर्फ एक ही नंबर सेव है... देख लो...

विश्व - (फोन के लिस्ट में देखता है सिर्फ एक ही नंबर सेव है) (दीदी)
प्रतिभा - चल फोन लगा...
विश्व - (हैरानी से प्रतिभा को देखने लगता है) दी.. दीदी.. कब से... फोन रखने लगी...
प्रतिभा - जब से तु लॉ करने लगा... खैर... वह सब बाद में... आज तु बाहर आ गया है... यह बात तु खुद उसको बता...
विश्व - क.. क्या... म.. मैं..
तापस - हाँ.. जो खुशी उसकी अपनी थी... उसे हमने हथिया लिया... पर उस बेचारी को खबर कर दो... उसे दूर से ही सही... थोड़ी खुशी तो मिल जाएगी...
प्रतिभा - हाँ.. चल लगा... और हाँ स्पीकर पर डालना...
विश्व - (फोन लगाता है, फोन रिंग होने की आवाज सुनाई देती है, थोड़ी देर बाद वह फोन उठा लेती है)
वैदेही - हैलो...
विश्व - (आँखों से आँसू टपक पड़ते हैं) (वह कुछ कह नहीं पाता)
वैदेही - हैलो... कौन... (वैदेही फोन को कान में लगा कर कुछ समझने की कोशिश करती है कि अचानक उसकी आँखे बड़ी हो जाती है) विशु...
विश्व - (आवाज़ भर्रा जाती है) आ.. आप.. ने.. पहचान लीआ दीदी...
वैदेही - विशु.. यह.. यह किसका फोन है...
विश्व - म.. म.. मेरा है... मतलब माँ ने दिया है... पर.. तुमने बताया नहीं... तुम्हें कैसे पता चला के इस तरफ मैं हूँ...
वैदेही - तु मेरा भाई कम... बेटा ज्यादा है... और पुछ रहा है मुझे कैसे पता चला... अभी तु मासी के पास है क्या...
प्रतिभा - हाँ.. मेरे पास ही है... आज ही आया..
वैदेही - अच्छी बात है मासी... विशु...
विश्व - ह्ँ.. हाँ दीदी.. (फिर कुछ देर ख़ामोशी) क.. क्या हुआ दीदी...
वैदेही - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं... विशु... तु आज उनके पास है... जिनको तेरी जरूरत है... यहाँ... यहाँ पर किसीको तु याद भी नहीं है... सबने भुला दिया है...
विश्व - इसी लिए तो... मेरी वहाँ पर सख्त जरूरत है... क्यूंकि कर्जदार हूँ मैं... कर्ज उतारना ही है...
वैदेही - (चुप रहती है)
विश्व - वहाँ पर किसीको मेरी जरूरत हो... ना हो... तुमको मेरी जरूरत है... और मैं आऊंगा...
वैदेही - हूँ... (कह कर फोन काट देती है)
विश्व - दीदी... दीदी...
तापस - वह रो रही होगी... अब वह नहीं उठाएगी...

विश्व का चेहरा गम्भीर हो जाता है जबड़ा भींच जाता है, यह देख कर प्रतिभा तापस को इशारा करती है l तापस वहाँ से उठ कर एक और पैकेट लाता है l

तापस - (विश्व से) यह लो... एक गिफ्ट तुम्हें माँ ने दिया... और एक गिफ्ट मेरी तरफ से...
विश्व - फिर एक गिफ्ट... इसमें क.. क्या है...
प्रतिभा - सवाल नहीं... चुपचाप खोल कर देख लो..

विश्व गिफ्ट खोलता है तो उसमें उसे जी शॉक की एक घड़ी मिलती है l

विश्व - यह.. क्यूँ...
तापस - माँ ने मोबाइल दिया... अब डैड से घड़ी ले लो...

विश्व मुस्करा देता है l तापस वह घड़ी लेकर विश्व को पहना देता है l

सीलु - वैसे अंकल... यहाँ पर इतने कमरे क्यूँ हैं...
मिलु - हाँ... मैं भी कब से यही सोच रहा हूँ...
प्रतिभा - कभी कभी तुम जैसे लफंडर आते रहेंगे... तो उनके रुकने के लिए यह व्यवस्था है...
टीलु - तब तो बढ़िया है... हम रेगुलर आते रहेंगे...
प्रतिभा - ठीक है.. ठीक है... जब मर्जी चाहे आते रहना...

तभी एक आवाज़ सबका ध्यान खिंचता है l

"मिस्टर विश्व प्रताप महापात्र"

सभी उसी आवाज के तरफ देखते हैं l एक कुरियर बॉय एक पैकेट ले कर दरवाजे पर खड़ा है l

विश्व - जी कहिए... मैं ही हूँ विश्व प्रताप..
कु.बॉ - जी आपके नाम पर एक पार्सल है...
तापस - व्हाट... व्हाट नॉनसेंस... यह कैसे हो सकता है...
कु.बॉ - जी.. मैं कुछ समझा नहीं...
प्रतिभा - हम आज ही इस घर में आए हैं... और आज ही इस पते पर यह पार्सल.... कैसे आ सकती है...
कु.बॉ - जी वह मैं कैसे कह सकता हूँ...
तापस - सच सच बताओ कौन हो तुम...
कु.बॉ - सर मैं xxx कुरियर सर्विस में हूँ... और इस पार्सल पर यहीं का पता है... (काग़ज़ दिखाते हुए) देखिए...

तापस उस काग़ज़ पर एड्रेस देख कर हैरान हो जाता है l वह अपना मुहँ फाड़े सबको देखने लगता है l

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कॉलेज के सामने शुभ्रा अपनी गाड़ी रोकती है l दरवाजा खोल कर रुप उतरती है l

शुभ्रा - अच्छा... तुम्हारा आज कॉलेज जाना जरूरी है...
रुप - क्यूँ क्या हुआ...
शुभ्रा - क्यूंकि क्लास कब की शुरु हो चुकी है... अब जाके क्या करोगी...
रुप - भाभी... मेरे दोस्त मेरे वगैर क्लास करने नहीं गए होंगे... वह जरूर कैन्टीन में मेरा इंतजार कर रहे होंगे...
शुभ्रा - इतना यकीन है तुम्हें...
रुप - हाँ... दोस्ती जो कि है...
शुभ्रा - ठीक है...(गाड़ी स्टार्ट करती है)
रुप - और हाँ भाभी...
शुभ्रा - हम्म...
रुप - आज शाम पा..र.. र्टी....
शुभ्रा - (मुस्कराते हुए) जरूर... पर घर में ही...
रुप - (खुश हो जाती है) ओह.. थैंक्यू भाभी...(कह कर जाने को होती है)
शुभ्रा - अच्छा सुनो..
रुप - (पीछे मुड़ते हुए) हाँ...
शुभ्रा - मैं गुरु काका को भेज देती हूँ...
रुप - ठीक है... एंड थैंक्यू अगेन...

शुभ्रा हँसते हुए गाड़ी आगे बढ़ा देती है और रुप सीधे जा कर कैन्टीन में पहुँचती है, कैन्टीन में उसके छठी गैंग के सभी दोस्त रुप के इंतजार में थे l वह जैसे ही कैन्टीन में पहुँचती है सभी एक साथ
" हैप्पी बर्थ डे टू यु"

रुप - आ.. www.. थैंक्यू...
बनानी - कल रात बारह बजे तेरी फोन बिजी आ रहा था... फिर कुछ देर बाद स्विच ऑफ... क्यूँ...
रुप - वह... किसी खास के... फोन का इंतजार कर रही थी... उसने नहीं की... तो गुस्से से फोन स्विच ऑफ कर सो गई थी...
सभी - ओ... हो...
बनानी - कोई है खास... हमें बताया नहीं... कौन है आखिर...
रुप - बस वह एक बार मनाने आ जाए... मैं मान जाऊँ... फिर तुम लोगों से उसकी पहचान करवा दूंगी...
सभी - ओ.. हो...
बनानी - खैर जीजा जी से हम बाद में मिल लेंगे... पहले केक काट कर हमें खिला तो दे...
रुप - क्या... तुम लोग केक भी लाए भी हो...
बनानी - हाँ कोई शक... छठी गैंग की लीडर का जन्मदिन है... हम तो पुरे कॉलेज को इकट्ठा कर मनाना चाहते थे.... पर तुम कहीं गुस्सा ना हो जाओ... इसलिए कैन्टीन में तुम्हारा इंतजार कर रहे थे...
रुप - क्या बात है... या तो सभी एक साथ बोल रहे हो... या सिर्फ़ बनानी ही मुझसे बात कर रही है... क्या हुआ तुम लोगों को...

रुप की इस सवाल पर सब लोग ख़ामोश हो जाते हैं l सभी एक दुसरे को देख रहे हैं l

बनानी - यार... सब डरे हुए हैं...
रुप - क्यूँ... किससे...
बनानी - तुम्हारे राजकुमार भाई से...
रुप - क्या... (चौंक कर उठ जाती है) क्या... क्या किया मेरे भाई ने...
बनानी - कुछ नहीं किया...
रुप - क्या...
बनानी - हाँ वह सिर्फ यहाँ आए... तुम्हारे बारे में और तुम्हारे जन्मदिन के बारे में... पूछा...
रुप - (हैरान हो कर) क्या मेरे बारे में... (कुछ सोचने लगती है) ठीक है... पर तुम सबके चेहरे पर बारह क्यूँ बजे हैं...
बनानी - अरे यार... जिसको भी तेरे भाई के बारे में.. जरा सा भी पता है... वह तो डरेगा ही... और हम ठहरे लड़कियाँ... सबसे ज्यादा तो दीप्ति डरी हुई है... पता नहीं क्यूँ...
रुप - (दीप्ति को देखती है) (दीप्ति नजरें चुराने लगती है)
रुप - ओके... केक लाओ यार... पहले केक काट कर बर्थ डे मना लेते हैं... फिर सोचते हैं.. क्या करें...
सभी - ठीक है...

तब्बसुम एक केक लाकर टेबल पर रख देती है l सभी दोस्त टेबल को घेर कर खड़े हो जाते हैं l इतिश्री रुप के हाथ में केक काटने वाली एक प्लास्टिक की छुरी देती है l रुप केक काटने लगती है l सभी दोस्त उसके हैप्पी बर्थ डे का गाना गाने लगते हैं l केक काट कर पहला टुकड़ा बनानी को खिलाती है l बनानी भी वही टुकड़ा रुप को खिलाती है l बारी बारी से बाकी दोस्त वही करते हैं l
तभी कैन्टीन की एक माइक बजती है l
हैप्पी बर्थ डे टू यु
हैप्पी बर्थ डे टू नंदिनी
हैप्पी बर्थ डे टू यु

रुप - यह आवाज़...
दीप्ति - रॉकी की लग रही है...
बनानी - इसका मतलब... वह प्रिन्सिपल सर के कैबिन से एनाउंसमेंट माइक पर बोल रहा है...

एमए के सोशीओलोजी क्लास में बैठा वीर यह बात सुन कर चौंक जाता है l

रॉकी - हाय टू ऑल ऑफ यु... हू आर लीशनिंग मि... माय सेल्फ रॉकी... आज बहुत बड़ा एनाउंसमेंट करने वाला हूँ... दोस्तों आज हमारे कॉलेज की नहीं... बल्कि इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की का जन्मदिन है... बधाई तो बनती है... क्यूंकि वह मेरे लिए बहुत स्पेशल है... इसलिए मैं बहुत ही स्पेशल तरीके से बर्थ डे विश किया... बट... आई नो... दिस इज़ नट इम्प्रेशीव...

सभी क्लास में वीर की तरफ देखते हैं l वीर का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा है l उधर बनानी हैरान हो कर माइक की ओर देख रही है, रुप भी हैरानी से दीप्ति को देखती है l दीप्ति डर के मारे इशारे से कहती है कि वह कुछ नहीं जानती l

रॉकी - नंदिनी याद है... रेडियो एफएम 97 पर तुमने दो मिसाल दी थी... एक उस कुत्ते की... जो अपने कद से भी ऊपर उठ कर... इंसानियत के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी... और... फिल्म अग्निपथ का वह सीन... जिस में... नायक की माँ... सुहासिनी चैहान से कहती है... वाह खुब तरक्की किया है तुमने बेटा... तेरे पिता कहा करते थे... हज़ारों साल लगे... इंसान को जानवर से इंसान बनने के लिए... तुने जरा भी देरी ना कि... इंसान से जानवर बनने में...
कितनी कड़वी और सच्ची बात कही थी तुमने... हम समाज में रह रहे इंसानी खोल में... सामाजिक जानवर हैं... मैंने भी जानवर बनने में कोई कसर नहीं छोड़ी... इसलिए आज तुम... मुझसे मेरे दोस्त.. और मैं खुद भी नाराज़ हूँ... क्यूंकि मैं ना सिर्फ तुम्हारे.. ना सिर्फ मेरे दोस्त... बल्कि मैं खुद अपनी नजरों से भी गिरा हुआ हूँ...
नंदिनी आज तुम्हारा जन्मदिन है... इससे बढ़िया दिन कुछ हो ही नहीं सकता था... सबके नजरों में आज खुद को ऊँचा उठाने के लिए... मैं यह मौका कैसे खो सकता था... मुझे आज अपने दोस्तों को हासिल करना है.... तुम्हें हासिल करना है... सब से अहम... आज मुझे खुद को हासिल करना है...
मैंने कहा था ना... मैं एक दिन वह करूँगा... जो दुनिया में किसी मर्द ने नहीं किया होगा... ना भूतो ना भविष्ये...
आई लव यू नंदिनी

इतना सुनते ही वीर अपनी जगह से उठ जाता है l उधर कैन्टीन में बनानी की आँखे छलक पड़ती है l रुप की जबड़े भींच जाती हैं l

रॉकी - नंदिनी मैं तुमसे बहुत प्यार कर रहा हूँ... इस प्यार को कुछ ही दिन पहले समझ पाया हूँ... इसलिए मैं बे झिझक दुनिया के सामने अपने प्यार का ऐलान कर रहा हूँ... नंदिनी... मेरे प्यार में ना कोई खोट है... ना कोई पाप... क्यूंकि यह एक पवित्र रिस्ता है...
नंदिनी... आज या तो मेरे प्यार को मान मिलेगा.. या फिर मेरी जान जाएगी...
नंदिनी.... क्या मुझे तुम... अपना भाई स्वीकार करोगी.. मेरी कोई बहन नहीं है... इसलिए मैं यह एलान कर रहा हूँ... नंदिनी आज से... बल्कि अभी से मेरी बहन है... और नंदिनी... मैंने आज.. दुनिया के सामने यह एलान कर दिया... हम बेशक खुन से या खानदान से नहीं... पर दिल से... आत्मा से... और ज़ज्बात से.... भाई बहन हैं... मैं आज कॉलेज के एक छोर पर... अपनी बाहें फैलाए खड़ा हो जाऊँगा... अगर आज मैं तुम्हारी नजरों से ऊपर उठ सका हूँ... तो अपने इस भाई के गले लग कर.. उसका मान रख लो... नहीं तो जान तो आज जानी ही है...

सारा कॉलेज स्तब्ध हो जाता है l वीर गुस्से से एक टेबल पर लात मारता है l वह टेबल टुट जाता है l उस टेबल से एक काठ का टुकड़ा ले कर भागता है l उसके पीछे पीछे सारी क्लास भागती है l उधर रुप इस एनाउंसमेंट से हैरान हो जाती है l वह भी कैन्टीन से बाहर आकर देखती है प्रिन्सिपल के ऑफिस के बाहर रॉकी अपनी बाहें फैलाए खड़ा है l
 

Kala Nag

Mr. X
Prime
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Next update kab tak aayega naag bhai

Time लीजिए अपना कोई जल्दबाजी नहीं है नाग भाई आपके अपडेट is worth waiting


सुबह हो कर 10 भी बज गए। उत्सुकता के साथ बेसब्री भी जुड़ा हुआ है इंतेजार में।

Intjar kr rhe hai नाग bhai

Intezaar rahega....

कोई ना हम इंतेजार कर लेंगे

Wanting for update sir
पोस्ट कर दिया है दोस्तों
 
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