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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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*Index *
 
Last edited:

Sandeep singh nirwan

Jindgi na milegi dobara....
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👉छटा अपडेट
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नंदिनी घर पहुंच कर सीधे अपनी भाभी शुभ्रा के पास जाती है l शुभ्रा देखती है कि आज नंदिनी का चेहरा थोड़ा उतरा हुआ है l
शुभ्रा - क्या बात है ननद जी, आज आपका चेहरा उतरा क्यूँ है....
नंदिनी - आज... वीर भैया कॉलेज आए थे...
शुभ्रा - ओह तो यह बात है.... ह्म्म्म्म मतलब आज तेरे दोस्त तुझसे दूर भाग गए होंगे....
नंदिनी - (अपनी भाभी के गोद में अपना सर रख कर) हाँ.... भाभी(थोड़ा उखड़े हुए) बड़ी मुस्किल से मैंने ना चार दोस्त बनाए थे....
शुभ्रा - ह्म्म्म्म तुम्हारे राजकुमार भाई के जाने से सब बिगड़ गया ह्म्म्म्म...
नंदिनी अपना सिर हिला कर हाँ कहती है....
शुभ्रा - (शरारत करते हुए) तो अब क्या होगा मेरी ननद जी का... जानेंगे ब्रेक के बाद...
नंदिनी - भा.... भी... उहन् हूं...
शुभ्रा -(हा हा हा) अब तू ही बता अब हम क्या कर सकते हैं....
नंदिनी - भाभी.... भाई साहब की इमेज क्या इतना खराब है...
शुभ्रा - (हंसती है, और कहती है) यह इमेज क्या होती है.... इसे चरित्र कहते हैं...
नंदिनी - उं... हुँ... हूँ अब मैं क्या करूं भाभी...
शुभ्रा - अगर मेरी माने तो, तु अपने दोस्तों को सब सच बता दे.... उन्हें अगर तेरी फिलिंगस का कदर होगी... तो वे... अपनी दोस्ती जरूर निभाएंगे.... बरकरार रखेंगे....
नंदिनी -(चुप रहती है)
शुभ्रा - ऐ... क्या हुआ... बहुत दुख हो रहा है...
नंदिनी - नहीं भाभी थोड़ा बुरा लग रहा है... पर दुख नहीं हो रहा है.... क्यूंकि ऐसा तो बचपन से ही मेरे साथ होता आ रहा है... फिर अब क्या नया हो गया....
शुभ्रा नंदिनी के बालों को प्यार से सहला देती है l नंदिनी उसके गोद से अपना चेहरा उठाती है और शुभ्रा को देख कर पूछती है l
नंदिनी - भाभी आप बुरा ना मानों... तो... एक बात पूछूं l
शुभ्रा - ह्म्म्म्म पुछ..
नंदिनी - आप और विक्रम भैया में कुछ...
शुभ्रा - (शुभ्रा झट से खड़ी हो जाती है) रूप कुछ बातेँ बहुत दर्द देते हैं....
नंदिनी - सॉरी भाभी...
शुभ्रा - देख तूने पूछा है तो तुझे बताऊंगी जरूर.... लेकिन फिर कभी.... आज नहीं...
और इस घर में तेरे सिवा मेरा है ही कौन....
नंदिनी उसके पास जाती है और उसके गले लग जाती है l

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होटल BLUE Inn..
कमरा नंबर 504 में हल्का अंधेरा है और अंधेरे में रॉकी और उसके चार दोस्त सब महफ़िल ज़माये हुए हैं, सारे मॉकटेल की मस्ती में महफ़िल जमाए हुए हैं, सिवाय रॉकी के, म्यूजिक भी बज रहा है और सब धुन के साथ थिरक रहे हैं l कमरे के बीचों-बीच एक व्हाइट बोर्ड रखा हुआ है l सब अपना अपना ड्रिंक खतम करते हैं तो रॉकी जाकर लाइट्स ऑन करता है l जैसे ही कमरे में उजाला होता है तो सबका थिरकना बंद हो जाता है l सब रॉकी को देखते हैं तो रॉकी सबको चीयर करते हुए उनके बीच से जाते हुए म्यूजिक भी बंद कर देता है l

रॉकी - तो भाई लोग... अपना जिगर मजबुत कर लो और अपने जिगरी यार के लिए एक मिशन है जिसको पूरा करना है.....
सब चुप रहते हैं l सब को चुप देख कर रॉकी कहता है - अरे पहले अपना अपना पिछवाड़ा तो सोफा पर रख लो यारों...
सब बैठ जाते हैं, सबके बैठते ही रॉकी एक मार्कर पेन लेकर व्हाइट बोर्ड तक पहुंचता है, और बोर्ड में एक सर्कल बनाता है l
रॉकी - मित्रों यह है नंदिनी.... तो इससे पहले कि हम यह मिशन आरंभ करें.... यह मेरा दोस्त, मेरा यार, मेरा दिलदार मेरा जिगर मेरे फेफड़ा राजु कुछ तथ्यों पर रौशनी डालेगा....
राजू - हाँ तो मित्रों मैं इससे पहले इस पागल के पागलपन में साथ देना नहीं चाहता था..... पर इस मरदूत ने मुझे इतना मजबूर कर दिया..... कहा कि मैं इसका बड़ा चड्डी वाला बड्डी हूँ क्यूँ के तुम सब इसके छोटे चड्डी वाले बड्डी हो..... बस यह जान के मैं इसका काम करने को तैयार हो गया....

राजू की बात खतम होते ही सब हंसते हुए ताली मारते हैं l
रॉकी - (सबको हाथ दिखा कर) अरे रुको यारों रुको..... यहां छोटे मतलब बचपन और बड़ा मतलब इंटर कॉलेज... हाँ अब राजु आगे बढ़....
रॉकी की बात खतम होते ही राजु व्हाइट बोर्ड के पास पहुंचता है और मार्कर पेन लेकर रॉकी के बनाये उस सर्कल के पास कुछ लकीरें खिंचता है और कहता है - जैसा कि मैंने पहले ही बताया था कि नंदिनी विक्रम व वीर की बहन है l तीन पीढ़ियों के बाद क्षेत्रपाल परिवार में लड़की हुई है.... पर रूप नंदिनी जब चार साल की थी तब उसकी माँ का देहांत हुआ था l अब इसपर भी कुछ विवाद है हमारे राजगड में दबे स्वर में कुछ बुजुर्ग आज भी कहते हैं कि रूप कि माँ ने आत्महत्या की थी.... खैर अब वह इस दुनियां में नहीं हैं और रूप के पिता भैरव सिंह क्षेत्रपाल दूसरी शादी भी नहीं की..... अब क्यूँ नहीं की... वेल यह उनका निजी मामला है.....
तो अब परिवार में रूप के दादा जी नागेंद्र सिंह हैं पर वह अब पैरालाइज हैं... ना चल फिर सकते हैं ना ही किसीको कुछ कह पाते हैं...
फिर आते हैं उनके पिता भैरव सिंह पर.... तो यह शख्स पूरे स्टेट में किंग व किंग् मेकर की स्टेटस रखते हैं.... या यूँ कहें कि भैरव सिंह पुरे राज्य में एक पैरलल सरकार हैं....
फिर आते हैं रूप नंदिनी जी के चाचाजी पिनाक सिंह जी के पास...
फ़िलहाल यह महानुभव भुवनेश्वर के मेयर हैं...
इनकी पत्नी श्रीमती सुषमा सिंह जो सिर्फ राजगढ़ महल में ही रहती हैं....
फिर विक्रम सिंह, रूप के सगे भाई व बड़े भाई यह अब भुवनेश्वर में रूलिंग पार्टी के युवा मंच के अध्यक्ष हैं और इनकी पत्नी हैं शुभ्रा सिंह.... इनसे विक्रम सिंह की प्रेम विवाह हुआ है... पर इनके विवाह पर भी लोग तरह तरह की कहानियाँ कह रहे हैं.... खैर अब आते हैं रूप जी के चचेरे भाई वीर सिंह जी...
यह हमारे कालेज के छात्रों के अपराजेय अध्यक्ष हैं...
अब आगे हमारे रॉकी साहब कहेंगे....
इतना कह कर राजू चुप हो जाता है l अब रॉकी अपने जगह से उठता है और अपने सारे दोस्तों को कहता है - यारों सब दुआ करो..
मिलके फ़रियाद करो...
दिल जो चला गया है....
उसे आबाद करो... यारो तुम मेरा साथ दो जरा....
आशीष - बस रॉकी बस ... हम यहाँ तेरे दोस्त इसी लिए ही तो आए हुए हैं और तेरी धुलाई की सोच कर मेरा मतलब है कि तुझे नंदिनी तक पहुंचने की रास्ता बताने वाले हैं.....
पर यार भले ही वह क्षेत्रपाल बहुत पैसे वाले हैं पर यार तु भी तो कम नहीं है....
ठीक हैं पार्टी से जुड़े हुए हैं इसलिए रुतबा बहुत है.... पर समाज में तुम्हारा खानदान का भी बहुत बड़ा नाम है.....
चल माना रूप बहुत सुंदर है..... पर सुंदरता रूप पर खतम हो जाए ऐसा तो नहीं...
तुझे रूप से भी ज्यादा खूबसूरत लड़की मिल सकती है....
पर तुझ पर यह कैसा पागलपन है और क्यूँ है..... के तु... रूप को हासिल करना चाहता है....
देख दोस्त सब सच सच बताना क्यूंकि हम तेरे साथ थे हैं पर कल को अगर कुछ गडबड हुआ तो यह भी सच है कि हमारे जान पर भी आएगा....
आशीष के इतना कहते ही रॉकी अपने अतीत को याद करने लगता है

फ्लैश बैक........

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पांच साल पहले जब रॉकी इंटर में पढ़ना शुरू किया था l तब एक दिन घरसे कॉलेज जाने के लिए कार में बैठा l कार की खिड़की से अपनी मम्मी को हाथ हिला कर बाइ कह खिड़की का कांच उठा दिया l ड्राइवर गाड़ी घर से निकाल कर कॉलेज के रोड पर दौड़ा दिया l कुछ देर बाद म्यूनिसिपाल्टी के लोग रास्ता खोदते दिखे तो ड्राइवर दिशा बदल कर गाड़ी ले जाने लगा l गाड़ी के भीतर रॉकी अपने धुन में मस्त, आई-पॉड से गाने सुन रहा था l जब गाड़ी एक सुनसान सड़क पर जा रही थी तभी एक एम्बुलेंस सामने आकर रुकी तो ड्राइवर ने तुरंत ब्रेक लगा कर गाड़ी रोक दिआ l ड्राइवर एम्बुलेंस के ड्राइवर पर चिल्लाने लगा l गाड़ी के ऐसे रुकते ही और ड्राइवर के चिल्लाते ही रॉकी का भी ध्यान टूटा और उसने देखा कुछ लोग एक स्ट्रेचर लेकर कार की बढ़ रहे हैं l इससे पहले कुछ समझ पाता ड्राइवर के मुहं पर रूमाल डाल कर बेहोश कर दिए और इससे पहले रॉकी कुछ और सोच पाता वैसा ही हाल रॉकी का भी हुआ l रॉकी जब आँखे खोल कर देखा तो अपने आप को एक बिस्तर पर पाया l पास एक आदमी जो काले लिबास में एक चेयर पर बैठ कर कोई फ़िल्मी मैग्जीन देख रहा था l रॉकी अचानक से बेड पर उठ कर बैठ गया l
रॉकी -(डरते हुए) त....त.... तुम... लोग... कौन हो l
वह आदमी - अरे हीरो.... होश आ गया तेरे को...... वाह.... हम लोग तेरे फैन हैं.... हम लोगों ने तेरे नाम पर एक बहुर बड़ा फैन क्लब बनाए हैं.... और तेरे फैन लोग बहुत सोशल सर्विस करते रहते हैं... इसलिए तेरे बाप से उस क्लब के लिए डोनेशन मांगने वाले हैं....
तब रॉकी इतना तो समझदार हो गया था और वह समझ गया कि उसका किडनैप हुआ है और बदले में उसके बाप से पैसा वसूला जाएगा l
वह आदमी उठा और बाहर जा कर दरवाजा बंद कर दिआ l फिर रॉकी चुप चाप उसी बिस्तर पर लेट गया l थोड़ी देर बाद वह आदमी और उसके साथ तीन और आदमी अंदर आए l
(पहला वाला आदमी को आ 1, और वैसे ही सारे लोगों की क्रमिक संख्या दे रहा हूँ)
आ 1- सुन बे हीरो... तेरी उम्र इतनी तो है के... तु अब तक समझ गया होगा कि तु यहाँ क्यूँ है...
रॉकी ने हाँ में सर हिलाया l
आ 2- गुड.... चल अब बिना देरी किए अपना बाप का पर्सनल नंबर बता.....
रॉकी - 98XXXXXXXX
आ 1- (और दोनों से) हीरो को खाना दे दो...
और हीरो खाना खा और चुपचाप सो जा....
दो दिन बाद तुझे तेरे फॅमिली के हवाले कर दिया जाएगा l
रॉकी अपना सर हिला कर हाँ कहा, तो सब उस कमरे से बाहर चले गए और कुछ देर बाद उनमें से एक आदमी एक थाली और एक पार्सल दे कर चला गया l रॉकी ने इधर उधर पानी के लिए नजर घुमाया तो देखा वश बेसिन के ऊपर अक्वागार्ड लगा हुआ है l इसलिए रॉकी चुप चाप खाना खाया और बिस्तर पर सोने की कोशिश करने लगा l ऐसे ही दो दिन बीत गए l तीसरे दिन शाम को रॉकी के आँखों में पट्टी बांध कर उसे कहीं ले गए l जब एक जगह उसकी आँखों से पट्टी खुली तो खुदको एक अंजान कंस्ट्रक्शन साइट् पर पाया l उसने गौर किया तो देखा कि असल में वह चार आदमियों की गैंग नहीं थी बल्कि एक बीस पच्चीस लोगों की गैंग थी l सबके हाथों में एसएलआर(Self Loaded Rifle) गनस् थे l थोड़ी देर बाद जिसने रॉकी से उसके बाप का फोन नंबर मांगा था शायद वह उस गिरोह का लीडर था वह बदहवास भागता हुआ आ रहा था और उसके पीछे एक आदमी शिकारी के ड्रेस में चला आ रहा था l गैंग लीडर - (चिल्ला कर) कोई गोली मत चलाओ, कोई गोली मत चलाओ
सब के हाथों में गनस् होने के बावज़ूद उनका लीडर किससे डर कर भाग कर आ रहा है, यह सोच कर गैंग के लोग एक दूसरे को देख रहे हैं l
तभी गैंग लीडर आ कर रुक जाता है और पिछे मुड़ता है l पीछे शिकारी के ड्रेस में काला चश्मा पहने हुए वह शख्स दोनों हाथ जेब में डाले खड़ा हो जाता है l तभी उस गैंग का एक आदमी उस शिकारी के पैरों के पास गोलियां बरसाने लगता है l पर वह शिकारी बिना किसी डर के वहीं खड़ा रहता है l गैंग का लीडर उस गोली चलाने वाले को अपनी जेब से माउजर निकाल कर शूट कर देता है और घुटनों पर बैठ जाता कर अपना सर झुका लेता है l
शिकारी - कल तक तुम लोग क्या करते थे मुझे कोई मतलब नहीं...
पर आज से और अभी से यह हमारा इलाक़ा है... और हमारे इलाके में...
गैंग लीडर - हमे मालुम नहीं था युवराज जी हम आपके इलाके से फिर कभी नजर नहीं आयेंगे...
शिकारी - बहुत अच्छे...
चल छोकरे चल मेरे साथ...
रॉकी उस शिकारी के साथ निकल गया और पीछे वह गुंडे वैसे के वैसे ही रह जाते हैं l
रॉकी उस शिकारी के साथ एक गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी चलती जा रही थी और रॉकी एक टक उस शिकारी को देखे जा रहा था और सोच रहा था क्या ताव है, गोलियों से भी डरता नहीं, एक अकेला आया उस गिरोह के बीच से उसे कितनी आसानी से लेकर आ गया l
रॉकी उस शिकारी की पर्सनैलिटी से काफ़ी इम्प्रेस हो चुका था l कुछ देर बाद रॉकी का घर आया l दोनों अंदर गए तो रॉकी के पिता सिंहाचल पाढ़ी उस शिकारी के सामने घुटनों के बल पर बैठ गए l तब वहाँ पर बैठे दुसरे शख्स ने कहा - अब कोई फ़िकर नहीं पाढ़ी बाबु... आप क्षेत्रपाल जी के संरक्षण में हैं...
सिंहाचल- युवराज विक्रम सिंह जी.... कहिए मुझे क्या करना होगा...
विक्रम सिंह - आप जब तक हमें प्रोटेक्शन टैक्स देते रहेंगे...... तब तक...
इस सहर ही नहीं इस राज्य में भी आपकी तकलीफ़ हमारी तकलीफ़....
इतना कह कर विक्रम और वह आदमी चले जाते हैं l
रात भर रॉकी विक्रम के बारे में सोचता रहा और उसकी चाल, बात और ताव से इम्प्रेस जो था l
अगले दिन वह कॉलेज में मालुम हुआ वह जो दुसरा आदमी उसके घर में था वह राजकुमार वीर सिंह था l
रॉकी की उम्र जितना बढ़ता जा रहा था उतना ही विक्रम उसके दिलों दिमाग पर छाया हुआ था l
जब बी-कॉम के साथ साथ अपने पिता की बिजनैस में ध्यान देने लगा, तब उसे यह एहसास होने लगा किसी भी फील्ड में हुकुमत करनी है तो आदमी के पास या तो बेहिसाब दौलत होनी चाहिए या फिर बेहिसाब ताकत, क्षेत्रपाल के परिवार के पास दोनों ही था l एक तरह से रॉकी के मन में इंफेरिअर कॉम्प्लेक्स बढ़ रहा था l हमेशा उसके मन में एक ख्वाहिश पनप रहा था कास ऐसी ताव ऐसी रुतबा उसके पास होता l
ऐसे में उसे रूप दिखती है और उसके बारे में जानते ही वह एक फ़ैसला करता है, अगर कैसे भी वह रूप के जरिए क्षेत्रपाल परिवार से जुड़ जाए तो वह भी ऐसा ही रौब रुतबा मैंटैंन कर पाएगा l

रॉकी.... हे.... रॉकी..... आशीष उसे जगाता है तो रॉकी अपनी फ्लैश बैक से बाहर निकालता है l

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रॉकी - ओह... असल में कैसे कहूँ समझ में नहीं आ रहा है..... ह्म्म्म्म.... ठीक है.... सुनो दोस्तों... आप चाहें जैसे भी हो... आपके जीवन में एक लड़की ऐसी आती है जो आपके जीने की मायने बदल जाते हैं... जब जिंदगी उसके बगैर जिंदगी नहीं लगती..
.. जिसके लिए... जान भी कोई कीमत नहीं रखती...

मेरे जीवन में रूप नंदिनी वही लड़की है जिसके प्यार में मैं मीट जाना चाहता हूँ....
अगर तुम सबको मेरे भावनाओं में सच्चाई दिखे और उसका कद्र हो तो मेरी मदत करो और मेरी राह बनाओ.....

सब चुप रहते हैं
राजु - देख अगर तेरी भावनाएँ सच में रूप के लिए इतनी गहरी है तो..... ठीक है हम तेरी मदत करेंगे...... तेरे लिए हम रास्ता बनाएंगे और तुझे उस पर अमल करना होगा... समझ ले एक रियलिटी गेम है.... तु कंटेस्टेंट है और हम जज जो तुझे पॉइंट्स देते रहेंगे और हर लेवल पर इंप्रुवमेंट के लिए बोलते रहेंगे,.. ताकि ..... तुझे... तेरे हर ऐक्ट पर स्कोर मालुम होता रहे....
"यीये......" सारे दोस्त उसे चीयर्स करते हैं l
रॉकी व्हाइट बोर्ड पर जो भी लिखा था सब मिटाता है और बोर्ड पर मिशन नंदिनी लिखता है l
रॉकी - आशीष पहले तु बता..
आशीष - देखो मुझे जो लगा.... या राजू से जितना मैंने समझा....
नंदिनी अपने पारिवारिक पहचान से दूरी बनाए रखना चाहती है क्यूंकि उसकी पारिवारिक पहचान से उसे दोस्त नहीं मिल रहे हैं l
रॉकी - करेक्ट..
अब... सुशील तु बोल..
सुशील - देख तुझे उसकी बात जानने के लिए उसकी दोस्तों के ग्रुप में एक लड़की स्पाय डेप्लॉय करना होगा...
रॉकी - करेक्ट... पर वह लड़की कौन होगी..
सुशील - रवि की गर्ल फ्रेंड... और कौन...
रवि - क्यों तुम सब रंडवे हो क्या....
सुशील - भोषड़ी के रंडवे नहीं हैं हम.... पर तेरी वाली साइंस मैं है इसलिए...
रवि - ठीक है...
रॉकी - ह्म्म्म्म फिर उसके बाद
राजु - ऑए जरा धीरे... जल्दबाजी मत करियो.... देख कॉलेज में सब जानते हैं कि वह क्षेत्रपाल परिवार से ताल्लुक रखती है...... इसलिए तेरी राह में कोई ट्रैफिक नहीं है... क्यूंकि कोई कंपटीटर नहीं है...
रवि - हाँ यह बात तो है...
रॉकी - अब करना क्या है...
राजु - अबे बोला ना धीरे... जिस तेजी से गाड़ी दौड़ा रहा है ना ब्रेक लगा तु... अबे पुरे स्टेट में जिसके आगे कोई सर भी नहीं उठाता उसकी बेटी है वह.... जिसकी मर्जी से भुवनेश्वर में कंस्ट्रक्शन से लेकर कोई नये प्रोजेक्ट तक हो रहे हैं उसकी भतीजी है वह.... जिसके आगे सारे गुंडे पानी भरते हैं उसकी बहन है वह... और यह मत भूल इस कॉलेज के अनबिटेबल प्रेसिडेंट वीर सिंह भी उसका भाई है....
अगर वह तुझे सिद्दत से चाहेगी तो तब तेरे लिए अपने बाप व भाई से टकराएगी....लड़ जाएगी....
तुझे सिर्फ दोस्ती नहीं करनी है बल्कि तुझे उसके दिल, उसके आत्मा में उतरना है... बसना है...
जल्दबाज़ी बहुत ही घातक सिद्ध होगा....

आशीष - राजु बिल्कुल सही कह रहा है.... बेशक क्षेत्रपाल परिवार की ल़डकी है ... शायद तेरे लिए ही तीन पीढ़ीयों बाद आयी हो.....
तेरा बेड़ा पार वही लगाएगी.... मगर तब जब वह तुझे सिद्दत से चाहेगी...
रवि - हाँ अब तक हमने जितना एनालिसिस किया है... उससे इतना तो मालुम हो गया है कि उसके परिवार के रौब के चलते रूप भी ऐसे मामलों से सावधानी बरतती होगी....
राजु - इसलिए पहला काम यह कर के उसके आस पास अपना कोई स्पाय डेप्लॉय कर... जब उसके कुछ पसंद व ना पसंद मालुम पड़ेगा...
हम अगला कदम उसी के हिसाब से उठाना होगा..
रॉकी सबको शांति से सुन रहा था l उसे सबकी बात सही लगी l
रॉकी - ठीक है दोस्तों अब से हर शनिवार यहाँ पर मॉकटेल पार्टी और मिशन नंदिनी की एनालिसिस...

सारे के सारे जो उस कमरे में थे सब अंगूठा दिखा कर उसके बातों का समर्थन किया l
Ye sab chutiye marenge foukat mai he baap se panga le rahe h nandini ke chakkar mai veer singh aur vikram singh se pele jayenge aur toh aur ye ashis raju ravi inke lode aur lagenge lol.....
 

Kala Nag

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जब ये कहानी आपने लिखना शुरू किया था उस समय सबसे पहला कमेन्टस नैना जी का आया था और मैं शायद पांच दिन बाद यहां पहुंचा था । बहुत ही कम रीडर्स थे उस समय , पर आज की डेट में देखिए !
मैं बहुत खुश हूं यह देखकर कि एडल्ट फोरम पर भी ऐसी कहानियों को लोग पसंद ही नहीं करते , बल्कि अपने सर माथे पर लगा लेते हैं ।
कौन कहता है यहां सिर्फ सेक्स ही सेक्स चलता है ! वि जे भाई और आप की कहानी लोगों का भ्रम तोड़ देगी । Avsji की कहानी पढ़ने की बहुत इच्छा थी पर देखते हैं कब संयोग बैठता है ।
avsji की कहानीयों में शायद आपको सेक्स मिल जाएगा
पर उनके लेखन शैली को मैं हमेशा शृंगार लेखन से जोड़ता हूँ
पर उनके कहानियों में प्रेम और भावनायें बड़ी ही निश्चलता से लिखा है उन्होंने
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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सच ही कहा गया कि चाहें तो औरतें घर को स्वर्ग बना दें और चाहें तो नरक में तब्दील कर दें । उनकी प्रेरणा पाकर लोग महान तक बन जाते हैं तो उनकी बदचलनी लोगों को पतन के रास्ते पर ले जा पहुंचाती है ।
रत्नावली की तिरस्कृत बातें सुनकर तुलसीदास हिंदी के महान कवि बन गए तो विद्योतमा की वजह से कालीदास संस्कृत के सर्वश्रेष्ठ कवि बने ।

अनू ने ऐसा कुछ तो नहीं किया लेकिन एक गलत लड़के को और भी चारित्रिक पतन होने से तो बिल्कुल ही बचा लिया । उसे उसकी जिम्मेदारियों का अहसास करवा दिया ।

और मुझे विश्वास है विक्रम भी अगर शुभ्रा के संगत में रहता तो शर्तिया उसका भी कायापलट हो जाता ।

कहानी का प्रत्येक अपडेट सिलसिलेवार तरीके से आगे बढ़ रहा है । एक ओर विश्व और रूप की भुली बिसरी प्रेम कहानी धीरे धीरे आगे बढ़ रही है तो दूसरी ओर अनू और वीर में भी अच्छी खासी केमिस्ट्री दिखनी शुरू हो गई है ।
इधर प्रतिभा और तापस का निश्छल प्रेम विश्व पर बेशूमार बरस रहा है तो विश्व भी उनके गमों को भरसक कम से कम करने में प्रयत्नशील है ।

मुझे शुरू से विश्वास था राॅकी गलत लड़का नहीं था । वो एक गलतफहमी का शिकार था जो अब दुर हो गया है । उसका नंदिनी को बहन बनाने का फैसला मुझे पसंद आया लेकिन तरीका सही नहीं था । रिश्ते नाते ढ़ोल पिटकर और दिखाकर नहीं बनाये जाते । ये समय की कसौटी पर परखे जाते हैं । लेकिन मुझे यह भी विश्वास है कि वो इस कसौटी पर खरा उतरेगा ।

स्वप्न जोडार साहब..... एक बड़े बिजनेसमैन ......
कभी कभी दुश्मन का दुश्मन दोस्त का काम भी करता है और शायद क्षेत्रपाल भैरव सिंह के खिलाफ ये बड़ी भूमिका निभा सकते हैं । फ्रंट पर रहकर भी और धन दौलत की कोई कमी न हो , उससे भी ।

सभी अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे ब्लैक नाग भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
सटीक प्रतिक्रिया मित्र
 

Kala Nag

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जब ये कहानी आपने लिखना शुरू किया था उस समय सबसे पहला कमेन्टस नैना जी का आया था और मैं शायद पांच दिन बाद यहां पहुंचा था ।
हाँ पर फिर नैना जी गायब हो गईं
बहुत ही कम रीडर्स थे उस समय , पर आज की डेट में देखिए !
यह बात आपने सच कहा l एक ऐसा भी वक़्त था जब मैं एक पेज पर दो अपडेट्स पोस्ट किए थे l पर आज दो अपडेट्स के बीच कमेंट्स और पेज की संख्या का गैप बढ़ रहा है
मैं बहुत खुश हूं यह देखकर कि एडल्ट फोरम पर भी ऐसी कहानियों को लोग पसंद ही नहीं करते , बल्कि अपने सर माथे पर लगा लेते हैं ।
सच कहूँ तो मैं भी बहुत खुश हूँ l कभी कभी लगता था मुझे कहानी के मध्य सेक्स परोसना चाहिए पर सच तो यह है कि वह सेक्स वाली सोच को कलम बद्ध करना मेरे वश में संभव ही नहीं हुआ l
कौन कहता है यहां सिर्फ सेक्स ही सेक्स चलता है ! वि जे भाई और आप की कहानी लोगों का भ्रम तोड़ देगी ।
सच तो यह है कि वीजे भाई की कहानी के अपडेट की प्रतीक्षा करते करते मैंने इस फोरम की सदश्यता ली और उनकी अपडेट की प्रतीक्षा के चलते कहानी लिखनी शुरु कर दी l खेल खेल में मज़ाक मज़ाक में सूत्र यहाँ तक पहुँची है l पाठकों की संख्या बढ़ने के साथ साथ मुझ पर प्रेसर बढ़ता ही जा रहा है l देखते हैं आगे उनके एक्सपेक्टेशन पर खरा उतर पाता हूँ या नहीं l
Avsji की कहानी पढ़ने की बहुत इच्छा थी पर देखते हैं कब संयोग बैठता है ।
avsji जी मैंने पहली कहानी पढ़ी थी संयोग का सुहाग वह कहानी मुझे बहुत ही अच्छा लगा था l उसके बाद कायाकल्प और उसके बाद मंगलसूत्र l उनकी कहानियों में सेक्स होता तो है पर कहानी में वह मुख्य या प्रमुख नहीं होता l उनकी कहानी पढ़ने से एक टाइम ट्रैवल जैसा फिल होता है l इसलिए उनकी कहानी मुझे पसंद है l और खास बात भावनाओं का सटीक और विस्तृत प्रेजेंटेशन l
 

avsji

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avsji की कहानीयों में शायद आपको सेक्स मिल जाएगा
पर उनके लेखन शैली को मैं हमेशा शृंगार लेखन से जोड़ता हूँ
पर उनके कहानियों में प्रेम और भावनायें बड़ी ही निश्चलता से लिखा है उन्होंने
avsji जी मैंने पहली कहानी पढ़ी थी संयोग का सुहाग वह कहानी मुझे बहुत ही अच्छा लगा था l उसके बाद कायाकल्प और उसके बाद मंगलसूत्र l उनकी कहानियों में सेक्स होता तो है पर कहानी में वह मुख्य या प्रमुख नहीं होता l उनकी कहानी पढ़ने से एक टाइम ट्रैवल जैसा फिल होता है l इसलिए उनकी कहानी मुझे पसंद है l और खास बात भावनाओं का सटीक और विस्तृत प्रेजेंटेशन l

भाई साहेब - आपका बहुत बहुत आभार! ऐसे शब्द सुनने को मिलते हैं, तो मैं तुरंत ही चने के झाड़ पर चढ़ जाता हूँ!
हा हा हा! :) मन तो मेरा नहीं होता सेक्स लिखने का - आप मेरी non-erotic कहानियाँ देख सकते हैं। लेकिन यहाँ कोई पढ़ेगा ही नहीं।
और बिना पाठकों के लिखने का क्या अर्थ है भला? इसीलिए मैं भी सुस्त पड़ गया हूँ।
जंगल में नाचा मोर, किसने देखा? बस, वही हालत यहाँ चरितार्थ है।
आज कल बस पढ़ रहा हूँ, आपकी कहानी (रोचक, रोमांचक), और डाक्टर साहब की कहानी (दिलचस्प और मज़ेदार)।
बाकी तो सभी किसी लेवल ही हैं ही नहीं। न किसी को लिखने का शऊर न कोई सलीका। जो थोड़े कुछ लोग बढ़िया लिख रहे थे, अब वो भी नहीं लिखते।
क्या करें?
 

avsji

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Avsji की कहानी पढ़ने की बहुत इच्छा थी पर देखते हैं कब संयोग बैठता है ।
संजू भाई साहब, मेरे तो गवाह (पाठक) महा-सुस्त हैं, इसलिए मुद्दई (मैं) भी सुस्त पड़ गया हूँ। फ़िलहाल कुछ लिखने का मन नहीं है। कोई तीन लाख शब्द लिख चुका हूँ उस कहानी पर। जैसा रेस्पॉन्स मिला है, उसके एवज़ में तीन हज़ार ही बहुत हैं 🤣
 
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संजू भाई साहब, मेरे तो गवाह (पाठक) महा-सुस्त हैं, इसलिए मुद्दई (मैं) भी सुस्त पड़ गया हूँ। फ़िलहाल कुछ लिखने का मन नहीं है। कोई तीन लाख शब्द लिख चुका हूँ उस कहानी पर। जैसा रेस्पॉन्स मिला है, उसके एवज़ में तीन हज़ार ही बहुत हैं 🤣
आप की सिर्फ एक ही कहानी पढ़ा था मैंने और तब से आपका फैन हो गया ।
मैं थोड़ा ज्यादा संवेदनशील इंसान हूं । मैंने अधिकतर उन कहानियों पर रिव्यू दिया जहां रीडर्स की संख्या बहुत ही कम है । पहले रिव्यू दिया करता था जब अपने पास समय ही समय था लेकिन अब हालात बदल गए हैं ।
मैं जरूर आप की स्टोरी पढूंगा भाई ।
 

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आप की सिर्फ एक ही कहानी पढ़ा था मैंने और तब से आपका फैन हो गया ।
मैं थोड़ा ज्यादा संवेदनशील इंसान हूं । मैंने अधिकतर उन कहानियों पर रिव्यू दिया जहां रीडर्स की संख्या बहुत ही कम है । पहले रिव्यू दिया करता था जब अपने पास समय ही समय था लेकिन अब हालात बदल गए हैं ।
मैं जरूर आप की स्टोरी पढूंगा भाई ।
मेरी कहानी पर रीडर्स की संख्या कुछ ज्यादा ही कम रहती है। जो आते हैं वो भी चुप्पी ही साधे रहते हैं। इसलिए आपको कोई तकलीफ़ नहीं होगी। अपने पास भी समय कम है, इसलिए अब लिखना बंद और केवल एक दो कहानियाँ ही पढ़ता हूँ यहाँ।
 
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