विश्व - जानते हो... इसी कनाल को बनाने के लिए... मेरे बाबा इरिगेशन डिपार्टमेंट में जॉइन किए थे... बाबा चले गए... पर यह कनाल अभी भी बन रहा है... ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रहा....
टीलु - (थोड़ा हँसते हुए) भाई... यही तो विकास होता है... इसी विकास को दिखा कर... इसकी आड़ में... ना जाने कितने सफेद पोश विकसित हो गए... अगर इसका विकास समाप्त हो जाएगा.... फिर... उन लोगों का विकास कैसे होगा...
हा हा हा हा हा!!!
सोलह आने सच है भाई! ऐसा ही विकास होता आया है हमेशा से।
विश्व-घोड़ू ऐसे ही नहीं बना जाता!
विश्व - (थोड़ा उदास होते हुए) एक कुत्ता हुआ करता था... टाइगर... टाइगर नाम था उसका... मेरी उससे बहुत अच्छी बनती थी... वह मेरा यार था... पर भैरव सिंह का बफादार नहीं हो पाया... उसे मार दिया गया...(आवाज में भारी पन) क्यूंकि वह मुझे बचाने के लिए... उन दरिंदों पर झपट पड़ा था... (विश्व चुप हो जाता है)
टीलु - ओ... कैसी नियति है क्षेत्रपाल महल की... अब जो होगा... उसके बाद तो... उसके निठल्ले सुरक्षा कर्मी की पिटाई या धुनाई... कुछ भी सम्भव है... हो सकता है... सीसीटीवी भी लगे... और इन पहरे दारी करने वालों को निकाल कर... भैरव सिंह कुत्ते पालने लग जाये...
टीलू की समझ बढ़िया है। जूनून, हिम्मत, और बुद्धि सब कुछ ही है उसमें!
इसको भी एक हेरोईन दिलवाओ न!
शर्म की मारी शुभ्रा बिचारी कॉल काट देती है और अपना चेहरा घुटनों के बीच छुपा लेती है l
इतना शर्माने वाली क्या बात है?
गुड़ खाए पर गुलगुले से परहेज़! हा हा हा!
महांती - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) पर अब डर लगने लगा है छोटे राजा जी... युवराज से भी... राजकुमार जी से भी....
मोहंती भी समझदार व्यक्ति है।
भविष्य की आभा साफ़ देख सकता है वो भी।
सत्तू - साला डरपोक निकला... हा हा हा... बोल रहा है... पुलिस को लेकर आएगा...
शनिया - (सत्तू की ओर घूमता है और एक झन्नाटे दार थप्पड़ लगा देता है) भोषड़ी के... कहाँ से लगा वह डर गया... हमने उसकी बहन को गाली दी... बदले में... उसने हम सबकी माँ की गाली दी...
भूरा - क्यूँ ना एक बार... रोणा साहब से बात कर लें...
शनिया - हाँ... बात तो करनी ही पड़ेगी...
तो तय रहा। ये शराब की भट्टी से ही खेत्रपाल के अंत की शुरुवात होने वाली है।
सुषमा - मतलब वीर से इस महल की नींव हिल जाएगी... और तुमसे यह ऊँची ऊँची दीवारें ढह जाएगी...
सुषमा - वह रंग महल के रास्ते पर... अंधा दौड़ लगा रहा था के अचानक... अनु नाम की एक हवा की झोंके से... उसने अपना रास्ता बदल दिया... अब उसके इम्तिहान का वक़्त समझो शुरु हो गया...
रुप - तो क्या... वीर भैया चूक जाएंगे...
सुषमा - नहीं... मैं वीर के जीवन में... बहुत कम साथ रही... पर उसे मैं जितना जानती हूँ... उतना तो वह खुद को भी नहीं जानता... वह एक जुनूनी है... और उसके जुनून के आगे क्षेत्रपाल नाम का अहंकार टूट का बिखर कर चूर चूर हो जाएगा....
चलो - खेत्रपाल की किसी औरत (मुख्य हीरोइनों के अतिरिक्त) को इतना कुछ कहते सुना पहली बार।
बढ़िया है! सुषमा आंटी अच्छी लगती हैं। लेकिन माँ हैं, और खलनायक के परिवार की हैं, इसलिए उनके जीवन में बड़े दुःख और कष्ट हैं।
उम्मीद है कि उनको अंत में कुछ अच्छा मिलेगा।
बाहुबली फ़िलिम का वो सीन याद आ गया भाई!
हा हा हा हा हा हा!!!!
ओ तेरी! क्या बढ़िया स्केच है।
nice!!!!!