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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
Prime
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*Index *
 
Last edited:

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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मित्र - सारी कड़ियां जुड़ती जा रही है, अब तो विश्व का इंतजार है, नए प्रकरण नए जीवन की विषमता और उनका विश्व के जीवन में रूप के साथ जानने की पूरी उत्सुकता है
अद्भुत 😍
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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हा हा हा हा
हाँ भाई बहुत कोशिश की कुछ और लाइनें लिखने की पर शब्द और कल्पना में ताल मेल नहीं बिठा पाया
उधर Jaguaar भाई अपडेट पे अपडेट चेपे जा रहे हैं l आप ग्रंथ के खोज में निर्मोही हो गए हैं
😂😂😂😂
अरे भाई, मैं तो इस बात से हैरान हूँ, कि लोग बाग़ बस दो लाइन लिखे देते हैं, और उनकी पोस्ट पर हज़ारों व्यूज और कई कमैंट्स आ जाते हैं।
और मैं मर मर के नौ दस हज़ार - और वो भी देवनागरी में - शब्द लिखता हूँ - न कोई कमेंट न कोई व्यू!
तो क्यों खपाऊँ खुद को! वैसे भी बहुत से ज़रूरी काम है!
ऐसे में निर्मोही न बनूँ, तो क्या करूँ !
 

Rajesh

Well-Known Member
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👉उनहत्तरवां अपडेट
---------------------
विक्रम से मिलकर आने के बाद शुभ्रा काफी हद तक नॉर्मल हो गई थी l वह खुशी खुशी अपने घर में पहुँचती है कि उसकी मम्मी उसे एक पार्सल थमा देती है

शु.म - यह ले.. पता नहीं आए दिन ऑनलाइन से क्या क्या मंगाती रहती है ... मेडिकल पढ़ रही है इसलिए चुप हूँ वरना... ऐसी फिजूल ख़र्च के लिए हाथ पैर तोड़के एक कोने में बिठा देती... हूँ.. ह्...

इतना कह कर शु.म पार्सल दे कर चली जाती है l पार्सल देख कर शुभ्रा हैरान हो जाती है l वह याद करने की कोशिश करती है कब उसने कौनसी प्रोडक्ट के लिए ऑनलाइन ऑर्डर किया था, पर उसे कुछ भी याद नहीं आता l तभी उसकी फोन बजने लगती है l फोन पर विक्रम का नाम देख कर फोन उठाती है l

शुभ्रा - हैलो...
विक्रम - आपको पार्सल मिल गई...
शुभ्रा - क्या... यह आपने भिजवाया है...
विक्रम - हाँ आपकी सुरक्षा के लिए...
शुभ्रा - क्या... सुरक्षा के लिए...
विक्रम - हाँ जान... उस पार्सल में एक घड़ी है... वेयर हेल्थ की... पर उसमें हमारी सिक्युरिटी कंपनी ने मोडिफाइ कर एक इसे स्पाय वाच बना दिया है... उस बॉक्स में एक कंप्युटर जेनेरेट मैनुअल होगा... उसमें लिखे हर इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते जाइए...
शुभ्रा - (घबरा कर) पर यह घड़ी मुझे क्यूँ दे रहे हैं... और इसमे क्या फायदा है...
विक्रम - शांत.. आप पहले शांत हो जाए... देखिए... आप हमारे लिए बहुत मायने रखते हैं.... हम नहीं चाहते हैं कि आप को यश से किसी भी तरह का खतरा हो... इसलिए यह एक प्रिकौशन है...
शुभ्रा - पर...
विक्रम - प्लीज... हमारे खातिर...
शुभ्रा - आप ऐसे ना कहिए... आपके लिए कुछ भी... पर इससे मेरी सिक्युरिटी कैसे होगी...
विक्रम - जान.. यह घड़ी नैनो टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है... इसमें माइक, रिकॉर्डर और जीपीएस है... इसकी ऐप आप अपने मोबाइल पर इंस्टॉल करते ही... यह मेरे मोबाइल से जुड़ जाएगा... आपकी हर खबर मुझ तक पहुंचाएगा...
शुभ्रा - ओ.. विकी... आप कितने अच्छे हैं... आपसे मिलकर घर पहुँची भी नहीं... आपने मेरे लिए यह गैजेट् भेज दी... मुझे नाज़ है आपने प्यार पर...
विक्रम - और मुझे भी...
शुभ्रा - लव यु..
विक्रम - लव यु ठु माय लव...

इतना कह कर विक्रम फोन काट देता है l शुभ्रा अपने फोन को पहले चूमती है और फिर पार्सल से घड़ी निकाल कर उसकी ऐप को मोबाइल में लोड कर देती है l

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

रुप - ओ.. तो यह है वह स्पाय वाच की कहानी...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - भाभी... प्रत्युष के माता पिता से मिलने की कभी आपने कोशिश नहीं की...
शुभ्रा - नहीं... नहीं की... क्यूंकि तुम्हारे भाई को अंदेशा था... यश जरूर उनसे मिलने वालों की खबर रखता होगा... इसलिए उन्होंने कहा कि... पहले मेडिकल खतम कर लो ... बाद में मिल लेना...
रुप - ओ.. फिर आपके वह दोस्त.. मेरा मतलब है... राजेश और रूबी...
शुभ्रा - राजेश तो किसी और हॉस्पिटल में प्रैक्टिस के लिए चला गया था... पर हाँ... प्रत्युष के देहांत के बाद... रूबी से कभी मुलाकात नहीं हो पाई थी... एक दिन मुझे खबर मिली कि उसनें स्लीपिंग पिल्स ले लिया है.... और उसे मेडिकल कॉलेज में ही एडमिट करा दिया गया है... यह खबर मिलने के बाद मैं मेडिकल के स्पेशल वार्ड में उससे मिलने गई... पर जब मुलाकात हुई...

फ्लैशबैक शुरू

हॉस्पिटल के स्पेशल वार्ड में रूबी बेड पर आँखे मूँद कर लेटी हुई है l शुभ्रा उसके पर बैठती है और रूबी के कंधे पर शुभ्रा हाथ रखती है तो रूबी चौंक कर अपनी आँखे खोल कर शुभ्रा को देखती है l

शुभ्रा - हाय रूबी... कितने दिन हो गए हमे मिले हुए...और यह तुमने ऐसा क्यूँ किया.... अब कैसी हो...
रूबी - (शुभ्रा को घूर के देखते हुए) कैसी लग रही हूँ...
शुभ्रा - क्य... क्या बात है... तुम इतनी उखड़ी हुई क्यूँ लग रही हो...
रूबी - हूँ... उखड़ी हुई... साँस अभी तक उखड़ी नहीं है... खैर... छोड़ो... तुम बताओ... तुम्हें इतने दिन क्यूँ लग गए... मुझसे मिलने के लिए...
शुभ्रा - (चुप हो जाती है)
रूबी - मैं जानती हूँ... डर.. और मुझे भी इसी डर ने तुम्हारे सामने आने नहीं दिया...
शुभ्रा - सॉरी यार...
रूबी - और जानती हो शुभ्रा... इसी डर ने मुझे कुछ कड़वे सच से रुबरु कर दिया...
शुभ्रा - कैसा सच...
रूबी - (चुप रहती है)
शुभ्रा - क्या... राजेश से कोई... अनबन हुआ है...
रूबी - अनबन.. हँह्हँह्... बात बनी ही कब थी...
शुभ्रा - क्या... क्या मतलब है तुम्हारा...
रूबी - वह वक्त... वह लम्हा बहुत ही खूबसूरत था... जब उसने प्रपोज किया और मैंने एक्सेप्ट किया... हमारे इस रिलेशन में.. मैं बहुत सीरियस थी... बट फॉर हिम आई वज टाइम पास.... प्रत्युष के एक्सपायर होने के बाद... राजेश दुसरे हास्पिटल चला गया प्रैक्टिस के लिए... और वहाँ पर उसे एक और टाइम पास मिल गई...
शुभ्रा - व्हाट... राजेश ऐसा निकला...
रूबी - शुभ्रा... सीरियसली... एक जवाब दोगी...
शुभ्रा - (उसे घूरती है)
रूबी - आर यु इन लव...
शुभ्रा - (हैरान हो कर ना में सिर हिलाती है)
रूबी - अच्छा है... लेट बी प्रैक्टिकल... यह प्यार व्यार सब ढकोसले हैं... प्यार में जिसे दिल कहते हैं... मेडिकल टर्म में वह एक मुट्ठी भर का मांस का लोथड़ा है जो हर इंसान के बाएं कंधे के कुछ नीचे धड़कता रहता है... प्यार लव जैसी घटिया चीज़ को इसके साथ रिलेट मत करना... वरना.. जीना मुश्किल हो जाएगा... इन पाँच सालों में मुझे जो समझ में आया... वह यह है कि... प्यार एक भरम है... और रिश्ता एक अंडरस्टेंडिंग है... बस... दुनिया में वही प्यार अमर हुए हैं... या याद किए जाते हैं... जो हद से तो गुजर जाए... पर नाकाम हो गए... क्यूंकि कामयाब प्यार कभी याद नहीं किया जाता है... वजह... प्यार कभी कामयाब होता ही नहीं है....
शुभ्रा - (रूबी की बातों को हैरान हो कर सुन रही थी)
रूबी - यह मैं अपनी पर्सनल एक्सपेरियंस से कह रही हूँ... आगे तुम्हारी जिंदगी... तुम्हारी मर्जी...
शुभ्रा - रा... राजेश... ने..
रूबी - वह जहां भी रहे... मेरी दिल से दुआ है... वह बस खुश ही रहे... (कहते कहते सुबकने लगती है) जानती हो... मैं जानती हूँ.. वह जो भी कहा है सब झूठ है... पर अगर यही किस्मत में लिखा है... तो यही सही... मैं उससे दूर रह कर उसके लिए सिर्फ दुआ करती रहूंगी...

इतना कह कर रूबी अपना चेहरा घुमा लेती है और चुप हो जाती है l शुभ्रा उसे कैबिन में रूबी को उसकी हालत में छोड़ कर और कोई क्लास किए वगैर बाहर चली जाती है l शुभ्रा पसोपेश में रहती है कि रूबी ने यह क्या दिया l वह बिना देरी किए राजेश को फोन लगाती है l राजेश की फोन बजती तो है, पर राजेश उठाता नहीं है l दो तीन बार कोशिश करती है और परिणाम वही l खीज कर शुभ्रा अपनी गाड़ी से घर की ओर निकलती है l बीच रास्ते में उसकी फोन बजने लगती है तो वह किनारे पर लगा कर फोन को देखती है l एक अनजाना फोन नंबर दिखती है l फोन पीक करती है l

शुभ्रा - हैलो...
- हाँ शुभ्रा बोलो... क्यूँ फोन किया था...
शुभ्रा - (हैरान हो कर) राजेश...?
राजेश - हाँ मैं ही हूँ...
शुभ्रा - यह.. क्या.. तुम्हारा नया नंबर है...
राजेश - नहीं... किसी और का है... क्या कोई जरूरी काम है...
शुभ्रा - हाँ.. मिलना चाहती थी मैं तुमसे...
राजेश - किस लिए...
शुभ्रा - बस काम था तुमसे... क्यूँ मिलना नहीं चाहते मुझसे...
राजेश - नहीं ऐसी बात नहीं है... पर...
शुभ्रा - पर क्या...

राजेश फोन काट देता है l शुभ्रा उसे बार बार फोन लगाती है पर कोई तब तक कॉल फॉरवर्ड हो चुका था l शुभ्रा सोच में पड़ जाती है, राजेश के अजीब बर्ताव पर l तभी उसके मोबाइल पर एक मैसेज आती है l राजेश के उसी नए नंबर से

" तुम अब मुझसे मिलने की कोशिश मत करो l मैं यहाँ बुरी तरह से घिरा हुआ हूँ l मुझ पर नजर रखी जा रही है l मुझसे मिलने की कोशिश में खुद को खतरे में मत डालो l और कभी मुझसे मिलने की कोशिश मत करना"

शुभ्रा यह पढ़ कर हैरान हो जाती है और सोचने लगती है "क्या राजेश ने खतरा कहा... मतलब.. कहीं यश... पर कैसे... और कब से... राजेश ने क्या इसलिए रूबी को खुद से दूर कर दिया.... हे भगवान यह क्या हो रहा है... क्या इस बारे में विकी जी से बात करूँ.... पहले घर चलती हूँ...

यह सोचते सोचते शुभ्रा घर पहुँचती है l शुभ्रा को रूबी की बातों से बुरा लगा था इसलिए ज्यादा देर तक वह मेडिकल में रुक नहीं पाई थी l घर में आकर अपने कमरे में पहुँच कर वह मन में थोड़ा थोड़ा डरने लगती है l उसे यह समझ में नहीं आता के क्यूँ,.. क्यूँ राजेश और रूबी के बीच ब्रेकअप हो गया l रूबी की बातों से उसे लग रहा है शायद राजेश का ही दोष होगा l वह अपनी माँ के पास जाती है


शुभ्रा - मम्मी ओ मम्मी...

शु.म - क्या है...
शुभ्रा - पापा कहाँ हैं...

शु.म - तेरे पापा पार्टी अध्यक्ष हैं... और आगे चुनाव आने वाले हैं... इसलिए बहुत बिजी हैं आज कल... लेकिन तु क्यूँ ढूंढ रही है अपने बाप को...
शुभ्रा - मम्मा... आज चलो ना फिर... हम बाहर चलते हैं... थोड़ा घूमेंगे फिरेंगे... फिर बाहर किसी होटल में खाना खाकर आयेंगे...
शु.म - (शुभ्रा की बात सुनकर कुछ सोचने लगती है)
शुभ्रा - क्या सोचने लगी मम्मी...
शु.म - यही... की खाने के लिए कौनसा होटल बढ़िया रहेगा...
शुभ्रा - (खुशी से उछलते हुए अपनी मम्मी के गालों को चूम लेती है) मेरी अच्छी मम्मी...
शु.म - ठीक है.. ठीक है... ज्यादा मस्का लगाने की जरूरत नहीं है... हम होटल ऐइरा में डिनर करेंगे....
शुभ्रा - ठीक है मम्मी...

शाम को शुभ्रा अपनी मम्मी के साथ जैसे ही होटल ऐइरा में पहुँचती है, उसे विक्रम की याद आती है l उसके चेहरे पर एक अलग खुशी छा जाती है l वह अपनी माँ की बांह थाम कर होटल की रेस्टोरेंट में आती है l शुभ्रा अपनी मम्मी को लेकर एक टेबल पर जाति है और वहाँ बैठ जाती है l तभी उसके कानों पर एक आवाज़ सुनाई देती है

- हैलो भाभी... (शुभ्रा इधर उधर देखती है, तो थोड़ी दूर पर राजेश अपने परिवार के साथ बैठा हुआ है और यह आवाज उसके छोटे भाई रॉकी की थी)
सुमित्रा - क्या बात है अध्यक्षा...(दोनों के पास आकर) माँ बेटी दोनों यहाँ... बिरजा भाई साहब कहाँ हैं.
शु.म - नहीं सुमित्रा बहन... वह पार्टी ऑफिस में बहुत बिजी हैं... इसलिए हम माँ बेटी यहाँ आए हैं..
सुमित्रा - तो फिर आप दोनों हमे क्यूँ जॉइन नहीं करते..

इससे पहले शुभ्रा कुछ कह पति तभी शुभ्रा की मम्मी

शु.म - हाँ हाँ क्यूँ नहीं

शुभ्रा बेमन व गुस्से से अपनी माँ को देखती है, उसकी माँ सुमित्रा के साथ चली जाती है तो मजबूर होकर शुभ्रा भी पीछे पीछे चलके उनके टेबल पर बैठ जाती है

रॉकी - आइए भाभी...(शुभ्रा उसे गुस्से से घूर कर देखती है)
राजेश - (रॉकी से) यह क्या बत्तमीजी है... रॉकी..
रॉकी - उसमें बत्तमीजी कहाँ से आ गई...

रमेश - (बात को बढ़ते देख) ओह... स्टॉप इट... यह होटल है... घर नहीं... (शुभ्रा से) आई कैन अंडरस्टैंड... पर उस दिन की तरह भाग मत जाना... उस दिन जितनी गलती बिरजा भाई की गलती थी... उतनी हमारी भी थी..
शुभ्रा - (बात को समझते हुए मुस्कराने की कोशिश करती है)

शुभ्रा खुद को नॉर्मल करने की कोशिश करते हुए पाढ़ी फॅमिली की ओर देखती है l पाढ़ी दंपति शुभ्रा की एक आस भरी नजर से देख रहे हैं l रॉकी के चेहरे पर खुशी झलक रही है पर राजेश उससे नजरें मिलाने से कतरा रहा है

शुभ्रा - (रमेश से) अंकल... मैं राजेश से पर्सनली कुछ बात करना चाहती हूँ..
रमेश - ठीक है... जाओ बाहर लॉबी में जाओ... या गार्डन में जाओ... बात करो एक दुसरे से...
शु.म - हाँ हाँ.. एक दुसरे को समझो...

शुभ्रा अपनी माँ को गुस्से से देखती है l शु.म सकपका जाती है और सुमित्रा की ओर देख कर मुस्कराने लगती है l शुभ्रा राजेश को इशारे से बाहर चलने को कहती है, यह देख क

रॉकी - भैया आप बिंदास जाओ... टैग अभी लगे या बाद में... हर शादी शुदा आदमी जोरु का गुलाम ही कहलाता है..

सभी यह सुन कर हँसते हैं l शुभ्रा आगे आगे बाहर की ओर जाती है और राजेश उसके पीछे पीछे l दोनों होटल के पीछे वाले गार्डन में आते हैं

शुभ्रा - व्हाट इज़ दिस राजेश... यह तुम्हारा भाई बार बार मुझे भाभी क्यों कह रहा है... और तुमने.... रूबी को डिच किया... व्हाए...
राजेश - देखो शुभ्रा... कुछ भी... कुछ भी रिएक्ट करने से पहले ध्यान से मेरी बात सुनो... मैं अब मछली की तरह यश के जाल में फंसा हुआ हूँ...
शुभ्रा - व.. व्हाट... यह... यह कब हुआ और क्यूँ...
राजेश - तुम जानती हो... प्रत्युष के चले जाने के बाद... मैं xxx हॉस्पिटल में प्रैक्टिस के लिए जॉइन किया था अचानक मुझे उस हॉस्पिटल की मैनेजमेंट ने पीजी का ऑफर दिया... अच्छी स्टाइपेंड पर... तो मैं उनके शर्तों पर तैयार हो गया... और मैंने एग्रीमेंट साइन किया... पर कुछ ही दिनों बाद... असलियत सामने आई... उस हस्पताल में यश वर्धन का भी शेयर है... इसलिए उस मेडिकल के मैनेजमेंट में भी उसकी चलती है... पर तब तक देर हो गयी थी...
शुभ्रा - यश को शक़ कैसे हुआ...
राजेश - अभी भी उसे सिर्फ शक़ है... चूँकि मैं प्रत्युष का सबसे अच्छा दोस्त था... इस आधार पर उसे सिर्फ शक़ है... और वह मुझे ऑब्जर्व कर रहा है... अभी तक तो मैं सेफ हूँ.... क्यूंकि... अभी तक मैंने ऐसी कोई हरकत नहीं की... जिसके वजह उसका शक़ यकीन में बदल जाए...
शुभ्रा - क्या इसलिए तुमने रूबी को...
राजेश - हाँ... मेरी वजह से उसकी जान पर खतरा हो सकता था... या यूँ कहो सबकी... इसलिए तो मैंने तुमसे किसी और की मोबाइल पर सिर्फ मैसेज किया....
शुभ्रा - वह तो ठीक है पर... यह तुम्हारा भाई रॉकी बार बार मुझे भाभी क्यूँ कह रहा है...
राजेश - वह असल में... (कहते कहते चुप हो जाता है)
शुभ्रा - देखो मुझे साफ साफ कहो...
राजेश - (धीरे से) आर यु ऐनगेज्ड...
शुभ्रा - (तुनक जाती है) व्हाट डु यु मिन... (फिर भवें सिकुड़ कर) वेट वेट... कहीं रूबी को डिच तुम... मेरा नाम लेकर तो नहीं किया...
राजेश - (कुछ नहीं कहता अपना सिर झुका लेता है)

शुभ्रा को गुस्सा आ जाता है और वह राजेश को एक थप्पड़ मार देती है l

शुभ्रा - यु स्कौंड्रल... तुमने मुझसे पहले दोस्ती की... और अब यह सिला दे रहे हो....(और एक बार हाथ उठाती है)
राजेश - (उसका हाथ पकड़ लेता है) बस... मैंने तुम्हारे साथ दोस्ती की है..... पर वह मर्यादा नहीं लांघा है... हाँ मैंने तुमको आगे रख कर रूबी के साथ धोखा किया है.... पर तुम्हारा नाम रूबी के सामने नहीं लिया है... मुझ पर घर में शादी के लिए जोर डाल रहे थे.... एक दिन घर पर था तभी रूबी की फोन आयी थी... तो मैंने सिर्फ यह कह कर ब्रेकअप कर लिया के... चार साल पहले मेरे माँ बाप ने जहाँ मेरी शादी तय की थी... मैं उनके मर्जी से वहीँ शादी करूंगा... क्यूंकि यह बात घर वालों के सामने हुआ था... इसलिए घर वाले तुमको ही डाऊट करने लगे... और कुछ नहीं...
शुभ्रा - (गुस्से से राजेश को देखते हुए) चार साल पहले की बात.... रूबी कैसे और कितना जानती है...
राजेश - यही... के मेरे मम्मी पापा एक जगह मेरी शादी तय करने ले गए थे... मैंने मना कर दिया था...
शुभ्रा - (कुछ नहीं कहती और राजेश को घूरते हुए देखती है) फिर मेरे ऐनगेज्ड होने की बात कहाँ से आ गई...
राजेश - बस यूँही... शुभ्रा... अगर किसीसे प्यार नहीं किया है... तो दोस्ती के नाते सलाह दे रहा हूँ... कभी प्यार मत करना... यह... यश एक कभी ना बुझने वाली आग है... जो हमेशा जलाता ही रहता है... कोई बता कर प्यार करता है... कोई जता कर प्यार करता है... पर मैं रूबी को खुद से दूर करते हुए प्यार करता हूँ... और कभी ना बुझने वाली इस आग में जल रहा हूँ... और उसके लिए दुआ कर रहा हूँ....
शुभ्रा - (अब उसे हैरान हो कर देखती रहती है)
राजेश - अब चलें...
शुभ्रा - (अपना सिर ना में हिलाती है) तुम जाओ राजेश...
राजेश - ठीक है... तुम्हारा मुड़ बिगड़ गया है... समझ सकता हूँ... हाँ... तुम्हें कहीं जाना है तो जाओ... तुम्हारे मम्मी को मैं घर ड्रॉप कर दूँगा...

शुभ्रा कुछ नहीं कहती है l अपना मुहँ दुसरी ओर फ़ेर लेती है l राजेश भी शुभ्रा के ज़वाब के इंतजार किए वगैर वहाँ से चला जाता है l शुभ्रा रूबी और राजेश के बारे में सोचते हुए गार्डन में एक चेयर पर बैठ जाती है l खुद से ही सवाल करने लगती है l

"यह कैसा प्यार है... राजेश रूबी से प्यार करता है... उसकी सलामती के लिए उसे खुद से दूर कर दिया... और रूबी टूटने के बाद भी राजेश के लिए मन में गुस्सा तो है पर नफरत नहीं करती... दोनों एक दुसरे के लिए प्यार को सिर्फ अपने दुआओं सिमट लिया है.......
मेरा प्यार... क्या.... मेरे प्यार में भी इतनी गहराई है... हाँ हाँ.. मेरा प्यार सबसे अच्छा और सच्चा है... हम दोनों भी तो प्यार के कड़ी इम्तिहान से गुजर रहे हैं... (अपनी घड़ी को देखने लगती है) कितना प्यार करते हैं मुझसे विकी... मेरी हिफाजत के लिए यह घड़ी भी दी है..."

यह सोचते हुए शुभ्रा के होठों पर मुस्कान नाच उठती है l तभी उसके कानों में कहीं पर झगड़ा होने की आवाज़ पहुँचने लगती है l शुभ्रा उस शोर की जाती है तो देखती है कि एक खूबसूरत लड़की एक आदमी की गिरेबां पकड़ कर

लड़की - तुमने मुझे बर्बाद कर दिया है... मैं तुम्हें नहीं छोड़ुंगी...
आदमी - कमीनी... तेरे में जितनी रस था सब निचोड़ चुका हूँ... बचा क्या है तुझ में... चल निकल... (लड़की के हाथ से अपनी गिरेबां को छुड़ा कर)
लड़की - मिस्टर यश वर्धन... (यह नाम सुनते ही शुभ्रा के कान खड़े हो जाते हैं) मैं तुम्हें तबाह कर दूँगी... तुम्हारा असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने ला दूंगी... (शुभ्रा तुरंत खुद को एक पेड़ के ओट में छुपा लेती है और मोबाइल से रिकॉर्डिंग शुरू कर देती है)
यश - दुनिया के लिए मिस... और कईयों के वन नाइट् मिसेस... कमीनी कुत्तीआ साली हरामजादी रंडी... निहारिका... जब तक तेरे बदन में रस ही रस था... तब तक मैंने तुझे उसके दाम भी दिए... और अपनी कंपनी के हर प्रॉडक्ट के लिए मॉडल बनाया... अब डार्लिंग... यह कंपटीशन मार्केट है... लाइन में ना जाने कितने इंतजार में खड़े हैं... तेरी जगह लेने के लिए... तो अब तेरी जरूरत नहीं है मुझे... तेरी कॉन्ट्रैक्ट खतम होते ही छोड़ दिआ...
निहारिका - तो मेरे दुसरे कॉन्ट्रैक्ट भी मुझसे क्यूँ छिन रहे हो...
यश - क्यूँकी मैं अब तुझे देख देख कर उब गया हूँ... इसलिए तुझे अपनी जिंदगी में ही नहीं... यहाँ तक किसी पोस्टर में भी नहीं देखना चाहता....
निहारिका - हूँह्... अपनी जाल में जिसे फंसाने के लिए तु यहाँ जिसे बुलाया था... मैंने उसे तेरी करतूत बता दी थी... इसलिए वह यहाँ नहीं आयी...
यश - कोई बात नहीं... मैंने जिस पर अपनी नजर इनायत की है... उसे अपने नीचे ला कर ही माना है... आज वह बच गई... तो कल अपने आप आयेगी मेरे नीचे... हा हा हा..
निहारिका - इतना खुश मत हो... यश वर्धन... ज़माना तुम्हारा असली चेहरा नहीं देखा है अब तक... मैं दिखाऊंगी... और बताऊंगी... तुम कोई फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के मालिक नहीँ हो... बल्कि एक ड्रग् सिंडिकेट के भड़वे हो... जो अपनी दवाई कंपनी के आड़ में ड्रग्स स्मगल कर रहा है... और बचे हुए ड्रग्स को अपनी दवा कम्पनी के जरिए पेशेंट में खपा रहे हो.... और तुम्हारे इस काम को अंजाम देने के लिए तुम्हारा बाप हेल्थ मिनिस्टर बना हुआ है...
यश - श्श्श्श्श्श... जानती है... यह बात.... किसने बताने की जी जान से कोशिश की थी... तो मैंने उसे जहन्नुम भेज दिया... तु तो सब जानती है ना... कुछ भी कर ले... जितना ज्यादा चिल्लाएगी मेरे लिए उतना ही आसान होगा... तु खुदको किसी पागल खाने में पाएगी... चल तुझे पूरा मौका देता हूँ... मेरे खिलाफ जो कर सकती है कर ले...

कह कर यश वहाँ से चला जाता है l उसके जाते ही शुभ्रा अपनी रिकॉर्डिंग बंद कर देती है l वह धीरे धीरे निहारिका की पास जाती है l

शुभ्रा - अहेम.. अहेम.. (खरासती है)
निहारिका - (शुभ्रा को देख कर पहले चौंक जाती है, फिर संभलते हुए) क... क... क्या बात है... यहाँ क्या कर रही हो...
शुभ्रा - कमाल है... यह सवाल तो मुझे तुमसे पूछना चाहिए था...
निहारिका - मैं.. मैं यहाँ किसीका इंतजार कर रही हूँ...
शुभ्रा - और वह... तुम्हें बेइज्जत करके चला गया है...
निहारिका - दैट्स नॉन ऑफ योर बिजनैस...
शुभ्रा - खैर... मेरा नाम शुभ्रा है... यह मेरा नंबर है... 9××× आगे तुम्हारी मर्जी...
निहारिका - तुम कौन हो... और...
शुभ्रा - फैन तो बिल्कुल नहीं हूँ... हाँ तुम्हारी मदत जरूर कर सकती हूँ...
निहारिका - ठीक है... याद रखूंगी... (कह कर वहाँ से चली जाती है)

शुभ्रा वापस रेस्टोरेंट में आकर देखती है कोई भी वहाँ पर नहीं था l इसलिए पार्किंग में आकर कार में बैठ कर घर लौट जाती है l

फ्लैशबैक में विराम

रुप - यह तो गजब हो गया... क्या इत्तेफाक था... पाढ़ी परिवार का पार्टी दो बार उसी होटल में आपने स्पॉइल कर दिया.. और कमाल की बात है के आपको उसी होटल में यश के खिलाफ सबूत भी मिल गया...
शुभ्रा - वह इत्तेफ़ाक नहीं था...
हमारी और पाढ़ी परिवार का मिलना मेरी मम्मी का प्लान था... बाकी मुझे राजेश से जानकारी लेनी थी... वह इत्तेफाक रहा... और एक इत्तेफाक... उस रोज होटल ऐइरा में यश ने पोलिटिकल रियुनीयन पार्टी दे रहा था... उसी होटल में उसे लड़ने निहारिका आ पहुँची थी... मेरे हाथ एक सबूत दे गई... पर आज के डिजिटल युग में यह सबूत काफी नहीं था... यह मैं जानती थी... इसलिए मैंने इस सबूत को दुसरे काम के लिए इस्तमाल किया...
रुप - दुसरे काम में मतलब...
शुभ्रा - मैं उस दिन देर शाम को जब घर पहुँची... तो शिकायत का पिटारा लेकर मम्मी को पापा के कान भरते देखा... जैसे ही पापा मुझ पर भड़क कर मेरे मैनर... और बिहेवियर पर सवाल खड़ा किया... मैंने भी पलट वार करते हुए उनकी और उनके पार्टी पर मैनर और बिहेवियर पर हमला बोल दिया.... उस दिन मैंने पापा की जमकर क्लास ली... उन्हें उनके पार्टी के आईडोलॉजी पर सवाल खड़ा कर दिया... उस रात पापा राजेश के लिए मेरी क्लास लेने के फ़िराक़ में थे... मैं उल्टा वह वीडियो दिखा कर पापा की क्लास लगा दी...
रुप - फिर...
शुभ्रा - फिर... फिर... अगले दिन मुझे पता चला कि... मेरी छोड़ी हुई तीर बिल्कुल निशाने पर लगी थी...
रुप - मतलब...

फ्लैशबैक शुरु

सुबह शुभ्रा की नींद उसके मोबाइल फोन की रिंग से टुट जाती है l वह फोन को बिना देखे उठाती है l

शुभ्रा - (नींद में ही) हैलो....
- हैलो... जान... गुड मॉर्निंग...
शुभ्रा - (नींद में ही खुश होते हुए) विकी जी... इतनी सुबह सुबह...
विक्रम - बस आप की याद आ रही है...
शुभ्रा - हूँ.म्म्म्म... लव यु विकी जी...
विक्रम - आपके लिए एक तोहफा है...
शुभ्रा - (अचानक अपने बेड पर बैठते हुए) सच... बताइए ना क्या तोहफा है...
विक्रम - तोहफा है... और सरप्राइज भी... बस आपको देखना होगा...
शुभ्रा - बोलिए कब आना है... आई एम क्वाइट एक्साइटेड... बस अपना नास्ता खतम किजिये... और हस्पताल जा कर क्लास अटेंड कीजिए... उसके बाद... आपके मैसेज बॉक्स में एक मैप मिल जाएगा... उसे फॉलो करते हुए आ जाइएगा... आपके दीवाने हैं... आपके इंतजार में है...
शुभ्रा - (खुशी से चहक कर) बस कुछ ही देर... मैं जल्दी तैयार हो कर निकलती हूँ....

शुभ्रा अपनी फोन काट देती है और उछलते कुदते हुए बाथरुम में घुस जाती है l तैयार होने के बाद नीचे नाश्ते के लिए उतरती है l नीचे नाश्ते के टेबल पर बिरजा पहले से ही बैठा हुआ था और किसी गहरे सोच में खोया हुआ था l जैसे ही वह टेबल पर शुभ्रा को देखता है तो

बिरजा - बेटी वह वीडियो जरा मुझे फॉरवर्ड करना....
शुभ्रा - ठीक है पापा... (कह कर मोबाइल निकालती है और वीडियो भेज देती है)

वीडियो मिलते ही बिरजा उस वीडियो को फिर से देखने लगता है l इतने में शुभ्रा जल्दी जल्दी नाश्ता खत्म कर बाहर अपनी गाड़ी में बैठ कर निकल जाती है l आज शुभ्रा कॉलेज में पहुँचते ही उसे फाइनल एक्जाम की शेड्यूल मिल जाती है l पुरे कॉलेज में ऐसे घूमने लगती है जैसे वह उड़ रही है l वह वापस आकर अपनी गाड़ी में बैठ जाती है और मोबाइल फोन में मैप ऑन कर देती है उसे फॉलो करते हुए एक बड़ी सी अपार्टमेंट के पास पहुँचती है l गाड़ी से उतर कर शुभ्रा उस अपार्टमेंट को देखती है l तभी वहाँ पर एक और गाड़ी पहुँचती है, गाड़ी से उतरकर उसके पास कुछ चल कर आते हैं l उन में से एक आदमी शुभ्रा के हाथ में कुछ डाक्यूमेंट्स देता है l

शुभ्रा - यह.. यह क्या है... और मुझे आप यह सब क्यूँ दे रहे हैं...
आदमी - इस अपार्टमेंट के उपर जो पेंट हाउस है... वह अब आपका है...
शुभ्रा - व्हाट... देखिए... आपको गलत फहमी हो रहा है... आप शायद मुझे कोई और समझ रहे हैं....
आदमी - आप सुश्री शुभ्रा सामंतराय हैं ना...
शुभ्रा - (हैरान हो कर) जी...
आदमी - तो वह पेंट हाउस... आपका ही है... (अपनी जेब से चाबियों का गुच्छा निकाल कर) यह रही उस घर की चाबी...

इतना कह कर वह आदमी वहाँ से चला जाता है l शुभ्रा हैरान हो कर विक्रम को फोन लगाती है पर उसका फोन नट रिचेबल आता है l वह उस अपार्टमेंट के एंट्रेस की ओर देखती है l उसे वहाँ पर एक वॉचमैन दिखता है l वह वॉचमैन जैसे शुभ्रा को अपने ओर देखते हुए पाता है वह सैल्यूट मारता है l शुभ्रा को समझ में नहीं आता कि वह क्या करे l कुछ देर युँही सोचते सोचते अपार्टमेंट की लिफ्ट की ओर जाती है l लिफ्ट में जाकर सबसे उपरी मंजिल की बटन दबाती है l उपर छत में पहुंच कर पेंट हाउस के दरवाज़े पर पहुँचती है l चाबियों के गुच्छे को ट्राय करती है और एक दो चाबी ट्राय करने के बाद एक चाबी से दरवाजा खुल जाता है l जैसे ही दरवाजे पर धक्का देकर अंदर आती है तभी छत के सीलिंग की फैन घूमने लगती है और उसके उपर फूलों की पंखुड़ियां गिरने लगती हैं l

- गुड आफ्टरनून जान...
शुभ्रा - (आवाज जी तरफ घूमती है) विकी... तो यह है आपकी सरप्राइज़...
विक्रम - क्यूँ पसंद नहीं आया...
शुभ्रा - (भाग कर विक्रम के गले लग जाती है) पर यह गिफ्ट... किसलिए...
विक्रम - हम तो चाहते हैं आपको हर रोज सरप्राइज दें...
शुभ्रा - पर यह क्यूँ...
विक्रम - यह हमारा प्यार का यादगार है... चलिए आज आप इस घर का एक नाम रखिए...
शुभ्रा - क्या...
विक्रम - हमारे प्यार की यादगार है... क्या आप नाम नहीं रखेंगे इसका...
शुभ्रा - (कुछ सोचती है) ठीक है.... सोच लिया..
विक्रम - अच्छा... क्या नाम सोचा है आपने...
शुभ्रा - पैराडाइस...
विक्रम - वाव... ब्यूटीफुल... बिल्कुल आपकी तरह...
शुभ्रा - पर आपने बताया नहीं... के क्यूँ लिया यह घर... जब कि आप तो एक बड़े विला में रहते हैं...
विक्रम - (चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ जाती है) हमने कहा था ना... अगली मुलाकात किसी होटल की रॉयल शूट में करेंगे...
शुभ्रा - (विक्रम से अलग होते हुए) ओ... तो जनाब चिड़िया फंसाने के लिए पेंट हाउस का दाना फेंका है...

विक्रम - (चेहरा बुझ जाता है अपना सिर झुका लेता है) शुब्बु... आप चाहें तो थप्पड़ मार लीजिए... पर हमारे प्यार को ताना तो ना मारिये...
शुभ्रा - ओ.. विकी.. मुझे आप माफ कर दीजिए... मैं तो आपकी टांग खिंच रही थी...
विक्रम - (अपनी चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कान के साथ) तो...
शुभ्रा - (थोड़ी भाव के साथ शर्माते हुए) तो...
विक्रम - ऑनऑफिसीयल शादी ही सही... पर शादी तो हुई है ना...
शुभ्रा - पर शर्त तो आपने ही रखी थी ना...
विक्रम - हाँ... वो तो है... पर आज आपकी मेडिकल फाइनल एक्जाम की... शेड्यूल तो निकल चुका है ना...
शुभ्रा - ओ... (विक्रम के गले में अपनी बाहें डाल कर) तो जनाब इसलिए इतना बेताब हैं... सब्र नहीं हो रहा है...
विक्रम - (शुभ्रा को अपनी बदन से चिपकाते हुए) क्यूँ... (शुभ्रा के आँखों में आँखे डालते हुए) आप नहीं हो बेताब...
शुभ्रा - (थरथराते हुए लंबी लंबी सांसे लेते हुए) हाँ हैं तो बहुत बेताब... शायद आपसे ज्यादा...

कहते कहते शुभ्रा के होठ विक्रम के होठों से सट जाती है l विक्रम भी झुक कर उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लेता है l फिर दो प्यासे प्रेमी अपने प्यास को बुझाने के लिए एक दुसरे को पागलों की तरह चूमने लगते हैं l विक्रम की हाथ धीरे धीरे नीचे की सरकने लगती है और दोनों हाथों में शुभ्रा के नितम्ब को कस कर ऊपर की ओर भिंचता है l शुभ्रा पर मदहोशी छाने लगती है वह एकदम से पागलों की तरह गहरी चुंबन लेने लगती है l उसके पेट पर विक्रम का खड़ा हुआ पुरुषांग चुभने लगती है जो उसके उत्तेजना को और भी भड़काने लगती है l दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने काटने लगते हैं l पर तभी दो प्रेमियों की ध्यान टुटता है l विक्रम की फोन बजने लगती है l दोनों आपस में चिपके हुए अपना चुम्बन तोड़ते हैं l विक्रम देखता है शुभ्रा का चेहरा खुशी और उत्तेजना से दमक रही है उसकी आँखे बंद है l विक्रम को एहसास होता है कि उसके दोनों हाथों ने शुभ्रा की गांड थामे हुए हैं l शुभ्रा को भी इस बात का एहसास होते ही शर्मा कर विक्रम से अलग हो जाती है l तब तक विक्रम की फोन की रिंग एक बार बंद हो कर दुबारा बजने लगती है l विक्रम अपनी सांसो को दुरूस्त करते हुए फोन देखता है l शुभ्रा देखती है फोन देख कर विक्रम की आँखे फैल गई है l
विक्रम शुभ्रा को वहीँ छोड़ कर बाहर छत में जाता है थोड़ी देर बाद आकर ड्रॉइंग रूम में टीवी ऑन करता है l टीवी पर एक ब्रेकिंग न्यूज चल रही है l

"रूलिंग पार्टी ऑफिस के सूत्रों से खबर मिली है कि श्री ओंकार चेट्टी चार वार के विजेता राज्य के भूत पूर्व स्वस्थ्य मंत्री को इसबार टिकट ना देने के लिए पार्टी अध्यक्ष बिरजा किंकर सामंतराय ने फैसला ले लिया है"
Shandaar update hai bhai maza aa gaya
 
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विक्रम से मिलकर आने के बाद शुभ्रा काफी हद तक नॉर्मल हो गई थी l वह खुशी खुशी अपने घर में पहुँचती है कि उसकी मम्मी उसे एक पार्सल थमा देती है

शु.म - यह ले.. पता नहीं आए दिन ऑनलाइन से क्या क्या मंगाती रहती है ... मेडिकल पढ़ रही है इसलिए चुप हूँ वरना... ऐसी फिजूल ख़र्च के लिए हाथ पैर तोड़के एक कोने में बिठा देती... हूँ.. ह्...

इतना कह कर शु.म पार्सल दे कर चली जाती है l पार्सल देख कर शुभ्रा हैरान हो जाती है l वह याद करने की कोशिश करती है कब उसने कौनसी प्रोडक्ट के लिए ऑनलाइन ऑर्डर किया था, पर उसे कुछ भी याद नहीं आता l तभी उसकी फोन बजने लगती है l फोन पर विक्रम का नाम देख कर फोन उठाती है l

शुभ्रा - हैलो...
विक्रम - आपको पार्सल मिल गई...
शुभ्रा - क्या... यह आपने भिजवाया है...
विक्रम - हाँ आपकी सुरक्षा के लिए...
शुभ्रा - क्या... सुरक्षा के लिए...
विक्रम - हाँ जान... उस पार्सल में एक घड़ी है... वेयर हेल्थ की... पर उसमें हमारी सिक्युरिटी कंपनी ने मोडिफाइ कर एक इसे स्पाय वाच बना दिया है... उस बॉक्स में एक कंप्युटर जेनेरेट मैनुअल होगा... उसमें लिखे हर इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते जाइए...
शुभ्रा - (घबरा कर) पर यह घड़ी मुझे क्यूँ दे रहे हैं... और इसमे क्या फायदा है...
विक्रम - शांत.. आप पहले शांत हो जाए... देखिए... आप हमारे लिए बहुत मायने रखते हैं.... हम नहीं चाहते हैं कि आप को यश से किसी भी तरह का खतरा हो... इसलिए यह एक प्रिकौशन है...
शुभ्रा - पर...
विक्रम - प्लीज... हमारे खातिर...
शुभ्रा - आप ऐसे ना कहिए... आपके लिए कुछ भी... पर इससे मेरी सिक्युरिटी कैसे होगी...
विक्रम - जान.. यह घड़ी नैनो टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है... इसमें माइक, रिकॉर्डर और जीपीएस है... इसकी ऐप आप अपने मोबाइल पर इंस्टॉल करते ही... यह मेरे मोबाइल से जुड़ जाएगा... आपकी हर खबर मुझ तक पहुंचाएगा...
शुभ्रा - ओ.. विकी... आप कितने अच्छे हैं... आपसे मिलकर घर पहुँची भी नहीं... आपने मेरे लिए यह गैजेट् भेज दी... मुझे नाज़ है आपने प्यार पर...
विक्रम - और मुझे भी...
शुभ्रा - लव यु..
विक्रम - लव यु ठु माय लव...

इतना कह कर विक्रम फोन काट देता है l शुभ्रा अपने फोन को पहले चूमती है और फिर पार्सल से घड़ी निकाल कर उसकी ऐप को मोबाइल में लोड कर देती है l

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

रुप - ओ.. तो यह है वह स्पाय वाच की कहानी...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - भाभी... प्रत्युष के माता पिता से मिलने की कभी आपने कोशिश नहीं की...
शुभ्रा - नहीं... नहीं की... क्यूंकि तुम्हारे भाई को अंदेशा था... यश जरूर उनसे मिलने वालों की खबर रखता होगा... इसलिए उन्होंने कहा कि... पहले मेडिकल खतम कर लो ... बाद में मिल लेना...
रुप - ओ.. फिर आपके वह दोस्त.. मेरा मतलब है... राजेश और रूबी...
शुभ्रा - राजेश तो किसी और हॉस्पिटल में प्रैक्टिस के लिए चला गया था... पर हाँ... प्रत्युष के देहांत के बाद... रूबी से कभी मुलाकात नहीं हो पाई थी... एक दिन मुझे खबर मिली कि उसनें स्लीपिंग पिल्स ले लिया है.... और उसे मेडिकल कॉलेज में ही एडमिट करा दिया गया है... यह खबर मिलने के बाद मैं मेडिकल के स्पेशल वार्ड में उससे मिलने गई... पर जब मुलाकात हुई...

फ्लैशबैक शुरू

हॉस्पिटल के स्पेशल वार्ड में रूबी बेड पर आँखे मूँद कर लेटी हुई है l शुभ्रा उसके पर बैठती है और रूबी के कंधे पर शुभ्रा हाथ रखती है तो रूबी चौंक कर अपनी आँखे खोल कर शुभ्रा को देखती है l

शुभ्रा - हाय रूबी... कितने दिन हो गए हमे मिले हुए...और यह तुमने ऐसा क्यूँ किया.... अब कैसी हो...
रूबी - (शुभ्रा को घूर के देखते हुए) कैसी लग रही हूँ...
शुभ्रा - क्य... क्या बात है... तुम इतनी उखड़ी हुई क्यूँ लग रही हो...
रूबी - हूँ... उखड़ी हुई... साँस अभी तक उखड़ी नहीं है... खैर... छोड़ो... तुम बताओ... तुम्हें इतने दिन क्यूँ लग गए... मुझसे मिलने के लिए...
शुभ्रा - (चुप हो जाती है)
रूबी - मैं जानती हूँ... डर.. और मुझे भी इसी डर ने तुम्हारे सामने आने नहीं दिया...
शुभ्रा - सॉरी यार...
रूबी - और जानती हो शुभ्रा... इसी डर ने मुझे कुछ कड़वे सच से रुबरु कर दिया...
शुभ्रा - कैसा सच...
रूबी - (चुप रहती है)
शुभ्रा - क्या... राजेश से कोई... अनबन हुआ है...
रूबी - अनबन.. हँह्हँह्... बात बनी ही कब थी...
शुभ्रा - क्या... क्या मतलब है तुम्हारा...
रूबी - वह वक्त... वह लम्हा बहुत ही खूबसूरत था... जब उसने प्रपोज किया और मैंने एक्सेप्ट किया... हमारे इस रिलेशन में.. मैं बहुत सीरियस थी... बट फॉर हिम आई वज टाइम पास.... प्रत्युष के एक्सपायर होने के बाद... राजेश दुसरे हास्पिटल चला गया प्रैक्टिस के लिए... और वहाँ पर उसे एक और टाइम पास मिल गई...
शुभ्रा - व्हाट... राजेश ऐसा निकला...
रूबी - शुभ्रा... सीरियसली... एक जवाब दोगी...
शुभ्रा - (उसे घूरती है)
रूबी - आर यु इन लव...
शुभ्रा - (हैरान हो कर ना में सिर हिलाती है)
रूबी - अच्छा है... लेट बी प्रैक्टिकल... यह प्यार व्यार सब ढकोसले हैं... प्यार में जिसे दिल कहते हैं... मेडिकल टर्म में वह एक मुट्ठी भर का मांस का लोथड़ा है जो हर इंसान के बाएं कंधे के कुछ नीचे धड़कता रहता है... प्यार लव जैसी घटिया चीज़ को इसके साथ रिलेट मत करना... वरना.. जीना मुश्किल हो जाएगा... इन पाँच सालों में मुझे जो समझ में आया... वह यह है कि... प्यार एक भरम है... और रिश्ता एक अंडरस्टेंडिंग है... बस... दुनिया में वही प्यार अमर हुए हैं... या याद किए जाते हैं... जो हद से तो गुजर जाए... पर नाकाम हो गए... क्यूंकि कामयाब प्यार कभी याद नहीं किया जाता है... वजह... प्यार कभी कामयाब होता ही नहीं है....
शुभ्रा - (रूबी की बातों को हैरान हो कर सुन रही थी)
रूबी - यह मैं अपनी पर्सनल एक्सपेरियंस से कह रही हूँ... आगे तुम्हारी जिंदगी... तुम्हारी मर्जी...
शुभ्रा - रा... राजेश... ने..
रूबी - वह जहां भी रहे... मेरी दिल से दुआ है... वह बस खुश ही रहे... (कहते कहते सुबकने लगती है) जानती हो... मैं जानती हूँ.. वह जो भी कहा है सब झूठ है... पर अगर यही किस्मत में लिखा है... तो यही सही... मैं उससे दूर रह कर उसके लिए सिर्फ दुआ करती रहूंगी...

इतना कह कर रूबी अपना चेहरा घुमा लेती है और चुप हो जाती है l शुभ्रा उसे कैबिन में रूबी को उसकी हालत में छोड़ कर और कोई क्लास किए वगैर बाहर चली जाती है l शुभ्रा पसोपेश में रहती है कि रूबी ने यह क्या दिया l वह बिना देरी किए राजेश को फोन लगाती है l राजेश की फोन बजती तो है, पर राजेश उठाता नहीं है l दो तीन बार कोशिश करती है और परिणाम वही l खीज कर शुभ्रा अपनी गाड़ी से घर की ओर निकलती है l बीच रास्ते में उसकी फोन बजने लगती है तो वह किनारे पर लगा कर फोन को देखती है l एक अनजाना फोन नंबर दिखती है l फोन पीक करती है l

शुभ्रा - हैलो...
- हाँ शुभ्रा बोलो... क्यूँ फोन किया था...
शुभ्रा - (हैरान हो कर) राजेश...?
राजेश - हाँ मैं ही हूँ...
शुभ्रा - यह.. क्या.. तुम्हारा नया नंबर है...
राजेश - नहीं... किसी और का है... क्या कोई जरूरी काम है...
शुभ्रा - हाँ.. मिलना चाहती थी मैं तुमसे...
राजेश - किस लिए...
शुभ्रा - बस काम था तुमसे... क्यूँ मिलना नहीं चाहते मुझसे...
राजेश - नहीं ऐसी बात नहीं है... पर...
शुभ्रा - पर क्या...

राजेश फोन काट देता है l शुभ्रा उसे बार बार फोन लगाती है पर कोई तब तक कॉल फॉरवर्ड हो चुका था l शुभ्रा सोच में पड़ जाती है, राजेश के अजीब बर्ताव पर l तभी उसके मोबाइल पर एक मैसेज आती है l राजेश के उसी नए नंबर से

" तुम अब मुझसे मिलने की कोशिश मत करो l मैं यहाँ बुरी तरह से घिरा हुआ हूँ l मुझ पर नजर रखी जा रही है l मुझसे मिलने की कोशिश में खुद को खतरे में मत डालो l और कभी मुझसे मिलने की कोशिश मत करना"

शुभ्रा यह पढ़ कर हैरान हो जाती है और सोचने लगती है "क्या राजेश ने खतरा कहा... मतलब.. कहीं यश... पर कैसे... और कब से... राजेश ने क्या इसलिए रूबी को खुद से दूर कर दिया.... हे भगवान यह क्या हो रहा है... क्या इस बारे में विकी जी से बात करूँ.... पहले घर चलती हूँ...

यह सोचते सोचते शुभ्रा घर पहुँचती है l शुभ्रा को रूबी की बातों से बुरा लगा था इसलिए ज्यादा देर तक वह मेडिकल में रुक नहीं पाई थी l घर में आकर अपने कमरे में पहुँच कर वह मन में थोड़ा थोड़ा डरने लगती है l उसे यह समझ में नहीं आता के क्यूँ,.. क्यूँ राजेश और रूबी के बीच ब्रेकअप हो गया l रूबी की बातों से उसे लग रहा है शायद राजेश का ही दोष होगा l वह अपनी माँ के पास जाती है


शुभ्रा - मम्मी ओ मम्मी...

शु.म - क्या है...
शुभ्रा - पापा कहाँ हैं...

शु.म - तेरे पापा पार्टी अध्यक्ष हैं... और आगे चुनाव आने वाले हैं... इसलिए बहुत बिजी हैं आज कल... लेकिन तु क्यूँ ढूंढ रही है अपने बाप को...
शुभ्रा - मम्मा... आज चलो ना फिर... हम बाहर चलते हैं... थोड़ा घूमेंगे फिरेंगे... फिर बाहर किसी होटल में खाना खाकर आयेंगे...
शु.म - (शुभ्रा की बात सुनकर कुछ सोचने लगती है)
शुभ्रा - क्या सोचने लगी मम्मी...
शु.म - यही... की खाने के लिए कौनसा होटल बढ़िया रहेगा...
शुभ्रा - (खुशी से उछलते हुए अपनी मम्मी के गालों को चूम लेती है) मेरी अच्छी मम्मी...
शु.म - ठीक है.. ठीक है... ज्यादा मस्का लगाने की जरूरत नहीं है... हम होटल ऐइरा में डिनर करेंगे....
शुभ्रा - ठीक है मम्मी...

शाम को शुभ्रा अपनी मम्मी के साथ जैसे ही होटल ऐइरा में पहुँचती है, उसे विक्रम की याद आती है l उसके चेहरे पर एक अलग खुशी छा जाती है l वह अपनी माँ की बांह थाम कर होटल की रेस्टोरेंट में आती है l शुभ्रा अपनी मम्मी को लेकर एक टेबल पर जाति है और वहाँ बैठ जाती है l तभी उसके कानों पर एक आवाज़ सुनाई देती है

- हैलो भाभी... (शुभ्रा इधर उधर देखती है, तो थोड़ी दूर पर राजेश अपने परिवार के साथ बैठा हुआ है और यह आवाज उसके छोटे भाई रॉकी की थी)
सुमित्रा - क्या बात है अध्यक्षा...(दोनों के पास आकर) माँ बेटी दोनों यहाँ... बिरजा भाई साहब कहाँ हैं.
शु.म - नहीं सुमित्रा बहन... वह पार्टी ऑफिस में बहुत बिजी हैं... इसलिए हम माँ बेटी यहाँ आए हैं..
सुमित्रा - तो फिर आप दोनों हमे क्यूँ जॉइन नहीं करते..

इससे पहले शुभ्रा कुछ कह पति तभी शुभ्रा की मम्मी

शु.म - हाँ हाँ क्यूँ नहीं

शुभ्रा बेमन व गुस्से से अपनी माँ को देखती है, उसकी माँ सुमित्रा के साथ चली जाती है तो मजबूर होकर शुभ्रा भी पीछे पीछे चलके उनके टेबल पर बैठ जाती है

रॉकी - आइए भाभी...(शुभ्रा उसे गुस्से से घूर कर देखती है)
राजेश - (रॉकी से) यह क्या बत्तमीजी है... रॉकी..
रॉकी - उसमें बत्तमीजी कहाँ से आ गई...

रमेश - (बात को बढ़ते देख) ओह... स्टॉप इट... यह होटल है... घर नहीं... (शुभ्रा से) आई कैन अंडरस्टैंड... पर उस दिन की तरह भाग मत जाना... उस दिन जितनी गलती बिरजा भाई की गलती थी... उतनी हमारी भी थी..
शुभ्रा - (बात को समझते हुए मुस्कराने की कोशिश करती है)

शुभ्रा खुद को नॉर्मल करने की कोशिश करते हुए पाढ़ी फॅमिली की ओर देखती है l पाढ़ी दंपति शुभ्रा की एक आस भरी नजर से देख रहे हैं l रॉकी के चेहरे पर खुशी झलक रही है पर राजेश उससे नजरें मिलाने से कतरा रहा है

शुभ्रा - (रमेश से) अंकल... मैं राजेश से पर्सनली कुछ बात करना चाहती हूँ..
रमेश - ठीक है... जाओ बाहर लॉबी में जाओ... या गार्डन में जाओ... बात करो एक दुसरे से...
शु.म - हाँ हाँ.. एक दुसरे को समझो...

शुभ्रा अपनी माँ को गुस्से से देखती है l शु.म सकपका जाती है और सुमित्रा की ओर देख कर मुस्कराने लगती है l शुभ्रा राजेश को इशारे से बाहर चलने को कहती है, यह देख क

रॉकी - भैया आप बिंदास जाओ... टैग अभी लगे या बाद में... हर शादी शुदा आदमी जोरु का गुलाम ही कहलाता है..

सभी यह सुन कर हँसते हैं l शुभ्रा आगे आगे बाहर की ओर जाती है और राजेश उसके पीछे पीछे l दोनों होटल के पीछे वाले गार्डन में आते हैं

शुभ्रा - व्हाट इज़ दिस राजेश... यह तुम्हारा भाई बार बार मुझे भाभी क्यों कह रहा है... और तुमने.... रूबी को डिच किया... व्हाए...
राजेश - देखो शुभ्रा... कुछ भी... कुछ भी रिएक्ट करने से पहले ध्यान से मेरी बात सुनो... मैं अब मछली की तरह यश के जाल में फंसा हुआ हूँ...
शुभ्रा - व.. व्हाट... यह... यह कब हुआ और क्यूँ...
राजेश - तुम जानती हो... प्रत्युष के चले जाने के बाद... मैं xxx हॉस्पिटल में प्रैक्टिस के लिए जॉइन किया था अचानक मुझे उस हॉस्पिटल की मैनेजमेंट ने पीजी का ऑफर दिया... अच्छी स्टाइपेंड पर... तो मैं उनके शर्तों पर तैयार हो गया... और मैंने एग्रीमेंट साइन किया... पर कुछ ही दिनों बाद... असलियत सामने आई... उस हस्पताल में यश वर्धन का भी शेयर है... इसलिए उस मेडिकल के मैनेजमेंट में भी उसकी चलती है... पर तब तक देर हो गयी थी...
शुभ्रा - यश को शक़ कैसे हुआ...
राजेश - अभी भी उसे सिर्फ शक़ है... चूँकि मैं प्रत्युष का सबसे अच्छा दोस्त था... इस आधार पर उसे सिर्फ शक़ है... और वह मुझे ऑब्जर्व कर रहा है... अभी तक तो मैं सेफ हूँ.... क्यूंकि... अभी तक मैंने ऐसी कोई हरकत नहीं की... जिसके वजह उसका शक़ यकीन में बदल जाए...
शुभ्रा - क्या इसलिए तुमने रूबी को...
राजेश - हाँ... मेरी वजह से उसकी जान पर खतरा हो सकता था... या यूँ कहो सबकी... इसलिए तो मैंने तुमसे किसी और की मोबाइल पर सिर्फ मैसेज किया....
शुभ्रा - वह तो ठीक है पर... यह तुम्हारा भाई रॉकी बार बार मुझे भाभी क्यूँ कह रहा है...
राजेश - वह असल में... (कहते कहते चुप हो जाता है)
शुभ्रा - देखो मुझे साफ साफ कहो...
राजेश - (धीरे से) आर यु ऐनगेज्ड...
शुभ्रा - (तुनक जाती है) व्हाट डु यु मिन... (फिर भवें सिकुड़ कर) वेट वेट... कहीं रूबी को डिच तुम... मेरा नाम लेकर तो नहीं किया...
राजेश - (कुछ नहीं कहता अपना सिर झुका लेता है)

शुभ्रा को गुस्सा आ जाता है और वह राजेश को एक थप्पड़ मार देती है l

शुभ्रा - यु स्कौंड्रल... तुमने मुझसे पहले दोस्ती की... और अब यह सिला दे रहे हो....(और एक बार हाथ उठाती है)
राजेश - (उसका हाथ पकड़ लेता है) बस... मैंने तुम्हारे साथ दोस्ती की है..... पर वह मर्यादा नहीं लांघा है... हाँ मैंने तुमको आगे रख कर रूबी के साथ धोखा किया है.... पर तुम्हारा नाम रूबी के सामने नहीं लिया है... मुझ पर घर में शादी के लिए जोर डाल रहे थे.... एक दिन घर पर था तभी रूबी की फोन आयी थी... तो मैंने सिर्फ यह कह कर ब्रेकअप कर लिया के... चार साल पहले मेरे माँ बाप ने जहाँ मेरी शादी तय की थी... मैं उनके मर्जी से वहीँ शादी करूंगा... क्यूंकि यह बात घर वालों के सामने हुआ था... इसलिए घर वाले तुमको ही डाऊट करने लगे... और कुछ नहीं...
शुभ्रा - (गुस्से से राजेश को देखते हुए) चार साल पहले की बात.... रूबी कैसे और कितना जानती है...
राजेश - यही... के मेरे मम्मी पापा एक जगह मेरी शादी तय करने ले गए थे... मैंने मना कर दिया था...
शुभ्रा - (कुछ नहीं कहती और राजेश को घूरते हुए देखती है) फिर मेरे ऐनगेज्ड होने की बात कहाँ से आ गई...
राजेश - बस यूँही... शुभ्रा... अगर किसीसे प्यार नहीं किया है... तो दोस्ती के नाते सलाह दे रहा हूँ... कभी प्यार मत करना... यह... यश एक कभी ना बुझने वाली आग है... जो हमेशा जलाता ही रहता है... कोई बता कर प्यार करता है... कोई जता कर प्यार करता है... पर मैं रूबी को खुद से दूर करते हुए प्यार करता हूँ... और कभी ना बुझने वाली इस आग में जल रहा हूँ... और उसके लिए दुआ कर रहा हूँ....
शुभ्रा - (अब उसे हैरान हो कर देखती रहती है)
राजेश - अब चलें...
शुभ्रा - (अपना सिर ना में हिलाती है) तुम जाओ राजेश...
राजेश - ठीक है... तुम्हारा मुड़ बिगड़ गया है... समझ सकता हूँ... हाँ... तुम्हें कहीं जाना है तो जाओ... तुम्हारे मम्मी को मैं घर ड्रॉप कर दूँगा...

शुभ्रा कुछ नहीं कहती है l अपना मुहँ दुसरी ओर फ़ेर लेती है l राजेश भी शुभ्रा के ज़वाब के इंतजार किए वगैर वहाँ से चला जाता है l शुभ्रा रूबी और राजेश के बारे में सोचते हुए गार्डन में एक चेयर पर बैठ जाती है l खुद से ही सवाल करने लगती है l

"यह कैसा प्यार है... राजेश रूबी से प्यार करता है... उसकी सलामती के लिए उसे खुद से दूर कर दिया... और रूबी टूटने के बाद भी राजेश के लिए मन में गुस्सा तो है पर नफरत नहीं करती... दोनों एक दुसरे के लिए प्यार को सिर्फ अपने दुआओं सिमट लिया है.......
मेरा प्यार... क्या.... मेरे प्यार में भी इतनी गहराई है... हाँ हाँ.. मेरा प्यार सबसे अच्छा और सच्चा है... हम दोनों भी तो प्यार के कड़ी इम्तिहान से गुजर रहे हैं... (अपनी घड़ी को देखने लगती है) कितना प्यार करते हैं मुझसे विकी... मेरी हिफाजत के लिए यह घड़ी भी दी है..."

यह सोचते हुए शुभ्रा के होठों पर मुस्कान नाच उठती है l तभी उसके कानों में कहीं पर झगड़ा होने की आवाज़ पहुँचने लगती है l शुभ्रा उस शोर की जाती है तो देखती है कि एक खूबसूरत लड़की एक आदमी की गिरेबां पकड़ कर

लड़की - तुमने मुझे बर्बाद कर दिया है... मैं तुम्हें नहीं छोड़ुंगी...
आदमी - कमीनी... तेरे में जितनी रस था सब निचोड़ चुका हूँ... बचा क्या है तुझ में... चल निकल... (लड़की के हाथ से अपनी गिरेबां को छुड़ा कर)
लड़की - मिस्टर यश वर्धन... (यह नाम सुनते ही शुभ्रा के कान खड़े हो जाते हैं) मैं तुम्हें तबाह कर दूँगी... तुम्हारा असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने ला दूंगी... (शुभ्रा तुरंत खुद को एक पेड़ के ओट में छुपा लेती है और मोबाइल से रिकॉर्डिंग शुरू कर देती है)
यश - दुनिया के लिए मिस... और कईयों के वन नाइट् मिसेस... कमीनी कुत्तीआ साली हरामजादी रंडी... निहारिका... जब तक तेरे बदन में रस ही रस था... तब तक मैंने तुझे उसके दाम भी दिए... और अपनी कंपनी के हर प्रॉडक्ट के लिए मॉडल बनाया... अब डार्लिंग... यह कंपटीशन मार्केट है... लाइन में ना जाने कितने इंतजार में खड़े हैं... तेरी जगह लेने के लिए... तो अब तेरी जरूरत नहीं है मुझे... तेरी कॉन्ट्रैक्ट खतम होते ही छोड़ दिआ...
निहारिका - तो मेरे दुसरे कॉन्ट्रैक्ट भी मुझसे क्यूँ छिन रहे हो...
यश - क्यूँकी मैं अब तुझे देख देख कर उब गया हूँ... इसलिए तुझे अपनी जिंदगी में ही नहीं... यहाँ तक किसी पोस्टर में भी नहीं देखना चाहता....
निहारिका - हूँह्... अपनी जाल में जिसे फंसाने के लिए तु यहाँ जिसे बुलाया था... मैंने उसे तेरी करतूत बता दी थी... इसलिए वह यहाँ नहीं आयी...
यश - कोई बात नहीं... मैंने जिस पर अपनी नजर इनायत की है... उसे अपने नीचे ला कर ही माना है... आज वह बच गई... तो कल अपने आप आयेगी मेरे नीचे... हा हा हा..
निहारिका - इतना खुश मत हो... यश वर्धन... ज़माना तुम्हारा असली चेहरा नहीं देखा है अब तक... मैं दिखाऊंगी... और बताऊंगी... तुम कोई फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के मालिक नहीँ हो... बल्कि एक ड्रग् सिंडिकेट के भड़वे हो... जो अपनी दवाई कंपनी के आड़ में ड्रग्स स्मगल कर रहा है... और बचे हुए ड्रग्स को अपनी दवा कम्पनी के जरिए पेशेंट में खपा रहे हो.... और तुम्हारे इस काम को अंजाम देने के लिए तुम्हारा बाप हेल्थ मिनिस्टर बना हुआ है...
यश - श्श्श्श्श्श... जानती है... यह बात.... किसने बताने की जी जान से कोशिश की थी... तो मैंने उसे जहन्नुम भेज दिया... तु तो सब जानती है ना... कुछ भी कर ले... जितना ज्यादा चिल्लाएगी मेरे लिए उतना ही आसान होगा... तु खुदको किसी पागल खाने में पाएगी... चल तुझे पूरा मौका देता हूँ... मेरे खिलाफ जो कर सकती है कर ले...

कह कर यश वहाँ से चला जाता है l उसके जाते ही शुभ्रा अपनी रिकॉर्डिंग बंद कर देती है l वह धीरे धीरे निहारिका की पास जाती है l

शुभ्रा - अहेम.. अहेम.. (खरासती है)
निहारिका - (शुभ्रा को देख कर पहले चौंक जाती है, फिर संभलते हुए) क... क... क्या बात है... यहाँ क्या कर रही हो...
शुभ्रा - कमाल है... यह सवाल तो मुझे तुमसे पूछना चाहिए था...
निहारिका - मैं.. मैं यहाँ किसीका इंतजार कर रही हूँ...
शुभ्रा - और वह... तुम्हें बेइज्जत करके चला गया है...
निहारिका - दैट्स नॉन ऑफ योर बिजनैस...
शुभ्रा - खैर... मेरा नाम शुभ्रा है... यह मेरा नंबर है... 9××× आगे तुम्हारी मर्जी...
निहारिका - तुम कौन हो... और...
शुभ्रा - फैन तो बिल्कुल नहीं हूँ... हाँ तुम्हारी मदत जरूर कर सकती हूँ...
निहारिका - ठीक है... याद रखूंगी... (कह कर वहाँ से चली जाती है)

शुभ्रा वापस रेस्टोरेंट में आकर देखती है कोई भी वहाँ पर नहीं था l इसलिए पार्किंग में आकर कार में बैठ कर घर लौट जाती है l

फ्लैशबैक में विराम

रुप - यह तो गजब हो गया... क्या इत्तेफाक था... पाढ़ी परिवार का पार्टी दो बार उसी होटल में आपने स्पॉइल कर दिया.. और कमाल की बात है के आपको उसी होटल में यश के खिलाफ सबूत भी मिल गया...
शुभ्रा - वह इत्तेफ़ाक नहीं था...
हमारी और पाढ़ी परिवार का मिलना मेरी मम्मी का प्लान था... बाकी मुझे राजेश से जानकारी लेनी थी... वह इत्तेफाक रहा... और एक इत्तेफाक... उस रोज होटल ऐइरा में यश ने पोलिटिकल रियुनीयन पार्टी दे रहा था... उसी होटल में उसे लड़ने निहारिका आ पहुँची थी... मेरे हाथ एक सबूत दे गई... पर आज के डिजिटल युग में यह सबूत काफी नहीं था... यह मैं जानती थी... इसलिए मैंने इस सबूत को दुसरे काम के लिए इस्तमाल किया...
रुप - दुसरे काम में मतलब...
शुभ्रा - मैं उस दिन देर शाम को जब घर पहुँची... तो शिकायत का पिटारा लेकर मम्मी को पापा के कान भरते देखा... जैसे ही पापा मुझ पर भड़क कर मेरे मैनर... और बिहेवियर पर सवाल खड़ा किया... मैंने भी पलट वार करते हुए उनकी और उनके पार्टी पर मैनर और बिहेवियर पर हमला बोल दिया.... उस दिन मैंने पापा की जमकर क्लास ली... उन्हें उनके पार्टी के आईडोलॉजी पर सवाल खड़ा कर दिया... उस रात पापा राजेश के लिए मेरी क्लास लेने के फ़िराक़ में थे... मैं उल्टा वह वीडियो दिखा कर पापा की क्लास लगा दी...
रुप - फिर...
शुभ्रा - फिर... फिर... अगले दिन मुझे पता चला कि... मेरी छोड़ी हुई तीर बिल्कुल निशाने पर लगी थी...
रुप - मतलब...

फ्लैशबैक शुरु

सुबह शुभ्रा की नींद उसके मोबाइल फोन की रिंग से टुट जाती है l वह फोन को बिना देखे उठाती है l

शुभ्रा - (नींद में ही) हैलो....
- हैलो... जान... गुड मॉर्निंग...
शुभ्रा - (नींद में ही खुश होते हुए) विकी जी... इतनी सुबह सुबह...
विक्रम - बस आप की याद आ रही है...
शुभ्रा - हूँ.म्म्म्म... लव यु विकी जी...
विक्रम - आपके लिए एक तोहफा है...
शुभ्रा - (अचानक अपने बेड पर बैठते हुए) सच... बताइए ना क्या तोहफा है...
विक्रम - तोहफा है... और सरप्राइज भी... बस आपको देखना होगा...
शुभ्रा - बोलिए कब आना है... आई एम क्वाइट एक्साइटेड... बस अपना नास्ता खतम किजिये... और हस्पताल जा कर क्लास अटेंड कीजिए... उसके बाद... आपके मैसेज बॉक्स में एक मैप मिल जाएगा... उसे फॉलो करते हुए आ जाइएगा... आपके दीवाने हैं... आपके इंतजार में है...
शुभ्रा - (खुशी से चहक कर) बस कुछ ही देर... मैं जल्दी तैयार हो कर निकलती हूँ....

शुभ्रा अपनी फोन काट देती है और उछलते कुदते हुए बाथरुम में घुस जाती है l तैयार होने के बाद नीचे नाश्ते के लिए उतरती है l नीचे नाश्ते के टेबल पर बिरजा पहले से ही बैठा हुआ था और किसी गहरे सोच में खोया हुआ था l जैसे ही वह टेबल पर शुभ्रा को देखता है तो

बिरजा - बेटी वह वीडियो जरा मुझे फॉरवर्ड करना....
शुभ्रा - ठीक है पापा... (कह कर मोबाइल निकालती है और वीडियो भेज देती है)

वीडियो मिलते ही बिरजा उस वीडियो को फिर से देखने लगता है l इतने में शुभ्रा जल्दी जल्दी नाश्ता खत्म कर बाहर अपनी गाड़ी में बैठ कर निकल जाती है l आज शुभ्रा कॉलेज में पहुँचते ही उसे फाइनल एक्जाम की शेड्यूल मिल जाती है l पुरे कॉलेज में ऐसे घूमने लगती है जैसे वह उड़ रही है l वह वापस आकर अपनी गाड़ी में बैठ जाती है और मोबाइल फोन में मैप ऑन कर देती है उसे फॉलो करते हुए एक बड़ी सी अपार्टमेंट के पास पहुँचती है l गाड़ी से उतर कर शुभ्रा उस अपार्टमेंट को देखती है l तभी वहाँ पर एक और गाड़ी पहुँचती है, गाड़ी से उतरकर उसके पास कुछ चल कर आते हैं l उन में से एक आदमी शुभ्रा के हाथ में कुछ डाक्यूमेंट्स देता है l

शुभ्रा - यह.. यह क्या है... और मुझे आप यह सब क्यूँ दे रहे हैं...
आदमी - इस अपार्टमेंट के उपर जो पेंट हाउस है... वह अब आपका है...
शुभ्रा - व्हाट... देखिए... आपको गलत फहमी हो रहा है... आप शायद मुझे कोई और समझ रहे हैं....
आदमी - आप सुश्री शुभ्रा सामंतराय हैं ना...
शुभ्रा - (हैरान हो कर) जी...
आदमी - तो वह पेंट हाउस... आपका ही है... (अपनी जेब से चाबियों का गुच्छा निकाल कर) यह रही उस घर की चाबी...

इतना कह कर वह आदमी वहाँ से चला जाता है l शुभ्रा हैरान हो कर विक्रम को फोन लगाती है पर उसका फोन नट रिचेबल आता है l वह उस अपार्टमेंट के एंट्रेस की ओर देखती है l उसे वहाँ पर एक वॉचमैन दिखता है l वह वॉचमैन जैसे शुभ्रा को अपने ओर देखते हुए पाता है वह सैल्यूट मारता है l शुभ्रा को समझ में नहीं आता कि वह क्या करे l कुछ देर युँही सोचते सोचते अपार्टमेंट की लिफ्ट की ओर जाती है l लिफ्ट में जाकर सबसे उपरी मंजिल की बटन दबाती है l उपर छत में पहुंच कर पेंट हाउस के दरवाज़े पर पहुँचती है l चाबियों के गुच्छे को ट्राय करती है और एक दो चाबी ट्राय करने के बाद एक चाबी से दरवाजा खुल जाता है l जैसे ही दरवाजे पर धक्का देकर अंदर आती है तभी छत के सीलिंग की फैन घूमने लगती है और उसके उपर फूलों की पंखुड़ियां गिरने लगती हैं l

- गुड आफ्टरनून जान...
शुभ्रा - (आवाज जी तरफ घूमती है) विकी... तो यह है आपकी सरप्राइज़...
विक्रम - क्यूँ पसंद नहीं आया...
शुभ्रा - (भाग कर विक्रम के गले लग जाती है) पर यह गिफ्ट... किसलिए...
विक्रम - हम तो चाहते हैं आपको हर रोज सरप्राइज दें...
शुभ्रा - पर यह क्यूँ...
विक्रम - यह हमारा प्यार का यादगार है... चलिए आज आप इस घर का एक नाम रखिए...
शुभ्रा - क्या...
विक्रम - हमारे प्यार की यादगार है... क्या आप नाम नहीं रखेंगे इसका...
शुभ्रा - (कुछ सोचती है) ठीक है.... सोच लिया..
विक्रम - अच्छा... क्या नाम सोचा है आपने...
शुभ्रा - पैराडाइस...
विक्रम - वाव... ब्यूटीफुल... बिल्कुल आपकी तरह...
शुभ्रा - पर आपने बताया नहीं... के क्यूँ लिया यह घर... जब कि आप तो एक बड़े विला में रहते हैं...
विक्रम - (चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ जाती है) हमने कहा था ना... अगली मुलाकात किसी होटल की रॉयल शूट में करेंगे...
शुभ्रा - (विक्रम से अलग होते हुए) ओ... तो जनाब चिड़िया फंसाने के लिए पेंट हाउस का दाना फेंका है...

विक्रम - (चेहरा बुझ जाता है अपना सिर झुका लेता है) शुब्बु... आप चाहें तो थप्पड़ मार लीजिए... पर हमारे प्यार को ताना तो ना मारिये...
शुभ्रा - ओ.. विकी.. मुझे आप माफ कर दीजिए... मैं तो आपकी टांग खिंच रही थी...
विक्रम - (अपनी चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कान के साथ) तो...
शुभ्रा - (थोड़ी भाव के साथ शर्माते हुए) तो...
विक्रम - ऑनऑफिसीयल शादी ही सही... पर शादी तो हुई है ना...
शुभ्रा - पर शर्त तो आपने ही रखी थी ना...
विक्रम - हाँ... वो तो है... पर आज आपकी मेडिकल फाइनल एक्जाम की... शेड्यूल तो निकल चुका है ना...
शुभ्रा - ओ... (विक्रम के गले में अपनी बाहें डाल कर) तो जनाब इसलिए इतना बेताब हैं... सब्र नहीं हो रहा है...
विक्रम - (शुभ्रा को अपनी बदन से चिपकाते हुए) क्यूँ... (शुभ्रा के आँखों में आँखे डालते हुए) आप नहीं हो बेताब...
शुभ्रा - (थरथराते हुए लंबी लंबी सांसे लेते हुए) हाँ हैं तो बहुत बेताब... शायद आपसे ज्यादा...

कहते कहते शुभ्रा के होठ विक्रम के होठों से सट जाती है l विक्रम भी झुक कर उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लेता है l फिर दो प्यासे प्रेमी अपने प्यास को बुझाने के लिए एक दुसरे को पागलों की तरह चूमने लगते हैं l विक्रम की हाथ धीरे धीरे नीचे की सरकने लगती है और दोनों हाथों में शुभ्रा के नितम्ब को कस कर ऊपर की ओर भिंचता है l शुभ्रा पर मदहोशी छाने लगती है वह एकदम से पागलों की तरह गहरी चुंबन लेने लगती है l उसके पेट पर विक्रम का खड़ा हुआ पुरुषांग चुभने लगती है जो उसके उत्तेजना को और भी भड़काने लगती है l दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने काटने लगते हैं l पर तभी दो प्रेमियों की ध्यान टुटता है l विक्रम की फोन बजने लगती है l दोनों आपस में चिपके हुए अपना चुम्बन तोड़ते हैं l विक्रम देखता है शुभ्रा का चेहरा खुशी और उत्तेजना से दमक रही है उसकी आँखे बंद है l विक्रम को एहसास होता है कि उसके दोनों हाथों ने शुभ्रा की गांड थामे हुए हैं l शुभ्रा को भी इस बात का एहसास होते ही शर्मा कर विक्रम से अलग हो जाती है l तब तक विक्रम की फोन की रिंग एक बार बंद हो कर दुबारा बजने लगती है l विक्रम अपनी सांसो को दुरूस्त करते हुए फोन देखता है l शुभ्रा देखती है फोन देख कर विक्रम की आँखे फैल गई है l
विक्रम शुभ्रा को वहीँ छोड़ कर बाहर छत में जाता है थोड़ी देर बाद आकर ड्रॉइंग रूम में टीवी ऑन करता है l टीवी पर एक ब्रेकिंग न्यूज चल रही है l

"रूलिंग पार्टी ऑफिस के सूत्रों से खबर मिली है कि श्री ओंकार चेट्टी चार वार के विजेता राज्य के भूत पूर्व स्वस्थ्य मंत्री को इसबार टिकट ना देने के लिए पार्टी अध्यक्ष बिरजा किंकर सामंतराय ने फैसला ले लिया है"
Shandaar update hai bhai maza aa gaya
 
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मित्र - सारी कड़ियां जुड़ती जा रही है, अब तो विश्व का इंतजार है, नए प्रकरण नए जीवन की विषमता और उनका विश्व के जीवन में रूप के साथ जानने की पूरी उत्सुकता है
अद्भुत 😍
ज़रूर बस एक दो अपडेट और विश्व और रुप की एक जबरदस्त मुलाकात होने वाली y
 
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Hame to intezar hain vishw aur roop ki pahchan wali mulakat ka
होगी इकहत्तरवीं अपडेट में उनकी मुलाकात होने वाली है
वह भी एक जबरदस्त धांसू मुलाकात
 
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अरे भाई, मैं तो इस बात से हैरान हूँ, कि लोग बाग़ बस दो लाइन लिखे देते हैं, और उनकी पोस्ट पर हज़ारों व्यूज और कई कमैंट्स आ जाते हैं।
और मैं मर मर के नौ दस हज़ार - और वो भी देवनागरी में - शब्द लिखता हूँ - न कोई कमेंट न कोई व्यू!
तो क्यों खपाऊँ खुद को! वैसे भी बहुत से ज़रूरी काम है!
ऐसे में निर्मोही न बनूँ, तो क्या करूँ !
हाँ इस फोरम के पाठकों के पसंद को आंकना और भांपना बहुत ही मुश्किल है l
आप शायद हिंग्लिश में लिखते तो बहुतों के नजर में आपकी लेखन आ सकती थीं
क्यूंकि प्रारम्भ में मुझे भी बहुतों ने हिंग्लिश में लिखने के लिए अनुरोध मिला था चूंकि मैंने देवनागिरी लिपि में शुरु कर चुका था इसलिए मैं इसे देवनागिरी ही खतम करना चाहता था
 
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