रोणा को विश्व की धमकी के बाद शनिया एंड कं. का प्लान तो बुरी तरह से विफ़ल होना ही था। सो हो भी गया। और जाहिर सी बात है, कि शैतान सिंह, मक्खन सिंह और जैलांन सिंह तीनों, अपने टीलू, मीलू, जिलू, गीलू में से ही हैं। लेकिन वैदेही को समझ आना चाहिए कि हर बार केले का छिलका सड़क पर पड़ा देख कर, उस पर पाँव रख के फ़िसलने की उसकी कोई मजबूरी नहीं है। इतनी मूढ़-मति रखने का कोई लाभ नहीं, जब वो केवल आत्मघाती हो। लम्बी लड़ाई में हर छोटी मोटी झड़प को जीतने की खुजली नहीं रखनी चाहिए।
पुरानी हिंदी फिल्मों में कहानी के अंत में नायिकाओं और नायक की अम्माओं का एक ही काम होता था - नायक के लिए काम बढ़ाना। वैदेही को उस रोल से बचना चाहिए। अगर विश्व का काम आसान नहीं कर सकती, तो कम से कम काम बढ़ाए न!
यह डाक वाला क्या नया चक्कर है समझा नहीं। गृह मंत्रालय और उच्च न्यायालय से क्या आया हो सकता है? मेरी याददाश्त कमज़ोर है, इसलिए सभी सूत्र याद नहीं।
भई, विश्व की तलवारबाज़ी का वर्णन पढ़ कर मास्क ऑफ़ ज़ोरो फिल्म की याद हो आई!
पिछले अपडेट में मुशायरा इत्यादि का क्या चक्कर है, वो भी समझ नहीं आया। कौन आने वाला है मुशायरे में? किस पर घात लगेगी विश्व की? जो व्यक्ति अखबार के माध्यम से सन्देश भेज रहा है, वो ही नए घोटाले के बारे में लगता है सबूत देने वाला है। पुराने घोटाले में जब कोई गवाह ही नहीं बचा है, तो सजा क्या ही होगी किसी को?
भाई एक शिकायत है - रूप और विश्व के रोमांस में गर्मी नहीं है... तड़प नहीं है!

उनके बीच के संवाद से ऐसा कम ही लगता है कि बचपन से पाल पोस कर बड़ा किया हुआ मोहब्बत है। प्रेमी कम, मित्रवत अधिक लगते हैं दोनों।
थोड़ी आग लगाओ भाई
बाकी, हम तो हमेशा से ही आपकी लेखनी के कद्रदान हैं।




हमेशा की ही तरह ये अपडेट भी आनंद दायक था। आगे की प्रतीक्षा में!