बल्लभ प्रधान और अनिकेत रोणा, दोनों ने मिलकर विश्व के साथ इन सात सालों में हुई घटनाओं की छानबीन शुरू कर दी है। इस मामले में सबसे पहले दोनों ने खान से ही भेंट की पर खान जो विश्व को अपना मानता है वो कैसे विश्व को नुकसान पहुंचा सकने वाली जानकारी उन्हें से देता? स्पष्ट है कि खान को उन दोनों के वहां आने का और विश्व के बारे में जांच करने का पूर्वाभास था। शायद, प्रतिभा और विश्व में इस बारे में खान से पहले ही चर्चा भी की होगी और खान ने बखूबी विश्व की असली काबिलियत को गुप्त रखते हुए अर्ध सत्य ही बताया। परंतु एक बात स्पष्ट है कि रोणा, भैरव सिंह के बाकी सभी कुत्तों से अधिक चालक और समझदार है। रोणा परिस्थिति की गंभीरता को समझ रहा है और इसीलिए उसने बल्लभ को भी अपने तरीके से जांच करने के लिए राज़ी कर लिया है। वो उन मुजरिमों के जरिए अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं, जो विश्व के समय जेल में थे। देखते हैं कि उनकी हरकतें उन्हे कब विश्व तक पहुंचाएगी, और जब ऐसा होगा तब बेशक दोनों अपनी करनी पर पछताने के सिवा कुछ नहीं कर पाएंगे।
इधर विक्रम पर अब तरस आने लगा है। देखा जाए तो पूरी कहानी में इस वक्त सिर्फ वही एक है जो पूर्णतः अकेला हो चुका है। वीर को अपना नया नया प्रेम अर्थात अनु मिल चुकी है, विश्व के रूप में नया दोस्त, मां, भाभी और छोटी बहन। शुभ्रा अपने प्यार से दूर है परंतु उसके पास रूप, जोकि उसकी ननद कम बहन अधिक है वो है। रूप के पास उसकी भाभी, भाई और सहेलियां हैं परंतु विक्रम पूर्णतः अकेला हो चुका है। कौन ज़िम्मेदार है इसका? विक्रम? शुभ्रा? या फिर संयोग? विक्रम ने अपने लिए वो गर्त चुका जिसमें हर पल वो और भी अधिक धंसता चला गया और अब जब वो उस गर्त के अंधकार में गुम हो चुका है तब उसके पास ज्योति की एक भी किरण नही है। अपनी मां के द्वारा मांगे गए वचन को गलत समझ बैठा था वो, नतीजतन शायद ना चाहते हुए भी भैरव सिंह के नाम को और ऊंचा करने में जुटा रहा, पर कितना कुछ पीछे छूट गया इस दौड़ में, शायद अब उसे एहसास हो रहा है। खैर, लगता नही कि विक्रम और शुभ्रा के मध्य जल्दी सब सामान्य होगा, देखने योग्य है कि कैसे विक्रम उस गर्त से बाहर निकलता है।
वीर और विश्व की मुलाकात का दृश्य बेहद खूबसूरत था, जहां विश्व ने वीर को प्रेम की परिभाषा बताई। वीर अनु को चाहने लगा है, इस सत्य को पूरी तरह समझ चुका है। विश्व के रूप में उसे एक नया दोस्त भी मिल गया है जिसके विषय में वो अभी कुछ नही जानता। विश्व और रूप, देर सवेर दोनों एक दूसरे के प्रेम में पड़ ही जायेंगे, या कहूं कि एक दूसरे की असलियत से वाकिफ होने की देर है, प्रेम तो वो एक दूजे से करते ही हैं। वीर अब विश्व से दोस्ती कर चुका है, शुभ्रा विश्व को अपना भाई बुला चुकी है, विक्रम, अब तेरा क्या होगा बंधु...
खैर, वीर स्वप्न में भी अनु से प्यार का इजहार नही कर पाया। यही सच्चे प्यार की एक निशानी है। परंतु दोनों की प्रेम कहानी में इजहार कौन करेगा, ये देखना भी रोचक रहेगा। वीर, स्पष्ट रूप से वो इस काम में कठिनाई अनुभव कर रहा है वहीं अनु, लगता नही की वो पहला कदम बढ़ाएगी वीर को तरफ, निश्चित ही दोनों की प्रेम कहानी बहुत ही सुंदर होने वाली है।
रूप और विश्व की भी पुनः भेंट हो ही गई। भाष्वती का भी इसमें योगदान दिखाई पड़ता है। रूप ने अपने राजकुमारी वाले चरित्र का एक उदाहरण बस में भी पेश कर दिया। विश्व जहां भाष्वती के कारण उससे अपना चेहरा छुपा रहा था वहीं रूप समझ बैठी की वो उसे नजरंदाज कर रहा है। खैर, दोनो की ड्राइविंग क्लास में हुई मुलाकात हास्यास्पद तो थी ही परंतु दिल को भी छू गई। दोनों ने निश्चय किया था कि एक दूसरे से दूर रहेंगे परंतु नियति के आगे कौन टिक पाया है?
इधर केके ने अपनी चाल चल दो है। उसने जान को खतरा बताकर अदालत में हलफनामा दायर कर दिया है। बेशक इसके पीछे ओंकार चेट्टी का ही दिमाग है। देखना होगा अब इसकी प्रतिक्रिया में विक्रम और महांती क्या करते हैं। क्योंकि लगता नही कि अब केके के अधिक दिन शेष हैं।
दोनो ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। जैसा मैंने कहा, विश्व ने जो कुछ वीर से प्रेम को लेकर कहा, वो दिल को छू गया। वीर और रूप की मुलाकात हर बार ही बहुत खूबसूरत होती है और इस बार भी कुछ अलग नहीं था। वहीं, प्रतिभा – तापस और विश्व के मध्य होने वाली बातचीत और घटनाएं अब इस कहानी में अपनी सबसे खास पहचान बनाती जा रहीं हैं। सत्य ही है, मन का बंधन, खून के बंधन से कई गुना मज़बूत होता है।
अगली कड़ी की प्रतीक्षा में...