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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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*Index *
 
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Death Kiñg

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यह कहानी इस फोरम की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक है । मुझे विश्वास है अगर कोई व्यक्ति इसे एक बार पढ़ना शुरू कर दे तो वह पुरा पढ़े बिना रूक ही नहीं सकता ।
Agreed! Without any doubt, Kala Nag bhai is a superb writer.
 
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Agreed! Without any doubt, Kala Nag bhai is a superb writer.
Rakesh bakhshi ki " ye to socha na tha " bhi ek alag level ki kahani hai. Incest story hai par bahut badhiya likha hai unhone.
Hindi ke aise aise shabd hai jinhe emazing tak nahi kiya ja sakta.
 

Kala Nag

Mr. X
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वैदेही और भैरव सिंह क्षेत्रपाल का आमना सामना जब जब होता है तो लगता है कोई बालीवुड मूवी देख रहा हूं । जैसे राखी गुलजार और अमरीश पुरी जी के बीच शब्दों का वाण चल रहा हो । बहुत ही खूबसूरती से लिखा है आपने ।

विक्रम सिंह और शुभ्रा की प्रेम कहानी शादी में तो परिवर्तित हो गई पर दोनों के बीच प्रेम गायब हो गया । आखिर ऐसा क्या हुआ था इन दोनों के बीच ?
अनु अपनी मासूमियत भरी बातों से वीर का दिल तो शर्तिया जीत चुकी है । शायद यही कारण है कि वीर उसे एक अलग तरीके से सेड्यूस करने की कोशिश कर रहा है ।
इन दोनों की एंट्री साथ में जब जब होती है कहानी में एक रूमानियत सी फैल जाती है । लगता है जैसे सुगंधित हवा का झौंका आ गया हो । बहुत खूब ।

यह तो स्पष्ट जाहिर है कि अनाम ही विश्व उर्फ प्रताप है । बचपन के कई साल एक साथ गुजारे हैं दोनों ने । बहुत सारी यादें जेहन में होंगी । और बचपन के दोस्त... बचपन की यादें कोई भी इंसान लाख जतन कर ले ,भुल ही नहीं सकता ।
नंदिनी कभी भुल ही नहीं सकती विश्व को । अब देखना यह है कि दोनों की लव लाइफ कैसे शुरू होती है !

यह कहानी इस फोरम की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक है । मुझे विश्वास है अगर कोई व्यक्ति इसे एक बार पढ़ना शुरू कर दे तो वह पुरा पढ़े बिना रूक ही नहीं सकता ।

आउटस्टैंडिंग ब्लैक नाग भाई ।
ब्रिलिएंट ।
धन्यबाद धन्यबाद और धन्यबाद
और क्या कहूँ
बस आप यूँ ही हमसे जुड़े रहिए और विश्लेषण व समीक्षा के साथ मेरा उत्साह बढ़ाते रहें
 

Kala Nag

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Agreed! Without any doubt, Kala Nag bhai is a superb writer.
भाई इतना भी मान ना दो
यहाँ मुझसे भी कई गुना बेहतर लेख लिखने वाले हैं
हाँ यह बात और है कि उन्होंने आधे रास्ते में कहानी छोड़ कर चले गए
पर अभी भी रोमांटिक फोरम में champ भाई की लेख देख लीजिए
नैन भाई की भी लेख देख लीजिए Insect में रेड हट भाई के मेरी जंग भी देख लीजिए
 

Death Kiñg

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भाई इतना भी मान ना दो
यहाँ मुझसे भी कई गुना बेहतर लेख लिखने वाले हैं
हाँ यह बात और है कि उन्होंने आधे रास्ते में कहानी छोड़ कर चले गए
पर अभी भी रोमांटिक फोरम में champ भाई की लेख देख लीजिए
नैन भाई की भी लेख देख लीजिए Insect में रेड हट भाई के मेरी जंग भी देख लीजिए
Brother, you absolutely deserve all the praise for writing such a wonderful story! Har lekhak ki apni khoobiyan, apni khamiyan hoti hain, but without a doubt jis tarah se aapne abhi tak is kahani ko likha hai, I must say you're a wonderful writer!

Aapki baat sahi hai Forum par kayi behad hi adbhut lekhak maujood hain. Nain11ster Saahab ki stories maine bhi padhi hain but Champ aur Red Hat bhai ki stories abhi tak nahi padh paaya hoon. But ek baat nischit roop se kehna chahunga ke is baat mein koyi shakh nahi ki aapki story apne aap mein ek adbhut creation hai.
 
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Kala Nag

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Brother, you absolutely deserve all the praise for writing such a wonderful story! Har lekhak ki apni khoobiyan, apni khamiyan hoti hain, but without a doubt jis tarah se aapne abhi tak is kahani ko likha hai, I must say you're a wonderful writer!

Aapki baat sahi hai Forum par kayi behad hi adbhut lekhak maujood hain. Nain11ster Saahab ki stories maine bhi padhi hain but Champ aur Red Hat bhai ki stories abhi tak nahi padh paaya hoon. But ek baat nischit roop se kehna chahunga ke is baat mein koyi shakh nahi ki aapki story apne aap mein ek adbhut creation hai.
भाई बहुत बहुत धन्यबाद
 

Rajesh

Well-Known Member
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👉पैंतालीसवां अपडेट
----------------------
तीन महीने बाद
ESS ऑफिस में विक्रम, पिनाक और वीर बैठे हुए हैं l महांती उस कैबिन के दीवार पर लगे मैप पर पिन लगा कर लाल घागा बांध कर तीनों के तरफ मुड़ता है l

महांती - सो वेलकम जेंटलमेन... मैं आज आपको गुड न्यूज दे रहा हूँ... ऑल मोस्ट ऑल ऑर्गनाइजेशन, कॉर्पोरेट हाउसेस, मीडिया हाउसेस, बैंक और इंस्टिट्यूशन्स सभी को... भुवनेश्वर में हम... सिक्युरिटी प्रोवाइड करेंगे.... वह भी हमारी सर्विलांस के साथ....
पिनाक - वाह... बहुत अच्छे... युवराज जी वाह... आपका प्लान वर्क आउट कर गया...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
पिनाक - अब आगे क्या सोचा है....
विक्रम - (महांती के ओर देख कर) महांती... यह स्पाय बग क्या होता है...
महांती - ट्रांसमीटर, ट्रैकर... बहुत कुछ....
विक्रम - देखो महांती... हम से जो भी सर्विस लेंगे... उनके अपने टर्मस एंड कंडीशनस होंगे... पर... हमे अग्रीमेंट के बीयंड जाना है...
महांती - समझ गया... युवराज...
वीर - क्या समझ गया... हम भी इस टीम में हैं... तो हमे भी थोड़ा समझाओ...
महांती - राजकुमार जी... युवराज जी के कहने का मतलब... हम उनके पर्सनल और प्रोफेशनल सारे डिटेल्स तक पहुंचेंगे... उनकी प्राइवेट और सीक्रेट सब हमारे पास सीक्रेट नहीं रहेगा... और उसके आड़ में बहुत कुछ हासिल हो सकता है...
वीर - मतलब...
विक्रम - मतलब यह है कि.... हम राजधानी में प्रभाव बढ़ाने जा रहे हैं... हम कोई बिजनैस नहीं करेंगे पर... सभी बिजनैस में हम ही हम होंगे... या तो प्यार से... या फ़िर जोर से...
वीर - ओ... मतलब हर बिजनैस में... हमारा हिस्सा होगा... पर इसके लिए... हमे बहुत हाईटेक होना होगा... हमे सबमें बेस्ट होना होगा....
महांती - हाँ हमारे गार्ड्स के ट्रेनिंग... उसी लेवल का हो रहा है... यकीन मानिए राजकुमार जी... आने वाले समय में... ESS की इंटेलिजंस भी.. सीआईडी या सीबीआई जैसी होगी... उनसे उन्नीस तो बिल्कुल नहीं होगी...
पिनाक - वाव...
विक्रम - छोटे राजा जी... डेविल आर्मी तैयार हो गई है... अब हैल की डिवेलपमेंट कहाँ तक पहुँची है....
पिनाक - शायद और दो महीने बाद... हम गृह प्रवेश कर पाएंगे...
विक्रम - ठीक है... महांती... हमारी रेपुटेशन कुछ उस लेवल तक हो... की लोग थाने के वजाए हमारी ESS के पास आए... और वह सब हम खुद डील करेंगे...
महांती - जी युवराज... हो जाएगा... पर ख़र्चे भी उस लेवल का होगा... और एक बात... अब आप, राजकुमार और छोटे राजा जी सब ESS की सिक्युरिटी लेकर चलें....
वीर - यह सिक्युरिटी लेकर चलना आपको मुबारक... हम नहीं लेकर जाने वाले...
विक्रम - क्यूँ....
वीर - फ़िलहाल हम स्टूडेंट लाइफ एंजॉय करेंगे... जब हम भी डायरेक्ट पालिटिक्स में आयेंगे... तब देखेंगे... आप बस महांती को पैसे की बात देखिए...
पिनाक - आप उसकी फ़िक्र मत करो.... जो भी है... वन टाइम इंवेस्टमेंट है... वैसे महांती क्या करोगे...
महांती - एक बहुत बड़ा सर्वर रूम... कंट्रोल रूम...
पिनाक - ठीक है.. ठीक है... जो भी है... उस पर काम शुरू कर दो...
विक्रम - महांती... यह बग के इंस्टालेशन जितना सीक्रेट हो उतना अच्छा...
महांती - उसकी फ़िक्र आप ना करें... वह सब सीक्रेट ही रहेगा...

इतने में पिनाक का फोन बजने लगता है l पिनाक वह फोन देख कर थोड़ा मुस्कराता है और

पिनाक - मुझे पार्टी ऑफिस जाना होगा... बाकी यह प्रोजेक्ट और यह प्लान आपका है... युवराज.... इसलिए आगे क्या हो सकता है और आप क्या कर सकते हैं... यह आप सोचिए... हम चले अपने प्रोजेक्ट पर....
वीर - आपका प्रोजेक्ट...
पिनाक - हाँ... क्यूँ हमारा कोई प्रोजेक्ट नहीं हो सकता है क्या....
वीर - क्यूँ नहीं हो सकता... पर युवराज जी का रंगमहल प्रवेश हो चुका है...(विक्रम के ओर देखते हुए) तो क्या उनको पता है... आपके प्रोजेक्ट के बारे में...
विक्रम - नहीं... हमे नहीं पता...
पिनाक - हमारा यह प्रोजेक्ट पुरी तरह से पर्सनल है... इसलिए युवराज नहीं जानते....

इतना कह कर पिनाक वहाँ से निकल जाता है l पिनाक के जाने के बाद महांती भी विक्रम से इजाजत लेकर बाहर चला जाता है l

वीर - तो हम चलें...
विक्रम - राजकुमार जी... अब आप गाड़ी चलाना सीख लीजिए... आप पूरी तरह इंडिपेंडेंट बन जाइए....
वीर - ह्म्म्म्म... आइडिया अच्छा है... पर अब तो मेरे ड्राइवर आप हैं....
विक्रम - ठीक है राजकुमार.... आज के लिए ही हम आखिरी बार... गाड़ी ड्राइव करेंगे... क्यूंकि कल से... हम गार्ड्स से घिरे रहेंगे... पुरे वीवीआईपी के जैसे...
वीर - ठीक है...

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

गाड़ी के पीछली सीट पर प्रतिभा और प्रत्युष बैठे हुए गप्पे लड़ा रहे हैं और रेअर मिरर से उन दोनों को मजे से गप्पे लड़ाता देख चिढ़ा हुआ तापस गाड़ी ड्राइविंग कर रहा है l

प्रतिभा - हाँ तो ड्राईवर... गाड़ी को जरा महानदी व्यू होटल ले चलो...
तापस - यह बहुत हो रहा है... तुम माँ बेटे... मुझसे ऐसे बदला ले रहे हो... जिस दिन मेरी बारी आएगी... उस दिन देखलेना...
प्रत्युष - देखो ड्राइवर... आप बस कार ड्राइव करो... हमारे पचड़े में मत पड़ो...
तापस - तो बिल भी आप दे देना मालिक...
प्रत्युष - कौनसा बिल...
तापस - क्यूँ... होटल में बिल क्या तुम्हारा बाप भरेगा...
प्रतिभा - कोई नहीं... बाप नहीं... इस बार बिल माँ भरेगी...
प्रत्युष - देखा... हो गया ना आपका पोपट...
तापस - हाँ बेटे... तुम माँ बेटे मिलकर मुझसे चीटिंग कर... पत्ते में हराया है... और ड्राइवर बना कर... लिए जा रहे हो...
प्रत्युष - हाँ तो... आपने ही तो चैलेंज लिया था... के हॉकी के चक्कर में... मैं इंटरेंशिप भी नहीं कर पाऊँगा...
प्रतिभा - और नहीं तो... इंटेरेंशिप तक पहुंच गए तो ड्राइवर बन कर ट्रीट दोगे बोले भी थे... बचने के लिए तास की पत्ते का गेम चैलेंज दिया... आपने लिया...
प्रत्युष - इसलिए ड्राइवर... ट्रीट तो माँ ही देगी... आप बस टीप दे देना...
तापस - हम्म... याद रखूँगा...
प्रतिभा - वाकई यह दिन याद रखने लायक है... सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस... मिस्टर तापस कुमार सेनापति... आज ड्राइवर बन गए हैं...

दोनों माँ बेटे हँसने लगते हैं l तापस गुस्से से उनको रेअर मिरर से देखता है और मुहँ बना कर गाड़ी चलाता है l उसी होटल के एक टेबल पर पिनाक और यश आमने सामने बैठे हुए हैं l

पिनाक - यश बाबु... आपका कहिए... कैसे याद किया... हमने आपके लिए एक मीटिंग को पेंडिंग कर आए हैं...
यश - वह क्या है कि... बड़े लोग कह गए हैं... उपकार किया तो भूल जाओ और.... पर काम किया हो तो कीमत जरूर माँगों...
पिनाक - हमारे भी बड़े कह गए हैं... उपकार लिया है तो याद रखो... काम लिया है तो कीमत अदा करो.... कहिए यश बाबु... क्या कीमत चाहिए....
यश - एक बहुत बड़ा ज़मीन... मैं पहली बार वाईआईसी फार्मास्यूटिकल्स को कटक से बाहर ले जाना चाहता हूँ... और इस बीच मैं कई बार... राजगड़ जा कर आ चुका हूँ... मुझे वह जगह बहुत पसंद आई है... चूंकि हस्पताल का एक एक्सटेंशन जा रहा है... लगे हाथ फैक्ट्री का भी कल्याण कर दीजिए...
पिनाक - हूँ... पर फैक्ट्री के लिए राजगड़ ही क्यूँ...
यश - फ़िक्र ना करें छोटे राजा जी... मैं जानता हूँ... राजगड़ में आपके सिवाय कोई इंडस्ट्री लगा नहीं सकता... मैं खुद वह बाउंड्री लाइन क्रॉस नहीं करना चाहता... आपका हमारा पार्टनरशिप रहेगा... ज़मीन आपकी इंफ्रास्ट्रक्चर और इंवेस्टमेंट मेरा...
पिनाक - हूँ... प्रपोजल तो अच्छा है... पर फ़िर भी... राजगड़ ही क्यूँ...
यश - वेरी सिम्पल... पूरे राजगड़ और यशपुर... और उसके आस पास जहां भी क्षेत्रपाल एंड कंपनी की फैक्ट्रियाँ हैं... वहाँ पर लेबर कॉस्ट... पूरी दुनिया में सबसे कम है... और सोने पे सुहागा... इस मैटर पर कोई हिम्मत नहीं करता... अपना सर खपाने के लिए...
पिनाक - हाँ... यह तो है...
यश - वैसे कैसा है... अपना हीरो... आपका युवराज...
पिनाक - बढ़िया है... वैसे... उसके लिए थैंक्स... हाँ....
यश - नो मेनशन... कितनी डोज दिया है उसे...
पिनाक - दो डोज... जिस दिन रंगमहल प्रवेश हुआ... उस दिन तो क्या कहने... और दो डोज दिए हैं.... अभी इन तीन महीने में... पर उसका आउट कॉम क्या हुआ... यह मालुम नहीं हुआ....
यश - तो और मत दीजिए... एक बात याद रखिए... छोटे राजा जी... जिसके मन में सेक्स डिजायर होता है... या बायोलॉजीकल नीड होता है... यह दवा उस डिजायर या नीड को बूस्ट करता है... अगर यह दवा खाने वाला... ख़ुद को... सेक्स से दूर रखेगा... तो उस दवा के साइड इफेक्ट से.... उसका फ्रस्ट्रेशन लेवल एलीवेट होगा... जो उसे धीरे धीरे आपके युवराज को.. वाइलेंट करेगा... करता ही जाएगा...
पिनाक - ओ... यश बेटा... क्या सेक्स तुम्हारा भी डिजायर है या नीड....
यश - सेक्स मेरा... ना तो नीड है... ना ही डिजायर... सेक्स तो मेरा पैशन है.....
पिनाक - हूँ... खैर उसकी नौबत नहीं आयेगी.... क्षेत्रपाल है... वह अपना डिजायर फुल फिल कर लेगा...
यश - तो सैंपैन मंगवाये...
पिनाक - हाँ मंगवा लो...

यश फोन पर सैंपैन ऑर्डर करता है l और कुछ देर बाद एक वेटर सैंपैन का बॉटल और दो ग्लास रख कर चला जाता है l

बाहर कुछ देर बाद सेनापति परिवार गाड़ी से पहुंचते हैं l प्रतिभा और प्रत्युष गाड़ी से उतर कर सीधे होटल में घुस जाते हैं l तापस गाड़ी पार्क करके अंदर पहुंचता है l तो देखता है एक बहुत बड़े ग्राउंड में कुछ कॉटेज नुमा शेड है तापस ग्यारह नंबर कॉटेज में पहुंचता है l वहाँ लगे टेबल पर पहले से ही प्रतिभा और प्रत्युष दोनों बैठे हुए हैं l तापस उनके पास आकर बैठ जाता है l

तापस - वाह बच्चू... होटल पहुंचते ही अपने बाप को भूल गए...
प्रत्युष - डेड आप मेरा इंसल्ट कर रहे हैं... मैं इतना नामाकूल, नामुराद, नालायक नहीं हूँ...
तापस - तो क्या हो...
प्रतिभा - होनेवाला एमबीबीएस डॉक्टर... प्रत्युष सेनापति...
प्रत्युष - थैंक्स माँ... देखा डैड... डोंट बी सैड...
तापस - (माँ बेटे की जुगलबंदी देख कर मुहँ बना कर चुप बैठता है) वेटर... (बुलाता है)
एक वेटर आकर - यस सर...
प्रत्युष - अरे वेटर... ऑर्डर मैं दूँगा...
वेटर - ठीक है सर... (मेन्यू कार्ड देता है)
प्रत्युष - अरे यह मेन्यू कार्ड हटाओ... मैं जो ऑर्डर करूँ वह लाओ... मेरे लिए... एक मटका बिरियानी और एक बैंबु मटन... माँ के लिए... दो बटर नान चिल्ली पनीर और कढ़ाई मशरूम... और डैड के लिए तीन तंदुर रोटी और एक डाल फ्राय... सिंपल... जाओ...
वेटर - सर स्टार्टर में कुछ...
प्रत्युष - ठीक है... हमारे लिए.. मसाला पापड़ और डैड के लिए ग्रीन सलाद... अब जाओ...

वेटर चला जाता है, वेटर के जाने के बाद प्रत्युष तापस की ओर देखता है, तापस प्रत्युष को ऐसे देख रहा है जैसे वह कच्चा चबा जाएगा l

प्रत्युष - (डरने की ऐक्टिंग करते हुए) क्य.. क्या हुआ डैड... आप मुझे ऐसे क्यूँ देख रहे हैं...
तापस - कमीने... तेरी और तेरी माँ की ऑर्डर देख और मेरी ऑर्डर देख... मैंने क्या बिगाड़ा तेरा... जो मुझे घास फुस खिलाएगा...
प्रत्युष - डैड... जब माँ को बिल पे करना है... तो ऑर्डर स्पेशल होना चाहिए कि नहीं...
तापस - यानी अगर मैं बिल पे करूँ... तो ऑर्डर बदल सकता है...
प्रत्युष - ना... वह अगली बार के लिए...

इतने में वेटर स्टार्टर लाकर टेबल पर सर्व कर देता है l वेटर के जाते ही

तापस - क्या बात है भाग्यवान.... हम बात बेटे में इतना तर्क हुआ... पर तुमने हिस्सा नहीं लिया...
प्रतिभा - हाँ वह... दोनों वहाँ पर जो बैठे हुए हैं... क्या हम उन्हें जानते हैं...
प्रत्युष - ( उस तरफ देखते हैं) हाँ माँ वह जो शूट बूट और फ्रेंच कट दाढ़ी के साथ बैठे हैं... वह हमारे निरोग हस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं... पर उनके बगल में जो बैठे हैं... उन्हें नहीं जानता...
तापस - वह... पिनाक सिंह क्षेत्रपाल हैं...
प्रतिभा - तभी..... तभी मेरी नज़र बार बार उस तरफ जा रहा है...
प्रत्युष - एक मिनट... (इतना कह कर प्रत्युष उठ जाता है और यश के बैठे शेड तक जाता है, यश से ) गुड इवनींग सर...
यश - (हैरान हो कर) गुड इवनींग... आप कौन हो बरखुरदार... क्या मैं आपको जनता हूँ...
प्रत्युष - नो सर... पर मैं आपको जनता हूँ... सर मैं आप ही के कॉलेज में मेडिकल पढ़ रहा हूँ... इस साल इंटरैंनशीप में जा रहा हूँ...
यश - ओह... कंग्रैचुलेशन... एंड केरी ऑन...
प्रत्युष - थैंक्यू सर...
यश - यहाँ कैसे... माय बॉय...
प्रत्युष - वह सर माँ और डैड के साथ पार्टी करने आया था... आपको देखा तो रहा नहीं गया... इसलिए चला आया... क्यूँ की आप हम सबके... आइडल हैं... आइकॉन हैं... आप तक मीडिया वाले भी नहीं पहुंच पाते... पर आज मैं बहुत लकी हूँ... आपसे मेरी बात हो पा रही है...
यश - थैंक्यू.. थैंक्यू...
प्रत्युष - सर अगर आप बुरा ना माने तो..
यश - क्या...
प्रत्युष - सर यहीँ... मेरे मोम डैड हैं... ईफ यु डोंट माइंड...
यश - ओके...
प्रत्युष - (हाथ से इशारा करते और आवाज देकर) माँ... डैड... प्लीज यहाँ आइए... (प्रतिभा और तापस उस शेड में पहुंचते हैं) सर... यह मेरी माँ हैं... एक लयर और यह मेरे डैड... सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस....
यश - (वहीँ बैठे बैठे) हैलो... हैलो...
दोनों - हैलो...
यश - कैन यु जॉइन वीथ अस...
तापस - नो सर... यु प्लीज कैरी ऑन... हमारी ऑर्डर हो चुका है...
प्रतिभा - हाँ आप बड़े लोग... कोई महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर रहे होंगे... इसलिए हमे इजाज़त दीजिए... थैंक्यू..
यश - ओके... नाइस मीटिंग यु...

तीनों अपने शेड में लौट आते हैं l तापस और प्रतिभा दोनों प्रत्युष पर भड़कते हैं l

प्रतिभा - क्या जरूरत थी... उनके पास जाने की...
प्रत्युष - क्यूँ क्या हुआ माँ...
तापस - देखो प्रत्युष... उनको हमारा वहाँ जाना पसंद नहीं आया...
प्रत्युष - ओह डैड... यह आप कैसे कह सकते हैं...
प्रतिभा - तेरे डैड ठीक कह रहे हैं... वह जो तेरे बॉस के साथ बैठा हुआ है... पिनाक सिंह.... उसने एक बार धमकाया था मुझे... और तुने देखा नहीं उन्होंने हमें फौरन बाय भी कहा... ना दिलसे स्वागत किया ना दिलसे बाय कहा....
प्रत्युष - व्हाट... ओ
प्रतिभा - यह व्हाट किस लिए... ओर ओ... किसलिए...
प्रत्युष - पिनाक सिंह ने आपको धमकी दी.... इसके लिए व्हाट और हमारे एमडी ने ना दिलसे स्वागत किया और ना बाय दिलसे... इसके लिए ओ...
तापस - ओह स्टॉप ईट... हम क्यूँ अपना शाम खराब कर रहे हैं...
प्रतिभा - ठीक है... नो मोर डिस्कशन

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

अगले दिन
सेंट्रल जैल
विश्व सुबह तड़के स्पेशल बैरक पहुंचता है lइस बार प्रणब उसका स्वागत करता है l

प्रणब - और विश्व... कैसा गया तुम्हारा एक्जाम...
विश्व - जी बहुत अच्छा गया... वैसे आप सबको थैंक्स... यह दस दिन मुझे छुट्टी देने के लिए...
चित्त - ऑए... थैंक्स या धन्यबाद जो भी करना है... डैनी भाई से बोल... (उधर से चित्त आते हुए) उनके अदालत में मुजरिम तु है...
विश्व - जी वह तो मैं कह ही दूँगा....
प्रणब - चल तु अपने रूटीन में लग जा... पानी निकाल और पेड़ पौधों को पेट भर पीला... चल
विश्व - ठीक है भाई...

इतना कह कर विश्व हांडी को कुए में डाल कर, अपनी दोनों हाथों के तीन तीन उंगलियों के सहारे बाकी दिनों के तुलना में जल्दी जल्दी पानी निकालने लगा और पौधों में भाग भाग कर पानी डालने लगा l प्रणब और चित्त दोनों उसकी आज की फुर्ती देख कर हैरान रह जाते हैं l पौधों में पानी डालने के बाद कुए से सटे सीमेंट की टंकी भी पानी से भर कर विश्व उन दोनों के सामने खड़ा हो जाता है l

विश्व - भाई अब क्या...
प्रणब - हूँ... ओ हाँ... (तीन महीनों में पहली बार विश्व की स्फूर्ति देख कर हैरान हुआ है) वह.. एक मिनट...

प्रणब कुछ दूर जा कर चित्त से बात करता है फ़िर अंदर जा कर बाल्टी लाता है l वह उस बाल्टी को टंकी में उड़ेल देता है l बाल्टी से दो मछलियाँ गिर कर टंकी में गिरते हैं l

प्रणब - चल यह मछली पकड़...

विश्व उस टंकी के पास आकर खड़ा होता है l उसे पानी में दो मछली दिखते हैं l विश्व टंकी में उतरता है l पानी उसके घुटनों के बराबर है l विश्व पानी के टंकी में निश्चल खड़ा रहता है l पांच मिनट बाद मछलीयाँ उसके पैर के पास पहुंचते हैं l अचानक विश्व बारी बारी से पहले दाहिने हाथ फिर बाएं हाथ से दोनों मछलीयाँ पलक झपकते ही पकड़ कर टंकी से बाहर फेंक देता है l अब समीर भी प्रणब और चित्त के पास पहुंच जाता है l विश्व की मछली पकड़ना देख तीनों हैरान हो जाते हैं क्यूंकि विश्व इस बार मछलियों को पकड़ने के लिए वही तीन उँगलियों का इस्तमाल किया था जिन उंगलियों को पानी निकालने के लिए इस्तेमाल किया करता है l विश्व टंकी से निकल कर तीनों के सामने खड़ा हो जाता है l तीनों उसे मुहँ फाड़े देखे जा रहे हैं l

विश्व - हाँ भाई... अब क्या करना है...
समीर - वैसे डे अल्टरनेट में... या तो मछली पकड़ना है या फिर मुर्गी... पर तेरी स्पीड देख कर आज... मुर्गी पकडने का टास्क भी करले....
विश्व - ठीक है...

तीनों विश्व को लेकर सात नंबर रुम के पीछे पहुंचते हैं l उस रूम के पीछे बीस बाय बीस के एक वर्ग क्षेत्र को तार की जाली से घेरा गया है l जाली वाली वर्ग के भीतर एक मुर्गा चर रहा है l विश्व उस वर्ग में घुसता है l विश्व के घुसते ही मुर्गा सतर्क हो जाता है l विश्व अपनी दोनों बाहें फैला कर मुर्गे को एक कोने तक पहुंचा देता है l कोने में पहुंच कर जब मुर्गे को घिर जाने का एहसास होता है l मुर्गा विश्व को दाएं बाएं छका कर विश्व के सर के ऊपर जंप लगा देता है l विश्व भी उतनी ही फुर्ती से पलट कर मुड़ते हुए छलांग लगाता है l मुर्गे के दोनों पैर विश्व के उंगलियों में फंस जाती है l सिर्फ कुछ ही मिनट में मुर्गा विश्व के कब्जे में थी l इस बार भी विश्व को कोई परेशानी नहीं हुई l मुर्गा हाथ में आने के बाद विश्व इन तीनों के सामने आ कर खड़ा हो जाता है lवह तीनों हक्के बक्के हो कर विश्व को देखते हैं l दस दिन ही तो हुए हैं l डैनी ने विश्व को एक्जाम के लिए छुट्टी दी थी, और यह दस दिन विश्व ने सिर्फ़ पढ़ाई ही किया है l पर आज दस दिन बाद एक अलग विश्व को देख रहे हैं l

समीर - जा पांच नंबर रूम में जा... हम डैनी भाई से पुछ कर आते हैं...

विश्व पांच नंबर रूम की ओर चल देता है l वहाँ पहुँच कर देखता है उस कमरे में कोई नहीं है l वह उस कमरे में लगे सभी इंस्ट्रूमेंट्स को उत्सुकता से देखता है l उन पर सिर्फ डैनी को ही कसरत करते देखा है उसने l ऐसे रूम में घुमते घुमते विंग-चुंग के सामने आ कर खड़ा होता है l वह डैनी को विंग-चुंग पर हाथ आजमाते देखा है l विश्व इधर उधर देखता है l उसे कोई नहीं दिखता है l अपनी मन की उत्सुकता को दबा नहीं पाता l इतने दिनों से डैनी जिस तरह से विंग-चुंग पर हाथ चला रहा था उसे याद करते हुए विश्व भी हाथ चलाने लगता है l पहले याद करते करते धीरे धीरे उसका हाथ चलने लगता है l फिर उसके हाथ ज़ोर ज़ोर से चलने लगता है, बिल्कुल वैसे ही जैसे डैनी के हाथ चल रहा था l विश्व के हाथ तेजी से चलने लगते हैं बिल्कुल किसी प्रोफेशनल की तरह l क़रीब आधे घंटे बाद उसे लगता है कमरे में वह अकेला नहीं है l विश्व विंग-चुंग से हाथ हटा लेता है और पीछे मुड़ कर देखता है l डैनी अपने पंटरों के साथ खड़ा है और विश्व को सब देख रहे हैं l डैनी को छोड़ बाकी सब विश्व को आँखे फाड़ देख रहे हैं l

डैनी - वाह लौंडे... आज तो तुने कमाल ही करदिया.... आज तुने सारे टास्क वक्त से पहले खतम कर दिया... पर... तुझे मेरे इंस्ट्रूमेंट्स को हाथ लगाना नहीं चाहिए था....
विश्व - वह... स.. सॉरी डैनी भाई.... सॉरी... मुझे माफ कर दीजिए...
डैनी - माफ़ी... मिल सकती है... बशर्ते मैं तुझे मारूँगा... पर तुझे मेरी मार लगनी नहीं चाहिए....
विश्व - जी.... जी (हैरानी से)...
डैनी - हाँ जी.... चल तैयार हो जा...

विश्व जाना नहीं चाहता पर वसंत और हरीश उसके पास पहुंचते हैं और धक्का दे कर डैनी के पास भेज देते हैं l पांचो ऐसे घेरे खड़े रहते हैं कहीं विश्व भाग ना जाए l डैनी एक पंच मारता है, विश्व के हाथ अपने अपने उस पंच को रोक देता है l फ़िर डैनी के पंचेस की स्पीड बढ़ती जाती है विश्व के रीफ्लेक्सेस उतनी ही तेजी से बढ़ जाती है l अपने रीफ्लेक्सेस देख खुद विश्व भी हैरान हो जाता है, पर कुछ देर बाद डैनी अपनी वार बदलता है l जिस हाथ का पंच विश्व ब्लॉक करता है उसी हाथ को डैनी मोड़ कर कोहनी से मारता है l इस बार विश्व को लग जाती है l अब कि बार विश्व को डैनी छका कर घुम कर कोहनी से मारता है l विश्व मुहँ के बल गिर जाता है l विश्व फिर संभल कर बैठ जाता है और डैनी को देखता है l डैनी जीम टेबल पर बैठ कर विश्व को देख रहा है l

डैनी - वाह लौंडे वाह... बहुत जल्द पकड़ लिया...

विश्व अपनी जगह से उठता है और सीधे डैनी के सामने खड़ा हो जाता है l फ़िर झुक कर डैनी के पैरों पर गिर जाता है l

डैनी - अरे यह... यह क्या कर रहा है...
विश्व - आप... आप मुझे सीखा रहे थे... लड़ना... मुझे समझ में नहीं आया... पर अब समझ में आ गया है.... पर जो मैंने माँगा नहीं... वह आप मुझे क्यूँ दे रहे हैं....
डैनी - वह इसलिए के तुने..... अपनी भावनाओं के चलते मुझे वहाँ ला खड़ा कर दिया... जिसकी मैं... मुझ जैसा इंसान लायक ही नहीं है... (विश्व को खड़ा करता है)
विश्व - आप क्या कह रहे हैं... मैं कुछ समझा नहीं...
डैनी - तुने अपनी दीदी से कहा है ना... के तु मुझे उतना ही मान देता है... जितना जयंत सर को देता है...
विश्व - जी...
डैनी - तो मुझे... जयंत सर को फॉलो करना पड़ा....
विश्व - (हैरान होकर) फॉलो करना पड़ा... म.. मतलब...
डैनी - तुने मांगा नहीं फिरभी.... उन्होंने अपनी खुद की खुन पसीने की कमाई तुझे दे दी... है ना...
विश्व - जी...
डैनी - तो मैं भी तुझे अपनी खुन पसीने की कमाई दे रहा हूँ... भले ही तुने माँगा नहीं... पर मैं जानता हूँ... तेरी लड़ाई में... यह ज़रूरत पड़ेगी....

विश्व कुछ नहीं कह पाता है उसके आंखों में कृतज्ञता दो बूंद आँसू गिर जाते हैं l

डैनी - विश्व तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी तुम्हारा जज्बाती होना है.... तुम्हें अपने ज़ज्बात पर कोई काबु नहीं है... खुशी हो या ग़म... तुम जफ्त नहीं कर पाते... जाहिर कर देते हो... इसलिए पहले अपने ज़ज्बात पर काबु पाओ.... (विश्व अपनी आँखे साफ करता है) विश्व तुम जो सीखने जा रहे हो... उसे मार्शल आर्ट्स कहते हैं... यानी युद्ध कला... उसके साथ साथ आत्म नियंत्रण और अन्य विषयों में भी तुम को सिखाया जाएगा... और तुम सिखोगे भी... (विश्व अब डैनी को हैरान हो कर देखता है) इन तीन महीनों में जो सीखा और लगातार जिसमें काम किया... उससे तुम्हारा स्टेमिना बढ़ा और अटैक पर ब्लॉक करना नैचुरली एडप्ट कर लिया... और सबसे खास बात... तुमने आज मछली और मुर्गे को पकड़ने के लिए सही तरीका चुना.... यानी तुम्हारे अंदर का शिकारी जाग रहा है.... अब आओ तुम्हें तुम्हारे प्रोफेसरों से मिलवाता हूँ...
इनसे मिलो... समीर मल्लिक... इसके पास एक जबरदस्त क्वालिटी है... अपनी पारखी नजर और बातों से... सामने वाले की प्रोफेशन और कैरेक्टर स्कैन कर सकता है....
अब इनसे मिलो... हरीश बाडत्या... इनके पास भी ग़ज़ब का हुनर है... सच झूठ बोल कर सामने वाले के अंदर की बातों उगलवा सकते हैं.... अगर मान लो किसी इंटरव्यू को जाए... तो बिना तकलीफ के सिलेक्ट हो जाए... इतना इम्प्रेस कर सकता है... इसको टॉकींग स्किल कहते हैं...
औऱ यह हैं प्रणब... यह तुम्हें लठबाजी से लेकर छुरी चाकू तक चलाना सीखा देंगे... सिवाय बंदूक के...
और यह हैं वसंत... इनके ख़ासियत यह है कि ऐसा कोई जेब नहीं जिसको इसने काटा नहीं...
विश्व - जेब काटना...
डैनी - तुझे लगता है... जेब काटना जरूरी नहीं है... पर यह हाथ की सफ़ाई है... पता नहीं कब काम आ जाए...
और अंत में यह... इनसे मिलो चित्त रंजन... इसे अक्सर तुमने खाना सर्व करते हुए देखा है... (विश्व अपना सर हिलाता है) आज से... बल्कि अभी से तुम्हारा डाएट चार्ट इनके हवाले...
सबसे परिचय करवाने के बाद डैनी जीम टेबल पर बैठ जाता है l और विश्व से पूछता है

डैनी - तो विश्व... क्या तुम सीखना चाहोगे...
विश्व - जी...
डैनी - ठीक है चित्त.. तुम्हारे लिए रूटीन बना चुका है... (चित्त से) बताओ इसे....
चित्त - देखो विश्व... दिन रात मिलाकर चौबीस घंटे हुए... तुम आठ घंटे सोने और बाथरुम के लिए इस्तेमाल करोगे... आठ घंटे मे... सुबह चार घंटे और शाम को चार घंटे सिर्फ़ ट्रेनिंग होगी... बाकी के आठ घंटे में तुम्हारा खाना पीना पढ़ना और दूसरे कैदियों से मिलना होगा...
डैनी - समझ गया... (विश्व अपना सर हिलाकर हाँ कहता है) विश्व एक बात जान लो... तुम शायद सीखते सीखते थक जाओगे... पर यह लोग तुम्हें सीखाते सीखाते नहीं थकेंगे... (विश्व फिरसे अपना सर हिलाता है) तो.... लग जाओ ट्रेनिंग पर....
Brilliant update bro maza aa gaya
 

Rajesh

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👉छियालीसवां अपडेट
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एक तरफ विश्व की मार्शल आर्ट ट्रेनिंग शुरु हो जाती है l दुसरी तरफ सब अपनी अपनी जिंदगी में अपने अपने तरीके से व्यस्त होते जाते हैं l वैदेही की चाय नाश्ते की दुकान चल निकलती है, तापस और प्रतिभा अपने अपने प्रोफेशन में व्यस्त हो जाते हैं l प्रत्युष निरोग हस्पताल में इंटर्नशिप करने लगता है l विक्रम और उसकी सेक्यूरिटी सर्विस भुवनेश्वर सहर में पुरी तरह से स्थापित हो जाते हैं l वीर अब कॉलेज में प्रेसिडेंट बन चुका है l शुभ्रा की हर दिन विक्रम से फोन पर बातेँ करते हुए शुरु होती है और रात को बातों पर ही खतम करती है l शुभ्रा बड़ी चाहत व अरमानों के साथ कैलेंडर से दिन काट काट कर दिन बिता रही है l इस तरह नौ महीने गुज़र जाते हैं l इन नौ महीनों में जो किसीको भी भनक तक नहीं लगी थी, वह थी विश्व का डैनी एंड ग्रुप से ट्रेनड् होना l कैसे होता, वाच टावर से देखने वालों को लगता था कि डैनी एंड ग्रुप विश्व को परेशान व ज़बरदस्ती मेहनत करवा रहे हैं l इसलिए उन्होंने भी इस ओर ध्यान देना धीरे धीरे बंद कर दिया l विश्व को सिखाने के लिए डैनी एंड ग्रुप ने सात नंबर घर को चुना था l वह असल में एक पुराना गोडाउन था जिसे बाद में स्कुल घर फिर जैल की स्पेशल बैरक में मीटिंग हॉल बना दिया गया था, और वह घर वाच टवार से एक तरह से छिपा हुआ है l इसलिए उसके भीतर क्या हो रहा है यह वाच टावर से बिल्कुल भी नहीं दिखता है l

नौ महीने बाद
सेंट्रल जैल
स्पेशल बैरक के सात नंबर घर
विश्व पंच बैग पर पंच बरसा रहा है l फिर विश्व रुक जाता है, पंच बैग को गले लगा कर, गहरी सांसे लेते हुए आँखे मूँद कर सोचने लगता है l
सब मिलकर उसे, जो जो सीखा रहे हैं, वह बड़ी चाह से और शिद्दत से सीख रहा है l प्रणब से छुरी से लेकर तलवार और लाठी चलाना सीखा, छुरी से मतलब जो जैल की रसोई में इस्तेमाल होता है प्रणब कभी रसोई में सारे सब्जियाँ छुरी या चॅपर से कटवाता तो कभी फेंक कर निशाना लगाना सीखवाता रहा l बात जब तलवार बाजी की प्रैक्टिस की थी तब दो मजबूत बेंत से प्रैक्टिस कर तलवार बाजी प्रणब से सीखी l प्रणब रोज उससे आटा गुंथवाता था वह भी सौ डेढ़ सौ लोगों का और एक स्पेशल पैटर्न में जैसे किसीसे ताकत आजमा रहे हो l उसने प्रणब के लिए सभी एक्जाम में डिस्टींशन में पास हुआ l प्रणब के सिखाया हर दाव पेच पाइक अखाड़ा के युद्ध शैली है l यहाँ तक पाइक शैली में खाली हाथ की लड़ाई भी काफी हद तक कराटे से मिलता जुलता है l प्रणब से सीखने के बाद प्रणब से लड़ा भी है और प्रणब के सिखाए हर दाव पेच में प्रणब को हराया भी है l
वसंत की हाथ की सफ़ाई बहुत ही कमाल की है l जितनी सफाई से जेब काट सकता है उतनी ही सफ़ाई से चीजें जेब में वापस भी रख देता है l असल में हाथ की सफाई से चीजों को ग़ायब करना वह भी पलक झपकते ही यानी आखों के सामने और वसंत से चीजें गायब कर और चीजों को वापस रखना सीखने के साथ साथ बालू और उनके साथियों की छुट्टी करा दिया था सारे कपड़े विश्व ही साफ करता रहा l कपड़े धोने और निचोड़ने में वसंत ने कुछ ऐसे तरीके सिखाया था जो कि उसे मार्शल आर्ट ट्रेनिंग में सहायक भी हुआ l वसंत ने उसे गिले कपड़ों को हथियार बना कर लड़ना सिखाया जिसे विश्व ने बड़ी तल्लीनता से सीखा l यह सब विश्व ने सीखा भलेही बेमन से, पर सीखा और वसंत के हिसाब से उस परीक्षा में विश्व ने एक्सीलेंट स्कोर किया है l वसंत भी एक बढ़िया फाइटर है जिसके साथ एक बार लड़कर विश्व हराया भी है l
समीर अभी भी विश्व को हैरान कर रहा है l वाकई डैनी ने सच कहा था l समीर एक आदमी को देख कर उसकी स्वभाव और चरित्र का ज़बरदस्त स्कैन कर लेता है l विश्व को समीर के लिए एक्जाम में सिर्फ़ पास मार्क ही मिले हैं l पर फेल नहीं हुआ है l
हरीश से सीखते सीखते विश्व को एक नई बात का पता चला l डेल्टा कट इंटोरेगेशन l इसमें एक आदमी को बीच में बिठा कर तीन आदमी तीन दिशा से इंटोरेगेट करते हैं l तीनों के भाव अलग अलग होते हैं l एक हिंसक तरीके से पूछता है, दुसरा समझा कर और प्यार से पुछता है पर तीसरा बिना किसी भाव के, साधारण तरीके से पर रौब डाल कर पुछता है l ऐसे तीनों की गुणों को एक साथ अपना कर किसीसे सवाल ज़वाब करने की शैली, पता नहीं कभी जीवन में काम भी आएगा, पर सीखा l
चित्त उसका खाने पीने का ध्यान रखते हुए सुरज ढलने के बाद खाने से मना कर दिया है l जब भी जैल में राशन और सब्जी की गाड़ी आती है तो चित्त, विश्व से भरे बोरियों को ट्रक से उतरवाता है, पर नॉर्मल तरीके से नहीं जैसे किसी आदमी को दोनों हाथों से गले लगा कर उठा दिया जाए या किसी बच्चे को जैसे उठाया जाए, फ़िर अपने ही शरीर में घुमा कर सही जगह पर रखना l रात को सोने से पहले सिर्फ़ दुध एक लीटर दिया जाता है l बाकी का खाना पीना सिर्फ़ सुबह से लेकर शाम तक l इसके बावजुद विश्व का शरीर काफी मजबुत हुआ है l उसके पेशियों में ज़बरदस्त कटाव भी आ गया है जो कि नंगे शरीर में स्पष्ट रूप से उभर कर दिख रहा है l सबके लिए गए परिक्षा में विश्व पास हुआ है पर अभी तक डैनी से लड़ने के लिए विश्व क़ाबिल नहीं हुआ है ऐसा सभी कह रहे हैं l यही विश्व को परेशान कर रही है

क्यूँ... क्यूँ....

अपने सर को पंच बैग पर मारते हुए खुद से सवाल कर रहा है l

क्यूँ... क्यूँ...

फिर वह पंच बैग को छोड़ उस कमरे में बने पंद्रह बाई पंद्रह के रिंग में आता है l उस रिंग के एक कोने पर पहुंच कर टर्न बक्कल पर सट कर आलती पालती मार कर बैठ जाता है और अपनी आँखे बंद कर शुरू से लेकर अब तक डैनी से सीखते वक्त, डैनी के द्वारा दिए गए सारे गुरु ज्ञान को याद करने लगता है l

डैनी -मार्शल आर्ट क्या है... युद्ध कला... पौराणिक भाषा में कहें तो द्वंद युद्ध... अब द्वंद को व्यवहारिक भाषा में अनुवाद करें तो कंनफ्युजन... अर्थात्‌ अपने अपोनेंट को युद्ध में द्वंद में डालो और हराओ....
विश्व - मतलब...
डैनी - मतलब यह हुआ कि... तु अब कंफ्युज्ड हो गया है....
विश्व - (चुप रहता है)
डैनी - तुझे चुस्त, दुरुस्त, फुर्ती और स्फूर्ति के साथ साथ तेज़... बहुत तेज़ होना पड़ेगा...
विश्व - (डैनी की ओर देखता है)
डैनी - तु प्रैक्टिस में जितना इंव्ल्व होगा... तु उतनी ही फुर्तीला हो जाएगा... मेरा मतलब है तु खुदको जितना झोंक देगा... तुझे रिजल्ट अनुरूप ही मिलेगा....
एक बात याद रखना... युद्ध में खुदको बचाना है और वार भी करना है... यानी तेरे रीफ्लेक्सेस और अटैक तेरे अपोनेंट से तेज़ हो... बहुत तेज हो... और तुझे वह स्पीड रेगुलर प्रैक्टिस से एच्चीव करना होगा...
एक बात और... बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात... व्यावहारिक जीवन में जब भी कोई लक्ष तय करो.... उसके लिए... थ्री डी फॉलो करना...
विश्व - थ्री डी... मतलब थ्री डायमेंशन...
डैनी - नहीं रे... गोबर दिमाग़... मेरी भाषा में थ्री डी में पहला डी है डिटरमीनेशन... दुसरा डी है डेडीकेशन और तीसरा डी है... डीवोशन...
जीवन में कोई भी लक्ष तय करो... उसे साधने के लिए यही थ्री डी को फॉलो करो... समझे...
विश्व - जी...
डैनी - कुछ भी आसानी से नहीं मिलता... एच्चीवमेंट हमेशा ऑनेस्टी और हार्ड वर्क मांगता है... तु सब कुछ सीख जाएगा... फ़िर भी हार जाएगा... अगर तेज नहीं होगा... तुझे इतना तेज़ होना होगा... के तुझसे लड़ने वाले को लगे.... कि वह एक विश्व से नहीं एक साथ दो दो विश्व से लड़ रहा है...
विश्व - (हैरानी से) जी...
डैनी - तेरा वज़न इतना हो... जितना तु अपने शरीर को आसानी से फ़ेंक सके... उछाल सके...
तेरे वार में इतना कंट्रोल हो... मतलब पंच, चॉप, किक जो भी... उस पर कितना इम्पैक्ट हो यह वार करते वक्त भी तु डिसाइड कर सके... तुझे उतना परफेक्ट होना होगा...
वीर - क्या...
डैनी - हाँ... तेरा वार बॉडी के जिस एरिया में हिट करेगा... वहाँ इम्पैक्ट कितना होगा... तु यह लास्ट मोमेंट में डिसाइड कर सके... उतना कंट्रोल हासिल करना होगा तुझे...
विश्व - और यह सब हासिल करने के लिए... आपकी दी हुई मंत्र थ्री डी को फॉलो करना होगा...
डैनी - कोई शक़...

विश्व अपने यादों से बाहर आता है और वह ख़ुद को समझाता है l - जरूर मेरा डीवोशन और डेडीकेशन में प्रॉब्लम हो रहा है... मुझे ध्यान लगाना होगा... मुझे तेज होना होगा... इतना तेज के मुझे एक नहीं दो दो बनकर लड़ना होगा... हाँ

फिर ध्यान में याद करने लगता है डैनी को जितनी बार वह विंग चुंग पर प्रैक्टिस करते देखा है है l डैनी हमेशा उससे बेहतर लगा है विश्व को l क्यूँकी इसमें कोई शक़ नहीं है डैनी विश्व से बहुत तेज है l वह हर लड़ाई को जो डैनी के पट्ठों से लड़ा है उसे याद करने लगता है l फिर विश्व आपनी आँखे खोलता है l तो देखता है उसे समीर, प्रणब हरीश और वसंत उसे ही देख रहे हैं l

प्रणब - क्यूँ भई... सब कुछ छोड़ कर... हिमालय जाने का इरादा है क्या...
वसंत - देखने से तो यही लग रहा है...

विश्व बैठे बैठे अपने पैर सीधा करता है और टर्न बक्कल के सहारे उठ खड़ा होता है l सीधे जा कर विंग चुंग के सामने खड़े हो कर उस पर तेजी से हाथ चलाने लगता है l कोशीश करता है एकाग्र हो कर प्रैक्टिस करे l

समीर - क्यूँ भई... हमसे बात नहीं करना चाहते क्या...
हरीश - हमे हरा कर सोच रहा है... कोई बड़ा तीर मारा है... पर अभी तक... डैनी से लड़ने के काबिल नहीं हो पाया है... इसका दुख है... है ना...
प्रणब - अरे हम तो उसे खुश करने के लिए हार जाते थे... वरना यह हमे हरा पाएगा... ऐसा दिखता भी है....

विश्व उनके बातों को सुन कर और तेजी से हाथ चलाने लगता है l वसंत उसके प्रैक्टिस देख कर पुछता है

वसंत - क्यूँ भई... हो जाए दो दो हाथ....
विश्व - मैं सोच रहा हूँ... क्यूँ ना तुम चारों से एक साथ लड़ुँ..
समीर - खयाल अच्छा है दिल को बहलाने के लिए ए ग़ालिब... लेकिन कंडिशन यह है कि... नो ग्लोव्स... नो सैफ्टी आरमॉर पैड्स...
विश्व - ठीक है...
हरीश - सोच ले... बाद में पछताने के लिए भी... टाइम नहीं मिलेगा तुझे...
विश्व - अब तक तो चारों को अलग अलग धोया है... पर आज एक साथ धोने को मन कर रहा है...
हरीश - बहुत बड़ी बात कह दी तुने... अब तक हम सीखा रहे थे...
प्रणब - अब कुटेंगे... और ऐसे कुटेंगे की आइंदा... ऊंचा पकवान बेचने से पहले... अपना दुकान बचाने की सोचेगा तु...
विश्व - बहुत पका रहे हो... पहले शुरू तो हो जाओ...

वे चारों रिंग में घुस जाते हैं और विश्व को चारों ओर से घेर लेते हैं l विश्व अपना बचाव का पोजीशन लेता है l चारों आपस में इशारा करते हुए विश्व के चारों तरफ़ घेरा बना कर हमला शुरू करते हैं l विश्व उनके हमले को डॉज करने लगता है l लेकिन चारों मास्टर्स से लड़ना एक साथ विश्व के लिए भारी पड़ा l पहली ही राउंड में सिर्फ़ पांच मिनिट में विश्व रिंग के फर्श पर गिर पड़ा l गिरने के बाद विश्व पहले संभल कर बैठा l

प्रणब - क्यूँ प्यारे कुटाई से पेट भरा या... भुख और भी है...
हरीश - कहा था... बहुत बड़ी बात कह दी है तुने... अबे अंडे से निकले जुमा जुमा ही कुछ दिन हुए हैं... फुदकना छोड़ उड़ने की सोच रहा है... कट गया ना पर...
विश्व - और एक राउंड हो जाए... इसबार पक्का... तुम चारों को... चारो खाने चित...
समीर - वाह... ना स्वाद है... ना खुशबु... यह खयाली पुलाव है अच्छा है... बच्चे... तेरा पेट आज भरेंगे जरूर...
वसंत - चलो हम सब ग्लोवस पहने लेते हैं.. और तु... सारे सेफ्टी पैड्स पहन ले... वरना अगली बार नहीं उठ पाएगा...
विश्व - मुझे सेफ्टी पैड्स की जरूरत नहीं... हाँ मेरे मार की दर्द से बचना चाहते हो तो... ग्लोवस मैं पहन लेता हूँ...
हरीश - फ़िर से बड़ी बात कह दी... अब तो तेरे दुकान में शटर डालना ही पड़ेगा...

फिर से विश्व अपना पोजीशन लेता है l वे चारों भी अपना अपना पोजीशन लेते हैं l फ़िर शुरू होता अटैक और डॉज l इसबार विश्व की फुर्ती देख कर चारों हैरान रह जाते हैं l उनके अटैक के जवाब में विश्व की डॉज और रीफ्लेक्सेस मूवमेंट उन चारों को हैरानी में डाल देता है l अब वे लोग आँखों आँखों में इशारा करते हैं, समीर को छोड़ सब विश्व के सामने आ जाते हैं और समीर पीछे से विश्व के पैरों पर डाइभ लगाता है विश्व चौकन्ना था इसलिए संभल कर पीछे मुड़ कर दो कदम कुद कर हटता है पर इस बार पीछे हरीश डाइभ लगा देता है l विश्व खुद को संभालने की कोशिश में घुम जाता है और पेट के बल गिरता है l जैसे ही विश्व गिरता है उसके उपर बाकी लोग कुद कर गिर जाते हैं l विश्व फिर से मुहँ की खा चुका है l क्यूँकी सब उसके ऊपर अपना वजन डाले गिरे हुए हैं इसलिए दर्द के मारे विश्व कराहने लगता है l विश्व की कराह सुन कर सब विश्व के उपर से उठ जाते हैं l

हरीश - (उसके उपर से उठते हुए) अब पड़ी कलेजे में ठंडक... हो गई तेरी दुकान बंद...
समीर - अब समझ में आ गया होगा... उड़ना और फुदकना किसे कहते हैं...
प्रणब - मुझे लगता है... इसका पेट भर गया है... कम से कम एक हफ्ते तक भूख नहीं लगेगी इसे...
वसंत - क्यूँ भई... क्या सोचने लग गया...
विश्व - मजा नहीं आया... अब... एक राउंड और... फाइनल... बस... अब तो तुम लोगों को बगैर धोए... खाना हज़म नहीं होगा मुझसे...
वसंत - अबे पागल हो गया क्या... तुझे सिखाने के लिए... कितने पापड बेलने पड़ते हैं... कहाँ कहाँ से जुगाड़ लगानी पड़ रही है... और तु है कि... अपना कबाड़ा करवाने पर तुला हुआ है...
विश्व - जो भी होगा मेरा होगा ना... क्या करूँ... तुम लोगों से सीख कर... तुम्हीं लोगों को हराया है... पर अलग अलग... अब एक साथ हराना चाहता हूँ... सिर्फ़ हराना ही नहीं... अब तक जितना कुटा है मुझे... वह सब सुध समेत कुट कर वापस करना है..
हरीश - अबे ऑए... डैनी भाई ने कहा तो तुझे सीखा रहे हैं... इसलिए लिहाज़ कर रहे हैं... वरना हम सब यहाँ उल्टे खोपड़ी के हैं... दिमाग फ़िर गया तो...
समीर - कहने की क्या जरूरत है... अब तक खेल हो रहा था... अब और खेल नहीं...
प्रणब - अब तो शटर गिरेगा भी और दुकान बंद होगा भी... चलो

अब एक साथ मिलकर विश्व पर हमला कर देते हैं l विश्व इस बार पुरी तरह से चौकन्ना हो कर अपना सीखा हुआ मूवमेंट्स आजमाने लगा l अबकी बार स्फूर्ति, फुर्ती और तेजी विश्व के रीफ्लेक्सेस में नजर आने लगती है l अब तक उनके अटैक के जवाब में डॉज करने वाला विश्व अब काउंटर अटैक करने लगा l और फिर सिर्फ़ सात मिनट में वे चारों नीचे गिरे हुए दिखे l उनके नीचे गिरने के बाद विश्व के कानों में तालियों की गूँज सुनाई देने लगती है l
विश्व उस तरफ देखता है l वहाँ पर डैनी और चित्त दोनों खड़े थे l डैनी और चित्त दोनों ताली मार रहे हैं l

डैनी - वाह विश्व वाह... मुझे इसी दिन की उम्मीद थी तुमसे... वाह... वाकई तुमने आज मुझे खुश कर दिया...

विश्व चुप रहता है l अब वह चार खुद को झाड़ कर उठते हैं l वे चारों भी चार कोने में पहुंच कर ताली बजाने लगते हैं l

डैनी - विश्व... तुममें सबसे अच्छी क्वालिटी क्या है... जानते हो... आसानी से हार ना मानना... एक जुनून है तुम्हारे अंदर... कुछ हासिल करने के लिए... वाह सच में मजा आ गया.... तुम सीख तो रहे थे... पर जीते सही मायने में आज हो... तुम वन टु वन फाइट में इन्हें हरा पाए... क्यूंकि उस फाइट में तुम जितने कंफीडेंट होते हो... नंबर बढ़ जाने से... तुम्हारा कंफीडेंट हिल जाता था... पर अब यक़ीन है... तुम अब मैनेज कर लोगे....
विश्व - डैनी भाई... मैं एक बार आपके साथ... खुदको आजमाना चाहता हूँ...
डैनी - (मुस्कराकर) ठीक है... कल... कल तुम्हारा यह ख्वाहिश पूरा होगा...
विश्व - थैंक्यू भाई... थैंक्यू.... पर बड़े कह गए हैं... कल करे सो आज कर... आज करे सो अब...
डैनी - तुम मुझे चैलेंज कर रहे हो...

विश्व - इतनी बड़ी हिमाकत मैं नहीं कर सकता... मैं बस आज खुदको आजमाना चाहता हूँ...
डैनी - (मुस्कराता है) विश्व तुममें भुख भी ग़ज़ब का है... सीखने की भुख... सीख लेने की भुख... चलो फ़िर...

डैनी रिंग में उतरता है और उसके बंदे सारे बाहर निकल कर चित्त के पास खड़े हो जाते हैं l

डैनी - चाहो तो तुम... सेफ्टी आरमॉर पैड्स पहन सकते हो.... और मैं ग्लोव्स पहन लेता हूँ...
विश्व - नहीं बिल्कुल नहीं... प्रैक्टिस इन नौ महीनों में कर ली है मैंने... अब सिर्फ़ प्रैक्टिकल चाहिए... मुझे भी मालुम होना चाहिए... मुझ पर होने वाले वार कितना इम्पैक्ट कर सकता है.... और मैं अपने वार को कंट्रोल कर पाता हूँ या नहीं.... इसलिए अब और प्रैक्टिस नहीं....
डैनी - वाह विश्व वाह... वाकई तुम्हारा एटीट्यूड बहुत बदल गया है... ह्म्म्म्म... बहुत अच्छे... तो फिर शुरू हो जाओ...

विश्व अपना पोजीशन लेता है और डैनी भी अपना पोजीशन लेता है l बाहर खड़े पांचो बंदे बड़े उत्सुकता के साथ गुरू और शिष्य की लड़ाई देखने को बेताब हैं l

अचानक डैनी अपना पोजीशन बदल कर अटैक शुरू करता है l विश्व भी उतनी ही फुर्ती के साथ डिफेंस करता है l विश्व के रीफ्लेक्सेस को देख कर डैनी पैंतरा बदलता है, विश्व भी अनुरुप उसे डॉज करता है और परफेक्ट डिफेंस ब्लॉक करता है l हाथों और पैरों का अद्भुत कला कौशल एक दूसरे पर आजमा रहे गुरु और शिष्य को बाहर खड़े विश्व के वह पांच आंशिक गुरु भी अचंभित हो गए हैं l अत्यधिक डिफेंस के चलते विश्व के दाहिने तरफ कंधे और कमर के बीच एक गैप दिख जाता है डैनी को l डैनी भी मौके का फायदा उठाकर एक किक हिट करता है l किक लगते ही विश्व का ध्यान भटक जाता है फिर डैनी दन दना दन किक व पंचेस की बौछार कर देता है l विश्व थोड़ा नर्वस हो जाता है और उसी समय उसके छाती पर एक ज़ोरदार किक लगता है l विश्व कुछ दूर छिटक कर टर्न बक्कल से टकरा कर फ़र्श पर गिरता है l पर दुसरे ही पल अपने दोनों पैरों को घुमा कर उठ खड़ा हो जाता है l

डैनी - क्या हुआ विश्व... तुम्हारे पास सिर्फ़ डिफेंस ही है... अटैक का क्या हुआ...
विश्व -( चुप रहता है)
डैनी - जो डीटरमीनेशन (समीर, वसंत, प्रणब और हरीश की ओर इशारा करते हुए) इनके साथ लड़ते दिखा रहे थे... मेरे साथ लड़ते वक्त क्या हो गया तुमको... तुम ओवर डीफेंसीव हो गए.... (विश्व को चुप रहते देख) बहुत कुछ तुमने... एक्सपेरियंस किया है... इसलिए यह भी याद रखो... जो तुम्हारे सामने है... वह तुम्हारा गुरु भले ही हो... पर तुम्हारा व्यवहार उसके साथ ओपोनेंट की तरह होनी चाहिए... तुमने महाभारत में नहीं पढ़ा.... या देखा.... कुरुक्षेत्र में अर्जुन के विरुद्ध द्रोण युद्ध कर रहे थे....
विश्व - (अपना सर हिला कर हाँ कहता है)
डैनी - यह बात भी गांठ बाँध लो... कभी कभी अटैक इज़ द बेस्ट डीफेंस होता है...
विश्व - जी डैनी भाई.... एक और राउंड कोशिश करें....

डैनी - क्या... विश्व... तु क्या करना चाहता है... आज नहीं तो कल भी हम फाइट कर सकते हैं.... अभी मुझसे पहले इन लोगों से तीन तीन राउंड लड़ा है तु... और कितना देर टिक पाएगा...
विश्व - डैनी भाई... आप के पास मेरे लिए छह महीने बाकी हैं... एक साल गुज़र गया है.... इन एक सालों में यह पता चला... सीखने के लिए बहुत है... पर सीखा बहुत कम है.... खैर... जितना वक्त साथ दे.... इसलिए मैं आज अपना एक्सट्रीम चेक करना चाहता हूँ.... और आपसे निवेदन है.... आप मुझ पर रहम बिल्कुल मत कीजिए....

डैनी विश्व को हैरान हो कर देखता है l डैनी के साथ साथ उसके पंटर भी विश्व की बात सुनकर हैरान हो जाते हैं l विश्व अपना पोजीशन लेता है l डैनी भी अपना पोजीशन लेता है l इस बार डैनी जैसे ही अटैक स्टार्ट करता है विश्व डीफेंस के साथ साथ काउंटर अटैक भी करता है l अब कि लड़ाई में एक दुसरे को छकाना और वार करने की कोशिश करना हर एक स्टाइल में चलता रहा l फिर अचानक विश्व के पंच और किक तेज होते जाते हैं l इस बार डैनी थोड़ा डीफेंसीव हो जाता है जिससे विश्व की अटैक की रफ्तार और बढ़ जाता है l फिर अचानक विश्व की दाहिने हाथ की कलाई को डैनी अपनी बाएं हाथ की तीन उंगली से पकड़ लेता है l डैनी की पकड़ इतनी मजबूत होती है कि विश्व को दर्द होने लगता है l फ़िर डैनी दो पंच मारता है एक अंदरुनी कोहनी पर और दुसरा कंधे पर l विश्व के हाथ पूरी तरह से शुन हो जाता है l फिर विश्व को डैनी एक फ्रंट किक मारता है तो विश्व जाके एक टर्न बक्कल से टकराता है, वहीँ नीचे गिर जाता पहुंच कर डैनी को हैरान हो कर देखता है l

विश्व - (कराहते हुए) क्या.... क्या था यह... आ.. ह
डैनी - वर्म कलई...
विश्व - क्या.. व.. वर..म..
डैनी - वर्म कलई... एक प्राचीन भारतीय युद्ध कला...
विश्व - भारतीय...
डैनी - हाँ भारतीय... प्राचीन लोक कथाओं के अनुसार... भगवान शिव ने अपने पुत्र मुरुगन को सिखाया... भगवान मुरुगन से अगस्त्य महा मुनी ने सीखा और लोक कल्याण के लिए लोकार्पण किया.... यह बहुत ही प्राचीन विद्या है... तमिल और मलयालम में वर्म कलई कहते हैं... तेलुगु कन्नड़ और संस्कृत में मर्म कला...
विश्व - इतनी प्राचीन कला... आप कैसे...
डैनी - प्राचीन कला... लुप्त कला नहीं है...
विश्व - क्या आप मुझे यह सिखायेंगे...
डैनी - क्यूँ नहीं... मैंने कहा था ना... मेरी खुन पसीने की कमाई तुझे दे कर जाऊँगा... यह भी मेरी कमाई है... और तुझे देकर जाऊँगा...

विश्व के पास आकर डैनी हाथ बढ़ाता है, विश्व उसका हाथ थाम कर उठ खड़ा होता है l

डैनी - हमारे शरीर में छियासी ऐसे नर्व पॉइंट्स हैं... जिन पर अब तुम्हें ज्ञान लेना होगा... और ऐसे पॉइंट्स पर हमला करने के लिए... मुट्ठी या घुसे के वजाए... उँगलियों को इस्तेमाल किया जाता है... पर उस पर वार के लिए उँगलियों का मजबुत होना चाहिए... इसीलिये तुमसे साल भर कुए से पानी निकलवाया है... वह भी तीन उँगलियों से.... याद है इम्तिहान के बाद जब तुमने अपने तीन उँगलियों से मछली पकड़ा था...
विश्व - हाँ...
डैनी - वह तुम्हारा पहला कदम था... वर्म कलई की ओर...
विश्व - (हैरानी से) क.. क्या...
डैनी - तो अब... वर्म कलई सीखने के लिए तैयार हो जाओ....
Ultimate update bro maza aa gaya hai
 
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