वैदेही और भैरव सिंह क्षेत्रपाल का आमना सामना जब जब होता है तो लगता है कोई बालीवुड मूवी देख रहा हूं । जैसे राखी गुलजार और अमरीश पुरी जी के बीच शब्दों का वाण चल रहा हो । बहुत ही खूबसूरती से लिखा है आपने ।
विक्रम सिंह और शुभ्रा की प्रेम कहानी शादी में तो परिवर्तित हो गई पर दोनों के बीच प्रेम गायब हो गया । आखिर ऐसा क्या हुआ था इन दोनों के बीच ?
अनु अपनी मासूमियत भरी बातों से वीर का दिल तो शर्तिया जीत चुकी है । शायद यही कारण है कि वीर उसे एक अलग तरीके से सेड्यूस करने की कोशिश कर रहा है ।
इन दोनों की एंट्री साथ में जब जब होती है कहानी में एक रूमानियत सी फैल जाती है । लगता है जैसे सुगंधित हवा का झौंका आ गया हो । बहुत खूब ।
यह तो स्पष्ट जाहिर है कि अनाम ही विश्व उर्फ प्रताप है । बचपन के कई साल एक साथ गुजारे हैं दोनों ने । बहुत सारी यादें जेहन में होंगी । और बचपन के दोस्त... बचपन की यादें कोई भी इंसान लाख जतन कर ले ,भुल ही नहीं सकता ।
नंदिनी कभी भुल ही नहीं सकती विश्व को । अब देखना यह है कि दोनों की लव लाइफ कैसे शुरू होती है !
यह कहानी इस फोरम की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक है । मुझे विश्वास है अगर कोई व्यक्ति इसे एक बार पढ़ना शुरू कर दे तो वह पुरा पढ़े बिना रूक ही नहीं सकता ।
आउटस्टैंडिंग ब्लैक नाग भाई ।
ब्रिलिएंट ।