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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Maine Kal ye padha kuchh update man maar kar.....mujhe ye story Kingfisher ne bataya tha ...uss samay aaya tha padhane lekin wo veer ka character negative tha rup ke character me dam nhi tha... isiliye 1-2 update ke baad Chala gaya...lekin Kal phir Kingfisher ne kaha ki ek baar pura padh Kar to dekh...so padhane laga aur shuru ke update man markar padha....lekin lekin lekin shuruwat ke update ke baad storyline ne ek jabardast pace pakadi...Matlab owsm Wala ...phir Maja aane laga story me...
Character sare khul ke samane aaye apne apne anokhe vyaktitatv ko samane lekar..
Veer, rup, vishv, bhabhi, tapas uncle, bhairav , vaidehi Vikram Rana, vllav etc ye sare character ekdam se story ke character na rahakar jivant ho uthe ,jaise nain sir ke character nishchal and jivisha...
Maine ek Revo me dekha ki SANJU ( V. R. ) sir ne kaha hai ki agar ye story paid karke padhana ho to bhi wo pasand karenge isse padhana ...unhone ekdam sahi kaha tha ye story hai uss layak...
Lekhani me abhi kuchh kamiya hai,lekin usme sudhar bahut hi jabardast tarike se kiye , jiske Karan ye story masterpiece bante ja RHA hai ...khair koi na aage padhate ja RHA hu current update par aane ke baad revo bhi dunga....agar na de paya to Bhai samajh Lena ki Mai padhai me vyast ho gaya hu...ye na samjhana ki aaya padha aur munh utha ke Chala gaya Bina kuchh kahe hi....tarife to bahut hai Karne ko lekin mere pass samay ki kami hai bahut to bye bye Mai Chala update padhane....bas u samjh lo tumhe ek Naya reader mil gaya Jo aapki Kahani ka kdradan hai, bas dikhu na to bhi samajh Jana ki jab bhi Kahani padhunga to aapko jarur appreciate karunga...
Kingfisher padhta hai kahani ko..pata hi nahi chala. Bty kahani bahut hi khubsurat likha hai Nag bhai ne. Andhra se belongs karte hai aur orissa me settled hai fir bhi outstanding hindi likha hai unhone.
Thodi bahut problem hai story likhne ke tarike me...byakaran sambandhit aur dot dot ka use karne me. Agar ye sahi ho jaye to fir wo ek maghe hue writer ke shreni ke katar me aa jayenge.
 

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Lazy villain
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Kingfisher padhta hai kahani ko..pata hi nahi chala. Bty kahani bahut hi khubsurat likha hai Nag bhai ne. Andhra se belongs karte hai aur orissa me settled hai fir bhi outstanding hindi likha hai unhone.
Thodi bahut problem hai story likhne ke tarike me...byakaran sambandhit aur dot dot ka use karne me. Agar ye sahi ho jaye to fir wo ek maghe hue writer ke shreni ke katar me aa jayenge.
Ha Kingfisher ne bataya tha, to padhata hi hoga....lekin abhi wo bhi silent reader hi hai....
 
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विश्व के लाइफ मे उमाकांत जी फरिश्ता ही बनकर आए थे। उन्ही की वजह से विश्व की जान बची थी और अपना शुरुआती पढ़ाई पुरी कर पाया था। पता नही इनके संतान के साथ क्या हुआ ?
ऐसे संत जैसे इंसान की भी हत्या करवा दिया क्षेत्रपालों ने।

विश्व का भैरव सिंह के महल मे जाना और रूप को ट्यूशन पढ़ाना इस अपडेट से क्लियर हो गया। और यह भी स्पष्ट हुआ कि क्यों वो भैरव सिंह का साथ इलेक्शन वगैरह मे दिया।

लेकिन रोणा और बल्लभ की बातें कुछ भ्रम मे डाल दिया। सात साल पहले ' रूप ' फाउंडेशन फ्रॉड केस मे स्पेशल जजों की नियुक्ती की गई थी ताकि केस का निबटारा जल्द से जल्द किया जा सके।
लेकिन इस बार ऐसा सम्भव नही है। शायद केस सेशन कोर्ट के अंदर दाखिल हो और सिर्फ एक जज के अंडर ही पुरे केस की सुनवाई हो। ऐसे मे हो सकता है कि जज केस को जानबूझकर बिलंब करवा दे और बहस के लिए डेट पर डेट निकालता जाए !
अगर ऐसा हुआ तब केस की निष्पक्ष सुनवाई होनी काफी मुश्किल है। मुझे लगता है बल्लभ यही बात रोणा को समझाने की कोशिश कर रहा था।

विश्व को भी प्रतिभा जी के थ्रू पता चल ही गया कि नंदिनी ही असल मे रूप है। वैसे इस बार भी तापस सर, प्रतिभा जी और विश्व का प्रसंग बेहतरीन लिखा आप ने। तापस सर ने अच्छी सलाह दी थी विश्व को। उन दोनो की लड़ाई सांप और नेवले की लड़ाई है और इस का फायदा उसे उठाना ही चाहिए। लेकिन यह ध्यान रखे कि कोई उसे मोहरे की तरह इस्तेमाल ना कर सके।

एक और अद्भुत अपडेट नाग भाई।
Outstanding & Amazing & brilliant & Jagmag Jagmag.
 

Kala Nag

Mr. X
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Kala Nag bhai hamesha ki tarah ek achcha diya hai aapne. Bhale hi likhne ki शैली badli ho aapne par quality me kyu अन्तर नहीं आया है।
धन्यबाद मित्र
विशु और vaidahi की बीच के संवाद bht भावनात्मक थे वैदेही ने तो कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वो ऐसे अपनें विशु के सामने आएगी उसे तो पता भी नहीं था कि उसका विशु zinda भी है। जो कुछ भी हुआ है वो उसके साथ उसके बाद उसकी हिम्मत ही नहीं हुई कि वो विशु का और सामना कर पाए aur दूर भी चली जाती अगर विशु उसे कसम देकर नहीं रोकता तो। फिर तो जो बेबसी के आंसू बहे है वैदेही के अपनी हालत पर वो उसके बेहोश होने पर ही रुके, विशु का साथ toh कोई भी गांव वाला दे नहीं सकता था चाह कर भी, कोई भी क्षेत्रपाल pariwar के मामलों मे नहीं आना चाहेगा इसीलिए उसका दोस्त के बिल्लू एक बैलगाड़ी ही दे पाया अपनी दोस्ती के नाते।
हाँ भाई राजा साहब का खौफ कुछ था ही ऐसा
अस्पताल मे वैदही का एडमिट होना विशु का भगवान से अपनी दीदी के लिए प्रार्थना करना काफी सहज भाव से लिखा गया है। फिर होती है उमाकांत की एंट्री जिनको पहचानने के vaidahi को ज्यादा समय ना lga, उमाकांत भी कितने बेबस थे जो सब कुछ जानते हुए भी कि कौन वैदेही को उठा कर ले गया था कुछ भी नहीं कर सके क्यूंकि अंजाम तो उसका भी बाकी लोगों के तरह ही होता जैसा कि आज तक होते आया है।
जी बिलकुल
इधर विशु को sadma लगा था अपने बहन से अलग होने का साथ ही उसके बाप की मृत्यु ऐसे मे उसे सम्भालने वाले की जरूरत थी जो उमाकांत ने puri की डॉक्टर के साथ मिल कर, वो तो भला हो डॉक्टर का जो उमाकांत के कहने पर क्षेत्रपाल के आदमियों से झूट बोल दिया कि विशु की यादाश्त जा चुकी है। बहुत कम अच्छे Character देखने को मिले h इस कहानी मे जिसने से एक यह डॉक्टर है जिसने अपनी जान की चिंता ना krte हुए विशु की देखभाल की है।
पर कब तक उमाकांत विशु को ऐसे छुपा पाता कभी ना कभी तो सामने आना ही था उसे तो ऐसे मे क्षेत्रपाल द्वारा उनके बेटी के लिए शिक्षक की जरूरत पढ़ना और उमाकांत का विशु की सिफारिश करना बहुत ही अच्छे से सोच कर लिया गया फैसला है उसे क्षेत्रपाल से बचाने का उन्हीं के आँख के सामने रखते हुए।
हाँ यह बात भी आपने अच्छी तरह से परिलक्षित किया है
अद्भुत
और उतनी बढ़िया ही आपकी writing है नाग भाई की कैसे क्षेत्रपाल ने वैदेही के भाई को रूप कि पढ़ाई के लिए मंजूरी दी राजा सहाब की नजरो me विशु की यादाश्त खोना विशु को एक benifit of the doubt दे गया।
फिर चाहे उसके लिए उमाकांत को विशु से झूट ही क्यूँ ना बोलना पड़े की राजा सहाब उसकी बहन को ढूंढ रहे है विशु को जिंदा रखना उस झूट के सामने कुछ भी नहीं था। विशु भी fir लग गया अपने काम मे रूप को पढ़ाना, उससे ज्यादा कुछ रिश्ता बनाए बगैर उसके बाद महल के छोटे मोटे काम फिर घर वापसी ऐसा ही chlta Rha और chlta ही rhta अगर रूप के मासिक धर्म चालू ना होते पर तब तक, राजा सहाब ने जो कहा था कि ज्यादा पहचान ना बनाए राजकुमारी से, यहां पहचान क्या उससे भी बहुत आगे रिश्ता निकल चुका था दोनों का।
रूप अपनी भाभी को अभी सब कुछ नहीं बताना चाहती है बस ऊपरी तौर पर जानकारी दे दी है कि प्रताप भी एक मुख्य कारण है उसके राजगढ़ जाने का और प्रताप उससे मिलने भी आएगा और वो कैसे होगा वो तो रूप ही janti है पर जब तक चीजे उसके हिसाब से घटित नहीं हो जाती है वो शुभ्रा को इंतजार ही करवाने वाली है। रूप को शुभ्रा का राजकुमारी जी कह कर अपनी नाराजगी दिखाना वाला scene भी मजेदार था नाग bhai शुभ्रा को भी लग रहा है कि हर कोई उससे बात छुपा ता है और उसकी सबसे करीबी सखी भी जब उससे बात छुपाने लगे तो नाराज तो होगी ही वो।
जी बिलकुल
Vishva और tapash का disscusuion केके के uper important था यह दिखाने के लिए की आप भले ही कितने talented, hardworking kyu na ho par अनुभव से in चीजों का कोई मुकाबला नहीं है अनुभव एक ऐसी chij है जो बढ़ती उम्र के साथ ही हासिल की जा सकती है जो विश्व की है ही कितनी? Tapash की तुलना मे तो विश्वा के पास ऐसे अनुभवी माँ बाप भले सगे ना हो पर सगे से कम भी नहीं है, का होना उसकी ताकत मे वृद्धि की करता है। tapash से उसे समझाया कि ओंकार चेट्टी जैसे इंसान का इस्तमाल krna और उसे डबल क्रॉस krna गलत नहीं है जो इंसान पहले से ही गलत है उससे धोखा देना कहाँ से गलत हुआ वो भी तब जब उसने पहले ही tumhe नुकसान phuchaya है अतीत मे।
नाग भाई आपने tapash और प्रतिभा का character अच्छे तरीके से कहानी मे ढाला है लगता ही नहीं कि दोनों कोई unnecessary character है या इनके ज्यादा scene के बिना भी स्टोरी चल सकती हाँ,, लेकिन jabki दोनों ka अपना अपना अहम स्थान है इस कहानी मे जहां एक taraf प्रताप उसे जिंदगी के बाहरी समस्याओं से लड़ने मे मदद krta है वहीँ प्रतिभा उसकी भीतर की भावनाओ को समझने मे मदद करती है जो वो खुद से समझ नहीं पाता एक तरह से वो रूप कि भी उतनी ही मदद कर रहीं है क्यूंकि उनका अनुभव तो शुभ्रा के पास भी नहीं है तो प्रतिभा ही बचती है उसको रास्ता दिखाने के लिए।
जी बहुत अच्छे एक दम सटीक
बाकी प्रतिभा ने तो बॉम्ब फोड़ दिया विश्व पर यह बता कर की रुप आयी थी और अपना रिश्ता विश्व से पक्का कर के भी gyi है और अंत ने माँ भी बोल चुकी है प्रतिभा को, अब तापस को कौन बताये कि झोल विश्व ने नहीं उसकी माँ कर रहीं है रूप के साथ मिलकर और इधर विश्व ढोल की तरह बज रहा है दोनों साइड से हाहाहा।
हा हा हा
यह और भी मजेदार होने वाली है
रूप भी विक्रम से अब चाहती है कि वो शुभ्रा से अपने संबंध पहले जैसे कर ले जैसा कि शुभ्रा कर चुकी है उसके kidnap वाले accident ke Baad से, वो शुभ्रा के पास जब हो तो उसका विक्की हो ना कि विक्रम क्षेत्रपाल जो कि इतना भी आसान नहीं है विक्रम से और साथ मे उसे विश्व का अहसान भी उतारना है उसके बाद ही शायद वो शुभ्रा से पहले जैसे संबंध कर पाए पर तब तक राह मुश्किल होने वाली है।
वह कहते हैं ना
जहां चाह है वहीँ राह है
अनिकेत और वल्लभ यह chutiye की तरह खुशियाँ मना रहे है यह सोच कर की केस की सुनवाई होने पर judge खरीद लेगे या बदल देगे उनको यह समझ नहीं आ रहा है कि जब वो लोग यह बात itne दिन के अंदर सोच सकते है तो विश्वा जो सालों से इस के लिए तैयारी कर रहा है क्या उसके दिमाग मे एक बार भी यह बात नहीं आयी होगी हाहाहा यह लोग हमेशा ही सोचते रहते है कि ईन लोगों ने विश्वा के लिए तोड़ निकाल लिया है इस बात से अनजान की वो इनसे कई कदम आगे की सोच लिए चल रहा है। सही है बहुत सही है जब वैदेही के ढाबे मे जाकर अपनी इज्जत का कचरा करवायगे तब शायद थोड़ी अक्ल आ जाए।
शतरंज हो या पत्ते खेल वही जीत सकता है जो अपने हिसाब से दुश्मनों से चाल चलवाये, या फिर आँखों के सामने कुछ और चाल दिखाई दे जिसे सुलझाने के लिए दुश्मन अपना एड़ी चोटी का जोर लगा दे पर बात जब समझ में आए तो खेल कोई दूसरा सामने आए
Yeh paraghap mera पसंदीदा था नाग भाई इस अपडेट का, जब वैदेही ने विश्व से पूछा कि वो जानना नहीं चाहता है कि क्या हुआ उसके साथ फिर विश्वास का उत्तर देना की वो जान चुका था कि क्या हुआ है क्यूंकि ऐसा तो नामुमकिन है कि इतने साल राजा सहाब के महल मे रहते हुए उसे कुछ पता ना चले कि उसकी बहन के साथ क्या हुआ है फिर भी उसके बाद भी उसका कुछ नहीं कर पाना और रूप को पढ़ाते रहना जबकि वो तो पढ़ा ही अपनी बहन के पते के लिया Rha था तो क्या कारण था कि वो यह जानने के बाद भी की उसकी बहन को उठाने वाला और कई नहीं राजा सहाब ही है वो उनके महल मे एक नौकर की तरह रोजमर्रा के काम krta रहा। और जिसका जवाब भी उसे पता था और वो जवाब है "डर" कहने को दो अक्षर का शब्द है पर इसका प्रभाव इंसान पर उतना ही अधिक, विश्व की उम्र ही क्या थी उस time और फिर ऐसे माहौल मे रहा है जहां उसने राजा सहाब का आंतक देखा है गांव वालों पर फिर उसके मन मे डर पैदा होना बहुत ही स्वाभाविक था खुद की जान का डर अगर उसने कुछ भी ऐसा वैसा करने की कोशिश की तो क्या हो सकता है उसके साथ, उसके टीचर उमाकांत के साथ उसके दोस्तों के साथ पर सबसे बड़ कर khud की जान का डर।
धन्यबाद भाई
सच्चाई यही है कि विश्व उस समय सिर्फ तेरह साल का था
राजा साहब जैसे शख्सियत से लड़ने के क़ाबिल भी नहीं था और उस उम्र में भैरव सिंह को जितना जानता गया वह उतना ही उससे खौफ खाने लगा
आपने यहां पर मेरा दिल जीत लिया नाग भाई इतना realistic take लेकर क्यूंकि असल जिंदगी भी ऐसी ही होती है ना कि कोई मूवी की तरह की जिसमें मुख्य पात्र अपने क्रोध की ज्वाला मे सब दुश्मनों का विनाश कर देता है। विश्व तो एक बच्चा था इस time सबसे पहले उसके दिमाग मे को ख्याल आया होगा वो तो खौफ का ही आएगा अभी उसको इस सीमा तक नहीं धकेला नहीं गया था कि उसके मन मे बस बदला लेने की भावना के अलावा कुछ ना रहे और शायद वो सीमा दूर नहीं रह गई जब वैदेही उसकी जिंदगी मे पुनः वापस आ गयी थी फिर उसके बाद ऐसा कुछ हुआ है जो विश्व को आज के विश्वा मे बदलने की नीव रखी थी।
लगता है और भी sad scenes aane wale hai apne dil ko मजबूत कर लेता हूं पर शायद वैदेही के आपबीती जितने sad nhi hoge या हो भी सकते है अब यह तो आप ही jante है नाग भाई।

Thanx for the update नाग bhai👍👍
धन्यबाद मित्र बहुत बहुत धन्यबाद
आपका विश्लेषण बहुत ही लाज़वाब रहा
 

Kala Nag

Mr. X
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मैं मौर्या जी की इस बात से पुर्ण रूप से सहमत हूँ की कथा की सूचिका बना लेनी चाहिए ताकि मेरे जैसे अन्य पाठकों को पड़ने का आनंद मिल सके, बाकि तो आप पर निर्भर है (जिसके कई कारण हो सकते हैं)🙏
मैं कोशीश तो कर रहा हूँ पर मेरा प्रयत्न असफल रहा है
वास्तव में मैं नहीं जानता इंडेक्स बनाया कैसे जाता है
तो मित्रों किसीको भी इस बारे में ज्ञान हो तो कृपया मेरा मार्ग दर्शन करें
 

Kala Nag

Mr. X
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Maine Kal ye padha kuchh update man maar kar.....mujhe ye story Kingfisher ne bataya tha ...uss samay aaya tha padhane lekin wo veer ka character negative tha rup ke character me dam nhi tha... isiliye 1-2 update ke baad Chala gaya...lekin Kal phir Kingfisher ne kaha ki ek baar pura padh Kar to dekh...so padhane laga aur shuru ke update man markar padha....lekin lekin lekin shuruwat ke update ke baad storyline ne ek jabardast pace pakadi...Matlab owsm Wala ...phir Maja aane laga story me...
Character sare khul ke samane aaye apne apne anokhe vyaktitatv ko samane lekar..
Veer, rup, vishv, bhabhi, tapas uncle, bhairav , vaidehi Vikram Rana, vllav etc ye sare character ekdam se story ke character na rahakar jivant ho uthe ,jaise nain sir ke character nishchal and jivisha...
Maine ek Revo me dekha ki SANJU ( V. R. ) sir ne kaha hai ki agar ye story paid karke padhana ho to bhi wo pasand karenge isse padhana ...unhone ekdam sahi kaha tha ye story hai uss layak...
Lekhani me abhi kuchh kamiya hai,lekin usme sudhar bahut hi jabardast tarike se kiye , jiske Karan ye story masterpiece bante ja RHA hai ...khair koi na aage padhate ja RHA hu current update par aane ke baad revo bhi dunga....agar na de paya to Bhai samajh Lena ki Mai padhai me vyast ho gaya hu...ye na samjhana ki aaya padha aur munh utha ke Chala gaya Bina kuchh kahe hi....tarife to bahut hai Karne ko lekin mere pass samay ki kami hai bahut to bye bye Mai Chala update padhane....bas u samjh lo tumhe ek Naya reader mil gaya Jo aapki Kahani ka kdradan hai, bas dikhu na to bhi samajh Jana ki jab bhi Kahani padhunga to aapko jarur appreciate karunga...
धन्यबाद आभार शुक्रिया थैंक्यू
और क्या कहूँ
लोग जुड़ते रहें और कहानी इतना लंबा सफर तय कर सकी
आशा करता हूँ
आप जब तक मेरे वर्तमान तक पहुँचेंगे तब तक यह कहानी आपके हृदय में एक जगह बना चुकी होगी
Kingfisher भाई ने अगर मेरी अनुशंसा की है तो तह दिल से उनका आभार रहूँगा
और बात रही SANJU ( V. R. ) भाई की तो मैं उनका ऋणी रहूँगा उनके विश्लेषण के वजह से ही कहानी को यहाँ तक पहुँचा पाया
 
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