Kala Nag bhai hamesha ki tarah ek achcha diya hai aapne. Bhale hi likhne ki शैली badli ho aapne par quality me kyu अन्तर नहीं आया है।
विशु और vaidahi की बीच के संवाद bht भावनात्मक थे वैदेही ने तो कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वो ऐसे अपनें विशु के सामने आएगी उसे तो पता भी नहीं था कि उसका विशु zinda भी है। जो कुछ भी हुआ है वो उसके साथ उसके बाद उसकी हिम्मत ही नहीं हुई कि वो विशु का और सामना कर पाए aur दूर भी चली जाती अगर विशु उसे कसम देकर नहीं रोकता तो। फिर तो जो बेबसी के आंसू बहे है वैदेही के अपनी हालत पर वो उसके बेहोश होने पर ही रुके, विशु का साथ toh कोई भी गांव वाला दे नहीं सकता था चाह कर भी, कोई भी क्षेत्रपाल pariwar के मामलों मे नहीं आना चाहेगा इसीलिए उसका दोस्त के बिल्लू एक बैलगाड़ी ही दे पाया अपनी दोस्ती के नाते।
अस्पताल मे वैदही का एडमिट होना विशु का भगवान से अपनी दीदी के लिए प्रार्थना करना काफी सहज भाव से लिखा गया है। फिर होती है उमाकांत की एंट्री जिनको पहचानने के vaidahi को ज्यादा समय ना lga, उमाकांत भी कितने बेबस थे जो सब कुछ जानते हुए भी कि कौन वैदेही को उठा कर ले गया था कुछ भी नहीं कर सके क्यूंकि अंजाम तो उसका भी बाकी लोगों के तरह ही होता जैसा कि आज तक होते आया है।
इधर विशु को sadma लगा था अपने बहन से अलग होने का साथ ही उसके बाप की मृत्यु ऐसे मे उसे सम्भालने वाले की जरूरत थी जो उमाकांत ने puri की डॉक्टर के साथ मिल कर, वो तो भला हो डॉक्टर का जो उमाकांत के कहने पर क्षेत्रपाल के आदमियों से झूट बोल दिया कि विशु की यादाश्त जा चुकी है। बहुत कम अच्छे Character देखने को मिले h इस कहानी मे जिसने से एक यह डॉक्टर है जिसने अपनी जान की चिंता ना krte हुए विशु की देखभाल की है।
पर कब तक उमाकांत विशु को ऐसे छुपा पाता कभी ना कभी तो सामने आना ही था उसे तो ऐसे मे क्षेत्रपाल द्वारा उनके बेटी के लिए शिक्षक की जरूरत पढ़ना और उमाकांत का विशु की सिफारिश करना बहुत ही अच्छे से सोच कर लिया गया फैसला है उसे क्षेत्रपाल से बचाने का उन्हीं के आँख के सामने रखते हुए।
और उतनी बढ़िया ही आपकी writing है नाग भाई की कैसे क्षेत्रपाल ने वैदेही के भाई को रूप कि पढ़ाई के लिए मंजूरी दी राजा सहाब की नजरो me विशु की यादाश्त खोना विशु को एक benifit of the doubt दे गया।
फिर चाहे उसके लिए उमाकांत को विशु से झूट ही क्यूँ ना बोलना पड़े की राजा सहाब उसकी बहन को ढूंढ रहे है विशु को जिंदा रखना उस झूट के सामने कुछ भी नहीं था। विशु भी fir लग गया अपने काम मे रूप को पढ़ाना, उससे ज्यादा कुछ रिश्ता बनाए बगैर उसके बाद महल के छोटे मोटे काम फिर घर वापसी ऐसा ही chlta Rha और chlta ही rhta अगर रूप के मासिक धर्म चालू ना होते पर तब तक, राजा सहाब ने जो कहा था कि ज्यादा पहचान ना बनाए राजकुमारी से, यहां पहचान क्या उससे भी बहुत आगे रिश्ता निकल चुका था दोनों का।
रूप अपनी भाभी को अभी सब कुछ नहीं बताना चाहती है बस ऊपरी तौर पर जानकारी दे दी है कि प्रताप भी एक मुख्य कारण है उसके राजगढ़ जाने का और प्रताप उससे मिलने भी आएगा और वो कैसे होगा वो तो रूप ही janti है पर जब तक चीजे उसके हिसाब से घटित नहीं हो जाती है वो शुभ्रा को इंतजार ही करवाने वाली है। रूप को शुभ्रा का राजकुमारी जी कह कर अपनी नाराजगी दिखाना वाला scene भी मजेदार था नाग bhai शुभ्रा को भी लग रहा है कि हर कोई उससे बात छुपा ता है और उसकी सबसे करीबी सखी भी जब उससे बात छुपाने लगे तो नाराज तो होगी ही वो।
Vishva और tapash का disscusuion केके के uper important था यह दिखाने के लिए की आप भले ही कितने talented, hardworking kyu na ho par अनुभव से in चीजों का कोई मुकाबला नहीं है अनुभव एक ऐसी chij है जो बढ़ती उम्र के साथ ही हासिल की जा सकती है जो विश्व की है ही कितनी? Tapash की तुलना मे तो विश्वा के पास ऐसे अनुभवी माँ बाप भले सगे ना हो पर सगे से कम भी नहीं है, का होना उसकी ताकत मे वृद्धि की करता है। tapash से उसे समझाया कि ओंकार चेट्टी जैसे इंसान का इस्तमाल krna और उसे डबल क्रॉस krna गलत नहीं है जो इंसान पहले से ही गलत है उससे धोखा देना कहाँ से गलत हुआ वो भी तब जब उसने पहले ही tumhe नुकसान phuchaya है अतीत मे।
नाग भाई आपने tapash और प्रतिभा का character अच्छे तरीके से कहानी मे ढाला है लगता ही नहीं कि दोनों कोई unnecessary character है या इनके ज्यादा scene के बिना भी स्टोरी चल सकती हाँ,, लेकिन jabki दोनों ka अपना अपना अहम स्थान है इस कहानी मे जहां एक taraf प्रताप उसे जिंदगी के बाहरी समस्याओं से लड़ने मे मदद krta है वहीँ प्रतिभा उसकी भीतर की भावनाओ को समझने मे मदद करती है जो वो खुद से समझ नहीं पाता एक तरह से वो रूप कि भी उतनी ही मदद कर रहीं है क्यूंकि उनका अनुभव तो शुभ्रा के पास भी नहीं है तो प्रतिभा ही बचती है उसको रास्ता दिखाने के लिए।
बाकी प्रतिभा ने तो बॉम्ब फोड़ दिया विश्व पर यह बता कर की रुप आयी थी और अपना रिश्ता विश्व से पक्का कर के भी gyi है और अंत ने माँ भी बोल चुकी है प्रतिभा को, अब तापस को कौन बताये कि झोल विश्व ने नहीं उसकी माँ कर रहीं है रूप के साथ मिलकर और इधर विश्व ढोल की तरह बज रहा है दोनों साइड से हाहाहा।
रूप भी विक्रम से अब चाहती है कि वो शुभ्रा से अपने संबंध पहले जैसे कर ले जैसा कि शुभ्रा कर चुकी है उसके kidnap वाले accident ke Baad से, वो शुभ्रा के पास जब हो तो उसका विक्की हो ना कि विक्रम क्षेत्रपाल जो कि इतना भी आसान नहीं है विक्रम से और साथ मे उसे विश्व का अहसान भी उतारना है उसके बाद ही शायद वो शुभ्रा से पहले जैसे संबंध कर पाए पर तब तक राह मुश्किल होने वाली है।
अनिकेत और वल्लभ यह chutiye की तरह खुशियाँ मना रहे है यह सोच कर की केस की सुनवाई होने पर judge खरीद लेगे या बदल देगे उनको यह समझ नहीं आ रहा है कि जब वो लोग यह बात itne दिन के अंदर सोच सकते है तो विश्वा जो सालों से इस के लिए तैयारी कर रहा है क्या उसके दिमाग मे एक बार भी यह बात नहीं आयी होगी हाहाहा यह लोग हमेशा ही सोचते रहते है कि ईन लोगों ने विश्वा के लिए तोड़ निकाल लिया है इस बात से अनजान की वो इनसे कई कदम आगे की सोच लिए चल रहा है। सही है बहुत सही है जब वैदेही के ढाबे मे जाकर अपनी इज्जत का कचरा करवायगे तब शायद थोड़ी अक्ल आ जाए।
वैदेही - विशु... तु... जानना नहीं चाहेगा... इतने साल... मैं कहाँ थी...
विश्व - दीदी... मैं.. वह नालायक भाई हूँ... जिसके आँखों के सामने... उसकी बहन उठा ली गई... मैं जितने भी दिन... राजा साहब के घर में काम करता रहा... उन दिनों में... मैं दूसरों से जान चुका था... तुम्हारे साथ क्या हुआ है... मैं जैसे जैसे राजा साहब को जानता गया... मैं उससे डरने लगा और डरता ही रहा...
वैदेही - मैं... समझ सकती हूँ... पर क्या तुझे मुझसे कोई शिकायत नहीं...
विश्व - शिकायत... कैसी शिकायत... शिकायत है तो मुझसे... मेरे भगवान से... की मैं अपनी घर की इज़्ज़त ना बचा पाया...
Yeh paraghap mera पसंदीदा था नाग भाई इस अपडेट का, जब वैदेही ने विश्व से पूछा कि वो जानना नहीं चाहता है कि क्या हुआ उसके साथ फिर विश्वास का उत्तर देना की वो जान चुका था कि क्या हुआ है क्यूंकि ऐसा तो नामुमकिन है कि इतने साल राजा सहाब के महल मे रहते हुए उसे कुछ पता ना चले कि उसकी बहन के साथ क्या हुआ है फिर भी उसके बाद भी उसका कुछ नहीं कर पाना और रूप को पढ़ाते रहना जबकि वो तो पढ़ा ही अपनी बहन के पते के लिया Rha था तो क्या कारण था कि वो यह जानने के बाद भी की उसकी बहन को उठाने वाला और कई नहीं राजा सहाब ही है वो उनके महल मे एक नौकर की तरह रोजमर्रा के काम krta रहा। और जिसका जवाब भी उसे पता था और वो जवाब है "डर" कहने को दो अक्षर का शब्द है पर इसका प्रभाव इंसान पर उतना ही अधिक, विश्व की उम्र ही क्या थी उस time और फिर ऐसे माहौल मे रहा है जहां उसने राजा सहाब का आंतक देखा है गांव वालों पर फिर उसके मन मे डर पैदा होना बहुत ही स्वाभाविक था खुद की जान का डर अगर उसने कुछ भी ऐसा वैसा करने की कोशिश की तो क्या हो सकता है उसके साथ, उसके टीचर उमाकांत के साथ उसके दोस्तों के साथ पर सबसे बड़ कर khud की जान का डर।
आपने यहां पर मेरा दिल जीत लिया नाग भाई इतना realistic take लेकर क्यूंकि असल जिंदगी भी ऐसी ही होती है ना कि कोई मूवी की तरह की जिसमें मुख्य पात्र अपने क्रोध की ज्वाला मे सब दुश्मनों का विनाश कर देता है। विश्व तो एक बच्चा था इस time सबसे पहले उसके दिमाग मे को ख्याल आया होगा वो तो खौफ का ही आएगा अभी उसको इस सीमा तक नहीं धकेला नहीं गया था कि उसके मन मे बस बदला लेने की भावना के अलावा कुछ ना रहे और शायद वो सीमा दूर नहीं रह गई जब वैदेही उसकी जिंदगी मे पुनः वापस आ गयी थी फिर उसके बाद ऐसा कुछ हुआ है जो विश्व को आज के विश्वा मे बदलने की नीव रखी थी।
लगता है और भी sad scenes aane wale hai apne dil ko मजबूत कर लेता हूं पर शायद वैदेही के आपबीती जितने sad nhi hoge या हो भी सकते है अब यह तो आप ही jante है नाग भाई।
Thanx for the update नाग bhai

