उफ्फ ये मोहब्बत, तापस का सड़क छाप रोमियो की तरह प्रतिभा को रिझाना और प्रतिभा का दो टूक जवाब दे कर उसको हवा से जमीन पर पटक देना, तापस का छीछोरी शायरी करना और प्रतिभा का उसकी और उसकी शायरी दोनो की हवा निकल देना और आखिर में, तापस का अपने घुटनों पर आ जाना। क्या ही मस्त दृश्य होता है दोनो की नोक झोंक का। बेचारा तापस हर बार मां बेटा का शिकार बन जाता है।
		
		
	 
हा हा हा 
अभी तो तापस प्रतिभा का शिकार हुआ है 
और यह तो पहले से ही तय है 
विश्व और प्रतिभा एक पार्टी के हैं 
तापस विपक्षी पार्टी का है 
	
		
	
	
		
		
			खैर आज की बात से तापस को ये संतुष्टि हुई कि इस बार अगर किसी वजह से विश्व को कुछ हुआ तो भी प्रतिभा नही टूटेगी वहीं प्रतिभा को विश्वास है कि विश्व इस बार जरूर जीतेगा क्यों की इतने लोगो का विश्वास, आशीर्वाद और उनका अनुभव उसके साथ है। मगर जैसा हर बड़े संग्राम में होता है यहां भी वही हो रहा है की दो बड़े पक्षों की लड़ाई में छोटे मोटे जंगली सियार और कुत्ते भी घात लगा कर बैठे है कि कब उन्हें मौका मिले और वो लोग अपनी बाजी चल सके। ये सुप्रिया रथ के पीछे कहीं शुभ्रा के पिता तो नही है जो क्षेत्रपाल खानदान से अपनी बेइज्जती और बेटी के दुखो का बदला लेना चाहता हो?
		
		
	 
सम्भावनायें बहुत हैं 
पर समय के साथ साथ 
सब तथ्य समाने आते रहेंगे 
	
		
	
	
		
		
			रूप घर पहुंच भी गई और अपने तेवर भी दिखा दिए मगर नागेंद्र को शक हो ही गया की कुछ तो गड़बड़ है और जब सुषमा ने पूछा तो वो आशंका सही साबित हुई। मगर ये लोग अभी ये नही जानते की रूप ने जिसे चुना है वो एक ज्वालामुखी है जो अपने अंदर की आग से सब कुछ जला हर उसकी राख से नई सृष्टि को जन्म देता है और यही वैदेही और विश्व का एकमात्र लक्ष्य है राजगढ़ को क्षेत्रपाल के काले शासन से मुक्ति दिला कर एक नए समाज का निर्माण करना जहां किसी गरीब, लाचार और असहाय पर कोई अन्याय और अत्याचार ना हो और सबको जीने का एक समान अधिकार को।
		
		
	 
रुप अभी नहीं बताएगी अपनी चाची को 
लेकिन सुषमा जब विश्व की ताप को क्षेत्रपाल महल में देखेगी तब वह जानेगी 
	
		
	
	
		
		
			विश्व और उसके ये चार जिगरी सच में बेमिसाल है एक सच्ची दोस्ती के लिए सब अपनी जान की बाजी भी लगा ने को तैयार है। मगर इस युद्ध में और चालों के बीच इनकी दोस्ती भीं फिर से परखी जाएगी।
		
		
	 
हाँ आगे कहानी में इनका प्रमुख भूमिका देखने को मिलेगी 
	
		
	
	
		
		
			विश्व और वैदेही का पिछले जीवन के दृश्य एक भय सा पैदा कर देते है पढ़ने से पहले की पता नही इस बार कौन सा कष्ट, कौन सा दर्द और कौन सी बेइज्जती सहनी पड़ेगी इन मासूमों को जिन्होंने बिना किसी जुर्म के उम्र कैद की सजा पाई है। बस एक छोटा सा अनुरोध है 
Kala Nag बुज्जी भाई कि ये पुरानी यादों के दृश्यों को थोड़ा जल्दी समाप्त कर देना क्योंकि उनका वो दर्द ज्यादा पढ़ा नहीं जायेगा।
		
 
घबराओ नहीं मित्र ज्यादा से ज्यादा पाँच से छह अपडेट और 
	
		
	
	
		
		
			भावनो और शब्दो के इस अतुलनीय जादूगर को बहुत बहुत धन्यवाद इस सुंदर चित्र निर्माण के लिए।
विश्व और वैदेही के जीवन पर ये गजल याद आ गई
जीते रहने की सज़ा दे ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी
अब तो मरने की दुआ दे ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी
मैं तो अब उकता गया हूँ क्या यही है कायनात
बस ये आईना हटा दे ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी
ढूँढने निकला था तुझको और ख़ुद को खो दिया
तू ही अब मेरा पता दे ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी
या मुझे एहसास की इस क़ैद से कर दे रिहा
वरना दीवाना बना दे ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी
		
		
	 
धन्यबाद शुक्रिया थैंक्यू आभार