• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
Prime
4,343
17,121
159
IMG-20211022-084409


*Index *
 
Last edited:

parkas

Well-Known Member
31,922
68,694
303
लिखने में लगा हुआ हूँ
लेखन का शैली बदल जाने से पात्रों के परिचालन में मुझे थोड़ी असुविधा हो रही है l पर मैं जल्दी ही अपडेट पोस्ट कर दूँगा
Intezaar rahega Kala Nag bhai....
 

Kala Nag

Mr. X
Prime
4,343
17,121
159
nice update ..
☺️
roop ne sab bata diya anam ke baare me ki kaise usko shak ho gaya ki pratap hi anam hai .
roop apni purani yaado me khokar emotional ho gayi jisme uske maa ka dehant aur chachi ka sambhalna ,aur baap bhaiyo ko uski koi fikr hi nahi thi .
जी यह वही पल था जो उसे मन और सच्चे लगाव से वह राजकुमारी अनाम को ना सिर्फ अपना समझने लगी थी बल्कि उस पर अपना हक भी जताती थी l बचपन से ही वह अनाम के प्रति पोजेसीव होने लगी थी l
vikram ne apne guards ko target de diya hai aur usko pura karne par salary badhane ka vaada bhi kiya hai .10 guards milke bhi vikram ko touch bhi nahi kar paaye .
क्या करे
एक पुरुष भाव का अहंकार जिसे विश्व से तगड़ा आघात मिला है
खुद को इन जैसे छोटे मोटे फाइट्स जो जी बहला रहा है
mahanti ne saari jaankari de di rup foundation ke baare me aur kaise vishwa ek bali ka bakra banaya gaya ye bhi bataya .
हाँ अब विक्रम अच्छी तरह से विश्व के अतीत के बारे में आंशिक रूप से ही सही जान गया है
विश्व कैसा है समर्थ और कितना सक्षम है विक्रम की निजी अभिज्ञता है
बस अपनी खीज निकाल रहा है
kk milne aa gaya pratap se par pratap ne uski hi bolti band kar di 😁.. pratap ka istemal karna chahta tha kk ,par ab pratap koi pyada nahi raha jo kisike bhi jhaanse me aa jaaye .
हाँ यह बात उसे समझ में आ गई है और उसके बॉस को समझना बाकी है
veer ne apna decision suna diya vikram ko ki wo aanewale kal me kshetrpal aur pratap ki ladhai me pratap ke khilaaf nahi jaanewala 😍😍.
हाँ वीर ने बगावत शुरु कर दी है पर उसकी भनक अभी तक भैरव सिंह या पिनाक सिंह को लगी नहीं है
 

Kala Nag

Mr. X
Prime
4,343
17,121
159
Take your time bhai

प्रतीक्षा कर रहे हैं आप अपना समय लेकर रखें

Intezaar rahega Kala Nag bhai....
धन्यबाद मित्रों
बस एक दो दिन और
अपडेट में हर तरह का रोमांच मिलेगा जरूर मिलेगा
प्रयत्न जारी है
 

Death Kiñg

Active Member
1,410
7,098
159
आखिरकार, अब समय आ चुका है विश्व के उस चरित्र के चित्रित होने का जिससे हम सभी अनजान हैं। मुख्यधारा के सभी किरदारों का अतीत और उस अतीत के वर्तमान पर पड़ रहे प्रभाव से हम अवगत हो चुके हैं। परंतु कहानी के नायक (विश्व) और महानायिका (वैदैही) के अतीत की पूर्ण जानकारी अभी तक नहीं मिली थी। विश्व और वैदैही के मिलने के बाद क्या हुआ, वैदैही के साथ हुए दानवीय व्यवहार को जानने के बाद भी विश्व क्यों राजमहल में काम करता रहा, भैरव सिंह के कहने पर क्यों वो सरपंच बना, वैदैही ने विश्व को कौनसा मार्ग दिखाया और सबसे बड़ा प्रश्न, किस कारण से विश्व तब भैरव सिंह के समक्ष सर उठा कर खड़ा हो गया था, जैसा की हमने कहानी के प्रथम दृश्य में देखा था... इन सभी प्रश्नों के उत्तर जल्द ही मिलते दिखाई दे रहें हैं।

रूप सब कुछ जान चुकी है, अनाम के विश्व, विश्व के विश्वा, और फिर विश्वा के प्रताप बनने के बारे में। वैदैही का अतीत, उसका दुर्भाग्य और उसका साहस, इनसे भी परिचित हो चुकी है रूप। सबसे मुख्य.. भैरव सिंह! अपने पिता से नफरत है रूप को, बचपन से ही वो देखती है सब कुछ, और अब वैदैही की कहानी के जरिए, अनेकों महिलाओं और लड़कियों की कहानी भी रूप जान गई है.. ऐसे में उसकी नफरत की भावना जो भैरव सिंह के प्रति है, उसमें विशालकाय वृद्धि होना निश्चित है। रात्रि के समय जब “द हैल” में सभी बैठे थे, तब भी रूप के शब्दों से यही लगा की वो अपने चरित्र अनुसार ही कोई सशक्त फैसला ले चुकी है, दूसरे शब्दों में, विश्व का अतीत जानने के बाद शायद उसने अपनी राह चुन ली है!

वैदैही का किरदार इस कहानी की सबसे मज़बूत कड़ी है, जब कोई महिला अपने साथ हुए किसी भी प्रकार के अन्याय के विरुद्ध खड़ी होती है, और अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लेती है, ऐसे प्रसंगों की विराटता अलग ही होती है। यहां तो, वैदैही, एक पूरे साम्राज्य के विरुद्ध सर उठाए खड़ी है, वो भी इतने कष्टों, संकटों, और लगातार हो रहे अपमान के बावजूद भी। इस प्रकार के चरित्र के समक्ष केवल नतमस्तक ही हुआ जा सकता है। भैरव सिंह हो या फिर अनिकेत.. वैदैही के स्वर की तीक्ष्णता दोनों ही भली – भांति महसूस कर चुके हैं और अब जब विश्व लौट रहा है अपनी कर्मभूमि पर.. तो ऐसे में वैदैही का आक्रोश और दर्द, खुलकर बाहर आएगा, एक ऐसे तूफान के रूप में, जो राजगढ़ की मलिन हो चुकी मिट्टी को पवित्र कर देगा!

प्रतिभा ने जिन शब्दों का, जिन अलंकारों का प्रयोग किया इस धर्मयुद्ध या कहूं के वैदैही के युद्ध को दर्शाने के लिए, वो बेहद ही सुंदर था। विश्व की भावनाएं वैदैही के प्रति कितनी ऊंची हैं ये हम भली – भांति जानते हैं, परंतु प्रतिभा का इतना ही कह देना की वैदैही का स्थान उससे भी ऊंचा है विश्व के लिए, सब कुछ पानी की तरह साफ कर देता है। इधर वैदैही ने अन्न – छन्न का आयोजन किया है विश्व की राजगढ़ – वापसी के उपलक्ष्य में, आखिर उसके इंतज़ार की कश्ती को अब साहिल जो मिलने वाला है। यहां भी देखना होगा की विश्व के राजगढ़ लौटने के दिन, प्रतिभा और तापस की क्या प्रतिक्रिया होगी, खासकर प्रतिभा की! वो बेचारी तो पहले ही एक – एक दिन गिन रही थी, देखते हैं प्रतिभा यहां विश्व की ताकत कैसे बनेगी...

अनिकेत.. एक ऐसा व्यक्ति जिसे अपना अंत अपने सामने खड़ा दिखाई दे रहा है परंतु फिर भी उसका अहंकार उसे सत्य के दर्शन से रोक रह है। वैदैही से पिछले कुछ समय में उसने दूसरी बार दुर्व्यवहार करने का प्रयास किया, उससे पहले नंदिनी के साथ भी वो अभद्रता कर चुका है, मेरे ख्याल से सबसे पहला नंबर इसी का लगना चाहिए। वैसे भी भैरव सिंह के तीनों कुत्तों में सबसे कम – अक्ल और नामुराद यही जानवर है। देखना चाहूंगा मैं की अनिकेत, बल्लभ और परीडा के लिए क्या निर्धारित करेगा विश्व। प्रतिभा ने उससे वचन किया था कानूनन सजा सुनिश्चित करने का, देखना ये है की वो वचन केवल भैरव सिंह के लिए था या सभी के लिए। बहरहाल, नंदिनी राजगढ़ लौट रही है और अनिकेत का सच प्रतिभा से जान चुकी है, मेरे ख्याल से अनिकेत के लिए विश्व को अपने हाथ गंदे करने ही नहीं पड़ेंगे, उसे भैरव सिंह ही मगरमच्छों के आगे डाल देगा!

वीर और विश्व ने अपनी – अपनी असलियत एक – दूसरे को बता दी है। जहां विश्व, एक सुलझा हुआ और समझदार, साथ ही अनुभवी व्यक्ति है, ऐसे में वो समझता है की वीर अपने बाप – दादा से भिन्न है, प्रेम ने उसे भिन्न बना दिया है। ऐसे में विश्व की ओर से मित्रता में कोई परिवर्तन आना नहीं था। सवाल था वीर के बारे में, और उसने भी वही निर्णय लिया जो उचित था। वीर का चरित्र – परिवर्तन प्रेम की शक्ति की पराकाष्ठा है। वीर के शुरुआती चरित्र और अभी के चरित्र में आकाश – पाताल का नहीं बल्कि भूलोक – परलोक का अंतर है। इसका पूरा श्रेय वीर के उस हिस्से को जाता है जो शुद्ध था, परंतु क्षेत्रपाल उपनाम तले अशुद्धता ग्रहण कर चुका था और इस भाग पर जमी धूल किसी और ने नहीं बल्कि अनु ने ही हटाई है। खैर, विक्रम के समक्ष वीर का ये कथन और वो चिंगारी जो विक्रम ने वीर में पहले देखी थी.. स्पष्ट है की जल्द ही बगावत का शोर सुनाई देने वाला है।

दोनों भाग मुख्यता विश्व के अतीत दर्शन का ताना – बाना बुनने पर केंद्रित थे। इस बीच वीर का चयन और विक्रम के समक्ष खड़े हुए प्रश्न भी देखने को मिले। महांती के जरिए विश्व के और भैरव सिंह के अतीत के बारे में जान गया है वो, परंतु लगता नहीं अभी वो प्रतीक्षा के अतिरिक्त कुछ करेगा। देखते हैं विक्रम कब और कैसे विश्व के उस एहसान को चुकाएगा, क्योंकि विक्रम के जीवन का सबसे बड़ा पड़ाव उसके बाद ही आरंभ होगा। इधर कमलकांत महानायक अर्थात केके महोदय पहुंचे थे विश्व के पास परंतु अब अपनी फजीहत का फटा पोटला लेकर वापिस भी लौटेंगे। देखते हैं केके का बॉस अर्थात मुख्य खिलाड़ी, आगे क्या आदेश देगा उसे।

अब देखना ये है की विश्व और नंदिनी की अगली मुलाकात पर क्या होगा, वो मुलाकात जो शायद राजगढ़ में होने वाली है। आखिर नंदिनी बेवजह तो जा नहीं रही सुषमा से मिलने, शायद विश्व से मिलना ही असल प्रयोजन है उसका!

दोनों ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। जिस शालीनता से आपने कहानी के विभिन्न किरदारों को गढ़ा है, उसके लिए केवल कुछ शब्दों की प्रशंसा काफी नहीं हो सकती। हर एक किरदार एक अलग ही प्रकाश स्रोत है इस कहानी का, वैदैही, विश्व, नंदिनी, विक्रम, प्रतिभा, तापस और वीर.. इंद्रधनुष की ही भांति हैं ये किरदार जिनकी दो कड़ियों – विक्रम और वीर को थामे हुए हैं शुभ्रा और अनु! परंतु, इंद्रधनुष के ही साथ वो कालिख भी है जो इस कहानी के बनने का कारण है, भैरव सिंह... देखते हैं विश्व कैसे मिटाता है इस कालिख को।

प्रतीक्षा अगली कड़ी की...
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
569
3,788
138
मित्र पेज 420 हो गया है, अब तो इन्तेज़ार भूमिका अदा कर रहा है कि कुछ अच्छा होने वाला है विश्व के जीवन में.. कई अनकही कहानियां उनके उत्तर ढूँढ़ रही है 😍 आपके अगले अध्याय के इंतजार में 😊
 
Top