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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Kala Nag भाई, एक छोटी से गुजारिश है कल के अपडेट के लिए कि कल के अपडेट में कहानी के शीर्षक को पूर्ण कर देना।
 
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Kala Nag

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Yah sunkar Achcha laga🤩🤩 ki aapka Swasthya Kuchh theek hua 👌👌👌और कल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आप एक मेघा अपडेट देंगे 😍😍😍यह भी बहुत खुशी की बात है




लेकिन आज भी पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है तो बेटे के जन्मदिन पर भी हल्का-फुल्का कुछ दे दो😜😜😜😜😜
🤣🤣🤣
ये वाला जबरदस्त है, सच मे कुछ तो बनता है बेटे के लिए भी।
🤣🤣🤣
Waiting bhai
👍
Keep your health
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Kala Nag भाई, एक छोटी से गुजारिश है कल के अपडेट के लिए कि कल के अपडेट में कहानी के शीर्षक को पूर्ण कर देना।
जी आज पूर्ण होगा या नहीं मालुम नहीं है पर आज की क्लाईमेक्स में रुप विश्व की कचूमर निकालेगी l आज देर शाम तक अपडेट आएगी
 
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Kala Nag

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आजादी की अमृत महोत्सव पर सबको शुभकामनाएं व अभिनंदन
Proud Indian Bharat GIF
Independence Day India GIF by Roposo
 

Sidd19

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🤣🤣🤣

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जी आज पूर्ण होगा या नहीं मालुम नहीं है पर आज की क्लाईमेक्स में रुप विश्व की कचूमर निकालेगी l आज देर शाम तक अपडेट आएगी
Waiting
 
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Mr.x 2.0

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👉तिरानवेवां अपडेट
--------------------
कटक सदर
चेट्टी निवास
घर के परिसर में सात गाडियों का एक काफिला आकर रुकने लगती है l तीन गाड़ी आगे और तीन गाड़ी पीछे, बीच वाली बड़ी सी गाड़ी को कवर करते हुए काफिला रुकती है l तीसरी गाड़ी में से कुछ गार्ड्स उतरते हैं और बीच वाले गाड़ी के पास जाकर खड़े हो जाते हैं l एक गार्ड गाड़ी की डोर खोलता है l महानायक पिता पुत्र बड़े ठाठ से उतरते हैं l दोनों चेट्टी निवास के अंदर जाने लगते हैं और सारे गार्ड्स गाड़ी के पास खड़े रहते हैं l केके और विनय जब अंदर पहुँचते हैं तो वहां पर मौजूद लोगों के चेहरे पर डर गुस्सा और शर्मिंदगी का मिला जुला भाव देखते हैं l

विनय - (बहुत धीरे से) डैड... कहीं चेट्टी अंकल.. सिधार तो नहीं गए...
केके - (दबी हुई आवाज में) चुप कर कमबख्त... (वहाँ पर खड़े एक दाढ़ी वाले आदमी से) चेट्टी सर जी कहाँ पर हैं...

वह आदमी अपना चेहरा उठा कर ऊपर की ओर इशारा करता है l उसे ऊपर की ओर इशारा करते हुए देख विनय

विनय - (चौंक कर) क्या... चेट्टी अंकल ऊपर सिधार गए... (रोते हुए) आँ.. हाँ.. आ..
वह आदमी - ऑए... यह क्या कह रहा है... चेट्टी साहब अपने ऊपर वाले कमरे में हैं...
विनय - ओ... (खुश होते हुए) ऊपर मतलब... ऊपर वाले कमरे में...
वह आदमी - हाँ...
विनय - वैसे... दाढ़ी वाले भाई... यहाँ तो खुशियाँ हल्ला गुल्ला शोर होना चाहिए था... पर मातम क्यूँ दिख रहा है...
वह आदमी - पता नहीं... हम जब आए... चेट्टी साहब... कुछ लोगों को... गाली देते हुए यहाँ से निकाल दिए... और खुद को कमरे में बंद कर रखा है...
विनय - ओ...

महानायक बाप बेटे सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर पहुँचते हैं l ऊपर चेट्टी ने खुद को जिस कमरे में बंद कर रखा था उस कमरे के सामने आठ दस लोग हाथ पर हाथ बांधे सिर झुकाए खड़े थे l महानायक बाप बेटे को देख वहाँ पर खड़े एक टकला आदमी कमरे का दरवाजा खट खटाता है l

चेट्टी - (चिल्लाते हुए) क्या है...
टकला - मालिक... वह.. केके साहब... और उनके बेटे आए हैं...

अंदर से कोई आवाज़ नहीं आती है l विनय और केके थोड़े हैरान होते हैं l क्लिक - टक आवाज के बाद दरवाजा खुलता है, पर चेट्टी उन्हें नहीं दिखता है l

चेट्टी - अंदर आ जाओ तुम दोनों...

केके और विनय दोनों अंदर आते हैं पर उन्हें अंदर कोई नहीं दिखता है पर कमरे की हालत खराब था, जैसे वहाँ कोई तूफान गुजरा हो, कमरे की हालत देख कर हैरान हो रहे थे कि तभी दरवाज़ा बंद होता है l बाप बेटे पीछे मुड़ कर देखते हैं चेट्टी फटे कपड़ों में बिखरे बालों के साथ खड़ा हुआ है l चेहरे पर और जिस्म पर कहीं कहीं चोट के निशान दिख रहे हैं l उनकी ऐसी हालत देख कर बाप बेटे दोनों हैरान हो कर कभी चेट्टी को तो कभी एक दुसरे को देखते हैं l

केके - (हकलाते हुए) यह.. यह आपकी... ऐसी हालत... कैसे... किसने...
चेट्टी - (लंगड़ा के चलते हुए कमरे में पड़े एक सोफ़े के पास खड़ा होता है और महानायक बाप बेटे को हाथों से इशारा करते हुए) बताता हूँ... पहले बैठ जाओ... (उनके बैठने के बाद) (कराहते हुए) कभी कभी हमे लगता है... की प्लान परफेक्ट है... पर परफेक्ट प्लान भी... बैक फायर करती है...
केके - (हैरान हो कर) क्या... मतलब क्या हुआ यहाँ...

एक गहरी सांस छोड़ते हुए इन बाप बेटों के आने से पहले जो हुआ वह बताने लगता है l

चेट्टी निवास के ड्रॉइंग रुम में एक सिंहासन नुमा कुर्सी पर बैठे ओंकार विक्रम को फोन पर शुभ्रा की लोकेशन बता कर फोन काट देता है और जोर जोर से हँसने लगता है l धीरे धीरे उसके चेहरे से हँसी गायब होने लगती है और चेहरे पर गुस्सा और नफरत की मिली जुली भाव छाने लगती है l वह दारू की बोतल उठा कर पीने लगता है l कुछ घूंट पीने के बाद हांफते हुए बोतल को टेबल पर रखता है l जोर जोर से सांस लेते हुए खड़ा होता है और दीवार पर लगे यश के फोटो के सामने खड़े हो कर

चेट्टी - बेटा... मेरा बदला शुरु हो गया है... जो हराम खोर.. मेरी उंगली पकड़ कर राजनीति के गलियारे में कदम रखे थे... मेरे सहारे xxx पार्टी में घुसे थे... वही क्षेत्रपाल बाप बेटे... हमारी दोस्ती को कुचल कर.. हमें ही रास्ते से हटा दिया... (रोते हुए) हमारा सब कुछ बर्बाद कर दिया... (चेहरा को कठोर करते हुए) तु फिक्र मत कर बेटे... आज मैंने खुलेआम जंग छेड़ दी है... अब क्षेत्रपालों की... इज़्ज़त... रौब.. रुतबा.. सब बिखरेंगे... देखना तु मेरे बेटे... देखना....

तभी एक धमाका सुनाई देता है l उस धमाके के फौरन बाद बिजली चली जाती है l कुछ गार्ड्स ड्रॉइंग रुम के अंदर भाग कर आते हैं l

चेट्टी - (थोड़े नशे में) ऐ... क्या हुआ...
एक गार्ड - सर... हम नहीं जानते... पास कहीं पर धमाका हुआ है... तो हम अपनी अपनी पोजीशन ले रहे हैं...

तभी इंवर्टर से घर में इक्का दुक्का पंखे चलने लगते हैं और कुछ लाइट्स जलने लगती हैं l जैसे ही लाइट जलती है

चेट्टी - (सभी गार्ड्स से) अब तुम लोग जाओ.... देखो... कोई बाहर वाला आने ना पाए...
एक गार्ड - सर... प्लीज... आप अपने बेड रुम में चलिए... हम तब तक... सब चेक कर लेंगे...
चेट्टी - ठीक है...

कहकर लड़खड़ाते कदमों में ऊपर अपने कमरे की ओर जाने लगता है l उसके साथ चार गार्ड्स भी जाने लगते हैं l

चेट्टी - तुम लोग कहाँ जा रहे हो....
एक गार्ड - सर.. पहले आप महफ़ूज़ तो हो जाइए...
चेट्टी - ठीक है...

ऊपर कमरे के बाहर गार्ड चेट्टी को रोक कर अंदर एक नजर मारता है और फिर चेट्टी को अंदर जाने के लिए कहता है l चेट्टी खीजते हुए अंदर जा कर दरवाजा बंद कर देता है l अंदर सेल्फ पर रखे शराब की बोतलों में से एक उठाता है और खोल कर मुहँ लगा कर पीने लगता है l

:- सच कहा था तुने... ना तेरा कोई आगे है... ना कोई पीछे...(चौंक कर आवाज की तरफ देखता है, उसे ब्लर सा दिख रहा था)
चेट्टी - कौन है... (चटाक, एक थप्पड़ उसके गाल पर लगती है)

लड़खड़ा कर एक टेबल के पास पहुँचता है, और उस टेबल पर रखे फ्लावर वश से पानी निकाल कर अपनी आँखों पर मारने लगता है l तभी एक हाथ उसके गिरेबान को खिंच कर और एक थप्पड़ मार देता है l इसबार वह कमरे के बेड पर जा कर गिरता है l वह मुड़ कर देखता है l इसबार उसे सब साफ नजर आता है l

चेट्टी - विक्रम... तु. तुम... यहाँ.. कब और कैसे...
विक्रम - तुझे लगा... मैंने किसीसे गाड़ी छिन कर... अपनी बीवी को बचाने के लिए गया... जाहिर है... तेरे सारे आदमी भी... तुझे वही बताया होगा... इसीलिए... उन सब को ठेंगा दिखा कर.... मैं यहाँ पहुँच गया...
चेट्टी - हा हा हा हा... मतलब... तुझे तेरी बीवी से प्यार नहीं है... हा हा हा हा... क्षेत्रपाल जो ठहरा...
विक्रम - (उसके गिरेबान पकड़ कर) शुभ्रा... मेरी जान है... उनकी सुरक्षा पर कंफर्मेशन पाने के बाद... मैं यहाँ आया हूँ...

कह कर चेट्टी को उठा कर फेंक देता है l दीवार से लगे यश के फोटो से टकरा कर चेट्टी फोटो के साथ गिरता है l वह चिल्लाने को होता है कि विक्रम उसका मुहँ दबोच लेता है और उसके कान में धीरे से कहने लगता है l

विक्रम - मैं अपने साथ साथ... मेरे परिवार के हर सदस्य को जीपीएस ट्रैकिंग में रखता हूँ... और तु यह कैसे भुल गया... के शहर की ज्यादातर सर्विलांस ESS की दी हुई है... भले ही जैमर से मोबाइल सिग्नल को जैम कर दिआ... पर सर्विलांस ज्यों का त्यों ही था... जैसे ही शुभ्रा डिटेक्ट हुई.... ESS उन्हें सेव करने निकल गई है.... कायदे से तो... मुझे जाना चाहिए था... पर मुझे अपने ESS पर पूरा भरोसा है... इसलिए तेरी बजाने आ गया....

कह कर अपने तरफ घुमाता है और पेट पर एक जोरदार पंच मारता है l जिसके वजह से उसके हलक से निकल रही चीख घुट जाती है l वह पेट को पकड़ कर पीछे हटते हुए सोफ़े पर गिरता है l

विक्रम - तेरे हिफाजत के लिए... यहाँ वाई प्लस सिक्युरिटी मिली हुई है ना तुझे... देख तेरी सिक्युरिटी की बजा कर... मैं तेरी ले रहा हूँ...

दर्द से छटपटाते हुए चेट्टी विक्रम को देखने लगता है l अपने चेहरे पर हँसी लाते हुए l

चेट्टी - कुछ भी हो विक्रम... आज तेरी बीवी तुझे... सलामत तो नहीं मिलेगी...
विक्रम - कमीने... (चेट्टी की गिरेबान पकड़ कर खड़ा करता है)
चेट्टी - (एक कमीनी हँसी हँसते हुए) हाँ... राज कुमार क्षेत्रपाल... तेरी बीवी को जिस मॉल तक... एस्कॉट करते हुए ले जाया गया है... वहाँ पर रॉय ग्रुप सिक्युरिटी की सर्विस है... हा हा हा... (अपनी गिरेबान को छुड़ा कर कुर्सी पर पैर पर पैर रख कर बैठते हुए) कुछ भी हो... तु यह बाजी हार जाएगा... आह...
विक्रम - (एक लात फिर से पेट में मारता है, चेट्टी का मुहँ खुल जाता है, विक्रम उसमें अपना रुमाल ठूंस देता है और उसका गिरेबान पकड़ कर) शतरंज में चालें तभी चलो... जब शाह को महफ़ूज़ रख सको... (कह कर चेट्टी को खिंच कर उठाता है और फिर उसे सोफ़े के सामने वाले टी पोए पर पेट के बल पटक देता है) और साजिशों की दुकान तभी चलाओ... जब तशरीफ को मजबुत रख सको...

विक्रम अपनी कमर से बेल्ट निकालता है और चेट्टी के गांड पर चाबुक की तरह बरसाने लगता है l चेट्टी हिल नहीं पाता क्यूंकि विक्रम अपना पैर चेट्टी के पीठ पर दबाव बनाए रखा था और मुहँ में रुमाल होने के वजह से चेट्टी चिल्ला नहीं पाता l जी भर कर मारने के बाद l विक्रम अपना बेल्ट पहनता है और चेट्टी का सिर के तरफ बैठ जाता है l

विक्रम - अबे ढक्कन... हाथ तो फ्री था... रुमाल निकाल कर चिल्ला भी सकता था...

यह सुन कर चेट्टी हैरान हो कर विक्रम की ओर देखता है l विक्रम मुस्कराते हुए अपना मोबाइल निकाल कर महांती का मैसेज दिखाता है
"युवराणी सेफ, बट स्टील वी आर इन xxx मेडिकल वीथ हर"
मैसेज देख कर चेट्टी और भी हैरान होता है l

विक्रम - यह है ESS समझा... सुन बे... भुतनी के... मैं कभी भी तुम लोगों तक पहुँच सकता हूँ... यही बताने यहाँ आया था... बता कर जा रहा हूँ...

कह कर विक्रम उसे उठाता है और बेड पर धक्का देता है l चेट्टी बेड पर पेट के बल गिरता है l विक्रम दरवाजा खोल कर बाहर जाता है l सीढियों से उतर कर नीचे आता है l नीचे पहरा देते हुए गार्ड से

विक्रम - ऐ.. सुनो... चेट्टी अंकल... तुमको बुला रहे हैं... जाओ तुम सब ऊपर...

गार्ड्स सभी ऊपर के कमरे की ओर भागते हैं l जैसे ही सब ऊपर के कमरे में पहुँचते हैं

चेट्टी - (पुरी ताकत से चिल्लाते हुए) गेट ऑउट...

कहानी खतम होती है l चेट्टी अपनी जबड़े भींचे हुए आँखे बंद कर खड़ा हुआ है l महानायक बाप बेटे यह सुन कर हैरान थे l

केके - मतलब रंगा... कुछ नहीं कर पाया...
चेट्टी - हाँ... लगता तो यही है... (दर्द को दबा कर कराहते हुए) उससे काम नहीं हुआ...
विनय - अंकल... लगता है आपको बहुत दर्द हो रहा है... प्लीज बैठ जाइए...

चेट्टी उसे गुस्से से खा जाने वाली नजर से घूरने लगता है l

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होटल xxx
शूट के अंदर रोणा सिर्फ टावल पहन कर अपनी आँखे मूँद कर एक स्टूल पर बैठा हुआ है l उसके बदन पर जलन बहुत मात्रा में कम हो गया है पर फिर भी उसके बदन पर हल्के गुलाबी रंग के छाले नजर आ रहे हैं l उसके सामने बल्लभ चहल कदम कर रहा था l

बल्लभ - पता नहीं... यह परीड़ा कहाँ मर गया है... अभी तक तो आ जाना चाहिए था...
रोणा - (अपनी आँखे मूँदे हुए) आ जाएगा... फिक्र मत कर आ जाएगा...
बल्लभ - तु भुतनी के... चुप रह... साले हरामी... बोला था तुझे... दोबारा किसी हस्पताल में... नर्स की पिछवाड़ा देखने जैसा काम मत कर... पर कुत्ते का दुम है तु...
रोणा - हाँ हाँ... टेढ़ा हूँ... तो...
बल्लभ - (चिढ़ कर) छे... तेरे से ज्यादा बात की तो... मेरा बीपी उठ जाएगा... (तभी उनके शूट की डोर बेल बजती है) लगता है... परीड़ा आ गया...

कह कर बल्लभ दरवाजा खोलने के लिए बेड रुम से बाहर आता है l दरवाजा खोलता है तो उसे एक फ़ूड ट्रॉली पर गुलदस्ता मिलता है ग्रीटिंग के साथ l बिल्कुल हूबहू वैसा ही गुलदस्ता था, जैसा रोणा को मेडिकल में मिला था l वह दरवाजे से बाहर आकर करीडर में नजर घुमाता है, उसे कोई नहीं दिखता l वह कुछ सोचते हुए ग्रीटिंग कार्ड उठाता है और उसे खोलता है l

"आँख लगाओ तो आँख जले...
मुहँ लगाओ तो मुहँ जले....
और दिल लगाओ तो दिल जले...

अब तुम्हारा जलन ठीक हो गया होगा l फिर भी गेट वैल सुन"

यह पढ़ते ही बल्लभ की आँखे हैरानी से बड़ी हो जाती हैं l वह झट से गुलदस्ता अंदर लेकर दरवाजा बंद कर देता है l दरवाजे पर टेक् लगाए कुछ देर खड़ा रहता है फिर कुछ सोच कर वह गुलदस्ता उठा कर बेड रुम में आता है l रोणा की आँखे हैरानी से फैल जाता है l क्यूँकी हस्पताल वाली गुलदस्ता वह भुला नहीं था I

रोणा - (हैरानी भरे लहजे में) कोई मेसेज भी होना चाहिए... (बल्लभ वह ग्रीटिंग कार्ड को रोणा के हाथ में दे देता है, कार्ड में रोणा मेसेज पढ़ते ही चौंक जाता है) यह... यह बात तो मैंने... कल जीम में... तुझसे कहा था...
बल्लभ - हाँ... मतलब कल जो फर्श साफ कर रहा था... वही था... (अपना हाथ माथे पर मारते हुए) आआआह्ह्ह...
रोणा - (गुस्से में) साला कमीना... मेरे पास ही था वह... आ आ ह...
बल्लभ - कल मुझे परीड़ा ने कहा था... हमारे आस पास रह कर... कोई हमारी ले रहा है...

तभी फिर से डोर बेल बजती है l बल्लभ समझ जाता है जरुर इस बार परीड़ा ही आया होगा l वह फिर से दरवाजा खोलता है, हाथों में कुछ फाइल्स लिए सामने परीड़ा ही था l परीड़ा उसके चेहरे पर आए भाव को देख कर

परीड़ा - क्या बात है प्रधान... तेरे चेहरे पर... बारह क्यूँ बजे हुए हैं... क्या फिर से टमाटर समझ कर कोई... टट्टे काट लिया क्या तुम लोगों के...

बल्लभ सिर हिला कर अंदर आने के लिए इशारा करता है l परीड़ा अंदर आता है और दोनों मिलकर बेड रुम में रोणा के पास आ कर चेयर पर बैठ जाते हैं l परीड़ा दोनों के चेहरों को देखने के बाद

परीड़ा - कोई बतायेगा... क्या हुआ है अभी यहाँ...

बल्लभ गुलदस्ते के बारे में परीड़ा को सारी बातेँ बताता है l सब कुछ सुनने के बाद

परीड़ा - मतलब यह हुआ... फटे में टांग अड़ाओ तो टट्टे संभाल कर...
बल्लभ - (दांत पिसते हुए) बंद करेगा... तु अपना टट्टे पुराण...
परीड़ा - हाँ बंद कर देते हैं...
रोणा - तो... भुत पूर्व आईबी ऑफिसर... कुछ उखाड़ कर लाए हो... या खाली हाथ...
परीड़ा - (फाइलों को दिखाते हुए) तुझे मैं खाली हाथ दिख रहा हूँ...
रोणा - यह सब विश्व ही कर रहा है ना... उसका कोई संबंध उस एडवोकेट प्रतिभा से है क्या...
परीड़ा - पता नहीं...
बल्लभ और रोणा - (एक साथ) क्या...
रोणा - तो इतने फाइल क्या झुनझुना बजाने लाया है...
बल्लभ - तु तो कह रहा था... वह कुछ सुराग छोड़ कर गया है...
परीड़ा - वह तो अभी भी कह रहा हूँ...
रोणा - पर तुने ही अभी कहा... तुझे उसके बारे में पता नहीं...
परीड़ा - हाँ... और मैंने कल प्रधान से यह भी कहा था... की हम आज तीनों मिलकर बैठेंगे... एक एक कडियों को जोड़ कर... सारी पहेलियाँ सुलझाएंगे... क्यूंकि पहेली सुलझे या नहीं सुलझे... झटका तो आखिर में... तुम लोगों को लगनी ही है...

परीड़ा की बातेँ सुन कर रोणा और बल्लभ दोनों हैरान हो कर एक दुसरे को देखते हैं l

परीड़ा - अटेंशन प्लीज... (दोनों परीड़ा की ओर देखते हैं) तो सारी कड़ियां, सीसीटीवी की फुटेज सब देखने के बाद... मैं एक थ्योरी बनाता हूँ... देखते हैं... कितना मैच करता है... तो शुरु करें...

बल्लभ और रोणा दोनों अपना सिर हाँ में हिलाते हैं l

परीड़ा - तो... कटक में कुटाई कांड के बाद... तुम दोनों ने कटक छोड़ दिया... और अपने राजगड़ चले जाने की अफवाह फैला दी... उसके बाद तुम दोनों भुवनेश्वर आ गए... और तब तक सेफ थे... जब तक वकील प्रतिभा से मुलाकात नहीं हुई थी.... (बल्लभ और रोणा दोनों कुछ सोच में पड़ जाते हैं) यस जेंटलमेन... लेट्स मूव... प्रतिभा के घर से निकलने के बाद... तुम लोग बक्शी जगबंधु विहार के आउटर पर टैक्सी का इंतजार करने लगे... तभी एक टैक्सी आता है... तुम लोगों से भुवनेश्वर जाने के लिए पूछता है... राइट...
रोणा - तो... उसमें क्या थ्योरी है... हम लोग टैक्सी में ही तो आए थे...
परीड़ा - टट्टे कट जाए तो जाए... पर टमाटर ना जाए...
रोणा - क्या मतलब है तुम्हारा...
परीड़ा - पहले बात को सुनो... फिर नाक घुसेड़ो...
बल्लभ - तु बताना चालू रख...
परीड़ा - तुम दोनों उस टैक्सी में बैठ गए... टैक्सी के ड्राइवर के साथ आगे की सीट में एक बंदा बैठा था... राइट...
दोनों - हाँ...
परीड़ा - वह टैक्सी तुम दोनों को... होटल के प्रेमीसेस में लाकर ड्रॉप कर देता है... रोणा सीधे होटल के बार में घुस जाता है... और प्रधान तुम रिसेप्शन से स्वैप कार्ड लेकर कमरे की ओर चले गए... राइट...
दोनों - ह्म्म्म्म... राइट...
परीड़ा - तो अब... जो तुम दोनों ने नोटिस नहीं किया... वह यही.. के तुम दोनों के पीछे पीछे टैक्सी ड्राइवर के बगल में जो बैठा था वह उतरा... वह रिसेप्शन में प्रधान के पीछे खड़ा था... प्रधान अपने कमरे का नंबर बता कर चाबी लिया था... जिससे उसे तुम्हारे कमरे का नंबर मालुम हो गया... कुछ देर बाद और एक आदमी रिसेप्शन पर आता है... वह टैक्सी वाला उससे गले मिलता है... दोनों अब रिसेप्शन से तुम्हारे ठीक ऊपर वाले फ्लोर पर तुम्हारे ऊपर वाला रुम मांगते हैं... चूंकि रुम खाली था... उन्हें मिल जाता है... वह अपने रुम अंदर जा कर... बाथरुम के वेंटिलेशन विंडो निकाल कर अपने कमरे के वाटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन से वाकिफ़ होते हैं...
बल्लभ - पर... वाटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन... और ऐसी... दोनों सेंट्रल है ना...
परीड़ा - तो... लास्ट डिस्ट्रीब्यूशन में मैनीपुलेशन किया जा सकता है...
रोणा - तो उसने क्या मैनीपुलेशन किया....
परीड़ा - बताता हूँ... सुबह होटल के... हाउस कीपिंग और सैनीटाइजेशन डिपार्टमेंट को फोन आता है... तुम्हारे ऊपर वाले कमरे से... एक हाउस कीपिंग बॉय और सैनीटाइजींग बॉय दोनों उस कमरे में जाते हैं और हॉस्टेज बना लिए जाते हैं... यानी उन दोनों को क्लोरोफर्म सुंघा कर बेहोश कर दिया जाता है... उन्हीं के कपड़े पहन कर अपने काम को अंजाम देने के लिए तैयार हो जाते हैं... तुम दोनों की रेकी करने के लिए जीम में एक फर्श साफ कर रहा था... इतने में एक तीसरा बंदा आता है... जो सीधे उन दोनों के फ्लोर पर उनके कमरे में जाता है... शायद वही प्लंबिंग के काम में माहिर था... जब प्रधान रोणा को कसरत करते छोड़ कर कमरे की ओर आया... वह हाउस कीपिंग बॉय बन कर आ गया...
प्रधान - हाँ.. हाँ हाँ... मैं चिढ कर जीम से निकल कर कमरे में आया... तेरे ऑफिस जाने के लिए तैयार हो कर जैसे ही कमरे से बाहर निकला... मुझे वह हाउस कीपिंग बॉय मिला... उसने मुझसे हाउस कीपिंग के लिए स्वैप कार्ड मांगा... तो मैंने उसे झट से कार्ड दे तो दिया... पर अंदर से मुझे वाइव भी आ रहा था... तब मैंने उसकी शकल अच्छी तरह से देखा... उसके चेहरे पर दाढ़ी था... फिर... मैं बाहर चला गया...
परीड़ा - ह्म्म्म्म... और... टैप पॉइंट में जो छेड़ छाड़ बाकी था... तुमसे चाबी लेकर उसने कर दिया... और चाबी रिसेप्शन तक पहुँचा दिया...
रोणा - हाँ... एक्सरसाइज खतम कर के रिसेप्शन से चाबी लेकर... मैं कमरे में आया... अपने सारे कपड़े उतारे... फिर पसीना सूखने के बाद बाथरुम गया... पहले टब की ड्रेन को सील किया और नल खोला... ठंडा पानी बहने लगा... मैं शावर के नीचे आकर नहाने लगा... साबुन लगाते वक़्त शावर को बंद किया... साबुन के बाद... जब शावर को खोला खौलता पानी मुझ पर गिरा... मैं चिल्लाते हुए पीछे हटा... पर तब टब में गिर गया... तब तक टब में गरम पानी भरा हुआ था... मेरी हालत खराब हो गई थी... उसके बाद... पर क्या वह ट्रैप मेरे लिए था...
परीड़ा - हाँ... तुम नहा रहे थे... वह देख रहा था... वह सुबह ही... तुम्हारे कमरे के बाथरूम वेंटिलेशन के पास वाटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में... सलेनोएड लगा दिया था... जिससे वह जब चाहे... तुम्हारे कमरे की पानी की लाइन बदल सकता था... और उसने वही किया... जब सारे स्टाफ का ध्यान तुम पर थी... तब वे लोग कमरा छोड़ कर चले गए...
बल्लभ - इतना कुछ करने वाले... जाहिर है... अपनी पहचान छुपाये होंगे...
परीड़ा - हाँ... रिसेप्शन में जो आधार कार्ड दिए थे... वह सब नकली था... मतलब... आदमी भी नकली थे...
रोणा - सीसीटीवी से कोई जानकारी मिली....
परीड़ा - नहीं... वे लोग बहुत ही चालाक हैं... सीसीटीवी से कैसे चेहरा छुपाना है... उसमें वह लोग माहिर निकले...
रोणा - तो भोषड़ी के... तुने उखाड़ा क्या है...
परीड़ा - वही... जो तुम लोग नहीं उखाड़ पाए...

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विक्रम और रुप मिलकर xxx हॉस्पिटल में पहुँचते हैं l पुरे हॉस्पिटल में ESS गार्ड्स के सिक्युरिटी था l हर तरफ ESS के गार्ड्स ही दिख रहे थे l लॉबी में उन्हें महांती दिखता है l दोनों को देख कर महांती उनके पास जाता है l

विक्रम - (घबराए हुए) यह क्या महांती... तुमने तो कहा था कि... शुभ्रा जी को कुछ हुआ नहीं है...
महांती - जी.. उन्हें कुछ भी नहीं हुआ है... जरा सा शॉक में थीं... इसलिए उन्हें मेडिकल लाया गया...
विक्रम - कहाँ है वह...
महांती - वार्ड नंबर @#$ में... हैं... युवराज आप थोड़ा रुकिए... राजकुमारी जी... पहले आप जाइए... युवराणी से मिल लीजिए...
रुप - ठीक है...

कह कर रुप महांती के कहे @#& नंबर वार्ड की ओर चली जाती है l

विक्रम - क्या बात है महांती... तुमने... मुझे क्यों रोक दिया...
महांती - युवराज... हमने जब आपको... युवराणी जी की खैरियत की खबर दिया... तब तक एक्चुयली... युवराणी जी को किसीने मेडिकल में भर्ती कर दिया था... और...
विक्रम - और... और क्या महांती...
महांती - युवराणी जी को मॉल में बचाने की कोशिश में... राकेश रंजन पाढ़ी नामका एक लड़का घायल हो गया...
विक्रम - क्या...

उधर रुप भाग कर शुभ्रा के स्पेशल वार्ड में पहुँचती है l शुभ्रा बेड पर आँखे मूँद कर लेटी हुई थी l

रुप - भाभी...

शुभ्रा अपनी आँखे खोलती है I रुप सिसकते हुए भाग कर शुभ्रा के गले लग जाती है l

रुप - यह क्या है भाभी....
शुभ्रा - कुछ नहीं हुआ है मुझे... पर आज जो भी कुछ हुआ... तुमको वह सब कुछ बताना है...
रुप - क्या भाभी...

शुभ्रा बताना शुरू करती है l

आज सुबह जब अपनी कमरे दरवाजा खोला तो हर रोज की तरह फुल और ग्रीटिंग रखा हुआ था, मैंने ग्रीटिंग उठा कर देखा तो उसमे कुछ अलग लिखा हुआ था

" शुब्बु मेरी जान... आज आप कहीं बाहर ना जाएं तो बेहतर होगा... अगर कहीं जाना जरूरी हुआ तो... वह जीपीएस वाली घड़ी पहन कर जाइयेगा... और कोशिश कीजिएगा... मैंन रोड पर... या मैंन रोड के आसपास खुद को रखें.... कुछ बुरा होने की आसार लगे... तो घबराइयेगा मत... आप महांती के सर्विलांस में रहेंगी "

तब मुझे समझ में आया कुछ तो गड़बड़ है l कोई हमारे ताक में हो सकता है l फिर भी मैं महांती के सर्विलांस हुँगी, यही मेरे लिए दिलासे की बात थी l मैं रुक सकती थी पर कुछ दिन हुए तुम्हारे साथ रह कर उड़ना जो शुरू किया था l उपर से मैं कहीं भी रहूँ, हुँगी तो विकी के नजरों में ही l इसलिए खतरा उठाया मैंने आज तुम्हें फिर से कॉलेज छोड़ने का फैसला किया और विकी भी मान गए l तुम्हें कॉलेज में ड्रॉप करते वक़्त ही देख लिया था मेरे पीछे महांती के लोग साये की तरह लगे हुए हैं l यहीँ पर मैंने बेवकूफ़ी कर दी l एक शरारत सूझी मन में, सोचा एक बार छका देती हूँ l यहीँ गलती कर बैठी जयदेव विहार ओवर ब्रिज के नीचे ट्रैफ़िक से मैं राज भवन स्क्वेयर जाने के वजाए फायर स्टेशन रोड पकड़ ली l मेरी सिक्युरिटी गार्ड्स आगे निकल गए l पर मैं जब घर की ओर गाड़ी मोड़ने की सोची तब तक मुझे हर तरफ गाड़ियां घेर चुके थे l मैं विकी को फोन करने की कोशिश की पर फोन नहीं लगा l तब याद आया कि मैंने विकी की कही हुई घड़ी भी नहीं पहना है l पहली बार मुझे डर का एहसास हुआ l मैं कोशिश करती रही कि मैंन रोड़ से ना हटुं पर असल बात यह थी कि मैं उनके हिसाब से गाड़ी चलाए जा रही थी l गाडियों के काफिले के साथ मैं एक अनजान मॉल के पार्किंग में पहुँची l तब मैंने देखा मोबाइल में सिग्नल आ गया था l विकी को फोन लगाया तो बिजी आ रहा था तो महांती को फोन लगाया, उसका भी फोन बिजी आ रहा था I

तभी जो गाडियाँ मुझे मॉल में लाई थीं l उनमें से कुछ बंदे उतरे I सभी के हाथों में कुछ ना कुछ था l हॉकी स्टिक, रॉड, चेन वगैरह l

मैं - कौन हो तुम लोग... और मुझे ऐसे क्यूँ यहाँ लेकर आए हो... जानते हो मैं कौन हूँ...
एक बंदा - (हँसते हुए) हा हा हा हा... तु... विक्रम की बीवी है... और कुछ... हा हा हा..
शुभ्रा - तुम जानते नहीं... तुमने क्या गलती कर दी है... तुम सोच भी नहीं सकते... तुम्हारा क्या हश्र होने वाला है...
बंदा - मेरा तो जब होगा तब होगा... तु अपनी सोच... वैसे मारने से मना किया गया है... सिर्फ आज दोपहर तक तु यहीं हमारे निगरानी में रहेगी... हमारा साथ देगी तो सलामत रहेगी... कुछ उल्टा सीधा किया तो हमें कुछ भी करने की छूट है...

मैंने अपनी जबड़े भींच लिए धीरे धीरे कदम पीछे किए और पीछे मुड़ कर भागने लगी l कुछ देर बाद मॉल के पार्किंग में गाड़ियों के पीछे छुप गई l वे लोग अब फैल कर मुझे ढूंढने लगे I मैं एक गाड़ी के ओट में छुपी थी कि एक हाथ मेरे मुहँ को दबोच लिया l मैंने डर के मारे अपनी आँख मूँद ली l एक धीमी आवाज मेरे कानों में पड़ी

"घबराइये मत भाभी... मैं आपको कुछ होने नहीं दूँगा"

मैं हैरानी से अपनी आँखे खोल कर देखा वह वीर नहीं था पर चेहरा जाना पहचाना लग रहा था, वह च्विंगम चबा रहा था l

"मैं आपके मुहँ से हाथ निकालूँ"

मैंने सिर हिला कर इशारे से हाँ कहा तो उसने अपना हाथ हटा लिया l

मैं - (दबी हुई आवाज में) क.. कौन हो.. तुम..
वह - भाभी.. पहचाना नहीं मुझे... (मैंने सिर हिलाकर ना कहा) मैं रॉकी... राकेश रंजन...

रुप - (चौंकती है) क्या... आपको बचाने वाला रॉकी था...
शुभ्रा - था नहीं... है...

उधर विक्रम - (महांती से) राकेश...
महांती - हाँ.. हमारे ही कॉलेज में पढ़ता है... स्टुडेंट यूनियन का... जनरल सेक्रेटरी है... और...
विक्रम - और क्या... राजेश आपको याद होगा... जो यश के ऑफिस में लिफ्ट से गिर कर मरा था...
विक्रम - (शुन हो जाता है)
महांती - यह उसका छोटा भाई है... उसे सब रॉकी के नाम से बुलाते हैं...
विक्रम - रॉकी...
महांती - जी...
विक्रम - फिर...
महांती - हमने उस मॉल के पार्किंग एरिया के सारी सीसीटीवी फुटेज... हासिल कर लिए हैं... आगे आप.. इस टेबलेट में देखिए क्या हुआ...

कह कर महांती एक टेबलेट में वीडियो प्ले कर के देता है l विक्रम टेबलेट में देखने लगता है l

रुप - रॉकी...
शुभ्रा - हाँ... मेरे ऊपर होने वाली हमले को अपने ऊपर ले लिया...
रुप - क्या

पार्किंग एरिया में

रॉकी - (धीरे से) पहचाना.. मेरा भाभी कहना... आपको पसंद नहीं था...
शुभ्रा - (थोड़े दुख के साथ सिर हिला कर हाँ कहती है, फिर धीरे से) तुम यहाँ कैसे...
रॉकी - अपने दोस्त के लिए... एक गिफ्ट खरीदने आया था... फिर पार्किंग में आपको देखा... अब कुछ कुछ समझ में आ गया है... आप घबराओ मत... मैं कुछ करता हूँ...

तभी उनके कानों में एक आवाज़ सुनाई देती है l

"वह रहे"

रॉकी और शुभ्रा आवाज के तरफ देखते हैं l एक आदमी हाथ में हॉकी स्टिक लिए उनके तरफ आ रहा था I कुछ ही देर में सारे के सारे लोग इकट्ठा हो जाते हैं l रॉकी और शुभ्रा खड़े हो जाते हैं l

बंदा - ऐ... लड़के.. लड़की को छोड़... और फुट यहाँ से...

एक आदमी आता है और रॉकी की कलर पकड़ कर धक्का दे कर वहाँ से भागता है l शुभ्रा डर के मारे फिर से अपनी जगह से हटने लगती है l

बंदा - इस मॉल की सिक्युरिटी... तेरे पति के.. कंपिटीटर की है... रॉय ग्रुप की... इसलिए इस भरम में मत रहना... कोई आकर तुझे बचा लेगा...

उधर रॉकी एक कोने में अपनी जेब से एक सिगरेट निकालता है, उसे तोड़ देता है l फिर छोटे से हिस्से को जला कर फूंकने लगता है l कुछ सेकेंड फूंकने के बाद मुहँ में रखे च्विंगम से पार्किंग में लगे स्मोक डिटेक्टर में चिपका देता है l फिर दीवार पर लगे फायर एस्टींग्युसर निकाल कर छुपते छुपते शुभ्रा जहां खड़ी थी उस जगह के करीब पहुँचता है l तभी फायर अलार्म बजते हुए पानी की स्प्रिंकलर ऑन हो जाता l वहाँ पर मौजूद सभी लोग हैरान हो जाते हैं l तभी रॉकी हाथ में फायर एस्टींग्युसर लेकर आता है और उसका मुहँ खोल देता है l सफेद धुएं का कोहरा दीवार बन जाता है l रॉकी शुभ्रा के हाथ पकड़ कर वहाँ से भागता है l धुएं में घिरे उन लोगों में से वह प्रमुख बंदा थोड़ा आगे आकर अपने हाथ में पकड़े रॉड को फेंक मारता है l रॉड सीधे रॉकी के सिर पर लगता है l

रॉकी - आ.. ह्.. (गिर जाता है)
शुभ्रा - रॉकी...

रॉकी उठने की कोशिश करते हुए पीछे देखता है कि धुआँ छट रहा और धुएँ को चीरते हुए हॉकी स्टिक्स, चेन उनके तरफ हवा में उड़ते हुए आ रहे हैं l रॉकी उठता है और शुभ्रा को धक्का देता है, और उसके तरफ आ रहे स्टिक्स और चेन की तरफ पीठ कर खड़ा हो जाता है l सभी रॉकी को लगते हैं वह वहीँ गिर जाता है l

शुभ्रा - (भाग कर रॉकी के पास पहुँचती है) रॉकी... (रोते हुए) रॉकी... उठो रॉकी... उठो...

रॉकी बेहोश हो चुका था l वह सब के सब सब शुभ्रा के सामने खड़े थे l फिर से अपने हाथों में स्टिक्स और चेन उठा लेते हैं l

शुभ्रा - (गुस्से से गुर्राते हुए) तुम जो भी हो... बहुत पछताओगे... देखना...
बंदा - कहा ना.. वह जब होगा... तब होगा... आज यहाँ जो भी हो रहा है... सब सीसीटीवी में रिकार्ड हो रहा है... तुम और तुम्हारा पति कितने बेबस हैं... यही सब वायरल किया जाएगा...
शुभ्रा - (गुर्राते हुए) अब मैं कहीं नहीं जाऊँगी... मुझे ढूंढते हुए... मेरी सिक्युरिटी आ पहुँचेगी... तुम लोग सब मारे जाओगे....
बंदा - पहले ही कहा था... यहाँ हमारी सिक्युरिटी है... मैंने कहा था तुझे... कोई हरकत ना करना... क्यूंकि मुझे छूट भी दी गई है... तुझे मार देने के लिए... इसलिए अब चपड़ चपड़ बंद... हाँ मरने से पहले.. मेरा नाम याद रखना... रंगा... रंगा नाम है मेरा...

इतना कह कर वह बंदा अपने हाथ में पकड़े रॉड को शुभ्रा पर मारने के लिए उठाता है l शुभ्रा अपनी आँखे बंद कर लेती है l पर कुछ सेकेंड के बाद भी जब उसे मार नहीं लगती शुभ्रा धीरे से अपनी आँख खोल कर देखती है तो पाती है कि वह बंदा जो शुभ्रा को मारने के लिए रॉड उठाया था वह अपनी जगह पर जड़वत खड़े होकर डर के मारे सामने किसीको देखे जा रहा है l फिर अचानक उसके हाथों से रॉड गिर जाता है l उसके हाथों से रॉड गिरते ही उसके लोग उसे देखते हैं और उसका डरा हुआ चेहरा देख कर बारी बारी सबके हाथों से स्टिक्स, चेन और रॉड गिरने लगते हैं l शुभ्रा को महसुस होता है कि उसके पीछे कोई कदम बढ़ाते हुए आगे आ रहा है, और उसके हर बढ़ते हुए कदमों के ताल में शुभ्रा को मारने आए लोग एक एक कदम पीछे जा रहे थे और फिर वह प्रमुख बंदा रंगा पहले पीछे मुड़ कर भागता है l उसे भागता देख कर उसके सारे बंदे उसके पीछे पीछे भाग जाते हैं l शुभ्रा हैरान हो कर पीछे मुड़ कर देखती है l

विक्रम वीडियो को रोक देता है और महांती को देखता है l

विक्रम - यह आदमी कौन है.. जिसे देख कर... वह लोग भाग गए..
महांती - वह लोग नहीं युवराज... भागने वाला रंगा और उसके गुर्गे थे... एक से एक छठे हुए क्रिमिनल...
विक्रम - क्या...
महांती - हाँ युवराज... उस आदमी ने... युवराणी और रॉकी को यहाँ लाकर... हस्पताल में एडमिट करवाया... असल में उसीने युवराणी और रॉकी को बचाया है...
विक्रम - पर सीसीटीवी में उसका चेहरा नहीं दिख रहा है...
महांती - नेक्स्ट वीडियो देखिए... हॉस्पिटल की सर्विलांस की... उसका चेहरा साफ दिखेगा आपको...

विक्रम नेक्स्ट वीडियो प्ले करता है l हास्पिटल के अंदर वह रॉकी को अपनी बाहों में उठा कर ला रहा है और उसके साथ शुभ्रा भागते हुए आ रही है l विक्रम को उस आदमी का चेहरा इस बार साफ दिखता है, विक्रम विडिओ को पॉज करता है l

महांती - यही वह लड़का है... जिसे देख कर... रंगा और उसके साथी वहाँ से भाग गए...

कह कर महांती विक्रम की चेहरे को देखता है गुस्से और नफरत से विक्रम का चेहरा तमतमा रहा था l उसकी आँखे अंगारों के भांति लाल दिख रहे थे l

महांती - युवराज...

विक्रम के गाल थर्रा रहे थे l विक्रम महांती को देखता है l उसकी आँखे लाल रंग से तर रहीं थीं l

महांती - (हैरान हो कर) कहीं यह... वह तो नहीं... (विक्रम सिर हिला कर हाँ कहता है) ओह... माय गॉड...


रुप - (हैरानी से चिल्लाती है) क्या...
शुभ्रा - हाँ नंदिनी... हाँ...

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रोणा - क्या उखाड़ा है बे तुने... अब तक हमें मालूम भी नहीं है... किसने मेरे साथ यह सब किया...
परीड़ा - हूँ... पर इस बार अंदाजा लगा सकता हूँ...
रोणा - अच्छा... (चिढ़ाते हुए) वह भुत... कौन हो सकता है...
परीड़ा - वही... जो जैल में रहकर... स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम में... प्लंबींग काम में माहिर हो गया...

हैरानी से रोणा का मुहँ खुला रह जाता है l बल्लभ भी चौंक कर परीड़ा को देखने लगता है l परीड़ा इशारे से टी पोए पर पड़े फाइलों को दिखाता है l

रोणा - क्या... क्या है इसमें...
परीड़ा - तेरी आँख जली... मुहँ जला और तन भी जला... पर धुआँ नहीं निकला... इस फाइल में वह है... जिससे... उन सबके पिछवाड़े में धुआँ निकलेगा... जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में... रुप से जुड़े हुए थे...
बल्लभ - रुप मतलब...
परीड़ा - राजगड़ उन्नयन परिषद...
रोणा - क्या...
बल्लभ - (चुप रह कर सोचमें पड़ जाता है)
रोणा - यह जीन... बोतल में से कब निकला...
परीड़ा - कल ही होम सेक्रेटरी के पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिस में फाइल हुआ है...
रोणा - क्या... क्या फाइल हुआ है...
बल्लभ - आर टी आई... राइट टू इन्फॉर्मेशन....
परीड़ा - ह्म्म्म्म... बिल्कुल... और इन्फॉर्मेशन में... पुछा गया है... रुप फाउंडेशन स्कैम के लिए बनाया गया एसआईटी को अदालत ने बहाल रखा है... तो अब इन सात सालों में... एसआईटी की अन्वेषण कहाँ तक पहुँची है... उसका पुरा लेखा जोखा विस्तृत जानकारी के साथ उपलब्ध कराया जाए...
रोणा - (तेज तेज सांसे चलने लगती हैं) वि.. वि.. विश्वा...
परीड़ा - उँ.. हुँ... विश्वा नहीं...
रोणा - तो फिर...
परीड़ा - विश्व प्रताप महापात्र बीए एलएलबी...

"क्या"
चिल्लाते हुए रोणा और बल्लभ दोनों अपने अपने कुर्सी से उछल कर खड़े हो जाते हैं l

उधर चेट्टी निवास में ड्रॉइंग रुम में रंगा और उसके साथी घुटनों पर बैठे हुए हैं l उनके सामने ओंकार चेट्टी खड़ा हुआ था और उनके पीछे महानायक बाप बेटे खड़े हुए थे l

चेट्टी - (चेहरा बुझा हुआ था) पहले... मेरी उंगली थामे... उंगली से हाथ... हाथ से बांह... बांह से कंधे पर पहुँच कर... मेरे कदमों से कदम मिला कर... सियासत की सीढ़ी चढ़ते हुए... यह क्षेत्रपाल... ऊचाईयों तक पहुँचने के बाद... मुझे धक्का दे कर गिरा दिया... (चेहरे पर कठोरता लाते हुए) मेरा... सब कुछ... सब कुछ बर्बाद हो गया... जिस तरह से सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर गए थे... उसी तरह एक एक सीढ़ियां नीचे उतारने के लिए... (रंगा को देख कर) मादरचोद... तुझे सिर्फ दो पहर तक... विक्रम की बीवी को रोके रखने के लिए कहा था... अगर नहीं संभली... तो खतम करने के लिए... कहा था... भुतनी के... तुझसे वह भी नहीं हुआ...
रंगा - म.. मा.. माफ़ कर दीजिए... माई बाप...
चेट्टी - मैं माफ कर भी दिया तो क्या होगा... मैं खुल्लमखुल्ला सामने आया... (महानायक बाप बेटे को दिखा कर) इन हरामी बाप बेटे के लिए... तुम्हारे भरोसे... पर तुम...
रंगा - वह... मैं... मैं डर गया था... म. मालिक...
चेट्टी - किससे भुतनी के.. किससे... जब ना तो ESS वाले पहुँचे थे... ना विक्रम पहुँचा था... तो... (चिल्लाते हुए) तेरा कौनसा बाप वहाँ पहुँच गया था... ऐसा कौनसा तोप था वह... जिसे देख कर तेरी फट गई...
रंगा - वह तोप ही था... वह एक अकेला सौ सौ के बराबर है... अगर बंदूक हाथ में होता... तो शायद उसका सामना करने के लिए... हिम्मत कर लेता... पर... और किसी हथियार के साथ... मैं उसके सामने टिक नहीं पाता...
चेट्टी - कौन है वह...
रंगा - विश्वा... विश्व प्रताप महापात्र...
चेट्टी - विश्वा... यह विश्वा कौन है...

हॉस्पिटल में शुभ्रा के स्पेशल वार्ड में

शुभ्रा - हाँ नंदिनी.. हाँ... वह प्रताप था...
रुप - प्र..ताप...
शुभ्रा - हाँ प्रताप... था... जिसे देख कर... वह पच्चीस से तीस बंदे... बिना पीछे देखे भाग गए...
रुप - फिर...
शुभ्रा - फिर क्या... फिर प्रताप... हमारे पास आया और रॉकी की नब्ज देखा.. फिर मुझसे गाड़ी पुछा... मैंने उसे चाबी दे दी... उसीने ड्राइव कर इसी हस्पताल तक लेकर आया... बाकी तुम्हारे सामने है...

रोणा - यह... वही विश्व है.. या कोई और...
बल्लभ - यह... बीए एलएलबी... कब...
परीड़ा - इस बाबत मैंने इंक्वायरी के लिए... हेड क्वार्टर आर्काइव में छानबीन किया... तो मालुम हुआ... वह जैल में रह कर... करेस्पंडींग डिस्टेंस कोर्स में इगनौउ से ग्रेजुएट हुआ है.... और कटक मधुसूदन लॉ कॉलेज से... करेस्पंडींग डिस्टेंस कोर्स के जरिए एलएलबी किया है...
बल्लभ - और यह बात... हमसे खान पुरी तरह से छुपाया...
रोणा - एलएलबी कर लिया है तो क्या... केस भी लड़ लेगा...
परीड़ा - हाँ... तुझे याद है वैदेही ने साठ दिन का चैलेंज दिया था...
रोणा - विश्व के वकालत से... साठ दिन का कुछ संबंध बैठता है क्या...
बल्लभ - हाँ... अब उसके छूटे बीस दिन हो चुके हैं... आर टी आई के नियम के अनुसार... तीस से चालीस दिन के बीच.... पीआईओ से जवाब मिल जाएगा... उसे आधार बना कर... खुद को पीड़ित बता कर... कोर्ट में.. पीआईएल दाखिल करेगा...
परीड़ा - बिल्कुल... क्यूंकि वह खुद उस केस से जुड़ा हुआ था... तो जाहिर है अब वह अपनी दिमाग से... केस लड़ेगा...
रोणा - आ... ह्ह्ह.. (छत की ओर देख कर दोनों हाथ उठा कर चिल्लाने लगता है) आ.. आ.. आ.. ह्ह्ह्ह्...

कुछ देर के लिए फिर से खामोशी पसर जाती है l परीड़ा और बल्लभ के चेहरे पर टेंशन साफ दिख रहा था और रोणा कमरे के अंदर इधर उधर... उधर इधर होता है l

रोणा - जब उस हरामजादे को पकड़ा था... कहा था मैंने... एनकाउंटर कर देते हैं... राजा साहब ने और (बल्लभ से) तुमने... मुझे रोका था... अब देख... हमारी कब्र खोद रहा है वह मादरचोद... तभी... तभी मैं बोलूँ... वह कमीनी वैदेही... उसे इतना कानून कैसे मालुम हो गया... मुझे... इंस्पेक्टर अनिकेत रोणा को चैलेंज दी उसने... अब पता चला... किसके दम पर वह उछल रही थी... देख लूँगा... मैं उन दोनों भाई बहन को देख लूँगा...
बल्लभ - (समझाने के लहजे में) कुछ नहीं करना है तुझे रोणा... कुछ भी मत करना...
रोणा - (भड़कते हुए) अबे चुप... (मुहं बना कर चिढ़ाते हुए) कुछ नहीं करना... तो क्या करूँ... उसके लौडे पर बैठ कर पादुं..
परीड़ा - प्रधान ठीक कह रहा है रोणा...
रोणा - क्या ठीक कह रहा है... क्या ठीक कह रहा है... साला वकील है... इसलिए... उस नए वकील से डर गया...

बल्लभ अपनी जगह से उठता है और एक झन्नाटेदार थप्पड़ रोणा के गाल पर जमा देता है l रोणा थप्पड़ खा कर अपने ही कुर्सी पर गिरता है और संभल कर बैठता है l

बल्लभ - मिर्गी का दौरा पड़ा था क्या... भोषड़ी के... वह अब एक आर टी आई एक्टिविस्ट है... उसने जिस केस पर... आर टी आई में सरकार से जवाब मांगा है... अगर उसे कुछ होता है... तो वह केस... सीबीआई को हस्तांतरित हो जाएगा... समझा कुछ... या लगाऊँ तुझे एक और थप्पड़...

उधर रंगा घुटने पर बैठे बैठे विश्व के बारे में जितना जानता था सारी बातेँ ओंकार चेट्टी को बताता है l ओंकार चेट्टी आँखे मूँद कर मगर खड़े रह कर सब सुन रहा था l सब जानने के बाद

चेट्टी - (अपनी आँखे मूँदे हुए) ह्म्म्म्म... तो यह वही विश्व है... जिसके वकील को... यश ने बड़े क्षेत्रपाल के लिए लुढ़काया था... इसका मतलब यह हुआ कि.... वह क्षेत्रपाल का दुश्मन हुआ... तो फिर.... उसने क्षेत्रपाल की बहु को... क्यूँ बचाया... (अपनी आँखे खोल कर रंगा से) क्यूँ बचाया...
रंगा - मैं... (हकलाते हुए) मैं कैसे कह सकता हूँ...

तभी रंगा का एक गुर्गा जो रंगा के साथ घुटनों पर बैठा हुआ था वह अपना हाथ उठा कर

गुर्गा - मैं बताऊँ मालिक...
चेट्टी - हाँ... बोल...
गुर्गा - मालिक रंगा भाई... उस विश्व को देखते ही भाग गए... और हम भी रंगा भाई के पीछे पीछे भाग लिए... अब वह विश्व... बचाने आया था... या टहलने... क्या पता...
चेट्टी - ह्म्म्म्म... वेरी गुड... चल अब खड़ा हो जा... बहुत देर से घुटने पर बैठा है...
गुर्गा - (खुश होते हुए) जी मालिक... (खड़े हो कर) शुक्रिया मालिक...
चेट्टी - ह्म्म्म्म... अब अपना पिछवाड़ा उठा कर... मुर्गा बन जा...
गुर्गा - (हैरानी से) मालिक...
चेट्टी - साले... हरामी... अपने भागने की कहानी ऐसे बता रहा है... जैसे कोई ओलिंपिक पदक जीत के आया है... (चिल्लाते हुए) मुर्गा बन...

वह गुर्गा मुहँ बना कर मुर्गा बन जाता है l चेट्टी अपनी आँखे बंद कर सोचने लगता है l अचानक वह अपनी आँखे खोल कर हैरानी से रंगा से पूछता है

चेट्टी - क्या... क्या नाम बताया उसका...
रंगा - विश्वा...
चेट्टी - अब याद आया... इसके साथ मेरे यश की... जैल में कबड्डी की मैच हुई थी... यह नाम उस इंटरनल इंक्वायरी मैं आया था... ह्म्म्म्म...
केके - चेट्टी सर... क्या मैं कुछ कहूँ...
चेट्टी - हाँ... तु भी कुछ कह ले...
केके - कहावत है कि... दुश्मन के दुश्मन... दोस्त होता है... क्यूँ ना हम उसे अपने साथ मिला लें...
चेट्टी - ह्म्म्म्म... अगर बात छिड़ ही गई है... तो यह तेरे जिम्मे रहा... तु उससे बात कर... और अपने ग्रुप में शामिल कर...
रंगा - म..म.. मालिक... मेरा... क्या होगा...
चेट्टी - हूँ... बात तो सही है... तेरा क्या होगा रंगा...
रंगा - प्लीज... प्लीज मालिक प्लीज...
चेट्टी - केके... इसे और इसके लफंडरों को... अपने माइनिंग इलाके में छुपा दे... वरना... अगर यहीं रहे... तो कभी ना कभी विक्रम के हत्थे चढ़ जाएंगे...
केके - जी सर... और अब... अब हम क्या करें...
चेट्टी - कभी कभी दुश्मन के आँखों के सामने रहने से... जान और माल दोनों महफूज रहते हैं... वह अब हमसे ताकत के बूते नहीं... दिमाग से लड़ेगा... इसके लिए हमें तैयार होना होगा...

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विक्रम और रुप दोनों रॉकी के वार्ड में आते हैं l रॉकी लेटा हुआ था और उसके सिरहाने आँखों में आंसू लिए उसकी माँ और बगल में चेयर डाल कर उसका बाप रमेश चिंता में बैठे हुए हैं l रॉकी विक्रम को देख कर सीधा होने की कोशिश करता है I रॉकी के माँ बाप भी खड़े हो जाते हैं l

रुप - नहीं नहीं... आराम से... (रॉकी से) तुम उठो मत...
विक्रम - (रॉकी के पास बैठ कर) थैंक्यू... आज तुमने जो किया... (पॉज लेता है) मैं उसके लिए... (फिर पॉज लेता है) (रॉकी के हाथ अपने हाथ में लेकर) रॉकी... आज तुम मुझसे कुछ भी मांग लो...
रॉकी - (हल्का सा मुस्कराते हुए) विक्रम सर... आप शायद नहीं जानते... मैं शुरु से ही शुभ्रा जी को भाभी ही कहा करता था... हालात ऐसे हुए... की मैंने नंदिनी जी को बहन कहा... शायद वह रिश्ता निभाने के लिए... भगवान ने मुझे मौका दिया...

विक्रम मुस्कराता हुआ उसके हाथों पर थपकी देता है l

विक्रम - तुमने भगवान कहा... मैं उन्हें नहीं जानता... पर आज मैं दिल से तुम्हें अपने भाई का दर्जा देता हूँ... और वादा करता हूँ... हमेशा तुम्हारे साथ एक बड़े भाई की तरह पेश आऊंगा... और तुम्हारे साथ रहूँगा... वादा है मेरा...
रॉकी - इतनी बड़ी इज़्ज़त दे दी आपने... और क्या चाहिए... बस भाभी मुझे देवर मान लें.. यही मेरे लिए काफी होगा...

विक्रम और रुप हँस देते हैं l उनके साथ रॉकी के माँ बाप भी मुस्करा देते हैं l विक्रम वहाँ से उठता है और रॉकी के माता पिता के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाता है l

रमेश - यह.. यह क्या कर रहे हैं आप...
रॉकी की माँ - प्लीज राज कुमार जी... आप हमारे आगे हाथ मत जोड़िये...
विक्रम - मैं हमेशा से... आपके परिवार का गुनहगार रहूँगा... पिछली बार राजेश के वजह से... मैं शुभ्रा को बचा पाया था... पर जाने अनजाने में... (विक्रम चुप हो जाता है) और आज.. राकेश ने फिर से शुभ्रा को बचाया... मैं.. (आवाज़ भर्रा जाती है) कर्जदार हो गया आपका...
रॉ.माँ - आप ऐसे ना कहें राज कुमार... आपने भी तो आज हमारे बेटे को बहुत इज़्ज़त दी है...

विक्रम और कुछ कह नहीं पाता वह वहाँ से अपना सिर झुका कर बाहर चला जाता है l

रुप - (रॉकी से)(भरे हुए गले में) आज वाकई... तुम मेरे भाई हो गए हो... और यह मेरे लिए एक तोहफा है... थैंक्यू भैया...

कह कर रॉकी के गले लग जाती है l रॉकी के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं l

रॉकी - तो.. तुमने मुझे माफ कर दिया...
रुप - हाँ भैया...
रॉकी - (भर्राती आवाज में) थैंक्यू बहना...
रुप - (रॉकी से अलग हो कर) आप जल्दी से ठीक हो जाओ भैया...
रॉकी - जरूर...

रुप फिर रॉकी के माँ बाप से इजाजत लेकर कमरे से निकल जाती है और शुभ्रा की कमरे की ओर जाती है l दरवाजे के पास वह विक्रम को खड़े देखती है I विक्रम को देखते ही वह समझ जाती है कि विक्रम अंदर जाने के लिए झिझक रहा था l पर फिर विक्रम हिम्मत करते हुए अंदर चला जाता है l रुप बंद हो रहे दरवाजे को रोक देती है और किनारे से अंदर झाँकती है l

विक्रम को अंदर देख कर शुभ्रा बेड से उतर जाती है l विक्रम कुछ कहने की कोशिश करता है पर जैसे शब्द उसके गले में घुट रही थी l वह कुछ नहीं कह पाता, भीगे पलकों में शुभ्रा को देखने लगता है l शुभ्रा से भी रहा नहीं जाता वह भागते हुए जाती है और बिलखते हुए विक्रम के गले लग जाती है l

शुभ्रा - मुझे माफ कर दीजिए.. विकी... मुझे माफ कर दीजिए...
विक्रम - कोई बात नहीं है... कुछ हुआ भी नहीं है... अगर आपको कुछ हो जाता.... तो हम...
शुभ्रा - सॉरी विकी... सॉरी...

दोनों यूहीं एक दुसरे के बाहों में कुछ देर सिसकते हैं l

शुभ्रा - (खुद को संभाल कर) एक बात पूछूं...
विक्रम - पूछिये...
शुभ्रा - क्या... अब भी उस लड़के के लिए... मन में गुस्सा है...
विक्रम - (शुभ्रा के चेहरे को ऊपर उठाता है) मैं आप से झूठ हरगिज नहीं कहूँगा... हाँ मेरे मन में गुस्सा है... पर सच यह भी है... की उसीके वजह से... आज आप मेरी जिंदगी में हैं... मेरी बाहों में हैं...
शुभ्रा - (विक्रम की आँखों में देख कर) तो क्या आप...
विक्रम - जान... मैं राजवंशी हूँ... गुस्सा पालना जानता हूँ... भले ही खुन्नस खाए हूँ... पर खुन्नस तभी उतार पाऊँगा.. जब उसके एहसान को उतार पाऊँगा... और... (अपना हाथ शुभ्रा के सिर पर रख कर) वादा करता हूँ... जब तक उसकी ऐसी कोई मदत ना कर दूँ... तब तक... अपनी खुन्नस को आड़े आने नहीं दूँगा... (फिर शुभ्रा के दोनों हाथ पकड़ कर) मैं इतना बुरा तो नहीं हूँ ना... के किसीकी जान ले लूँ...

शुभ्रा फिर से विक्रम के गले लग जाती है l यह सब दरवाजे के ओट से देख कर को जितनी खुशी हो रही थी, उसकी आँखे उतनी ही बह रही थी l वह दरवाजे से हटती है और लॉबी मे पड़े एक चेयर पर बैठ जाती है और खुद से बातेँ करने लगती है

तुम कौन हो... कभी कभी जाने पहचाने से लगते हो... अनाम लगते हो... और कभी कभी एकदम से अनजाने से लगते हो... कौन हो तुम... अकेले कितनों से भी भीड़ सकते हो... मुजरिम तुमसे डरते हैं... सेक्शन शंकर... डरा... रंगा... डरा... बड़े बड़े छटे हुए बदमाश तुमसे डरते हैं... क्या पुलिस वाले हो... आ.. आ.. ह्ह्ह्... मैं पता करूंगी... जरूर पता करूंगी....
Kya baat hai bhai Maja aa gaya padh kar.......
 
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जी आज पूर्ण होगा या नहीं मालुम नहीं है पर आज की क्लाईमेक्स में रुप विश्व की कचूमर निकालेगी l आज देर शाम तक अपडेट आएगी
Intezar kar rahe hain
 
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👉चौरानवेवां अपडेट
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अंधेरा धीरे धीरे छट रहा था सुरज निकलने के लिए अभी वक़्त था l लेकिन शहर जाग चुका था l बेशक फाइव स्टार होटल था, पर शहर की शोर से घिरा हुआ था l रोणा बिस्तर पर करवटें बदल रहा था या छटपटा रहा था l वह झट से बिस्तर पर उठ बैठता है, नींद भरे, उबासी भरे अध खुले आँखों से, वह बेड के पास लाइट की स्विच ऑन करता है l फिर अपने बेड के पास टेबल पर रखे पानी की बोतल निकाल कर अपने हलक को गिला करने लगा l पानी पीने के बाद कमरे में फिर अपनी नजर घुमाता है, पास का बेड खाली था l उसे कमरे में भी कहीं बल्लभ नहीं दिखता l वह हैरान होता है l वह बेड से उतरता है, बदन पर एक लोअर और वेस्ट पहने हुए था l वह चलते हुए बाहर की ड्रॉइंग रुम में आता है l वह कमरा अंधेरा था l पर उस कमरे की खिड़की पर कर्टन थोड़ा खुला हुआ था l वहाँ पर पड़े एक चेयर पर रोणा को एक साया बैठा हुआ दिखता है l रोणा के शरीर में एक सर्द लहर सी चलने लगती है l बाइस डिग्री ठंडे बंद ऐसी के कमरे में भी उसके कानों के बगल में पसीना निकलने लगता है l वह झट से लपक कर स्विच ऑन करता है l लाइट जल जाती हैं l रोणा खिड़की की तरफ देखता है वहाँ चेयर पर बल्लभ बैठा हुआ था I लाइट की उजाले से उसकी आँखे चुंधीया जाती है l बल्लभ अपने हाथ आँखों के सामने लाकर अध खुले आँखों से बेडरुम के दरवाजे की तरफ देखने की कोशिश करता है l लाइट जलाते वक़्त रोणा की हालत ऐसी हो गई थी के मानों वह किसी मैराथन से भाग कर आया हो l

रोणा - ( हांफते हुए) साले... मारवाएगा क्या... ऐसे बुत बने... क्या रात भर यहाँ बैठा हुआ है...
बल्लभ - (कुछ नहीं कहता है, थके हुए आँखों से रोणा को देखता है) श्श्श्श्श्...
रोणा - अबे... तुझसे कुछ पुछ रहा हूँ... यह सांप की तरह फूस... फूस... क्यूँ हो रहा है...
बल्लभ - तुझे... रात को... नींद... अच्छी आई...
रोणा - काहाँ... दारू जो गले तक पी रखी थी... आते ही लुढ़क गया था... तब का सोया... अब जाग रहा हूँ... पर पर नशे की नींद में सोया... था.... पर नींद... (दरवाजे से आ कर बल्लभ के पास बैठ कर, उसके चेहरे को गौर से देखता है)नहीं... मैं नींद में नहीं था... बेहोश था मैं... और लगता है.... रात भर तुझे भी नींद नहीं आई...
बल्लभ - हूँ... नहीं आई...
रोणा - वजह...
बल्लभ - (चुप रहता है)
रोणा - (सीधा हो कर संभल कर बैठते हुए) विश्वा...
बल्लभ - (अपना सिर हाँ में हिला कर) हूँ...
रोणा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) देख... मेरा एक ही फंडा है... जो बिगड़ गया... उसे हटा दो... विश्व बिगड़ गया है... उसको तो हटाना पड़ेगा.... मैं अब अपने पुरे दिमाग का इस्तेमाल कर के... उसे हटाउंगा... हटा दूँगा...
बल्लभ - हूँ...
रोणा - अबे... हूँ.. क्या हूँ...
बल्लभ - तुने टाइटैनिक फिल्म देखा है...
रोणा - हाँ... वह जो एक पानी का जहाज... बर्फ के पहाड़ से टकरा कर... दो हिस्सों में टुट कर.... डुब जाती है... वही ना...
बल्लभ - हाँ वही उस बर्फ के पहाड़ को... आइस बर्ग कहते हैं...
रोणा - अरे यार... यह सुबह सुबह... हैंगओवर के चलते... सिर फटा जा रहा है... उस पर तु... यह क्या बक चोदी कर रहा है... क्यूँ कर रहा है...
बल्लभ -(रोणा की बातों को बिना प्रतिक्रिया देते हुए) आइस बर्ग... पानी के ऊपर... जितना दिखता है... वह सिर्फ एक चौथाई होता है... पानी के नीचे... बाकी के तीन चौथाई छुपा हुआ होता है...
रोणा - अबे... तुझे रात भर नींद क्यूँ नहीं आई... यह बता....
बल्लभ - तेरी सिक्स्थ सेंस बहुत गजब की है... सही समय पर जागती है... पर बहुत जल्दी दम भी तोड़ देती है...
रोणा - क्या... अबे क्या बकलौली कर रहा है...
बल्लभ - मैंने कहा था... मुझे कुछ आहट सुनाई दे रही है... श्श्श्श.... तुने सही कहा था... हमने... मतलब हम सबने... उसे अंडरएस्टीमेट किया था...
रोणा - तो... अब तो वह... एस्टीमेट हो गया ना...
बल्लभ - (ना में सिर हिलाते हुए) नहीं... मुझे लग रहा है कि... हम अब टाइटैनिक पर सवार हैं... और विश्व आइस बर्ग...
रोणा - क्या...
बल्लभ - हूँ... जरा सोच... परीड़ा जितना इंफॉर्मेशन लाया था... उतना तो हमें... जैल सुपरिटेंडेंट खान... बता सकता था... पर बताया नहीं... क्यूँ...
रोणा - (सिर ना में हिलाते हुए) उँ.. हुँ... पता नहीं... शायद... प्रोटोकॉल के चलते...
बल्लभ - यह कोई बात नहीं है... इसमें प्रोटोकॉल कहाँ से आ गया...
रोणा - तु.. कहना क्या चाहता है...
बल्लभ - आज... विश्व अकेला नहीं है... उसका अपना टीम है... कास के... हमने पहले से ही परीड़ा से काम लिया होता... तो हमारे बीस दिन यूँ बर्बाद ना हुए होते...
रोणा - हाँ... हाँ यार... सच कह रहा है...
बल्लभ - पर सवाल है... क्या अब भी हमारे पास उसके बारे में सारी इंफॉर्मेशन है...
रोणा - देख... प्रधान... मेरा एक उसूल है... तूफान आने से पहले घबराता जरूर हूँ... पर तूफान का सामना करने से कतराता नहीं हूँ... हालात के हिसाब से जुझना जानता हूँ... अब हालात जैसे बनेंगे... हमें भी वैसे ही जुझना पड़ेगा...
बल्लभ - दुश्मन से भिड़ना हो... तो उसके पुरे ताकत का अंदाजा कर लेनी चाहिए... तेरा टोनी कब आ रहा है...
रोणा - क्यूँ... तुझे लगता है... अब हमें टोनी की जरूरत है...
बल्लभ - हाँ... मैं जानना चाहता हूँ... विश्व के बारे में... वह क्या जानता है... और हमें... क्या जानना बाकी रह गया है...
रोणा - तुझे लगता है... परीड़ा ने कुछ गलत इंफॉर्मेशन दिया है...
बल्लभ - नहीँ... उसने सिर्फ वही बताया... जो हेड ऑफिस के आर्काइव में था... और वह.. ऑफिशियल था... मुझे अब विश्व के हर नॉन ऑफिशियल डिटेल्स चाहिए...
रोणा - प्रधान... अब तु.... घबरा रहा है क्या...
बल्लभ - नहीं...(अपना सिर ना में हिलाते हुए) अब मैं...(पॉज लेकर) डर रहा हूँ...
रोणा - (हैरानी से उसका मुहँ खुला रह जाता है)
बल्लभ - हाँ रोणा... मुझे अब डर लग रहा है... विश्व... जैल आता है... जैल में.. अपनी ग्रैजुएशन पुरा करता है... एलएलबी भी पुरा करता है... मतलब मकसद साफ है... सरपंच बनकर... मुजरिम रहते जो ना कर पाया... वह अब... वकील बनकर करेगा... रुप स्कैम के हर पहलू को वह जानता है... क्यूँ के जुड़ा हुआ था.... हर एक चीज़ से वाकिफ है... वह इसबार राजा साहब को.. जरूर कटघरे में लाएगा...
रोणा - (मुहँ फाड़े बल्लभ को सुन रहा था)
बल्लभ - जरा सोच... विश्व के यहाँ मदत के लिए... उसके कुछ बंदे भी हैं... विश्व... किसी मकसद के तहत... वह यहाँ पर है... राजगड़ नहीं गया है... वह यहाँ कर क्या रहा है... अगर तैयारी कर रहा है... तो किस चीज़ का...
रोणा - देख... जो बताना चाहता है... साफ साफ बता... यह वकीलों वाली भाषा... किसी और से बात कर...
बल्लभ - (अब सीधा हो कर बैठता है) जरा गहराई से सोच... हम सात सालों से... आँखे मूँदे सोते रहे... वह सात सालों से.. अपने लक्ष के ओर... लगातार बढ़ता चला जा रहा है... उसने अपना टीम भी बना लिया है... दो बार अपनी टीम की मदत से... हमें पटखनी दी है...
रोणा - सच कहूँ तो... मैं भी इस बात से हैरान हूँ... जैल में कौन से लोग.. किस तरह के लोग.. उसके साथी बने होंगे...
बल्लभ - लोग... साथी... वह वैसे लोग हैं या होंगे... जो सिस्टम और समाज के सताये हुए होंगे... जो एक दुसरे से हमदर्दी के चलते जुड़े होंगे... इस तरह से जुड़े हुए लोग... आसानी से नहीं टूटते...
रोणा - (चिंतित होते हुए) हूँ..
बल्लभ - अब तुझे क्या हुआ...
रोणा - सोच रहा हूँ... सिर्फ हमारी ही नींद उड़ी हुई है... या... कोई और भी है...

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लड़की - (गुस्से से गुर्राते हुए) तुम जो भी हो... बहुत पछताओगे... देखना...
रंगा - कहा ना.. वह जब होगा... तब होगा... आज यहाँ जो भी हो रहा है... सब सीसीटीवी में रिकार्ड हो रहा है... तुम और तुम्हारा पति कितने बेबस हैं... यही सब वायरल किया जाएगा...
लड़की - (गुर्राते हुए) अब मैं कहीं नहीं जाऊँगी... मुझे ढूंढते हुए... मेरी सिक्युरिटी आ पहुँचेगी... तुम लोग सब मारे जाओगे....
रंगा - पहले ही कहा था... यहाँ हमारी सिक्युरिटी है... मैंने कहा था तुझे... कोई हरकत ना करना... क्यूंकि मुझे छूट भी दी गई है... तुझे मार देने के लिए... इसलिए अब चपड़ चपड़ बंद... हाँ मरने से पहले.. मेरा नाम याद रखना... रंगा... रंगा नाम है मेरा...

कह कर रंगा अपने हाथ में जो रॉड था, मारने के लिए ऊपर उठाता है l घुटने पर बैठी वह लड़की उस बेहोश पड़े लड़के के पास डर के मारे आँखे मूँदते हुए चेहरा नीचे कर लेती है l रंगा के चेहरे पर शैतानी हंसी नाच उठता है कि अचानक वह देखता है एक लड़का लड़की से कुछ दुर एक कार के डिकी के ऊपर अपने कोहनी से टेक लगाए पैरों को क्रॉस कर खड़ा है l वह लड़का जबड़े भींच कर रंगा को देख रहा है l रंगा को उसका घूरना चुभ रहा था l रंगा उसके चेहरे को गौर से देखा, वह चेहरा थोड़ा जाना पहचाना लगता है l उस लड़के के चेहरे पर भाव बदलने लगते हैं l वह जबड़े भींच कर दांत पिसते हुए देख रहा है l उसका बायां भवां तन जाता है और दाहिने आँख के नीचे की पेशियां थरथराने लगते हैं l उसके यह भाव देख कर रंगा को जैल की फाइट याद आता है l रंगा पहचान जाता है, उसके दिल की धड़कन बुलेट ट्रेन की रफ्तार से भागने लगता है l दिमाग पर विश्वा, विश्वा हथोड़े की तरह बजने लगता है l विश्वा अब उनके तरफ बढ़ने लगता है l रंगाने जो रॉड मारने के लिए उठाया था, उसके हाथों से गिर जाता है l चूंकि रंगा के हाथों से रॉड गिर गया था, उसके देखा देखी उसके गुर्गों के हाथों से स्टिक्स और चेन भी गिरने लगते हैं l विश्व के हर बढ़ते कदम के साथ रंगा पीछे हटने लगता है l जैसे ही विश्व उस लड़की के पास खड़ा होता है रंगा वहाँ से दुम दबा कर भाग जाता है l

नहीं... (चिल्लाते हुए रंगा उठ बैठता है)

अपनी नजरें घुमाता है l वह एक साधारण सा कमरे में पड़े एक चारपाई पर लेटा हुआ था l नीचे फर्श पर उसके कुछ साथी सोये पड़े हैं l रंगा के कान में एक हुटर की आवाज़ पड़ती है l वह अपनी चारपाई से उठता है और कमरे से बाहर निकल कर बरामदे में आता है l बड़बिल माइंस
कैजुअल लेबर की बस्ती में के बीचों-बीच एक बड़े से घर में अब हैं l तभी उसके बगल में उसका एक साथी आ कर खड़ा होता है l

साथी - क्या बात है गुरु... चिल्ला कर उठ गए... विक्रम... छोटे क्षेत्रपाल का खौफ है क्या...
रंगा - मैं... विक्रम से छुपा हुआ जरूर हूँ... पर डर... मुझे विश्वा का है...
साथी - बुरा ना मानना गुरु... वह उस वक़्त अकेला था... हम बीस बाइस बंदे थे... फोड़ नहीं सकते थे क्या उसे...
रंगा - (उसके तरफ मुड़ कर) मैं भले ही भाग गया... पर तुम... तुम लोग क्यूँ फोड़े नहीं उसे...
साथी - गुरु... हमारी हिम्मत तो तुम हो... जब हमारी हिम्मत को... हथियार डालते हुए... भागते हुए हमने देखा... तब हम क्या कर सकते हैं..
रंगा - (सिर हिला कर ना कहते हुए)हूँ... तुमने उसे लड़ते हुए नहीं देखा है... मैंने देखा है उसे... करीम, गोलू, सलिल और मुन्ना याद है...
साथी - हाँ...
रंगा - वह लोग छह महीने तक... लकवे में थे... विश्वा... उन्हें सिर्फ एक एक घुसा मारा था...
साथी - क्या...
रंगा - हाँ... (अपने साथी को देख कर) जरा सोच... कोई अंग लकवा ग्रस्त हो जाए... तब पुरा का पुरा जिस्म... भारी लगने लगता है... बोझ लगने लगता है... जैल से निकलने के बाद... अपनी हार की खार लिए... मैं दो तीन सालों तक विश्व की खबर रखने लगा था... उन तीन सालों में... विश्व जैल के अंदर एक भी... सेटर डे स्कैरी नाइट सोल्यूशन फाइट हारा नहीं था... बाहर के... जितनी भी बड़े... धुरंधर... तुर्रम खान थे... विश्व से सामना करने बाद... सब के सब चूहे बन गए थे...
साथी - फिर तो अच्छा हुआ... हम यहाँ पर आ गए... पर... यहाँ से निकलेंगे हम कब...
रंगा - जब चेट्टी साहब बुलाएंगे...
साथी - गुरु... एक बात पूछूं...
रंगा - हूँ... पुछ ले..
साथी - आने वाले दिनों में... विक्रम या विश्व.... किसीके साथ भी आमना सामना हो सकता है... आप किसके सामने जाना चाहोगे...
रंगा - विक्रम के...
साथी - विश्वा के क्यूँ नहीं...
रंगा - क्यूँकी... अगर हम हारने पर आयेंगे... तो विक्रम हमें मार ही डालेगा...
साथी - विश्व भी तो मार सकता है...
रंगा - नहीं... विश्व किसीको नहीं मारेगा... पर जिंदगी इतनी खराब कर देगा... की उससे टकराने वाला... मौत मांगने लगेगा... पर वह मौत को भी... आसानी से आने नहीं देगा... (अपने साथी की ओर देख कर) विक्रम से उलझे... तो या जिंदगी... या फिर मौत... पर अगर विश्व से उलझे... तो मौत से बदत्तर जिंदगी...

रंगा की बातेँ सुन कर उसका साथी अपने हलक से थूक निगलता है l

रंगा - यह सब... मैंने उनसे सुना है... जो लोग जैल के बाहर... भाई बने फिरते थे... या हैं... पर जैल के भीतर उन सबका भाईगिरी... विश्व को सलाम ठोकता था...
साथी - गुरु... यह विश्व है कहाँ का...
रंगा - राजगड़ से है... उसका राजा साहब... मतलब बड़े क्षेत्रपाल से पंगा है...
साथी - क्या...
रंगा - हाँ...
साथी - तब तो अगर विश्व हमारे साथ आ गया... तो हम विक्रम और उसके आदमियों से टकरा सकते हैं...
रंगा - हाँ... उसे पाले में लेने के लिए... चेट्टी जी ने केके साहब को जिम्मा दिया है... देखते हैं.... हम सबकी नींदे खराब करके पता नहीं... खुद कहाँ पर सो रहा होगा

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विश्व के पिछवाड़े पर प्रतिभा उल्टे झाड़ू से एक मार मारती है l कोई हलचल नहीं l प्रतिभा हैरान होती है, और एक बार झाड़ू चलाती है l विश्व के जिस्म में कोई हल चल नहीं होती l प्रतिभा को गुस्सा आता है l वह पास रखे जग को विश्व के ऊपर उड़ेल देती है l

विश्व - आ.. ह.. माँ... यह क्या कर दिया..
प्रतिभा - कब से उठा रही हूँ... मेरे साथ मज़ाक... (और एक बार मारती है) कर रहा है...
विश्व - अच्छा माँ... मार ही रही हो... तो... (अपनी पीठ को दिखा कर) यहाँ पर थोड़ा मारो ना...

प्रतिभा जोर जोर से विश्व के पीठ पर झाड़ू बरसाने लगती है l विश्व भी बेशर्मों की तरह पीठ के हर हिस्सों को दिखाने लगता है l प्रतिभा चिढ़ कर झाड़ू फेंक देती है तो विश्व हा हा हा हा का हँसने लगता है, जिसके वजह से प्रतिभा रूठ कर बैठ जाती है I

प्रतिभा - सुबह सुबह... अपनी माँ को परेशान कर रहा है... जा मैं तुझसे बात नहीं करती...
विश्व - हा हा हा हा... माँ... एक बात कहूँ... तुम जब मार रही थी ना... मुझे गुदगुदी हो रही थी...
प्रतिभा - जा... मुझसे बात मत कर...
विश्व - माँ.. (कह कर बगल से गले लग जाता है, और अपना चेहरा प्रतिभा के कंधे पर रख कर) सुबह सुबह तुमसे मस्ती कर दिया... तो पुरा दिन मस्त जाएगा...
प्रतिभा - चल हट... छोड़ मुझे... कितना काम पड़ा है घर में... और तु... तु कब से इतना आलसी हो गया है...
विश्व - तो माँ... एक नौकर क्यूँ नहीं रख लेती...
प्रतिभा - नौकर क्यूँ रखूँ... तु शादी कर बहु देदे मुझे...
विश्व - क्या... मतलब... आपको बहु... घर के काम काज के लिए चाहिए...
प्रतिभा - और नहीं तो... वह चाहे राजकुमारी ही क्यूँ ना हो... इस घर में... मेरी बहु होगी... और खबरदार... अगर तु जोरु का गुलाम बना तो...
विश्व - तो...
प्रतिभा - तेरी टांगे तोड़ दूंगी... कान खींचुगी... और जी भर कर गाली दूँगी...
विश्व - यह तो अच्छी बात है ना...
प्रतिभा - क्या अच्छी बात है...
विश्व - माँ... तुम्हारे मुहँ से दो चार गाली ना सुन लूँ... तब जिस्म में कोई करेंट दौड़ने जैसी लगती नहीं है....
प्रतिभा - मतलब... मतलब तु... जोरु का गुलाम बनेगा...
विश्व - माँ... मैं चाहे जो भी होऊँ... जैसा भी होऊँ... रहूँगा तो तुम्हारा प्रताप ही ना...
प्रतिभा - बस बस... ज्यादा ड्रामा करने की जरुरत नहीं... चल जा तैयार हो जा... आज तेरे लिए एक सरप्राइज़ है...
विश्व - (प्रतिभा को छोड़ देता है) क्या... सरप्राइज़... किस लिए.. किस खुशी में...
प्रतिभा - (बेड से उठते हुए) अब तु उठता है... या बाल्टी लाकर उड़ेल दूँ तुझ पर...
विश्व - नहीं नहीं माँ... मैं.. मैं तैयार हो कर पहुँचता हूँ...

कह कर विश्व बेड से विश्व उठ कर बाथरुम में घुस जाता है l प्रतिभा भी मुस्कुराते हुए गिले चादर और बेड सीट निकाल कर बदल देती है और उन गिले चादर बेड सीट को बाहर ले जाती है l तापस अपना वकिंग खत्म कर पहुँचता है,और सोफ़े पर चौड़ा हो कर फैल जाता है l अपने शू खोलने लगता है कि प्रतिभा उसके लिए चाय की कप और न्यूज पेपर थमा देती है l तापस चाय पीते पीते न्यूज पेपर पढ़ना चालू किया था कि विश्व तैयार हो कर आ जाता है l

तापस - क्या बात है लाट साहब... कहाँ की तैयारी है...
विश्व - पता नहीं डैड.. माँ ने कहा तैयार हो जाओ... हो गया...
तापस - (प्रतिभा को आवाज देता है) अरे भाग्यवान...
प्रतिभा - (ड्रॉइंग रुम में आते हुए) जी कहिए...
तापस - यह सुबह सुबह कहाँ की तैयारी हो रही है...
प्रतिभा - स्वागत करने की तैयारी...
विश्व और तापस - किसकी...
विश्व - कौन आ रहा है...
प्रतिभा - रहा है नहीं... रही है...
दोनों - (चौंकते हुए) क्या...
विश्व - माँ... मैं यह शादी वादी के चक्कर में नहीं पड़ने वाला... कह देता हूँ...
प्रतिभा - शादी तो तुझसे करनी पड़ेगी... और चक्कर भी लगानी पड़ेगी...
विश्व - माँ... मैंने वादे के मुताबिक... ल़डकियों से दोस्ती की... और लेकर भी आया... फिर यह क्या बात हुई...
प्रतिभा - चुप... एकदम चुप... स्वागत के लिए तैयार रह...

विश्व असहाय सा तापस की ओर देखता है l तापस अपने कंधे उचका कर अपना चेहरा न्यूज पेपर सामने कर छुपा देता है l तभी कार की हॉर्न सुनाई देती है l

प्रतिभा - चलो चलो... स्वागत की तैयारी करो...(कह कर बाहर की जाने लगती है)
विश्व - मैं नहीं जा रहा...
प्रतिभा - (मुड़ कर अपनी साड़ी की पल्लू को कमर में बांध कर) क्या कहा... मेरे साथ बाहर चलता है या...

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अनु तैयार हो चुकी है l आईना देख कर माथे पर बिंदिया लगाती है l फिर ऑफिस के लिए निकलने लगती है l

दादी - आज भी छुट्टी कर लेती... तो क्या हो जाता... वहाँ बिचारी पुष्पा अकेली है... उसका तो खयाल कर लेती...
अनु - दादी... तुम ही तो कहा करती हो... बाहर जाते वक़्त... टोका नहीं करते... अब तुम खुद ही टोक रही हो...
दादी - क्यूँ कहा... सुनाई दिया या नहीं...
अनु - सुनाई दिया दादी... पर मैं कोई... आईपीएस कलेक्टर की नौकरी नहीं कर रही... पीएस की नौकरी करती हूँ...
दादी - अरे कमबख्त... मैं पुष्पा के लिए कह रही थी..
अनु - (घर से निकल कर) दादी... तुम खुद... उसके पास जा कर बैठ जाओ ना...
दादी - अरे सुन तो...

तब तक अनु वहाँ से जा चुकी थी l पीछे उसकी दादी कुछ बड़बड़ाते हुए अंदर चली जाती है, पर अनु पर कोई असर नहीं होता l चौराहे पर पहुँच कर ESS ऑफिस के लिए सिटी बस चढ़ती है l वह आज तीन दिन के बाद ऑफिस जा रही थी l आज जैसे उसे पर लगे हुए थे I एक अंदरुनी खुशी उसे जैसे उड़ाते हुए ले जा रही थी l क्यूँकी आज तीन दिन बाद वह वीर से मिलने जा रही थी l इन तीन दिनों में अनु ने कई बार कोशिश की वीर को फोन से कंटेक्ट करने की l पर हर बार वीर का फोन स्विच ऑफ ही आया l कई बार मैसेज भी किया पर मैसेज डेलीवर होने के बावजूद रिसीव नहीं हुए l ऑफिस से बाद में पता चला था उसे की वीर भी ऑफिस नहीं गया था I उसे याद आता है वीर ने उसे आने की दिन पुछा था l इसलिए आज वह ऑफिस के लिए दादी के टोकने के बाद भी जा रही थी l ESS ऑफिस जंक्शन आते ही अनु सिटी बस से उतर कर ऑफिस की ओर जाती है l की बोर्ड में रखे हुए वीर की ऑफिस की चाबी निकालती है l कमरे को खोलती है, अंदर आकर कमरे की साफ सफाई करने लगती है, हाँ यह बात और है कि कमरा पहले से ही पुरी तरह से साफ था l फिर भी उसका मन तो वीर के लिए कुछ करने को बेताब था l कॉफी मेकर में कॉफी जार को तैयार रखती है l और इंतज़ार करने लगती है l
तभी अनु की फोन बजने लगती है l अनु फोन पर राजकुमार देख कर खुशी से उछल पड़ती है l और अपनी खुशी को काबु करते हुए फोन उठाती है

अनु - हैलो...
वीर - अनु...
अनु - जी...
वीर - ऑफिस में हो...
अनु - जी...
वीर - याद है... मेरी एक ख्वाहिश थी कि... एक दिन तुम्हारी वाली बचपन को जीउँ...
अनु - जी... जी राज कुमार जी...
वीर - वह दिन... मेरी जिंदगी का सबसे खास दिन था...
अनु - जी.. (मन में "वह दिन तो मेरी भी जिंदगी की सबसे खास दिन था राजकुमार जी)
वीर - अनु...
अनु - (होश में आते हुए) जी... जी राजकुमार जी...
वीर - तुमने कहा था... तुम्हें तुम्हारे बाबा... राजकुमारी कहा करते थे... है ना...
अनु - जी...
वीर - तुम्हारे मन में कभी ख्वाहिश नहीं हुई... की कम से कम... एक दिन के लिए... तुम सचमुच... एक राजकुमारी की जिंदगी जियो...
अनु - (चुप हो कर कुछ सोचने लगती है)
वीर - अनु...
अनु - जी...
वीर - सोमवार को तैयार रहना... वह एक दिन... तुम पुरी तरह से एक राजकुमारी की जिंदगी जियोगी...
अनु - (कुछ कह नहीं पाती, बड़ी मुश्किल से हलक से आवाज आती है) हूँ...
वीर - अनु...
अनु - जी... जी...
वीर - सोमवार को हमारी मुलाकात वहीँ होगी... जहां तुम्हारे जन्म दिन पर हम मिले थे...
अनु - जी...
वीर - अच्छा... अब मैं फोन रखता हूँ...
अनु - राज... राजकुमार जी..
वीर - हाँ... अनु..
अनु - सोमवार को कुछ खास है क्या...
वीर - पता नहीं अनु... वह दिन खास है भी या नहीं... पर तुम्हारे साथ... उस दिन को... मैं तुम्हारे लिए खास बनाना चाहता हूँ...
अनु - और आज... आप आज नहीं आयेंगे... (बड़ी मासूमियत के साथ पूछती है)
वीर - मैं... राजगड़ से अभी अभी... भुवनेश्वर पहुँचा हूँ... पर तुमसे परसों मिलना चाहता हूँ...
अनु - (मायूसी भरे आवाज में) जी...
वीर - अच्छा अब मैं फोन काट रहा हूँ... बाय....
अनु - जी...

वीर का फोन कट जाता है l अनु मायूस सी एक कुर्सी पर बैठ जाती है l और सोच में पड़ जाती है कि सोमवार को आखिर ऐसा क्या खास दिन हो सकता है l अचानक उसे याद आता है कि उसने वीर के साथ अपने जन्मदिन पर पुरा दिन बिताया था l मन ही मन अपने आप से कहने लगती है

ज़रूर सोमवार को राजकुमार जी का जन्मदिन होगा... हाँ यही होगा... ओ... तब तो राजकुमार जी के लिए एक गिफ्ट बनता है.. पर मैं... राज कुमार जी के लिए... क्या लूँ... मेरी क्या हैसियत होगी...

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एक गाड़ी रोड पर भागी जा रही थी l उस गाड़ी में दो लोग बैठे हुए थे l रोणा और बल्लभ l

बल्लभ - आज अचानक तुने... यह कोणार्क जाने का प्रोग्राम कैसे बनाया... और यह गाड़ी रेंट पर लेने की क्या जरूरत थी...
रोणा - पिछली बार की एक्सपीरियंस... अब गाड़ी इसी तरह से रेंट पे लेकर... खुद ड्राइव करेंगे...
बल्लभ - पर हम जा कहाँ रहे हैं...
रोणा - जब गाड़ी कोणार्क जा रही है... तो जाहिर है... हम कोणार्क ही जा रहे हैं...
बल्लभ - क्या बात है... आज तु कुछ प्लान किया हुआ लगता है... क्या चल रहा है तेरे दिमाग में..

रोणा कुछ नहीं कहता है l चुप रहता है और उसका पुरा फोकस रोड पर था l कुछ देर यूँ हीं गाड़ी चलाते वक़्त रोणा का ध्यान भटकता है क्यूँकी गाड़ी के सामने कुछ भैंस आ जाते हैं, रोणा स्टियरिंग मोड़ते हुए गाड़ी की ब्रेक लगाता है l चर्र्र्र्र्र्र् करती हुई गाड़ी रुक जाती है l पर फिर भी गाड़ी से उन भैंस चराने वाला शख्स टकरा जाता है l गाड़ी के कांच पर खुन के छींटे नजर आती है l वह शख्स गाड़ी के बोनेट पर गिरा हुआ था l आसपास भीड़ इकट्ठा होने लगती है l भीड़ में लोग रोणा को और उसके गाड़ी को लेकर गालियाँ बकने लगते हैं l बल्लभ गाड़ी से उतर कर उस आदमी के पास पहुंच कर उठाता है l और उसके हाथ को अपने कंधे पर रख कर खड़ा करता है l रोणा लोगों को समझाने की कोशिश करता है l पर भीड़ गालियों पर गालियां बके जा रही थी l वह ज़ख्मी शख्स भीड़ से हाथ जोड़ कर

शख्स - भाईयों... शांत.. शांत भाईयों... बात को आगे ना बढायें... गलती उनकी जितनी थी... मेरी भी थी...
बल्लभ - यहाँ... पास कोई हस्पताल है...
भीड़ में से एक - हाँ है... पर अच्छा होगा... आप इन्हें भुवनेश्वर में किसी अच्छे हॉस्पिटल में इलाज कराएं...
रोणा - ठीक है...

बल्लभ उस ज़ख्मी शख्स को पीछे वाली सीट पर लिटा देता है l रोणा गाड़ी बैक करता है और गाड़ी को दुबारा भुवनेश्वर की मोड़ देता है l बल्लभ एक नजर पीछे लेटे हुए शख्स पर नजर डालता है और जोर से बड़बड़ाने लगता है l

बल्लभ - छे... साला कितना घटिया किस्मत है... कुछ भी करने की सोचो... ऐन मौके पर किस्मत गच्चा दे जाता है...

रोणा कोई जवाब नहीं देता, वह चुप चाप गाड़ी चलाये जा रहा था l


बल्लभ - अबे कुछ पुछ रहा हूँ तुझे...
रोणा - ना.. तु पुछ नहीं रहा था... बल्कि अपनी किस्मत को गाली दे रहा था...
बल्लभ - ऐ भोषड़ चंद... भोषड़े पर ज्ञान मत चोद... वैसे भी जब से यहां आए हैं... तब से मेरी नहीं... तेरी किस्मत खराब है... और आज भी खराब निकली...
रोणा - देख जब से यहाँ आए हैं... हम किसी ना किसी के रेकी में हैं... यह मानता है ना तु...
बल्लभ - हाँ... तो...
रोणा - इसी लिए मैंने रेंटल में गाड़ी ले लिया... और खुद ड्राइव कर रहा हूँ...
बल्लभ - तो कौनसा तीर मार लिया बे... गाड़ी चलाने के लिए रेंटल पर ली थी... किसी राह चलते को उड़ाने के लिए...

तभी एक हाथ बल्लभ के कंधे पर थपथपाता है l बल्लभ चौंक कर पीछे देखता है l वह शख्स जो कुछ देर पहले गाड़ी से टकराया था l वह उठ बैठा है और मुस्करा रहा है l

शख्स - वकील साहब... एक सिगरेट दे दो... कसम से बड़ी तलब लगी है...
बल्लभ - (हकलाते हुए) तु.. तु.. तुम तो... बिल्कुल सही सलामत हो...
शख्स - हाँ... एक दम झकास... कुछ नहीं हुआ है मुझे.. और रोणा साहब भी क्या मस्त ड्राइविंग किया है... आँ...

बल्लभ रोणा की तरफ देखता है l रोणा मुस्कराता हुआ गाड़ी चला रहा था I

बल्लभ - यह.. यह कौन है... रोणा...
रोणा - टोनी...


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विश्व, प्रतिभा और तापस तीनों बाहर आते हैं l बाहर दो गाडियाँ आ पहुँचती है l दो सफेद रंग के बड़े के बीच एक छोटा सा लाल रंग की कार भी थी l चूंकि उस कार में बैलून और फुल लगे हुए थे और बोनेट पर वी की तरह रिबन लगा हुआ था तो विश्व को समझते देर ना लगी यह एक नई कार थी l पहली वाली गाड़ी में से जोडार उतरता है l

जोडार - कैसे हो हीरो...
विश्व - जोडार साहब आप यहाँ... वह भी इतनी सुबह सुबह...
जोडार - यंग मेन... अभी नाश्ते का टाइम हो चुका है... तुम किस सुबह की बात कर रहे हो...
विश्व - जी.... मेरा मतलब है... मैंने आपको एक्स्पेक्ट नहीं किया था...
जोडार - कोई नहीं... तुम्हारे वजह से मुझे ना सिर्फ मेरा माल वापस मिल गया है... बल्कि कंपेंसेसन भी मिल गया है... अब थाईशन टावर बिफॉर टाइम कंप्लीट हो जाएगा...
विश्व - कंग्राचुलेशन...
जोडार - सेम टू यु... (कह कर एक पैकेट विश्व की ओर बढ़ाता है)
विश्व - यह... यह क्या है...
प्रतिभा - (विश्व की कंधे पर हाथ रखकर) ले लो...

विश्व वह पैकेट ले कर खोलता है l उस पैकेट से गाड़ी की कागजात जो विश्व के नाम पर बने थे और गाड़ी की चाबी निकलती है l विश्व हैरान हो कर प्रतिभा को देखता है l प्रतिभा बहुत खुश दिखाई दे रही थी l

विश्व - जोडार साहब... यह... इसकी क्या जरुरत थी...

प्रतिभा - ओ हो... क्या बाहर से ही विदा कर देगा... जोडार साहब को... (जोडार से) आप अंदर आइए... अंदर बैठ कर बातेँ करते हैं....

जोडार उन तीनों के साथ घर में आता है l सभी अपने अपने जगह पर बैठ जाते हैं l विश्व में अभी भी झिझक था l उसके झिझक को भांपते हुए

जोडार - क्या बात है... प्रताप... किस बात के लिए डिस्टर्ब्ड हो... जानता हूँ... तुम यह गिफ्ट लेने के लिए... झिझक रहे हो... पर यकीन मानों... मैं तुम्हारे लिए... लेंबर्गनी खरीदना चाहता था... पर प्रतिभा जी ने मुझे i10 पर ही रोक दिया...
तापस - ठीक ही किया... अब देखिए... i10 लेने से झिझक रहा है... लेंबर्गनी लाते... तो वह भाग ही गया होता...

सभी हँसते हैं, पर विश्व आँखे मूँद कर कुछ सोच रहा था l उसे यूँ सोचता देख कर

जोडार - मेरे हिसाब से... एक ग्रांड सेलेब्रेशन होना चाहिए....
तापस - ग्रांड ना सही... कम से कम हमें गाड़ी में... (विश्व की ओर इशारा करते हुए) इसे ड्राइवर बना कर... किसी मॉल में जाते हैं... या फिर किसी होटल में जाते हैं... नहीं तो... किसी थिएटर में जाते हैं...
प्रतिभा - वैसे आइडिया बुरा नहीं है.... तेरा क्या कहना है प्रताप....

विश्व अभी भी अपनी आँखे मूँदे कुछ सोचे जा रहा था l

प्रतिभा - प्रताप... ऐ... प्रताप...
विश्व - हूँ... हाँ... (अपनी सोच से बाहर निकलते हुए) हाँ माँ...
प्रतिभा - क्या तु.. खुश नहीं है...
विश्व - माँ.... खुश हूँ... पर मैं कुछ और सोच रहा था...
तीनों - (एक साथ) क्या सोच रहे थे...

विश्व - (जोडार से) जोडार सर... मुझे आपसे कुछ मदत चाहिए...
जोडार - कुछ भी मांग लो...
विश्व - अपने पुछा नहीं... कैसी मदत...
जोडार - पुछ ने की जरूरत नहीं है... कुछ भी मांग लो...

फिर विश्व तीनों को एक प्लान बताने लगता है l

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शाम को भाश्वती के साथ रुप ड्राइविंग स्कुल से एक ऑटो में लौट रही थी l पर हर दिन की तरह आज प्रताप उनके साथ नहीं था l आज उन दोनों के साथ सुकुमार लौट रहा था l प्रताप के ना होने से दोनों लड़कियों का मुड़ भले ही खराब था पर हँसी ठिठोली के साथ लौट रहे थे l उनकी हँसी ठिठोली पर ऑटो वाला एंजॉय कर रहा था पर I पर सुकुमार इन तीनों के साथ होकर भी उनके दुनिया में नहीं था l वह ग़मजादा था और ख़ामोश भी I कुछ देर बाद भाश्वती का स्टॉपेज आती है l भाश्वती दोनों को बाय कर चली जाती है l ऑटो वाला ऑटो आगे बढ़ाता है l अब ऑटो में खामोशी थी l

रुप - क्या बात है अंकल... आज आपका अचीवमेंट.. आपको मिल गया... फिर आप उदास क्यूँ हैं...
सुकुमार - हाँ... मिल तो गया है.. मुझे मेरा लाइसेंस... और तुम्हें भी तो लाइसेंस मिल गया है.... तुम्हें ही क्यूँ सबको मिल गया आज... और आज जब बिछड़ने का वक़्त आया... प्रताप नहीं था... इसीका दुख है...
रुप - (सवाल करती है) सिर्फ इसका... मुझे तो कुछ और भी लगता है... अगर ऐसा कुछ है... बताइए ना मुझे...
सुकुमार - (मुस्करा कर) बताऊँगा... पहले तुम यह बताओ... आज जब ड्राइविंग स्कुल आई थी... तुम भी उखड़ी उखड़ी लग रही थी... पुछ सकता हूँ क्यूँ...
रुप - अंकल... पहले मैंने पुछा है आपसे..
सुकुमार - पर तुम उम्र में छोटी हो... और लेडी भी हो... सो लेडीज फर्स्ट...
रुप - (मुस्करा कर) अंकल... आज पहली बार... मेरा किसी से झगड़ा हुआ है...
सुकुमार - पहली बार... मैंने तो सुना है... जब भी मौका मिलता है... तुम हाथ साफ करने से पीछे नहीं हटती...
रुप - क्या... (हैरान हो कर) यह... आपसे किसने कहा...
सुकुमार - (हँसते हुए) तुम्हारी सहेली...
रुप - (अपने आप से) कमीनी... परसों मिल मुझे कॉलेज में...
सुकुमार - हा हा हा हा... देखा गुस्सा तुम्हारे नाक पर ही बैठी है... और तुम कह रही हो... पहली बार... हा हा हा...
रुप - सच कह रही हूँ अंकल... पर... ठीक है पहली बार नहीं... पर पहली बार... किसीने झगड़े में मुझ दबाया....
सुकुमार - अछा... ऐसा क्या हो गया भई..

दोपहर को एक मॉल में रुप ड्राइविंग स्कुल में उसके साथ सीख रहे कुलीग्स के लिए और ड्राइविंग स्कुल के इंस्ट्रक्टर और स्टाफ्स के लिए गिफ्ट खरीदने आई है l अकेले हिम्मत कर आज मॉल आई थी l मॉल के एक सेक्शन में पहुँच कर गिफ्ट खरीदने के लिए एक दुकान के अंदर आती है l वहीँ अपर एक और लड़की भी कुछ गिफ्ट देख रही थी l वह बहुत सी गिफ्ट देख चुकी थी पर अब तक उसे कुछ पसंद नहीं आया था l सेल्स मेन के सिर में दर्द शुरु हो चुका था l ऐसे में जब उसी सेल्स मेन से कुछ दिखाने के लिए रुप कहती है l

से. मे - यस मिस...
रुप - मुझे कुछ लोगों को गिफ्ट देना है... क्या आप मुझे गिफ्ट आइटम दिखा सकते हैं...
से. मे - जी ज़रूर... बस थोड़ा इंतजार कीजिए... (उस लड़की से) क्या मैडम... आप को अभी भी... कोई गिफ्ट पसंद नहीं आया...
लड़की - आ तो रहा है... पर उन पर क्या जचेगा... यही सोच रही हूँ...
से. मे - क्या... आप इस तरह सोचेंगी तो... आपको कुछ भी पसंद नहीं आएगा... आप पहले सोच लीजिए... मैं तब तक इन्हें अटेंड करता हूँ...
लड़की - ठीक है...
से. मे - (रुप से) जी मैडम कहिए... क्या लेना चाहेंगी...
रुप - उँम्म्म्म्...

तभी वह लड़की की नजर एक छोटे से बक्से के अंदर रखे कपड़ों पर लगाने वाले बक्कल्स सेट पर पड़ती है l वह सेल्स मेन को उन बक्कल्स के लिए पुछती है l सेल्स मेन बक्कल्स सेट को लाकर उस लड़की के सामने रख देता है l वह बक्कल्स सेट देख कर रुप की आँखों में चमक दिखती है l

रुप - वाव.. कितनी खूबसूरत... बक्कल्स हैं...
लड़की - थैंक्यू... (सेल्स मेन से) यह कितने का है...
से. मे - जी... पांच हजार...
लड़की - (चौंक कर) इतना महँगा...
से. मे - प्लैटिनम कोटींग बक्कल्स है मैम... और पांच हजार कहाँ महँगा है...
लड़की - अच्छा... (बक्कल्स को हाथो में लिए कुछ सोचने लगती है)
रुप - एस्क्युज मी... क्या यह में ले लूँ...
लड़की - क्यूँ... मैंने बस इतना कहा कि महँगा है... नहीं लुंगी... ऐसा तो नहीं कहा मैंने...
रुप - देखिए... मुझे यह बक्कल्स बहुत पसंद आ गया है... आप और कुछ भी ले जाओ... मैं पे कर दूंगी...
लड़की - (बिदक जाती है) क्यूँ... मैं यही लुंगी... और अपने पैसे से... यह पैसे वाला रौब किसी और को दिखाना... (से. मे से) इसे पैक करो...
रुप - (लड़की से) मैंने कोई रौब नहीं ज़माया... बस मुझे पसंद आया तो... कह दिया...
लड़की - पसंद आ गया... तो... तुम्हारे पसंद के लिए... मैं अपनी पसंद क्यूँ छोड़ दूँ...
रुप - देखो... तुम बेवजह बात को बढ़ा रही हो..
लड़की - तुमने बात को यहाँ तक पहुँचाया है...
रुप - तुम जानती नहीं हो मुझे...
लड़की - क्यूँ... कहाँ की राजकुमारी हो क्या... हाँ जानती नहीं हूँ... जानना भी नहीं चाहती...
रुप - आह्ह्ह... डिस्गस्डींग...
लड़की - ऐ... गाली क्यूँ दी...
रुप - व्हाट...
लड़की - ऐ... अंग्रेजी में क्या चपड़ चपड़ कर रही है...
रुप - (गुस्से से अपनी आँखे मूँद कर गहरी गहरी सांसे लेने लगती है) (फिर मुस्करा ने की कोशिश करती है) ओके... तो आपसे बोल चाल भाषा में क्या कहूँ...
लड़की - क्यूँ... गाली जब अंग्रेजी में दी तो...
रुप - हाँ... तो..
लड़की - हाँ तो.. अंग्रेजी में सॉरी बोलो...
रुप - क्या...

सुकुमार जोर जोर से हँसने लगता है l उसे हँसता देख कर उसके साथ रुप भी हँसने लगती है l

सुकुमार - (हँसते हुए) फिर... फिर कैसे छुटा पीछा उस लड़की से...
रुप - जब... वह सेल्स मेन सॉरी अंग्रेजी में ही कहा जाता है बोला...
सुकुमार - (हँसते हुए) बुरा कुछ भी नहीं हुआ... बल्कि ऐसी याद बनीं... जिसे याद करते हुए... हँसा जा सकता है...
रुप - मेरी छोड़िए अंकल... आप बताइए... आज आप इतने मायूस क्यूँ हैं... आपके साथ कुछ बुरा हुआ क्या...
सुकुमार - (हैरानी के साथ) तुम्हें कैसे पता.. आज मेरे साथ कुछ हुआ है...
रुप - (हैरान हो कर) क्या... इसका मतलब... आज आपके साथ कुछ हुआ है...
सुकुमार - (एक सपाट सा जवाब देते हुए) हाँ... पर पता नहीं... अच्छा हुआ.. या बुरा हुआ है...
रुप - मतलब...
सुकुमार - मैं... मेरी औलादों को अच्छी तरह से जानता हूँ... पहचानता हूँ... वह लोग... जो इमोशनल ड्रामा.. मेरी पत्नी के साथ खेल रहे थे... मैं चाहता था... कोई उसके सामने लाये... उसके आँखों में पड़े ममता का पट्टी उतर जाए... आज जो वाक्या हुआ... उसकी आँखों पर बंधा अंधी ममता की पट्टी उतर गई... पर अच्छा हुआ या बुरा हुआ... मैं यह तय नहीं कर पा रहा हूँ...
रुप - ऐसा क्या हो गया अंकल...
सुकुमार - मेरे दोनों बेटे... एक साथ स्टेटस से आए... मकसद बस यही था... भुवनेश्वर की सारी प्रॉपर्टी बेच बाच कर हमें.. एक्सचेंज करते हुए.. छह महीना एक के पर... और छह महीना दुसरे के पास रखने की प्लान थी उनकी... अब जिसका साथ सात जन्मों के लिए थामा हो.. वह अगर.. ऐसे जुदा हो जाएगी... तो... एक टीस सी थी मन में... पर गायत्री... (सुकुमार की पत्नी) अपने पोते पोतीयों की ममता में... यह साजिश जान ना पाई... के हमारे बच्चों में किसी तरह की कोई एहसास बचा नहीं है... डॉलर के पीछे भागते भागते मशीन बन गए हैं... सारे ज़ज्बात उनके मेकैनिकल बन गए हैं... पर आज जो हुआ...

सुकुमार का घर

दोनों बेटे चिल्ला रहे हैं l क्यूँकी वह एक ट्रैवल एजेंट से गाड़ी कुछ दिनों के लिए रेंट पर ली थी l आज सुबह ग्यारह बजे के आसपास गाड़ी चोरी हो गई थी l

बेटा एक - देखा.. दिस इज़ इंडिया... चोर उच्चक्कों का देश है यह... (सुकुमार से) क्या... इसी देश में रहना चाहते हैं... अभी भी...
बेटा दो - हाँ.. नई इनोवा रेंट पर लाए थे... पासपोर्ट डिपॉजिट कर के... अब दुगना पैसा भरना पड़ेगा... आ.. ह्ह्ह्ह..
सुकुमार - हमे पुलिस में कंप्लेंट करनी चाहिए...
बेटा एक - पुलिस... इंडियन पुलिस... डोंट टॉक रब्बीस...
बेटा दो - आई बेट... इस चोरी में... पुलिस का भी हिस्सा होगा...
गायत्री - तुम्हारे पापा... सही तो कह रहे हैं...
बेटा एक - तुम तो चुप ही रहो तो अच्छा है...
गायत्री - मैंने क्या किया...
बेटा दो - प्रॉब्लम तो यही है कि... आपने कुछ नहीं किया... हमने कहा.. चलो हमारे साथ... पर नहीं... तुम्हारे पापा अकेले यहाँ क्या करेंगे...
बहु एक - हूँह्ह्ह... कुछ साल पहले हमारी बात मान ली होती... तो आज डाउन टाउन में अपना इंडीपेंडेंट घर होता... हमने क्या मांगा... एक सींपल सा फिनानंसीयल हेल्प ही ना... वह भी नहीं हुआ...
बहु दो - और नहीं तो... उल्टा इंडीया आए हैं... अब पेनाल्टी देंगे... इनोवा की दुगनी प्राइज दे कर...

इसी तरह कीचिर कीचिर डेढ़ घंटे तक चलता रहा l फिर तय हुआ कि पास के पुलिस स्टेशन में गाड़ी के चोरी की कंप्लेंट लिखेंगे l यही सोच कर जब दो भाई बाहर आते हैं तो देखते हैं वही इनोवा घर के आगे रखा हुआ है l सब हैरान हो जाते हैं l पास जाकर देखते हैं वाइपर में एक लिफाफा रखा हुआ है l बेटा एक लिफाफा खोल कर देखता है उसमें एक चिट्ठी और दस सिनेमा के टिकेट्स रखे हुए हैं l इतने में बेटा दो गाड़ी को अच्छी तरह से लॉक कर देता है और सभी घर के अंदर आते हैं l सबके उपस्थिति में बेटा एक चिट्ठी पढ़ने लगता है

" सबसे पहले आपसे क्षमा चाहता हूँ l आपकी गाड़ी घर के बाहर पार्किंग की हुई थी l तो मैंने अपनी गर्ल फ्रेंड को इम्प्रेस करने के लिए गाड़ी ले गया था I अपनी गर्ल फ्रेंड को घुमा कर आइस क्रीम खिला कर आपकी गाड़ी में टैंक फुल ऑइल डाल दिया है l चूंकि ढाई घंटे से आपकी गाड़ी आपकी नजरों से ओझल थी, बदले में मैंने आपके घर के सदस्यों के बराबर दस मूवी टिकेट्स दिए जा रहा हूँ l मूवी का नाम है 'एवेंजर्स द एंड गेम' l बहुत ही अच्छी मूवी है l और हाँ एक ऑफर भी है, इन दस टिकेट्स में दो टिकेट अगर सरेंडर करते हैं तो आपको, पॉप कॉर्न और कोल्ड ड्रिंक पर सीट फ्री मिलेगी I आशा है, अब आप मुझे माफ कर देंगे l
आपका एक शुभ चिंतक l"

चिट्ठी के खत्म होते ही l सुकुमार दंपति को छोड़ सभी ताली बजाने लगते हैं l

बेटा दो - मूवी.. कहाँ लगी है और कितने बजे की है..
बेटा एक - छह से नौ बजे... आईनॉक्स में लगी है...
बेटा दो - चलो.. एक हैप्पी एंडींग तो हुआ...
बहु एक - पर अपनी गाड़ी तो एइट सिटर है...
बहु दो - और टिकट दस हैं...
बेटा एक - दो टिकट सरेंडर करने का ऑपशन है... बदले में.. फ्री कोल्ड ड्रिंक और पॉपकॉर्न...
बेटा दो - देन ईट इज़ फाइनल... हम सब सिनेमा जाएंगे... माँ और पापा... यहीँ रहेंगे...
सभी - हाँ यही ठीक रहेगा...
सुकुमार - मैं तो.. ड्राइविंग स्कूल... चला जाऊँगा... तीन से सात... बज जाएंगे... अपनी माँ को तो कम से कम... ले जाते...
बहु एक - पापा जी... हम मूवी देखने जा रहे हैं... कौन सा फॉरेन जा रहे हैं... माँ जी रह लेंगी... (गायत्री से) क्यूँ माँ जी... ठीक कहा ना...
गायत्री - (अपना सिर हिला कर) हाँ बेटा... बिल्कुल सही कहा....

इतना कह कर सुकुमार चुप हो जाता है l रुप उसके दर्द को समझ जाती है l

रुप - इसका मतलब... अभी आपके बच्चे... मूवी देखने चले गए होंगे...
सुकुमार - हाँ... और घर में.. मेरी गायत्री अकेली होगी...
Matlab sukumar jee ka problem ab next update mai khatam ho jayega........🙂🙂🙂🙂
Nice update bro...
 
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