कहां राॅकी को मैं एक आशिक समझ रहा था और कहां वो एक विलेन निकला । उसके फेमिली के साथ सही नहीं हुआ था , हमारी सहानुभूति भी है पर , इसमें नंदिनी की गलती क्या थी ! उसे बदला लेना था तो विक्रम से लेता ! महिलाओं को टार्गेट करना और वह भी जान से मारने का , सरासर ग़लत था । ऐसा बुजदिल इंसान ही करते हैं ।
वैसे अभी भी उसके लिए सब कुछ ठीक करने का मौका है । उसे बनानी को अपना लेना चाहिए । लेकिन सब कुछ सच सच बता कर ।
Avsji भाई की बात मेरे दिल को छू गई । साठ सत्तर के दशक में दुल्हनों की बिदाई पालकी से होती थी । चार कहांर जो बिल्कुल अजनबी होते थे , अपने कंधों पर पालकी उठाए दुल्हन को सही सलामत उसके ससुराल तक छोड़ आते थे । कितना विश्वास और सच्चाई थी उस जमाने में । यह सब मैंने अपने आंखों से देखा है ।
पर आज , महिलाएं अपने घर में भी सुरक्षित नहीं है ।
अनू ने वीर को ही नहीं बल्कि मुझे भी वापस बचपन की ओर लेकर चली गई । कितना बेफिक्र और बिंदास लाइफ होता था उन दिनों !
मुझे अनू का कैरेक्टर बहुत ज्यादा पसंद है । उसकी वजह से वीर क्षेत्रपाल के बनावटी सम्राज्य से बाहर निकला और एक आम इंसान की जिंदगी जिया । भले ही वो लम्हा बहुत छोटा था पर उसका प्रभाव बहुत बड़ा होगा ।
हमारी नायिका नंदिनी ने भी क्षेत्रपाल के दायरे से बाहर निकल कर कुछ क्षण अपनी सहेलियों के साथ एन्जॉय किया । उन लड़कियों के साथ बिताए गए वो क्षण उसके दिल और दिमाग पर काफी असर डालेंगे । क्षेत्रपाल से बगावत के आगाज का नींव था यह क्षण ।
बहुत खुबसूरत अपडेट था ब्लैक नाग भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।