सबसे पहले साधुवाद इस बेहतरीन लेखन और लेखक महोदय
Kala Nag भाई के लिए। ये नाग आपका surname तो नही है ठीक प्रसिद्ध अभिनेता अनंत नाग जी की तरह?
नहीं
Lib am भाई नहीं
जिस दिन एक छ्द्म पहचान बना कर इस फोरम में आने की सोच रहा था तब टीवी पर धर्मेंद्र जी की एक फिल्म चल रही थी "ऐलान ए जंग" उस चलचित्र की एक संवाद "मैं नाग ही नाग काला नाग" इस संवाद को भी मैंने इस फोरम के लिए पहचान बना दिया l वैसे मेरे एक मित्र हैं उनका नाम सदाशिव नाग है
रूप और विश्व दोनो ही के दिल और दिमाग अंजाने में ही भूतकाल को वर्तमान में ला रहे है। दोनो ही इस बात को मान कर भी नही मानना चाहते है।
शायद दोनो की ही हालत कुछ इन लफ्जों जैसी हो गई है
कहीं-कहीं से हर चेहरा, तुम जैसा लगता है
तुमको भूल ना पाएँगे हम, ऐसा लगता है
बहुत ही सही कहा आपने दोनों ही जान पा रहे हैं पर मान नहीं पा रहे
वजह विश्व ने क्षेत्रपाल महल के अंतर्महल की रहन सहन देखा था और रुप विश्व के बारे में इतना जानती थी के अनाम एक अनाथ था
मनानीय अनंत नाग जी बहुत ही महान अभिनेता
वीर बेचारा नाम से वीर है मगर इजहार-ए-मोहब्बत करने में हवा निकल गई है बेचारे की। पता नही क्या करेगा? वीर के सुर अब कुछ कुछ बगावत वाले हो गए है और पता नही ये कब बगावत का ज्वालामुखी फोड़ दे?
हाँ वीर की उसके बाप के साथ कभी पटती नहीं है
रोड़ा और बल्लभ की भी फटी पड़ी है अब तो, दोनो कुछ पता कर भी पाएंगे या नहीं।
उनको पता लगेगा
तब भी उनकी आँखे फटी पड़ेगी
सुकुमार अंकल की मैरिज एनिवर्सरी वाले दिन के प्लान को सुन कर रूप का शक और गहरा हो जायेगा या फिर उसे यकीन हो जायेगा की प्रताप की अनाम है क्योंकि ऐसे अनोखे आइडियाज तो अनाम ही सोच सकता है।
बिल्कुल सही अंदाजा लगाया है आपने
पर रुप को एक अलग अंदाज से मालुम होगा
विश्व के मुंह से बार बार राजकुमारी निकलने वाली बात पर इस गाने के बोल याद आ गए।
उतरा ना दिल में कोई, इस दिलरुबा के बाद
लब पे इसी का नाम है, आता खुदा के बाद
वाह क्या बात है बस कुछ अपडेट्स और उसके बाद रोमांस कम होता जाएगा और रोमांच बढ़ता जाएगा