छठवां भाग
बहुत ही बेहतरीन कहानी।।
शुभ्रा ने भले ही विक्रम से प्रेम विवाह किया है लेकिन वो भी अपने परिवार की संकीर्ण विचारधारा की सताई हुई लगती है। नंदिनी खुद इस बात का एक उदाहरण है यही कारण है कि नंदिनी और शुभ्रा के बीच बहनों जैसा स्नेह है।। सही है इतने बड़े घर परिवार में भी इनका अपना कहने वाला कोई नहीं है सभी अपनी झूठी शान और अहंकार में जीने वाले हैं। औरतों को अपने पैरों की धूल समझने वाले कहाँ से उनकी भावनाओं की कद्र करेंगे।।
रॉकी के अतीत से ये बात साफ पता चल रही है कि वो क्षेत्रपाल के रुतबे से पूरी तरह प्रभावित है और वैसा ही रुतबा बनाना चाहता है अपना। इस बात से ये तो स्पष्ट हो जाता है कि वो नंदिनी से प्यार नहीं करता, वो बस नंदिनी को सीढ़ी बनाकर वो मुकाम हासिल करना चाहता है जो इस समय क्षेत्रपालों मे पास है। लगता है रॉकी के दिन भी भर गए हैं। राजू ने एक बात बिल्कुल सही कही कि नंदिनी अपने भाइयों और बाप के खिलाफ तभी खड़ी होगी जब उसके दिल और दिमाग मे रॉकी घर कर जाए।।