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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

Mr. X
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sunoanuj

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Bahut hee jabardast update ! Bahut dino baad forum par koi thriller aaya hai aisa feel ho raha jaise “Ved Prakash Sharma Ji “ki koi thriller padh rahe hain… ( kuch shabdon ko chod kar)

Bahut hee umda likh rahe ho… 👏🏻👏🏻👏🏻🌷🌷🌷
 

Kala Nag

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Bahut hee jabardast update ! Bahut dino baad forum par koi thriller aaya hai aisa feel ho raha jaise “Ved Prakash Sharma Ji “ki koi thriller padh rahe hain… ( kuch shabdon ko chod kar)

Bahut hee umda likh rahe ho… 👏🏻👏🏻👏🏻🌷🌷🌷
धन्यबाद मित्र
वेद प्रकाश शर्मा अगर सूरज है तो हम अंधेरे में टिमटिमाते हुए जुगनू बराबर भी नहीं हैं....
आप बस मेरे कहानी जुड़े रहें और कमेंट्स के जरिए मेरे उत्साह बढ़ाते रहें
 

parkas

Prime
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👉चौबीसवां अपडेट
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कोर्ट का रूम आज खचाखच भरा हुआ है l बाहर का नज़ारा पुलिस की छावनी में तब्दील हो चुकी है l
आज लोग कोर्ट के बाहर पुलिस के बनाए बैरिकेड के उस पार जमा हुए हैं l पिछली सुनवाई की तरह ही इस बार की सुनवाई के दिन भी लोग हाथों में प्लाकार्ड लिए विश्व के विरुद्ध स्लोगन दे रहे हैं l
अंदर केस से संपृक्त अधिकारी गण, वकील और प्रिंटिंग मीडिया से एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बहुत लोग उपस्थित हैं l हॉकर जज के आने का आह्वान देता है l सभी मौजूद लोग जज के सम्मान में खड़े हो जाते हैं l जज के बैठते ही सब अपने जगह बैठ जाते हैं l कोर्ट रूम के भीतर इतनी गहरी ख़ामोशी छाई हुई है कि लोग एक दूसरे के सांस की आवाजाही भी सुन पा रहे हैं l पर आदत के अनुरूप जज अपना न्याय के हथोड़े को टेबल पर तीन बार मारते हुए ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर कहता है l
जज - आजकी अदालती कार्यवाही शुरू की जाए...
हॉकर - मुजरिम को हाजिर किया जाए...
दो कांस्टेबल विश्व को हथकड़ी में लेकर मुज़रिम वाले कटघरे में खड़ा कर देते हैं l
जज - हाँ तो क्या आज... अभियोजन पक्ष मौजूद हैं....
प्रतिभा -(अपनी जगह से उठ कर) येस.... माय लॉर्ड....
जज - और... अभियुक्त पक्ष...
जयंत - (अपनी जगह से उठ कर) येस माय लॉर्ड....
ठीक है इससे पहले कि हम कार्यवाही आरंभ करें... अदालत आपको सूचित करना चाहती है... की राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट में पास किए जाने के बाद.... राज्यपाल महोदय ने अदालत को पत्र द्वारा नियमित सुनवाई करने का आग्रह किया है.... इसलिए आप दोनों के मौजदूगी में हमे दिए गए आग्रह पर.... इस केस के लिए तीन जजों का पैनल बनाया गया है... और नियमित सुनवाई के लिए हफ्ते में तीन दिनों का चयन किया गया.... सोमवार, बुधवार और शुक्रवार.... इसके बाद अगर आप लोगों को कोई आपत्ति हो... तो दर्ज करा सकते हैं.... पहले प्रोसिक्युशन के तरफ से.... कोई टिप्पणी...
प्रतिभा - नो... माय लॉर्ड.....
जज - अब डिफेंस के तरफ से.... कोई टिप्पणी...
जयंत - (अपने जगह से उठ कर) येस माय लॉर्ड...
जज - कहिए... जयंत बाबु... क्या टिप्पणी है...
जयंत - टिप्पणी नहीं.... दो दो... अभियोग कहें या अनुरोध...
जज - कहिये...

जयंत - माय लॉर्ड... मेरा यह आग्रह व अनुरोध है... कोर्ट के कार्यवाही का मीडिया कवरेज को संपूर्ण रूप से अवैध करार दिया जाए.... और कोर्ट रूम में किसी भी मीडिया पर्सन के प्रवेश पर रोक लगा दी जाए....
दर्शकों में बैठी एक औरत, तुरंत अपनी जगह से खड़ी हो गई और जज को - आई ऑब्जेक्ट... योर ऑनर...
जज - हू.. इज़...
औरत - (हाथ ऊपर कर इशारे में विटनेस बॉक्स में जाने की इजाजत मांगते हुए) मे आई....
जज - येस... यु कैन....
औरत -(विटनेस बॉक्स में आकर) सर, आई, माय सेल्फ अरुंधति पसायत... असिस्टेंट एडिटर ऑफ खबर ओड़िशा... मैं डिफेंस लॉयर के इस वक्तव्य को दृढ़ विरोध करती हूँ.... वी आर जर्नलिस्ट... एंड मिस्टर. डिफेंस लॉयर शुड नॉट फॉरगेट.... हमे द फोर्थ पिलर ऑफ डेमोक्रेसी कहा जाता है.... लोगों तक खबर पहुंचाना... हमारा कर्तव्य ही नहीं हमारा वृत्ति गत अधिकार भी है.... इसलिए मैं अदालत से दरख्वास्त करती हूँ... मिस्टर डिफेंस लॉयर की इस आवेदन पर तुरंत खारिज किया जाए....
जज - मिस्टर डिफेंस लॉयर... इस पर आप क्या कहना चाहेंगे...
जयंत -(अपने जगह से खड़े होकर) जी मैं कहाना नहीं... मिसेज पसायत से पूछना चाहूँगा.... अगर आप इजाज़त दें तो...
जज - ज़रूर....
जयंत - थैंक्यू माय लॉर्ड... हाँ तो मिसेज पसायत... अभी वह जो कटघरे में खड़ा है... वह आपके विचार में कौन है...
पसायत - जी.. वह.... एक मुज़रिम है....
जयंत - मोहतरमा... पहले आप अपना ज्ञान दुरुस्त कीजिए... वह जो कटघरे में खड़ा है... वह एक मुल्जिम है... ना कि मुज़रिम... मतलब एक्युस्ड है... ना कि कंविक्टेड...
पसायत - जी.. जी.. आइ... मेरा मतलब.. वह मुल्जिम है... ना कि मुजरिम... रॉंग प्रोनाउंशेशन... सॉरी...
जयंत - येस... यु.. शुड बी सॉरी... क्यूंकि जब से... यह घोटाला सामने आया है... तबसे आप अपने चैनल के जरिए... ना सिर्फ़ उसे मुज़रिम करार दे चुकी हैं... बल्कि... एस.एम.एस के जरिए पोल भी कराई हैं... विश्व प्रताप को फांसी की सजा दी जाए या उम्र कैद की....
पसायत - जी व... वह... असल में... हम लोगों की राय जानना चाहते थे....
जयंत - नो मिसेज़ पसायत... आप लोगों की राय जानना नहीं चाहती हैं... बल्कि अपनी राय लोगों पर थोपती हैं... आप की चैनल ने... न जाने कितने कहानी विश्व के नाम पर बनाए और बेचे.... खुद को पैरलल कोर्ट बना कर एक्युस्ड को न सिर्फ कंविक्ट बनाया... बल्कि उसके सजा पर पोल भी करवाया.... क्यूँ मिसेज पसायत क्यूँ.... अगर आज जो कटघरे में एक्युस्ड खड़ा है... कल को अगर वह विक्टीम साबित हुआ... तब....
पसायत - वेल... दिज आर ऑल पार्ट ऑफ आवर प्रोफेशन.... तब हम सॉरी कह देंगे....
जयंत - व्हाट.... तब आप सॉरी कह देंगे... रोज न्यूज चैनल में... शूली चढ़ाती हैं आप... जब वह विक्टीम साबित हो जाएगा उसे सॉरी कह देंगी..... (फिर जज के तरफ मुड़ कर) माय लॉर्ड... क्या सॉरी से किसीकी इज़्ज़त वापस आ सकती है.... अगर यह मीडिया कवरेज करना चाहती हैं... तो इनसे एक ऐफिडेविट ली जाए.... अगर इस सुनवाई में... विश्व निर्दोष व विक्टीम करार दिया जाता है.... तो विश्व को पूर्ण अधिकार होगी इनपर मानहानि दावा ठोकने की... दैट्स ऑल माय लॉर्ड....
जज - ठीक है... जयंत बाबु.... अब आप अपना दुसरा आग्रह बताये...

जयंत - माय लॉर्ड.... जबसे मैंने... मक्तुल श्री विश्व की केस को हाथ में ली है.... तब से मुझे थ्रेटस मिल रहे हैं... केस छोड़ने के लिए.... इसलिए जब तक.... इस केस की कारवाई पूरी नहीं हो जाती..... तब तक मुझे अदालत के तरफ से सरकारी सुरक्षा मुहैया कराया जाए....
जज - यह आपने... बहुत ही बड़ी बात कही है.... क्या आपने पुलिस को इस बारे में सूचना नहीं दी...
जयंत - दी थी... पूरी घाट थाने में... यह रही उस एफआईआर की कॉपी (कह कर एक काग़ज़ राइटर के हाथों से जज को बढ़ा देता है)
जज काग़ज़ देखने के बाद
जज - आज डिफेंस लॉयर जयंत राउत जी ने इस केस से संबंधित जिन तथ्यों की जानकारी दी है... उस पर अदालत गम्भीरता से विचार करेगी... अब यह अदालत एक घंटे के लिए स्थगित की जाती है... डिफेंस लॉयर के द्वारा दी गए तथ्यों पर अपना फैसला एक घंटे बाद पूरी टीम के सहित उपस्थित रह कर सुनाएगी.... (इतना कह कर जज वह हथोड़ा टेबल पर पीट कर रख कर बाहर चला जाता है)

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कोर्ट रूम पास एक कमरे में एक छोटा सा टेबल और दो कुर्सी पड़ी हैं l एक कुर्सी पर जयंत बैठा हुआ है,और दुसरे में विश्व और विश्व से थोड़ी दूर दीवार के पास वैदेही खड़ी हुई है l
विश्व - क्या.... आपको धमकी मिली है....
जयंत - (अपना सर हिलाते हुए) ह्म्म्म्म....
विश्व - हे... भगवान... तो.... फिर....
जयंत - तो फिर क्या.... मैंने तो पहले पुलिस को बताया.... अब अदालत को बता दिया है....
वैदेही - (मायूस होकर) आपको हमारे वजह से तकलीफ हो रही है....
जयंत दोनों के चेहरे को गौर से देखता है, फिर जयंत दोनों को इशारे से चुप रहने के लिए इशारा करता है l दोनों भाई बहन एक दुसरे को देखते हैं फिर जयंत को l जयंत धीरे से अपनी कुर्सी से उठता है और थोड़ा सा बाहर की तरफ झांकता है और इन दोनों के करीब आकर बहुत धीरे से उनको कहता है l
जयंत - देखो तुम मेरे क्लाइंट हो.... इसलिए बता रहा हूँ.... मुझे कोई धमकी नहीं मिली है...
दोनों - क्या... (चौंक कर)
जयंत - श्... श् श्.. (धीरे से..) क्या कर रहे हो... मरवाओगे क्या....
विश्व - (धीरे से) पर क्यूँ..
जयंत - तुम्हारे दुश्मनों के शिविर में खलबली मचाने के लिए.... एक तुक्का लगाया है.... ताकि वह लोग कुछ गलत कर जाएं....
विश्व - ओ...
जयंत - दीस इज कॉल्ड एज अ प्रोफेशनल लाइ.... एंड अ लॉयर शुड भी अ गुड लायर...
इतना कह कर जयंत अपनी दोनों आँखो को विंक करता है l कुछ ऐसे करता है कि दोनों के चेहरे पर हँसी आ जाती है l
वैदेही - तो अब जज साहब क्या करेंगे...
जयंत - अब मुझे क्या पता.... पर जो भी होगा.... हमारे ही फेवर में जाएगा....
ऐसे ही एक घंटा बीत जाता है और पुलिस आती है विश्व को अपने साथ ले जाती है l वैदेही और जयंत भी कोर्ट रूम में प्रवेश करते हैं l आज आरंभ से ही वैदेही जयंत के दलीलों से बहुत ही प्रभावित हो चुकी है l उसे अब लगने लगा है जयंत ज़रूर इस केस में कुछ उलट पलट कर सकता है l
सब इस बार देखते हैं कि इस बार जज के स्थान पर एक के जगह तीन कुर्सियां पड़ी हुई हैं l कुछ देर बाद हॉकर सबको सावधान करता है और जजों के आने का संकेत देता है l सभी कोर्ट रूम में अपने स्थान पर खड़े हो जाते हैं l तीन जज अब अपने जगह पर बैठ जाते हैं l जजों के बैठने के बाद सब अपने अपने जगहों पर बैठ जाते हैं l
मुख्य जज जो आरंभ से ही केस की सुनवाई से जुड़े हुए हैं l वह सुनवाई आरंभ करते हैं l

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शाम को डिनर के बाद प्रतिभा एक अलग कमरे में अपनी केस की फाइलों को पढ़ रही है और अपनी एक डायरी में कुछ नोट कर रही है और नोट कर लेने के बाद लॉ के कुछ मोटी लॉ के किताबें खंगाल कर उनमें पेंसिल से मार्क कर रही है l
इतने में प्रत्युष एक कॉफी का मग ले कर पहुंचता है, और प्रतिभा के सामने रख देता है l प्रतिभा अब नजर उठा कर देखती है तो प्रत्युष मुस्करा देता है l
प्रतिभा - क्या बात है बेटा... अभी तक सोया नहीं... कल क्लास के लिए जाना नहीं है क्या....
प्रत्युष - जिसकी माँ रात भर जाग रही है.... पर जागने का वजह ना तो उसका पति है.... और ना ही बेटा... तब बेटा सोचता है कि... ऐसी क्या परेशानी आन पड़ी.... के माँ को रात भर जागना पड़ रहा है....
प्रतिभा - तु... कॉलेज में पढ़ने जाता है... या.. ऐसी मीठी मीठी बातेँ सीखने....
प्रत्युष - अब जिसकी माँ... वकील हो... वह तो बातेँ करेगा ही...
प्रतिभा - (थोड़ा हंस देती है) आ बैठ... बोल... आज... क्यूँ... मेरे बेटे को... नींद नहीं आ रही है....
प्रत्युष - (पास पड़े एक कुर्सी पर बैठ जाता है) माँ... आप और डैड मुझे कितना प्यार करते हैं.... मैं जानता हूँ.... पता नहीं आपको याद है या नहीं.... पर मुझे जब भी याद आता है... तो बहुत हंसी आती है....
प्रतिभा - (अपने चेहरे को सिकुड़ कर और भोवें नचा कर) क्या याद आता है....
प्रत्युष - माँ... यह आप अच्छी तरह से जानते हो.... के मुझे... सुई लगाने से कभी डर नहीं लगता है.... पर जब भी हस्पताल में डॉक्टर मुझे सुई लगाते थे.... (हंसते हुए) डैड डर के मारे बाहर ही खड़े रहते थे... और आप आँखे मूँद लेती थी... फिर सुई लग जाने के बाद... आपके आँखों में आंसू तक आ जाते थे.... मैं जानता हूँ... यह आप दोनों का असीम प्यार है.... के मुझे सुई चुभते हुए भी देख नहीं सकते.... आप दोनों....
प्रतिभा प्यारे उसके गालों पर हाथ फेरती है और गाल को खींच कर
प्रतिभा - हर माँ बाप ऐसे ही होते हैं.... अपने बच्चों के कष्ट देख नहीं पाते.....
प्रत्युष - माँ... बिल्कुल... आप...और डैड मुझसे जितना प्यार करते हो.... मैं भी आप दोनों से उतना प्यार करता हूँ....
प्रतिभा - हाँ... यह तो हम भी जानते हैं....
प्रत्युष कुछ कहता नहीं है तो प्रतिभा उसके गाल पर हाथ फ़ेर कर पूछती है
प्रतिभा - अब बोल भी दे.... क्यूँ नींद नहीं आ रही है मेरे बच्चे को.....
प्रत्युष - (प्रतिभा के हाथ को अपने गाल से हटा कर दोनों हाथों से पकड़ लेता है) माँ.... आप रात रात भर जाग कर अपनी नींद खराब क्यूँ कर रही हो......
प्रतिभा - वह इसलिए... की परसों.... अदालत में... प्रोसिक्यूशन की तरफ से इस केस की प्रेजेंटेशन है.... इसलिए मुझे तैयारी करनी पड़ रही है....
प्रत्युष - वैसे... माँ आज अदालत में हुआ क्या था.... आज प्राइम टाइम न्यूज ब्रीफिंग पूरी तरह से बदली हुई लग रही है.... क्या आपका ओपोनेंट इतना स्ट्रॉन्ग है....
प्रतिभा - स्ट्रॉन्ग तो हैं बेटा.... उनका नाम जयंत राउत है.... जानते हो एज अ पब्लिक प्रोसिक्यूटर उन्होंने एक भी केस नहीं हारा है....
प्रत्युष - ओ... तो... उनको हराने की तैयारी कर रहे हो आप....
प्रतिभा - (हंस देती है) हाँ....
प्रत्युष - वैसे.... आज उन्होंने कोर्ट में... ऐसा क्या कह दिया... जो आज न्यूज के डिबेट में... सिर्फ वही छाए हुए हैं.....
प्रतिभा - अपने क्लाइंट को बचाने के लिए एक अच्छा वकील... जो भी कर सकता है.... जयंत सर ने वही किया....
प्रत्युष - थोड़ा ब्रीफ करके बताओ ना....
प्रतिभा - पहले तो उन्होंने अदालत को... कंविंस किया के विश्व एक्युस्ड है... ना.. की गिल्टी... इसलिए उसे दोषी बनाकर जो मीडिया ट्रायल चल रही है... उसे बंद करवा दिया...
प्रत्युष - ओ अच्छा.... तभी में बोलू.... रोज सिमर की बिरियानी परोसने वाले... आज इतने शाकाहारी कैसे हो गए हैं.....
प्रतिभा यह सुन कर प्रत्युष के गाल पर एक चपत लगाती है
प्रतिभा - और अब से कोर्ट की सारी कारवाई..... सिर्फ़ बंद कमरे में होगी.... उस पर भी जयंत सर ने मीडिया कवरेज को बैन करवा दिया.....
प्रत्युष - ओ.... तो क्या.. किसी मीडिया पर्सन ने... अपना विरोध नहीं जताया....
प्रतिभा - जताया था ना... वह खबर ओड़िशा के असिस्टेंट एडिटर अरुंधति पसायत.... उसने जयंत सर की मांग पर विरोध किया... पर अदालत ने जयंत सर की बातों को स्वीकार कर लिया....
प्रत्युष - फिर.. क्या वह पसायत चुप रही....
प्रतिभा - हाँ... चुप ना रहती तो क्या करती.... अगर कोर्ट के भीतर जज साहब के आदेश का विरोध करती तो.... वह कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट होता... और वह... नन बेलेबल ऑफ़ेंश होता...
प्रत्युष - ओ....
प्रतिभा - हाँ... तो अब तेरा डाऊट सारे क्लियर हुए या नहीं....
प्रत्युष - बस एक डाऊट है...
प्रतिभा - आप कब सोओगे.... यही ना..
प्रत्युष - वाह... यह हुई ना बात.... माँ आख़िर अपने बच्चे मन की बात समझ जाती है....
प्रतिभा - (एक चपत लगाती है प्रत्युष के गाल पर) तु अब तक सीधे ना पूछ कर... अदालत में क्या हुआ... बगैरह क्यूँ पूछ रहा था....
प्रत्युष - माँ... रात भर... किताबों के साथ उल्लू की तरह जागना... यह मेरे उम्र को शुट करता है.... आपके उम्र में नहीं... माँ बाप बच्चे के लिए चिंता में ना सोए तो बात समझ में आती है.... पर बच्चा... वह भी मुझ जैसे... डैशींग.. हैंडशम एंड इंटेलिजेंट हो.... फिर भी आप रात भर जागो... यह ठीक नहीं लगता ना....
प्रतिभा - अररे... मैं अपनी केस की डिटेल्स तैयार कर रही हूँ...
प्रत्युष - वह आप कल करलेना.... आपके पास पूरा दिन रहेगा.... और घर पर ना मैं होऊंगा ना डैड... इसलिए...
कह कर प्रतिभा के हाथ को खिंच कर उठा कर सोने के कमरे तक धक्का दे कर ले जाता है
प्रतिभा - अरे.. रुक तो...
प्रत्युष - नहीं... नहीं.... बिल्कुल नहीं....
प्रतिभा को उसके कमरे में पहुँचा कर प्रत्युष अपनी माँ के माथे को चूम कर
प्रत्युष - गुड नाइट माँ.....
प्रतिभा - गुड नाइट बेटा...
दरवाजा बंद कर बिस्तर पर आती है l जैसे ही सोने को होती है तो तापस उसकी तरफ पलटता है
तापस - हम बुलाते रहे शब् ए मुहब्बत को... वह इंकार करते रहे... लगता है औलाद की चाहत के आगे इश्क़ से बगावत कर ली उन्होंने....
प्रतिभा - ओ... तो उल्लू यहाँ पर जाग रहा है... यह क्या है सेनापति जी... अगर रोमांटिक हो रहे हैं..... तो शायरी भी ढंग का किया करो ना...
तापस - (प्रतिभा को अपने पास खिंच कर) अजी यह तो आपके हुस्न का असर है... वरना हम कहाँ और शायरी कहाँ...
तापस - बस बस... आपके बेटे ने.... मुझे रात को सोने के लिए भेजा है... जागने के लिए नहीं... आप चुप चाप सो जाइए और मुझे सोने दीजिए....
तापस - सत्यानाश कर दिया तुमने मेरे मुड़ का यार....
प्रतिभा - प्लीज....
तापस - ठीक है.. ठीक है... मैं तो यह सोच कर खुश हो रहा था.... के मेरे बेटे ने... मेरी दिल की आह भांप ली... पर...
प्रतिभा - (खिल खिला कर हंस देती है) कभी कभी लगता है... वह मेरा बेटा नहीं... मेरा बाप.... है
तापस - करेक्ट.... अब मुझे यकीन हो गया... वह... मेरा ससुर ही है... जो दोबारा जन्म ले कर आया हुआ है....
प्रतिभा - हो गया...
तापस - हाँ.. खत्म कर... सो ही जाता हूं...
इससे पहले प्रतिभा कुछ कह पति, तापस के होंठ प्रतिभा के होठों को बंद कर चुके हैं l

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एक पुलिस की जीप रात के अंधेरे में राज़गड़ के सड़कों पर दौड़ रहा है l उस जीप में बल्लभ प्रधान और इंस्पेक्टर बैठे हुए हैं l इंस्पेक्टर गाड़ी चलाते हुए बल्लभ को पूछता है,
इंस्पेक्टर - यार इतनी रात को... यह तुम मुझे ले कर... रंग महल क्यूँ जा रहे हो...
बल्लभ - पता तो मुझे भी नहीं है.... भीमा ने फोन पर बताया था... राजा साहब हम दोनों से बात करना चाहते हैं....
इंस्पेक्टर - रंग महल में (सवाल करते हुए)
बल्लभ - हाँ...
इस तरह बात करते हुए दोनों रंग महल पहुंचते हैं l एक नौकर उन्हें अंदर की ओर ले जाता है l
अंदर एक और नौकर उन्हें अखाड़े की ओर जाने को कहता है l दोनों अखाड़े में देखते हैं भैरव सिंह लंगोट में है और एक साथ दो दो पहलवानों से लड़ रहा है l कुछ ही देर में दोनों को पटक देता है l दोनों पहलवानों को पटक ने के बाद अखाड़े से बाहर निकल कर बल्लभ और इंस्पेक्टर को घूरते हुए एक टवैल शुट पहन कर अंदर आने को इशारा करता है l दोनों पहले एक दूसरे देखते हैं और भैरव सिंह के पीछे पीछे चल देते हैं l अंदर एक बैठक में आते हैं, वहाँ पर टीवी पर न्यूज चैनल में अदालत में हुए कारवाई का ख़बर पर डिबेट प्रसारित हो रहा है l भैरव सिंह टीवी बंद कर रिमोट अपने सोफ़े पर रख कर भैरव सिंह वहीँ खड़ा रहता है, वे दोनों देखते हैं कि उनके सामने एक बड़ा सा शतरंज की दरी बिछी हुई है l उस दरी पर कुछ शतरंज के गोटियाँ भी अपनी खानों से बाहर चाल, चले हुए हैं l देख कर लगता है कुछ समय पूर्व वहीं पर शतरंज का खेल हुआ है लेकिन भीमा एक डंडा लाकर भैरव सिंह को देता है जिसमें आधे गोलाकार एक क्लांप लगा हुआ है l भैरव सिंह काले गोटियों की तरफ खड़ा होता है और दुसरी तरफ से भीमा सफेद गोटीयों के तरफ खड़ा होता है l गोटियाँ आधे फुट और एक फुट के हाइट के हैं, और दोनों के हाथ में क्लांप लगी हुई डंडा है, जिससे वे गतियों को ठेल कर अपनी चालें चलते हैं l उसी शतरंज दरी के किनारे बल्लभ प्रधान, और इंस्पेक्टर खड़े हो जाते हैं l
भैरव - प्रधान.... यह क्या हुआ है... हमे विस्तार से समझाओगे....
बल्लभ - जी राजा साहब... वह डिफेंस लॉयर ने कुछ अड़चनें डालने की कोशिश की है.... पर हमारी केस बहुत ही मजबूत है...
भैरव - प्रधान.... हमने जिंदगी में जो भी फैसले लिए हैं... उसे वक्त ने हमेशा सही साबित किया है.... पर विश्व के केस में... हम गलत नहीं होना चाहते हैं..... (कह कर एक चाल चलता है)
बल्लभ - राजा साहब आप कभी गलत हुए ही नहीं..... और इस बार भी नहीं होंगे....
भीमा भी एक चाल चलते हुए एक गोटी ठेलता है l
भैरव - फ़िलहाल तुम हमे विस्तार से समझाओ.... आज कोर्ट में जो भी हुआ..... (एक चाल चलता है)
बल्लभ और इंस्पेक्टर दोनों एक दूसरे को देखते हैं
बल्लभ - राजा साहब... सरकार के सिफारिश पर तीन जजों का पैनल बना है.... अब सारी सुनवाई बंद कमरे में होगी.... कोर्ट परिसर और रूम में मीडिया प्रवेश को वर्जित किया गया है....
भैरव - ह्म्म्म्म... (भीमा के चाल पर भैरव चाल चल कर भीमा के एक प्यादे को बाहर हटा देता है) यह देख भीमा तेरा प्यादा गया.. ह्म्म बल्लभ आगे बढ़ो....
बल्लभ - इस केस पर अब किसी भी प्रकार का मीडिया ट्रायल अवैध होगी..... (भैरव जबड़ो को भिंच कर बल्लभ को देखता है) (बल्लभ अपने हलक से थूक निगलता है) राजा साहब हमने विश्व के गिरफतार होने के बाद से, हमने जितना मीडिया को स्पॉंसर किया था उससे विश्व के केस पहले से ही बहुत डैमेज हो चुका है.... उसके पास कोई पब्लिक सिंपथी नहीं है... केवल जन आक्रोश है... उसके विरुद्ध.... यह जन आक्रोश भी केस को दिशा देने में प्रमुख भूमिका निभाती है.....
भैरव - ह्म्म्म्म आगे बोलो... यह जयंत को धमका कौन रहा है...
बल्लभ और इंस्पेक्टर दोनों हैरानी से भैरव सिंह को देखने लगते हैं, बल्लभ- राजा साहब... यह बात हमे भी समझ में नहीं आया... जयंत को धमका कौन रहा है....
इंस्पेक्टर - कहीं... जयंत ने प्रांक तो नहीं खेला है....
बल्लभ - हो सकता है...
भैरव - हाँ तो मेरे हुकूमत के नौ रत्नों में से... मेरे दो अनमोल रत्न... एक इंस्पेक्टर रोणा एक एडवोकेट प्रधान... हमारी चाल पर कोई और चाल चल रहा है... क्यूँ....
दोनों चुप रहते हैं l भैरव सिंह और चाल चल कर भीमा की हाती को बाहर कर देता है l
भैरव - हमसे दुश्मनी करके... कोई जिंदा नहीं बचता.... जानते हो इस रंग महल से... पहली और आखिरी बार वैदेही ही जिंदा लौट कर गई है.... मुझे उसके जिस्म को नोचने, निचोड़ने या खुरचने में जितना मजा नहीं आया... उसे कहीं ज्यादा उसकी चीखें सुनने में और आंसू देखने में मजा आता है... आज भी... उस रंडी को महल से भगाया.... चुड़ैल बना कर लोगों से उस पर पत्थर भी फीकवाया... पर विश्व उसे बचा ले गया... विश्व.... लगता है कुछ अलग किस्मत लिखवाकर लाया है.... (और एक चाल चलने के बाद) बचपन में मार देना चाहा.... पर उस स्कुल मास्टर की बातों में आ गया... इसलिए अपने घर में उसे कुत्ता बना कर रखा और बड़ा किया..... उसने फ़िर जवानी में मेरे खिलाफ़ भोंका... इसबार भी मार देना चाहा था.... पर इस बार सोचा उसे घर के कुत्ते से अब गली का कुत्ता बनाऊँगा... जहां हर रोज रोटी और बोटी के लिए... राजगड़ के हर गली, हर गटर, हर नाली में रेंगने लगेगा.... यही सोच कर उसे ज़ख्मी कर छोड़ दिया था....(एक और चाल से भीमा के ऊंट को हटाता है) क्यूँ रोणा... तूने ही तो गोली मारी थी.... कम्बख्त की पैर भी बच गया.... मैं उसे जिंदा रख कर राजगड़ के गलीयों में भीख मंगवाना चाहता था..... मगर.... जानते हो मैं उसे क्यूँ तड़पना चाहता हूं... क्यूँ की वह मेरे मजा और वैदेही के दर्द के बीच आ गया... वह कहते हैं ना... गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है....
इतना कह कर भैरव दोनों को देखता है, दोनों की हालत पतली हो जाती है l दोनों बड़ी मुश्किल से अपने हलक से थूक निगलते हैं उनकी हालत देख कर भैरव चिल्ला कर एक नौकर को बुलाता है l
भैरव - सत्तू.... इनके लिए ठंडा कुछ लाओ...(फ़िर इन दोनों को) हाँ तो मैं क्या कह रहा था... मेरे दो अनमोल रतन.... अपनी दुश्मनी में मैंने किसीको जिंदा नहीं छोड़ा है... जब विश्व को जिंदा छोड़ा था... तो उसकी जिंदगी मौत से भी बदत्तर होगी कहा था मैंने उसे... मेरे बातों को सच बनाने का जिम्मा मेरे दरबार के रत्नों का काम है.... है.. ना...
इतने में भीमा एक चाल चलते हुए - हुकुम... चेक...
भैरव सिंह का भोवें जाती है l इतने में सत्तू उनके पास एक रोलिंग ट्रै में कुछ ड्रिंक्स लेकर आता है और ग्लास में ड्रिंक्स बनाने के लिए बोतल उठाता है l भैरव सिंग गुस्से से अपने हाथ का डंडा नीचे फेंक देता है l डंडा उछल कर सत्तू के पास गिरता है l भैरव सिंह का गुस्सा देख कर डर के मारे सत्तू चौंक जाता है और उसके हाथ से बर्फ का टुकड़ा छूट जाता है और लुढकते हुए भैरव सिंह के जुते पर गिरता है l भैरव सिंह को और भी गुस्सा आता है और गुस्से में सत्तू को एक थप्पड़ मार देता है l सत्तू छिटक कर दुर जा कर गिरता है l इतने में भीमा अपनी चाल को वापस ले लेता है और कहता है - हुकुम... वह मेरे घोड़े की चाल ही गलत थी... मैंने सुधार लिया है...
इतने में सत्तू भी अपनी पगड़ी निकाल कर भैरव सिंह के जुते को साफ करने लगता है l
इतना सब कुछ इंस्पेक्टर और बल्लभ के सामने हो जाता है, तो इंस्पेक्टर कहता है - वह जैल सुपरिटेंडेंट थोड़ा शाणा निकला.... वरना मैंने तो डॉक्टर से बात कर ली थी....
भैरव उसे घूरते हुए देखता है तो इंस्पेक्टर आगे आकर नीचे पड़े उस चेस के डंडे को उठा कर भैरव सिंह को बढ़ाता है l भैरव सिंह फिर अपना चाल चलता है l
बल्लभ - राजा साहब.... चाहे किसी भी कमरे में सुनवाई हो... आपके पास हर सेकेंड की खबर पहुंचेगी.... और उस विश्व को एक महीने के भीतर कड़ी से कड़ी सजा भी मिलेगी... और जल्दी ही मिलेगी.... अब मैं खुद रोणा के साथ भुवनेश्वर जाऊँगा... और मैं आपको तभी अपना शक्ल दिखाऊंगा... जब उसे सजा हो जाएगी.....
भैरव सिंग भीमा को कहता है
भैरव - यह देख भीमा.... यह रहा चेक और यह मेट....
Nice and excellent update...
 

Jaguaar

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👉चौबीसवां अपडेट
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कोर्ट का रूम आज खचाखच भरा हुआ है l बाहर का नज़ारा पुलिस की छावनी में तब्दील हो चुकी है l
आज लोग कोर्ट के बाहर पुलिस के बनाए बैरिकेड के उस पार जमा हुए हैं l पिछली सुनवाई की तरह ही इस बार की सुनवाई के दिन भी लोग हाथों में प्लाकार्ड लिए विश्व के विरुद्ध स्लोगन दे रहे हैं l
अंदर केस से संपृक्त अधिकारी गण, वकील और प्रिंटिंग मीडिया से एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बहुत लोग उपस्थित हैं l हॉकर जज के आने का आह्वान देता है l सभी मौजूद लोग जज के सम्मान में खड़े हो जाते हैं l जज के बैठते ही सब अपने जगह बैठ जाते हैं l कोर्ट रूम के भीतर इतनी गहरी ख़ामोशी छाई हुई है कि लोग एक दूसरे के सांस की आवाजाही भी सुन पा रहे हैं l पर आदत के अनुरूप जज अपना न्याय के हथोड़े को टेबल पर तीन बार मारते हुए ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर कहता है l
जज - आजकी अदालती कार्यवाही शुरू की जाए...
हॉकर - मुजरिम को हाजिर किया जाए...
दो कांस्टेबल विश्व को हथकड़ी में लेकर मुज़रिम वाले कटघरे में खड़ा कर देते हैं l
जज - हाँ तो क्या आज... अभियोजन पक्ष मौजूद हैं....
प्रतिभा -(अपनी जगह से उठ कर) येस.... माय लॉर्ड....
जज - और... अभियुक्त पक्ष...
जयंत - (अपनी जगह से उठ कर) येस माय लॉर्ड....
ठीक है इससे पहले कि हम कार्यवाही आरंभ करें... अदालत आपको सूचित करना चाहती है... की राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट में पास किए जाने के बाद.... राज्यपाल महोदय ने अदालत को पत्र द्वारा नियमित सुनवाई करने का आग्रह किया है.... इसलिए आप दोनों के मौजदूगी में हमे दिए गए आग्रह पर.... इस केस के लिए तीन जजों का पैनल बनाया गया है... और नियमित सुनवाई के लिए हफ्ते में तीन दिनों का चयन किया गया.... सोमवार, बुधवार और शुक्रवार.... इसके बाद अगर आप लोगों को कोई आपत्ति हो... तो दर्ज करा सकते हैं.... पहले प्रोसिक्युशन के तरफ से.... कोई टिप्पणी...
प्रतिभा - नो... माय लॉर्ड.....
जज - अब डिफेंस के तरफ से.... कोई टिप्पणी...
जयंत - (अपने जगह से उठ कर) येस माय लॉर्ड...
जज - कहिए... जयंत बाबु... क्या टिप्पणी है...
जयंत - टिप्पणी नहीं.... दो दो... अभियोग कहें या अनुरोध...
जज - कहिये...

जयंत - माय लॉर्ड... मेरा यह आग्रह व अनुरोध है... कोर्ट के कार्यवाही का मीडिया कवरेज को संपूर्ण रूप से अवैध करार दिया जाए.... और कोर्ट रूम में किसी भी मीडिया पर्सन के प्रवेश पर रोक लगा दी जाए....
दर्शकों में बैठी एक औरत, तुरंत अपनी जगह से खड़ी हो गई और जज को - आई ऑब्जेक्ट... योर ऑनर...
जज - हू.. इज़...
औरत - (हाथ ऊपर कर इशारे में विटनेस बॉक्स में जाने की इजाजत मांगते हुए) मे आई....
जज - येस... यु कैन....
औरत -(विटनेस बॉक्स में आकर) सर, आई, माय सेल्फ अरुंधति पसायत... असिस्टेंट एडिटर ऑफ खबर ओड़िशा... मैं डिफेंस लॉयर के इस वक्तव्य को दृढ़ विरोध करती हूँ.... वी आर जर्नलिस्ट... एंड मिस्टर. डिफेंस लॉयर शुड नॉट फॉरगेट.... हमे द फोर्थ पिलर ऑफ डेमोक्रेसी कहा जाता है.... लोगों तक खबर पहुंचाना... हमारा कर्तव्य ही नहीं हमारा वृत्ति गत अधिकार भी है.... इसलिए मैं अदालत से दरख्वास्त करती हूँ... मिस्टर डिफेंस लॉयर की इस आवेदन पर तुरंत खारिज किया जाए....
जज - मिस्टर डिफेंस लॉयर... इस पर आप क्या कहना चाहेंगे...
जयंत -(अपने जगह से खड़े होकर) जी मैं कहाना नहीं... मिसेज पसायत से पूछना चाहूँगा.... अगर आप इजाज़त दें तो...
जज - ज़रूर....
जयंत - थैंक्यू माय लॉर्ड... हाँ तो मिसेज पसायत... अभी वह जो कटघरे में खड़ा है... वह आपके विचार में कौन है...
पसायत - जी.. वह.... एक मुज़रिम है....
जयंत - मोहतरमा... पहले आप अपना ज्ञान दुरुस्त कीजिए... वह जो कटघरे में खड़ा है... वह एक मुल्जिम है... ना कि मुज़रिम... मतलब एक्युस्ड है... ना कि कंविक्टेड...
पसायत - जी.. जी.. आइ... मेरा मतलब.. वह मुल्जिम है... ना कि मुजरिम... रॉंग प्रोनाउंशेशन... सॉरी...
जयंत - येस... यु.. शुड बी सॉरी... क्यूंकि जब से... यह घोटाला सामने आया है... तबसे आप अपने चैनल के जरिए... ना सिर्फ़ उसे मुज़रिम करार दे चुकी हैं... बल्कि... एस.एम.एस के जरिए पोल भी कराई हैं... विश्व प्रताप को फांसी की सजा दी जाए या उम्र कैद की....
पसायत - जी व... वह... असल में... हम लोगों की राय जानना चाहते थे....
जयंत - नो मिसेज़ पसायत... आप लोगों की राय जानना नहीं चाहती हैं... बल्कि अपनी राय लोगों पर थोपती हैं... आप की चैनल ने... न जाने कितने कहानी विश्व के नाम पर बनाए और बेचे.... खुद को पैरलल कोर्ट बना कर एक्युस्ड को न सिर्फ कंविक्ट बनाया... बल्कि उसके सजा पर पोल भी करवाया.... क्यूँ मिसेज पसायत क्यूँ.... अगर आज जो कटघरे में एक्युस्ड खड़ा है... कल को अगर वह विक्टीम साबित हुआ... तब....
पसायत - वेल... दिज आर ऑल पार्ट ऑफ आवर प्रोफेशन.... तब हम सॉरी कह देंगे....
जयंत - व्हाट.... तब आप सॉरी कह देंगे... रोज न्यूज चैनल में... शूली चढ़ाती हैं आप... जब वह विक्टीम साबित हो जाएगा उसे सॉरी कह देंगी..... (फिर जज के तरफ मुड़ कर) माय लॉर्ड... क्या सॉरी से किसीकी इज़्ज़त वापस आ सकती है.... अगर यह मीडिया कवरेज करना चाहती हैं... तो इनसे एक ऐफिडेविट ली जाए.... अगर इस सुनवाई में... विश्व निर्दोष व विक्टीम करार दिया जाता है.... तो विश्व को पूर्ण अधिकार होगी इनपर मानहानि दावा ठोकने की... दैट्स ऑल माय लॉर्ड....
जज - ठीक है... जयंत बाबु.... अब आप अपना दुसरा आग्रह बताये...

जयंत - माय लॉर्ड.... जबसे मैंने... मक्तुल श्री विश्व की केस को हाथ में ली है.... तब से मुझे थ्रेटस मिल रहे हैं... केस छोड़ने के लिए.... इसलिए जब तक.... इस केस की कारवाई पूरी नहीं हो जाती..... तब तक मुझे अदालत के तरफ से सरकारी सुरक्षा मुहैया कराया जाए....
जज - यह आपने... बहुत ही बड़ी बात कही है.... क्या आपने पुलिस को इस बारे में सूचना नहीं दी...
जयंत - दी थी... पूरी घाट थाने में... यह रही उस एफआईआर की कॉपी (कह कर एक काग़ज़ राइटर के हाथों से जज को बढ़ा देता है)
जज काग़ज़ देखने के बाद
जज - आज डिफेंस लॉयर जयंत राउत जी ने इस केस से संबंधित जिन तथ्यों की जानकारी दी है... उस पर अदालत गम्भीरता से विचार करेगी... अब यह अदालत एक घंटे के लिए स्थगित की जाती है... डिफेंस लॉयर के द्वारा दी गए तथ्यों पर अपना फैसला एक घंटे बाद पूरी टीम के सहित उपस्थित रह कर सुनाएगी.... (इतना कह कर जज वह हथोड़ा टेबल पर पीट कर रख कर बाहर चला जाता है)

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कोर्ट रूम पास एक कमरे में एक छोटा सा टेबल और दो कुर्सी पड़ी हैं l एक कुर्सी पर जयंत बैठा हुआ है,और दुसरे में विश्व और विश्व से थोड़ी दूर दीवार के पास वैदेही खड़ी हुई है l
विश्व - क्या.... आपको धमकी मिली है....
जयंत - (अपना सर हिलाते हुए) ह्म्म्म्म....
विश्व - हे... भगवान... तो.... फिर....
जयंत - तो फिर क्या.... मैंने तो पहले पुलिस को बताया.... अब अदालत को बता दिया है....
वैदेही - (मायूस होकर) आपको हमारे वजह से तकलीफ हो रही है....
जयंत दोनों के चेहरे को गौर से देखता है, फिर जयंत दोनों को इशारे से चुप रहने के लिए इशारा करता है l दोनों भाई बहन एक दुसरे को देखते हैं फिर जयंत को l जयंत धीरे से अपनी कुर्सी से उठता है और थोड़ा सा बाहर की तरफ झांकता है और इन दोनों के करीब आकर बहुत धीरे से उनको कहता है l
जयंत - देखो तुम मेरे क्लाइंट हो.... इसलिए बता रहा हूँ.... मुझे कोई धमकी नहीं मिली है...
दोनों - क्या... (चौंक कर)
जयंत - श्... श् श्.. (धीरे से..) क्या कर रहे हो... मरवाओगे क्या....
विश्व - (धीरे से) पर क्यूँ..
जयंत - तुम्हारे दुश्मनों के शिविर में खलबली मचाने के लिए.... एक तुक्का लगाया है.... ताकि वह लोग कुछ गलत कर जाएं....
विश्व - ओ...
जयंत - दीस इज कॉल्ड एज अ प्रोफेशनल लाइ.... एंड अ लॉयर शुड भी अ गुड लायर...
इतना कह कर जयंत अपनी दोनों आँखो को विंक करता है l कुछ ऐसे करता है कि दोनों के चेहरे पर हँसी आ जाती है l
वैदेही - तो अब जज साहब क्या करेंगे...
जयंत - अब मुझे क्या पता.... पर जो भी होगा.... हमारे ही फेवर में जाएगा....
ऐसे ही एक घंटा बीत जाता है और पुलिस आती है विश्व को अपने साथ ले जाती है l वैदेही और जयंत भी कोर्ट रूम में प्रवेश करते हैं l आज आरंभ से ही वैदेही जयंत के दलीलों से बहुत ही प्रभावित हो चुकी है l उसे अब लगने लगा है जयंत ज़रूर इस केस में कुछ उलट पलट कर सकता है l
सब इस बार देखते हैं कि इस बार जज के स्थान पर एक के जगह तीन कुर्सियां पड़ी हुई हैं l कुछ देर बाद हॉकर सबको सावधान करता है और जजों के आने का संकेत देता है l सभी कोर्ट रूम में अपने स्थान पर खड़े हो जाते हैं l तीन जज अब अपने जगह पर बैठ जाते हैं l जजों के बैठने के बाद सब अपने अपने जगहों पर बैठ जाते हैं l
मुख्य जज जो आरंभ से ही केस की सुनवाई से जुड़े हुए हैं l वह सुनवाई आरंभ करते हैं l

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शाम को डिनर के बाद प्रतिभा एक अलग कमरे में अपनी केस की फाइलों को पढ़ रही है और अपनी एक डायरी में कुछ नोट कर रही है और नोट कर लेने के बाद लॉ के कुछ मोटी लॉ के किताबें खंगाल कर उनमें पेंसिल से मार्क कर रही है l
इतने में प्रत्युष एक कॉफी का मग ले कर पहुंचता है, और प्रतिभा के सामने रख देता है l प्रतिभा अब नजर उठा कर देखती है तो प्रत्युष मुस्करा देता है l
प्रतिभा - क्या बात है बेटा... अभी तक सोया नहीं... कल क्लास के लिए जाना नहीं है क्या....
प्रत्युष - जिसकी माँ रात भर जाग रही है.... पर जागने का वजह ना तो उसका पति है.... और ना ही बेटा... तब बेटा सोचता है कि... ऐसी क्या परेशानी आन पड़ी.... के माँ को रात भर जागना पड़ रहा है....
प्रतिभा - तु... कॉलेज में पढ़ने जाता है... या.. ऐसी मीठी मीठी बातेँ सीखने....
प्रत्युष - अब जिसकी माँ... वकील हो... वह तो बातेँ करेगा ही...
प्रतिभा - (थोड़ा हंस देती है) आ बैठ... बोल... आज... क्यूँ... मेरे बेटे को... नींद नहीं आ रही है....
प्रत्युष - (पास पड़े एक कुर्सी पर बैठ जाता है) माँ... आप और डैड मुझे कितना प्यार करते हैं.... मैं जानता हूँ.... पता नहीं आपको याद है या नहीं.... पर मुझे जब भी याद आता है... तो बहुत हंसी आती है....
प्रतिभा - (अपने चेहरे को सिकुड़ कर और भोवें नचा कर) क्या याद आता है....
प्रत्युष - माँ... यह आप अच्छी तरह से जानते हो.... के मुझे... सुई लगाने से कभी डर नहीं लगता है.... पर जब भी हस्पताल में डॉक्टर मुझे सुई लगाते थे.... (हंसते हुए) डैड डर के मारे बाहर ही खड़े रहते थे... और आप आँखे मूँद लेती थी... फिर सुई लग जाने के बाद... आपके आँखों में आंसू तक आ जाते थे.... मैं जानता हूँ... यह आप दोनों का असीम प्यार है.... के मुझे सुई चुभते हुए भी देख नहीं सकते.... आप दोनों....
प्रतिभा प्यारे उसके गालों पर हाथ फेरती है और गाल को खींच कर
प्रतिभा - हर माँ बाप ऐसे ही होते हैं.... अपने बच्चों के कष्ट देख नहीं पाते.....
प्रत्युष - माँ... बिल्कुल... आप...और डैड मुझसे जितना प्यार करते हो.... मैं भी आप दोनों से उतना प्यार करता हूँ....
प्रतिभा - हाँ... यह तो हम भी जानते हैं....
प्रत्युष कुछ कहता नहीं है तो प्रतिभा उसके गाल पर हाथ फ़ेर कर पूछती है
प्रतिभा - अब बोल भी दे.... क्यूँ नींद नहीं आ रही है मेरे बच्चे को.....
प्रत्युष - (प्रतिभा के हाथ को अपने गाल से हटा कर दोनों हाथों से पकड़ लेता है) माँ.... आप रात रात भर जाग कर अपनी नींद खराब क्यूँ कर रही हो......
प्रतिभा - वह इसलिए... की परसों.... अदालत में... प्रोसिक्यूशन की तरफ से इस केस की प्रेजेंटेशन है.... इसलिए मुझे तैयारी करनी पड़ रही है....
प्रत्युष - वैसे... माँ आज अदालत में हुआ क्या था.... आज प्राइम टाइम न्यूज ब्रीफिंग पूरी तरह से बदली हुई लग रही है.... क्या आपका ओपोनेंट इतना स्ट्रॉन्ग है....
प्रतिभा - स्ट्रॉन्ग तो हैं बेटा.... उनका नाम जयंत राउत है.... जानते हो एज अ पब्लिक प्रोसिक्यूटर उन्होंने एक भी केस नहीं हारा है....
प्रत्युष - ओ... तो... उनको हराने की तैयारी कर रहे हो आप....
प्रतिभा - (हंस देती है) हाँ....
प्रत्युष - वैसे.... आज उन्होंने कोर्ट में... ऐसा क्या कह दिया... जो आज न्यूज के डिबेट में... सिर्फ वही छाए हुए हैं.....
प्रतिभा - अपने क्लाइंट को बचाने के लिए एक अच्छा वकील... जो भी कर सकता है.... जयंत सर ने वही किया....
प्रत्युष - थोड़ा ब्रीफ करके बताओ ना....
प्रतिभा - पहले तो उन्होंने अदालत को... कंविंस किया के विश्व एक्युस्ड है... ना.. की गिल्टी... इसलिए उसे दोषी बनाकर जो मीडिया ट्रायल चल रही है... उसे बंद करवा दिया...
प्रत्युष - ओ अच्छा.... तभी में बोलू.... रोज सिमर की बिरियानी परोसने वाले... आज इतने शाकाहारी कैसे हो गए हैं.....
प्रतिभा यह सुन कर प्रत्युष के गाल पर एक चपत लगाती है
प्रतिभा - और अब से कोर्ट की सारी कारवाई..... सिर्फ़ बंद कमरे में होगी.... उस पर भी जयंत सर ने मीडिया कवरेज को बैन करवा दिया.....
प्रत्युष - ओ.... तो क्या.. किसी मीडिया पर्सन ने... अपना विरोध नहीं जताया....
प्रतिभा - जताया था ना... वह खबर ओड़िशा के असिस्टेंट एडिटर अरुंधति पसायत.... उसने जयंत सर की मांग पर विरोध किया... पर अदालत ने जयंत सर की बातों को स्वीकार कर लिया....
प्रत्युष - फिर.. क्या वह पसायत चुप रही....
प्रतिभा - हाँ... चुप ना रहती तो क्या करती.... अगर कोर्ट के भीतर जज साहब के आदेश का विरोध करती तो.... वह कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट होता... और वह... नन बेलेबल ऑफ़ेंश होता...
प्रत्युष - ओ....
प्रतिभा - हाँ... तो अब तेरा डाऊट सारे क्लियर हुए या नहीं....
प्रत्युष - बस एक डाऊट है...
प्रतिभा - आप कब सोओगे.... यही ना..
प्रत्युष - वाह... यह हुई ना बात.... माँ आख़िर अपने बच्चे मन की बात समझ जाती है....
प्रतिभा - (एक चपत लगाती है प्रत्युष के गाल पर) तु अब तक सीधे ना पूछ कर... अदालत में क्या हुआ... बगैरह क्यूँ पूछ रहा था....
प्रत्युष - माँ... रात भर... किताबों के साथ उल्लू की तरह जागना... यह मेरे उम्र को शुट करता है.... आपके उम्र में नहीं... माँ बाप बच्चे के लिए चिंता में ना सोए तो बात समझ में आती है.... पर बच्चा... वह भी मुझ जैसे... डैशींग.. हैंडशम एंड इंटेलिजेंट हो.... फिर भी आप रात भर जागो... यह ठीक नहीं लगता ना....
प्रतिभा - अररे... मैं अपनी केस की डिटेल्स तैयार कर रही हूँ...
प्रत्युष - वह आप कल करलेना.... आपके पास पूरा दिन रहेगा.... और घर पर ना मैं होऊंगा ना डैड... इसलिए...
कह कर प्रतिभा के हाथ को खिंच कर उठा कर सोने के कमरे तक धक्का दे कर ले जाता है
प्रतिभा - अरे.. रुक तो...
प्रत्युष - नहीं... नहीं.... बिल्कुल नहीं....
प्रतिभा को उसके कमरे में पहुँचा कर प्रत्युष अपनी माँ के माथे को चूम कर
प्रत्युष - गुड नाइट माँ.....
प्रतिभा - गुड नाइट बेटा...
दरवाजा बंद कर बिस्तर पर आती है l जैसे ही सोने को होती है तो तापस उसकी तरफ पलटता है
तापस - हम बुलाते रहे शब् ए मुहब्बत को... वह इंकार करते रहे... लगता है औलाद की चाहत के आगे इश्क़ से बगावत कर ली उन्होंने....
प्रतिभा - ओ... तो उल्लू यहाँ पर जाग रहा है... यह क्या है सेनापति जी... अगर रोमांटिक हो रहे हैं..... तो शायरी भी ढंग का किया करो ना...
तापस - (प्रतिभा को अपने पास खिंच कर) अजी यह तो आपके हुस्न का असर है... वरना हम कहाँ और शायरी कहाँ...
तापस - बस बस... आपके बेटे ने.... मुझे रात को सोने के लिए भेजा है... जागने के लिए नहीं... आप चुप चाप सो जाइए और मुझे सोने दीजिए....
तापस - सत्यानाश कर दिया तुमने मेरे मुड़ का यार....
प्रतिभा - प्लीज....
तापस - ठीक है.. ठीक है... मैं तो यह सोच कर खुश हो रहा था.... के मेरे बेटे ने... मेरी दिल की आह भांप ली... पर...
प्रतिभा - (खिल खिला कर हंस देती है) कभी कभी लगता है... वह मेरा बेटा नहीं... मेरा बाप.... है
तापस - करेक्ट.... अब मुझे यकीन हो गया... वह... मेरा ससुर ही है... जो दोबारा जन्म ले कर आया हुआ है....
प्रतिभा - हो गया...
तापस - हाँ.. खत्म कर... सो ही जाता हूं...
इससे पहले प्रतिभा कुछ कह पति, तापस के होंठ प्रतिभा के होठों को बंद कर चुके हैं l

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एक पुलिस की जीप रात के अंधेरे में राज़गड़ के सड़कों पर दौड़ रहा है l उस जीप में बल्लभ प्रधान और इंस्पेक्टर बैठे हुए हैं l इंस्पेक्टर गाड़ी चलाते हुए बल्लभ को पूछता है,
इंस्पेक्टर - यार इतनी रात को... यह तुम मुझे ले कर... रंग महल क्यूँ जा रहे हो...
बल्लभ - पता तो मुझे भी नहीं है.... भीमा ने फोन पर बताया था... राजा साहब हम दोनों से बात करना चाहते हैं....
इंस्पेक्टर - रंग महल में (सवाल करते हुए)
बल्लभ - हाँ...
इस तरह बात करते हुए दोनों रंग महल पहुंचते हैं l एक नौकर उन्हें अंदर की ओर ले जाता है l
अंदर एक और नौकर उन्हें अखाड़े की ओर जाने को कहता है l दोनों अखाड़े में देखते हैं भैरव सिंह लंगोट में है और एक साथ दो दो पहलवानों से लड़ रहा है l कुछ ही देर में दोनों को पटक देता है l दोनों पहलवानों को पटक ने के बाद अखाड़े से बाहर निकल कर बल्लभ और इंस्पेक्टर को घूरते हुए एक टवैल शुट पहन कर अंदर आने को इशारा करता है l दोनों पहले एक दूसरे देखते हैं और भैरव सिंह के पीछे पीछे चल देते हैं l अंदर एक बैठक में आते हैं, वहाँ पर टीवी पर न्यूज चैनल में अदालत में हुए कारवाई का ख़बर पर डिबेट प्रसारित हो रहा है l भैरव सिंह टीवी बंद कर रिमोट अपने सोफ़े पर रख कर भैरव सिंह वहीँ खड़ा रहता है, वे दोनों देखते हैं कि उनके सामने एक बड़ा सा शतरंज की दरी बिछी हुई है l उस दरी पर कुछ शतरंज के गोटियाँ भी अपनी खानों से बाहर चाल, चले हुए हैं l देख कर लगता है कुछ समय पूर्व वहीं पर शतरंज का खेल हुआ है लेकिन भीमा एक डंडा लाकर भैरव सिंह को देता है जिसमें आधे गोलाकार एक क्लांप लगा हुआ है l भैरव सिंह काले गोटियों की तरफ खड़ा होता है और दुसरी तरफ से भीमा सफेद गोटीयों के तरफ खड़ा होता है l गोटियाँ आधे फुट और एक फुट के हाइट के हैं, और दोनों के हाथ में क्लांप लगी हुई डंडा है, जिससे वे गतियों को ठेल कर अपनी चालें चलते हैं l उसी शतरंज दरी के किनारे बल्लभ प्रधान, और इंस्पेक्टर खड़े हो जाते हैं l
भैरव - प्रधान.... यह क्या हुआ है... हमे विस्तार से समझाओगे....
बल्लभ - जी राजा साहब... वह डिफेंस लॉयर ने कुछ अड़चनें डालने की कोशिश की है.... पर हमारी केस बहुत ही मजबूत है...
भैरव - प्रधान.... हमने जिंदगी में जो भी फैसले लिए हैं... उसे वक्त ने हमेशा सही साबित किया है.... पर विश्व के केस में... हम गलत नहीं होना चाहते हैं..... (कह कर एक चाल चलता है)
बल्लभ - राजा साहब आप कभी गलत हुए ही नहीं..... और इस बार भी नहीं होंगे....
भीमा भी एक चाल चलते हुए एक गोटी ठेलता है l
भैरव - फ़िलहाल तुम हमे विस्तार से समझाओ.... आज कोर्ट में जो भी हुआ..... (एक चाल चलता है)
बल्लभ और इंस्पेक्टर दोनों एक दूसरे को देखते हैं
बल्लभ - राजा साहब... सरकार के सिफारिश पर तीन जजों का पैनल बना है.... अब सारी सुनवाई बंद कमरे में होगी.... कोर्ट परिसर और रूम में मीडिया प्रवेश को वर्जित किया गया है....
भैरव - ह्म्म्म्म... (भीमा के चाल पर भैरव चाल चल कर भीमा के एक प्यादे को बाहर हटा देता है) यह देख भीमा तेरा प्यादा गया.. ह्म्म बल्लभ आगे बढ़ो....
बल्लभ - इस केस पर अब किसी भी प्रकार का मीडिया ट्रायल अवैध होगी..... (भैरव जबड़ो को भिंच कर बल्लभ को देखता है) (बल्लभ अपने हलक से थूक निगलता है) राजा साहब हमने विश्व के गिरफतार होने के बाद से, हमने जितना मीडिया को स्पॉंसर किया था उससे विश्व के केस पहले से ही बहुत डैमेज हो चुका है.... उसके पास कोई पब्लिक सिंपथी नहीं है... केवल जन आक्रोश है... उसके विरुद्ध.... यह जन आक्रोश भी केस को दिशा देने में प्रमुख भूमिका निभाती है.....
भैरव - ह्म्म्म्म आगे बोलो... यह जयंत को धमका कौन रहा है...
बल्लभ और इंस्पेक्टर दोनों हैरानी से भैरव सिंह को देखने लगते हैं, बल्लभ- राजा साहब... यह बात हमे भी समझ में नहीं आया... जयंत को धमका कौन रहा है....
इंस्पेक्टर - कहीं... जयंत ने प्रांक तो नहीं खेला है....
बल्लभ - हो सकता है...
भैरव - हाँ तो मेरे हुकूमत के नौ रत्नों में से... मेरे दो अनमोल रत्न... एक इंस्पेक्टर रोणा एक एडवोकेट प्रधान... हमारी चाल पर कोई और चाल चल रहा है... क्यूँ....
दोनों चुप रहते हैं l भैरव सिंह और चाल चल कर भीमा की हाती को बाहर कर देता है l
भैरव - हमसे दुश्मनी करके... कोई जिंदा नहीं बचता.... जानते हो इस रंग महल से... पहली और आखिरी बार वैदेही ही जिंदा लौट कर गई है.... मुझे उसके जिस्म को नोचने, निचोड़ने या खुरचने में जितना मजा नहीं आया... उसे कहीं ज्यादा उसकी चीखें सुनने में और आंसू देखने में मजा आता है... आज भी... उस रंडी को महल से भगाया.... चुड़ैल बना कर लोगों से उस पर पत्थर भी फीकवाया... पर विश्व उसे बचा ले गया... विश्व.... लगता है कुछ अलग किस्मत लिखवाकर लाया है.... (और एक चाल चलने के बाद) बचपन में मार देना चाहा.... पर उस स्कुल मास्टर की बातों में आ गया... इसलिए अपने घर में उसे कुत्ता बना कर रखा और बड़ा किया..... उसने फ़िर जवानी में मेरे खिलाफ़ भोंका... इसबार भी मार देना चाहा था.... पर इस बार सोचा उसे घर के कुत्ते से अब गली का कुत्ता बनाऊँगा... जहां हर रोज रोटी और बोटी के लिए... राजगड़ के हर गली, हर गटर, हर नाली में रेंगने लगेगा.... यही सोच कर उसे ज़ख्मी कर छोड़ दिया था....(एक और चाल से भीमा के ऊंट को हटाता है) क्यूँ रोणा... तूने ही तो गोली मारी थी.... कम्बख्त की पैर भी बच गया.... मैं उसे जिंदा रख कर राजगड़ के गलीयों में भीख मंगवाना चाहता था..... मगर.... जानते हो मैं उसे क्यूँ तड़पना चाहता हूं... क्यूँ की वह मेरे मजा और वैदेही के दर्द के बीच आ गया... वह कहते हैं ना... गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है....
इतना कह कर भैरव दोनों को देखता है, दोनों की हालत पतली हो जाती है l दोनों बड़ी मुश्किल से अपने हलक से थूक निगलते हैं उनकी हालत देख कर भैरव चिल्ला कर एक नौकर को बुलाता है l
भैरव - सत्तू.... इनके लिए ठंडा कुछ लाओ...(फ़िर इन दोनों को) हाँ तो मैं क्या कह रहा था... मेरे दो अनमोल रतन.... अपनी दुश्मनी में मैंने किसीको जिंदा नहीं छोड़ा है... जब विश्व को जिंदा छोड़ा था... तो उसकी जिंदगी मौत से भी बदत्तर होगी कहा था मैंने उसे... मेरे बातों को सच बनाने का जिम्मा मेरे दरबार के रत्नों का काम है.... है.. ना...
इतने में भीमा एक चाल चलते हुए - हुकुम... चेक...
भैरव सिंह का भोवें जाती है l इतने में सत्तू उनके पास एक रोलिंग ट्रै में कुछ ड्रिंक्स लेकर आता है और ग्लास में ड्रिंक्स बनाने के लिए बोतल उठाता है l भैरव सिंग गुस्से से अपने हाथ का डंडा नीचे फेंक देता है l डंडा उछल कर सत्तू के पास गिरता है l भैरव सिंह का गुस्सा देख कर डर के मारे सत्तू चौंक जाता है और उसके हाथ से बर्फ का टुकड़ा छूट जाता है और लुढकते हुए भैरव सिंह के जुते पर गिरता है l भैरव सिंह को और भी गुस्सा आता है और गुस्से में सत्तू को एक थप्पड़ मार देता है l सत्तू छिटक कर दुर जा कर गिरता है l इतने में भीमा अपनी चाल को वापस ले लेता है और कहता है - हुकुम... वह मेरे घोड़े की चाल ही गलत थी... मैंने सुधार लिया है...
इतने में सत्तू भी अपनी पगड़ी निकाल कर भैरव सिंह के जुते को साफ करने लगता है l
इतना सब कुछ इंस्पेक्टर और बल्लभ के सामने हो जाता है, तो इंस्पेक्टर कहता है - वह जैल सुपरिटेंडेंट थोड़ा शाणा निकला.... वरना मैंने तो डॉक्टर से बात कर ली थी....
भैरव उसे घूरते हुए देखता है तो इंस्पेक्टर आगे आकर नीचे पड़े उस चेस के डंडे को उठा कर भैरव सिंह को बढ़ाता है l भैरव सिंह फिर अपना चाल चलता है l
बल्लभ - राजा साहब.... चाहे किसी भी कमरे में सुनवाई हो... आपके पास हर सेकेंड की खबर पहुंचेगी.... और उस विश्व को एक महीने के भीतर कड़ी से कड़ी सजा भी मिलेगी... और जल्दी ही मिलेगी.... अब मैं खुद रोणा के साथ भुवनेश्वर जाऊँगा... और मैं आपको तभी अपना शक्ल दिखाऊंगा... जब उसे सजा हो जाएगी.....
भैरव सिंग भीमा को कहता है
भैरव - यह देख भीमा.... यह रहा चेक और यह मेट....
Jabardast Updatee
 
9,704
40,590
218
एक तजुर्बेकार और दक्ष लेखक की तरह कहानी लिख रहे हैं आप । बिल्कुल उन राइटर्स की तरह जिन्होंने अपना नाम लेखन की दुनिया में अमर कर रखा है ।
प्रत्येक अपडेट , हर डायलॉग , सब कुछ , एवरी थिंग माइंड ब्लोइंग था ।
मुझे तो समझ में ही नहीं आ रहा है कि क्या समीक्षा करूं इन सभी अपडेट्स का ! सभी अपडेट्स के उपर बहुत कुछ लिखा जा सकता है। लेकिन दिमाग ही जबाव दे गया कि क्या लिखूं ! बस , इतना जरूर कहूंगा , यह स्टोरी मेरे आल टाइम फेवरेट स्टोरी में रहेगी ।

कोर्ट सीन का मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूं । एक मूवी देखी थी मैंने बी आर चोपड़ा की । पुरा मूवी ही कोर्ट सीन पर आधारित था । इसके अलावा भी कुछ अच्छे मूवी कोर्ट पर देखा है मैंने जो बहुत ही बेहतरीन था ।
सुरेंद्र मोहन पाठक और वेद प्रकाश शर्मा के भी कुछ उपन्यास पढ़ा है मैंने जिसमें कोर्ट सीन पर ज्यादा फोकस किया गया था । मैं चाहता हूं आप भी कोर्ट वाले सीन को ज्यादा लग्न से लिखें । और यह आप बखूबी कर सकते हैं क्योंकि कन्वर्सेशन लिखने में आप का जबाव नहीं ।

बहुत बहुत आभार आपको । आप ने एक लाजबाव स्टोरी हमारे लिए प्रस्तुत किया ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग , सुपर से भी ऊपर ,
और जगमग जगमग अपडेट भाई ।
 

Kala Nag

Mr. X
3,956
15,459
144
एक तजुर्बेकार और दक्ष लेखक की तरह कहानी लिख रहे हैं आप । बिल्कुल उन राइटर्स की तरह जिन्होंने अपना नाम लेखन की दुनिया में अमर कर रखा है ।
प्रत्येक अपडेट , हर डायलॉग , सब कुछ , एवरी थिंग माइंड ब्लोइंग था ।
मुझे तो समझ में ही नहीं आ रहा है कि क्या समीक्षा करूं इन सभी अपडेट्स का ! सभी अपडेट्स के उपर बहुत कुछ लिखा जा सकता है। लेकिन दिमाग ही जबाव दे गया कि क्या लिखूं ! बस , इतना जरूर कहूंगा , यह स्टोरी मेरे आल टाइम फेवरेट स्टोरी में रहेगी ।

कोर्ट सीन का मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूं । एक मूवी देखी थी मैंने बी आर चोपड़ा की । पुरा मूवी ही कोर्ट सीन पर आधारित था । इसके अलावा भी कुछ अच्छे मूवी कोर्ट पर देखा है मैंने जो बहुत ही बेहतरीन था ।
सुरेंद्र मोहन पाठक और वेद प्रकाश शर्मा के भी कुछ उपन्यास पढ़ा है मैंने जिसमें कोर्ट सीन पर ज्यादा फोकस किया गया था । मैं चाहता हूं आप भी कोर्ट वाले सीन को ज्यादा लग्न से लिखें । और यह आप बखूबी कर सकते हैं क्योंकि कन्वर्सेशन लिखने में आप का जबाव नहीं ।

बहुत बहुत आभार आपको । आप ने एक लाजबाव स्टोरी हमारे लिए प्रस्तुत किया ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग , सुपर से भी ऊपर ,
और जगमग जगमग अपडेट भाई ।
बहुत बहुत धन्यबाद मित्र
बहुत बहुत धन्यबाद
आपके कमेंट्स की प्रतीक्षा थी मुझे
निश्चय ही इस कहानी में कोर्ट रूम की महत्तवपूर्ण भूमिका है
आगे चल कर सब सामने आयेंगी
आभार
 

Kala Nag

Mr. X
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144
मेरे सभी पाठक मित्रों का आभार
जो भी साइलेंट रीडर हैं उनको भी आभार
जो पढ़ कर प्रशंसा कर रहे हैं उनका भी आभार
और जो पाठक समीक्षा दे रहे हैं उनको तह दिल से आभार
मित्रों आप जुड़े रहें और अपने कमेंट्स से मेरा उत्साह इसी तरह बढ़ाते रहें
मैं अपनी पूरी सामर्थ्य को निचोड़ कर कहानी को सम्पूर्ण करूंगा
🙏 🙏 🙏 धन्यबाद 🙏🙏🙏
जय जगन्नाथ स्वामी नयन पथ गामी भवतू मे
 
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