विक्रम ने आखिरकार अपनी पत्नी को मनाने का प्रयास शुरू कर दिया । वो एवरी डे शुभ्रा को एक लेटर द्वारा मनाने की कोशिश कर रहा है ।
एक दौर था जब प्रेम के इजहार के लिए लोग प्रेमपत्र लिखा करते थे । उस दौर में प्रेम पत्र लिखना और फिर उसे दोस्त / सहेली के हाथों भेजवाना , प्यार के इजहार का एकलौता तरीका हुआ करता था । यह भले ही धीमी प्रक्रिया रही हो पर कारगर बहुत था ।
युवाओं के मन में यह अक्सर आता है कि जिन बातों को हम कहकर बता सकते हैं , उन्हें लिखकर समझाने की क्या जरूरत ?
पर आप जानते हैं लिखने के दौरान आपका दिमाग नहीं , बल्कि दिल आपको कमांड देता है और जब बात दिल से निकले तो दिल तक पहुंचेगी ही ।
भावनाओं को लिखकर ही सबसे बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता है । शब्द कभी मरते नहीं ।
विक्रम को अपने गलती का एहसास है और वो अब अपनी गलतियों को सुधारने का काम कर रहा है । मुझे विश्वास है शुभ्रा भी अपने पति की भावनाओं को समझ रही होगी ।
थ्रीलर कहानी में जिस तरह से आपने प्रेम प्रसंग को पेश किया है उससे साफ लगता है आप एक रोमांटिक और इमोशनल बंदे हैं । मुझे तो कभी कभी लगता है कि मैं एक रोमांटिक कहानी पढ़ रहा हूं ।
इस कहानी में तीन जोड़ों की अलग अलग प्रेम कहानी है और तीनों की ही लव स्टोरी अद्भुत है ।
यह कहानी एक उपन्यास का शक्ल अख्तियार कर चुका है जहां प्रेम भी है और नफरत भी । जहां थ्रीलर भी है और सामाजिक मूल्य भी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट अपडेट्स नाग भाई ।
बहुत ही खूबसूरत लिख रहे हैं आप ।